Language: Urdu Devanagari script
Book: Matthew
Translation Words
, क़ुर्बानगाहें, क़ुर्बानगाह
ता’अर्रुफ़:
क़ुर्बानगाहएक पत्थर की तरह ऊँचा मक़ाम होता था जिस पर इस्राईली ख़ुदावन्द के लिए जले हुए जानवर या अनाज जला करके क़ुर्बान करते थे ,
किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में मिट्टी या बड़े-बड़े पत्थरों को एक साथ रखकर टीला सा बनाया जाता था।
- कुछ ख़ास क़ुर्बानगाहें लकड़ी के बक्से जैसी बनाई जाती थी जिन पर सोना, पीतल या कांसा चढ़ाया जाता था।
- इस्राईल के पड़ोस की क़ौमें भी अपने मा'बूदों के लिए क़ुर्बानगाहें बनाती थी।
(यह भी देखें: \ बखूर की क़ुर्बानगाह ख़ुदा अनाज क़ुर्बानी क़ुर्बानी करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 08:20-22
- पैदाइश 22:9-10
- या'कूब 02:21-24
- लूका 11:49-51
- मत्ती 05:23-24
- मत्ती 23:18-19
कलाम की कहानियों से मिसाल:
- 03:14 उसने एक क़ुर्बानगाह बनाई, जिसे क़ुर्बानी के लिये इस्तेमाल किया जा सके और सभी तरह के जानवरों को क़ुर्बान किया।
- 05:08 जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंच गए, तो इब्राहीम ने अपने बेटे इस्हाक़ को बांध दिया और उसे क़ुर्बानगाह पर रख दिया।
- 13:09 एक इमाम ने जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जला दिया
- 16:06 उसने(गिदोन) एक नई क़ुर्बानगाह बनाई जो ख़ुदावन्द यहोवा के लिए बनाई वह पहले मा'बूदों के बुतों की क़ुर्बानगाह के पास पेश किया जाता था और उसमें मा'बूदों को क़ुर्बानी दी जाती थी ।
शब्दकोश:
- Strong's: H741, H2025, H4056, H4196, G1041, G2379
, भेड़-बकरियाँ, झुण्ड, काफ़िला, झुण्ड, गाय-बैलों
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “झुण्ड” लफ़्ज़ भेड़ या बकरियों के जमा’ के लिए काम में लिया गया है और कभी-कभी यह लफ़्ज़ मवेशियों, बैलों और सूअरों के लिये भी काम में लिया गया है।
- मुख़तलिफ़ ज़बानों में जानवरों और परिंदों के नाम मुख़तलिफ़ शक्लों में ज़ाहिर किये जाते है।
- मिसाल के तौर पर अंग्रेजी में “हर्ड” लफ़्ज़ भेड़ों और बकरियों के लिए भी काम में लिए जाते हैं। लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में नहीं।
- अंग्रेजी में “फ्लॉक” लफ़्ज़ी परिंदों के लिए भी काम में लिया जाता है लेकिन सूअरों, बैल और मवेशियों के लिए नहीं।
- अपनी ज़बान में मुख़तलिफ़ जानवरों के झुण्ड के लिए काम में लिए गए अलफ़ाज़ का ख़ुलासा करें।
- जिन आयात में “झुण्ड और ग़ोल” का हवाला है वहाँ सही होगा कि उनके आगे “भेड़ों का” या “मवेशियों का”, मिसाल के तौर पर अगर उस ज़बान में जानवरों के झुण्ड के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ न हों।
(यह भी देखें: बकरा, गाय, सूअर, भेड़,)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 10:28-29
- 2 तवारीख़ 17:10-11
- इस्तिस्ना 14:22-23
- लूक़ा 02:8-9
- मत्ती 08:30-32
- मत्ती 26:30-32
शब्दकोश:
- Strong's: H951, H1241, H2835, H4029, H4735, H4830, H5349, H5739, H6251, H6629, H7399, H7462, G34, G4167, G4168
, क़ैदख़ाना, क़ैदी, क़ैदख़ाना, क़ैद में, क़ैद में, क़ैदी बनाना, क़ैदी बनना, क़ैदी बनना
ता’अर्रुफ़:
“क़ैदख़ाना” वह जगह है जहाँ मुजरिमों को उनके जुर्म की सज़ा देने के लिए रखा जाता है। “क़ैदी ” वह आदमी है जो क़ैदख़ाना में रखा गया है।
- मुजरिम को ‘अदालत के वक़्त तक क़ैदख़ाना में रखा जाता है।
- “क़ैदी बनाया” या’नी “क़ैदख़ाना में रखा” या “गुलाम में रखा”।
- अनेक नबियों और ख़ुदा के ख़ादिमों बेगुनाह क़ैदख़ाने में डाले गए थे।
तर्जुमे की सलाह:
- “क़ैदख़ाना” का दूसरा लफ़्ज़“जेल खाना” है।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “कालकोठरी” भी किया जा सकता है, जब जेल खाना किसी मकान या राजमहल के तहख़ाने में हो।
- “क़ैदी ” का बयान उन लोगों से भी हो सकता है जिन्हें उनके दुश्मन क़ैदी बनाकर उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी जगह में रखते हैं। इसका तर्जुमा “ग़ुलाम ” भी किया जा सकता है।
- “क़ैदी बनाने” के तर्जुमें हो सकते हैं, “क़ैदी बनाकर रखना” या “ग़ुलामी में रखना” या “क़ैद कर लेना”
(यह भी देखें:क़ैदी बनाना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 25:4-5
- इफिसियों 04:1-3
- लूका 12:57-59
- लूका 22:33-34
- मरकुस 06:16-17
- मत्ती 05:25-26
- मत्ती 14:3-5
- मत्ती 25:34-36
शब्दकोश:
- Strong's: H612, H613, H615, H616, H631, H1004, H1540, H3608, H3628, H3947, H4115, H4307, H4455, H4525, H4929, H5470, H6115, H6495, H7617, H7622, H7628, G1198, G1199, G1200, G1201, G1202, G1210, G2252, G3612, G4788, G4869, G5084, G5438, G5439
'ईसा , 'ईसा मसीह, मसीह 'ईसा
सच्चाई:
'ईसा ख़ुदावन्द का बेटा है। “'ईसा ” नाम का मतलब है, “यहोवा बचाता है” “मसीह” एक लक़ब है जिसका मतलब है, “मसह किया हुआ ” इसका दूसरा लफ़्ज़ है, “मसीहा”
यह दोनों नाम हमेशा साथ-साथ रखे गए हैं, “मसीह 'ईसा ” या “'ईसा मसीह”। इन नामों से ताक़त दी गई है कि ख़ुदावन्द का बेटा मसीह है जो लोगों को गुनाहों की हमेशा की सज़ा से बचाने आया था।
- पाक रूह ने मो'जिज़े के तौर से ख़ुदावन्द के हमेशा के बेटे को इन्सानी शक्ल में पैदा किया। उसकी माँ से फ़रिश्ते ने कहा था कि उसका नाम “'ईसा ” रखा जाए क्यूँकि उसके तसव्वुर में लोगों को गुनाहों से बचान था।
- 'ईसा ने हर एक मो'जिज़े वाले काम किए जिससे साबित हो गया था कि वह ख़ुदावन्द है और वह ख़ुदा या मसीह है।
तर्जुमा की सलाह:
- हर एक ज़बानों में “'ईसा ” और “मसीह” के नाम ऐसे काम में ली जाती है कि उसका अदाइगी असल तौर के क़रीब हो। मिसाल के तौर पर, “’ईसा मसीह ”, “ईसा मसीह”, “ईसा मसीह” और “मसीह” ये कुछ ऐसे तरीक़े हैं जो इन नामों को अलग-अलग ज़बानों में तर्जुमा करते हैं।
- “मसीह” लफ़्ज़ के लिए कुछ तर्जुमा सही “मसीह” लफ़्ज़ था उसकी शक्ल काम में लाते हैं।
- मक़ामी या क़ौमी ज़बान में भी इन लफ़्ज़ों की हिज्जे पर तवज्जोह दें।
(यह भी देखें: मसीह, ख़ुदावन्द, ख़ुदावन्द बाप, सरदार काहिन, ख़ुदा की बादशाही, मरियम, मुन्जी, ख़ुदावन्द का बेटा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 06:9-11
- 1 यूहन्ना 02:1-3
- 1 यूहन्ना 04:15-16
- 1 तीमुथियुस 01:1-2
- 2 पतरस 01:1-2
- 2 थिस्सलुनीकियों 02:13-15
- 2 तीमुथियुस 01:8-11
- रसूलों के 'आमाल 02:22-24
- रसूलों के 'आमाल 05:29-32
- रसूलों के 'आमाल 10:36-38
- 'इब्रानियों 09:13-15
- 'इब्रानियों 10:19-22
- लूक़ा 24:19-20
- मत्ती 01:20-21
- मत्ती 04:1-4
- फ़िलिप्पियों 02:5-8
- फ़िलिप्पियों 02:9-11
- फ़िलिप्पियों 04:21-23
- मुक़ाश्फ़ा 01:4-6
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 22:04 फ़रिश्ते ने उससे कहा, “तू हामला होगी, और तेरे एक बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम 'ईसा रखना और वह मसीहा होगा।”
- 23:02 "तू उसका नाम 'ईसा रखना (जिसका मतलब है, 'यहोवा बचाता है' )क्यूँकि वह अपने लोगों का उनके गुनाहों से नजात करेगा।"
- 24:07 तो यहून्ना ने उनको ('ईसा ) बपतिस्मा दिया,जैसा कि 'ईसा ने कभी गुनाह नहीं किया था।
- 24:09 सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, बाप ख़ुदावन्द को कहते सुना, 'ईसा बेटे को देखा, और पाक रूह को भी देखा।
- 25:08'ईसा __ शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया,
- 26:08 फिर 'ईसा गलील के पूरे 'इलाक़े में होकर फिरने लगा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वह 'ईसा के पास बहुत से लोगों को लाए जो कई बीमारियों से बीमार थे, उनमें लंगड़े थे, और वह लोग थे, जो देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे जो बोल नहीं सकते और इन सभी को 'ईसा ने अच्छा किया।
- 31:03 'ईसा __ ने अपनी दु'आ पूरी की और वह शागिर्दों के पास चला गया। वह झील पर चलते हुए उनकी नाव कीतरफ़ आया।
- 38:02 वह(यहूदा) जानता था कि यहूदी उस्तादों ने 'ईसा को मसीहा के शक्ल में क़ुबूल नहीं किया था और वह उसे क़त्ल कर डालने का मन्सूबा बना रहे थे।
- 40:08 अपनी मौत के जरिए’ 'ईसा ने लोगों के लिये ख़ुदावन्द के पास आने का रास्ता खोल दिया।
- 42:11 ” ख़ुदा 'ईसा आसमान पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। 'ईसा सब बातों पर हुकूमत करने के लिए ख़ुदावन्द की दाहिनी तरफ़ बैठ गया।
- 50:17 'ईसा और उसके लोग नई ज़मीन पर रहेंगे, और यहाँ जो कुछ भी पाया जाता है उसपर हमेशा बादशाही करेंगे। वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मौत नहीं होगी। 'ईसा अपनी बादशाही पर अमन व इन्साफ़ के साथ हुकूमत करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।
शब्दकोश:
अंजीर, अंजीरों
ता’अर्रुफ़ :
“अंजीर” एक छोटा मीठा फल होता है जो पेड़ में उगता है। पक जाने पर इस फल के मुख्तलिफ़ रंग होते हैं, भूरा, पीला या बैंगनी।
- अंजीर का पेड़ छः मीटर तक लम्बा हो जाता है और इसके चौड़े पत्तों कि वजह से पेड़ के नीचे बहुत छाया होती है । इसके फल की लम्बाई 3-5 से.मी. होती है।
- आदम और हव्वा ने गुनाह करने के बा’द अंजीर के पत्तों से अपने कपड़े बनाए थे।
- अंजीर का फल खाया जाता है, पकाया जाता है या सुखा कर भी रखा जाता है। लोग उन्हें टुकड़े करके उनकी टिक्कियाँ बनाकर सुखा लेते हैं कि बा’द में खाने के काम आए।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में अंजीर खाने के लिए बेचकर पैसा कमाने के लिए ख़ास थे।
- फलदार अंजीर के पेड़ की बात किताब-ए-मुक़द्दस में बार-बार की गई है। जिसका हवाला शरी’अत से है।
- ‘ईसा ने भी कई बार अंजीर के दरख्त की मिसालें देकर रूहानी सच्चाई की तशरीह की थी।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- हबक़्क़ूक़ 03:17
- या’क़ूब 03:11-12
- लूक़ा 13:6-7
- मरकुस 11:13-14
- मत्ती 07:15-17
- मत्ती 21:18-19
शब्दकोश:
- Strong's: H1061, H1690, H6291, H8384, G3653, G4808, G4810
अक़्लमन्द, अक़्लमन्दी, अक़्लमन्दी से
सच्चाई:
“अक़्लमन्द” (होशियार) वह इन्सान जो अपने कामों के बारे में होशियारी से सोचता है और समझदारी के फ़ैसले लेता है।
- “अक़्लमन्दी” हमेशा उस हिम्मत के बारे में होती है जिसके ज़रिए’’अमली , दुनयावी बातों के फ़ैसले लिए जाते हैं, जैसे पैसे या दौलत का इन्तिज़ाम करना।
- अगर चे “अक़्लमन्दी” और “अक़्ल” मतलब में एक से हैं, अक़्ल ज़्यादा आम और रूहानी या अच्छी बातों पर मुनहसिर होती है।
- मज़मून के मुताबिक़ " अक़्लमन्द का तर्जुमा हो सकता हैः "होशियार " या "चालाक " या समझदार।"
(यह भी देखें: चालाक, रूह, ’अक़्लमंद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- अमसाल 08:4-5
- अमसाल 12:23-24
- अमसाल 27:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H995, H5843, H6175, H6191, H6195, H7080, H7919, H7922, G4908, G5428
अच्छा, भलाई
ता’अर्रुफ़:
“अच्छा” लफ़्ज़ का मतलब जुमले के मुताबिक़ अलग-अलग हो सकते हैं। कई ज़बानों में इन अलग-अलग मतलबों का तर्जुमा करने के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ होंगे।
- आमतौर पर कोई बात अच्छी है अगर वह ख़ुदावन्द के ख़ासीयत , मक़सद और मर्ज़ी के मुताबिक़ है।
- एक “अच्छी” चीज़ क़ाबिल क़ुबूल, अच्छी जीज़, मददगार, लायक़, फ़ायदेमन्द या सही तरीक़े में होगी।
- ज़मीन अच्छी है तो वह उपजाऊ और पैदावार होगी।
- “अच्छी” फ़सल या'नी पैदावार
- एक शख़्स अपने काम में "अच्छा" हो सकता है कि वे क्या करते हैं अगर वह अपने काम या पेशे में होशियार हैं, जैसा कि "एक अच्छा किसान" है।
- कलाम में “अच्छा” हमेशा बुरे के अलग है।
- “भलाई” हमेशा ख़्यालों और काम में इख्लाक़ी के तौर पर नेक और रास्तबाज़ होना है।
- ख़ुदावन्द की अच्छाई का मतलब है लोगों को अच्छी और फ़ायदे की चीज़ें देना। यह भी उसके इख़लाक़ी कमाल के बारे में है
तर्जुमा की सलाह:
- मक़सदी ज़बान में “अच्छा” के लिए जो भी आम लफ़्ज़ है उसका इस्ते'माल किया जाए जब भी यह आम लफ़्ज़ मुनासिब और लाज़िम हो ख़ास करके ऐसे बारों में जहां यह लफ़्ज़ बुराई के अलग मतलब में ज़ाहिर हों ।
- जुमले के मुताबिक़ इसके कई तर्जुमे हो सकते हैं, “रहम ” या "बहुत ख़ुश ग्वार " या “रास्तबाज़ ” या “ख़ुश इख़लाक़” या “फ़ायदे मन्द ”
- “अच्छी ज़मीन ” का तर्जुमा हो सकता है, “उपजाऊ ज़मीन ” या “पैदावार की ज़मीन ” या “अच्छी फसल” का तर्जुमा “कामयाब फ़सल” या “बहुत ज़्यादा फ़सल”।
- “भलाई करना” का मतलब है लोगों के फ़ायदे के काम और इसका तर्जुमा , “पर रहम करना” या “मदद करना” या “फ़ायदा पहुंचाना” हो सकता है।
- “सबत के दिन भलाई करना” या'नी “किसी के फ़ायदे का काम सबत के दिन करना”।
- जुमलों के मुताबिक़ “भलाई के तर्जुमा”, “बरकत ” या “रहम” या “ख़ुश” या “” या “पाकीज़गी ” की शक्ल हो सकते हैं।
(यह भी देखें: बुराई, पाक, फ़ायदा, रास्तबाज़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- गलातियों 05:22-24
- पैदाइश 01:11-13
- पैदाइश 02:9-10
- पैदाइश 02:15-17
- या'क़ूब 03:13-14
- रोमियो 02:3-4
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
- 01:04 लेकिन ख़ुदावन्द ने देखा कि जो तख़लीक़ उसने की है वह अच्छी है।।
- 01:11 ख़ुदावन्द ने अच्छे और बुरे के 'इल्म का दरख़्त लगाया।
- 01:12 फिर ख़ुदावन्द ने कहा “आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है।”
- 02:04 " ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदावन्द की तरह हो जाओगे और अच्छा और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
- 08:12 "आपने ग़ुलाम की शक्ल में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदावन्द ने भलाई के लिए बुराई का इस्ते'माल किया!"
- 14:15 यसू'अ एक अच्छा रहनुमा था क्यूँकि वह ख़ुदावन्द पर ईमान करता था व उसके हुक्मो का पालन करता था।
- 18:13 कुछ बादशाह अच्छे लोग भी थे, जिन्होंने बेहतर तरीक़े से हुकूमत की और ख़ुदा की 'इबादत की।
- 28:01 “ऐ__बेहतर उस्ताद , हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” 'ईसा ने उससे कहा, “तू मुझे ‘अच्छा’ क्यों कहता है? जो __अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदावन्द है"
शब्दकोश:
- Strong's: H117, H145, H155, H202, H239, H410, H1580, H1926, H1935, H2532, H2617, H2623, H2869, H2895, H2896, H2898, H3190, H3191, H3276, H3474, H3788, H3966, H4261, H4399, H5232, H5750, H6287, H6643, H6743, H7075, H7368, H7399, H7443, H7999, H8231, H8232, H8233, H8389, H8458, G14, G15, G18, G19, G515, G744, G865, G979, G1380, G2095, G2097, G2106, G2107, G2108, G2109, G2114, G2115, G2133, G2140, G2162, G2163, G2174, G2293, G2565, G2567, G2570, G2573, G2887, G2986, G3140, G3617, G3776, G4147, G4632, G4674, G4851, G5223, G5224, G5358, G5542, G5543, G5544
अन्द्रियास
सच्चाई:
अन्द्रियास उन बारहों में से एक था जिन्हें ईसा ने अपने क़रीबी शागिर्दों में से चुना था। (आगे चलकर वह रसूल कहलाए)
- अन्द्रियास का भाई शम'ऊन पतरस था। दोनों ही मछुवारे थे।
- पतरस और अन्द्रियास गलील के समन्दर में मछलियां पकड़ रहे थे जब तब ईसा ने उन्हें अपने चेले होने के लिए बुला लिया था।
- ईसा से मुलाक़ात करने से पहले पतरस और अन्द्रियास यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के शागिर्द थे।
(यह भी देखें: रसूल, शागिर्द, बारहों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल . 01:12-14
- यूहन्ना 01:40-42
- मरकुस 01:16-18
- मरकुस 01:29-31
- मरकुस 03:17-19
- मत्ती 04:18-20
- मत्ती 10:2-4
शब्दकोश:
अमूरा
सच्चाई:
अमूरा सदूम के क़रीब उपजाऊ घाटी में एक शहर था, जहाँ इब्राहीम के भतीजे लूत ने रहने को चुना था।
- अमूरा और सदूम की सही जगह मा'लूम नहीं है लेकिन कुछ इशारों से मा'लूम होता है कि यह दो शहर मुर्दा समन्दर के क़रीब दक्खिन में सिद्दिम घाटी में बसे हुए थे।
- सदूम और अमूरा की जगह में कई बादशाह जंग करते थे।
सदूम और दूसरे शहर के दरमियानी जंग में लूत का ख़ानदान भी क़ैदी बनाया गया था, लेकिन इब्राहीम ने अपने लोगों के साथ जाकर उन्हें छुड़ा लिया था।
इसके बा'द ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ था कि ख़ुदावन्द ने सदूम और अमूरा को हलाक कर दिया था क्यूँकि वहां के रहने वाले लवातती थे।
(यह भी देखें: इब्राहीम , बाबुल, लूत, खारा तालाब, सदूम)
किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:
- 2 पतरस 02:4-6
- पैदाइश 10:19-20
- पैदाइश 14:1-2
- पैदाइश 18:20-21
- यसा'याह 01:9
- मत्ती 10:14-15
शब्दकोश:
आग, आग, लुकटियों, करछों, चिमनियों, भट्ठा, अंगीठियाँ
ता’अर्रुफ़:
आग गर्म होती, जब किसी चीज़ के जलने पर पैदा गर्म, रोशनी और लौ।
- लकड़ी आग के ज़रिए’ जलकर राख हो जाती है।
- लफ्ज़ “आग” को अलामती शक्ल में भी काम में लिया गया है, जिसके बारे में हमेशा सज़ा और नुमाइश से है।
- बे-ईमानों को आख़िरी सज़ा जहन्नम की आग में डाला जाता है।
- आग का इस्ते’माल सोने और और धातुओं को दुबारा बेहतर करने के लिए होता है| किताब-ए-मुक़द्दस में, इस ‘अमल की तफ़सील करने के लिए इस्ते’माल किया जाता है जैसे ख़ुदा के ज़रिए’ मुश्किल हालातों से इन्सान को बेहतर करता है जो उसकी ज़िन्दगी में होते हैं|
- “आग से बपतिस्मा देना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है “पाक करने के लिए तकलीफ़ उठाने के लिए पाबन्द करना।”
(यह भी देखें: साफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 16:18-20
- 2 सलातीन 01:9-10
- 2 थिस्सलुनीकियों 01:6-8
- रसूलों के ‘आमाल 07:29-30
- युहन्ना 15:5-7
- लूक़ा 03:15-16
- मत्ती 03:10-12
- नहमियाह 01:3
शब्दकोश:
- Strong's: H215, H217, H398, H784, H800, H801, H1197, H1200, H1513, H2734, H3341, H3857, H4071, H4168, H5135, H6315, H8316, G439, G440, G1067, G2741, G4442, G4443, G4447, G4448, G4451, G5394, G5457
आदम
सच्चाई:
आदम पहला आदमी था जिसे ख़ुदावन्द ने बनाया था| और वह उसकी बीवी हव्वा ख़ुदावन्द की सूरत से बनाए गए थे |
- ख़ुदावन्द ने आदम को मिट्टी से बनाकर उसमें साँस फूँकी थी ।
- आदम लफ़्ज़ का मतलब इब्रानी में लाल मिट्टी , या ज़मीन है |।
- “आदम लफ्ज़ वैसा ही है जैसा पुराने अहद नामे का लफ्ज़ इन्सानीक़ौम , या आदमी है ।
- पूरे तौर से इन्सानी क़ोम आदम और हव्वा की औलादें हैं ।
- आदम और हव्वा ने ख़ुदावन्द का हुक्म नहीं माना । इस वजह से वह ख़ुदावन्द से अलग हो गए और दुनिया में गुनाह और मौत को आने दिया|
तर्जुमा की सलाह , नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: मौत, मरना, नसल, हव्वा, ख़ुदावन्द की शक्ल
किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ज़िन्दगी
- पैदाइश 03:17-19
- पैदाइश 05:1-2
- पैदाइश 11:5-7
- लूका 03:36-38
- रोमियो 05:14-15
किताब -ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसाल :
- 01:09 फिर ख़ुदावन्द ने कहा , हम इन्सान को अपनी शक्ल में अपने जैसा बनायेंगे
- 01:10 आदमी का नाम आदम था ख़ुदावन्द ने आदम के रहने के लिए एक बाग़ बनाया और बाग़ की देखभाल करने के लिए उसे वहाँ रख दिया
- 01:12 फिर ख़ुदावन्द ने कहा आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है ।” लेकिन जानवरों में से कोई भी आदम का मददगार नहीं बन सकता |
- 02:11 और ख़ुदावन्द ने जानवर की खाल से आदम और हव्वा को ढका
- 02:12 और ख़ुदावन्द ने ख़ूबसूरत बगीचे से आदम और हव्वा को बाहर भेज दिया
- 49:08 जब आदम और हव्वा ने गुनाह किया तो इसने उनकी सारी औलादों को मुता'अस्सिर किया
- 50:16 क्यूँकि _आदम__ और हव्वा ने ख़ुदावन्द के हुक्म की नाफ़रमानी की और इस दुनिया में गुनाह को लाए, इसलिए ख़ुदावन्द ने इसे लानत किया और इसे बर्बाद करने का इरादा किया
शब्दकोश:
आमीन, सच में
ता’अर्रुफ़:
“आमीन” लफ़्ज़ किसी की बात पर ज़ोर देना या तवज्जह करना ज़ाहिर करता है। इसका इस्तेमाल हमेशा दु'आ के आख़िर में होता है। कभी-कभी इसका तर्जुमा “सच में” किया जाता है।
- दु'आ के आख़िर में “आमीन” लफ़्ज़ दु'आ के साथ इत्तिफ़ाक़ या दु'आ पूरी होने की मर्ज़ी ज़ाहिर करता है।
- अपनी ता'लीमों में ईसा ने “आमीन” लफ़्ज़ के इस्तेमाल के ज़रिए' अपनी बात की सच्चाई पर ताक़त दी थी । इस लफ़्ज़ के बाद उसने हमेशा कहा, “और मैं तुमसे कहता हूं” कि वह पहले की बात से मुता'अल्लिक़ एक और बात कहे।
- जब ईसा “आमीन” लफ़्ज़ का इस्तेमाल इस पतरह करता है तो कुछ अंग्रेजी कलाम (यू. एल. बी. भी) इसका तर्जुमा “सच में” या “सच कहता हूं” करती हैं।
- एक और लफ़्ज़ “सच-सच” का तर्जुमा “यक़ीनन” या “वाक़ई , हक़ीक़त” किया जा सकता है।
तर्जुमा की सलाह
- देखें कि कोई और ज़बान में से कोई ख़ास लफ़्ज़ या कोई जुमला है जो किसी कही गई बात पर ज़ोर देने के काम में ली जाती है।
- दु'आ के आख़िर में या किसी बात के इत्तिफ़ाक़ में, “आमीन” तर्जुमा किया जा सकता है, “ऐसा ही हो”, या “ऐसा होने दे”, या “यह सच है”।
- जब ईसा कहता है, “ मैं तुमसे सच सच कहता हूं” तो इसका तर्जुमा हो सकता है, “हां, मैं सच कहता हूं” या “यह सच है और मैं कहता हूं”।
“मैं तुमसे सच-सच कहता हूं” का तर्जुमा हो सकता है, “मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूं” या “मैं सच्चे ख़याल से तुमसे कहता हूं” या “मैं जो तुमसे कहता हूं वह सच है”
(यह भी देखें:पूरा कर, सच्चा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- अम्साल 27:15
- यूहन्ना 05:19-20
- यहूदा 01:24-25
- मत्ती 26:33-35
- फिलेमोन 01:23-25
- मुक़ाश्फा 22:20-21
शब्दकोश:
आसमान, बादल, बादलों, आसमानी
ता’अर्रुफ़:
“जन्नत” वह मक़ाम है जहाँ ख़ुदा रहता है। मज़मून पर मुनहस्सिर, इस लफ़्ज़ का मतलब “बादल” भी है।
“आसमानों” वह है जिसे हम ज़मीन पर से देखते हैं, सूर्य, चाँद और सितारे। इसमें आसमानी जिस्म भी शामिल है, जैसे दूर दूर के सय्यारे जिन्हें हम ज़मीन से सीधे देख नहीं सकते।
- “आसमान” वह स्थान है जो नीला है और उसमें साँस लेने के लिए हवा है। सूरज और चाँद को ‘आम तौर पर “आसमान में क़ायम” मानते हैं।
- किताब-ए-मुक़द्दस के कुछ मज़मूनों में “जन्नत” का मतलब आसमान या ख़ुदा के रहने का मक़ाम भी होता है।
- जहाँ जन्नत को ‘अलामती तौर पर काम में लिया गया है तो वह ख़ुदा के बारे में है। मिसाल के तौर पर, जब मत्ती “आसमान की बादशाही” लिखता है तो वह ख़ुदा की बादशाही का ज़िक्र करता है।
तर्जुमे की सलाह:
- “आसमान” का ‘अलामती इस्ते’माल का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा”
- मत्ती की किताब में “आसमान की बादशाही” को “आसमान” ही रखा जाए तो ठीक है क्योंकि यह लफ़्ज़ मत्ती के ज़रिए’ लिखी ख़ुशख़बरी का एक ख़ास लफ़्ज़ है।
- “आसमानों” या “तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “सूरज, चाँद और सितारे” या “क़ायनात में सब सितारे”।
- “आसमान के तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आसमान के सितारे” या “कहकशाँ के सितारे” या “क़ायनात के सितारे”
(यह भी देखें: ख़ुदा की बादशाही
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 08:22-24
- 1 थिस्सलुनीकियों 01:8-10
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:16-18
- इस्तिस्ना 09:1-2
- इफ़िसियों 06:9
- पैदाइश 01:1-2
- पैदाइश 07:11-12
- युहन्ना 03:12-13
- युहन्ना 03:27-28
- मत्ती 05:17-18
- मत्ती 05:46-48
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:
- 04:02 फिर उन्होंने आसमान तक लंबी चोटी ता’मीर की।
- 14:11 उसने (ख़ुदा) उन्हें आसमान से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे।”
- 23:07 तब अचानक फरिश्तों की जमा’अत ख़ुदा की ता’रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दी, “आसमान में ख़ुदा का जलाल और ज़मीन पर उन इन्सानों में जिनसे वह ख़ुश है, ।”
- 29:09 तब ‘ईसा ने कहा, “इसी तरह अगर तुम में से हर एक अपने भाई को दिल से मु’आफ़ न करेगा, तो मेरा बाप जो आसमान में है , तुम से भी वैसा ही करेगा।”
- 37:09 तब ‘ईसा ने आसमान की ओर देखा और कहा, “ऐ बाप, मैं आपका शुक्र करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली है।
- 42:11 तब ‘ईसा आसमान पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी नज़रों से छिपा लिया।
शब्दकोश:
- Strong's: H1534, H6160, H6183, H7834, H8064, H8065, G932, G2032, G3321, G3770, G3771, G3772
आसा
सच्चाई:
बादशाह आसा ने यहूदा पर चालीस साल तक बादशाहत की थी 913-873 ई.पू.।
- आसा एक अच्छा बादशाह था जिसने बुतों के मा'बूदों को ख़त्म किया और इस्राईलियों को यहोवा की 'इबादत के लिए शुरू' किया।
- यहोवा ने आसा को ग़ैर क़ौमों के साथ जंग में कामयाबी हासिल की थी।
- बा'द में अपने बादशाही ज़माने में आसा ने यहोवा पर यक़ीन करना बंद कर दिया और बीमार होकर आख़िरकार मर गया।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 इस्तिसना 09:14-16
- 1 सलातीन 15:7-8
- 2 तवारीख़ 14:1-4
- यरमियाह 41:8-9
- मत्ती 01:7-8
शब्दकोश:
इब्न-ए-आदम , इब्न-ए-आदम ,
ता'अर्रुफ़:
“इब्न-ए-आदम ,” यह लक़ब 'ईसा अपने लिए काम में लेता था। वह “मैं” या “मेरे” के बजाय इसी के ज़रिए' ख़ुद को इस्ते'माल करता था।
- कलाम में “इब्न-ए-आदम” किसी आदमी के बारे में देने या उसे बात करने के लिए काम में लिया जाता था। इसका मतलब “आदमी” भी हो सकता है।
- पुराने ‘अहद नामे की किताब , हिज़्क़ीएल में ख़ुदा हिज़्क़ीएल को बार-बार “ इब्न-ए-आदम ” कहता है। मिसाल में वह कहता है, “ऐ इब्न-ए-आदम नबूव्वत कर” ।
- दानिएल ने “इब्न-ए-आदम” का ख़्वाब देखा कि वह बादलों पर सवार आ रहा है जो आनेवाले मसीह के बारे में है।
- ‘ईसा ख़ुद कहता है कि इब्न-ए-आदम एक दिन बादलों में सवार होकर आएगा।
- इब्न-ए-आदम का बादलों पर सवार होकर आना ज़ाहिर करता है कि मसीह 'ईसा ख़ुदा है।
तर्जुमा की सलाह:
- ‘ईसा “इब्न-ए-आदम” जुमले को काम में लेता है तो इसका तर्जुमा “वह जो आदमी बना” या “आसमानी आदमी ”।
- कुछ तर्जुमों ने कभी-कभी "मैं" या "मुझे" इस 'उन्वान के साथ ("मैं, इब्न-ए-आदम की शक्ल में) यह साबित करने के लिए शामिल करते है कि 'ईसा अपने बारे में बात कर रहे थे ।
- यह साबित करने के लिए जांचें कि इस वक़्त का तर्जुमा ग़लत मतलब नहीं देता (जैसे कि किसी नाजायज बेटे की ओर इशारा करते हुए या ग़लत सोच देकर कि 'ईसा सिर्फ़ इन्सान थे)
- जब किसी शख्स को हवाला दिया जाता है, " इब्न-ए-आदम का तर्जुमा "आप, एक इंसान" या "आप, आदमी" या "इंसान" या "आदमी" की शक्ल में किया जा सकता है।
(यह भी देखें: आसमान, बेटे, ख़ुदावन्द का बेटा, यहोवा)
किताब-ए मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 07:54-56
- दानिएल 07:13-14
- हिज़्क़ीएल 43:6-8
- यूहन्ना 03:12-13
- लूक़ा 06:3-5
- मरकुस 02:10-12
- मत्ती 13:36-39
- ज़बूर 080:17-18
- मुक़ाश्फ़ा 14:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H120, H606, H1121, H1247, G444, G5207
इब्राहीम, अब्राम
सच्चाई:
अब्राम ऊर शहर का एक क़सदी आदमी था जिसे ख़ुदावन्द ने इस्राईल का बुजुर्ग होने के लिए चुन लिया था | खुदावन्द ने उसका नाम अब्राम से बदलकर इब्राहीम कर दिया था |
- “ अब्राम का मतलब है मज़बूत बाप “”
- “अइब्राहीम का मतलब है बहुतों का बाप”
- ख़ुदावन्द ने इब्राहीम से वा’दा किया था कि वह बहुतों का बाप होगा उसकी औलादें एक बड़ी क़ौम होंगे ।
- इब्राहीम ने ख़ुदावन्द पर यक़ीन किया और उसके हुक्मों को माना |। ख़ुदावन्द ने इब्राहीम को कसदियों के मुल्क से लेकर कनआन जाने में रहनुमाई की।
- कन'आन में इब्राहीम और सारा को बुढ़ापे में इस्हाक़ हासिल हुआ था। ।
(यह भी देखें: \ कना’न, कसदी, सारा, इस्हाक़
किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:
- गलातियों 03:6-9
- पैदाइश 11:29-30
- पैदाइश 21:1-4
- पैदाइश 22:1-3
- या'कूब 02:21-24
- मत्ती 01:1-3
किताब -ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसाल:
- 04:06__जब __अब्राम कन’आन मुल्क पहुंचा तब ख़ुदावन्द ने उसे कहा कि , ““अपने चारों तरफ़ देख क्यूँकि जितनी ज़मीन तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरी नसल को दूँगा
- 05:04 ख़ुदावन्द__ ने कहा कि अब तेरा नाम अब्राम न होकर इब्राहीम होगा, जिसका मतलब है –“बहुतों का बाप ।”
- 05:05 तक़रीबन एक साल बाद में, जब इब्राहीम सौ साल का हुआ और सारा नब्बे साल की तो, सारा ने इब्राहीम के बेटे को जन्म दिया ।
- 5:06 जब इस्हाक़ जवान हुआ, ख़ुदावन्द ने __इब्राहीम से यह कहकर उसकी आज़माइश ली,”कि अपने एकलौते बेटे इस्हाक़ को आतशी क़ुर्बानी करके चढ़ा।।
- 06:01जब __इब्राहीम ‘उम्र दराज़ हो गया था, तो उसका बेटा इस्हाक़ व्यस्कता की तरफ़ बढ़ता जा रहा था, इब्राहीम ने अपने एक ग़ुलाम से कहा, कि तू मेरे मुल्क में मेरे ही खानदानियों के पास जाकर मेरे बेटे इस्हाक़ के लिये एक बीवी ले आएगा।
- 06:04__एक लंबे वक़्त के बाद __इब्राहीम की मौत हो गयी, ख़ुदावन्द ने इब्राहीम से जो अहद बाँधा था उसके मुताबिक़ ख़ुदावन्द ने इस्हाक़ को बरकत दी
- 21:02___ ख़ुदावन्द ___ ने __इब्राहीम से अहद बाँधा कि सर ज़मीन के सारे लोग तेरे ज़रिए बरकत पाएँगे।।
शब्दकोश:
इस्राईल, इस्राईली
सच्चाई:
“इस्राईल” ख़ुदावन्द के ज़रिए' या'क़ूब को दिया गया नाम था। इसका मतलब है, “वह ख़ुदावन्द के साथ जद्द-ओ-जहद करता है”
या'क़ूब की नसल “ इस्राईल के लोग”, “ इस्राईली क़ौम” या “इस्राईली” कहलाए।
- ख़ुदावन्द ने इस्राईल के लोगों से 'अहद बाँधा था। वह उसके चुने हुए लोग थे।
- इस्राईली क़ौम बारह क़बीलों की थी।
- बादशाह सुलैमान के मरने से पहले इस्राईल दो मुल्क में अलग हो गया था।दक्खिनी मुल्क जो “यहूदा” कहलाया और उत्तरी मुल्क “इस्राईल”।
- इस्राईल का तर्जुमा “इस्राईली लोग” या “ इस्राईली क़ौम” किया जाता है, जो जुमले पर मुन्हसिर करता है।
(यह भी देखें: इस्राईल, [ इस्राईल का मुल्क, इस्राईल की बादशाही, यहूदाह, क़ौम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इस्राईल के बारह क़बीले
- 1 सलातीन 08:1-2
- रसूलों के 'आमाल 02:34-36
- रसूलों के 'आमाल 07:22-25
- रसूलों के 'आमाल 13:23-25
- यूहन्ना 01:49-51
- लूक़ा 24:21
- मरकुस 12:28-31
- मत्ती 02:4-6
- मत्ती 27:9-10
- फ़िलिप्पियों 03:4-5
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 08:15 बारह बेटों की औलाद से इस्राईल के बारह क़बीले बन गए।
- 09:03 मिस्रियो ने इस्राईलियों से सख़्ती के साथ ख़िदमत करवाई, और यहाँ तक कि कई 'इमारतें व पूरे शहर को ता'मीर करवाया।
- 09:05 एक इस्राईली 'औरत ने बेटे को पैदा किया।
- 10:01 उन्होंने कहा, “इस्राईल का ख़ुदा यूँ कहता है, ‘मेरी रि'आया के लोगों को जाने दे !’”
- 14:12 लेकिन इन सब के बावजूद भी, इस्राईली ख़ुदा व मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाते रहें।
_*15:09__ ख़ुदावन्द उस दिन इस्राईल के लिए लड़ा । _ ख़ुदावन्द ने अमूरियों को उलझन में डाल दिया, और ओले भेजकर बहुत से अमूरियों को हलाक किया।
- 15:12 जंग के बा'द, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को वह सारा मुल्क दिया, जिसे उसने उनको बुजुर्गों से क़सम खाकर देने को कहा था; और वह उसके हाकिम होकर उसमे बस गए। तब ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को सारी सीमा के साथ अमन 'अता किया |
- 16:16 तो ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को फिर से सज़ावार किया, क्यूँकि उन्होंने बुतों की 'इबादत की थी।
- 43:06 “ऐ इस्राईलियों यह बातें सुनो: 'ईसा नासरी एक शख़्स था, जिसने ख़ुदावन्द की ताक़त से कई अजीब कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदावन्द ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिए' कर दिखाए जिसे तुम ख़ुद ही जानते हो”
शब्दकोश:
- Strong's: H3478, H3479, H3481, H3482, G935, G2474, G2475
इस्राईल, इस्राईली, इस्राईलियों, या'क़ूब
सच्चाई:
या'क़ूब इस्हाक़ और रिबक़ा के जुड़वा लड़कों में छोटा था।
- या'क़ूब का मतलब है, “वह एड़ी पकड़ता है” जिसका मतलब है, “वह धोकबाज़ है।” पैदाइश के वक़्त या'क़ूब अपने जुड़वा भाई ऐसौ की एड़ी पकड़े हुए था।
- कई साल बा'द ख़ुदावन्द ने या'क़ूब का नाम बदलकर इस्राईल रखा जिसका मतलब है, “वह ख़ुदावन्द के साथ मशक़क़त करता है।”
- या'क़ूब चालाक और धोकेबाज़ था। उसने अपने बड़े भाई ऐसौ से उसके पहलौठे की बरकतें और इख़्तियार हासिल करने का मन्सूबा तलाश कर लिया था।
- ऐसौ इस पर बहुत ग़ुस्सा हुआ और उसको क़त्ल करने का मन्सूबा बनाया, लिहाज़ा या'क़ूब अपने घर से भाग गया। सालों बा'द या'क़ूब अपनी बीवियों और औलादों के साथ कन'आन लौटा, ऐसौ भी वहीं रहता था। दोनों के ख़ानदान अमन सुकून से रहने लगे।
- या'क़ूब के बारह बेटे थे। उनकी औलादें इस्राईल के बारह क़बीले हुए।
- मत्ती लिखने वाले की ख़ुशख़बरी में जो नसब नामा दिया गया है उसमें एक और या'क़ूब का बयान किया गया है, वह यूसुफ़ का बाप था।
(यह भी देखें: कना’न, धोखा, 'ऐसौ, इस्हाक़, इस्राईल, रिब्क़ा, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 07:11-13
- रसूलों के 'आमाल 07:44-46
- पैदाइश 25:24-26
- पैदाइश 29:1-3
- पैदाइश 32:1-2
- यूहन्ना 04:4-5
- मत्ती 08:11-13
- मत्ती 22:31-33
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 07:01__फिर वह लड़के बढ़ने लगे, रिबक़ा __या'क़ूब से मुहब्बत रखती थी, लेकिन इस्हाक़ ऐसौ से मुहब्बत रखता था। या'क़ूब सीधा आदमी था और ख़ेमों में रहा करता था, लेकिन ऐसौ तो जंगली होकर चतुर शिकार खेलनेवाला हो गया।
- 07:07 जब या'क़ूब वहाँ था ,उसी दौरान या'क़ूब ने चार बीवियों से शादी की और उसके बारह बेटे और एक बेटी पैदा हुई। ख़ुदा ने उसे बहुत मालदार बनाया।
- 07:08 बीस साल तक अपने घर से, जो कन'आन में है, दूर रहने के बा'द या'क़ूब अपने ख़ानदान, ख़ादिमों, और अपने सारे जानवरों के साथ वापस आ गया।
- 07:10 ख़ुदा ने इब्राहीम की नसबनामे के बारे में जो 'अहद उससे बाँधा था, वह इब्राहीम से इस्हाक़ और इस्हाक़ से या'क़ूब को दी।
- 08:01__कई साल बा'द, जब __या'क़ूब ‘उम्र दराज़ हो गया, तो उसने अपने अज़ीज़ बेटे यूसुफ़ को भेजा कि वह जाकर अपने भाइयो को देखे जो भेड़ बकरियों के झुंड की देखभाल कर रहे थे।
शब्दकोश:
इख़्तियार
ता’अर्रुफ़:
“इख़्तियार” लफ़्ज़ का मतलब लोगों, जानवरों या ज़मीन पर हुकूमत, क़ाबू, या इख़्तियार है|
- ‘ईसा मसीह ने कहा है कि तमाम ज़मीन पर नबी, काहिन, और बादशाह के तौर पर हुकमरान हो|
- मसीह ‘ईसा की सलीबी मौत के ज़रिए’ शैतान की बादशाही हमेशा के लिए हार गई है।
- तख़लीक के वक़्त ख़ुदा ने कहा था कि इन्सान को मछली, परिन्दों और ज़मीन के सब जानदारों पर इख़्तियार है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ़्ज़ का तर्जुमा होगा, “इख़्तियार”, “क़ुव्वत” या “क़ाबू”।
- “पर इख़्तियार रखना” का तर्जुमा हो सकता है, “पर हुकूमत” या “इंतज़ाम करना”।
(यह भी देखें: इख़्तियार, क़ुव्वत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 05:10-11
- कुलुस्सियों 01:13-14
- यहूदाह 01:24-25
शब्दकोश:
- Strong's: H1166, H4474, H4475, H4896, H4910, H4915, H7287, H7300, H7980, H7985, G2634, G2904, G2961, G2963
ईमान
ता’रीफ़:
‘आम तौर पर “ईमान” का मतलब है किसी इन्सान या चीज़ में , यक़ीन, भरोसा या “ईमान” रखना।
- “ “ईमान होना” या’नी किसी शख़्स में यक़ीन करना कि वह जो कहता है और सच और भरोसेमन्द है|
- “‘ईसा में ईमान” का मतलब है, ‘ईसा के बारे में ख़ुदा की सब ता’लीमों को मानना। इसका मतलब ख़ास करके यह है इन्सान ‘ईसा और उसकी क़ुर्बानी पर और उनकी नजात तथा गुनाह की सज़ा से नजात के लिए उन पर भरोसा है।
- ’ईसा में सच्चा ईमान इन्सान में रूहानी फल या अच्छा सुलूक पैदा करता है क्योंकि उसमें पाक रूह बसी होती है।
- कभी-कभी “ईमान” ‘ईसा के बारे में सब ता’लीमों के बारे में होता है। जैसा इस इज़हार, “ईमान की सच्चाई” में है।
- मज़मून जैसे "ईमान को थामे रहना" तथा ईमान को छोड़ने” लफ़्ज़ में “ईमान” ‘ईसा के बारे में तमाम ता’लीमों पर ‘ईमान लाने के बयान और हालत के बारे में है।
तर्जुमे की सलाह:
- कुछ मज़मूनों में “ईमान” का तर्जुमा “यक़ीन” या “अहसास-ए-जुर्म” या “ऐ’तमाद” या “भरोसा” किया जा सकता है।
- कुछ ज़बान में इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा “ईमान करना” के फ़े’अल की शक्ल में किया जा सकता है।
- इज़हार "ईमान रखना" का तर्जुमा" “‘ईसा पर ईमान करना" या "‘ईसा पर मुसलसल ईमान जारी रखें" के तौर पर किया जा सकता है।
- ये जुमले "ईमान की गहरी सच्चाइयों को पकड़ना" का तर्जुमा, "उन्हें ‘ईसा के बारे में सारी सच्ची बातें मानना चाहिए जो उन्हें सिखाया गया है की शक्ल में किया जा सकता है ।"
- इज़हार "ईमान में मेरा सच्चा बेटा" अलफ़ाज़ का तर्जुमा "मेरे बेटे की तरह है क्योंकि मैंने उसे ‘ईसा पर ईमान करने के लिए सिखाया था" या "मेरा सच्चा रूहानी बेटा, जो ‘ईसा पर ईमान करता है" का तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: ईमान, यक़ीन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ईमानदार
- रसूलों के ‘आमाल 06:7
- गलतियों 02: 20-21
- या’क़ूब 02:18-20
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
- 05:06 जब इसहाक़ जवान था, तो ख़ुदा इब्राहीम के ईमान की आज़माइश करते हुए कहा, की अपने इकलौते बेटे को लेकर क़ुर्बानी के तौर पर मार डालो।
- 31:07 फिर उसने (‘ईसा ) पतरस से कहा, "तुम कम ईमान वाले इन्सान, तुमने शक क्यों किया?"
- 32:16 ‘ईसा ने उससे कहा, "तुम्हारे ईमान ने तुमको चंगा किया है। सलामती से जाओ।"
- 38:09 ‘ईसा ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी आज़माइश लेना चाहता है, लेकिन मैंने तुम्हारे लिये दु’आ की है, पतरस, तेरा ईमान कमज़ोर नहीं होगा।
शब्दकोश:
- Strong's: H529, H530, G1680, G3640, G4102, G6066
ईमानदार, इमानदारी, बे-ईमान, बे-ईमानी
ता’अर्रुफ़:
ख़ुदा के लिए “ईमानदार” होने का मतलब मुसलसल ख़ुदा की ता’लीमों के मुताबिक़ रहने से है। इसका मतलब उसका ‘अमल करने के ज़रिए’ उसके लिए वफ़ादार होना। ईमानदार होने के बयान या हालत को "ईमानदारी" कहते है।
- एक ईमानदार इन्सान हमेशा अपने वा’दों को बरक़रार रखने और दूसरे लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भरोसा रखता है|
- ईमानदार शख़्स किसी काम को करने में मेहनत करता है चाहे वह बहुत वक़्त का और मुश्किल भी क्यों न हो।
- ख़ुदा के लिए वफ़ादारी से मुसलसल करते रहने की मश्क़ करना, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है|
लफ़्ज़ ख़ुदा पर “बे-ईमान” का मतलब उस इन्सान से है, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है वह नहीं करता है| बे-ईमान की मश्क़ या शर्त को “बे-ईमानी” कहते हैं|
- इस्राईल के लोगों को बे-ईमान कहते थे, जब उन्होंने बुतपरस्ती शुरू’ की और जब वह और तरह से ख़ुदा की नाफ़रमानी की|
- शादी में, जो कोई ज़िना करता है, उससे अपने शौहर के लिए “बेवफ़ा” क़रार दिया जाता है|
- ख़ुदा ने इस्राईल के नाफ़रमान रवैये के लिए “बे-ईमान” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया| वह ख़ुदा की फ़रमाबरदारी या ‘इज़्ज़त करते थे|
तर्जुमे की सलाह:
- बहुत से मज़मूनों में “ईमानदार” का तर्जुमा “वफ़ादार” या “ताबे’” या “मुनहस्सिर करने के क़ाबिल” भी किया जा सकता है।
- और मज़मूनों में “ईमानदार” ऐसे अलफ़ाज़ या जुमलों के ज़रिए’ तर्जुमा किया जा सकता है जिनका मतलब हो, “भरोसा करते रहना” या “ख़ुदा पर ईमान करने और उसके फ़रमाबरदारी में लगे रहना”।
-
“ईमानदार” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “ईमान में मेहनत करते रहना” या “वफ़ादारी” या “भरोसेमन्द” या “ख़ुदा पर ईमान और फ़रमाबरदारी”
-
मज़मून पर मुनहस्सिर, “बे-ईमान” का तर्जुमा “ईमानदार नहीं” या “बे-ऐतिक़ादी” या “नाफ़रमान” या “वफ़ादार नहीं” के तौर पर किया जा सकता है|
- अलफ़ाज़ “बे-ईमान” का तर्जुमा “वह लोग ख़ुदा पर ईमान नहीं रखते” या “बे-ईमान लोग” या “वे लोग जो ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं” या “वह लोग जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत करते हैं” के तौर पर किया जा सकता है|
- लफ़्ज़ “बे-ईमानी” का तर्जुमा “नाफ़रमान” या “बेवफ़ाई” या “नाफ़रमानी या भरोसा न करना” के तौर पर किया जा सकता है|
- कुछ ज़बानों में, लफ़्ज़ “बे-ईमान” लफ़्ज़ “बे-ऐतिक़ादी “से मुता’अल्लिक़ है|
(यह भी देखें: हरामकारी, यक़ीन, नाफ़रमानी करना, ईमान, यक़ीन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 24:49
- अहबार 26:40-42
- गिनती 12:6-8
- यशू’अ 02:14
- क़ुजात 02:16-17
- 1 समुएल 02:9
- ज़ुबूर 012:1
- अम्साल 11:12-13
- यसा’याह 01:26
- यरमियाह 09:7-9
- होसे’अ 05:5-7
- लूक़ा 12:45-46
- लूक़ा 16:10-12
- कुलुस्सियों 01:7-8
- 1 थिस्लुनीकियों 05:23-24
- 3 युहन्ना 01:5-8
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 08:05 यहाँ तक की क़ैदख़ाने में भी यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा और ख़ुदा ने उसे बरकत दी।
- 14:12 फिर भी, ख़ुदा अपने ‘अहद पर वफ़ादार रहा जो उसने इब्राहीम, इस्हाक़, व या’क़ूब से बाँधी थी।
- 15:13 लोग ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहेंगे व उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
- 17:09 दाऊद ने कई सालों तक इंसाफ़ व वफ़ादारी के साथ हुकूमत की, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया। हालांकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा गुनाह किया।
- 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह उसे दंड दिया, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की बादशाही को दो हिस्सों में बाँट देंगा।
- 35:12 “उसने बाप को जवाब दिया कि, ‘देख, मैं इतने साल आप के लिये ईमानदारी से काम कर रहा हूँ,
- 49:17 लेकिन ख़ुदा ईमानदार है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु’आफ़ करेगा।
- 50:04 अगर तुम आख़िर तक मेरे लिए वफ़ादार रहोगे, तो ख़ुदा तुम्हें बचाएगा!”
शब्दकोश:
- Strong's: H529, H530, H539, H540, H571, H898, H2181, H4603, H4604, H4820, G569, G571, G4103
उम्मीद, उम्मीद की, उम्मीदें
ता’अर्रुफ़:
उम्मीद कुछ होने के लिए मज़बूत ख़्वाहिश है|
उम्मीद मुस्तक़बिल के वाक़ि’ए या ग़ैर यक़ीनी मौक़े’ का इशारा बन सकता है|
- किताब-ए-मुक़द्दस के में, लफ़्ज़ "उम्मीद" का मतलब "भरोसा"; भी है, जैसा कि "मेरी उम्मीद ख़ुदावन्द में है।" यह उन लोगों को हासिल करने की एक मुक़र्ररा उम्मीद को ज़ाहिर करता है जो ख़ुदा ने अपने लोगों से वा’दा किया है
- कभी-कभी यूएलबी लफ़्ज़ को असल ज़बान में "ख़ुद’ऐतिमाद"; के तौर पर तब्दील कर देता है। यह ज्यादातर नए ‘अहदनामे में हालात के मुताबिक़ होता है, जहां लोग जो अपने मुन्जी की शक्ल में ‘ईसा पर ईमान करते हैं, उन्हें ख़ुदा ने वा’दा किया है, उसे हासिल करने का हौसला (या ख़ुद’ऐतिमाद या उम्मीद) है।
- “कोई उम्मीद नहीं” का मतलब है किसी अच्छी बात का भरोशा नहीं। इसका मतलब है कि यह हक़ीक़त में बहुत यक़ीनी है कि ऐसा नहीं होगा।
तर्जुमे की सलाह:
- ज़्यादातर मज़मूनों में ‘उम्मीद करना का तर्जुमा हो सकता है, “ख़्वाहिश करना” या “मिन्नत” या “उम्मीद करना।”
- इज़हार "उम्मीद करने के लिए कुछ नहीं" का तर्जुमा "भरोसा करने के लिए कुछ नहीं" या "कुछ भी अच्छा नहीं की उम्मीद" के तौर पर भी किया जा सकता है
- “कोई उम्मीद नहीं” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी भी अच्छी बात की उम्मीद नहीं होना” या “हिफ़ाज़त नहीं होना” या “यक़ीनी तौर से जान लेना कि कुछ भी अच्छा नहीं होगा।”
- इज़हार "पर आपकी उम्मीदों को क़ायम किया है" का तर्जुमा "आपके ख़ुद’ऐतिमाद में डाल दिया है" या "पर भरोसा किया गया है" के तौर पर भी किया जा सकता है।
- जुमला "मुझे आपके लफ़्ज़ में उम्मीद मिलती है" का तर्जुमा "मुझे पूरा भरोसा है कि आपका कलाम सच्चा है" या "आपका कलाम मुझे आपके अंदर भरोसा करने में मदद करता है" या "जब मैं आपके कलाम का ‘अमल करता हूँ, तो मुझे बरकत मिल जाएगी" की शक्ल में किया जा सकता है।
- "उम्मीद" जुमले का तर्जुमा, "ख़ुदा में भरोसा" या "सही जानना कि ख़ुदा ने जो वा’दा किया है। वह करेगा" या "तय करना कि ख़ुदा ईमान के क़ाबिल है" के तौर पर हो सकता है।
(यह भी देखें: बरकत, भरोसा, अच्छा, हुक्म मानना, ऐ’तिमाद, ख़ुदा का कलाम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 29:14-15
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:17-20
- रसूलों की ‘आमाल 24:14-16
- रसूलों की ‘आमाल 26:6-8
- रसूलों की ‘आमाल 27:19-20
- कुलुस्सियों 01:4-6
- अय्यूब 11:20
शब्दकोश:
- Strong's: H982, H983, H986, H2620, H2976, H3175, H3176, H3689, H4009, H4268, H4723, H7663, H7664, H8431, H8615, G91, G560, G1679, G1680, G2070
उस्ताद, उस्तादों , ता’लीम देने वाला
ता’अर्रुफ़:
उस्ताद वह इन्सान है जो इन्सानों को नई मा’लूमात देता है। उस्ताद (सिखाने वाला) इन्सानों को ‘इल्म और तरबियत लेने में मददगार होता है।
- कलाम में सिखाने वाला लफ़्ज़ एक ख़ास मतलब में काम में लिया गया है जो ख़ुदा के बारे में ता’लीम देनेवाले के बारे में है।
- उस्ताद से ‘इल्म पाने वाले को “तालिब-ए-इल्म ” या “शागिर्द ” कहते हैं।
- कुछ अंग्रेजी किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे में इस लफ़्ज़ को बड़े हरफ़ों में लिखा गया है अगर वह ‘ईसा के बारे में है।
तर्जुमे की सलाह:
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में आम लफ़्ज़ उस्ताद का इस्तेमाल किया जा सकता है, जब तक कि लफ़्ज़ केवल एक स्कूल उस्ताद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
- कुछ मज़हबी ज़ुबान में आलिम -उस्तादों के लिए ख़ास ‘ओहदे का नाम होता है जैसे “उस्ताद-उस्ताद ” या “रब्बी” या “मुबललिग़ ”।
(यह भी देखें: शागिर्द, ‘ऐलान करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- वा’इज़ 01:12-15
- इफिसियों 04:11-13
- गलातियों 06:6-8
- हबक़्क़ूक़ 02:18-20
- या’क़ूब 03:1-2
- यूहन्ना 01:37-39
- लूका 06:39-40
- मत्ती 12:38-40
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 27:01 एक दिन, यहूदी मज़हब में निपुण एक इन्तिज़ामी 'ईसा के पास उसका इम्तेहान लेने के लिए आया, और कहने लगा, “हे उस्ताद हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?”
- 28:01 एक दिन, एक अमीर जवान हाकिम 'ईसा के पास आया और उससे पूछा, "अच्छा उस्ताद, मुझे क्या करना चाहिए अब्दी ज़िन्दगी पाने के लिए ?"
- 37:02 दो दिन बीतने के बाद, 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “आओ हम फिर यहूदिया को चलें |” शागिर्दों ने उससे कहा “हे रब्बी, कुछ वक़्त पहले तो लोग तुझे मरना चाहते थे |”
- 38:14 यहूदा 'ईसा के पास आया और कहा, “ सलाम, उस्ताद,” और उसे चूमा |
- 49:03 'ईसा एक बड़ाउस्ताद भी था, और वह इख्तियार के साथ बोलता था क्योंकि वह ख़ुदा का बेटा है |
शब्दकोश:
- Strong's: H3384, H3887, H3925, G1320, G2567, G3547, G5572
ऊँट ,ऊंटों
ता’रीफ़:
ऊँट एक बड़ा चौपाया जानवर होता है जिसकी पीठ पर एक या दो उभार होते हैं |
(यह भी देखें : अनजाने अल्फ़ाज़ों का तर्जुमा कैसे करें
- किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में ,ऊँट इस्राईल और आस-पास के ‘इलाक़ों में पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवर थे |
- ऊँट लोग और बोझ भी ले जाने के लिए ज़्यादा तर इस्ते’माल किया जाता था |
- कुछ लोगों के गिरोहों में ऊँटों को खाने के लिए इस्ते’माल करते थे लेकिन इस्राईलियों को नहीं ,क्यूँकि ख़ुदा ने कहा कि ऊँट नापाक थे और खाए नहीं जाते थे |
- ऊँट क़ीमती थे क्यूँकि वह तेजी से रेत में जा सकते थे और कई हफ़्तों तक खाना और पानी के बिना रह सकते थे |
(यह भी देखें: बोझ, साफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1तवारीख़ 5:20-22
- 2 तवारीख़ 9:1-2
- ख़ुरूज 9:1-4
- मरकुस 10:23-25
- मत्ती 3:4-6
- मत्ती 19:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H327, H1581, G2574
ऊर
सच्चाई:
ऊर फ़रात नदी के पास, पुराना क़सदी सूबा का एक ख़ास शहर था, जो मसोपतामिया का एक हिस्सा था। यह जगह आज के इराक़ में क़ायम थी।
- इब्राहीम ऊर शहर का रहने वाला था, वहीं से ख़ुदा ने उसे बुला लिया था कि उसे कन'आन ले जाएं।
- लूत का बाप, इब्राहीम का भाई हारान ऊर में ही मर गया था। लूत का इब्राहीम के साथ ऊर छोड़ने की शायद यह भी एक वजह थी ।
(यह भी देखें: इब्राहीम, कना’न, कसदी, दरया-ए-फ़ुरात, हारान, लूत, मसोपतामिया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 11:27-28
- पैदाइश 11:31-32
शब्दकोश:
कमर
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “कमर” एक जानवर या इन्सान के जिस्म के हिस्से के बारे में बताता हैं जो पसलियों और कूल्हे की हड्डियों के बीच होता है, जिसे निचले पेट की शक्ल में भी जाना जाता है|
- इज़हार “कमर कसना” का मतलब है मेहनत करने के लिए तैयार हो जाओ। यह मुहावरा उस मश्क़ से आता है जब वे अपने चोगे के निचले भाग को उठाकर कमर में बांध लेते थे कि चलना फिरना आसान हो जाए।
- “कमर” लफ़्ज़ किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर क़ुर्बानी के जानवर के पिछले हिस्से के लिए काम में लिया जाता था।
- किताब-ए-मुक़द्दस में “कमर” का ‘अलामती शक्ल में हलीमी के तौर पर इन्सान के तख़लीकी ‘उज़्व अपनी नसल का ज़रिया’ लिए काम में लिया गया लफ़्ज़ है। (देखें: अलफ़ाज़
- “से पैदा होना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “तेरी औलाद होगी” या “तेरे नुत्फ़े से पैदा होगा” या “ख़ुदा तुम से पैदा करेगा।” (देखें: अलफ़ाज़
- जिस्म के बारे में इसका तर्जुमा हो सकता है, “पेट” या “कूल्हा” या “कमर” मज़मून पर मुनहस्सिर|
(यह भी देखें: नसल, बाँधे, नसल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 01:13-14
- 2 तवारीख़ 06:7-9
- इस्तिस्ना33:11
- पैदाइश 37:34-36
- अय्यूब 15:27-28
शब्दकोश:
- Strong's: H2504, H2783, H3409, H3689, H4975, G3751
कलाम, लफ़्ज़
ता’अर्रुफ़:
“कलाम ” लफ़्ज़ का मतलब है किसी के ज़रिए’ कही गई बात।
- मसलन , फ़रिश्ते ने ज़करियाह से कहा था, “तूने मेरी बातों का यक़ीन न किया ” या’नी “मैंने जो तुझ से कहा उस पर तूने यक़ीन नहीं किया।”
- यह लफ़्ज़ अक्सर सिर्फ़ एक लफ़्ज़ की बजाय पूरी ख़बर के बारे में होता है।
- कभी-कभी “कलाम ” लफ़्ज़ आम बात के बारे में भी होता है जैसे “कलाम और काम में ताक़ती ” जिसका मतलब है “कहने और बर्ताव में ताक़ती ”।
- कलाम-ए-मुक़द्दस में “कलाम ” लफ़्ज़ अक्सर ख़ुदा की बात या हुक्म के बारे में होता है जैसे खुदा का कलाम या हक़ का कलाम
- इस लफ़्ज़ का बहुत ख़ास इस्ते’माल है जब ‘ईसा को “कलाम ” कहा गया है। इन आख़री दो मा’नी के लिए, देखें ख़ुदा का कलाम
तर्जुमे की सलाह:
- “कलाम ” या “कलामों ” के तर्जुमे की कई शक्ल , “ता’लीम ” या “पैग़ाम ” या “ख़बर ” या “कहना ” या “जो कहा गया।”
(यह भी देखें: ख़ुदा का कलाम
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तीमुथियूस. 04:1-2
- रसूलों के 'आमाल . 08:4-5
- कुलुस्सियों 04:2-4
- याक़ूब 01:17-18
- यरमियाह 27:1-4
- यूहन्ना 01:1-3
- यूहन्ना 01:14-15
- लूका 08:14-15
- मत्ती 02:7-8
- मत्ती 07:26-27
शब्दकोश:
- Strong's: H561, H562, H565, H1697, H1703, H3983, H4405, H4406, H6310, H6600, G518, G1024, G3050, G3054, G3055, G3056, G4086, G4487, G4935, G5023, G5542
कलीसिया, कलीसियाओं, कलीसिया
ता’अर्रुफ़:
नये ‘अहद नामे’ में "कलीसिया" का बयान मसीह के ईमानदारों का मुक़ामी जमात से है जो दुआ’ करने और ख़ुदा का कलाम सुनने के लिए रोज़ जमा’होते थे। “कलीसिया” लफ़्ज़ सब ईमानदारो के बारे में है।
- इस लफ़्ज़ का हक़ीक़ी मा’नी है इज्तिमा’ या शराकत जो किसी ख़ास मक़सद से इकठ्ठे होते हैं |
- जब यह लफ़्ज़ सब जगहों के सब ईमानदारों मसीह के पूरे बदन के बारे में हो तो कुछ किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमों में पहला हर्फ़ बड़ा लिखा गया है कि वह मुक़ामी कलीसिया से अलग दिखाई दे |
- किसी शहर के ईमानदार अक्सर किसी एक के घर में इकठ्ठा होते थे | इन मुक़ामी कलीसियाओं को उस जगह का नाम दिया जाता था जैसे “इफिसुस की कलीसिया”।
- किताब-ए-मुक़द्दास में "कलीसिया" का बयान मकान से नहीं है।
तर्जुमे की सलाह:
- “कलीसिया” लफ़्ज़ का तर्जुमा “एक साथ इकठ्ठा होना” या “इज्तिमा’” या “मजलिस” या “इकठ्ठे होने वाले” हो सकता है।
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में काम में लिए गए लफ़्ज़ या जुमले का मतलब एक झुण्ड से नहीं सब ईमानदारों से होना है।
- वाज़े’करें कि “कलीसिया” का तर्जुमा किसी मकान का मा’नी ज़ाहिर न करे।
- पुराने ‘अहद नामे में “इज्तिमा’का जिस लफ़्ज़ से तर्जुमा किया गया है उस लफ़्ज़ का भी यहाँ इस्ते’माल किया जा सकता है |
- मुक़ामी या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे को भी देखें|
(यह भी देखें:मजमा’,यक़ीन,मसीही
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 05:11-13
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:14-16
- 1 तीमुथियुस 03:4-5
- रसूलों के आमाल 09:31-32
- रसूलों के आमाल 14:23-26
- रसूलों के आमाल 15:39-41
- कुलुस्सियों 04:15-17
- इफिसियों 05:22-24
- मत्ती 16:17-18
- फिलिप्पियों 04:14-17
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 43:12 लगभग 3000 लोगों ने पतरस कि बात पर यक़ीन किया और ‘ईसा के शागिर्द बन गए। और उन्हें बपतिस्मा दिया गया और वे यरूशलीम की कलीसिया का हिस्सा बन गए।
- 46:09 लेकिन अन्ताकिया में ज़्यादा तर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग ईमान लाकर ख़ुदा की ओर फिरे। बरनबास और शाऊल इन नए ईमानदारों को पढ़ाने, ‘ईसा के बारे में बताने और कलीसिया को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए।
- 46:10 तब अन्ताकिया की कलीसिया ने शाउल और बरनबास के लिए दु’आ करी और उन पर हाथ रखा। फिर कलीसिया ने उन्हें कई और जगहों में ‘ईसा के बारे में ऐलान करने के लिये भेज दिया।
- 47:13 ‘ईसा की ख़ुशख़बरी को वह सुनाते गए और कलीसिया तरक़्क़ी करती गई।
- 50:01 लगभग 2,000 से ज़्यादा सालों से, दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा लोग ‘ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी को सुन रहे हैं। कलीसिया बढ़ रही है।
शब्दकोश:
क़ैसर
सच्चाई:
“क़ैसर’’ रोमी बादशाहत के बादशाहों के ‘ओहदे का नाम था | किताब-ए-मुक़द्दस में, यह नाम तीन रोमी बादशाहों के बारे में आया है |
- पहला ,क़ैसर ‘’औगुस्तुस क़ैसर ‘’था, वह ‘ईसा की पैदाइश के वक़्त तख़्त पर था |
- तक़रीबन तीस साल बा’द जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला ‘ऐलान कर रहा था तब रोमी बादशाहत का राजा तिबिरियुस क़ैसर था |
पौलुस ने क़ैसर की मिन्नत की थी तब क़ैसर नीरो तख़्त पर था |
जब ‘ईसा ने लोगों से कहा था कि जो क़ैसर का है वह क़ैसर को दो और जो ख़ुदा का है वह ख़ुदा को दो तब क़ैसर तिबिरियुस ही तख़्त पर था |
क़ैसर’’लफ़्ज़ का इस्तेमा’ल जब ओहदे की शक़्ल में किया गया है तब इसका तर्जुमा राजा या ‘’रोमी बादशाह ‘’ किया जा सकता है
जब ये ओहदा नाम के साथ जोड़ा जाए जैसे क़ैसर ‘’औगुस्तुस’’ या ‘’क़ैसर तिबिरियुस ‘’तब इसकी तशरीह मादरी ज़ुबान में बिलकुल वैसे ही की जाये |
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: बादशाह, पौलुस, रोम)
|## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में: ##
- रसूलों के 'आमाल 25:6-8
- लूक़ा 02:1-3
- लूक़ा 20:23-24
- लूका 23:1-2
- मरकुस 12:13-15
- मत्ती 22:15-17
फिलिप्पियों 04: 21-23*\
शब्दकोश:
काम, अमल , काम , आमाल
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “काम”, “अमल ”, “आमाल ” ख़ुदा या इन्सानों के ज़रिए किए गये कामों के बारे में इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ हैं।
- "काम " लफ़्ज़ का बयान मेहनत या कोई काम जो और लोगों लोगो के लिए किया गया हो।
- ख़ुदा के “काम” और “उसके हाथों के काम” उन सब बातों के बारे में हैं जो ख़ुदा ने किए और करता है, जिससे दुनिया की तख्लीक़ , गुनाहगारों की नजात , पूरी दुनिया की ज़रूरतों को ‘अता करना और पूरी क़ायनात को एक जगह पर क़ायम रखना। “किरदार और आमाल ” ख़ुदा के मो’जिज़ा के बारे में इस्तेमाल करने के लिए भी किया गया है। जैसे की “आमाल की ताक़त” या “मो’जिज़ा”।
- इन्सान के किरदार अच्छे और बुरे हो सकते हैं।
- पाक रूह ईमानदारों को को भले काम करने की ताक़त ‘अता करती है जिन्हें “अच्छा फल” कहते हैं।
- इन्सान भले कामों से नहीं ‘ईसा में यक़ीन के ज़रिये’ नजात पाता है।
- इन्सान का “काम ” उसके गुज़र बसर या ख़ुदा की ख़िदमत के लिए किए गए काम हो सकते है। किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा के लिए कहा गया है कि वह “काम करता” है।
तर्जुमे की सलाह:
- “काम” और “किरदार ” को “करना ” या “किए गए काम ” में भी तर्जुमा कर सकते हैं।
- ख़ुदा के “कामों ” या “कामों” और "उसके हाथों के काम" का तर्जुमा , “मो’जिज़ा ” या क़ुदरती काम ” या “उसके मो’जिज़ा” हो सकता है।
- “ख़ुदा के काम ” ज़ाहिरयत का तर्जुमा “जो काम ख़ुदा कर रहा है” या "जो मो’जिज़ा ख़ुदा करता है" या “ख़ुदा जो हैरानी के काम करता है” या “सब कुछ जो ख़ुदा ने किया है” की शक्ल में हो सकता है।
- “कामों ” का वाहिद “काम ” है जैसे “हर एक अच्छा काम ” या “हर एक अच्छा काम”
- “काम ” का सही मतलब “ख़िदमत ” या “मसीही ख़िदमत भी होता है”। मसलन , ख़ुदावन्द में तेरी ख़िदमत ” का तर्जुमा हो सकता है “तू ख़ुदावन्द के लिए जो काम करता है”
- “अपने कामों को जांचों” कलाम का तर्जुमा “मुक़र्रर करो कि तुम जो कर रहे हो वह ख़ुदा की मर्ज़ी है” या “तय करो कि तुम जो करते हो उससे ख़ुदा ख़ुश है”।
- “पाक रूह के काम” इसका तर्जुमा “पाक रूह की ताक़त ” या “पाक रूह की ख़िदमत का काम ” या “पाक रूह जो काम करता है”
(यह भी देखें: फल, पाक रूह, मो'जिज़ा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 03:11-12
- रसूलों के 'आमाल 02:8-11
- दानीएल 04:36-37
- ख़ुरूज 34:10-11
- गलातियों 02:15-16
- याकूब 02:14-17
- मत्ती 16:27-28
- मीकाह 02:6-8
- रोमियो 03:27-28
- तीतुस 03:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H4566, H4567, H4611, H4659, H5949, G2041
कामिल,कामिलयत ,कामिल करने वाला
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में”कामिल”लफ़्ज़ का मतलब है मसीह ज़िन्दगी में कामिलयत हासिल करना | किसी काम को कामिलयत में करने का मतलब है सही और बिना नुक्स काम करना |
- कामिल और मुकम्मल का मतलब है वह ईमान दार फ़र्माबरदार है न कि बेगुनाह |
- ”कामिल लफ़्ज़ का मतलब ‘मुकम्मल “और कामिल भी होता है |
- नये ‘अहद नामें मे या’क़ूब के ख़त में लिखा है कि परखे जाने से ईमानदारों में कामिलयत और कमाल पैदा करती है |
ईमानदार किताब -ए-मुक़द्दस का मुता’ला करके उस पर अमल करते हैं तो रूहानी ज़िन्दगी में बहुत ही कामिल और मुकम्मल हो जाते है |
तर्जुमे की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है,”बिना नुक्स के”या “बिना चूक के “या “बेगुनाह”या बे ‘ऐब” या बिना किसी इल्ज़ाम के “|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इब्रानियों 12:1-3
- या’क़ूब 03:1-2
- मत्ती 05:46-48
- ज़ुबूर 019:7-8
शब्दकोश:
- Strong's: H724, H998, H1584, H1585, H3632, H3634, H4357, H4359, H4512, H8003, H8502, H8503, H8535, H8537, H8549, H8552, G195, G197, G199, G739, G1295, G2005, G2675, G2676, G2677, G3647, G5046, G5047, G5048, G5050, G5052
काल, क़हत
ता’अर्रुफ़:
“काल” लफ़्ज़ किसी मुल्क या ‘इलाक़े में खाने की बहुत ज़्यादा कमी की वजह है, ‘आमतौर पर बारिस की कमी की वजह से नहीं|
- खाने की फसलें क़ुदरती वजहों से नाक़ाम हो सकती हैं जैसे बारिस की कमी, फ़सल की बीमारी या कीड़े|
- लोगों के ज़रिए’ खाने को जमा’ भी किया जा सकता है, जैसे दुश्मन फ़सलों को बर्बाद करते हैं|
- किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा ने अक्सर काल को मुल्कों को सज़ा देने के तरीक़े के तौर पर पैदा किया जब उन्होंने उसके ख़िलाफ़ गुनाह किया|
- आमोस 8:11 में “काल” लफ़्ज़ का इस्ते’माल उस वक़्त के लिए किया जाता है जब ख़ुदा ने उनसे बिना बात किये अपने लोगों को सज़ा दी| इसका तर्जुमा आपकी ज़बान “काल” के लफ़्ज़ के साथ तर्जुमा किया जा सकता है या “इन्तहाई कमी” या “शदीद महरूमियत” के जुमले के साथ|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 21:11-12
- रसूलों के ‘आमाल 07:11-13
- पैदाइश 12:10-13
- पैदाइश 45:4-6
- यरमियाह 11:21-23
- लूक़ा 04:25-27
- मत्ती 24:6-8
शब्दकोश:
- Strong's: H3720, H7458, H7459, G3042
काहिन , काहिनो , काहिन ‘ओहदा
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए -मुक़द्दस में काहिन ख़ुदा के लोगों की ओर से ख़ुदा के लिए अदा करने वाले चढ़ावे के लिए चुना गया शख़्स “काहिन का ‘ओहदा ” उसके ‘ओहदे या उसकी ख़िदमत का नाम है।
- पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने हारून और उसकी नसल को इस्राईल के लिए काहिन होने के लिए चुना था।
- “काहिन का ‘ओहदा ” एक इख्तियार और ज़िम्मेदारी का था जो लेवियों के क़बीलों में बाप से बेटे को प् लेना होता था।
- इस्राईल के कहिनो की ज़िम्मेदारी थी कि वे आदमियों के ज़रिये लायी गई क़ुर्बानी ख़ुदा कोपेश करें , इसके साथ हैकल के और काम की भी उनकी ज़िम्मेदारी थी
- काहिन रोज़ दुआएं भी ख़ुदा को पेश करते थे और मज़हबी कामों को पूरा करते थे।
- काहिन आदमियों को पूरी दुआ भी देते थे और उन्हें ख़ुदा की शरी’अत के बारे में सिखाते थे।
- ‘ईसा के जमाने में काहिनों के अलग-अलग दर्जे थे जिनमें हाकिम काहिन और सरदार काहिन भी थे।
- ‘ईसा हमारा “बड़ा सरदार काहिन ” है जो ख़ुदा की हुज़ूरी में हमारे लिए मिन्नत करता है। उसने ख़ुद को गुनाह की आख़िरी क़ुर्बानी करके पेश कर दिया। इसका मतलब है कि काहिनों के ज़रिये पेश की गयी क़ुर्बानी की अब ज़रूरत नहीं है।
- नये ‘अहद नामे में ‘ईसा का हर एक ईमानदार “” कहा गया है, वह ख़ुद के लिए और इन्सानों के लिए मिन्नत करने के लिए सीधा ख़ुदा के पास आ सकता है।
- पुराने ज़माने में ग़ैर क़ौमों के भी इबादत गार थे जो झूठे मा’बूद को क़ुर्बानी पेश करते थे, जैसे बा’ल देवता को।
तर्जुमे की सलाह:
- तर्जुमे के मुताबिक़ “काहिन” का तर्जुमा “क़ुर्बानी पेश करने वालाआदमी ” या “ख़ुदा का ख़ास ” या “क़ुर्बानी चढ़ाने वाला ख़ास ” या “ख़ुदा के ज़रिये उसकी रहबरी करने के लिए मुक़र्ररइन्सान ”।
- “काहिन” का तर्जुमा “बीच ” के तर्जुमे से अलग होना है।
- कुछ तर्जुमों में हमेशा कहा जाता है, “इस्राईली काहिन” या “यहूदी काहिन ” या “यहोवा का काहिन ” या “बा’लका आबिद ” कि तय किया जाए कि वे आज के आबिदों की तरह नहीं थे।
- “काहिन” लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के लिए आया लफ़्ज़ “हाकिम काहिन ” और “सरदार काहिन ” और “लेवीय” और “नबी ” से अलग होना चाहिए।
(यह भी देखें: हारून, हाकिम काहिनो, सरदार काहिन, सुलह कराने वाला, क़ुर्बानी करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तवारीख़ 06:40-42
- पैदाइश 14:17-18
- पैदाइश 47:20-22
- यूहन्ना 01:19-21
- लूका 10:31-32
- मरकुस 01:43-44
- मरकुस 02:25-26
- मत्ती 08:4
- मत्ती 12:3-4
- मीकाह 03:9-11
- नहमायाह 10:28-29
- नहमायाह 10:34-36
- मुक़ाशिफा 01:4-6
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 04:07"मलिकिसिदक, अज़ीम ख़ुदा के काहिन "
- 13:09 जो कोई भी ख़ुदा के क़ानूनों की नाफ़रमानी करता है, वह सुलह के ख़ेमे के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदा के लिये जानवर की क़ुर्बानी चढ़ाएगा | एक काहिन जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जलाएगा | एक काहिन जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जलाएगा | उस जानवर का ख़ून जिसकी क़ुर्बानी चढ़ाई गई है, ख़ुदा की निगाह में गुनाहगार आदमी के सभी जुर्मों को धो देंगा | ख़ुदा ने मूसा के भाई हारून और हारून की नसल को काहिन ‘ओहदे के लिये चुना |
- 19:07 तब बा’ल के याजकों ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था, लेकर क़ुर्बानी के लिए तैयार किया, लेकिन उमसे आग न लगाई
- 21:07__काहिन वो है जो लोगों के जगह पर ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश करता है, जिससे कि ख़ुदा उनके गुनाहों की वजह से उन्हें सज़ा न दे | काहिन ख़ुदा से लोगों के लिए दुआ’ भी करते थे |
शब्दकोश:
- Strong's: H3547, H3548, H3549, H3550, G748, G749, G2405, G2406, G2407, G2409, G2420
की तरह, एक दिल, जैसा करना, बराबरी, मिसाल, वैसे ही, बराबर, से अलग
ता’अर्रुफ़:
“कीट तरह” या “जैसा” का मतलब है कोई चीज़ किसी दूसरी चीज़ के जैसी हो।
- “तरह” जब उसे मिसाल के तौर पर भी काम में लिया जाता है जिसमें खुसूसियत को ज़ाहिर करते हुए किसी की मिसाल किसी और से की जाती है। मिसाल के तौर पर, “उसके कपड़े सूरज की तरह चमकने लगे” और “उसकी आवाज़ गर्जन की सी थी” (देखें:मिसाल)
- “के जैसा होना” या “ की तरह सुनाई देना” या “बराबरी में होना” का मतलब है जिससे मिसाल दी जा रही है उसकी ख़ुसूसियत उसमें होना।
- इन्सान ख़ुदा की “तरह” में बनाया गया था या’नी उसकी “शक्ल” में। इसका मतलब है कि इन्सान ख़ुदा की ख़ुसूसियत की तरह या शक्ल में है जैसे सोचने की हैसियत, अहसास और ख़यालों का लेन-देन करना।
किसी चीज़ की “मिसाल” किसी का मतलब है कि उसके पास चीज़ या शख़्स की ख़ुसूसियत नज़र आती है|
तर्जुमे की सलाह
- कुछ मज़मूनो में यह जुमले “की बराबरी” का तर्जुमा “जैसा दिखता है” या “जैसा ज़ाहिर होता है”।
- “उसकी मौत की बराबरी में” इस जुमले का तर्जुमा “उसकी मौत के तजुर्बे को बांटना” या “जैसे कि उसके साथ मौत का अहसास करना”।
- “गुनाहगार जिस्म की मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है, “गुनाहगार इन्सान की तरह होना” या “इन्सान होना”। यक़ीनी बनाएँ कि इस इज़हार का तर्जुमा यह न ज़ाहिर करे कि ‘ईसा गुनाहगार था।
- “उसकी मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है, “उसके जैसे होना” या “उसके जैसी बहुत ख़ुसूसियतें होना”।
- इज़हार “हलाक होने वाला इन्सान या जानवरों जैसे परिन्दों चौपायों और रेंगनेवाले कीड़ों की मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है “हलाक होने वाले इन्सानों या जानवरों जैसे परिन्दों चौपायों तथा छोटे-छोटे रेंगनेवाले कीड़ों की शक्ल में बनाए गए बुत”
(यह भी देखें: जानवर, जानवर, गोश्त, ख़ुदावन्द की शक्ल, तस्वीर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- हलाक हो
- मरकुस 08:24-26
- मत्ती 17:1-2
- मत्ती 18:1-3
- ज़बूर 073:4-5
- मुकाशिफ़ा 01:12-13
शब्दकोश:
- Strong's: H1823, H8403, H8544, G1503, G1504, G2509, G2531, G2596, G3664, G3665, G3666, G3667, G3668, G3669, G3697, G4833, G5108, G5613, G5615, G5616, G5618, G5619
कुरेनी
सच्चाई:
कुरेनी एक यूनानी शहर था, समन्दर से दूर के उत्तरी किनारे पर अफ्रीका में क्रेते टापू क़ौम के सीधे दाख्खिन में।
- नये ‘अहद नामे के ज़माने में ईमानदार और यहूदी दोनों ही वहां रहते थे।
- कलाम में कुरेन शहर यक़ीनन ‘ईसा का सलीब उठाने वाले शम’ऊन की रहने की जगह होने की वजह जाना जाता है।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: करेते)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 11:19-21
- मत्ती 27:32-34
शब्दकोश:
कुर्ता, कमीज़
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ "कुर्ता" का मतलब लिबास के लिए है जो बनयान है कि और कपड़े के नीचे पहना जाता था।
- “कमीज़” कंधे से कमर या घुटनों तक पहुंचने वाला लिबास था और आमतौर पर एक कमरबन्द के साथ पहना जाता था। अमीर लोगों के ज़रिए’ पहना जाने वाला कुर्ता कभी-कभी आस्तीन होती थी और टखनों तक की होती थी।
- कमीज़ चमड़ा, टाट, ऊन, या लिनेन से बने थे, और दोनों आदमी और औरतों के ज़रिये पहना जाता था।
- कमीज़ लम्बे लबादे के नीचे पहना जाता था, जैसे एक चोगा या बाहरी लिबास गर्म मौसम में एक कमीज़ कभी-कभी बाहरी बनयान के साथ नहीं पहना जाता था।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा , “लंबी कमीज” या “लंबे नीचे पहनने के कपड़े” या "कमीज जैसी बनयान " हो सकती है। यह एक तरह से " कमीज़ " की तरह लिखा जा सकता है, यह समझाने के लिए कि यह कैसे कपड़े थे
(यह भी देखें: चोगा
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- दानीएल 03:21-23
- यसायाह 22:20-22
- अह्बार 08:12-13
- लूका 03:10-11
- मरकुस 06:7-9
- मत्ती 10:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: H2243, H3801, H6361, G5509
कुल्हाड़ा, कुल्हाड़े
ता'अर्रुफ़:
कुल्हाड़ी दरख़्त या लकड़ी काटने का औज़ार है।
- कुल्हाड़ी में एक लकड़ी का डंडा और लोहा लगा होता है।
- अगर आप की ज़बान में लकड़ी काटने का एक औज़ार है तो "कुल्हाड़ी" की जगह में उस लफ़्ज़ का इस्ते'माल करें।
- इस लफ़्ज़ के कई तर्जुमें हो सकते हैं, “पेड़ काटने का औज़ार”, “लकड़ी में लगा हुआ लोहे का सामान”, या “लकड़ी काटने का लंबे डंडे का औज़ार ”
- पुराने 'अहद नामे की एक वाक़िया है कि कुल्हाड़ी डंडे में से निकल कर पानी में गिर गई थी, लिहाज़ा उसके तर्जुमें से ज़ाहिर है कि कुल्हाड़ी डंडे से निकल कर गिर सकती है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 06:7-8
- 2 सलातीन 06:4-5
- क़ुज़ात 09:48-49
- लूक़ा 03:9
- मत्ती 03:10-12
- ज़बूर 035:1-3
शब्दकोश:
- Strong's: H1631, H4621, H7134, G513
कोढ़ी, कोढ़ियों, कोढ़, कोढ़
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़“कोढ़” का ज़िक्र किताब-ए-मुक़द्दस में आया है कि वह कई जिल्दी बीमारियों का हवाला देता है। “कोढ़ी” वह इन्सान है जो कोढ़ में मुब्तिला है, “कोढ़” इन्सान या इन्सान के जिस्म के उस हिस्से का हवाला देता है जहाँ कोढ़ की आलूदगी ज़ाहिर होती है।
- एक क़िस्म के कोढ़ में जिल्द का रंग उड़ जाता है और वहां सफेद दाग हो जाते हैं जैसे मिर्याम और नामान को था।
- आज के ज़माने में कोढ़ की वजह से हाथ, पांव और जिस्म के और हिस्से ज़रर होकर बेकार हो जाते हैं।
- ख़ुदा ने इस्राईलियों को जो हुक्म दिए थे उनके मुताबिक़ अगर किसी इन्सान को कोढ़ हो जाता था तो उसे “नापाक” माना जाता था और उसे दीगर इन्सानों से अलग रहना होता था कि उन्हें बीमारी न हो।
- कोढ़ी को “नापाक” चिल्लाना पड़ता था कि इन्सानों को उससे दूर रहने की हिदायत मिले।
- ‘ईसा ने अनेक कोढ़ियों को और दूसरी तरह की बीमारियों में मुब्तिला लोगों को ठीक किया था।
तर्जुमे की सलाह:
- किताब-ए-मुक़द्दस में “कोढ़” का तर्जुमा “जिल्दी बीमारी” या “भयानक ख़ौफ़नाक जिल्दी बीमारी” किया जा सकता है।
- “कोढ़” का तर्जुमा “कोढ़ में मुब्तिला” या “जिल्दी बीमारी में मुब्तिला” या “जिल्द के घावों से भरा” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: मरयम, ना’मान, साफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- लूक़ा 05:12-13
- लूक़ा 17:11-13
- मरकुस 01:40-42
- मरकुस 14:3-5
- मत्ती 08:1-3
- मत्ती 10:8-10
- मत्ती 11:4-6
शब्दकोश:
- Strong's: H6879, H6883, G3014, G3015
ख़मीर, ख़मीरी, ख़मीर, ख़मीर बनाना, बेख़मीरी
ता’अर्रुफ़:
"ख़मीर" एक पदार्थ के लिए एकआम लफ़्ज़ है जिसकी वजह रोटी का आटे को वसी'अ और ज़्यादा करना होता है। “ख़मीर” एक ख़ास तरह का ख़मीर होता है।
अंग्रेजी तर्जुमों में ख़मीर का तर्जुमा “यीस्ट” किया गया है। यह ज़्यादातर ख़मीर का तरीक़ा है जिससे आटे में झाग उठते हैं इससे पकाने के पहले आटा फूल जाता है। आटा गूंधते वक़्त उसमें ख़मीर मिलाया जाता है कि वह पूरे आटे में मिलाया जाए।
- पुराने 'अहद नामे के वक़्त में ख़मीर पैदा करने के लिए आटे को कुछ वक़्त गूंधकर रख दिया जाता था * ख़मीर किए हुए आटे का एक हिस्सा रख दिया जाता था कि नये आटे को ख़मीर करने के काम में आए।
- मिस्र से निकलते वक़्त इस्राईलियों के पास वक़्त नहीं था कि आटे को ख़मीर होने का इन्तिज़ार करें। जबकि उन्होंने रास्ते के लिए बेख़मीरी रोटियाँ बनाई थी। इस बात की याद में यहूदी हर साल 'ईद के पहले में बेख़मीरी खाया करते थे।
- कलाम में ख़मीर को गुनाह के 'अलामती तौर में काम लिया गया है कि वह लोगों के पूरी ज़िन्दगी में फैल जाता है और लोगों को भी को भी मुता'अस्सिर करता है।
- यह झूठी ता'लीम को भी बयान कर सकता है जो हमेशा कई लोगों तक फैलता है और उन्हें मुता'अस्सिर करता है।
- “ख़मीर” को आम ताऊ में भी काम में लिया जाता है कि ख़ुदा की बादशाही कैसे लोगों से लोगों में फैल जाता है।
तर्जुमा की सलाह
- इसका तर्जुमा “ख़मीर”या “वह चीज़ जो आटे को फुला देती है” या “फुलानेवाला पदार्थ” किया जा सकता है। * “फुलाना” का तर्जुमा “वसी'अ” या “हिशियार होना” या “फूल जाना” किया जा सकता है।
- अगर आटे को ख़मीर करने के लिए कोई और मक़ामी चीज़ काम में ली जाती है तो तर्जुमा में उसका इस्ते'माल करें। अगर ज़बान को एक अच्छी तरह से जाना जाता है, आम लफ़्ज़ जिसका मतलब है, "ख़मीर करना," यह इस्ते'माल करने के लिए बेहतर लफ़्ज़ होगा।
(यह भी देखें: मिस्र, फ़सह, बेख़मीरी रोटी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
- ख़ुरूज 12:5-8
- गलातियों 05:9-10
- लूक़ा 12:1
- लूक़ा 13:20-21
- मत्ती 13:33
- मत्ती 16:5-8
शब्दकोश:
- Strong's: H2556, H2557, H4682, H7603, G106, G2219, G2220
ख़्वाब, ख़्वाबो, ख़्वाबों में
सच्चाई:
“ख़्वाब” का मतलब है, इंसान के ज़रिए’ कुछ देखना। इसका बयान ख़ास तौर से नामुमकिन या क़ुदरती काम से है जो ख़ुदा अपने पैग़ाम के लिए इन्सानों को दिखाता है।
- ख़्वाबइन्सान की जागने की हालत में देखे जाते हैं। मगर नींद में भी इन्सान को ख़्वाबदिखाई देते हैं।
- ख़ुदा इन्सान को ख़्वाबदिखाता है कि उन पर कोई ख़ास बात ज़ाहिर करे। मसलन , पतरस को ख़्वाबदिखाया गया जिसका मक़सद था कि उसे ग़ैर क़ौमों को ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए क़ुबूल करना सिखाए।
तर्जुमे की सलाह:
- जुमला "एक ख़्वाबदेखा" का तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ुदा से नामुमकिन कुछ देखा" या "ख़ुदा ने उसे कुछ खास दिखाया।"
- कुछ ज़बानों में "निगाह " और "ख़्वाब" के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ नहीं होंगे। तो "दानीएल के मन में ख़्वाबऔर रोया थे" जुमले का तर्जुमा "दानीएल सोते हुए ख़्वाबदेख रहा था और ख़ुदा ने उसे अनोखी चीज़ों को दिखाया। "
(यह भी देखें: ख़्वाब)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 09:10-12
- रसूलों के 'आमाल 10:3-6
- रसूलों के 'आमाल 10:9-12
- रसूलों के 'आमाल 12:9-10
- लूका 01:21-23
- लूका 24:22-24
- मत्ती 17:9-10
शब्दकोश:
- Strong's: H2376, H2377, H2378, H2380, H2384, H4236, H4758, H4759, H7203, H7723, H8602, G3701, G3705, G3706
गत, गत के रहने वाले , गती
सच्चाई:
गत फिलीस्तीनियों के पांच ख़ास शहरों में से एक था। यह अक्रून के उत्तर में और अश्दूद और अश्कलून के पूरब में थी।
- फ़िलिस्ती जंगजू गोलियत गत शहर का रहने वाला था।
- शमूएल के वक़्त में फिलीस्तीनियों ने इस्राईल से 'अहद का सन्दूक़ ले लिया था और उसे अश्दूद में अपनी हैकल में रख दिया था। उसके बा'द वह उसे गत शहर ले गए और बा'द में अक्रून। लेकिन ख़ुदा ने वहाँ के रहने वालों को बीमारी से सज़ा दी तो उन्होंने 'अहद के सन्दूक़ को फिर इस्राईल भेज दिया था।
- बादशाह शाऊल से बचकर भागते वक़्त दाऊद गत चला गया था और कुछ वक़्त वहाँ रहा, उसके साथ उसकी दो बीवियाँ और उसके साथी छः सौ लोग थे।
(यह भी देखें: अश्दूद, अश्कलोन, 'अक़रून, ग़ाज़ा, गोलियत, फ़िलिस्तियों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 02:39-40
- 1 शमूएल 05:8-9
- 2 तवारीख़ 26:6-8
- यहोशू 11:21-22
शब्दकोश:
गतसिमनी
सच्चाई:
गतसिमनी ज़ैतून के दरख़तों की एक बाग़ थी, क़िद्रोन घाटी के पार, यरूशलीम के पूरब में ज़ैतून पहाड़ के क़रीब ।
- गतसिमनी में ईसा और उसके शागिर्द अकेले रहने और आराम करने के लिए जाते थे कि लोगों के झुण्ड से दूर होकर ।
- गतसिमनी में ही 'ईसा ने अपना गहरे दुःख के साथ दु'आ किया था, इसके पहले कि यहूदी रहनुमा उसे क़ैदी बनाते।
(यह भी देखें: यहूदा इस्करियोती, क़िद्रोन की वादी, ज़ैतून के पहाड़)
-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- मरकुस 14:32-34
- मत्ती 26:36-38
शब्दकोश:
गलील, गलीली, गलीलियों
सच्चाई:
गलील इस्राईल का ख़ास उत्तरी हिस्सा था, सामरिया के ठीक उत्तर में। गलीली लोग गलील के रहनेवाले थे ।
- नये 'अहद नामे के वक़्त में गलील, सामरिया और यहूदा इस्राईल के तीन ख़ास 'इलाक़े थे।
- गलील के पूरब में एक बड़ी झील, गलील समन्दर था ।
- 'ईसा गलील के नासरत शहर में पला बड़ा हुआ था और वहीं रहता था
'ईसा के ज़्यादातर मो'जिज़े और ख़िदमत गलील 'इलाक़े में ही हुई थी।
(यह भी देखें: नासरत, सामरिया, ग़लील समन्दर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 09:31-32
- रसूलों के 'आमाल 13:30-31
- यूहन्ना 02:1-2
- यूहन्ना 04:1-3
- लूक़ा 13:1-3
- मरकुस 03:7-8
- मत्ती 02:22-23
- मत्ती 03:13-15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 21:10 यसा'याह नबी ने कहा कि मसीह गलील में रहेगा, वह ग़मज़दह लोगों को अमन देगा और ग़ुलामों के लिए आज़ादी का और क़ैदियों को छुटकारा देगा।
- 26:01 शैतान की आज़माइश पर क़ाबू पाने के बा'द, ‘ईसा जहाँ वह रहते थे गलील के 'इलाक़े के लिए रूह-उल-क़ुदुस की ताक़त में लौट आए।
- 39:06 आख़िर में लोगों ने जो वहाँ खड़े थे, पतरस के पास आकर उससे कहा, “हम जानते है कि तू भी 'ईसा के साथ था क्यूँकि तुम दोनों गलील से हो।”
- 41:06 तब फ़रिश्ते ने उन 'औरतों से कहा , “जाओ और फ़ौरन जाकर उसके शागिर्दों से कहो कि 'ईसा मुर्दों में से जी उठा है और वह तुमसे पहले गलील को जाता है।”
शब्दकोश:
- Strong's: H1551, G1056, G1057
गवाही, गवाही देना
ता’अर्रुफ़:
जब कोई आदमी "गवाही" देता है तो वह उसके बारे में एक बयान देता है जिसे वह जानता है, और यह दावा करते हुए कि बयान सच है। “गवाही” का मतलब “गवाही देने” से है।
- इन्सान हमेशा उस बात की गवाही देता है, जिसका उसे शख्सी तजुर्बा है।
- “झूठी गवाही” देने वाला आदमी किसी हादसे के बारे में सच नहीं कहता है।
- कभी-कभी “गवाही” किसी नबी की नबुव्वत के बारे में भी होती है।
- नये ‘अहद नामे में यह लफ्ज़ अक्सर ‘ईसा के मानने के बारे में है कि उन्होंने ‘ईसा की ज़िन्दगी , मौत और फिर से जी उठने की गवाही दी।
यह जुमला इस बात की गवाही देता है एक शख्स जो ख़ुद तजुर्बा रखता है कुछ जो हुआ है | आम तौर पर गवाही किसी शख्स के बारे जो कुछ हुआ सच है | यह जुमला “चश्म दीद गाह “वह शख्स वहां था और जो कुछ हुआ उसने देखा है |
““गवाही “जो हुआ उस को होते हुए देखा |
- मश्क़ के तौर पर “गवाह”गवाही देता है और गवाह खड़ा करता है \ यह एक जैसा मतलब रखता है “आज़माने”के लिए |
- गवाही उम्मीद रखती है की सच बोलना जो उन्होंने देखा और सुना है |
- एक गवाह सच नहीं बोलता है जो कुछ हुआ वह झूठा गवाह है | उसने कहा “झूठी गवाही दो “और झूठे गवाह खड़े करो|
यह तजुर्बा “गवाही के बीच “मतलब ‘किसी का किसी के लिए सुबूत होन | उस मुआ’अहदा के लिए जो किया गया है | गवाही इस बात यक़ीनी करता है हर शख्स वह केरे जो उसने वा’दा किया है
तर्जुमे की सलाह:
- “गवाही देना” या “गवाही देना” का तर्जुमा “सच को कहना” या “जो देखा और सुना उसे बताना” या “शख्सी तजुर्बे से कहना” या “सुबूत देना” या “जो हुआ उसका बयान करना”।
- “गवाही” के तर्जुमे की शक्ल हो सकती हैं, “जो हुआ उसकी तफ़सील सुनाना” या “सच का सुनाना” या “सुबूत देना” या “जो कहा गया” या “नबुव्वत ”।
इस जुमले को, “ उनकी गवाही के तौर पर” तर्जुमा किया जा सकता है, “उन्हें सच्चाई दिखायें” या “उनको साबित करने के लिए कि सच क्या है”
- “उनके ख़िलाफ़ गवाही ठहरे” का तर्जुमा “जिससे उन पर उनके गुनाह ज़ाहिर हों” या “उनका फ़रेब ज़ाहिर हो” या “जो साबित करे कि वे गलत हैं”।
-
“झूठी गवाही देना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “किसी के बारे में झूठी बातें कहना” या “ऐसी बातें कहना जो सच नहीं हैं”।
-
लफ़्ज़ “गवाह “या “चश्मदीद गवाह “जुमला में तर्जुमा किया जा सकता है जिस का मतलब ये है की ये शख्स उसे देखता है या जिस ने देखा है “या “कौन है जिसने देख और सुना (उन चीज़ों को)
- कुछ है जो “एक गवाह “या “हमारे वा’दे का निशान “या “जिस चीच का सुबूत है की ये सच है |
- जुमला “आप मेरे बारे में दूसरे लोगों को बताएं गे “या आप लोगों को सच्चाई सिखाएं गे जैसा मैंने तुम को सिखाया “या “आप लोगो को बतायें गे जो आप ने मुझे देखा मुझे सिखाया |
- ”गवाह “करने के लिए तर्जुमा किया जा सकता की क्या देखा गया था “या “गवाही देना” या “क्या हुआ है “
- ”गवाह “करने के लिए “कुछ देख कर “हो सकता है “या “किसी चीज़ का तजुर्बा “हो सकता है |
(यह भी देखें: ‘अहद का सन्दूक़, जुर्म, मुंसिफ़, नबी, गवाही, सच्चा
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इस्तिसिना31:27-29
- मीकाह 06:3-5
- मत्ती 26:59-61
- मरकुस 01:43-44
- यूहन्ना 01:6-8
- यूहन्ना 03:31-33
- रसूलों के 'आमाल 04:32-33
- रसूलों के 'आमाल 07:44-46
- रसूलों के 'आमाल 13:30-31
- रोमियो 01:8-10
- 1 थिस्लोनोकियो 02:10-12
- 1 तीमुथियुस 05:19-20
- 2 तीमुथियुस 01:8-11
- 2 तीमुथियुस 01:16-18
- 1 युहन्ना 05:6-8
- 3 युहन्ना 01:11-12
- मुकाश्फ़ा 12:11-12
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
-39:02-घर के अन्दर “यहूदाह के रहनुमाओं ने मुक़दमे पर ‘ईसा की आज़माइश की | उन्होंने बहुत से _झूठे गवाह _जो उन के बारे में झूठ बोला |
- _39:04_सरदार काहिन ने अपने कपडे को ग़ुस्से में फ़ेंक दिया और कहा”हमें _गवाहों -की ज़रूरत नहीं | तुम ने उसे सुना है की वह खुदा का बेटा है | तुम्हारा फैसला क्या है ?
- _42:08_ये भी सहीफ़े में लिखा गया कि मेरे शागिर्दों को ये ‘एलान किया जायेगा कि हर शख्स अपने गुनाहों की मु’आफ़ी के लिए तोबा करेंगे वह ये यरूशलीम में शुरू ‘करते हैं और फिर ये जगह तमाम झुण्डों पर जायेंगे | आप इन चीज़ों के _गवाह-हैं
- _43:07_हम सब _गवाह_हैं कि खुदा ने ‘ईसा को दोबारा ज़िन्दा किया |
शब्दकोश:
- Strong's: H5707, H5713, H5715, H5749, H6030, H8584, G267, G1263, G1957, G2649, G3140, G3141, G3142, G3143, G3144, G4303, G4828, G4901, G5575, G5576, G5577, G6020
ग़ौर , ग़ौर करता, तवज्जोह
ता’अर्रुफ़:
“ग़ौर ” या'नी किसी बात पर एहतियात के साथ और गहराई से ग़ौर करना।
- कलाम में इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल हमेशा ख़ुदा और उसकी ता'लीमों पर ग़ौर करने के लिए काम में किया गया है।
- ज़बूर 1 में लिखा है कि वह इन्सान जो “दिन रात” ख़ुदा की शरी'अत पर ग़ौर करता है, मुबारक है।
तर्जुमा की सलाह:
- “ग़ौर” का तर्जुमा हो सकता है, “एहतियात के साथ और गहराई से ग़ौर करना” या “ फ़िक्र मन्द होकर गहराई से ग़ौर करना” या “बार-बार सोचना”।
- इसकी जमा' की शक्ल है, “तवज्जोह” और इसका तर्जुमा “गहराई के ख़यालात” हो सकता है। “मेरे मन के ख़याल” का तर्जुमा हो सकता है, “मैं जिसका गहराई से ग़ौर करता हूं” या “मै अक्सर किस बारे में सोचता हूँ”।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 24:63-65
- यशू'अ 01:8-9
- ज़बूर 001:1-2
- ज़बूर 119:15-16
शब्दकोश:
- Strong's: H1897, H1900, H1901, H1902, H7742, H7878, H7879, H7881, G3191, G4304
गाय, गायें, बैल, बैलों, बछड़ा, बछड़ों, जानवरों, बछिया, बैल, बैलों
ता’अर्रुफ़:
“जानवरों ” का बयान एक बड़े चार पैर वाले जानवर से है जो घास खाता है और गोश्त और दूध के लिए पाला जाता है।
- ऐसे जानवर की मादा को गाय कहते हैं और नर को बैल और उसके बच्चे को बछड़ा कहते हैं।
- कभी-कभी गाय लफ़्ज़ को आम तौर सब मवेशियों के लिए काम में लिया गया है। * कुछ तहज़ीब में सामान लेने के बदले में मवेशी दिए जाते थे।
बछिया वह गाय होती थी जिसने बच्चा न दिया हो।
“बैल” एक चौपाया जानवर है जिसे खेती के काम के लिए तरबियत दी जाती है। इस लफ़्ज़ का जमा’है “बैलों” बैल नर हैं और बधिया किया गया है।
- पूरे कलाम में बैल जूए में या गाड़ी में या हल में जोते जाते दिखाए गए हैं।
- जूए में जुते हुए बैलों में एक ऐसी आम बात थी कि “जूए में जुतना” कठिन काम या मेहनत की मिसाल हो गयी ।
- सांड भी नर गाय है लेकिन उसको खस्सी नहीं किया जाता है और न ही उससे काम कराया जाता है।
(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: जूआ)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 15:9-11
- ख़ुरूज 24:5-6
- गिनती 19:1-2
- इस्तिसना 21:3-4
- 1 समुएल 01:24-25
- 1 समुएल 15:1-3
- 1 समुएल 16:2-3
- 1 सलातीन 01:9-10
- 2 तवारीख़ 11:13-15
- 2 तवारीख़ 15:10-11
- मत्ती 22:4
- लूका 13:15-16
- लूका 14:4-6
- इब्रानियों 09:13-15
शब्दकोश:
- Strong's: H47, H441, H504, H929, H1165, H1241, H1241, H1241, H4399, H4735, H4806, H5695, H5697, H5697, H6499, H6499, H6510, H6510, H6629, H7214, H7716, H7794, H7794, H7921, H8377, H8377, H8450, H8450, G1016, G1151, G2353, G2934, G3447, G3448, G4165, G5022, G5022
गुनाह , गुनाहों, गुनाह करना, गुनाहगार, गुनाहगार, गुनाह करते रहना
ता’अर्रुफ़:
“गुनाह” काम, ख़याल और जो लफ़्ज़ ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ हैं। गुनाह का मतलब यह भी होता है कि हम वह काम न करें जो ख़ुदावन्द चाहता है।
- वह हर एक काम जो ख़ुदावन्द का हुक्म या ख़ुशी के ख़िलाफ़ है बयान में वह बातें भी जिन्हें ग़ैर लोग नहीं जानते, गुनाह हैं।
- ख़याल और काम जो ख़ुदावन्द की मर्ज़ी की फ़रमाबरदारी नहीं करते गुनाहगार कहलाते हैं।
- क्यूँकि आदम ने गुनाह किया है, सभी इंसान एक " गुनाहगार फ़ितरत" के साथ पैदा होते हैं, जो एक क़ुदरती है जो उन्हें बराबर करता है और उन्हें गुनाह करने देता है।
- “गुनाहगार” या'नी गुनाह करनेवाला, या सब इन्सान गुनाहगार हैं।
- कभी-कभी “गुनाहगार ” लफ़्ज़ फ़रीसी जैसे मज़हबी लोगों के ज़रिए' शरी'अत पर 'अमल नहीं करनेवालों के लिए काम में लिया जाता था, फ़रीसियों के मुक़ाबले शरी'अत पर 'अमल नहीं करनेवालों के लिए।
- “गुनाहगार” लफ़्ज़ उन लोगों के लिए भी काम में लिया जाता था जो ग़ैर लोगों से ज़्यादा गुनाहगार समझे जाते थे। मिसाल के तौर पर, जिज़्या लेनेवाले और तवाएफ़ ।
तर्जुमा की सलाह:
- “गुनाह” का तर्जुमा ऐसे जुमले के ज़रिए' भी किया जा सकता है जिसका मतलब हो, “ ख़ुदावन्द का हुक्म न मानना” या “ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़चलना” या “बुरे काम और ख़्याल” या “ग़लत काम करना”।
- “ गुनाह करना” का तर्जुमा “ ख़ुदावन्द की ना फ़रमामानी ” या “ग़लत काम करना” भी हो सकता है।
- जुमले के मुताबिक़ “गुनाहगार” का तर्जुमा “ग़लत काम करने वाले” या “बुरे या “ग़ैर इखलाक़ी” या “बुरा” या “ ख़ुदावन्द से मुख़ालिफ़त ”
- जुमले के मुताबिक़ गुनाहगार” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए' किया जा सकता है जिसका मतलब हो “वह शख़्स जो गुनाह करता है” या “ग़लतकाम करनेवाला शख़्स” या “ ख़ुदावन्द के हुक्म न माननेवाला शख़्स”
- “गुनाहगारों” का तर्जुमा ऐसे जुमले से भी किया जा सकता है जिनका मतलब हो “बहुत ज़्यादा गुनाहगार शख़्स” या “जिन लोगों को बहुत ज़्यादा गुनाहगार माना जाता है” या “ बहुत बुरा शख़्स”
- “जिज़्या लेनेवाले और गुनाहगार” के तर्जुमें के कई तरीक़े हैं , “सरकार के लिए पैसा जमा' करनेवाले और बहुत ज़्यादा गुनाहगार लोग या “बहुत गुनाहगार शख़्स”।
- " गुनाह के ग़ुलाम " या " गुनाह के ज़रिए’ हुक्म" के जुमलों में, "गुनाह" लफ़्ज़ का तर्जुमा "हुक्म न मानना" या " बुरी खवाहिशें और कामों " की शक्ल में किया जा सकता है।
- वाज़ह करें कि इस वक़्त के तर्जुमे में गुनाहगार का सुलूक और ख़याल शामिल हो सकते हैं, यहां तक कि वह भी जो उस बारे में नहीं जानते हैं।
- लफ़्ज़ "गुनाह" बराबर होना चाहिए, और "बदकार" और "बुराई" के लिए लफ़्ज़ों से अलग होना चाहिए।
(यह भी देखें:नाफ़रमानी करना, बुराई, गोश्त, जज़िया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 09:1-3
- 1 यूहन्ना 01:8-10
- 1 यूहन्ना 02:1-3
- 2 शमूएल 07:12-14
- रसूलों के ‘आमाल 03:19-20
- दानिएल09:24-25
- पैदाइश 04:6-7
- इब्रानियों 12:1-3
- यसा'याह 53:10-11
- यरमियाह18:21-23
- अह्बार 04:13-15
- लूक़ा 15:17-19
- मत्ती 12:31-32
- रोमियो 06:22-23
- रोमियो 08:3-5
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 03:15 ख़ुदावन्द ने कहा "मैं वा'दा करता हूँ कि मैं फिर कभी ज़मीन पर ला'नत नहीं भेजूँगा क्यूँकि लोग बुरे काम करते हैं, या बाढ़ पैदा करके दुनिया को हलाक कर देते हैं, भले ही लोग उस वक़्त से गुनाहगार होते हैं जब वह बच्चे होते हैं।
- 13:12 ख़ुदावन्द उनके गुनाह की वजह उनके साथ बहुत गुस्सा था और उन्हें हलाक करने के मन्सूबे बनाए ।
- 20:01 इस्राईलियों और यहूदियों के बादशाहों ने ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ गुनाह किया था। उन्होंने 'अहद को तोड़ा जो ख़ुदावन्द ने उनके साथ सीनै में बनाया था।
- 21:13 नबियों ने यह भी कहा कि मसीह ऐसा होगा, जिसमें कोई गुनाह नहीं होगा। वह ग़ैर लोगों के गुनाह के लिए सज़ा हासिल करने के लिए मर जाएगा
- 35:01 एक दिन, ‘ईसा कई जिज़्या लेनेवाले और कई गुनाहगारों को सिखा रहा था जो उन्हें सुनने के लिए जमा' हुए थे।
- 38:05 तब 'ईसा ने एक कटोरा लिया और कहा, "इसे पी लो। यह नए 'अहद नामे का मेरा ख़ून है जो गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए डाल दिया गया है।
- 43:11 पतरस ने उनसे कहा, “तौबा करो, और तुम में से हर एक 'ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो ख़ुदावन्द तुम्हारे गुनाहों को मु'आफ़ करेगा।
- 48:08 हम सभी हमारे गुनाहों के लिए मरने के लायक़ हैं!
- 49:17 अगर्चे आप एक मसीही हैं, फिर भी आप गुनाह करने की आज़माइश में पड़ेंगे । लेकिन ख़ुदावन्द यक़ीन के लायक़ है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु'आफ़ करेगा। वह गुनाह के ख़िलाफ़ जंग करने के लिए तुम्हें ताक़त देगा।
शब्दकोश:
- Strong's: H817, H819, H2398, H2399, H2400, H2401, H2402, H2403, H2408, H2409, H5771, H6588, H7683, H7686, G264, G265, G266, G268, G361, G3781, G3900, G4258
गुमराह, गुमराह हो जाते हैं, गुमराह हो गए, गुमराह कर देना, गुमराह कर दिया, फिरना, फेर दिया, गुमराह
ता'अर्रुफ़:
“फिर जाना” और “गुमराह” का मतलब है ख़ुदा की मर्ज़ी न मानना। लोग जो “ गुमराह हो गए” उन्होंने ग़ैर लोगों या हालातों से परेशान होकर ख़ुदा के हुक्मों को नहीं माना ।
“गुमराह” लफ़्ज़ बराबर रास्ता या हिफ़ाज़त की जगह को छोड़कर ग़लत और ख़तरनाक रास्ते में जाने का ख़्याल बयान करता है।
चरवाहे की चारागाह से दूर जानेवाली भेड़ को “ गुमराह हुई” कहते हैं। ख़ुदा गुनाहगारों की बराबरी उन भेड़ों से करता है जो उसको छोड़ करके “ गुमराह हो गई” हैं।
तर्जुमा की सलाह;
- “गुमराह” का तर्जुमा, “ख़ुदा से दूर हो जाना” या “ख़ुदा की मर्ज़ी से अलग ग़लत रास्ते पर चलना” या “ख़ुदा के हुक्मों को न मानना छोड़ देना” या “ख़ुदा के रास्ते से दूर जाते रहना” हो सकता है।
- “किसी को गुमराह करना” का तर्जुमा, “किसी को ख़ुदा के हुक्मों को न मानने के लिए ज़ोर करना” या “किसी को ख़ुदा के हुक्मों को न मानने के लिए अममादा करना” या “किसी को ग़लत रास्ते पर अपने पीछे चलाना”हो सकता है।
(यह भी देखें: नाफ़रमानी करना, चरवाहे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 03:7-8
- 2 तीमुतुस 03:10-13
- ख़ुरूज 23:4-5
- हिज़कीएल 48:10-12
- मत्ती. 18:12-14
- मत्ती. 24:3-5
- ज़बूर 058:3-5
- ज़बूर 119:109-110
शब्दकोश:
- Strong's: H5080, H7683, H7686, H8582, G4105
गेहूँ
ता’अर्रुफ़:
गेहूँ एक तरह का अनाज है जो आदमी खाने के लिए उगाते है। जब किताब-ए-मुक़द्दस "अनाज" या "बीज" का बयान करती है, तो यह अक्सर गेहूँ के अनाज या बीज के बारे में बात करती है।
- गेहूँ के पौधों के दाने (अनाज ) ऊपर के हिस्से में लगता है।
- कटनी के बाद गेहूँ के दाने को खलिहान से निकाला जाता है। * गेहूँ के पेड़ों को ज़मीन पर रखा जाता था कि उस पर जानवर सोएं।
- खलिहान के बाद, अनाज बीज के आसपास के भूसे सूप के ज़रिए’अनाज से अलग किए जाते है और फेंक दिया जाता है।
- गेहूँ को पीस कर आटा तैयार किया जाता है जिससे रोटियाँ बनाई जाती हैं।
(यह भी देखें: जौ, भूसी, अनाज, बीज, दाँवना, फटकना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 27:36-38
- ख़ुरूज 34:21-22
- यूहन्ना 12:23-24
- लूका 03:17
- मत्ती 03:10-12
- मत्ती 13:24-26
शब्दकोश:
- Strong's: H1250, H2406, G4621
गोश्त
ता’अर्रुफ़ :
किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” इन्सान या जानवर के नरमी के बारे में बताता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी होता है जिसके ज़रिए’ सब इन्सानों या सब जानवरों का ज़िक्र होता है।
नये ‘अहदनामे में “गोश्त” लफ़्ज़ इन्सानों के गुनाहगार आदत के लिए काम में लिया गया है। इसका इस्ते’माल अक्सर रूहानी आदत के मुख़तलिफ़ किया जाता है।
- “अपना गोश्त और ख़ून” किसी के साथ ख़ून के रिश्ते का हवाला देता है जैसे वालिदैन, भाई-बहन, औलाद, नाती-पोते।
- इसका हवाला बुज़ुर्गों या नसलों से भी है।
- “एक जिस्म” का मतलब शादीशुदा औरत और मर्द के जिस्मानी ता’अल्लुक़ से भी है|
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून में एक जानवर के जिस्म का तर्जुमा “जिस्म” या “जिल्द” या “गोश्त” किया जा सकता है|
- जब ‘आम तौर पर सभी जानदार मख़लूक के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “जानदार” या “हर एक चीज़ जो ज़िन्दा है” किया जा सकता है|
- जब ‘आम तौर पर सभी इन्सानों के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा है, “लोग ” या “इन्सानी क़ौम” या “सब ज़िन्दा लोग” हो सकता है|
- इज़हार “जिस्म और ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है “रिश्तेदार ” या “ख़ानदान” या “रिश्तेदार” या “ख़ानदानी नसल”। वहाँ वह मजमून हो सकता है, जहाँ इसका तर्जुमा “बुज़ुर्गों” या “नसलों” किया जा सकता है|
- कुछ ज़बानों में इज़हार हो सकता है कि “गोश्त और ख़ून” मतलब में एक जैसे हैं|
- इज़हार “एक गोश्त होना” का तर्जुमा “जिन्सी अजज़ा” या “एक जिस्म होना या “एक इन्सान का जिस्मानी और रूहानी तौर पर एक होना” हो सकता है| * इस इज़हार के तर्जुमे को जाँच कर पक्का करना लेना चाहिए कि यह मक़सदी ज़बान और रवायत के क़ुबूल करने लायक़ है या नहीं|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 युहन्ना 02:15-17
- 2 युहन्ना 01:7-8
- इफिसियों 06:12-13
- गलातियों 01:15-17
- पैदाइश 02:24-25
- यूहन्ना 01:14-15
- मत्ती 16:17-18
- रोमियो 08:6-8
शब्दकोश:
- Strong's: H829, H1320, H1321, H2878, H3894, H4207, H7607, H7683, G2907, G4559, G4560, G4561
घड़ी, घंटे
ता’अर्रुफ़:
किसी बात को होने के वक़्त या ‘अरसा के बारे में “घड़ी” लफ़्ज़ के कई ‘अलामती इस्ते’माल हैं।
- कभी-कभी “घड़ी” का हवाला किसी काम को करने का मुसलसल मुक़र्रर वक़्त होता है जैसे “दु’आ का वक़्त”
- जब मज़मून में लिखा होता है, “वह घड़ी आ पहुंची है” जब ‘ईसा दुःख उठाएगा और मारा जाएगा तो इसका मतलब है, इस बात के होने के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ बहुत पहले ही मुक़र्रर किया गया वक़्त|
- “घड़ी” लफ़्ज़ का मतलब यह भी हो सकता है, “उस लम्हा” या “उसी वक़्त”
- जब "घंटे" की बात की जाए तो इसका मतलब है, जल्दी ही सूरज ग़ुरूब होने वाला है।
तर्जुमे की सलाह:
- जब ‘अलामती इस्ते’माल में, लफ़्ज़ “घड़ी” का तर्जुमा “वक़्त” या “लम्हा” या “मुक़र्रर वक़्त”
- “उस घड़ी में” या “उसी वक़्त” का तर्जुमा हो सकता है, “उस वक़्त” या “उस लम्हा” या "फ़ौरन" या "ठीक उसी वक़्त"
- इज़हार "वक़्त बहुत देर हो चुकी थी" का तर्जुमा "यह दिन में देर हो गई" या "यह जल्द ही अंधेरा हो जाएगा" या "यह देर दोपहर था" के रूप में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: घंटे)
किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 15:29-30
- रसूलों के ‘आमाल 10:30-33
- मरकुस 14:35-36
शब्दकोश:
घर, घरों, छत के ऊपर, छतों, ज़खीरा, ज़खीरों, घर के निगहबान
ता’अर्रुफ़:
“घर” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किताब-ए-मुक़द्दस में ‘अलामती तौर से किया जाता है।
कभी-कभी इसका मतलब “घरेलू” से है या’नी एक ही घर में रहने वाले सब फ़र्द।
- “घर” अक्सर किसी की नसलों या दीगर रिश्तेदारों के बारे में आता है। मिसाल के तौर पर, “दाऊद का घराना” या’नी बादशाह दाऊद की सब नसलें|
- लफ़्ज़ “ख़ुदा का घर” और “यहोवा का घर” मतलब तम्बू या हैकल| ये इज़हार का अक्सर मतलब यह होता है कि ख़ुदा की हाज़िरी का मक़ाम या उसके रहने का मक़ाम
- इब्रानियों बाब 3 में, “ख़ुदा के घर” एक मिसाल की तरह काम में लिया गया है जो ख़ुदा के लोगों के बारे में है या ज़्यादा ‘आम ख़याल में, ख़ुदा से मुता’अल्लिक़ सब चीज़ों के बारे में है।
- जुमले “इस्राईल का घराना” उमूमन पूरी इस्राएली क़ौम के बारे में काम में लिया गया है या ख़ास तौर से उत्तरी सल्तनत के इस्राईल के क़बीलों के लिए है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “घर” लफ़्ज़ का तर्जुमा , “ख़ानदान” या “लोग” या “घरेलू” या “नसल” या “हैकल” या “रहने का मक़ाम”हो सकता है।
- “दाऊद का घराना”, इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “दाऊद का कुल” या “दाऊद का ख़ानदान” या “दाऊद की नसल”। मुता’अल्लिक़ इज़हारों का तर्जुमा भी इसी बुनियाद पर किया जा सकता है।
- “इस्राईल का घराना” इस जुमले के तर्जुमा के मुख़तलिफ़ तरीक़े हो सकते हैं, “इस्राईल की क़ौम” या “इस्राईल की नसल” या “इस्राईली”
- जुमला “यहोवा का घर” इसका तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा का हैकल” या “यहोवा की ‘इबादत का मक़ाम” या “जहां यहोवा अपने लोगों के साथ मिलते है” या “यहोवा का रहने का मक़ाम”।
- “ख़ुदा का घर” इसका तर्जुमा भी ऐसे ही किया जाए।
(यह भी देखें: दाऊद, नसल, ख़ुदा के घर, ख़ानदान, इस्राईल की बादशाही, ख़ेमा, हैकल, यहोवा)
किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 07:41-42
- रसूलों के ‘आमाल 07:47-50
- पैदाइश 39:3-4
- पैदाइश 41:39-41
- लूक़ा 08:38-39
- मत्ती. 10:5-7
- मत्ती 15:24-26
शब्दकोश:
- Strong's: H1004, H1005, G3609, G3613, G3614, G3624
चरवाहे, चरवाहा, चरवाया , चरवाही
ता’अर्रुफ़:
चरवाहा भेड़ों की निगरानी करता है “चरवाहा ” या'नी भेड़ों की हिफ़ाज़त करना और उनके लिए खाना-पानी का इन्तिज़ाम करना।
चरवाहे भेड़ों की निगरानी करते हैं और उन्हें अच्छे खाने और पानी के पास ले जाते हैं। चरवाहे भेड़ों को भटकने से और जंगली जानवरों से भी बचाते हैं।
- कलाम में इस लफ़्ज़ का मक़सदी इस्ते'माल भी किया गया है जो लोगों की रूहानी ज़रूरतों के ख़बर लेने के बार में है। या'नी उन्हें कलाम से ख़ुदा की बातों की त'लीम देना और जिस रास्ते में उन्हें चलना है उसमें उनकी रहनुमाई करना।
- पुराने 'अहद नामे में ख़ुदा को “चरवाहा” कहा गया है क्यूँकि वह अपने लोगों की सब ज़रूरतों को पूरा करता है और उनकी हिफ़ाज़त करता है। वह उनकी रह्नुमाई करता है और उनको रास्ता दिखाता है।
- मूसा इस्राईलियों का चरवाहा था क्यूँकि उसने यहोवा की रूहानी तौर पर 'इबादत की और जिस्मानी तौर से उनकी रह्नुमाई की और कन'आन के सफ़र में उनको रास्ता दिखाया ।
- नए 'अहद नामे में 'ईसा अपने आपको को “अच्छा चरवाहा” कहता है। पौलुस रसूल उसे कलीसिया का “हाकिम चरवाहा” कहता है।
- नए 'अहद नामे में “चरवाहा” लफ़्ज़ उस शख्स के बारे में भी बताता है जो ईमानदारों का रूहानी रहनुमा है। "पासबान" की शक्ल में तर्जुमे का लफ़्ज़ एक ही है जिसका तर्जुमा "चरवाहा" है। बुज़ुर्ग और निगराँ भी चरवाहे कहलाते थे।
तर्जुमा की सलाह
- लफ़्ज़ी तौर में “चरवाहा” लफ़्ज़ का तर्जुमा “भेड़ों की रखवाली करना” या “भेड़ों की निगरानी” करना है।
“चरवाहे” लफ़्ज़ का तर्जुमा “भेड़ों की रखवाली करनेवाला” या “भेड़ों की रहनुमाई ” या “भेड़ों की ख़बर लेने वाला”।
- मिसाल के तौर पर इस्ते'माल करने में इसके मतलब अलग-अलग होते हैं, “रूहानी चरवाहा” या “रूहानी रहनुमा” या “चरवाहे की तरह” या “भेड़ों की रखवाली करने वाले चरवाहे के जैसा अपने लोगों की ख़बर लेनेवाला” या “चरवाहा जैसे अपनी भेड़ों की रहनुमाई करता है वैसे अपने लोगों की रहनुमाई करनेवाला” या “ख़ुदा की भेड़ों की ख़बर लेनेवाला”।
- इस बारे में “चरवाहे” का तर्जुमा “रहनुमा” या “रास्ता दिखने वाला” या “ख़बर लेनेवाला” हो सकता है।
- "चरवाहा" के रूहानी जुमले का तर्जुमा "देखभाल करने के लिए" या "रूहानी शक्ल से देखभाल करने" या "रास्ता दिखाने और सिखाने" या " रहनुमाई करने और देखभाल करने के लिए" (जैसे चरवाहा भेड़ों का ख़्याल रखता है) की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
- ‘अलामती शक्ल में, इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में "चरवाहा" के लिए लफ़्ज़ी जुमले का इस्ते'माल करना या इसमें शामिल करना सबसे अच्छा है।
(यह भी देखें: यक़ीन, कना’न, कलीसिया, मूसा, रखवाला, भेड़, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 49:24
- लूक़ा 02:8-9
- मरकुश 06:33-34
- मरकुस 14:26-27
- मत्ती 02:4-6
- मत्ती. 09:35-36
- मत्ती. 25:31-33
- मत्ती. 26:30-32
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 09:11___ मूसा मिस्र से बहुत दूर जंगल में एक __चरवाहा बन गया.
- 17:02 दाऊद बेतेलहम के शहर से एक चरवाहा था। अलग-अलग वक़्त में जब वह अपने बाप के भेड़ देख रहा था, तब दाऊद ने शेर और एक भालू दोनों को मार दिया था जिसने भेड़ पर हमला किया था।
- 23:06 उस रात, वहाँ कुछ चरवाहे पास के एक 'इलाक़े में उनके झुंड की हिफ़ाज़त करते थे।
- 23:08 चरवाहे __ जल्द ही उस जगह पर पहुंचे जहाँ 'ईसा था और उन्होंने उसे लेटे हुआ पाया, जैसा फ़रिश्ते ने उन्हें बताया था।
- 30:03 ‘ईसा के लिए, यह लोग किसी चरवाहे के बिना भेड़ की तरह थे।
शब्दकोश:
- Strong's: H6629, H7462, H7469, H7473, G750, G4165, G4166
चाँदी
ता’अर्रुफ़:
चाँदी एक चमकीली सफ़ेद रंग की धातु होती है जिससे सिक्के, ज़ेवर, बर्तन और साज सजावट का सामान बनाया जाता है।
- बर्तनों में चाँदी के बड़े-छोटे कटोरे और खाना पकाने, खाने या निकालने के बर्तन बनते हैं।
- सोना और चाँदी ख़ुदावन्द के घर और हैकल की ता'मीर में भी काम में लिए गए थे। यरूशलीम की हैकल में सब बर्तन चाँदी के थे।
- कलाम के वक़्त में, एक शेकेल वजन का एक इकाई था, और अक्सर एक ख़ालिस चाँदी की शेकेल की क़ीमत पर ख़रीदारी की जाती थी । नए 'अहद नामे के मुताबिक़ शेकेल में नापा जाने वाले अलग अलग वजन के चाँदी के सिक्के थे।
- यूसुफ़ के भाइयों ने उसे चाँदी के बीस शेकेल (सिक्कों) में ग़ुलाम होने के लिए बेचा था।
- ‘ईसा के पकड़वाने के लिए यहूदा को चाँदी के 30 सिक्के दिए गए थे।
(यह भी देखें: ख़ेमा, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 18:9-11
- 1 शमूएल 02:36
- 2 सलातीन 25:13-15
- रसूलों के 'अमाल 03:4-6
- मत्ती. 26:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H3701, H3702, H7192, G693, G694, G695, G696, G1406
चोर, चोर, लूटने, लूटने, लूटने, डाकू, लुटेरे, डकैती, लूट
सच्चाई:
“चोर” या “लुटेरा” वह इन्सान है जो आदमियों का पैसा या सामान चुराता है। "चोर" का जमा’ है "चोरों।" लफ़्ज़ "डाकू" अक्सर एक चोर को ज़ाहिर करता है जो जिस्मानी तौर से उन लोगों को नुक़सान पहुँचाता या धमकाता है जिससे वह चोरी करता हैं।
- ‘ईसा ने एक सामरी की तमसील सुनाया, जिसने एक यहूदी शख़्स का ख़्याल रखा जिस पर लुटेरों ने हमला किया था। लुटेरों ने यहूदी आदमी को पीटा और उसके पैसे और कपड़े चोरी करने से पहले उसे घायल कर दिया था।
- चोर और लुटेरों दोनों चोरी करने अचानक ही आते है, जब लोग इसकी उम्मीद नहीं करते। वे अक्सर अँधेरे में काम करते हैं कि छिपे रहें।
- नये ‘अहद नामे में शैतान को तमसीली शक्ल में एक चोर कहा गया है जो चोरी करने, क़त्ल करने और हलाक करने आता है। इसका मतलब है कि शैतान का मंसूबा है कि ख़ुदा के लोगों को बहका कर उसका हुक्म मानने से रोके। अगर शैतान ऐसा करने में क़ामयाब हुआ तो लोगों से अच्छी चीजें चोरी कर लेगा जो ख़ुदा ने उनके लिए मंसूबा बनाया है।
- ‘ईसा ने अपने फिर से आने की बराबरी चोर से किया जो अचानक लोगों से चोरी करने आता है। जैसे चोर ऐसे वक़्त में आता है जब इन्सान उसके इन्तिज़ार में नहीं रहता है वैसे ही ‘ईसा भी अचानक ही आ जाएगा जब इन्सान उसके वापस आने के लिए तैयार न हो।
(यह भी देखें: बरकत, क़ुसूर, सलीब पर चढ़ा, तारीकी, बर्बाद, क़ुव्वत, सामरिया, शैतान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 पतरस 03:10
- लूका 12:33-34
- मरकुस 14:47-50
- अमसाल 06:30-31
- मुक़ाश्फ़ा 03:3-4
शब्दकोश:
- Strong's: H1214, H1215, H1416, H1589, H1590, H1980, H6530, H6782, H7703, G727, G1888, G2417, G2812, G3027
छुड़ा ले, छुटकारा, छुटकारा, छुटकारा दिलानेवाला
ता’अर्रुफ़:
“छुड़ा ले” या “छुटकारा” को वापस ख़रीदने या किसी ऐसे इन्सान को ख़रीदने के बारे में बताया गया जो पहले मिलकियत में था, या क़ैदी था| इसे करने के ‘अमल को "छुटकारा" कहते है। मुन्जी (छुड़ानेवाला) वह इन्सान है जो किसी चीज़ या इन्सान को छुड़ा लेता है।
- ख़ुदा ने इस्राईल को किसी चीज़ या इन्सान को छुड़ाने के क़ानून दिए थे।
- मिसाल के तौर पर, किसी ग़ुलाम को क़ीमत चुका कर कोई इन्सान छुड़ा सकता था कि वह आज़ाद हो जाए। “फ़िरौती” भी इसी मश्क़ के बारे में है।
- अगर किसी की ज़मीन बेची जा चुकी है तो उसका कोई ख़ानदानी उस ज़मीन को छुड़ा सकता है या “दुबारा ख़रीद” सकता है कि वह ख़ानदानी दौलत बनी रहे।
- इन मश्क़ से ज़ाहिर है कि ख़ुदा गुनाहों के ग़ुलामी में रहनेवालों को कैसे छुड़ाता है, जब ‘ईसा सलीब पर मर गया था तब उसने इन्सानों के गुनाहों का पूरा क़ीमत चुका दिया और उन सबको छुड़ा लिया जो आज़ादी के लिए उसमें ईमान करते हैं। जो इन्सान ख़ुदा के ज़रिए’ छुड़ाए गए हैं वे गुनाह और गुनाह की सज़ा से आज़ाद हो गए हैं।
तर्जुमे की सलाह:
मज़मून पर मुनहस्सिर, “छुड़ाना” का तर्जुमा हो सकता है, “दुबारा ख़रीद लेना” या “आज़ाद होने की कीमत चुकाना(कोई)” या "फ़िरौती"।
- लफ़्ज़ "छुटकारा" का तर्जुमा "" या "फ़िरौती होने की क़ीमत" या "दुबारा ख़रीद लेना" के तौर पर किया जा सकता है।
- लफ़्ज़ "फ़िरौती" और “छुटकारा” बुनियादी तौर से एक ही मतलब है, इसलिए कुछ ज़बानों में इन दोनों अलफ़ाज़ का तर्जुमा करने के लिए सिर्फ़ एक लफ़्ज़ हो सकता है। लफ़्ज़ "फ़िरौती",ताहम, इसका मतलब भी ज़रूरी अदायगी हो सकता है।
(यह भी देखें: आज़ाद, छुटकारे के लिये)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- कुलुस्सियों 01:13-14
- इफ़िसियों 01:7-8
- इफ़िसियों 05:15-17
- गलातियों 03:13-14
- गलातियों 04:3-5
- लूक़ा 02:36-38
- रूत 02:19-20
शब्दकोश:
- Strong's: H1350, H1353, H6299, H6302, H6304, H6306, H6561, H7069, G59, G629, G1805, G3084, G3085
छोटा, हलीमी, हिल्म
ता’अर्रुफ़:
हलीम और हलीमी का हवाला गरीब या छोटी हालत से है। छोटा होने का मतलब “हलीम” होने से भी है।
- ‘ईसा इन्सानी शक्ल में होने और इन्सानों की ख़िदमत करने तक हलीम बना था।
- उसकी पैदाइश ग़रीबी की हालत में हुई थी क्योंकि वह शाही महल की बजाय गौशाला में हुई थी
- हलीम रवैया घमण्ड का उल्टा है।
- “हलीमी” के तर्जुमें के तरीक़े है “हलीम” या “ग़रीब हालत” या “बे-अहमियत”।
- “ग़रीबी की हालत” का तर्जुमा “हलीमी” या “बहुत कम अहमियत” भी हो सकता है।
(यह भी देखें: हलीम, घमण्ड)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:##
- रसूलों के ‘आमाल 20:17-21
- हिज़क़ीएल17:13-14
- लूक़ा 01:48-49
- रोमियो 12:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H6041, H6819, H8217, G5011, G5012, G5014
जलन, हसद
ता’अर्रुफ़:
“जलन” और हसद” का बयान रिश्तों की सफ़ाई को महफ़ूज़ रखने की मज़बूती से है। इन लफ़्ज़ों में किसी चीज़ या इन्सान के लिए अपनापन बनाए रखने की मज़बूत ख़्वाहिश भी है।
- इन लफ़्ज़ों के ज़रिए' इन्सान के ग़ुस्से को भी बयान किया जाता है जो शादी में धोकेबाज़ रहा है।
- कलाम में इन लफ़्ज़ों के ज़रिए' लोगों को पाक रहने और गुनाह से बदनाम न होने की ख़ुदा की मज़बूत मर्ज़ी को भी ज़ाहिर किया गया है।
- ख़ुदा अपने नाम का 'एजाज़ और एहतराम के लिए भी हसद रखता है।
- किसी की कामयाबी और मक़बूलियत पर ग़ुस्सा को भी हसद कहते हैं। * यह “हस्सास” के बराबर है।
तर्जुमा की सलाह:
- “जलन” के तर्जुमे की कई शक्लें हो सकती हैं, “हिफ़ाज़त की मज़बूत मर्ज़ी” या “अपनेपन की मर्ज़ी ”
- “हसद” का तर्जुमा “हिफ़ाज़त का मज़बूत एहसास” या “अपनेपन का एहसास”
- ख़ुदा के लिए जब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करें तो ऐसा ज़ाहिर न हो कि ख़ुदा किसी से जलन रखता है।
- इन्सानों के बारे में लोगों के ग़ुस्से से भरे ख़्यालों के बारे में जब कोई कामयाब होता है तब “जलना” या “जलन” लफ़्ज़ों का इस्ते'माल किया जा सकता है। लेकिन यह लफ़्ज़ ख़ुदा के लिए काम में न लें।
(यह भी देखें: हसद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 12:20-21
- इस्तिसना 05:9-10
- ख़ुरूज 20:4-6
- हिज़्क़ीएल 36:4-6
- यसू'अ 24:19-20
- नहूम 01:2-3
- रोमियो 13:13-14
शब्दकोश:
- Strong's: H7065, H7067, H7068, H7072, G2205, G3863
जलाल,जलाल से मा’मूर, ता’रीफ़, ता'रीफ़ करता है
ता’अर्रुफ़:
'आमतौर, “जलाल” का मतलब है, ‘इज़्ज़त, शान-ओ-शौकत और बहुत बड़ाई। जिसमें जलाल हो वह "जलाल से मा’मूर" कहलाता है।
- कभी-कभी "जलाल" का मतलब बहुत क़ीमती और ख़ास भी होता है। कई बयानों में इसका मतलब, शान-ओ-शौकत, रोशनी या फ़ैसला भी होता है।
- मिसाल के लिए, "चरवाहों की शान" का मतलब हरी चरागाहों को बताता है जहाँ उनके भेड़ों को खाने के लिए बहुत घास होती है।
- ख़ास तौर से बड़ाई करके ख़ुदा का बयान करने में काम में ली जाती है क्यूँकि वह सारी दुनिया में सबसे ज़्यादा जलाल से मा'मूर है उसके जुमले में हर एक बात उसकी शान और उसकी शौकत को ज़ाहिर करती है।
- जुमले "बड़ाई करने के लिए" का मतलब है कि कुछ के बारे में ग़ुरूर करना या फ़ख्र करना
“बड़ाई करे” या'नी किसी चीज़ या आदमी की 'इज़्ज़त और उसकी बड़ाई को ज़ाहिर करना । इसका असल मतलब है, “ता'रीफ़ करना”।
- इन्सान ख़ुदा के अजीब कामों को बयान करके उसकी बड़ाई कर सकते हैं |
- वह ख़ुदा की बड़ाई भी कर सकते है इस तरीक़े से जीकर की उसे 'इज़्ज़त मिले और दिखाते हुए की वह कितना अज़ीम और शानदार है।
- कलाम में लिखा है कि ख़ुदा अपना जलाल ज़ाहिर करता है तो इसका मतलब है कि वह लोगों पर अपनी हैरत अँगेज़ काम ज़ाहिर करता है, जो हमेशा मो'जिज़ों के ज़रिए' होता है।
- बाप ख़ुदा, बेटा ख़ुदा के जलाल का बेटे का कमाल , उसकी शान और 'अज़मत को ज़ाहिर करता है।
- मसीह में ईमान करनेवाला हर एक शख़्स उसके साथ जलाल पाएगा। जब ज़िन्दगी के लिए उनका नया जन्म होगा तब वह उसके जलाल को ज़ाहिर करने के लिए तब्दील हो जाएंगे और तमाम तख्लीक़ पर उसका फ़ज़ल ज़ाहिर होगा।
तर्जुमा के लिए सलाह:
जुमलों के तौर पर "जलाल" का तर्जुमा कई तरीक़े से हो सकता है "अमन" या "रोशनी" या "’अज़मत" या"शानदार "’अज़ीमी" या इन्तिहाई क़द्र सामिल हो सकती है |
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “को जलाल देना” या “जलाल से भरा हुआ ” या “'अज़ीम दिखाई देने की वजह होना”।
- मज़मून "ख़ुदा को जलाल दें" का तर्जुमा "ख़ुदा की 'अज़मत का ‘एजाज़" या "उसकी बड़ाई की वजह से ख़ुदा की ता'रीफ़ " या "दूसरों को बताएं कि ख़ुदा कितना 'अज़ीम है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
- मज़मून "जलाल" का तर्जुमा "'इज़्ज़त" या "फ़ख्र में" या "ग़ुरूर" या "ख़ुशी लेने" की शक्ल में भी किया जा सकता ह
"जलाल" का तर्जुमा "जलाल देना" या "जलाल लाने" या "’अज़ीम दिखने की वजह " की शक्ल में भी किया जा सकता है।
- “ख़ुदा की बड़ाई करना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई करना” या “ख़ुदा की 'अज़मत का ज़िक्र करना” या “दिखाना कि ख़ुदा कैसा 'अज़ीम है”, या “ख़ुदा की (हुक्म की ‘इता’अतकरते हुए )एहतराम करना”।
- लफ़्ज़ "जलाल हो" का तर्जुमा भी किया जा सकता है, "बहुत बड़ा होना दिखाया जाए" या "ता'रीफ़ की जाए" या "बुलंद हो।"
(यह भी देखें: बढाना, हुक्म मानना, हम्द)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुरूज 24:16-18
- गिनती 14:9-10
- यसा'याह 35:1-2
- Luke 18:42-43
- लूक़ा 02:8-9
- यूहन्ना 12:27-29
- रसूलों के 'आमाल 03:13-14
- [रसूलों के 'आमा 07:1-3
- रोमियों 08:16-17
- 1 कुरन्थियों 06:19-20
- फ़िलिप्पियों 02: 14-16
- फ़िलिप्पियों 04:18-20
- कुलुस्सियों 03:1-4
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:5-6
- या'क़ूब 02:1-4
- 1 पतरस 04:15-16
- मुक़ाश्फ़ा15:3-4
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 23:07 तब अचानक फ़रिश्तों का झुण्ड ख़ुदा की ता'रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आसमान में ख़ुदा बड़ाई और ज़मीन पर उन लोगों में जिनसे वह ख़ुश है, अमन हो ।”
- 25:06 फिर शैतान ने 'ईसा को निया की सारी सल्तनतों और उसकी शान-ओ-शौकत दिखाकर उससे कहा, “अगर तू गिरकर मुझे सिज्दा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।”
- 37:01 यह सुनकर 'ईसा ने कहा, “यह बीमारी मौत की नहीं; लेकिन ख़ुदा के जलाल के लिए है।"
- 37:08 ‘ईसा ने जवाब दिया , “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा था कि अगर तू मुझ पर यक़ीन करेगी, तो ख़ुदा के जलाल को देखेगी?”
शब्दकोश:
- Strong's: H117, H142, H155, H215, H1342, H1921, H1922, H1925, H1926, H1935, H1984, H2892, H3367, H3513, H3519, H3520, H6286, H6643, H7623, H8597, G1391, G1392, G1740, G1741, G2620, G2744, G2745, G2746, G2755, G2811, G4888
जहन्नुम, आग की झील
ता’अर्रुफ़:
जहन्नुम बहुत दुखों और मुसीबतों का वह आख़िरी मक़ाम है जहां ख़ुदा उसके बाग़ियों को और ‘ईसा की क़ुर्बानी के ज़रिए’ उनकी नजात के मन्सूबे की मुख़ालिफ़त करनेवालों को सज़ा देगा। इसे “आग की झील” भी कहा गया है।
- जहन्नुम को आग और बहुत मुसीबत का मक़ाम कहा गया है।
- शैतान और उसके साथ की बदरूहें अबदी सज़ा के लिए जहन्नुम में डाली जाएंगी।
- जो लोग उनके गुनाहों के लिए ‘ईसा के बलिदान में ईमान नहीं करते और नजात के लिए उसमें ईमान नहीं करते उन्हें भी हमेशा की सज़ा के लिए जहन्नुम में डाला जाएगा।
तर्जुमे की सलाह:
- इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा अलग-अलग अलफ़ाज़ के जरिए’ किया जाए क्योंकि वे अलग-अलग मज़मूनों में आते हैं।
- कुछ ज़बानों में “आग की झील” का झील लफ़्ज़ काम में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उस ज़बान में झील का मतलब पानी की झील है।
- “जहन्नुम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुसीबत का मक़ाम” या “तारीकी और मुसीबत का आख़िरी मक़ाम” किया जा सकता है।
- “आग की झील” का तर्जुमा “आग का समन्दर” या “बहुत बड़ी आग” या “आग का इलाक़ा” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: आसमान, मरना, ‘आलम-ए-अर्वाह, गहरा गड्ढ़े)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- या’क़ूब 03:5-6
- लूक़ा 12:4-5
- मरकुस 09:42-44
- मत्ती 05:21-22
- मत्ती 05:29-30
- मत्ती 10:28-31
- मत्ती 23:32-33
- मत्ती 25:41-43
- मुकाशिफ़ा 20:13-15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 50:14 वह (ख़ुदा) उन्हें जहन्नुम में फेंक देगा, जहाँ वे परेशानी में हमेशा रोएँगे और दाँत पीसेंगे। वह आग जो कभी नही बुझती उन्हें हमेशा जलाती रहेगी और कीड़े उन्हें हमेशा खाते रहेंगे।
- 50:15 वह शैतान को जहन्नुम में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने ख़ुदा का हुक्म मानने के बजाय उसकी बात मानने का फ़ैसला किया।
शब्दकोश:
- Strong's: H7585, G86, G439, G440, G1067, G3041, G4442, G4443, G4447, G4448, G5020, G5394, G5457
जान , रूह
ता'अर्रुफ़:
“रूह ” शख़्स का अन्दुरूनी ना दिखाई देने वाला अब्दी हिस्सा है। यह शख़्स का ग़ैर जिस्मानी हिस्सा है।
- “रूह” और “जान” दो अलग नज़रयात हैं या वह दो अलग लफ़्ज़ हैं जो एक ही ख़याल को बयान करते हैं।
- इन्सान जब मरता है तब उसकी रूह जिस्म को छोड़ देती है।
- “रूह” लफ़्ज़ का इस्ते'माल कभी-कभी 'अलामती शक्ल में पूरे तौर पर बयान लिए किया गया है। मिसाल के तौर पर “ रूह गुनाह करती है” या'नी “इन्सान गुनाह करता है”, या “मेरी रूह थकी है” या'नी “मैं थका हुआ हूं।”
तर्जुमा की सलाह:
- “रूह” का तर्जुमा “अन्दुरूनी आदमी ” या “अन्दुरूनी शख़्स”
- कुछ बयानों में “मेरी रूह” का तर्जुमा, “मैं” या “मुझे” हो सकता है।
- जुमले के मुताबिक़ “रूह” का तर्जुमा 'आम तौर पर “शख़्स” या “वह” या “उसे” हो सकता है।
- कुछ ज़बानों में “रूह” और “रूह” के लिए एक ही लफ़्ज़ होता है।
- 'इब्रानियों 4:12 में 'अलामती शक्ल में “जान और रूह को... अलग करके” का मतलब हो सकता है, “अन्दुरूनी शख़्स को समझना या अन्दुरूनी शख़्स को ज़ाहिर करना।”
(यह भी देखें: रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 पतरस 02:7-9
- रसूलों के 'आमाल 02:27-28
- रसूलों के 'आमाल 02:40-42
- पैदाइश 49: 5-6
- यसा'याह 53:10-11
- या'क़ूब 01:19-21
- यरमियाह 06:16-19
- योना 02:7-8
- लूक़ा 01:46-47
- मत्ती 22:37-38
- ज़बूर 019:7-8
- मुक़ाश्फ़ा 20:4
शब्दकोश:
- Strong's: H5082, H5315, H5397, G5590
जानना, जानता है, जानता था, जानना, ‘इल्म, ‘इल्म होना, पता करना, पता करता है, पता किया, अनजान, पहले से जानना, पहले से ‘इल्म
ता’अर्रुफ़:
“जानना” का मतलब किसी बात को समझना या किसी चीज़ का आगाह होना। "पता करना" एक इज़हार है जिसका मतलब है जानकारी देना।
- “’इल्म” लफ़्ज़ उनके बारे में है जो इन्सान जानकारी रखते हैं। इसका मतलब जिस्मानी और रूहानी दुनिया, दोनों की जानकारी हो सकता है।
ख़ुदा के “बारे में जानना” या’नी उसके बारे में चीज़ों को समझना जो उसने हम पर ज़ाहिर किया है।
- ख़ुदा को “जानना” का मतलब है उसके साथ रिश्ता क़ायम करना। यह इन्सानों को जानने के लिए भी काम में लिया जाता है।
- ख़ुदा की मर्ज़ी जानना का मतलब है उसके हुक्मों के लिए होशियार रहना या इन्सान से जो चाहता है उसे समझना।
- “शरी’अत को जानना” का मतलब है ख़ुदा के हुक्मों के लिए होशियार रहना या ख़ुदा ने मूसा को शरी’अत में जो हिदायत दी हैं उन्हें समझना।
- कभी-कभी “’इल्म” “’अक़्ल” के मुवाफ़िक़ लफ़्ज़ के तौर पर काम में लिया जाता है जिसमें ख़ुदा को ख़ुश करनेवाली ज़िन्दगी शामिल है।
- “ख़ुदा का ‘इल्म” को कभी-कभी “यहोवा का डर” का मुवाफ़िक़ लफ़्ज़ के तौर पर काम में लिया जाता है।
तर्जुमे की सलाह
- मज़मून पर मुनहस्सिर “जानना” के तर्जुमे हो सकते हैं, “समझना” या “जानकार होना” या “होशियार होना” या “जानकार होना” या “के बारे में” में होना।
- कुछ ज़बानों के पास दो अलग-अलग लफ़्ज़ हैं "जानना," एक चीज़ जानने के लिए और दूसरा एक इन्सान को जानने के लिए और उसके साथ रिश्ता होने के लिए।
- लफ़्ज़ “ज़ाहिर करना” का तर्जुमा “इन्सानों को जानने के क़ाबिल बनाना” या “ज़ाहिर करना” या “बारे में बताना” या “ज़िक्र करना” हो सकता है।
“किसी के बारे में बताना” का तर्जुमा “होशियार होना” या “जानकार होना हो सकता है।”
“जानना कैसे” का मतलब कुछ करने का तरीक़ा या ढंग समझना। इसका तर्जुमा हो सकता है, “क़ाबिल होना” या “करने में हुनरमन्द होना”।
- “’इल्म” लफ़्ज़ का तर्जुमा “जो पता है” या “अक़्ल” या “समझ” मज़मून पर मुनहस्सिर हो सकता है।
(यह भी देखें: शरी’अत, ज़ाहिर करना, समझना, ’अक़्लमंद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 02:12-13
- 1 शमूएल 17:46-47
- 2 कुरिन्थियों 02:14-15
- 2 पतरस 01:3-4
- इस्तिस्ना 04:39-40
- पैदाइश 19:4-5
- लूक़ा 01:76-77
शब्दकोश:
- Strong's: H1843, H1844, H1847, H1875, H3045, H3046, H4093, H4486, H5046, H5234, H5475, H5869, G50, G56, G1097, G1107, G1108, G1231, G1492, G1921, G1922, G1987, G2467, G2589, G3877, G4267, G4894
जानवर
सच्चाई:
“जानवर” उन जानवरों को कहते हैं जो खाना और दीगर ज़रूरी सामान पैदा करते हैं। कुछ जानवरों को काम के लिए पाला जाता है
- जानवर में भेड़, मवेशी, बकरियां, घोड़े और गधे आते हैं।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में दौलत का एक हिस्से में जानवर भी गिना जाता था।
- जानवर से ऊन, दूध, पनीर, घरेलू चीज़ें और कपड़ों का कच्चा माल पैदा होता था।
- इसका तर्जुमा, “पालतू जानवर” भी किया जा सकता है।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: गाय, गधा, बकरा, घोड़ा, भेड़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 03:15-17
- पैदाइश 30:29-30
- यशू’अ 01:14-15
- नहमियाह 09:36-37
- गिनती 03:40-41
शब्दकोश:
- Strong's: H929, H4399, H4735
जानवर, जानवरों
सच्चाई:
किताब-ए- मुक़द्दस में “जानवर ” लफ्ज़ “जानवर” को कहने के लिए दूसरा लफ्ज़ है।
- जंगली जानवर जंगल या खेतों में आज़ाद घूमता है, वह तरबियत वाला नहीं होता कि घरेलू जानवर कहलाए।
- घरेलु जानवर इंसानों के साथ रहता है और खाना या काम करवाने के लिए इस्ते'माल में आता है जैसे हल चलाना वग़ैरा। अक्सर 'आम तौर पर ज़ाहिर करने के लिए इस्ते'माल में आता है |
- पुराने 'अहदनामें में दानिएल की किताब और नये 'अहद नामें में मुक़ाशिफा की किताब में ख़्वाब के बारे में बताया गया है जिनमें बुराई की ताक़त और ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ बुरी ताक़त और इख्तियार को दिखाता है उसको जानवर कहा गया है। देखें , मिसाल
- इनमें कुछ जानवरों को 'अजीब दिखाया गया है जैसे कई सिर और कई सींग। उनके पास ताक़त और इख्तियार हैं जो दिखाता हैं कि वह मुल्क, क़ौमों या सियासी ताक़तों की अलामत हैं।
- इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “जानदार ” या “बनाई हुई चीज़ें ” या “जानवर ” या जंगली जानवर मज़मून पर मून ह्स्सिर
(यह भी देखें : इख्तियार, इख़्तियार, दानिएल, जानवर, क़ौम, क़ुव्वत, ज़ाहिर करना,
किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:
- बालजबूल
- 1 शमूएल 17:44-45
- 2 तवारीख़ 25:18-19
- यरमियाह16:1-4
- अह्बार 07:21
- ज़बूर 049:12-13
शब्दकोश:
- Strong's: H338, H929, H1165, H2123, H2416, H2423, H2874, H3753, H4806, H7409, G2226, G2341, G2342, G2934, G4968, G5074
जायज़, जायज़, शरी’अत के तौर पर, जायज़ नहीं, ग़ैर-क़ानूनी, ग़लत
ता’अर्रुफ़:
“जायज़” मतलब शरी’अत या और ज़रूरतों के मुताबिक़ इजाज़त हासिल इसका उल्टा “शरी’अत के मुख़ालिफ़” या’नी “ग़लत”।
- किताब-ए-मुक़द्दस में, अगर किसी बात को “जायज़” कहा गया है तो इसका मतलब है कि वह ख़ुदा की शरी’अत में इजाज़त हासिल है, या मूसा की शरी’अत या यहूदी रवायतों के मुताबिक़। जो “शरी’अत के ख़िलाफ़”, “जिसकी इजाज़त नहीं दी गई थी” उन कानूनों के मुताबिक़
- “शरी’अत के मुताबिक़” करने का मतलब है, “जायज़” तौर पर करना या “सही” करना।
- यहूदी कवानीन में जो बहुत बातें जायज़ या नाजायज़ मानी जाती थीं लेकिन ख़ुदा की शरी’अत जो दूसरों से मुहब्बत करने के बारे में थी उससे दुरुस्त नहीं थी।
- मज़मून पर मुनहस्सिर तर्जुमा “जायज़” हो सकते हैं “इजाज़त हासिल” या “ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़” या “अपने क़वानीन के ‘अमल में” या “जायज़” या “दुरुस्त”
- “क्या यह जायज़ है” का तर्जुमा “क्या हमारी शरी’अत इजाज़त देती है?” या “क्या यह शरी’अत के मुताबिक़ है”
लफ़्ज़ “जायज़ नहीं” और नाजायज़” कानून तोड़ने वालों के लिए कामा में लिए जाते हैं|
- नए ‘अहदनामे में, लफ़्ज़ “नाजायज़” सिर्फ़ क़ानून तोड़ने वालों के लिए ही इस्ते’माल नहीं होता बल्कि उनके लिए भी है जो यहूदी इंसानों के बनाए हुए क़ानून को भी तोड़ता है
सालों बा’द, यहूदियों ने उन क़वानीन को भी शामिल किया जो ख़ुदा ने उनको दिए थे| यहूदी रहनुमा उसे “ग़ैरकानूनी” जो उनके बनाये हुए क़वानीन के मुताबिक़ नहीं होता|
जब ‘ईसा और उसके शागिर्द जब सबत के दिन पर अनाज खा रहे थे, तब फ़रीसियों ने उन पर इलज़ाम लगाया थे “ग़ैर क़ानूनी” क्यूँकि उस दिन यहूदी काम करने के बारे में, यहूदी क़ानून तोड़ रहा था|
जब पतरस ने कहा कि नापाक खाना खाने से उसके लिए ग़ैर क़ानूनी था, तो उसका मतलब था कि अगर उसने उन खाने की चीज़ों को खा लिया तो वह उन क़वानीन को तोड़ देगा जो ख़ुदा ने इसराईलियों को कुछ खाने के बारे में नहीं दिया था|
लफ़्ज़ “नाजायज़” उस आदमी के बारे में बताता है जो कानून और शरी’अत को नहीं मानता| जब एक मुल्क या जमा’अत “ग़ैर क़ानूनी” की हालत में है, तो बड़ी नाफ़रमानी, बग़ावत या ग़ैर-इख़लाक़ी है|
एक ग़ैरक़ानूनी आदमी बाग़ी और ख़ुदा की शरी’अत की नाफ़रमानी करने होता है|
रसूल पौलुस ने लिखा था कि आख़िरी दिनों में “बुराई का आदमी” या “बुरा” होगा, जो शैतान के ज़रिए’ बुरी चीज़ों को करने के लिए मुतास्सिर
तर्जुमे की सलाह:
(यह भी देखें: क़ानून, शरी’अत, मूसा, सबत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- मत्ती 07:21-23
- मत्ती 12:1-2
- मत्ती 12:3-4
- मत्ती 12:9-10
- मरकुस 03:3-4
- लुक़ा 06:1-2
- रसूलों के ‘आमाल 02:22-24
- रसूलों के ‘आमाल 10:27-29
- रसूलों के ‘आमाल 22:25-26
- 2 थिस्सलुनिकियो 02:3-4
- तीतुस 02:14
- 1 युहन्ना 03:4-6
शब्दकोश:
- Strong's: H4941, H6530, H6662, H7386, H7990, G111, G113, G266, G458, G459, G1832, G3545
जाल , फंदे, फंसाना, फंसाना, फँसना, फंसाना, जाल, जालें, फंस गए
ता'अर्रुफ़:
"जाल" और "फंदा" यह ऐसी चीजें होती थे जिनसे जानवर परिन्दे पकड़े जाते थे। जाल में फँसाने के लिए "फंसे" या "जाल" करना" है, और "जाल" या "फंसाने" के लिए एक जाल से पकड़ना है । कलाम में इन लफ़्ज़ों को जुमले की शक्ल में भी काम में लिया गया है कि गुनाह और आज़माइश छिपे हुए फंदे हैं। जिनमें फंसकर इन्सान नुक़सान उठाता है।
- “जाल” रस्सी या तार का एक कुंडलाकार फंदा होता है जिसमें जानवर का पैर पड़ जाए तो वह उसमें उलझ जाता है।
- “जाल ” धातु या लकड़ी का बना होता है जिसके दो हिस्से होते हैं जो जानवर का पैर पड़ने पर बन्द हो जाते हैं और जानवर भाग नहीं पाता है। कभी-कभी ज़मीन में खोदे हुए गड्ढा में जाल होता है जिसमें जानवर गिर जाता है।
- जाल या फंदा छिपाकर रखा जाता है कि जानवर उसे देख न पाए।
- “जाल बिछाना” या'नी किसी को फंसाने के लिए जाल लगाना।
- “जाल में फंसना” या'नी किसी गहरे गड्ढे में गिरना जो पहले से जानवर को फंसाने के लिए खोदा गया है।
- एक शख्स जो गुनाह करना शुरू' कर देता है और रोक नहीं सकता, उसे "गुनाह से फंसे" की शक्ल में बयान किया जा सकता है, जिस तरह एक जानवर को फँसाने के लिए किया जा सकता है और बच नहीं सकता।
- जिस तरह कि जानवर फंदे में फंसकर मिसीबत में पड़ जाता है और नुक़सान उठाता है उसी तरह इन्सान गुनाह में फंस कर नुक़सान उठाता है और उसे आज़ादी की ज़रूरत होती है।
(यह भी देखें: आज़ाद, , शिकार, शैतान, आज़माइश करने)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- वा'इज़ 07:26
- लूक़ा 21:34-35
- मरकुस 12:13-15
- ज़बूर 018:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H2256, H3353, H3369, H3920, H3921, H4170, H4204, H4434, H4685, H4686, H4889, H5367, H5914, H6315, H6341, H6351, H6354, H6679, H6983, H7639, H7845, H8610, G64, G1029, G2339, G2340, G3802, G3803, G3985, G4625
जिस्म, जिस्मों
ता'अर्रुफ़:
“जिस्म ” का हवाला इंसान या जानवर के जिस्म से है। इस लफ्ज़ का इस्ते'माल जुमले कि शक्ल में किसी चीज़ या भीड़ के लिए भी किया गया है।
- “जिस्म ” लफ्ज़ मुर्दा इंसान या मरा जानवर के बारे में भी काम में आता है। कभी इसका मतलब “मुर्दा जिस्म ” या “लाश” कहा गया है।
- आख़िर फ़सह के खाने के वक़्त 'ईसा ने रोटी तोड़कर अपने शागिर्दों से कहा था, “यह मेरा जिस्म है” तो वह अपने जिस्म के बारे में कह रहा था जो कई गुनाहों के लिए तोड़ (मार डाला) जाएगा।
- किताब-ए-मुक़द्दस में ईमानदारों के झुन्ड को “मसीह का जिस्म ” कहा गया है।
- जैसे जिस्म के कई हिस्से होते हैं वैसे ही “मसीह के जिस्म ” के कई रुक्न हैं।
- मसीह के जिस्म में हर एक ईमानदार की अपना एक ज़िम्मेदारी है कि मुकम्मल भीड़ की मदद करे कि वह एक साथ ख़ुदा की ख़िदमत करे और उसकी मेहमान नवाज़ी करे।
'ईसा इस बात की याद दिलाता है कि वह अपने ईमानदारों का "सर " है | जैसे इंसान का सिर अपने जिस्म को हिदायात देता है कि उसे क्या करना है वैसे ही 'ईसा ईमानदारों को हिदायत और सीधा रास्ता फ़राहम करता है कि उसके “जिस्म ” के 'आज़ा होने कि वजा उन्हें क्या करना है।
तर्जुमा की सलाह :
- इस लफ्ज़ के तर्जुमा के लिए मक़सदी ज़बान में जिस्म के लिए 'आम तौर पर काम में लिए जाने वाले लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए। यक़ीन करें कि जिस लफ्ज़ का इस्ते'माल किया गया है वह बुरे काम तो नहीं।
- कुछ ज़बानों में ईमानदारों की जमा’अत का हवाला देते वक़्त “मसीह का रूहानी जिस्म ” कहना ज़्यादा मुमकिन और अच्छा होगा।
- जब 'ईसा कहता है, “यह मेरा जिस्म” है तो इसका सही तर्जुमा तफ़सील करने के लिए हासिए का इस्ते’माल करके किया जा सकता है |
- कुछ ज़बानों में मुर्दा जिस्म के लिए एक अलग लफ्ज़ इस्ते'माल में लिया जाता है जैसे इंसान के लिए “लाश” और जानवर के लिए “मुर्दा जानवर।” इसके तर्जुमे में ऐसे लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें जिसका पूरा मतलब हो और क़ाबिले क़ुबूल भी हो।
(यह भी देखें: सिर, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़10:11-12
- 1 कुरिन्थियों 05:3-5
- इफिसियों 04:4-6
- क़ुज़ात 14:7-9
- गिनती 06:6-8
- ज़बूर 031:8-9
- रोमियो 12:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H990, H1320, H1460, H1465, H1472, H1480, H1655, H3409, H4191, H5038, H5085, H5315, H6106, H6297, H7607, G4430, G4954, G4983, G5559
जूआ, जूए, जूए में
ता’अर्रुफ़:
जूआ लकड़ी या लोहे का होता है जिसमें दो या ज़्यादा जानवर जोते जाते हैं कि हल चलाएं या गाड़ी खीचें। इसके कई 'अलामती मतलब हैं।
- लफ़्ज़ "जूआ" का इस्ते'माल अलामती शक्ल से किया जाता है, जो कि एक साथ काम करने के मक़सद से लोगों को शामिल करना, जैसे कि 'ईसा की ख़िदमत करने के लिए।
- पौलुस ने किसी ऐसे शख़्स को बयान करने के लिए "जुआ " लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया जो मसीह की ख़िदमत कर रहा था। इसका तर्जुमा “साथी काम करने वाला” या “साथी ख़ादिम” या “जोड़ना” भी हो सकता है।
- लफ़्ज़ "जूआ" का इस्ते'माल अक्सर एक भारी बोझ का बयान करने के लिए किया जाता है, जिसे किसी को ले जाना पड़ता है, जैसे ग़ुलामी या परेशानी के ज़रिए' दमन करते वक़्त।
- जुमले के तौर पर इसका तर्जुमा ज्यों का त्यों ही हो और 'अलामती ज़बान में खेती के लिए जो जूआ काम में आता है वही लफ़्ज़ काम में लिया जाए।
इस लफ़्ज़ के 'अलामती इस्ते'मालों का तर्जुमा हो सकता है, जुमले का तौर पर “ज़ूल्म का बोझ” या “भारी बोझ” या “बंधन”।
(यह भी देखें: बांधना, बोझ, ज़ुल्म करना, सताएँ, ख़िदमत करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 15:10-11
- गलातियों 05:1-2
- पैदाइश 27:39-40
- यसा'याह 09:4-5
- यरमियाह 27:1-4
- मत्ती 11:28-30
- फ़िलिप्पियों 04:1-3
शब्दकोश:
- Strong's: H3627, H4132, H4133, H5674, H5923, H6776, G2086, G2201, G2218, G4805
टाट
ता'अर्रुफ़:
टाट बकरी के या ऊँट के बालों से बना एक चुभनेवाला सख्त लिबास होता था।
- जो लोग इससे बने हुए कपड़े पहनते थे उनको आराम नहीं होता था । * टाट मातम, ग़म या ‘आजिज़ी तौबा दिखाने के लिए पहना गया था ।
- "टाट और राख" एक तरह के जुमले थे जो नौहा और तौबा के लिए एक तरह के जुमलें है ।
तर्जुमा की सलाह:
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा इस तरह से भी किया जा सकता है जैसे "जानवरों के बालों से बना मोटा लिबास" या "बकरी के बालों से बना लिबास" या "मोटा चुभने वाला लिबास ।"
- इस तरह से भी इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है "सख्त,खुरखुरा ग़म के कपड़ों।"
- "टाट ओढ़कर राख में बैठना" का तर्जुमा ऐसे भी हो सकता है जैसे "चुभने वाला लिबास पहनकर राख में बैठने के ज़रिए' मुसीबत और हलीमी ज़ाहिर करना।"
(यह भी देखें: राख, ऊँट, बकरा, हलीम, मातम करना, तौबा करके, निशान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 शमूएल 03:31-32
- पैदाइश 37:34-36
- योएल 01:8-10
- योनाह 03:4-5
- लूक़ा 10:13-15
- मत्ती 11:20-22
शब्दकोश:
टोकरियाँ, टोकरियाँ ,टोकरीभर
ता'अर्रुफ़:
“टोकरी” सरकंड़ों से बना एक बर्तन होता है।
- किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में टोकरियां 'आम तौर पर पौधों के मज़बूत हिस्सों से बनती थी जैसे पेड़ की शाख़ाओं के छिलके या सरकंडे।
- टोकरी में पानी रोकना राल लगाने से वह पानी पर तैरती थी।
- जब मूसा एक बच्चा था तब उसकी माँ ने एक राल वाली टोकरी बनाकर उसमें मूसा को रखा और नील नदी के बीच में रख दिया वह नील नदी में तैरने लगी।
- इस कहानी में जिस लफ्ज़ का तर्जुमा “टोकरी” किया गया है उसी लफ्ज़ का तर्जुमा “नाव” भी किया गया है जिसको नूह ने बनाया था। इन दोनों मज़मून में इन लफ़्ज़ों का सही तर्जुमा “तैरने वाला बर्तन ” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: जहाज़, मूसा, नील नदी, नूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 11:32-33
- रसूलों के 'आमाल . 09:23-25
- आमोस 08:1-3
- यूहन्ना 06:13-15
- क़ुज़ात 06:19-20
- मत्ती 14:19-21
शब्दकोश:
- Strong's: H374, H1731, H1736, H2935, H3619, H5536, H7991, G2894, G3426, G4553, G4711
ठोकर, ठोकर की वजह , ठोकर की वजह होना , ठोकर का पत्थर
ता'अर्रुफ़:
“ठोकर की वजह ” या “ठोकर का पत्थर” कोई चीज़ जिससे किसी का पैर टकराए और वह गिर जाए।
- अलामती शक्ल में “ठोकर की वजह ” “वह कोई भी बात है जिसकी वजह से इन्सान की इख़लाक़ी या रूहानियत में रुकावट जाए।
- ‘अलामती शक्ल में “ठोकर की वजह ” या “ठोकर का पत्थर” ऐसी कोई भी बात है जो इन्सान को 'ईसा में ईमान करने से रोकती है या इन्सान को रूहानियत में तरक्की नहीं करने देती है।
- गुनाह हमेशा किसी के लिए या दूसरे के लिए ठोकर की वजह है।
- कभी-कभी ख़ुदा उससे बग़ावत करने वाले के रास्ते में ठोकर की वजह पैदा कर देता है।
तर्जुमा की सलाह:
- अगर एक ज़बान में फंदे को खुला रखनेवाली चीज़ का कोई लफ़्ज़ है तो वह लफ़्ज़ तर्जुमा में लिया जा सकता है।
- इसका तर्जुमा हो सकता है, “ठोकर लगने का पत्थर” या “शक पैदा करनेवाली रुकावट” या “ईमान में रुकावट” या “किसी से गुनाह कराने वाली बात”।
(यह भी देखें: ठोकर, गुनाह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 01:22-23
- गलातियों 05:11-12
- मत्ती. 05:29-30
- मत्ती. 16:21-23
- रोमियो 09:32-33
शब्दकोश:
- Strong's: H4383, G3037, G4349, G4625
ठोकर, ठोकर खाए, ठोकर खाया, ठोकर खाता
सच्चाई:
"ठोकर" खाना मतलब चलते या दौड़ते वक़्त पैर टकराने की वजह तक़रीबन गिर जाना। इसमें किसी चीज़ से पैर के लगन की वजह से गिरना होता है।
- ‘अलामती शक्ल में "उसके लिए ठोकर खाना" का मतलब उसके लिए गुनाह " या "के लिए "धोकेबाज़" हो सकता है ।
- यह लफ़्ज़ भी एक लड़ाई के लड़ते वक़्त की कमज़ोरी दिखा रहा है या उन्हें परेशान या सज़ावार किया जा रहा है को ज़ाहिर करता है ।
तर्जुमा की सलाह:
- उन बारों में जहाँ "ठोकर" लफ़्ज़ का मतलब जिस्मानी शक्ल से किसी चीज़ के सफ़र पर होता है, इसका तर्जुमा एक लफ़्ज़ के साथ किया जाना चाहिए जिसका मतलब है "तक़रीबन गिरना" या "सफ़र करना।"
- इस बारे में यह सही मा'ने रखता है कि अगर इस बारे में सही मतलब का बयां किया जाता है, तो यह लफ़्ज़ी मतलब भी एक 'अलामत के बारे में इस्ते'माल किया जा सकता है।
- जुमलों के इस्ते'माल के लिए जहाँ 'अलामती ज़बान में लफ़्ज़ी मतलब नहीं होगा, जैसे बयान के मुताबिक़ "ठोकर" का तर्जुमा किया जा सकता है, "गुनाह" या "लड़खड़ाना" या "ईमान में रुकावट" या "कमजोर होना"।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने का एक दूसरा तरीक़ा हो सकता है, "गुनाह करने से ठोकर" या "ईमान न करने से ठोकर"।
- जुमला "ठोकर करने के लिए बनाया" का तर्जुमा "कमजोर होने की वजह " या "लड़खड़ाना " के वजह किया जा सकता है।
(यह भी देखें: यक़ीन, सताएँ, गुनाह, ठोकर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 02:7-8
- होशे 04:4-5
- यसा'याह 31:3
- मत्ती 11:4-6
- मत्ती 18:7-8
शब्दकोश:
- Strong's: H1762, H3782, H4383, H4384, H5062, H5063, H5307, H6328, H6761, H8058, G679, G4348, G4350, G4417, G4624, G4625
डर, डरता, डरा हुआ
ता’अर्रुफ़ :
लफ़्ज़ “डर” और “डरना” किसी शख़्स से नाख़ुशगवार अहसासात के बारे में बताते हैं जब अपने आप को या दूसरों को नुक़सान पहुँचे|
- “डर” लफ़्ज़ इख़्तियार वाले इन्सान के लिए गहरी ‘इज़्ज़त और ख़ौफ़ के बारे में बताता है,
- “यहोवा का डर” लफ़्ज़ “ख़ुदा का डर” या “ख़ुदावन्द का डर” से मुता’अल्लिक़ अलफ़ाज़ ख़ुदा का गहरा एहतराम और उसकी फरमाबरदारी के ज़रिए’ ख़ुदा की ‘इज़्ज़त ज़ाहिर करना| इस डर ने ख़ुदा की पाकी और गुनाहों से नफ़रत जानकार तरग़ीब पाई|
- किताब-ए-मुक़द्दस ता’लीम देता है कि जो यहोवा का डर रखता है वह दानिशमन्द हो जाता है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “डरना” का तर्जुमा हो सकता है, “डर होना” या “गहरी ‘इज़्ज़त करना” या “अहतराम करना” या “ख़ौफ़ में होना”
- लफ़्ज़ “डरा हुआ” का तर्जुमा “डरा हुआ” या “डरा हुआ” या “डरा” भी हो सकता है।
- जुमला “सब पर ख़ुदावन्द का डर छा गया” इस जुमले का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “अचानक ही सबने ख़ुदा का गहरा ख़ौफ़ और ख़ुदा के लिेए ‘इज़्ज़त महसूस की” या “फ़ौरन, वह सब बहुत ता’अज्जुब और ख़ुदा के लिए गहरा अहतराम महसूस किया|
- अलफ़ाज़ “मत डरो” का तर्जुमा “खौफ़नाक न हो” या “डरने से रुक जाओ” हो सकता है।
- ग़ौर करें अलफ़ाज़ “यहोवा का डर” नये ‘अहद नामें में वाक़े’ नहीं हुआ है। अलफ़ाज़ “ख़ुदावन्द का डर” या “ख़ुदावन्द ख़ुदा का डर” आए हैं।
(यह भी देखें : मो’जिज़ा, ख़ौफ़, ख़ुदावन्द, क़ुव्वत, यहोवा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
- 1 युहन्ना 04:17-18
- रसूलों के ‘आमाल 02:43-45
- रसूलों के ‘आमाल 19:15-17
- पैदाइश 50:18-21
- यसा’याह 11:3-5
- अय्यूब 06:14-17
- युनाह 01:8-10
- लूक़ा 12:4-5
- मत्ती 10:28-31
- अम्साल 10:24-25
शब्दकोश:
- Strong's: H367, H926, H1204, H1481, H1672, H1674, H1763, H2119, H2296, H2727, H2729, H2730, H2731, H2844, H2849, H2865, H3016, H3025, H3068, H3372, H3373, H3374, H4032, H4034, H4035, H4116, H4172, H6206, H6342, H6343, H6345, H6427, H7264, H7267, H7297, H7374, H7461, H7493, H8175, G870, G1167, G1168, G1169, G1630, G1719, G2124, G2125, G2962, G5398, G5399, G5400, G5401
तमर
सच्चाई:
तमर पुराने ‘अहद नामे में बहुत सी ‘औरतों का नाम हुआ है | यह पुराने ‘अहद नामे में कई शहरों या जगहों का भी नाम था।
- तमर यहूदा की बहू का नाम था। उससे पेरेज पैदा हुआ जो ‘ईसा का बुज़ुर्ग था।
- बादशाह दाऊद की बेटियों में से एक का नाम भी तमर था, वह अबशालोम की बहन थी। उसके आधे भाई अम्नोन ने उसके साथ ज़िना करके उसे उजाड़ दिया था।
- अबशालोम की बेटी का नाम भी तमर
- 'हज़जोन तमर नाम के शहर नमक के समन्दर के पच्छिमी किनारे पर एनगदी शहर के जैसा था। एक "बा’ल तमर " भी है, और एक जैसे बयान "तमर " नाम की जगह जो शहरों से अलग हो सकते हैं।
(यह भी देखें: अबीसलोम, बुज़ुर्ग, अम्नोन, दाऊद, बुज़ुर्ग, यहूदा, खारा तालाब)
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 02:3-4
- 2 समूएल 13:1-2
- 2 समूएल 14:25-27
- पैदाइश 38:6-7
- पैदाइश 38:24-26
- मत्ती 01:1-3
शब्दकोश:
- Strong's: H1193, H2688, H8412, H8559
तरस, रहम दिल
ता’अर्रुफ़:
“तरस” लफ़्ज़ का हवाला इन्सानों के लिए फ़िक्र के जज़्बे से है। ख़ास करके दर्द मन्द लोगों के लिए “तरस खाने वाला” इन्सानों की फ़िक्र करके उनकी मदद करता है।
- “तरस” लफ़्ज़ का मतलब है इन्सानों की ख़बर लेना और उनकी मदद का कदम उठाना।
- किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा को तरस खानेवाला कहा गया है, या’नी वह मुहब्बत करने व रहमदिल है।
- कुलुस्से की कलीसिया को लिखे ख़त में पौलुस उनसे कहता है, “बडा तरस... किया करो” वह उन्हें हुक्म देता है कि वे आदमियों की ख़बर लें और जो ज़रूरतमन्द है, उनकी मदद करें।
तर्जुमे की सलाह:
“तरस” के मा’नी हैं “रहम का जज़्बा” यह एक अलग ज़बान है जिसका मा’नी है “तरस” या “रहम”। और ज़बानों में इसका कलाम अलग ज़बान होगी |
- “तरस” (रहम) के तर्जुमे की और शक्लें हैं, “दिल की गहराई से ख़बर लेना” या “मदद रहम”
- “तरस खाने वाला” (रहमदिल) का तर्जुमा “ख़बर लेने वाला और मदद करने वाला” या “गहरी मुहब्बत व रहम करने वाला”
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- दानीएल 01:8-10
- होसे’अ 13:14
- याक़ूब 05:9-11
- यूनाह 04:1-3
- मरकुस 01:40-42
- रोमियो 09:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H2550, H7349, H7355, H7356, G1653, G3356, G3627, G4697, G4834, G4835
तरह, क़िस्में, हलीम, हलीमी
ता’अर्रुफ़:
“हलीम” और “क़िस्म” लफ़्ज़ उन चीज़ों की मजमू’आ या दर्जाबन्दी के बारे में बताते हैं जो ख़ुसूसियात से मुंसलिक होते हैं”| हैं।
- किताब-ए-मुक़द्दस में, इस लफ़्ज़ का ख़ास तौर पर ख़ास क़िस्म के पेड़ और जानवरों के बारे में बताता है जिन्हें ख़ुदा ने बनाया जब उसने दुनिया की तख़लीक की|
- अक्सर “क़िस्म” में भी मुख़्तलिफ़ क़िस्में होती हैं| मिसाल के तौर पर, घोड़े, ज़ेबरा, और गधे वग़ैरह सब एक ही “क़िस्म” के लेकिन उनकी नसलें मुख़तलिफ़ हैं|
- एक ख़ास बात जिसमें “क़िस्म” को अलग अलग जमा’अत के तौर पर अलग करती है कि उस जमा’अत के अफ़राद उन की “नस्ल” में से ज़्यादातर दुबारा पेश कर सकते हैं| मुख़्तलिफ़ क़िस्म के लोग एक दूसरे के साथ ऐसा नहीं कर सकते
तर्जुमें की सलाह
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमा करने के तरीक़े में “तरह” या “दर्जा” या “क़ौम” या “जानवर(पौंधा) के नसल” या “क़िस्म”
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 01:20-21
- पैदाइश 01:24-25
- मरकुस 09:28-29
- मत्ती 13:47-48
शब्दकोश:
- Strong's: H2178, H3978, H4327, G1085, G5449
तलवार, तलवारें, तलवार रखनेवाले
ता'अर्रुफ़:
एक तलवार सपाट ब्लेड, धातु का एक हथियार होता है जो काटने या छेदने के लिए इस्ते'माल किया जाता है। इसमें एक बहुत तेज काटने वाले किनारे के साथ एक लम्बा धार ब्लेड और एक कुंदा होता है ।
पुराने ज़माने में तलवार के ब्लेड की लंबाई तक़रीबन 60 से 91 सेंटीमीटर थी।
कुछ तलवारों में दोनों तरफ़ धार लगी होती है जिन्हें दोधारी तलवार कहते हैं।
- ‘ईसा के शागिर्द भी ख़ुद की हिफ़ाज़त के लिए तलवारें रखते थे । पतरस अपनी तलवार चलाकर सरदार काहिन के ख़ादिम का कान काट दिया था
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला और या'क़ूब रसूल दोनों का सिर तलवार से काटा गया था।
तर्जुमा की सलाह:
एक तलवार ख़ुदा के लफ़्ज़ के लिए एक इस्ति'यार की शक्ल में इस्ते'माल किया जाता है । कलाम में ख़ुदा की ता'लीमों ने लोगों के अंदरूनी ख़्यालों को रोशन किया और उन्हें अपने गुनाहों के मुजरिम ठहराया। इसी तरह एक तलवार गहराई से काटती है, दर्द पैदा करती है। (देखें: इस्ति'यार
- इस 'अलामती इस्ते'माल का तर्जुमा करने का एक तरीक़ा हो सकता है, “ख़ुदा का कलाम तलवार जैसा है जो गहरा वार करके गुनाह को ज़ाहिर करता है”।
- इस आयत का एक दूसरा 'अलामती इस्ते'माल ज़बूर में हुआ है, जहां किसी शख्स की ज़बान या 'एलान की बराबरी तलवार से होती है, जो लोगों को घायल कर सकती है। इसका तर्जुमा किया जा सकता है "जीभ एक तलवार की तरह है जो किसी को बुरी तरह से घायल कर सकती है।"
- अगर आपके माहोल में तलवारें नहीं जानी जाती हैं, तो इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक लंबे मोहरे हथियार के नाम से किया जा सकता है जिसका इस्ते'माल काटने या छेदने के लिए किया जाता है।
तलवार का तर्जुमा “धारवाला हथियार” या “लम्बी छुरी” भी किया जा सकता है। कुछ तर्जुमों में तलवार की तस्वीर देना भी मुनासिब हो सकता है।
(यह भी देखें: या'क़ूब (‘ईसा का भाई), युहन्ना (बपतिस्मा देनेबाला), यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), ज़बान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुदा का कलाम
- पैदाइश 27:39-40
- पैदाइश 34:24-26
- लूक़ा 02:33-35
- लूक़ा 21:23-24
- मत्ती 10:34-36
- मत्ती. 26:55-56
- मुक़ाश्फ़ा 01:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H19, H1300, H2719, H4380, H6609, H7524, H7973, G3162, G4501
तसल्ली, तसल्ली, तसल्ली दी, तसल्ली देने वाला, तसल्ली देनेवाला, तसल्ली देनेवाले, तसल्ली नहीं मिली
ता’रीफ़:
“तसल्ली” और “तसल्ली देनेवाला” का बयान उस इन्सान से है जो जिस्मानी या जज़्बाती दर्द में मुब्तिला की मदद का बयान करने के लिए काम में लिया गया है।
- तसल्ली देने वाले को तसल्ली देने वाला कहते हैं
- पुराने ‘अहद नामे में “तसल्ली देना” ख़ुदा की क़ौम के लिए उसकी महरबानी और उसके प्यार और दुखों में उनकी मदद का बयान करने के लिए काम में लिया गया है।
- नये ‘अहद नामे में कहा गया है कि ख़ुदा अपनी पाक रूह के ज़रिये अपने लोगों को तसल्ली ‘अता करेगा। जिन्हें तसल्ली मिलती है वे बदले में दुःख उठानेवालों को तसल्ली देंगे।
- “इस्राईल का तसल्ली देने वाला ” मसीह के बारे में है जो अपने लोगों को नजात देगा।
- ’ईसा ने पाक रूह को मददगार कहा जो ‘ईसा पर ईमान रखने वालों की मदद करेगा |
तर्जुमे की सलाह:
मज़मून के मुताबिक़ “तसल्ली देना “ का तर्जुमा हो सकता है “दुखों को हटाने वाला “या “(किसी को)दुःख से उबरने में मदद “ या “हौसला देते हैं” या तसल्ली “
- ”हमारी तसल्ली “इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है ,”हमारा हौसला’या हमारी (किसी के)हमदर्दी “या “दुखी होने के वक़्त हमारी मदद”|
- लफ़्ज़"तसल्ली देनेवाला" का तर्जुमा"कोई इन्सान तसल्ली देता है" या "कोई इन्सान जो दर्द को कम करने में मदद करता है" या "कोई इन्सान जो हौसला देता है"।
- जब पाक रूह को "तसल्ली देनेवाला" कहा गया तो इसका तर्जुमा "तसल्ली देना वाला " या "मददगार " या "जो मदद और रास्ता दिखाता है।"
- जुमला "इस्राईल की तसल्ली" का तर्जुमा "मसीहा जो इस्राईल को तसल्ली ‘अता करता है" की शक्ल में किया जा सकता है।
- एक दिल पसन्दकलाम की तरह, "उनके पास कोई तसल्ली देनेवाला नहीं" का भी तर्जुमा किया जा सकता है, "कोई भी उन्हें तसल्ली नहीं देता" या "उन्हें हौसला देने या उनकी मदद करने के लिए कोई नहीं है।"
(यह भी देखें: हिम्मत, पाक रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:8-11
- 2 कुरिन्थियों 01:3-4
- 2 समूएल 10:1-3
- रसूलों के आमाल 20:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H2505, H5150, H5162, H5165, H5564, H8575, G302, G2174, G3870, G3874, G3875, G3888, G3890, G3931
ताज , ताज, ताज पहनाना, ताज रखा
ता’अर्रुफ़:
ताज बादशाह रानी के सिर पर पहना जानेवाला ज़ेवर हैं। “ताज पहनाना” का मतलब किसी के सिर पर ताज रखना ; जिसका ‘अलामती मतलब है “इज़्ज़त करना।”
- ताज सोने या चांदी के बने होते थे और उनमे क़ीमती पत्थर मरकत और माणिक जड़े होते थे।
- ताज बादशाह की ताक़त और माल -दौलत का निशान था।
- इसके बरख़िलाफ़ सिपाहियों ने ‘ईसा के सिर पर कांटों का ताज रखा था तो वह उसका मज़ाक़ उड़ाने और उसे दुःख देने के लिए था।
- पुराने ज़माने में जीतने वाले खिलाड़ियों को जैतून के पेड़ की टहनियों का ताज पहनाया जाता था। पौलुस रसूल तीमुथियुस को लिखे दूसरे ख़त में इस ताज की गुफ़्तुगू करता है।
- तम्सीली शक्ल में “ताज पहनाने” का मतलब है इज़्ज़त करना। हम ख़ुदा का हुक्म मानकर और ग़ैरों में उसकी ता’रीफ़ बयान करके उसकी इज़्ज़त करते हैं। यह ऐसा है जैसे उसके सिर पर ताज रखना और उसे बादशाह क़ुबूल करना।
- पौलुस ईमानदारों को अपनी “ख़ुशी और ताज ” कहता है। इस कलाम में “ताज ” का मतलब ‘अलामती है जिसका मतलब है कि पौलुस बहुत बरकत से मा’मूर और क़ाबिल-ए-इज़्ज़त है क्योंकि ईमानदार ख़ुदा की ख़िदमत में यकीन के लायक़ रहे हैं।
- तम्सीली शक्ल में इस्ते’माल करने पर ताज का तर्जुमा “इना’म ” या “इज़्ज़त ” या “बदला ” किया जा सकता है।
- “ताज पहनाने” को जब तम्सीली शक्ल में काम में लिया जाए तो इसका तर्जुमा “इज़्ज़त देना” या “आरास्ता करना” हो सकता है।
- किसी को ताज पहनाने का तर्जुमा हो सकता है, “उसके सिर पर ताज रखा गया”।
- “जलाल और इज़्ज़त का ताज ” का तर्जुमा “उसे ता’ज और इज़्ज़त दिया गया” या “उसे जलाली या क़ाबिल-ए-इज़्ज़त किया गया” या “वह जलाल और इज़्ज़त के साथ मा’मूर था”।
(यह भी देखें: जलाल, बादशाह, ज़ैतून)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यूहन्ना 19:1-3
- नोहा 05:15-16
- मत्ती 27:27-29
- फिलिप्पियों 04:1-3
- जुबूर 021:3-4
- मुकाशिफ़ा 03:9-11
शब्दकोश:
- Strong's: H2213, H3803, H3804, H4502, H5145, H5849, H5850, H6936, G1238, G4735, G4737
तारीकी
ता’अर्रुफ़
तारीकी का लफ़्ज़ी मतलब है रोशनी की ग़ैरमौजूदगी| इस लफ़्ज़ के ’अलामती मतलब भी हैं:
- इस्ता’रा की शक्ल में “तारीकी” का मतलब “नापाकी”, या “बुराई”, या “रूहानी अँधापन” है |
- यह गुनाह और इख़लाक़ी फ़सादात के हवाले से है|
- “तारीकी का बादशाह” इस जुमले का मतलब है सब कुछ जो बुरा है और शैतान के ताबे’ है|
- तारीकी मौत की शक्ल भी है| (देखें: इस्ता’रा
- जिन इंसानों को ख़ुदा का ‘इल्म नहीं उन्हें उनके लिए कहा जाता है कि वे “तारीकी में रह रहे हैं” या’नी रास्तबाज़ी को समझते नहीं और न ही उसका सुलूक करते हैं|
- ख़ुदा नूर(रास्तबाज़ी) है और तारीकी (बुराई)उस पर नहीं छा सकती है|
- ख़ुदा को छोड़ने वालों को सज़ा की जगह को कभी-कभी “बाहरी तारीकी” कहा जाता है|
तर्जुमे की सलाह
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जैसा का तैसा करना ठीक है, मक़सदी ज़बान में इसका मुतरज्जिम लफ़्ज़ जिसका ता’अल्लुक रोशनी की ग़ैरमौजूदगी से है | यह किसी कमरे की तारीकी का भी लफ़्ज़ हो सकता है जहाँ रोशनी नहीं या वक़्त का वह पहर जब रोशनी नहीं होती|
- ‘अलामती इस्ते’माल में भी रोशनी के मुख्तलिफ़ लफ़्ज़ का मतलब ज़ाहिर होना है, भलाई और सच्चाई के मुख़ालिफ़ बुराई और धोके का ज़िक्र करना|
- मज़मून पर मुनहस्सिर इसका तर्जुमा हो सकता है, “रात की तारीकी” (जैसा कि “दिन की रोशनी” की मुख़ालिफ़त की गयी थी) या “कुछ भी नहीं देखना, रात की तरह” या “बुराई, तारीक जगह जैसा|
(यह भी देखें: बिगड़कर, इख़्तियार, बादशाही, रोशनी, छुड़ा ले, रास्तबाज़
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 युहन्ना 01:5-7
- 1 युहन्ना 02:7-8
- 1 थिस्लुनीकियो 05:4-7
- 2 समूएल 22:10-12
- कुलस्सियो 01:13-14
- यसा’याह 05:29-30
- यरमियाह 13:15-17
- यशू’अ 24:7
- मत्ती 08:11-13
शब्दकोश:
- Strong's: H652, H653, H2816, H2821, H2822, H2825, H3990, H3991, H4285, H5890, H6205, G2217, G4652, G4653, G4655, G4656
ताक़त, ताक़तवर, बहुत ताक़तवर, ताक़त से
ता’अर्रुफ़:
“क़ादिर-ए-मुतलक़” और “ताक़त” के बारे में बड़ी क़ूव्वत या ताक़त से है।
- “ताक़तवर” हमेशा “मज़बूती” के लिए दूसरा लफ़्ज़ है। ख़ुदावन्द के बारे में बात करते वक़्त इस लफ़्ज़ का मतलब “क़ूव्वत” हो सकता है।
- “ताक़तवर आदमी” के बारे में हिम्मत और जंग में माहिर आदमियों के लिए किया गया है। दाऊद के ईमानदार साथी जो उसकी हिफ़ाज़त और देखरेख करते थे उन्हें कई बार “ताक़तवर आदमी” कहा गया है।
- ख़ुदावन्द को भी “क़ादिर-ए-मुतलक़” कहा गया है।
- “ क़ुदरत वाले काम” हमेशा ख़ुदावन्द के मो’जिज़ों, ख़ास करके अजीब कामों को कहा गया है
- यह लफ़्ज़ “क़ादिर-ए-मुतलक़” ख़ुदा के नारे में है जो ख़ुदावन्द के लिएआम बयान है जिसका मतलब है कि उसके पास पूरी क़ूव्वत है।
तर्जुमा के लिए सलाह:
- बयान के मुताबिक़ “ताक़तवर” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ताक़तवर” या “” या हैरत अंगेज़“बहुत मज़बूत ”
- “उसकी ताक़त” का तर्जुमा हो सकता है, “उसकी क़ूव्वत” या “उसकी ताक़त”।
- रसूलों के 'आमाल 7 में मूसा को “कलाम और अमल दोनों में ताक़तवर” कहा गया है। इसका तर्जुमा हो सकता है, “मूसा ख़ुदावन्द के ताक़तवर कलाम बोलता था और अजीब काम करता था।” या “मूसा ख़ुदावन्द के कलाम की ताक़त के साथ कलाम करता था और अजीब के काम करता था।”
- बयान के मुताबिक़ , “ताक़तवर काम” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदावन्द के ज़रिए' काम ” या "मो'जिज़ा" या “ख़ुदावन्द ताक़त के साथ काम करता है।”
- “ताक़त” का तर्जुमा “क़ूव्वत” या “बहुत मज़बूत ” हो सकता है।
- इस लफ़्ज़ का अंग्रेजी में इमकान केलिए इस्ते'माल किया जाता है जैसे बारिश हो सकती है।
(यह भी देखें:[क़ादिर-ए-मुतलक़, बड़ी क़ुदरत, मो'जिज़ा, क़ुव्वत
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ताक़त
- पैदाइश 06:4
- मरकुस 09:38-39
- मत्ती 11:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H46, H47, H117, H193, H202, H352, H386, H410, H430, H533, H650, H1219, H1368, H1369, H1370, H1396, H1397, H1401, H1419, H2220, H2389, H2394, H2428, H3201, H3524, H3581, H3966, H4101, H5794, H5797, H5807, H5868, H6099, H6105, H6108, H6184, H6697, H6743, H7227, H7580, H7989, H8623, H8624, H8632, G972, G1411, G1413, G1414, G1415, G1498, G1752, G1754, G2159, G2478, G2479, G2900, G2904, G3168, G3173, G5082
ताक़त, ताक़तवर करना, मज़बूत किया, मज़बूत, मज़बूत करना
सच्चाई:
“ताक़त” या'नी जिस्मानी, जज़्बाती या रूहानी ताक़त। “ मज़बूत करना” (क़ायम होना, मज़बूत होना) या'नी किसी को ज़्यादा ताक़तवर बनाना।
- “ताक़त” का मतलब यह भी है कि किसी तरह की मुख़ालिफ़ ताक़त का सामना करना।
- आज़माइश में नहीं गिरनेवाले में “मर्ज़ी की ताक़त ” होती है।
- ज़बूर का मुंसिफ़ यहोवा को अपनी “ताक़त” कहता है या'नी ख़ुदा उसे ताक़तवर होने में मदद करता है।
- दीवार या हैकल जैसी 'इमारत को मज़बूत किया जाए तो इसका मतलब है कि उसको दोबारा तैयार किया जा रहा है उसमें पत्थर और ईंटों को जोड़कर उसे ज़्यादा मज़बूत किया जा रहा है कि वह हमले का सामना कर पाए।
तर्जुमा की सलाह:
- “ मज़बूत करना” का 'आम तर्जुमा हो सकता है, “ मज़बूत करना” या “ज़्यादा ताक़तवर बनाना”।
- रूहानी मतलब में “अपने भाइयों को मज़बूत कर” का तर्जुमा होगा, “अपने भाइयों की हौसला अफ़ज़ाई कर” या “अपने भाइयों को सब्र करने में मदद हासिल कर”।
-
लिखी हुई मिसालें इन लफ़्ज़ों का मतलब दिखाते हैं, और इसलिए उनका तर्जुमा कैसे किया जा सकता, जब उन्हें लंबे वक़्त तक तजुर्बे में शामिल किया जाता है।
-
“पटके की ताक़त ” या'नी “पूरी ताक़त देना जैसे पटका कमर को घेरे रहता है”।
- “सुकून और ईमान तेरी ताक़त होगी” या'नी “पुर सुकून भरोसा और ख़ुदा में ईमान तुझे रूहानी ताक़त हासिल करेगा”।
- "अपनी ताक़त का तजुर्बा करेगा" का मतलब "फिर से मजबूत हो जाएंगे”।
- "मेरी ताक़त और मेरी 'अक़्ल से मैंने काम किया" इसका मतलब है "मैंने यह सब किया है क्यूँकि मैं बहुत ताक़तवर और 'अक़्लमन्द हूं।"
- "दीवार को मजबूत करें" का मतलब है "दीवार को मज़बूत करना" या "दीवार को फिर से बनाना"।
- “मैं तुझे मज़बूत करूंगा” या'नी “मैं तुझे ताक़तवर बनाऊंगा”।
- “नजात और ताक़त यहोवा से है, या'नी “सिर्फ़ यहोवा हमारी नजात करता है और हमें ताक़त देता है”।
- “ ताक़त की चट्टान” या'नी “वह ईमान के लायक़ है जो तुझे ताक़त देता है”
- “उसकी दहिने हाथ की नजात की ताक़त से” या'नी “वह तुझे मुसीबतों से ताक़त के ज़ोर उबारता है जैसे कोई तुझे ताक़तवर हाथ से पकड़े रहे”।
- “छोटी ताक़त” या'नी “कमज़ोर” या “ज़यादा मज़बूत नहीं”।
- “अपनी पूरी ताक़त से” या'नी “अपने पूरी कोशिश से” या “मज़बूती से मुकम्मल तौर से ”
(यह भी देखें: ईमानदार, सब्र करना, दाहिना हाथ, बचाना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 18:19-21
- 2 पतरस 02:10-11
- लूक़ा 10:25-28
- ज़बूर 021:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H193, H202, H353, H360, H386, H410, H553, H556, H905, H1082, H1369, H1396, H1679, H2220, H2388, H2391, H2392, H2393, H2428, H2633, H3027, H3028, H3559, H3581, H3811, H3955, H4206, H4581, H5326, H5331, H5332, H5582, H5797, H5807, H5810, H5934, H5975, H6106, H6109, H6697, H6965, H7292, H7293, H7296, H7307, H8003, H8443, H8510, H8632, H8633, G461, G772, G950, G1411, G1412, G1743, G1765, G1840, G1849, G1991, G2479, G2480, G2901, G2904, G3619, G3756, G4599, G4732, G4733, G4741
तेल
ता’अर्रुफ़:
तेल एक मोटा, पानी जैसी चीज़ है जो पेड़ों से निकाला जाता है। किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में ज़ैतून का तेल ज़्यादातर काम में लिया जाता था।
- ज़ैतून का तेल पकाने, मसह करने, क़ुर्बानी चढ़ाने, चराग़ जलाने और दवाइयाँ के बनाने में काम में लिया जाता था।
- पुराने ज़माने में ज़ैतून का तेल बेशक़ीमत था और तेल का जमा’ करना दौलत का पैमाना माना जाता था।
- यक़ीनी बनाएँ कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा पकाने के तेल का मतलब ज़ाहिर करे न कि, गाड़ियों में डालने वाले तेल का। कुछ ज़बानों में इन अलग-अलग तेलों के लिए अलग अलग लफ़्ज़ है।
(यह भी देखें: ज़ैतून, क़ुर्बानी करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 शमूएल 01:21-22
- ख़ुरूज 29:1-2
- अहबार 05:11
- अहबार 08:1-3
- मरकुस 06:12-13
- मत्ती 25:7-9
शब्दकोश:
- Strong's: H1880, H2091, H3323, H4887, H6671, H7246, H8081, G1637, G3464
तोमा
सच्चाई:
तोमा ‘ईसा के बारह शागिर्दों में से एक था जो आगे चलकर वे रसूल कहलाए। उसे “दिदुमुस” भी कहा गया था,जिसका मतलब है "जुड़वा।"
- ‘ईसा की मौत से पहले, उसने अपने शागिर्दों से कहा कि वह बाप के साथ रहने जा रहा था और उनके साथ रहने के लिए एक जगह तैयार करेगा। तोमा ने ‘ईसा से पूछा कि वे कैसे वहां पहुंचने का तरीका जान सकते हैं जब उन्हें पता भी नहीं कि वह कहाँ जा रहा है।
- ‘ईसा के मौत और जी उठने के बा’द, तोमा ने कहा जब तक वह ‘ईसा के ज़ख़्मों को छूकर न देखें तब तक यक़ीन नहीं करेगा की ‘ईसा हकीक़त में जी उठा है।
(यह भी देखें: रसूल, शागिर्द, ख़ुदावन्द बाप, बारहों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 01:12-14
- यूहन्ना 11:15-16
- लूका 06:14-16
- मरकुस 03:17-19
- मत्ती 10:2-4
शब्दकोश:
दसवां, दसवें, दसवां हिस्सा, दसवें हिस्से
ता’अर्रुफ़:
“दसवां” या “दसवां हिस्सा ” का मतलब है, पैसा, फ़सल, जानवरों या और जायदाद का दस फ़ीसद हिस्सा ख़ुदा को देते थे।
- पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को हुक्म दिया था कि वे अपने सब कुछ का दसवां हिस्सा ख़ुदा के लिए शुक्र के हदिये की शक्ल में अलग कर दे।
- यह हदिये लावियों के याद के लिए थी क्योंकि वे इस्राईलियों के लिए काहिनो की ख़िदमत करते थे और घर और हैकल की देखरेख करते थे।
- नये ‘अहद नामे में ख़ुदा के लिए दसवां हिस्सा अलग करने का हुक्म तो नहीं है लेकिन हलीमी और ख़ुशी से देने का ख़्याल है कि मसीही ख़िदमत में मदद और गरीबों को मदद मिली हो।
- इसका तर्जुमा हो सकता है, “दसवां हिस्सा ” या “दस में से एक।”
(यह भी देखें: यक़ीन, इस्राईल, लावी, जानवर, मालिक-ए-सिदक़, ख़िदमत करना, क़ुर्बानी करना ख़ेमा, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 14:19-20
- पैदाइश 28:20-22
- इब्रानियों 07:4-6
- यसा’याह 06:13
- लूका 11:42
- लूका 18:11-12
- मत्ती 23:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H4643, H6237, H6241, G586, G1181, G1183
दाऊद
सच्चाई:
दाऊद इस्राईल का दूसरा बादशाह था, वह ख़ुदा से मुहब्बत रखता था और उसकी ख़िदमत करता था| वह ज़ुबूर का ख़ास मुसन्निफ़ था
- दाऊद अपने ख़ानदान की भेड़ें चराते वक़्त जवान ही था की ख़ुदा ने उसे इस्राईल का दूसरा बादशाह होने के लिए मुन्तख़ब कर लिया था|
- दाऊद एक बड़ा ताक़तवर था और उसने दुश्मनों के मुख़ालिफ़ कई जंगो में इस्राईल की रहनुमाई की| फ़लिश्ती गोलियत को हराने के लिए वह मशहूर है|
- बादशाह शाऊल ने दाऊद को क़त्ल करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदा ने उसकी हिफ़ाज़त की, और शाऊल की मौत के बा’द उसे बादशाह बनाया|
- दाऊद ने ख़ौफ़नाक गुनाह अंजाम दिया, लेकिन उसने तौबा की और ख़ुदा ने उसे मु’आफ़ कर दिया|
- ‘ईसा, मसीह, को “दाऊद की औलाद” कहा जाता है क्यूँकि वह दाऊद की नसल से था|
(यह भी देखें: गोलियत, फ़िलिस्तियों, शाऊल (पुराना ‘अहद नामा ))
किताब-ए मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 17:12-13
- 1 शमूएल 20:32-34
- 2 शमूएल 05:1-2
- 2 तिमुथियुस 02:8-10
- रसूलों के ‘आमाल 02:25-26
- रसूलों के ‘आमाल 13:21-22
- लूका 01:30-33
- मरकुस 02:25-26
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें
- 17:02 ख़ुदा ने शाऊल की मौत के बा’द बादशाह के लिए एक जवान इस्राईली का नाम मुन्तख़ब किया जिसका नाम. ... दाऊद था| दाऊद एक बैतलहम शहर का चरवाहा था| दाऊद एक बहुत ही हलीम और रास्तबाज़ शख़्स था, जो ख़ुदा पर ईमान रखता और उसके हुक्मों को मानता था|
- 17:03 दाऊद एक बड़ा फ़ौजी और रहनुमा था | जब __दाऊद__एक जवान आदमी था, वह गोलियत के ख़िलाफ़ भी लड़ा|
- 17:04 लोगों की दाऊद_ से मुहब्बत से शाऊल__ जलन रखता था| शाऊल ने उसे क़त्ल करने की कई बार कोशिश की, इस वजह से __दाऊद__शाऊल से छिप कर रहा|
- 17:05 ख़ुदा ने दाऊद को बरकत दी और उसे कामयाब बनाया दाऊद ने बहुत सी जंगे लड़ीं और ख़ुदा ने इस्राईल के दुश्मनों को हराने के लिए उसकी मदद की|
- 17:06 दाऊद चाहता था कि वह एक हैकल ता’मीर करे जहाँ सब इस्राईली ख़ुदा की ‘इबादत करें और उसे क़ुर्बानी पेश करें|
- 17:09 दाऊद ने बहुत सालों तक इन्साफ़ और वफ़ादारी से हुकूमत की, और ख़ुदा ने उसे बरकत दी| हालाँकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िर में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत ख़ौफ़नाक गुनाह किया|
- __17:13__दाऊद ने जो कुछ भी किया उससे ख़ुदा का ग़ज़ब उस पर भड़का, ख़ुदा ने नातन नबी के ज़रिए’__दाऊद__को कहला भेजा कि उसके गुनाह कितने बुरे हैं| __दाऊद__ने अपने गुनाहों से तौबा की और ख़ुदा ने उसे मु’आफ़ कर दिया| अपनी बाक़ी बची हुई ज़िन्दगी में,__दाऊद__ख़ुदा के हुक्मों की फरमाबरदारी की, यहाँ तक कि मुश्किल हालात में भी|
शब्दकोश:
दान
सच्चाई
दान या’क़ूब का पाँचवाँ बेटा था और इस्राईल के बारह क़बीलों में से एक था | कना’न के उत्तरी भाग में जहाँ यह क़बीला बस गया था उस जगह का नाम भी दान पड़ गया था |
- इब्राहीम के ज़माने में यरुशलीम के पश्चिम में एक शहर का नाम भी दान था|
- सालों बा’द जब इस्राईली ‘अहद के मुल्क में आये तब यरुशलीम के उत्तर में 60 मील दूर एक शहर का नाम दान था|
- “दानियों” लफ़्ज़ दान के नसलों के बारे में है जो इसी क़बीले के अफ़राद थे|
(यह भी देखें: कना’न, यरूशलीम, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 12:34-35
- 1 सलातीन 04:24-25
- ख़ुरूज 01:1-5
- पैदाइश 14:13-14
- [पैदाइश 30:5-6
शब्दकोश:
- Strong's: H1835, H1839, H2051
दाहिना हाथ
ता’अर्रुफ़:
“दाहिना हाथ” ‘अलामती शक्ल में किसी हाकिम के दाहिनी या किसी ख़ास इन्सान के दाहिने हाथ की ओर इज़्ज़त या क़ुव्वत का मक़ाम है।
- दाहिना हाथ क़ुव्वत, इख़्तियार या ताक़त की ‘अलामत होता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में ‘ईसा को बाप ख़ुदा के दाहिनी ओर ईमानदारों के जिस्म(कलीसिया) का ख़ास और पूरी क़ायनात पर क़ाबू रखनेवाला ज़ाहिर किया गया है।.
- दाहिना हाथ ख़ास ‘इज़्ज़त के पर तौर किसी के सिर पर रखा जाता था (जैसे बुज़ुर्ग या’क़ूब ने यूसुफ़ के बेटे इफ़्राईम के सिर पर दाहिना हाथ रखकर बरकत दी थी।)
- दाहिने हाथ पर ख़िदमत करना” का मतलब था ऐसा इन्सान होना जिसकी ख़िदमत ख़ास करके उस आदमी के लिए मददगार और ख़ास है।
तर्जुमे की सलाह:
- कभी-कभी दाहिना हाथ इन्सान के दाहिने हाथ के लिए भी काम में लिया जाता था जैसे रोमी सैनिकों ने ‘ईसा का ठट्ठा उड़ाने के लिए उसके दाहिने हाथ में सरंकडा पकवाया था। इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान में दाहिने हाथ के लफ़्ज़ के ज़रिए’ ही किया जाए।
- ‘अलामती इस्ते’मालों के बारे में, अगर मक़सदी ज़बान में “दाहिने हाथ” के लिए ऐसे जुमले नहीं है तो देखें कि मक़सदी ज़बान में इसी मतलब के दीगर कोई जुमले है।
- "के दाहिनी ओर" इज़हार का तर्जुमा "दाईं तरफ" या "’इज़्ज़त के मक़ाम पर" या "क़ुव्वत की हालत" या "मदद के लिए तैयार" की शक्ल में किया जा सकता है।
- "अपने दाहिने हाथ से" तर्जुमा करने के तरीक़े में "इख़्तियार के साथ" या "क़ुव्वत का इस्ते’माल" या "उनकी अजीब ताक़त के साथ" शामिल हो सकते हैं।
- लफ़्ज़ी इज़हार "उसका दहिने हाथ और उसका ताक़तवर हाथ" ख़ुदा की क़ुदरत और बड़ी ताक़त पर ज़ोर देने के दो तरीक़ों का इस्ते’माल करता है। इस इज़हार का तर्जुमा करने का एक तरीक़ा "उसकी अजीब ताक़त और ताक़तवर हो सकती है।"
- "उनका दहिने हाथ झूठ" के इज़हार इस शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, "उनके बारे में सबसे ‘इज़्ज़त वाली बात भी झूठ से बाग़ी है" या "उनकी जगह की ‘इज़्ज़त धोखे से बाग़ी है" या "वे अपने आप को ताक़तवर बनाने के लिए झूठ का इस्ते’माल करते हैं।"
(यह भी देखें:इल्ज़ाम लगाना, बुराई, ‘इज़्ज़त, ताक़त, सज़ा देना, बग़ावत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 02:32-33
- कुलुस्सियों 03:1-4
- गलातियों 02:9-10
- पैदाइश 48:14-16
- इब्रानियों 10:11-14
- विलाप 02: 3-4
- मत्ती 25:31-33
- मत्ती 26:62-64
- ज़बूर 044:3-4
- मुकाशिफ़ा 02:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H3225, H3231, H3233, G1188
दिन, दिनों
ता'र्रुफ़:
“दिन” हक़ीक़त में 24 घन्टे का वक़्त होता है जिसकी शुरू'आत ग़ुरूब आफ़ताब से होती थी | इसका इस्ते'माल 'अलामती तौर भी हो सकता है।
- इस्राईलियों और यहूदियों के लिए दिन की शुरू'आत गुरूब आफ़ताब से होती थी और दूसरे दिन ग़ुरूब आफ़ताब पर ख़त्म होती थी |
- कभी-कभी “दिन” लफ्ज़ का इस्ते'माल शक्ल बा बशक्ल एक लम्बे वक़्त के लिए भी किया जाता था जैसे “यहोवा का दिन” या “आख़री दिन|”
कुछ ज़बानों में इन तरह के तर्जुमों में मुख्तलिफ़-मुख्तलिफ़ लफ़्ज़ों का इस्ते'माल होता हैं या “दिन” का तर्जुमा शक्ल बा शक्ल नहीं करता हैं।
- “दिन” के और तर्जु में शामिल हो सकते हैं, “वक़्त ”, “मौसम ” या “मौक़ा' ” का “घटना” जुमले के मुताबिक़।
(यह भी देखें: फ़ैसले का दिन, आखरी दिन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमल 20:4-6
- दानिएल 10:4-6
- 'अज़्रा 06:13-15
- 'अज़्रा 06:19-20
- मत्ती 09:14-15
शब्दकोश:
- Strong's: H3117, H3118, H6242, G2250
दिल, दिलों
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “दिल” लफ़्ज़ का इस्ते’माल अक्सर इन्सानों के ख़यालात, जज़्बातों, ख़्वाहिशों और उम्मीदों के लिए काम में लिया गया है।
- “शख़्त दिल” एक ‘आम इज़हार है जिसका मतलब है ज़िद करके ख़ुदा के हुक्म न मानना।
- इज़हार “अपने पूरे दिल से” या “मेरे पूरे दिल से” या’नी मुकम्मल ‘अज़म और ख़्वाहिश के साथ, बिना पीछे रुके कुछ करना।
- इज़हार “दिल में बसा लेना” का मतलब है किसी बात को संजीदगी से लेते हुए ज़िन्दगी में शामिल कर लेना।
- लफ़्ज़ “दिल टूटना” का मतलब बहुत दुःखी होना। वह इन्सान जज़्बाती तौर पर बहुत दुखी हुआ।
तर्जुमें की सलाह
- कुछ ज़बानों में जिस्म के मुख़तलिफ़ हिस्सों का इस्ते’माल करते हैं जैसे, “पेट” या “कलेजा” ।
- कुछ ज़बानों में इज़हार के लिए एक लफ़्ज़, दूसरे इज़हार के लिए इन तसव्वुरात में से दूसरा लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
- अगर “दिल” या और जिस्मानी हिस्से इसका मतलब नहीं रखते, कुछ ज़बानों में ‘अलामती इज़हार के लिए ज़रूरी है जैसे “ख़याल” या “जज़्बात” लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें|
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “मेरे पूरे दिल से” या “मेरे पूरे मन से”, या इन जुमलों का तर्जुमा हो सकता है, “मेरी पूरी ताक़त से” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ” या “पूरी तरह से ” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ”।
- इज़हार “दिल से” का तर्जुमा हो सकता है, “संजीदगी से सुलूक करना” या “अहतियात से ख़याल करना”।
- इज़हार “शख़्त दिल” का तर्जुमा हो सकता है “ज़िद के साथ बग़ावत करना” या “हुक्म मानने से इन्कार करना” या “लगातार ख़ुदा का हुक्म नहीं मानना”
- तर्जुमे के तरीक़े “दिल टूटना” हो सकते हैं “बहुत दुखी” या “गहरा जज़्बाती दुःख।
(यह भी देखें: शख़्त)
किताब-ए-मुक़द्दस जे बारे में:
- 1 युहन्ना 03:16-18
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:3-4
- 2 थिस्सलुनीकियों 03:13-15
- रसूलों के ‘आमाल 08:20-23
- रसूलों के ‘आमाल 15:7-9
- लूक़ा 08:14-15
- मरकुस 02:5-7
- मत्ती 05:5-8
- मत्ती 22:37-38
शब्दकोश:
- Strong's: H1079, H2436, H2504, H2910, H3519, H3629, H3820, H3821, H3823, H3824, H3825, H3826, H4578, H5315, H5640, H7130, H7307, H7356, H7907, G674, G1282, G1271, G2133, G2588, G2589, G4641, G4698, G5590
दुःख, सताव , परेशान होना, सताना, सतानेवाले, फ़सादी
ता’अर्रुफ़:
“दुःख” ज़िन्दगी की मुश्किलों और मायूसी का तजुर्बा * “सताव ” या’नी किसी को “परेशान” करना या “तकलीफ़ ” देना।“परेशान होना” का मतलब है किसी बात से घबराना और परेशान होना।
- घबराना, जिस्मानी , जज़्बाती या रूहानी दुःख की वजह से हो सकता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा ईमानदारों की तरक्क़ी और कमाल को लिए आज़माने के ऐसे वक़्त पैदा करता है।
- पुराने ‘अहद नामे में “दुःख” बुरे और ख़ुदा के छोड़ने वाले मुल्कों की सज़ा माना गया है।
तर्जुमे की सलाह:
- “घबराना” या “सताव” का तर्जुमा “मुसीबत ” या “दुःख देंने वाले हादसे ”या “सताव” या “मुश्किल तजुर्बा ” या “मुसीबत ” भी किया जा सकता है।
- “घबराना” का एसे लफ़्ज़ या जुमले से तर्जुमा किया जा सकता है, जिसका मतलब हो “तकलीफ़ में होना” या “ख़तरनाक तकलीफ़ का तर्जुमा करना” या “गहरी फ़िक्र ” या “तनाव” या “सताव ” या “डर” या “परेशानी”।
- “उसे परेशान मत करो” का तर्जुमा हो सकता है, “उसे रहने दो” या “उसकी बुराई मत करो”
- “मुसीबत के दिन” या “मुसीबत केवक़्त ” का तर्जुमा हो सकता है, “जब तुम तकलीफ़ों का तजुर्बा करो” या “जब तुम्हारे सामने कठिनाइयां आएं” या “जब ख़ुदा मुसीबतें लाए”।
- “तकलीफ़ लाना” या “तकलीफ़ की वजह” का तर्जुमा हो सकता है, “ तकलीफ़देह बातें करना” या “कठिनाई पैदा करना” या “कठिनाइयों का तजुर्बा कराना”
(यह भी देखें: मुसीबत ज़दा परेशानी देना, सताएँ)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 18:18-19
- 2 तवारीख़ 25:18-19
- लूका 24:38-40
- मत्ती 24:6-8
- मत्ती 26:36-38
शब्दकोश:
- Strong's: H205, H598, H926, H927, H928, H1204, H1205, H1607, H1644, H1804, H1993, H2000, H2113, H2189, H2560, H2960, H4103, H5590, H5753, H5916, H5999, H6031, H6040, H6470, H6696, H6862, H6869, H6887, H7264, H7267, H7451, H7481, H7489, H7515, H7561, H8513, G387, G1298, G1613, G1776, G2346, G2347, G2350, G2360, G2553, G2873, G3636, G3926, G3930, G3986, G4423, G4660, G5015, G5016, G5182
दुःख
ता'अर्रुफ़:
“दुःख ” लफ़्ज़ का मतलब है लोगों में जिस्मानी जज़्बाती टकराव।
- एक शख़्स जो लड़ाई की वजह बनता है, लोगों के बीच मज़बूत ना इतिफ़ाक़ी और जज़्बात को चोट पहुंचाते हैं।
- कभी-कभी “झगड़े” लफ़्ज़ का इस्ते'माल करने से साबित होता है ग़ुस्सा या कड़वाहट जैसे मज़बूत जज़्बात शामिल होना।
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, “ना इत्तिफ़ाक़ी ” या “झगड़ा” या “लड़ाई”।
(यह भी देखें: ग़ुस्सा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 03:3-5
- हबक़क़ूक़ 01:3-4
- फ़िलिप्पियों 01:15-17
- अम्साल 17:1-2
- ज़बूर 055:8-9
- रोमियो 13:13-14
शब्दकोश:
- Strong's: H1777, H1779, H4066, H4090, H4683, H4808, H7379, H7701, G485, G2052, G2054, G3055, G3163, G5379
दुनिया , दुनियावी
ता’अर्रुफ़:
“दुनिया”लफ़्ज़ आमतौर पर पूरी क़ायनात के उस हिस्से को ज़ाहिर करती है जहां इन्सान रहता हैं: “दुनियावी” लफ़्ज़ इस दुनिया के लोगों की बुरे अक़ीदे और बर्ताव का हवाला देता है।
- आम मतलब में “दुनिया” आसमान और ज़मीन और जो कुछ उनमें है उसे ज़ाहिर करता है।
- बहुत से बयानों में “दुनिया” का मतलब “दुनिया के लोग” होता है।
- कभी-कभी इसका इशारा ज़मीन के बुरे लोगों या उन लोगों से है जो ख़ुदा के हुक्म नहीं मानते हैं।
- रसूलों ने भी “दुनिया” लफ़्ज़ को इन्सानों के मतलबी मिज़ाज और ग़लत अक़ीदा के लिए काम में लिया है। इसका मतलब इन्सानी कोशिशों पर मुनहसिर रास्तबाज़ी के दिखावे के मज़हब पर मुनहसिर भी मा’लूम होता है।
- इन ‘अक़ाएद पर मुनहसिर इन्सान और चीज़ों की ‘अलामतों को “दुनियावी” कहा गया है।
तर्जुमे की सलाह:
- बयान के मुताबिक़ “दुनिया” का तर्जुमा “क़ायनात ” या “दुनिया के लोग” या “दुनिया की गलत बातें” या “दुनिया के इन्सानों के बुरे एख्लाक़ ” भी हो सकता है।
- “पूरी दुनिया” का मतलब अक्सर “बहुत लोग” और ख़ास ‘इलाक़े के रहने वाले लोगों से होता है। मसलन , “सारी दुनिया के लोग मिस्र में आए।” इसका तर्जुमा हो सकता है, “आस-पास के मुल्कों से बहुत लोग मिस्र आए” या “मिस्र के आसपास के सब मुल्कों के लोग वहां आए”।
- "रोमी सल्तनत में सब लोग मरदुम शुमारी के लिए अपना नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने पैदाइश की जगह को गए" इसका तर्जुमा हो सकता है: "बहुत से लोग जो रोमी सल्तनत के मातहत के मुल्कों में रहते थे गए..."।
- बयान के मुताबिक़ “दुनियावी ” का तर्जुमा “बुरा” या “गुनाह आलूदा ” या "लालची " या “बेदीन ” या “बुरा ” या “दुनिया के लोगों की ग़लत ‘एतिकादों के ज़रिये’मानूस ” हो सकता है।
- “दुनिया को यह बातें कहना” का तर्जुमा “दुनिया के लोगों से यह बात कहना” हो सकता है,।
- और बयानों में “दुनिया में” का तर्जुमा हो सकता है, “दुनिया के लोगों में रहते हुए” या “बेदीन लोगों में रहते हुए”
(यह भी देखें: बिगड़कर, आसमान, रोम, ख़ुदा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 02:15-17
- 1 यूहन्ना 04:4-6
- 1 यूहन्ना 05:4-5
- यूहन्ना 01:29-31
- मत्ती 13:36-39
शब्दकोश:
- Strong's: H776, H2309, H2465, H5769, H8398, G1093, G2886, G2889, G3625
दुल्हा, दुल्हे
ता'अर्रुफ़:
शादी के जशन में, दुल्हा-दुल्हन से शादी करने वाला आदमी होता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में यहूदी तहज़ीब में, जशन में दुल्हे की तरफ़ से दुल्हन को लेने आने पर मरकज़ होता था।
- किताब-ए-मुक़द्दस में 'ईसा को "दुल्हें" की मिसाल दी गई है जो एक दिन अपनी "दुल्हन", कलीसिया को लेने आएगा।
- 'ईसा ने अपने शागिर्दों की बराबरी दुल्हे के दोस्तों से की थी। जो दुल्हे के साथ ख़ुशी मनाते हैं लेकिन दुल्हे के चले जाने के बा'द दुखी होते हैं।
(यह भी देखें:दुल्हन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यसा'याह 62:5
- योएल 02:15-16
- यूहन्ना 03:29-30
- लूक़ा 05:33-35
- मरकुस 02:18-19
- मरकुस 02:20-21
- मत्ती 09:14-15
शब्दकोश:
धोखा, धोखे, धोखा दिया, धोखा देना, धोखेबाज़, धोखेबाज़, धोखेबाज़ों, धोकेबाज़, धोखे से, धोखे में , धोखेबाज़ी, धोखेबाज़
ता’अर्रुफ़
अलफ़ाज़ “धोखा” का मतलब है किसी को किसी बात पर यक़ीन दिलाना जो सच्ची नहीं होती| किसी को फ़रेब देने का काम “धोखा” कहलाता है।
- एक और लफ़्ज़, “धोखेबाज़ी” भी किसी को कुछ ऐसा यक़ीन करने का काम करता है जो सच्चा नहीं है।
- किसी को झूठी बात में यक़ीन दिलाने वाले को “धोखेबाज़” कहते हैं| मिसाल के तौर पर, शैतान को धोखेबाज़ कहा गया है। बदरूहें जो वह क़ाबू करता है वह भी धोखेबाज़ हैं|
- इन्सान, काम या ख़बर जो सच नहीं है, उसे "धोखा देनेवाला" कहते हैं।
- अलफ़ाज़ “धोखा” और “धोखा” का मतलब एक ही है, लेकिन उनके इस्ते’माल करने में कुछ फ़र्क़ है।
- तफ़सीली अलफ़ाज़ “धोखेबाज़ी” और “गुमराही” एक ही जैसे हैं और इस्ते’माल में भी एक ही मतलब में होते हैं|
तर्जुमे की सलाह:
- “धोखा” के तर्जुमे के और तरीक़े “झूठ बोलना” या “झूठा यक़ीन दिलाना” या “किसी का किसी बात पर ख़याल करवाना जो सच नहीं है।
- लफ़्ज़ “धोखा देना” का तर्जुमा हो सकता है, “झूठ पर ग़ौर करने की वजह” या “झूठ कहना” या “चाल चलना” या “बेवक़ूफ़ बनाना” या “गुमराह करना”।
- “धोखेबाज़” का तर्जुमा हो सकता है “झूठा” या “जो गुमराह करता है” या “जो धोका देता है”|
- मज़मून पर मुन्हस्सिर है, लफ़्ज़ “धोखा” का तर्जुमा या जुमले में किया जा सकता है जिसका मतलब “बातिल” या “झूठा” या “चाल चलने वाला” या “बेईमान” होता है|
- लफ़्ज़ "गुमराही " या "धोखेवाज़ी" का तर्जुमा हो सकता है “झूठा” या “गुमराह” “झूट” एक ऐसे शख़्स की तफ़सील जो और लोगों को यक़ीन दिलाने के लिए ऐसा बोलता और काम करता है जो सच नहीं होता|
(यह भी देखें: सच्चा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 01:8-10
- 1 तीमुथियुस 02:13-15
- 2 थिस्सलुनीकियों 02:3-4
- पैदाइश 03:12-13
- पैदाइश 31:26-28
- क़ुज़ात 19:11-12
- मत्ती. 27:62-64
- मीकाह 06:11-12
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शब्दकोश:
- Strong's: H898, H2048, H3577, H3584, H4123, H4820, H4860, H5230, H5377, H6121, H6231, H6280, H6601, H7411, H7423, H7683, H7686, H7952, H8267, H8496, H8501, H8582, H8591, H8649, G538, G539, G1386, G1387, G1388, G1389, G1818, G3884, G4105, G4106, G4108, G5422, G5423
धोखा, धोखे, धोखा दिया, धोखा देना, धोखा देना वाला, धोखा देने वाले
ता'अर्रुफ़:
“धोखा” का मतलब है किसी को धोखा देना या नुक्सान पहुंचाना है। * “धोखा वाने वाला” वह शख़्स होता है जो यक़ीन करने वाले को धोखा दे।
- यहूदाह “धोखा देने वाला” था क्योंकि उसने यहूदी रहनुमाओं को तरीक़ा बताया था कि 'ईसा को कैसे पकड़ें।
- यहूदाह के ज़रिए' धोखा गुनाह था, क्योंकि वह 'ईसा का रसूल था और उसने पैसों के बदले में यहूदी रहनुमाओं को जानकारी दी थी जिसका अन्जाम से 'ईसा की बेइंसाफ़ की मौत हुई।
तर्जुमें की सलाह:
जुमले के मुताबिक़“पकड़वाने” का तर्जुमा “धोखा देना और नुक्सान पहुंचाना” या “दुशमनों के हाथों में कर देना” या “बे रहमी का सलुक़ करना” हो सकता है।
- “पकड़वानेवाला” लफ्ज़ का तर्जुमा “धोखा देने वाला शख्स” या “बुरा सलूक ” या “बाग़ी” हो सकता है।
(यह भी देखें यहूदा इस्करियोती, यहूदियों, रसूल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 07:51-53
- युहन्ना 06:64-65
- युहन्ना 13:21-22
- मत्ती 10:2-4
- मत्ती 26:20-22
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 21:11 नबियों ने पहले से नबूव्वत की थी, कि जो लोग मसीह को मारने वाले होंगे वह उसके कपड़ों के लिए जुआ खेलेंगे और उसका उल्टा दोस्त उसे धोखा देगा। ज़करियाह नबी ने पहले से ही नबूव्वत की थी, कि मसीह का ही एक शागिर्द उसे तीस चाँदी के सिक्कों के लिए धोखा देगा।
- 38:02 'ईसा और शागिर्दों के यरूशलीम में पहुँचने के बा'द यहूदाह यहूदी सरदार के पास गया और पैसों के बदले 'ईसा के साथ धोखा देने की तजवीज़ रख्खी |
- 38:03__यहूदी सरदारों ने 'आला सरदार काहिन के मौजूदगी में 'ईसा को __धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए।
- 38:06 फिर 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” 'ईसा ने कहा कि, “जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा दूँगा वही मेरा पकड़वाने वाला होगा।”
- 38:13 जब 'ईसा तीसरी बार दू'आ करके आया तो उसने अपने शागिर्दों से कहा कि, “उठो, मेरे पकड़ने वाले आ गए है।”
- 38:14 'ईसा ने यहूदाह से कहा कि, “ तूने मुझे पकड़वाने के लिए चूमा है।”
- 39:08 इसी दौरान जब यहूदाह, धोखेबाज़, ने देखा कि यहूदी काहिन 'ईसा को मुजरिम ठहरा कर उसे मारना चाहते है। यह देख यहूदाह ग़मगईं हुआ और खुद को मार डाला।
शब्दकोश:
- Strong's: H7411, G3860, G4273
नजात, नजात देता है, नजात दिलाई , नजात दिलाना, नजात दिलाने वाला , छुटकारा
ता’अर्रुफ़
“छुड़ाना” मतलब है किसी शख़्स को बचाना। लफ़्ज़ “नजात दिलाने वाला” उसके बारे में बताता है, जो इन्सानों को ग़ुलामी, ज़ुल्म, या और तरह के ख़तरों से बचानेवाला है। “नजात” लफ़्ज़ उसका हवाला देता है जो या इंसानों का ग़ुलामी, ज़ुल्म या और तरह के ख़तरों से निकाल लेने के बा’द की हालत होती है।
- पुराने ‘अहदनामे में ख़ुदा ने इस्राईल के लिए नजात दिलाने वाले मुक़र्रर किए थे कि और लोग जब उन पर हमला करें तो उनके ख़िलाफ़ जंग में उनकी रहनुमाई करें।
- इन नजात दिलाने वालो को “मुन्सिफ़” कहा जाता था और पुराने ‘अहदनामे में क़ुज़ात में इस्राईल पर इन मुंसिफ़ों की तवारीख़ में दर्ज है जब यह मुंसिफ़ इस्राईल पर हुकूमत करते थे।
- ख़ुदा को भी “नजात दिलाने वाला” कहा गया है। इस्राईल के पूरी तवारीख़ में, उसने अपनी क़ौम को उनके दुश्मनों से छुड़ाया था।
- लफ़्ज़ “पकड़वाना” या “सौंपा जाना” का मतलब हमेशा अलग है, या’नी किसी को दुश्मन के हाथों में दे देना, जैसे यहूदा ने ‘ईसा को यहूदी रहनुमाओं के हाथों में पकड़वा दिया था।
तर्जुमे की सलाह:
- लोगों को उनके दुश्मनों से बचने में मदद के बारे में “छुटकारा” का तर्जुमा हो सकता है, “बचाना” या “आजादी दिलाना” या “बचाना”।
- जब मतलब दुश्मनों के हाथों पकड़वाना हो तो इसका तर्जुमा होगा “फ़रेब करके” या “पकड़वाना” या “सौंप देना”।
- “छुटकारा दिलाने वाला का तर्जुमा हो सकता है, “बचानेवाला” या “मुन्जी”।
- जब “छुटकारा दिलाने वाला” लफ़्ज़ इस्राईल के मुंसिफ़ों कें बारे में हो तो उसका तर्जुमा हो सकता है, “हाकिम”, या “मुन्सिफ़” या “रहनुमा”।
(यह भी देखें: मुंसिफ़,बचाना)
किताब-ए मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 01:8-10
- रसूलों के ‘आमाल 07:35-37
- गलतियों 01: 3-5
- कुज़ात 10:10-12
किताब-ए मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:)
- 16:03__तब ख़ुदा ने एक नजात दिलाने वाला__ ‘अता किया, जो उन्हें अपने दुश्मनों से बचाया और मुल्क में अमन लाया।
- 16:16 उन्होंने(इस्राईल) ख़ुदा से एक बार फिर मदद माँगी और ख़ुदा ने एक और मुन्जी को उनके लिए भेजा।
- 16:17 कई सालों में ख़ुदा ने बहुत से नजात दिलाने वालों को भेजा जिन्होंने इस्राईलियों को दुश्मनों से बचाया।
शब्दकोश:
- Strong's: H579, H1350, H2020, H2502, H3052, H3205, H3444, H3467, H4042, H4422, H4560, H4672, H5337, H5338, H5414, H5462, H6299, H6308, H6403, H6405, H6413, H6475, H6487, H6561, H7725, H7804, H8000, H8199, H8668, G325, G525, G629, G859, G1080, G1325, G1560, G1659, G1807, G1929, G2673, G3086, G3860, G4506, G4991, G5088, G5483
नबी , नबी , नबूव्वत ,नबूव्वतें ,नबीया , नबीय
ता’अर्रुफ़:
नबी ख़ुदा का पैग़ाम इन्सानों तक पहुंचाता है। नबूव्वत करनेवाली ‘औरत को नबीया कहते हैं।
- नबी इन्सानों को गुनाहों से दूर होने और ख़ुदा का हुक्म मानने के लिए याद दिलाते थे।
- नबूव्वत नबी का पैग़ाम था। नबूव्वत करना या’नी ख़ुदा का पैग़ाम सुनाना।
- नबूव्वत हमेशा होने वाले हादसों का बयान था।
- पुराने ‘अहद नामे की बहुत से नबूव्वतें पूरी हो चुकी हैं।
- किताब-ए-मुक़द्दस में नबियों के ज़रिये’ लिखी गई किताबों को पेशेनगोई कहा गया है।
- मसलन , “शरी’अत और नबूव्वत” इब्रानी पाक कलाम के बारे में कहा जाता था जिसे पुराना ‘अहद नामा कहा जाता था।
- नबी के लिए इस्तेमाल पुराना लफ़्ज़ है, “पैग़म्बर ”।
- कभी-कभी यह झाड़ फूंक करनेवालों या झूठे नबियों के लिए भी काम में लिया जाता था।
तर्जुमे की सलाह:
- “नबी” का तर्जुमा किया जा सकता है, “ख़ुदा का बोलने वाला ” “ख़ुदा की तरफ़ से कहने वाला आदमी ” या “ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने वाला आदमी ”।
- एक " नबी " का तर्जुमा "वह इन्सान जो रोया देखता है" या "वह इन्सान जो ख़ुदा से मुस्तक़बिल देखता है।"
- “नबीया ” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता हैं, “ख़ुदा की बोलने वाली ” या “ख़ुदा की ओर से कहनेवाली ‘औरत ” या “ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने वाली ‘औरत ”।
- “नबूव्वतें ” के लिए तर्जुमे हो सकते हैं, “ख़ुदा का पैग़ाम” या “नबूव्वतें का ख़बर”
- मज़मून पर मुनहसिर “नबूव्वतें ” लफ़्ज़ का तर्जुमा होगा, “ख़ुदा का कलाम सुनाना” या “आने वाले वाक़ेयात के बारे में ख़ुदा का पैग़ाम पहुंचाना”।
- इस तमसीली कलाम “शरी’अत और नबी” का तर्जुमा हो सकता है “शरी’अत और नबियों की किताबें ” या “ख़ुदा के बने क़ानून और उसके नबियों के पैगामों के बारे में सब लिखी बातें”
- जब एक झूठे मा’बूदों के नबी (या दूर अंदेश) का जिक्र करते हैं, तो इसका मतलब "झूठे नबी (दूर अंदेश )" या "झूठे मा’बूदों के नबी (दूरअंदेश )" या "बा’ल के नबी" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, मिसाल के लिए ।
(यह भी देखें: बा’ल, बा’ल, ‘इल्म ग़ैब, ख़ुदा, झूठा नबी, पूरा कर, शरी’अत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़्वाब
- रसूलों के आमाल . 03:24-26
- यूहन्ना 01:43-45
- मलाकी 04:4-6
- मत्ती 01:22-23
- मत्ती 02:17-18
- मत्ती 05:17-18
- ज़ुबूर 051:1-2
किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें:
- 12:12 जब इस्राईलियों ने देखा कि मिस्र के लोग मारे गए है, तो उन्होंने ख़ुदा पर भरोसा किया और यक़ीन करने लगे कि मूसा ख़ुदा का एक नबी है।
- 17:13 दाऊद ने जो कुछ भी किया उसे लेकर ख़ुदा का ग़ज़ब उस पर भड़का, ख़ुदा ने नातान नबी ज़रिए’ दाऊद को कहलवा भेजा कि उसके गुनाह कितने बुरे है |
- 19:01 इस्राईलियों के तारीख़ भर में, ख़ुदा ने बहुत से नबी भेजे | नबी ने ख़ुदा के पैग़ाम को सुना और फिर लोगों को ख़ुदा का पैग़ाम बताया |
- 19:06 इस्राईली बादशाहत के सभी लोगों समेत और बा’ल के साढ़े चार सौ 450 नबी कर्मेल पहाड़ पर इकट्ठा हुए |
- 19:17 ज़्यादातर वक़्त , लोगों ने ख़ुदा के क़ानूनों का माना नही. वे अक्सर नबी के साथ बुरा सुलूक करते थे और कभी-कभी उन्हें मार भी डालते थे
- 21:09 नबी यशायाह ने नबूव्वत की कि मसीहा एक कुंवारी से पैदा होगा।
- 43:05 "यह वह बात है जो योएल नबी के ज़रिए’कही गई थी जिसमे ख़ुदा कहता है कि, “आखीर के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना रूह सब इन्सानों पर उँडेलूँगा |”
- 43:07 "लेकिन यह उस नबूव्वतों को पूरा करता है जो कहता है, 'आप कब्र में अपने पाक लोगों को सड़ने नहीं देगा।'"
- 48:12 मूसा एक बहुत बड़ा नबी था जिसने ख़ुदा के कलाम की मुनादी की थी | लेकिन ‘ईसा सबसे अज़ीम नबी है। वही ख़ुदा का कलाम है।
शब्दकोश:
- Strong's: H2372, H2374, H4853, H5012, H5013, H5016, H5017, H5029, H5030, H5031, H5197, G2495, G4394, G4395, G4396, G4397, G4398, G5578
नहूम
सच्चाई:
नहूम एक नबी था जो ‘ऐलान करता था उस वक़्त में जब बुरा बादशाह मनस्सी यहूदाह पर बादशाही करता था।
- नहूम यरूशलीम से 20 मील दूर एल्कोश नाम के एक शहर का बाशिंदा था।
- पुराने ‘अहदनामे में नहूम की किताब में अश्शूरों के शहर नीनवे की तबाही की नबूव्वतें हैं।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: असूर, मनस्सी, नबी, नीनवे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
नाम, नामों, नाम पर
ता’अर्रुफ़:
तर्जुमे की सलाह:
- एक इज़हार जैसे “इसका अच्छा नाम” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उसकी अच्छी शोहरत।”
- “के नाम में” कुछ करना, इसका तर्जुमा हो सकता है, के इख़्तियार में” या “की इजाज़त से” या “रहनुमाई में” काम करना।
- “ऐसा करना कि इन्सान हमारे बारे में जाने” या “इंसानों को सोचने पर मजबूर करना कि हम ख़ास हैं।”
- इज़हार "उसका नाम पुकारना" का तर्जुमा हो सकता है "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"।
- "जो लोग आपके नाम से मुहब्बत रखते हैं" का तर्जुमा "जो आपसे प्यार करते है" के तौर पर किया जा सकता है।
- इज़हार "बुतों के नामों को काट" का तर्जुमा "बुतों से छुटकारा पाना ताकि वे याद भी न आये" या "लोगों को झूठे मा’बूदों की इबादत करना बंद करने की वजह" या "सभी बुतों को पूरी तरह से तबाह कर दें ताकि लोग अब उनके बारे में न सोचे" की शक्ल में किया जा सकता है।
(यह बी देखें: बुलाना)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में: ##
- 1 युहन्ना 02:12-14
- 2 तीमुथियुस 02:19-21
- रसूलों के ‘आमाल 04:5-7
- रसूलों के ‘आमाल 04:11-12
- रसूलों के ‘आमाल 09:26-27
- पैदाइश 12:1-3
- पैदाइश 35:9-10
- मत्ती 18:4-6
शब्दकोश:
- Strong's: H5344, H7121, H7761, H8034, H8036, G2564, G3686, G3687, G5122
नासरत, नासरियों
सच्चाई:
नासरत उत्तरी इस्राईल के गलील ‘इलाक़े में एक शहर है। * वह यरूशलीम के उत्तर में लगभग 100 मील दूर है। इसके पैदल सफ़र में तीन से पांच दिन लगते हैं।
- यूसुफ़ और मरियम नासरत के बाशिन्दे थे और ‘ईसा की परवरिश वहीं हुई थी। यही वजह है कि ‘ईसा को “नासरी” कहते थे।
- नासरत के बहुत से यहूदी ‘ईसा की ता’लीमात को क़ुबूल नहीं करते थे क्योंकि वह उनके साथ पला-बड़ा था इसलिए वे उसे एक ‘आम इन्सान मानते थे।
- एक बार ‘ईसा नासरत के ‘इबादतख़ाने में ता’लीम दे रहा था तब वहां के यहूदियों ने उसे मार डालना चाहा क्योंकि उसने मसीह होने का दा’वा किया और उनके ज़रिए’ उसके इन्कार के लिए उन्हें झिड़का था।
- जब नतनएल ने सुना कि ‘ईसा नासरत से है तब उसकी बातों से ज़ाहिर होता है कि उस शहर की शोहरत नहीं थी।
(यह भी देखें: मसीह, गलील, यूसुफ़ (नया ‘अहदनामा), मरियम)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे मे:##
- रसूलों के ‘आमाल 26:9-11
- युहन्ना 01:43-45
- लूक़ा 01:26-29
- मरकुस 16:5-7
- मत्ती 02:22-23
- मत्ती 21:9-11
- मत्ती 26:71-72
किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें :
- 23:04 लिहाज़ा यूसुफ़ और मरियम भी एक लम्बा सफ़र तय करके नासरत को गए, क्योंकि यूसुफ़ दाऊद के घराने और नसल का था, गलील के नासरत शहर से यहूदिया में दाऊद के शहर बैतलहम को गया |
- 26:02 ‘ईसा नासरत शहर के पास गया, जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था |
- 26:07 नासरत के लोगों ने ‘इबादत की जगह से ‘ईसा को बाहर घसीटा और उसे मारने की ख़्वाहिश से चट्टान के किनारे ले आए, कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें |
शब्दकोश:
- Strong's: G3478, G3479, G3480
निकाला ,निकाल दिया ,बाहर निकालना ,फेंक देना ,फेंक कर
ता’रीफ़:
निकालना ,या “निकालता”या’नी किसी आदमी या चीज़ को ताक़त से दूर करना |
- “डालना “या’नी फेंकना जाल डालना या’नी पानी में जाल फेंकना
- तम्सीली इस्ते’माल में “निकालना” या दूर करना या’नी किसी को छोड़ना या उसे अपने से दूर करना
तर्जुमें की सलाह:
- मज़मून पर मुनहसिर इसके और तर्जुमें होंगे ,ताक़त से हटाना या अलग कर देना ,या पीछा छुड़ाना
- बदरूह निकालना “ इसका तर्जुमा हो सकता है ,”बदरूह को निकल जाने पर मजबूर करना “ या बदरूह को बाहर निकालना “ या बदरूह का हटाना “ या बदरूह को निकल जाने का हुक्म देना “|
(यह भी देखें: बदरूह, बदरूहों से मुब्तिला, क़ुरआ’)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 07:17-19
- मरकुस 03:13-16
- मरकुस 09:28-29
- मत्ती 07:21-23
- मत्ती 09:32-34
- मत्ती 12:24-25
- मत्ती 17:19-21
शब्दकोश:
- Strong's: H1272, H1644, H1920, H3423, H7971, H7993, G1544
निशान, निशानियाँ,सुबूत, याद दिलाना
ता’अर्रुफ़:
निशान वह चीज़ , जो हादसा या काम है जो एक ख़ास मतलब ज़ाहिर करता है।
-
"याद कराने वाली बात" ऐसे इशारे हैं जो "याद दिलाने उन्हें याद करने में मदद करते है, जो कुछ वा'दा किया गया था:
-
ख़ुदावन्द ने आसमानी कमान ज़ाहिर किया जो इस क़सम को याद कराता है कि ख़ुदावन्द दुनिया को पानी के सैलाब के ज़रिए' इन्सानी क़ौम को फिर हलाक नहीं करेगा।
-
ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हुक्म दिया कि वह उसके 'अहद के निशान के तौर पर अपने बेटों का ख़तना करें।
-
निशान किसी बात को ज़ाहिर करते हैं या उसकी तरफ़ इशारा करते हैः
-
फ़रिश्ते ने चरवाहों को एक निशान दिया जिसके ज़रिए' वह बैतलहम में मा'सूम मसीह को पहचान पाए।
-
यहूदा ने 'ईसा को बोसा देकर मज़हबी रहनुमाओं पर निशान ज़ाहिर किया कि जिसे उन्होंने पकड़ना है वह 'ईसा यही है।
-
निशान किसी बात को सच्चा साबित करते है:
- नबियों और रसूलों के ज़रिए' किए गए मो'जिज़े निशान थे कि वह ख़ुदा की ख़ुशख़बरी सुना रहे थे ।
- ‘ईसा ने जो मो'जिज़े किए, वह साबित करते है कि वह हक़ीक़त में मसीहा था ।
(तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ “निशान” का तर्जुमा “इशारा” या “'अलामत” या “पहचान” या “सुबूत” या “सुबूत” या “इशारा करना” भी हो सकता है।
- “हाथों से इशारा करना” का तर्जुमा “हाथों का इशारा” या “हाथों से इशारा करना” या “इशारा दिखाएँ” भी हो सकता है।
- कुछ ज़बानों में निशान” जो किसी बात को साबित करता है और मो'जिज़े के लिए निशान का दूसरा लफ़्ज़ होता है।
(यह भी देखें: मो'जिज़ा, रसूल, मसीह, ’अहद, ख़तना करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 02:18-19
- ख़ुरूज 04:8-9
- ख़ुरूज 31:12-15
- पैदाइश 01: 14-15
- पैदाइश 09: 11-13
- यूहन्ना02:17-19
- लूक़ा 02:10-12
- मरकुस. 08:11-13
- ज़बूर 089:5-6
शब्दकोश:
- Strong's: H226, H852, H2368, H2858, H4150, H4159, H4864, H5251, H5824, H6161, H6725, H6734, H7560, G364, G880, G1213, G1229, G1718, G1730, G1732, G1770, G3902, G4102, G4591, G4592, G4953, G4973, G5280
नींद, सो जाना, सो गए थे, सोना, सोना, “उसे नींद आ गई”, सोना, सोना, नींद ना आना, नींद
ता’अर्रुफ़:
इन लफ़्ज़ों के 'अलामती मतलब "मौत" है।
- “नींद” या “सोये रहो ” एक मिसाल जिसका मतलब है "मर जाना" हो सकता है। (देख: मिसाल )
- जुमला "सो जाओ" का मतलब है सोना शुरू करना, या, मरना मरना।
- 'अपने बाप दादा के साथ सो जाओ' का मतलब है, जैसा कि किसी के बिज़ुर्गों की तरह मरना, मरने के लिए या मरने का मतलब है।
तर्जुमा की सलाह:
- “सो जाना” का तर्जुमा हो सकता है, “अचानक ही सो जाना” या “सोने लगना” या “मरना” जैसा भी जुमला हो उसके मुताबिक़।
- टिप्पणी: ख़ास ज़रूरी बात है कि 'अलामती जुमलों के मुताबिक़ हों, जहाँ सुनने वाले मतलब न समझा पाते हों। मिसाल के तौर पर, जब 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि लाज़र “सोता है” तब वह समझे कि वह सो रहा है। ऐसे में “सोता है” का तर्जुमा “मर गया” करना मिनासिब होगा।
- अगर मक़सदी ज़बान में “सोता है” या “सोया हुआ है” समझ में न आए तो इस ज़बान में मौत या मरने के अलग लफ़्ज़ों का इस्ते'माल किया जाए।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 18:27-29
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:13-15
- रसूलों के 'आमाल 07:59-60
- दानिएल 12:1-2
- ज़बूर 044:23-24
- रोमियो 13:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H1957, H3462, H3463, H7290, H7901, H8139, H8142, H8153, H8639, G879, G1852, G1853, G2518, G2837, G5258
नूह
सच्चाई:
नूह लगभग 4000 साल पहले था जब ख़ुदा ने ज़मीन पर से सब गुनाहगारों को तबाह करने के लिए पानी की बाढ़ लाया था। ख़ुदा ने नूह को हुक्म दिया कि वह एक बहुत बड़ी नाव बनाए जिसमें बाढ़ का पानी ज़मीन पर भरने तक उसका ख़ानदान महफ़ूज़ रहे।
- नूह एक रास्तबाज़ इन्सान था जो हर एक बात में ख़ुदा का हुक्म मानता था।
- नूह ने उस नाव को ठीक वैसा ही बनाया जैसा ख़ुदा ने कहा था।
- इस नाव में नूह और उसका ख़ानदान महफ़ूज़ रहा और बा’द में ज़मीन पर फैल गए।
- तब के बा’द सब इन्सान नूह के नसल हैं।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: नसल, जहाज़)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:##
- पैदाइश 05:30-31
- पैदाइश 05:32
- पैदाइश 06:7-8
- पैदाइश 08:1-3
- इब्रानियों 11:7
- मत्ती 24:37-39
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें :
- 03:02 लेकिन ख़ुदा के फ़ज़ल की नज़र नूह पर बनी रही |
- 03:04 नूह और उसके तीन बेटों ने नाव को बनाया वैसे ही कि जैसे ख़ुदा ने उनसे कहा था | नूह और उसके तीन बेटों ने नाव बनाया वैसे ही की जैसे ख़ुदा ने उनसे कहा था।
- 03:13 दो महीने बा’द ख़ुदा ने नूह से कहा कि तू अपने बेटों, बीवी और बहुओ के साथ जहाज में से निकल आ | ख़ुदा ने नूह को बरकत दी “फलों-फूलो, और बढ़ो, और ज़मीन में भर जाओ | तब नूह और उसका ख़ानदान जहाज में से निकल आए |
शब्दकोश:
पड़ोसी, पड़ोसियों, पड़ोस, आस पास के
ता’अर्रुफ़:
पड़ोसी या’नी क़रीब में रहनेवाला इन्सान। यह ‘आमतौर पर उस इन्सान के लिए है जो किसी क़बीले या क़ौम के बीच बसता है।
- पड़ोसी इन्सान एक ही क़बीले का होने की वजह से हिफ़ाज़त और रहम का हक़दार होता है।
- नये ‘अहदनामे में नेक सामरी की मिसाल में ‘ईसा ने पड़ोसी लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया है जिसमें वह सब इन्सानों को शामिल करता है, यहाँ तक कि जिसे हम अपना दुश्मन समझते हैं।
- अगर मुमकिन हो तो इसका तर्जुमा लफ़्ज़ी मतलब में ही किया जाए जिसका मतलब है, “क़रीब रहनेवाला इन्सान”।
(यह भी दखें: मुखालिफ़, तमसील, क़ौम, सामरिया)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:##
- रसूलों के ‘आमाल 07:26-28
- इफिसियों 04:25-27
- गलातियों 05:13-15
- या’क़ूब 02:8-9
- युहन्ना 09:8-9
- लूक़ा 01:56-58
- मत्ती 05:43-45
- मत्ती 19:18-19
- मत्ती 22:39-40
शब्दकोश:
- Strong's: H5997, H7138, H7453, H7468, H7934, G1069, G2087, G4040, G4139
पतरस, शमा’ऊन पतरस, क़ैफा
सच्चाई:
पतरस ‘ईसा के बारह शागिर्दों में से एक था। वह शुरू’ की कलीसिया का एक ख़ास रहनुमा था।
- ‘ईसा की ज़रिये’ शागिर्द होने के लिए बुलाए जाने से पहले पतरस का नाम शमा’ऊन था।
- बाद में ‘ईसा ने उसे “क़ैफा” नाम दिया जिसका मतलब है “पत्थर या चट्टान” अरामी ज़बान में। * पतरस का मतलब यूनानी ज़बान में “पत्थर” या “चट्टान” होता है।
- ख़ुदा ने पतरस के ज़रिये से लोगों को चंगा किया और ‘ईसा की ख़ुशख़बरी का ‘ऐलान किया।
- नये अहद नामे में दो किताबें पतरस के ख़त हैं जो ईमानदारों को हौसला देने और ता’लीम देने के लिए हैं।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
शागिर्द,रसूल(यह भी देखें:
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 08:25
- गलातियों 02:6-8
- गलातियों 02:11-12
- लूका 22:56-58
- मरकुस 03:13-16
- मत्ती 04:18-20
- मत्ती 08:14-15
- मत्ती 14:28-30
- मत्ती 26:33-35
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल:
- 28:09 इस पर पतरस ने उससे कहा, “देख हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिए हैं | तो हमें इसका क्या बदला मिलेगा ?”
- 29:01 एक दिन पतरस ने पास आकर ‘ईसा से पूछा , “हे ख़ुदावन्द , अगर मेरा भाई गुनाह करता रहे, तो मैं उसे कितनी बार मु’आफ़ करूँ? क्या सात बार तक?”
- 31:05 फिर पतरस ने ‘ईसा से कहा ‘हे उस्ताद अगर तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने का हुक्म दे” ‘ईसा ने पतरस से कहा, “ आ |”
- 36:01 एक दिन ‘ईसा ने अपने तीन चेलों, पतरस, याकूब और यूहन्ना को अपने साथ लिया |
- 38:09 पतरस ने कहा, “अगर सब तुझे छोड़ दे तोभी, मैं नहीं छोडूँगा | ‘ईसा ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी आज़माइश लेना चाहता है, लेकिन मैंने तुम्हारे लिये दू’आ की है, पतरस, तेरा ईमान कमज़ोर नहीं होगा | फिर भी आज की रात, मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा |”
- 38:15 जैसे ही सिपाहियों ने ‘ईसा को पकड़ लिया, पतरस ने अपनी तलवार निकाल ली और सरदार काहिन के एक नौकर पर चलाकर उसका कान काट दिया |
- 43:11 पतरस ने उनसे कहा, “तोबा करो , और तुम में से हर एक ‘ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों को मु’आफ़ करेगा।
- 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “‘ईसा मसीह की क़ुदरत से यह आदमी तुम्हारे सामने सही सालिम खड़ा है।
शब्दकोश:
- Strong's: G2786, G4074, G4613
पत्थर, पत्थरों, पत्थराव
ता'अर्रुफ़:
पत्थर एक छोटी चट्टान का टुकड़ा होता है। "पत्थराव" करने के लिए किसी ने उसे मारने के इरादे से उस शख़्स पर पत्थर और बड़ी चट्टानें फेंकना है एक "पत्थरवाह" एक हादसाहै जिसमें किसी को पत्थरवाह किया गया था।
- पुरावे वक़्त में, पत्थराव को लोगों के ज़रिए' किए गए जुर्मों की सज़ा की शक्ल में लोगों को सज़ा-ए-मौत देने का एक 'आम तरीक़ा था।
- ख़ुदा ने इस्राईल के रहनुमाओं को हुक्म दिया था कि वह लोगों को कुछ गुनाहों के लिए मार डालें, जैसे ज़िनाकारी ।
- नए 'अहद नामे में, ‘ईसा ने ज़िनाकारी में एक 'औरत को मु'आफ़ कर दिया और लोगों को उसे मारने से रोक दिया
- स्तिफ़नुस, जो 'ईसा के बारे में गवाही देने के लिए कलाम में पहला शख़्स जिसको क़त्ल कर दिया गया था , उसे पत्थराव करके मार डाला गया था
- लुस्त्रा शहर में, पौलुस रसूल को पत्थराव किया गया था, लेकिन वह अपने ज़ख़्मों से मरा नहीं।
(यह भी देखें: हरामकारी, हवाले करना, क़ुसूर, मरना, लुस्त्रा, गवाही)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 07:57-58
- रसूलों के 'आमाल 07:59-60
- रसूलों के 'आमाल 14:5-7
- रसूलों के 'आमाल 14:19-20
- यूहन्ना 08:4-6
- लूक़ा 13:34-35
- लूक़ा 20:5-6
- मत्ती. 23:37-39
शब्दकोश:
- Strong's: H68, H69, H810, H1382, H1496, H1530, H2106, H2672, H2687, H2789, H4676, H4678, H5553, H5601, H5619, H6344, H6443, H6697, H6864, H6872, H7275, H7671, H8068, G2642, G2991, G3034, G3035, G3036, G3037, G4074, G4348, G5586
पाक, पाकीज़गी
ता’अर्रुफ़:
“पाक” और पाकीज़गी” का हवाला ख़ुदा के किरदार से है जो पूरी तरह से अलग है और किसी भी गुनाहगार और बेकामिल बात से अलग किया हुआ है।
- सिर्फ ख़ुदा पूरी तरह से पाक है। वह इंसानों और चीज़ों को पाक बनाता है।
- एक इन्सान जो पाक है ख़ुदा में बसता है और ख़ुदा की ख़िदमत और जलाल के लिए अलग किया हुआ है।
- जिस चीज़ को ख़ुदा ने पाक मुक़र्रर कर दिया, वह उसके जलाल और इस्ते’माल के लिए अलग कर दी गई है जैसे कि एक क़ुर्बानगाह जो उसके क़ुर्बानी पेश करने के मक़सद के लिए है।
- लोग उसकी इजाज़त के बिना उसके क़रीब नहीं आ सकते क्योंकि वे पाक और सिर्फ़ इन्सान हैं, गुनाहगार और बेकामिल|
- पुराने ‘अहदनामे में, ख़ुदा ने काहिनों को पाक करके अपनी ख़िदमत के लिए अलग कर लिया था। उन्हें ख़ुदा के क़रीब जाने के लिए दुनियावी तौर पर गुनाहों से पाक होना होता था।
- ख़ुदा कुछ मक़ामों और चीज़ों को भी पाकीज़गी में अलग कर लेता है जो उसकी होती हैं या जिनमें उसने अपने आप को ज़ाहिर किया है जैसे हैकल|
लफ़्ज़ी तौर पर, “नापाक” का मतलब है “पाक नहीं” यह कोई इन्सान या कोई चीज़ के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इज़्ज़त नहीं करता|
- इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल उसके बारे में है जो ख़ुदा को उसके ख़िलाफ़ बग़ावत करने के ज़रिए’ उसे बे’इज़्ज़त करता है|
- एक ख़याल जिसे “नापाक” कहते है जिसका ज़िक्र हो सकता है, ‘आम, नजिस नापाक| यह ख़ुदा में नहीं बसता है|
लफ़्ज़ “मुक़द्दस” उन चीज़ों के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इबादत या बुरे काहिनों की झूठे मा’बूदों की ‘इबादत से मुता’अल्लिक़ हैं|
- पुराने ‘अहद नामे में, लफ़्ज़ “मुक़द्दस” कम से कम उन चीज़ों के बारे में बताता है जैसे, पत्थर का सुतून और दीगर चीज़ें जिनका इस्ते’माल झूठे म’बूदों की ‘इबादत करने में किया जाता है| इसका तर्जुमा “मज़हबी” भी किया जा सकता है|
- “मुक़द्दस गीत” और “मुक़द्दस मोशीकी” उस मोशीकी के बारे में है जो ख़ुदा की ता’रीफ़ में गाए या बजाये जाते हैं| इसका तर्जुमा हो सकता है “यहोवा की ‘इबादत के लिए मोशिकी” या “गीत जो ख़ुदा की हम्द करते हैं”
- जुमले “मुक़द्दस ज़िम्मेदारी”, “मज़हबी ज़िम्मेदारी” या “रस्म” उनके बारे में हैं, जो ‘इबादत करने वाले लोगों की रहनुमाई करते हैं| यह बुरे काहिनों के झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने के ज़रिए’ रस्मी कारकरदगी का मुज़ाहिरे के बारे में भी बताता है|
तर्जुमे की सलाह:
- “पाक” के तर्जुमे के तरीक़े शामिल हो सकते हैं, “ख़ुदा के लिए अलग रखना” या “ख़ुदा में बसना” या “पूरी तरह से साफ़” या “बिल्कुल बेगुनाह” या “गुनाहगारों से अलग”
-
“पाक करना” इसका अक्सर अंग्रेजी में तर्जुमा होता है “Sanctify(पाक)” इसका तर्जुमा ऐसे भी किया जा सकता है “ख़ुदा के जलाल से अलग होना (किसी का)|
-
“नापाक” इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं “पाक नहीं” या “ख़ुदा में न बसना” या “ख़ुदा को ‘ईज़्ज़त न देना” या “ख़ुदा की तरफ़ से नहीं”
- जुमले में “नापाक” का तर्जुमा किया जा सकता है “गन्दा”
(यह भी देखें: पाक रूह, पाक करना, पाकी, अलग करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 28:20-22
- 2 सलातीन 03:1-3
- नोहा 04:1-2
- हिज़क़ीएल 20:18-20
- मत्ती 07:6
- मरकुस 08:38
- रसूलों के ‘आमाल 07:33-34
- रसूलों के ‘आमाल 11:7-10
- रोमियो 01:1-3
- 2 कुरुन्थियो 12:3-5
- कुलुस्सियों 01:21-23
- 1 थिस्लुनीकियों 03:11-13
- 1 थिस्लुनीकियों 04:7-8
- 2 तीमुथियुस 03:14-15
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 01:16 उस ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे पाक बनाया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
- 09:12 “जिस मक़ाम पर तू खड़ा है वह पाक ज़मीन है।”
- 13:01 ,”अगर तुम मेरी मानोगे, और मेरे ‘अहद का ‘अमल करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरी हमेशा की दौलत ठहरोगे, पूरी ज़मीन तो मेरी है, और तुम मेरी नज़र में काहिनों की बादशाही और पाक क़ौम ठहरोगे।”
- 13:05 तू सबत के दिन को पाक मानने के लिये याद रखना।
- 22:05“इसलिये वह पाक जो पैदा होनेवाला है, ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।”
- 50:02 जबकि हम ‘ईसा के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो ख़ुदा चाहता है कि हम ऐसी ज़िन्दगी जियें जो पाक हो और उसे ‘इज़्ज़त देता हो।
शब्दकोश:
- Strong's: H430, H2455, H2623, H4676, H4720, H6918, H6922, H6942, H6944, H6948, G37, G38, G39, G40, G41, G42, G462, G1859, G2150, G2412, G2413, G2839, G3741, G3742
पाकी, पाक करना, पाकीज़गी
ता'अर्रुफ़:
पाक करने का मतलब है अलग करके पाक करना। पाक करना, पाक करने का तरीक़ा ।
- पुराने 'अहद नामे में, कुछ लोग और कुछ चीज़ें ख़ुदावन्द की ख़िदमत के लिए अलग किए गए थे या पाक माने गए थे।
- नये 'अहद नामे की ता'लीम के मुताबिक़ 'ईसा में ईमान रखने वालों को ख़ुदावन्द पाक करता है। या'नी वह उन्हें पाक करके अपनी ख़िदमत के लिए अलग कर लेता है।
- 'ईसा में ईमान रखनेवालों को हुक्म दिया गया है कि वे ख़ुदावन्द के लिए ख़ुद को को पाक करें, हर एक काम में पाक ठहरें।
तर्जुमा की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़, " पाक करना" का तर्जुमा "अलग करना" या "मुक़द्दस करना" या "साफ़ करना" हो सकता हैं।
- जब लोग अपने को साफ़ करते हैं, तो इसका मतलब है कि वह अपने को वक़्फ़ करके ख़ुदावन्द की ख़िदमत में ख़ुद को सुपुर्द करते हैं। "पाक" करना लफ़्ज़ कलाम में इस मतलब में इस्ते'माल किया जाता है।
- "पाक" लफ़्ज़ का तर्जुमा "किसी को ख़ुद को सुपुर्द करना" हो सकता है।
- मज़मून के तौर पर, जुमले "आपकी पाकीज़गी" का तर्जुमा "आपको मुक़द्दस बनाना" या "आपको अलग करना (ख़ुदावन्द के लिए)" या "क्या आपको पाक बनाता है" की शक्ल में किया जा सकता है।
(यह भी देखें: पाक करना, पाक, अलग करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:3-6
- 2 थिस्सलुनीकियों 02:13-15
- पैदाइश 02:1-3
- लूक़ा 11:2
- मत्ती. 06:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: H6942, G37, G38
पानी, पानी , पानी पिलाया, पानी देना
ता’अर्रुफ़:
“पानी” का ख़ास मतलब के अलावा मा’नी तालाबों से भी है जैसे समन्दर , सागर, झील या नदी भी है।
- "पानी " इस जुमले का बयान तालाबों या बहुत पानी के चश्मों से है। इसका बयान आम तौर पर पानी की बड़ी ता’दाद से भी है।
- “पानी” का तम्सीली इस्तेमाल बड़ी नाउम्मीदी, कठिनाइयों और तकलीफों के लिए भी किया जाता है। मिसाल के तौर पर , ख़ुदा ‘अहद करता है कि जब हम “पानी से होकर चलें” तब वह हमारे साथ-साथ होगा।
- “बहुत पानी ” का मतलब है परेशानियां बहुत बड़ी हैं।
- जानदारों और कुछ जानवरों को पानी पिलाने का मतलब है उनके लिए "पीने के पानी का इन्तिज़ाम करना"। किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में पानी बाल्टी के ज़रिये कुएँ से निकाल कर हौज़ में या किसी और बर्तन में डाला जाता था कि जानवर उसमें से पानी पीएं।
- पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा को उसके लोगों के लिए “ज़िंदगीका पाने ” का चश्मा कहा गया है। इसका मतलब है कि वह रूहानी ताक़त और नई ज़िन्दगी का चश्मा है
- नये ‘अहद नामे में ‘ईसा ने “ज़िन्दगी के पानी” जुमले का इस्ते’माल किया है जो इंसान को बदलने और नई ज़िन्दगी देने के लिए पाक रूह का काम है।
तर्जुमे की सलाह :
- “पानी भरना” का तर्जुमा होगा, “बाल्टी के ज़रिए’कूएँ से पानी निकालना”
- “उसके दिल में से ज़िन्दगी के पानी की नदियां बह निकलेंगी”। इसका तर्जुमा हो सकता है, “पाक रूह की ताक़त और बरकतें उनमें से नदियों के जैसे बहने लगेंगी” “बरकतों ” की जगह में “तोहफ़ा ” या “फल” या “ख़ुदाई सिफ़त ” का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कूएँ पर उस सामरी ‘औरत से बातें करते वक़्त “ज़िन्दगीका पानी ” का तर्जुमा “ज़िन्दगी देने वाला पानी” या “पानी जो ज़िन्दगी देता है” किया जा सकता है। इस बारे में पानी की मिसाल को तर्जुमा में ज़ाहिर करना है।
- मज़मून के मुताबिक़ , “पानी” और “बहुत पानी” का तर्जुमा “गहरा दुःख ” हो सकता है (जो आपको पानी की तरह चारों ओर से घेरे होता है) "या" भारी मुश्किलों (जैसे पानी की बाढ़) "या "बड़ी मिक़दार में पानी "।
(यह भी देखें: ज़िन्दगी, रूह, पाक रूह, क़ुव्वत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 08:36-38
- ख़ुरूज 14:21-22
- यूहन्ना 04:9-10
- यूहन्ना 04:13-14
- यूहन्ना 04:15-16
- मत्ती 14:28-30
शब्दकोश:
- Strong's: H2222, H4325, H4529, H4857, H7301, H7783, H8248, G504, G4215, G4222, G5202, G5204
पुकार, चिल्लाहट, पुकारकर, रोना, दोहाई, दोहाई, पुकारकर, चिल्लाहट, -नारे बुलन्द करना
ता’अर्रुफ़:
“पुकार” या “दोहाई” हमेशा किसी बात को ऊँची आवाज़ में कहना और ज़रूरत ज़ाहिर करना। कोई “दोहाई” तकलीफ़ या नाउम्मीदी या ग़ुस्से में भी पुकार सकता है।
- “दोहाई” का मतलब चिल्लाना या आवाज देना, ज़्यादातर मदद के लिए।
- इसका तर्जुमा “ऊँची आवाज़ में ऐलान करना” या “जल्दी में मदद मांगना” हो सकता है-मज़मून के मुताबिक़
- “मैं तुझे पुकारता हूं” इस जुमले का तर्जुमा “मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूं” या “मैं मुश्किल हालात में मदद के लिए तुझे पुकारता हूं” हो सकता है
(यह भी देखें: बुलाना, गुजारिश)
किताब -ए- मुक़द्दस के बारे में:
- अय्यूब 27:8-10
- मरकुस 05:5-6
- मरकुस 06:48-50
- ज़ुबूर 022:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H603, H1058, H2199, H2201, H6030, H6463, H6670, H6682, H6817, H6818, H6873, H6963, H7121, H7123, H7321, H7440, H7442, H7723, H7737, H7768, H7769, H7771, H7773, H7775, H8173, H8663, G310, G349, G863, G994, G995, G1916, G2019, G2799, G2805, G2896, G2905, G2906, G2929, G4377, G5455
पूरा कर, पूरा हुआ
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “पूरा कर” का मतलब है मुकम्मल या पूरा होना जिसकी उम्मीद की गयी थी|
- जब एक नबूव्वत पूरी होती है, तो इसका मतलब है कि ख़ुदा ने नबूव्वत में जो पेशगोई की थी उसे पूरा किया।
- अगर इन्सान अपने ‘अहद या क़सम पूरी करता है तो इसका मतलब है कि उसने जो कहा था उसे निभाया।
- ज़िम्मेदारी को पूरा करने का मतलब है किसी दिए गए को या ख़ास काम को पूरा करना।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर “पूरा करना” का तर्जुमा हो सकता है “ख़त्म करना” या “मुकम्मल करना” या “होने के लिए कुछ करना” या “हुक्म मानना” या “ज़ाहिर करना”
- जुमला “पूरा किया जा चुका” का तर्जुमा हो सकता है, “सच हो गया” या “हो चुका है” या “मुकम्मल हो चुका है”
- “पूरा करना” के तर्जुमे के तरीक़े जैसे “अपनी ख़िदमत पूरी करो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुकम्मल करो” या “निभाओ” या “इन्सानों की ख़िदमत वैसी करो जैसे ख़ुदा ने तुम्हें करने के लिए बुलाया है”।
(यह भी देखें: नबी, मसीह, ख़िदमत करना, बुलाना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 02:26-27
- रसूलों के ‘आमाल 03:17-18
- अहबार 22:17-19
- लूक़ा 04:20-22
- मत्ती 01:22-23
- मत्ती 05:17-18
- ज़ुबूर 116:12-15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 24:04 युहन्ना ने वह पूरा किया जो यसा’याह नबी की किताब में लिखा था, “देख मैं अपने फ़रिश्ते को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे लिए राह दिखाएगा”
- 40:03 सिपाहियों ने ‘ईसा के कपड़ों के लिये जुआ खेला। जब उन्होंने ये किया तो उन्होंने इस नबूव्वत को पूरा किया कि, “वे मेरे कपड़े आपस में बाँटते हैं, और मेरे लिबास के लिए जुआ खेलते हैं।”
- 42:07 ‘ईसा ने कहा, "मैंने तुमसे कहा था कि ख़ुदा के कलाम में मेरे बारे में जो कुछ लिखा हुआ है वह पूरा होना चाहिए।"
- __43:05__लेकिन यह वह बात है जो यूएल नबी के ज़रिए’ कही गई थी। ख़ुदा कहता है कि, “आख़िर के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपनी रूह सब इन्सानों पर उँडेलूँगा।”
- 43:07 “’ईसा की मौत हुई लेकिन उसी को ख़ुदा ने मौत के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह नबूव्वत की गई थी कि, ‘न तो उसकी जान आलम-ए-अर्वाह में छोड़ी गई और न उसका जिस्म सड़ने पाया।’
- 44:05 अगरछे तुम्हें नहीं पता था कि क्या करते हो, लेकिन ख़ुदा ने तुम्हारे कामो का इस्ते’माल किया नबूव्वतों को __पूरा करने __के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएगा।
शब्दकोश:
- Strong's: H1214, H5487, G1096, G4138
फल, फलों, फलदार, बेफल
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “फल” का मतलब पेड़ के उस हिस्से से है जो खा सकते हैं| कुछ भी “फलदार” है जो बहुत फलदायक है। किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ को ‘अलामती तौर भी काम में लिया गया है।
- किताब मुक़द्दस में “फल” लफ़्ज़ अक्सर इन्सान के ‘आमाल के लिए काम में लिया गया है। जिस तरह कि फल ज़ाहिर करता है कि पेड़ कैसा है उसी तरह इन्सान के अलफ़ाज़ और ‘आमाल ज़ाहिर करते हैं कि उसका किरदार कैसा है।
- इन्सान अच्छे या बुरे रूहानी फल पैदा कर सकता है, लेकिन “फलदार” का मतलब हमेशा ही सही है या’नी बहुत अच्छे फल लाना।
- लफ़्ज़ “फलदार” का ‘अलामती मतलब है, “ख़ुशगवार” इसका हवाला अक्सर अनेकी औलाद और नसल और खाने की कसरत तथा दौलत से है।
- ‘आमतौर पर, इज़हार “का फल” का मतलब है किसी से पैदा कोई बात। मिसाल के तौर पर, “’अक़्ल का फल” का मतलब है ’अक़्लमन्द होने के अंजाम में अच्छी चीजें पाना|
- इज़हार “ज़मीन का फल” का मतलब उन सभी चीज़ों से है जो खाने के लिए ज़मीन देती है| इसमें न सिर्फ़ फल जैसे कि खजूर और अंगूर ही नहीं, सब्जियाँ, मेवे और अनाज भी शामिल है।
- ‘अलामती इज़हार “रूह का फल” फरमाबरदार इन्सानों में पाक रूह के ज़रिए’ पैदा ख़ुदा की ‘इबादत की ख़ुसीसियत|
- इज़हार “हमल का फल” का मतलब है जो ‘औरत पैदा करती है” जो बच्चा है|
तर्जुमे की सलाह:
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फल” के लिए ‘आम लफ़्ज़ के ज़रिए’ ही किया जाए तो अच्छा होगा, जो ‘आम तौर मक़सदी ज़बान में इस्ते’माल होता है जिसका मतलब है एक फलदार पेड़ का खाने वाला फल| कई ज़बानों में जमा’ लफ़्ज़ “फलों” ज़्यादा क़ुदरती होगा।
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “फलदार” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा रूहानी फल पैदा करना” या “बहुत औलाद होना” या “ख़ुसगवार होना”
- इज़हार “ज़मीन की पैदावार” का तर्जुमा “ज़मीन के ज़रिए’ पैदा खाना” या “उस इलाक़े की फसल”।
- जब ख़ुदा ने जानवर और इन्सान की तख़लीक की, तब उसने उन्हें हुक्म दिया “फलदार हो और ज़रब हो” जिसका मतलब है बहुत ज़्यादा औलाद होना| इसका तर्जुमा “बहुत औलाद होना” या “बहुत औलाद और नसलें होना” या “बहुत औलाद होना कि बहुत नसलें हों” हो सकता है|
- इज़हार “हमल का फल” का तर्जुमा हो सकता है, “हमल से पैदा” या “’औरत के ज़रिए’ पैदा औलाद” या सिर्फ़ “औलाद”। जब इलीशिबा ने मरियम से कहा, “मुबारक है तेरे रिहम का फल,” तो उसका मतलब था “जिस बच्चे को तू पैदा करेगी वह मुबारक है”। मक़सदी ज़बान में इस जुमले के लिए मुख़्तलिफ़ इज़हार हो सकते हैं।
- एक और इज़हार “अँगूर का फल” का तर्जुमा “अँगूर की बेल का फल” या “अंगूर” हो सकता है।
- मज़मून पर मुनह्स्सिर, “ज़्यादा फलदार होना” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा फल देगी” या “ज़्यादा औलाद होगी” या “ख़ुसगवार होगे”।
- रसूल पौलुस का इज़हार “फलदार मज़दूरी” का तर्जुमा हो सकता है, “अच्छे नतायज लाने वाला काम” या “मसीह में ईमान करने के लिए काम को लाने वाली कोशिश”।
- “रूह का फल” का तर्जुमा “पाक रूह के ज़रिए’ पैदा काम” या “लफ़्ज़ और काम जिनसे ज़ाहिर हो कि पाक रूह इन्सान में काम करती है” हो सकता है।
(यह भी देखें: नसल, अनाज, अँगूर, पाक रूह, दाख़लता, रिहम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- गलातियों 05:22-24
- पैदाइश 01:11-13
- लूक़ा 08:14-15
- मत्ती 03:7-9
- मत्ती 07:15-17
शब्दकोश:
- Strong's: H3, H4, H1061, H1063, H1069, H2173, H2233, H2981, H3206, H3581, H3759, H3899, H3978, H4022, H4395, H5108, H5208, H6500, H6509, H6529, H7019, H8256, H8393, H8570, G1081, G2590, G2592, G2593, G3703, G5052, G5352, G6013
फ़रीसी, फ़रीसियों
सच्चाई:
फ़रीसी ‘ईसा के वक़्त यहूदी रहनुमाओं का एक अहम असरदार मज़हब था।
- उनमें से ज़्यादातर लोग बीच तबक़े’के तिजारती थे और कुछ फ़रीसी काहिन भी थे।
- सब यहूदी रहनुमाओं में फ़रीसी मूसा की शरी’अत के मानने में और ग़ैर यहूदी क़ानूनों और रिवाजों के मानने में सबसे ज़्यादा सख्त इन्सान थे।
- वह यहूदियों को आसपास की ग़ैर क़ौमों के असर से दूर रखने के बारे में बहुत ज़्यादा फ़िक्रमन्द रहते थे। फ़रीसी लफ़्ज़ “अलग करना” से आता है।
- फ़रीसी मरने के बा’द के ज़िन्दगी को मानते थे, वे फ़रिश्तों और कई रूहानी जानदारों को भी मानते थे।
- फ़रीसी और सदूकी ‘ईसा और शुरू’ की कलीसिया के दुश्मन थे।
(यह भी दखे: ’अदालत, यहूदियों, शरी’अत, सदूक़ी
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 26:4-5
- यूहन्ना 03:1-2
- लूका 11:43-44
- मत्ती 03:7-9
- मत्ती 05:19-20
- मत्ती 09:10-11
- मत्ती 12:1-2
- मत्ती 12:38-40
- फिलिप्पियों 03:4-5
शब्दकोश:
फ़सह
सच्चाई:
“फ़सह” यहूदियों के एक मज़हबी त्यौहार का नाम है जिसमें वे याद करते हैं कि ख़ुदा ने उनके बाप दादाओं को मिस्र की ग़ुलामी में से कैसे निकाला था।
- इस त्यौहार का नाम उस सच्चाई से आता है कि ख़ुदा इस्राईलियों के घरों से होकर निकला लेकिन उसने उनके बेटों का हलाक नहीं किया जबकि मिस्र के सब पहिलौठे मारे गए थे।
- फ़सह में एक मुकम्मल मेमने का गोश्त भूनकर खाया जाता था और रोटी ख़मीरी नहीं होती थी। इस खाने से उन्हें उस खाने की याद होता है जो उनके बाप दादाओं ने मिस्र से कूच करने से पहले रात को खाया था।
- ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि वे हर साल ऐसा खाना खाकर याद करें इसलिए ख़ुशी मनाएं कि ख़ुदा कैसे उनके घराने में से निकलकर गया और उन्हें ग़ुलामी से आज़ादी दिलाई।
तर्जुमे की सलाह:
फ़सह का लफ़्ज़ के तर्जुमें में “होकर निकलने” की मिलने के लफ़्ज़ या और एक जैसे लफ़्ज़ों को मिलाने के ज़रिए’ किया जा सकता है।
- अगर इस त्यौहार का नाम फ़रिश्ते के ज़रिए’ इस्राईलियों के बेटों को क़त्ल न करते हुए आगे बढना ज़ाहिर तौर से दिखाए तो बहुत मददगार होगा।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 05:6-8
- 2 तवारीख़ 30:13-15
- 2 सलातीन 23:21-23
- इस्तिसिना 16:1-2
- ख़ुरूज 12:26-28
- एज्रा 06:21-22
- यूहन्ना 13:1-2
- यशू’अ 05:10-11
- लैव्यव्यवस्था 23:4-6
- गिनती 09:1-3
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 12:14 ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया कि वह हर साल फसह का त्यौहार मनाया करे, इस बात को याद करते हुए कि ख़ुदा ने उन्हें मिस्रियो की गुलामी से बचाया व उन्हें मिस्रियो पर फ़तहयाब किया |
- 38:01 हर साल, यहूदी फसह का त्यौहार मनाते थे | यह एक त्यौहार था, जब वह याद करते थे कि ख़ुदा ने कई सदियों पहले मिस्र की गुलामी से उनके बाप दादाओं को बचाया था |
- 38:04’ईसा यरूशलीम में अपने शागिर्दों के साथ फसह का दिन मना रहा था |
- 48:09 जब ख़ुदा ने खून को देखा तो वह उनके घरों के पास से गुजर गया और उसने उनके जेठे बेटों को हलाक नहीं किया | इस हादसे को फसह कहा जाता है |
- 48:10 ’ईसा हमारा फसह का मेम्ना है | वह कामिल और बेगुनाह था, और फसह के त्यौहार के दिन मारा गया था |
शब्दकोश:
फ़ारस, फ़ारसियों
ता’अर्रुफ़:
फ़ारस एक ताक़तवर मुल्क हो गया था जिसकी बुनियाद बुलन्द खोरस ने 550 ई.पू. में की थी। फ़ारस देश बाबुल अश्शूर मुल्कों के दाख्खिन पूरब में था। वह आज का ईरान देश है।
- फ़ारस के बाशिन्दों को फ़ारसी कहते थे।
- खोरस बादशाह के हुक्म के मुताबिक़ यहूदियों को बाबुल की ग़ुलामी से आज़ाद करके अपने वतन लौटने की इजाज़त मिल गई थी, और यरूशलीम का हैकल भी फिर से बनाया गया था जिसका खर्चा फ़ारस शहर के ख़ज़ाने से मिलता था।
- जब एज्रा और नहमियाह यरूशलीम की शहरपनाह को फिर से ता’मीर करने अपने वतन लौटे थे तब अर्तक्षत्र फ़ारसी मुल्क का बादशाह था।
- आस्तर फ़ारसी बादशाह की रानी थी जब उसने बादशाह अख़सूयरस से शादी किया था।
(यह भी देखें: अखसूयरस, अर्तख़शश्ता, असूर, बाबुल, ख़ोरस, आस्तर, ‘अज़्रा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- नहमियाह
- दानीएल 10:12-13
- आस्तर 01:3-4
- हिज़क़ीएल 27:10-11
शब्दकोश:
- Strong's: H6539, H6540, H6542, H6543
फ़िलिप्पुस, ख़ुशख़बरी देने वाला
सच्चाई
यरूशलीम में शुरू’ की कलीसिया में फ़िलिप्पुस सात ख़ादिमों में से एक था जिन्हें ग़रीब और ज़रूरत मन्द ईमानदारों की ख़बर लेने के लिए चुना गया था, ख़ास करके बेवाओ को।
- ख़ुदा ने यहूदिया और गलील के तमाम ‘इलाक़ों में ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए फ़िलिप्पुस का इस्तेमाल किया था उसने यरूशलीम से गाजा जाने वाले यरूशलीम के रास्ते में एक कूशी आदमी को भी ख़ुशख़बरी सुनाया था।
- सालों बा’द जब फ़िलिप्पुस क़ैसरिया में रह रहा था तब यरूशलीम लौटते वक़्त पौलुस और उसके साथी उसके घर में ठहरे थे।
- ज़्यादातर किताब-ए-मुक़द्दस के आलिमों के ख़्याल में यह फ़िलिप्पुस ‘ईसा का शागिर्द फ़िलिप्पुस नहीं था। कुछ ज़बानों में इन दोनों के नामों के हुरूफ़ में बदलाव कर दिया गया है कि उनका अलग-अलग ज़ाहिर होना साफ़ हो।
तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
यह भी देखें : फ़िलिप्पुस
किताब ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 06:5-6
- रसूलों के आमाल. 08:6-8
- रसूलों के आमाल 08:12-13
- रसूलों के आमाल 08:29-31
- रसूलों के आमाल 08:36-38
- रसूलों के आमाल 08:39-40
शब्दकोश:
बचाना, बचाता है, नजात, हिफ़ाज़त
ता’अर्रुफ़:
“बचाना” या'नी किसी बुरी या नुक़सानदह बात से बचना। “महफ़ूज़ रहना” या'नी नुक़सान या ख़तरे से बचना।
- जिस्मानी ऐतबार से लोगों को नुक़सान, ख़तरे या मौत से बचाया या निकाला जा सकता है।
- रूहानी मतलब में लोगों की "नजात" का मतलब है सलीब पर 'ईसा की मौत के ज़रिए’, गुनाह से मु'आफ़ किया गया और दोज़ख़ में सज़ा का हिस्सेदार होने से ख़ुदा ने उसे "बचा लिया" है।
- लोग ख़तरे से इन्सानों को बचा सकते हैं लेकिन गुनाहों की हमेशा की सज़ा से सिर्फ़ ख़ुदावन्द ही इन्सानों को बचा सकता है।
नजात लफ़्ज़ का मतलब है किसी को बुराई और ख़तरे से बचाना
- किताब-ए-मुक़द्दस में नजात रूहानी छुटकारे को बताता है जो उन लोगों के लिए बताया हैः जो तौबा करते हैं और 'ईसा पर ईमान रखते हैं
- किताब-ए-मुक़द्दस ख़ुदा का अपने लोगों को उसके दुश्मनों से और बुराई से नजात दिलाना है नजात
तर्जुमा की सलाह:
- “बचाना” का तर्जुमा “नजात दिलाना” या “नुक़सान से बचाना” या “नुक़सान के रास्ते से निकाल लेना” या “मरने से बचा लेना” हो सकता हैं।
- इस जुमले में “जो कोई अपनी ज़िन्दगी बचाएगा”, लफ़्ज़ “बचाएगा” का तर्जुमा, “हुफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ रखना” हो सकता है।
-
“महफ़ूज़” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़तरे से बचना” “वह जगह जहाँ कोई नुक़सान न पहुंचा पाए”।
-
नजात का जो लफ़्ज़ हैं उसका तेजुमा दुनियावी तरीक़े से भी कर सकते हैं "बचाना" या "निकालना"या लोगों को उनके गुनाहों की सज़ा से आज़ाद कराना
- ख़ुदा मेरी नजात है ऐसा भी तर्जुमा हो सकता है ख़ुदा ही है जो मुझे बचाता है
- आप नजात के कुँवें से पानी निकालना ,इसका तर्जुमा यह भी हो सकता हैं आप पानी से महफ़ूज़ निकल जाते हैं क्यूँकि ख़ुदा और उनकी हिफ़ाज़त करता है
((यह भी देखें: सलीब, नजात, सज़ा देना, गुनाह, मुन्जी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 49:16-18
- पैदाइश 47:25-26
- ज़बूर 080:1-3
- यरमियाह 16:19-21
- मीकाह 06:3-5
- लूक़ा 02:30-32
- लूक़ा 08:36-37
- रसूलों के 'आमाल 04:11-12
- रसूलों के 'आमाल 28:28
- रसूलों के 'आमाल 02:20-21
- रोमियों 01:16-17
- रोमियों 10:8-10
- इफ़िसियों 06:17-18
- फ़िलीप्पियों 01:28-30
- 1 तीमुथियुस 01:15-17
- मुक़ाश्फा 19:1-2
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें :
- 09:08__मूसा ने अपने साथी इस्राईली को__बचाने की कोशिश की |
- 11:02 ख़ुदा ने इन्तिज़ाम किया कि, वह शख्स जो उस पर यक़ीन करेंगा वह उसके पहलौठे बेटे को बचाएगा ।
- 12:05__मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत! ख़ुदा ख़ुद ही तुम्हारे लिये लड़ेगा और तुम्हे __बचाएगा
- 12:13 इस्राईलियों ने अपनी आज़ादी का जश्न मनाने के लिये बहुत से गीत गाए, और ख़ुदा की 'इबादत की जिसने उन्हें मिस्रियो की फ़ौज से बचाया
- 16:17 यह बात कई बार दोहराई गई,इस्राईली गुनाह करते थे , ख़ुदा उन्हें सज़ा देता था, और फिर वह तौबा करते थे, और फिर ख़ुदा उन्हें बचाने के लिए एक नजात देने वाला भेजता था
- 44:08 तुमने 'ईसा को सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने उसे मरे हुओं में से जिलाया। तुमने उसे क़ुबूल न किया, लेकिन और कोई दूसरा रास्ता नहीं है सिर्फ़ 'ईसा की क़ुव्वत के ज़रिए' ही नजात मिल सकती है ।”
- 47:11__दारोगा घबरा गया और पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, “ऐ साहीबों __नजात पाने के लिए मैं क्या करूँ ?” पौलुस ने जवाब दिया, "’ईसा, जो मालिक है, उसपर यक़ीन करो तो तुम और तुमारा ख़ानदान नजात पाएगा।"
- 49:12 अच्छे काम तुम्हें बचा नहीं सकते।
- 49:13 जो कोई भी 'ईसा पर यक़ीन करता और उसे ख़ुदा की शक्ल में क़ुबूल करता है ख़ुदा उसे बचाएगा। लेकिन जो उसमें ईमान नहीं करता है ऐसे किसी शख्स को वह नहीं बचाएगा।
शब्दकोश:
- Strong's: H983, H2421, H3444, H3467, H3468, H4190, H4422, H4931, H6403, H7682, H7951, H7965, H8104, H8668, G803, G804, G806, G1295, G1508, G4982, G4991, G4992, G5198
बचे हुए
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “बचे हुए लोग” हक़ीक़त में बचे हुए लोगों या चीज़ों के बारे में है। इसका मतलब बड़ी मिक़दार में से छोड़ी गई चीज़ भी है।
- “बचे हुए” अक्सर उन लोगों को ज़ाहिर करता है जो जान के ख़तरे से बच गए या सताव के बा’द भी जो इन्सान ख़ुदा के वफ़ादार रहे।
- यसा’याह यहूदियों की एक जमा’अत को बचे हुए लोग के बारे में कहता है जो दुश्मनों के हमले से बच निकले और ‘अहद के मुल्क कना’न लौटे।
- पौलुस भी “बचे हुए” लोगों का ज़िक्र करता है जिन्हें ख़ुदा ने चुना कि उसके फ़ज़ल के वारिस हों।
- “बचे हुए” से यह भी मतलब निकलता है कि कुछ और लोग वफ़ादार नहीं थे, या जो बचे नहीं या जो चुने नहीं गए।
तर्जुमे की सलाह:
- “इनमें से बचे हुए लोग” इस जुमले का तर्जुमा, “इन लोगों में से जो बाक़ी रह गए” या “जो लोग ईमानदार रहे” या “बचे हुए लोग” हो सकता है।
- “बाकी सब लोग” का तर्जुमा, “बचे हुए सब लोग” या “बचे हुए लोग” हो सकता है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 15:15-18
- आमोस 09:11-12
- हिज़क़ीएल 06:8-10
- पैदाइश 45:7-8
- यसा’याह 11:10-11
- मीकाह 04:6-8
शब्दकोश:
- Strong's: H3498, H3499, H5629, H6413, H7604, H7605, H7611, H8281, H8300, G2640, G3005, G3062
बच्चे ,बच्चा
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “बच्चा” लफ़्ज़ अक्सर बच्चे के लिए काम में लिया गया है ,छोटी ‘उम्र के लिए भी इसका इस्ते’माल किया गया है | “बच्चे” जमा’ है और इसके तम्सीली इस्ते’माल भी हैं |
किताब-ए-मुक़द्दस में शागिर्दों या इमानदारों को भी कभी कभी “बच्चे” कहा गया है |
- ”बच्चे” लफ़्ज़ कभी कभी नस्लों के लिए भी इस्ते’माल किया गया है |
-
”की बच्चे “का मतलब किसी बात की ख़ासियत ज़ाहिर करने से भी होता है | इसकी कुछ मिसाल हैं :
-
रोशनी की औलाद
- हुक्म मानने वाली औलाद
-
शैतान की औलाद
-
यह लफ़्ज़ रूहानी बेटे /बेटियों के बारे में आता है | मसलन ,”खुदा के बेटे “या ‘ईसा में ईमान रखने की वजह से ख़ुदा के लोग |
तर्जुमे की सलाह:
“औलाद “ का तर्जुमा “नसल”किया जा सकता है जब इसका बयान किसी के पोते-परपोतों से हो |
- ”मज़मून के मुताबिक़ “की औलाद “का तर्जुमा “की सिफ़त रखने वाले लोग “ या “के जैसा बर्ताव करने वाले लोग “भी किया जा सकता है |
- अगर मुमकिन हो तो “ख़ुदा की औलाद “को ज्यों का त्यों रखा जाये क्यूँकि किताब-ए-मुक़द्दस का एक ख़ास मज़मून है ,ख़ुदा हमारा आसमानी बाप है | इसका मुमकिन इख़्तियारी तर्जुमा हो सकता है ,”ख़ुदा के लोग “या “ख़ुदा की रूहानी औलाद “|
- ’ईसा अपने शागिर्दों को “औलाद कहता है तो इसका तर्जुमा “प्यारे दोस्तों” या “मेरे प्यारे शागिर्दों “हो सकता है |
- जब पौलुस और यूहन्ना ‘ईसा के ईमानदारों को “बच्चों कहते हैं तो इसका तर्जुमा “प्यारे ईमानदार साथियों”हो सकता है |
- ”वा’दा” की औलाद’ का तर्जुमा हो सकता है “ख़ुदा के वा’दे को पाए हुए लोग “|
(यह भी देखें: नसल, वा’दा बेटे, रूह, यक़ीन, महबूब
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1यूहन्ना 02:27-29
- 3 युहन्ना 01:1-4
- गलतियो 04:19-20
- पैदाइश 45:9-11
- यशू’अ 08:34-35
- नहमियाह 05:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H1069, H1121, H1123, H1129, H1323, H1397, H1580, H2029, H2030, H2056, H2138, H2145, H2233, H2945, H3173, H3205, H3206, H3208, H3211, H3243, H3490, H4392, H5271, H5288, H5290, H5759, H5764, H5768, H5953, H6185, H7908, H7909, H7921, G730, G815, G1025, G1064, G1471, G3439, G3515, G3516, G3808, G3812, G3813, G3816, G5040, G5041, G5042, G5043, G5044, G5206, G5207, G5388
बदकार, बदकारियों, बदतरीन
ता'अर्रुफ़:
“बदकार” लफ्ज़ गुनाह करनेवालों और बुराई करनेवालों के लिए यह एक 'आम लफ्ज़ है।
- यह लफ्ज़ उन लोगों के लिए एक 'आम लफ्ज़ हो सकता है जो ख़ुदा के हुक्मों पर 'अमल नहीं करते।
- इस लफ्ज़ के तर्जुमें में “बुरा” और “बदकार” के लिए लफ़्ज़ों के इस्ते'माल एक ऐसे लफ्ज़ के साथ जो “करना” या “बनाना” या “वजह होना” ज़ाहिर करता है, इस्ते'माल किया जा सकता है।
(यह भी देखें: बुराई)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 02:13-17
- यसा’याह 09:16-17
- लूक़ा 13:25-27
- मलाकी 03:13-15
- मत्ती 07:21-23
शब्दकोश:
- Strong's: H205, H6213, H6466, H7451, H7489, G93, G458, G2038, G2040 , G2555
बदरूह, बुरी रूह, नापाक रूह
ता’अर्रुफ़
ये सब अलफ़ाज़ बदरूहों के बारे में हैं जो ख़ुदा के मुखालिफ़ रूहें हैं।
- ख़ुदा ने फ़रिश्ते की तख़लीक़ अपनी ख़िदमत के लिए की| शैतान ने जब ख़ुदा से मुख़ालिफ़त की तब कुछ फ़रिश्तों ने उसके साथ बग़ावत की और वे जन्नत से बाहर गिरा दिए गए। माना जाता है कि शैतान और बदरूहें ये “गिराए गए फ़रिश्ते” हैं।
- इन बदरूहों को कभी-कभी “नापाक रूहें” भी कहा गया है। “नापाक” या’नी “ख़राब” या “बुरी” या “गन्दी”
- शैतान की ख़िदमत में होने की वजह से वे बुरा काम करती हैं। कभी-कभी वे इन्सान में दाख़िल होकर उसे क़ाबू में कर लेती हैं।
- वे इन्सान से ज़्यादा ताक़तवर होती हैं लेकिन ख़ुदा से ज़्यादा नहीं।
तर्जुमे की सलाह :
- लफ़्ज़ “बदरूह” का तर्जुमा हो सकता है “बुरी रूह”
- लफ़्ज़ “नापाक रूह” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़राब रूह” या “ग़लत रूह” या “बुरी रूह”
- यक़ीनी करें कि इनमें से कोई भी लफ़्ज़ या जुमला जो इसके तर्जुमे में इस्ते’माल हो उस लफ़्ज़ के मतलब एक न हो जो शैतान के लिए काम में लिया जाए।
- ये भी ख़याल रहे कि लफ़्ज़ “बदरूह” मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसा होगा। (देखें: नामा’लूम लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे करें
(ये भी देखें: बदरूहों से मुब्तिला, शैतान, ख़ुदा, ख़ुदा, फ़रिश्ता, बुराई, साफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- या’कूब 02:18-20
- या’कूब 03:15-18
- लूक़ा 04:35-37
- मरकुस 03:20-22
- मत्ती. 04:23-25
बाइबल कहानियों से मिसाल:
- 26:09 बहुत से लोग जिनमें बदरूहें थी, उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया। जब ‘ईसा उन्हें हुक्म देता, तब बदरूहे अक्सर यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी कि, “तुम ख़ुदा के बेटे हों!”
- 32:08 बदरूह उस आदमी में से निकलकर सूअरों के अन्दर गई।
- 47:05 लिहाज़ा: एक दिन जब वह ख़ादिमा चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस बदरूह से जो उसमे थी कहा, “मैं तुझे ‘ईसा मसीह के नाम से हुक्म देता हूँ कि उसमें से निकल जा। उसी घड़ी वह वह बदरूह उसमें से निकल गई।
- 49:02 वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफ़ी हो।
शब्दकोश:
- Strong's: H2932, H7307, H7451, H7700, G169, G1139, G1140, G1141, G1142, G4190, G4151, G4152, G4189
बदला, बदले, बदला देना, बदला दिया, बदला देने बाला
ता’अर्रुफ़:
“बदला” लफ़्ज़ का मतलब है कि किसी आदमी का अच्छा या बुरा किया हुआ काम के लिए जो कुछ उसको मिलता है उसको जानकारी करता है। “बदला” या’नी किसी को उसकी क़ाबिलियत के लिए कुछ देना।
- बदला अच्छा और मुश्बत होता है जिससे भलाई करनेवाला या ख़ुदा का हुक्म मानने वाला हासिल करता है।
- कभी-कभी बदला मनफ़ी होता है जो बुरे सुलूक का नतीजा होता है जैसे “बुराई का फल” इस बारे में “बदला” मनफ़ी नतीजा या गुनाह की सज़ा होता है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “बदला” का तर्जुमा “अदायगी” या “जो कुछ मुस्तहक़ कोई बात” या “सज़ा” हो सकता है।
- “बदला देना” का तर्जुमा हो सकता है, “बदले में देना” या “जो मुस्तहक़ है वह देना”।
- यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमा का मतलब मज़दूरी न हो। बदला काम की मज़दूरी नहीं है।
(यह भी देखें: सज़ा देना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इस्तिस्ना32:5-6
- यसा’याह 40:9-10
- लूक़ा 06:35-36
- मरकुस 09:40-41
- मत्ती 05:11-12
- मत्ती 06:3-4
- ज़बूर 127:3-5
- मुकाशिफ़ा 11:18
शब्दकोश:
- Strong's: H319, H866, H868, H1576, H1578, H1580, H4864, H4909, H4991, H5023, H6118, H6468, H6529, H7809, H7810, H7936, H7938, H7939, H7966, H7999, H8011, H8021, G469, G514, G591, G2603, G3405, G3406, G3408
बरअब्बा
ता'अर्रुफ़:
जब 'ईसा को क़ैदी बनाया गया उस वक़्त बरअब्बा यरूशलीम में एक क़ैदी था।
- बरअब्बा एक मुजरिम था जिसने क़त्ल किए थे और रोमी हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी।
- जब पेन्तुस पिलातुस ने बरअब्बा और 'ईसा में से एक को छोड़ देने का 'ऐलान किया तो क़ौम ने बरअब्बा को चुना।
- आख़िर पिलातुस ने बरअब्बा को छोड़ दिया और 'ईसा को मौत की सज़ा दी ।
(तर्जुमा की सलाह नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: पिलातुस, रोम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यूहन्ना 18:38-40
- लूक़ा 23:18-19
- मरकुस 15:6-8
- मत्ती 27:15-16
शब्दकोश:
बरकत, मुबारक, बरकत देना
ता'अर्रुफ़:
किसी को “बरकत” देना या किसी शख्स या चीज़ के लिए अच्छी और फ़ायदे मन्द बात होने की तमन्ना करना।
- किसी को बरकत देने का मतलब उसके लिए सही और फ़ायदे की ख़याल ज़ाहिर करना।
- किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में बाप हमेशा अपनी औलाद को ‘आम तौर पर बरकत देते थे।
- लेकिन आदमी जब ख़ुदावन्द को “मुबारक”कहता है तब इस लफ्ज़ का मतलब है, वह उसकी ता'रीफ़ कर रहे हैं।
- कभी-कभी “बरकत” लफ्ज़ खाना को खाने से पहले उसे पाक करना भी होता है या ख़ुदावन्द को खाने के लिए मुबारकबाद देना और उसकी ता'रीफ़ करना।
तर्जुमें की सलाह:
- “बरकत” देने का तर्जुमा“ हलीमी से फ़राहम करना” या “किसी पर ज़्यादा से ज़्यादा रहम और फ़ज़ल ज़ाहिर करना” भी हो सकता है।
“ख़ुदावन्द ने बहुत बरकत दी” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ने बहुत अच्छी चीज़ें दी” या “ख़ुदा उसे समझ फ़राहम करेगा”।
- “वह मुबारक है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “वह बहुत फ़ायदा उठाएगा” या “वह अच्छी-अच्छी चीज़ें हासिल करेगा” या “ख़ुदावन्द उसे समझ फ़राहम करेगा”।
- “मुबारक है वह आदमी जो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “कितना मुबारक है वह आदमी जो”
- इज़हार जैसे “मुबारक है ख़ुदा” का तर्जुमा“रब की ता'रीफ़ हो” या “ यहोवा की ता'रीफ़ करो” या “मैं ख़ुदा की ता'रीफ़ करता हूँ”।
- खाने को बरकत देने के बारे में इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “खाने के लिए ख़ुदा का शुक्र किया” या “खाने के लिए ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ की” या “ख़ुदा की ता'रीफ़ करके खाने को पाक किया”।
(यह भी देखें: हम्द)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 10:14-17
- रसूलों के 'आमाल 13:32-34
- इफिसियों 01:3-4
- पैदाईश 14:19-20
- यसा’याह 44: 3-4
- या’क़ूब 01:22-25
- लूक़ा 06:20-21
- मत्ती. 26:26
- नहमियाह 09:5-6
- रोमियो 04:9-10
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 01:07 ख़ुदा ने देखा कि यह अच्छा था और उसने उन्हें बरकत दी।
- 01:15 ख़ुदा ने अपनी शक्ल में आदम और हव्वा को बनाया। उस ने उन्हें बरकत दी और उन से कहा, “कई बच्चों और पोतो को पैदा करो और ज़मीन में भर जाओ!”
- 01:16 इसलिये ख़ुदा जो कुछ कर रहा था उन सब से आराम लिया। उस ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे पाक किया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
- 04:04 "मैं तुम्हारा नाम 'अज़ीम करूँगा। मैं बरकत दूँगा उनको जो तुझे बरकत देगा, और जो तुझे ला’नत करेगा, उसे मैं ला’नत दूँगा। ज़मीन के सभी ख़ानदानों को तेरे वजह से बरकत दी जाएगी। "
- \04:07 मलिकसिदक ने अब्राम को बरकत दी और कहा, " ख़ुद मुख्तार ख़ुदावन्द जो आसमान और ज़मीन का मालिक है अब्राम को बरकत दे।"
- \07:03 इसहाक़ अपनी बरकत 'ऐसौ को देना चाहता था।
- \08:05 यहाँ तक कि जेल में, यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया ।
शब्दकोश:
- Strong's: H833, H835, H1288, H1289, H1293, G1757, G2127, G2128, G2129, G3106, G3107, G3108, G6050
बरस, साल , उम्र
ता'अर्रुफ़:
उम्र ,या'नी इन्सान की ज़िन्दगी के साल जो इंसान जीता है इसका इस्ते'माल आम तौर पर वक़्त की मुद्दत के बारे में
- लम्बी मुद्दत को बयान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दूसरे लफ़्ज़ों में, ज़माना, और साल शामिल हैं
- 'ईसा ने मौजूदा ज़माने को जब ज़मीन पर गुनाह, बुराई और ना फ़रमानी बहुत ज़्यादा हो जायेगी , यह ज़माना कहा था
- एक आने वाला ज़माना भी होगा जब नए आसमान और नई ज़मीन पर रस्तबाज़ी का बादशाह होगा।
तर्जुमा की सलाह:
- शर्तों के मुताबिक़ , ज़माना, लफ्ज़ का तर्जुमा , वक़्त , या इतने साल की उम्र , या मुक़रर्रा वक़्त, या, वक़्त हो सकता है
- बहुत ज़्यादा ‘उम्र, इसका सही तर्जुमा , कई साल का होकर , या, जब वह बहुत ‘उम्र का हो गया , जब वह बहुत वक़्त ज़िन्दा रहा , हो सकता है
- यह मौजूदा ज़माना बुरा ज़माना, या'नी मौजूदा इस वक़्त के दौरान लोग बहुत बुरे थे
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 29:26-28
- 1 कुरिन्थियों 02:6-7
- इब्रानियों 06:4-6
- अय्यूब 05:26-27
शब्दकोश:
- Strong's: H2465, G165, G1074
बर्बाद , हलाक , हलाक हो गया, हलाक कर, उजाड़, वीरानों
ता’अर्रुफ़:
किसी चीज़ को गवांना या’नी उसे लापरवाही से फेंक देना या उसका बद अक़ली से इस्ते’माल करना। कुछ ऐसा जो "उजाड़" या "बर्बाद " है, वह ज़मीन या एक शहर का हवाला देता है जिसे बर्बाद कर दिया गया है कि इसमें कुछ भी नहीं रह सके।
- लफ़्ज़" हलाक हो जाएँगे" एक तमसील है जिसका मतलब है कि ज़्यादा से ज़्यादा बीमार या बर्बाद हो जाए। जो इन्सान बर्बाद हो रहा है वह आमतौर पर बीमारी या खाने की कमी की वजह से बहुत दुबला हो जाता है।
- किसी शहर या जगह को “उजाड़ छोड़ देना” या’नी उसे बर्बाद कर देना।
- एक "उजाड़" के लिए एक और लफ़्ज़ "रेगिस्तान" या "वीरान " हो सकता है। लेकिन एक बंजर ज़मीन भी यह ज़ाहिर करती है कि लोग वहाँ रहते थे और ज़मीन में पेड़ों और पौधों को खाने के लिए इस्ते’माल किया जाता था।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- हिज़क़ीएल 06:6-7
- अह्बार 26:37-39
- मत्ती 26:6-9
- मुकाश्फ़ा 18:15-17
- ज़करियाह 07:13-14
शब्दकोश:
- Strong's: H535, H1086, H1104, H1110, H1197, H1326, H2100, H2490, H2522, H2717, H2720, H2721, H2723, H3615, H3765, H3856, H4087, H4127, H4198, H4592, H4743, H4875, H5307, H5327, H7334, H7582, H7703, H7722, H7736, H7843, H8047, H8074, H8077, H8414, H8437, G684, G1287, G2049, G2673, G4199
बर्बाद, बर्बाद करता, बर्बाद किया, बर्बाद करनेवाला, बर्बाद करने वाले, बर्बाद करना
ता’अर्रुफ़
कुछ बर्बाद करना मतलब है उसको पूरी तरह से ख़त्म, लिहाज़ा यह अब मौजूद नहीं|
- लफ़्ज “बर्बाद करनेवाला” का लफ़्ज़ी मतलब “क़हर ढाने वाला इन्सान”।
- पुराने ‘अहदनामे में ये लफ़्ज़ अक्सर किसी शख़्स के ‘आम हवाले के तौर पर इस्ते’माल होतें जो दूसरे लोगों को बर्बाद कर देता है, जैसे हमला और फ़ौज|
- जब ख़ुदा ने मिस्र के पहलौठों को मार डालने के लिए फ़रिश्ता भेजा था तब उस फ़रिश्ते को “पहलौठे को बर्बाद करनेवाला कहा गया है” इसका तर्जुमा “वह (फ़रिश्ता) जिसने पहलौठे बेटों को हलाक किया” के तौर पर हो सकता है,।
- मुकाशिफ़ा की क़िताब में आख़िरी वक़्त के बारे में, शैतान या किसी बुरी रूह को “बर्बाद करनेवाला” कहा गया है। वही “नाश करने वाला” है क्योंकि उसका मक़सद ख़ुदा के ज़रिए’ बनाई हर चीज़ को बर्बाद करना है।
(यह भी देखें: फ़रिश्ता, मिस्र, पहलौठे, फ़सह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुरूज 12:23
- इब्रानियों 11:27-28
- यरमियाह 06:25-26
- कुज़ात16:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H6, H7, H622, H398, H1104, H1197, H1820, H1942, H2000, H2015, H2026, H2040, H2254, H2255, H2717, H2718, H2763, H2764, H3238, H3341, H3381, H3423, H3582, H3615, H3617, H3772, H3807, H4191, H4199, H4229, H4591, H4889, H5218, H5221, H5307, H5362, H5420, H5422, H5428, H5595, H5642, H6789, H6979, H7665, H7667, H7703, H7722, H7760, H7843, H7921, H8045, H8074, H8077, H8316, H8552, G355, G396, G622, G853, G1311, G1842, G2049, G2506, G2507, G2647, G2673, G2704, G3089, G3645, G4199, G5351, G5356
बहन, बहनों
ता’अर्रुफ़:
बहन माँ या बाप के रिश्ते से किसी की 'औरत रिश्तेदार होती है। उसे कहा जाता है कि दूसरे शख़्स की बहन या उस शख़्स की बहन ।
- नए 'अहद नामे में "बहन" लफ़्ज़ का तम्सीली इस्ते'माल मसीह 'ईसा में ईमान करनेवाली 'औरतों के लिए किया जाता है।
- कभी-कभी,"भाइयों और बहनों" लफ़्ज़ मसीह के सब ईमानदार मर्द-ओ-’औरत के लिए इस्ते'माल किया गया है।
- पुराने 'अहद नामे की किताब ख़ास गीतों में "बहन" लफ़्ज़ 'आशिक़ या शरीक़-ए-हयात के लिए इस्ते'माल किया गया है।
तर्जुमा की सलाह:
- और बेहतर होगा कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जैसे है वैसे ही करें, जब तक कि इसका मतलब ग़लत न हो।
- इसके कई तर्जुमा की शक्लें हो सकती हैं, “मसीह में बहन” या “रूहानी बहन” या “मसीह की ईमानदार 'औरत” या “ईमानदार 'औरत '”।
- मुम्किन हो तो ख़ानदानी लफ़्ज़ काम में लेना सबसे बेहतर है।
- अगर 'अलामती ज़बान में ईमानदार लफ़्ज़ को 'औरतों की शक्ल हो तो इसे काम में लेना मुनासिब तर्जुमा हो सकता है।
- ‘आशिक़ या बीवी के बारे में “प्यारे” या “'अज़ीज़” 'औरतें लफ़्ज़ को काम में ले।
(यह भी देखें: भाई मसीह में, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 02:16-17
- इस्तिसना 27:22-23
- फ़िलेमोन 01:1-3
- रोमियो16:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H269, H1323, G27, G79
बाँधे, बांधा हुआ
ता’अर्रुफ़:
“बाँधे” या'नी किसी चीज़ पर कुछ बान्धना। इसका मतलब हमेशा बाग़ा की कमर पर पट्टा बान्धना होता है कि वह अपनी जगह पर रहे।
- “कमर कसना” या'नी कपड़े का नीचे का हिस्सा उठाकर कमर में बांधना कि इन्सान आसानी से काम कर पाए।
- इस मुहावरे का मतलब है "काम करने के लिए तैयार होना" या कठिन काम करने की तैयारी करना।
- “कमर कसना” का तर्जुमा में ,अलामती ज़बान के मुनासिब जुमले काम में ली जा सकती है। या इसका आसन तर्जुमा भी किया जा सकता है, “काम करने के लिए तैयार होना” या “तैयार हो जाना।”
- “लिपटा हुआ” या'नी “चारों तरफ़ लपेटा हुआ” या “घिरा हुआ” या “बन्धा हुआ”
(यह भी देखें: कमर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 01:13-14
- अय्यूब 38:1-3
शब्दकोश:
- Strong's: H247, H640, H2290, H2296, H8151, G328, G1241, G2224, G4024
बाँसुरी, बाँसुरी, बाँसुरी, सीटी बजाने का सामान
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, बाँसुरी हड्डियों या लकड़ी के खोखले बजाने वाले सामान- थे जिनसे आवाज़ निकलती थी। बाँसुरी एक क़िस्म की नली थी।
- ज़्यादातर नलियों में सरकंडे जो मोटे घास के बने थे, हवा फूंकने पर कंपकपी पैदा होती थी।
- एक नली जिसमें सरकंडे नहीं होते थे उन्हें बाँसुरी कहते थे।
- चरवाहे अपनी भेड़ों को सुकून देने क लिए सीटी बजाते थे।
- इन बाजों के ज़रिए’ ख़ुशी या ग़म का मोशीकी बजाई जाती थी।
(यह भी देखें: , चरवाहे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 14:7-9
- 1 सलातीन 01:38-40
- दानीएल 03:3-5
- लूक़ा 07:31-32
- मत्ती 09:23-24
- मत्ती 11:16-17
शब्दकोश:
- Strong's: H4953, H5748, H2485, H2490, G832, G834, G836
बादशाह, बादशाहों, सल्तनत, सल्तनतों, बादशाही, बादशाहत
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ "बादशाह" एक ऐसे इन्सान के बारे में बताता है जो शहर, बादशाही या मुल्क का सबसे बड़ा हाकिम है।
- बादशाह को ‘आम तौर पर अपने पिछले बादशाहों के ख़ानदान में से हुकूमत करने के लिए चुना गया था।
- जब एक बादशाह की मौत हो गई, तो वह ‘आमतौर पर उसका पहलौठा बेटा था जो अगला बादशाह बन गया।
- पुराने ज़माने में, बादशाह की बादशाही में लोगों पर पूरा इख़्तियार था।
- शायद ही कभी "बादशाह" लफ़्ज़ का इस्ते’माल किसी ऐसे इन्सान को बताने के लिए किया गया था जो नए ‘अहदनामे में "बादशाह हेरोदेस" के जैसा सच्चा बादशाह नहीं था।
- किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा को अक्सर बादशाह की शक्ल में जाना जाता है जो अपने लोगों पर हुकूमत करता है।
- "ख़ुदा की बादशाही" अपने लोगों पर ख़ुदा की हुकूमत को ज़ाहिर करता है।
- ‘ईसा को "यहूदियों का बादशाह", "इस्राईल के बादशाह" और "बादशाहों के बादशाह" कहा जाता था।
- जब ‘ईसा वापस आएगा, तो वह दुनिया भर में बादशाह की शक्ल में हुकूमत करेगा।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "सबसे बड़ाख़ास " या "पूरा रहनुमा" या "ख़ुद इख़्तियार हाकिम" की शक्ल में भी किया जा सकता है।
- "बादशाहों के बादशाह" जुमले का तर्जुमा "बादशाह जो और सभी बादशाहों पर हुकूमत करता है" या "सबसे बड़ा हाकिम जो और सभी हाकिमों पर इख़्तियार रखता है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: \ इख़्तियार, \ हेरोदेस अन्तिपास, \ हुकूमत](../other/kingdom.md), \ ख़ुदा की बादशाही)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- \ 1 तीमुथियुस 06: 15-16
- \ 2 सलातीन 05: 17-19
- 2 शमूएल 05:3-5
- \ रसूलों के ‘आमाल 07: 9-10
- \ रसूलों के ‘आमाल 13: 21-22
- \ युहन्ना 01: 49-51
- \ लूक़ा 01: 5-7
- \ लूक़ा 22: 24-25
- \ मत्ती 05: 33-35
- \ मत्ती 14: 8-9
किताब-एमुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 08:06 एक रात, फ़िर’औन, जिसने मिस्रियों को अपने बादशाहों से बुलाया था, दो सपने थे जो उसे बहुत परेशान करते थे।
- 16:01 इज़राइलियों के पास कोई बादशाह नहीं था, इसलिए हर कोई ऐसा करता था जो उन्होंने सोचा था कि उनके लिए सही था।
- 16:18 आख़िर में, लोगों ने ख़ुदा को और सभी हुकूमतों की तरह एक__बादशाह__ के लिए कहा।
- 17:05 आखिरकार, शाऊल जंग में मर गया, और दाऊद इस्राईल काबादशाह बन गया। वह एक अच्छा बादशाह था, और लोग उसे प्यार करते थे।
- 21:06 ख़ुदा के नबियों ने यह भी कहा कि मसीह एक नबी, काहिन और एक बादशाह होगा।
- 48:14 दाऊद इज़राइल का बादशाह था, लेकिन ‘ईसा पूरी क़ायनात का बादशाह है!
शब्दकोश:
- Strong's: H4427, H4428, H4430, G935, G936
बादशाही, बादशाहियाँ
ता’अर्रुफ़:
बादशाही लोगों की क़ौम होती है जिसपर बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत की जाती है | इसका हवाला एक मुल्क या सियासी इलाक़े से भी हो सकता है। जिस पर एक बादशाह या हाकिम का क़ाबू और इख़्तियार होता है।
- बादशाह का ज़मीनी हद कितनी भी बड़ी हो सकती है। बादशाह के इख़्तियार में एक क़ौम या मुल्क या सिर्फ़ एक शहर हो सकता है।
- “बादशाही” रूहानी हुकूमत या इख़्तियार के बारे में भी हो सकता है जैसे “ख़ुदा की बादशाही”
- ख़ुदा पूरी क़ायनात का बादशाह है लेकिन “ख़ुदा की बादशाही” ख़ास करके ‘ईसा में ईमान करके उसके इख़्तियार के ताबे’ हो जाने पर लोगों पर उसकी बादशाई और इख़्तियार के बारे में है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में शैतान की “बादशाही” का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें वह ज़मीन की बहुत सी बातों पर ‘आरज़ी तौर बादशाही कर रहा है। उसकी बादशाही बुराई की है जिसे “तारीकी” कहा गया है
तर्जुमे की सलाह:
- बादशाह के ज़मीनी हद के बारे में “बादशाही” का तर्जुमा "मुल्क (एक बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत)" या "बादशाह का इलाक़ा" या "एक बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत वाला इलाक़ा" किया जा सकता है।
- एक रूहानी ख़याल में, " बादशाही " का तर्जुमा "हुकूमत करना" या "हुकूमत" या "क़ाबू" या "हुकूमत" के तौर पर किया जा सकता है।
- "काहिनों की बादशाही " का तर्जुमा "रूहानी काहिन जो ख़ुदा के ज़रिए’ हुकमत में हैं" कर सकते है।
- जुमले "रोशनी की बादशाही " का तर्जुमा "ख़ुदा की हुकूमत जो रोशनी की तरह अच्छी है" या "जब ख़ुदा, जो रोशनी है, लोगों पर हुकूमत करता है" या "ख़ुदा की बादशाही की रोशनी और अच्छाई।" “रोशनी” लफ़्ज़ को संभाले रखना ठीक है क्योंकि यह किताब-ए-मुक़द्दस में एक बहुत ख़ास लफ़्ज़ है।
- ध्यान दें कि लफ़्ज़ "बादशाही" हुकूमत से अलग हो, जिसमें एक हाकिम बहुत से मुल्कों पर हुकूमत करता है।
(यह भी देखें: : इख़्तियार, बादशाह, ख़ुदा की बादशाही, इस्राईल की बादशाही, यहूदा, यहूदाह, काहिन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:10-12
- 2 तीमुथियुस 04:17-18
- कुलुस्सियों 01:13-14
- युहन्ना 18:36-37
- मरकुस 03:23-25
- मत्ती 04:7-9
- मत्ती 13:18-19
- मत्ती 16:27-28
- मुकाशिफ़ा 01:9-11
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 13:02 ख़ुदा ने मूसा से कहा कि वह इस्राइलियों से कहे ,“ अब अगर तुम यक़ीनन मेरी मानोगे, और मेरे ‘अहद का ‘अमल करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरी मुबारक मीरास, काहिनों की बादशाही और पाक क़ौम ठहरोगे।”
- 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह उसे सज़ा दी, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की बादशाही को दो हिस्सों में तक़सीम कर देंगा।
- 18:07 दस इस्राईली क़बीलों ने रहूब’आम के ख़िलाफ़ बग़ावत की। सिर्फ़ दो क़बीले उसके लिए वफ़ादार रहे। यह दो क़बीले यहूदाह की बादशाही बन गए।
- 18:08 दीगर दस इस्राईली क़बीले जो रहुब’आम के मुख़ालिफत में थे, उन्होंने अपने लिए यरुब’आमम नाम के एक बादशाह को मुक़र्रर किया। उसने मुल्क के उत्तरी हिस्से में अपनी बादशाही को क़ायम किया और उसे इस्राईल की बादशाही कहा गया।
- 21:08 बादशाह वह होता है जो बादशाही पर हुकूमत करता है और लोगों का इन्साफ़ करता है।
शब्दकोश:
- Strong's: H4410, H4437, H4438, H4467, H4468, H4474, H4475, G932
बाबुल, बाबुल, बाबुल, बाबुल
सच्चाई:
बाबुल शहर, पुराने बाबुल सल्तनत की दारुल हुकूमत थी । यह भी बाबुल के हाकिम का ही हिस्सा था।
- बाबुल फरात नदी पर बसा था, वही जगह जहाँ 100 साल पहले बाबुल का गुम्मद बनाया गया था।
- कभी-कभी बाबुल लफ्ज़, मुकम्मल बाबुल हुकुमत के लिए काम में लिया गया है। मिसाल के तौर पर, “बाबुल का बादशाह ” शहर पर ही नहीं पूरे मुल्क पर बादशाहत करता था।
- बाबुल के बाशिंदे एक ताक़तवर लोग थे, जिन्होंने यहूदा बादशाह पर हमला करके वहाँ की क़ौम को 70 साल अपनी गूलामी में रखा था।
- इस 'इलाक़े का एक हिस्सा "कसदी" कहलाता था और वहाँ के लोग भी "कसदी" कहलाते थे। नतीज़े के तौर पर “कसदी” लफ्ज़ ज़्यादा तर बाबुल बाशिंदों के लिए काम में लिया गया है। देखें : हमख़याल)
- नये 'अहद नामें में “बाबुल” लफ्ज़ कभी-कभी शक्ल बा शक्ल काम में लिया गया है जो मुख्तलिफ़ जगहों, लोगों और बुत परस्त या और दूसरे गुनहगार तरीक़ों से मिले जुले ख़यालात के बारे में है।
- “बड़ा बाबुल” या “बड़ा शहर बाबुल” शक्ल बा शक्ल ऐसा शहर या मुल्क के लिए काम में लिए गए हैं जो बड़ा आमीर और गुनहगार या जैसे पुराना बाबुल शहर था।
(यह भी देखें: बाबुल, कसदी, यहूदाह, नबूकदनज़र)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
- 1 तवारीख़ 09:1-3
- 2 सलातीन 17:24-26
- रसूलों के 'आमाल . 07:43
- दानिएल 01:1-2
- हिज़क़ीएल 12:11-13
- मत्ती. 01:9-11
- मत्ती 01:15-17
किताब-एमुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 20:06 अश्शूरियों की तरफ़ से इस्राईली हुकूमत को बर्बाद करने के तक़रीबन सौ सालों बा'द, ख़ुदावन्द ने बाबुल के बादशाह नबूकद नज़्ज़र को भेजा, यहूदी हुकूमत पर हमला करने के लिए। बाबुल एक ताक़तवर सल्तनत थी ।
- 20:07 लेकिन कुछ सालों के बा'द, यहूदा के बादशाह ने बाबुल के ख़िलाफ़ बग़ावत की। तब बाबुल ने वापस आकर यहूदा की बादशाही पर हमला किया। उन्होंने यरूशलेम को जीत लिया, हैकल को बर्बाद कर दिया, और शहर व हैकल की सभी क़ीमती चीज़ों को उनसे छीन कर ले गए।
- 20:09 नबूकदनज़्ज़र और उसके फ़ौजी तक़रीबन सभी यहूदियों को क़ैदी बनाकर बाबुल ले गए, वहाँ पर सिर्फ़ ग़रीबों को छोड़ दिया गया ताकि वह वहा खेती कर सके।
- 20:11 तक़रीबन सत्तर साल के बा'द, कुस्त्रू जो फारस का बादशाह बना, उसने बाबुल को शिकस्त दी।
शब्दकोश:
- Strong's: H3778, H3779, H8152, H894, H895, H896, G897
बाबुल
सच्चाई:
बाबुल मेसोपोटामिया 'इलाक़े के दक्षिण में शिन'आर मुल्क का एक अहम शहर था। शिन'आर आगे चलकर बाबुल कहलाया था।
- किताब-ए-मुक़द्दस का शहर हाम के परपोते, नमरूद-शिनार के हुकमरान के ज़रिए' - क़ायम किया गया था।
- शिनार के बाशिंदे घमण्ड से भरकर आसमान तक ऊँचा गुम्बद बनाना चाहते थे। इस मीनार का नाम आगे चलकर “बाबुल का गुम्मद” पड़ा था।
इस मीनार की ता'मीर करने वालों ने ज़मीन पर फैल जाने के ख़ुदावन्द के हुक्म का इनकार कर दिया था, इसलिए ख़ुदा ने उनकी ज़बानों को अलग-अलग कर दिया जिससे कि वह एक दूसरे की बात समझ नहीं पाए। इस वजह से वह मजबूर होकर एक दूसरे से अलग हो गए और ज़मीन के मुख्तलिफ़ जगहों में जाकर बस गए।
- “बाबुल" लफ्ज़ का बुनियादी मतलब है “उलझ जाना” ख़ुदावन्द ने उनकी ज़बान में इख्तिलाफ़ पैदा कर दिया था इसलिए उस जगह का यह नाम पड़ गया था।
(यह भी देखें: बाबुल, हाम, मसोपतामिया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाईश 10:8-10
- पैदाईश 11:8-9
शब्दकोश:
बीज, नुत्फ़ा
ता'अर्रुफ़:
दरख़्त का बीज वह हिस्सा है जिसे ज़मीन में डालने पर उसी नसल का दरख़्त पैदा होता है। इसके कई 'अलामती मतलब भी हैं।
- "बीज" लफ़्ज़ 'अलामती और सूल्ब की शक्ल में औरत-मर्द की औलाद पैदा करने की महफ़ूज़ 'आज़ाओं के लिए भी काम में लिया गया है। इनको नुत्फ़ा कहा जाता है।
- इसी बारे में "बीज" लफ़्ज़ लोगों को औलाद या नस्लों के लिए भी काम में लिया जाता है।
- इस लफ़्ज़ का मतलब हमेशा जमा' में होता है जो एक से ज़्यादा बीज और एक से ज़्यादा औलादों के बारे में होता है।
- बीज बोनेवाले की मिसाल में ख़ुदा के कलाम की बराबरी बीजों से करता है, जब यह शख्स के मन में पैदा होता है तो बेहतर रूहानी फल लाता है।
- पौलुस रसूल "बीज" लफ़्ज़ का इस्ते'माल ख़ुदा के कलाम के बारे में करता है।
तर्जुमा की सलाह:
- जब बयान बीज का हो, तो "बीज" लफ़्ज़ का ही इस्ते'माल तर्जुमा में किया जाए, जो मक़सदी ज़बान में इस्ते'माल किया जाता है, उसके लिए जो किसान अपने खेत में बोता है।
- जब ख़ुदा के कलाम के बारे में हो तब बीज लफ़्ज़ को ज्यों का त्यों काम में लेना होगा.
- 'अलामाती इस्ते'माल में जब एक ख़ानदान कुल ता'दाद के लोगों के बारे में 'अलामाती शक्ल में बयान किया जाए तब बीज की मुक़ाबिले औलाद या “औलादों” लफ़्ज़ का इस्ते'माल ज़्यादा साफ़ मतलब बयान करेगा। कुछ ज़बानों में ऐसा लफ़्ज़ भी हो सकता है जिसका मतलब "औलाद और पोता-पोती" हो।
- 'औरत या मर्द के "बीज" के लिए देखें कि मक़सदी ज़बान में कि इसे किस तरह बयान किया जा सकता है जिससे पढने वालों को बुरा न लगे या शर्मिंदगी का तर्जुमा न हो।
(यह भी देखें: नसल, नसल
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 18:30-32
- पैदाइश 01:11-13
- यरमियाह 02:20-22
- मत्ती 13:7-9
शब्दकोश:
- Strong's: H2232, H2233, H2234, H3610, H6507, G4615, G4687, G4690, G4701, G4703
बीमारी
ता'अर्रुफ़:
“बीमारी” या'नी सख्त दर्द या मुसीबत ।
- बीमारी जिस्मानी या दिमाग़ी तकलीफ़ या परेशानी हो सकती है।
- ख़तरनाक बीमारी में पड़े लोगों के चेहरे या सुलूक से वह ज़ाहिर होती है।
- मिसाल के तौर पर, बीमार इन्सान दांत पीसता है या रोता है।
- “बीमारी” का तर्जुमा हो सकता है, “दिमाग़ी परेशानी” या “ज़्यादा गम ” या “ज़ोरों की दर्द ”।
किताब-ए-मुक़द्दस : के बारे में
- यरमियाह 06:23-24
- यरमियाह 19:6-9
- अय्यूब 15:22-24
- लूका 16:24
- ज़बूर 116:3-4
शब्दकोश:
- Strong's: H2342, H2479, H3708, H4164, H4689, H4691, H5100, H6695, H6862, H6869, H7267, H7581, G928, G3600, G4928
बुराई, बदकार, बदकारी
ता'अर्रुफ़:
“बुरा और बदकार” दोनों का हवाला उन बातों से है जो ख़ुदावन्द की ख़ुसूसियात और मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।
- “बुरा” लफ्ज़ इन्सान के किरदार का बयान करता है, “बदकार” लफ्ज़ इन्सान के सुलूक का बयान करता है। ताहम, मतलब में दोनों लफ्ज़ बराबर हैं।
- “बुराई” का मतलब इन्सान के ज़रिए’ किए गए बुरे काम को ज़ाहिर करता हैं।
- बुराई के नतीजे वाज़ह तौर से दिखाए जाते हैं कि लोग कैसे क़त्ल करते हैं, चोरी करते हैं, बदनाम करते हैं और ज़ालिमाना और बेरहम होते हैं।
तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ “बुराई” और बदकारी का तर्जुमा “बुरा” या “गुनहगार” या “ग़ैर अख्लाक़ी” हो सकता है।
- इसका तर्जुमा दोसरी तरह हैं, “अच्छी नहीं” या “रास्त्बाज़ नहीं” या “अख्लाक़ी नहीं”
- यक़ीन करें कि इनके तर्जुमें के लफ्ज़ और मक़सदी ज़बान में ‘आम हवाले के साथ हों।
(यह भी देखें:नाफ़रमानी करना, गुनाह, अच्छा, रास्तबाज़, बदरूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 24:10-11
- 1 तीमुथियुस 06:9-10
- 3 युहन्ना 01:9-10
- पैदाइश 02:15-17
- पैदाइश 06:5-6
- अय्यूब 01:1-3
- अय्यूब 08:19-20
- कुज़ात 09:55-57
- लूक़ा 06:22-23
- मत्ती. 07:11-12
- अमसाल 03:7-8
- ज़बूर 022:16-17
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें :
- \02:04 "ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदा की तरह हो जाओगे और अच्छा और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
- 03:01 एक लंबे वक़्त के बा'द, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे। वह बहुत बदकार और तशदुद्द थे।
- 03:02 लेकिन नूह ने ख़ुदावन्द से फ़ज़ल पाया। वह बदकार लोगों के बीच रहने वाला एक रास्तबाज़ शख्स था।
- 04:02 ख़ुदावन्द ने देखा कि अगर वह सभी एक साथ मिलकर बुराई करते हैं, तो वह और भी ज़्यादा गुनाह करेंगे।
- 08:12 "आपने ग़ुलाम कि शक्ल में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदा ने भलाई के लिए अच्छा इस्ते'माल किया!"
- 14:02 वह (कना'नी) ने झूठे मा'बूदों की पूजा की और कई बुरे काम किए।
- 17:01 लेकिन फिर वह (शाऊल) एक बदकार शख्स बन गया, जिसने ख़ुदा का हुक्म नहीं माना , इसलिए ख़ुदा ने एक अलग शख्स को चुना जो एक दिन उसके जगह पर बादशाह बनेगा।
- 18:11 इस्राईलियों के नए रियासत में, सभी बादशाह बुरे थे
- 29:08 बादशाह इतना ग़ुस्से में था कि उसने बदकार ग़ुलाम को जेल में फेंक दिया जब तक कि वह उसके सारे क़र्ज़ को अदा न कर दे।
- 45:02 उन्होंने कहा, "हमने सुना है वह(स्तिफनुस) मूसा और ख़ुदा के बारे में बुरी बातें कहता है!"
- 50:17 वह ('ईसा ) हर आंसू को मिटा देगा उसके बा'द कोई दर्द , दुःख, रोने, बुराई, दर्द या मौत नहीं होगी।
शब्दकोश:
- Strong's: H205, H605, H1100, H1681, H1942, H2154, H2162, H2617, H3415, H4209, H4849, H5753, H5766, H5767, H5999, H6001, H6090, H7451, H7455, H7489, H7561, H7562, H7563, H7564, G92, G113, G459, G932, G987, G988, G1426, G2549, G2551, G2554, G2555, G2556, G2557, G2559, G2560, G2635, G2636, G4151, G4189, G4190, G4191, G5337
बुराई, बे’इज़्ज़ती, बुराई, बुराई, बदनामी
ता’अर्रुफ़:
किसी की बुराई करने का मतलब है तनक़ीद करना किरदार या आदत को क़ुबूल नहीं करना। बुराई करना इन्सान के लिए मनफ़ी तनक़ीद करना है।
- इन्सान “बुराई के क़ाबिल नहीं” या “बुराई के परे” या “बुराई का नहीं” है तो इसका मतलब है कि इन्सान ख़ुदा को ‘इज़्ज़त देनेवाला सुलूक रखता है और उसकी तनक़ीद नहीं की जा सकती है।
- लफ़्ज़ "बुराई" का तर्जुमा "इल्जाम" या "शर्म" या "बे’इज़्ज़ती" की शक्ल में भी किया जा सकता है।
- "बुराई करने के लिए" का तर्जुमा "ठट्ठा करने के लिए" या "इल्जाम लगाने के लिए" या "तनक़ीद करने के लिए" की शक्ल में भी किया जा सकता है, मज़मून पर मुनहस्सिर|
(यह भी देखें: इल्ज़ाम लगाना, झिड़कना, बे‘इज़्ज़त)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तीमुथियुस 05:7-8
- 1 तीमुथियुस 06:13-14
- यरमियाह 15:15-16
- अय्यूब 16:9-10
- अम्साल 18:3-4
शब्दकोश:
- Strong's: H1421, H1442, H2617, H2659, H2778, H2781, H3637, H3639, H7036, G410, G423, G819, G3059, G3679, G3680, G3681, G5195, G5196, G5484
बुज़ुर्ग, बुज़ुर्गों, बाप, बापों, बाप बना, निगरानी करना, बुज़ुर्ग, बुज़ुर्गों, दादा
ता’अर्रुफ़:
जब लफ़्जी तौर पर इस्ते’माल किया जाता है, तब “बाप” लफ़्ज़ किसी शख़्स के वालिदैन के बारे में बताता है| इस लफ़्ज़ के बहुत से ‘अलामती इस्ते’माल भी हैं।
- “बाप” और “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ उमूमन किसी इन्सान या क़बीले के बुज़ुर्गों के लिए भी काम में लिया जाता है। * इसका तर्जुमा “बुज़ुर्ग” या “बुज़ुर्ग बाप” किया जा सकता है।
- इज़हार “का बाप” ‘अलामती तौर पर उस इन्सान के बारे में होता है जो लोगों की जमा’अत का रहनुमा हो या किसी का ज़रिया’ हो। मिसाल के तौर पर पैदाइश. 4 में “ वह उन लोगों का बाप था जो तम्बूओं में रहते थे” इसका मतलब हो सकता है पहले लोगों के पहली नसल के रहनुमा जो “तम्बूओं में रहते थे”।
- पौलुस रसूल ने ख़ुद को उन लोगों का बाप कहा है जिन्होंने ख़ुशख़बरी बाँटने के ज़रिए’ मसीही बनने में मदद की|
तर्जुमे की सलाह
- जब हम एक बाप और उसके लफ़्ज़ी बेटे के बारे में बात करते हैं, तब लफ़्ज़ तर्जुमा ‘आम लफ़्ज़ का इस्ते’माल करके किया जाना चाहिए ताकि ज़बान में एक बाप के बारे में बताया जा सके|
- “ख़ुदा बाप” का तर्जुमा भी उसी लफ़्ज़ से करना होगा जो “बाप” के लिए काम में आता है।
- बुज़ुर्गों के ज़िक्र में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुज़ुर्ग” या “बाप के बुज़ुर्ग” किया जाए।
- जब पौलुस ख़ुद को मसीही ईमानदारों का बाप कहता है तब इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “रूहानी बाप” या “मसीह में बाप”।
- कभी-कभी “बाप” लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़बीले का सरदार” किया जा सकता है।
- जुमले “सब झूठों का बाप” का तर्जुमा “सब झूठों का ज़रिया’” या “जिससे सारे झूठ आते हैं”।
(यह भी देखें: ख़ुदावन्द बाप, बेटे, ख़ुदावन्द का बेटा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 07:1-3
- रसूलों के ‘आमाल. 07:31-32
- रसूलों के ‘आमाल. 07:44-46
- रसूलों के ‘आमाल. 22:3-5
- पैदाइश 31:29-30
- पैदाइश 31:41-42
- पैदाइश 31:51-53
- इब्रानियों 07:4-6
- युहन्ना 04:11-12
- यशू’अ 24:3-4
- मलाकी 03:6-7
- मरकुस 10:7-9
- मत्ती 01:7-8
- मत्ती 03:7-9
- मत्ती 10:21-23
- मत्ती. 18:12-14
- रोमियो 04:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H1, H2, H25, H369, H539, H1121, H1730, H1733, H2524, H3205, H3490, H4940, H5971, H7223, G256, G540, G1080, G2495, G3737, G3962, G3964, G3966, G3967, G3970, G3971, G3995, G4245, G4269, G4613
बेकार, पाजी
ता’अर्रुफ़:
“बेकार ” लफ़्ज़ किसी निकम्मी बात या बे मक़सद बात को ज़ाहिर करता है। बेकार बातें बे मा’नी और निकम्मी होती हैं।
- “पाजी ” (बेकार ही बेकार) या’नी निकम्मापन या बे मतलब इसका बयान घमंड और ग़ुरूर से भी है।
- पुराने ‘अहद नामे में बुतों को बेकार, निकम्मी कहा गया है, वे छुटकारा या नजात नहीं दिला सकतीं। वे निकम्मी हैं, उनकी न तो कोई लियाक़त है न ही कोई मक़सद
- अगर कोई काम “बेकार” में किया गया है तो इसका मतलब है कि उसका कोई अच्छा फल नहीं मिला उस कोशिश या काम से कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ है।
- बेकार में भरोसा करने' का मतलब कुछ ऐसी चीज़ों में यक़ीन करना है जो सच नहीं है और वह झूठी उम्मीद देती है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़ “बेकार” लफ्ज का तर्जुमा “खाली” या “निकम्मा” या “ना उम्मीदी ” या “घटिया” या “बिन माने ” हो सकता है।
- “बेकार होना” का तर्जुमा “बे फल ” या “फल से महरूम ” या “बे मा’नी ” या “बे मक़सद ” हो सकता है।
- “बेकार ही बेकार” का तर्जुमा “घमंड” “निकम्मी बात” या “नाउम्मीदी बात” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: ख़ुदा, लायक़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 15:1-2
- 1 समूएल 25:21-22
- 2 पतरस 02:17-19
- यसा’याह 45:19
- यरमियाह 02:29-31
- मत्ती 15:7-9
शब्दकोश:
- Strong's: H205, H1891, H1892, H2600, H3576, H5014, H6754, H7307, H7385, H7386, H7387, H7723, H8193, H8267, H8414, G945, G1432, G1500, G2755, G2756, G2757, G2758, G2761, G3150, G3151, G3152, G3153, G3154, G3155
बेटे, बेटों
ता’अर्रुफ़:
एक आदमी और एक 'औरत का बेटा उसके पूरी ज़िन्दगी के लिए उनका "बेटा" कहलाता है उसे उस आदमी का बेटा और उस 'औरत का एक बेटा भी कहा जाता है एक "गोद लिया बेटा" एक आदमी है जिसे क़ानूनी शक्ल से एक बेटे के'उहदे में रखा गया है।।
- कलाम में “बेटा” लफ़्ज़ हमेशा 'अलामती शक्ल में किसी भी शख़्स की औलाद के बारे में इस्ते'माल किया गया है। जैसे पोता या परपोता
- “बेटा” लफ़्ज़ को जुमले में किसी लड़के या आदमी से कम उम्र के शख़्स के लिए इस्ते'माल किया जा सकता है।
- “नए 'अहद नामे में ख़ुदा के बेटे” मसीह के ईमानदारों के बारे में इस्ते'माल किया गया है।
- ख़ुदा ने इस्राईल को अपना "पहलौठ बेटा" कहा। यह इस्राईल मुल्क को ख़ुदा के ज़रिए' ख़ास लोगों की शक्ल में चुनने के बारे में है। यह उनके ज़रिए' ख़ुदा की नजात या नजात का पैग़ाम आया, जिसके नातीजे के साथ कि दूसरे लोग उसकी रूहानी औलाद बन गए।
- “का बेटा” का रूहानी शक्ल में हमेशा एक मतलब होता है कि “ शख़्स में किसी की ख़ासियत” हैं। इसकी मिसाल है, “रोशनी की औलाद”, “फ़रमाबरदारी की औलाद ”, “ अमन का बेटा” “गर्ज के बेटे”।
- "बेटा" इस जुमले का इस्ते'माल हमेशा यह ज़ाहिर करने के लिए भी किया जाता है कि मा'लूम हो की इस शख़्स का बाप कौन है। यह अलफ़ाज़ 'औलादों और कई मक़ामों में भी काम में लिए गए हैं ।
- बाप का नाम रोशन करने के लिए” “का बेटा” ज़्यादातर एक ही नाम के लोगों को एक दूसरे से अलग बयान करने के लिए काम में लिया जाता है। मिसालके तौर पर , सदूक का बेटा अजरियाह” और “नातन का बेटा अजरियाह -1 बादशाह 4 और 2 बादशाह 15 में “अमसियाह का बेटा अजरियाह ।
तर्जुमा की सलाह:
- इस लफ़्ज़ के बारे में ज़्यादातर 'अलामती ज़बान के उसी लफ़्ज़ को काम में लिया जाए जो “बेटा” के लिए काम आता है।
- “ ख़ुदा का बेटा” जुमले का तर्जुमे में “बेटा” के लिए जिस लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'आमतौर पर किया जाता है, उसी का इस्ते'माल करें।
- जब “बेटा” की जगह में किसी औलाद को ज़ाहिर किया जाता है तब “औलाद” लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जैसे 'ईसा को दाऊद की औलाद कहा जाता था। या औलादों में भी जहां “बेटा” लफ़्ज़ किसी औलाद का इन्कार कराता है।
- कभी-कभी “बेटों” का तर्जुमा “औलाद ” किया जा सकता है, जब मर्द-’औरत दोनों को एह साथ ज़िक्र किया जा रहा हो। मिसाल के तौर पर “ख़ुदा का बेटा” का तर्जुम, “ख़ुदा की औलाद” किया जा सकता है क्यूँकि इसमें मर्द-’औरत दोनों को एक साथ ज़िक्र किया जा है।
- ‘अलामती शक्ल में, “का बेटा” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “जिसमें ख़ासियत हैं” या “की शक्ल ” या “में ख़ासियत हैं” या “की तरह सुलूक है”
(यह भी देखें: 'अजरियाह, नसल, बुज़ुर्ग, पहलौठे, ख़ुदावन्द का बेटा, ख़ुदा के बेटे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 18:14-17
- 1 सलातीन 13:1-3
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:4-7
- गलातियों 04:6-7
- होशे 11:1-2
- यसा'याह 09:6-7
- मत्ती 03:16-17
- मत्ती 05:9-10
- मत्ती 08:11-13
- नहेमायाह 10:28-29
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 04:08 ख़ुदावन्द ने अब्राम से 'अहद के साथ फिर से बात की कि उसे एक बेटा होगा और आसमान में तारे की तरह में कई नसल होंगी ।
- 04:09 ख़ुदावन्द ने कहा, "मैं तुमको तुम्हारे शरीर से एक बेटा दूँगा।"
- 05:05 तक़रीबन एक साल बा'द, जब इब्राहीम 100 साल का था और सारा 90 की , सारा ने इब्राहीम के बेटे को जन्म दिया।
- 05:08__जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंच गए, तो इब्राहीम ने अपने __बेटे इस्हाक़ को बांध दिया और उसे क़ुर्बानगाह पर रख दिया। वह अपने बेटे को मारने ही पर था, जब ख़ुदावन्द ने कहा, "रुको! लड़के को चोट न पहुंचा! अब मुझे मा'लूम है कि तुम मुझ से डरते हो क्यूँकि तुमने मुझसे अपने बेटे को भी न रख छोड़ा।"
- 09:07__जब उसने बच्चे को देखा, उसने अपने __बेटे के गोद में ले लिया।
- 11:06 ख़ुदावन्द ने मिस्र के सब पहलौठे बेटों को मार डाला।
- 18:01__कई सालों के बा'द, दाऊद की मौत हो गई, और उसके __बेटा सुलैमान ने शासन शुरू किया।
- 26:04"क्या यह यूसुफ़ बेटा है ?‚" उन्होंने कहा।
शब्दकोश:
- Strong's: H1060, H1121, H1123, H1248, H3173, H3206, H3211, H4497, H5209, H5220, G3816, G5043, G5207
बैतलहम, इपफ़्रात
सच्चाई:
बैतलहम इस्राईल में एक छोटा सा शहर था जो यरूशलीम के सामने वाक़े' था। यह नाम “इपफ़्रात ” के तौर पर जाना जाता था, जो इसका असल नाम था|
- बैतलहम को “दाऊद का शहर ” भी कहते थे, क्योंकि दाऊद की पैदाईश वहीँ हुई थी
- नबी मीकाह ने कहा था कि मसीह बैतलहम इपफ़्रात से आएगा।
- इस की नबूव्वत पूरी हुई, जब सालों बा'द 'ईसा की पैदाईश बैतलहम शहर में हुई थी |
- “बैतलहम” का मतलब है “रोटी का घर” या “खाने का घर”
(यह भी देखें: कालिब, दाऊद, मीकाह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाईश 35:16-20
- यूहन्ना 07:40-42
- पैदाईश 02:4-6
- मत्ती 02:16
- रूत 01:1-2
- रूत 01:19-21
किताब-ए-मुक़द्दस कि कहानियों से मिसालें:
- 17:02 बैतलहम शहर में दाऊद एक चरवाहा था
- 21:09 यसा'याह नबी ने नबुव्वत की थी , कि एक कुँवारी से मसीह की पैदईश होगी । मीका नबी ने कहा कि उसकी पैदाईश बैतलहम के शहर में होगी ।
- 23:04 आख़िर: यूसुफ़ और मरियम भी एक लम्बा सफ़र तय करके नासरत को गए, क्योंकि यूसुफ़ दाऊद के घराने और ख़ानदान का था, गलील के नासरत शहर से यहूदिया में दाऊद के शहर__ बैतलहम__ को गया।
- 23:06 “ आज बैतलहम शहर में तुम्हारे लिये एक नजात देने वाले की पैदाईश हुई है, और यही मसीह ख़ुदा है।”
शब्दकोश:
- Strong's: H376, H672, H1035, G965
बोझ, बोझ, बोझ से दबे, भारी
ता'अर्रुफ़:
बोझ उठाने के लिए कोई भारी चीज़ हो सकती है। यह किसी जानवर के ज़रिए' उठाया जानेवाला भारी सामान भी होता है। "बोझ" लफ़्ज़ के कई 'अलामती लफ़्ज़ भी हैं।
- बोझ आदमी का एक शख़्त ज़िम्मेदारी या ख़ास ज़िम्मेदार भी होता है। उसके लिए कहा जाता है कि वह “भारी बोझ” "उठा रहा है" या “से दबा है”।
- बेरहम बादशाह अवाम पर बोझ डालता है जैसे बहुत ज़्यादा कर चुकाना।
- जो इंसान किसी पर बोझ होना नहीं चाहता वह किसी के लिए तकलीफ़ का ज़रिया' नहीं होता है।
- इंसान के लिए गुनाह का बोझ एक बोझ है।
- “ख़ुदा का बोझ” का नबी के ज़रिए' ख़ुदावन्द की क़ौम को सुनाए गए “ख़ुदा की ख़ुशख़बरी” 'अलामती मतलब है।
- “बोझ” जिसका तर्जुमा हो सकता है, “ज़िम्मेदारी” या “ज़िम्मेदारी” या “भारी बोझ” या “ख़ुशख़बरी” जुमले के मुताबिक़ जैसा भी हो।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 थिस्सलुनीकियों 03:6-9
- गलातियों 06:1-2
- गलातियों 06:3-5
- पैदाईश 49:14-15
- मत्ती 11:28-30
- मत्ती 23:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H92, H3053, H4614, H4853, H4858, H4864, H4942, H5445, H5447, H5448, H5449, H5450, H6006, G4, G916, G922, G1117, G2347, G2599, G2655, G5413
बोसा, बोसे, बोसा दिया, बोसा देना
ता’अर्रुफ़:
बोसा एक ऐसा काम है जिसमें एक इन्सान अपने होंठ किसी और इन्सान के होंठ या चेहरे पर रखता है| इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल तम्सीली तौर भी किया जा सकता है|
- कुछ रवायतों में गाल पर एक दूसरे के इस्तक़बाल के तौर पर या अलविदा कहने के लिए बोसा दिया जाता है|
- एक बोसा शौहर और बीवी के दरमियान गहरी मुहब्बत ज़ाहिर कर सकता है|
- “किसी को विदाई पर चूमना” का मतलब है किसी को बोसे के साथ अलविदा कहना|
- कभी कभी “बोसे” लफ़्ज़ का मतलब “अलविदा कहने” के लिए किया जाता है| जब एलीशा ने एलियाह से कहा, “मुझे पहले मेरे वालिदैन को चूमने दो” वह एलियाह का ‘अमल करने से पहले अपने वालिदैन से विदा लेना चाहता था|
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:25-28
- पैदाइश 27:26-27
- पैदाइश 29:11-12
- पैदाइश 31:26-28
- पैदाइश 45:14-15
- पैदाइश 48:8-10
- लूक़ा 22:47-48
- मरकुस 14:43-46
- मत्ती 26:47-48
शब्दकोश:
- Strong's: H5390, H5401, G2705, G5368, G5370
बड़ा , जिन्नात
ता’अर्रुफ़:
“दानव” उस इन्सान को कहते हैं जो क़द और ताक़त में 'आम तौर से बड़ा हो।
- फ़िलिस्ती फ़ौज गोलियत जो दाऊद से लड़ा उसको दानव कहा गया है क्यूँकि वह बहुत लम्बा चौड़ा और ताक़तवर आदमी था।
- कन'आन का राज़ लेने जो इस्राईली जासूस गये थे उन्होंने कहा कि वहाँ दानव बसते हैं।
(यह भी देखें: कना’न, गोलियत, फ़िलिस्तियों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 06:4
- गिनती 13:32-33
शब्दकोश:
- Strong's: H1368, H5303, H7497
भरोसा, भरोसा करना, यक़ीन के साथ
ता’अर्रुफ़:
“भरोसा” (हियाव) यक़ीनी होना कि कोई बात सच है या उसका होना यक़ीनी है।
- कलाम में, "उम्मीद" लफ़्ज़ का मा’नी अक्सर कुछ के लिए इंतजार करना है जो यक़ीनी तौर से होने वाला है। यूएलबी अक्सर इसका तर्जुमा "भरोसा" या "मुस्तक़बिल के लिए भरोसा" या "मुसतकबिल के भरोसे" की शक्ल में करते हैं, ख़ासकर जब इसका मतलब है कि ख़ुदा ने ‘ईसा में ईमानदारों के लिए किए हुए वादों पर भरोसा करना है।
- अक्सर लफ़्ज़"भरोसा" ख़ास शक्ल में यक़ीनी तौर से यह ज़ाहिर करता है कि ‘ईसा के ईमानदारों में यह है कि वे किसी दिन आसमान में हमेशा के लिए ख़ुदा के साथ होंगे।
- “ख़ुदा पर भरोसा” इस जुमले का मा’नी है कि ख़ुदा ने जो वा’दा किया है उसे हासिल करने और उसको महसूस करने की उम्मीद
- “भरोसा करना” का मा’नी है ख़ुदा के वा’दों में यक़ीन करना और इरादे के साथ काम करना कि ख़ुदा ने जो कह दिया है, उसे वह पूरा करेगा। इस लफ़्ज़ का मा.नी निडर या हिम्मत वर सुलूक है।
तर्जुमे की सलाह:
- “भरोसा” लफ़्ज़ का तर्जुमा “यक़ीनी ” या “पूरा यक़ीन ” भी हो सकता है।
- जुमला "भरोसा करना"; का तर्जुमा "पूरी तरह से यक़ीन " या "पूरी तरह से यक़ीनी " या "यक़ीनी तौर से पता" की शक्ल में किया जा सकता है।
- लफ़्ज़"भरोसे के साथ " का तर्जुमा "निडरता " या "यक़ीनी शक्ल से" की शक्ल में किया जा सकता है।
- बयान के मुताबिक़ , "भरोसा" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "पूरी उम्मीद " या "यक़ीनी उम्मीद" या "यक़ीन " शामिल हो सकते हैं।
(यह भी देखें: यक़ीन, यक़ीन. \हिम्मत](../other/bold.md),ईमानदार, उम्मीद, ऐ’तिमाद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
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शब्दकोश:
- Strong's: H982, H983, H985, H986, H3689, H3690, H4009, G1340, G2292, G3954, G3982, G4006, G5287
भाई, भाइयों
ता'अर्रुफ़:
“भाई” लफ़्ज़ हमेशा उस मर्द के बारे में होता है जिसके माँ/बाप किसी और के भी माँ/बाप हों ।
- पुराने 'अहद नामें में “भाइयों” लफ़्ज़ रिश्ते के लिए एक 'आम लफ़्ज़ था जैसे एक ही क़बीला, ख़ानदान या क़ौम के अफ़राद ।
- नये 'अहद नामें में रसूल 'आम तौर पर ईमानदारों को भाई कहते थे, 'औरत-मर्द दोनों को क्योंकि मसीह में सब ईमानदार एक ही रूहानी ख़ानदान के फ़र्द माने जाते थे जिनका आसमानी बाप ख़ुदा है।
- कभी-कभी रसूलों ने ईमानदार 'औरतों के लिए भी बहन लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया या कि मर्द और 'औरत दोनों को मुख़ातिब किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर, या'क़ूब ज़ोर देकर सभी ईमानदारों के बारे में बात कर रहा है, जब वह "एक भाई या बहन को खाना या कपड़ों की ज़रूरत है" कहता है।
तर्जुमा की सलाह:
- अच्छा तो होगा कि इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उस लफ्ज़ से किया जाए जो सगे भाई लफ्ज़ से किया जाए जब तक कि इसका मतलब गलत न समझा जाए।
- पुराने 'अहद नामें में खास करके “भाइयों” लफ्ज़ 'आम तौर पर एक ही ख़ानदान या एक ही क़बीला या एक ही क़ौम के अफ़राद के लिए काम में लिया गया है इसका मुमकिन तर्जुमा हो सकता है “ख़ानदान” या “क़बीले” या “इस्राईली भाई।”
- मसीह में साथी-ईमानदार के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है “मसीही भाई” या “रूहानी भाई”।
- अगर 'औरत मर्द दोनों की बात की जा रही है और भाई लफ़्ज़ का मतलब गलत समझा जा सकता है तो रिश्तों के 'आम तौर पर लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जिसमें 'औरत मर्द दोनों हों।
- 'औरत-मर्द ईमानदारों के लिए काम में आनेवाला तर्जुमा लफ्ज़ हो सकता है, “ईमानदारों के साथी” या “मसीही भाई-बहन”।
- जुमले पर ग़ौर दें कि सिर्फ़ मर्दों को मुख़ातिब किया गया है या 'औरत - मर्द दोनों को।
(यह भी देखें:रसूल, ख़ुदावन्द बाप, बहन, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल . 07:26-28
- पैदाईश 29:9-10
- अह्बार 19:17-18
- नहमियाह03:1-2
- फ़िलिप्पियों 04: 21-23
- मुकाशिफ़ा 01:9-11
शब्दकोश:
- Strong's: H251, H252, H264, H1730, H2992, H2993, H2994, H7453, G80, G81, G2385, G2455, G2500, G4613, G5360, G5569
भूसी
ता’रीफ़:
भूसी गेहूँ का हिफ़ाज़ती छिलका होता है जिसे सूखे गेहूँ से अलग किया जाता है | भूसी खाने लायक़ नहीं होती है इसलिए उसे सूखे गेहूँ से अलग करके फेंक दिया जाता है |
- अनाज को हवा में उछालने से भूसी उड़कर गेहूँ से अलग हो जाती है | भूसी हवा में उड़ जाती थी और अनाज के दाने नीचे ज़मीन पर गिर जाते थे | इस तरकीब को “सूप “ कहते हैं |
- किताब -ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ को बुरे लोगों और बुराई के लिए तमसीली शक्ल में काम में लिया गया है |
(यह भी देखें: अनाज, गेहूँ, फटकना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- दानिएल 02:34-35
- अय्यूब 21:16-18
- लूका 03:17
- मत्ती 03:10-12
शब्दकोश:
- Strong's: H2842, H4671, H5784, H8401, G892
मत्ती, लावी
सच्चाई:
मत्ती उन बारहों में से एक था जिन्हें 'ईसा ने शागिर्द होने के लिए बुलाया था। वह हलफ़ई का बेटा लावी नाम से भी जाना जाता था।
- ‘ईसा से मुलाक़ात करने से पहले लावी (मत्ती) कफ़रनहूम से एक जिज़्या लेने वाला था।
- मत्ती ने इन्जील को लिखा है जो उसके नाम से है।
- कलाम में लावी नाम के कई आदमी हैं।
(यह भी देखें: रसूल, लावी, जज़िया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- लूक़ा 05:27-28
- लूक़ा 06:14-16
- मरकुस 02:13-14
- मरकुस 03:17-19
- मत्ती 09:7-9
- मत्ती 10:2-4
शब्दकोश:
मनस्सी
सच्चाई:
मनस्सी नाम के पाँच आदमी पुराने 'अहद नामे में हुए हैं।
- यूसुफ़ के पहिलौठे का नाम मनस्सी था।
- मनस्सी और इफ़्राईम दोनों को यूसुफ़ के बाप या'क़ूब ने गोद लिया था। जिसकी वजह से उनकी औलादों को इस्राईल के बारह क़बीलों में गिने जाने की ख़ुश नसीबी हासिल हुई ।
- मनस्सी की औलाद इस्राईल का एक क़बीला हुआ।
-
मनस्सी का क़बीला “मनस्सी का आधा क़बीला” कहलाता था क्यूँकि यरदन नदी के पश्चिम में कन'आन मुल्क में इस क़बीले के एक हिस्से ने ही रहना शुरू' किया था, । इस क़बीले का बाक़ी हिस्सा यरदन नदी के पूरब में बस गया।
-
यहूदा के एक बादशाह का नाम भी मनस्सी था।
- मनस्सी एक बुरा बादशाह था जिसने अपने बच्चों को झूठे मा'बूदों के लिए आतिशी क़ुर्बानी पेश करता था।
- ख़ुदा ने बादशाह मनस्सी को दुश्मन की फ़ौज के ज़रिए' क़ैदी बनाये जाने की सज़ा दी । मनस्सी तौबा करके ख़ुदा के क़रीब आया और सब बुत परस्ती की क़ुर्बानगाहों को बर्बाद कर दिया।
- 'अज्रा के वक़्त में भी मनस्सी नाम के दो आदमी थे। उन्हें अपनी-अपनी ग़ैर क़ौमों की बीवियों को तलाक़ देना पड़ा था क्यूँकि उन्होंने बुत परस्ती पर ज़ोर डाला था।
- मनस्सी नाम का एक और आदमी था वह दान की औलादों में कुछ का दादा था, वह झूठे मा'बूदों के पुजारी थे ।
(यह भी देखें: , दान, इफ़्राईम, ‘अज़्रा, ख़ुदा, इस्राईल, यहूदा, ग़ैर क़ौम, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तवारीख़ 15:8-9
- इस्तिसना 03:12-13
- पैदाइश 41:50-52
- पैदाइश 48:1-2
- क़ुज़ात 01:27-28
शब्दकोश:
- Strong's: H4519, H4520, G3128
मय, दाखरस, मशक़, मशक़ो, नई दाखरस
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में, "मय" लफ़्ज़ एक तरह का शीरा पीने का जो एक फल के रस से बनता है जिसे अंगूर कहते हैं। मय मशक़ों में रखा जाता था। मशक़ जानवरों की खाल से बनी थैली होती थी।
- “नई मय” या’नी अंगूर का ताजा रस जिसका शीरा नहीं किया गया है। कभी-कभी मय शीरा के बिना मय को भी कहते थे।
- मय निकालने के लिए अंगूरों को हौज़ में कुचला जाता है ताकि उनका रस निकले। रस का शीरा किया जाता था कि उसका मय बने।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में मय खाने के साथ एक आम तौर से पीने का रस था। उसमें नशे की मिक़दार उतनी नहीं होती थी जितनी आज की मय में होती है।
- खाने के वक़्त पेश की गई शराब में अक्सर पानी मिलाया गया होता था।
- पुरानी मशक़ कड़क होकर चिटक जाती थी जिसकी दरारों में से मय बह जाता था। नई मशक़ें नाज़ुक एवं लचीली होती थी या;नी वे फटती नहीं थी और मय को महफ़ूज़ रखने के लिए सही थी।
- अगर आपके मज़हब में मय नहीं जानी जाती है तो इसका तर्जुमा “शीरा किया हुआ अंगूर का रस” कह सकते हैं या “अंगूर के फलों से शीरा किया हुआ रस” या “शीरा किया हुआ फलों का रस”
- “मशक़” का तर्जुमा “शराब की थैली” या “जानवर की खाल शराब का थैला” या “जानवर की खाल शराब का थैला”।
(यह भी देखें: अँगूर, दाख़लता, दाख़ की बारी, मय के हौज़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तीमुथियुस 05:23-25
- पैदाइश 09:20-21
- पैदाइश 49:11-12
- यूहन्ना 02:3-5
- यूहन्ना 02:9-10
- मत्ती 09:17
- मत्ती 11:18-19
बर्बाद करना
शब्दकोश:
- Strong's: H2561, H2562, H3196, H4469, H4997, H5435, H6025, H6071, H8492, G1098, G3631, G3820, G3943
मरना, मरता, मर गया, मरे हुए, जान लेवा, मुर्दा, मौत, मौतें
सच्चाई:
यह लफ़्ज़ जिस्मानी और रूहानी मौत दोनों का हवाला देता है| जिस्मानी तौर पर, इसका हवाला देता है जब किसी शख़्स का जिस्म का जीना ख़त्म जाता है| रूहानी तौर पर, यह गुनाहगारों को उनका गुनाहों की वजह से मुक़द्दस ख़ुदा से अलग हो जाना.
1. जिस्मानी मौत
- “मरना” मतलब जीना छोड़ देना| मौत जिस्मानी ज़िन्दगी की आख़िर है|
- किसी शख़्स की रूह उसका जिस्म छोड़ देती है, जब वह मरता है|
- जब आदम और हव्वा ने गुनाह किया, तब जिस्मानी मौत दुनिया में आई|
- इज़हार “सज़ा-ए-मौत” से मतबल है किसी को क़त्ल करना या किसी को मार डालने का हुक्म देना, ख़ास तौर से किसी बादशाह या कोई और हाकिम किसी को मारने का हुक्म देता है|
2 रूहानी मौत
- रूहानी मौत ख़ुदा की तरफ़ से एक शख़्स की जुदाई है|
- आदम रूहानी मौत मरा, जब उसने ख़ुदा की नाफ़रमानी की| उसका ख़ुदा के साथ रिश्ता टूट गया| वह शर्मिन्दा हो गया और ख़ुदा से छिपने की कोशिश की|
- आदम की हर नसल एक गुनाहगार है, और रूहानी तौर पर मुर्दा है| जब हम ‘ईसा मसीह पर ईमान रखते हैं तो ख़ुदा हमें रूहानी तौर पर दुबारा ज़िन्दा करता है|
तर्जुमे की सलाह
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के लिए, रोज़ाना इस्ते’माल करना बेहतर है, क़ुदरती लफ़्ज़ या इज़हार मक़सदी ज़बान जो मौत की तरफ़ इशारा करती है|
- कुछ ज़बानों में, “मरने” के लिए “ज़िन्दा नहीं” का इस्ते’माल किया जा सकता है| लफ़्ज़ “मरा” को “ज़िन्दा नहीं” या “कोई ज़िन्दगी नहीं है” या “नहीं रहना” के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है|
बहुत सी ज़बानों में मौत की तफ़सील के लिए ‘अलामती इज़हार का इस्ते’माल किया जाता है, मिसाल के तौर पर अंग्रेज़ी में “गुज़र जाना” ताहम, किताब-ए-मुक़द्दस में यह सबसे बेहतर है कि रोज़ाना की ज़बान में मौत के लिए सीधे लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें|
किताब-ए-मुक़द्दस में जिस्मानी ज़िन्दगी और मौत अमूमन रूहानी ज़िन्दगी और मौत के मुक़ाबिल में होती हैं| तर्जुमे में जिस्मानी मौत और रूहानी मौत दोनों के लिए एक ही लफ़्ज़ या जुमले का इस्ते’माल ज़रूरी है|
- कुछ ज़बानों में “रूहानी मौत” कहना ज़्यादा साफ़ होता है जब मजमूनों में उस मतलब की ज़रूरत हो। कुछ मुतरज्जिम भी महसूस कर सकते हैं कि मज़मून में “जिस्मानी मौत” कहना अच्छा है, जहाँ इसका इस्ते’माल रूहानी मौत के मुक़ाबिल किया जा रहा है|
- इज़हार “मुर्दा” एक नामज़द सिफ़त है जो मरने वाले लोगों के हवाले से है| कुछ ज़बानों में इसका तर्जमा इस तरह होगा “मुर्दा लोग” या “जो लोग मर गए हैं” (देखें: नामज़द सिफ़त
- अलफ़ाज़ “सज़ा-ए-मौत” को “मारना” या “क़त्ल करना” के तौर पर भी किया जा सकता है|
(यह भी देखें: यक़ीन, ईमान, ज़िन्दगी, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 15:20-21
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:16-18
- रसूलों के ‘आमाल 10:42-43
- रसूलों के ‘आमाल 14:19-20
- कुलुस्सियों 02:13-15
- कुलुस्सियों 02:20-23
- पैदाइश 02:15-17
- पैदाइश 34:27-29
- मत्ती 16:27-28
- रोमियो 05:10-11
- रोमियो 05:12-13
- रोमियो 06:10-11
किताब-ए-मुक़द्दस कीं कहानियों से मिसालें:
- 01:11 ख़ुदा ने आदम से कहा कि वह भले और बुरे के ‘इल्म के पेड़ के फल को छोड़कर बाग़ के किसी भी पेड़ से खा सकता है। अगर वह इस पेड़ के फल को खाएगा, तो वह मर जाएगा|
- 02:11__तब तुम __मर जाओगे और जिस्म वापस मिट्टी में मिल जाएगा|
- 07:10 इस्हाक़ की मौत हो गयी और उसके बेटे ‘ऐसौ और या’कूब ने उसको मिट्टी दी।
- 37:05 ‘ईसा ने जवाब दिया, "मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ।" जो कोई मुझ पर ईमान करता है वह अगर मर भी जाए तोभी जीता रहेगा। और हर कोई जो मुझ पर ईमान करता है वह कभी न मरेंगा।”
- 40:08 अपनी मौत के जरिए’ ‘ईसा ने लोगों के लिये ख़ुदा के पास आने का रास्ता खोल दिया।
- 43:07 "अगरचे ‘ईसा मरा, लेकिन ख़ुदा ने उसे मुर्दों में से जी उठाया|
- 48:02 क्यूँकि वह गुनाहगार थे, इसलिए ज़मीन पर हर एक बीमार हुआ और__मरा__|
- 50:17 वह (‘ईसा) हर आँसू को पोछेगा और यहाँ तक कि और कोई परेशानी, दुःख, रोना, बुराई, दर्द, या __मौत__नहीं होगी|
शब्दकोश:
- Strong's: H6, H1478, H1826, H1934, H2491, H4191, H4192, H4193, H4194, H4463, H5038, H5315, H6297, H6757, H7496, H7523, H8045, H8546, H8552, G336, G337, G520, G581, G599, G615, G622, G684, G1634, G1935, G2079, G2253, G2286, G2287, G2288, G2289, G2348, G2837, G2966, G3498, G3499, G3500, G4430, G4880, G4881, G5053, G5054
मरियम, 'ईसा की माँ
सच्चाई:
मरियम एक जवान 'औरत थी जो नासरत में रहती थी। उसकी मंगनी यूसुफ़ से हुई थी। ख़ुदा ने मरियम को चुना कि वह ख़ुदा के बेटे 'ईसा मसीहा की माँ बने,।
- पाक रूह ने रूहानी तरीक़े से मरियम को हामला किया जब कि वह कुँवारी थी।
- फ़रिश्ते ने मरियम से कहा था कि उसका बेटा ख़ुदा का बेटा है और उसका नाम 'ईसा रखा जाए।
- मरियम ख़ुदा से मुहब्बत करती थी और उसके इस फ़ज़ल के लिए उसने ख़ुदा को मुबारकबाद दी ।
- यूसुफ़ ने मरियम से शादी की लेकिन वह 'ईसा की पैदाइश तक कुँवारी ही थी।
- मरियम ने चरवाहों और नजूमियों के ज़रिए' बच्चे 'ईसा के लिए कही गईं बातों को मन में बसा लिया था।
- यूसुफ़ और मरियम 'ईसा को सुपुर्द करने के लिए हैकल में ले गए। * वह 'ईसा को हेरोदेस के हाथों क़त्ल से बचाने के लिए मिस्र ले गए थे। आख़िर में वह नासरत लौट आए।
- जब 'ईसा बालिग़ हो गया तब उसने कन'आन में एक शादी के जशन में पानी को शराब में तब्दील कर दिया, मरियम भी वहाँ थी।
- इन्जील में यह भी लिखा है कि 'ईसा के सलीब पर चढ़ाने के वक़्त मरियम भी वहाँ थी। 'ईसा ने अपने शागिर्द यूहन्ना को हुक्म दिया कि वह मरियम को अपनी माँ के जैसा संभाले।
(यह भी देखें: क़ाना, मिस्र, हेरोदेस बड़ा, 'ईसा, यूसुफ़ (नया ‘अहद नामा), ख़ुदावन्द का बेटा, कुँवारी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यूहन्ना 02:3-5
- यूहन्ना 02:12
- लूक़ा 01:26-29
- लूक़ा 01:34-35
- मरकुस 06:1-3
- मत्ती 01:15-17
- मत्ती 01:18-19
किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें:
- 22:04 जब इलीशबा छ: माह हाम्ला थी, वही फ़रिश्ता इलीशबा की ख़ानदानी मरियम के पास गया | वह एक कुँवारी थी जिसकी मंगनी यूसुफ़ नाम के आदमी के साथ हुई थी | फ़रिश्ता ने उससे कहा, “तू हाम्ला होगी, और तेरे एक बेटा पैदा होगा | ” “तू उसका नाम 'ईसा रखना |वह महान होगा और ख़ुदावन्द का बेटा कहलाएगा और हमेशा के लिए हुकूमत करेगा |”
- 22:05 फ़रिश्ता ने उसको उत्तर दिया, “पाक रूह तुझ पर उतरेगा, और ख़ुदावन्द की क़ूव्वत तुझ पर साया करेगी | इसलिए वह पाक हैजो पैदा होनेवाला है, ख़ुदा का बेटा कहलाएगा |” जो कुछ फ़रिश्ता ने मरियम से कहा, उसने उस पर यक़ीन किया |
- 22:06 फ़रिश्ते ने मरियम से बात की, उसके कुछ वक़्त बा'द वह इलीशबा से मुलाक़ात करने को गई | जैसे ही इलीशबा ने मरियम का सलाम सुना, वैसे ही बच्चा उसके पेट में उछला |
- 23:02 फ़रिश्ते ने उससे कहा, “ऐ यूसुफ़ ! तू अपनी बीवी मरियम को यहाँ ले आने से मत डर, क्यूँकि जो उसके हमल में है, वह पाक रूह की तरफ़ से है |
- 23:04 तब यूसुफ़ और मरियम भी एक लम्बा सफ़र तय करके नासरत को गए, क्यूँकि यूसुफ़ दाऊद के घराने और नसल का था, गलील के नासरत शहर से यहूदिया में दाऊद के शहर बैतलहम को गया |
- 49:01 एक फ़रिश्ते ने मरियम नाम की एक कुंवारी से कहा कि वह ख़ुदा के बेटे को जन्म देगी | तब जबकि वह एक कुँवारी ही थी, तो उसने एक बेटे को जन्म दिया और उसका नाम 'ईसा रखा |
शब्दकोश:
मरियम मगदलीनी
सच्चाई:
मरियम मगदलीनी उन सब 'औरतों में से एक थी जो 'ईसा में ईमान करती थी और उसकी ख़िदमत में उसके साथ रहती थी। वह 'ईसा के ज़रिए' सात बदरूहों से आज़ादी पाने के लिए मशहूर थी।
- मरियम मगदलीनी और दूसरी कुछ 'औरतें 'ईसा और उसके शागिर्दों को मदद करती थी।
- वह 'ईसा को मुर्दों में से जी उठने के बा'द देखनेवाली सबसे पहली 'औरत थीं।
- जब मरियम मगदलीनी खाली क़ब्र के बाहर खड़ी थी तब उसने 'ईसा को वहाँ खड़े देखा और 'ईसा ने उससे कहा कि वह जाकर शागिर्दों से कहे कि वह जी उठा है।
(यह भी देखें: बदरूह, बदरूहों से मुब्तिला)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- लूक़ा 08: 1-3
- लूक़ा 24:8-10
- मरकुस 15:39-41
- मत्ती 27:54-56
शब्दकोश:
मरी, बलाएँ
ता’अर्रुफ़:
बलाएँ ऐसे हादसे होते है जिनकी वजह से बड़ी ता’दाद में आदमियों पर दुःख आते हैं या आदमी मरने लगते हैं। बलाओं में महामारी का मर्ज़ भी होता है जिसकी वजह से इलाज से पहले ही बड़ी ता’दाद में लोग मर जाते हैं।
- बहुत सी बलाओं की क़ुदरती वजह होती है लेकिन कुछ ख़ुदा के ज़रिये’ आदमियों के गुनाह की शक्ल में भेजी जाती हैं।
- मूसा के वक़्त ख़ुदा ने मिस्र पर दस बलाएँ भेजी थी कि इस्राईल के मिस्र से जाने के लिए फ़िर’औन को मजबूर करे। उन बलाओं में पानी ख़ून में बदल गया था, जिस्मानी बीमारी थीं , टिड्डियों और ओला बरसने के ज़रिये’ फसल का बर्बाद होना, तीन दिन पूरा अँधेरा होना और पहिलौठों की मौत
- इसका तर्जुमा हो सकता है, “फ़ैली हुई बर्बादी ” या “फैली हुई बीमारी ” मज़मून के मुताबिक़ करे।
(यह भी देखें: ओला, इस्राईल. मूसा, फ़िर’औन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 समूएल 24:13-14
- ख़ुरूज 09:13-14
- पैदाइश 12:17-20
- लूका 21:10-11
- मुकाशिफ़ा 09:18-19
शब्दकोश:
- Strong's: H1698, H4046, H4194, H4347, H5061, H5062, H5063, G3061, G3148, G4127
मलिका, रानियाँ
ता’अर्रुफ़:
मलिका या’नी बादशाह की बीवी या किसी मुल्क की हाकिम
- बादशाह अख़्सूयरस से शादी करके आस्तर फारस सल्तनत की मलिका बन गई थी।
- मलिका ईज़ेबेल बदकार राजा अहाब की बीवी थी।
- शीबा की मलिका एक मशहूर हाकिम थी जो सुलैमान से मुलाक़ात करने आई थीं
- “मलिकाआल्या ” बादशाहत करने वाले बादशाह की माँ या दादी को कहते है या बादशाहत की बीवी को कहते हैं। “मलका आलिया ” का बहुत असर होता है जैसा अतल्याह में देखा गया है जिसने बुतों की इबादत को बढ़ावा दिया था।
(यह भी देखें: अखसूयरस, अतलियाह, आस्तर, बादशाह. फ़ारस, हाकिम, शीबा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 10:10
- 1 सलातीन 11:18-19
- 2 सलातीन 10:12-14
- रसूलों के 'आमाल 08:26-28
- आस्तर 01:16-18
- लूका 11:31
- मत्ती 12:42
शब्दकोश:
- Strong's: H1404, H1377, H4410, H4427, H4433, H4436, H4438, H4446, H7694, H8282, G938
मशहूर, मशहूर हुआ
ता’अर्रुफ़:
“मशहूर” लफ़्ज़ का मतलब अच्छी तरह से पता होने के साथ जुड़ी बड़ाई को ज़ाहिर है और ता’रीफ़ की इज़्ज़त हासिल करना है। कुछ या कोई "मशहूर हुआ" है अगर वह मशहूर है
- मशहूर हुआ इन्सान वह है जो मशहूर और बहुत मो’अज़्ज़िज़ इन्सान है|
- “मशहूर” लफ़्ज़ ख़ास करके लम्बे ‘अरसे की इज़्ज़त का हवाला देता है|
- एक शहर जिसे "मशहूर" कहा जाता है वह अक्सर उसकी दौलत और ख़ुशहाली के लिए जाना जाता है।
तर्जुमे की सलाह:
- “मशहूर” का तर्जुमा “शोहरत” या “मो’अज़्ज़िज़ इज़्ज़त” या “इन्सानों में ‘आम बड़ाई” भी हो सकता है।
- “मशहूर” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मशहूर और मो’अज़्ज़िज़ ” या “बेहतरीन शोहरत” भी हो सकता है।
- इज़हार “यहोवा का नाम इस्राईल में मशहूर हो” इस जुमले का तर्जुमा “यहोवा का नाम इस्राईल के ज़रिए’ जाना जाए और अहतराम के लायक़ ठहरे” हो सकता है।
- मज़मून "मशहूर के लोग" का तर्जुमा "इन्सान जो आपनी हिम्मत के लिए जाने जाते है" या "मशहूर जंगी मर्द" या "बहुत ज़्यादा मो’अज़्ज़िज़ इन्सान" की शक्ल में किया जा सकता है।
- इज़हार “तेरी मशहूरियत नसल दर नसल तक बनी रहेगी” का तर्जुमा “साल ब साल तक हर एक नसल तेरी अज़मत को जानेगी” या “तेरी बड़ाई हर एक नसल में देखी और सुनी जायेगी”।
(यह भी देखें: ‘इज़्ज़त)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 06:4
- ज़बूर135:12-14
शब्दकोश:
- Strong's: H1984, H7121, H8034
मसीह ,मसीहा
सच्चाई:
“मसीह” या “खिरिस्त”का मा’नी है ,”मसह पाए -लोग” और ख़ुदा के बेटे ‘ईसा के बारे में
- ”मसीह” या “क्राइस्ट”दोनो लफ़्ज़ नए ‘अहद नामे में ख़ुदा के बेटे के बारे में हैं जिसे ख़ुदा बाप ने अपने लोगों पर बादशाहत करने और गुनाह व मौत से उनको नजात देने के लिए मसह किया है |
- पुराने ‘अहद नामे में नबियों ने ज़मीन पर मसीह के आने से सैकड़ों साल पहले इसकी नबूव्वतत की थी |
- पुराने ‘अहद नामे में “मसह पाए (लोग)”आने वाले मसीह के बारे में कहा गया है |
- ’ईसा ने इन नबूव्वतों में से कई को पूरा किया और कई मो’जिज़े किये जो साबित करता है कि वह मसीहा” है और बाक़ी बची हुई नबूव्वतें ‘ईसा के वापस आने पर पूरी होंगी |
- "मसीह" लफ़्ज़ को अक्सर "मसीह" और “मसीह ‘ईसा “के लक़ब की शक्ल में इस्ते’माल किया जाता है |
- "मसीह" भी उसके नाम की शक्ल में "’ईसा मसीह" की शक्ल में इस्ते’माल किया गया ।
तर्जुमे की सलाह:
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा इसके मा’नी के साथ किया जा सकता है ,”मसह पाए लोग”या “ख़ुदा का मसह पाए नजात देने वाले |
- बहुत सी ज़बानों में इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया गया है जो “क्राईस्ट “या “मसीह” जैसे दिखते या सुनाई देते हैं |
- तर्जुमा शुदह लफ़्ज़ की शक्ल में लफ़्ज़ की ता’रीफ़ के ज़रिये’ जाना किया जा सकता है ,”मसीह” मसह किया एक “|
- किताब-ए-मुक़द्दस में इसका तर्जुमा बा उसूल बनाये रखें ताकि इसे वाज़े’ किया जा सके कि एक ही लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जा रहा है|
- वाज़ेह करें कि “मसीहा” और “मसीह” के तर्जुमें के बारे में अच्छी तरह से काम करते है जहाँ आयत एक ही कलाम में होते हैं |(जैसे यूहन्ना ,1-41)|
(यह भी देखें: ख़ुदावन्द का बेटा,दाऊद, 'ईसा,मसह करना
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 05:1-3
- रसूलों के आमाल . 02:34-36
- रसूलों के आमाल 05:40-42
- यूहन्ना 01:40-42
- यूहन्ना 03:27-28
- यूहन्ना 04:25-26
- लूका 02:10-12
- मत्ती 01:15-17
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 17:07 मसीह ख़ुदा का चुना हुआ है जो दुनिया को गुनाह से छुड़ाएगा।
- 17:08 लेकिन हक़ीक़त में, मसीह के आने से पहले इस्राईलियों को एक लम्बे वक़्त तक इंतजार करना पड़ा, लगभग 1,000 साल तक।
- 21:01 शुरू’ से ही, ख़ुदा ने मसीह को भेजने का मन्सूबा बनाया था।
- 21:04 ख़ुदा ने राजा दाऊद से वा’दा किया है कि मसीह दाऊद की अपनी नसल में से एक होगा।
- 21:05 मसीह __ नए ‘अहद की शुरूआत करेगा।
- 21:06 ख़ुदा के नबियों ने यह भी कहा कि, मसीह एक नबी भी होगा, एक आलिम भी और एक बादशाह भी होगा।
- 21:09 यशायाह नबी ने नबूव्वत की थी , कि एक कुँवारी से मसीह पैदा होगा।
- 43:07 "लेकिन ख़ुदा ने उस नबूव्वत को पूरा करने के लिए फिर से जिंदा उठाया जो कहता है, 'आप कब्र में अपने पाक लोगों को सड़ने नहीं देगा।'"
- 43:09 "लेकिन ख़ुदा ने उसे ख़ुदावन्द भी ठहराया और मसीह भी!"
- 43:11 पतरस ने उन्हें जवाब दिया, "आप में से हर एक को तोबा करना चाहिए और ‘ईसा _ मसीह_ के नाम पर बपतिस्मा लेना चाहिए ताकि ख़ुदा आपके गुनाह को माफ़ करे।"
- 46:06 शाउल यहूदियों से बहस करता था, और इस बात का सुबूत देता था कि ‘ईसा ही मसीह है।
शब्दकोश:
- Strong's: H4899, G3323, G5547
मिन्नत, गुज़ारिश की, मिन्नत करना, भिखारी
ता'अर्रुफ़:
“गुज़ारिश” या किसी से किसी चीज़ के लिए बहुत ज़्यादा दरख्वास्त करना। अक्सर इसका हवाला पैसा मांगने से है, लेकिन इसका मतलब किसी बात की दरख्वास्त करने से भी है।
- अक्सर लोग गुज़ारिश या मिन्नत करते हैं जब उन्हें शख़्त ज़रूरत होती है, लेकिन वह नहीं जानता की दूसरा शख़्स उसे देगा भीं या नहीं जिसके लिए वह गुज़ारिश कर रहा है|
- “भिखारी” वह आदमी है जो 'आम जगहों में बैठकर या खड़ा होकर इंसानों से पैसा मांगता है।
- मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “गुज़ारिश करना” या “बहुत ज़्यादा दरख्वास्त करना” या “पैसा मांगना” या “हमेशा पैसा मांगना”
(यह भी देखें: गुजारिश)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- लूक़ा 16:19-21
- मरकुस 06:56
- मत्ती 14:34-36
- ज़बूर 045:12-13
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 10:04 ख़ुदावन्द ने सारे मिस्र मुल्क में मेंढकों को भेज दिया। फ़िर 'औन ने मेंढकों को दूर ले जाने के लिये मूसा से गुज़ारिश की
- 29:08 तब बादशाह ने उसे बुलाकर उस से कहा, ‘ऐ बुरे ग़ुलाम, तू ने जो मुझ से गुज़ारिश की, तो मैं ने तेरा वह पूरा क़र्ज़ मा'फ़ कर दिया।’
- 32:07 बुरी रूह ने ‘ईसा से बहुत गुज़ारिश की, “हमें इस मुल्क से बाहर न भेज।” वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। बुरी रूह ने उससे गुज़ारिश करके कहा “ बराए करम हमें उन सूअरों में भेज दे कि हम उनके अंदर जाएं !”
- 32:10 तो वह आदमी जिसमें पहले बुरी रूह थी, “ईसा के साथ जाने की गुज़ारिश करने लगा ।”
- 35:11 उसका बाप बाहर आया और उसे सबके साथ ख़ुशी मनाने के लिये उससे गुज़ारिश करने लगा लेकिन उसने मना' कर दिया।”
- 44:01 एक दिन पतरस और यूहन्ना दु'आ करने के लिये हैकल में जा रहे थे। तब उन्होंने एक लंगड़े भिखारी को देखा जो पैसों के लिए भीख माँग रहा था|
शब्दकोश:
- Strong's: H34, H7592, G154, G1871, G4319, G4434, G6075
मिस्र, मिस्री, मिस्रियों
ता'रीफ़:
मिस्र अफ्रीक़ा के उत्तर पहले से कना'न के दख्खिन पश्चिम तक एक मुल्क है। मिस्री लोग मिस्र मुल्क का रहने वाला है।
- पुराने ज़माने में मिस्र एक ताक़तवर और अमीर मुल्क था।
- पहले मिस्र दो हिस्सों में तक़सीम था, कम मिस्र (श्माली हिस्सा जहाँ से नील नदी बहकर समन्दर में गिरती है) ऊंचीं तरफ़ मिस्र का (जनूबी हिस्सा )। पुराने 'अहद नामें में इन दोनों हिस्सों को “मिस्र” और “क़ादिस” कहा गया है।
- जब कना'न में खाने की कमी होती थी तब इस्राईल के बेटे खाना खरीदने मिस्र जाया करते थे।
- इस्राईली सैंकड़ों साल मिस्र में ग़ुलाम बन कर रहते थे।
- यूसुफ़ और मरियम भी अपने बच्चे 'ईसा को हेरोदेस 'अज़ीम से बचाने के लिए मिस्र चले गए थे।
(यह भी देखें: हेरोदेस बड़ा, यूसुफ़ (नया 'अहद नामा), नील नदी, बुज़ुर्ग ख़ानदान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 04:7-9
- रसूलों के 'आमाल. 07:9-10
- इस्तिसना 03:7-8
- पैदाईश 41:27-29
- पैदाईश 41:55-57
- मत्ती 02:13-15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 08:04 और ताजिर यूसुफ़ को मिस्र ले गए। मिस्र नील नदी के किनारे वाक़े' एक बड़ा, ताक़तवर मुल्क था।
- 08:08 फ़िर'औन यूसुफ़ से बहुत मुता'अस्सिर हुआ, और उसे मिस्र का दूसरा सबसे ताक़तवर आदमी मुकर्रर किया।
- 08:11 या'क़ूब ने अपने बेटों को मिस्र से अनाज लाने के लिये भेजा।
- 08:14 या'क़ूब बुज़्रुग हो गया था, वह अपने ख़ानदान के साथ मिस्र मुल्क गया और वह सब वहाँ रहने लगे।
- 09:01 यूसुफ़ की मौत के बा'द में , उसके सभी रिश्तेदारों ने मिस्र में ही बस किया।
शब्दकोश:
- Strong's: H4713, H4714, G124, G125
मुँह, मुँह, के सामने, के सामने, चेहरे, मुँह के बल गिरे
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “मुँह ” का लफ़्ज़ी मतलब इन्सान के सिर का सामने का हिस्सा। इस लफ़्ज़ के कई ‘अलामती मतलब होते हैं।
- इज़हार “तेरा मुँह” को कहने का लफ़्ज़ी तरीक़ा “तू” * इसी तरह इज़हार “मेरा मुँह” का अक्सर मतलब “मैं” या “मुझे” होता है।
- “सामना करना” का जिस्मानी तौर पर किसी का या किसी चीज़ का या’नी किसी को देखना या किसी चीज़ को देखना|
- “आमने-सामने देखना” मतलब है “सीधा एक दूसरे को देखना”
- “आमने-सामने” मतलब दो इन्सान क़रीब में एक दूसरे के सामने हैं।
- “’ईसा ने यरूशलीम जाने का फ़ैसला किया” मतलब उसने जाने का मज़बूत फ़ैसला किया था।
- “मुँह फेर लेना” का मतलब किसी जगह या इन्सान की मदद ना देने या उसको छोड़ने का फ़ैसला कर लेना।
- इज़हार “ज़मीन का चेहरा” मतलब ज़मीन के बारे है, उमूमन तमाम ज़मीन के बारे में है। मिसाल के तौर पर “अकाल ज़मीन का मुँह है” बहुत बड़ा अकाल जिससे ज़मीन पर बहुत से जानदार मुतास्सिर हुए।
- यह ‘अलामती इज़हार, “अपने लोगों से अपना मुँह न छिपा” या’नी “अपने लोगों को छोड़ न दे” या “अपने लोगों को अकेला न छोड़ दे” या “अपने लोगों की ख़बर लेने से इन्कार न कर।”
तर्जुमे की सलाह:
- अगर मुमकिन हो, इसी जुमले को रखा जाए या मक़सदी ज़बान में इस अलफ़ाज़ में एक मतलब का जुमला इस्ते’माल किया जाए।
- लफ़्ज़ "सामना करने के लिए" का तर्जुमा किया जा सकता है "की ओर मुड़ना" या "सीधे देखने के लिए" या "चेहरे को देखने के लिए।"
- इज़हार "आमने-सामने" का तर्जुमा "बहुत करीब से" या "ठीक सामने में" या "की हाज़िरी में" की शक्ल में किया जा सकता है।
- मज़मून पर मुनहस्सिर, "उसके चेहरे के सामने" का तर्जुमा "उसके आगे" या "उसके सामने" या "उसके पहले" या "उसकी हाज़िरी में" के तौर पर किया जा सकता है।
- इज़हार "उसके चेहरे की तरफ मुड़ें" अलफ़ाज़ का तर्जुमा “की ओर बढ़ने” या “मज़बूती से करने के लिए अपना दिल बनाया।”
- इज़हार “से उसके चेहरा छिपाना” का तर्जुमा “से मुड़ जाना” या “मदद करना या हिफ़ाज़त करना रोकें” या “खारिज़” के तौर में किया जा सकता है।
- 'मुँह फेरना' किसी शहर या लोगों के ख़िलाफ़ की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, "ग़ुस्सा और मुज़म्मत के साथ देखो" या "क़ुबूल करने से मना’ करना " या "ख़ारिज करने का फ़ैसला लेना" या " मुज़म्मत करना और ख़ारिज करना" या "फ़ैसला देना"।
- इज़हार “उनके मुँह पे बोले” का तर्जुमा “उनको सीधे बोलना” या “उनकी हाज़िरी में उन्हें यह कहो” या “उन्हें इन्सान में कहें” की शक्ल में किया जा सकता है।
- इज़हार “ज़मीन का मुँह” का तर्जुमा “तमाम ज़मीन” या “पूरी ज़मीन पर” या “पूरी ज़मीन पर रह रहे है” की शक्ल में किया जा सकता है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इस्तिस्ना 05:4-6
- पैदाइश 33:9-11
शब्दकोश:
- Strong's: H600, H639, H5869, H6440, H8389, G3799, G4383, G4750
मुहब्बत, मुहब्बत करता है, अज़ीज़, मुहब्बत की
ता’अर्रुफ़:
किसी इन्सान से मुहब्बत करने का मतलब है, उस इन्सान की ख़बर लेना और उसे फ़ायदा पहुंचाने के काम करना। “मुहब्बत” के मुख़तलिफ़ मतलब होते हैं जिनके लिए मुख़तलिफ़ ज़बानों में मुख़तलिफ़ लफ़्ज़ होते हैं।
-
ख़ुदा की मुहब्बत इन्सान की भलाई पर मुनहस्सिर होती है चाहे उसमें ख़ुद का फ़ायदा न हो। ऐसी मुहब्बत जो इन्सानों की परवाह करती है चाहे वे कुछ भी करते हों। ख़ुदा ख़ुद मुहब्बत है और सच्ची मुहब्बत का ज़रिया’ है।
-
‘ईसा ने इस मुहब्बत का मुज़ाहरा किया कि है कि गुनाह और मौत से बचाने के लिए अपने आपको क़ुर्बानी पेश कर दिया। उसने अपने पैरोकारों को सिखाया कि नज़राने की मुहब्बत करें।
- जब लोग इस तरह की मुहब्बत से दूसरों को मुहब्बत करते हैं, तो वे उन तरीक़ों से काम करते हैं जो वे यह सोचते हैं कि दूसरों की तरक़्क़ी के लिए क्या वजह होगी। ऐसी मुहब्बत ख़ास करके दूसरों को मु’आफ़ करती है।
-
यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ऐसा ही ख़ुद सुपुर्दगी या मुहब्बत है जब तक कि तर्जुमा का हाशिया अलग मतलब का ज़िक्र न करे।
-
नये ‘अहदनामे में लफ़्ज़ का एक और हवाला है, भाईचारे की मुहब्बत या “दोस्त की मुहब्बत या ख़ानदानी फ़र्द की मुहब्बत”
-
यह लफ़्ज़ दोस्तों और घर के अफ़राद की क़ुदरती मुहब्बत का हवाला देता है।
-
इस का इस्ते’माल ऐसे मज़मूनों में भी हो सकता है जैसे वे दा’वत में ख़ास मक़मों में बैठने की ख़्वाहिश रखते हैं। या’नी उन्हें ऐसा करने की “बहुत ज़्यादा ख़्वाहिश” या “ गहरी चाहत”
-
- “मुहब्बत” लफ़्ज़ का हवाला ‘औरत-आदमी में रोमानी रिश्ते की मुहब्बत है ।
-
‘’अलामती तौर पर इज़हार, “मैंने या’क़ूब से मुहब्बत की है और ‘ऐसौ को नफ़रती जाना है।” यहां “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब है कि ख़ुदा ने या’क़ूब को चुना कि ख़ुदा के साथ कलाम के बारे में रहे। इसका तर्जुमा “चुना” भी हो सकता है। ताहम ‘ऐसौ को भी ख़ुदा ने बरकतें दी थी, उसे कलाम के मुता’अल्लिक़ इम्तियाज़ हासिल नहीं थे। “नफ़रती” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है जिसका मतलब है “छोड़ा हुआ” या “नहीं चुना।”
तर्जुमा की सलाह:
- जब तक कि तर्जुमा से मुता’अल्लिक़ हाशिये में और मतलब समझाया न जाए यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ख़ुदा से हासिल ख़ुद सुपुर्दगी की मुहब्बत का हवाला देता है।
- कुछ ज़बानों में ख़ुदा की बिना ख़ुदगर्ज़, सुपुर्दगी की मुहब्बत के लिए ख़ास लफ़्ज़ हो सकता है। इस लफ़्ज़ के तर्जुमा हो सकते हैं, “सुपुर्दगी, वफ़ादार देखरेख” या “बिना ख़ुदगर्ज़ होकर ख़िदमत करना” या “ख़ुदा की मुहब्बत।” यक़ीनी बनाएँ, कि ख़ुदा की मुहब्बत का तर्जुमा हो सकता है, औरों के फ़ायदे के लिए अपनी ख़्वाहिशों को मारना और कोई कुछ भी करे उनसे मुहब्बत निभाते रहना।
- कभी-कभी “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब होता है दोस्तों और ख़ानदानी अफ़राद के लिए गहरी ख़िदमत का ख़याल रखना। कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से किया जा सकता है जिसका मतलब है, “बहुत अज़ीज़ समझना” या “ख़बर लेना” या “गहरा लगाव होना।”
- जिन मज़मूनों में “मुहब्बत” लफ़्ज़ किसी के लिए पुरज़ोर चाहत ज़ाहिर करे तो उस का तर्जुमा हो सकता है, “पुरज़ोर ख़्वाहिश” या “बहुत ज़्यादा चाहना” या “बहुत ज़्यादा पसन्द करना”।
- कुछ ज़बानों में एक अलग लफ़्ज़ होता है जिसके ज़रिए’ शौहर-बीवी के बीच रोमानी मुहब्बत या जिस्मानी ता’अल्लुक़ की मुहब्बत को ज़ाहिर किया जाता है।
- बहुत सी ज़बानों में "मुहब्बत" लफ़्ज़ को फ़े’अल के तौर पर ज़ाहिर करना होता है। मिसाल के तौर पर, उनमें “मुहब्बत सब्र है, मुहब्बत रहमदिल है, इस जमले का तर्जुमा हो सकता है, “जब कोई किसी से मुहब्बत करता है, वह उसके साथ सब्र दिखाता है, उस पर रहम करता है।”
(यह भी देखें:’अहद, मरना, क़ुर्बानी करना, बचाना, गुनाह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 13:4-7
- 1 युहन्ना 03:1-3
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:9-12
- गलातियों 05:22-24
- पैदाइश 29:15-18
- यसा’याह 56:6-7
- यरमियाह02:1-3
- युहन्ना 03: 16-18
- मत्ती 10:37-39
- नहमियाह 09:32-34
- फ़िलिप्पियों 1: 9-11
- ग़ज़ल-उल-ग़ज़लात 01:1-4
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 27:02 मुन्तजिम ने जवाब दिया, “तू अपने ख़ुदा से अपने सारे दिल, रूह, क़ुव्वत और ,दिल से मुहब्बत रखना। और अपने पड़ोसी से अपने बराबर मुहब्बत करना।”
- 33:08 “कंटीली ज़मीन वे इन्सान है जिन्होंने कलाम सुना, और दुनिया की फ़िक्र और दौलत का धोखा, और दीगर चीज़ों का लालच उनमें समाकर ख़ुदा के लिए उसकी मुहब्बत को दबा देता है।”
- 36:05 जैसे पतरस बोल ही रहा था कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह लफ़्ज़ निकला : “ यह मेरा अज़ीज़ बेटा है, जिससे में मुहब्बत करता हूँ”
- 39:10 हर वह इन्सान जिसे सच्चाई से मुहब्बत है, मुझे सुनेगा।”
- 47:01 वह(लुदिया) बहुत मुहब्बत के साथ ख़ुदावन्द की ‘इबादत करती थी।
- 48:01__ख़ुदा ने जब दुनिया की तख़लीक की , तो सब कुछ एकदम सही था। दुनिया में कोई गुनाह नहीं था। आदम और हव्वा एक-दूसरे से और ख़ुदा से __मुहब्बत करते थे।
- __49:03__उसने(‘ईसा) सिखाया कि तुम्हें दूसरे लोगों को उसी तरह मुहब्बत करना है जैसे कि आप ख़ुद से मुहब्बत करते हैं।
- 49:04 उसने(‘ईसा) यह भी सिखाया कि तुम्हें किसी भी चीज़, अपनी दौलत से भी ज्यादा ख़ुदा को मुहब्बत करना चाहिए।
- 49:07 ‘ईसा ने सिखाया कि ख़ुदा गुनाहगारों से बहुत मुहब्बत करता है।
- 49:09 लेकिन ख़ुदा ने क़ायनात के हर इन्सान से इतनी ज़्यादा मुहब्बत की कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई ‘ईसा पर ईमान करे उसे उसके गुनाहों की सज़ा नहीं मिलेगी, लेकिन हमेशा ख़ुदा के साथ रहेगा।
- 49:13 ख़ुदा तुमसे मुहब्बत करता है और चाहता है कि तुम ‘ईसा पर ईमान करो ताकि वह तुमसे एक क़रीबी रिश्ता क़ायम रख सके।
शब्दकोश:
- Strong's: H157, H158, H159, H160, H2245, H2617, H2836, H3039, H4261, H5689, H5690, H5691, H7355, H7356, H7453, H7474, G25, G26, G5360, G5361, G5362, G5363, G5365, G5367, G5368, G5369, G5377, G5381, G5382, G5383, G5388
मुहर, मुहर, मुहर लगाना, खुली
ता'अर्रुफ़:
मुहर लगाने का मतलब है कि मुहरबन्द चीज़ मुहर तोड़े बिना खोली नहीं जा सकती है।
- मुहर में हमेशा कोई निशान होता था जिससे ज़ाहिर होता था कि वह किस की है।
- ख़तों और दीगर दस्तावेज़ों पर मुहर लगाने के लिए मोम को पिघलाकर काम में लिया जाता था। मोम जब ठंडा होकर सख्त हो जाता था तब मुहर को तोड़े बिना ख़त खोला नहीं जा सकता था।
- ‘ईसा की क़ब्र के सामने रखे पत्थर पर मुहर लगाई गई थी कि कोई उस पत्थर को हटाए नहीं।
- पौलुस पाक रूह को 'अलामती शक्ल में मुहर कहता है जिससे हमारी नजात तय होती है
(यह भी देखें: पाक रूह, क़ब्र)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुरूज 02:3-4
- यशायाह 29:11-12
- यूहन्ना 06:26-27
- मत्ती 27:65-66
- मुक़ाश्फ़ा 05:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H2368, H2560, H2856, H2857, H2858, H5640, G2696, G4972, G4973
मूसा
सच्चाई:
मूसा एक नबी और इस्राईलियों का रहनुमा था, उसने 40 साल उनकी रहनुमाई की थी।
- बच्चे की हालत में मूसा के माँ-बाप ने उसे एक टोकरी में रखकर नील नदी के सरकंडों में बीच छोड़ दिया था, वह उसे मिस्र के फिर'औन से महफ़ूज़ रखना चाहते थे। मूसा की बहन मरयम उसकी रखवाली कर रही थी। मूसा की जान बच गई क्यूँकि फिर'औन की बेटी उसे अपने महल में ले गई कि अपना बेटा बनाकर उसकी परवरिश करे।
- ख़ुदा ने मूसा को चुना कि इस्राईलियों को मिस्र की ग़ुलामी से निकाल कर वा'दे के मुल्क में ले जाए।
- मिस्र से निकलने के बा'द जब इस्राईली जंगल में थे तब ख़ुदा ने मूसा को पत्थर की तख़्तियों पर लिखकर दस हुक्म दिए थे ।
- अपनी ज़िन्दगी के आख़िर में मूसा ने वा'दे के मुल्क को तो देखा लेकिन वहाँ दाख़िल नहीं हो पाया क्यूँकि उसने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ काम नहीं किया था।
(यह भी देखें: मरयम, वा’दे का मुल्क, दस हुक्म)
किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 07:20-21
- रसूलों के 'आमाल 07:29-30
- ख़ुरूज 02:9-10
- ख़ुरूज 09:1-4
- मत्ती 17:3-4
- रोमियो 05:14-15
किताब-ए-मुकद्दस की कहानियों से मिसालें:
- 09:12 एक दिन, मूसा जब अपनी भेड़ो की देख रेख कर रहा था , तब उसने देखा कि किसी झाड़ी में आग लगी है |
- 12:05 मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, ख़ुदा ख़ुद ही तुम्हारे लिये लड़ेगा और तुम्हे बचाएगा |”
- 12:07 ख़ुदा ने मूसा से कहा कि अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समन्दर के ऊपर बढ़ा और वह दो हिस्से हो जाएगा |
- 12:12 जब इस्राईलियों ने देखा कि मिस्र के लोग मारे गए है, तो उन्होंने ख़ुदा पर भरोसा किया और ईमान करने लगे कि मूसा ख़ुदा का एक नबी है।
- 13:07__ख़ुदा ने यह दस हुक्म __मूसा को दो पत्थर की तख़्तियों पर लिख के दे दीं |
\
शब्दकोश:
- Strong's: H4872, H4873, G3475
मेहनत, मेहनत करे, मेहनत की, मज़दूर, मज़दूरों
ता’अर्रुफ़:
मेहनत या’नी किसी भी तरह का कठिन काम करना।
- उमूमन मेहनत करना मतलब जिस्मानी ताक़त काम में लेना। इसका मतलब है कि काम मुश्किल है।
- मजदूर वह इन्सान है जो जिस्मानी मेहनत का काम करता है।
अंग्रेजी ज़बान में “मेहनत” (लेबर) का मतलब बच्चे को पैदा करने के काम से भी होता है। और ज़बानों में इसके लिए पूरी तरह से एक अलग लफ़्ज़ होता है।
- “मेहनत” लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, “काम” या “शख़्त काम करना” या “शख़्त काम” या “जिस्मानी मेहनत करना”।
(यह भी देखें: शख़्त, पैदा करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:7-9
- 1 थिस्सलुनीकियों 03:4-5
- गलातियों 04:10-11
- या’क़ूब 05:4-6
- युहन्ना 04:37-38
- लूक़ा 10:1-2
- मत्ती 10:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: H213, H3018, H3021, H3022, H3023, H3205, H5447, H4522, H4639, H5445, H5647, H5656, H5998, H5999, H6001, H6089, H6468, H6635, G75, G2038, G2040, G2041, G2872, G2873, G4704, G4866, G4904, G5389
मैदान
सच्चाई:
पुराने 'अहद नामे का लफ्ज़ “मैदान” बड़ा रेगिस्तान या'नी यरदन नदी के मैदानी 'इलाक़े के बारे में है और लाल समन्दर के उत्तरी किनारे तक जाता है।
- इस्राईली मिस्र से कन'आन के सफ़र में इस 'इलाक़े से होकर आए थे।
- “मैदानी समन्दर ” का तर्जुमा हो सकता है, “मैदानी रेगिस्तान में मौजूद समन्दर”। इस समन्दर को हमेशा “नमक का समन्दर” या “लाल समन्दर” कहते हैं।
- “मैदान ” लफ्ज़ किसी भी रेगिस्तान के बारे में भी हो सकता है।
(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा
(यह भी देखें: रेगिस्तान, नड़ समन्दर, यरदन नदी, कना’न, खारा तालाब, मिस्र)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 23:24-25
- 2 सलातीन 25:4-5
- 2 शमूएल 02:28-29
- यरमियाह 02:4-6
- अय्यूब 24:5-7
- जकरियाह 14:9-11
शब्दकोश:
यरदन नदी, यरदन
सच्चाई:
यरदन नदी उत्तर से दक्खिन की तरफ़ बहती है और कन'आन मुल्क की पूरबी सरहद बनाती है।
- आज यरदन नदी पश्चिम में इस्राईल और पूरब में यरदन को अलग करती है।
- यरदन नदी गलील समन्दर से बहती हुई मुर्दा समन्दर में गिरती है।
- यसू'अ जब इस्राईलियों को लेकर कन'आन आ रहा था तब उन्हें यरदन नदी पार करनी पड़ी थी। क्यूँकि पानी बहुत गहरा था ख़ुदावन्द ने यरदन नदी के बहाव को रोक दिया और इस्राईलियों ने उसे पार किया।
कलाम में यरदन नदी का बयान “यरदन ” से है।
(यह भी देखें: कना’न, खारा तालाब, ग़लील समन्दर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 32:9-10
- यूहन्ना 01:26-28
- यूहन्ना 03:25-26
- लूक़ा 03:3
- मत्ती 03:4-6
- मत्ती 03:13-15
- मत्ती 04:14-16
- मत्ती 19:1-2
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 15:02 इस्राईलियों को वा'दा की ज़मीनमें दाख़िल होने से पहले यरदन नदी को पार करना था।
- 15:03__जब सब इस्राईलियों ने __यरदन नदी को पार कर लिया, तब ख़ुदा ने यसू'अ को बताया कि किस तरह से यरीहू के ताक़तवर शहर पर हमला करना है।
- 19:14 एलीशा ने उसे कहा, “तू जाकर यरदन नदी में सात बार डुबकी मार।”
शब्दकोश:
यरमियाह
सच्चाई:
यरमियाह यहूदा मुल्क में ख़ुदावन्द का नबी था। पुराने 'अहद नामे में यरमियाह नाम की किताब में उसकी नबूव्वतें हैं।
दूसरे नबियों की तरह यरमियाह ने भी इस्राईलियों को ख़बरदार किया था कि ख़ुदा उनके गुनाहों की सज़ा देगा।
- यरमियाह की नबूव्वत के मुताबिक़ बाबुल, यरूशलीम को ग़ुलाम बनाएगा, इस वजह से कई यहूदा के रहने वाले उससे ग़ुस्सा थे। नतीज़ा यह हुआ कि उन्होंने उसे एक सूखे कूएं में डाल दिया कि वह मर जाए। लेकिन यहूदा के बादशाह ने अपने ख़ादिमों को हुक्म देकर उसे कूएं में से निकलवाया।
यरमियाह ने लिखा कि वह चाहता था कि उसकी आंखें “आंसुओं का चश्मा” बन जाएं कि वह अपने लोगों के बग़ावत और दर्द पर गहरा ग़म बयान कर पाए।
(यह भी देखें: बाबुल, यहूदाह, नबी, बग़ावत, दुःख उठाए, हौज़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तवारीख़ 35:25
- यरमियाह 01:1-3
- यरमियाह 11:1-2
- मत्ती 02:17-18
- मत्ती 16:13-16
- मत्ती 27:9-10
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 19:17 एक बार यरमियाह नबी को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया। कुएँ में पानी नहीं सिर्फ़ दलदल थी, और यरमियाह कीचड़ में धंस गया, लेकिन तब बादशाह ने उस पर रहम किया और उसने अपने ख़ादिमों को हुक्म दिया कि मरने से पहले उसे कुएँ में से निकाल लाए।
- 21:05 यरमियाह नबी के ज़रिए’, ख़ुदा ने वा'दा किया कि वह एक नई 'अहद बनाएगा लेकिन वह उस 'अहद के तरह न होंगी जो ख़ुदा ने इस्राईलियों के साथ सीनै पहाड़ पर बाँधी थी।
शब्दकोश:
यरीहू
सच्चाई:
यरीहू कन'आन मुल्क में एक ताक़तवर शहर था। वह यरदन के पश्चिम में और मुर्दा समन्दर के उत्तर में था।
- दूसरे सब कन'आनियों की तरह यरीहू के रहने वाले भी बुत परस्त थे।
- यरीहू कन'आन मुल्क में पहला शहर था, जिसे ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को फ़तह करने के लिए कहा था।
जब यसू'अ ने यरीहू के ख़िलाफ़ इस्राईलियों की रहनुमाई की तब यरीहू को शिकस्त करने में ख़ुदावन्द ने अजीब मो'जिज़ा किया था।
(यह भी देखें: कना’न, यरदन नदी, यशू'अ, मो'जिज़ा, खारा तालाब)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 06:77-79
- यसू'अ 02:1-3
- यसू'अ 07:2-3
- लूक़ा 18:35-37
- मरकुस 10:46-48
- मत्ती 20:29-31
- गिनती 22:1
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 15:01 यसू'अ ने दो जासूसों को कन'आनियों के शहर यरीहू में भेजा।
- 15:03 जब सब इस्राईलियों ने यरदन नदी को पार कर लिया, तब ख़ुदावन्द ने यसू'अ को बताया कि किस तरह से यरीहू के ताक़तवर शहर पर हमला करना है।
- 15:05 यरीहू की शहरपनाह नींव से गिर पड़ी! तब इस्राईलियों ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबीक़, जो कुछ उस शहर में था सब कुछ ख़त्म कर दिया।
शब्दकोश:
यरूशलीम
सच्चाई:
यरूशलीम हक़ीक़त में एक पुराना कन'आनी शहर था जो बा'द में इस्राईल का एक ख़ास शहर बन गया था। यह शहर खारे तालाब के पश्चिम में 34 किलोमीटर दूर और बैतलहम के उत्तर में क़ायम है। यह शहर आज भी इस्राईल की दारुल सल्तनत है।
- “यरूशलीम” नाम सबसे पहले यसू'अ की किताब में आया है। इस शहर के दूसरे नाम जो पुराने 'अह्द नामे में हैं वह हैं, “शलूम”, “यबूसियों का शहर” और “सिय्यून” यरूशलीम और शलूम दोनों लफ़्ज़ों का असल मतलब है, “अमन”।
- यरूशलीम असलमें यबूसी गढ़ था जिसका नाम “सिय्यून” था, बादशाह दाऊद ने इस शहर को फ़तह कर अपनी दारुल सल्तनत बना लिया था।
- दाऊद बादशाह के बेटे , सुलैमान ने सबसे पहला हैकल यरूशलीम में मोरियाह पहाड़ पर बनाया था। मोरियाह पहाड़ वह जगह थी जहाँ इब्राहीम ने अपने बेटे, इस्हाक़ की क़ुर्बानी पेश थी। बाबुल की फ़ौज के ज़रिए' हैकल को बर्बाद करने के बा'द दुबारा फिर तैयार किया गया था।
- हैकल यरूशलीम में था इसलिए यहूदियों के ख़ास 'ईद वहीं मनाई जाती थी।
- लोग कहते थे कि वह ऊपर यरूशलीम को जा रहे हैं क्यूँकि यह शहर पहाड़ पर बसा हुआ था।
(यह भी देखें:बाबुल, मसीह, दाऊद, यबूस, 'ईसा, सुलैमान, हैकल, सिय्योन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- गलातियों 04:26-27
- यूहन्ना 02:13-14
- लूक़ा 04:9-11
- लूक़ा 13:4-5
- मरकुस 03:7-8
- मरकुस 03:20-22
- मत्ती 03:4-6
- मत्ती. 04:23-25
- मत्ती 20:17-19
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 17:05 दाऊद ने यरूशलीम पर फ़तह हासिल की और उसे अपनी दारुल सल्तनत बनाया।
- 18:02 यरूशलीम में, सुलैमान ने अपने बाप के मन्सूबे के मुताबिक़ एक हैकल बनाने का इरादा किया और उसके लिए समान जमा' किया।
- 20:07 उन्होंने यरूशलीम को फ़तह कर लिया, मंदिर को बर्बाद कर दिया, और शहर व मंदिर की सभी क़ीमती चीज़ों को उनसे छीन कर ले गए।
- 20:12 लिहाज़ा सत्तर साल जिला वतनी के बा'द, यहूदियों का एक छोटा गिरोह यरूशलीम को वापस लौट आया।
- 38:01 ‘ईसा मसीह के 'आम ता'लीमों के तीन साल बा'द अपनी पहली ता'लीम शुरू की। 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि वह यरूशलीम में उनके साथ फ़सह का 'ईद मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा।
- 38:02 ‘ईसा और शागिर्दों के यरूशलीम में पहुँचने के बा'द यहूदा यहूदी रहनुमा के पास गया और पैसों के बदले 'ईसा के साथ धोकेबाज़ी करने का बात रखी।
- 42:08 “ किताब-ए-मुक़द्दस में यह भी लिखा था कि मेरे शागिर्द 'एलान करेंगे कि हर एक को गुनाहों की मु'आफ़ी हासिल करने के लिये तौबा करना चाहिए। वह यरूशलीम से इसकी शुरु'आत करेंगे और हर जगह सब क़ौमों में जायेंगे, तुम इन सब बातों के गवाह हो।”
- 42:11 ‘ईसा के मरे हुओ में से जी उठने के चालीस दिनों के बा'द, उसने अपने शागिर्दों से कहा कि तुम यरूशलीम में ही रहना जब तक कि मेरे बाप तुम्हे पाक रूह की ताक़त तुम्हे न दें।”
शब्दकोश:
- Strong's: H3389, H3390, G2414, G2415, G2419
यसा'याह
सच्चाई:
यसा'याह ख़ुदा का नबी था जिसने यहूदा में चार बादशाहों की बादशाहत में ख़िदमत की थी। उज़्ज़ियाह, यूताम, आख़ज़ और हिज़क़ियाह
- जब असूर हिज़क़ियाह के वक़्त में शहर पर हमला कर रहे थे तब वह यरूशलीम में रह रहा था।
- पुराने 'अहद नामे की किताब यसा'याह कलाम की बड़ी ख़ास किताब में से एक है।
- यसा'याह ने कई नबूव्वतें की थीं जो लिखी है जो उसकी ज़िन्दगी ही में पूरी हो गईं थीं ।
- यसा'याह मसीह की नबूव्वत के लिए ख़ास करके जाना जाता है, जो 700 साल बा'द 'ईसा के वक़्त में पूरी हुई थी।
- ‘ईसा और उसके शागिर्दों ने यसा'याह की नबूव्वतों के ज़रिए' लोगों को मसीह के बारे में ता'लीम दी थी।
(यह भी देखें: आख़ज़, असूर, मसीह, हिज़क़ियाह, यूताम, यहूदाह, नबी, उज़्ज़ियाह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 20:1-3
- रसूलों के 'आमाल 28:25-26
- यसा'याह 01:1
- लूक़ा 03:4
- मरकुस 01:1-3
- मरकुस 07:6-7
- मत्ती 03:1-3
- मत्ती 04:14-16
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 21:09 यसा'याह नबी ने नबूव्वत की थी , कि एक कुँवारी से मसीह पैदा होगा।
- 21:10 यसा'याह नबी ने कहा कि मसीह गलील में रहेगा, वह ग़म जदह लोगों को अमन देगा और ग़ुलामों के लिए आज़ादी का और क़ैदियों को छुटकारा देगा।
- 21:11 यसा'याह नबी ने यह भी नबूव्वत की कि मसीह से लोग बिना वजह के 'अदावत करेंगे और उसे नज़र अन्दाज़ करेंगे।
- 21:12 यसा'याह ने नबूव्वत की थी, कि लोग मसीह के ऊपर थूकेंगे, उसकी मज़ाक़ उड़ाएँगे, और उसे मारेंगे।
- 26:02 उसे(‘ईसा)यसा'याह नबी की किताब दी गयी कि वह उसमे से पढ़े। 'ईसा ने किताब खोल दी और लोगों को इसके बारे में पढ़कर सुनाया।
- 45:08 जब फ़िलिप्पुस रथ के पास पहुँचा, उसने कूश मुल्क के हाकिमों को यसा'याह नबी की किताब से पढ़ते हुए सुना।
- 45:10 फिर फ़िलिप्पुस ने उसे समझाया कि यसा'याह यह 'ईसा मसीह के बारे में बता रहा है।
शब्दकोश:
यस्सी
सच्चाई:
यस्सी बादशाह दाऊद का बाप और रूत और बो'अज़ का पोता था।
- यस्सी यहूदा के क़बीले का था।
- वह “एफ़्राती” था या'नी एफ़्राता (बैतलहम) शहर का रहने वाला था।
- नबी यसा'याह ने एक “जड़” या “डाली” की नबूव्वत की थी, कि वह “यस्सी की जड़” से फूट निकलेगी और सरसब्ज़ न होगी। यह 'ईसा के बारे में था क्यूँकि वह यस्सी की औलाद था।
(यह भी देखें: बैतलहम, बो'आज़, नसल, फल, 'ईसा, बादशाह, नबी, रूत, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 02:9-12
- 1 सलातीन 12:16-17
- 1 शमूएल 16:1
- लूक़ा 03:30-32
- मत्ती 01:4-6
शब्दकोश:
यहूदा
सच्चाई:
यहूदा या'क़ूब के बारह बेटों में से एक था। उसकी माँ का नाम लिआ: था। उसकी नसल “यहूदा का क़बीला” कहलाते थे।
- यहूदा ने ही अपने भाइयों को मशवरा दिया था कि यूसुफ़ को गड्ढे में मरने के लिए छोड़ने की बदले उसे बेच दिया जाए।
- बादशाह दाऊद और उसके बा'द के सब बादशाह यहूदा की नसल थे। 'ईसा भी यहूदा की नसल था।
- सुलैमान के बा'द जब इस्राईल मुल्क का बटवारा हो गया था तब यहूदा मुल्क इस्राईल का दक्खिनी 'इलाक़ा हुआ।
- नये 'अहद नामे में मुक़ाश्फ़ा की किताब 'ईसा को “यहूदा का सींग” कहा गया है।
- “यहूदी” और “यहूदिया” लफ़्ज़ “यहूदा” से ही बने लफ़्ज़ हैं।
(यह भी देखें: इस्राईल, यहूदी, यहूदाह, यहूदिया, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 02:1-2
- 1 सलातीन 01:9-10
- पैदाइश 29:35
- पैदाइश 38:1-2
- लूक़ा 03:33-35
- रूत 01:1-2
शब्दकोश:
यहूदाह, यहूदाह की बादशाही
सच्चाई:
यहूदाह का क़बीला इस्राईल के बारह क़बीलों में सबसे बड़ा था। यहूदाह की बादशाही यहूदाह और बिनयामीन के क़बीलों से थी
- बादशाह सुलैमान के मरने के बा’द इस्राईल की बादशाही दो हिस्सों में तक़सीम हो गयी थी: इस्राईल और यहूदाह| यहूदाह की बादशाही, दख्खिनी बादशाही थी जो खारे समन्दर के पश्चिम में थी|
- यहूदाह की बादशाही की दारुल-उल-हुकूमत यरूशलीम थी।
- यहूदाह के आठ बादशाह यहोवा के हुक्मों पर चले और क़ौम को उसकी परस्तिश की सलाह दी। यहूदाह के और बादशाह बुरे थे और उन्होंने क़ौम को बुतपरस्ती के लिए हौसला दिया
- अश्शूरों के ज़रिए’ इस्राईल को हराने के 120 साल से ज़्यादा वक़्त बा’द यहूदाह की बादशाही बाबुल के ज़रिए’ हरा दी गई। बाबुल की फ़ौज ने शहर को और हैकल को बर्बाद कर दिया और ज़्यादातर यहूदाह के बाशिन्दों को क़ैदी बनाकर ले गए।
(यह भी देखें: यहूदा, खारा तालाब)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 30:26-28
- 2 शमूएल 12:7-8
- होशे’अ 05:14-15
- यरमियाह 07:33-34
- क़ुज़ात 01:16-17
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:
- 18:07 सिर्फ़ दो क़बीले उसके(रहुब’आम) लिए वफ़ादार रहे। यह दो क़बीले यहूदाह की बादशाही बन गए। \
- 18:10 यहूदाह और इस्राईली बादशाही दुश्मन बन गए और अक्सर एक दूसरे के ख़िलाफ़ लड़े।\
- 18:13 यहूदाह के बादशाह दाऊद की नसल के थे| कुछ बादशाह अच्छे इन्सान भी थे, जिन्होंने सही तरीक़े से हुकूमत की और खुदा की परस्तिश की। लेकिन बहुत से यहूदाह के बादशाह बुरे, बाग़ी और बुतों की परस्तिश करने वाले थे। \ \
- 20:01 इस्राएल की बादशाही और यहूदाह की बादशाही दोनों ने खुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया।\
- 20:05 यहूदाह की बादशाही के लोगों ने देखा कि खुदा के हुक्म का ‘अमल न करने और उस पर ईमान न रखने की वजह इस्राईलियों को उसने कैसे सज़ा दी| फिर भी उन्होंने कना’नियों के मा’बूदों समेत बुतों की परस्तिश करनी न छोड़ी। \
- 20:06 अश्शूरियों के ज़रिए’ इस्राईली हुकूमत को तबाह करने के लगभग सौ सालों बा’द, खुदा ने बाबुल के बादशाह नबूकदनज़र को भेजा, यहूदी हुकूमत को बर्बाद करने के लिए।\
- 20:09 नबूकदनज़र और उसके सिपाही लगभग सभी यहूदियों को बंदी बनाकर बाबुल ले गए, वहाँ पर सिर्फ़ कंगालों को छोड़ दिया गया ताकि वह वहाँ खेती कर सके।\
शब्दकोश:
यहूदिया
सच्चाई:
“यहूदिया” पुराना इस्राईल के एक दरमियानी हिस्से को कहा जाता था। यह कभी कभी तंग मतलब में तो कभी बहुतायत मतलब में इस्ते'माल किया गया है
- तंग मतलब में यहूदिया लफ़्ज़ का हवाला पुराना इस्राईल, दक्खिनी हिस्सा, मुर्दा-समन्दर के पश्चिमी 'इलाक़े से था। कुछ तर्जुमों में इस 'इलाक़े को “यहूदा” कहा गया है।
- कभी कभी यहूदिया लफ़्ज़ पुराने इस्राईल के सब सूबों, गलील, सामरिया, पेरिया, इदुमिया, यहूदिया (यहूदा) वग़ैरह शामिल हैं ।
- अगर मुतर्जिम फ़र्क़ ज़ाहिर करना चाहते हैं, तो यहूदिया का बड़ा मतलब "यहूदी मुल्क" और छोटे मतलब में यहूदिया लफ़्ज़ का तर्जुमा “यहूदिया सूबा” या “यहूदा सूबा ” किया जा सकता है क्यूँकि यह पुराना इस्राईल का वह दरमियानी हिस्सा था जहाँ यहूदा का क़बीला रहा करता था।
(यह भी देखें: गलील, अदोम, यहूदा, यहूदाह, सामरिया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:14-16
- रसूलों के 'आमाल 02:8-11
- रसूलों के 'आमाल 09:31-32
- रसूलों के 'आमाल 12:18-19
- यूहन्ना 03:22-24
- लूक़ा 01:5-7
- लूक़ा 04:42-44
- लूक़ा 05:17
- मरकुस 10:1-4
- मत्ती 02:1-3
- मत्ती 02:4-6
- मत्ती 02:22-23
- मत्ती 03:1-3
- मत्ती 19:1-2
शब्दकोश:
यहूदियों, यहूदी
सच्चाई:
“यहूदी रहनुमा ” या “यहूदियों के हाकिम” या'नी मज़हबी रहनुमा जैसे इमाम और ख़ुदा के कलाम का उस्ताद । उन्हें मज़हब के 'अलावह दूसरे मज़्मूनों के बारे में भी फ़ैसला देने का इख़्तियार था।
- यहूदियों के रहनुमा थे ‘आला और ख़ास इमामों, और क़ानून के उस्ताद (ख़ुदावन्द की शरी'अत के उस्ताद)
- यहूदी रहनुमाओं के दो ख़ास गिरोह थे फ़रीसी और सदूक़ी।
- यरूशलीम की मजलिस में क़ानूनी मु'आमिलात के बारे में फ़ैसला लेने के लिए सत्तर यहूदी रहनुमा जमा' हुए थे।
- कई यहूदी रहनुमा मग़रूर थे और अपने आप को नेक समझते थे। * वह 'ईसा से हसद करते थे और उसे नुक़सान पहुंचाना चाहते थे। वह ख़ुदा को जानने का दावा तो करते थे, लेकिन उसके हुक्मों को नहीं मानते थे।
- “यहूदी” लफ़्ज़ ज़्यादातर यहूदी रहनुमाओं के लिए काम में लिया जाता था। ख़ास करके जब वह 'ईसा से नाराज़ होकर उसे जाल में फंसाना चाहते थे या उसे नुक़सान पहुंचाना चाहते थे।
- इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया जा सकता है, “यहूदी हाकिम” या “यहूदियों के ” या इख़्तियारी हाकिम “यहूदी मज़हबी उस्ताद”
(यह भी देखें: यहूदी, हाकिम काहिनो, ’अदालत, सरदार काहिन, फ़रीसी, काहिन, सदूक़ी, मुहर्रिर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुरूज 16:22-23
- यूहन्ना 02:17-19
- यूहन्ना 05:10-11
- यूहन्ना 05:16-18
- लूक़ा 19:47-48
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 24:03 उन्होंने अपने-अपने गुनाहों को मानकर, बपतिस्मा लिया, बहुत से मज़हबी काहिन यूहन्ना से बपतिस्मा लेने को आए, लेकिन उन्होंने अपने गुनाहों से तौबा न किया |
- 37:11 लेकिन यहूदियों के मज़हबी उस्ताद ‘ईसा से हसद रखते थे, इसलिए उन्होंने आपस में मिलकर मन्सूबा बनाना चाहा कि कैसे वह 'ईसा और लाजर को मरवा सकें ।
- 38:02 वह(यहूदा) जानता था कि यहूदी उस्तादों ने 'ईसा को मसीहा की शक्ल में इन्कार कर दिया था और वह उसे मरवा डालने का मन्सूबा बना रहे थे।
- 38:03 यहूदी रहनुमाओं ने हाकिम काहिन के ज़िम्मेदारी में 'ईसा को धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए।
- 39:05 यहूदी रहनुमाओं ने सरदार काहिन को जवाब दिया, “यह मरने के लायक़ है।”
- 39:09 अगली सुबह यहूदी रहनुमाओं ने 'ईसा को ले जाकर पिलातुस को सौंप दिया जो एक रोमन गवर्नर था।
- 39:11 लेकिन यहूदी रहनुमाओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे सलीब पर चढ़ा दो।”
- 40:09 तब यूसुफ़ और नीकुदेमुस, दो यहूदी काहिन जिन्हें यक़ीन था कि 'ईसा ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर 'ईसा की लाश को माँगा।
- 44:07 दूसरे दिन ऐसा हुआ कि __यहूदी काहिन __पतरस और यूहन्ना को लेकर सरदार काहिन के पास गए।
शब्दकोश:
याफ़त
सच्चाई:
याफ़त नूह के तीन बेटों में से एक था।
- पूरी दुनिया पर जब पानी का सैलाब आया था तब याफ़त और उसके दो भाई नूह के साथ जहाज़ में थे, उनकी बीवियाँ भी उनके साथ थी।
- नूह के बेटे तरतीबवार लिखे गए हैं, “सिम, हाम, याफ़त।” इससे समझ में आता है कि याफ़त सबसे छोटा बेटा था।
(यह भी देखें: जहाज़, बाढ़, हाम, नूह, शेम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 01:1-4
- पैदाइश 05:32
- पैदाइश 06:9-10
- पैदाइश 07:13-14
- पैदाइश 10:1
शब्दकोश:
यूताम
ता’अर्रुफ़:
पुराने 'अहद नामे में यूताम नाम के तीन आदमी हुए हैं।
- एक यूताम गिदोन का सबसे छोटा बेटा था। यूताम ने अपने बड़े भाई अबीमलिक को शिकस्त करने में मदद की जिसने अपने दूसरे सभी भाइयों को क़त्ल कर डाला था।
- यहूदा के बादशाह का नाम भी यूताम था, उसने अपने बाप उज़्ज़ियाह्(अजरियाह) के मरने के बा'द सोलह साल तक हुकूमत की थी ।
- अपने बाप की तरह यूताम भी ख़ुदा का फ़रमाबरदार था और एक अच्छा बादशाह हुआ था।
- अगर्चे उसने बुतों की जगहों को बर्बाद नहीं किया था जिसका नतीज़ा यह हुआ कि बा'द में यहूदा के रहने वाले फिर बुत परस्ती करने लगे थे।
- ‘ईसा के नसब नामे में भी एक यूताम है, मत्ती की इन्जील में।
(यह भी देखें: अबिमलिक, आख़ज़, जिब'ऊन, उज़्ज़ियाह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तवारीख़ 26:21
- 2 सलातीन 15:4-5
- यसा'याह 01:1
- क़ुज़ात 09:5-6
शब्दकोश:
यूनाह
ता’अर्रुफ़:
यूनाह पुराने 'अहद नामे का एक 'इब्रानी नबी था।
- यूनाह की किताब में यूनाह की कहानी है कि उसे ख़ुदा ने नीनवे के लोगों में पैग़ाम सुनाने भेजा था।
- यूनाह नीनवे जाने के बदले किसी और तर्शीश मुल्क को जानेवाले जहाज़ में चढ़ गया था।
- ख़ुदा ने उस जहाज़ को एक ख़ौफ़नाक आंधी से घेर लिया था।
- उसने लोगों को जहाज़ से सफ़र करने वाले से कहा कि वह ख़ुदा से दूर भाग रहा था, और उन्होंने तरीक़ा बताया कि वह उसे समन्दर में फेंक दें। जब उन्होंने ऐसा किया तब तूफ़ान रुक गया।
- यूनाह को समन्दर में एक बहुत बड़ी मछली ने निगल लिया, वह उस मछली के पेट में तीन दिन तीन रात रहा।
- मछली ने जब यूनाह को उगल दिया तब उसने जाकर नीनवे में ख़ुदा का पैग़ाम सुनाया, नतीजा यह हुआ कि नीनवे के रहने वालों ने गुनाहों से तौबा किया।
(यह भी देखें:नाफ़रमानी करना, नीनवे, मुड़ना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यूनाह 01:1-3
- लूक़ा 11:29-30
- मत्ती 12:38-40
- मत्ती 16:3-4
शब्दकोश:
यूराम
सच्चाई:
यूराम, जो आहब का बेटा, इस्राईल का बादशाह था। वह यहूराम के नाम से भी जाना जाता है।
- बादशाह यूराम उसी वक़्त इस्राईल पर बादशाहत कर रहा था जब यहूदा में भी यहूराम नाम का बादशाह बादशाहत कर रहा था।
- यूराम एक बुरा बादशाह था जिसने ख़ुद तो बुत परस्ती की और इस्राईल का गुनाह करने की वजह बना।
- इस्राईल के बादशाह यूराम ने एलियाह और अबदियाह के नबियों के वक़्त में बादशाहत की ।
- यूराम नाम का एक और आदमी था जो हमात के बादशाह तू का बेटा और बादशाह दाऊद की बादशाहत के जमाने में।
(यह भी देखें: अहाब, दाऊद, एलिय्याह, हामात, यहूराम, इस्राईल की बादशाही, यहूदाह, ‘अबदियाह, नबी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 03:10-12
- 2 तवारीख़ 22:4-5
- 2 सलातीन 01:17-18
- 2 सलातीन 08:16-17
शब्दकोश:
- Strong's: H3088, H3141, G2496
यूसियाह
सच्चाई:
यूसियाह एक ख़ुदा परस्त बादशाह था जिसने 31 साल यहूदा पर बादशाहत की थी। उसने यहूदा के रहने वालों के मन फिराकर यहोवा की 'इबादत करने के लिए रहनुमाई की थी।
- उसके बाप अमून के क़त्ल के बा'द यूसियाह, उसके बेटे ने आठ साल की 'उम्र में बादशाहत की ज़िम्मेदारी को संभाला था।
- अपने बादशाहत के वक़्त के अठारहवें साल बादशाह यूसियाह ने सरदार काहिन ख़िलक़ियाह को हुक्म दिया कि यहोवा की हैकल को दोबारा तैयार किया जाए। हैकल को दोबारा ता'मीर के वक़्त इस्तिसना की किताब मिली थी।
- जब इस्तिसना की किताब यूसियाह को पढ़कर सुनाई गई तब उसे मा'लूम हुआ कि उसकी सल्तनत के लोग ख़ुदा के हुक्मों पर 'अमल नहीं कर रहे थे, इससे उसे बहुत दुःख हुआ। उसने हक्म दिया कि बुत परस्ती की सब जगहों को मिटा दिया जाए और उनके पुजारियों को मार डाला जाए।
- उसने लोगों को हुक्म दिया कि 'ईद के मौक़े' पर जशन का मनाना शुरू' किया जाए।
(यह भी देखें: ख़ुदा, यहूदा, क़ानून, फ़सह, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 03:13-14
- 2 तवारीख़ 33:24-25
- 2 तवारीख़ 34:1-3
- यरमियाह 01:1-3
- मत्ती 01:9-11
शब्दकोश:
यक़ीन, यक़ीन करे, यक़ीन किया, ईमानदार, ईमान, बे-ईमान, बे-ईमानों , बे-ईमान,
ता'अर्रुफ़:
“यक़ीन” और “ में यक़ीन करना” क़रीबी रिश्ते में हैं लेकिन इसके मा'ने में फ़र्क बहुत कम है।
1.ईमान
- यक़ीन करने के लिए कुछ यह कुबूल या यक़ीन है कि यह सच है |
- यक़ीन करने के लिए किसी को ये तस्लीम करना है कि क्या उस शख्स ने सच कहा है |
2. यक़ीन करना
- "यक़ीन रखना " किसी शख्स को " उस पर यक़ीन रखना " का मतलब है| * उस पर यक़ीन करने का मतलब है कि इन्सान वही है कि जो कहता है कि वह है, कि वह हमेशा सच बोलता है , और वह वही करेगा जो उसने करने का वा'दा किया है |
- जब कोई शख्स वाक़'ई किसी चीज़ पर यक़ीन रखता है तो वह ऐसे तरीक़े से काम करेगा जो उस 'अक़ीदे को ज़ाहिर करता है |
- उस जुमले में "ईमान लाए "'आम तौर पर उसी मा'ने में "ईमान लाए "है |
- " 'ईसा में यक़ीन रखना " का मतलब ये है कि वह ख़ुदा का बेटा है, ये कि वह ख़ुद ही ख़ुदा है जो इन्सान बन गया और हमारे गुनाहों की अदाइगी करने के लिए जो क़ुर्बानी के तौर पर मर गया | * उसका मतलब ये है कि उसे नजाते दहिन्दा के तौर पर 'ऐतमाद करना और उसी तरह से उसकी 'इज़्ज़त करना है |
किताब-ए-मुक़द्दस में "जो शख्स ईमान लाता है और 'ईसा मसीह पे नजात दहिन्दा के तौर पर अनह्सार करती है उस से मुराद है "
- लफ्ज़ी मा'ने का मतलब है " जो शख्स ईमान लाता है "
- लफ्ज़ मसीही " आख़िर कार ईमानदारों के लिए ख़ास 'अन्वान बन गया क्यूँकि यह इशारा करता है कि मसीह में ईमान रखते हैं और उनकी ता'लीमात की इता'अत करते हैं |
" बे 'ऐतक़ाद "किसी चीज़ या किसी को यक़ीन नही करता, |
- किताब-ए-मुक़द्दस में, "बे-ईमानी" 'ईसा पर 'ऐतमाद नही करता या भरोसा नही करता है कि वह एक नजात दहिन्दा है|
- एक शख्स जो 'ईसा के बारे में ईमान नही रखता , "उसे बे ईमान "कहा जाता है |
तर्जुमा की सलाह :
- “यक़ीन करने” का तर्जुमा हो सकता है“जानना कि सच क्या है” या “अच्छा होने का 'इल्म ” किया जा सकता है।
-
"यक़ीन रखने" के तौर पर " मुकम्मल तौर पर 'ऐतमाद " या " 'ऐतमाद और इता'अत " के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है या " मुकम्मल तौर पर 'अमल करें |"
-
कुछ तर्जुमा शायद " 'ईसा में मोमिन " या मसीह " में ईमान लाने के लिए तरजीह देते हैं |
- यह लफ्ज़ का तर्जुमा भी किया जा सकता है जिसका मतलब है "कि जो शख्स 'ईसा पर 'एतमाद रखता है "या "जो कोई 'ईसा को जान्ता है और उसके लिए ज़िन्दा रहता है "
- तर्जुमा करने का दूसरा तरीक़ा " 'ईसा का पैरोकार "या " जो शख्स 'ईसा को जानता है और उसकी इता'अत करता है" हो सकता है |
-
मसीह में किसी ईमानदार के लिए एक 'आम लफ्ज़ है, जबकि " शागिर्द और रसूल ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है जो 'इसा को जानता था जबकि वह ज़िन्दा था | ये सबसे बहतर है कि उन शरायत को मुख्तलिफ़ तरीक़ों से तर्जुमा करें, ताकि उन्हें अलग रखने के लिए |
-
"बे 'ऐतक़ाद"तर्जुमा करने के दुसरे तरीकों में " ईमान की कमी"या" ईमान नहीं लाना"शामिल हो सकता है |
"जो शख्स 'ईसा में यक़ीन नहीं करता " या"किसी ऐसे शख्स को जो नजात दहिन्दा के तौर पर 'ईसा में 'एतमाद नही है " पर तर्जुमा किया जा सकता है |
(यह भी देखें: \ यक़ीन, \ रसूल, \ मसीही, \ शागिर्द, \ ईमान, \ ऐ’तिमाद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाईश15:6-8
- पैदाईश 45:24-26
- अय्यूब 09:16-18
- हबक्कूक़ 01:5-7
- मरक़ुस 06:4-6
- मरक़ुस 01:14-15
- लुक़ा 09:41-42
- युहन्ना 01:12-13
- रसूलों के 'आमाल 06:5-6
- रसूलों के 'आमाल 09:40-43
- रसूलों के 'आमाल28:23-24
- रोमियों 03:3-4
- 1 कुरिन्थियों 06:1-3
- 1कुरिन्थियों 09:3-6
- 2 कुरिन्थियों 06:14-16
- 'इबरानियों 03:12-13
- 1 युहन्ना 03:23-24
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 03:04 नूह ने लोगों को बाढ़ के बारे में आगाह किया, और कहा कि ख़ुदा की तरफ़ दिल फिराओ पर उन्होंने नूह पर यक़ीन नहीं किया।
- 04:08 अब्राम ने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया। ख़ुदा ने 'ऐलान किया कि अब्राम रास्तबाज़ है, क्योंकि उसने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया है।
- 11:02 ख़ुदा ने कहा कि, वह इन्सान जो उस पर यक़ीन करेंगा वह उसके पहिलौठे बेटे को बचाएगा।
- 11:06 लेकिन मिस्रियों ने ख़ुदा पर यक़ीन नहीं किया था या उनके हुक्मों की इता'अत नहीं की थी |
- 37:05'ईसा ने जवाब दिया " मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ | जो भी ईमान लाएगा वह और में ज़िन्दा रहूँगा | हर कोई यक़ीन रखता है मैं कभी नहीं मरूंगा | क्या आप यक़ीन रखते हैं ?"
- 43:01'ईसा मसीह के आसमान में जाने के बा'द, शागिर्द यरूशलीम में रहेंगे क्यूँकि 'ईसा ने उन्हें हुक्म दिया था | ईमानदार एक साथ दु'आ करने के लिए जमा' हुए थे |
- __43:03__जब __ईमानदार__सब एक साथ थे, अचानक वह घर जहाँ वह एक मौजूद थे वह तेज़ हवा की तरह आवाज़ से भरा हुआ था फ़िर कुछ जो आग की लपट की तरह लगती थी जैसे तमाम ईमानदारों के सरों पर आया ठहरी |
- 43:13 हर दिन ज़्यादा ___ईमानदारों__ की तादाद बढ़ती रही |
- 46:06 उस दिन से यरुशलीम में बहुत से लोगों ने ईसा के ईमानदारों को सताना शुरू' किया इसलिए ईमानदार दूसरी जगह भाग गए | लेकिन उसके बावजूद भी, उन्होंने हर जगह 'ईसा के बारे में तबलीग़ की |
- 46:01 साऊल एक जवान आदमी था जो उन लोगों के कपड़ों की देख रेख कर रहा था, जो लोग इस्तिफुनुस को क़त्ल किया था| उसने 'ईसा पर यक़ीन नहीं किया, इसलिए उन्होंने ईमानदारों को परेशान किया
_* 46:09_यरूशलीम में ज़ूल्म व सितम से भागने वाले कुछ __ईमानदार अन्ताकिया शहर में चले गए और 'ईसा के बारे में तबलीग़ की। यह अन्ताकिया कि 'ईसा में ईमान लाने वालों को पहले "मसीही" कहा गया।
- __47:14__उन्होंने बातों में ईमानदार की हौसला अफज़ाई और सिखाने के लिए बहुत से ख़ुतूत भी कलीसियाओं लिखे |
शब्दकोश:
- Strong's: H539, H540, G543, G544, G569, G570, G571, G3982, G4100, G4102, G4103, G4135
रब्बी
ता’अर्रुफ़:
“रब्बी” लफ़्ज़ का सही मतलब है “मेरा मालिक” या “मेरा उस्ताद”
- यह एक इज़्ज़त वाला ‘उहदा है जो यहूदी मज़हबी उस्ताद के लिए काम में लिया जाता था, ख़ास करके ख़ुदा की शरी’अत का उस्ताद|
- युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को और ‘ईसा को भी कभी-कभी शागिर्द “रब्बी” कहते थे।
तर्जुमे की सलाह:
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमा के तरीक़े हो सकते हैं, “मेरा मालिक” या “मेरे उस्ताद” या “मो’अज़्ज़िज़ उस्ताद” या “मज़हबी उस्ताद” कुछ ज़बानों में ऐसे अहतराम को बड़े हर्फ़ में लिखा जाता है तो कुछ में नहीं लिखा जाता है।
- मक़सदी ज़बान में उस्तादों को मुख़ातिब करने का एक ख़ास तरीक़ा हो सकता हैं।
- यक़ीनी बनाएँ कि इस लफ़्ज़ के ऐसे तर्जुमें से ‘ईसा किसी मदरसे का उस्ताद न समझ में आए।
- उसी ज़बान के या क़ौमी ज़बान की किताब-ए-मुक़द्दस तर्जुमा में “रब्बी” के तर्जुमा पर भी ध्यान दें।
देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें)
(यह भी देखें: उस्ताद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- युहन्ना 01:49-51
- युहन्ना 06:24-25
- मरकुस 14:43-46
- मत्ती 23:8-10
शब्दकोश:
रसूल, रसूलों, रिसालत
ता’अर्रुफ़:
“रसूलों”, ईसा के ज़रिए' भेजे गए आदमी जो ख़ुदा और उसकी बादशाही के नबी थे। “रसूलियत” या'नी रसूल होने के लिए चुने गए आदमियों का 'उहदा और इख्तियार ।
- “रसूल” लफ़्ज़ का मतलब है, “ख़ास मक़सद के लिए भेजा गया आदमी ”। रसूल के पास वही इख्तियार होता है जो भेजनेवाले के पास है।
- ईसा के वह बारह ख़ास शागिर्द पहले रसूल थे। दूसरे आदमी, जैसे कि पौलुस और या'क़ूब भी रसूल हुए थे।
- ख़ुदा के क़ूव्वत से रसूल बेख़ौफ़ होकर ख़ुशख़बरी सुनाने के लायक़ हुए थे और वह बीमारों को चंगा करते थे और बदरूहों को भी निकालते थे।
तर्जुमा की सलाह:
- “रसूल” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमलों के ज़रिए' भी किया जा सकता है जिसका मा'ना “भेजा गया आदमी” या “भेजा गया” या “लोगों को ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने के लिए बुलाया गया और भेजा गया आदमी ”।
- “रसूल” और “शागिर्द” लफ़्ज़ों का तर्जुमा मुखतलिफ़ लफ़्ज़ो में किया जाना ज़रूरी है।
इस बात का भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान के कलाम तर्जुमा में कैसा है।
(यह भी देखें: इख़्तियार, शागिर्द, या'क़ूब (जब्दी का बेटा), पौलुस, बारहों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यहूदा 01:17-19
- लूका 09:12-14
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :
- 26:10 फिर ईसा ने बारह लोगों को चुना, जो कि रसूल कहलाए। रसूल ईसा के साथ-साथ चलते थे और वह ईसा से सीखते थे।
- 30:01 ईसा ने 'एलान करने के लिए और कई अलग- अलग शहरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने शागिर्दों को भेजा।
- 38:02 ईसा के शागिर्दों में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था। वह शागिर्दों के माल की देखभाल करता था, वह पैसों से मुहब्बत करता था और अकसर उसमें से चुराता था।
- 43:13 शागिर्द लगातार रसूलों से ता'लीम पाने, और शाथ रखने, और रोटी तोड़ने, और दु'आ करने में मशगूल रहे।
- 46:08 तब बरनबास ने उसे अपने साथ रसूलों के पास ले जाकर उनको बताया कि दमिश्क़ में इसने कैसे ग़लत तरीक़े से ईसा के नाम से 'एलान किया।
शब्दकोश:
- Strong's: G651, G652, G2491, G5376, G5570
रहन, वा’दा करना , ‘अहद
ता’अर्रुफ़:
“रहन” रस्मी तौर से और ईमानदारी से की बात को करने या किसी चीज़ को देने का ‘अहद करना।
- पुराने ‘अहद नामे में इस्राईल के हाकिमों ने दाऊद के साथ वफ़ादारी निभाने का वा’दा किया था।
- वा’दे को पूरा करने की शकल दी गई चीज़ वा’दा पूरे होने के वक़्त उसके मालिक को लौटा दी जाती थी।
- “वा’दा करने ” का तर्जुमा हो सकता है, “पूरी तरह हवाले करना” या “पक्का अहद करना”
- इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल उस चीज़ के लिए भी किया जाता है जो क़र्ज़ चुकाने के भरोसे या रहन की शकल में रखी जाती है।
- “वा’दा करना ” का तर्जुमा हो सकता है, “पूरी तरह से वा’दा करना” या “रस्मी तौर और हवाले ” या “’अहद ” या “रस्मी तौर पर भरोसा ” मज़मून के मुताबिक़
(यह भी देखें: वा’दा, ‘अहद, मन्नत
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 05:4-5
- ख़ुरूज 22:25-27
- पैदाइश 38:17-18
- नहमियाह 10:28-29
शब्दकोश:
- Strong's: H781, H2254, H2258, H5667, H5671, H6148, H6161, H6162
रहम, रहमदिल
ता’अर्रुफ़:
“रहम” और “रहमदिल” लफ़्ज़ों का मतलब है ज़रूरत मन्द लोगों की मदद करना ख़ास करके जब वह कमज़ोर और लाचार हों।
- “रहम” का मतलब यह भी है कि लोगों को उनकी ग़लती की सज़ा न देना।
- कोई ताक़तवर आदमी जैसे बादशाह को “रहमदिल” कहा जाता है जब वह अपनी रि'आया को नुक़सान पहुंचाने की बदले उनके साथ रहम का सुलूक करता है।
- रहमदिल होने का मतलब यह भी है कि किसी को हमारे साथ बुराई करने के लिए मु'आफ़ कर देना।
- जब हम बड़ी ज़रूरत में फंसे लोगों की मदद करते हैं तब हम रहम होता है।
- ख़ुदा हम पर रहम करता है और चाहता है कि हम दूसरों के साथ भी रहम के जैसा सुलूक करें।
तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ “रहम” का तर्जुमा “एहसान” या “शफ़क़त” या “”रहम भी किया जा सकता है।
- “रहमदिल” का तर्जुमा “ रहम दिखाना” या “किसी पर महेरबान होना” या “बख़्शने वाला” होना।
- “रहम दिखाना” या “ रहम करना” का तर्जुमा “रहम के जैसे सुलूक करना” या “रहम दिखाना” भी हो सकता है।
(यह भी देखें: तरस, मु’आफ़ करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 01:3-5
- 1 तीमुथियुस 01:12-14
- दानिएल 09:17-19
- ख़ुरुज 34: 5-7
- पैदाइश 19: 16-17
- 'इब्रानियों 10:28-29
- या'क़ूब 02:12-13
- लूक़ा 06:35-36
- मत्ती 09:27-28
- फ़िलिप्पियों 02:25-27
- ज़बूर 041:4-6
- रोमियो 12:1-2
किताब-ए-मुकद्दस की कहानियों से मिसालें:
- 19:16 उन्होंने लोगों से कहा कि वह मा'बूदों की 'इबादत करना बंद कर दें, और दूसरों के लिए इन्साफ़ और उन पर रहम करना शुरू' करें।
- 19:17 एक बार यरमियाह नबी को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया। कुएँ में पानी नहीं सिर्फ़ दलदल थी, और यरमियाह कीचड़ में धंस गया, लेकिन तब बादशाह ने उस पर रहम किया और उसने अपने ख़ादिमों को हुक्म दिया कि मरने से पहले उसे कुएँ में से निकाल लाए।
- 20:12 फ़ारस की सल्तनत बहुत ही मज़बूत थी लेकिन हारे हुए लोगों के लिए रहम रहमदिल था।
- 27:11 तब 'ईसा ने क़ानून के माहिर से पूछा, “ तुम्हें क्या लगता है इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” उसने जवाब दिया, “ वही जिसने उस पर रहम किया।”
- 32:11 लेकिन 'ईसा ने उससे कहा, "नही, मैं चाहता हूँ कि तुम घर लौट जाओ और जाकर अपने दोस्तों और ख़ानदान के लोगों को वह सब बता जो ख़ुदा ने तुझ पर रहम करके तेरे लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं |
- 34:09 लेकिन जिज़्या लेने वाला फ़रीसी दूर खड़े होकर, आसमान की तरफ़ आँखें उठाना भी न चाहा, इसके बजाए अपनी छाती पीट-पीटकर कहा, ‘ऐ ख़ुदा मुझ पर रहम कर क्यूँकि मैं गुनाहगार हूँ।’”
शब्दकोश:
- Strong's: H2551, H2603, H2604, H2616, H2617, H2623, H3722, H3727, H4627, H4819, H5503, H5504, H5505, H5506, H6014, H7349, H7355, H7356, H7359, G1653, G1655, G1656, G2433, G2436, G3628, G3629, G3741, G4698
राख, राख, धूल
सच्चाई:
“राख” लफ़्ज़ उस काले पावडर के बारे में काम में लिया जाता है जो लकड़ी के जलने के बा'द रह जाता है। कभी-कभी इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल किसी बेकार और निकम्मी चीज़ के लिए भी किया जाता है।
- कलाम में कभी-कभी राख के लिए "धूल" लफ़्ज़ का इस्ते'माल भी किया गया है। इसके बारे में सूखी ज़मीन की मिट्टी से भी है।
- “राख का ढेर” या'नी बहुत राख का ढेर पड़ा है।
- पुराने ज़माने में राख में बैठना दुःख और नौहा का इशारा देता था।
- नौहा के वक़्त टाट का बना कड़ा चुभनेवाला लिबास पहन कर राख में बैठना या सिर में राख डालना होता था।
- सिर में राख डालना बे'इज़्ज़त और शर्मिंदगी की भी पहचान थी ।
- जब कोई किसी निकम्मी चीज़ के लिए कोशिश करता है जो कहा जाता है कि वह “राख खा रहा है”।
- “राख” लफ़्ज़ का तर्जुमा करते वक़्त मक़सदी ज़बान में ऐसा लफ़्ज़ काम में लें जो जली लकड़ी के जल जाने के बा'द काले चूर्ण को बयान करता है।
- तवज्जुह दें कि “राख का दरख़्त(राख का दरख़्त)” एक मुकम्मल अलग लफ़्ज़ है।
(यह भी देखें: आग, टाट)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 20:9-10
- यरमियाह 06:25-26
- ज़बूर 102:9-10
- ज़बूर 113:7-8
शब्दकोश:
- Strong's: H80, H665, H666, H766, H1854, H6083, H6368, H7834, G2868, G4700, G5077, G5522
राहब
सच्चाई:
राहब यरीहू की रहने वाली ‘औरत थी जब इस्राईल ने यरीहू पर हमला किया था। वह एक तवायफ़ थी।
- हमला करने से पहले इस्राईल के दो जासूस यरीहू में गए थे, उन्हें बचाने के लिए राहब ने उन्हें छिपा लिया था। फिरसे छावनी पहुंचने में उसने उनकी मदद की थी।
- राहब यहोवा की ईमानदार हो गई थी।
- राहब और उसका ख़ानदान यरीहू तबाही के वक़्त छोड़ दिया गया था और वे हमेशा इस्राईलियों के साथ रहने आए।
(यह भी देखें: इस्राईल, यरीहू, फ़ाहेशा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इब्रानियों 11:29-31
- या’क़ूब 02:25-26
- यहोशू 02:20-21
- यहोशू 06:17-19
- मत्ती 01:4-6
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 15:01 उस शहर में राहब नाम की एक तवायफ़ रहती थी, उसने उन दोनों जासूसों को छिपा रखा और उन्हें भगाने में भी मदद की| उसने ऐसा इसलिए किया क्यूँकि वह ख़ुदा पर ईमान ले आई थी| उन्होंने क़सम खाई कि इस्राईली जब यरीहू को तबाह करेंगे तब राहब और उसके ख़ानदान की वे हिफ़ाज़त करेंगे।
- 15:05__तब इस्राईलियों ने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़, जो कुछ उस शहर में था सब कुछ तबाह कर दिया। उन्होंने सिर्फ़ __राहब और उसके ख़ानदान को छोड़ा, क्योंकि वे इस्राईलियों का ही भाग बन गए थे।
शब्दकोश:
राज़, भेदों, भेद, पोशीदा
ता’अर्रुफ़:
कलाम में “राज़” लफ़्ज़ का बयान किसी अंजान या समझने में ला 'इल्म बात से है जिसे ख़ुदा अब ज़ाहिर कर रहा है।
- नये 'अहद नामे में कहा गया है कि मसीह की ख़ुश ख़बरी गुज़रे हुए ज़माने में एक राज़ की बात थी।
- एक ख़ास बात जिसे राज़ कहा गया है, वह है कि यहूदी और ग़ैर क़ोम मसीह में एक हैं।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “राज़ ” या “पोशीदा बात” या “अंजान बात” भी किया जा सकता है।
(यह भी देखें: मसीह, ग़ैर क़ौम, अच्छी ख़बर, यहूदी, सच्चा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- कुलुस्सियों 04:2-4
- इफ़िस्सियों 06:19-20
- लूक़ा 08:9-10
- मरकुस 04:10-12
- मत्ती 13:10-12
शब्दकोश:
- Strong's: H1219, H7328, G3466
रिवायत , रिवायतें
ता’अर्रुफ़:
रिवायत, तहज़ीब और मश्क़ थे जो बहुत ज़माने से इस्तेमाल में रहे और आनेवाली नसलों को दिए गए।
- किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर " रिवायतों" लफ़्ज़ जो कि लोगों के ज़रिए’ की गई ता’लीमों और तहजीबों के बारे में बताया जाता है, ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़ नहीं। ज़ाहिरयत "आदमियों की रिवायत " या "इन्सानों रिवायत " इस को वाज़े’ करता है।
- जुमला जैसे कि "बाप दादों की रिवायतों" या "मेरे बाप की रिवायतों" खास कर से यहूदी रीति-रिवाजों और रस्मों के लिए ख़ास शक्ल में बयान करता हैं, जो वक़्त के साथ यहूदी रहनुमाओं ने मूसा के ज़रिए’इस्राईलियों को दिए गए क़ानूनों में वक़्त के साथ जोड़ा गया था। अगर चे इन जोडी गई रिवायतें ख़ुदा से नहीं आई थीं, और लोगों ने सोचा कि उन्हें रास्तबाज़ होने के लिए उन्हें इनको मानना होगा।
- पौलुस रसूल ने “रिवायत” को अलग तरीके से इस्तेमाल किया मसीही मशक के बारे में ता’लीमों को जो ख़ुदा से आया था बयान करने के लिए जो उसने और और रसूलों ने नए ईमानदारों को सिखाया।
- आज के वक़्त में, कई मसीही रिवायतें हैं जो किताब-ए-मुक़द्दस में सिखाई नहीं जाती हैं बल्कि तावारीखी शक्ल से क़ुबूल किए गए रस्मों -रिवाजों और रिवायत का नतीजा है। ये रिवायतें हमेशा किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा के बारे में हमें सिखाए गए कामों के मुताबिक़ परख की जानी चाहिए।
(यह भी देखें: रसूल, यक़ीन, मसीही, बुज़ुर्ग, नसल, यहूदी, शरी’अत, मूसा)
किताब-ए-मुक़द्दस सन्दर्भ:
- 2 थिस्सलुनीकियों 03:6-9
- कुलुस्सियों 02:8-9
- गलातियों 01:13-14
- मरकुस 07:2-4
- मत्ती 15:1-3
शब्दकोश:
रूत
सच्चाई:
रूत एक मोआबी ‘औरत थी, जो इस्राईल में क़ुज़ात के ज़माने में थी। उसने एक इस्राईली से विवाह मोआब में किया था, जब वह अकाल की वजह से अपने ख़ानदान के साथ वहां चले गए थे जब मुन्सिफ़ इस्राईल में थे।
- रूत के शौहर की मौत हो गई, कुछ वक़्त बा’द उसकी सास, नाओमी अपने पुराने मक़ाम बैतलहम लौट रही थी तो उसने भी अपनी सास के साथ जाने का फ़ैसला लिया।
- रूत नाओमी की वफ़ादार रही और उसके लिए खाने का इंतज़ाम करती रही।
- वह इस्राईल के इकलौते सच्चे ख़ुदा की ख़िदमत में सुपुर्द हो गई थी।
- रूत की शादीएक इस्राईली आदमी बोअज़ के साथ हो गई थी, उसका बेटा ‘ईसा के बुज़ुर्ग बादशाह दाऊद का दादा था। क्योंकि बादशाह दाऊद ‘ईसा मसीह का बुज़ुर्ग था इसलिए रूत भी थी।
(यह भी देखें: बैतलहम, बो'आज़, दाऊद, मुंसिफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- मत्ती 01:4-6
- रूत 01:3-5
- रूत 03:8-9
- रूत 04:5-6
शब्दकोश:
रूह , रूहें , रूहानी
त'अर्रुफ़:
“रूह ” इन्सान का वह ग़ैर जिस्मानी हिस्सा है जो दिखाई नहीं देता है। मरने के वक़्त रूह शरीर को छोड़ देती है। “रूह” लफ़्ज़ रवय्या या जज़्बात हालत को भी दिखता है।
- “रूह ” का शरीर नहीं होता है, ख़ास करके बदरूह का।
- इन्सान की रूह वह 'अज़ू है जो ख़ुदा को जानती है और उसमें ईमान करती है।
- “रूहानी ” लफ़्ज़ का 'आम मतलब है, ग़ैर जिस्मानी दुनिया का कोई भी वजूद ।
- कलाम में इसका बयान उस किसी भी बात से है जो ख़ुदा से त'अल्लुक़ रखती है, ख़ास करके पाक रूह से।
- मिसाल केतौर पर , “रूहानी खाना ” या'नी ख़ुदा की ता'लीमें जो इन्सान की रूह की परवरिश करती हैं। “रूहानी, अक़्ल” का मतलब \इल्म और रास्तबाज़ी के जैसा सुलूक जो पाक रूह की ताक़त से हासिल होता है।
- ख़ुदा रूह है और उसने दूसरे रूहानी मख़लूक़ात को पैदा किया है जिसके शरीर नहीं हैं।
- फ़रिश्ते रूहानी रूहें हैं इनमें ख़ुदा से बग़ावत करके बदरूह बननेवाली रूहें भी हैं।
- “रूह” लफ़्ज़ का मतलब “का सा किरदार” जैसे “'अक़्ल की रूह” या “एलियाह की रूह में”।
- रवय्या और जज़्बात के तौर में “रूह” के बारे में होगा, “खौफ़ की रूह ” या “हसद की रूह ”
तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ “रूह” के तर्जुमा की कई शक्लें हो सकती हैं, “गैर जिस्मानी ” या “अन्दुरूनी हिस्सा ” या “अन्दुरूनी वजूद ”।
- कुछ बयानों में “रूह ” का तर्जुमा “बदरूह” या “बुरी रूहानी ” से हो सकता है।
- कभी-कभी “आत्मा” शब्द मनुष्य की भावना को व्यक्त करने के लिए काम में लिया जाता है जैसे “मेरी रूह अन्दर ही अन्दर परेशान थी”। इसका तर्जुमा “मेरी रूह परेशान थी” या “मुझे गहरा दुख़” हो सकता है।
- “की रूह” का तर्जुमा “का किरदार” या “का अन्दाज़” या “का रवय्या” या “सोच के ज़रिए' ख़ासियत” हो सकता है।
- ख़ुलासे के तौर पर, "रूहानी" का तर्जुमा "ग़ैर रूहानी" या " पाक रूह से" या "ख़ुदा" या "ग़ैर -जिस्मानी दुनिया का हिस्सा" की शक्ल में किया जा सकता है।
- मुनासिब जुमला " रूहानी दूध" का तर्जुमा "ख़ुदा की बुनियादी ता’लीम " या "ख़ुदा की ता'लीमों की शक्ल में भी किया जा सकता है जो रूह की परवरिश करते हैं (जैसे दूध करता है)।"
- जुमला रूहानी पुख़्तगी " का तर्जुमा "ख़ुदा के सुलूक के तौर पर किया जा सकता है जो पाक रूह की फ़रमाबरदारी करता है।"
- लफ़्ज़ "रूहानी तोहफ़ा " की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ास सलाहियत पाक रूह देता है ।
(यह भी देखें: फ़रिश्ता, बदरूह, पाक रूह, जान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 05:3-5
- 1 यूहन्ना 04:1-3
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:23-24
- रसूलों के 'आमाल 05:9-11
- कुलुस्सियों 01: 9-10
- इफ़िसियों 04:23-24
- पैदाइश 07:21-22
- यसा'याह 04: 3-4
- मरकुस 01:23-26
- मत्ती. 26:39-41
- फ़िलिप्पियों 01:25-27
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 13:03 तीसरे दिन तक, वह अपने आप को रूहानी शक्ल से तैयार करे ,जब ख़ुदा सीनै पहाड़ पर आया तो बादल गरजने और बिजली चमकने लगी और पहाड़ पर काली घटा छा गई फिर नरसिंगे की बड़ी ज़ोर से आवाज़ हई |
- 40:07 तब 'ईसा ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! ऐ बाप , मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ | ” तब 'ईसा का सिर झुक गया, और उसने अपनी रूह को ख़ुदा के हाथ में सौंप दिया |
- 45:05 जब स्तिफ़नुस मरने पर था, वह दु'आ करने लगा कि, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा 'ईसा मेरी रूह को क़ुबूल कर |”
- 48:07 सभी लोगों का झुण्ड'ईसा की वजह से मुबारक हुआ, क्यूँकि हर कोई जिसने 'ईसा पर ईमान किया अपने गुनाहों से छुटकारा पाया, और इब्राहीम का एक रूहानी नसल बना |
शब्दकोश:
- Strong's: H178, H1172, H5397, H7307, H7308, G4151, G4152, G4153, G5326, G5427
रोटी
ता'अर्रुफ़:
रोटी, आटे में पानी और तेल मिलाकर बनाई जाती है। आटे को बेलकर रोटी की शक्ल देकर सेंका जाता है।
- जब “रोटी” लफ्ज़ अकेला हो तो इसका मतलब है, रोटी।
- रोटी के आटे को फूलाने के लिए उसमें खमीर मिलाया जाता है।
- रोटी बिना खमीर के भी बनाई जाती है। * किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसी रोटी को “बे ख़मीरी रोटी” कहा गया है, यह रोटी यहूदी 'ईद के जशन में खाते थे।
- रोटी किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में ख़ास खाना होता था, इसे खाने कि जगह में भी काम में लिया गया है।
- “नज़र की रोटियां” घर के ख़ेमे या हैकल में ख़ुदावन्द को अदा की गई बारह रोटियां थी जिन्हें एक सोने की मेज पर रखा जाता था। ये रोटियां इस्राईल के बारह क़बीलों की नुमाइन्दगी करती थी और सिर्फ़ काहिन ही उन्हें खा सकता था। इसका तर्जुमा हो सकता है, “उनमें ख़ुदा की हाज़री के नज़र की रोटियां।”
- 'अलामती लफ्ज़, “जन्नत की रोटी” खास सफेद रंग की अन्न, मन्ना के बारे में है, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों के लिए जंगल में इसका ज़िक्र किया था।
- 'ईसा ने ख़ुद को “जन्नत से उतरने वाली रोटी” और “ज़िन्दगी की रोटी” कहा है।
- 'ईसा अपने शागिर्दों के साथ 'ईद का खाना खा रहा था तब उसने अपने जिस्म को बेख़मीरी रोटी कहा था जो घायल की जायेगी और आख़िर में सलीब पर मार दी जायेगी।
- कई जगहों में “रोटी” का तर्जुमा “खाना” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: फ़सह, ख़ेमा, हैकल, बेख़मीरी रोटी, ख़मीर)
किताब-ए-मुक़द्दस:
- रसूलों के 'आमाल. 02:46-47
- रसूलों के 'आमाल . 27:33-35
- ख़ुरूज 16:13-15
- लूक़ा 09:12-14
- मरकुस 06:37-38
- मत्ती 04:1-4
- मत्ती 11:18-19
शब्दकोश:
- Strong's: H2557, H3899, H4635, H4682, G106, G740, G4286
रोशनी, रोशनियाँ, रोशनी होना, बिजलियाँ, दिन की रोशनी, सूरज की रोशनी, शाम, रोशन, रोशन हुआ
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “रोशनी” लफ़्ज़ के कई ‘अलामती इस्ते’माल किए गए हैं। इसका इस्ते’माल ज़्यादातर रास्तबाज़ी, पाकीज़गी और सच की मिसालों के ज़रिए’ किया जाता है। (देखें: मिसाल
- ‘ईसा ने कहा, “दुनिया की रोशनी मैं हूँ” उसके कहने का मतलब था वह दुनिया को ख़ुदा का सच्चा पैग़ाम सुनाता है और इनसानों को उनके गुनाहों की तरीकी से उबारता है।
- ईमानदारों को हुक्म दिया गया है, “रोशनी में चलो” या’नी उन्हें ख़ुदा की मर्ज़ी के मुताबिक़ ज़िन्दगी जीना है और बुराई से बचना है।
- रसूल युहन्ना ने कहा, “ख़ुदा रोशनी है” और उसमें तारीकी नहीं
- रोशनी और तारीकी एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं। तारीकी का मतलब है रोशनी की ग़ैरमोजूदगी|
- ‘ईसा ने कहा कि वह “दुनिया की रोशनी है” और उसके ईमानदारों को दुनिया में रोशनी की तरह चमकना है, उन्हें ऐसी ज़िन्दगी रखना है जिससे साफ़ ज़ाहिर हो कि ख़ुदा कैसा बड़ा है।
- “रोशनी में चलो” का मतलब ऐसी ज़िन्दगी रखो जिससे ख़ुदा ख़ुश होता है या’नी भलाई और अच्छे काम करो। अन्धकार में चलने का अर्थ है, ख़ुदा से बग़ावत करना और परेशान करना।
तर्जुमे की सलाह:
- जब तर्जुमा करें, “रोशनी” और “तारीकी” अलफ़ाज़ को ज्यों का त्यों रखा जाए चाहे उनका इस्ते’माल ‘अलामती हो।
- मज़मून के मुक़ाबले का ज़िक्र करना ज़रूरी है। मिसाल के तौर पर, “रोशनी की औलाद की तरह चलो” इसका तर्जुमा हो सकता है, खुली रास्तबाज़ी की ज़िन्दगी जिओ जैसे कोई सूरज की तेज़ रोशनी में चलता है”।
- यक़ीनी बनाएं कि “रोशनी” का तर्जुमा ऐसा इशारा दे कि वह रोशनी का ज़रिया’ है जैसे चराग़| इस लफ़्ज़ का तर्जुमा उजियाला ही का हवाला है।
(यह भी देखें: तारीकी, पाक, रास्तबाज़, सच्चा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 युहन्ना 01:5-7
- 1 युहन्ना 02:7-8
- 2 कुरिन्थियों 04:5-6
- रसूलों के ‘आमाल. 26:15-18
- यसा’याह 02:5-6
- युहन्ना 01:4-5
- मत्ती 05:15-16
- मत्ती 06:22-24
- नहमियाह 09:12-13
- मुकाशिफ़ा 18:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H216, H217, H3313, H3974, H4237, H5051, H5094, H5105, H5216, H6348, H7052, H7837, G681, G796, G1645, G2985, G3088, G5338, G5457, G5458, G5460, G5462
रोज़ा, रोज़े, रोज़ा रखा, रोज़ा, रोज़ा रखना
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “रोज़ा” का मतलब है कुछ वक़्त के लिए खाना नहीं खाना जैसे एक दिन या ज़्यादा वक़्त। कभी-कभी इसमें पानी भी नहीं पिया जाता है।
- रोज़ा इंसानों को ख़ुदा में दिल लगाने में मदद करता है और खाना पकाने और खाने की फ़िक्र किए बिना दु’आ कर पाएं।
- ‘ईसा ने यहूदी रहनुमाओं के ज़रिए’ ग़लत वजह से रोज़े से इनकार किया है| रोज़ा रखने में उनका मक़सद था कि लोग उन्हें रास्तबाज़ समझें।
- इन्सान कभी-कभी दुःख या ग़म की वजह से भी रोज़ा रखता है।
- “रोज़ा रखना” इस काम का तर्जुमा हो सकता है, “खाने का छोड़ना” या “खाना नहीं खाना”
- “रोज़ा” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “खाना नहीं, खाने का वक़्त” या “खाना खाने छोड़ने का वक़्त”
(यह भी देखें: यहूदियों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 21:8-10
- 2 तवारीख़ 20:3-4
- रसूलों के ‘आमाल 13:1-3
- यूनाह 03:4-5
- लूक़ा 05:33-35
- मरकुस 02:18-19
- मत्ती 06:16-18
- मत्ती 09:14-15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 25:01 फ़ौरन ही ‘ईसा के बपतिस्मा लेने के बा’द, रूह ने ‘ईसा को जंगल की ओर भेजा जहाँ उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात रोज़ा रखा ।
- 34:08 “मिसाल के लिये, मैं सप्ताह में दो बार रोज़ा रखता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।”
- 46:10 एक दिन जब अन्ताकिया की कलीसिया के मसीही रोज़ा के साथ ख़ुदावन्द की ‘इबादत कर रहे थे, तो पाक रूह ने कहा, "मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैंने उन्हें बुलाया है।"
शब्दकोश:
- Strong's: H2908, H5144, H6684, H6685, G777, G3521, G3522, G3523
लाठी, छड़ें
ता’अर्रुफ़:
“लाठी” एक पतली लम्बी लकड़ी होती है जिसका उपयोग नाना प्रकार से किया जाता है। इसकी लम्बाई लगभग एक मीटर की होती थी
- चरवाहे हिंसक पशुओं से भेड़ों की रक्षा करने के लिए लाठी साथ रखते थे। लाठी फेंक कर भटकती हुई भेड़ को झुण्ड में लाया जाता था।
- भजन 23 में राजा दाऊद ने “छड़ी” और “लाठी” शब्दों को काम में लिया हैं जो उसके लोगों के लिए उसके मार्गदर्शन और अनुशासन के रूपक हैं।
- चरवाहा अपनी लाठी उठाकर भेड़ों की गिनती करता था।
- “लोहे का दण्ड” भी परमेश्वर से विमुख काम करने वालों के लिए परमेश्वर के दण्ड का प्रतीक है।
- प्राचीन युग में मापदण्ड धातु, लकड़ी या पत्थर के बने होते थे जिनकी सहायता से किसी ईमारत या वस्तु की लम्बाई नापी जाती थी।
- बाइबल में लकड़ी की छड़ी बच्चों के अनुशासन के लिए काम में ली जाती थी।
(यह भी देखें:छड़ी, भेड़, चरवाहे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 04:19-21
- 1 शमूएल 14:43-44
- रसूलों के ‘आमाल16:22-24
- ख़ुरूज 27:9-10
- मुकाशफ़ा 11:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H2415, H4294, H4731, H7626, G2563, G4463, G4464
लायक़, क़ीमती, नालायक़ , निकम्मा
ता’अर्रुफ़:
“लायक़ ” लफ़्ज़ किसी ऐसे इन्सान या चीज़ का बयान करता है जो बड़ाई या इज़्ज़त के लायक़ है। “क़ीमत ” या’नी क़ीमती या ख़ास होना “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं
- “लायक़ ” या’नी काम का या ख़ास
- “नालायक़ ” या’नी ख़ास काम के लायक़ नहीं
- लायक़ मा’लूम न होना या’नी किसी की बराबरी में कम अहमियत का होना या इज़्ज़त और रहम के सुलूक के क़ाबिल न होना।
- “नालायक़” और “निकम्मा” मुन्सलिक़ लफ़्ज़ हैं लेकिन इनके मतलब अलग-अलग हैं। नालायक़ या’नी इज़्ज़त या मान के लायक़ नहीं । “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं या किसी अहमियत का नहीं।
तर्जुमे की सलाह
- “लायक़ ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ाबिलयत ” या “ख़ास ” या “फ़ायदेमंद ”।
- “क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है “इज़्ज़त ” या “अहमियत ”
- “की क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ीमती होना” या अहम होना।
- “उसकी क़ीमत .... से ज़्यादा है” का तर्जुमा हो सकता है, "की बराबरी में ज़्यादा क़ीमती है।",
- मज़मून पर मुनहसिर “नालायक़” का तर्जुमा हो सकता है, “बिना अहमियत ” या “बे इज़्ज़त ” या “बेकार ”
- “निकम्मा” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी काम का नहीं” या “किसी मक़सद का नहीं” या “बिना अहमियत ”
(यह भी देखें: ‘इज़्ज़त
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 समूएल 22:3-4
- 2 थिस्सलुनीकियों 01:11-12
- रसूलों के 'आमाल 13:23-25
- रसूलों के 'आमाल 25:25-27
- रसूलों के 'आमाल 26:30-32
- कुलुस्सियों 01: 9-10
- यरमियाह 08: 18-19
- मरकुस 01:7-8
- मत्ती 03:10-12
- फिलिप्पियों 01:25-27
शब्दकोश:
- Strong's: H117, H639, H1929, H3644, H4242, H4373, H4392, H4592, H4941, H6994, H7939, G514, G515, G516, G2425, G2661, G2735
लिखा गया
ता’अर्रुफ़:
“जैसा लिखा है” या “जो लिखा है” नये ‘अहद नामे में यह जुमला बार-बार आता है जो इब्रानी किताब-ए-मुक़द्दस के हुक्मों और नबूव्वतों के बारे में है।
- कभी कभी “जैसा लिखा है” मूसा की शरी’अत की बातों के बारे में भी काम में लिया गया है।
- अगर यह जूमला पुराने ‘अहद नामे की नबूव्वतों के लिखे हुए के बारे में हैं।
- इसका तर्जुमा हो सकता है, “जैसा मूसा की शरी’अत में लिखा है” या “जैसा नबियों ने सालों पहले लिखा था” या “मूसा की लिखी ख़ुदा की शरी’अत में कहा गया है”।
- एक तरीक़ा यह भी है कि इसे जैसे का जैसा ही रखें, “लिखा है कि” और लिखी तहरीर में इसका मतलब वाज़े’ करें।
(यह भी देखें: हुक्म, शरी’अत, नबी, ख़ुदा का कलाम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 05:13-15
- रसूलों के 'आमाल . 13:28-29
- ख़ुरूज 32:15-16
- यूहन्ना 21:24-25
- लूका 03:4
- मरकुस 09:11-13
- मत्ती 04:5-6
- मुकाश्फ़ा 01:1-3
शब्दकोश:
- Strong's: H3789, H7559, G1125
लियाह
सच्चाई:
लियाह या’क़ूब की बीवियों में से एक थी। वह या’क़ूब के दस बेटों की माँ थी जिनकी नसल इस्राईल के बारह क़बीलों में से थे।
- लियाह का बाप लाबन था जो या’क़ूब की माँ रिब्क़ा का भाई था।
या’क़ूब लियाह से उतनी मुहब्बत नहीं करता था जितनी वह राख़िल से मुहब्बत करता था। लेकिन ख़ुदा ने लियाह को ज़्यादा औलाद देकर बाबरकत किया था।
लियाह के बेटों में से एक यहूदाह, बादशाह दाऊद और ‘ईसा का बुज़ुर्ग था।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: इस्राईल, यहूदा, लाबन, राख़िल, रिब्क़ा, इस्राईल के बारह क़बीले)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 29:15-18
- पैदाइश 29:28-30
- पैदाइश 31:4-6
- रूत 04:11-12
शब्दकोश:
वारिस, वारिसों
ता’अर्रुफ़:
“वारिस” वह इन्सान है जो मुर्दे की जायदाद या दौलत को कानूनी तौर से हासिल करता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, पहलौठा बेटा ख़ास वारिस होता है, जिसे बाप की जायदाद और दौलत का ज़्यादा हिस्सा मिलता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में “वारिस” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी किया गया है, ईमानदार ख़ुदा बाप से रूहानी मुनाफ़ा पाते हैं।
- ख़ुदा की औलाद होने के नाते ईमानदार मसीह ‘ईसा के “साथी वारिस” कहलाते हैं। इसका तर्जुमा हो सकता है, “साथीवारिस” या “साथी वारिसों” या “के साथ वारिस”।
- “वारिस” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ायदा हासिल करनेवाला इन्सान” या अपने वालिदैन या रिश्तेदार के मरने पर दौलत-ओ-जायदाद हासिल करने वाले के लिए जो भी लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
(यह भी देखें: पहलौठे,मीरास होना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- गलातियों 04:1-2
- गलातियों 04:6-7
- पैदाइश 15:1-3
- पैदाइश 21:10-11
- लूक़ा 20:13-14
- मरकुस 12:6-7
- मत्ती 21:38-39
शब्दकोश:
- Strong's: H1121, H3423, G2816, G2818, G2820, G4789
वक़्त , वक़्त के मुताबिक़ , वक़्त, ख़ास
सच्चाई:
किताब-ए-मुक़द्दस में "वक़्त " लफ़्ज़ का इस्ते’माल तमसीली शक्ल में ख़ास मौसम या वक़्त की वक़्तों के बारे में में किया गया है जब कुछ हादसे हुए थे इसका मतलब “ज़माने ” या “मुद्दत ” या “मौसम ” की तरह है।
- दानीएल और मुकाशिफ़ा दोनों किताबों में "वक़्त " का इशारा तक़लीफ़ और दर्द से है जो ज़मीन पर आएंगी।
- “वक़्त , वक़्तों और आधे वक़्त ” इस जुमले में वक़्त का मतलब है, “साल ” यह जूमला साढ़े तीन साल के वक़्त के बारे में है जो अज़ीम दर्द भरपूर इस मौजूदा ज़माने के आखिर का वक़्त है।
- "वक़्त " का मतलब "मौक़ा’" एक जूमले में "तीसरी बार" की शक्ल में हो सकता है। जुमला "कई बार" का मतलब "कई मौक़ों’ पर" हो सकता है।
- "वक़्त पर" होने का मतलब तब आना जब आने की उम्मीद है, देर से नहीं।
- मज़मून के मुताबिक़ “वक़्त ” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मौसम” या “मुद्दत ” या “लम्हा ” या "हादसा " या "माजरा " हो सकता है ।
- “वक़्तों और मौसमों ” यह जुमला , तमसीली तौर पर एक ही ख़्याल को बार-बार ज़ाहिर करती है। इसका तर्जुमा हो सकता है, “किसी मुक़र्रर वक़्त में हादसों का होना” (देखें :जोड़ा
(यह भी देखें: बरस, सताव
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल . 01:6-8
- दनीएल 12:1-2
- मरकुस 11:11-12
- मत्ती 08:28-29
- ज़ुबूर 068:28-29
- मुक़ाशीफा 14:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H116, H227, H268, H310, H570, H865, H1697, H1755, H2165, H2166, H2233, H2465, H3027, H3117, H3118, H3119, H3259, H3427, H3706, H3967, H4150, H4279, H4489, H4557, H5331, H5703, H5732, H5750, H5769, H6049, H6235, H6256, H6258, H6440, H6471, H6635, H6924, H7105, H7138, H7223, H7272, H7281, H7637, H7651, H7655, H7659, H7674, H7992, H8027, H8032, H8138, H8145, H8462, H8543, G744, G530, G1074, G1208, G1441, G1597, G1626, G1909, G2034, G2119, G2121, G2235, G2250, G2540, G3379, G3461, G3568, G3763, G3764, G3819, G3956, G3999, G4178, G4181, G4183, G4218, G4277, G4287, G4340, G4455, G5119, G5151, G5305, G5550, G5551, G5610
शमा'ऊन
सच्चाई:
पुराने 'अहद नामे में शमा'ऊन नाम के कई आदमी थे।
- पुराने 'अहद नामे में या'क़ूब (इस्राईल) के दूसरे बेटे का नाम शमा'ऊन था । उसकी माँ का नाम लीआ: था। उसकी औलाद इस्राईल के बारह क़बीलों में से एक थी ।
- शमा'ऊन के क़बीले ने वा'दे के मुल्क कन'आन में दूर क़ायम दक्खिनी 'इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था, उस 'इलाक़े का एक हिस्सा यहूदा की मीरास में था।
- जब यूसुफ़ और मरियम 'ईसा को यरूशलीम की हैकल में सुपुर्द करने लाए थे तब शमा'ऊन नाम का एक उम्र दराज़ आदमी ने मसीह के दीदार पाने के लिए यहोवा की ता'रीफ़ की थी।
(यह भी देखें: कना’न, मसीह, सुपुर्द करे, इस्राईल, यहूदा, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 29:33-34
- पैदाइश 34:24-26
- पैदाइश 42: 35-36
- पैदाइश 43:21-23
- लूक़ा 02:25-26
शब्दकोश:
- Strong's: H8095, H8099, G4826
शहद, शहद का छत्ता
ता’अर्रुफ़:
“शहद” खानेवाला एक चिपचिपी मीठी चीज़ होती है जो शहद की मक्खियाँ फूलों के रस से तैयार करती हैं। छत्ता मोम का बना हुआ साँचा है, जिसमें शहद की मक्खियाँ शहद जमा’ करती हैं।
- शहद का रंग कुछ पीला या कुछ भूरा होता है।
- शहद पेड़ के खोखले मक़ाम में या जहाँ भी शहद की मक्खी छत्ता बनाए वहाँ मिलेगा। लोग शहद की मक्खियों को पालकर शहद खाते हैं या बेचते हैं लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में जिस शहद की मक्खी का ज़िक्र किया गया है वह जंगली शहद है।
- किताब-इ-मुक़द्दस में तीन इन्सानों को शहदखाते हुए ज़ाहिर किया गया है, यूनातन, शमसून और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला।
- इस लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किसी मीठी या ख़ुशी देने वाली बात के लिए भी किया गया है। मिसाल के तौर पर, ख़ुदा का कलाम और हुक्म "शहद से भी ज़्यादा मीठे" कहे गए हैं। (यह भी देखें: Simile, इस्ता’रा
- कभी-कभी इन्सान के अलफ़ाज़ को भी शहद के बराबर मीठा कहा जाता है लेकिन जिसका नतीजा इन्सानों से धोखा और नुक़सान होता है।
यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), यूनातन, फ़िलिस्तियों, समसून
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 14:1-3
- इस्तिस्ना 06:3
- ख़ुरूज 13:3-5
- यशू’अ 05:6-7
- अम्साल 05:3-4
शब्दकोश:
- Strong's: H1706, H3293, H3295, H5317, H6688, G2781, G3192, G3193
शागिर्द, शागिर्दों
ता’अर्रुफ़:
“शागिर्द” लफ़्ज़ उस इन्सान के बारे में है जो उस्ताद के साथ बहुत वक़्त गुज़ारता है और उस्ताद के किरदार और ता’लीमों से सीखता है।
- जो लोग ‘ईसा के पीछे चलते थे और उसकी ता’लीमों को सुनकर उन पर ‘अमल करते थे, वे उसके “शागिर्द” कहलाते थे।
- यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के भी शागिर्द थे।
- ‘ईसा के ख़िदमत के वक़्त के दौरान में उसके बहुत से शागिर्द थे और जो उसकी पैरवी करते और उसकी ता’लीमों को सुनते थे।
- ‘ईसा ने बारह शागिर्दों को चुना कि उसके क़रीबी पैरोकार हों, ये शख़्स उसके “रसूल” कहलाए।
- ‘ईसा के बारह रसूल उसके “शागिर्द” या “बारहों” जाने गए|
- ‘ईसा अपने आसमान पर जाने दे ठीक पहले, उसने अपने शागिर्दों को हुक्म दिया कि वे लोगों को ता’लीम दें और उन्हें भी ‘ईसा के शागिर्द बनना सिखाएं।
- जो कोई ‘ईसा पर ईमान रखता और उसकी ता’लीमों का ‘अमल करता है वह ‘ईसा का शागिर्द कहलाता है।
तर्जुमे की सलाह:
- “शागिर्द” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब है, “पैरवी करने वाला” या “तलबा” या “लफ़्ज़” या “सीखने वाला”।
- यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा दर्जे में ‘इल्म हासिल करने वाले तलबा के जैसा नहीं।
- यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “रसूल” लफ़्ज़ के तर्जुमे से अलग लफ़्ज़ हो।
(यह भी देखें: रसूल, यक़ीन, 'ईसा, युहन्ना (बपतिस्मा देने वाला), बारहों)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 06:1
- रसूलों के ‘आमाल 09:26-27
- रसूलों के ‘आमाल 11:25-26
- रसूलों के ‘आमाल 14:21-22
- यूहन्ना 13:23-25
- लूक़ा 06:39-40
- मत्ती 11:1-3
- मत्ती 26:33-35
- मत्ती 27:62-64
किताब-इ-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 30:08 ‘ईसा ने रोटियाँ और मछलियाँ तोड़-तोड़ कर शागिर्दों को दी कि वे लोगों को परोसे। शागिर्दों ने रोटियाँ और मछलियाँ सब में बाँट दी, और रोटियाँ और मछलियाँ कम नहीं पड़ी।
- 38:01 ‘ईसा मसीह के अवामी ता’लीमों के तीन साल बा’द अपनी पहली ता’लीम शुरू’ की। ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि वह यरूशलीम में उनके साथ ‘ईद का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा।
- 38:11 फिर वह गतसिमनी नाम की एक जगह में अपने शागिर्दों के साथ आया। ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि दु’आ करते रहो कि आज़माइश में न पड़ो।
- 42:10 ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “ आसमान और ज़मीन का सारा इख़्तियार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप, और बेटे, और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिया है, ‘अमल करना सिखाओ।”
शब्दकोश:
- Strong's: H3928, G3100, G3101, G3102
शान
ता'अर्रुफ़ :
लफ़्ज़ "शान" का मतलब इन्तिहाई ख़ूबसूरती और लालित्य है जो अक्सर माल और एक शानदार शक्ल से जुड़ा होता है ।
- “शान” लफ़्ज़ ज़्यादातर बादशाह के पास कितना माल है या उसके बेश क़ीमती ख़ूबसूरत लिबास में वह कैसे दिखते है बयान करने के लिए इस्ते'माल किया जाता है।
- "शान" लफ़्ज़ दरख़्तों, पहाड़ों और ख़ुदा की मख़लूक़ की कई चीज़ों का बयान करने के लिए भी किया जाता है।
- कुछ शहरों को भी शान वाला कहा जाता है, उनके क़ुदरती वसायल , बड़ी 'ईमारतों और सड़कों और रहने वालों के माल जायदाद जिसमें ज़ेवरात, सोना-चांदी वग़ैरह है ।
- मज़मून पर मुन्हसिर , यह लफ़्ज़ "शानदार ख़ूबसूरती" या "बे पनाह जलाल " या "’अज़ीम बादशाहत " की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: जलाल, बादशाह जाहो जलाल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 16:25-27
- ख़ुरूज 28:1-3
- हिज़्क़ीएल 28:6-7
- लूक़ा 04:5-7
- ज़बूर 089:44-45
- मुक़ाश्फ़ा 21:26-27
शब्दकोश:
- Strong's: H1925, H1926, H1927, H1935, H2091, H2122, H2892, H3314, H3519, H6643, H7613, H8597
शाही, बादशाही शान
ता’अर्रुफ़:
“शाही” लफ़्ज़ बादशाह या मलिका से मुता’अल्लिक़ चीज़ों और इन्सानों का इशारा देता है।
- जो चीज़ें “बादशाही” कहलाती हैं उनकी मिसालें हैं, लिबास महल, तख़्त और ताज|
- बादशाह या मलिका बादशाही महल में रहते हैं।
- बादशाह के लिबास “शाही लिबास” कहलाती है। बादशाह का चोगा बैंगनी रंग का होता था बैंगनी रंग कम मौजूद और बेशक़ीमत होता था।
- नये ‘अहदनामे में ‘ईसा के ईमानदारों को “शाही काहिन” कहा गया है। इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, ख़ुदा बादशाह की ख़िदमत में काहिन” या “ख़ुदा बादशाह के काहिन होने लिए बुलाए गए।”
- “शाही” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बादशाह की तरह” या “बादशाह के”।
(यह भी देखें: बादशाह. महल, काहिन, अर्ग़वानी, मलिका, चोगा)
किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:
- 1 सलातीन 10:13
- 2 तवारीख़ 18:28-30
- आमोस 07:12-13
- पैदाइश 49: 19-21
शब्दकोश:
- Strong's: H643, H1921, H1935, H4410, H4428, H4430, H4437, H4438, H4467, H4468, H7985, H8237, G933, G934, G937
शिफ़ा, शिफ़ा किया, शिफ़ा करना, शिफ़ा हो गया, शिफ़ा करने, शिफ़ा करनेवाला, सेहतियाब, बीमार
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “शिफ़ा करना” मतलब बीमार, अंधे या अपाहिज को शिफ़ा ‘अता करना।
- चंगाई पाने वाला या “बीमारी से शिफ़ा पाया इन्सान” “अच्छा किया गया” या “सेहतियाब किया गया” होना है।
- चंगाई क़ुदरत भी होती है क्योंकि ख़ुदा ने हमारे जिस्म को बहुत क़िस्म की चोटों और बीमारियों से शिफ़ा हो जाने की सलाहियत ‘अता की है। ऐसी शिफ़ा धीरे धीरे होती है।
- ताहम जैसे अंधा होना, अपाहिज और कोढ़ अपने आप शिफ़ा नहीं पाते हैं। जब इन्सान को ऐसी बीमारियों या अपाहिज से शिफ़ा मिलती है तो वह एक मो’जिज़ा होता है।
- मिसाल के तौर पर ‘ईसा ने बहुत से अंधों, लंगड़ो और रोगियों को फ़ौरन शिफ़ा दी थी और वे उसी पल सेहतमन्द हो गए थे।
- रसूलों ने भी बीमारों को मो’जिज़े से शिफ़ा दी थी जैसे पतरस ने एक लंगड़े को चलने के क़ाबिल बनाया था।
(यह भी देखें: मो'जिज़ा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 05:14-16
- रसूलों के ‘आमाल 08:6-8
- लूक़ा 05:12-13
- लूक़ा 06:17-19
- लूक़ा 08:43-44
- मत्ती. 04:23-25
- मत्ती 09:35-36
- मत्ती 13:15
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 19:14__जिनमे से एक मो’जिज़ा नामान नाम के इन्सान की ज़िन्दगी में हुआ, वह दुश्मनों की फ़ौज का रहनुमा था और कोढ़ी था। उसने एलीशा के बारे में सुना था तो वह एलीशा के पास गया कि वह उसे शिफ़ा__दे।
- 21:10 उसने यह भी नबूव्वत की थी , कि मसीह बीमारों को शिफ़ा देगा, तब अन्धे की आँखें खोली जाएँगी, बहरों के कान भी खोले जाएँगे, लंगड़े चलने लगेंगे, गूँगे बोल उठेंगे।
- 26:06 ‘ईसा ने कहना जारी रखा,“और एलीशा नबी के वक़्त इस्राईल में बहुत से कोढ़ी थे, और ऐसे भी थे जिन्हें जिल्द की बीमारी थी। लेकिन एलीशा ने उनमें से किसी को भी शिफ़ा नहीं किया| उसने सिर्फ़ इस्राईल के दुश्मनों के एक फ़ौजी रहनुमा, नामान की जिल्द की बीमारी को शिफ़ा दी”
- 26:08 वह ‘ईसा के पास बहुत से लोगों को लाए जो बहुत सी बीमारियों में मुब्तिला थे, उनमें लंगड़े थे, और वे लोग थे, जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे और इन सभी को ‘ईसा ने शिफ़ा दी।
- 32:14 उसने ‘ईसा का ज़िक्र सुना था कि वह बीमारों को ठीक करता है और उसने सोचा कि अगर मैं ‘ईसा के कपड़ों को ही छू लूँगी तो शिफ़ा__पा जाऊँगी , ”
- 44:03 फ़ौरन, ख़ुदा ने उस लँगड़े इन्सान को शिफ़ा दी, तब उसने चलना और चारों ओर कूदना शुरू’ किया और ख़ुदा की ता’रीफ़ करने लगा।
- 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “’ईसा मसीह की क़ुदरत से यह इन्सान तुम्हारे सामने शिफ़ा पाया खड़ा है।
- 49:02 ‘ईसा बहुत से मो’जिज़े किये जो यह साबित करते हैं कि वह ख़ुदा है। वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को शिफ़ा दी, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए क़ाफ़ी हो।
शब्दकोश:
- Strong's: H724, H1369, H1455, H2280, H2421, H2896, H3444, H3545, H4832, H4974, H7495, H7499, H7500, H7725, H7965, H8549, H8585, H8644, H622, G1295, G1743, G2322, G2323, G2386, G2390, G2392, G2511, G3647, G4982, G4991, G5198, G5199
शैतान, शैतान, बुरा
सच्चाई :
शैतान ख़ुदावन्द के ज़रिए' पैदा की हुई एक रूहानी रूह है, लेकिन ख़ुदावन्द से बग़ावत करके वह उसका दुश्मन हो गया। शैतान को " बुरा" भी कहा गया है।
- शैतान ख़ुदावन्द और उसकी पूरी काइनात से नफ़रत करता है, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द का मक़ाम लेकर ख़ुदावन्द के जैसी 'इबादत करवाना चाहता है।
- शैतान इन्सानों को ख़ुदावन्द से बग़ावत करने की आज़माइश में डालता है।
- ख़ुदावन्द ने अपने बेटे, 'ईसा को भेजा, कि इन्सानों को शैतान की गिरफ़्त से आज़ाद कराए।
शैतान लफ़्ज़ का मतलब है, "बैरी" या "दुश्मन ।"
- शैतान लफ़्ज़ का मतलब है, "इल्ज़ाम लगाने वाला।"
तर्जुमा की सलाह:
- "शैतान" लफ़्ज़ का तर्जुमा " इल्ज़ाम लगाने वाला" या "बुरा" या "बदरूहों का बादशाह" या "ख़ास बदरूह" की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।
- "इबलीस" का तर्जुमा "मुख़ालिफ़" या "बैरी" किया जा सकता है या और कोई लफ़्ज़ जिससे साबित हो कि वह शैतान है।
- इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा बदरूह और बुरी रूह से अलग होना है।
- ध्यान दें कि इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है।
(यह भी देखें: बदरूह, बुराई, \ ख़ुदा की बादशाही](../kt/kingdomofgod.md), आज़माइश करने)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 03:7-8
- 1 थिस्सलुनीकियों 02:17-20
- 1 तीमुथियुस 05:14-16
- रसूलों के 'आमाल 13:9-10
- अय्यूब 01:6-8
- मरकुस 08:33-34
- जकरियाह 03:1-3
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 21:01 जिस साँप ने हव्वा को धोखे से फल खिलाया था वह शैतान था | वा'दा का मतलब यह था कि मसीह __शैतान__को पूरी तरह से शिकस्त देंगा |
- 25:06 फिर शैतान ने 'ईसा को दुनिया के सारी सल्तनत और उसकी शान-ओ-शौक़त दिखाकर उससे कहा, "अगर तू गिरकर मुझे सिजदा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा |"
- 25:08'ईसा शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया|
- 33:06 तब 'ईसा ने उन्हें समझाया कि, "बीज ख़ुदावन्द का कलाम है।" रास्ता एक ऐसा शख्स होता है जो ख़ुदावन्द का कलाम सुनता है, लेकिन उसे समझ में नहीं आता है, और शैतान उस कलाम को उससे ले जाता है।"
- 38:07__रोटी खाते ही, यहूदा में __शैतान दाख़िल हो गया।
- 48:04__ख़ुदावन्द ने वा'दा किया कि हव्वा की ही एक औलाद __शैतान का सिर कुचलेगा, और शैतान उसकी एड़ी को डसेगा | इसका मतलब यह हुआ कि, शैतान मसीह को मार देगा, लेकिन ख़ुदावन्द उसे तीसरे दिन फिर ज़िन्दा कर देगा | 'ईसा शैतान की ताक़त को हमेशा के लिए कुचल देगा |
- 49:15 ख़ुदावन्द ने तुम्हें शैतान की बादशाही की तारीकी से बाहर निकाला और तुम्हें ख़ुदावन्द की बादशाही की रोशनी में रखा है |
- 50:09 "जंगली दाने उन लोगों की रहनुमाई करते हैं जो बुराई से त'अल्लुक़ रखते हैं| जिस दुश्मन ने जंगली बीज बोये वह शैतान की रहनुमाई करता है।"
- 50:10 "जब दुनिया का ख़ात्मा होगा, तो जो लोग शैतान के हैं उन सभी लोगों को फ़रिश्ते एक साथ जमा'करेंगे और उन्हें एक धहकती आग में डाल देंगे, जहाँ वे खौफ़नाक मुसीबत की वजह से रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे |
- 50:15 जब 'ईसा वापस आएगा तो वह शैतान और उसकी बादशाही को हमेशा के लिये ख़त्म कर देगा| वह शैतान को दोज़ख़ में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने ख़ुदावन्द के हुक्म मानने की बजाय उसकी बात मानने का इन्तख़ाब किया|
शब्दकोश:
- Strong's: H7700, H7854, H8163, G1139, G1140, G1141, G1142, G1228, G4190, G4566, G4567
सच्चा, सच्चाई, हक़ीक़त
ता’अर्रुफ़:
“सच्चा” और “सच्चाई” हक़ीक़त के ख़्याल से मुन्सलिक़ हैं, वारदात जो हक़ीक़त मेंहुए , और जो बातें हक़ीक़त में कही गई। ऐसी सोंच को "सच्चा" कहते है।
- सच्ची बातें, सच्ची, हक़ीक़ी इख्तियार , सही तथा सच्चाई पर मुनहसिर होती हैं।
- सच एक समझ, ईमान , हक़ीक़त या सच्चा कहना होता है।
- यह कहना कि एक नबूव्वत "सच हो गई" या "सच हो जाएगी" का मतलब है कि यह हक़ीक़त में नबूव्वत जैसा हुआ या ऐसा ही होगा।
- सच में एक ख़्याल समाया होता है कि मुनहसिर एवं भरोसेमंदी का काम किया जाए।
- ‘ईसा ने अपने कलामों में ख़ुदा के सच को ज़ाहिर किया था।
- ख़ुदा का कलाम सच है। वह पहले गुज़री हुई बातों की चर्चा करता है और ख़ुदा के बारे में तथा उसकी पूरी तख्लीक़ के बारे में हक़ीक़त की ता’लीम देता है।
तर्जुमे की सलाह:
- बारे में और सिलसिले के बुनयाद पर "सच" का तर्जुमा ऐसे भी हो सकता है: "हक़ीक़त " या "पहले " या "सही" या "सही " या "यक़ीनी " या "सच्चाई से भरपूर "।
- "सच्चाई " लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते है "जो सच हा" या " हक़ीक़त " या "यक़ीनी बात" या "तरीक़ा "।
- "पूरा होना" जुमले के तर्जुमे हो सकते है: "हक़ीक़त में हो जाना" या "पूरा हो जाना" या "नबूव्वत पूरी होना"
- "सच्चाई से चलते हुए" या "सच बोले" इन जुमलों के तर्जुमे हो सकते है: "सच कहना" या "जो हक़ीक़त में हुआ वह कहना" या " क़ाबिल-ए-क़ुबूल बात कहना"
- “सच्चाई को क़ुबूल करना” का तर्जुमा “ख़ुदा के बारे में हक़ीक़त पर ईमान रखना ”
- “रूह और सच्चाई में ख़ुदा की इबादत करें”, इस जुमले में, “सच्चाई में” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ने हमें जो ता’लीम दी है उसका फ़र्मादारी से मानना”
(यह भी देखें :यक़ीन, ईमानदार, पूरा कर, हुक्म मानना, नबी, समझना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 05:6-8
- 1 यूहन्ना 01:5-7
- 1 यूहन्ना 02:7-8
- 3 यूहन्ना 01:5-8
- रसूलों के आमाल 26:24-26
- कुलुस्सियों 01:4-6
- पैदाइश 47:29-31
- याक़ूब 01:17-18
- याक़ूब 03:13-14
- याक़ूब 05:19-20
- यरमियाह 04:1-3
- यूहन्ना 01:9
- यूहन्ना 01:16-18
- यूहन्ना 01:49-51
- यूहन्ना 03:31-33
- यशू’अ 07:19-21
- नोहा 05:19-22
- मत्ती 08:8-10
- मत्ती 12:15-17
- ज़ुबूर 026:1-3
- मुकाश्फा 01:19-20
- मुकाश्फा 15:3-4
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसालें:
- 02:04 साँप ने औरत को जवाब दिया, “यह सच नहीं है ! तुम नहीं मरोगे।
- 14:06 फ़ौरन ही कालेब और यशु’अ , और दो जासूस कहने लगे, "हाँ यह सही है कि कना’न के लोग लम्बे और तेज़ है , पर हम यक़ीनी तौर से उन्हें हरा देंगे ! ख़ुदा हमारे लिये उनसे जंग करेगा।"
- 16:01 इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा ख़ुदा है उसकी जगह पर, कना’नियो के मा’बूद की इबादत करना शुरू’ किया।
- 31:08__उन्होंने ‘ईसा की ‘इबादत करी, और उसे कहा, __सचमुच, तू ख़ुदा का बेटा है |”
- 39:10 मैं ख़ुदा के बारे में सच बताने के लिये ज़मीन पर आया हूँ | हर वह आदमी जिसे सच्चाई __से मुहब्बत है, मुझे सुनेगा | पिलातुस ने कहा, “__सच क्या है?”
शब्दकोश:
- Strong's: H199, H389, H403, H529, H530, H543, H544, H551, H571, H935, H3321, H3330, H6237, H6656, H6965, H7187, H7189, G225, G226, G227, G228, G230, G1103, G3303, G3483, G3689, G4103, G4137
सज्दा, सज्दे, सज्दा किया, झुकने, सज्दा करना, सज्दा करे, सज्दा किया, सज्दा करते रहे
ता'अर्रुफ़:
“सज्दा” करने का मतलब है किसी को 'इज्ज़त अदा करने के लिए हलीमी से झुकना। “सज्दा करना” का मतलब है बहुत ज़्यादा झुकना या घुटनों पर गिरना जिसमें मुंह और हाथ ज़मीन की तरफ़ हों।
- और जुमलों में “घुटने ज़मीन पर टिकाना” और “सिर झुकाना” (सिर को हलीमी से 'इज्ज़त में आगे की तरफ़ झुकना या ग़म में ऐसा करना)
- “सज्दा करना” मायूस और गम का निशान भी होता है। जिसने “घुटने टेके” वह हलीमी छोटी हालत में होता है।
- इंसान हमेशा ऊँचे ओहदा या ऊँचे सतह के इंसान के सामने घुटने टेकता है जैसे बादशाहों और हाकिमों को।
- ख़ुदावन्द के सामने घुटने टेकना उसकी 'इबादत का मतलब है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में लोग 'ईसा के सामने घुटने टेकते थे जब उन्हें उसके हैरत अंगेज़ और ता'लीम से यह जानना होता था कि वह ख़ुदा की तरफ़ से भेजा गया है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि जब 'ईसा दुबारह आएगा तब हर एक इंसान उसकी 'इबादत में घुटने टेकेगा
तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ इस जुमले का तर्जुमा एक ऐसे लफ्ज़ या जुमले की तरफ़ किया जाए जिसका मतलब है “आगे को झुकना” या “सिर झुकाना” या “घुटने टेकना”।
- “घुटने टेकने” का तर्जुमा “घुटनों पर गिरना” या “सजदा करना” हो सकता है।
- कुछ ज़बानों में इसके तर्जुमों की एक से ज़्यादा तरीक़े हो सकते हैं जो मज़मून पर मुनहस्सिर करते हैं।
(यह भी देखें: हलीम, \ ‘इबादत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- \ 2 सलातीन 05:17-19
- ख़ुरूज 20:4-6
- पैदाईश 24:26-27
- पैदाईश 44:14-15
- यसा'याह 44:19
- लूक़ा 24:4-5
- मत्ती 02:11-12
- मुक़ाशिफा 03:9-11
शब्दकोश:
- Strong's: H86, H3721, H3766, H5186, H5753, H5791, H6915, H7743, H7812, H7817, G1120, G2578, G2827, G4098, G4781, G4794
सताएँ, सताए जाते, सताता, सताव , तक्लीफ देना , सतानेवाला, पीछा करनेवाले
ता’अर्रुफ़:
“सताएँ” और “सताव ” या’नी किसी आदमी को को या झुण्ड के साथ सख़्त मिजाज़ी करना कि जिससे उन्हें नुक़सान पहुंचे।
- सताव किसी एक आदमी या बहुत से आदमियों पर हो सकता है जिसमें बार-बार, लगातार वार करना होता है।
- इस्राईलियों को तमाम क़ौमों ने हमला करके सताया था। उन्होंने उन्हें क़ैदी बनाया और उनके शहरों को लूटा।
- हमेशा उन लोगों को सताता है जिनका मज़हब अलग हो या जो कमज़ोर हों।
- यहूदी मज़हब के रहनुमा ‘ईसा को सताते थे क्योंकि उन्हें उसकी ता’लीम अच्छी नहीं लगती थी।
- ‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के बाद यहूदी मज़हब के रहनुमा और रोमी हाकिमो ने ‘ईसा के मानने वालों को सताने लगे थे।
- “सताना” का तर्जुमा “ज़ुल्म करते रहना” या “सख़्त मिजाज़ी करना” या “लगातार बुरा सुलूक करना” भी हो सकता है।
- “सताव” के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं “सख़्त मिजाज़ी” या “ज़ुल्म ” या “लगातार जान लेवा सुलूक ”
(यह भी देखें: मसीही, कलीसिया, ज़ुल्म करना, रोम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 07:51-53
- रसूलों के आमाल 13:50-52
- गलातियों 01:13-14
- यूहन्ना 05:16-18
- मरकुस 10:29-31
- मत्ती 05:9-10
- मत्ती 05:43-45
- मत्ती 10:21-23
- मत्ती 13:20-21
- फिलिप्पियों03:6-7
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :
- 33:07 “वैसे ही जो पथरीली ज़मीन पर बोए जाते है, ये वह है जो कलाम को सुनकर फ़ौरन ख़ुशी से क़ुबूल कर लेते है | इसके बा’द जब कलाम की वजह उन पर सताव होता है, तो वे फ़ौरन ठोकर खाते है |”
- 45:06 उसी दिन,कई लोग यरूशलीम में ‘ईसा मसीह पर ‘ईमान रखने वालो पर बड़ा सताव करने लगे, इसलिए ईमानदार और जगहों में भाग गए |
- 46:02 शाउल ने यह लफ़्ज़ सुना, हे शाउल हे शाऊल तू मुझे क्यों सताता है? उसने पूछा, “हे ख़ुदावन्द तू कौन है? ‘ईसा ने उसे जवाब दिया कि, “मैं ‘ईसा हूँ जिसे तू सताता है |”
- 46:04 लेकिन हनन्याह ने कहा, "हे ख़ुदावन्द मैनें इस आदमी के बारे में सुना है कि इसने तेरे पाक लोगों के साथ बड़ी सताव की है |"
शब्दकोश:
- Strong's: H1814, H4783, H7291, H7852, G1375, G1376, G1377, G1559, G2347
सदूम
ता’अर्रुफ़:
सदूम कन'आन के दक्खिनी हिस्से में एक शहर था, जहाँ इब्राहीम के भतीजे लूत अपने ख़ानदान के साथ रहने गया था।
- सदूम के इर्द गिर्द के 'इलाक़े की ज़मीन बहुत अच्छी तरह से उपजाऊ थी , यही वजह थी कि लूत ने वह जगह अपने रहने के लिए चुना था।
- इस जगह के मक़ाम मा'लूम नहीं, क्यूँकि वह पूरा ‘इलाक़ा, सदूम, अमूरा और आसपास का 'इलाक़ा वहाँ के रहने वालों के बुरे कामों की सज़ा के तौर पर ख़ुदा ने पूरे तरीक़े से तबाह कर दिया था।
- वहाँ के लोगों का सबसे बड़ा गुनाह लवातत परस्त थे ।
(यह भी देखें: कना’न, अमूरा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 10: 19-20
- पैदाइश 13: 12-13
- मत्ती. 10:14-15
- मत्ती 11:23-24
शब्दकोश:
सबत
ता'अर्रुफ़:
"सबत" लफ़्ज़ का मतलब है हफ़्ते का सातवां दिन, जिसके लिए ख़ुदावन्द ने इस्राईल को हुक्म दिया था कि उस दिन, आराम करें, कोई काम न करें।
- ख़ुदावन्द ने छः दिन में 'आलम को बनाया, और सातवें दिन आराम किया। इसी तरह, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि सातवें दिन को पाक मानकर आराम का ख़ास दिन रखें और उसमें 'इबादत करें।
- " सबत के दिन को पाक रखने" का हुक्म दस हुक्मों में एक है जिन्हें ख़ुदावन्द ने पत्थर की तख्तियों पर लिखकर मूसा को इस्राईल के लिए दिए थे।
- यहूदी दिनों के शुमार के मुताबिक़, सबत का दिन जुमा' सूरज ग़ुरुब के बा'द से शुरू' होकर शनीचर सूरज गुरूब तक होता था।
- कलाम में कभी-कभी सिर्फ़ सबत की जगह पर "सबत का दिन" कहा गया है।
तर्जुमा की सलाह:
- इसको इस तरह से भी तर्जुमा किया जा सकता है जैसे कि "आराम का दिन" या "आराम के लिए दिन" या "काम नहीं करने का दिन" या " ख़ुदावन्द के आराम का दिन।"
- कुछ तर्जुमों में इस लफ़्ज़ को बड़े हरफ़ों में लिखकर ज़ाहिर किया जाता है कि यह एक ख़ास दिन है, जैसे कि "आराम का दिन" या "आराम का दिन।"
- याद रहे कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है।
(यह भी देखें: आराम करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तवारीख़ 31:2-3
- रसूलों के 'आमाल 13:26-27
- ख़ुरूज 31:12-15
- यशायाह 56:6-7
- नौहा 02:5-6
- अह्बार 19:1-4
- लूका 13:12-14
- मरकुस 02:27-28
- मत्ती 12:1-2
- नहमियाह 10:32-33
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :
- 13:05"तू सबत के दिन को पाक मानने के लिये याद रखना | छ: दिन तो तू मेहनत करके अपना सब काम-काज करना, लेकिन सातवा दिन तेरे ख़ुदावन्द यहोवा के लिये आराम का दिन है |"
- 26:02'ईसा नासरत शहर के पास गया, जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था | सबत के दिन वह ‘'इबादत करने की जगह पर गया |
- 41:03'ईसा को दफ़नाने के दिन के बा’द सबत का दिन था, और यहूदियों को उस दिन क़ब्र पर जाने की इजाज़त नहीं थी|
शब्दकोश:
- Strong's: H4868, H7676, H7677, G4315, G4521
समझ, समझा, समझना, समझदार
ता’अर्रुफ़:
लफ़्ज़ “समझ” का मतलब किसी बात को समझ लेना, ख़ास करके समझाना कि कोई बात सही है या ग़लत।
- “समझ” समझकर किसी बात का अक़्लमंदी से फ़ैसला लेना।
- इसका मतलब है अक़्लमंदी और सही फ़ैसला लेना।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून [आर मुनहस्सिर, “पहचान” का तर्जुमा, “समझना” या “में फ़र्क़ पहचानना” या “अच्छे और बुरे में फ़र्क़ करना” या “किसी का सही फ़ैसला लेना” या “सही को ग़लत से अलग करके देखना” हो सकता है।
- “समझ” का तर्जुमा “समझना” या “अच्छे और बुरे में फ़र्क़ पहचानने की क़ुव्वत” हो सकता है।
(यह भी देखें: मुंसिफ़, ’अक़्लमंद)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 03:7-9
- पैदाइश 41: 33-34
- अम्साल 01:4-6
- ज़ूबूर 019:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H995, H2940, H4209, H5234, H8085, G350, G1252, G1253, G1381, G2924
सरदार काहिन
ता’अर्रुफ़:
“सरदार काहिन” वह काहिन था जो सब इस्राईली काहिनों का रहनुमा मुक़र्रर किया जाता था जिसकी ख़िदमत का ‘अरसा एक साल था।
- सरदार काहिन की ख़ास ज़िम्मेदारियाँ थीं| एक सिर्फ़ वही था जो साल में एक बार ख़ास क़ुर्बानी चढ़ाने के लिए साल में एक बार हैकल के सबसे मुक़द्दस मक़ाम में दाख़िल हो सकता था।
- इस्राईल में काहिन तो बहुत थे लेकिन एक बार में एक ही सरदार काहिन होता था।
- जब ‘ईसा को बन्दी बनाया गया था तब क़ैफ़ा सरकारी सरदार काहिन था। कभी-कभी क़ैफ़ा के ससुर हन्ना को भी दर्ज़ किया गया है, क्यूँकि वह माज़ी का सरदार काहिन था और यक़ीनन क़ौम पर उसकी क़ुव्वत और इख़्तियार अब भी था।
तर्जुमें की सलाह:
- “सरदार काहिन” का तर्जुमा “ सरदार काहिन” या “सबसे बड़ा काहिन” किया जा सकता है।
- यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ास काहिन” से अलग किया जाए।
(यह भी देखें: हन्ना, काइफ़ा, हाकिम काहिनो, काहिन, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 05:26-28
- रसूलों के ‘आमाल 07:1-3
- रसूलों के ‘आमाल 09:1-2
- ख़ुरूज 30:10
- इब्रानियों 06:19-20
- अहबार 16:32-33
- लूक़ा 03:1-2
- मरकुस 02:25-26
- मत्ती 26:3-5
- मत्ती 26:51-54
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 13:08 सरदार काहिन के अलावा कोई भी कमरे के पीछे दाख़िल नहीं हो सकता था, क्यूँकि वहाँ ख़ुदा रहता था|
- 21:07 मसीह जो एक कामिल सरदार काहिन के पास आएगा जो अपने आप को ख़ुदा के लिए कामिल कुर्बानी के तौर पर पेश करेगा|
- 38:03 यहूदी रहनुमाओं, ने सरदार काहिन की रहनुमाई में ‘ईसा को धोखा देने के लिये यहूदाह को तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए |
- 39:01 फ़ौजियों ने ‘ईसा की दु’आ के लिए सरदार काहिन के घर में ‘ईसा की रहनुमाई की और सरदार काहिन के लिए उससे सवाल पूँछे|
- 39:03 आख़िर में, सरदार काहिन ने ‘ईसा की ओर देखकर उससे कहा कि, “हमें बता कि क्या तू मसीह है, ज़िन्दा ख़ुदा का बेटा?”
- 44:07 दूसरे दिन, ऐसा हुआ कि यहूदी काहिन पतरस और यूहन्ना को लेकर सरदार काहिन और दीगर मज़हबी इमामों के पास गए।
- 45:02 तब मज़हबी इमामों ने स्तिफनुस को पकड़कर ‘अदालत-ए-आलिया में ले गए और उसे सरदार काहिन और दीगर यहूदी रहनुमाओं के सामने खड़ा किया गया जहाँ कई और झूठे गवाहों ने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला।
- 46:01 सरदार काहिन ने शाऊल को यह हुक्म दिया की वह दमिश्क़ शहर में जाकर वहाँ के मसीहियों को पकड़कर वापस यरूशलीम ले आए।
- 48:06 ‘ईसा सबसे बड़ा सरदार काहिन है। दूसरे काहिनों से अलग, उसने अपने आप को उस एकलौती क़ुर्बानी के तौर पर सुपुर्द कर दिया जो दुनिया के सभी इन्सानों के गुनाहों को हटा सकती है। ‘ईसा सबसे अच्छा सरदार काहिन है क्योंकि उसने सभी इन्सानों के सभी गुनाहों की सज़ा , जो उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया।
शब्दकोश:
- Strong's: H7218, H1419, H3548, G748, G749
सलीब
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में सलीब एक लकड़ी का खंभा होता था जिसे ज़मीन में गाड़ कर खड़ा किया जाता था, उसके ऊपरी हिस्से में एक तिरछा खंभा जोड़ा जाता था।
- रोमी सल्तनत के वक़्त में, रोमी हुकूमत ने ख़ताकारों को सलीब पर बांध कर या कीलों से ठोंक कर मरने के लिए छोड़ देते थे।
- ‘ईसा पर ख़ता का झूठा इल्ज़ाम लगाकर रोमियों ने उसे सलीब की मौत दी थी।
- ध्यान दें कि यह काम "पार करना" एक अलग लफ़्ज़ है, जिसका मतलब है कि किसी नदी के किनारे या झील के दूसरी ओर जाना।
तर्जुमें की सलाह:
- इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान में सलीब का मतलब ज़ाहिर करने वाले लफ़्ज़ से किया जा सकता है।
- सलीब की बयान इस तरह करें कि ज़ाहिर हो कि उस पर आदमियों को मौत की सज़ा दी जाती थी जैसे “सलीबी ” या “पेड़ की मौत ”।
- मुक़ामी ज़बान और क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ध्यान दें। (देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखे: सलीब पर चढ़ा, रोम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 01:17
- कुलुस्सियों 02:13-15
- गलातियों 06:11-13
- यूहन्ना 19:17-18
- लूका 09:23-25
- लूका 23:26
- मत्ती 10:37-39
- फिलिप्पियों 02:5-8
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 40:01 सिपाहियों के ज़रिये’ ‘ईसा का मज़ाक उड़ाने के बा’द, वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिये ले गए। उन्होंने ‘ईसा से वो सलीब उठवाया जिस पर उसे मरना था।
- 40:02 सिपाही ‘ईसा को उस जगह पर ले गए जो गुलगुता या खोपड़ी की जगह कहलाती है, वहाँ पहुँचकर सलीब पर उसके हाथों और पाँवों को कीलो से ठोक दिया।
- 40:05 यहूदी और और लोग जो भीड़ में थे वह ‘ईसा का मज़ाक उड़ा रहे थे। यह कहकर कि, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो सलीब पर से उतर जा, और अपने आप को बचा। तब हम तुझ पर ईमान लायेंगे ”
- 49:10 जब ‘ईसा सलीब पर मरे, उन्होंने तुम्हारा क़ुसूर अपने ऊपर ले लिया।
- 49:12 तुम्हें यक़ीन करना होगा कि ‘ईसा ख़ुदा का बेटा है, कि वह तुम्हारी जगह सलीब पर क़ुर्बान हुआ, और यह कि ख़ुदा ने उसे फिर मुर्दों में से ज़िन्दा कर दिया।
शब्दकोश:
सहन , ‘सहनो , ‘अदालत , आँगनों
ता’रीफ़:
“सहन ” और “’अदालत ” या’नी दीवारों से घिरी खुली जगह अंग्रेजी का लफ़्ज़ “कोर्ट” ‘अदालत को भी कहते हैं
- मिलापवाला ख़ेमा मोटे कपड़े के परदों के ज़रिये’ घिरे हुए सहन के अन्दर था।
- हैकल के तीन अंदरूनी सहन थे एक काहिनो के लिए, एक यहूदी आदमियों के लिए और एक यहूदी ‘औरतों के लिए।
- ये सहन बाहरी सहन से छोटी पत्थरों की दीवार से बराबर बटे थे। बाहरी सहन में गै़र यहूदी दुआ’ कर सकते थे।
- घरों के सहन घर के बीच में खुली जगह में होते थे।
- “बादशाह का सहन ” का बयान बादशाह के महल या उसके राजमहल के उस जगह से हो सकता है जहां बादशाह फ़ैसला देने के लिए बैठता है।
- “यहोवा के सहनों” यह जुमला यहोवा के रहने की जगह या इन्सानों के लिए यहोवा की ‘इबादत की जगह के बारे में ‘अलामती इस्ते’माल है।
तर्जुमे की सलाह:
“सहन ” का तर्जुमा “मिली हुई जगह ” या “दीवारों से घिरी जगह ”, या “हैकल का मैदान” या “हैकल जगह ”
- कभी-कभी “हैकल ” लफ़्ज़ का तर्जुमा “हैकल के सहनों” या “हैकल का घेरा ” से है ताकि साबित हो कि बयान मैदान से है न कि हैकल से।
- “यहोवा के सहन ” का तर्जुमा “यहोवा की रहने की जगह ” या “यहोवा की इबादत की जगह ” हो सकता है।
- “बादशाह का सहन ” का लफ़्ज़ यहोवा के सहन के लिए भी काम में लिया जा सकता है।
(यह भी देखें: ग़ैर क़ौम, मुंसिफ़, बादशाह, ख़ेमा, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 20:4-5
- ख़ुरूज 27:9-10
- यरमियाह 19:14-15
- लूका 22:54-55
- मत्ती 26:69-70
- गिनती 03:24-26
- ज़बूर 065:4
शब्दकोश:
- Strong's: H1004, H1508, H2691, H5835, H6503, H7339, H8651, G833, G933, G2681, G4259
साँप, साँपों, साँप, साँप, साँप, साँपों
सच्चाई:
यह सब लफ़्ज़ एक ऐसे रेंगनेवाले जानदार के बारे में हैं जिसका जिस्म लम्बा और निकले हुए दांत होते हैं वह ज़मीन पर टेढ़ी मेढ़ी चाल से रेंगता है। “सांप” (सांप) लफ़्ज़ एक बड़े सांप के बारे में है और “नाँग ” ज़हरीला साँप होता है जो अपने शिकार को मारने के लिए ज़हर को काम में लेता है।
- यह लफ़्ज़ 'अलामती शक्ल में एक ऐसे शख़्स के लिए काम में लिया जाता है जो बदकार है, ख़ास तौर से धोखा देनेवाले के लिए।
- ‘ईसा मज़हबी रहनुमाओं को “साँप के बच्चे” कहता था क्यूँकि वह रास्तबाज़ी का दिखावा करते थे लेकिन असल में लोगोंको धोखा देते थे और उनके साथ ख़ुद गर्ज़ी के जैसा सुलूक करते थे।
- अदन की बाग़ में, शैतान ने साँप की शक्ल इख्तियार की और हव्वा को बहला कर ख़ुदावन्द के हुक्म की नाफ़रमानी करवाई।
- जब शैतान ने साँप की शक्ल में हव्वा को आज़माइश में डालकर गुनाह करवाया, तब ख़ुदावन्द ने उसे ला'नतीकर दिया कि सारे साँप ज़मीन पर रेंग कर चलेंगे, इसका मतलब तो यह हुआ कि इससे पहले साँपों के पैर थे।
(यह भी देखें: ला’नत, धोखा, नाफ़रमानी करना, 'अदन, बुराई, नसल, शिकार, शैतान, गुनाह, आज़माइश करने
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 03: 1-3
- पैदाइश 03:4-6
- पैदाइश 03:12-13
- मरकुस 16:17-18
- मत्ती 03:7-9
- मत्ती 23:32-33
शब्दकोश:
- Strong's: H660, H2119, H5175, H6620, H6848, H8314, H8577, G2191, G2062, G3789
साथी, शरीक़, हम ख़िदमत ,हम ख़िदमत
सच्चाई:
“साथी” का मा’नी है किसी के साथ रहनेवाला इन्सान या किसी से जुड़ा हुआ इन्सान जैसे दोस्ती या शादी में। “साथी”का मा’नी एक साथ काम करने वाला शख़्स|
- साथी एक ही तजुरबे को महसूस करते हैं, एक साथ खाना खाते हैं और एक दूसरे को मदद देते हैं और हौसला देते हैं।
- मज़मून के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से हो जिसका मा’नी है, “दोस्त” या “शरीक़” या “किसी के साथ चलने वाला मददगार शख़्स”
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- हिज़क़ीएल 37:15-17
- इब्रानियों 01:8-9
- अम्साल 02:16-17
- ज़ूबूर 038:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H251, H441, H2269, H2270, H2271, H2273, H2278, H3674, H3675, H4828, H7453, H7462, H7464, G2844, G3353, G4791, G4898, G4904
साया, साये, सायादार, सायादार
ता’अर्रुफ़:
“साया” का मतलब है रौशनी को रोकने वाली चीज़ का साया है। इसके कई 'अलामती मतलब भी हैं।
- “मौत का साया ” या'नी मौत क़रीब है, जिस तरह कि साया ज़ाहिर करता है कि कोई चीज़ क़रीब है।
- कलाम में कई बार लोगों की ज़िन्दगी की बराबरी साया से की गई है जो ज़्यादा वक़्त की नहीं होती है और उसकी कोई हक़ीक़त नहीं होती है।
- कभी-कभी “साया” लफ़्ज़ को “तारीकी” के लिए भी काम में लिया जाता है।
- ख़ुदावन्द के परों या हाथों की साया में रखने का ज़िक्र कलाम में किया गया है। यह महफ़ूज़ रहने और ख़तरे से छिप जाने की एक 'अलामती शक्ल है। “साया” के तर्जुमे की शक्लें हो सकती हैं “साया” या “हिफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ ”।
- बेहतर तो यह होगा कि “साया” लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उसी लफ़्ज़ से किया जाए जिसे साया के लिए काम में लिया जाता है।
(यह भी देखें: तारीकी, रोशनी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 20:8-9
- पैदाइश 19: 6-8
- यसा'याह 30:1-2
- यरमियाह 06:4-5
- ज़बूर 017:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: H2927, H6738, H6751, H6752, H6754, H6757, H6767, G644, G1982, G2683, G4639
सारा, सारय
सच्चाई:
- सारा इब्राहीम की बीवी थी।
- उसका लफ़्ज़ी नाम "सारै" था लेकिन ख़ुदावन्द ने उसका नाम बदलकर "सारा" रखा।
- सारा ने ख़ुदावन्द के वा'दे के मुताबिक़ बेटे को पैदा किया।
(यह भी देखें: इब्राहीम, इस्हाक़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 11:29-30
- पैदाइश 11:31-32
- पैदाइश 17:15-16
- पैदाइश 25:9-11
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 05:01 तो अब्राम की बीवी सारय, ने उससे कहा, "देख ख़ुदावन्द ने मेरे रहम को बन्द कर रखा है, इसलिए मैं तुझ से मिन्नत करती हूँ कि तू मेरी लौंडी हाजिरा के पास जा | तू उससे शादी भी करना ताकि, उसके ज़रिए' मेरी गोद भर सके |
- 05:04 "तुम्हारी बीवी, __सारय__को एक बेटा होगा--वह वा'दे का बेटा होगा।"
- 05:04" ख़ुदावन्द ने सारय__का नाम बदलकर __सारा रखा, जिसका मतलब है, "शहज़ादी
- 05:05"तक़रीबन एक साल बा'द, जब इब्राहीम सौ साल का था और सारा नब्बे साल की थी, __सारा__ने इब्राहीम के बेटे को पैदा किया| उन्होंने उसका नाम इस्हाक़ रखा, जैसा कि ख़ुदावन्द ने कहा था|
शब्दकोश:
- Strong's: H8283, H8297, G4564
साल , सालों
ता'र्रुफ़:
कलाम में “साल ” का ह्क़ीक़ी मतलब था 354 दिनों का वक़्त । यह साल चाँद कैलेण्डर के मुताबिक़ था जब चाँद ज़मीन के एक चक्कर कर लेता है।
- आज का साल शम्सी कैलेण्डर के मुताबिक़ 365 दिन का होता है और बारह महीने होते हैं, यह वक़्त ज़मीन की तरफ़ से सूरज के चक्कर का वक़्त है।
- दोनों ही कैलेण्डरों में साल के बारह महीने हैं। चाँद कैलेण्डर के साल में तेरहवां महीना जोड़ा जाता है यह उस सच्चाई के लिए है कि चंद साल शम्सी साल से ग्यारह दिन छोटा है। इससे दोनों कैलेण्डरों को बरक़रार रखने में मदद मिलती है।
- कलाम में सालों को 'अलामती शक्ल में भी काम में लिया जाता है जो किसी हादसे के लिए वक़्त की 'आम बात के लिए काम में लिया जाता है। इसकी मिसाल हैं “यहोवा का साल ” या “क़हत का साल” या “यहोवा के ख़ुश रहने के साल ”। ऐसे हवालों में “साल ” का तर्जुमा“वक़्त ” या “मौसम” या “वक़्त का वक्फा” किया जा सकता है।
(यह भी देखें:महीना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 23:31-33
- रसूलों के 'आमाल. 19:8-10
- दानिएल 08:1-2
- ख़ुरूज 12:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H3117, H7620, H7657, H8140, H8141, G1763, G2094
साफ़,साफ़ सुथरा,साफ़ किया ,साफ़ करना ,साफ़ होना ,धुलना ,धुलाई ,धोया ,गन्दा
ता’अर्रुफ़:
“साफ़” के मा’नी हैं मैल या दाग न होना | कलाम में इसका इस्ते’माल अक्सर ‘अलामती शक्ल में किया जाता है कि इसके मा’नी “साफ़” या “पाक” या”बे गुनाह “हो |
- ”सफ़ाई” किसी चीज़ को साफ़ करने की तरतीब है| इसका तर्जुमा “धोना”या “साफ़ करना “हो सकता है |
पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को बताया था कि उसने कौन कौन से जानवरों को “साफ़”और कौन कौन से जानवरों को “गन्दा”मुक़र्रर किया है | केवल साफ़ जानवर ही खाने और क़ुर्बानी पेश करने के लिए काम में लिए जा सकते हैं | इस बारे में "साफ़" लफ़्ज़ के मा’नी है कि जानवर क़ुर्बानी पेश करने में ख़ुदा को क़ुबूल के लायक़ है।
- जिस आदमी को जिल्दी बीमारी होता था वह गन्दा माना जाता था जब तक कि उसकी बीमारी से आज़ाद न हो जाए। जिल्दी सफ़ाई के हुक्मों पर ‘अमल करना ज़रूरी था उस आदमी को फिर “साफ़” किया जाने के लिए।
- कभी कभी “साफ़”लफ़्ज़ को ‘अलामती शक्ल में रूहानी सफ़ाई के लिए इस्ते’माल किया जाता था|
किताब-ए-मुक़द्दस की ज़बान में “गन्दा” लफ़्ज़ किसी ख़ास चीज़ तरफ़ इशारा है जिसको ख़ुदा ने ज़ाहिर कर दिया है की न उसे छूना,खाना,न क़ुर्बानी पेश करना |
- ख़ुदा ने इस्राईलियों को इस बारे में बतादिया है कि कौन सा जानवर तुम्हारे लिए “साफ़”और कौन है “गन्दा” नापाक जानवरों को न खाने की इजाज़त थी न क़ुर्बानी पेश करने की |
लोग जो जिल्दी बीमारी मे है बताया गया है की वह नापाक होंगे जब तक उनको शिफ़ा न मिल जाये |
अगर इस्राईल कोई ऐसी “नापाक” चीज़ छूता है तो वह भी कुछ वक़्त के लिए नापाक हो जायेंगे |
- ख़ुदा की फरमाबरदारी हुक्म करता है उस बारे में न छूना ,न खाना ,कोई गन्दी चीज़ इस्राईली लोग इसको ख़ुदा की इबादत से दूर रखें |
- जिस्मानी और मजहबी समझ का निशान है “मज़हबी समझ “
- दूसरे नज़र आने वाले गुनाह “बदरूह “जो बुरी रूह को ज़ाहिर करता है |
तर्जुमे की सलाह :
- इस लफ़्ज़ का अनुवाद “स्वच्छ” एवं “शुद्ध” के लिए काम में आने वाले सामान्य शब्दों में किया जा सकता है।
- इसमें तर्जुमा करने के और तरीके शामिल हो सकते हैं, "पाक शक्ल से साफ" या "ख़ुदा को कुबूल "
- "साफ़ "; का तर्जुमा"धुलाई" या "पाक" ज़रिये’किया जा सकता है।
- वाज़े’करें कि "साफ़" और "पाक" के लिए इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ों को भी एक ज़ाहिरी मा’नीमें समझा जा सकता है।
“गन्दा” के मा’नी हैं इस का तर्जुमा ऐसे करें “नापाक”या “जो ख़ुदा की निगाह में मुनासिब नहीं””जिस्मानी नापाकी” या ऐब दार “
जो बताता है बदरूह या एक गंदी रूह “गन्दी” इसका तर्जुमा हो सकता है “बुरा “ऐब दार “
ये तर्जुमा ज़ाहिर करता है रूहानी नापाकी | यह किसी भी चीज़ को ज़ाहिर करता है जो खुदा ने बता दिया है जो ना मुनासिब हो छूने ,खाने ,और क़ुर्बानी पेश करने में
(यह भी देखें: आलूदा,बदरूह, पाक, क़ुर्बानी करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 07:1-3
- पैदाइश 07:8-10
- अह्बार 12:15-16
- ज़ुबूर 051:7-9
- अम्साल 20:29-30
- हिज़्कीयेल 24:13
- मत्ती 23:27-28
- लूका 05:12-13
- रसूलों के आमाल 08:6-8
- रसूलों के आमाल 10:27-29
- कुलस्सियो 03:5-8
- 1 थिस्सलुनीकियों 04:7-8
- याक़ूब 04:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: H1249, H1252, H1305, H2134, H2135, H2141, H2398, H2548, H2834, H2889, H2890, H2891, H2893, H2930, H2931, H2932, H3001, H3722, H5079, H5352, H5355, H5356, H6172, H6565, H6663, H6945, H7137, H8552, H8562, G167, G169, G2511, G2512, G2513, G2839, G2840, G3394, G3689
साफ़ , पाक करना , सफ़ाई
ता’अर्रुफ़:
“साफ़ ” या’नी बे‘ऐब या “ऐसी कोई चीज़ मिली न हो जो नहीं होनी चहिए। किसी चीज़ को साफ़ करना या’नी उसे किसी भी नापाक या गन्दगी करनेवाली से चीज़ आज़ाद करना, साफ़ बनाना।
- पुराने ‘अहद नामे के हुक्मों के मुताबिक “साफ करना” और “साफ़ होना” ख़ासकर किसी चीज़ या आदमी को एसी बातों से पाक करना जो चीज़ या आदमी को नापाक बनाती है जैसे बीमारी , जिस्मानी सुख या बच्चे की पैदाइश से।
- पुराने ‘अहद नामे में आदमियों का गुनाहों से पाकी के भी हल थे कि कैसे गुनाहों से पाक या आज़ाद हुआ जाए आमतौर पर जानवरों की क़ुर्बानी से है। लेकिन यह एक नामुकम्मल शरी’अत थी, इसलिए क़ुर्बानी बार-बार पेश करनी होती थी।
- नये ‘अहद नामे में साफ़ होने का मतलब है गुनाहों से धुल जाना।
- आदमियों के लिए पूरा और गुनाह से छुटकारा केवल तोबा करना और ‘ईसा में ईमान और उसकी मौत के ज़रिए’ ख़ुदा की मु’आफ़ी को क़ुबूल करने के ज़रिए’ होता है।
तर्जुमे की सलाह:
- “पाक करने” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक बनाना” या “साफ करना” या “सब नापाकियों को दूर करना” या “गुनाहों से छुटकारा पाना”
- “उनके पाक होने के दिन पूरे हुए” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “जब मुक़र्रेर दिनों तक रूकने के बाद उन्होंने ख़ुद को पाक कर लिया”
- “गुनाहों से पाक होना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “इन्सानों के लिए गुनाहों से पूरा हल का रास्ता मुहय्या करा दिया”।
- तर्जुमे के और शक्ल “पाक होना” का तर्जुमा “हल ” या “रूहानी सफ़ाई ” या “रस्म के मुताबिक़ पाक होना” हो सकता है।
(यह भी देखें: कफ़्फ़ारा, साफ़, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तीमुथियुस 01:5-8
- ख़ुरूज 31:6-9
- इब्रानियों09:13-15](rc://ur-deva/tn/help/heb/09/13)
- याकूब 04:8-10
- लूका 02:22-24
- मुकाशिफ़ा . 14:3-5
शब्दकोश:
- Strong's: H1249, H1252, H1253, H1305, H1865, H2134, H2135, H2141, H2212, H2398, H2403, H2561, H2889, H2890, H2891, H2892, H2893, H3795, H3800, H4795, H5343, H5462, H6337, H6884, H6942, H8562, G48, G49, G53, G54, G1506, G2511, G2512, G2513, G2514
सिपाही , सिपाहियों, शमशीर ज़न मर्द , बहादुरों
सच्चाई:
“सिपाही ” और “सैनिक” दोनों लफ़्ज़ सेना में जंग करनेवाले इन्सानों के बारे में हैं। लेकिन इनमें कुछ फ़र्क़ है।
- “शमशीर ज़न मर्द” एक आम और एक ख़ास लफ़्ज़ है जो जंग के मुल्क में एक माहिर और हिम्मती इन्सान होता है।
- यहोवा को तम्सीली शक्ल में “जंग करने वाला ” कहा गया है।
- “सिपाही ” या’नी फ़ौज का एक फ़र्द जो किसी जंग में लड़ता है।
- यरूशलीम में रोमी सिपाही निज़ाम बनाए रखने और क़ैदियों को मौत की सज़ा देने के लिए मुक़र्रर किए गए थे। वे ‘ईसा को सलीब देने से पहले उसे क़ैदी बनाए हुए थे और कुछ को उसकी क़ब्र पर रखवाली करने के लिए भी रखा गया था।
- मुतरज्जिम को ध्यान देना है कि उसकी ज़बान में “शमशीर ज़न मर्द” और “सिपाही ” के लिए दो अलग-अलग लफ़्ज़ हैं, जिनका मतलब और इस्तेमाल भी अलग अलग है।
(यह भी देखें: हिम्मत, सलीब पर चढ़ा, रोम, क़ब्र)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 21:4-5
- रसूलों के 'आमाल 21:32-33
- लूका 03:14
- लूका 23:11-12
- मत्ती. 08:8-10
शब्दकोश:
- Strong's: , H352, H510, H1368, H1416, H1995, H2389, H2428, H2502, H3715, H4421, H5431, H5971, H6518, H6635, H7273, H7916, G4686, G4753, G4754, G4757, G4758, G4961
सिय्यून की बेटी
ता’अर्रुफ़
“सिय्यून की बेटी” इस्राईल के लोगों का ज़िक्र करने करने के लिए एक मा’क़ूल तरीक़ा है| इसका इस्ते’माल अमूमन नबूव्वतों में किया जाता है |
- पुराने ‘अहदनामे में “सिय्यून” लफ़्ज़ यरुशलीम का दूसरा नाम है|
- “सिय्यून” और “यरुशलीम” दोनों लफ़्ज़ इस्राईल के लिए काम में लिए गए हैं|
- लफ़्ज़ “बेटी” परेशानी या अफ़सोस का लफ़्ज़ है| यह ख़ुदावन्द के ज़रिए’ उसकी क़ौम के लिए उसके सब्र और निगहबानी की एक इस्ता’रा है|
तर्जुमे की सलाह:
- इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “सिय्यून से, मेरी बेटी इस्राईल” या “सिय्यून के लोग, जो मेरे लिए बेटी जैसे हैं” या “सिय्यून, मेरे अज़ीज़ लोग इस्राईल|
- लफ़्ज़ रखना बेहतर है “सिय्यून” इस इज़हार में यह किताब-ए-मुक़द्दस में कई बार इस्ते’माल हुआ है| इसके ‘अलामती मतलब और नबूव्वत के इस्ते’माल की वज़ाहत के लिए एक नुक़्ते को भी शामिल किया जा सकता है|
- इस इज़हार के तर्जुमे में “बेटी” यह भी इसतिलाह में रखना बेहतर है, क्यूँकि इसे सही तरीक़े से समझा जा सके|
(यह भी देखें: यरूशलीम, नबी, सिय्योन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- यरमियाह 06:1-3
- युहन्ना 12:14-15
- मत्ती 21:4-5
शब्दकोश:
सिर, सिरों, माथा, माथों, चन्दुए, टोपियाँ, पेशानी, गुलूबंद, सिर कटवा दिया
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “सिर” लफ़्ज़ को मुख़तलिफ़ ‘अलामती शक्लों में काम में लिया गया है।
- इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल इन्सानों पर इख़्तियार रखने वाले के लिए किया गया है। “तूने मुझे क़ौम-क़ौम का सिर बनाया है।” इसका तर्जुमा हो सकता हैः "तू ने मुझे बादशाह बनाया है" या “तूने मुझे.... पर इख़्तियार दिया है।"
- ‘ईसा को “कलीसिया का सिर कहा गया है। जिस तरह इन्सान का सिर उसके जिस्म के ‘आज़ा को हुक्म देता है उसी तरह ‘ईसा अपने “जिस्म” कलीसिया के अफ़राद का हुक्म देता है।
- नया ‘अहद नामा सिखाता है कि शौहर अपनी बीवी का सिर है। उसे अपनी बीवी और ख़ानदान की रहनुमाई और ज़िम्मेदारी सौंपी है।
- “उसके सिर पर उस्तरा न चलाया जाए” या’नी “वह न तो कभी अपने बाल कटवाए और न ही कभी दाढ़ी बनवाए।”
- “सिर” का मतलब कभी-कभी किसी बात के शुरू’आती दौर या ज़रिया’ से होता है जैसे, “राह का सिर (शुरू’)”
- “गेहूं का सिर” या’नी गेहूं या जौ के पौधे का वह ऊपरी हिस्सा जहाँ बीज होता है।
- “सिर” का एक और ‘अलामती इस्ते’माल है जो इन्सान के पूरी इंसानियत का ‘इल्म कराता है जैसे “सफेद सिर” या’नी बूढ़े लोग या “यूसुफ़ का सिर” या’नी यूसुफ़। (देखें: हमअहनगी
- इज़हार “इसका ख़ून उसके सिर पर हो” या’नी उसकी मौत का ज़िम्मेदारर यही इन्सान हो और सज़ा पाए।
तर्जुमे की सलाह
- मज़मून पर मुनहस्सिर “सिर” का तर्जुमा हो सकता है, “इख़्तियार” या “रहनुमाई और हुक्म देने वाला” या “ज़िम्मेदार इन्सान”
- इज़हार “का सिर” का मतलब है पूरी इंसानियत लिहाज़ा इसका तर्जुमा सिर्फ इन्सान के नाम से किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, “यूसुफ़ का सिर” जुमले का तर्जुमा आसानी से किया जा सकता है, “यूसुफ़”
- इज़हार “उसके ही सिर पर होगा” इस जुमले का तर्जुमा किया जा सकता है, “उस पर हो” या “वह सज़ा पाए” या “वही ज़िम्मेदार माना जाए” या “वह मुजरिम माना जाए”।
- मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “शुरू’आत” या “ज़रिया’” या “हाकिम” या “रहनुमा” या “ऊपर”।
(यह भी देखें: अनाज
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 01:51-54
- 1 सलातीन 08:1-2
- 1 शमूएल 09:22
- कुलुस्सियों 02:10-12
- कुलुस्सियों 02:18-19
- गिनती 01:4-6
शब्दकोश:
- Strong's: H441, H1270, H1538, H3852, H4425, H4761, H4763, H5110, H5324, H6285, H6287, H6797, H6915, H6936, H7139, H7144, H7146, H7217, H7226, H7218, H7541, H7636, H7641, H7872, G346, G755, G2775, G2776, G4719
सिर
ता’अर्रुफ़:
“सिर”, शख़्स या जानवर के सिर का हड्डी का ढाँचा।
- कभी-कभी “खोपड़ी” लफ़्ज़ का इस्ते'माल “सिर” के लिए भी किया जाता है जैसे “ सिर मुंडवाले”।
- “ सिर की जगह ” गुलगता का एक और नाम है जहाँ 'ईसा को सलीब पर चढ़ाया गया था।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “सिर” या “सिर की हड्डी” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: सलीब पर चढ़ा, गुलगता)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 सलातीन 09:35-37
- यरमियाह 02:14-17
- यूहन्ना 19:17-18
- मत्ती. 27:32-34
शब्दकोश:
- Strong's: H1538, H2026, H2076, H2490, H2491, H2717, H2763, H2873, H2874, H4191, H4194, H5221, H6936, H6991, H6992, H7523, H7819, G337, G615, G1315, G2380, G2695, G4968, G4969, G5407
सुलैमान
सच्चाई:
सुलैमान दाऊद के बेटों में से एक था। उसकी माँ नाम बतशबा था ।
- जब सुलैमान तख़्त सल्तनत पर बैठा तब ख़ुदा ने उससे कहा था कि वह जो चाहे उससे मांग ले। तब सुलैमान ने अपने लोगों पर मुनासिब हुकूमत करने के लिए हिकमत 'अमली तलब की । ख़ुदा सुलैमान की इस इल्तिजा से ख़ुश हुआ और उसे हिकमत और माल दोनों दिया।
सुलैमान यरूशलीम के शानदार हैकल को बनाने के लिए भी मशहूर है।
- सुलैमान ने शुरू'आती सालों में तो बड़ी हिकमत-ए-’अमली से बादशाहत की लेकिन बा'द में उसने ग़ैर क़ौमों की 'औरतों से शादी करके बुत परस्ती शुरू' कर दी थी।
- सुलैमान की इस दग़ाबाज़ी की वजह से ख़ुदा ने उसकी मौत के बा'द इस्राईल को दो मुल्कों में बाँट दिया, एक इस्राईल और दूसरा यहूदा। यह दोनों मुल्क हमेशा लड़ते रहते थे।
(यह भी देखें: बतशबा', दाऊद, इस्राईल, यहूदाह, इस्राईल की बादशाही, हैकल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल . 07:47-50
- लूक़ा 12:27-28
- मत्ती. 01:7-8
- मत्ती. 06:27-29
- मत्ती 12:42
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 17:14 उसके बा'द, दाऊद से बतशबा को एक और बेटा पैदा हुआ उसका नाम उन्होंने सुलैमान रखा।
- 18:01 कई सालों बा'द, जब दाऊद की मौत हो गई, तब उसके बेटे सुलैमान ने इस्राईल पर हुकूमत करना शुरू' किया | ख़ुदा ने सुलैमान से बात की और उससे कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह माँग | ” जब सुलैमान ने हिकमत माँगी, ख़ुदा उससे ख़ुश हुआ और उसे दुनिया का सबसे दानिशवर आदमी बना दिया | ख़ुदा ने उसे बहुत मालदार सख्स बनाया |
- 18:02 यरुशलीम में, सुलैमान ने अपने बाप के मन्सूबे के मुताबिक़ एक हैकल बनाने का फ़ैसला किया और उसके लिए समान जमा' किया |
- 18:03 लेकिन सुलैमान कई मुल्कों की 'औरतों से मुहब्बत करता था |. लिहाज़ा जब सुलैमान बूढ़ा हुआ तब उसकी 'औरतों ने उसका मन ग़ैर मा'बूदों की तरफ़ बहका दिया |
- 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह से उसे सज़ा दिया, और 'अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा'द वह इस्राईल के मुल्क को दो हिस्सों में बाँट देंगा।
शब्दकोश:
सूअर, सूअरों, सूअर का गोश्त , सुअर
ता’अर्रुफ़:
सूअर एक चौपाया है जिसे गोश्त वाले खाने के लिए पाला जाता है। उसका गोश्त “पोर्क” कहलाता है। "सूअर" लफ़्ज़ अक्सर सुअर की पूरी नसल के लिए काम लिया जाता है।
- ख़ुदा ने इस्राईलियों के लिए सूअर का गोश्त खाना मना किया था इसलिए उसे नापाक ठहराया था। यहूदी आज भी इसे नापाक मानते है और उसके गोश्त से नफ़रत करते हैं।
- सूअरों को पाल कर गोश्त के लिए बेचा जाता है।
- एक तरह की सूअर की नसल जंगल में रहती है, उसे “जंगली सूअर” कहते हैं। जंगली सूअर के दांत बड़े होते हैं, और वह बहुत खतरनाक होता है।
बड़े सूअरों को “शूकर” कहा जाता है।
(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: साफ़
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 पतरस 02:20-22
- मरकुस 05:11-13
- मत्ती 07:6
- मत्ती 08:30-32
शब्दकोश:
सूबेदार ,सूबेदारों
ता’रीफ़:
सूबेदार रोमी फ़ौज का हाकिम था जिसके मातहत सौ सिपाही होते थे |
- इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ से किया जा सकता है जिसका मा’नी हो “सौ आदमियों का रहनुमा” या “सिपाही का रहनुमा” या “सौ का असरदार हाकिम”|
- एक सूबेदार ‘ईसा के पास दरख़्वास्त लेकर आया था कि वह उसके ख़ादिम को शिफ़ा दे
- ‘ईसा के मस्लूबियत का गवाह सूबेदार ‘ईसा की मौत को देखकर हैरान हो गया था |
- ख़ुदा ने एक सूबेदार को पतरस के पास भेजा कि पतरस उसे ‘ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाये |
(यह भी देखें :रोम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के आमाल 10:1-2
- रसूलों के आमाल 27:1-2
- रसूलों के आमाल 27:42-44
- |लूका 07:2-5
- लूका 23:46-47
- मरकुस 15:39-41
- मत्ती 08:5-7
- मत्ती 27:54-56
शब्दकोश:
सूर, सूर के लोग
सच्चाई:
सूर शहर कना’न का एक पुराना शहर था समन्दर से दूर के किनारे पर जो आज लबानोन का एक हिस्सा है। इस शहर के लोगों को "सूर के लोग" कहा जाता था।
- इस शहर का एक हिस्सा टापू पर समन्दर में मौजूद था जो करीब एक किलोमीटर ज़मीन से दूर था
- उसकी जुगराफिय हालत और क़ीमती क़ुदरती सामानों की वजह जैसे की देवदार पेड़ , सोर का तिजारती काम तरक़्क़ी पर था और वह एक मालदार शहर था।
- सूर के बादशाह हीराम ने बादशाह दाऊद के लिए महल बनाने में देवदार के पेड़ों की लकड़ी और माहिर मज़दूरों को भेजा था।
- सालों बा’द, हीराम ने भी हैकल बनाने में मदद करने के लिए बादशाह सुलेमान को लकड़ी और माहिर मज़दूरों को भेजा। सुलैमान ने उन्हें बड़ी ता’दाद में गेहूं और जैतून का तेल दिया।
- सूर का नाम हमेशा ही नज़दीकी सैदा शहर के साथ आता है। यह कना’न के ‘इलाक़े के सबसे ख़ास शहर थे, जिन्हें फीनीके कहा जाता था।
(यह भी देखें :कना’न, देवदारों, इस्राईल, समन्दर, फ़ीनीके, सैदा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल . 12:20-21
- मरकुस 03:7-8
- मत्ती 11:20-22
- मत्ती 15:21-23
शब्दकोश:
- Strong's: H6865, H6876, G5183, G5184
सैदा, सैदानियों
सच्चाई:
सैदा कन'आन का पहलौठ बेटा था। सैदा नाम का कन'आन में एक शहर भी था, शायद कन'आन के बेटे के नाम पर।
- सैदा शहर इस्राईल के उत्तर-पश्चिम में दरमियानी समन्दर के किनारे पर बसा था जो आज के लबनान मुल्क का एक हिस्सा है।
- “सैदानियों” फ़िनीके की क़ौम के लोग थे जो पुराने सैदा और उसके आसपास के 'इलाक़ों में रहते थे।
- बाबुल में सैदा, सूर के क़रीबी रिश्ते को बताया गया है यह दोनों शहर अपने ग़ैर इख़लाक़ी सुलूक के लिए मशहूर थे।
(यह भी देखें: कना’न, नूह, फ़ीनीके, समन्दर, सूर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 12:20-21
- रसूलों के 'आमाल 27:3-6
- पैदाइश 10: 15-18
- पैदाइश 10: 19-20
- मरकुस 03:7-8
- मत्ती 11:20-22
- मत्ती 15:21-23
शब्दकोश:
- Strong's: H6721, H6722, G4605, G4606
सोता, सोते, चश्मा, चश्मे, उमड़ता
ता’अर्रुफ़:
अलफ़ाज़ “सोता” और “चश्मा” का अक्सर मतलब होता है बहुत ज़्यादा पानी की ता’दाद जो क़ुदरती तरीक़े से ज़मीन से बहता है|
- किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी किया गया है कि ख़ुदा से निकलने वाली बरकतों का हवाला दे या साफ़ करने वाली या पाक करने वाली चीज़ का हवाला दे।
- नए ज़माने में, सोता इन्सान के ज़रिए’ बनाई हुई चीज़ होती है जिसमें पानी का बहाव होता है, जैसे पीने के पानी का सोता। यक़ीनी बनायें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा क़ुदरती पानी का ज़रिया’ को ज़ाहिर करे।
- इस लफ़्ज़ के तर्जुमें का मुक़ाबला “बाढ़” के तर्जुमे से करें।
(यह भी देखें: बाढ़
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 पतरस 02:17-19
- पैदाइश 07:11-12
- पैदाइश 08:1-3
- पैदाइश 24:12-14
- पैदाइश 24:42-44
- या’क़ूब 03:11-12
शब्दकोश:
- Strong's: H794, H953, H1530, H1543, H1876, H3222, H4002, H4161, H4456, H4599, H4726, H5033, H5869, H5927, H6524, H6779, H6780, H7823, H8444, H8666, G242, G305, G393, G985, G1530, G1816, G4077, G4855, G5453
सोना, सोने
ता’अर्रुफ़:
सोना पीले रंग की अच्छी धातु है जिससे ज़ेवरात और मज़हबी चीज़ें बनाई जाती हैं। पुराने ज़माने में यह सबसे ज़्यादा क़ीमती धातु थी।
- कलाम के वक़्त में, सोने से अलग अलग चीज़ें बनाई जाती थी या चीज़ों पर सोना चढ़ाया जाता था।
- ये चीज़ें थी क़ुन्दन दूसरे ज़ेवरात , बुत ,क़ुर्बान गाह और घर (ख़ेमा ) या हैकल की दूसरी चीज़ें जैसे 'अहद का सन्दूक़।
- पुराने 'अहद नामे के वक़त में सोना ख़रीद -ओ-फ़रोख़्त के काम में आता था। उसे तराज़ू में तोल कर उसकी क़ीमत मा'लूम किया जाता था।
- बा'द में सोने और चाँदी के सिक्के ख़रीद -ओ-फ़रोख़्त में काम में आने लगे।
- जब किसी ऐसी चीज़ का ज़िक्र हो जो सोने की नहीं हो उस पर सिर्फ़ सोना चढ़ा हुआ था तो “सुनहरा” या “सोना चढ़ा” या “सोने से ढका हुआ ” तर्जुमा किया जा सकता है।
- कभी-कभी किसी चीज़ को “सुनहरा” कहा जाता है, या'नी वह उसका रंग सोने जैसा है लेकिन सोने से बनी नहीं है।
(यह भी देखें: , ‘अहद का सन्दूक़, ख़ुदा, चाँदी, ख़ेमा, हैकल)
किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:
- 1 पतरस 01:6-7
- 1 तीमुथियुस 02:8-10
- 2 तवारीख़ 01:14-15
- रसूलों के 'आमाल 03:4-6
- दानिएल 02:31-33
शब्दकोश:
- Strong's: H1220, H1222, H1722, H2091, H2742, H3800, H4062, H5458, H6884, H6885, G5552, G5553, G5554, G5557
हन्ना
सच्च्चाई:
हन्ना नबी शमूएल की माँ थी। वह एल्क़ाना की दो बीवियों में से एक थी।
- हन्ना बाँझ थी यह उसके लिए दु:ख की बात थी।
- हैकल में हन्ना ने दिल से दु’आ की कि उसे बेटा मिले जिसे वह ख़ुदा को ही नज़्र कर देगी।
- ख़ुदा ने उसे बेटा दिया और जब वह लड़का बड़ा हो गया तब हन्ना ने उसे हैकल में ख़िदमत के लिए दे दिया।
- ख़ुदा ने हन्ना को इसके बा’द और भी औलाद दी।
(यह भी देखें: हामिला, शमूएल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 शमूएल 01:1-2
- 1 शमूएल 02:1
शब्दकोश:
हन्ना
सच्चाई:
हन्ना दस साल तक यरूशलीम में सरदार काहिन रहा था तक़रीबन सन् 6-15 तक। उसके बा'द रोमी सरकार ने उसे हटा दिया था लेकिन वह यहूदियों का एक बाअसर रहनुमा बना रहा।
- हन्ना ईसा के वक़्त के सरदार काहिन कैफा का ससुर था।
- सरदार काहिन ख़िदमत निकलने के बा'द भी सरदार काहिन ही कहलाते थे, और कैफा और गैरों की ख़िदमत के ज़माने में भी उसे सरदार काहिन ही कहा जाता था।
- यहूदी रहनुमाओं के सामने पूछताछ के लिए 'ईसा को पहले हन्ना के पास लाया गया था।
(यह भी देखें: सरदार काहिन, काहिन)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 04:5-7
- यूहन्ना 18:22-24
- लूका 03:1-2
शब्दकोश:
हम्द , हम्द , बड़ाई की,बड़ाई करते, बड़ाई की बात
ता’अर्रुफ़:
किसी की ता’रीफ़ करना या’नी उस इन्सान की पसंदीदगी और उसकी इज़्ज़त करना।
- इन्सान ख़ुदा की हम्द करता है क्योंकि वह अज़ीम है और उसने दुनिया को नजात देने और बनाने के हैरानी के काम किए हैं।
- ख़ुदा की हम्द में उसके कामों के लिए शुक्र होता है।
- ख़ुदा की हम्द में हमेशा साज़ और हम्द गीत होते हैं।
- ख़ुदा की हम्द उसकी इबादत का एक हिस्सा है।
- “हम्द करना” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी के बारे में अच्छी बात कहना” या “लफ़्ज़ों के ज़रिये’ बहुत इज़्ज़त ‘अता करना” या “किसी का मदह सराई करना”।
- “हम्द ” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा “इज्ज़तदार इन्सान ” या “इज़्ज़त का लक़ब देना” या “अच्छाईयों का बयान ”।
(यह भी देखें: ‘इबादत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 01:3-4
- रसूलों के आमाल 02:46-47
- रसूलों के आमाल 13:48-49
- दानीएल 03:28
- इफिसियों 01:3-4
- पैदाइश 49:8
- याक़ूब 03:9-10
- यूहन्ना 05:41-42
- लूका 01:46-47
- लूका 01:64-66
- लूका 19:37-38
- मत्ती 11:25-27
- मत्ती 15:29-31
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 12:13 इस्राईलियों ने बहुत ख़ुश होकर ख़ुशी मनाया क्योंकि ख़ुदा ने उन्हें मौत व ग़ुलामी से बचाया! अब वह ख़ुदा की इबादत करने की लिये आज़ाद थे |
- 17:08 जब दाऊद ने यह लफ़्ज़ सुने, उसने फ़ौरन ही ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी किया और उसकी हम्द की, क्योंकि ख़ुदा ने दाऊद से अज़ीम इज़्ज़त और बहुत सी बरकतों का वा’दा किया था |
- 22:07 तब ज़करियाह ने कहा कि, “ख़ुदावन्द ख़ुदा हम्द, क्योंकि उसने अपने लोगों पर नज़र की और उनका छुटकारा किया है |
- 43:13 और ख़ुदा की हम्द करते हुए ख़ुशी करते थे और वे हर चीज़ एक दुसरे से बाटते थे |
- 47:08 उन्होंने पौलुस और सीलास को क़ैदख़ाने के सबसे हिफ़ाज़ती हिस्से में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था| फिर भी आधी रात को पौलुस और सीलास दुआ करते हुए ख़ुदा की हम्द गा रहे थे |
शब्दकोश:
- Strong's: H1319, H6953, H7121, H7150, G1229, G1256, G2097, G2605, G2782, G2783, G2784, G2980, G3853, G3955, G4283, G4296
हरामकारी ,हरामकार बदकार, हराम्कारियाँ ,हराम्कारियों ,हरामकारनी
ता'अर्रुफ़:
"हरामकार" ,यहाँ तक कि शादी शुदा आदमी के ज़रिये शादी की हदों से बाहर जिस्मानी रिश्ता बनाने का गुनाह दोनों ही हरामकारी के मुजरिम हैं हरामकारी ,ऐसा सुलूक या ऐसा गुनाह करने वाला आदमी
- "हरामकारी" क्या हैं, हाराम्कारी करने वाले आदमी के बारे में
- ज़ानी, हरामकारी करने वाली औरत के बारे में
- हरामकारी -शौहर-बीवी के ज़रिए शादी में किए गए वादों को तोड़ना है
- ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हरामकारी नहीं करने का हुक्म दिया
- "हरामकारों" ,नए तौर से इस्राईल के लिए काम में लिया गया है जब वह ख़ुदावन्द के ख़ुदा परस्त नहीं होते थे ख़ास करके जब वह झूठे ख़ुदा की इबादत करते थे
तर्जुमा की सलाह:
- अगर मुश्किल ज़बान में "हरामकारी" का तर्जुमा है तो इसका तर्जुमा एक ही तरह से किया जा सकता है , किसी और की बीवी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना , या "किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ नाजायज़ रिश्ता बनाना"
- कुछ ज़बानों में "हरामकारी" को साफ़ तौरसे इबयान नहीं किया जाता है जैसे , किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ सोना , या अपनी बीवी से दग़ाबाज़ी करना (देखें)
- जब '' हरामकारी '' का इस्तेमाल किसी मुनासिब मतलब में किया जाता है, तो धोकेबाज़ शौहर /बीवी के साथ तुलना की जा रही उनके हुक्म न मानने वाले लोगों के बारे में ख़ुदावन्द के ख़्यालों के बारे में बयान करने के लिए, यह सबसे अच्छा तर्जुमा करना है अगर यह सही ज़बान में सही ढंग से नहीं बयान किया जाए, तो "हरामकारी" का मुनासिब इस्तेमाल "धोकेबाज़ी" या "बुराई" या "दगाबाज़ शौहर की तरह" के शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखे: \ हवाले करना, [’अहद](#ur-deva-’अहद), [ज़िनाकारी](#ur-deva-ज़िनाकारी), \ के साथ रिश्ते थे, \ ईमानदार)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ज़बूर 20:12-14
- होशे’अ 0 4:1-2
- लूका 16:18
- मत्ती 05:27-28
- मत्ती 12:38-40
- मुक़ाश्फा 02:22-23
कलाम की कहानियों से मिसाल:
- 13:06 "तू हरामकारी न करना।
- __28:02 ज़िनाकारी मत करना
- 34;07 मज़हबी रहनुमाओं ने अपने दिल में इस तरह दुआ की , ऐ खुदावन्द मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि मैं दूसरे आदमी की तरह अंधेर करने वाला ना इंसाफ़ी और __हरामकारी नहीं और न इस महसूल लेने वाले की तरह हूँ
शब्दकोश:
- Strong's: H5003, H5004, G3428, G3429, G3430, G3431, G3432
हल, हल चलाना, हल चलाया, हल जोतने, हलवाहों, जोतनेवाला, किसान, हल की फाल, अजोत
ता’अर्रुफ़:
“हल” खेत में ज़मीन जोतने का औज़ार होता है।
- हल में नुकीली टिंगलियां होती है जिनसे ज़मीन खुदती है। उनका एक डंडा होता है जिसे पकड़कर किसान उसे सीधा रखता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में हल बैलों या और जानवरों के ज़रिये खींचा जाता है।
- हल ज़्यादातर सख़्त लकड़ी के होते थे जिनके फल तांबे या लोहे के होते थे।
(यह भी देखें: पीतल, गाय)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 समूएल 08:10-12
- इस्तिसिना 21:3-4
- लूका 09:61-62
- लूका 17:7-8
- ज़ुबूर 141:5-7
शब्दकोश:
- Strong's: H406, H855, H2758, H2790, H5215, H5647, H5656, H5674, H6213, H6398, G722, G723
हलाक हो, हलाक हुए, हलाक हो रहे, हलाकत
ता’अरुफ़:
“हलाक होना” का मतलब है मरना या बर्बाद होना, अक्सर तशद्दुद के ज़रिये’या ग़ज़ब के ज़रिये’ किताब-ए-मुक़द्दस में इसका मतलब है दोज़ख़ में हमेशा के लिए सज़ा पाना |
- “हलाक होने वाले” आदमी वह है जिनके लिए यह दोज़ख़ मुक़र्रर हैं क्योंकि उन्होंने अपने नजात के लिए ‘ईसा पर ‘ईमान लाने से इन्कार किया है।
- यूहन्ना 3:16 की ता’लीम के मुताबिक़ “हलाक होना” या’नी हमेशा के लिए अदन में न होना।
तर्जुमे की सलाह :
- मज़मून पर मुनहसिर इसके तर्जुमे हो सकते हैं “हमेशा कीमौत ” या “दोज़ख़ की सज़ा भुगतना ” या “हलाक होना”।
- तय करें कि “हलाक होने” का मतलब है, हमेशा के लिए दोज़ख़ में होना न कि केवल “मुस्तक़बिल में ख़त्म होना”
(यह भी देखें: मरना, अबदियत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 01:22-23
- 2 कुरिन्थियों 02:16-17
- 2 थिस्सलुनीकियों 02:8-10
- यारमियाह 18:18-20
- ज़ुबूर 049:18-20
- ज़करियाह 09:5-7
- ज़करियाह 13:8-9
शब्दकोश:
- Strong's: H6, H7, H8, H1478, H1820, H5486, H5595, H6544, H8045, G599, G622, G684, G853, G1311, G2704, G4881, G5356
हलीम, हलीम, हलीम बनाया, हलीमी
ता’अर्रुफ़:
“हलीम” लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया जाता है जो अपने आपको औरों से बड़ा नहीं समझता है। वह न तो घमण्डी है न मग़रूर है। हलीमी हलीम होने की खुसीसियतहै।
- ख़ुदा के सामने हलीम होने का मतलब है ख़ुदा की बड़ाई, अक़्ल और कामिलियत के सामने अपने आप की कमज़ोरी और नाकामिलियत को समझना।
- इन्सान अगर हलीम बने तो वह ख़ुद को कम हैसियत के मक़ाम में रखता है।
- हलीमी का मतलब है अपने से ज़्यादा दूसरों की ज़रूरत की ख़बर लेना।
- हलीमी का मतलब यह भी है कि अपने ने’मतों तथा क़ाबिलियत के इस्ते’माल के वक़्त किसी की ख़िदमत में हदों का ‘अमल करना।
“हलीम बनो” का तर्जुमा, “मग़रूर न होना” हो सकता है।
- “ख़ुदा के सामने हलीम बनो” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई को क़ुबूल करके अपनी मर्ज़ी से ख़ुदा के ताबे’ कर दो”।
(यह भी देखें: घमण्ड
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- या’क़ूब 01:19-21
- या’क़ूब 03:13-14
- या’क़ूब 04:8-10
- लूक़ा 14:10-11
- लूक़ा 18:13-14
- मत्ती 18:4-6
- मत्ती 23:11-12
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 17:02 दाऊद एक बहुत ही हलीम व रास्तबाज़ आदमी था, जो ख़ुदा के हुक्मों का फ़रमाबरदारी करता था।
- 34:10 “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह(ख़ुदा)हलीम करेगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”
शब्दकोश:
- Strong's: H1792, H3665, H6031, H6035, H6038, H6041, H6800, H6819, H7511, H7807, H7812, H8213, H8214, H8215, H8217, H8467, G858, G4236, G4239, G4240, G5011, G5012, G5013, G5391
हलीम, हलीमी
ता’अर्रुफ़:
“हलीम” लफ़्ज़ उस शख़्स को बताता है जो मूतमइन, नर्म, और ना इंसाफ़ी का सहनेवाला है। हलीमी ख़ाकसारी की क़ूव्वत है जब सख्ती और ताक़त का इस्ते'माल किया जाए।
- हलीमी हमेशा ख़ाकसारी के साथ जुड़ी रहती है।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “शरीफ़” या “मीठी” या “नर्म अन्दाज़ी” किया जा सकता है।
- “हलीमी” का तर्जुमा “शराफ़त” या “ख़ाकसारी” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: हलीम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 पतरस 03:15-17
- 2 कुरिन्थियों 10:1-2
- 2 तीमुथियुस 02:24-26
- मत्ती 05:5-8
- मत्ती 11:28-30
- ज़बूर 037:11-13
शब्दकोश:
- Strong's: H6035, H6037, H6038, G4235, G4236, G4239, G4240
हाकिम ,हाकिमों
ता’अर्रुफ़:
“हाकिम”लफ़्ज़ किसी क़ौम के सबसे ख़ास रहनुमा का इल्म कराता है |
- इसकी मिसाल हैं ,”हाकिम मौसीक़ी कार”,”हाकिम काहिन “,और चुंगी लेने वालों का हाकिम “और “हाकिम बादशाह “|
- इसका इस्ते’माल घर के ज़िम्मेदार के लिए भी किया जा सकता है जैसा पैदाइश बाब 36 में कुछ आदमियों को क़बीले को “हाकिमों” कहा गया है| इस बारे में “हाकिम”का तर्जुमा “रहनुमा” या “पेशवा बाप”हो सकता है|
इस्म की शक्ल में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “पेशवा” या “बादशाह “ किया जा सकता है जैसे “पेशवा बजाने वाला “ या “ओहदे दार काहिन “|
(यह भी देखें: हाकिम काहिनो, काहिन, जज़िया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- दानीएल 01:11-13
- हिज़क़ीएल 26:15-16
- लूका 19:1-2
- नग़मा 004:1
शब्दकोश:
- Strong's: H47, H441, H5057, H5387, H5632, H6496, H7218, H7225, H7227, H7229, H7262, H8269, H8334, G749, G750, G754, G4410, G4413, G5506
हाकिम, क़ानून, क़ानूनी, हाकिम, हाकिमों, फैसलों, फैसलों, नामंजूर कर दिया
ता’अर्रुफ़:
“हाकिम” ‘आमतौर पर एक आदमी जो दीगर लोगों पर इख़्तियार रखता है, जैसे किसी मुल्क, बादशाही, या मज़हबी क़बीले का रहनुमा| एक हाकिम वह है जो "‘अहदनामे" और उसका इख़्तियार उसका "क़ानून" है।
पुराने ‘अहदनामे में बादशाह को भी हाकिम कहा जाता था जैसे इस जुमले में है, “इस्राईल पर हाकिम ठहराया”
ख़ुदा को सबसे बड़ा बादशाह कहा गया है जो बादशाहों का बादशाह है।
नये ‘अहदनामे में ‘इबादतख़ाने के रहनुमा को सरदार कहा गया है।
नये ‘अहदनामे में एक और हाकिम था जिसे हाकिम कहा गया है।
मज़मून पर मुनहस्सिर “हाकिम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “रहनुमा” या “इख़्तियार रखनेवाला इन्सान” किया जा सकता है।
“हुकूमत करने” के काम का मतलब है, “रहनुमाई करना” या “किसी पर इख़्तियार रखना”। इसका मतलब वही है जैसे “बादशाही करना” जब बादशाह के बारे में होता है।
(यह भी देखें: इख़्तियार, हुकूमत करना, बादशाह, 'इबादतख़ाना)
किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 03:17-18
- रसूलों के ‘आमाल 07:35-37
- लूक़ा 12:11-12
- लूक़ा 23:35
- मरकुस 10:41-42
- मत्ती. 09:32-34
- मत्ती. 20:25-28
- तीतुस 03:1-2
शब्दकोश:
- Strong's: H995, H1166, H1167, H1404, H2708, H2710, H3027, H3548, H3920, H4043, H4410, H4427, H4428, H4438, H4467, H4474, H4475, H4623, H4910, H4941, H5057, H5065, H5387, H5401, H5461, H5715, H6113, H6213, H6485, H6957, H7101, H7218, H7287, H7300, H7336, H7786, H7860, H7980, H7981, H7985, H7989, H7990, H8199, H8269, H8323, H8451, G746, G752, G755, G757, G758, G932, G936, G1018, G1203, G1299, G1778, G1785, G1849, G2232, G2233, G2525, G2583, G2888, G2961, G3545, G3841, G4165, G4173, G4291
हाथ, हाथों, हाथ किया, सौपना, के ज़रिए’, पर हाथ रखना, पर हाथ लगाता, दाहिना हाथ, दाहिने हाथ, के हाथ से
ता’अर्रुफ़:
“हाथ” को किताब-ए-मुक़द्दस में मुख़तलिफ़ तरीक़ों से ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है|
- किसी के “हाथ” में कुछ देने का मतलब है, कोई चीज़ किसी इन्सान के हाथ पर रख देना।
- लफ़्ज़ “हाथ” को अक्सर ख़ुदा की क़ुव्वत और ‘अमल के बारे में इस्ते’माल हुआ है, जैसे जब ख़ुदा कहता है “क्या मेरा हाथ उन सब चीज़ों के लिए नहीं है” (देखें: मो’तबर
- इज़हार जैसे “को पकड़वाया” या “के हाथों में कर दिया जाएगा” का मतलब है किसी के ताबे’ या इख़्तियार में किसी को देना।
-
“हाथ” के और ‘अलामती इस्ते’माल हैं।
-
“हाथ डालना” या’नी “नुक़सान पहुँचाना।”
- “हाथों से बचाना” किसी को किसी के नुक़सान से बचाना।
- “दायें तरफ़” होने की हैसियत होना का मतलब “दाहिनी तरफ़” या “के दायें”|
-
इज़हार “के हाथ के ज़रिए’” मतलब “से” या “ज़रिए’” किसी इन्सान के ‘अमल के बारे में है| मिसाल के तौर पर, “ख़ुदा के हाथों के ज़रिए’” या’नी ख़ुदा वही है जो सबकुछ करने का ज़रिया’ है|
-
हाथों को किसी पर रखना अक्सर उस शख़्स को बरकत देते वक़्त ऐसा किया जाता है|
- लफ़्ज़ “हाथों के रखने” का मतलब है किसी को ख़ुदा की ख़िदमत में सुपुर्द करने के लिए या अच्छे होने की दु’आ करने के लिए।
- जब पौलुस कहता है, “पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ” या’नी ख़त का वह हिस्सा उसके ज़रिए’ लिखा गया है न कि बोलकर किसी से लिखाया गया।
तर्जुमे की सलाह
- ये इज़हार और अजज़ा-ए-कलाम का तर्जुमा और ‘अलामती इज़हार के ज़रिए’ किया जा सकता है जो एक जैसे मतलब के हों| या मतलब को सीधे अलफ़ाज़ का इस्ते’माल करके तर्जुमा किया जा सकता है।
- इज़हार "उसे तूमार सौंप दिया" भी तर्जुमा किया जा सकता है "उसे तूमार दिया" या "तूमार को उसके हाथ में रख दिया।" यह उसे मुस्तक़िल तौर पर नहीं दिया गया था, लेकिन उस वक़्त इस्ते’माल करने के मक़सद से दिया गया था।
- जब "हाथ" इन्सान के बारे में बताता है, जैसे "ख़ुदा के हाथों ने ऐसा किया," तब इसका तर्जुमा "ख़ुदा ने यह किया" किया जा सकता है|
- एक इज़हार जैसे कि "उन्हें अपने दुश्मनों के हाथों में डाल दिया" या "उन्हें अपने दुश्मनों को सौंप दिया," का तर्जुमा किया जा सकता है, "उनके दुश्मनों को उन्हें जीतने की इजाज़त दी" या "उन्हें अपने दुश्मनों के ज़रिए’ पकड़ा गया" या "उनके दुश्मनों को उन पर इख़्तियार हासिल करने के लिए ताक़तवर बनाया।"
- "हाथ से मरने" के लिए का तर्जुमा किया जा सकता है "ज़रिए’ मारा जाएगा।"
- इज़हार "दाहिने हाथ पर" लफ़्ज़ का तर्जुमा "के दाहिनी ओर" के तौर में किया जा सकता है।
- ‘ईसा के बारे में "ख़ुदा के दाहिने ओर पर बैठा", अगर यह उस ज़बान में इसे बड़ी ‘इज़्ज़त और बराबर इख़्तियार की हालत का हवाला नहीं देता है, तो उस मतलब के साथ एक अलग इज़हार का इस्ते’माल किया जा सकता है। या एक छोटी तफ़सील को जोड़ा जा सकता है: “ऊँचे इख़्तियार की हालत में, ख़ुदा के दाहिने तरफ़|”
(यह भी देखें: मुखालिफ़, बरकत, क़ैदी बनाना, ‘इज़्ज़त, क़ुव्वत
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के ‘आमाल 07:22-25
- रसूलों के ‘आमाल 08:14-17
- रसूलों के ‘आमाल 11:19-21
- पैदाइश 09:5-7
- पैदाइश 14:19-20
- युहन्ना 03:34-36
- मरकुस 07:31-32
- मत्ती 06:3-4
शब्दकोश:
- Strong's: H405, H2026, H2651, H2947, H2948, H3027, H3028, H3225, H3231, H3233, H3709, H7126, H7138, H8040, H8042, H8168, G710, G1188, G1448, G1451, G1764, G2021, G2092, G2176, G2902, G4084, G4474, G4475, G5495, G5496, G5497
हाबिल
सच्चाई:
हाबिल आदम और हव्वा का दूसरा बेटा था | काइन का छोटा भाई था |
- हाबिल एक चरवाहा था |
- हाबिल ने अपने जानवरों में से एक की क़ुर्बानी ख़ुदावन्द को पेश की थी |
- ख़ुदावन्द हाबिल और उसकी क़ुर्बानी से ख़ुश हुआ था |
- आदम और हव्वा के पहलौठे काइन ने हाबिल को क़त्ल कर दिया था |
(तर्जुमा का तरीक़ा --नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: क़ाइन क़ुर्बानी करना चरवाहे)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में
- पैदाइश 04:1-2
- पैदाइश 04:8-9
- इब्रानियों 12:22-24
- लूक़ा 11:49-51
- मत्ती 23:34-36
शब्दकोश:
हाम
सच्चाई:
हाम नूह के तीन बेटों में से दूसरा था।
- पूरी दुनिया को ढंकने वाली दुनिया भर में बाढ़ के दौरान, हाम और उसके भाई नूह के साथ किश्ती में अपनी बीवियों के साथ थे।
- बाढ़ के बा’द, एक मौक़ा था जहां हाम अपने बाप, नूह के लिए बहुत शर्मनाक था। नतीजन, नूह ने हाम के बेटे कना’न और उसकी सभी नसलों को बद्दु’आ दी, जो आख़िरकार कना’नियों के नाम से जाने जाते थे।
(तर्जुमे की सलाह: \ नामों का तर्जुमा कैसे करें
(यह भी देखें: जहाज़, कना’न, नक़दरी, नूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 05:32
- पैदाइश 06:9-10
- पैदाइश 07:13-14
- पैदाइश 10:1
- पैदाइश 10:19-20
शब्दकोश:
हामिला , हमल, हामिला , हमला होना
ता’अर्रुफ़:
“हामिला” या “हामिला होना” के मा’नी हैं “औलाद को हमल में रखना” यह लफ़्ज़ जानवरों के लिए भी काम में लिया जा सकता है।
- “हामिला होना” का तर्जुमा “हामिला का होना ” या इसके जैसा कोई लफ़्ज़ हो तो उसका इस्ते’माल करें।
- इससे जुड़े लफ़्ज़ “हामिला होना”का तर्जुमा “हमल की शुरूआत”या हामिले का वक़्त “
इसका बयान किसी बात का करना या ख़्याल करना जैसे बनाना ,मंसूबा या काम से भी हो सकता है | इसके तर्जुमे की शक्लें हो सकती हैं, “ख़्याल करना ” या “मंसूबा बनाना” या “बनाना ” जो मज़मून के जैसा हो।
- कभी-कभी यह लफ़्ज़ ‘अलामती शक्ल में काम में लिया जाता है जैसे ख़्वाहिश हामिला होकर गुनाह को पैदा करती है या’नी“जब गुनाह का पहला ख़्याल आता है” या “गुनाह का शुरूआती वक़्त ” या “जब गुनाह की शुरूआत होती है”।
(यह भी देखें: पैदा करना, रिहम)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 21:1-4
- होसे’अ 02:4-5
- अय्यूब 15:34-35
- लूका 01:24-25
- लूका 02:21
शब्दकोश:
- Strong's: H2029, H2030, H2032, H2232, H2254, H2803, H3179, G1080, G1722, G2602, G2845, G4815
हिदायत, हिदायत देता , हिदायत दिए, हिदायत देते रहना, , हुक्म, हुक्म देने वाला
सच्चाई:
"हुक्म" और "हिदायत" लफ़्ज़ों के बारे किसी काम को करने के पुख़्ता हुक्म है।
- “हुक्म” देने से मतलब किसी को बताना कि वह ख़ास करके क्या काम करे।
- जब 'ईसा ने अपने शागिर्दों को रोटी और मछलियाँ दी कि लोगों में बांट दें तब उसने उन्हें ख़ास हुक्म दिए कि कैसे करना है।
- जुमलों के मुताबिक़ “हुक्म” लफ़्ज़ का तर्जुमा “कहना” या “हुक्म देना” या “ता'लीम देना” या “हुक्म देना” भी किया जा सकता है।
- “हुक्म” देने का तर्जुमा “हुक्म” या “समझाना” या “उसने जो कहा है उसे करना” किया जा सकता है।
- जब ख़ुदावन्द हुक्म देता है तब उसका तर्जुमा “फ़रमान” या “हुक्म” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: हुक्म, फ़ैसला, सिखाना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- ख़ुरूज 14:4-5
- पैदाइश 26:4-5
- 'इब्रानियों 11:20-22
- मत्ती 10:5-7
- मत्ती 11:1-3
- अम्साल 01:28-30
शब्दकोश:
- Strong's: H241, H376, H559, H631, H1004, H1696, H1697, H3256, H3289, H3384, H4148, H4156, H4687, H4931, H4941, H5657, H6098, H6310, H6490, H6680, H7919, H8451, H8738, G1256, G1299, G1319, G1321, G1378, G1781, G1785, G2322, G2727, G2753, G3559, G3560, G3614, G3615, G3624, G3811, G3852, G3853, G4264, G4367, G4822
हुक्म,हुक्मों ,हुक्म दिया,हुक्म,ख़ुदा का हुक्म
ता’अर्रुफ़:
“हुक्म देना”या’नी किसी को कुछ करने का हुक्म देना | “हुक्म” इन्सान को दिया गया हुक्म है|
अगरचे इन लफ़्ज़ों के बुनियादी तौर पर एक ही मा’नी हैं ,”हुक्म” अक्सर ख़ुदा के कुछ ज़रूरी हुक्मों को बताता है जो ज़्यादा सख़्त और मुस्तहकम हैं,जैसे “दस हुक्म’|
- हुक्म अस्बाती हो सकता है (अपने माँ -बाप की इज्ज़त करना) “या न मंज़ूरी करना (“चोरी मत कर”)
- “हुक्म हाथ में लेना” या’नी“इख़्तियार संभालना” या किसी काम या इन्सान की ज़िम्मेदारी संभालना”।
तर्जुमे की सलाह:
- “इन्तिज़ाम ” लफ़्ज़ का तर्जुमा अलग मा’नी में किया जाना सबसे अच्छा है। “हुक्म” और “फ़रमान” की ता’रीफ़ से भी इसकी बराबरी करें।
- कुछ मुतर्जिम अपनी ज़बान में एक ही लफ़्ज़ के ज़रिए’ हुक्म और ख़ुदा के हुक्म का तर्जुमा करना पसंद कर सकते हैं।
- और मुतर्जिम ख़ुदा के हुक्म के लिए एक ख़ास लफ़्ज़ का इस्ते’माल करना पसंद कर सकते हैं, जो कि मुक़ामी, सख़्त हुक्मो को जो ख़ुदा ने बनाए हैं।
(देखें: फ़ैसला, तरीक़ा, क़ानून, दस हुक्म)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- लूका 01:5-7
- मत्ती 01:24-25
- मत्ती 22:37-38
- मत्ती 28:20
- गिनती 01:17-19
- रोमियो 07:7-8
शब्दकोश:
- Strong's: H559, H560, H565, H1696, H1697, H1881, H2706, H2708, H2710, H2941, H2942, H2951, H3027, H3982, H3983, H4406, H4662, H4687, H4929, H4931, H4941, H5057, H5713, H5749, H6213, H6310, H6346, H6490, H6673, H6680, H7101, H7218, H7227, H7262, H7761, H7970, H8269, G1263, G1291, G1296, G1297, G1299, G1690, G1778, G1781, G1785, G2003, G2004, G2008, G2036, G2753, G3056, G3726, G3852, G3853, G4367, G4483, G4487, G5506
हेरोदियास
सच्चाई:
हेरोदियास यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के वक़्त में यहूदिया के हेरोदेस अन्तिपास की बीवी थी।
- हेरोदियास हक़ीक़त में अन्तिपास के भाई फ़िलिप की बीवी थी लेकिन नाजायज़ शादी करके वह हेरोदेस अन्तिपास के साथ आ गई थी।
- यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला हेरोदेस और हेरोदियास को उनके नाजायज़ शादी के लिए झिड़़कता था। इस वजह हेरोदेस ने यूहन्ना को क़ैदी बना लिया था और बा’द में उसका सिर कटवा दिया।
(यह भी देखें: हेरोदेस अन्तिपास, यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला))
किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:
- लूक़ा 03:18-20
- मरकुस 06:16-17
- मरकुस 06:21-22
- मत्ती 14:3-5
शब्दकोश:
हैकल
सच्चाई:
हैकल पर कोटे से घिरा हुआ एक मकान था जहां इस्राईली दुआ करने और क़ुर्बानी पेश करने आते थे। यह हैकल मोरिय्याह पहाड़ पर यरूशलीम शहर में था।
- हैकल लफ़्ज़ पूरे हैकल ‘इलाक़े के बारे में काम में लिया जाता था जिसमें ख़ास मकान का घिरा हुआ मैदान भी था। कभी-कभी यह केवल मकान के बारे में काम में लिया गया है।
- हैकल के दो हिस्से थे, पाक जगह और मुक़द्दस जगह
- ख़ुदा हैकल को अपना घर कहता था।
- बादशाह सुलैमान ने अपने शाही वक़्त के दौरान हैकल को ता’मीर किया। यह यरूशलीम में इबादत की मुक़र्रर जगह माना जाता था।
- नये ‘अहद नामे में कहा गया है, “रूह-उल-कुद्दूस काहैकल ” तो वह इमानदारों के झुण्ड का हवाला देता है क्योंकि पाक रूह उनमें रहता है।
तर्जुमे की सलाह :
- हैकल में इन्सानों की मौजूदगी की जब चर्चा की गई है तो इसका मतलब है कि वे मकान के बाहर मैदान में थे। इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “हैकल के आंगनों में” या “हैकल के मैदान में”।
- जब मकान की चर्चा की जा रही हो तो कुछ ज़बानों में इसका तर्जुमा होगा, “हैकल में” या “हैकल के मकान में” कि साफ़ समझ में आए।
- “हैकल ” तर्जुमे की शक्ल में “ख़ुदा का पाक घर” या “पाक इबादतकी जगह ” किया जा सकता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में हैकल का बयान “यहोवा काघर ” या “ख़ुदा का घर” से है।
(यह भी देखें: क़ुर्बानी करना, सुलैमान, बाबुल, पाक रूह, ख़ेमा, सहन, सिय्योन, घर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- रसूलों के 'आमाल 03:1-3
- रसूलों के 'आमाल 03:7-8
- हिज़क़ीएल 45:18-20
- लूका 19:45-46
- नहमियाह 10:28-29
- ज़ुबूर 079:1-3
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 17:06 दाऊद चाहता था कि वह एक हैकल की ता’मीर करे जिसमें सभी इस्राईली ख़ुदा की इबादत करें और क़ुर्बानी पेश करें |
- 18:02__यरुशेलीम में, सुलैमान ने अपने बाप के मनसूबे के मुताबिक़ एक __घर बनाने का फ़ैसला किया और उसके लिए समान इकठ्ठा किया | अब लोग सुलह के ख़ेमे की जगह पर उस घर में ख़ुदा की इबादत करते और क़ुर्बानी पेश करते थे ख़ुदा घर में मौजूद था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था |
- 20:07 उन्होंने यरूशलीम को जीत लिया, हैकल को बर्बाद कर दिया, और शहर व हैकल की सभी क़ीमती चीज़ों को उनसे छीन कर ले गए |
- 20:13 जब वह लोग वापस यरूशलीम लौटे, उन्होंने हैकल और साथ ही शहर की आस पास की दीवारों की भी फिर से ता’मीर किया |
- 25:04 तब शैतान ‘ईसा को हैकल के ऊँची जगह पर ले गया और उससे कहा, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने फ़रिश्तों को हुक्म आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |'"
- 40:07 जैसे ही ‘ईसा की मौत हुई, वहा भूकंप आया और हैकल का बड़ा परदा जो इन्सानों को ख़ुदा की मौजूदगी से दूर रखता था ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया |
शब्दकोश:
- Strong's: H1004, H1964, H1965, H7541, G1493, G2411, G3485
होशियार , ललकारना , बेचैन होना
सच्चाई:
होशियार , का मतलब है किसी ख़तरनाक नुक़सान के बारे में होशियार करना “घबरा जाना” किसी खतरनाक या डरावनी बात से हैरान और खौफ़ज़दः होना।
- बादशाह यहूशफ़त मोआबियों के ज़रिए' यहूदा पर हमला करने के इरादे के बारे में सुनकर घबरा गया था।
- ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि जब वह आख़िरी दिनों में मुसीबतों की बातें सुनें तो घबराएं नहीं।
- तुरहियों को साँस बाँधकर फूँकना” या;नी ख़बरदार करना। पुराने ज़माने में तुरहियों को साँस बाँधकर फूँक कर बजाकर ख़बरदार करता था।
तर्जुमा की सलाह:
किसी को बेचेनकर देना” या'नी “किसी को हैरान करना” या “किसी को परेशानी में डाल देना”।
- घबराना का तर्जुमा हो सकता है, “हैरान होना” या “डर जाना” या “बहुत परेशान हो जाना”।
- तुरहियों को साँस बाँधकर फूँकना” का तर्जुमा “आम ख़बरदारी” या परेशानी के आने का ऐलान या “खतरे के बारे में ख़बरदारी देने के लिए तुरही फूंका”।
(यह भी देखें: यहूसफ़त, मोआब)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- दानिएल 11:44-45
- यरमियाह 04:19-20
- गिनती 10:9
शब्दकोश:
क़ुसूर, क़ुसूरों, धोका किया
ता’अर्रुफ़:
“क़ुसूर” का मतलब है कानूनों की ख़िलाफ़ वर्ज़ी करना या किसी इन्सान के इख्तियारों पर क़ब्ज़ा करना। “क़ुसूर” करने के काम को "क़ब्ज़ा " कहते है।
- क़ुसूर एख़्लाक़ी या शहरी क़ानूनों का तोडना हो सकता है या किसी इन्सान के ख़िलाफ़ में गुनाह करना।
- इस लफ़्ज़ का ता’अल्लुक़ “गुनाह ” और “क़ुसूर” लफ़्ज़ों से है, ख़ास करके जब यह ख़ुदा के हुक्म न मानने के बारे में हो।
- सब गुनाह ख़ुदा के ख़िलाफ़ क़ुसूर हैं।
तर्जुमे की सलाह:
- बयान के मुताबिक़ "तेरा क़ुसूर " का तर्जुमा हो सकता है "तेरे ख़िलाफ़ गुनाह " या “क़ानून तोड़ना” हो सकता है।
- कुछ ज़बानों में मुहावरे हो सकते हैं जैसे “हद पार करना”, “क़ुसूर” के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- देखें कि यह लफ़्ज़ किताब-ए-मुक़द्दस में इसके मज़मून के मतलब के साथ कैसे मिलता है और इसकी बराबरी और एक जैसे लफ़्ज़ों के साथ करें जैसे “क़ुसूर करना” और “गुनाह करना”।
(यह भी देखें: [ नाफ़रमानी करना, ग़लती, गुनाह, तजावुज़ करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 समूएल 25:27-28
- 2 तवारीख़ 26:16-18
- कुलुस्सियों 02:13-15
- इफिसियों 02:1-3
- हिज़क़ीएल 15:7-8
- रोमियो 05:16-17
- रोमियो 05:20-21
शब्दकोश:
- Strong's: H816, H817, H819, H2398, H4603, H4604, H6586, H6588, G264, G3900
क़ुसूर , जुर्मों, बदकार , ख़ताकार लोग
ता’अर्रुफ़:
“क़ुसूर” हमेशा गुनाह का बयान देता है जिसमें मुल्क का क़ानून तोड़ना भी होता है। “बदकार ” या’नी ख़ता करनेवाला।
- जुर्म अनेक तरह के होते हैं जैसे आदमी का क़त्ल करना या चोरी करना।
- मुजरिम को पकड़ कर बन्दी बनाया जाता है और क़ैद ख़ाने में रखा जाता है।
- कलाम-ए-मुक़द्दस के ज़माने में कुछ मुजरिम भगोड़े होते थे। वे जगह-जगह भागते फिरते थे कि उनके जुर्म का बदला लेने वालों से बचे”।
(यह भी देखें: चोर)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 तीमुथियुस 02:8-10
- होसे’अ 06:8-9
- अय्यूब 31:26-28
- लूका 23:32
- मत्ती 27:23-24
शब्दकोश:
- Strong's: H2154, H2400, H4639, H5771, H7563, H7564, G156, G1462, G2556, G2557, G4467
क़ौम, लोगों, लोग, एक ‘अवाम
ता’अर्रुफ़:
“लोगों” या “क़ौम” या’नी एक ही ज़बान और तहज़ीब के लोग। * “लोग” लफ़्ज़ अक्सर किसी जगह में या किसी ख़ास वारदात पर आदमियों का इकठ्ठा होना।
- जब ख़ुदा अपने लिए “एक कौम ” को चुन लेता है तो उसका मतलब है कि उसके लिए और उसकी ख़िदमत के लिए ख़ास इन्सानों को चुन लेना।
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में किसी क़ौम के अफ़राद के बाप दादा एक ही थे और किसी ख़ास जगह में या ज़मीन के हिस्से में रहते थे।
- मज़मून पर मुनहसिर करके “तेरे लोग” का मतलब हो सकता है, “तेरी क़ौम” या “तेराघराना ” या “तेरेलोग ”।
- लफ़्ज़“लोगों” ज़मीन के सब लोगो के बारे में है। कभी-कभी इसका बयान ख़ास करके ग़ैर इस्राईलियों या उन लोगों से होता है जो यहोवा की ख़िदमत नहीं करते। कुछ अंग्रजी कलामी मज़हबों में “नेशन्स(क़ौम)” का मक़सद यही है।
तर्जुमे की सलाह:
- “क़ौम” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बड़ा क़बीला ” या “क़बीला ” या “नसली ”।
- “मेरे लोग ” का तर्जुमा हो सकता है, “मेरे चुने लोग ” या “मेरे इस्राईली भाई” या “मेरा घराना ” या “मेरी क़ौम के लोग” लेकिन यह मज़मून पर मुनहसिर करेगा।
- “ग़ैर क़ौमों में तितर-बितर” का तर्जुमा हो सकता है, “तुम्हें तमाम क़ौमों में रहने पर मजबूर कर दूंगा” या “तुम्हें अलग-अलग करके दुनिया के तमाम ‘इलाकों में भेज दूंगा”।
- “क़ौम - क़ौम” या “ग़ैर क़ौमें” का तर्जुमा हो सकता है, “दुनिया के सब लोग” या “सब कौमें ” लेकिन मज़मून पर मुनहसिर करके।
- “एक क़ौम” का तर्जुमा हो सकता है “एक झुण्ड के लोग” या “नसल ” या “घराना ” यह तय करेगा कि वह किसी जगह या आदमी के नाम के पीछे है।
- “ज़मीन के सब लोगों” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़मीन पर रहने वाला हर एकइन्सान ” या “दुनिया का हर एकआदमी ” या “सब लोग”।
- “एक ऐसी क़ौम” इसका तर्जुमा हो सकता है, “एकलोगों का झुण्ड ” या “एक ख़ास क़ौम” या “आदमियों का एक झुण्ड ” या “लोगों का घराना ”
(यह भी देखें : नसल, क़ौम, क़बीला, दुनिया
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 08:51-53
- 1 शमूएल 08:6-7
- इस्तिसना 28:9-10
- पैदाइश 49:16-18
- रूत 01:16-18
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 14:02 ख़ुदा ने जो वा’दा इब्राहीम , इसहाक़ और याक़ूब से कियाथा , कि वह वा’दे की ज़मीन उनके बाप दादों को देंगा, लेकिन अब वहाँ बहुत से क़बीले रहते हैं |
- 21:02 ख़ुदा ने इब्राहीम से वा’दा किया कि दुनिया के सारे क़बीले तेरे ज़रिए’ बरकत पाएँगे | यह बरकत तब पूरी होगी जब मसीह आइन्दा आयेगा | यह फ़ज़ल आने वाला मसीह है जो एक दिन हर क़ौम के लोगों के लिए नजात की राह ‘अता करेगा |
- 42:08 “पाक कलाम में यह भी लिखा था कि मेरे शागिर्द ‘ऐलान करेंगे कि हर एक को गुनाहों की मु’आफ़ी पाने करने के लिये तोबा करना चाहिए। वे यरूशलीम से इसकी शुरुआत करेंगे और हर जगह सब कौमों में जायेंगे, तुम इन सब बातों के गवाह हो।”
- 42:10 इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप , औरबेटे , और रूह-उल-कुद्दूस के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिए हैं , मानना सिखाओ। "
- 48:11 क्योंकि इस नये ‘अहद के ज़रिये’ किसी भी कौम का कोई भी आदमी ख़ुदा के चुने हुए लोगों में ‘ईसा पर ईमान करने के ज़रिये’ शामिल हो सकता है।
- 50:03 उसने कहा, “जाओ और सारे क़ौमों को शागिर्द बनाओ!”, "खेत कटनी के लिए पके खड़े हैं!"
शब्दकोश:
- Strong's: H249, H523, H524, H776, H1121, H1471, H3816, H5712, H5971, H5972, H6153, G246, G1074, G1085, G1218, G1484, G2560, G2992, G3793
क़ौम, क़ौमें
ता’अर्रुफ़:
क़ौम एक बड़ी इन्सानी जमा’अत है जो किसी तरह की सरकार के ताबे’ रहती है। एक क़ौम के लोगों के बुज़ुर्ग अक्सर एक ही होते हैं और एक ‘आम क़ौमियत रखते हैं|
- “क़ौम” ‘आम तौर पर ता’रीफ़ शुदा तहज़ीब और ‘इलाक़ाई हुदूद है।
- किताब-ए-मुक़द्दस में “क़ौम” कोई मुल्क (जैसे मिस्र, इथोपिया) हो सकता है लेकिन ‘आम तौर में लोगों की जमा’अत के बारे में होता है, ख़ास करके जमा’ में हो तब। लिहाज़ा मज़मून पर ध्यान देना ज़रूरी है
- किताब-ए-मुक़द्दस में जिन क़ौमों का ज़िक्र किया गया है उसमें इस्राईली, फ़िलिश्ती, अश्शूरी, बाबुली, कना’नी, रोमी और यूनानी और दीगर हैं।
- कभी-कभी “क़ौम” लफ़्ज़ ‘अलामती शक्ल में काम में आया है जो किसी ख़ास क़बीले के बुज़ुर्गों के बारे में है, जैसे रिब्क़ा से ख़ुदा ने कहा था कि उसके पैदा होने वाले बेटे दो “क़ौमें” होंगे जो आपस में लड़ते रहेंगे। इसका तर्जुमा हो सकता है, “दो क़ौमों के रहनुमा” या “दो क़बीलों के बुज़ुर्ग ”।
- जिस लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़ौम” किया गया है उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल कभी-कभी ग़ैरक़ौमों के लिए भी किया जाता है या उन क़बीलों के लिए जो यहोवा की ‘इबादत नहीं करते। मज़मून से इसका मतलब ज़ाहिर हो जाता है।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून पर मुनहस्सिर, “क़ौम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़बीलों” या “लोगों ” या “मुल्क” किया जा सकता है।
- अगर किसी ज़बान में “क़ौम” के लिए इन सब अलफ़ाज़ से अलग कोई लफ़्ज़ है तो किताब-ए-मुक़द्दस में जहां भी यह लफ़्ज़ आता है वहां उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जा सकता है, जब तक कि वह हरएक मज़मून में क़ुदरती और सही है।
- जमा’ लफ़्ज़ “क़ौमों” का भी तर्जुमा “लोगों की जमा’अत” किया जा सकता है।
- कुछ मज़मूनों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ग़ैर-क़ौम” या “ग़ैर यहूदी” किया जा सकता है।
(यह भी देखें:असूर, बाबुल, कना’न, ग़ैर क़ौम, यूनानी, क़ौम, फ़िलिस्तियों, रोम)
## किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:##
- 1 तवारीख़ 14:15-17
- 2 तवारीख़ 15:6-7
- 2 सलातीन 17:11-12
- रसूलों के ‘आमाल 02:5-7
- रसूलों के ‘आमाल 13:19-20
- रसूलों के ‘आमाल 17:26-27
- रसूलों के ‘आमाल 26:4-5
- दानिएल 03:3-5
- पैदाइश 10:2-5
- पैदाइश 27:29
- पैदाइश 35:11-13
- पैदाइश 49:10
- लूक़ा 07:2-5
- मरकुस 13:7-8
- मत्ती 21:43-44
- रोमियो 04:16-17
शब्दकोश:
- Strong's: H249, H523, H524, H776, H1471, H3816, H4940, H5971, G246, G1074, G1085, G1484
ख़ुद, क़ाबू , ख़ुद को क़ाबू किया , ख़ुद पे क़ाबू
ता'अर्रुफ़:
“ख़ुद” गुनाह से बचने के लिए अपने सुलूक को अपने क़ब्ज़े में रखना।
- इसका बयान अच्छे सुलूक से है या’नी गुनाह के ख़्यालों, ज़बान और कामों से बचना।
- ख़ुद रूह-उल-क़ुदुस के ज़रिए' ईमानदारों को दिया गया फल या हुनर है।
- ख़ुदी रखने वाला आदमी किसी ग़लत काम को करने की ख़्वाहिश से अपने आप को रोक लेता है। ख़ुदावन्द ही लोगों को सब्र 'अता करता है।
(यह भी देखें: फल, पाक रूह
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 07:8-9
- 2 पतरस 01:5-7
- 2 तीमुथियुस 03:1-4
- गलातियों 05:22-24
शब्दकोश:
- Strong's: H4623, H7307, G192, G193, G1466, G1467, G1468, G4997
ख़ुदा, ख़ुदाई, बुरा, ख़ुदा की राह , ना क़ाबिल-ए-एतमाद , ख़ुदा परस्ती
ता'अर्रुफ़: ##
“रास्तबाज़ी” लफ़्ज़ उस शख़्स को बयान करता है जो इस तरह के काम करता है जिनसे ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर होता है और ज़ाहिर होता है कि ख़ुदा कैसा है। "’इबादत" ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करके ख़ुदा की 'इज़्ज़त करने का किरदार है।
- ‘इबादत का किरदार रखनेवाला शख़्स पाक रूह के फल ज़ाहिर करता है जैसे, मुहब्बत, ख़ुशी, अमन, सब्र, हलीमी, ख़ुद पर क़ाबू वगैरह ।
- इबादत की ख़ासियतों से पता चलता है कि एक शख़्स में पाक रूह है और उसे अमल करना है।
"बुरा " और "बे बुनियाद " लफ़्ज़ उन लोगों का बयान करते हैं जो ख़ुदा के मुख़ालिफ़ हैं । बुरे रास्ते में रहते हैं ,बिना ख़ुदा के , ग़ैर जानदार , या बे बुनियाद , कहा जाता है |
इन लफ़्ज़ों का मतलब बहुत 'आम है। हालांकि, "ख़ुदा परस्ती" और "बे बुनियाद" एक बहुत गहराई से बयान कर सकते है जिसमें लोग या क़ौम ख़ुदा को क़ुबूल करने या उनके हुकूमत करने का इख्तियार भी क़ुबूल नहीं करते हैं
- ख़ुदा लेकिन फ़ैसला और ग़ुस्से का बयान करता है, जो हर वह शख्स को और उसके तरीकों को क़ुबूल नहीं करता है।
तर्जुमा की सलाह :
- “ख़ुदा परस्त” का तर्जुमा “ख़ुदा के फ़रमाबरदार लोग” या “ख़ुदा के हुक्म मानने वाले लोग” (देखें: ना मुकम्मल
- सिफ़त "ख़ुदा परस्त" का तर्जुमा "ख़ुदा के बारे में फ़रमाबरदारी " या "ईमानदार" या , ख़ुदा को ख़ुश " की शक्ल में किया जा सकता है।
- " ख़ुदा परस्त के तरीक़े से" जुमलों का तर्जुमा "ऐसे तरीक़े से किया जा सकता है जो ख़ुदा पर अमल करता है" या "अमल और लफ़्ज़ों के साथ जो ख़ुदा को ख़ुश करते हैं।"
-
"इबादत" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "ख़ुदा को ख़ुश करने वाले तरीक़े से काम करना" या "ख़ुदा पर 'अमल करना" या "एक ईमानदार तरीक़े से जी रहे" हो सकते हैं।
-
जुमलों के तौर पर, "ना रास्त" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ख़ुदा से नाराज" या "ग़ैर इख़लाक़ी" या "ख़ुदा की नाफ़रमानी "की शक्ल में किया जा सकता है।
- "बे दीन" और "बे बुनियाद" लफ़्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब यह है कि लोग "ख़ुदा के बग़ैर" हैं या "ख़ुदा के बारे में कोई ख़्याल नहीं है" या "ऐसे तरीक़े से काम करना जो ख़ुदा को क़ुबूल नहीं करता है।"
- "बे 'इज़्ज़ती" या "बे बुनियादी" का तर्जुमा करने के दूसरे तरीक़े "बदकारी" या "बुराई" या "ख़ुदा से बग़ावत" हो सकते हैं।
(यह भी देखें: बुराई, ‘इज़्ज़त, हुक्म मानना, रास्तबाज़, रास्तबाज़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- अय्यूब 27:8-10
- अम्साल 11:9-11
- रसूलों के 'आमाल 03:11-12
- 1 तीमुथियुस 01:9-11
- 1 तीमुथियुस 04:6-8
- 2 तीमुथियुस03:10-13
- इब्रानियों 12:14-17
- 'इब्रानियों 11:7
- 1 पतरस04:17-19
- यहूदा 01:14-16
शब्दकोश:
- Strong's: H430, H1100, H2623, H5760, H7563, G516, G763, G764, G765, G2124, G2150, G2152, G2153, G2316, G2317
ख़ुदा, झूठे ख़ुदा, बहुत से ख़ुदा, देवी, बुत, बुतों, बुतपरस्त, बुतपरस्तों, बुतपरस्ती, बुतपरस्ती
ता’अर्रुफ़:
एक झूठा ख़ुदा वह है जिसकी ‘इबादत लोग एक सच्चे ख़ुदा को छोड़ कर करते हैं। लफ़्ज़ “देवी” मतलब होता है ख़ास तौर एक ‘औरत की शक्ल में झूठी मा’बूदा है।
- झूठे देवी-मा’बूद मौजूद नहीं हैं। यहोवा ही इकलौता ख़ुदा है।
- लोग कभी-कभी झूठे मा’बूदों के तौर पर ‘इबादत के लिए बुत बनाते थे|
- किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा के लोग बार-बार उसकी नाफ़रमानी करके इन झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने लगे थे।
- बदरूहें अकसर लोगों को धोखा देती हैं कि वे झूठे मा’बूदों और बुतों की ‘इबादत करें उनमें क़ुव्वत है।
- बा’ल, दजोन, मोलक, ये तीन बहुत झूठे मा’बूदों में से थे जिनकी ‘इबादत किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में की जाती थी।
- अशेरा और आरतिमिस (डायना) दो देवियां थी जिनकी ‘इबादत पुराने ज़माने में की जाती थी।
लोग बुत बनाते थे, कि उसकी ‘इबादत कर सकें| कुछ चीज़ों का "बुतपरस्त" के तौर पर ज़िक्र किया गया है अगर इसमें एक सच्चे ख़ुदा के अलावा किसी और चीज़ की ‘इज़्ज़त करना शामिल है।
- लोग बुतों को उन झूठे मा’बूदों की रहनुमाई करने के लिए बनाते हैं जिन्हें वे ‘इबादत करते हैं।
- ये झूठे मा’बूद मौजूद नहीं हैं; यहोवा के अलावा कोई ख़ुदा नहीं है।
- कभी-कभी शैतान एक बुत के ज़रिए’ से काम करते हैं ताकि ऐसा लगता है कि इसमें ताक़त है, भले ही यह नहीं है।
- बुत अक्सर सोने, चांदी, काँसा, या महंगी लकड़ी जैसी क़ीमती चीज़ों से बने होते हैं।
- “बुत परस्त लोगों की बादशाही” का मतलब है “उन लोगों की बादशाही जो बुतों की ‘इबादत करते हैं” या उन लोगों की बादशाही जो ज़मीन चीज़ों की ‘इबादत करते हैं”
- लफ़्ज़ " बुतों बनावट" एक "नक्काशीदार तस्वीर" या "बुत" के लिए एक और लफ़्ज़ है।
तर्जुमे की सलाह:
- मक़सदी ज़बान या आसपास की ज़बान में “ख़ुदा” या “झूठे ख़ुदा” के लिए कोई लफ़्ज़ होगा।
- “बुत” लफ़्ज़ झूठे मा’बूदों के बारे में काम में लिया जा सकता है।
- झूठे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ और इकलौते सच्चे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है। और ज़बानों में भी ऐसा हो सकता है
- एक तरीक़ा यह भी है कि झूठे मा’बूदों के लिए एक पूरी तरह से अलग लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
- कुछ ज़बानों में झूठे ख़ुदा के आदमी या ‘औरत में फ़र्क़ के लिए एक ज़्यादा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
(यह भी देखें: ख़ुदावन्द, आशर, बा’ल, मोलक, बदरूह, तस्वीर, बादशाही, ‘इबादत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 35:1-3
- ख़ुरूज़ 32:1-2
- ज़ुबूर 031:5-7
- ज़ुबूर 081:8-10
- यसा’याह 44:20
- रसूलों के ‘आमाल 07:41-42
- रसूलों के ‘आमाल 07:43
- रसूलों के ‘आमाल 15:19-21
- रसूलों के ‘आमाल 19:26-27
- रोमियो 02:21-22
- गलतिया 04:8-9
- गलतिय 05:19-21
- क़ुलुस्सियो 03:5-8
- 1 थिस्लूनिकियों 01:8-10
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 10:02 इन ख़ौफ़नाक मुसीबतों के ज़रिए’ ख़ुदा यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर’औन व मिस्र के मा’बूदों से बहुत ज़्यादा ताक़तवर है।
- 13:04 ख़ुदा ने उन्हें क़सम दी और कहा, “मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे मिस्र में से ग़ुलामी से बचाया। ” दूसरे ख़ुदा की ‘इबादत न करना
- 14:02 उन्होंने(कनानियो) झूठे मा’बूदों की ‘इबादत की, और बहुत से बुरे काम किए।
- 16:01_इस्राईलियों ने यहोवा के बजाय, कना’नियो के __मा’बूद की ‘इबादत करना शुरू’ कर दिया
- 18:13 लेकिन यहूदाह बहुत से बादशाह बुरे, धोखेबाज़ और बुतपरस्त करने वाले थे। कुछ बादशाह झूठे मा’बूदों के लिए अपने बच्चों की भी क़ुर्बानी चढ़ाने लगे।
शब्दकोश:
- Strong's: H205, H367, H410, H426, H430, H457, H1322, H1544, H1892, H2553, H3649, H4656, H4906, H5236, H5566, H6089, H6090, H6091, H6456, H6459, H6673, H6736, H6754, H7723, H8163, H8251, H8267, H8441, H8655, G1493, G1494, G1495, G1496, G1497, G2299, G2712
ख़ुदावन्द
सच्चाई:
कलाम में “ख़ुदावन्द” के बारे में हमेशा की ज़िन्दगी से है जिसने जाहान को इब्तिदा से बनाया है। ख़ुदावन्द का ज़हूर बाप ,बेटा और पाक रूह में है। ख़ुदावन्द का नाम यहोवा है।
ख़ुदावन्द हमेशा से है, जब कुछ भी नहीं था तब ख़ुदावन्द था और वह हमेशा तक रहेगा।
- वही सिर्फ़ एक सच्चा ख़ुदावन्द है और उसका इख्तियार पूरे 'आलम पर है।
- ख़ुदावन्द रास्तबाज़ी में सादिक़ , अज़ी म अक्लमंद , पाक, बे गुनाह , इन्साफ़ पसन्द ,हलीम और प्यार करने वाला है।
- वह 'अहद रखनेवाला ख़ुदावन्द है जो अपनी क़समें हमेशा पूरी करता है।
- इन्सान को ख़ुदावन्द की 'इबादत के लिए बनाया गया था और उसे हमेशा उसी की 'इबादत करना चाहिए।
- ख़ुदावन्द ने अपना नाम “यहोवा” बताया है जिसका मतलब है, “वह है” या “मैं हूँ” या “जो हमेशा से है।”
- कलाम में झूठे मा'बूदों का भी बयान है जो बे जान बुत हैं , उनकी इबादत इन्सान करता है।
तर्जुमा की सलाह:
- “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के तर्जुमें हो सकते हैं, “क़ुदरती ताक़त ” या “तख़लीक़ करने वाला ” या “रूहानी शख्सियत ”।
- “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के दूसरे तर्जुमें हो सकते हैं, “रूहानी ख़ालिक़” या “आख़िर वक़्त तक रहने वाला ख़ुदा ” या “हमेशा रूहानी शख्सियत ”
- तवज्जोह दें कि मक़ामी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए क्या लफ़्ज़ काम में लिया जाता है। हो सकता है कि मक़सदी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए एक लफ़्ज़ है। अगर है तो वाज़ेह करें कि उस लफ़्ज़ में सिर्फ़ एक सच्चे ख़ुदावन्द की ख़ासियत ज़ाहिर हो , जैसा ऊपर बयान किया गया है।
- कई ज़बानों में ख़ुदावन्द लफ़्ज़ का पहला हर्फ़ बड़ा कर दिया जाता है कि वह झूठे मा'बूदों से अलग करा जा सके।
- इस फ़र्क़ को ज़ाहिर करने के लिए ख़ुदावन्द और मा'बूद लफ़्ज़ों को दो अलग हरफ़ों के ज़रिए' बयान किया जाए।
- “मैं उनका ख़ुदावन्द हूँगा और वह मेरे लोग होंगे” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुदावन्द इन लोगों पर राज करूंगा और वह मेरी 'इबादत करेंगे।”
(यह भी देखें: पैदा करना, ख़ुदा, ख़ुदावन्द बाप, पाक रूह, ख़ुदा, ख़ुदावन्द का बेटा, यहोवा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 यूहन्ना 01:5-7
- 1 शमूएल 10:7-8
- 1 तीमुथियुस 04:9-10
- कुलुस्सियों 01: 15-17
- इस्तिसना 29:14-16
- एज्रा 03:1-2
- पैदाइश 01: 1-2
- होशे 04:11-12
- यसा’याह. 36:6-7
- या'क़ूब 02:18-20
- यरमियाह 05:4-6
- यूहन्ना 01:1-3
- यसू'अ 03:9-11
- [विलापना 03:40-43
- मीका 04:4-5
- फ़िलिप्पुस 02:5-8
- अम्साल 24:11-12
- \ज़बूर 047:8-9](rc://ur-deva/tn/help/psa/047/008)
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:
- 01:01 ख़ुदावन्द ने छह दिनों में जहान और सब कुछ बनाया।
- 01:15 ख़ुदावन्द ने अपनी शक्ल में आदमी और औरत को बनाया।
- 05:03 "मैं ख़ुदावन्द सब से ज़्यादा ताक़तवर हूँ। मैं तुम्हारे साथ 'अहद बान्धूंगा।
- 09:14 ख़ुदावन्द ने कहा, "मैं जो हूं, सो हूं। उनसे कहना, 'जिसका नाम मैं हूँ उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।' यह भी उनको बताओ, "मैं तुम्हारे बुजुर्गों इब्राहीम, इस्हाक़ और या'क़ूब का ख़ुदावन्द, यहोवा हूं।" हमेशा तक मेरा नाम यही रहेगा।'" है
- 10:02 इन खौफ़नाक आफ़तों के ज़रिए' ख़ुदावन्द यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर'औन व मिस्र के मा'बूदों से कहीं ज़्यादा ताक़तवर है।
- 16:01 इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा ख़ुदावन्द है उसकी जगह पर, कन'आनियो के मा'बूद की 'इबादत करना शुरू' किया।
- 22:07 और तू ऐ लड़के , ख़ुदावन्द का नबी कहलाएगा क्योंकि तू ख़ुदा का रास्ता तैयार करने के लिए उसके आगे आगे चलेगा।
- 24:09 ” सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, उसने बाप ख़ुदावन्द को कहते सुना, बेटे ख़ुदावन्द को देखा, और पाक रूह को भी देखा।
- 25:07 "कि ‘तू ख़ुदा अपने ख़ुदावन्द को 'इबादत कर, और सिर्फ़ उसी की ख़िदमत कर।’”
- 28:01 "जो अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदावन्द है।"
- 49:09 लेकिन ख़ुदावन्द ने दुनिया के हर इन्सान से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर ईमान करे उसे उसके गुनाहों की सज़ा नहीं मिलेगी, लेकिन ख़ुदावन्द के साथ हमेशा की ज़िन्दगी पाएगा ।
- 50:16 लेकिन एक दिन ख़ुदावन्द एक नया आसमान और एक नई ज़मीन को तैयार करेगा जो सही होगी।
शब्दकोश:
- Strong's: H136, H305, H410, H426, H430, H433, H2486, H2623, H3068, H3069, H3863, H4136, H6697, G112, G516, G932, G935, G1096, G1140, G2098, G2124, G2128, G2150, G2152, G2153, G2299, G2304, G2305, G2312, G2313, G2314, G2315, G2316, G2317, G2318, G2319, G2320, G3361, G3785, G4151, G5207, G5377, G5463, G5537, G5538
ख़ुदावन्द, ख़ुदावन्दओं, गुरु, स्वामी, स्वामियों, श्रीमान, महोदय
ता’अर्रुफ़:
“ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ का मतलब है और लोगों पर मिलक़ियत या इख़्तियार रखना।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा कभी-कभी “मालिक” भी किया जाता है जब ‘ईसा कें बारे में हो या गुलामों के मालिक के बारे में हो।
- अंग्रेजी की कुछ कलामों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “जनाब” किया गया है जब कोई किसी ऊंचे ‘उहदे वाले को हलीमी मुख़ातिब कर रहा है।
जब अंग्रेज़ी मे “Lord” बड़े हर्फ़ से है, यह एक उनवान है जो ख़ुदा की तरफ इशारा करता है| (ध्यान दें, हालाँकि, जब इस किसी को मुख़ातिब करने के तौर पर इस्ते’माल किया जाता है या यह जुमले की शुरू’आत में होता है तो इसे दर्ज किया जा सकता है और इसका मतलब “जनाब” या “मालिक” है|
- पुराने ‘अहदनामे में, इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “ख़ुदावन्द ख़ुदा सबसे क़ुव्वतवाला” “ख़ुदावन्द यहोवा” या “ यहोवा हमारा ख़ुदा” जैसे इज़हारों में किया जाता है|
- नए ‘अहदनामे में, रसूलों ने इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “ख़ुदावन्द ‘ईसा” और “ख़ुदावन्द ‘ईसा मसीह” जैसे इज़हारों में किया था, जो बताते हैं कि ‘ईसा ख़ुदा है|
- नए ‘अहदनामे में, “ख़ुदा” लफ़्ज़ का इस्ते’माल ख़ुदाके सीधे हवाले के तौर पर भी किया जाता है, ख़ासकर पुराने ‘अहदनामे से मज़मून में| मिसाल के तौर पर, पुराने ‘अहदनामे के बाब ने “मुबारक है वह जो यहोवा के नाम पर आता है” और नए ‘अहदनामे के बाब में “मुबारक है वह जो ख़ुदा के नाम पर आता है”
यू एल बी और यू डी बी में, “lord” उनवान का इस्ते’माल सिर्फ़ इब्रानी और ग्रीक अलफ़ाज़ का तर्जुमा करने के लिए किया जाता है जिसका मतलब है “ख़ुदा” यह कभी भी ख़ुदा के नाम (यहोवा) के तर्जुमे के तौर पर इस्ते’माल नहीं किया जा सकता है जैसा कि कई तर्जुमों में किया जाता है|
- कुछ ज़बाने “ख़ुदावन्द” को “मालिक” या “हाकिम” या कुछ और लफ़्ज़ के तौर पर तर्जुमा करती हैं जो मिलकियत उया सबसे बड़ी हुकूमत को बताती हैं|
- सही मज़मूनों में, कई तर्जुमा इस लफ़्ज़ के पहले हर्फ़ को पढ़ने वाले को ज़ाहिर करने के लिए दर्ज करते हैं कि यह एक उनवान जो ख़ुदा का ज़िक्र करता है|
- नए ‘अहदनामे के मक़ामों के लिए जहाँ पुराने ‘अहदनामे से मिसाल दी गई है, लफ़्ज़ “ख़ुदा” का इस्ते’माल यह ज़ाहिर करने के लिए किया जा सकता है कि ख़ुदा का हवाला है|
तर्जुमे की सलाह:
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मालिक” के बराबरी के साथ किया जा सकता है जब किसी ऐसे आदमी के बारे में बताता है जो ग़ुलामों का मालिक है| यह किसी नौकर के ज़रिए’ उस आदमी को मुख़ातिब करने के लिए किया जा सकता जिसके लिए वह काम करता है|
- जब यह ‘ईसा के बारे में बताता है, अगर हवाले से पता चले की बोलने वाला उन्हें एक उस्ताद की शक्ल में देखता है, तो इसका तर्जुमा मज़हबी उस्ताद के लिए अदबी पते के साथ किया जा सकता है, जैसे “मालिक”
- अगर मुख़ातिब करने वाला आदमी उसे नहीं जानता है, तो “ख़ुदा” का तर्जुमा ‘इज़्ज़त की शक्ल में किया जा सकता है जैसे कि “जनाब”| यह तर्जुमा और मज़मूनों के लिए इस्ते’माल किया जाएगा जिसमे एक आदमी को पते का हलीम कहा जाता है|
जब ख़ुदा बाप का ज़िक्र करते हैं, तो इस लफ़्ज़ को अंग्रेज़ी में “ख़ुदा” (असल) के तौर पर लिखा जाने वाला उनवान माना जाता है|
(यह भी देखे: ख़ुदावन्द, 'ईसा, हाकिम, यहोवा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाइश 39:1-2
- यशू’अ 03:9-11
- ज़बूर 086:15-17
- यरमिया 27:1-4
- नोहा 02:1-2
- हिज़क़ीएल 18:29-30
- दानिएल 09:9-11
- दानिएल 09:17-19
- मलाकी 03:1-3
- मत्ती 07:21-23
- लूक़ा 01:30-33
- लूक़ा 16:13
- रोमियो 06:22-23
- इफ़िसियो 06:9
- फ़िलिप्पियो 02:9-11
- कुलुस्सियो 03:22-25
- इब्रानियों 12:14-17
- या’ 02:1-4
- 1 पतरस 01:3-5
- यहूदाह 01:5-6
- मुकाशिफ़ा 15:3-4
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 25:05 ‘ईसा ने उसे कलाम से शैतान को जवाब दिया, उसने कहा, “ख़ुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आज़माइशपरीक्षा न करना।’”
- 25:07 तब ‘ईसा ने उससे कहा, “ऐ शैतान दूर हो जा ! ख़ुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि 'तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा कर, और सिर्फ़ उसी की ‘इबादत कर।’”
- 26:03 यह ख़ुदावन्द की बरकत का साल है।
- 27:02__मुन्तजिम ने जवाब दिया, “तू अपने __ख़ुदा से अपने सारे दिल, रूह, क़ुव्वत और ,मन से मुहब्बत रखना। और अपने पड़ोसी से अपने समान मुहब्बत करना।”
- 31:05 फिर पतरस ने ‘ईसा से कहा ‘ऐ उस्ताद’ अगर तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने का हुक्म दे”
- 43:09 “उसी ‘ईसा को जिसे तुमने सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने उसे ख़ुदावन्द भी ठहराया और मसीह भी।”
- 47: 3__इस बदरूह के ज़रिए’ वह दूसरों का मुस्तक़बिल बताती थी, जिससे अपने __मालिकों के लिये नजूमी की शक्ल में बहुत पैसा कमा लाती थी।
- 47:11 पौलुस ने जवाब दिया,"‘ईसा में ईमान करो, जो ख़ुदावन्द है, तो तू और तेरा ख़ानदान बच जाएगा।"
शब्दकोश:
- Strong's: H113, H136, H1167, H1376, H4756, H7980, H8323, G203, G634, G962, G1203, G2962
ख़ून
ता'अर्रुफ़:
“ख़ून” लफ्ज़ का मतलब है, आदमी के जिस्म में जब चोट लगती है तब उसमें से निकलने वाली लाल रंग का पानी जैसा होता है। ख़ून इंसानों के जिस्म में ज़िन्दगी देने वाली गिज़ा लाता है।
- ख़ून ज़िन्दगी की 'अलामत होती है और जब वह बहाया जाता है तो इसका मतलब है जान जाना या मौत।
- जब आदमी ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश करते थे तब वह जानवर का ज़बह करके उसका खून क़ुर्बानगाह पर उण्डेलते थे। यह जानवर की ज़िन्दगी की क़ुर्बानी की तरफ़ से इंसानों के गुनाह की क़ीमत चुकाने का निशान था।
- सलीब पर 'ईसा की मौत कि तरफ़ से उसका ख़ून आदमी के गुनाह से आज़ादी को दिखता है और इंसानों के गुनाह की सज़ा की समझ करता है।
- “गोश्त और ख़ून” एक जुमले हैं जो आदमी को ख़बरदार करता है।
- “अपना ख़ून और गोश्त” इंसानों के ख़ून का रिश्ता दिखाता है।
तर्जुमें की सलाह:
- इस लफ्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान में उसी लफ्ज़ /जुमले की तरफ़ से किया जाए जो ख़ून के लिए काम में लिया जाता है।
- “गोश्त और ख़ून” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आदमी” या “इंसानी क़ौम”।
- जुमले के मुताबिक़“मेरा गोश्त और मेरा ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है, “मेरा अपना ख़ानदान” या “मेरे अपने लोग” या “मेरे अपने लोग”।
- अगर मक़सदी ज़बान में ऐसे जुमले के लफ्ज़ हें तो “गोश्त और खून” के तर्जुमें में उनका इस्ते'माल किया जाए।
(यह भी देखें: गोश्त)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
- 1 यूहन्ना 01:5-7
- 1 शमूएल 14:31-32
- रसूलों का 'आमाल 02:20-21
- रसूलों के 'आमाल 05:26-28
- कुलुस्सियों 01:18-20
- गलातियों 01:15-17
- पैदाईश 04:10-12
- ज़बूर 016:4
- ज़बूर 105:28-30
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों कि मिसाल:
- 08:03__जब उसके भाई घर वापस आए तो उन्होंने यूसुफ़ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके __खून में उसे डुबा दिया।
- 10:03 ख़ुदा ने नील नदी को __ख़ून__से भर दिया लेकिन फ़िर'औन का फिर भी जिद पर अड़ा रहा|
- 11:05 इस्राईल के घरों के दरवाज़ों के चारों तरफ ख़ून था, इसलिए ख़ुदा उन घरों से चला गया और हर कोई उनमें हिफ़ाज़त से था | वह मेमने के ख़ून की वजह से बाख गए|
- 13:09__जानवर के __ख़ून जो क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाया गया था वह इन्सान के गुनाहों को धोकर इन्सान को ख़ुदा की नज़र पाक कर देता है|
- 38:05 तब 'ईसा ने एक कटोरा लिया और कहा इसे पी लो| नए 'अहद के लिए यह मेरा __ख़ून __है जो गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए उंडेला है|
- 48:10 जब कोई 'ईस पर यक़ीन करता है, 'ईसा का खून उस शख्स के सब गुनाहों की क़ीमत चुका देता है, और ख़ुदा की सज़ा उस शख्स के ऊपर से हट जाती है।
शब्दकोश:
- Strong's: H1818, H5332, G129, G130, G131, G1420
ख़ौफ़, ख़ौफ़नाक
ता'अर्रुफ़:
“ख़ौफ़” लफ़्ज़ किसी बड़े , ताक़तवर और डरावनी बात को देखकर हैरान और बड़ी 'इज़्ज़त के जज़्बात के बारे में है।
- “ख़ौफ़” लफ़्ज़ किसी आदमी या चीज़ के ज़रिए' ख़ौफ़ पैदा करने के बारे में है।
हिज़कीएल नबी ने ख़ुदा के जलाल का ख़्वाब देखा जो “ख़ौफ़नाक” या “डरावना ख़ौफ़” का था।
- ख़ुदा की मौजूदगी के लिए ख़ौफ़ के लफ़्ज़ हैं, डरना, सिजदा करना या घुटने टेकना, मुंह छिपाना और कांपना।
(यह भी देखें: डर, जलाल)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 तवारीख़ 17:19-21
- पैदाइश 28:16-17
- इब्रानियों 12:27-29
- ज़बूर 022:22-23
- ज़बूर 147:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H366, H1481, H3372, H6206, H7227, G2124
ख़ौफ़, ख़ौफ़, ख़ौफ़ज़दा, डरते हुए, डरा हुआ, ख़ौफ़नाक
ता’अर्रुफ़:
“ख़ौफ़” का हवाला डरावना और डर के अहसास से है। जिस इन्सान को डर से कंपकंपी हो रही हो उसे डरा हुआ कहते हैं।
“ख़ौफ़” सिर्फ़ डर से ज़्यादा ज़ोरदार होता है।
- ‘आम तौर पर जब कोई डरा हुआ है तो वह भी झटके में या हैरान है|
(यह भी देखें: डर, ख़ौफ़)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- इस्तिस्ना 28:36-37
- हिज़क़ीएल 23:33-34
- यरमियाह 02:12-13
- अय्यूब 21:4-6
- ज़ुबूर 055:4-5
शब्दकोश:
- Strong's: H367, H1091, H1763, H2152, H2189, H4032, H4923, H5892, H6343, H6427, H7588, H8047, H8074, H8175, H8178, H8186
ज़बान, ज़बानों
ता’अर्रुफ़:
“ज़बान ” के किताब-ए-मुक़द्दस में तमसीली इस्तेमाल भी हैं।
- किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ का सबसे ज़्यादा आम तमसीली मतलब है, “ज़बान ” या “तक़रीर ”।
- कभी-कभी "ज़बान " एक मुक़र्रर आदमियों के झुण्ड के ज़रिए’ बोली जाने वाली ज़बान का हवाला देता है।
- कई बार यह एक फ़ितरती ज़बानों का हवाला देता है कि पाक रूह मसीह में ईमानदारों को "रूह का तोहफ़ा " की शक्ल में देता है।
- “ज़बान की तरह आग की लपटें” या’नी आग की “लौ”।
- ज़ाहिरयत में "मेरी ज़बान ख़ुश हुई," लफ़्ज़ "ज़बान " पूरे इन्सान को दिखाती है।
- जुमले "झूठी बातें" एक आदमी की आवाज या तक़रीर का हवाला देता है। देखें:सिफ़त )
तर्जुमें की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़ “ज़बान ” लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है, “ज़बान” या “रूहानी ज़बान ” * अगर मतलब वाज़े’ न हो रहा हो तो इसका तर्जुमा “ज़बान ” ही करें।
- आग के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “लौ” किया जा सकता है।
- “मेरी ज़बान ख़ुशी करती है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुशी करता हूँ और ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ या “मैं ख़ुशी के साथ ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ”।
- “झूठ बोलने वाली ज़बान ” का तर्जुमा हो सकता है, “आदमी जो झूठ बोलते हैं” या “जो लोग झूठ बोलते हैं”।
- “उनकी ज़बानों से” जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उनके कलामों से” या “उनके लफ़्ज़ों से”।
(यह भी देखें: जिज़्या, पाक रूह, ख़ुशी, हम्द, ख़ुशी, रूह)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे:
- 1 कुरिन्थियों 12:9-11
- 1 यूहन्ना 03:16-18
- 2 समूएल 23:1-2
- रसूलों के 'आमाल 02:25-26
- हिज़क़ीएल 36:1-3
- फ़िलिप्पियों 02:9-11
शब्दकोश:
- Strong's: H762, H2013, H2790, H3956, G1100, G1258, G1447, G2084
ज़मीन, ज़मीन का, ज़मीन
ता'अर्रुफ़:
लफ़्ज़“ज़मीन” इस बात को ज़ाहिर करता है कि वह दुनिया जिसमें इंसान और सब मख़लुक़ात एक साथ रहते हैं ।
- “ज़मीन” का मतलब ज़मीन या मिट्टी भी हो सकता है जो ज़मीन को ढकता है।
इस लफ्ज़ का 'अलामती इस्ते'माल हमेशा ज़मीन के रहने वालों को दिखाता है।
- इज़हार “ज़मीन को ख़ुश हो जाने दो” और “वह ज़मीन का इंसाफ़ करेगा” इस लफ़्ज़ के 'अलामती इस्ते'माल भी मिसाल हैं।
- “दुन्यावी” लफ्ज़ जिस्मानी चीज़ों के बारे में हैं।
तर्जुमा की सलाह:
- इस लफ्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या आस पास की क़ौमी ज़बान के काम में आनेवाले लफ्ज़ का जुमले के तौर पर किया जा सकता है जो जिस ज़मीन जिस पर हम रहते हैं उस मंसूबा के लिए काम में लिया जाता है।
- जुमले के मुताबिक़ “ज़मीन” का तर्जुमा “दुन्या” या “ज़मीन” या “धूल” या “मिट्टी” किया जा सकता है।
- 'अलामती इस्ते'माल में ज़मीन का तर्जुमा “ज़मीन के लोग” या “ज़मीन पर रहनेवाले लोग” या “ज़मीन की सब चीज़ें” किया जा सकता है।
- “दुन्यावी” का तर्जुमा “जिस्मानी” या “ज़मीन की चीज़ें” या “देखने लायक़” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: रूह, दुनिया)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 सलातीन 01:38-40
- 2 तवारीख़ 02:11-12
- दानीएल 04:35
- लूक़ा 12:51-53
- मत्ती 06:8-10
- मत्ती 11:25-27
- ज़करियाह 06:5-6
शब्दकोश:
- Strong's: H127, H772, H776, H778, H2789, H3007, H3335, H6083, H7494, G1093, G1919, G2709, G2886, G3625, G3749, G4578, G5517