Language: हिन्दी, हिंदी

Book: Matthew

Matthew

Chapter 1

1 अब्राहम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह* की वंशावली*। 2 अब्राहम से इसहाक उत्‍पन्‍न हुआ, इसहाक से याकूब उत्‍पन्‍न हुआ, और याकूब से यहूदा और उसके भाई उत्‍पन्‍न हुए। 3 यहूदा और तामार से पेरेस व जेरह उत्‍पन्‍न हुए, और पेरेस से हेस्रोन उत्‍पन्‍न हुआ, और हेस्रोन से एराम उत्‍पन्‍न हुआ। 4 एराम से अम्मीनादाब उत्‍पन्‍न हुआ, और अम्मीनादाब से नहशोन, और नहशोन से सलमोन उत्‍पन्‍न हुआ। (रूत 4:19-20) 5 सलमोन और राहाब से बोआज उत्‍पन्‍न हुआ, और बोआज और रूत से ओबेद उत्‍पन्‍न हुआ, और ओबेद से यिशै उत्‍पन्‍न हुआ। 6 और यिशै से दाऊद राजा उत्‍पन्‍न हुआ। और दाऊद से सुलैमान उस स्त्री से उत्‍पन्‍न हुआ जो पहले ऊरिय्याह की पत्‍नी थी। (2 शमू. 12:24) 7 सुलैमान से रहबाम उत्‍पन्‍न हुआ, और रहबाम से अबिय्याह उत्‍पन्‍न हुआ, और अबिय्याह से आसा उत्‍पन्‍न हुआ। 8 आसा से यहोशाफात उत्‍पन्‍न हुआ, और यहोशाफात से योराम उत्‍पन्‍न हुआ, और योराम से उज्जियाह उत्‍पन्‍न हुआ। 9 उज्जियाह से योताम उत्‍पन्‍न हुआ, योताम से आहाज उत्‍पन्‍न हुआ, और आहाज से हिजकिय्याह उत्‍पन्‍न हुआ। 10 हिजकिय्याह से मनश्शे उत्‍पन्‍न हुआ, मनश्शे से आमोन उत्‍पन्‍न हुआ, और आमोन से योशिय्याह उत्‍पन्‍न हुआ। 11 और बन्दी होकर बाबेल जाने के समय में योशिय्याह से यकुन्याह*, और उसके भाई उत्‍पन्‍न हुए। (यिर्म. 27:20) 12 बन्दी होकर बाबेल पहुँचाए जाने के बाद यकुन्याह से शालतियेल उत्‍पन्‍न हुआ, और शालतियेल से जरुब्बाबेल उत्‍पन्‍न हुआ। 13 जरुब्बाबेल से अबीहूद उत्‍पन्‍न हुआ, अबीहूद से एलयाकीम उत्‍पन्‍न हुआ, और एलयाकीम से अजोर उत्‍पन्‍न हुआ। 14 अजोर से सादोक उत्‍पन्‍न हुआ, सादोक से अखीम उत्‍पन्‍न हुआ, और अखीम से एलीहूद उत्‍पन्‍न हुआ। 15 एलीहूद से एलीआजार उत्‍पन्‍न हुआ, एलीआजार से मत्तान उत्‍पन्‍न हुआ, और मत्तान से याकूब उत्‍पन्‍न हुआ। 16 याकूब से यूसुफ उत्‍पन्‍न हुआ, जो मरियम का पति था, और मरियम से* यीशु उत्‍पन्‍न हुआ जो मसीह कहलाता है। 17 अब्राहम से दाऊद तक सब चौदह पीढ़ी हुई, और दाऊद से बाबेल को बन्दी होकर पहुँचाए जाने तक चौदह पीढ़ी, और बन्दी होकर बाबेल को पहुँचाए जाने के समय से लेकर मसीह तक चौदह पीढ़ी हुई।

18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उनके इकट्ठे होने के पहले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 19 अतः उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 20 जब वह इन बातों की सोच ही में था तो परमेश्‍वर का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु* रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।” 22 यह सब कुछ इसलिए हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो (यशा. 7:14) 23 “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है - परमेश्‍वर हमारे साथ। 24 तब यूसुफ नींद से जागकर परमेश्‍वर के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहाँ ले आया। 25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।



Matthew 1:1

x

पद 1-17 में यीशु के पूर्वजों के नाम दिए गए हैं।

दाऊद की सन्तान, अब्राहम की सन्तान।

वैकल्पिक अनुवाद, "दाऊद का वंशज जो अब्राहम का वंशज था"। अब्राहम और उसके वंशज दाऊद के मध्य अनेक पीढ़ियाँ थी और दाऊद और उसके वंशज यीशु के मध्य अनेक पीढ़ियां रही हैं। "दाऊद का पुत्र" एक पदनाम स्वरूप काम में लिया गया है, तथा अन्य स्थानों में परन्तु यह केवल उसकी वंशावली को दर्शाने के लिए काम में लिया गया है।

अब्राहम इसहाक का पिता था।

वैकल्पिक अनुवाद, "अब्राहम इसहाक का पिता था" या अब्राहम का पुत्र था इसहाक"। इसमें से एक अनुवाद को काम में लेने से आपके पाठकों के लिए अधिक स्पष्ट होगा और इसी को शेष सूची में काम में लें।

तामार

जिस भाषा में इस शब्द के पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों शब्द है उसमें स्त्रीलिंग शब्द ही काम में लें।

Matthew 1:4

x

यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें।

सलमोन और राहाब से बोअज उत्पन्न हुआ।

"सलमोन बोअज का पिता था और बोअज की माता राहाब थी"। या "बोअज के माता-पिता राहाब और सलमोन थे"।

बोअज ओबेद का पिता था और माता रूत थी।

बोअज ओबेद का पिता था और माता रूत थी "या ओबेद के माता-पिता रूत और बोअज थे।"

राहाब..... रूत

जिन भाषाओं में इन शब्दों के पुल्लिंग और स्त्रीलिंग शब्द हैं। उनमें इन शब्दों के केवल स्त्रीलिंग रूप ही काम में लिए जाए।

उरिय्याह की पत्नी से सुलैमान दाऊद का पुत्र हुआ।

"दाऊद का पुत्र सुलैमान था और सुलैमान की माता उरिय्याह की पत्नी थी। या दाऊद और उरिय्याह की पत्नी सुलैमान के माता-पिता थे"।

उरिय्याह की पत्नी।

"उरिय्याह की विधवा।"

Matthew 1:7

x

यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें।

आसा

कभी-कभी उसके नाम का अनुवाद "आसाप" किया जाता है।

योराम से उज्जियाह उत्पन्न हुआ।

योराम वास्तव में उज्जियाह के दादा का दादा था। अतः दादा के स्थान पर "पूर्वज" लिखा जा सकता है।(यू.डी.बी)

Matthew 1:9

x

यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें।

आमोन

कहीं-कहीं इसका अनुवाद आमोस किया गया है।

योशिय्याह यकुन्याह का पिता था।

योशिय्याह वास्तव में यकुन्याह का दादा था।(देखें: यू.डी.बी)

बेबीलोन जाने के समय।

जब वे बेबीलोन ले जाए गए। या "जब बेबीलोन की सेना ने उन्हें बेबीलोन में बसने पर विवश किया"। यदि आपकी भाषा में स्पष्ट करना है कि कौन बेबीलोन ले जाए गए तो आप कह सकते हैं, "इस्राएली" या यहूदा के रहने वाले इस्राएली"।

Matthew 1:12

x

यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें।

बेबीलोन की बन्धुआई के बाद।

शब्दावली वही काम में ले जो में काम में ली गई है।

शालतिएल जरूब्बाबिल का पिता था।

शालतिएल वास्तव में जरूब्बाबिल का दादा था।(देखे: यू.डी.बी.)

Matthew 1:15

x

यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें।

मरियम जिससे यीशु का जन्म हुआ।

मरियम जिससे यीशु का जन्म हुआ। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, "मरियम ने यीशु को जन्म दिया"।

बेबीलोन ले जाया जाना

शब्दावली वही काम में ले जो में काम में ली गई है।

Matthew 1:18

x

यहाँ उन घटनाओं का वर्णन है जो यीशु के जन्म से सम्बन्धित हैं। यदि आपकी भाषा में विषय परिवर्तन दिखाने की विधि है तो उसे यहाँ काम में लें।

मरिमय की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई थी।

मरिमय की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई थी। "विवाह की प्रतिज्ञा कर चुकी थी" (यू.डी.बी.) या "विवाह के लिए समर्पित की जा चुकी थी"। माता-पिता सामान्यतः सन्तान के विवाह का प्रबन्ध करते हैं।

उनके इकट्ठा होने से पहले।

इस शिष्टोक्ति का अर्थ है, "इससे पूर्व कि उनमें यौन सम्बन्ध होता"।

वह गर्भवती पाई गई।

"उन्हें पता चला कि वह शिशु को जन्म देने वाली है"।(देखें:: )

पवित्र आत्मा से।

"पवित्र आत्मा ने मरियम को शिशु जनने योग्य किया"।

Matthew 1:20

x

यहाँ यीशु के जन्म से संबन्धित घटनाओं का वर्णन है।

प्रकट हुआ।

अचानक से ही एक स्वर्गदूत यूसुफ के पास आया।

जो उसके गर्भ में है वह पवित्र आत्मा की ओर से है।

"मरियम के गर्भ में जो शिशु है वह पवित्र आत्मा से है।"

वह पुत्र जनेगी।

क्योंकि परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूत को भेजा था इसलिए वह जानता था कि वह शिशु पुत्र है।

तू उसका नाम रखना।

यह एक आज्ञा हैः "तू उसका नाम रखना" या "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"।

वह अपने लोगों का पाप से उद्धार करेगा।

"अपने लोगों का" यहूदियों से संदर्भ है।

Matthew 1:22

x

मत्ती उस भविष्यद्वाणी का संदर्भ देता है जिसे यीशु पूरी करेगा।

जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा था वह पूरा हो।

जो कर्तृवाच्य रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "प्रभु ने भविष्यद्वक्ता यशायाह को बहुत पहले से लिखने को कहा था।"

देखो

वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"।

एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी।

यह पद यशायाह का उद्धरण है।

Matthew 1:24

x

यह अंश यीशु के जन्म से संबन्धित घटनाओं की चर्चा करता है।

आज्ञा

स्वर्गदूत ने उसे आज्ञा दी कि वह मरियम को अपने यहाँ ले आए और उस पुत्र का नाम यीशु रखे। (पद 20-21)

वह उसके पास न गया।

उसके पास न गया "उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं बनाए"।

और उसका नाम यीशु रखा।

यूसुफ ने अपने पुत्र का नाम यीशु रखा।


Translation Questions

Matthew 1:1

मसीह यीशु की वंशावली कौन से दो पूर्वजों के महत्त्व को प्रकट करते हुए उनके नाम दिए गए हैं?

जिन दो पूर्वजों की सबसे पहले सूची दी गई है वे दाऊद और अब्राहम है।

Matthew 1:16

वंशावली के अन्त में किस पत्नी का नाम दिया गया है और उसका नाम क्यों दिया गया है?

मरियम, यूसुफ की पत्नी का नाम दिया गया है क्योंकि उसके द्वारा यीशु का जन्म हुआ था।

Matthew 1:18

यूसुफ के साथ सम्बन्ध बनाने से पूर्व मरियम के साथ क्या हुआ था?

यूसुफ के साथ सम्बन्ध बनाने से पूर्व मरियम पवित्र-आत्मा से गर्भवती हुई थी।

Matthew 1:19

यूसुफ कैसा मनुष्य था?

यूसुफ एक धर्मी जन था।

मरियम के गर्भवती होने की बात सुनकर यूसुफ ने क्या करने का निर्णय लिया?

यूसुफ ने गुप्त में मरियम के साथ मंगनी तोड़ देने की इच्छा की थी।

Matthew 1:20

यूसुफ के जीवन में ऐसी क्या घटना हुई कि उसने मरियम के साथ मंगनी न तोड़ने का विचार किया?

एक स्वर्गदूत ने यूसुफ को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वह मरियम को अपना ले क्योंकि उसका गर्भ धारण पवित्र-आत्मा से है।

Matthew 1:21

यूसुफ से क्यों कहा गया कि वह अपने शिशु का नाम यीशु रखे?

यूसुफ से कहा गया कि वह शिशु का नाम यीशु रखे क्योंकि वह अपने लोगों का पाप से उद्धार करेगा।

Matthew 1:23

पुराने नियम की भविष्यद्वाणी में क्या कहा गया था जो इन घटनाओं में पूरा हुआ?

पुराने नियम की भविष्यद्वाणी थी कि एक कुंवारी पुत्र को जन्म देगी और वह इम्मानुएल कहलाएगा जिसका अर्थ है, "परमेश्वर हमारे साथ है।"

Matthew 1:25

जब तक मरियम ने यीशु को जन्म नहीं दिया तब तक यूसुफ ने किस बात में सावधानी रखी?

यीशु के जन्म तक यूसुफ अति सावधान रहा कि वह मरियम के निकट न जाए।


Chapter 2

1 हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम* में यीशु का जन्म हुआ, तब, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे, 2 “यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको झुककर प्रणाम करने आए हैं।” (गिन. 24:17) 3 यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया। 4 और उसने लोगों के सब प्रधान याजकों और शास्त्रियों* को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिए?” 5 उन्होंने उससे कहा, “यहूदिया के बैतलहम में; क्योंकि भविष्यद्वक्ता के द्वारा लिखा गया है :

6 “हे बैतलहम, यहूदा के प्रदेश, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा बनेगा।” (मीका 5:2) 7 तब हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर उनसे पूछा, कि तारा ठीक किस समय दिखाई दिया था। 8 और उसने यह कहकर उन्हें बैतलहम भेजा, “जाकर उस बालक के विषय में ठीक-ठीक मालूम करो और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उसको प्रणाम करूँ।” 9 वे राजा की बात सुनकर चले गए, और जो तारा उन्होंने पूर्व में देखा था, वह उनके आगे-आगे चला; और जहाँ बालक था, उस जगह के ऊपर पहुँचकर ठहर गया। 10 उस तारे को देखकर वे अति आनन्दित हुए। (लूका 2:20) 11 और उस घर में पहुँचकर उस बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा, और दण्डवत् होकर बालक* की आराधना की, और अपना-अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई। 12 और स्वप्न में यह चेतावनी पा कर कि हेरोदेस के पास फिर न जाना, वे दूसरे मार्ग से होकर अपने देश को चले गए।

13 उनके चले जाने के बाद, परमेश्‍वर के एक दूत ने स्वप्न में प्रकट होकर यूसुफ से कहा, “उठ! उस बालक को और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जा; और जब तक मैं तुझ से न कहूँ, तब तक वहीं रहना; क्योंकि हेरोदेस इस बालक को ढूँढ़ने पर है कि इसे मरवा डाले।” 14 तब वह रात ही को उठकर बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र को चल दिया। 15 और हेरोदेस के मरने तक वहीं रहा। इसलिए कि वह वचन जो प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था पूरा हो “मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया।” (होशे 11:1)

16 जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियों ने उसके साथ धोखा किया है, तब वह क्रोध से भर गया, और लोगों को भेजकर ज्योतिषियों से ठीक-ठीक पूछे हुए समय के अनुसार बैतलहम और उसके आस-पास के स्थानों के सब लड़कों को जो दो वर्ष के या उससे छोटे थे, मरवा डाला। 17 तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हुआ

    18 “रामाह में एक करुण-नाद सुनाई दिया,

     रोना और बड़ा विलाप,

     राहेल अपने बालकों के लिये रो रही थी;

     और शान्त होना न चाहती थी, क्योंकि वे अब नहीं रहे।” (यिर्म. 31:15)

19 हेरोदेस के मरने के बाद, प्रभु के दूत ने मिस्र में यूसुफ को स्वप्न में प्रकट होकर कहा, 20 “उठ, बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल के देश में चला जा; क्योंकि जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, वे मर गए।” (निर्ग. 4:19) 21 वह उठा, और बालक और उसकी माता को साथ लेकर इस्राएल के देश में आया। 22 परन्तु यह सुनकर कि अरखिलाउस* अपने पिता हेरोदेस की जगह यहूदिया पर राज्य कर रहा है, वहाँ जाने से डरा; और स्वप्न में परमेश्‍वर से चेतावनी पा कर गलील प्रदेश में चला गया। 23 और नासरत नामक नगर में जा बसा, ताकि वह वचन पूरा हो, जो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा गया थाः “वह नासरी* कहलाएगा।” (लूका 18:7)



Matthew 2:1

x

इस अध्याय में यहूदियों के राजा के रूप में यीशु के जन्म का वर्णन है।

यहूदिया के बैतलहम में।

यहूदिया के बैतलहम में , "यहूदिया क्षेत्र के बैतलहम नगर में"।(यु.डी.बी)

ज्योतिषी

"ज्योतिषी - सितारों का ज्ञान रखने वाले"। (यू.डी.बी.)

हेरोदेस

हेरोदेस यह हेरोदेस महान है।

"यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है"?

वे जानते थे कि जो राजा होगा उसका जन्म हो चुका है। वे जानने का प्रयत्न कर रहे थे कि वह कहाँ है। "एक शिशु जो यहूदियों का राजा होगा, उसका जन्म हुआ है, वह कहाँ है"?

उसका तारा।

"तारा जो उसके बारे में प्रकट करता है", या "उसके जन्म से संबन्धित तारा", उनके कहने का अर्थ यह नहीं था वह शिशु उस तारे का स्वामी है।

प्रणाम

इस शब्द के संभावित अर्थ हैं, (1) उनका प्रयोजन था कि उस दिव्य शिशु को प्रणाम करें", या (2) वे उसे मानवीय राजा के रूप में "सम्मान" देना चाहते थे। यदि आपकी भाषा में ऐसा शब्द है जिसका अर्थ इन दोनों अर्थों से निकलता है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

वह घबरा गया।

"वह चिन्तित हो गया" कि उसके स्थान पर किसी और को यहूदियों का राजा बनाया जायेगा।

सारा यरूशलेम

"यरूशलेम में अधिकांश जन" (यू.डी.बी.) भयभीत हो गये कि हेरोदेस अब क्या करेगा।

Matthew 2:4

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

यहूदिया के बैतलहम में।

वैकल्पिक अनुवाद "बैतलहम नगर में जो यहूदिया प्रदेश में है"।

भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा यों लिखा गया है।

इसे क्रियाशील रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "भविष्यद्वक्ता ने लिखा है।"

भविष्यद्वक्ता के द्वारा यों लिखा गया है।

भविष्यद्वक्ता के द्वारा यों लिखा गया है , वैकल्पिक अनुवाद, "भविष्यद्वक्ता मीका द्वारा यह लिखा गया है"।

"हे बैतलहम, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं।"

"तुम जो बैतलहम में निवास करते हो, तुम्हारा नगर निश्चय ही बहुत महत्त्वपूर्ण है।" (यू.डी.बी.) या "हे बैतलहम तू सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण नगरों में से एक है"। (देखें )

Matthew 2:7

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर पूछा।

इसका अर्थ है कि हेरोदेस ने ज्योतिषियों से अकेले में बात की।

बालक

बालक अर्थात शिशु यीशु।

प्रणाम

यहाँ अनुवाद में वही शब्द काम में लें जो आपने में काम में लिया है।

Matthew 2:9

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

राजा की बात सुन कर।

राजा की बात सुनकर , "तब" (यू.डी.बी.) या "राजा की बात सुनने के बाद ज्योतिषी"।

उनके आगे-आगे चल।

वैकल्पिक अनुवाद, "उनका मार्गदर्शन किया"।

ठहर गया।

ठहर गया, वैकल्पिक अनुवाद, "रूक गया"।

Matthew 2:11

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

उन्होंने

ज्योतिषियों ने

प्रणाम

यहाँ अनुवाद में वही शब्द काम में लें जो आपने में काम में लिया है।

Matthew 2:13

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

वे ..... चले गए।

"ज्योतिषी चले गए"।

उठ लेकर.... भाग जा .... तुझ .... रहना।

परमेश्वर यूसुफ से बात कर रहा है अतः ये एक वचन शब्द है ।

हेरोदेस के मरने तक वहीं रहा

जब तक हेरोदेस की मृत्यु नहीं हो जाती । इस वाक्य द्वारा उनके मिस्र में रहने का समय प्रकट होता है परन्तु यह नहीं कहा गया है कि इस समय हेरोदस की मृत्यु हुई।

मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया।

यह होशे का उद्धरण है मत्ती में यूनानी अभिलेख के शब्द होशे की इब्रानी भाषा के शब्दों से भिन्न हैं क्योंकि यहाँ "मिस्र से" पर बल दिया गया है, अन्य किसी देश को नहीं: "मिस्र से ही मैंने अपने पुत्र को बुलाया।"

Matthew 2:16

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

जब हेरोदेस ने

यूसुफ मरियम और यीशु को लेकर चला गया तब हेरोदेस ने क्या किया, इसका यहाँ वर्णन है अब तक हेरोदेस की मृत्यु नहीं हुई है।

धोखा किया है।

"ज्योतिषियों ने उसे धोखा देकर क्रोधित किया"। (देखें यू.डी.बी.)

उसने सब बालकों को मरवा डाला।

उसने सब बालकों को मरवा डाला, वैकल्पिक अनुवादः "उसने सब बालाकों की हत्या करने की आज्ञा दी" या "उसने सब बालकों को मार डालने के लिए सैनिक भेजे"(यू.डी.बी.)।

Matthew 2:17

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

पद 18 यिर्मयाह का उद्धरण है। मत्ती में यूनानी अभिलेख यिर्मयाह के इब्रानी अभिलेख से कुछ भिन्न है।

Matthew 2:19

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

देख

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

जो बालक के प्राण लेना चाहते थे।

जो बालक के प्राण लेना चाहते थे - "जो उस बालक को मार डालना चाहते थे"।

Matthew 2:22

x

यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ।

परन्तु यह सुनकर।

परन्तु यह सुनकर, "परन्तु जब यूसुफ ने सुना"।

अपने पिता हेरोदेस

अपने पिता हेरोदेस अरखिलाउस का पिता

वहाँ जाने से डरा।

वहाँ जाने से डरा , यूसुफ का संदर्भ है।

वह नासरी कहलाएगा।

वह नासरी कहलाएगा , यहाँ "वह" अर्थात यीशु है।


Translation Questions

Matthew 2:1

यीशु का जन्म कहाँ हुआ था?

यीशु का जन्म यहूदिया के बैतलहम में हुआ था।

Matthew 2:2

पूर्वी क्षेत्र से आने वाले ज्योतिषियों ने यीशु को क्या उपाधि दी थी?

पूर्वी क्षेत्र से आने वाले ज्योतिषियों ने यीशु को "यहूदियों का राजा" उपाधि दी थी।

ज्योतिषियों को कैसे ज्ञात हुआ था कि यहूदियों के राजा का जन्म हुआ है?

ज्योतिषियों ने पूर्व में यहूदियों के राजा का तारा देखा था।

Matthew 2:3

ज्योतिषियों की बात सुनकर हेरोदेस ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई थी?

ज्योतिषियों से यह समाचार सुनकर राजा हेरोदेस परेशान हो गया था।

Matthew 2:5

महायाजकों और शास्त्रियों को कैसे पता था कि मसीह का जन्म बैतलहेम में होगा?

बैतलहम में मसीह के जन्म की भविष्यद्वाणी को वे जानते थे।

Matthew 2:9

ज्योतिषियों को यीशु के निवास स्थान का ज्ञान सही-सही कैसे मिला?

पूर्व में जो तारा दिखाई दिया था वह उनके आगे-आगे चला जब तक कि वह उस स्थान पर ठहर न गया जहाँ यीशु का जन्म हुआ था।

Matthew 2:11

जब ज्योतिषी आए तब यीशु कितने वर्ष का था?

जब ज्योतिषी यीशु के पास आए तब वह एक बालक था।

ज्योतिषियों ने यीशु को भेंट में क्या दिया था?

ज्योतिषियों ने यीशु को सोना, लोबान और गन्धरस भेंट में दिया।

Matthew 2:12

ज्योतिषी किस मार्ग से घर लौटे और उन्होंने वह मार्ग क्यों लिया?

ज्योतिषी दूसरे मार्ग से घर लौट गए क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें स्वप्न में सतर्क कर दिया था कि वे हेरोदेस के पास न जाएं।

Matthew 2:13

यूसुफ को स्वप्न में क्या चेतावनी दी गई?

यूसुफ को चेतावनी दी गई कि वह यीशु और मरियम को लेकर मिस्र चला जाए क्योंकि हेरोदेस यीशु की हत्या करने की खोज में था।

Matthew 2:15

यीशु के मिस्र लौट आने पर कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी?

बाद में जब यीशु मिस्र से लौटा तब यह भविष्यद्वाणी पूरी हुई, "मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलवाया।"

Matthew 2:16

ज्योतिषियों के न लौटने पर हेरोदेस ने क्या किया?

हेरोदेस ने बैतलहेम में दो वर्ष और दो वर्ष से कम आयु के सब लडकों को मरवा दिया।

Matthew 2:19

हेरोदेस के मरने के बाद यूसुफ को स्वप्न में क्या निर्देश दिया गया था?

यूसुफ को स्वप्न में कहा गया कि वह इस्राएल लौट जाए।

Matthew 2:22

यूसुफ मरियम और यीशु के साथ कहाँ रहने लगा था?

यूसुफ मरियम और यीशु के साथ गलील के नासरत नामक नगर में रहने लगा।

Matthew 2:23

यूसुफ द्वारा एक नए स्थान में बस जाने पर कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई?

यह भविष्यद्वाणी कि मसीह नासरी कहलाएगा पूरी हुई।


Chapter 3

1 उन दिनों में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल* में यह प्रचार करने लगा : 2 “मन फिराओ*, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” 3 यह वही है जिसके बारे में यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा था :

     “जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो,

     उसकी सड़कें सीधी करो।” (यशा. 40:3)

4 यह यूहन्ना ऊँट के रोम का वस्त्र पहने था, और अपनी कमर में चमड़े का कमरबन्द बाँधे हुए था, और उसका भोजन टिड्डियाँ और वनमधु था। (2 राजा. 1:8) 5 तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस-पास के सारे क्षेत्र के लोग उसके पास निकल आए। 6 और अपने-अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उससे बपतिस्मा लिया। 7 जब उसने बहुत से फरीसियों* और सदूकियों* को बपतिस्मा के लिये अपने पास आते देखा, तो उनसे कहा, “हे साँप के बच्चों, तुम्हें किसने चेतावनी दी कि आनेवाले क्रोध से भागो? 8 मन फिराव के योग्य फल लाओ; 9 और अपने-अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता अब्राहम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्‍वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्‍पन्‍न कर सकता है। 10 और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।

11 “मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझसे शक्तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। 12 उसका सूप उसके हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा, और अपने गेहूँ को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने की नहीं।”

13 उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। 14 परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, “मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?” 15 यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली। 16 और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और उसके लिये आकाश खुल गया; और उसने परमेश्‍वर की आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। 17 और यह आकाशवाणी हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्‍न हूँ।”* (भज. 2:7)



Matthew 3:1

x

यह बाइबल अंश अनेक वर्ष बाद का वृत्तान्त है जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला व्यस्क हो गया था और उसने अपनी प्रचार सेवा आरंभ कर दी थी।

यह वही है।

सर्वनाम "वही" यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले की पहचान है।

यह वही है जिसकी चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई।

वैकल्पिक अनुवाद, "यशायाह भविष्यद्वक्ता यूहन्ना ही के बारे में कह रहा था जब उसने कहा"।

प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो।

प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो। - यह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के सन्देश में उदाहरण का प्रयोग है, वह लोगों को मन फिराव के लिए तैयार होने की पुकार करता था। वैकल्पिक अनुवाद, "अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए तैयार हो जाओ कि तुम्हारा जीवन परमेश्वर को ग्रहण योग्य हो"।

Matthew 3:4

x

यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है।

उन्होंने .... उससे बपतिस्मा लिया।

उन्होंने उससे बपतिस्मा लिया, "यूहन्ना ने उन्हें बपतिस्मा दिया"।

वे

यरूशलेम, यहूदिया और यरदन नदी के आस-पास के क्षेत्र के लोग।

Matthew 3:7

x

यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है।

हे साँप के बच्चों।

यह एक उपमा है जहरीले साँप खतरनाक होते हैं और बुराई का प्रतीक हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम दुष्ट जहरीले सांपों" या "तुम जहरीले सांपों के समान दुष्ट हो"।

तुम्हें किसने जता दिया कि आने वाले क्रोध से भागो?

इस प्रश्न के द्वारा यूहन्ना उन लोगों को झिड़क रहा था क्योंकि वे उससे बपतिस्मा इसलिए लेना चाहते थे कि परमेश्वर उन्हें दण्ड न दे, परन्तु वे पाप करना छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। "तुम इस प्रकार परमेश्वर के क्रोध से बच नहीं सकते", या "यह न सोचो कि बपतिस्मा लेकर तुम परमेश्वर के क्रोध से बच जाओगे"।

आने वाले क्रोध से

वैकल्पिक अनुवाद, "आने वाले दण्ड से" या "परमेश्वर के क्रोध से जिसे वह कार्य रूप देने वाला है"। यहाँ "क्रोध" शब्द को काम में लिया गया है जो परमेश्वर के दण्ड को दर्शाता है क्योंकि उसका क्रोध दण्ड से पहले है।

हमारा पिता अब्राहम है।

"अब्राहम हमारा पूर्वज है", या "हम अब्राहम का वंश हैं"।

परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है।

"परमेश्वर इन पत्थरों से सन्तान उत्पन्न करके अब्राहम को दे सकता है"।

Matthew 3:10

x

यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है।

कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है

कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है, - यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "परमेश्वर तुम्हें दण्ड देने के लिए तैयार है यदि तुम अपने पाप के व्यवहार से मन नहीं फिराओगे, जैसे मनुष्य जिस पेड़ को काटना चाहता है उसकी जड़ पर कुल्हाड़ा रखता है"।

मैं तो पानी से बपतिस्मा देता हूँ।

यूहन्ना मन फिराने वालों को बपतिस्मा देता था।

परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है।

यीशु ही है जो यूहन्ना के बाद आनेवाला था।

वह पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "परमेश्वर तुममें पवित्र आत्मा का अन्तर्वास करायेगा और तुम्हें आग से लेकर चलेगा कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने वालों का न्याय करो और उनका शोधन करो"।

वह तुम्हें बपतिस्मा देगा।

यीशु तुम्हें बपतिस्मा देगा।

उसका सूप उसके हाथ में है और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा।

यह रूपक यीशु द्वारा धर्मियों और अधर्मियों को अलग करने की रीति की तुलना गेहूँ और भूसे को अलग करने से करती है। संबन्ध को स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, "मसीह उस मनुष्य के समान है जिसके हाथ में सूप है"।

उसका सूप उसके हाथ में है।

वैकल्पिक अनुवाद, "मसीह के हाथ में सूप है क्योंकि वह तैयार है।"

सूप

इससे गेहूँ को उछाला जाता है कि दाना भूसे से अलग हो। गेहूँ का दाना भारी होने के कारण नीचे गिर जाता है और भूसा हवा में उड़ जाता है। ये वैसा ही है जैसा लोहे का पंजा।

अपना खलिहान

भूसे से गेहूँ अलग करने का स्थान। वैकल्पिक अनुवाद, "उसका स्थल" या "वह स्थान जहाँ वह गेहूँ को भूसे से अलग करता है।"

गेहूँ को खत्ते में इकट्ठा करेगा परन्तु भूसी को उस अन्य में जलायेगा जो बुझने की नहीं।

गेहूँ को खत्ते में इकट्ठा करेगा परन्तु भूसी को उस आग में जलायेगा जो बुझने की नहीं। -यह एक रूपक है जिसके द्वारा सचित्र वर्णन किया जा रहा है कि परमेश्वर धर्मियों को अधर्मियों से कैसे अलग करेगा। धर्मी जन स्वर्ग में जाएगे जैसे गेहूँ किसान के खत्ते में सुरक्षित रख दिया जाए और परमेश्वर उन अधर्मियों को जिनकी तुलना भूसी से की गयी है, उन्हें अनंत आग में जलने के लिए डाल देगा।

Matthew 3:13

x

यहाँ यूहन्ना द्वारा यीशु के बपतिस्मे का वृत्तान्त है।

मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है।

मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है , "मुझे" यूहन्ना के लिए है और "तेरे" यीशु के लिए है।

तू मेरे पास आया है?

यह एक प्रश्न हैजिसके उत्तर की अपेक्षा नहीं की जा रही है। वैकल्पिक अनुवाद, "क्योंकि तू पापी नहीं है, इसलिए तुझे मेरे पास आने की आवश्यकता नहीं कि बपतिस्मा ले"। ध्यान दे कि "तू" यीशु के लिए काम में लिया गया है और "मेरे" यूहन्ना के लिए

Matthew 3:16

x

यहाँ यूहन्ना द्वारा यीशु के बपतिस्मे का वर्णन किया गया है।

यीशु बपतिस्मा लेकर.... ऊपर आया।

यीशु बपतिस्मा लेकर , इसका अनुवाद किया जा सकता है, "यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दे दिया तब"।

उसके लिए आकाश खुल गया।

वैकल्पिक अनुवाद, "उसने आकाश को खुला देखा" या उसने "उसने स्वर्ग को खुला देखा"

कबूतर के समान उतरते।

कबूतर समान उतरते, (1) यह एक सरल वाक्य हो सकता है कि परमेश्वर का आत्मा कबूतर के रूप में था। (2) यह एक उपमा हो सकती है कि आत्मा की तुलना कबूतर से की जाए जो यीशु पर बड़ी कोमलता से उतरा।

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।


Translation Questions

Matthew 3:2

जंगल में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला क्या प्रचार करता था?

यूहन्ना प्रचार करता था, "मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।"

Matthew 3:3

यशायाह की भविष्यद्वाणी में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को क्या करना था?

यूहन्ना के बारे में यह भविष्यद्वाणी की गई थी कि वह प्रभु का मार्ग तैयार करेगा।

Matthew 3:6

यूहन्ना से बपतिस्मा लेते समय लोग क्या करते थे?

बपतिस्मा लेते समय लोग अपने पापों का अंगीकार करते थे।

Matthew 3:8

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने फरीसियों और सदूकियों से क्या करने को कहा था?

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने फरीसियों और सदूकियों से कहा कि वे मन-फिराव के योग्य फल लाएं।

Matthew 3:9

यूहन्ना ने फरीसियों और सदूकियों को किस भ्रम के विरुद्ध चेतावनी दी थी?

यूहन्ना ने फरीसियों और सदूकियों को चेतावनी दी कि वे इस भ्रम में न रहें कि उनका पिता अब्राहम है।

Matthew 3:10

यूहन्ना के अनुसार फल न लाने वाले प्रत्येक वृक्ष का क्या होता है?

यूहन्ना कहता था कि जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता वह काटा और आग में झोंका जाता है।

Matthew 3:11

यूहन्ना के बाद आने वाला बपतिस्मा कैसे देगा?

यूहन्ना के बाद जो आएगा वह पवित्र-आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।

Matthew 3:15

यीशु ने यूहन्ना से क्या कहा कि यूहन्ना उसे बपतिस्मा देने को तैयार हो गया?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना द्वारा उसका बपतिस्मा धार्मिकता को पूरा करने के लिए उचित है।

Matthew 3:16

पानी से बाहर आते ही यीशु ने क्या देखा?

नदी के पानी से बाहर आने पर यीशु ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और उस पर आते देखा।

Matthew 3:17

यीशु के बपतिस्मे के बाद आकाशवाणी में क्या कहा गया था?

आकाशवाणी हुई, "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।"


Chapter 4

1 तब उस समय आत्मा यीशु को एकांत में ले गया ताकि शैतान से उसकी परीक्षा हो।* 2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। (निर्ग. 34:28) 3 तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” 4 यीशु ने उत्तर दिया, “लिखा है,

     ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं,

     परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।’ ”

5 तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। (लूका 4:9) 6 और उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे*।’ ” (भज. 91:11-12) 7 यीशु ने उससे कहा, “यह भी लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर की परीक्षा न कर।’ ” (व्य. 6:16) 8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर 9 उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा*।” 10 तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है: ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’ ” (व्य. 6:13) 11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे।

12 जब उसने यह सुना कि यूहन्ना पकड़वा दिया गया, तो वह गलील को चला गया। 13 और नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो झील के किनारे जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र में है जाकर रहने लगा। 14 ताकि जो यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।

    15 “जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र,

     झील के मार्ग से यरदन के पास अन्यजातियों का गलील-

    16 जो लोग अंधकार में बैठे थे उन्होंने बड़ी ज्योति देखी; और जो मृत्यु के क्षेत्र और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।”

17 उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।”

18 उसने गलील की झील के किनारे फिरते हुए दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछवे थे। 19 और उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।” 20 वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। 21 और वहाँ से आगे बढ़कर, उसने और दो भाइयों अर्थात् जब्दी के पुत्र* याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया। 22 वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

23 और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। 24 और सारे सीरिया देश में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और दुःखों में जकड़े हुए थे, और जिनमें दुष्टात्माएँ थीं और मिर्गीवालों और लकवे के रोगियों को उसके पास लाए और उसने उन्हें चंगा किया। 25 और गलील, दिकापुलिस*, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।



Matthew 4:1

x

इस अंश में शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा का वर्णन है।

परखने वाले ने (शैतान ने)

यह उसी व्यक्तित्व के संदर्भ में है, आपको दोनों अनुवाद में वही शब्द काम में लेने होंगे।

वह....निराहार रहा, तब उसे भूख लगी।

यह यीशु के संदर्भ में है।

यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे।

(1) यह अपने लाभ के लिए आश्चर्यकर्म करने की परीक्षा है, "तू परमेश्वर का पुत्र है इसलिए आज्ञा दे सकता है"। या (2) चुनौती या दोषारोपण, "आज्ञा देकर सिद्ध कर कि तू परमेश्वर का पुत्र है"। (देखें यू.डी.बी.) उत्तम तो यही होगा कि माना जाए कि शैतान जानता था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है।

कह दे कि पत्थर रोटियाँ बन जाएं।

"इन पत्थरों से कह कि वे रोटियाँ बन जाएं।"

Matthew 4:5

x

शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है।

यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो अपने आपको नीचे गिरा दे।

(1) या तो यह उसके अपने लाभ के निमित्त आश्चर्यकर्म की परीक्षा है, "क्योंकि तू सच में परमेश्वर का पुत्र है तो अपने आपको नीचे गिरा सकता है", या (2) एक चुनौती या दोषारोपण है, "अपने आप को नीचे गिराकर परमेश्वर का सच्चा पुत्र होना सिद्ध कर"। (देखें यू.डी.बी.) यह मानना उत्तम होगा कि शैतान जानता था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है।

नीचे

भूमि पर

वह.... आज्ञा देगा।

वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे"। या "परमेश्वर अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा कि तुझे संभाल लें।

Matthew 4:7

x

शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है।

यह भी लिखा है।

यह भी लिखा है , इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "मैं तुझ से फिर कहता हूँ कि धर्मशास्त्र में लिखा है"।

उससे कहा।

उससे कहा , "शैतान ने यीशु से कहा"।

मैं सब कुछ तुझे दे दूंगा।

मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा , "मैं तुझे यह सब दे दूंगा"। परीक्षा लेने वाले का कहने का अर्थ है कि उसमें से कुछ भाग नहीं परन्तु पूरा का पूरा।

Matthew 4:10

शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है।

यह तीसरी बार है कि यीशु ने धर्मशास्त्र के संदर्भ से शैतान को झिड़का।

इबलीस

मत्ती शैतान के लिए एक भिन्न शब्द काम में लेता है परन्तु उसका अर्थ भी शैतान ही है।

देख

"देखो" शब्द यहाँ हमें सतर्क करता है कि आगे जो नई महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई है उस पर ध्यान दें।

Matthew 4:12

x

इस अंश में गलील क्षेत्र में यीशु की सेवा का वर्णन है।

यूहन्ना बन्दी बना लिया गया है।

"यूहन्ना बन्दी बना लिया गया है"।

Matthew 4:14

x

गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है।

Matthew 4:17

x

गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है।

स्वर्ग का राज्य निकट आया है।

इसका अनुवाद आप वैसे ही करेंगे जैसे आपने इस विचार का अनुवाद में किया है।

Matthew 4:18

x

गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है।

जाल डालते देखा।

"जाल डालते देखा।"

मेरे पीछे चले आओ।

यीशु ने अन्द्रियास और शमौन को अपने अनुसरण हेतु आंमन्त्रित किया कि उसके साथ रहें और उसके शिष्य बन जायें। वैकल्पिक अनुवाद, "मेरे शिष्य हो जाओ"।

मैं तुमको मनुष्यों के पकड़़ने वाले बनाऊंगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "जिस प्रकार तुम मछलियां पकड़ते हो वैसे ही मैं तुम्हें परमेश्वर के लिए मनुष्यों को लाना सिखाऊंगा"।

Matthew 4:21

x

गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है।

वे... अपने जालों को सुधार रहे थे।

वे... अपने जालों को सुधार रहे थे। "वे"अर्थात जबदी और उसके दो पुत्र या केवल ये दोनों भाई।

उसने उन्हें भी बुलाया।

"यीशु याकूब और यूहन्ना को बुलाता है", इस वाक्यांश का अर्थ भी यही है कि यीशु ने उन्हें अपने साथ रहकर और शिष्य बनने का निमंत्रण दिया।

तुरन्त

तुरन्त , "उसी पल"।

नाव छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

यहाँ स्पष्ट किया जाता है कि यह जीवन परिवर्तन है। ये लोग अब मछुवे नहीं रहेंगे, अब वे अपने पारिवारिक व्यवसाय को त्याग कर आजीवन यीशु के अनुयायी होंगे।

Matthew 4:23

x

गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है।

हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले।

"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है।

दिकापुलिस

"दस नगरों" (देखें यू.डी.बी.) गलील सागर के दक्षिण पूर्व में बसा एक क्षेत्र।


Translation Questions

Matthew 4:1

जंगल में शैतान द्वारा परीक्षा के लिए यीशु को लेकर कौन गया था?

पवित्र-आत्मा यीशु को जंगल में ले गया कि शैतान उसकी परीक्षा ले।

Matthew 4:2

जंगल में यीशु ने कितने दिन उपवास किया था?

जंगल में यीशु ने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया।

Matthew 4:3

शैतान ने यीशु की पहली परीक्षा क्या ली थी?

शैतान ने यीशु की परीक्षा लेते हुए कहा कि वह पत्थर को रोटी बना दे।

Matthew 4:4

पहली परीक्षा का यीशु ने क्या उत्तर दिया था?

यीशु ने कहा कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।

Matthew 4:5

शैतान ने यीशु की दूसरी परीक्षा क्या ली थी?

शैतान ने यीशु से कहा कि वह मंदिर के कंगूरे पर से स्वयं को गिरा दे।

Matthew 4:7

यीशु ने दूसरी परीक्षा के उत्तर में क्या कहा था?

यीशु ने उत्तर दिया, तू अपने प्रभु परमेश्वर की परीक्षा न कर।

Matthew 4:8

शैतान ने यीशु की तीसरी परीक्षा कैसे ली?

शैतान ने परीक्षा ली कि यीशु उसे दण्डवत् करके जगत का राज्य ले ले।

Matthew 4:10

यीशु ने तीसरी परीक्षा का क्या उत्तर दिया था?

यीशु ने कहा कि केवल प्रभु परमेश्वर की उपासना करना और उसकी ही सेवा करना अनिवार्य है।

Matthew 4:15

कफरनहूम में यीशु के जाने से कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई?

यशायाह की भविष्यद्वाणी पूरी हुई कि गलीलवासी अन्धकार में ज्योति देखेंगे।

Matthew 4:17

वहाँ यीशु ने क्या प्रचार करना आरंभ किया?

यीशु प्रचार करने लगा, "मन फिराओ क्योंकि परमेश्वर का राज्य निकट आया है।"

Matthew 4:18

पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना की जीविका क्या थी?

पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना सब मछुवारे थे।

Matthew 4:19

यीशु ने पतरस और अन्द्रियास से क्या कहा की वह उन्हें बनाएगा?

यीशु ने कहा था कि वह पतरस और अन्द्रियास को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाएगा।

Matthew 4:23

उस समय यीशु शिक्षा देने कहाँ जाता था?

यीशु गलील क्षेत्र के आराधनालयों में शिक्षा देता था।

Matthew 4:24

यीशु के पास कैसे लोगों को लाया गया और यीशु ने उनके साथ क्या किया?

सब रोगी और दुष्टात्माग्रस्त लोग यीशु के पास लाए गए और यीशु ने उन्हें चंगा किया।

Matthew 4:25

उस समय यीशु के पीछे कितने लोग थे?

उस समय विशाल जनसमूह यीशु के पीछे चलता गया।


Chapter 5

1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। 2 और वह अपना मुँह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा :

    3 “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

    4 “धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शान्ति पाएँगे।

    5 “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। (भज. 37:11)

    6 “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएँगे।

    7 “धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।

    8 “धन्य हैं वे, जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे।

    9 “धन्य हैं वे, जो मेल करवानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर के पुत्र कहलाएँगे।

    10 “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

11 “धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें और सताएँ और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। 12 आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है। इसलिए कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहले थे इसी रीति से सताया था।

13 “तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। 14 तुम जगत की ज्योति हो। जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उससे घर के सब लोगों को प्रकाश पहुँचता है। 16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।

17 “यह न समझो, कि मैं व्यवस्था* या भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षाओं को लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ। (रोम. 10:4) 18 क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएँ, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। 19 इसलिए जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उनका पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। 20 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे।

21 “तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि ‘हत्या न करना’, और ‘जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा।’ (निर्ग. 20:13) 22 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा और जो कोई अपने भाई को निकम्मा* कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ‘अरे मूर्ख’ वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। 23 इसलिए यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहाँ तू स्मरण करे, कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है, 24 तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर, और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा। 25 जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग में हैं, उससे झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे न्यायाधीश को सौंपे, और न्यायाधीश तुझे सिपाही को सौंप दे और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। 26 मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तू पाई-पाई चुका न दे तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।

27 “तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’ (व्य. 5:18, निर्ग. 20:14) 28 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उससे व्यभिचार कर चुका। 29 यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाएँ, तो उसे निकालकर अपने पास से फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। 30 और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाएँ, तो उसको काटकर अपने पास से फेंक दे, क्योंकि तेरे लिये यही भला है, कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।

31 “यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्‍नी को त्याग दे, तो उसे त्यागपत्र दे।’ (व्य. 24:1-14) 32 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्‍नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।

33 “फिर तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था, ‘झूठी शपथ न खाना, परन्तु परमेश्‍वर के लिये अपनी शपथ को पूरी करना।’ (व्य. 23:21) 34 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्‍वर का सिंहासन है। (यशा. 66:1) 35 न धरती की, क्योंकि वह उसके पाँवों की चौकी है; न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है। (यशा. 66:1) 36 अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है। 37 परन्तु तुम्हारी बात हाँ की हाँ, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इससे अधिक होता है वह बुराई से होता है।

38 “तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत। (व्य. 19:21) 39 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे। 40 और यदि कोई तुझ पर मुकद्दमा करके तेरा कुर्ता* लेना चाहे, तो उसे अंगरखा* भी ले लेने दे। 41 और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साथ दो कोस चला जा। 42 जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उससे मुँह न मोड़।

43 “तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर। (लैव्य. 19:18) 44 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिये प्रार्थना करो। (रोम. 12:14) 45 जिससे तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मी और अधर्मी पर मेंह बरसाता है। 46 क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिये क्या लाभ होगा? क्या चुंगी लेनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते?

47 “और यदि तुम केवल अपने भाइयों को ही नमस्कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो? क्या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते? 48 इसलिए चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है। (लैव्य. 19:2)



Matthew 5:1

x

अध्याय 5-7 एक ही घटना है। यीशु एक पहाड़ पर चढ़कर अपने शिष्यों को शिक्षा देने के लिए बैठ गया।

अपना मुँह खोलकर।

"यीशु ने कहना आरंभ किया"।

उन्हें उपदेश देने लगा।

"उन्हें" अर्थात शिष्यों को।

मन के दीन।

"वे जो समझते थे कि उन्हें परमेश्वर की आवश्यकता है।"

जो लोग शोक करते हैं।

जो शोक करते थे क्योंकि (1) संसार पापी था या (2) उनके अपने पाप थे या (3) किसी की मत्यु। जब तक आपकी भाषा में शोक के कारण की आवश्यकता नहीं तब तक कारण स्पष्ट न करें।

वे शान्ति पाएंगे।

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उन्हें शान्ति देगा"।

Matthew 5:5

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

धर्म के भूखे और प्यासे।

"जितनी उन्हें भोजन-पानी की लालसा थी उतनी ही धर्मी जीवन की आवश्यकता थी।"

वे तृप्त किए जायेंगे।

"परमेश्वर उन्हें परिपूर्ण करेगा"।

जिनके मन शुद्ध हैं।

"जिन मनुष्यों के मन साफ हैं"।

वे परमेश्वर को देखेंगे।

"उन्हें परमेश्वर के साथ रहने की अनुमति दी जाएगी" या "परमेश्वर उनके साथ रहने की अनुमति देगा"।

Matthew 5:9

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

मेल कराने वाले।

ये वे लोग हैं जो मनुष्यों को आपस में मेल मिलाप से रहना सिखाते हैं।

परमेश्वर के पुत्र।

ये परमेश्वर की अपनी सन्तान हैं

जो सताए जाते हैं।

वैकल्पिक अनुवाद, "जिनके साथ मनुष्य अनुचित व्यवहार करता है।"

धर्म के कारण

"क्योंकि वे परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं।"

स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

"परमेश्वर उन्हें स्वर्ग के राज्य में रहने देगा"। वे स्वर्ग के राज्य के स्वामी तो नहीं हैं परन्तु परमेश्वर उन्हें अपनी उपस्थिति में रहने का अधिकार देता है।

Matthew 5:11

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की झूठी बातें कहें।

"जो तुम्हारे बारे में सच नहीं परन्तु मेरे अनुसरण के कारण" या मुझमें विश्वास करने की अपेक्षा तुम्हारा कोई दोष नहीं है।

आनन्दित और मगन होना।

"आनन्दित और मगन" का अर्थ लगभग एक ही है। यीशु चाहता था कि उसके अनुयायी आनन्दित ही नहीं कही अधिक आनन्दित हों।

Matthew 5:13

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

तुम पृथ्वी के नमक हो।

"तुम पृथ्वी के निवासियों के लिए नमक के समान हो"। या जैसा नमक भोजन में वैसा ही तुम संसार में हो"। इसके अर्थ हो सकते हैं (1) ठीक वैसे ही जैसे नमक भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, तुम्हें संसार में लोगों को प्रभावित करना है कि वे भले मनुष्य हों" या (2) जिस प्रकार नमक भोजन को परिरक्षित करता है वैसे ही तुम भी मनुष्य को भ्रष्ट होने से बचाए रखो"।

यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए।

इसका अर्थ है "यदि नमक की नमकीन करने की क्षमता चली जाए" (जैसा यू.डी.बी. में है) या (2) यदि नमक अपने स्वाद से वंचित हो जाए"।

वह फिर किस वस्तु से नमकीन हो सकता है?

"वह उपयोगी कैसे किया जाए"? या "उसे उपयोगी बनाने का कोई उपाय नहीं"

बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंधा जाए।

"वह एक काम का रह जाता है कि सड़क पर फेंक दिया जाए जहाँ लोग चलते हैं"।

तुम जगत की ज्योति हो।

"तुम संसार में लोगों के लिए ज्योति के समान हो"।

जो नगर पहाड़ पर बसा है वह छिप नहीं सकता।

"पहाड़ पर बसे नगर की बत्तियां रात में छिप नहीं सकती है"। या "पहाड़ पर बसे नगर की बत्तियां सब देख सकते हैं"। (देखें: और )

Matthew 5:15

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

नाही मनुष्य दीया जलाते।

"मनुष्य दीया नहीं जलाते।"

दीया

यह एक छोटी कटोरी है जिसमें जैतून के तेल में एक बत्ती डूबी हुई रहती है। महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि वह प्रकाश देता है।

टोकरी के नीचे नहीं रखते।

"दीया टोकरी के नीचे रखें" यह एक कहावत है कि प्रकाश उत्पन्न करके उसे छिपाएँ कि लोग दीये का प्रकाश नहीं देख पाएँ।

Matthew 5:17

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

एक मात्रा या एक बिन्दु।

"छोटे से छोटा लिखित अक्षर या अक्षर का "छोटे से छोटा अंश" या ”वे नियम जो महत्त्वहीन प्रतीत होते हैं"।

आकाश और पृथ्वी

"वह सब जो परमेश्वर ने सृजा है"।

बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।

"व्यवस्था में जो कुछ लिखा था वह सब परमेश्वर ने कर दिया है"।

Matthew 5:19

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े।

"जो एक भी आज्ञा तोड़े चाहे वह महत्त्व में सबसे कम क्यों न हो"।

सबसे छोटा कहलाएगा।

"परमेश्वर भी कहेगा कि वे सबसे कम महत्त्व के हैं।"

सबसे छोटा

"महत्त्व में सबसे कम"

उन्हें सिखाएगा।

परमेश्वर की कोई आज्ञा सिखाएगा।

महान

महत्त्वपूर्ण

तुम.... तुम्हारी... तुम्हें

ये शब्द बहुवचन हैं।

Matthew 5:21

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु लोगों के समूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या होगा, "तुम सुन चुके हो", "मैं तुमसे कहता हूँ" ये वाक्यांश जनसमूह से कहे गए हैं अतः बहुवचन में हैं, "हत्या न करना" एक वचन है परन्तु आप इसे बहुवचन में अनुवाद कर सकते हैं।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है अर्थात यीशु जो कह रहा है वह परमेश्वर की आज्ञाओं के बराबर महत्त्वपूर्ण है। अतः इस वाक्यांश को इस प्रकार अनुवाद करें कि यह बल उभर आए।

हत्या

यह शब्द हत्या करने के लिए है हत्या के हर एक रूप के लिए नहीं है।

भाई

यह शब्द सहविश्वासी के लिए है, न कि भाई या पड़ोसी के लिए है।

निकम्मा... मूर्ख

यह उन लोगों के लिए अपमान के शब्द हैं जो उचित रूप में सोच नहीं सकते "निकम्मा" शब्द निर्बुद्धि के निकट है जबकि "मूर्ख" में परमेश्वर की अवज्ञा का विचार है।

कचहरी

यह स्थानीय सभा है, न कि यरूशलेम की महासभा।

Matthew 5:23

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

तू

यीशु जनसमूह से कह रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या होगा। "तू" और "तेरा" सब शब्द एकवचन में हैं परन्तु आपकी भाषा में इन्हें बहुवचन में अनुवाद करने की आवश्यकता होगी।

अपनी भेंट वेदी पर लाएं।

"भेंट चढाएं" या "भेंट लेकर आएं"।

तू स्मरण करे

"वेदी के निकट खड़ा हो और तुझे याद आये।"

तेरे भाई के मन में तेरे लिए कुछ विरोध है।

"यदि किसी को तेरे द्वारा की गई हानि स्मरण हो"।

पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर ले।

"अपनी भेंट चढ़ाने से पहले अपने भाई से मेल कर।"

Matthew 5:25

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से कह रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या होगा। "तू" और "तेरा" सब शब्द एकवचन में हैं परन्तु आपकी भाषा में इन्हें बहुवचन में अनुवाद करने की आवश्यकता होगी।

कहीं ऐसा न हो कि दोष लगानेवाला तुझे न्यायी को सौंपे।

"इसका परिणाम हो सकता है कि तेरा दोष लगानेवाला तुझे न्यायी को सौंप दे" या "क्योंकि तेरा दोष लगानेवाला तुझे पकड़वा दे"।

न्यायी को सौंपे

"तुझे न्यायालय में पेश करे"।

अधिकारी

हाकिम जिस व्यक्ति को न्यायाधीश के निर्णय लेने का अधिकार है।

वहाँ

बन्दीगृह।

Matthew 5:27

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम सुन चुके हो" और "मैं तुम से यह कहता हूँ", बहुवचन में हैं। "न करना" एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता होगी।

करना

इस शब्द का अर्थ है कार्य रूप देना या कुछ करना।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है, अर्थात यीशु जो कह रहा है वह परमेश्वर की आज्ञा के बराबर है। इस वाक्यांश को अपनी भाषा में इस प्रकार अनुवाद करें कि उसमें यह बल उभर आए। जैसा में है।

जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उससे व्यभिचार कर चुका है।

इस रूपक से प्रकट होता है कि किसी स्त्री पर कुदृष्टि डालने वाला पुरूष उतना ही दोषी है जितना कि वास्तव में व्यभिचार करने वाला।

स्त्री पर कुदृष्टि डाले

मन में अन्य स्त्री का लालच करने वाला।

Matthew 5:29

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है, "तुम" और "तू" के सब शब्द एकवचन हैं परन्तु आपकी भाषा में उनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है।

दाहिनी आँख .... दाहिना हाथ।

बाएँ हाथ या बाईं आँख की तुलना में दाहिनी आँख और हाथ अधिक महत्त्वपूर्ण है। आपको इसका अनुवाद करना होगा "दाहिना" या "सबसे अच्छा" या "एकमात्र"

यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए।

"यदि तू जो देखता है, वह तुझे ठोकर खिलाए" या "यदि तू जो देखता है उसके कारण तू पाप करना चाहे"। ठोकर खाना एक रूपक है जो "पाप करने के लिए काम में लिया जाता है। यीशु यहाँ व्यंग का उपयोग कर रहा है क्योंकि मनुष्य ठोकर खाने से बचने के लिए आंखें काम में लेता है।

उसे निकालकर फेंक दे।

"उसे बलपूर्वक निकाल दे" या "उसे नष्ट कर दे" (देखें यू.डी.बी.) यदि दाहिनी आँख विशेष करके व्यक्त की जाए तो आपको अनुवाद करना होगा, "उसे निकाल दे", यदि "आँखों" शब्द काम में लिया गया है तो आपको अनुवाद करना होगा, "उन्हें निकाल दे"। (देखें यू.डी.बी.)

निकाल कर फेंक दे

"उससे छुटकारा पा ले"।

तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए।

"तुझे अपनी देह का एक अंग नष्ट होने देना होगा"।

यदि तेरा दाहिना हाथ।

यह लाक्षणिक प्रयोग संपूर्ण व्यक्तित्व के कार्यों से हाथ का संबन्ध जताने के लिए हैं।

Matthew 5:31

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यह भी कहा गया था।

परमेश्वर ने "कहा" था (देखें यू.डी.बी.) यीशु यहाँ कर्मवाच्य वाक्य काम में ले रहा है, वह स्पष्ट करना चाहता है कि न तो परमेश्वर से और न ही परमेश्वर के वचन के से असहमत है, इसकी अपेक्षा वह कह रहा है कि तलाक का कारण उचित है तो वह मान्य है। तलाक देना अन्याय है चाहे पुरूष ने लिखित रूप दिया हो।

वह अपनी पत्नी को तलाक दे दे।

यह तलाक के लिए शिष्टोक्ति है।

उसे देने दो।

यह एक आज्ञा है, "उसे देना है"।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

यदि संकेत दे रहा है कि वह "जो कहा गया है" उससे अलग कुछ कहना चाहता है। यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है क्योंकि वह दावा करता है कि वह उससे अधिक महत्त्वपूर्ण है जिसने पहले "कहा" है।

उससे व्यभिचार करवाता है।

जो पुरूष स्त्री को अनुचित तलाक देता है, वह "उससे व्यभिचार करवाता है" (यहाँ व्यभिचार के लिए वही शब्द काम में ले जो ). में काम में लिए हैं। अनेक संस्कृतियों में उसके लिए दूसरे पुरूष से विवाह करना सामान्य बात है परन्तु यदि तलाक अनुचित है तो ऐसा पुनः विवाह व्यभिचार है। (देखें यू.डी.बी.)

Matthew 5:33

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या हो सकता है। "तुम सुन चुके हो" में "तुम" और "मैं तुम से यह कहता हूँ" में "मैं" बहुवचन हैं।

तुम सुन चुके हो।

"तुम्हारे धर्मगुरूओं ने तुमसे कहा है, पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था, झूठी शपथ न खाना, यीशु यहाँ कर्मवाच्य वाक्य काम में ले रहा है कि स्पष्ट कर दे कि वह न तो परमेश्वर न ही परमेश्वर के वचन से असहमत है। इसकी अपेक्षा वह अपने श्रोताओं को कह रहा है कि जो उनका नहीं उसे काम में लेने के लिए मनुष्यों को अपने शब्दों पर विश्वास दिलाएं।

कहा गया

कहा गया या इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है।

शपथ

इसका अर्थ है (1) परमेश्वर और मनुष्यों से कहें कि आप वही करेंगे जो परमेश्वर चाहता है (देखें: यू.डी.बी.) या (2) मनुष्यों से कहें कि परमेश्वर जानता है कि आपने जो देखा है उसके बारे में आप जो कह रहे हैं वह सच है।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

परन्तु मैं तुमसे कहता हूँ , इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा आपने में किया है।

कभी शपथ न खाना न तो स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है, न धरती की क्योंकि वह उसके पाँवों की चौकी है... न यरूशलेम की क्योंकि वह महाराजा का नगर है।

और भ. से लिया गया यह रूपक परमेश्वर के लिए है कि वह "महाराजा" है जिस प्रकार यीशु के श्रोता नहीं सोच सकते कि सांसारिक राजा का सुन्दर सिंहासन या उसके पाँवों की चौकी या उसके निवासनगर को उसका अपना नहीं सोच सकते कि उसके शब्दों को महत्त्वपूर्ण बनाए, अतः उन्हें स्वर्ग या पृथ्वी या यरूशलेम की शपथ खाकर अपने शब्दों को विश्वासयोग्य बनाएं।

कभी शपथ न खाना।

यदि आपकी भाषा में आज्ञा का बहुवचन है तो उसे यहाँ काम में लें। "तू झूठी शपथ न खाना" (पद 33) इससे श्रोता को शपथ खाने की अनुमति है परन्तु झूठी शपथ की नहीं। "कभी शपथ न खाना" किसी भी शपथ का विरोध करता है।

शपथ न खाना।

इसका अनुवाद वैसा करें जैसा पद 33 में किया है।

Matthew 5:36

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। यहाँ "तू" का उपयोग एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है, "तुम्हारी बात" में "तुम्हारी" शब्द बहुवचन है। में यीशु ने अपने श्रोताओं से कहा है कि परमेश्वर का सिंहासन, पाँवों की चौकी, उसका निवास स्थान उनका अपना नहीं कि उसकी शपथ खाएं। वह तो यहाँ तक कहता है कि हमारे सिर भी हमारे नहीं कि उनकी शपथ खाएं।

शपथ।

इसके अनुवाद में वही शब्द काम में ले जो में काम में लिया है।

तुम्हारी बात ‘हाँ’ की ‘हाँ’ या ‘नहीं’ की ‘नहीं’ हो।

"यदि तुम हाँ कहना चाहते हो तो "हाँ" कहो और यदि नहीं कहना चाहते हो तो "नहीं" कहो।

Matthew 5:38

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनका क्या हो सकता है।

तुम सुन चुके हो कि कहा गया था।

इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है।

तुम सुन चुके हो।

यहाँ "तुम" एकवचन में है।

आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत।

उन्हें बदला लेने की अनुमति थी परन्तु हानि की सीमा तक ही।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है।

वो जो बुरा है

"बुरा जन" या "तुम्हें हानि पहुंचाने वाला"। (यू.डी.बी.)

जो तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे।

यह सब बहुवचन में हैं।

तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे।

यीशु की संस्कृति में किसी को थप्पड़ मारना अपमानजनक था। जिस प्रकार आँख और हाथ उपमा दी गई है उसी प्रकार दाहिना गाल रूपक स्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण गाल है और उस पर थप्पड़ मारना अत्यधिक संभावित अपमान था।

थप्पड़ मारे।

क्रिया शब्द से स्पष्ट होता है कि थप्पड़ हथेली के पीछे वाले भाग से मारा गया है।

उसकी ओर दूसरा भी फेर दे।

"उसे दूसरे गाल पर भी मारने दे"।

Matthew 5:40

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या हो सकता है। "तुम" तुझ, "तेरे" आदि सब एकवचन हैं जैसे "दे" "जा" "मुँह न मोड़" परन्तु आपको इनका अनुवाद बहुवचन में करना होगा।

कुरता... दोहर

कुरता ऊपरी शरीर पर पहना जाता था जैसे शर्ट या बनियान। दोहर इन दोनों में अधिक कीमती थी जो कुर्ते के ऊपर पहना जाता था कि शरीर गर्म रहे, रात में गर्मी के लिए भी इसका उपयोग कम्बल स्वरूप किया जाता था।

ले लेने दे।

"उस मनुष्य को दे दे"।

जो कोई

जो कोई - कोई भी मनुष्य

कोस भर

कोस भर - एक हज़ार कदम, रोमी सैनिक को कानूनी अधिकार प्राप्त था कि किसी को भी अपना समान उठाकर एक कोस चलने के लिए विवश कर सकता था।

उसके साथ

वह जो किसी को समान उठाकर चलने के लिए विवश करता है ।

दो कोस चला था।

"एक मील चलने के लिए उसने तुझे विवश किया परन्तु एक मील और चला जा"।

Matthew 5:43

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना आरंभ में हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ क्या हो सकता है। "अपने पड़ोसी से प्रेम रखना और अपने बैरी से बैर" यह एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। "तुम" के सब उदाहरण तथा आज्ञाएं "प्रेम करना" "प्रार्थना करो", बहुवचन में हैं।

तुम सुन चुके हो कि कहा गया था।

इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है। यहाँ "पड़ोसी" शब्द का अर्थ है समुदाय के सदस्य या वह जनसमूह जिसके साथ उदारता प्रकट करने की इच्छा हो या सहायता करना आवश्यक हो। इसका संदर्भ पास में रहनेवालों से नहीं है। आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा।

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ।

परन्तु मैं तुमसे कहता हूँ , इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा आपने में किया है।

तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे।

"तुम्हारा चरित्र अपने पिता का सा होगा"।

Matthew 5:46

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम", "तुमसे" के सब उदाहरण बहुवचन में हैं।

नमस्कार करो।

यह एक सामान्य शब्द है जो श्रोता के कल्याण की मनोकामना प्रकट करता है। इन पदों में चार प्रश्न हैं। यू.डी.बी. में दिखाया गया है कि उन्हें अभिकथन कैसे बनाया गया है।


Translation Questions

Matthew 5:3

मन के दीन मनुष्य धन्य क्यों हैं?

मन के दीन जन धन्य हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

Matthew 5:4

शोक करने वाले क्यों धन्य हैं?

शोक करने वाले धन्य हैं क्योंकि वे शान्ति पाएंगे।

Matthew 5:5

नम्र जन धन्य क्यों हैं?

नम्र जन धन्य हैं क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।

Matthew 5:6

धर्म के भूखे और प्यासे क्यों धन्य हैं?

धर्म के भूखे और प्यासे धन्य हैं क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे।

Matthew 5:11

यीशु के कारण निन्दित होने वाले और सताए जाने वाले क्यों धन्य हैं?

यीशु के कारण जिनकी निन्दा की जाए और उन्हें सताया जाए वे धन्य हैं क्योंकि उनके लिए स्वर्ग में बड़ा फल है।

Matthew 5:15

विश्वासी मनुष्यों के सामने अपना उजियाला कैसे चमकाएंगे?

विश्वासी भले कामों द्वारा मनुष्यों के सामने अपना उजियाला चमकाएं।

Matthew 5:17

यीशु पुराने नियम की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के साथ क्या करने आया था?

यीशु पुराने नियम की व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं की वाणी को पूरा करने आया था।

Matthew 5:19

स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन कहलाएगा?

जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें मनुष्यों को सिखाएगा वह स्वर्ग के राज्य में बड़ा कहलाएगा।

Matthew 5:21

यीशु ने शिक्षा दी कि हत्यारे ही नहीं परमेश्वर के दण्ड के भागी और कौन होंगे?

यीशु की शिक्षा थी कि हत्यारे ही नहीं, अपने भाई पर क्रोध करने वाले भी दण्ड पाने के संकट में हैं।

Matthew 5:23

यदि हमारे भाई के मन में हमारे विरुद्ध कुछ है तो यीशु की शिक्षा के अनुसार क्या करना चाहिए?

यीशु ने सिखाया कि यदि हमारे भाई के मन में हमारे विरुद्ध कुछ है तो हमें उससे मेल-मिलाप करना है।

Matthew 5:25

यीशु ने क्या सिखाया कि हम न्यायालय में जाने से पूर्व करें?

यीशु ने सिखाया कि हमें न्यायालय में जाने से पूर्व ही अपने आरोपी से समझौता कर लेना चाहिए।

Matthew 5:27

यीशु ने सिखाया कि व्यभिचार तो गलत है ही परन्तु और क्या है जो गलत है?

यीशु ने सिखाया कि व्यभिचार ही गलत नहीं स्त्री की लालसा करना भी अनुचित है।

Matthew 5:29

यीशु की शिक्षा के अनुसार हमें पाप के हर एक कारण के साथ क्या करना है?

यीशु ने सिखाया कि हमें उस हर एक बात से मुक्ति पाना है जो हमसे पाप करवाती है।

Matthew 5:32

यीशु ने तलाक की अनुमति क्यों दी थी?

यीशु ने व्यभिचार के कारण तलाक को स्वीकार किया था।

यदि पति अपनी पत्नी को अनुचित तलाक दे तो वह उसे क्या बनने पर विवश करता है?

यदि कोई पति अपनी पत्नी को अनुचित तलाक दे और वह पत्नी पुनर्विवाह कर लें तो वह उससे व्यभिचार करवाता है।

Matthew 5:33

स्वर्ग, पृथ्वी, यरूशलेम या अपने सिर की शपथ खाने की अपेक्षा हमें यीशु की शिक्षा के अनुसार क्या करना चाहिए?

यीशु का कहना था कभी किसी भी बात की शपथ नहीं खाना चाहिए परन्तु हमारी बात "हाँ" की "हाँ" और "नहीं" की "नहीं" हो।

Matthew 5:38

यीशु की शिक्षा के अनुसार हमें बुरा करने वाले के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?

यीशु ने सिखाया कि हमें बुरे का सामना नहीं करना चाहिए।

Matthew 5:43

यीशु की शिक्षा के अनुसार हमें अपने बैरियों और सताने वालों के साथ क्या करना चाहिए?

यीशु ने सिखाया कि हमें अपने बैरियों से प्रेम करना है और अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना है।

Matthew 5:46

यीशु ने क्यों कहा कि हमें केवल अपने प्रेम करने वालों से ही नहीं अपने बैरियों से भी प्रेम करना है?

यीशु ने कहा कि यदि हम केवल अपने प्रेम करने वालों से ही प्रेम रखें तो हमें प्रतिफल नहीं मिलेगा क्योंकि हम वही करते हैं जो अन्य जातियाँ करती हैं।


Chapter 6

1 “सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धार्मिकता के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।

2 “इसलिए जब तू दान करे, तो अपना ढिंढोरा न पिटवा, जैसे कपटी*, आराधनालयों और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उनकी बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बायाँ हाथ न जानने पाए। 4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

5 “और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये आराधनालयों में और सड़कों के चौराहों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उनको अच्छा लगता है। मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक-बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बार-बार बोलने से उनकी सुनी जाएगी। 8 इसलिए तुम उनके समान न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या-क्या आवश्यकताएँ है।

9 “अतः तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो:

     ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं; तेरा नाम पवित्र* माना जाए। (लूका 11:2)

    10 ‘तेरा राज्य आए*। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।

    11 ‘हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।

    12 ‘और जिस प्रकार हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।

    13 ‘और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; [क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही है।’ आमीन।]

14 “इसलिए यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। 15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।

16 “जब तुम उपवास करो, तो कपटियों के समान तुम्हारे मुँह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुँह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें। मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुँह धो। 18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने। इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

19 “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहाँ कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहाँ न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 21 क्योंकि जहाँ तेरा धन है वहाँ तेरा मन भी लगा रहेगा।

22 “शरीर का दीया आँख है: इसलिए यदि तेरी आँख अच्छी हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा। 23 परन्तु यदि तेरी आँख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अंधियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अंधकार हो तो वह अंधकार कैसा बड़ा होगा!

24 “कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक से निष्ठावान रहेगा और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम परमेश्‍वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते। 25 इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे, और क्या पीएँगे, और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहनेंगे, क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं? 26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तो भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते? 27 तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?

28 “और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? सोसनों के फूलों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न काटते हैं। 29 तो भी मैं तुम से कहता हूँ, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उनमें से किसी के समान वस्त्र पहने हुए न था। 30 इसलिए जब परमेश्‍वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्यों न पहनाएगा?

31 “इसलिए तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहनेंगे? 32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएँ चाहिए। 33 इसलिए पहले तुम परमेश्‍वर के राज्य और धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें मिल जाएँगी। (लूका 12:31) 34 अतः कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुःख बहुत है।



Matthew 6:1

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम", "तू", "तेरा" सब बहुवचन में हैं।

अपने आगे तुरही न बजवा।

अपने आगे तुरही न बजवा - आकर्षण का केन्द्र नहीं बनना जैसे भीड़ के बीच तुरही बजाने वाला करता है।

बड़ाई

वही शब्द काम में ले जो में काम में लिए हैं।

Matthew 6:3

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उसके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। "तू", "तेरा" बहुवचन में हैं।

जो तेरा दाहिना हाथ करता है उसे तेरा बायाँ हाथ न जानने पाए।

यह पूर्ण गोपनीयता का रूपक है। जिस प्रकार कि हाथ एक साथ काम करते है और कहा जा सकता है कि वे सदैव एक दूसरे के काम जानते हैं। तुम्हें अपने निकटतम व्यक्ति पर भी प्रकट नहीं होने देना है कि तुम गरीबों को कब दान देते हो।

तेरा दान गुप्त रहे।

"तू गरीबों को दान दे तो कोई भी जान न पाए"।

Matthew 6:5

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। पद 5 और 7 में "तू" "तुम" बहुवचन में हैं। पद 6 में वे एकवचन में है परन्तु आपको उनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

मैं तुमसे सच कहता हूँ।

वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ"।

अपनी कोठरी में जा।

वैकल्पिक अनुवाद, "किसी एकान्तवास में जा" या "भीतरी कमरे में जा"

तेरा पिता जो गुप्त में देखता है।

इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है, "तेरा पिता देखता है कि मनुष्य गुप्त में क्या करते हैं।"

बक बक न करो।

अर्थहीन शब्दों को दोहराना।

बहुत बोलने से।

"लम्बी प्रार्थनाएं" या "अनेक शब्द"

Matthew 6:8

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। वह उनके साथ सामूहिक वार्तालाप कर रहा है, जहाँ तक "इस रीति से प्रार्थना करने का विषय है, "पिता" के साथ जुड़े "तुम्हारा" शब्द सब एकवचन में है।

तेरा नाम पवित्र माना जाए।

"हम चाहते हैं कि सबको ज्ञात हो कि तू पवित्र है"।

तेरा राज्य आए।

तेरा राज्य आए -देखना चाहते हैं कि तू सब मनुष्यों और सब वस्तुओं पर राज करे।

Matthew 6:11

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

"हम", "हमारे" के सब उपयोग उस जनसमूह से संदर्भित हैं जिनसे यीशु बातें कर रहा है। (देखें: : )

अपराध

अपराध के लिए "कर्ज़" शब्द को भी रूपक स्वरूप काम में लिया गया है जबकि कर्ज़ का अर्थ है किसी से कुछ उधार लेना।

अपराधियों।

जो किसी का ऋणी है। पापियों के लिए रूपक है।

Matthew 6:14

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तू" और "तेरा" के सब संदर्भ बहुवचन में हैं।

Matthew 6:16

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। पद 17 और 18में "तू", "तेरा" तुझ के सब संदर्भ एकवचन है। आप संभवतः इनका अनुवाद बहुवचन में करना चाहेंगे कि पद 16 में "तुम" से सुसंगत हो।

इसके अतिरिक्त।

"यह भी।"

सिर पर तेल मल।

"वैसे ही दिखाई दो जैसे सामान्यतः दिखते थे"। तेल मलने का अर्थ है सामान्य रूप से केश संवारना। इसका अर्थ "मसीह" अर्थात "अभिषिक्त जन" से कुछ नहीं है।

Matthew 6:19

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है।"तेरा" एकवचन में है।

धन इकट्ठा करो।

धन मौलिक वस्तुएं है जिनसे हम प्रसन्न होते हैं।

Matthew 6:22

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तेरी", "तेरा" एकवचन में है परन्तु आपको इनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है।

शरीर का दीया आँख है।

"दीये के सदृश्य आँख आपको स्पष्ट देखने में सहायक होती है"।

यदि तेरी आँख निर्मल हो तो सारा शरीर भी उजियाला होगा।

यदि आपकी आंखें स्वस्थ हैं, यदि आप देख सकते है तो आपका संपूर्ण शरीर उचित रूप से काम करेगा, अर्थात आप चल सकते हैं, काम कर सकते हैं आदि। यह एक रूपक है जो परमेश्वर के समान देखने के लिए काम में लिया गया है, विशेष करके उदारता और लालसा के संबन्ध में। (देखें यू.डी.बी.)

आँख

इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा।

प्रकाश से भर जाओं।

यह समझ के लिए रूपक है।

यदि तेरी आँख बुरी है।

यह जादू नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद, "तू वैसे नहीं देख सकता जैसे परमेश्वर देखता है"। यह लालसा के लिए भी रूपक हो सकता है। देखें यू.डी.बी., "तू कैसा लालची हो गया" और ).

जो ज्योति तुममें है वह वास्तव में अन्धकार है।

"जिसे तू ज्योति समझता है वह वास्तव में अन्धकार है।" यह एक रूपक है जिसका अभिप्राय है कि मनुष्य सोचता है कि उसका समझना ऐसा ही है जैसा परमेश्वर का समझना है जबकि वह वास्तव में वैसा समझता नहीं हैं।

वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा?

अन्धकार में रहना बुरा है। अन्धकार में रहकर सोचना कि ज्योति में हैं तो वह और भी अधिक बुरा है।

वह एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा या एक के प्रति स्वामिभक्ति निभाएगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा।

ये दो वाक्यांश एक ही बात का संदर्भ देते हैं, परमेश्वर और धन दोनों ही से प्रेम एवं भक्ति दिखाने में अयोग्य होना।

तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।

"तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा एक साथ नहीं कर सकते।"

Matthew 6:25

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

क्या प्राण भोजन से और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?

भोजन और वस्त्र जीवन में सर्वाधिक महत्त्व के नहीं हैं यह अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम्हारा जीवन तुम्हारे खाने से और वेशभूषा से बढ़कर है"। वैकल्पिक अनुवाद, "जीवन भोजन से बढ़कर है, नहीं है क्या? और देह वेशभूषा से बढ़कर है, नहीं है क्या"?

खत्तों

फसल रखने का स्थान

क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?

इस अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम आकाश के पक्षियों से अधिक मूल्यवान हो"। वैकल्पिक अनुवाद: "तुम चिड़ियों से अधिक मूल्यवान हो, नहीं हो क्या"?

Matthew 6:27

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

तुममें कौन है जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?

इस प्रश्न का अभिप्राय है कि मनुष्य चिन्ता करके अधिक नहीं जी सकता। देखें:

एक घड़ी

एक घड़ी यहाँ रूपक स्वरूप काम में ली गई है यह जीवन का समय बढ़ाने के लिए काम में लिया गया है। (देखें: और )

और वस्त्र के लिए क्यों चिंता करते हो?

इस प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम्हें चिन्ता नहीं करना है कि क्या पहनेंगे।"

ध्यान दो।

"विचार करो"।

सोसनों

यह जंगल का एक फूल है

Matthew 6:30

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

घास

यदि आपकी भाषा में घास के लिए शब्द है और में आने सोसन के लिए जो शब्द काम में लिया है, उन्हें यहाँ काम में लें।

आग में झोंकी जायेगी।

यीशु के समय यहूदी खाना पकाने के लिए घास जलाते थे। (देखें यू.डी.बी.) वैकल्पिक अनुवाद "आग में डाली जायेगी" या "जलाई जायेगी"।

हे अल्प-विश्वासियों।

यीशु उन्हें झिड़क रहा था क्योंकि उनको परमेश्वर पर पूरा भरोसा नहीं था। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम जिनका विश्वास ऐसा कम है“ या एक नया वाक्य, ”तुम्हारा विश्वास इतना कम क्यों है"?

इसलिए

वैकल्पिक अनुवाद "इन बातों के कारण"।

Matthew 6:32

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

क्योंकि.... इसलिए

प्रत्येक शब्द एक नये वाक्य का आरंभ करता है तो का वर्णन करता है। अर्थात अन्यजातीय इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, अतः "चिन्ता न करना", "तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है "अतः चिन्ता न करना"।

इसलिए

वैकल्पिक अनुवाद "इन बातों के कारण"।

"कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा।"

दिन का व्यक्तिवाचक संबोधन वास्तव में उस मनुष्य का प्रतीक है जो "कल के दिन के लिए जीता है।" (देखें यू.डी.बी.)

आज के लिए आज ही का दुःख बहुत है।

इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, "आज के दिन के लिए आज की परेशनियाँ ही बहुत हैं"।


Translation Questions

Matthew 6:1

हमें स्वर्गीय पिता से प्रतिफल पाने के लिए धार्मिकता के काम कैसे करना है?

हमें गुप्त में धार्मिकता के काम करना है।

Matthew 6:2

मनुष्यों को दिखाने के लिए किए गए कामों का प्रतिफल क्या है?

जो लोग मनुष्यों को दिखाने के लिए धार्मिकता के काम करते हैं उनका प्रतिफल मनुष्य की प्रशंसा है।

Matthew 6:5

मनुष्यों को दिखाने के लिए प्रार्थना करने वालों का प्रतिफल क्या है?

पाखंडी मनुष्यों को दिखाने के लिए प्रार्थना करते हैं तो उनका प्रतिफल मनुष्यों की प्रशंसा है।

Matthew 6:6

गुप्त में प्रार्थना करने वालों को प्रतिफल कौन देता है?

जो गुप्त में प्रार्थना करते हैं उनका प्रतिफल पिता से है।

Matthew 6:7

यीशु क्यों कहता है कि हमें व्यर्थ के शब्द दोहराए बिना प्रार्थना करना चाहिए?

यीशु ने कहा कि हमें व्यर्थ के शब्दों को दोहराते हुए प्रार्थना नहीं करना है क्योंकि स्वर्गीय पिता हमारे मांगने से पहले ही जानता है कि हमें क्या चाहिए।

Matthew 6:10

हमें कहाँ के लिए स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी होने की प्रार्थना करना है?

हमें स्वर्गीय पिता से प्रार्थना करना है कि जैसे उसकी इच्छा स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी पूरी हो।

Matthew 6:15

यदि हम अपने अपराधियों को क्षमा नहीं करेंगे तो स्वर्गीय पिता क्या करेगा?

यदि हम किसी के अपराध क्षमा नहीं करेंगे तो स्वर्गीय पिता हमारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।

Matthew 6:16

हमें स्वर्गीय पिता से प्रतिफल पाने के लिए कैसे उपवास करना चाहिए?

जब हम उपवास करें तो मुंह लटकाकर मनुष्यों के सामने प्रदर्शन न करें तो स्वर्गीय पिता हमें प्रतिफल देगा।

Matthew 6:19

हमें कहाँ धन एकत्र करना है और क्यों?

हमें स्वर्ग में धन एकत्र करना है, क्योंकि वहाँ न तो वह नष्ट होगा न ही चुराया जाएगा।

Matthew 6:21

जहाँ हमारा धन है वहाँ क्या होगा?

हमारा मन वहीं होगा जहाँ हमारा धन है।

Matthew 6:24

हमें कौन से दो स्वामियों में से चुनाव करना है?

हमें धन और परमेश्वर में से एक को अपना स्वामी बनाना है।

Matthew 6:25

हमें खाने, पीने और पहनने की चिन्ता क्यों नहीं करना है?

हमें खाने, पीने और पहनने की चिन्ता नहीं करना है क्योंकि हमारा स्वर्गीय पिता पक्षियों की भी सुधि लेता है और हम तो उनसे कहीं अधिक मूल्यवान हैं।

Matthew 6:27

यीशु हमें किस सत्य का स्मरण करवाता है कि हम चिन्ता करके उपलब्ध नहीं कर सकते हैं?

यीशु हमें स्मरण करवाता है कि हम चिन्ता करके अपने जीवन में एक घड़ी भी बढ़ा नहीं सकते।

Matthew 6:33

हमें अपनी सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति से पूर्व किसकी खोज करना है?

हमें सर्वप्रथम परमेश्वर के राज्य की और उसकी धार्मिकता की खोज करना है तब हमारी सब सांसारिक आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी।


Chapter 7

1 “दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। 2 क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।

3 “तू क्यों अपने भाई की आँख के तिनके को देखता है, और अपनी आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? 4 जब तेरी ही आँख में लट्ठा है, तो तू अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘ला मैं तेरी आँख से तिनका निकाल दूँ?’ 5 हे कपटी, पहले अपनी आँख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आँख का तिनका भली भाँति देखकर निकाल सकेगा।

6 “पवित्र वस्तु कुत्तों को न दो, और अपने मोती सूअरों के आगे मत डालो; ऐसा न हो कि वे उन्हें पाँवों तले रौंदें और पलटकर तुम को फाड़ डालें।

7 “माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। 8 क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।

9 “तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उससे रोटी माँगे, तो वह उसे पत्थर दे? 10 या मछली माँगे, तो उसे साँप दे? 11 अतः जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा? (लूका 11:13) 12 इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षा यही है।

13 “सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश की ओर ले जाता है; और बहुत सारे लोग हैं जो उससे प्रवेश करते हैं। 14 क्योंकि संकरा है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।

15 “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्तर में फाड़नेवाले भेड़िए हैं। (यहे. 22:27) 16 उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। क्या झाड़ियों से अंगूर, या ऊँटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं? 17 इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। 18 अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। 19 जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। 20 अतः उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।

21 “जो मुझसे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। 22 उस दिन बहुत लोग मुझसे कहेंगे; ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?’ 23 तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालों, मेरे पास से चले जाओ।’ (लूका 13:27)

24 “इसलिए जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 25 और बारिश और बाढ़ें आईं, और आँधियाँ चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गई थी। 26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस मूर्ख मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपना घर रेत पर बनाया। 27 और बारिश, और बाढ़ें आईं, और आँधियाँ चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।”

28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 29 क्योंकि वह उनके शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी के समान उन्हें उपदेश देता था।



Matthew 7:1

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यकितगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है "तुम", "तुम्हारे" और आज्ञाएं बहुवचन में है।

तुम पर भी दोष लगाया जायेगा।

तुम पर भी दोष लगाया जायेगा, इसे कर्तृवाच्य रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "परमेश्वर तुम पर दोष लगायेगा"। (यू.डी.बी.) या "मनुष्य तुम पर दोष लगायेंगे"।

क्योंकि

इससे सुनिश्चित होता है कि पाठक को समझना है कि पद 2 पद 1 पर निर्भर है।

नाप

इसका संदर्भ (1) दण्ड के परिमाण से (देखें यू.डी.बी.) या (2)दण्ड के मानदण्ड से हो सकता है।

Matthew 7:3

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तू", "तेरी" एकवचन में हैं परन्तु आपको उनका अनुवाद बहुवचन में करना होगा।

तुम क्यों देखते हो ... कैसे कह सकता है?

यीशु उन्हें चुनौती दे रहा है कि पहले अपने ही दोष/पाप पर ध्यान दें।

तिनका .... लट्ठा

ये दोनों रूपक है जो मनुष्य के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े दोष के लिए काम में लिए गए हैं।

भाई

यह शब्द सहविश्वासी के लिए है, न कि भाई या पड़ोसी के लिए है।

आँख

यह रूपक जीवन के लिए काम में लिया गया है।

तिनका

"तिनका" (यू.डी.बी.) या "किरच" या "धूल" सामान्यतः आँख में जो कुछ चला जाता है उसका शब्द काम में लें।

लट्ठा

पेड़ का सबसे बड़ा भाग। एक ऐसी बड़ी वस्तु जो आँख में नहीं जा सकती।

Matthew 7:6

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

कुत्तों ..... सूअरों.... रौंदे .... पलटकर .... फाड़ डालें।

संभव है कि सूअर "रौदेगें" और कुत्ते "फाड़ डालेगे"(यू.डी.बी)

कुत्ते ..... सूअर।

इन जानवरों को अशुद्ध माना जाता था और परमेश्वर ने उन्हें खाना मना किया था। ये उन अधर्मियों के लिए रूपक है जो पवित्र वस्तुओं को मान प्रदान नहीं करते है। इन शब्दों को अनुवाद में ज्यों का त्यों रखना ही उचित होगा।

मोती

ये अनमोल नगीने हैं। ये परमेश्वर के ज्ञान (देखें यू.डी.बी.) या सामान्यतः बहुमूल्य वस्तुओं के लिए काम में लिए जाते हैं।

Matthew 7:7

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

मांगो.... ढूँढ़ो ....खटखटाओ

ये तीन रूपक लगातार प्रार्थना करने के लिए हैं। यदि आपकी भाषा में बार-बार करने के लिए कोई शब्द है तो उसका उपयोग करें।

मांगो

परमेश्वर से विनती करना (देखें यू.डी.बी.)

ढूँढ़ो

"अपेक्षा" (यू.डी.बी.) या "खोज करो"।

खटखटाओ

खटखटाना एक नम्र निवेदन है कि घर में उपस्थित जन द्वार खोल दे। यदि खटखटाना आपकी भाषा में अभद्र शब्द है तो आपकी भाषा में द्वार खोलने के नम्र निवेदन के लिए जो शब्द है उसे काम में ले या अनुवाद करें, "परमेश्वर से कहें कि आप उससे द्वार खोलने का निवेदन करते हैं"।

या .... या

यीशु अपनी बातों को दूसरे शब्दों में कहने जा रहा है इन्हें छोड़ा जा सकता है। (यू.डी.बी.)

तुममें ऐसा कौन मनुष्य है?

इस अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है कि "ऐसा कोई भी नहीं है" (देखें यू.डी.बी. )

रोटी .... पत्थर .... मछली .... साँप

इनको ज्यों का त्यों रखें।

रोटी

"भोजन"

Matthew 7:11

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है।

तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करे।

"तुम अपने लिए मनुष्यों से जैसा व्यवहार चाहते हो"(यू.डी.बी.)।

Matthew 7:13

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। अनुवाद करने में "चौड़ा" और "बड़ा" के लिए उचित शब्दों का उपयोग करें जो "सकरा" के विपरीत हैं। यथासंभव इन दोनों फाटकों में गहन अन्तर को उभारें।

सकेत फाटक से प्रवेश करो।

आपके लिए इस वाक्यांश को पद 14 के अन्त में रखने की आवश्यकता हो सकती है, "इसलिए सकेत फाटक से प्रवेश करो"।

फाटक .... मार्ग

यह रूपक, अति संभव है कि उन मनुष्यों के लिए है जो "मार्ग" में चलकर "फाटक" तक पहुचते हैं और "जीवन" या "विनाश" में प्रवेश करते हैं (देखें यू.डी.बी. ))। अतः आपको संभवतः अनुवाद इस प्रकार करना होगा, "चौड़ा मार्ग वह है जो विनाश की ओर ले जाता है और चौड़ा फाटक वह है जिससे होकर मनुष्य उसमें प्रवेश करता है"। कुछ लोग "फाटक" और "मार्ग" को hendiadys मानते हैं जिसके उल्लेख की आवश्यकता नहीं है।

चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग .... सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग।

यू.एल.बी. में क्रियाओं से पहले विशेषणों का उपयोग किया गया है कि विशेषणों में विरोधाभास प्रकट हो। अपनी अनुवाद की रचना इस प्रकार करें कि आपकी भाषा में विशेषणों का विरोधाभास प्रकट हो।

विनाश

यह मनुष्यों के संहार के लिए एक सामान्य शब्द है। यहाँ संदर्भ के आधार पर यह वास्तव में शारीरिक मृत्यु है। (देखें यू.डी.बी.) जो सदाकालीन मृत्यु का रूपक है। यह शारीरिक "जीवन" का विलोम है, "जीवन" अनन्त जीवन का रूपक है।

Matthew 7:15

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

सावधान रहो।

"बचे रहो"

उनके फलों से

यीशु भविष्यद्वक्ताओं के कार्यों की तुलना पेड़ के फलों से करता है। वैकल्पिक अनुवाद "उनके कामों से"।

क्या लोग.....तोड़ते हैं?

"मनुष्य .... से नहीं तोड़ते हैं" यीशु जिन लोगों से बातें कर रहा है वे जानते हैं कि उसके प्रश्न का उत्तर "नहीं" है।

अच्छा पेड़ .... अच्छा फल लाता है।

यीशु फल के रूपक द्वारा सच्चे भविष्यद्वक्ताओं का चित्रण करता है जो अच्छे काम और अच्छे शब्द उत्पन्न करते हैं।

निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।

यीशु फल के रूपक द्वारा ही झूठे भविष्यद्वक्ताओं के कामों और शब्दों का चित्रण प्रस्तुत करता है।

Matthew 7:18

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता वह काटा और आग में डाला जाता है।

यीशु फल के वृक्ष की उपमा द्वारा झूठे भविष्यद्वक्ताओं का अनावरण करता है, यहाँ वह मात्र इतना ही कहता है कि निकम्मे वृक्ष का क्या होता है। यहाँ अभिप्राय अन्तर्निहित हे कि झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही होगा।

उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।

"उनके फलों से" या तो भविष्यद्वक्ता या पेड़ों के संदर्भ में है। इस रूपक का अभिप्राय है कि पेड़ों के फल और भविष्यद्वक्ताओं के काम दोनों ही से प्रकट होता है कि वे अच्छे हैं या बुरे। यदि संभव हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार करें कि उसका संदर्भ दोनों ही से हो।

Matthew 7:21

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।

"मेरे पिता की इच्छा को पूरा करनेवाला"।

हम

इसमें यीशु नहीं है।

उस दिन

यीशु ने केवल "उस दिन" कहा क्योंकि उसके श्रोता समझते थे कि उसके कहने का अर्थ है, न्याय के दिन। आपको इस तथ्य को उजागर करना है (जैसा यू.डी.बी. में है) यदि आपके पाठक नहीं समझें कि यीशु के श्रोता समझते थे कि यीशु किस दिन की चर्चा कर रहा है।

Matthew 7:24

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

इसलिए

"इस कारण"

बुद्धिमान मनुष्य ने .... अपना घर चट्टान पर बनाया।

यीशु उसके वचनों पर चलने वालों की तुलना उस व्यक्ति से करता है जिसने पक्का घर बनाया। ध्यान दें कि वर्षा, आँधी और बाढ़ उस घर को ढा नहीं पाए।

चट्टान

भूमि की अपनी सतह के नीचे की ठोस पत्थरीली परत है, न कि एक चट्टान जो उभरी हुई हो।

Matthew 7:26

x

यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

इस निर्बुद्धि मनुष्य के समान ठहरा जिसने अपना घर बालू पर बनाया।

यीशु उसी उपमा को काम में ले रहा है जो उसने में काम में ली है। वह उन लोगों की तुलना एक मूर्ख गृह निर्माता से कर रहा है जो उसके वचनों पर नहीं चलते। केवल एक मूर्ख ही बालू पर मकान खड़ा करेगा कि वर्षा, बाढ़, आंधी बालू को बहा ले जाए।

गिरकर सत्यानाश हो गया।

सामान्य उपयोग का शब्द काम में ले जो यह दर्शाता है कि मकान के गिर जाने पर क्या होता है।

सत्यानाश हो गया।

वर्षा, बाढ़ और आंधी से घर बिखर गया।

Matthew 7:28

ऐसा हुआ।

यदि आपकी भाषा में कहानी के नए मोड़ को दर्शाने का प्रवाधान है तो उसे यहाँ काम में लें। (देखें:TAlink:Discourse))


Translation Questions

Matthew 7:1

इससे पहले कि हम अपने भाई की सहायता के लिए स्पष्ट देख सकें, हमें क्या करना आवश्यक है?

अपने भाई की सहायता करने से पहले हमें अपने आपको देखकर अपनी आँख का लट्ठा निकालना है।

Matthew 7:6

यदि आप पवित्र वस्तुएं कुत्तों को देंगे तो क्या होगा?

आप कुत्तों को पवित्र वस्तुएं दे तो वे उसे रौंदेगे और आपको काट लेंगे।

Matthew 7:8

पिता से पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

पिता से कुछ प्राप्त करने के लिए हमें मांगना है, ढूंढना है और खटखटाना है।

Matthew 7:11

पिता मांगने वालों को क्या देता है?

स्वर्गीय पिता मांगने वालों को भली वस्तुएं देता है।

Matthew 7:12

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता मनुष्यों के साथ हमारे व्यवहार के बारे में क्या शिक्षा देते हैं?

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता सिखाते हैं कि जैसा हम चाहते हैं कि मनुष्य हमारे साथ करे वैसा ही हम उनके साथ भी करें।

Matthew 7:13

चौड़ा रास्ता हमें कहाँ ले जाता है?

चौड़ा रास्ता विनाश की ओर ले जाता है।

Matthew 7:14

सकेत मार्ग हमें कहाँ ले जाता है?

सकेत मार्ग जीवन की ओर ले जाता है।

Matthew 7:15

झूठे भविष्यद्वक्ता कैसे पहचाने जाते हैं?

हम झूठे भविष्यद्वक्ताओं को उनके जीवन के फलों से पहचान सकते हैं।

Matthew 7:21

स्वर्ग के राज्य में कौन प्रवेश करेगा?

स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलने वाले स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे।

Matthew 7:22

यीशु के नाम में भविष्यद्वाणी करने वालों, दुष्टात्मा निकालने वालों और चमत्कार करने वालों से यीशु क्या कहेगा?

यीशु कहेगा, "मैंने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालों, मेरे पास से चले जाओ।"

Matthew 7:24

यीशु दो घर निर्माताओं का दृष्टांत सुनाता है, उनमें से बुद्धिमान मनुष्य कौन है?

यीशु की बातों को सुनकर उनका पालन करने वाला एक बुद्धिमान मनुष्य के समान है।

Matthew 7:26

गृह बनाने वालो के दृष्टांत में मूर्ख मनुष्य कौन है?

यीशु के शब्दों को सुनकर उनका पालन न करने वाला मूर्ख है।

Matthew 7:29

शास्त्रियों की शिक्षा देने की विधि के साथ तुलना में यीशु की शिक्षा कैसी थी?

यीशु शास्त्रियों के समान नहीं, पूरे अधिकार से शिक्षा देता था।


Chapter 8

1 जब यीशु उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 2 और, एक कोढ़ी* ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा, “हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” 3 यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छुआ, और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा” और वह तुरन्त कोढ़ से शुद्ध हो गया। 4 यीशु ने उससे कहा, “देख, किसी से न कहना, परन्तु जाकर अपने आप को याजक को दिखा और जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा, ताकि उनके लिये गवाही हो।” (लैव्य. 14:2-32)

5 और जब वह कफरनहूम* में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उससे विनती की, 6 “हे प्रभु, मेरा सेवक घर में लकवे का मारा बहुत दुःखी पड़ा है।” 7 उसने उससे कहा, “मैं आकर उसे चंगा करूँगा।” 8 सूबेदार ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए, पर केवल मुँह से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। 9 क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक से कहता हूँ, जा, तो वह जाता है; और दूसरे को कि आ, तो वह आता है; और अपने दास से कहता हूँ, कि यह कर, तो वह करता है।”

10 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। 11 और मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत सारे पूर्व और पश्चिम से आकर अब्राहम और इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे। 12 परन्तु राज्य के सन्तान* बाहर अंधकार में डाल दिए जाएँगे: वहाँ रोना और दाँतों का पीसना होगा।” 13 और यीशु ने सूबेदार से कहा, “जा, जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिये हो।” और उसका सेवक उसी समय चंगा हो गया।

14 और यीशु ने पतरस के घर में आकर उसकी सास को तेज बुखार में पड़ा देखा। 15 उसने उसका हाथ छुआ और उसका ज्वर उतर गया; और वह उठकर उसकी सेवा करने लगी। 16 जब संध्या हुई तब वे उसके पास बहुत से लोगों को लाए जिनमें दुष्टात्माएँ थीं और उसने उन आत्माओं को अपने वचन से निकाल दिया, और सब बीमारों को चंगा किया। 17 ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो: “उसने आप हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।” (1 पत. 2:24)

18 यीशु ने अपने चारों ओर एक बड़ी भीड़ देखकर झील के उस पार जाने की आज्ञा दी। 19 और एक शास्त्री ने पास आकर उससे कहा, “हे गुरु, जहाँ कहीं तू जाएगा, मैं तेरे पीछे-पीछे हो लूँगा।” 20 यीशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं; परन्तु मनुष्य के पुत्र* के लिये सिर धरने की भी जगह नहीं है।” 21 एक और चेले ने उससे कहा, “हे प्रभु, मुझे पहले जाने दे, कि अपने पिता को गाड़ दूँ।” (1 राजा. 19:20-21) 22 यीशु ने उससे कहा, “तू मेरे पीछे हो ले; और मुर्दों को अपने मुर्दे गाड़ने दे*।”

23 जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए। 24 और, झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरों से ढँपने लगी; और वह सो रहा था। 25 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, “हे प्रभु, हमें बचा, हम नाश हुए जाते हैं।” 26 उसने उनसे कहा, “हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो?” तब उसने उठकर आँधी और पानी को डाँटा, और सब शान्त हो गया। 27 और लोग अचम्भा करके कहने लगे, “यह कैसा मनुष्य है, कि आँधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं।”

28 जब वह उस पार गदरेनियों के क्षेत्र में पहुँचा, तो दो मनुष्य जिनमें दुष्टात्माएँ थीं कब्रों से निकलते हुए उसे मिले, जो इतने प्रचण्ड थे, कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था। 29 और, उन्होंने चिल्लाकर कहा, “हे परमेश्‍वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम? क्या तू समय से पहले हमें दुःख देने यहाँ आया है?” (लूका 4:34) 30 उनसे कुछ दूर बहुत से सूअरों का झुण्ड चर रहा था। 31 दुष्टात्माओं ने उससे यह कहकर विनती की, “यदि तू हमें निकालता है, तो सूअरों के झुण्ड में भेज दे।” 32 उसने उनसे कहा, “जाओ!” और वे निकलकर सूअरों में घुस गई और सारा झुण्ड टीले पर से झपटकर पानी में जा पड़ा और डूब मरा। 33 और चरवाहे भागे, और नगर में जाकर ये सब बातें और जिनमें दुष्टात्माएँ थीं; उनका सारा हाल कह सुनाया। 34 और सारे नगर के लोग यीशु से भेंट करने को निकल आए और उसे देखकर विनती की, कि हमारे क्षेत्र से बाहर निकल जा।



Matthew 8:1

x

यीशु द्वारा अनेकों की चमत्कारी चंगाई का वृत्तान्त यहाँ आरंभ होता है।

जब वह पहाड़ से उतरा तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।

वैकल्पिक अनुवादः "यीशु पहाड़ से उतर कर नीचे आ गया तो एक विशाल जनसमूह उसके पीछे चलने लगा"। यहाँ जनसमूह शब्द से अभिप्राय यह हो सकता है कि जो लोग पहाड़ पर उसके साथ थे और जो यहाँ नीचे थे सब उसके पीछे चलने लगे।

देखो

यह शब्द "देखो" कहानी में नए मोड़ की हमें सूचना देता है। आपकी भाषा में इसका प्रावधान होगा।

एक कोढ़ी

"कोढ़ रोग से पीड़ित मनुष्य" या "चर्म रोग से ग्रस्त मनुष्य" (यू.डी.बी.)

यदि तू चाहे

वैकल्पिक अनुवाद, "यदि तेरी इच्छा है" या "यदि तू उचित समझे"। वह रोगी जानता था कि यीशु में चंगाई का सामर्थ्य था परन्तु यीशु उसे स्पर्श करेगा उसका विश्वास उसे नहीं था।

मुझे शुद्ध कर सकता है।

वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे निरोग कर सकता है" या "कृपया मेरा रोग निवारण कर"(यू.डी.बी.)।

तुरन्त

"तत्काल"

कोढ़ से शुद्ध हो गया।

यीशु ने कहा, "शुद्ध हो जा" परिणाम स्वरूप वह रोग मुक्त हो गया। वैकल्पिक अनुवाद, "वह चंगा हो गया" या "उसका कोढ़ चला गया" या "कोढ़ का अन्त हो गया"।

Matthew 8:4

x

यह भी यीशु द्वारा कोढ़ी की चंगाई का वृत्तान्त है।

उससे

रोग मुक्त कोढ़ी से।

किसी से न कहना।

चढ़ावा चढ़ाते समय तो उसे याजकों से कहना ही था (देखें यू.डी.बी.) यीशु के कहने का अर्थ था सबको नहीं बताना। इसका अनुवाद ऐसा हो सकता है, "सार्वजनिक चर्चा नहीं करना" या "यह और किसी से नहीं नहीं कहना कि मैंने तुझे रोग मुक्त किया है"।

अपने आप को याजक को दिखला

यहूदियों की व्यवस्था के अनुसार रोग मुक्त मनुष्य याजक को अपनी त्वचा दिखाए जो उसे जन संपर्क की अनुमति दे।

जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा कि लोगों के लिए गवाही हो।

मूसा की व्यवस्था में था कि जब मनुष्य कोढ़ से मुक्ति पाए तब वह याजक के पास धन्यवाद की बली चढ़ाए। याजक उस भेंट को स्वीकार करेगा तो सब जान लेंगे कि वह रोग मुक्त हो चुका है।

लोगों के लिए

यह (1) याजकों के लिए हो सकता है या (2) सबके लिए या (3) यीशु के आलोचकों के लिए। यदि संभव हो तो ऐसा सर्वनाम काम में लें जो वर्ग विशेष का द्योतक हो।

Matthew 8:5

x

यह यीशु द्वारा अनेकों की चंगाई का वृत्तान्त है।

उसके ... उससे

यीशु

लकवा

रोग के कारण असमर्थ

उसने उससे कहा "मैं आकर उसे चंगा करूँगा"।

"यीशु ने उस सूबेदार से कहा, "मैं तेरे घर आकर उसे निरोग करूँगा"।

Matthew 8:8

x

यह अनेकों की चंगाई का ही वृत्तान्त है।

मेरी छत तले आए।

"मेरे घर में प्रवेश करे"।

मुख से कह दे।

"आज्ञा दे दे"

सैनिक

"प्रशिक्षित योद्धा"

मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।

यीशु के श्रोता सोचते थे कि इस्राएल के यहूदी जो परमेश्वर की सन्तान होने का दावा करते थे, उनका विश्वास सबसे अधिक था। यीशु कहता है कि उनका सोचना गलत है, इस सूबेदार का विश्वास उनसे अधिक है।

Matthew 8:11

x

यह यीशु द्वारा रोमी सेना के सूबेदार के सेवक की रोग मुक्ति का ही वृत्तान्त है।

तू

यह यीशु के पीछे चल रहे लोगों के संदर्भ में है अतः बहुवचन है।

पूर्व और पश्चिम से

यह उक्ति एक रूपक है जो सम्पूर्णता को प्रकट करती हैः हर जगह से,अर्थात दूर दूर से, न की पूर्व में किसी एक स्थान से और न पश्चिम में किसी एक स्थान से। इसका अनुवाद हो सकता है, "सब जगहों से" या "दूर-दूर से"।

राज्य में बैठेंगे।

उस संस्कृति में भोजन करते समय मनुष्य आधा लेटकर खाता था। यह प्रथा परिवार और मित्रों की घनिष्ठता को दर्शाने का लाक्षणिक शब्द है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "उसके साथ परिवार और घनिष्ठ मित्रों के समान रहेंगे"।

राज्य के सन्तान बाहर अन्धकार में डाल दिए जायेंगे।

"परमेश्वर राज्य के संतान को बाहर डाल देगा"।

राज्य की सन्तान

"के सन्तान" किसी के होने को दर्शाता है यहाँ परमेश्वर के राज्य के होने को दर्शाता है। यहाँ व्यंग भी है कि सन्तान बाहर की जा रही है और परदेशियों का स्वागत किया जा रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वे जिन्होंने परमेश्वर को अपने जीवन में राज करने दिया होता"

बाहर अन्धकार में

यह अभिव्यक्ति परमेश्वर को अस्वीकार करने वालों की अनन्त नियति को दर्शाती है। "परमेश्वर से अलग अन्धकार का स्थान"।

वैसा ही तेरे लिए हो।

"मैं वैसा ही तेरे लिए करता हूँ"।

उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया।

सेवक उसी घड़ी चंगा होगा, "यीशु ने उसे चंगा कर दिया"।

उसी घड़ी

"ठीक उसी पल जब यीशु ने कहा कि वह उसे चंगा करता है"।

Matthew 8:14

x

यह अनेकों की चंगाई का ही वृत्तान्त है।

यीशु जब पतरस के घर आया।

यीशु के साथ संभवतः उसके शिष्य थे (जिन्हें उसने "निर्देश दिए" देखें: यू.डी.बी.) यहाँ मुख्य बात है यीशु ने क्या कहा और किया, अतः शिष्यों का उल्लेख तब ही करें जब गलत अर्थ से बचना हो।

पतरस की सास

"पतरस की पत्नी की माता"

उसका ज्वर उतर गया।

यदि आपकी भाषा में इसका अर्थ यह समझा जाए कि ज्वर सोचने और करने की क्षमता रखता है तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वह स्वस्थ हो गई" या "यीशु ने उसे चंगा किया"।

उठ कर

"बिस्तरा छोड़ कर"

Matthew 8:16

x

इसके साथ ही यीशु द्वारा अनेकों की चंगाई का वृत्तान्त समाप्त होता है।

जब संध्या हुई।

यू.डी.बी. अनुवाद में और से निष्कर्ष निकाला गया है कि जब यीशु कफरनहूम में आया तब वह सब्त का दिन था क्योंकि यहूदी उस दिन न तो काम करते थे और न ही यात्रा करते थे, वे शाम तक रूके रहे कि यीशु के पास रोमियों को लेकर आएं। आपका सब्त के दिन का उल्लेख नहीं करता है जब तक कि गलत अर्थ से बचना न हो।

उसने उन आत्माओं को अपने वचन से निकाल दिया।

यह अत्युक्ति है, यीशु ने एक से अधिक शब्दों का उपयोग किया होगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "यीशु को एक ही बार कहने की आवश्यकता पड़ी और दुष्टात्माएं निकल गईं"।

जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था वह पूरा हो।

"यीशु ने उस भविष्यद्वाणी को पूरा किया जो परमेश्वर ने यशायाह को इस्त्राएल पर प्रकट करने हेतु दी थी"।

यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था।

"जो यशायाह ने कहा था"

हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।

"मनुष्यों को रोगमुक्त किया और स्वाथ्य प्रदान किया"।

Matthew 8:18

x

यीशु अपने शिष्यों को समझाता है कि वह उनसे क्या अपेक्षा करता है।

वह, उसके

ये शब्द यीशु के लिए हैं, और

आज्ञा दी।

उसने उन्हें बताया कि क्या करना है।

तब

चेलों को आज्ञा देने के बाद परन्तु नाव में चढ़ने से पूर्व (देखें यू.डी.बी.)

जहाँ कहीं

"जिस जिस स्थान में"

लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते है।

कहने का अर्थ है कि सब पशु पक्षियों के अपने अपने घर होते है।

लोमड़ियों

लोमड़ियों, कुत्तों जैसी दिखती है और चिड़ियों के बच्चे तथा अन्य छोटे जानवरों को खाती हैं। यदि आपके यहाँ लोमड़ी नहीं हैं तो कुत्ते जैसे जानवर या अन्य किसी मांसाहारी छोटे जानवर का शब्द काम में लें।

भट

लोमड़ियाँ धरती में छेद करके उसमें रहती हैं। आप यदि लोमड़ियों के स्थान पर दूसरे कोई जानवर का नाम लिख रहें हैं तो उसके रहने के स्थान का नाम लिखें।

सिर धरने की जगह नहीं।

"सोने के लिए भी अपनी जगह नहीं"

Matthew 8:21

x

यीशु अपने शिष्यों से क्या अपेक्षा करता है उसी का वृत्तान्त चल रहा है।

मुझे पहले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूं।

यह एक नम्र निवेदन है। यहूदियों की प्रथा में मृतक को उसी दिन गाड़ने की प्रथा थी। अतः उस पुरूष का पिता संभवतः जीवित था। अतः उसने "गाड़ देना" एक अस्पष्ट (या गोल मोल वचन) स्वरूप काम में लिया कि जब तक उसका पिता जीवित है, कुछ दिन या कुछ वर्ष तब तक उसकी सेवा करे। (देखें यू.डी.बी.) यदि उसका पिता मृतक होता तो वह कुछ ही समय की अनुमति मांगता। पिता के मरने या जीवित रहने का उल्लेख तब ही करें जब गलत अर्थ निकल रहा हो।

मुर्दों को अपने मुर्दे गाड़ने दे।

यह सार गर्भित है, पूर्ण कथन नहीं है। अत: कम से कम शब्दों को काम में लें और कम से कम व्याख्या करें। यहाँ "गाड़ने" के लिए वही शब्द काम में ले जो उस युवक के निवेदन में काम में लिया है।

अपने मुर्दे गाड़ने दे।

यह पिता की सेवा के उसके उत्तरदायित्व का इन्कार करने के प्रबल शब्द है। "मृतकों को गाड़़ने दे" से भी अधिक प्रबल या "मृतकों को गाड़ने दे"। इसका अर्थ अधिक स्पष्टता में है, "मृतकों को किसी बात का चुनाव नहीं करने दे, केवल अपने मृतकों को स्वयं गाड़ें।"

मुरदों को अपने मुरदे गाड़ने दे

"मुरदों" परमेश्वर के राज्य से अलग जनों का रूपक है, उनके पास अनन्त जीवन नहीं है। "अपने मुरदे" का अर्थ है परमेश्वर के राज्य से अलग जनों के परिजन जो सचमुच में मर जाते हैं।

Matthew 8:23

x

अब यीशु द्वारा आंधी को शान्त करने का वृत्तान्त आरंभ होता है।

जब वह नाव पर चढ़ा।

जब वह नाव पर चढ़ा , "यीशु नाव में प्रवेश कर गया "

उसके चेले उसके पीछे हो लिए।

"शिष्य" और "पीछे हो लिए" के लिए वही शब्द काम में लें जो आपने और में काम में लिए हैं।

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा।

"झील में तूफान उठा"।

कि नाव लहरों से ढंकने लगी।

"कि लहरें नाव में आने लगी।"

चेलों ने ... उसे जगाया और कहा "हे प्रभु हमें बचा"

उन्होंने "हमें बचा" कह कर उसे नहीं जगाया था परन्तु जगा कर कहा, "हमें बचा"।

हम नष्ट हुए जाते हैं।

"हम मरने पर हैं।"

Matthew 8:26

x

यीशु द्वारा आँधी को शान्त करने का वृत्तान्त यहाँ समाप्त होता है।

उन्हें

चेले

तू ... तू

बहुवचन

क्यों डरते हो?

इस प्रश्न के द्वारा यीशु शिष्यों को झिड़क रहा था। इसका अर्थ है "तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है"।

हे अल्प विश्वासियों

यह बहुवचन है। इसका अनुवाद भी वैसा ही करे जैसा में किया है।

यह कैसा मनुष्य है कि आंधी और पानी भी इसकी आज्ञा मानते हैं।

इस प्रश्न से प्रकट होता है कि शिष्य आश्चर्यचकित थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, यह कैसा मनुष्य है"? या "हमने ऐसा मनुष्य नहीं देखा"। कि आंधी पानी भी उसकी आज्ञा मानें"।

आंधी और पानी भी इस आज्ञा को मानते हैं।

मनुष्य और जानवर आज्ञा माने या न माने, आश्चर्य की बात नहीं है परन्तु आँधी और पानी आज्ञा माने, यह तो वास्तव में आश्चर्यजनक है। मानव फिर से प्राकृतिक बातों को मनुष्य के सदृश्य सुनने और आज्ञा मानने वाला दर्शाता है।

Matthew 8:28

x

अब दो दुष्टात्माग्रस्त मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है।

उस पार

"गलील सागर के दूसरी ओर"

गदरेनियों के देश में,

गदरेनियों के देश में, गदरेनियों का अर्थ है गदारा नगर के निवासी।

वे इतने प्रचण्ड थे कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था।

उनमें अन्तर्वासी दुष्टात्माएं ऐसी भयंकर थी कि मनुष्यों का वहाँ से आना जाना असंभव हो गया था।

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम?

यह पहला प्रश्न प्रतिरोधी है।

परमेश्वर के पुत्र

दुष्टात्माएं उसके इस नाम से प्रकट करती हैं कि यीशु का स्वागत नहीं है क्योंकि वह जो है सो है।

क्या तू समय से पहले हमें दुःख देने यहाँ आया है?

यह दूसरा प्रश्न भी विरोधी है जिसका अर्थ है "तू हमसे परमेश्वर द्वारा निर्धारित समय से पूर्व दण्ड देकर परमेश्वर की अवहेलना नहीं कर सकता"।

Matthew 8:30

x

यीशु द्वारा दो दुष्टात्मा ग्रस्त मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है।

अब

इसका अर्थ है कि लेखक पाठकों को कहानी को आगे बढ़ाने से पूर्व कुछ जानकारी देना चाहता है। यीशु के आगमन से पूर्व वहाँ सूअर चर रहे थे।

यदि तू हमें निकालता है

इसका अर्थ यह भी हो सकता है, "क्योंकि तू हमें निकालने जा रहा है"

हमें

विशेषता सूचक शब्द

उन्हें

दुष्टात्माओं से जो उन मनुष्यों में थी।

वे निकल कर सुअरों में पैठ गई।

"दुष्टात्माएं उन पुरूषों में से निकल कर उन जानवरों में प्रवेश कर गई।"

देखो

यहाँ "देखो" शब्द हमें अग्रिम जानकारी के प्रति सचेत करता है।

सारा झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर

"पहाड़ी ढलान पर से भागे"

डूब मरा

"डूब गया"।

Matthew 8:33

x

दुष्टात्मा ग्रस्त दोनों पुरूषों की मुक्ति का वृत्तान्त वहाँ समाप्त होता है।

उनके चरवाहे

"सूअरों को संभालने वाले सेवक"

जिनमें दुष्टात्माएं थी उनका सारा हाल कह सुनाया।

जिनमें दुष्टात्माएं थी उनका सारा हाल कह सुनाया , यीशु ने उन दुष्टात्माग्रस्त पुरूषों के साथ क्या किया।

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

सारे नगर के लोग।

इसका अर्थ यह नहीं कि नगर का हर एक जन परन्तु यह कि अधिकांश जन।

सीमा

सीमा , "नगर और आसपास का क्षेत्र।"


Translation Questions

Matthew 8:4

यीशु ने क्यों कहा कि वह चंगाई प्राप्त कोढ़ी जाकर याजक को दिखाए और मूसा द्वारा ठहराया हुआ चढ़ावा चढ़ाए?

यीशु ने कोढ़ी को चंगा करके कहा कि वह जाकर याजक को दिखाए कि मनुष्यों में गवाही हो।

Matthew 8:7

सूबेदार ने जब यीशु से निवेदन किया कि वह उसके लकवाग्रस्त सेवक को चंगा करे तब यीशु ने उसको क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि वह सूबेदार के घर जाकर उसके सेवक को चंगा करेगा।

Matthew 8:8

सूबेदार ने क्यों कहा कि यीशु उसके घर न आए?

उस सूबेदार ने कहा कि वह इस योग्य नहीं कि यीशु उसके पास आए, उसके मुख का वचन ही रोगहरण का कारण होगा।

Matthew 8:10

यीशु ने उस सूबेदार की प्रशंसा में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि संपूर्ण इस्राएल में उसने ऐसा विश्वासी नहीं देखा था।

Matthew 8:11

यीशु ने किस-किस के लिए कहा कि वे स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे?

यीशु ने कहा कि पूर्व और पश्चिम दिशाओं से अनेक जन आकर स्वर्ग के राज्य में साथ बैठेंगे।

Matthew 8:12

यीशु के कथनानुसार कौन बाहर अन्धकार में डाल दिए जाएंगे जहाँ रोना और दांतों का पीसना होगा?

यीशु ने कहा कि राज्य के सन्तान बाहर अन्धकार में डाल दिए जाएंगे।

Matthew 8:14

पतरस के घर में यीशु ने किसको चंगा किया था?

पतरस के घर में यीशु ने उसकी सास को चंगा किया था।

Matthew 8:17

यीशु द्वारा सब दुष्टात्माग्रस्त और रोगियों को चंगा करने पर यशायाह की कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी?

यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी हुई, "उसने आप हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।"

Matthew 8:20

यीशु ने उस साथी से क्या कहा जो उसका शिष्य बनना चाहता था?

यीशु ने कहा कि उसके पास अपना स्थाई आवास नहीं है।

Matthew 8:21

वह चेला अपने पिता का अन्तिम संस्कार करना चाहता था। यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने अपने चेले से कहा, मुरदों को अपने मुरदे गाड़ने दे, तू मेरे पीछे हो ले।

Matthew 8:24

झील में बड़ी आंधी उठते समय यीशु नाव में क्या कर रहा था?

झील में आंधी उठी, उस समय यीशु नाव में सो रहा था।

Matthew 8:26

शिष्य डूब कर मरने से डर रहे थे तो उन्होंने यीशु को जगाया, यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, "हे अल्प-विश्वासियों क्यों डरते हो?"

Matthew 8:27

झील पर शान्ति देख शिष्य क्यों चकित हुए?

आंधी और पानी ने जब यीशु की आज्ञा मानी तो शिष्य यह देख दंग रह गए।

Matthew 8:28

यीशु गदरेनियों के देश में पहुंचा तो उसका सामना किससे हुआ?

दो उग्र स्वभाव दुष्टात्माग्रस्त पुरुषों का सामना यीशु से हुआ।

Matthew 8:29

उन मनुष्यों के माध्यम से बात करने वाली दुष्टात्माओं की चिन्ता का कारण क्या था?

दुष्टात्माएं परेशान हो गईं कि यीशु समय से पहले ही उन्हें दण्ड देने आ गया है।

Matthew 8:32

यीशु ने उनमें से दुष्टात्माएं निकालीं तो क्या हुआ?

यीशु ने उनमें से दुष्टात्माएं निकालीं तो वे सूअरों के झुंड में घुस गईं और सूअर झील में डूब मरे।

Matthew 8:34

नगर से आकर निवासियों ने यीशु से क्या निवेदन किया?

वहाँ के निवासियों ने यीशु से निवेदन किया कि वह चला जाए।


Chapter 9

1 फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया, और अपने नगर में आया। 2 और कई लोग एक लकवे के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए। यीशु ने उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, धैर्य रख; तेरे पाप क्षमा हुए।” 3 और कई शास्त्रियों ने सोचा, “यह तो परमेश्‍वर की निन्दा* करता है।” 4 यीशु ने उनके मन की बातें जानकर कहा, “तुम लोग अपने-अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो? 5 सहज क्या है? यह कहना, ‘तेरे पाप क्षमा हुए’, या यह कहना, ‘उठ और चल फिर।’ 6 परन्तु इसलिए कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।” उसने लकवे के मारे हुए से कहा, “उठ, अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।” 7 वह उठकर अपने घर चला गया। 8 लोग यह देखकर डर गए और परमेश्‍वर की महिमा करने लगे जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।

9 वहाँ से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती* नामक एक मनुष्य को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” वह उठकर उसके पीछे हो लिया। 10 और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुत सारे चुंगी लेनेवाले और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे। 11 यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा, “तुम्हारा गुरु चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?” 12 यह सुनकर यीशु ने उनसे कहा, “वैद्य भले-चंगों को नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है। 13 इसलिए तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।” (होशे 6:6)

14 तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?” 15 यीशु ने उनसे कहा, “क्या बाराती, जब तक दुल्हा उनके साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएँगे कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे। 16 नये कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द वस्त्र से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है। 17 और नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।”

18 वह उनसे ये बातें कह ही रहा था, कि एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा, “मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।” 19 यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया। 20 और देखो, एक स्त्री ने जिसके बारह वर्ष से लहू बहता था, उसके पीछे से आकर उसके वस्त्र के कोने को छू लिया। (मत्ती 14:36) 21 क्योंकि वह अपने मन में कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी।” 22 यीशु ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “पुत्री धैर्य रख; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” अतः वह स्त्री उसी समय चंगी हो गई। 23 जब यीशु उस सरदार के घर में पहुँचा और बाँसुरी बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा, 24 तब कहा, “हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है।” इस पर वे उसकी हँसी उड़ाने लगे। 25 परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उसने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी। 26 और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।

27 जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अंधे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, “हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।” 28 जब वह घर में पहुँचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ प्रभु।” 29 तब उसने उनकी आँखें छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।” 30 और उनकी आँखें खुल गई और यीशु ने उन्हें सख्‍ती के साथ सचेत किया और कहा, “सावधान, कोई इस बात को न जाने।” 31 पर उन्होंने निकलकर सारे क्षेत्र में उसका यश फैला दिया।

32 जब वे बाहर जा रहे थे, तब, लोग एक गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी उसके पास लाए। 33 और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा। और भीड़ ने अचम्भा करके कहा, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।” 34 परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”

35 और यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों* में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। 36 जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई चरवाहा न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे। (1 राजा. 22:17) 37 तब उसने अपने चेलों से कहा, “फसल तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। 38 इसलिए फसल के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत में काम करने के लिये मजदूर भेज दे।”



Matthew 9:1

x

अब यीशु द्वारा लकवे के रोगी की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है।

यीशु नाव पर चढ़कर पार गया।

यीशु नाव पर चढ़कर सम्भवतः उसके चेले भी साथ थे।

नाव

वही नाव जो में थी। यदि उलझन दूर करना हो तब ही स्पष्ट करें।

अपने नगर में आया।

"जिस नगर में वह ठहरा हुआ था" (यू.डी.बी.)

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

लोग.... रोगी को

जो लकवे के रोगी को यीशु के पास लाए। उनमें लकवे का रोगी भी था।

हे पुत्र

वह यीशु का पुत्र नहीं था। यीशु उसके साथ कोमलता का व्यवहार कर रहा था। यदि इससे उलझन उत्पन्न हो तो अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "मेरे मित्र", "हे युवक" या इसे छोड़ा भी जा सकता है।

तेरे पाप क्षमा हुए।

"परमेश्वर ने तेरे पाप क्षमा किए" या "मैंने तेरे पाप क्षमा किए"।

Matthew 9:3

x

यीशु द्वारा लकवे के रोगी की चंगाई का ही वृत्तान्त चल रहा है।

देखो

यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

अपने-अपने मन में।

इसका अर्थ है, "आपस में" अपने विचारों में या "एक दूसरे से" कहने लगे। यीशु का दावा प्रकट है कि वह ऐसे काम कर सकता है जो शास्त्रियों की समझ में केवल परमेश्वर ही करता है।

उनके मन की बातें जानकर

यीशु उनके मन की बातें दिव्य शक्ति से जान गया था या उनकी काना पूसी के कारण समझ गया था।

बुरा विचार क्यों कर रहे हो?

इस प्रश्न द्वारा यीशु शास्त्रियों को झिड़कता है।

तुम ... अपने

बहुवचन

बुरा

यह नैतिक बुराई या दुष्टता है न कि मात्र गलती।

सहज क्या है?

यीशु ने शास्त्रियों को स्मरण कराने के लिए यह प्रश्न पूछा था क्योंकि उनके विचार में वह अपने पापों के कारण रोगी हो गया था और पाप क्षमा द्वारा वह फिर से चलने फिरने लगेगा, अतः जब वह उस रोगी को चंगा करेगा तो शास्त्री जान लेंगे कि वह पाप भी क्षमा कर सकता है।

सहज क्या है? यह कहना, "तेरे पाप क्षमा हुए"। या यह कहना, उठ और चल फिर?

यह कहना आसान है, "तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना, उठ और चल फिर"?

तेरे पाप क्षमा हुए।

इसका अर्थ हो सकता है (1) "मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ"। (यू.डी.बी.) या (2) "परमेश्वर तेरे पास क्षमा कर रहा है"।

परन्तु इसलिए कि तुम जान लो।

"मैं सिद्ध करता हूँ" "तुम" बहुवचन में है।

अपनी .... आपने

एकवचन

अपने घर चला जा।

यीशु उसे अन्य कहीं जाने से मना नहीं कर रहा है, वह उसे घर जाने का अवसर प्रदान कर रहा है।

Matthew 9:7

x

यह लकवे के रोगी की चंगाई के वृत्तान्त का अन्त है। यीशु चूंगी लेने वाले को अपना शिष्य होने के लिए बुलाता है।

बड़ाई

वही शब्द काम में ले जो में काम में लिए हैं।

ऐसा अधिकार

पाप क्षमा का अधिकार।

मत्ती .... वह .... उसके

कलीसिया की परम्परा के अनुसार यही मत्ती, मत्ती रचित सुसमाचार का लेखक है परन्तु अभिलेख में ऐसा कोई कारण प्रकट नहीं होता की "वह" और "उसके" को "मुझे" और "मै" में बदला गया है।

उससे कहा।

"यीशु ने मत्ती से कहा"।

यीशु वहाँ से आगे बढ़कर।

यहाँ इस वाक्यांश द्वारा घटना का आरंभ वैसे ही होता है जैसे "देखो" से होता है में। यदि आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान है तो उसे यहाँ काम में लें।

आगे बढ़़।

जाने के लिए कोई सामान्य उपयोग का शब्द काम में लें। यहाँ यह स्पष्ट नहीं है कि यीशु पहाड़ पर चढ़ रहा था या उतर रहा था या कफरनहूम की ओर जा रहा था या उसकी विपरीत दिशा में जा रहा था।

वह उठकर उसके पीछे हो लिया।

"मत्ती उठा और यीशु के पीछे चलने लगा", यीशु के शिष्य रूप में,(देखें यू.डी.बी) न कि उसके साथ तक कहीं जाने के लिए।

Matthew 9:10

x

यह घटना चूंगी लेने वाले मत्ती के घर की है।

घर

संभवतः मत्ती का घर (देखें यू.डी.बी.) परन्तु यह यीशु का घर भी हो सकता है (भोजन करने के लिए बैठा) आवश्यकता पड़ने पर ही स्पष्ट करें।

देख

यह शब्द "देखो" हमें कहानी में नए लोगों के प्रति सचेत करता है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान हो सकता है। अंग्रेजी में है "देयर वॉज़ ए मॅन हू वज़..."

यह देखकर फरीसियों ने

वे "जब फरीसियो ने देखा कि यीशु चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ भोजन कर रहा है"।

Matthew 9:12

x

यह घटना चूंगी लेने वाले मत्ती के घर की है।

यह सुनकर यीशु ने कहा।

"यह" अर्थात फरीसियों का प्रश्न सुनकर, चूंगी लेने वालों और पापियों के साथ भोजन करना।

भले चंगों

"स्वस्थ मनुष्यों"

वैद्य

डॉक्टर (यू.डी.बी.)

बीमारों के लिए आवश्यक है।

"रोगियों को डॉक्टर की आवश्यकता होती है।"

जाकर इसका अर्थ सीख लो।

"तुम्हारे लिए इसका अर्थ समझना आवश्यक है।"

तुम जाकर....

"तुम" सर्वनाम शब्द फरीसियों के लिए है।

Matthew 9:14

x

यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, "तेरे चेले उपवास नहीं करते"।

क्या बराती ....शोक कर सकते हैं?

दुल्हें के साथ हाने पर कोई भी बरातियों से उपवास के लिए नहीं कहेगा।

बराती।

यीशु के शिष्यों के लिए एक रूपक का प्रयोग है।

जब तक दुल्हा उनके साथ है.... जब दुल्हा उनसे अलग किया जायेगा।

"दुल्हा" यीशु है, जीवित होने के कारण वह "उनके साथ है"।

जब दुल्हा उनसे अलग किया जायेगा।

"जब कोई दुल्हें को उनसे अलग कर देगा"। यह मारे जाने के लिए रूपक है।

शोकित हो

"विलाप करना... दुःख मनाना"। (यू.डी.बी.)

Matthew 9:16

x

यीशु यूहन्ना के शिष्यों द्वारा पूछे गए प्रश्न का ही उत्तर दे रहा है।

कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर नहीं लगाता।

पुरानी परम्पराओं का पालन करने वाले नई परम्परा को स्वीकार करने के लालायित नहीं होते हैं।

वस्त्र

वस्त्र , "परिधान"

पैबन्द

"कपड़े का टुकड़ा, जो फटे कपड़े पर लगाया जाता है"।

Matthew 9:17

x

यीशु यूहन्ना के शिष्यों द्वारा पूछे गए प्रश्न का ही उत्तर दे रहा है।

लोग नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं।

यूहन्ना के शिष्यों के प्रश्न का उत्तर देने के लिए यह रूपक या दृष्टान्त का उपयोग है, हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं पर तेरे चेले उपवास नहीं करते।

नहीं भरते।

"नहीं कोई.... मैं डालता हूँ" (यू.डी.बी.) "लोग नहीं डालते"।

नया दाखरस।

"अंगूर का रस" वह बस जिसका किंणवन नहीं हुआ है। यदि आपके क्षेत्र में अंगूर उगाए जाते हैं तो वहीं नाम काम में ले जो प्रचलित है।

पुरानी मशकें।

वे मशकें जो कई बार काम में ली जा चुकी हैं।

मशकें

ये पशुओं के चमड़े से बनी होती थी उन्हें "दाख रस के थैले" या "चमड़े के थैले"(यू.डी.बी.) भी कह सकते हैं।

मशकें नष्ट हो जाती है।

दाखरस जब किंणवन होता है तब वह फैलता है जिससे पुरानी मशकें जो और अधिक नहीं फैल सकती फट जाती है।

नष्ट हो जाती है।

"फट जाती है"। (यू.डी.बी)

नईं मशकें

"दाखरस के नये थेले" जो कभी काम में नहीं लिए गए।

Matthew 9:18

x

यहूदी सरदार की पुत्री की चंगाई के वृत्तान्त का आरंभ।

ये बातें

अर्थात यूहन्ना के शिष्यों को दिए गए उत्तर के बाद समय।

देख

"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

प्रणाम किया।

यह यहूदी संस्कृति में सम्मान प्रकट करने की रीति थी।

अपना हाथ उस पर रख तो वह जीवित हो जायेगी।

इसका अर्थ यह हुआ कि वह यहूदी उस पर विश्वास करता था कि यीशु उसकी पुत्री को पुनजीर्वित कर सकता है।

चेले।

यीशु के शिष्य।

Matthew 9:20

x

यहाँ यहूदी सरदार के घर जाते समय यीशु द्वारा एक स्त्री की चंगाई का वर्णन है।

देखो

"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

लहू बहने का रोग।

"उस का बहुत लहू बहता था" संभवतः लगातार मासिक धर्म का स्राव। कुछ संस्कृतियों में इसको व्यक्त करने की भद्र शब्दावली होगी। (देखें: )

यदि मैं उसके वस्त्र को छू लूंगी तो चंगी हो जाऊंगी।

उसका विश्वास वस्त्र में नहीं यीशु में था कि वह चंगा करेगा।

वस्त्र

"बागा"

परन्तु

"इसकी अपेक्षा" इस स्त्री ने जो सोचा था वैसा हुआ नहीं।

पुत्री

वह यीशु की पुत्री नहीं थी, यीशु उसको कोमलता दिखा रहा था। यदि इससे उलझन होती है तो "युवती" काम में लें या छोड़ दें।

Matthew 9:23

x

यहाँ भी यहूदी सरदार की पुत्री को जीवित करने का ही वृत्तान्त चल रहा है।

उस सरदार के घर।

यह उस यहूदी सरदार का घर है।

बाँसुरी

यह एक खोखले बांस का वाद्य यन्त्र है जिसको बजाने के लिए एक सिरे से हवा फूंकी जाती है।

बाँसुरी बजाने वाले।

" बाँसुरी बजाने वाले लोग"।

हट जाओ।

यीशु अनेकों से कह रहा है अतः बहुवचन काम में लें यदि आपकी भाषा में है।

लड़की मरी नहीं पर सोती है।

यीशु सोने का रूपक काम में ले रहा है क्योंकि उसकी मृत्यु अधिक है। वह उसे मृतकों में से जीवित करेगा।

Matthew 9:25

x

यीशु द्वारा यहूदी सरदार की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त इसके साथ समाप्त होता है

जब भीड़ निकाल दी गई।

"जब यीशु ने भीड़ को हटा दिया" या "जब परिवार वालों ने लोगों को बाहर भेज दिया"।

उठ कर

"बिस्तर छोड़ दिया" यह भावार्थ वही है जो में है।

इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।

यहाँ चर्चा का मानवीकरण का अर्थ है कि जो वहाँ थे उन लोगों ने सबको बता दिया। "उस संपूर्ण क्षेत्र के निवासियों को इसका समाचार प्राप्त हुआ" (यू.डी.बी.) या "जिन लोगों ने उस बालिका को जीवित देखा जाकर उस क्षेत्र में सबको इसके बारे में सुनाया"।

Matthew 9:27

x

अब यीशु द्वारा दो अंधे मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है।

वहाँ से आगे बढ़कर।

यीशु उस क्षेत्र से निकल रहा था।

आगे बढ़़।

स्पष्ट नहीं है कि यीशु ऊपर की ओर जा रहा था या नीचे की ओर जा रहा था, इसलिए जाने के लिए साधारण शब्द का उपयोग करें।

हे दाऊद की सन्तान

यीशु यथार्थ में दाऊद का पुत्र नहीं था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हे दाऊद के वंशज" (यू.डी.बी.) परन्तु "दाऊद की सन्तान" यीशु को दिया गया पदनाम है। संभव है कि वे यीशु को इसी पदनाम से पुकार रहे थे।

जब वह घर में पहुंचा।

यह या तो यीशु का अपना घर था (यू.डी.बी.) या का घर था।

हाँ प्रभु।

"हाँ प्रभु, हमें विश्वास है कि तू हमें चंगा कर सकता है।"

Matthew 9:29

x

इसके साथ ही उन दोनों अंधों की चंगाई का वृत्तान्त समाप्त होता है।

उनकी आंखें छूकर कहा।

यहाँ स्पष्ट नहीं है कि उसने दोनों की आंखों को एक साथ स्पर्श किया या अपने दाहिने हाथ से एक को स्पर्श किया फिर दूसरे को, क्योंकि बायां हाथ अशुद्ध काम में लिया जाता था। अतः अति संभव है कि उसने केवल दाहिना हाथ काम में लिया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि उसने उन्हें स्पर्श करते समय कहा या पहले स्पर्श किया फिर कहा।

उनकी आंखें खुल गई।

"परमेश्वर ने उनकी आंखें स्वस्थ कर दीं" या "वे दोनों अंधे देखने लगे"

परन्तु

"इसके विपरीत" उन्होंने यीशु के आदेशानुसार नहीं किया।

यश फैला दिया।

"बहुतों को बता दिया कि उनके साथ क्या हुआ"।

Matthew 9:32

x

यीशु द्वारा उसके अधिवास में चंगाई का वृत्तान्त चालू है।

देख

"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

गूंगा

जो बात नहीं कर सकता है।

गूंगा बोलने लगा।

"वह गूंगा व्यक्ति बोलने लगा" या "वह व्यक्ति जो गूंगा था बोलने लगा" या "वह व्यक्ति जो अब गूंगा नहीं था बोलने लगा"।

भीड़ ने अचम्भा करके कहा।

"लोग अचम्भा करने लगे"।

इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।

इसका अर्थ हो सकता है, "ऐसा कभी नहीं हुआ" या "किसी ने ऐसा कभी नहीं किया"।

दुष्टात्माओं को निकालता है।

"वह दुष्टात्माओं को निकलने पर विवश करता है"। यहाँ सर्वनाम "वह" यीशु के लिए है।

Matthew 9:35

x

यह अंश गलील क्षेत्र में यीशु शिक्षा, उपदेश और चंगाई की सेवा का सारांश है।

सब नगरों

"अनेक नगरों में"

नगरों और गाँवों

"बड़े गाँवों और छोटे गाँवों" या "बड़े नगरों और छोटे नगरों"

हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले।

"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है।

वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो .... थे।

"उन लोगों का कोई अगुआ न था"।

Matthew 9:37

x

यीशु कटनी रूपक द्वारा उन्हें समझाता है कि उन्हें पिछले अंश में दर्शाए गए लोगों की आवश्यकता के प्रति कैसा व्यवहार करना है।

खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं।

यह रूपक मनुष्यों की एक बहुत बड़ी संख्या को दर्शाता है, वे जो परमेश्वर में विश्वास करके उसके राज्य में प्रवेश करेंगे। ये लोग खेतों के सदृश्य हैं और जो परमेश्वर का प्रचार करते हैं वे मजदूर हैं। इस रूपक का अर्थ है कि इतने अधिक लोगों को परमेश्वर के बारे में बताने वाले बहुत कम हैं

खेत काटने के लिए

"पक्का फल एकत्र करने के लिए"

मजदूर

"कर्मी"

खेत के स्वामी से विनती करो।

खेत के स्वामी से विनती करो वही कर्ताधर्ता है।


Translation Questions

Matthew 9:2

शास्त्रियों ने क्यों सोचा कि यीशु परमेश्वर की निन्दा कर रहा है?

यीशु ने लकवे के रोगी से कहा कि उसके पाप क्षमा हुए तो शास्त्रियों ने सोचा कि यीशु परमेश्वर की निन्दा कर रहा है।

Matthew 9:5

यह कहने की अपेक्षा कि उठ और चल उसने उस लकवे के रोगी से क्यों कहा कि उसके पाप क्षमा हुए?

यीशु ने उस लकवे के रोगी से कहा कि उसके पाप क्षमा हुए क्योंकि वह दिखाना चाहता था कि उसे पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।

Matthew 9:8

उस लकवे को निरोग देखकर और उसके पापों को क्षमा करना देखकर लोगों ने परमेश्वर की महिमा क्यों की?

लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा की कि मनुष्य को ऐसा अधिकार दिया है।

Matthew 9:9

शिष्य बनने से पूर्व मत्ती का व्यवसाय क्या था?

यीशु का चेला बनने से पूर्व मत्ती महसूल लेने वाला था।

Matthew 9:10

यीशु और उसके चेले किसके साथ भोजन कर रहे थे?

यीशु और उसके चेले महसूल लेने वालों और पापियों के साथ भोजन करते थे।

Matthew 9:13

यीशु किसको मन-फिराव के लिए बुलाने आया था?

यीशु ने कहा कि वह पापियों को मनफिराव के लिए बुलाने आया है।

Matthew 9:15

यीशु ने कहा, उसके चेले उपवास क्यों नहीं करते हैं?

यीशु ने कहा कि उसके चेले उपवास नहीं करते क्योंकि वह उनके साथ था।

यीशु ने चेलों के उपवास का समय कब बताया था?

यीशु ने कहा कि उसके चले जाने के बाद उसके चेले भी उपवास करेंगे।

Matthew 9:20

लहू के बहने वाली उस रोगी स्त्री ने क्या किया और क्यों किया?

एक स्त्री जिसे लहू बहने का रोग था, उसने यीशु के वस्त्र का छोर छू लिया क्योंकि उसको विश्वास था कि उसके वस्त्र के स्पर्श से ही उसका रोग दूर हो जाएगा।

Matthew 9:22

यीशु ने उस लहू बहने वाली रोगी स्त्री के लिए क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि उस लहू बहने की रोगी स्त्री के विश्वास ने उसे चंगा किया।

Matthew 9:24

उस यहूदी अधिकारी के घर में यीशु के प्रवेश करने पर लोगों ने यीशु का ठट्ठा क्यों किया था?

यीशु ने उस मृतक बालिका के लिए कहा कि वह सोती है तो लोग उस पर हंसने लगे।

Matthew 9:26

यीशु ने उस बालिका को जीवित किया तो क्या हुआ था?

उस मृतक बालिका को जीवित करने का समाचार उस पुरे क्षेत्र में फैल गया।

Matthew 9:27

वे दो अंधे पुकार कर यीशु से क्या कह रहे थे?

दो अंधे पुरुष पुकार रहे थे, "हे दाऊद की सन्तान हम पर दया कर।"

Matthew 9:29

यीशु ने उन दोनों अंधों को कैसे चंगा किया था?

यीशु ने उन दोनों अंधों को उनके विश्वास के आधार पर चंगा किया था।

Matthew 9:34

उस गूंगे को चंगा करने पर फरीसियों ने यीशु को क्या दोष दिया?

फरीसी यीशु पर दोष लगाते थे कि वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

Matthew 9:36

यीशु को जनसमूह पर तरस क्यों आया था?

यीशु को जनसमूह पर तरस आया क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए।

Matthew 9:38

यीशु ने शिष्यों से किस बात के लिए शीघ्र प्रार्थना को कहा?

यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे खेत के स्वामी से शीघ्रता से प्रार्थना करें वह खेत काटने के लिए मजदूर भेजे।


Chapter 10

1 फिर उसने अपने बारह चेलों को पास बुलाकर, उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया, कि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें। 2 इन बारह प्रेरितों* के नाम ये हैं पहला शमौन, जो पतरस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रियास; जब्दी का पुत्र याकूब, और उसका भाई यूहन्ना; 3 फिलिप्पुस और बरतुल्मै, थोमा, और चुंगी लेनेवाला मत्ती, हलफईस का पुत्र याकूब और तद्दै। 4 शमौन कनानी*, और यहूदा इस्करियोती, जिसने उसे पकड़वाया।

5 इन बारहों को यीशु ने यह निर्देश देकर भेजा, “अन्यजातियों की ओर न जाना, और सामरियों के किसी नगर में प्रवेश न करना। (यिर्म. 50:6) 6 परन्तु इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ों के पास जाना। 7 और चलते-चलते प्रचार करके कहो कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। 8 बीमारों को चंगा करो: मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्टात्माओं को निकालो। तुम ने सेंत-मेंत पाया है, सेंत-मेंत दो। 9 अपने बटुवो में न तो सोना, और न रूपा, और न तांबा रखना। 10 मार्ग के लिये न झोली रखो, न दो कुर्ता, न जूते और न लाठी लो, क्योंकि मजदूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।

11 “जिस किसी नगर या गाँव में जाओ तो पता लगाओ कि वहाँ कौन योग्य है? और जब तक वहाँ से न निकलो, उसी के यहाँ रहो। 12 और घर में प्रवेश करते हुए उसे आशीष देना। 13 यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुँचेगा परन्तु यदि वे योग्य न हों तो तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आएगा। 14 और जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो। 15 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और अमोरा के नगरों की दशा अधिक सहने योग्य होगी।

16 “देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की तरह भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ इसलिए साँपों की तरह बुद्धिमान और कबूतरों की तरह भोले बनो। 17 परन्तु लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें सभाओं में सौंपेंगे, और अपने आराधनालयों में तुम्हें कोड़े मारेंगे। 18 तुम मेरे लिये राज्यपालों और राजाओं के सामने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिये पेश किये जाओगे। 19 जब वे तुम्हें पकड़वाएँगे तो यह चिन्ता न करना, कि तुम कैसे बोलोगे और क्‍या कहोगे; क्योंकि जो कुछ तुम को कहना होगा, वह उसी समय तुम्हें बता दिया जाएगा। 20 क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो परन्तु तुम्हारे पिता का आत्मा तुम्हारे द्वारा बोलेगा।

21 “भाई अपने भाई को और पिता अपने पुत्र को, मरने के लिये सौंपेंगे, और बच्चे माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे। (मीका 7:6) 22 मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, पर जो अन्त तक धीरज धरेगा उसी का उद्धार होगा। 23 जब वे तुम्हें एक नगर में सताएँ, तो दूसरे को भाग जाना। मैं तुम से सच कहता हूँ, तुम मनुष्य के पुत्र के आने से पहले इस्राएल के सब नगरों में से गए भी न होंगे।

24 “चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं; और न ही दास अपने स्वामी से। 25 चेले का गुरु के, और दास का स्वामी के बराबर होना ही बहुत है; जब उन्होंने घर के स्वामी को शैतान* कहा तो उसके घरवालों को क्यों न कहेंगे?

26 “इसलिए उनसे मत डरना, क्योंकि कुछ ढँका नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा। 27 जो मैं तुम से अंधियारे में कहता हूँ, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे छतों पर से प्रचार करो। 28 जो शरीर को मार सकते है, पर आत्मा को मार नहीं सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है। 29 क्या पैसे में दो गौरैये नहीं बिकती? फिर भी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। 30 तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। (लूका 12:7) 31 इसलिए, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर मूल्यवान हो।

32 “जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने मान लूँगा। 33 पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इन्कार करूँगा।

34 “यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूँ; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूँ। 35 मैं तो आया हूँ, कि मनुष्य को उसके पिता से, और बेटी को उसकी माँ से, और बहू को उसकी सास से अलग कर दूँ। 36 मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे।

37 “जो माता या पिता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं। (लूका 14:26) 38 और जो अपना क्रूस लेकर* मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। 39 जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा।

40 “जो तुम्हें ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है। 41 जो भविष्यद्वक्ता को भविष्यद्वक्ता जानकर ग्रहण करे, वह भविष्यद्वक्ता का बदला पाएगा; और जो धर्मी जानकर धर्मी को ग्रहण करे, वह धर्मी का बदला पाएगा। 42 जो कोई इन छोटों में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठण्डा पानी पिलाए, मैं तुम से सच कहता हूँ, वह अपना पुरस्‍कार कभी नहीं खोएगा।”



Matthew 10:1

x

यहाँ यीशु द्वारा शिष्यों को सेवा में भेजने का वृत्तान्त आरंभ होता है।

उसने अपने बारह चेलों को बुलाकर

"अपने बारह चेलों को एकत्र किया"

अधिकार दिया।

सुनिश्चित करें कि अनुवाद में यह अधिकार स्पष्ट हो (1) अशुद्ध आत्माओं को निकालना और (2) बीमारियों और दुर्बलताओं को चंगा करना।

उन्हें निकाले

अशुद्ध आत्माओं का निष्कासन करें

हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले।

"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है।

Matthew 10:2

x

यीशु द्वारा अपनी सेवा के निमित्त बारह चेलों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ था।

पहला

क्रम में न कि पद में।

जेलोतेस (शमौन)

इसके संभावित अर्थ हैं (1) "जेलोतेस" या (2) "जोशीला"। जेलोतेस का अर्थ है कि वह उस समूह का सदस्य था जो यहूदियों को रोमी साम्राज्य से मुक्त करना चाहते थे। वैकल्पिक अनुवाद, "देशभक्त" या "राष्ट्रवादी" या "स्वतंत्रता सेनानी"। दूसरा अर्थ, "जोशीला" से समझ में आता है कि वह परमेश्वर के सम्मान के लिए जोशीला था, इसका वैकल्पिक अनुवाद हो सकता है, "उत्साही"।

महसूल लेने वाला मत्ती

"मत्ती जो चूंगी लेनेवाला था"।

जिसने उसे पकड़वाया।

"जो यीशु के साथ विश्वासघात करेगा"।

Matthew 10:5

x

यीशु द्वारा अपनी सेवा के निमित्त बाहर शिष्यों के भेजने का वृत्तान्त चल रहा है।

इन बारहों को यीशु ने .... भेजा।

"यीशु ने इन बारह शिष्यों को भेजा", या "यीशु ने जिन बारहों शिष्यों को भेजा वे ये हैं"।

भेजा

यीशु ने इन बारहों को एक विशेष उद्देश्य से भेजा था। "भेजा" "प्रेरित" का क्रियारूप है जिस शब्द का उपयोग में किया गया है।

यीशु ने यह आज्ञा देकर

यीशु ने यह आज्ञा देकर ,"उसने उन्हें कहा कि उन्हें क्या करना होगा" इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, "उसने उन्हें आदेश दिया"।

इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ें।

यह एक रूपक है जो इस्राएल राष्ट्र की तुलना ऐसी भेड़ों से करता है जो चरवाहे से अलग होकर भटक गई हैं।

इस्राएल के घराने

यह निर्देश इस्त्राएल जाति से संबन्धित है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "इस्त्राएलियों" या "इस्राएलवंशियों"

चलते-चलते

यह बारह शिष्यों के संदर्भ में है।

स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।

इसका अनुवाद आप वैसे ही करेंगे जैसे आपने इस विचार का अनुवाद में किया है।

Matthew 10:8

x

यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है।

तुम.... तुम्हारा

अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य)

न तो सोना, और न रूपा और न ताँबा रखना।

"सोना, चाँदी, ताँबा कुछ नहीं रखना"।

रखना

"प्राप्त करना", "ग्रहण करना" या "लेना”

न सोना, न चाँदी, न तांबा।

ये वे धातु थी जिनसे मुद्रा बनती थी। यह पैसों के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। यदि आपके लिए ये धातुएं अनजान है तो इनका अनुवाद "पैसा" करें। (यू.डी.बी.)

पटुका

पटुका का अर्थ है "पैसा रखने वाले कमरबंध" या इसका अभिप्राय पैसा रखने की थैली से भी हो सकता है। "पटुका" कम में बांधने का कपड़े या चमड़े का पट्टा होता था। वह काफी चौड़ा होता था कि यदि उसे मोड़ लें तो उसमें पैसा रखा जा सकता था।

झोली

झोली , यात्रा में सामान लेकर चलने के लिए थैला या भोजन या पैसा मांगने के लिए झोली।

दो कुरते

यहाँ कुरते के लिए वही शब्द काम में ले जो में काम में लिया गया है।

मजदूर

"कर्मी"

भोजन

"आवश्यकता की वस्तुएं"

Matthew 10:11

x

यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है।

तुम.... तुम्हारा

यह सर्वनाम प्रेरितों के लिए काम में लिया गया है।

जिस किसी नगर या गाँव में जाओ।

जिस किसी नगर या गाँव में आओ , "जब किसी नगर या गाँव में प्रवेश करो", या "उस हर एक नगर या गाँव जिसमें तुम प्रवेश करो"।

नगर.... गाँव

"बड़ा गाँव.... छोटा गाँव" या "बड़ा नगर.... छोटा नगर" ये शब्द वही हैं जिसको में काम में लिया गया है।

जब तक वहाँ से न निकलो उसी के यहाँ रहो।

"उसी मनुष्य के घर में रहना जब तक कि नगर या गाँव से प्रस्थान न करो"।

घर में प्रवेश करते हुए उसको आशिष देना।

"घर में प्रवेश करते ही वहाँ रहनेवालों को आशिष देना"। उस समय का प्रचलित आशीर्वाद था, "इस परिवार को शान्ति मिले"।

यदि उस घर के लोग योग्य होंगे।

"यदि उस घर के लोग तुम्हारा अच्छा स्वागत करें" (यू.डी.बी.) या "उस घर के लोग तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करें"।

तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुँचेगा।

"उन्हें शान्ति मिलेगी" या "उस घर के लोग शान्ति में जीएंगे"।(देखें: यू.डी.बी.)

तुम्हारा कल्याण

वह शान्ति जिसके लिए प्रेरित परमेश्वर से विनती करें कि वह उस परिवार को दे।

यदि वे योग्य न हों।

"यदि वे तुम्हारा अच्छा स्वागत न करें" (यू.डी.बी.) या "यदि वे तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार न करें"।

तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आयेगा।

इसका अर्थ दो में से एक हो सकता है, (1) यदि वह परिवार योग्य न हुआ तो परमेश्वर अपनी शान्ति या आशिष उस परिवार से रोक लेगा, जैसा यू.डी.बी में व्यक्त किया गया है या (2) यदि वह परिवार योग्य न हुआ तो प्रेरितों से कुछ करने की अपेक्षा की गई है, जैसे, परमेश्वर से विनती करना कि उनका अभिवादन स्वीकार न करे। यदि आपकी भाषा में आशिष को वापस लेने का या उसके प्रभाव को निष्फल करने का शब्द है, जो उसे काम में लें।

Matthew 10:14

x

यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है।

जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे और तुम्हारी बातें न सुने।

"यदि उस नगर में तुम्हें कोई ग्रहण न करे या तुम्हारी बातें न सुने।"

तुम ... अपने

अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य)

तुम्हारी बातें न सुने

"तुम्हारा सन्देश न सुने" (यू.डी.बी.) या "तुम्हें जो कहना है, न सुने"।

नगर

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो।

"उस घर या नगर की धूल अपने पाँवों में से झाड़ दो" यह एक चिन्ह है कि परमेश्वर ने उस घर या नगर के लोगों को त्याग दिया है। (देखें यू.डी.बी.)

अधिक सहने योग्य होगी।

पीड़ा कम होगी।

सदोम और अमोरा के देश

"सदोम और अमोरा के निवासियों से" जिन्हें परमेश्वर ने स्वर्ग से आग गिराकर भस्म कर दिया था।

उस नगर

जिस नगर के लोग प्रेरितों को ग्रहण न करें या उनका सन्देश न सुने।

Matthew 10:16

x

यीशु अपने बारह शिष्यों के उस सताव के बारे में चर्चा करता है जो अपने सेवाकार्य को करने के कारण उन्हें सहना होगा।

देखो

"देखो" शब्द यहाँ अग्रिम चर्चा पर बल डालता है, इसका वैकल्पिक अनुवाद होगा, "ध्यान दो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"। (देखें यू.डी.बी.)

मैं तुम्हें .... भेजता हूँ।

यीशु उन्हें एक उद्देश्य विशेष के निमित्त भेज रहा है।

भेड़ों के समान भेड़ियों के बीच।

यीशु अपने शिष्यों को जिन्हें वह भेज रहा है उनकी तुलना असुरक्षित भेड़ों से करता है, जो ऐसी जगह जाएंगी जहाँ उन पर वन पशुओं के आक्रमण की संभावना है।

भेड़ों के समान

असुरक्षित

भेड़ियों के बीच

आप इस उपमा को स्पष्ट करके कह सकते है, "ऐसे मनुष्यों के मध्य जो खतरनाक भेड़ियें हैं"। या "ऐसे मनुष्यों के मध्य जो खतरनाक पशुओं का सा व्यवहार करते हैं", या सादृश्य व्यक्त करें "उन लोगों के मध्य जो तुम पर आक्रमण करेंगे।"

इसलिए सांपों के समान बुद्धिमान और कबूतरों के समान भोले बनो।

यहाँ इस उपमा को काम में नहीं लेना ही अच्छा है, "समझदारी और सावधानी से काम करना साथ ही साथ भोलेपन एवं सद्गुणों का प्रदर्शन करना"।

लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें महा सभाओं में सौंपेंगे।

"सावधान रहना क्योंकि वे तुम्हें पकड़वाएंगे"।

सावधान रहो।

"चौकस रहो", "सतर्क रहो",या "अत्यधिक सोच समझ कर चलना",

सौपेगें

यीशु के साथ यहूदा ने जो किया उसके लिए यही शब्द है (देखें यू.डी.बी.) वैकल्पिक अनुवादः "धोखे से पकड़वायेंगे" या "तुम्हें पकड़वायेंगे", या "तुम्हें बन्दी बनवाकर मुकदमा चलाएंगे"।

पंचायत

पंचायत , अर्थात स्थानीय धार्मिक अगुवे या जो अगुवे समुदाय में शान्ति बनाए रखते हैं। वैकल्पिक अनुवाद है, "न्यायालयों"।

कोड़े मारेंगे।

"कोड़ों से पीटेंगे"।

पहुँचाए जाओगे।

"तुम्हें लाएंगे" या "तुम्हें घसीटेंगे"

मेरे लिए

"क्योंकि तुम मेरे हो" (यू.डी.बी.) या "क्योंकि तुम मेरा अनुकरण करते हो"।

उन पर और अन्य जातियो पर

सर्वनाम "उन" से अभिप्राय है "हाकिमों और राजाओं" या यहूदी दोष लगाने वाले। (10:17)

Matthew 10:19

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

जब वे तुम्हें पकड़वाएंगे।

"जब मनुष्य तुम्हें पकड़वाए" यहाँ वे अर्थात मनुष्य वही है जो में हैं।

पकड़वाएं

इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में "पकड़वाने" का किया है।

तू

इस संपूर्ण गद्यांश में "तुम" और "तुम्हारे" का संदर्भ प्रेरितों से है।

चिन्ता न करना।

"विचलित न होना"

हम किस रीति से या क्या कहेंगे।

"तुम्हें कैसे और क्या कहना है; दोनों विचारों को जोड़ा जा सकता है", "तुम्हें क्या कहना होगा"।

उसी घड़ी

"उसी समय"

तुम्हारे पिता का आत्मा

यदि आवश्यक हो तो इसका अनुवाद हो सकता है, "तुम्हारे स्वर्गीय पिता की आत्मा" या पद-टिप्पणी लिखी जाए कि यह परमेश्वर पिता का पवित्र आत्मा है, न कि सांसारिक पिता की आत्मा।

तुम में

"तुम्हारे माध्यम से"

Matthew 10:21

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

भाई- भाई को और पिता पुत्र को घात के लिए सौंपेंगे।

वैकल्पिक अनुवाद "भाई-भाई को मरवाने के लिए पकड़़वाएगा और पिता अपनी सन्तान को मरवाने के लिए पकड़वाएगा"।

सौंपेगे

इसका अनुवाद वैसा ही करना होगा जैसा में "सौपेंगे" का किया है।

विरोध में उठकर

"विद्रोह करेंगे" (यू.डी.बी.) या "विरूद्ध हो जायेंगे"

उन्हें मरवा डालेंगे।

"उन्हें घात करवाएंगे" या "अधिकारियों द्वारा उन्हें मृत्यु दण्ड दिलवाएंगे।"

सब लोग तुमसे बैर करेंगे।

वैकल्पिक अनुवाद, "सब तुमसे घृणा करेंगे" या "मनुष्य तुमसे घृणा करेंगे"।

तुम्हें.... तुम

अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य)

मेरे नाम के कारण

"मेरे कारण" या "क्योंकि तुम मुझमें विश्वास करते हो"।(यू.डी.बी.)

जो धीरज धरे रहेगा

"जो विश्वासी बना रहेगा"।

उसी का उद्धार होगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उसे बचा लेगा"।

दूसरे को भाग जाना।

"दूसरे नगर में चले जाना"

आ जायेगा

"पहुँच जायेगा"।

Matthew 10:24

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं होता।

यह एक सामान्य तथ्य है न कि किसी शिष्य विशेष या उसके गुरू के बारे में है। शिष्य अपने गुरू से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। इसका कारण है कि वह "गुरू से अधिक ज्ञान नहीं रखता है" या उसका "पद बड़ा नहीं है" या "अधिक उत्तम नहीं है"। वैकल्पिक अनुवाद है, "शिष्य सदैव ही गुरू से कम महत्त्वपूर्ण होता है" या "गुरू सदैव ही शिष्य से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।"

न दास अपने स्वामी से।

"दास अपने स्वामी पर अधिकारी नहीं होता है"यह भी एक सामान्य तथ्य है, न कि किसी दास विशेष या उसके स्वामी से संबन्धित है। दास अपने स्वामी से न तो "अधिक बड़ा" होता है न ही "अधिक महत्त्वपूर्ण" होता है। वैकल्पिक अनुवाद, "दास सदैव ही अपने स्वामी से कम महत्त्वपूर्ण होता है", या "स्वामी सदैव ही दास से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है"।

दास

"दास"

स्वामी

"स्वामी"

चेले का गुरू के बराबर होना ही बहुत है।

"शिष्य" को अपने गुरू के जैसा होने में ही सन्तोष करना है"।

गुरु के समान

"अपने गुरु के तुल्य ज्ञानवान" या "जैसा गुरू वैसा चेला" होना ही पर्याप्त है।

दास का अपने स्वामी के बराबर।

.... और दास को अपने स्वामी के तुल्य महत्त्वपूर्ण होना ही पर्याप्त है“।

उन्होंने घर के स्वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालों को क्या कुछ न कहेंगे।

यीशु के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था अतः यीशु के शिष्यों को भी वैसे ही व्यवहार वरन् उससे भी बुरे की अपेक्षा करना है।(देखें यू.डी.बी)

यदि उन्होंने.... कहा

वैकल्पिक अनुवाद, "क्योंकि उन्होंने... कहा है।"

घर के स्वामी को

यीशु "घर के स्वामी" को अपने लिए उपमा स्वरूप काम में ले रहा है।

शैतान

मूल भाषा में इसका अर्थ हो सकता है, (1) बालज़बूल (2) या इसका अभिप्रेत अर्थ शैतान होता है।

उसके घरवालों को

यीशु "घरवालों को" रूपक स्वरूप शिष्यों के लिए काम में ले रहा है।

Matthew 10:26

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

मनुष्यों से मत डरना।

"वे" सर्वनाम उन मनुष्यों का बोध करती है जो यीशु के शिष्यों को सताते थे।

कुछ ढका नहीं, जो खोला न जायेगा, और न कुछ छिपा है जो जाना न जायेगा।

इस सादृश्य का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, "परमेश्वर मनुष्यों की गुप्त बातों को प्रकट कर देगा"। (देखें: : )

जो मैं तुमसे अन्धियारे में कहता हूँ, उसे तुम उजियाले में कहो, और जो कानों-कान सुनते हो, उसे छतों पर से प्रचार करो।

इस सादृश्य का अनुवाद हो सकता है, "मैं जो अन्धेरे में कहा उसका दिन में प्रचार करो और जो कान में धीमे स्वर में सुनते हो उसका छतों पर से प्रचार करो"।

जो मैं तुमसे अन्धियारे में कहता हूँ

“जो मैं तुमसे गुप्त रूप से कहता हूँ“ या ”जो बातें मैं तुमसे अकेले में कहता हूँ” ।

उजियाले में कहो

"खुलकर कहो" या "सबको सुनाओं" (देखें यू.डी.बी.)

जो कानों में सुनते हो।

"मैं तुम्हारे कानों में जो मन्द स्वर में कहता हूँ।"

उसे छतों पर से प्रचार करो।

"सबको ऊंचे शब्दों में सुनाओ" यीशु के युग में घर की छतें समतल होती थी और यदि वहाँ से कोई कुछ कह ले सब सुन सकते थे।

Matthew 10:28

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

जो शरीर को घात करते हैं पर आत्मा को घात नहीं कर सकते उनसे मत डरना।

"मनुष्यों से मत डरना क्योंकि वे शरीर को घात करते हैं आत्मा को नहीं"।

शरीर को घात करते हैं।

शरीर को मार सकते हैं यदि ये शब्द अनुचित प्रतीत हों तो इसका अनुवाद हो सकता है, "जो तुम्हारी हत्या करते हैं" या "मनुष्यों की हत्या करते हैं"।

शरीर

मनुष्य का वह भाग जो हुआ जा सकता है।

आत्मा को घात नहीं कर सकते

मनुष्य के मरने के बाद हानि नहीं पहुंचा सकते।

आत्मा

मनुष्य का वह भाग जिसको स्पर्श नहीं किया जा सकता और जो मरणोपरान्त जीवित रहता है।

क्या पैसो में दो गौरैयें नहीं बिकतीं?

इस प्रश्न का अनुवाद हो सकता है, "गौरैयों को देखो। उनका मूल्य कितना कम है कि एक पैसे में दो खरीदी जा सकती हैं"(यू.डी.बी.)।

गौरैयें

इन छोटे दाना चुगने वाले पक्षियों को रूपक स्वरूप उन वस्तुओं के लिए काम में लिया जाता है जिन्हें महत्त्वहीन समझा जाता है।

पैसा

इसका अनुवाद लक्षित भाषा में सबसे छोटी मुद्रा के लिए किया जाए। यह एक ताँबे का सिक्का था जो मजदूर की एक दिन की मजदूरी सौलहवें भाग के बराबर था। इसका अनुवाद "बहुत कम पैसों में" भी हो सकता है।

तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती।

इस अभिव्यक्ति का अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "उनमें से एक भी मरेगी तो पिता को उसकी जानकारी होगी"। या "केवल पिता की जानकारी से ही एक भी मरेगी"।

एक भी।

"एक भी गौरैया"

भूमि पर नहीं गिर सकती।

"नहीं मर सकती"

तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं।

"परमेश्वर जानता है कि तुम्हारे सिर पर कितने बाल हैं।"

गिने हुए हैं।

"गणना की हुई है"।

तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।

परमेश्वर तुम्हें बहुत अधिक गौरैयों से बढ़कर मानता है।

Matthew 10:32

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

जो कोई मनुष्यों के आगे मुझे मान लेगा।

“जो मनुष्यों के सामने प्रकट करे कि वह मेरा शिष्य है” या “जो कोई मनुष्यों के समक्ष मेरे प्रति स्वामि-भक्ति स्वीकार करेगा”।

मान लेगा।

"स्वीकार करेगा" (यू.डी.बी.)

मनुष्यों के सामने

"मनुष्यों के समक्ष" या "दूसरों के समक्ष"

अपने स्वर्गीय पिता

यीशु स्वर्गीय पिता परमेश्वर के बारे में कह रहा है।

जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा।

जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इंकार करेगा "जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा त्याग करेगा" या "जो मनुष्यों के समक्ष तुमसे विमुख होगा" या "जो मनुष्य के समक्ष मेरा शिष्य होना स्वीकार नहीं करेगा" या "जो मेरे प्रति स्वामिभक्ति का इन्कार करेगा"।

Matthew 10:34

x

यीशु अपने शिष्यों से उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

यह न समझो

"ऐसा नहीं सोचना" या "यह नहीं मानना"

तलवार

इस रूपक का अर्थ हो सकता है, (1) हिंसक मृत्यु (देखें क्रूस 10:37/10:38) या (2) विभाजन कारी कलह

कर दूँ।

"बदल दूँ", या "विभाजित कर दूं" या "पृथक कर दूँ"।

मनुष्य को उसके पिता से

"पुत्र को पिता के विरूद्ध"

मनुष्य के बैरी

मनुष्य के बैरी या "मनुष्य के सबसे बड़े दुश्मन"

उसके घर ही के लोग होंगे।

"उसके परिवार के अपने सदस्य"

Matthew 10:37

x

यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

जो अपने माता-पिता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है वह मेरे योग्य नहीं।

वैकल्पिक अनुवाद, "जो .... प्रिय जानते हैं वे .... योग्य नहीं" या "यदि तुम.... प्रेम करते हो तो .... योग्य नहीं।"

जो

इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "जो कोई" या "वह जो" या "जो मनुष्य"। (देखें यू.डी.बी.)

प्रिय जानते हैं।

यहाँ "प्रिय" का अर्थ है "भाईचारे का प्रेम" "या" "मित्र का प्रेम" इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "चिन्ता करता है" या "समर्पित है” या "लगाव रखता है"।

मेरे योग्य नहीं।

इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "मेरा होने के योग्य नहीं" या "मेरा होने के योग्य नहीं" या "मेरा शिष्य होने के योग्य नहीं" या "मेरा होने का नहीं"।(देखें यू.डी.बी.)

जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले।

वैकल्पिक अनुवाद, "जो अपना क्रूस न उठाएं वे .... योग्य नहीं" या "यदि तुम अपना क्रूस न उठाओ तो ...योग्य नहीं" या जब तक तुम अपना क्रूस न उठाओ तब तक ... योग्य नहीं"।

क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले।

यह मरने के लिए तैयार रहने का रूपक है। आपको सामान उठाकर किसी के पीछे चलने का कोई साधारण शब्द काम में लेना होगा। (देखें: Metaphor)

उठाकर

"लेकर" या "उठाकर चलना"।

जो.... बचाता है .... खोएगा, जो खोता है वह उसे पायेगा।

इनका अनुवाद यथा संभव कम से कम शब्दों में करना होगा। वैकल्पिक अनुवादः "जो खोज में रहेंगे....खोएंगे और जो खोएंगे.... पाएंगे" या "यदि तुम खोजते हो तो खोओगे.... खोओगे तो .... पाओगे"।

पायेगा

यह "रखने" या "बचाने" के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "रखने का प्रयास करता है" या "सुरक्षा करने का प्रयास करता है"।

खोएगा।

इसका अर्थ यह नहीं कि मनुष्य मर जायेगा। यह "सच्चा जीवन नहीं पाएगा" के लिए प्रयुक्त रूपक है।

खोता है।

वैकल्पिक अनुवाद हैः "त्यागता है" या "त्यागने के लिए तैयार हैं"।

मेरे लिए

"क्योंकि वह मुझ में विश्वास करता है" (देखें यू.डी.बी.) या "मेरे लिए", या "मेरे लिए"। यह वही विचार है जो में व्यक्त है।

उसे पाएगा

इस रूपक का अर्थ है "सच्चा जीवन पाएगा"

Matthew 10:40

x

यीशु अब अपने शिष्यों से कहना आरंभ करता है कि जब वे निकलेंगे तब उनकी सहायता करने वालों को वह प्रतिफल देगा।

वह जो

इसका अनुवाद हो सकता है, "जो कोई" या "हर एक जो" या "वह जो"। (देखें: यू.डी.बी.)

ग्रहण करता है।

यह वही शब्द है, जो में आया है, "ग्रहण" जिसका अर्थ है अतिथि स्वरूप ग्रहण करना।

तू

"तुम्हें" सर्वनाम का अर्थ है वे शिष्य जिनसे यीशु बातें कर रहा है।"

मेरे भेजने वाले को ग्रहण करता है।

"मेरे पिता परमेश्वर को ग्रहण करता है जिसने मुझे भेजा है"।

Matthew 10:42

x

इसके साथ ही यीशु अपने प्रेरितों को ग्रहण करने वालों के प्रतिफल की चर्चा समाप्त करता है।

पिलाए

"जो कोई भी पिलाए"

इन छोटों में से एक को मेरा चेला जानकर एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए।

इन छोटों में से एक को मेरा चेला जानकर एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए । इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, "क्योंकि वह मेरा शिष्य है इन छोटों में से किसी एक को भी" या "मेरे शिष्यों में छोटे से छोटे को भी ठंडा पानी पिलाए"।

वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा।

"वह मनुष्य निश्चय ही अपना प्रतिफल पाएगा"।

खोएगा।

"इन्कार किया जाएगा" अधिकार से इसका कोई संबन्ध नहीं है।


Translation Questions

Matthew 10:1

यीशु ने अपने बारह शिष्यों को क्या अधिकार दिया था?

यीशु ने अपने बाहर शिष्यों को अधिकार दिया कि वे अशुद्ध आत्माओं को निकालें और सब रोगों को चंगा करें।

Matthew 10:4

यीशु के साथ विश्वासघात करने वाले चेले का नाम क्या था?

यीशु के साथ विश्वासघात करने वाले चेले का नाम यहूदा इस्करियोती था।

Matthew 10:6

उस समय यीशु ने अपने चेलों को कहाँ भेजा था?

यीशु ने अपने चेलों को केवल इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के पास भेजा था।

Matthew 10:9

क्या चेलों को पैसा और अधिक कपड़े साथ रखने थे?

चेलों को न पैसा न अधिक कपड़े साथ रखने थे।

Matthew 10:11

गाँव-गाँव भ्रमण करते समय चेलों को कहाँ ठहरना था?

चेले गांव में जब तक रहें वे किसी योग्य व्यक्ति के घर ठहरें।

Matthew 10:14

जिन नगरों ने चेलों को ग्रहण नहीं किया और उनका वचन नहीं सुना उनका क्या होगा?

जिन नगरों में चेलों को ग्रहण नहीं किया और उनके वचनों को नहीं सुना गया उनका दण्ड सदोम और अमोरा से अधिक बुरा होगा।

Matthew 10:17

यीशु के कथनानुसार मनुष्य चेलों के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?

यीशु ने कहा था कि लोग चेलों को पकड़ कर सभाओं में सौंपेंगे, कोड़े मारेंगे और राजाओं और हाकिमों के सामने पहुंचाए जाएंगे।

Matthew 10:20

दोषारोपण के समय चेलों के मुख से बोलनेवाला वास्तव में कौन होगा?

उनके दोषारोपण के समय परमेश्वर का आत्मा उनके मुख से बोलेगा।

Matthew 10:22

यीशु के कथनानुसार अन्त में किसका उद्धार होगा?

यीशु ने कहा कि जो अन्त समय तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा।

यीशु से घृणा करने वाले चेलों के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?

यीशु के चेलों से लोग घृणा करेंगे क्योंकि उन्होंने यीशु से भी घृणा की थी।

Matthew 10:28

यीशु ने कहा, हमें किससे नहीं डरना है?

हमें देह को नष्ट करने वालों से नहीं डरना है क्योंकि वे आत्मा को नष्ट नहीं कर सकते।

यीशु के कहे अनुसार हमें किससे डरना है?

हमें उससे डरना है जो आत्मा और देह दोनों को नरक में नष्ट कर देगा।

Matthew 10:32

मनुष्यों के सामने उसे स्वीकार करने वालों के लिए यीशु क्या करेगा?

यीशु स्वर्ग में पिता के सामने उसे स्वीकार करेगा।

Matthew 10:33

मनुष्यों के सामने उसका इन्कार करने वालों के साथ यीशु क्या करेगा?

यीशु स्वर्ग में पिता के सामने उसका इन्कार करेगा।

Matthew 10:34

यीशु कैसा विभाजन करने आया था?

यीशु ने कहा कि वह तो परिवारों में भी विभाजन करने आया है।

Matthew 10:39

यीशु के लिए जान देने वाले को क्या मिलेगा?

यीशु के लिए जो जान दे देगा वह जीवन पाएगा।

Matthew 10:42

किसी छोटे से छोटे मनुष्य को ठंडा पानी पिलाने पर क्या होगा?

छोटे से छोटे को यीशु का चेला मानकर को एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए तो उसे प्रतिफल अवश्य मिलेगा।


Chapter 11

1 जब यीशु अपने बारह चेलों को निर्देश दे चुका, तो वह उनके नगरों में उपदेश और प्रचार करने को वहाँ से चला गया। 2 यूहन्ना ने बन्दीगृह में मसीह के कामों का समाचार सुनकर अपने चेलों को उससे यह पूछने भेजा, 3 “क्या आनेवाला तू ही है, या हम दूसरे की प्रतीक्षा करें?” 4 यीशु ने उत्तर दिया, “जो कुछ तुम सुनते हो और देखते हो, वह सब जाकर यूहन्ना से कह दो। 5 कि अंधे देखते हैं और लँगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं, और गरीबों को सुसमाचार सुनाया जाता है। 6 और धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए।”

7 जब वे वहाँ से चल दिए, तो यीशु यूहन्ना के विषय में लोगों से कहने लगा, “तुम जंगल में क्या देखने गए थे? क्या हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? 8 फिर तुम क्या देखने गए थे? जो कोमल वस्त्र पहनते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं। 9 तो फिर क्यों गए थे? क्या किसी भविष्यद्वक्ता को देखने को? हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, वरन् भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को। 10 यह वही है, जिसके विषय में लिखा है, कि

     ‘देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ,

     जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा।’ (मला. 3:1)

11 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उससे बड़ा* है। 12 यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं। 13 यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्ता और व्यवस्था भविष्यद्वाणी करते रहे। 14 और चाहो तो मानो, एलिय्याह जो आनेवाला था, वह यही है*। (मला. 4:5) 15 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।

16 “मैं इस समय के लोगों की उपमा किस से दूँ? वे उन बालकों के समान हैं, जो बाजारों में बैठे हुए एक दूसरे से पुकारकर कहते हैं। 17 कि हमने तुम्हारे लिये बाँसुरी बजाई, और तुम न नाचे; हमने विलाप किया, और तुम ने छाती नहीं पीटी। 18 क्योंकि यूहन्ना न खाता आया और न ही पीता, और वे कहते हैं कि उसमें दुष्टात्मा है। 19 मनुष्य का पुत्र खाता-पीता आया, और वे कहते हैं कि देखो, पेटू और पियक्कड़ मनुष्य, चुंगी लेनेवालों और पापियों का मित्र! पर ज्ञान अपने कामों में सच्चा ठहराया गया है।”

20 तब वह उन नगरों को उलाहना देने लगा, जिनमें उसने बहुत सारे सामर्थ्य के काम किए थे; क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया था। 21 “हाय, खुराजीन*! हाय, बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते। 22 परन्तु मैं तुम से कहता हूँ; कि न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी। 23 और हे कफरनहूम, क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा किया जाएगा? तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा; जो सामर्थ्य के काम तुझ में किए गए है, यदि सदोम में किए जाते, तो वह आज तक बना रहता। 24 पर मैं तुम से कहता हूँ, कि न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम के नगर की दशा अधिक सहने योग्य होगी।”

25 उसी समय यीशु ने कहा, “हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया है। 26 हाँ, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा।

27 “मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।

28 “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे* लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। 29 मेरा जूआ* अपने ऊपर उठा लो; और मुझसे सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। 30 क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है।”



Matthew 11:1

x

यह भाग यूहन्ना के चेलों को दिए गए यीशु के उत्तर का वृत्तान्त है।

जब उसके बारे में आया

इस शब्द का उत्तरार्थ यह दिखाने के लिए है कि यह एक वृत्तान्त का आरंभ है। यदि आपकी भाषा में किसी वृत्तान्त को आरंभ करने का प्रावधान है तो उसका प्रयोग करें। इसका अनुवाद हो सकता है, "तब" या "इसके बाद"

आज्ञा

इस शब्द का अनुवाद "शिक्षा" या "आदेश" भी हो सकता है।

बारह चेलों को

यीशु के बारह चयनित शिष्य।

अब

"उस समय" इसको छोड़ा जा सकता है। (देखें यू.डी.बी.)

यूहन्ना ने बन्दीगृह में .... सुना।

वैकल्पिक अनुवाद, "यूहन्ना जो बन्दीगृह में था, उसने सुना कि" या "किसी ने यूहन्ना को बन्दीगृह में इसके बारे में बताया"।

उसने अपने चेलों को उससे यह पूछने भेजा।

यूहन्ना ने अपने शिष्यों को सन्देश के साथ यीशु के पास भेजा।

उससे यह पूछने भेजा।

"उससे" सर्वनाम यीशु के लिए काम में लिया गया है।

क्या आनेवाला तू ही है?

अनुवाद कैसे भी करें, "आनेवाला" या "जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे हैं" यह मसीह (ख्रीस्त यू.डी.बी.) के लिए शिष्टोक्ति ही है।

बाट जोहें

"आशा करें" यहाँ सर्वनाम "हम" केवल यूहन्ना और उसके शिष्यों के लिए नहीं है परन्तु सब यहूदियों के लिए है।

Matthew 11:4

x

इसके साथ ही यूहन्ना के शिष्यों को दिया गया यीशु का उत्तर समाप्त होता है।

यूहन्ना से कह दो।

"यूहन्ना को सुना दो"।

Matthew 11:7

x

यीशु जनसमूह से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में चर्चा करता है।

तुम जंगल में क्या देखने गए थे?

यीशु इस वाक्यांश को तीन प्रश्नों में व्यक्त करता है कि लोग सोचें कि यूहन्ना कैसा मनुष्य था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "क्या तुम देखने गए थे कि...? कदापि नहीं"। या "निश्चय ही तुम... देखने नहीं गए थे"।

क्या हवा में हिलते हुए सरकण्डे को?

इसका अर्थ हो सकता है (1) यरदन नदी के किनारे पर उगने वाले पौधे (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य के लिए एक रूपक, "एक मनुष्य जो सरकण्डे के समान हवा में हिलता था"। इस उपमा के दो संभावित अर्थ हैं, ऐसा मनुष्य (1) हवा द्वारा आसानी से हिलाया जा सकता है, आसानी से विचार बदलने वाला मनुष्य, या (2) हवा चलने पर बहुत आवाज करता है, महत्त्व की बात तो कम पर व्यर्थ की बातें अधिक करने वाला,

सरकण्डा

एक लम्बी घास

कोमल वस्त्र पहनते

"मंहगे वस्त्र पहने हुए" धनवान लोग ऐसे वस्त्र पहनते थे।

वास्तव में

इस शब्द का अनुवाद प्रायः "देखो" किया जाता है कि अग्रिम बात पर बल दिया जाए। वैकल्पिक अनुवाद होगा, "निश्चय ही"

Matthew 11:9

x

यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है।

क्या देखने गए थे?

यहाँ भी यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से संबन्धित प्रश्नों का क्रम चल रहा है।

क्या किसी भविष्यद्वक्ता को देखने को?

यहाँ सर्वनाम बहुवचन में है और जनसमूह के लिए है।

भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को।

"एक साधारण भविष्यद्वक्ता को नहीं", या "एक साधारण भविष्यद्वक्ता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य को"

यह वही है।

"यह" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला।

जिसके विषय में लिखा है।

यहाँ "जिसके" वह संदर्भ अगले वाक्यांश में "अपने दूत" से है।

देख मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा।

यीशु भविष्यद्वक्ता मलाकी का उद्धरण देते हुए कह रहा है यूहन्ना वही दूत है जिसकी चर्चा मलाकी की पुस्तक में की गई है ।

मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ।

यहाँ सर्वनाम "मैं" परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है। पुराने नियम की भविष्यद्वाणी का लेखक परमेश्वर के शब्दों को ज्यों का त्यों व्यक्त कर रहा है।

तेरे आगे

"तेरे सामने" या "तुम से आगे चलने के लिए" यहाँ "तेरे" एक वचन में है क्योंकि परमेश्वर मसीह से बातें कर रहा है।

Matthew 11:11

x

यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है।

जो स्त्रियों से जन्मे हैं।

"जितनों को स्त्रियों ने जन्म दिया है," उनमें या "जितने मनुष्य अब तक रहे हैं उनमें" (देखें यू.डी.बी.)

उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ।

वैकल्पिक अनुवाद, "यूहन्ना सबसे बड़ा है"।

स्वर्ग के राज्य में।

जिस राज्य की परमेश्वर स्थापना करेगा उसके एक भाग में वैकल्पिक अनुवाद होगा, "जो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे"

वह उससे बड़ा है।

"वह यूहन्ना से भी अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।"

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के दिनों से अब तक।

"जब से यूहन्ना ने प्रचार करना आरंभ किया है"

स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है।

इसके संभावित अर्थ हैं (1) उग्रवादी वहाँ निरंकुश व्यवहार करते हैं (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य स्वर्ग के राज्य की प्रजा को सताते है, या (3) स्वर्ग के राज्य बल के साथ बढ़ रहा है और बलवान लोग उसमें प्रवेश करना चाहते हैं।

Matthew 11:13

x

यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है।

व्यवस्था

व्यवस्था मूसा की व्यवस्था

यूहन्ना

यूहन्ना , यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला।

चाहो तो

यह जनसमूह के संदर्भ में है।

एलिय्याह यही है।

"यही" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, यह वाक्य लाक्षणिक प्रयोग है कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला पुराने नियम में की गई एलिय्याह की भविष्यद्वाणी की पूर्ति है परन्तु वह यह नहीं कहता कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला ही एलिय्याह है।

जिसके सुनने के कान हो वह सुन ले।

कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक स्वाभाविक होगा। "सुनने के लिए तुम्हारे पास काम हों तो सुन लो"।

जिसके सुनने के कान हों

"जो सुन सकता है“ या "जो भी मेरी बात सुनता है"

वह सुन ले

"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"।

Matthew 11:16

x

यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है।

उपमा किससे दूँ?

यह प्रश्न का आरंभ है। यीशु इससे अपने युग के मनुष्यों की तुलना करना आरंभ करता है और बाजार में बैठे हुए बालकों से करता है। वह प्रश्न पूछ कर आरंभ करता है (देखें )

वे उन बालकों के समान हैं जो बाजरों में बैठे हुए एक दूसरे से पुकार कर कहते हैं।

इस उपमा का अर्थ हो सकता है (1) यीशु ने बाँसुरी बजाई और यूहन्ना ने ”विलाप किया“ परन्तु ”इस पीढ़ी न तो नाची और न विलाप किया, आज्ञाकारिता की आलोचना की कि वे व्यवस्था का पालन नहीं करते। व्यवस्था में जोड़े गए उनके अपने नियम

इस समय के लोगों

"आज जो लोग हैं", या "ये लोग", या "इस पीढ़ी के तुम लोग" (देखें यू.डी.बी.)

बाजार

यह एक खुला मैदान होता या जहाँ व्यापारी अपना सामान बेचने आते थे।

हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजाई।

"हमने" अर्थात बाजार में बैठे बालक "तुम्हारे" अर्थात वह पीढ़ी या वह जनसमूह जो संगीत सुनकर प्रतिक्रिया नहीं दिखाता है।

बाँसुरी

यह एक लम्बा खोखला वा़द्य यन्त्र है जिसे एक सिरे से फूंक कर बजाया जाता था।

पर तुम न नाचे

"परन्तु तुम संगीत के अनुसार नहीं नाचे"

तुमने छाती नहीं पीटी।

"तुम हमारे साथ रोए नहीं"

Matthew 11:18

x

यीशु जनसमूह से यूहन्ना की चर्चा समाप्त करता है।

न खाता आया

"भोजन नहीं करता था", "बहुधा उपवास रखता था" या सामान्य उत्तम भोजन नहीं खाता था (यू.डी.बी.) इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना भोजन ही नहीं करता था।

वे कहते हैं "उसमें दुष्टात्मा है।"

यीशु यूहन्ना के विषय लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है इसका अनुवाद परोक्ष वाक्य में किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि उसमें दुष्टात्मा है" या "वे उस पर दुष्टात्माग्रस्त होने का दोष लगाते हैं।"

उन्होंने

"वे" अर्थात वह पीढ़ी (पद 16)

मनुष्य का पुत्र

क्योंकि यीशु उन लोगों से अपेक्षा करता था कि वे उसे पहचान लें कि वह मनुष्य का पुत्र है, अतः इसका अनुवाद किया जा सकता है, "मैं, मनुष्य का पुत्र"।

वे कहते हैं देखो पेटू.... मनुष्य।

यीशु लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है कि वे उसके अर्थात मनुष्य के पुत्र के बारे में क्या कहते हैं। इसका अनुवाद परोक्ष वाक्य में किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि वह पेटू मनुष्य है", या "वे उस पर खाते रहने का दोष लगाते हैं।" यदि आप "मनुष्य के पुत्र" का अनुवाद "मैं, मनुष्य का पुत्र" करते हैं तो परोक्ष उद्धरण को अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि मैं पेटू मनुष्य हूँ"।

वह पेटू मनुष्य है

"वह खाने का लालची है" या "वह स्वभाव से ही बहुत खाता है"।

पियक्कड़

"पियक्कड़" या "बहुत मदिरा पीने वाला"

पर ज्ञान अपने कामों से सच्चा ठहराया जाता है।

यह संभवतः एक नीतिवचन है जिसे यीशु इस परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहा है क्योंकि जिन मनुष्यों ने यीशु को और यूहन्ना को ग्रहण नहीं किया वे बुद्धिमान नहीं हैं। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में है।

ज्ञान अपने कामों से सच्चा ठहराया जाता है।

ज्ञान को मानव रूप देने की इस अभिव्यक्ति का अभिप्राय यह नहीं कि ज्ञान परमेश्वर के समक्ष उचित ठहरे परन्तु इस अभिप्राय में कि वह सच्चा ठहराया जाता है। (देखें: ))

अपने कामों से

"अपने" सर्वनाम शब्द के मानवीकरण के संदर्भ में है।

Matthew 11:20

x

यीशु उन नगरों की आलोचना करना आरंभ करता है जहाँ उसने पहले चमत्कार किए थे।

नगरों को उलाहना देने लगा।

यीशु लाक्षणिक प्रयोग द्वारा उन नगरों के निवासियों को गलत काम के विषय ठहराते हैं।

नगर

शहरी क्षेत्र

जिनमें उसने बहुत से सामर्थ्य के काम किए।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है।

सामर्थ्य के काम।

इसका अनुवाद किया जा सकता है, "आश्चर्यकर्म" या "शक्ति प्रदर्शन के काम" या "चमत्कार" (यू.डी.बी.)

क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया।

"उन्होंने" उन लोगों के संदर्भ में है जिन्होंने उन नगरों में पश्चाताप नहीं किया था।

हाय, खुराजीन! हाय, बैतसैदा!

यीशु इस प्रकार बोल रहा है कि मानों खुराजीन और बैतसैदा के निवासी सुन रहे हों परन्तु वे वहाँ नहीं हैं।

खुराजीन.... बैतसैदा... सूर और सैदा

इन नगरों के नामों का लाक्षणिक प्रयोग किया गया है जो वास्तव में उनके निवासियों ने संदर्भ में है।

जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्यों में किया जा सकता है, "यदि मैं सूर और सैदा में चमत्कार दिखाता"

हाय।

यहाँ एकवचन काम में लिया गया है।

वे कब के मन फिरा लेते।

"वे" सर्वनाम सूर और सैदा के लोगों के संदर्भ में है।

मन फिरा लेते

"वे पापों का दुःख प्रकट करते“

न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम की दशा अधिक सहने योग्य होगी।

"न्याय के दिन परमेश्वर तुम्हारी अपेक्षा सूर और सैदा पर अधिक दया दिखाएगा" या "परमेश्वर, न्याय के दिन तुम्हें सूर और सैदा के निवासियों से अधिक दण्ड देगा" (देखें यू.डी.बी.) यहाँ सलंग्न जानकारी है, "क्योंकि तुमने मन फिराकर मुझमें विश्वास नहीं किया है जबकि तुमने तो मेरे चमत्कारों को देखा है"।

तेरी .... दशा से

"तेरी" सर्वनाम एक वचन में है और खुराजीन या बैतसैदा के लिए काम में लिया गया है।

Matthew 11:23

x

यीशु उन नगरों के विरोध में ही कह रहा है जिसमें उसने पहले चमत्कार दिखाए थे।

हे कफरनहूम

अब यीशु कफरनहूम के निवासियों को संबोधन कर रहा है जैसे कि मानों वे सुन रहे हैं परन्तु वे सुन नहीं रहे हैं। (देखें /उत्संबोधन) "तू" सर्वनाम यहाँ एकवचन में है और इन दोनों पदों में हर जगह कफरनहूम का बोध कराता है।

कफरनहूम .... सदोम

इन नगरों कें नाम लाक्षणिक प्रयोग हैं जिसका अर्थ है वहाँ के निवासी (देखें: /लाक्षणिक प्रयोग)

क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जायेगा?

इस प्रश्न के द्वारा यीशु कफरनहूम के निवासियों को उनके घमण्ड के लिए झिड़कता है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, "क्या तू स्वर्ग तक जायेगा"? या "क्या तू सोचता है कि परमेश्वर तुझे सम्मानित करेगा"?

ऊँचा किया जायेगा।

ऊँचा किया जायेगा "सम्मानित किया जायेगा"

तू तो अधोलोक तक नीचे जायेगा।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, "परमेश्वर तुझे अधोलोक में गिराएगा"।

जो सामर्थ्य के काम तुझमें किए गए हैं, यदि सदोम में किए जाते

जो सामर्थ्य के काम तुझ में किए गए हैं, यदि सदोम में किए जाते इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, "यदि मैं उन सामर्थी कार्यों को करता जो मैंने तुझ में किए हैं"।

सामर्थ्य के काम।

सामर्थ्य के काम, "बड़े-बड़े काम", "शक्ति प्रदर्शन के काम" या "चमत्कार"। (यू.डी.बी.)

तो वह आज तक बना रहता।

"वह" सर्वनाम सदोम का बोध कराता है।

न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम की दशा अधिक सहनेयोग्य होगी।

इसका अनुवाद हो सकता है, "न्याय के दिन परमेश्वर तेरी अपेक्षा सदोम को अधिक दया दिखाएगा" या "न्याय के दिन परमेश्वर तुझे सदोम के निवासियों से अधिक दण्ड देगा"

Matthew 11:25

x

जनसमूह के मध्य रहते हुए यीशु स्वर्गीय पिता से विनती करता है।

यीशु ने कहा।

इसका अर्थ हो सकता है, (1) 10:05/10:5 में यीशु ने जिन शिष्यों को भेजा था वे लौट आए (देखें 12:01/12:1) और यीशु उनमें से किसी की बात पर प्रतिक्रिया दिखा रहा है या (2) यीशु उन मन न फिराने वाले नगरों के दोषारोपण का समापन कर रहा हैः उसी समय यीशु ने कहा।

हे पिता

हे पिता , यह पिता परमेश्वर है न कि उसका सांसारिक पिता।

स्वर्ग और पृथ्वी के पुत्र

इसका अनुवाद लाक्षणिक प्रयोग स्वरूप किया जा सकता है, "स्वर्ग और पृथ्वी की सब वस्तुओं के स्वामी" या स्वरूप "जगत के स्वामी",

तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रकट किया है।

"इन बातों" से यीशु का तात्पर्य क्या था स्पष्ट नहीं है। यदि आपकी भाषा में इसका अर्थ स्पष्ट करने की आवश्यकता पड़े तो वैकल्पिक अनुवाद सर्वोत्तम होगा, "तूने अज्ञानियों पर उस सत्य का प्रकाशन किया है जो तूने ज्ञानियों और समझदारों को सीखने नहीं दिया"।

छिपा रखा

यह क्रिया "प्रकट" का विशेष शब्द है।

ज्ञानवान एवं समझदार

"जो मनुष्य ज्ञानवान और समझदार हैं" इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "अपने आपको ज्ञानवान और समझदार मानने वाले"। (देखें यू.डी.बी., )

प्रकट किया

"उन बातों को प्रकट किया।"

वे जो बालकों के सदृश्य अज्ञानी हैं।

संपूर्ण वाक्यांश में एक शब्द का अनुवाद किया गया है जिसका अर्थ है, "छोटे बच्चे", "अबोध" या "अज्ञानी", इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "अबोध छोटे बच्चे"।

बालक (अबोध बालक स्वरूप)

बालक , यह उन लोगों के लिए उपमा का प्रयोग है जो स्वयं को ज्ञानवान और अधिक शिक्षित नहीं समझते हैं।

तुझे यही अच्छा लगा।

"क्योंकि तूने देखा कि ऐसा करना अच्छा है"।

मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "मेरे पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया है" या "मेरे पिता ने सब कुछ मेरे हाथों में कर दिया है"।

कोई पुत्र को नहीं जानता केवल पिता।

"केवल पिता ही पुत्र को जानता है"।

पुत्र को जानता है।

व्यक्तिगत अनुभव से जानता है।

पुत्र

यीशु स्वयं के अन्य पुरूष के रूप में व्यक्त कर रहा है।

कोई पिता को नहीं जानता केवल पुत्र

केवल पुत्र ही पिता को जानता है।

पिता को ... जानता है।

"व्यक्तिगत" अनुभव से जानता है।

और वह जिसे पुत्र उस पर प्रकट करना चाहे।

वैकल्पिक अनुवादः "मनुष्य पिता को तब ही जान सकता है जब केवल पुत्र पिता को उस पर प्रकट करना चाहे"।

जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।

"उसे" पिता परमेश्वर के लिए काम में लिया गया सर्वनाम है।

Matthew 11:28

x

यीशु जनसमूह से बातें करना समाप्त करता है।

हे सब परिश्रम करने वालो और बोझ से दबे हुए लोगो।

यह रूपक यहूदियों की व्यवस्था में जूए का संदर्भ देता है

मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।

"मैं तुम्हें तुम्हारे परिश्रम और बोझ से विश्राम करने दूँगा"।

"मेरा जुआ" अपने ऊपर उठा लो।

इस पद में सर्वनाम "अपने", "सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों" का बोध कराता है। इस रूपक का अर्थ है, "जो काम मैं तुम्हें दूं उसे स्वीकार कर लो", (देखें यू.डी.बी.) या "मेरे साथ काम करो"।

मेरा बोझ हल्का है।

यहाँ "हल्का" शब्द भारी का विलोम शब्द है।


Translation Questions

Matthew 11:1

उपदेश के लिए नगरों में जाने से पूर्व यीशु ने क्या किया?

उपदेश के लिए जाने से पूर्व यीशु ने चेलों को निर्देश दिए थे।

Matthew 11:3

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने यीशु के पास क्या सन्देश भेजा था?

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने सन्देश भेजा, "क्या आने वाला तू ही है, या हम किसी दूसरे की बाट जोहें?"

Matthew 11:5

आने वाला वही है, इसके प्रमाण में यीशु ने क्या कहा था?

यीशु ने उत्तर दिया, रोगी चंगे किए जाते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है।

Matthew 11:6

जो यीशु के कारण ठोकर न खाएं उनके लिए यीशु ने क्या प्रतिज्ञा की?

जो यीशु के कारण ठोकर न खाए उनको यीशु ने धन्य कहा।

Matthew 11:9

यीशु के जीवन में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले की भूमिका क्या थी?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला वह दूत है जो आने वाले का मार्ग तैयार करेगा।

Matthew 11:14

यीशु के अनुसार यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कौन था?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला एलिय्याह है।

Matthew 11:18

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला न खाता था न पीता था अतः वह पीढ़ी उसे क्या कहती थी?

वह पीढ़ी कहती थी कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले में दुष्ट आत्मा थी।

Matthew 11:19

वह पीढ़ी यीशु के लिए क्या कहती थी क्योंकि वह खाता और पीता था?

वह पीढ़ी कहती थी कि यीशु पेटू और पियक्कड़ है और महसूल लेने वालों तथा पापियों के साथ भोजन करता है।

Matthew 11:20

जिन नगरों ने यीशु के महान काम देखकर भी मन नहीं फिराया उनके लिए यीशु ने क्या कहा था?

यीशु के महान कामों को देखकर भी कुछ नगरों ने मन नहीं फिराया तो यीशु ने उनके दण्ड की भविष्यद्वाणी की थी।

Matthew 11:25

यीशु ने किससे स्वर्ग का राज्य छिपाने के लिए परमेश्वर की प्रशंसा की थी?

ज्ञानियों और समझदारों से स्वर्ग के राज्य की बातों को छिपाने के कारण यीशु ने परमेश्वर की प्रशंसा की थी।

यीशु ने स्वर्ग का राज्य किस पर प्रकट करने के लिए परमेश्वर की प्रशंसा की थी?

यीशु ने परमेश्वर की प्रशंसा की कि उसने स्वर्ग का राज्य बालकों जैसे अज्ञानियों पर प्रकट किया है।

Matthew 11:27

यीशु के कथनानुसार पिता को कौन जानता है?

यीशु ने कहा कि वह स्वर्गीय पिता को जानता है और जिस पर चाहेगा उस पर प्रकट करेगा।

Matthew 11:28

यीशु ने विश्राम की प्रतिज्ञा किससे की है?

यीशु ने सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोगों के लिए विश्राम की प्रतिज्ञा की है।


Chapter 12

1 उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, और वे बालें तोड़-तोड़ कर खाने लगे। 2 फरीसियों ने यह देखकर उससे कहा, “देख, तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।” 3 उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया? 4 वह कैसे परमेश्‍वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ* खाई, जिन्हें खाना न तो उसे और न उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था? 5 या क्या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन की विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं? (गिन. 28:9-10, यूह. 7:22-23) 6 पर मैं तुम से कहता हूँ, कि यहाँ वह है, जो मन्दिर से भी महान है। 7 यदि तुम इसका अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्‍न होता हूँ, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। (होशे 6:6) 8 मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।” (मर. 2:28)

9 वहाँ से चलकर वह उनके आराधनालय में आया। 10 वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूखा हुआ था; और उन्होंने उस पर दोष लगाने के लिए उससे पूछा, “क्या सब्त के दिन चंगा करना* उचित है?” 11 उसने उनसे कहा, “तुम में ऐसा कौन है, जिसकी एक भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड्ढे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले? 12 भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है! इसलिए सब्त के दिन भलाई करना उचित है।” 13 तब उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ के समान अच्छा हो गया। 14 तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार मार डाले?

15 यह जानकर यीशु वहाँ से चला गया। और बहुत लोग उसके पीछे हो लिये, और उसने सब को चंगा किया। 16 और उन्हें चेतावनी दी, कि मुझे प्रगट न करना। 17 कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो:

    18 “देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैंने चुना है; मेरा प्रिय, जिससे मेरा मन प्रसन्‍न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूँगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। 19 वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा;

     और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा।

    20 वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा;

     और धूआँ देती हुई बत्ती को न बुझाएगा,

     जब तक न्याय को प्रबल न कराए।

    21 और अन्यजातियाँ उसके नाम पर आशा रखेंगी।”

22 तब लोग एक अंधे-गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उसने उसे अच्छा किया; और वह गूँगा बोलने और देखने लगा। 23 इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, “यह क्या दाऊद की सन्तान है?” 24 परन्तु फरीसियों ने यह सुनकर कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार शैतान की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकालता।” 25 उसने उनके मन की बात जानकर उनसे कहा, “जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिसमें फूट होती है, बना न रहेगा। 26 और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य कैसे बना रहेगा? 27 भला, यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारे वंश किसकी सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय करेंगे। 28 पर यदि मैं परमेश्‍वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है। 29 या कैसे कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहले उस बलवन्त को न बाँध ले? और तब वह उसका घर लूट लेगा। 30 जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है। 31 इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी। 32 जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न ही आनेवाले में क्षमा किया जाएगा।

33 “यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो, या पेड़ को निकम्मा कहो, तो उसके फल को भी निकम्मा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है। 34 हे साँप के बच्चों, तुम बुरे होकर कैसे अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुँह पर आता है। 35 भला मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है। 36 और मैं तुम से कहता हूँ, कि जो-जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। 37 क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।”

38 इस पर कुछ शास्त्रियों और फरीसियों ने उससे कहा, “हे गुरु, हम तुझ से एक चिन्ह* देखना चाहते हैं।” 39 उसने उन्हें उत्तर दिया, “इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूँढ़ते हैं; परन्तु योना भविष्यद्वक्ता के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उनको न दिया जाएगा। 40 योना तीन रात-दिन महा मच्छ के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात-दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा। 41 नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएँगे, क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर, मन फिराया और यहाँ वह है जो योना से भी बड़ा* है। 42 दक्षिण की रानी* न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएँगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिये पृथ्वी की छोर से आई, और यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।

43 “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और पाती नहीं। 44 तब कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी, लौट जाऊँगी, और आकर उसे सूना, झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है। 45 तब वह जाकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें पैठकर वहाँ वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है। इस युग के बुरे लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।”

46 जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो उसकी माता और भाई बाहर खड़े थे, और उससे बातें करना चाहते थे। 47 किसी ने उससे कहा, “देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं।” 48 यह सुन उसने कहनेवाले को उत्तर दिया, “कौन हैं मेरी माता? और कौन हैं मेरे भाई?” 49 और अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये हैं। 50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और बहन, और माता है।”



Matthew 12:1

x

यीशु अपने शिष्यों को फरीसियों के आरोप से बचाता है क्योंकि उन्होंने भूख मिटाने के लिए सब्त के दिन गेहूँ की बालें तोड़कर खाई थी।

खेतों

गेहूँ उगने का स्थान। यदि गेहूँ अपरिचित है और "अन्न" अत्यधिक सामान्य शब्द है तो "रोटी के लिए काम में आनेवाले अन्न का खेत" काम में लें।

वे बालें तोड़कर खाने लगे.... तेरे चेले वह काम कर रहे हैं जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।

किसी के खेत से गेहूँ तोड़कर खाना चोरी नहीं माना जाता था (देखें यू.डी.बी.) प्रश्न तो यह था कि यह विधि सम्मत कार्य सब्त के दिन एक विधि सम्मत काम है।

उन्हें

गेहूँ की बालें

गेहूँ की बालें

यह गेहूँ के पौधे का ऊपरी भाग है इसमें उस पौधे के बीज होते हैं, गेहूँ का पौधा बड़ी घास के जैसा होता है।

देख

वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"।

Matthew 12:3

x

यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे।

उनसे ... तुम

फरीसियों से

क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा

यीशु फरीसियों को कोमलता से झिड़क रहा है कि उन्होंने पढ़कर भी नहीं सीखा। वैकल्पिक अनुवाद, "तुमने जो पढ़ा है उससे सीखना तो आवश्यक है"।

वह ... उसके

दाऊद

भेंट की रोटी

जो रोटी परमेश्वर को चढ़ाई जाती थी और मेज पर रखी रहती थी(यू.डी.बी)

उसके साथी

"जो पुरूष दाऊद के साथ थे"।

केवल याजकों को उचित था।

"केवल याजक ही उन्हें खा सकते थे।"

Matthew 12:5

x

यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे।

तुम ... तुम

फरीसियों से

क्या तुमने व्यवस्था में नहीं पढ़ा?

"तुमने व्यवस्था पढ़ी है इसलिए तुम जानते हो कि वहाँ लिखा है"

विधि को तोड़ने पर

"सब्त के दिन दैनिक काम करना"

निर्दोष ठहरते हैं

"परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देगा"

वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है।

"वह जो मन्दिर से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है" यीशु स्वयं को मन्दिर से भी बड़ा बता रहा है।

Matthew 12:7

x

यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे।

यदि तुम इसका अर्थ जानते,

"तुम नहीं जानते"

तुम ... तुम

फरीसियों से

मैं दया से प्रसन्न होता हूँ बलिदान से नहीं।

बलिदान अच्छे हैं पर दया अधिक अच्छी है।

इसका अर्थ क्या है?

"परमेश्वर ने धर्मशास्त्र में क्या कहा है"?

मैं .... प्रसन्न होता हूँ।

"मैं" परमेश्वर का संदर्भ देता है।

Matthew 12:9

x

यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे।

वहाँ से चलकर वह

"यीशु खेतों से निकलकर"

उनके

उन फरीसियों के आराधनालय में जिनसे वह बातें कर रहा था।

देखो

यह शब्द "देखो" कहानी में नए मोड़ की हमें सूचना देता है। आपकी भाषा में इसका प्रावधान होगा।

हाथ सुखा हुआ था

"कुम्भलाया हुआ" या "मुड़ा हुआ"

Matthew 12:11

x

यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे।

तुम में ऐसा कौन है... वह उसे पकड़ कर न निकाले।

"तुम्हारे मध्य ऐसा कोई है जो सब्त के दिन खड्डे में गिरी अपनी भेड़ को पकड़ कर बाहर न निकाले"? वैकल्पिक अनुवाद, "तुममें से हर एक ... उसे पकड़कर बाहर निकाले"।

उनसे ... तुम

फरीसियों से

जिसकी

"यदि उसके पास .... हो"

बाहर न निकले?

उसे पकड़ कर न निकाले?

सब्त के दिन भलाई करना उचित है।

"जो भलाई करते है वे सब्त की अवज्ञा नहीं करते" या "जो भलाई करते हैं वे सब्त पालन ही करते हैं"।

Matthew 12:13

x

यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे।

उस मनुष्य से

वह मनुष्य जिसका हाथ सूखा हुआ था।

अपना हाथ बढ़ा।

"अपना हाथ उठा" या "अपना हाथ आगे कर"

उसने

उस मनुष्य से

वह

उसका हाथ

अच्छा हो गया

"पूरा चंगा हो गया" या "फिर से स्वस्थ होगा"

सम्मति की

"उसे घात करने की योजना बनाई"

उसे किस प्रकार

"मार्ग खोजने लगे"

उसे .... नष्ट करें

"यीशु को घात करें"

Matthew 12:15

x

इस वृत्तान्त में दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से यशायाह की भविष्यद्वाणी कैसे पूरी हुई है।

यह

"कि फरीसी इसे घात करने की योजना बना रहे हैं।"

निकल गया

"प्रस्थान किया"

प्रगट न करना।

"उसके बारे में किसी से न कहना"।

ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था वह पूरा हो।

"यशायाह के लिखे हुए वचनों द्वारा परमेश्वर ने जो कहा था"।

Matthew 12:18

x

इस वृत्तान्त में भी वही दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से भविष्यद्वक्ता यशायाह की एक भविष्यद्वाणी कैसे पूरी होती है। यशायाह ने परमेश्वर के शब्दों को ही लिखा था।

Matthew 12:19

x

इस वृत्तान्त में भी वही दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से भविष्यद्वक्ता यशायाह की एक भविष्यद्वाणी कैसे पूरी होती है। यशायाह ने परमेश्वर के शब्दों को ही लिखा था।

वह .... उसके

"सेवक" .

वह कुचले हुए सरकण्डे को न कुचलेगा।

"वह दुर्बलों को तुच्छ न जानेगा।"

कुचले हुए

"थोड़ा टूटा या क्षतिग्रस्त"

धुआं देती हुई बत्ती

धुआं देती हुई बत्ती, बुझाने के बाद जब दीपक की बत्ती धुआं देती है। इसका अर्थ है जो मनुष्य असहाय और बदकिस्मत हैं

जब तक

इसके लिए एक नया वाक्य लिखा जा सकता है, "वह ऐसा ही करेगा जब तक"

न्याय को प्रबल कराए।

"वह मनुष्यों को विश्वास दिलाता है कि वह न्यायी है"।

Matthew 12:22

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त यहाँ से आरंभ होता है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

अंधे-गूंगे को

"जो न देख सकता था न बोल सकता था"।

सब लोग चकित होकर

"लोगों ने देखा कि यीशु ने उसे चंगा किया तो सब चकित हो गए।"

Matthew 12:24

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

इस पर (आश्चर्यकर्म)

अंधे गूंगे और दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई का आश्चर्यकर्म

बालज़बूल की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकाल सकता।

बालज़बूल की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकाल सकता। यह बालज़बूल का सेवक होने के कारण ही दुष्टात्मा निकाल सकता है।

यह

फरीसी यीशु का नाम नहीं लेते थे कि उनके द्वारा यीशु का इन्कार प्रकट हो।

उनके .... उनसे

उनके .... उनसे .... फरीसियों

Matthew 12:26

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

शैतान ही शैतान को निकाले।

"यदि शैतान अपने ही राज्य के विरूद्ध काम करे"

उसका राज्य कैसे बना रहेगा?

"शैतान का राज्य कैसे स्थिर रहेगा" या "शैतान के राज्य का पतन हो जायेगा"।

निकाले

"बाहर निकलने पर विवश करे", या "बहिष्कार करे", या "निकाल दे", या "निष्काषित करे"।

तुम्हारे वंश किस की सहायता से निकालते हैं?

वैकल्पिक अनुवादः बालज़बूल की ही सहायता से तुम्हारे वंश भी दुष्टात्माएं निकालते होंगे“। (देखें यू.डी.बी.)।

वे ही तुम्हारा न्याय करेंगे।

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारा वंश परमेश्वर के सामर्थ्य से दुष्टामाएं निकालता है तो वही तुम्हारा न्याय करे जब तुम कहते हो कि मैं बालज़बूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता हूँ।"

Matthew 12:28

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

तुम्हारे पास

फरीसियों के पास

उस बलवन्त को न बाँध ले।

"उस बलवन्त मनुष्य को वंश में किए बिना।"

मेरे साथ नहीं।

"जो मेरा साथ नहीं देता" या "जो मेरे साथ काम नहीं करता"।

मेरे विरोध में है।

"मेरे विरूद्ध काम करता है" या "मेरा काम नष्ट करता है।"

बटोरता

यह फसल काटने के लिए एक प्रचलित शब्द था।

Matthew 12:31

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

तुम से

फरीसियों से

अपराध क्षमा किया जाएगा।

"परमेश्वर मनुष्य का हर एक पाप या निन्दा क्षमा करेगा" या "परमेश्वर हर पाप या निन्दा करने वाले हर एक मनुष्य को क्षमा कर देगा"।

पवित्र-आत्मा के विरोध में .... अपराध.... ... क्षमा नहीं किया जाएगा।

"परमेश्वर पवित्र आत्मा विरोधी पाप कभी क्षमा नहीं करेगा।"

मनुष्य पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा वह क्षमा किया जायेगा।

"मनुष्य के पुत्र का विरोध क्षमा किया जायेगा।"

न तो इस लोक में और न परलोक में।

वैकल्पिक अनुवाद, "इस समय.... आनेवाले समय में"

Matthew 12:33

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो, या पेड़ को निकम्मा कहो तो उसके फल को भी निकम्मा कहो।

"या तो कहो कि फल अच्छा है तो पेड़ अच्छा है, या यह कहो कि फल निकम्मा है तो पेड़ भी निकम्मा है"।

अच्छा .... निकम्मा

इसका अर्थ है (1) स्वस्थ ... अस्वस्थ या (2) खाने योग्य... खाने योग्य नहीं।

पेड़ अपने फल ही से पहचाना जाता है।

इसका अर्थ है, (1) मनुष्य फल को देखकर कह सकते हैं कि पेड़ स्वस्थ है या नहीं या (2) मनुष्य फल को देख कर पेड़ की प्रजाति को बता सकता है।

तुम ....तुम

फरीसियों से

जो मन में भरा है वही मुँह पर आता है।

"मनुष्य वही कहता है जो उसके मन में है"

भले भण्डार.... बुरे भण्डार

भले भण्डार .... बुरे भण्डार ... अच्छे विचार .... बुरे विचार

Matthew 12:36

x

फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

तुम.... उसका

फरीसियों से

लेखा देंगे।

"परमेश्वर उनसे पूछेगा" या "परमेश्वर महत्त्व का मूल्यांकन करेगा"

निकम्मा

"निकम्मा" वैकल्पिक अनुवाद "हानिकारक" (देखें: यू.डी.बी.)

उन्होंने

"मनुष्य"

निर्दोष .... दोषी

"परमेश्वर निर्दोष ठहराया .... परमेश्वर दोषी ठहराया।"

Matthew 12:38

x

यीशु अविश्वासी फरीसियों और शास्त्रियों को झिड़कता है, क्योंकि उन्होंने उस अंधे दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई के बाद चिन्ह मांगा था।

इच्छा रखते हैं।

"ढूँढ़ते"

बुरे और व्यभिचारी लोग

"इस समय के लोग बुराई से प्रेम करते हैं और परमेश्वर के निष्ठावान नहीं हैं"।

चिन्ह उनको न दिया जाएगा।

"परमेश्वर इस समय के बुरे और व्यभिचारी लोगों को कोई चिन्ह नहीं देगा।"

योना के चिन्ह

इसका अनुवाद हो सकता है, "जो योना के साथ हुआ" या "परमेश्वर ने योना के साथ जो चमत्कार किया"

पृथ्वी के भीतर

कब्र के भीतर

Matthew 12:41

x

यीशु अविश्वासी फरीसियों और शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने अंधे दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई पर उससे चिन्ह माँगा।

नीनवे के लोग... इस युग के लोगों के साथ.... उन्हें दोषी ठहरायेंगे।

वैकल्पिक अनुवाद; "नीनवे के लोग इस पीढ़ी को दोष देंगे... और परमेश्वर उनका दोषारोपण सुनकर तुम्हें दण्ड देगा" या "परमेश्वर नीनवे के लोगों पर तथा इस पीढ़ी को पाप का दण्ड देगा परन्तु उन्होंने मन फिराया और तुमने नहीं इसलिए वह तुम्हें ही दण्ड देगा"।

इस समय के लोगों

यीशु के सेवाकाल के समय के लोग।

से भी बड़ा

"कोई अधिक महत्त्वपूर्ण"

Matthew 12:42

x

यीशु फरीसियों तथा शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने उससे चिन्ह माँगा।

दक्षिण की रानी इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहरायेगी।

वैकल्पिक अनुवादः "दक्षिण की रानी इस पीढ़ी को दोष देगी ... और परमेश्वर उसका दोषारोपण सुनकर तुम्हें दण्ड देगा"। या "परमेश्वर दक्षिण की रानी ... और उस पीढ़ी दोनों को पाप का दण्ड देगा परन्तु क्योंकि उसने सुलैमान के वचन सुने और तुमने मेरे वचन नहीं सुने, वह केवल तुम्हें दण्ड देगा"।

दक्षिण की रानी

वह शीबा की रानी थी, अन्य जाति राज्य की

पृथ्वी के छोर से आई

"वह बहुत दूर से आई थी" (देखें ))

इस समय के लोगों

वे लोग जो यीशु के सेवाकाल के समय थे

से भी बड़ा

"कोई अधिक महत्त्वपूर्ण"

Matthew 12:43

x

यीशु फरीसियों तथा शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने उससे चिन्ह मांगा।

सूखी जगहों

"निर्जन जगह" या "जहाँ लोग नहीं रहते"।(देखें यू.डी.बी)

पाती नहीं

"विश्राम नहीं पाती है"

कहती है

"वह दुष्टात्मा कहती है।"

झाड़ा-बुहारा और सजाया पाती है।

वैकल्पिक अनुवाद, "वह दुष्टात्मा देखती है कि किसी ने घर को साफ करके सब कुछ यथा स्थान सजा दिया है।"

Matthew 12:46

x

यीशु के माता और भाइयों के आने पर उसे अपने आत्मिक परिवार को प्रकट करने का अवसर मिलता है।

उसकी माता

यीशु की सांसारिक माता

यीशु के भाई

इसका अर्थ हो सकता है, (1) उसी परिवार या कुटुम्ब के भाई (देखें यू.डी.बी.) या (2) इस्राएल में उसके मित्र या निकट संबन्धी।

चाहते हैं

"इच्छा रखते हैं"

Matthew 12:48

x

यीशु के माता और भाइयों के आने पर उसे अपने आत्मिक परिवार को प्रकट करने का अवसर मिलता है।

कहने वाले को

जिसने यीशु को सन्देश दिया कि उसकी माता और उसके भाई उससे मिलना चाहते हैं।

कौन है मेरी माता? और कौन है मेरा भाई?

वैकल्पिक अनुवाद, "मैं बताता हूँ कौन मेरी सच्ची माता है और कौन मेरा सच्चा भाई है"।

जो कोई

"वह हर एक जन"


Translation Questions

Matthew 12:2

फरीसियों ने यीशु के चेलों के किस काम की शिकायत की थी?

फरीसियों ने शिकायत की कि यीशु के चेले गेहूं की बालें तोड़कर खा रहे थे जो सब्त के दिन का उल्लंघन था।

Matthew 12:6

यीशु ने मन्दिर से बड़ा किसको बताया था?

यीशु ने कहा कि वह मन्दिर से भी बड़ा है।

Matthew 12:8

मनुष्य के पुत्र, यीशु को क्या अधिकार है?

मनुष्य का पुत्र, यीशु सब्त का प्रभु है।

Matthew 12:10

सूखे हुए हाथ के मनुष्य के समक्ष फरीसियों ने आराधनालय में यीशु से क्या पूछा?

फरीसियों ने यीशु से पूछा, "क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?"

Matthew 12:12

यीशु के अनुसार सब्त के दिन कैसा काम उचित है?

यीशु ने कहा कि सब्त के दिन भलाई करना व्यवस्थापूर्ण है।

Matthew 12:14

उस सूखे हाथ वाले मनुष्य को यीशु ने चंगा किया तो फरीसियों ने क्या किया?

फरीसियों ने बाहर जाकर षड्यंत्र रचा कि उसे कैसे घात करें।

Matthew 12:18

यीशु पवित्र-आत्मा के द्वारा दुष्टात्माएं निकाल रहा था तो उसके अनुसार क्या हो रहा था?

यीशु ने कहा कि वह पवित्र-आत्मा के द्वारा दुष्टात्माएं निकालता है तो परमेश्वर का राज्य उनके पास आ पहुंचा है।

Matthew 12:19

यीशु के बारे में यशायाह की भविष्यद्वाणी के अनुसार यीशु क्या नहीं करेगा?

यीशु न झगड़ा करेगा, न धूम मचाएगा, न कुचले हुए सरकण्डे को तोड़ेगा, न धुआं देती हुई बत्ती को बुझाएगा।

Matthew 12:26

बालज़बूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालने के आरोप पर यीशु ने क्या प्रतिक्रिया दिखाई थी?

यीशु ने कहा यदि शैतान ही शैतान को बाहर करे तो उसका राज्य कैसे स्थिर रहेगा।

Matthew 12:31

यीशु के कथनानुसार कौन सा पाप क्षमा के योग्य है?

यीशु ने कहा कि पवित्र-आत्मा की निन्दा क्षमा के योग्य नहीं है।

Matthew 12:33

पेड़ कैसे पहचाना जाता है?

पेड़ अपने फलों से पहचाना जाता है।

Matthew 12:37

यीशु के अनुसार फरीसियों का न्याय और दण्ड कैसा होगा?

यीशु ने कहा कि फरीसी अपने शब्दों द्वारा न्याय पाएंगे और दण्ड भोगेंगे।

Matthew 12:39

यीशु ने उस पीढ़ी को क्या चिन्ह दिया?

यीशु ने कहा कि वह उस पीढ़ी को योना का चिन्ह देगा, तीन दिन-रात पृथ्वी के गर्भ में रहेगा।

Matthew 12:41

यीशु ने किसको योना से महान बनाया था?

यीशु ने कहा कि वह योना से अधिक महान है।

नीनवे के लोग और दक्षिण की रानी यीशु की पीढ़ी को दोषी क्यों ठहरायेंगे?

नीनवे के लोग और दक्षिण की रानी यीशु की पीढ़ी को दोषी ठहरायेंगे क्योंकि उन्होंने योना और सुलैमान से परमेश्वर का वचन ग्रहण किया था परन्तु यीशु की पीढ़ी ने योना और सुलैमान से बड़े के वचनों को ग्रहण नहीं किया।

Matthew 12:42

यीशु ने किसको सुलैमान से बड़ा कहा है?

यीशु ने कहा कि वह सुलैमान से भी बड़ा है।

Matthew 12:43

यीशु की पीढ़ी के लोगों की दशा कैसे मनुष्य जैसी होगी?

यीशु की पीढ़ी के लोग उस मनुष्य के तुल्य हैं जिसमें से अशुद्ध आत्मा निकाली गई परन्तु वह अन्य सात दुष्टात्माओं को लेकर लौट आई और उस मनुष्य की दशा पहले से भी अधिक बुरी हो गई।

Matthew 12:46

यीशु के भाई, बहन और माता कौन है?

यीशु ने कहा कि स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलने वाले उसके भाई, बहन और माता है।


Chapter 13

1 उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा। 2 और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही। 3 और उसने उनसे दृष्टान्तों* में बहुत सी बातें कही “एक बोनेवाला बीज बोने निकला। 4 बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया। 5 कुछ बीज पत्थरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और नरम मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए। 6 पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए। 7 कुछ बीज झाड़ियों में गिरे, और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला। 8 पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। 9 जिसके कान हों वह सुन ले।”

10 और चेलों ने पास आकर उससे कहा, “तू उनसे दृष्टान्तों में क्यों बातें करता है?” 11 उसने उत्तर दिया, “तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर उनको नहीं। 12 क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिसके पास कुछ नहीं है, उससे जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा। 13 मैं उनसे दृष्टान्तों में इसलिए बातें करता हूँ, कि वे देखते हुए नहीं देखते; और सुनते हुए नहीं सुनते; और नहीं समझते। 14 और उनके विषय में यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी होती है:

     ‘तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आँखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा।

15 क्योंकि इन लोगों के मन सुस्त हो गए है,

     और वे कानों से ऊँचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आँखें मूंद लीं हैं;

     कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें,

     और कानों से सुनें और मन से समझें,

     और फिर जाएँ, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’

16 “पर धन्य है तुम्हारी आँखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं। 17 क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं और धर्मियों ने चाहा कि जो बातें तुम देखते हो, देखें पर न देखीं; और जो बातें तुम सुनते हो, सुनें, पर न सुनीं।

18 “अब तुम बोनेवाले का दृष्टान्त सुनो 19 जो कोई राज्य का वचन* सुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया था। 20 और जो पत्थरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्त आनन्द के साथ मान लेता है। 21 पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन रह पाता है, और जब वचन के कारण क्लेश या उत्पीड़न होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है। 22 जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। 23 जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।”

24 यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया। 25 पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। 26 जब अंकुर निकले और बालें लगी, तो जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए। 27 इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उससे कहा, ‘हे स्वामी, क्या तूने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उसमें कहाँ से आए?’ 28 उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’ दासों ने उससे कहा, ‘क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उनको बटोर लें?’ 29 उसने कहा, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ लो। 30 कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूँगा; पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उनके गट्ठे बाँध लो, और गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।’ ”

31 उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। 32 वह सब बीजों से छोटा तो है पर जब बढ़ जाता है तब सब साग-पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं।”

33 उसने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया, “स्वर्ग का राज्य ख़मीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सब ख़मीर हो गया।”

34 ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था। 35 कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “मैं दृष्टान्त कहने को अपना मुँह खोलूँगा मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्त रही हैं प्रगट करूँगा।”

36 तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें समझा दे।” 37 उसने उनको उत्तर दिया, “अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। 38 खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं। 39 जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है: और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। 40 अतः जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। 41 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे। 42 और उन्हें आग के कुण्ड* में डालेंगे, वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। 43 उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। जिसके कान हों वह सुन ले।

44 “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पा कर छिपा दिया, और आनन्द के मारे जाकर अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।

45 “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। 46 जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।

47 “फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। 48 और जब जाल भर गया, तो मछवे किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी-अच्छी तो बरतनों में इकट्ठा किया और बेकार-बेकार फेंक दी। 49 जगत के अन्त में ऐसा ही होगा; स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, 50 और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे। वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।

51 “क्या तुम ये सब बातें समझ गए?” चेलों ने उत्तर दिया, “हाँ।” 52 फिर यीशु ने उनसे कहा, “इसलिए हर एक शास्त्री जो स्वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्थ के समान है जो अपने भण्डार से नई और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।”

53 जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका, तो वहाँ से चला गया। 54 और अपने नगर में आकर उनके आराधनालय में उन्हें ऐसा उपदेश देने लगा; कि वे चकित होकर कहने लगे, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? 55 क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं? 56 और क्या इसकी सब बहनें हमारे बीच में नहीं रहती? फिर इसको यह सब कहाँ से मिला?”

57 इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता अपने नगर और अपने घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता।” 58 और उसने वहाँ उनके अविश्वास के कारण बहुत सामर्थ्य के काम नहीं किए।



Matthew 13:1

x

इस अध्याय में यीशु नाव पर चढ़कर प्रचार कर रहा है और जनसमूह के दृष्टान्तों द्वारा समझा रहा है कि परमेश्वर का राज्य क्या है और कैसा है।

उसी दिन

पिछले अध्याय की घटनाओं के ही दिन

घर से निकलकर

यह स्पष्ट नहीं है कि यीशु किसके घर में था।

नाव पर चढ़ गया।

यह संभवतः पाल वाली लकड़ी की नाव थी।

Matthew 13:3

x

यह वृत्तान्त वही है यीशु जन समूह को परमेश्वर के राज्य के बारे में सम्मान के लिए दृष्टान्त सुना रहा है।

उनसे दृष्टान्तों में बहुत सी बातें कहीं।

यीशु ने उन्हें बहुत सी बातें दृष्टान्तों में समझाई "यीशु ने उन्हें अनेक बाते दृष्टान्तों में सुनाई "

लोगों के लिए

जनसमूह से

देखो

वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो", "मैं जो कहने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो"।

एक बोने वाला बीज बोने निकला।

"एक किसान खेत में बीज विसर्जन करने निकला"

बोते समय

"जब बीज बोने वाले ने बीज विसर्जन किया"

सड़क के किनारे

"खेत के किनारे मार्ग पर" वह मार्ग लोगों के चलने के कारण कठोर हो गया होगा।

उन्हें चुन लिया।

"बीजों को खा लिया"

पथरीली भूमि पर गिरे।

चट्टानों में जो थोड़ी बहुत मिट्टी थी उसमें

जल्द उग आए।

"अंकुर निकल आए"

सूर्य निकलने पर जल गए।

"सूर्य की गर्मी के कारण वे झुलस गए और गर्मी से जल गए"। (देखें: Active or Passive)

सूख गए

"अंकुर सूख कर नष्ट हो गए"।

Matthew 13:7

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

कुछ बीज झाड़ियों में गिरे।

जहाँ झाड़ियां उग रही थी वहाँ गिरे

उन्हें दबा दिया।

"नई पौध को दबा दिया" जंगली घास द्वारा पौधों के नष्ट हो जाने का शब्द काम में लें।

फल लाए

"फसल उगी", या "अधिकाधिक बीज उगे" या "फलदायी हुए"।

जिसके कान हो वह सुन ले।

कुछ भाषाओं में अधिक स्वाभाविक अनुवाद होगा द्वितीय पुरूष में, "तुम्हारे कान हों तो सुन लो।"

जिसके कान हों

"जो सुन सकता है“ या "जो भी मेरी बात सुनता है"

वह सुन ले।

"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"।

Matthew 13:10

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

लोगों के लिए

शिष्यों को

तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है पर उनको नहीं।

इसका अनुवाद सलंग्न जानकारी के साथ कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, "परमेश्वर ने तुम्हें स्वर्ग के राज्य के भेद को समझने की बुद्धि दी है परन्तु परमेश्वर ने इन लोगों को नहीं दी है।" या "परमेश्वर ने तुम्हें स्वर्ग के भेद समझने योग्य बनाया है परन्तु उसने इन्हें इस योग्य नहीं बनाया है"

तुम्हें

चेले

भेद

जो सत्य अब तक छिपा हुआ था उसे यीशु अब प्रकट कर रहा है, वैकल्पिक अनुवादः "रहस्य" या "गुप्त सत्य" (देखें यू.डी.बी.)

जिसके पास

"जिसमें समझ है" या "जो मेरी शिक्षा ग्रहण करता है"।

उसे दिया जायेगा।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जाए, "परमेश्वर उसे और समझ देगा",

उसके पास बहुत हो जाएगा।

"वह स्पष्ट समझ लेगा"।

जिसके पास कुछ नहीं है।

"जिसे समझ नहीं" या "जो मेरी शिक्षा को ग्रहण नहीं करता"

"जो कुछ उसके पास है वह भी ले लिया जाएगा"

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है। "परमेश्वर उससे वह भी ले लेगा जो उसके पास है"

Matthew 13:13

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

मैं उनसे... बातें करता हूँ।

"उनसे" इन दोनों पदों में जनसमूह के लिए प्रयुक्त सर्वनाम है।

वे देखते हुए नहीं देखते और सुनते हुए नहीं सुनते, यद्यपि वे देखते है परन्तु वास्तव में देख नहीं पाते और वे सुनते तो है परन्तु वास्तव में सुन नहीं पाते।

यीशु इस सदृश्यता द्वारा शिष्यों से कह रहा है कि जनसमूह समझने से इन्कार करता है।

वे देखते तो हैं परन्तु वास्तव में देख नहीं पाते।

"यद्यपि वे देखते हैं वे ग्रहण नहीं कर पाते" यदि क्रिया को "कर्म" की आवश्यकता हो तो अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "यद्यपि वे वस्तुओं को देखते हैं वे उन्हें समझते नहीं"। या "यद्यपि वे घटनाओं को घटते देखते हैं, वे समझ नहीं पाते कि उनका अर्थ क्या है"।

सुनते हुए नहीं सुनते और नहीं समझते

"यद्यपि वे सुनते हैं वे समझ नहीं पाते" यदि क्रियाओं का "कर्म" की आवश्यकता है तो इसका अनुवाद होगा, "यद्यपि वे निर्देश सुनते हैं, वे सत्य को समझ नहीं पाते।"

तुम कानों से तो सुनोगे पर समझोगे नहीं। देखने से तो तुम देखोगे परन्तु ग्रहण नहीं कर पाओगे।

यह यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा उद्धरण है जो उसके युग में अविश्वासी लोगों के लिए कहा गया था। यीशु इस उद्धरण द्वारा उसके श्रोताओं का वर्णन कर रहा है। यह एक और दृष्टांत है।

तुम सुनोगे परन्तु किसी भी प्रकार समझ नहीं पाओगे।

इसका अनुवाद हो सकता है, "तुम सुनोगे परन्तु समझोगे नहीं"। यदि क्रिया के लिए "कर्म" की आवश्यकता हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार होगा, "तुम बातों को सुनोगे परन्तु उन्हें समझोगे नहीं"।

आँखों से तो देखोंगे पर तुम्हे न सूझेगा

"तुम देखोगे परन्तु ग्रहण नहीं कर पाओगे"। यदि क्रिया के लिए "कर्म" की आवश्यकता हो तो अनुवाद इस प्रकार होगा, "तुम बातों को देखोंगे परन्तु अंतर्ग्रहण नहीं कर पाओगे।"

Matthew 13:15

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। वह में दिए गए यशायाह के उद्धरण को ही सुन रहा है।

इन लोगों का मन मोटा हो गया है।

"यह लोग अब सीख नहीं सकते" (देखें यू.डी.बी.)

वे कानों से ऊँचा सुनते हैं।

"वे सुनने की इच्छा ही नहीं रखते" (देखें यू.डी.बी.)

उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं।

"उन्होंने आँखें बंद कर ली हैं", या "वे देखने से इन्कार करते है"

कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें और कानों से सुनें और मन से समझें और फिर जायें।

"कि वे आँखों से देख पाएं, कानों से सुन पाएं, मन से समझ पाएं और परिणाम यह हो कि वे मन फिराएँ"।

फिर जाएँ

"लौट आएँ" या "मन फिराएँ"

मैं उन्हें चंगा करूं।

"और मुझसे चंगाई पाएँ"। वैकल्पिक अनुवाद होगा, "और मैं उन्हें फिर से अपना लूँ"

Matthew 13:16

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

तुम्हारी .... तुम्हारे

यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है।

देखें

"कि वे देख पाएँ" या "वे देखने योग्य हों"।

सुनें

"कि वे सुन पाएँ" या "वे सुनने योग्य हों"

जो बातें तुम देखते हो।

"बातें तुमने मुझे करते देखा।"

जो बातें तुम सुनते हो।

"जो बातें तुमने मुझे कहते सुनी"

Matthew 13:18

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गा दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है।

उसके मन में जो कुछ बोया गया है उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है।

"शैतान उसे परमेश्वर के वचन को भूल जाने पर विवश करता है", जो उसने सुना।

छीन ले जाता है।

ऐसा शब्द काम में लेने का प्रयास करें जो किसी अधिकृत स्वामी से उसकी किसी वस्तु को छीनने को व्यक्त करता है।

उसके मन में जो कुछ बोया गया।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, "परमेश्वर ने उसके मन में जो वचन बोया।" (देखें:

उसके मन में

श्रोता के मन में

यह वही है जो मार्ग के किनारे बोया गया।

यदि शाब्दिक अनुवाद से अर्थ स्पष्ट नहीं होता तो अनुवाद इस प्रकार करें, कि पाठक को स्पष्ट समझ में आए कि यीशु बीज बोने वालों और सुनने वाले मार्ग के किनारे की भूमि है। संभावित अनुवाद, "जो मार्ग के किनारे बोया गया वह ऐसा ही है"। (देखें: और )

मार्ग के किनारे

मार्ग के किनारे "मार्ग" या "पगडंडी" इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है।

Matthew 13:20

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गा दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है।

पथरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है।

यदि मूल अर्थ आधारित अनुवाद समझने में कठिन है तो अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठकों को स्पष्ट समझ में आए कि यीशु बीज बोने वाला है और सन्देश बीज है और सुनने वाला पथरीली भूमि है। संभावित अनुवाद हैः "जो पथरीली भूमि में बोया गया वह ऐसा ही है"।

जड़ न रखने के कारण

"उसकी जड़ें गहराई में नहीं गई", या "वह इस अंकुर को जड़ें फैलाने का स्थान नहीं देता है"

वचन के कारण

"सन्देश के कारण"

वह तुरन्त ठोकर खाता है।

"वह तुरन्त ही पथभ्रष्ट हो जाता है" या "वह तुरन्त ही विश्वास का त्याग कर देता है"।

Matthew 13:22

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गए दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है।

जो झाड़ियाँ में बोया गया ... जो अच्छी भूमि में बोया गया।

यदि मूल अर्थ आधारित अनुवाद समझने में कठिन हो तो अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठक को समझ में आ जाए कि यीशु बीज बोने वाला है, सन्देश बीज है और श्रोता झाड़ियों वाली भूमि है। संभावित अनुवाद, "झाड़ियो में बोया गया बीज ऐसा ही है... अच्छी भूमि बोया गया बीज ऐसा ही है।" (देखें: और )

वचन

"सन्देश"

संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है और वह फल नहीं लाता।

इसका अनुवाद हो सकता है, "जिस प्रकार झाड़ियाँ अच्छे पौधे को बढ़ने नहीं देती उसी प्रकार सांसारिक चिन्ताएँ और धन का धोखा इस व्यक्ति को फल लाने से रोकते हैं"

संसार की चिन्ताएँ

"वे सांसारिक बातें जिनकी चिन्ता मनुष्य करता है।"

फल नहीं लाता है।

निष्फल हो जाता है।

यह वह है जो वचन को सुनकर समझता है और फल लाता है।

"ये वे लोग हें जो फलवन्त एवं उत्पादक होते हैं" या "स्वस्थ पौधों के समान अच्छा फल लाते हैं", ये लोग बहुत फलते हैं।

Matthew 13:24

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया।

यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया।

स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है।

आपका अनुवाद स्वर्ग के राज्य को मनुष्य के तुल्य न दर्शाए, इसकी अपेक्षा स्वर्ग का राज्य उस परिस्थिति के अनुसार है जिसका वर्णन यहाँ किया गया है।

अच्छा बीज बोया

"भोज्य पदार्थों का अच्छा बीज" या "अन्न का अच्छा बीज"। जनसमूह ने सोचा कि यीशु गेहूँ के बीज की चर्चा कर रहा है।

उसके शत्रु आकर

उसका शत्रु खेत में आया

जंगली बीज

इसका अनुवाद "बुरे बीज" या "जंगली घास के बीज" किया जा सकता है। उगने पर वे एक से दिखते हैं परन्तु होते हैं विष।

जब अंकुर निकले और बालें लगी।

"जब गेहूँ के बीज उगे" या "जब पौधा निकले"

जब .... बालें लगी

"अन्न उत्पन्न हुआ" या "गेहूँ की उपज तैयार हुई"

जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए।

वैकल्पिक अनुवाद होगा, "उन्होंने देखा कि खेत में जंगली पौधे भी हैं"।

Matthew 13:27

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। इन पदों में जंगली पौधों का दृष्टान्त ही चल रहा है।

गृहस्थ

यह वही व्यक्ति है जिसने खेत में अच्छे बीज डाले थे।

क्या तू ने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था?

"तूने तो खेत में अच्छा बीज डाला था", खेत के स्वामी ने मजदूरों से अच्छा डलवाया था। (देखें: यू.डी.बी.)

उसने उनसे कहा

खेत के स्वामी ने मजदूरों से कहा

क्या तेरी इच्छा है कि हम

"हम" मजदूरों के संदर्भ में है।

उनको बटोर लें

"खरपतवार उखाड़ दें" कि फेंकी जाएँ।

Matthew 13:29

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह के परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। इस पद के साथ जंगली पौधों का दृष्टान्त समाप्त होता है।

उसने कहा

"खेत के स्वामी ने मजदूरों से कहा"

मैं काटनेवालों से कहूगा कि पहले जंगली पौधों को बटोर कर जलाने के लिए उनके गट्ठे बांध लो।

इसका अनुवाद परोक्ष उद्धरण में रखा जा सकता है, "मैं कटनी करने वालों से कहूँगा कि वे पहले जंगली पौधों को एकत्र करके जलाने के लिए उनके गट्ठे बाँध लें और फिर गेहूँ को मेरे खत्तों में इकट्ठा करें।"

मेरे खत्तों में

खत्ता वह गोदाम है जहाँ अन्न रखा जाता है।

Matthew 13:31

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया।

"यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया"

स्वर्ग का राज्य।

देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है

राई के एक दाने

एक बहुत ही छोटा बीज जो बड़ा पौधा बनता है।

यह बीज निश्चय ही सबसे छोटा बीज है।

मूल श्रोताओं के लिए राई का दाना सबसे छोटा बीज था

जब बढ़ जाता है।

"परन्तु जब पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है"

और पेड़ हो जाता है।

"एक बड़ी झाड़ी हो जाता है"

आकाश के पक्षी

चिड़िएं

Matthew 13:33

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

उसने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया।

"यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया।"

स्वर्ग का राज्य...के समान है।

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। राज्य तो खमीर के समान नहीं है परन्तु उसका फैलना खमीर के समान है।

तीन पसेरी आटे में मिलाया

"बहुत से आटे में" या आपकी भाषा में इस नाप के लिए कोई शब्द है तो उसका प्रयोग करें। (देखें: यू.डी.बी.)

वह खमीरा हो गया

"जब आटा पूरा खमीर हो गया" यहाँ सलंग्न अर्थ है कि आटा तन्दूरी रोटी के लिए तैयार हो गया था। (: )

Matthew 13:34

x

यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है।

ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था।

यहाँ क्रम है, "दृष्टान्तों .... कहीं.... दृष्टान्तों .... कहता था।

यह सब बातें

वे सब शिक्षाएं जो यीशु ने से देता आ रहा है।

बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था।

"उसने उन्हें दृष्टान्तों के बिना कोई शिक्षा नहीं दी"। वैकल्पिक अनुवाद, "उनसे उन्हें जो भी शिक्षा दी वह केवल दृष्टान्तों के द्वारा थी"। (देखें: ))

कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।

जो वचन भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो, इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "उसने वह भविष्यवाणी सच सिद्ध कर दी जो एक भविष्यद्वक्ता ने बहुत पहले की थी"। (यू.डी.बी.)

द्वारा कहा गया था

"जो भविष्यद्वक्ता ने कहा था"।

उन बातों को जो .... गुप्त रहीं।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "जिन बातों को परमेश्वर ने गुप्त रखा था"।

जगत की उत्पत्ति से

"जगत के आरंभ से" या "जबसे परमेश्वर ने जगत की रचना की"।

Matthew 13:36

x

यीशु घर में आया कि अपने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य के संबन्ध में सुनाए गए दृष्टान्तों का अर्थ समझाए।

घर में आया

"घर के भीतर गया" या "जिस घर में रह रहा था उसमें गया"।

अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है।

"बीज बोने वाला"

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं के सन्दर्भ में कह रहा है।

राज्य की सन्तान

"राज्य के लोग"

दुष्ट की सन्तान

"शैतान के लोग"

जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है।

जंगली बीज डालने वाला शैतान है।

जगत का अन्त

"युगों का अन्त"

Matthew 13:40

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है।

जैसे जंगली दाने बटोरे और जलाए जायेगे।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। "अतः जिस प्रकार मनुष्य जंगली पौधे को एकत्र करके जलाता है"।

जगत का अन्त

"युगों का अन्त"

मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा।

यीशु स्वयं के बारे में कह रहा है इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "मैं, मनुष्य का पुत्र, अपने स्वर्गदूतों को भेजूंगा"।

कुकर्म करने वालों को

"जो अव्यवस्था फैलाते है" या "दुष्ट जन"

आग के कुण्ड में

आग के कुण्ड में "आग के कुण्ड" का अनुवाद हो सकता है, "आग की भट्ठी"। यदि भट्ठी शब्द अपरिचित हो तो "आग" काम में लिया जा सकता है।

सूर्य के समान चमकेंगे।

"देखने में सूर्य के समान आसान होंगे"

जिसके कान हो वह सुन ले।

"कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक आसान होगा", "तुम जो वचन रखते हो, सुनो" या "तुम्हारे वचन हैं तो सुनो"।

Matthew 13:44

x

यीशु घर के भीतर गया और अपने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों के अर्थ समझाने लगा। इन दोनों दृष्टान्तों में यीशु दो उपमाओं के द्वारा अपने शिष्यों को समझा रहा है कि स्वर्ग का राज्य कैसा है।

स्वर्ग का राज्य...के समान है।

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। (देखें: ))

खेत में छिपे हुए धन

धन अत्यधिक मूल्यवान एवं अनमोल वस्तु है या वस्तुओं का संग्रह है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "किसी ने खेत में धन गाड़ कर छिपाया था।"

छिपा दिया

"उसे मिट्टी से ढांक दिया"

अपना सब कुछ बेच दिया।

यहाँ स्पष्ट जानकारी यह है कि वह मनुष्य छिपे हुए धन को प्राप्त करने के लिए अपना सब कुछ बेच देता है

व्यापारी

व्यापारी का अर्थ है दूर से समान लाने वाला विक्रेता।

अच्छे मोतियों की खोज

यहाँ स्पष्ट जानकारी यह है कि वह व्यापारी अनमोल मोतियों की खोज में था कि उन्हें खरीद ले।

बहुमूल्य मोती

इसका अनुवाद किया जा सकता है, "उत्तम मोती" या "सुन्दर मोती"। "मोती" एक चिकना, कठोर, चमकीला, सफेद या हल्के रंग का मोती होता है जो समुद्र में सीपियों में बनता है और नगीने के रूप में उसका मूल्य बहुत होता है, उससे मंहगे आभूषण बनते हैं।

Matthew 13:47

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्त का अर्थ समझाने लगा। इस दृष्टान्त में भी यीशु उपमा द्वारा ही अपने शिष्यों को समझा रहा है कि स्वर्ग का राज्य कैसा है।(देखें: Simile)

स्वर्ग वह राज्य ... के समान है

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। राज्य जाल के समान नहीं है परन्तु जाल के समान सब मनुष्यों को घेर लेता है।

बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, "जाल के समान जिसे मछुवे समुद्र में डालते हैं"।

जाल.. समुद्र में डाला गया।

"जाल जो झील में डाला गया"

हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया।

"नाना प्रकार की मछलियाँ घेर लीं"।

उसको किनारे पर खींच लाए।

"जाल को किनारे पर लाए" या "जाल खींचते हुए तट पर आए"।

अच्छी अच्छी

"अच्छी मछलियाँ"

निकम्मी-निकम्मी

निकम्मी-निकम्मी -"अयोग्य मछलियाँ" या "जो मछलियाँ खाने योग्य नहीं थी"।

फेंक दीं

"नहीं रखीं"

Matthew 13:49

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है।

जगत का अन्त

"युगों का अन्त"

आकर

"निकल आएंगे" या "निकलेंगे" या "स्वर्ग से उतरेंगे"।

डालेंगे

"दुष्टों को डाल देंगे"

आग के कुण्ड में

इसका अनुवाद किया जा सकता है "आग की भट्ठी में" यह नरक की आग के लिए रूपक है जो पुराने नियम से दानिय्येल 3:6 से लिया गया है। यदि "भट्ठी" शब्द लक्षित भाषा में नहीं है तो "तन्दूर" शब्द काम में लिया जा सकता है।

जहाँ रोना और दांत पीसना होगा।

"वहाँ दुष्ट दांत पीसेंगे और रोएंगे"।

Matthew 13:51

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है।

"क्या तुमने ये सब बातें समझीं"? "उन्होंने उससे कहा, हाँ"

आवश्यक हो तो इसे विरोधी उद्धरण में भी लिखा जा सकता है, "यीशु ने उनसे पूछा कि क्या वे इन सब बातों को समझ गए तो उन्होंने कहा कि वे समझ गए"।

चेला बना है

"सीख गया है"

भण्डार

भण्डार मूल्यवान एवं बहुमूल्य वस्तु है या वस्तुओं का संग्रह है। यहाँ उसका संदर्भ उनके भण्डार गृह से है, "कोषागार" या "गोदाम"।

Matthew 13:54

x

यीशु के निवास-स्थान के लोगों द्वारा उसके और उसकी शिक्षाओं के परित्याग का यह वृत्तान्त है, जब वह आराधनालय में शिक्षा दे रहा था।

अपने नगर

"निवास-स्थान" (देखें यू.डी.बी.)

उनके आराधनालयों में

"उनके" अर्थात वहाँ के लोगों का

वे चकित होकर

"वे विस्मित थे"

सामर्थ्य के काम

"उसे ऐसे चमत्कारों का सामर्थ्य कहाँ से मिला"।

क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं?

बढ़ई अर्थात लकड़ी का सामान बनाने वाला। यदि आपकी भाषा में बढ़ई शब्द अपरिचित है तो "मिस्त्री" शब्द काम में ले सकते हैं।

Matthew 13:57

x

यीशु के निवास-स्थान के लोगों ने उनके आराधनालय में दी गई, यीशु की शिक्षाओं का त्याग किया था, उसका वृत्तान्त चल रहा है।

उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई।

"यीशु के निवास-स्थान के लोगों ने यीशु के कारण ठोकर खाई" या "उसे ग्रहण नहीं किया"।

भविष्यद्वक्ता का .... निरादर नहीं होता है।

"भविष्यद्वक्ता सब जगह सम्मान पाता है" या "भविष्यद्वक्ता सर्वत्र सम्मानित होता है" या "मनुष्य हर जगह भविष्यद्वक्ता को सम्मान देते हैं"

अपने देश

"उसके अपने स्थान में" या "अपने ही निवास स्थान में"।

अपने घर

"अपने निवास-स्थान"

बहुत से सामर्थ्य के काम नहीं किए"

"यीशु ने अपने निवास-स्थान में अनेक आश्चर्यकर्म नहीं किए"।


Translation Questions

Matthew 13:4

बीज बोने वाले के दृष्टान्त में मार्ग के किनारे गिरे बीजों का क्या हुआ?

मार्ग के किनारे जो बीज गिरे उन्हें पक्षियों ने खा लिया।

Matthew 13:5

बीज बोने वाले के दृष्टान्त में पत्थरीली भूमि पर गिरने वाले बीजों का क्या हुआ?

पत्थरीली भूमि पर गिरने वाले बीज तुरन्त उगे परन्तु धूप में जल कर सूख गए।

Matthew 13:7

यीशु के बीज बोने वाले दृष्टान्त में कुछ बीच झाड़ियों में गिरे थे, उनका क्या हुआ?

कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में गिरे और शीघ्र ही झाड़ियों ने उन्हें दबा दिया।

Matthew 13:8

यीशु के इस दृष्टान्त में अच्छी भूमि में गिरने वाले बीजों का क्या हुआ था?

जो बीज अच्छी भूमि में गिरे थे वे सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना फल लाए।

Matthew 13:14

यशायाह की भविष्यद्वाणी के अनुसार मनुष्य सुनेगा और देखेगा भी परन्तु क्या नहीं करेगा?

यशायाह ने भविष्यद्वाणी की थी कि मनुष्य सुनेंगे परन्तु बुझेंगे नहीं, वे देखेंगे तो परन्तु उन्हें समझेगा नहीं।

Matthew 13:15

जो लोग यीशु की बातें सुनते थे परन्तु समझते नहीं थे उनकी समस्या क्या थी?

यीशु की बातें सुनने वालों का मन मोटा हो गया था वे ऊंचा सुनते थे और उन्होंने आंखे मूंद ली थी।

Matthew 13:19

बीज बोने वाले के दृष्टांत में मार्ग के किनारे गिरा बीज किस प्रकार का मनुष्य है?

मार्ग के किनारे बीजों का गिरना उस मनुष्य के सदृश्य था जो राज्य का सुसमाचार सुनता है परन्तु समझता नहीं और शैतान आकर उससे वचन छीन कर ले जाता है।

Matthew 13:20

बीज बोने वाले के दृष्टांत में पत्थरीली भूमि में गिरा बीज किस मनुष्य के सदृश्य है?

पत्थरीली भूमि में गिरा बीज वह मनुष्य है जो वचन को सुनकर सर्हष ग्रहण करता है परन्तु सताव के कारण तुरन्त ठोकर खाता है।

Matthew 13:22

बीज बोने वाले के दृष्टान्त में झाड़ियों में गिरा बीज किस मनुष्य के सदृश्य है?

झाड़ियों में गिरे बीज, वह मनुष्य है जो वचन को सुनता है परन्तु सांसारिक चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबा देते हैं।

Matthew 13:23

बीज बोने वाले के दृष्टांत में अच्छी भूमि में बोए गए बीज किस मनुष्य के सदृश्य है?

अच्छी भूमि में बोए गए बीज उस मनुष्य के सदृश्य हैं जो वचन को सुनकर उसे अन्तर्ग्रहण करता है और फल लाता है।

Matthew 13:28

जंगली बीज के दृष्टांत में खेत में किस ने जंगली बीज बोए थे?

एक बैरी ने खेत में जंगली बीज डाल दिए।

Matthew 13:30

खेत के स्वामी ने मजदूरों को गेहूं और जंगली पौधों के बारे में क्या निर्देश दिए थे?

खेत के स्वामी ने मजदूरों से कहा कि दोनों की कटनी तक उगने दें तब जंगली पौधों को जलाने के लिए और गेहूं को खत्तों में रखने के लिए अलग-अलग कर दें।

Matthew 13:31

यीशु द्वारा सुनाए गए राई के दाने के दृष्टान्त में राई के दाने का क्या होता है?

राई का पौधा सब साग-पात से बड़ा हो जाता है और चिड़ियें उसमें घोंसला बनाती हैं।

Matthew 13:33

यीशु ने स्वर्ग के राज्य को खमीर के सदृश्य क्यों कहा था?

यीशु ने कहा कि स्वर्ग का राज्य खमीर के जैसा है, जब वह तीन पसेरी आटे में मिलाया गया तो पूरा आटा खमीर हो गया।

Matthew 13:37

जंगली पौधों के दृष्टान्त में अच्छा बीज बोने वाला कौन है, खेत क्या है, अच्छे बीज कौन हैं, जंगली पौधे कौन हैं, जंगली पौधे किसने बोए?

अच्छा बीज बोने वाला मनुष्य का पुत्र है, खेत यह संसार है, अच्छे बीज राजा की सन्तान हैं, जंगली पौधे शैतान की सन्तान हैं और उनका बोने वाला शैतान है।

Matthew 13:39

जंगली पौधों के दृष्टान्त में कटनी करने वाले कौन हैं और कटनी क्या दर्शाती है?

फसल काटने वाले स्वर्गदूत हैं और कटनी संसार का अन्त है।

Matthew 13:42

जगत के अन्त में अपराधियों के साथ क्या किया जायेगा?

जगत के अन्त में अपराधी आग में झोंके जायेंगे।

Matthew 13:43

जगत के अन्त में धर्मियों का क्या होगा?

जंगल के अन्त में धर्मी जन सूर्य के समान चमकेंगे।

Matthew 13:44

यीशु के इस दृष्टान्त में जिस मनुष्य को खजाना मिल गया था जो स्वर्ग के राज्य का प्रतीक है वह क्या करता है?

एक मनुष्य को खजाना मिल जाता है तो वह अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल ले लेता है।

Matthew 13:45

यीशु के इस दृष्टांत में उस बहुमूल्य मोती को स्वर्ग के राज्य को मोल लेने के लिए क्या किया गया था?

एक व्यापारी को बहुमूल्य मोती मिल गया तो उसने अपना सब कुछ बेचकर उस मोती को खरीद लिया।

Matthew 13:47

मछली पकड़ने का जाल जगत के अन्त के तुल्य कैसे है?

जाल में पकड़ी गई हर प्रकार की मछलियों में से अच्छी मछलियां चुनकर निकम्मी फेंक दी जाती हैं इसी प्रकार जगत के अन्त में धर्मियों को अलग करके दुष्टों को अग्नि-कुण्ड में डाल दिया जायेगा।

Matthew 13:54

यीशु की शिक्षा को सुनकर उसके नगर के लोगों ने उसके बारे में क्या प्रश्न किया?

?

Matthew 13:57

यीशु ने भविष्यद्वक्ता के साथ व्यवहार के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि भविष्यद्वक्ता अपने देश को छोड़ कहीं "निरादर नहीं" होता है।

Matthew 13:58

मनुष्यों के अविश्वास के कारण यीशु के अपने नगर में क्या हुआ?

मनुष्यों के अविश्वास के कारण यीशु ने अपने नगर में बहुत सामर्थ्य के काम नहीं किए।


Chapter 14

1 उस समय चौथाई देश के राजा* हेरोदेस ने यीशु की चर्चा सुनी। 2 और अपने सेवकों से कहा, “यह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है: वह मरे हुओं में से जी उठा है, इसलिए उससे सामर्थ्य के काम प्रगट होते हैं।”

3 क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्‍नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बाँधा, और जेलखाने में डाल दिया था। 4 क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था, कि इसको रखना तुझे उचित नहीं है। 5 और वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था, क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे। 6 पर जब हेरोदेस का जन्मदिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। 7 इसलिए उसने शपथ खाकर वचन दिया, “जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा।” 8 वह अपनी माता के उकसाने से बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर थाल में यहीं मुझे मँगवा दे।” 9 राजा दुःखित हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठनेवालों के कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए। 10 और उसने जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया। 11 और उसका सिर थाल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उसको अपनी माँ के पास ले गई। 12 और उसके चेलों ने आकर उसके शव को ले जाकर गाड़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया।

13 जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर-नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। 14 उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, और उसने उनके बीमारों को चंगा किया। 15 जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।” 16 यीशु ने उनसे कहा, “उनका जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।” 17 उन्होंने उससे कहा, “यहाँ हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।” 18 उसने कहा, “उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।” 19 तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। 20 और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियाँ उठाई। 21 और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर* पाँच हजार पुरुषों के लगभग थे।

22 और उसने तुरन्त अपने चेलों को नाव पर चढ़ाया, कि वे उससे पहले पार चले जाएँ, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। 23 वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वह वहाँ अकेला था। 24 उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा सामने की थी। 25 और वह रात के चौथे पहर* झील पर चलते हुए उनके पास आया। 26 चेले उसको झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए, और कहने लगे, “वह भूत है,” और डर के मारे चिल्ला उठे। 27 यीशु ने तुरन्त उनसे बातें की, और कहा, “धैर्य रखो, मैं हूँ; डरो मत।” 28 पतरस ने उसको उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।” 29 उसने कहा, “आ!” तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। 30 पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा तो चिल्लाकर कहा, “हे प्रभु, मुझे बचा।” 31 यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उससे कहा, “हे अल्प विश्वासी, तूने क्यों सन्देह किया?” 32 जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई। 33 इस पर जो नाव पर थे, उन्होंने उसकी आराधना करके कहा, “सचमुच, तू परमेश्‍वर का पुत्र है।”

34 वे पार उतरकर गन्नेसरत प्रदेश में पहुँचे। 35 और वहाँ के लोगों ने उसे पहचानकर आस-पास के सारे क्षेत्र में कहला भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए। 36 और उससे विनती करने लगे कि वह उन्हें अपने वस्त्र के कोने ही को छूने दे; और जितनों ने उसे छुआ, वे चंगे हो गए।



Matthew 14:1

x

यहाँ वर्णित घटनाओं से पूर्व की घटनाओं का वर्णन करता है।

उस समय

"उन दिनों" या "जब यीशु गलील में उपदेश करता था"।

चौथाई देश का राजा हेरोदेस

हेरोदेस एन्तिपास’, चौथाई इस्राएल का शासक था (देखें: ))

यीशु की चर्चा सुनी

"यीशु का समाचार सुना" या "यीशु की ख्याति सुनी"

कहा

"हेरोदेस ने कहा"

Matthew 14:3

x

यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है।

यूहन्ना को पकड़कर बाँधा और जेलखाने में डाल दिया था।

हेरोदेस ने आज्ञा देकर ऐसा करवाया था।

हेरोदेस ने ... यूहन्ना को पकड़कर

"हेरोदेस ने यूहन्ना को पकड़वाया"।

क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि इसको रखना तेरे लिए उचित नहीं।

"क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि उसे रखना नियम विरोधी है"।

क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था।

"क्योंकि यूहन्ना कहता था" (देखें यू.डी.बी.)

उचित नहीं

यू.डी.बी. के अनुसार हेरोदियास से हेरोदेस के विवाह के समय फिलिप्पुस जीवित था। मूसा की व्यवस्था के अनुसार भाई की पत्नी से विवाह करना वर्जित था।

Matthew 14:6

x

यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है।

में

जन्मदिवस के उत्सव में उपस्थित अतिथियों के सामने"

Matthew 14:8

x

यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है।

वह अपनी माता के उकसाने से बोली

वैकल्पिक अनुवाद, "उसकी माता की शिक्षा के कारण वह बोली"

उकसाने

"सिखाया"

किस की माँग रखूँ

इसका अनुवाद होगा "क्या मांगू" ये शब्द मूल यूनानी में नहीं हैं। ये शब्द स्पष्ट हैं।

वह... बोली

वह अर्थात हेरोदियास की पुत्री

थाल

"बड़ी थाली"

राजा दुःखी हुआ

"उसके आग्रह ने राजा को बहुत दुःखी किया"

राजा

चौथाई देश का राजा हेरोदेस एन्तिपास .

Matthew 14:10

x

यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है।

उसका सिर थाल में लाया गया और उस लडकी को दिया गया।

"किसी ने कटा हुआ सिर लाकर उस लड़की को दे दिया"

थाल

यह एक बड़ी थाली है

लड़की

अविवाहित स्त्री, युवती के लिए शब्द काम में लें।

चेले।

"यूहन्ना के शिष्य"

शव

उसकी पार्थिव देह

यीशु को समाचार दिया।

"यूहन्ना के शिष्यों ने जाकर यीशु को बताया कि यूहन्ना के साथ क्या हुआ था"

Matthew 14:13

x

जब यीशु ने यह सुना तो नाव में चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को एकान्त में चला गया।

यह सुना

"यूहन्ना के साथ जो हुआ उसे सुनकर" या "यूहन्ना के बारे में समाचार सुनकर"

एकान्त में चला गया

"वह लोगों से दूर चला गया"

वहाँ से

"उस स्थान से"

लोग यह सुनकर

"जब लोगों ने सुना कि वे कहाँ चले गए" (देखें यू.डी.बी.) या "जब लोगों ने सुना कि वे चले गए"।

लोग

"जनसमूह" या "जनता"

उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी

"जब यीशु किनारे पर पहुंचा तो एक विशाल जनसमूह वहाँ देखा"।

Matthew 14:15

x

इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है।

चेलों ने उसके पास आकर

"यीशु के शिष्य उसके पास आए"

Matthew 14:16

x

इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है।

आवश्यक नहीं

जनसमूह के लिए आवश्यक नहीं

तुम ही इन्हें खाने को दो

"तुम" बहुवचन सर्वनाम का संदर्भ शिष्यों से है

उन्होंने उससे कहा

"शिष्यों ने यीशु से कहा"

पाँच रोटी और दो मछलियाँ

"पांच रोटियाँ और दो मछलियाँ" (देखें: ))

उनको यहाँ मेरे पास ले आओ।

"वे रोटियाँ और मछली यहाँ ले आओ"

Matthew 14:19

x

इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है।

बैठने को कहा

"लेटने को कहा" आपकी संस्कृति में खाना खाते समय जैसे बैठते हैं, वैसे ही अभिव्यक्ति काम में लें।

को लिया

"अपने हाथों में लिया" चोरी नहीं की।

रोटियाँ

"रोटियों के टुकड़े" या "पूरी रोटियाँ"

देखकर

इसका अर्थ हो सकता है (1) देखते हुए या (2) देखने के बाद

उठाईं

"शिष्यों ने एकत्र किए"

खाने वाले

"जिन्होंने रोटी और मछली खाई थी"

Matthew 14:22

x

यीशु पानी पर चलता है।

तुरन्त

"पाँच हजार को भोजन कराने के तुरन्त बाद"

साँझ को

"अन्धेरा होने के समय" या "अन्धेरा हो जाने तक"

लहरों से डगमगा रही थी

"लहरे नाव को नियंत्रण से बाहर कर रही थी"

Matthew 14:25

x

यीशु पानी पर चलता है।

"वह झील के पानी पर चलकर आया"

"यीशु पानी के ऊपर चल कर आया"

घबरा गए

"शिष्य बहुत डर गए"

भूत

मृतक की आत्मा

Matthew 14:28

x

यीशु पानी पर चलता है।

पतरस ने उसको उत्तर दिया

"पतरस ने यीशु से कहा"

Matthew 14:31

x

यीशु पानी पर चलता है।

"हे अल्पविश्वासी"

देखें आप इसका अनुवाद कैसे करते हैं .

तूने क्यों सन्देह किया?

"तुझे सन्देह नहीं करना था"।

Matthew 14:34

x

उस निर्जन स्थान से लौट कर यीशु गलील में प्रचार कर रहा है।

पार उतरकर

"जब यीशु और उसके शिष्य झील के पार पहुंच गए"

गन्नेसरत में

गलील सागर के उत्तर-पश्चिमी छोर पर एक छोटा नगर

समाचार भेजा

"उस नगर के लोगों ने समाचार भेजा"

विनती करने लगे

"रोगियों ने उससे निवेदन किया"

वस्त्र

"बागा" या "जो भी वह पहने हुए था"।


Translation Questions

Matthew 14:2

हेरोदेस यीशु को क्या समझता था?

हेरोदेस सोचता था कि यीशु पुनर्जीवित यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला है।

Matthew 14:4

हेरोदेस ने व्यवस्था विरोधी कौन सा काम किया था कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने उसे दोषी ठहराया था?

हेरोदेस ने अपने भाई की पत्नी से विवाह कर लिया था।

Matthew 14:5

हेरोदेस यूहन्ना को तुरन्त नहीं मरवाया, क्यों?

हेरोदेस ने यूहन्ना की हत्या तुरन्त नहीं की थी क्योंकि वह लोगों से डर गया जो उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे।

Matthew 14:7

हेरोदेस के जन्मदिन पर हेरोदियास की पुत्री के नृत्य से अति प्रसन्न होकर, हेरोदेस ने क्या किया था?

हेरोदेस ने शपथ खाकर कहा कि वह हेरोदियास की पुत्री को मुंह मांगा वर देगा।

Matthew 14:8

हेरोदियास ने क्या मांगा था?

हेरोदियास ने यूहन्ना को बपतिस्मा देनेवाले का सिर थाली में मांगा।

Matthew 14:9

हेरोदेस ने हेरोदियास का निवेदन क्यों स्वीकार किया?

हेरोदेस ने अपनी शपथ और अतिथियों के कारण हेरोदियास का निवेदन स्वीकार किया था।

Matthew 14:14

विशाल जन समूह को पीछे आते देख यीशु की प्रतिक्रिया क्या थी?

यीशु को उन पर तरस आया और उसने उनके रोगियों को चंगा किया।

Matthew 14:16

यीशु ने चेलों से क्या कहा कि वे उस जन समूह के लिए करें?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे उस जन समूह को भोजन करवाएं।

Matthew 14:19

चेले जब पांच रोटियां और दो मछलियां लेकर उसके पास आए तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि करके रोटी को आशिष देकर तोड़ा और चेलों को दिया कि जन समूह में बांट दें।

Matthew 14:20

कितने लोगों ने भोजन किया और कितना भोजन बचा?

लगभग पांच हज़ार पुरूषों तथा स्त्रियों और बच्चों ने भोजन किया और बारह टोकरियां भरकर रोटियां बची।

Matthew 14:23

जन समूह को विदा करने के बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु पहाड़ पर अकेले प्रार्थना करने चला गया।

Matthew 14:24

झील के मध्य चेलों के साथ क्या हो रहा था?

हवा और लहरों के कारण चेले नाव को संभाल नहीं पा रहे थे।

Matthew 14:25

यीशु चेलों के पास कैसे आया?

यीशु पानी पर चलकर चेलों के पास आया।

Matthew 14:27

चेलों ने यीशु को देखा तो यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने चेलों से कहा ढाढ़स बांधो, डरो मत।

Matthew 14:29

यीशु ने पतरस से क्या करने को कहा?

यीशु ने पतरस से कहा कि वह पानी पर चलकर उसके पास आ जाए।

Matthew 14:30

पतरस पानी में क्यो डूबने लगा था?

पतरस डर कर पानी में डूबने लगा।

Matthew 14:32

यीशु और पतरस नाव में आ गए तो क्या हुआ?

जब यीशु और पतरस नाव में आ गये तब हवा बहना बन्द हुआ।

Matthew 14:33

इस घटना के कारण शिष्यों ने क्या किया?

यह देख कर चेलों ने यीशु को दण्डवत् करके कहा, "सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है"|

Matthew 14:35

यीशु और उसके चेले झील के पार उतरे तो लोगों ने क्या किया?

यीशु और उसके चेले जब झील के पार उतरे तब लोग अपने रोगियों को लेकर यीशु के पास आए।


Chapter 15

1 तब यरूशलेम से कुछ फरीसी और शास्त्री यीशु के पास आकर कहने लगे, 2 “तेरे चेले प्राचीनों की परम्पराओं* को क्यों टालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?” 3 उसने उनको उत्तर दिया, “तुम भी अपनी परम्पराओं के कारण क्यों परमेश्‍वर की आज्ञा टालते हो? 4 क्योंकि परमेश्‍वर ने कहा, ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करना’, और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।’ 5 पर तुम कहते हो, कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, ‘जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुँच सकता था, वह परमेश्‍वर को भेंट चढ़ाई जा चुका’ 6 तो वह अपने पिता का आदर न करे, इस प्रकार तुम ने अपनी परम्परा के कारण परमेश्‍वर का वचन टाल दिया। 7 हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक ही की है:

    8 ‘ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं,

     पर उनका मन मुझसे दूर रहता है।

    9 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं,

     क्योंकि मनुष्य की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ ”

10 और उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “सुनो, और समझो। 11 जो मुँह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।” 12 तब चेलों ने आकर उससे कहा, “क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?” 13 उसने उत्तर दिया, “हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा। 14 उनको जाने दो; वे अंधे मार्ग दिखानेवाले हैं और अंधा यदि अंधे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड्ढे में गिर पड़ेंगे।”

15 यह सुनकर पतरस ने उससे कहा, “यह दृष्टान्त हमें समझा दे।” 16 उसने कहा, “क्या तुम भी अब तक नासमझ हो? 17 क्या तुम नहीं समझते, कि जो कुछ मुँह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और शौच से निकल जाता है? 18 पर जो कुछ मुँह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 19 क्योंकि बुरे विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है। 20 यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।”

21 यीशु वहाँ से निकलकर, सूर* और सैदा के देशों की ओर चला गया। 22 और देखो, उस प्रदेश से एक कनानी* स्त्री निकली, और चिल्लाकर कहने लगी, “हे प्रभु! दाऊद के सन्तान, मुझ पर दया कर, मेरी बेटी को दुष्टात्मा बहुत सता रहा है।” 23 पर उसने उसे कुछ उत्तर न दिया, और उसके चेलों ने आकर उससे विनती करके कहा, “इसे विदा कर; क्योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है।” 24 उसने उत्तर दिया, “इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों को छोड़ मैं किसी के पास नहीं भेजा गया।” 25 पर वह आई, और उसे प्रणाम करके कहने लगी, “हे प्रभु, मेरी सहायता कर।” 26 उसने उत्तर दिया, “लड़कों की* रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं।” 27 उसने कहा, “सत्य है प्रभु, पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं।” 28 इस पर यीशु ने उसको उत्तर देकर कहा, “हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है; जैसा तू चाहती है, तेरे लिये वैसा ही हो” और उसकी बेटी उसी समय चंगी हो गई।

29 यीशु वहाँ से चलकर, गलील की झील के पास आया, और पहाड़ पर चढ़कर वहाँ बैठ गया। 30 और भीड़ पर भीड़ उसके पास आई, वे अपने साथ लँगड़ों, अंधों, गूँगों, टुण्डों, और बहुतों को लेकर उसके पास आए; और उन्हें उसके पाँवों पर डाल दिया, और उसने उन्हें चंगा किया। 31 अतः जब लोगों ने देखा, कि गूंगे बोलते और टुण्डे चंगे होते और लँगड़े चलते और अंधे देखते हैं, तो अचम्भा करके इस्राएल के परमेश्‍वर की बड़ाई की।

32 यीशु ने अपने चेलों को बुलाकर कहा, “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है; क्योंकि वे तीन दिन से मेरे साथ हैं और उनके पास कुछ खाने को नहीं; और मैं उन्हें भूखा विदा करना नहीं चाहता; कहीं ऐसा न हो कि मार्ग में थककर गिर जाएँ।” 33 चेलों ने उससे कहा, “हमें इस निर्जन स्थान में कहाँ से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्त करें?” 34 यीशु ने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात और थोड़ी सी छोटी मछलियाँ।” 35 तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी। 36 और उन सात रोटियों और मछलियों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया, और चेले लोगों को। 37 इस प्रकार सब खाकर तृप्त हो गए और बचे हुए टुकड़ों से भरे हुए सात टोकरे उठाए। 38 और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़ चार हजार पुरुष थे। 39 तब वह भीड़ को विदा करके नाव पर चढ़ गया, और मगदन* क्षेत्र में आया।



Matthew 15:1

x

यीशु और धर्म गुरूओं में विवाद का आरंभ होता है।

पूर्वजों की परम्पराओं को क्यों टालते हैं?

"पूर्वकाल में धर्म के अगुओं द्वारा स्थापित नियमों का पालन नहीं करते है"

बिना हाथ धोए

"बिना हाथ धोए," - हमारी व्यवस्था में दी गई शोधन विधि के अनुसार हाथ नहीं धोते हैं।

Matthew 15:4

x

यीशु और शास्त्रिों तथा फरीसियों में विवाद चल रहा है।

जो कोई

"वह हर एक जो" या "यदि कोई"

पिता का आदर करना

"पिता की सुधि लेकर उसका आदर करना"।

तुमने अपनी परम्परा के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया।

वैकल्पिक अनुवाद, "तुमने परम्परा को परमेश्वर की वचन से बड़ा बना दिया"।

Matthew 15:7

x

यीशु तथा फरीसियों एवं शास्त्रियों में विवाद चल रहा है।

यशायाहः ने यह भविष्यद्वाणी ठीक ही की है।

वैकल्पिक अनुवाद, "यशायाह ने भविष्यद्वाणी में सच ही कहा है।"

द्वारा कहा गया था

वैकल्पिक अनुवाद, "जब उसने परमेश्वर का वचन सुनाया"

"ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं।"

वैकल्पिक अनुवाद, "ये लोग उचित शब्दों का उपयोग तो करते हैं।"

पर उनका मन मुझसे दूर रहता है।

वैकल्पिक अनुवाद, "ये मुझे सच में प्रेम नहीं करते हैं"

वे व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं।

वैकल्पिक अनुवाद, "उनकी उपासना का मुझ पर प्रभाव नहीं पड़ता है" या "वे उपासना का केवल नाटक रचते हैं"।

"मनुष्यों की विधियों"

"मनुष्यों द्वारा बनाए गए नियम"

Matthew 15:10

x

यीशु दृष्टान्तों द्वारा शिक्षा देता है।

सुनो और समझो

यीशु अग्रिम अभिकथन का महत्त्व प्रकट कर रहा है।

Matthew 15:12

x

यीशु इस दृष्टान्त का अर्थ अपने शिष्यों को समझाता है,

फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?

वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु की यह बात सुनकर फरीसी क्रोधित हुए"? या "इस कथन ने फरीसियों को नाराज़ किया"?

Matthew 15:15

x

यीशु अपने शिष्यों को इस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है,

हमें

"हमें तेरे शिष्यों को"

जाता

"प्रवेश करता है"

सण्डास

मल त्याग के स्थान के लिए भद्र शब्द

Matthew 15:18

x

यीशु अपने शिष्यों को इस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है, .

जो कुछ मुँह से निकलता है

"मनुष्य के मुख के द्वारा"

वह मन से निकलता है

"मनुष्य की सच्ची भावनाओं और विचारों का परिणाम हैं।"

हत्या

निर्दोषों की हत्या

निन्दा

"मनुष्यों को चुभने वाली बातें"

हाथ बिना धोए

विधिपूर्वक हाथ को नहीं धोना

Matthew 15:21

x

यीशु द्वारा एक कनानी स्त्री की पुत्री को रोग-मुक्त करने का वृत्तान्त अब आरंभ होता है।

उस प्रदेश से एक कनानी स्त्री निकली

उस स्त्री ने इस्राएली सीमा के बाहर अपने देश से आकर इस्राएल में प्रवेश किया और यीशु को खोजा।

कनानी स्त्री

कनान देश तो उस समय था नहीं, "कनानी समुदाय की एक स्त्री"

मेरी बेटी को दुष्टात्मा बहुत सता रही है।

"मेरी बेटी को दुष्टात्मा के उत्पीड़न से बहुत परेशान है"।

उसने कुछ उत्तर नहीं दिया।

"कुछ नहीं कहा"

Matthew 15:24

x

यीशु द्वारा उस कनानी स्त्री की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है।

वह आई

"वह कनानी स्त्री आई"

लड़कों की रोटी.... कुत्तों के आगे

"जो वास्तव में यहूदियों से कह रहा है.... अन्य जातियों को"

Matthew 15:27

x

यीशु द्वारा उस कनानी स्त्री की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है।

पर कुत्ते भी चूरचार खाते हैं जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं।

"अन्य जातियों को भी इस योग्य समझा जाए कि वे यहूदियों द्वारा त्यागी गईं भली वस्तुएँ पाएँ"।

और उसकी बेटी उसी घड़ी से चंगी हो गई।

"यीशु ने उसकी पुत्री को रोगमुक्त कर दिया" या "यीशु ने उसकी पुत्री को स्वस्थ कर दिया"

उसी घड़ी

"ठीक उसी समय" या "तुरन्त"

Matthew 15:29

x

यह गलील क्षेत्र में यीशु द्वारा जनसमूह में रोगियों की चंगाई का वृत्तान्त है।

गूंगे, टुण्डे, लंगड़े, अंधे

"जो लोग चल नहीं सकते थे, जो देख नहीं सकते थे, जो बोल नहीं सकते थे, और जिनके हाथ और पैर बेकार हो गए थे"। कुछ आरंभिक अभिलेखों में इनका क्रम भिन्न है।

उन्हें उसके पाँवों पर डाल दिया।

"जनसमूह रोगियों को यीशु के पास लाया"

Matthew 15:32

x

यह यीशु द्वारा गलील में जनसमूह को भोजन कराने का ही वृत्तान्त है।

मार्ग में थक कर रह जाएँ

संभावित अर्थ हैः (1)"कहीं वे थककर बेहोश न हो जाएं" या (2) "कहीं वे निर्बल न हो जाएँ"

बैठने

लोग अब खाने के लिए आपके यहाँ कैसे बैठते हैं, टेबल न होने पर उसी शब्द का उपयोग करें, बैठकर या लेटना।

Matthew 15:36

x

यह यीशु द्वारा गलील में जनसमूह को भोजन कराने का ही वृत्तान्त है।

उसने किया

"यीशु ने लिया" इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया गया है।

देता गया

"रोटी और मछलियाँ देता गया"

टोकरे उठाए

"शिष्यों ने एकत्र किए"

खाने वाले

"जिन मनुष्यों ने भोजन किया था"

सीमा में

"प्रदेश के एक भाग"

मगदन

कभी-कभी मगदाला भी कहलाता है


Translation Questions

Matthew 15:3

परम्परा द्वारा परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करने का उदाहरण यीशु ने क्या दिया?

फरीसियों ने "परमेश्वर को भेंट" चढ़ाने के बहाने सन्तानों को माता-पिता के दायित्व से मुक्त कर दिया था।

Matthew 15:7

यशायाह ने फरीसियों के मुख और हृदय के बारे में क्या भविष्यद्वाणी की थी?

यशायाह की भविष्यद्वाणी थी कि फरीसी होंठों से परमेश्वर का आदर करते थे परन्तु उनका मन उससे दूर था।

Matthew 15:9

परमेश्वर की आज्ञाओं के स्थान पर फरीसी धर्म की क्या शिक्षा देते थे?

फरीसी धर्म शिक्षा के नाम पर मनुष्य की परम्परा की शिक्षा देते थे।

Matthew 15:11

यीशु की शिक्षा के अनुसार मनुष्य किससे अशुद्ध होता है?

यीशु ने कहा कि मनुष्य के मुख से निकलने वाली बातें उसे अशुद्ध करती हैं।

Matthew 15:14

यीशु ने फरीसियों को क्या कहा और उनका भविष्य क्या बताया?

यीशु ने फरीसियों को अन्धे मार्गदर्शक कहा, और यह भी कि वे गड़हे में गिरेंगे।

Matthew 15:19

मनुष्य के मन से उभरने वाली कौन सी बातें उसे अशुद्ध करती हैं?

मन से बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, परस्त्रीगमन, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा उभरती है।

Matthew 15:23

जब उस कनानी स्त्री ने यीशु की दया दान के लिए पुकारा तब यीशु ने पहले क्या किया?

यीशु ने उसे उत्तर नहीं दिया।

Matthew 15:24

उस कनानी स्त्री को अनदेखा करने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि उसे केवल इस्राएल की खोई हुई भेड़ों के लिए भेजा गया है।

Matthew 15:28

उस स्त्री की दीनता पर यीशु ने उससे क्या कहा और उसके लिए क्या किया?

यीशु ने कहा कि उस स्त्री का विश्वास बड़ा है और उसकी इच्छा पूरी की।

Matthew 15:30

यीशु ने उस विशाल जन समूह के साथ क्या किया जो गलील क्षेत्र में उसके पास आए थे?

यीशु ने गूंगे, लंगड़े, टुण्डे और अंधे लोगों को चंगा किया।

Matthew 15:34

चेलों के पास जन समूह को खिलाने के लिए कितनी रोटियां और मछलियां थी?

चेलों के पास सात रोटियां और कुछ मछलियां थी।

Matthew 15:36

यीशु ने रोटियों और मछलियों के साथ क्या किया?

यीशु ने रोटियां और मछलियां लेकर धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर चेलों को दीं।

Matthew 15:37

सबके खा लेने के बाद कितना भोजन बचा था?

सबको भोजन करने के बाद सात टोकरियां भर कर भोजन बच गया।

Matthew 15:38

कितने लोग रोटी और मछली खाकर तृप्त हुए थे?

चार हज़ार पुरुष और स्त्रियों तथा बच्चों ने भोजन किया और तृप्त हुए।


Chapter 16

1 और फरीसियों और सदूकियों* ने पास आकर उसे परखने के लिये उससे कहा, “हमें स्वर्ग का कोई चिन्ह दिखा।” 2 उसने उनको उत्तर दिया, “सांझ को तुम कहते हो, कि मौसम अच्छा रहेगा, क्योंकि आकाश लाल है। 3 और भोर को कहते हो, कि आज आँधी आएगी क्योंकि आकाश लाल और धुमला है; तुम आकाश का लक्षण देखकर भेद बता सकते हो, पर समय के चिन्हों का भेद क्यों नहीं बता सकते? 4 इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूँढ़ते हैं पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।” और वह उन्हें छोड़कर चला गया।

5 और चेले झील के उस पार जाते समय रोटी लेना भूल गए थे। 6 यीशु ने उनसे कहा, “देखो, फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से सावधान रहना।” 7 वे आपस में विचार करने लगे, “हम तो रोटी नहीं लाए। इसलिए वह ऐसा कहता है।” 8 यह जानकर, यीशु ने उनसे कहा, “हे अल्पविश्वासियों, तुम आपस में क्यों विचार करते हो कि हमारे पास रोटी नहीं? 9 क्या तुम अब तक नहीं समझे? और उन पाँच हजार की पाँच रोटी स्मरण नहीं करते, और न यह कि कितनी टोकरियाँ उठाई थीं? 10 और न उन चार हजार की सात रोटियाँ, और न यह कि कितने टोकरे उठाए गए थे? 11 तुम क्यों नहीं समझते कि मैंने तुम से रोटियों के विषय में नहीं कहा? परन्तु फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से सावधान रहना।” 12 तब उनको समझ में आया, कि उसने रोटी के ख़मीर से नहीं, पर फरीसियों और सदूकियों की शिक्षा से सावधान रहने को कहा था।

13 यीशु कैसरिया फिलिप्पी* के प्रदेश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, “लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?” 14 उन्होंने कहा, “कुछ तो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला कहते हैं और कुछ एलिय्याह, और कुछ यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।” 15 उसने उनसे कहा, “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” 16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीविते परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है।” 17 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “हे शमौन, योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि माँस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। 18 और मैं भी तुझ से कहता हूँ, कि तू पतरस* है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। 19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दूँगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बाँधेगा, वह स्वर्ग में बँधेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा।” 20 तब उसने चेलों को चेतावनी दी, “किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूँ।”

21 उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, “मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊँ, और प्राचीनों और प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुःख उठाऊँ; और मार डाला जाऊँ; और तीसरे दिन जी उठूँ।” 22 इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर डाँटने लगा, “हे प्रभु, परमेश्‍वर न करे! तुझ पर ऐसा कभी न होगा।” 23 उसने फिरकर पतरस से कहा, “हे शैतान, मेरे सामने से दूर हो! तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्‍वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।”

24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले। 25 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। 26 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? 27 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय ‘वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।’ 28 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कितने ऐसे हैं, कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।”



Matthew 16:1

x

यीशु और धर्म गुरूओं में विवाद का आरंभ होता है।

स्वर्ग .... आकाश

यहूदी अगुवे परमेश्वर से चिन्ह की माँग कर रहे थे यीशु ने उनसे कहा कि वे आकाश को देखें, दोनों ही शब्दों के लिए वही शब्द काम में ले जहाँ परमेश्वर वास करता है, आकाश शब्द तब ही काम में ले जब पाठक इन भिन्न अर्थों को समझ पाएं।

साँझ को

सूर्यास्त का समय

मौसम अच्छा होगा

स्वच्छ, शान्त मनभावन

आकाश लाल है

सूर्यास्त की लाल किरणों की लालिमा

Matthew 16:3

x

यह भी यीशु और धर्म-गुरुओं के मध्य विवाद का ही वृत्तान्त है।

आँधी आयेगी।

"बादल और आँधी का मौसम"

धुमला

"धूमिल और चिंताजनक"

चिन्ह उनको न दिया जाएगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर तुम लोगों को कोई चिन्ह नहीं देगा"

Matthew 16:5

x

यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है।

खमीर

बुरे विचार और अनुचित शिक्षा

विचार करने लगे

"विवाद" या "मतभेद"

Matthew 16:9

x

यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है।

क्या तुम अब तक नहीं समझे? क्या तुम्हें उन पाँच हजार की पाँच रोटियाँ स्मरण नहीं, और न यह कि तुमने कितनी टोकरियाँ उठायी थी? न उन चार हज़ार की सात रोटियाँ, और न यह कि तुमने कितने टोकरे उठाए थे?

यीशु उन्हें झिड़क रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें पांच हजार के लिए पाँच रोटियाँ और तुमने बचे टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ उठाईं थी स्मरण रखना था। और चार हज़ार के लिए सात रोटियाँ और कितने टोकरे उठाए यह भी स्मरण रखना था।"

Matthew 16:11

x

यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है।

तुम क्यों नहीं समझते कि मेंने तुमसे रोटियों के विषय में नहीं कहा?

"तुम्हें समझ लेना था कि मैं वास्तव में रोटी के बारे में नहीं कह रहा था"। (यू.डी.बी.)

खमीर

बुरे विचार और अनुचित शिक्षा

उनको

"शिष्यों को"

Matthew 16:13

x

पतरस मानता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है।

तुम मुझे क्या कहते हो?

"परन्तु मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, तुम मुझे क्या कहते हो"?

Matthew 16:17

x

यीशु पतरस के स्वीकरण पर कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है प्रतिक्रिया दिखाता है।

हे शमौन योना के पुत्र

"योना के पुत्र शमौन"

माँस और लहू ने नहीं

"यह बात मनुष्य ने प्रकट नहीं की है"

अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।

संभावित अर्थ हैं: (1) "मृत्यु का सामर्थ्य जयवन्त नहीं होगा" (यू.डी.बी.) या (2) वह मृत्यु में सामर्थ्य को ऐसे ढा देगी जैसे सेना नगर में प्रवेश करती है

Matthew 16:19

x

यीशु पतरस के अंगीकार, कि वह परमेश्वर पुत्र है, अपनी प्रतिक्रिया दिखाता है।

स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ

मनुष्यों के परमेश्वर के लोग होने के लिए मार्ग तैयार करने की योग्यता, जैसे एक दास अपने स्वामी के घर में अतिथियों का स्वागत करता है।

पृथ्वी पर बाँधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा।

मनुष्य को क्षमा देना या दण्ड देना जैसा वैसा ही स्वर्ग में होगा

Matthew 16:21

x

यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझाना आरंभ करता है।

उस समय से

जिस समय यीशु ने अपने शिष्यों को सतर्क किया कि वे किसी से न कहें कि वह मसीह है, उस समय वह उन्हें अपने बारे में परमेश्वर की योजना बताने लगा।

मार डाला जाऊँ

वैकल्पिक अनुवाद, "वे उसे मार डालेंगे"

तीसरे दिन जी उठूँ।

"तीसरे दिन फिर जीवित हो जाऊँ" या "तीसरे दिन परमेश्वर उसे फिर जीवित करेगा"।

Matthew 16:24

x

यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझा रहा है।

मेरे पीछे आना चाहे।

"मेरा शिष्य होने के लिए अनुसरण करना चाहता है"।

अपने आपका इन्कार करे।

"अपनी इच्छाओं के अधीन न रहें" या "अपनी इच्छाओं का त्याग करें।"

अपना क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले।

"अपना क्रूस उठा कर उसे लेकर मेरे पीछे चले" यीशु के समान मरने के लिए तैयार हो जाए।

जो.... चाहे

"किस की इच्छा से"

सारे जगत को प्राप्त करे।

"संसार में जो कुछ है सब प्राप्त कर ले"

अपने प्राण की हानि उठाए।

"स्वयं नष्ट हो जाए या भटक जाए"

Matthew 16:27

x

यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझा रहा है।

जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।

"अपने मरने से पूर्व मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आता देखेंगे"।

मृत्यु का स्वाद न चखेंगे।

"मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे" या "मरेंगे नहीं"

मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए

"जब तक वे मुझे अपने राज्य में आते न देखेंगे"


Translation Questions

Matthew 16:1

फरीसी और सदूकी यीशु को परखने के लिए क्या देखना चाहते थे?

फरीसी और सदूकी यीशु से स्वार्गिक चिन्ह दिखाने की मांग कर रहे थे।

Matthew 16:4

यीशु ने फरीसियों और सदूकियों को क्या दिखाने को कहा?

यीशु ने कहा कि वह फरीसियों और सदूकियों को योना का चिन्ह देगा।

Matthew 16:6

यीशु ने अपने चेलों को किस बात से सावधान रहने को कहा था?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे फरीसियों और सदूकियों के खमीर से सावधान रहें।

Matthew 16:12

यीशु ने अपने चेलों को सावधान रहने के लिए कहा तब वह वास्तव में किस बात का संदर्भ दे रहा था?

यीशु अपने चेलों को फरीसियों और सदूकियों की शिक्षा से सावधान रहने को कह रहा था।

Matthew 16:13

यीशु जब कैसरिया फिलिप्पी के प्रदेश में आया तब उसने अपने चेलों से क्या पूछा?

यीशु ने अपने चेलों से पूछा, "लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?"

Matthew 16:14

लोग यीशु को क्या समझते थे?

कुछ लोग सोचते थे कि यीशु यूहन्ना को बपतिस्मा देने वाला है, या एलिय्याह, या यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से एक है।

Matthew 16:16

पतरस ने यीशु के प्रश्न का क्या उत्तर दिया?

पतरस ने उत्तर दिया, "तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है"।

Matthew 16:17

पतरस ने यीशु के प्रश्न का उत्तर कैसे जाना?

पतरस यीशु के प्रश्न का उत्तर जानता था क्योंकि स्वर्गीय पिता ने उस पर यह प्रकट किया था।

Matthew 16:19

यीशु ने पतरस को पृथ्वी पर क्या अधिकार दिया?

यीशु ने पतरस को राज्य की कुंजी दी कि वह पृथ्वी पर जो बांधेगा वह स्वर्ग में बांधेगा और जो कुछ वह पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुलेगा।

Matthew 16:21

उस समय यीशु ने अपने चेलों से स्पष्ट क्या कहा?

यीशु अपने चेलों को बताने लगा कि उसे यरूशलेम जाना है, वह बहुत दुःख उठाएगा और मार डाला जाएगा और तीसरे दिन जी उठेगा।

Matthew 16:23

पतरस ने यीशु द्वारा उसके सब होने वाली घटनाओं के वर्णन पर आपत्ति उठाई तो यीशु ने उससे क्या कहा था?

यीशु ने पतरस से कहा, "हे शैतान मेरे सामने से दूर हो।"

Matthew 16:24

यीशु के पीछे चलने के लिए मनुष्य को क्या करना आवश्यक है?

यीशु के पीछे आने वाले को अपने आपका इन्कार करना होगा और अपना क्रूस उठाना होगा।

Matthew 16:26

यीशु के अनुसार मनुष्य को किस बात से लाभ नहीं है?

?

Matthew 16:27

मनुष्य के पुत्र के आगमन का वर्णन यीशु ने कैसे किया?

यीशु ने कहा कि मनुष्य का पुत्र स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आयेगा।

मनुष्य का पुत्र जब आयेगा तब मनुष्य को कैसे प्रतिफल देगा?

मनुष्य का पुत्र जब आएगा तब वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।

Matthew 16:28

यीशु ने किसके लिए कहा था कि वे मनुष्य के पुत्र को अपने राज्य में आता देखेंगे?

यीशु ने कहा कि कुछ लोग जो इस समय उसके साथ खड़े थे, मनुष्य के पुत्र को अपने राज्य में आता देखेंगे।


Chapter 17

1 छः दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना को साथ लिया, और उन्हें एकान्त में किसी ऊँचे पहाड़ पर ले गया। 2 और वहाँ उनके सामने उसका रूपांतरण हुआ और उसका मुँह सूर्य के समान चमका और उसका वस्त्र ज्योति के समान उजला हो गया। 3 और मूसा और एलिय्याह* उसके साथ बातें करते हुए उन्हें दिखाई दिए। 4 इस पर पतरस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, हमारा यहाँ रहना अच्छा है; यदि तेरी इच्छा हो तो मैं यहाँ तीन तम्बू बनाऊँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।” 5 वह बोल ही रहा था, कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्‍न हूँ: इसकी सुनो।” 6 चेले यह सुनकर मुँह के बल गिर गए और अत्यन्त डर गए। 7 यीशु ने पास आकर उन्हें छुआ, और कहा, “उठो, डरो मत।” 8 तब उन्होंने अपनी आँखें उठाकर यीशु को छोड़ और किसी को न देखा। 9 जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने उन्हें यह निर्देश दिया, “जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से न जी उठे, तब तक जो कुछ तुम ने देखा है किसी से न कहना।” 10 और उसके चेलों ने उससे पूछा, “फिर शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है?” 11 उसने उत्तर दिया, “एलिय्याह तो अवश्य आएगा और सब कुछ सुधारेगा। 12 परन्तु मैं तुम से कहता हूँ, कि एलिय्याह आ चुका*; और उन्होंने उसे नहीं पहचाना; परन्तु जैसा चाहा वैसा ही उसके साथ किया। इसी प्रकार से मनुष्य का पुत्र भी उनके हाथ से दुःख उठाएगा।” 13 तब चेलों ने समझा कि उसने हम से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के विषय में कहा है।

14 जब वे भीड़ के पास पहुँचे, तो एक मनुष्य उसके पास आया, और घुटने टेककर कहने लगा। 15 “हे प्रभु, मेरे पुत्र पर दया कर! क्योंकि उसको मिर्गी आती है, और वह बहुत दुःख उठाता है; और बार-बार आग में और बार-बार पानी में गिर पड़ता है। 16 और मैं उसको तेरे चेलों के पास लाया था, पर वे उसे अच्छा नहीं कर सके।” 17 यीशु ने उत्तर दिया, “हे अविश्वासी और हठीले लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।” 18 तब यीशु ने उसे डाँटा, और दुष्टात्मा उसमें से निकला; और लड़का उसी समय अच्छा हो गया।

19 तब चेलों ने एकान्त में यीशु के पास आकर कहा, “हम इसे क्यों नहीं निकाल सके?” 20 उसने उनसे कहा, “अपने विश्वास की कमी के कारण: क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर* भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे, ‘यहाँ से सरककर वहाँ चला जा’, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अनहोनी न होगी। 21 [पर यह जाति बिना प्रार्थना और उपवास के नहीं निकलती।]”

22 जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा। 23 और वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।” इस पर वे बहुत उदास हुए।

24 जब वे कफरनहूम में पहुँचे, तो मन्दिर के लिये कर लेनेवालों ने पतरस के पास आकर पूछा, “क्या तुम्हारा गुरु मन्दिर का कर नहीं देता?” 25 उसने कहा, “हाँ, देता है।” जब वह घर में आया, तो यीशु ने उसके पूछने से पहले उससे कहा, “हे शमौन तू क्या समझता है? पृथ्वी के राजा चुंगी या कर किन से लेते हैं? अपने पुत्रों से या परायों से?” 26 पतरस ने उनसे कहा, “परायों से।” यीशु ने उससे कहा, “तो पुत्र बच गए। 27 फिर भी हम उन्हें ठोकर न खिलाएँ, तू झील के किनारे जाकर बंसी डाल, और जो मछली पहले निकले, उसे ले; तो तुझे उसका मुँह खोलने पर एक सिक्का मिलेगा, उसी को लेकर मेरे और अपने बदले उन्हें दे देना।”



Matthew 17:1

x

यीशु तीन शिष्यों को अपनी महिमा दिखाता है।

पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना

"पतरस, याकूब और याकूब का भाई यूहन्ना"

उसका रूपान्तर हुआ

"परमेश्वर ने यीशु के रूप को पूर्णरूपेण बदल दिया था" या

वस्त्र

"कपड़े"

ज्योति के समान उजला हो गया।

"प्रकाश की नाईं चमकने लगा"।

Matthew 17:3

x

यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है।

देखो

यह हमें सतर्क करने के लिए है कि अग्रिम जानकारी आश्चर्यजनक है।

लोगों के लिए

यीशु के साथ जो शिष्य थे

कहा

"कहा" पतरस किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहा है।

यहाँ रहना अच्छा है।

संभावित अर्थः (1) "यह तो अच्छा है कि हम शिष्य यहाँ मूसा, एलिय्याह और तेरे साथ हैं" या (2) "यह अच्छा है कि तू, मूसा, एलिय्याह और शिष्य एक साथ हैं"

मण्डप

संभावित अर्थः (1) मनुष्यों के लिए आकर आराधना करने के लिए (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य के सोने के लिए अस्थाई स्थान।

Matthew 17:5

x

यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है।

देख

यह पाठक को सतर्क करने के लिए है कि आगे आश्चर्यजनक जानकारी दी गई है।

मूँह के बल गिर गए।

"शिष्यों ने मुँह के बल गिरकर दण्डवत किया"।

Matthew 17:9

x

यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है।

जब वे

"जब यीशु और उसके चेलों"

Matthew 17:11

x

यीशु द्वारा अपने तीन शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का वृत्तान्त चल रहा है। यीशु के प्रश्न का उत्तर दे रहा है।

सब कुछ सुधारेगा

"व्यवस्थित करेगा"

उन्होंने...

सम्भावित अर्थ है : 1)यहूदी अगुवे (देखें:यू.डी.बी) या 2) सब यहूदी।

Matthew 17:14

x

यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई का वृत्तान्त है।

मिर्गी आती है।

अचेत होकर अनियन्त्रित व्यवहार करने लगता है।

Matthew 17:17

x

यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई ही का वृत्तान्त है

मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक तुम्हारी सहूँगा?

यीशु उन लोगों से अप्रसन्न है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हारे साथ रहते रहते थक चुका हूँ। मैं तुम्हारे अविश्वास और भ्रष्टाचार से ऊब गया हूँ"।

Matthew 17:19

x

यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई ही का वृत्तान्त है

हम

बोलने वाले, न कि सुनने वाले (देखेः )

निकल गई

दुष्टात्मा को निकाल दिया

कोई बात तुम्हारे लिए असंभव न होगी

"तुम कुछ भी कर पाओगे"। (देखेः )

Matthew 17:22

x

यीशु गलील में अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

में थे

"शिष्य और यीशु गलील में थे"

मनुष्य का पुत्र.... पकड़वाया जायेगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "कोई मनुष्य के पुत्र को पकड़वा देगा"

वे उसे मार डालेंगे

"अधिकारी मनुष्य के पुत्र को मरवा देंगे"।

वह .... जी उठेगा।

"परमेश्वर उसे जीवित करेगा" या "वह फिर जीवित हो जाएगा"

Matthew 17:24

x

यह यीशु द्वारा मन्दिर के कर भुगतान का वृत्तान्त है।

जब वे

जब यीशु और उसके शिष्य

अर्ध शेकेल कर (सिक्का)

सह यहूदी पुरूषों पर कर था जो पहले परमेश्वर के लिए भेंट चढ़ाया जाता था।

घर

यीशु के रहने का स्थान

पृथ्वी के राजा

सामान्यतः शासक

परायों से

शासक या राजा की प्रजा

Matthew 17:26

x

यह यीशु द्वारा मन्दिर के कर भुगतान का वृत्तान्त है।

परायों से

प्रजा से

उसके मुँह

"मछली का मुँह"

लेकर

"उस सिक्के को लेकर"


Translation Questions

Matthew 17:1

यीशु के साथ पहाड़ पर कौन-कौन गये थे?

पतरस, याकूब और यूहन्ना यीशु के साथ एक ऊंचे पहाड़ पर गए।

Matthew 17:2

पहाड़ पर यीशु कैसा दिखने लगा था?

यीशु का वहाँ रूपान्तरण हुआ और उसका मुँह सूर्य के समान चमका तथा उसके वस्त्र ज्योति के समान चमकने लगे।

Matthew 17:3

वहाँ कौन प्रगट हुए कि यीशु से बात करें?

मूसा और एलिय्याह प्रकट हुए और यीशु से बातें करने लगे।

Matthew 17:4

पतरस ने क्या प्रस्ताव रखा था?

पतरस ने उन तीनों के लिए तीन मण्डप लगाने का प्रस्ताव रखा।

Matthew 17:5

बादल में से जो वाणी सुनाई दी वह क्या कहती है?

बादल में से एक वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूँ: इस की सुनो।”

Matthew 17:9

जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने अपने चेलों को क्या आज्ञा दी थी?

यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी कि उसके पुनरूत्थान तक दर्शन की इस घटना की चर्चा किसी से न करें।

Matthew 17:10

यीशु के अनुसार एलिय्याह कौन था जो आ चुका और उसके साथ कैसा व्यवहार किया गया?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला एलिय्याह था जो पहले आया और उन्होंने उसके साथ जैसा चाहा वैसा व्यवहार किया।

Matthew 17:11

शास्त्री कहते थे कि एलिय्याह पहले आयेगा इस पर यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि निश्चय ही एलिय्याह आकर सब बातों को सुधारेगा।

Matthew 17:14

चेले उस मिर्गी के रोगी युवक के लिए क्या नहीं कर पाए थे?

चेले एक मिर्गी के रोगी युवक को चंगा नहीं कर पाए थे।

Matthew 17:18

यीशु ने उस मिर्गी के रोगी युवक के लिए क्या किया?

यीशु ने उस दुष्टात्मा को झिड़का और वह युवक उसी पल चंगा हो गया।

Matthew 17:20

चेले उस मिर्गी के रोगी युवक को चंगा करने में सफल क्यों नहीं हुए थे?

यीशु ने कहा कि विश्वास की कमी के कारण वे उस युवक को चंगा करने में असफल रहे थे।

Matthew 17:22

यीशु ने चेलों से ऐसी क्या बात कही कि वे दुःखी हो गए थे?

यीशु ने जब अपने चेलों पर प्रकट किया कि वह पकड़वाया जाएगा और मारा जाएगा परन्तु तीसरे दिन फिर जी उठेगा।

Matthew 17:27

पतरस और यीशु ने मन्दिर का कर कैसे भरा?

यीशु ने पतरस से कहा कि वह झील में सहीं जाल डालकर मछली पकड़े, और उस मछली के मुंह में एक सिक्का होगा इससे कर चुका दिया जायेगा।


Chapter 18

1 उसी समय चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है?” 2 इस पर उसने एक बालक को पास बुलाकर उनके बीच में खड़ा किया, 3 और कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, यदि तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाओगे। 4 जो कोई अपने आप को इस बालक के समान छोटा करेगा, वह स्वर्ग के राज्य में बड़ा होगा। 5 और जो कोई मेरे नाम से एक ऐसे बालक को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है।

6 “पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाएँ, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहरे समुद्र में डुबाया जाता। 7 ठोकरों के कारण संसार पर हाय! ठोकरों का लगना अवश्य है; पर हाय उस मनुष्य पर जिसके द्वारा ठोकर लगती है।

8 “यदि तेरा हाथ या तेरा पाँव तुझे ठोकर खिलाएँ, तो काटकर फेंक दे; टुण्डा या लँगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो हाथ या दो पाँव रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए। 9 और यदि तेरी आँख तुझे ठोकर खिलाएँ, तो उसे निकालकर फेंक दे। काना होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो आँख रहते हुए तू नरक की आग में डाला जाए।

10 “देखो, तुम इन छोटों में से किसी को तुच्छ न जानना; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि स्वर्ग में उनके स्वर्गदूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं। 11 [क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को बचाने आया है।]

12 “तुम क्या समझते हो? यदि किसी मनुष्य की सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक भटक जाए, तो क्या निन्यानवे को छोड़कर, और पहाड़ों पर जाकर, उस भटकी हुई को न ढूँढ़ेगा? 13 और यदि ऐसा हो कि उसे पाए, तो मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह उन निन्यानवे भेड़ों के लिये जो भटकी नहीं थीं इतना आनन्द नहीं करेगा, जितना कि इस भेड़ के लिये करेगा। 14 ऐसा ही तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।

15 “यदि तेरा भाई तेरे विरुद्ध अपराध करे, तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा; यदि वह तेरी सुने तो तूने अपने भाई को पा लिया। 16 और यदि वह न सुने, तो और एक दो जन को अपने साथ ले जा, कि हर एक बात दो या तीन गवाहों के मुँह से ठहराई जाए। 17 यदि वह उनकी भी न माने, तो कलीसिया से कह दे, परन्तु यदि वह कलीसिया की भी न माने, तो तू उसे अन्यजाति और चुंगी लेनेवाले के जैसा जान।

18 “मैं तुम से सच कहता हूँ, जो कुछ तुम पृथ्वी पर बाँधोगे, वह स्वर्ग पर बँधेगा और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे, वह स्वर्ग में खुलेगा। 19 फिर मैं तुम से कहता हूँ, यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे माँगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से जो स्वर्ग में है उनके लिये हो जाएगी। 20 क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहाँ मैं उनके बीच में होता हूँ।”

21 तब पतरस ने पास आकर, उससे कहा, “हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ, क्या सात बार तक?” 22 यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, वरन् सात बार के सत्तर गुने* तक।

23 “इसलिए स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा। 24 जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके सामने लाया गया जो दस हजार तोड़े का कर्जदार था। 25 जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तो उसके स्वामी ने कहा, कि यह और इसकी पत्‍नी और बाल-बच्चे और जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए। 26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा, ‘हे स्वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूँगा।’ 27 तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका कर्ज क्षमा किया।

28 “परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला, जो उसके सौ दीनार* का कर्जदार था; उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा और कहा, ‘जो कुछ तू धारता है भर दे।’ 29 इस पर उसका संगी दास गिरकर, उससे विनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूँगा। 30 उसने न माना, परन्तु जाकर उसे बन्दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे। 31 उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया। 32 तब उसके स्वामी ने उसको बुलाकर उससे कहा, ‘हे दुष्ट दास, तूने जो मुझसे विनती की, तो मैंने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। 33 इसलिए जैसा मैंने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?’ 34 और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देनेवालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उनके हाथ में रहे।

35 “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।”



Matthew 18:1

x

यीशु शिष्यों को उदाहरण देने के लिए एक बच्चे को खड़ा करता है।

बालकों के समान बनो।

"बच्चों के समान सोच समझ न रखो" (देखें: और )

Matthew 18:4

x

यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

इस बालक के समान छोटा करेगा।

"जो कोई इस बालक के सदृश्य दीन बनेगा"।

बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता और वह गहरे समुद्र में डुबाया जाता।

"यदि वे उसके गले में चक्की का पाट बाँधकर उसे गहरे समुद्र में डाल दें"।

चक्की का पाट।

एक गोल बड़ा पत्थर जो गेहूँ पीसने के काम आता है। वैकल्पिक अनुवादः "बहुत भारी पत्थर"

Matthew 18:7

x

यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

तेरा हाथ

यीशु अपने श्रोताओं से इस प्रकार बात करता है कि मानो वे एक ही व्यक्ति हैं।

Matthew 18:9

x

यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

निकाल कर फेंक दे

यह अविश्वास की गंभीरता और उससे हर कीमत पर बचने की आवश्यकता दर्शाता है।

जीवन में प्रवेश करना

"अनन्त जीवन में प्रवेश करना"

Matthew 18:10

x

यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

तुच्छ न जानना

तुच्छ जानना , "प्रबल घृणा करना" या "महत्त्वहीन समझना"

उनके दूत

"बच्चों के स्वर्गदूत"

मुँह सदा देखते हैं

"सदैव निकट रहते हैं"।

Matthew 18:12

x

यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

तुम क्या सोचते हो?

"मनुष्यों के व्यवहार के बारे में क्या सोचते हो? ("देखें: )

निन्यानवे को छोड़कर ... ढूंढ़ेगा?

"वह सदा ही निन्यानवे को छोड़ कर उसे खोजने निकलेगा"

निन्यानवे

निन्यानवे

तुम्हारे पिता की... यह इच्छा नहीं कि इन छोटों में से एक भी नष्ट हो।

"तुम्हारा स्वर्गीय पिता इन सब छोटों को जीवित देखना चाहता है।"

Matthew 18:15

x

यीशु मन फिराव और क्षमा की शिक्षा देना आरंभ करता है।

भाई को पा लिया

"तूने अपने भाई के साथ अच्छे संबन्ध बना लिए"।

मुँह से

"मुँह से निकली" गवाही

Matthew 18:17

x

यीशु मन फिराव और क्षमा की ही शिक्षा दे रहा है।

उनकी भी न माने।

गवाहों की बात भी न माने

इसे अन्य जाति और महसूल लेने वाले जैसा जान

"उसके द्वारा ऐसा व्यवहार कर जैसा अन्यजातियां चुंगी लेने वाले के साथ करती है।

Matthew 18:18

x

यीशु अपने शिष्यों को मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

बाँधोगे... बंधेगा... खोलोगे .... खुलेगा

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

बंधेगा .... खुलेगा

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर भी बांधेगा... परमेश्वर खोलेगा"।

उनको

"तुम में से दो"

दो या तीन

"दो या दो से अधिक" या "कम से कम दो"

इकट्ठा होते हैं

"इकट्ठा होते हैं"

Matthew 18:21

x

यीशु मन फिराव और क्षमा की ही शिक्षा दे रहा है।

सात बार

"7 बार"

सात बार के सत्तर गुने तक

संभावित अर्थ, (1) "7 का 70 बार" (यू.एल.बी.) या (2) 77 बार"(यू.डी.बी..) यदि आंकड़े काम में लेने से उलझन उत्पन्न हो तो आप कह सकते है, "जितना गिन सके उससे अधिक" (देखें यू.डी.बी. और )

Matthew 18:23

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

एक जन उसके सामने लाया गया।

वैकल्पिक अनुवाद, "किसी ने राजा के सेवकों में से एक को लाकर उसके समक्ष उपस्थित किया" )

दस हज़ार तोड़े

"10,000 तोड़े" या इतना अधिक ऋण कि वह कभी चुका नहीं पाता"

उसके स्वामी ने कहा,"यह और .... जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और कर्जा चुका दिया जाए।

"राजा ने सेवको को आज्ञा दी कि उसे उस मनुष्य और उसका सब कुछ बेचकर उस पैसे से उसका ऋण चुकाया जाए"।

Matthew 18:26

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

गिरकर उसे प्रणाम किया।

"घुटनों पर गिरकर सिर झुकाया"

उसे

"राजा को"

छोड़ दिया

"उसे मुक्त कर दिया"

Matthew 18:28

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

सौ दीनार

"100 दीनार" या " सौ दिनों की मजदूरी"

पकड़कर

"पकड़ा" या "झपटा" (यू.डी.बी)

गिरकर ..... धीरज धर मैं सब कुछ भर दूँगा।

इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा गिरकर ... धीरज धर मैं सब कुछ भर दूँगा का अनुवाद . में किया गया है।

Matthew 18:30

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

Matthew 18:32

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।

उसके स्वामी ने उसको बुलवाकर

"राजा ने उस पहले दास को बुलवाया"

तुझे भी ....दया करना नहीं चाहिए था?

"आवश्यक था कि तू भी दया करता"

Matthew 18:34

x

यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है।


Translation Questions

Matthew 18:3

स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए यीशु ने किस बात को अनिवार्य कहा था?

यीशु ने कहा कि हमें मन फिराकर, बच्चों के समान होना है कि स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें।

Matthew 18:4

यीशु ने किसको स्वर्ग के राज्य में बड़ा कहा?

यीशु ने कहा कि जो कोई अपने को एक छोटे बालक की नाई दीन बनाएगा वह स्वर्ग के राज्य में बड़ा होगा।

Matthew 18:6

यीशु में विश्वास करने वाले किसी भी छोटे मनुष्य से पाप करवाने वाले का क्या होना है?

यीशु में विश्वास करने वाले छोटे लोगों में से किसी के लिए पाप का कारण होने वाले मनुष्य के लिए उचित है कि चक्की का पाट उसके गले में बांध कर उसे गहरे समुन्द्र में डाल दिया जाए।

Matthew 18:8

यीशु की शिक्षा के अनुसार हमें ठोकर खिलाने वाली हर एक बात के साथ क्या करना चाहिए?

यीशु ने कहा कि ठोकर खिलाने वाली हर एक बात का हमें त्याग करना आवश्यक है।

Matthew 18:10

यीशु के अनुसार छोटों को तुच्छ न समझने का कारण क्या है?

हमें छोटों में से किसी को तुच्छ नहीं समझना है क्योंकि उनके स्वर्गदूत सदैव स्वर्गीय पिता का मुंह देखते रहते हैं।

Matthew 18:12

किसी भी खोई हुई भेड़ को खोजने वाला स्वर्गीय पिता के समान कैसे है?

यह स्वर्गीय पिता की इच्छा नहीं कि छोटों में से एक भी नष्ट हो।

Matthew 18:15

यदि आपका भाई आपके विरूद्ध अपराध करे तो आपको सबसे पहले क्या करना है?

पहले आप जाकर अकेले में अपने भाई को समझाए की उसका अपराध क्या है।

Matthew 18:16

यदि आपका भाई न सुने तो फिर आपको क्या करना है?

आप अपने साथ एक या दो भाई गवाह स्वरूप ले जाएं।

Matthew 18:17

यदि आपका भाई फिर भी न सुने तो आपको क्या करना होगा?

अन्यथा, आप कलीसिया में इस बात को रखें।

यदि आपका भाई फिर भी न सुने तो क्या किया जाए?

अन्त में, यदि वह कलीसिया की भी बात न माने तो उसके साथ अन्यजाति या महसूल लेने वाले के समान व्यवहार किया जाए।

Matthew 18:20

उसके नाम में दो या तीन एकत्र होने पर यीशु ने क्या प्रतिज्ञा की है?

यीशु ने प्रतिज्ञा की है कि जहां दो या तीन उसके नाम से एकत्र हों वहाँ वह उपस्थित होगा।

Matthew 18:21

अपने भाई को क्षमा करने के विषय यीशु ने क्या कहा है?

यीशु ने कहा कि हमें अपने भाई को सत्तर गुना सात बार क्षमा करनी चाहिए।

Matthew 18:24

उस दास पर स्वामी का कितना उधार था और क्या वह उधार चुकाने में सक्षम था?

एक दास अपने स्वामी का दस हज़ार तोड़े का कर्जदार था और वह कर्ज चुकाने योग्य न था।

Matthew 18:27

स्वामी ने इस दास का कर्ज क्यों क्षमा किया?

उसके स्वामी ने तरस खाकर उसका कर्ज क्षमा कर दिया।

Matthew 18:28

इस दास ने सौ दीनार न चुकाने के कारण अपने साथी दास के साथ कैसा व्यवहार किया?

वही सेवक अपने साथी सेवक पर दयालु नहीं हुआ और उसे बन्दीगृह में डाल दिया।

Matthew 18:33

स्वामी ने उस दास से क्या कहा कि उसे अपने साथी दास के साथ करना आवश्यक था?

उसके स्वामी ने उससे कहा कि उसे भी अपने साथी दास पर दया करना आवश्यक था।

Matthew 18:34

तब स्वामी ने उस दास के साथ क्या किया ?

स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देने वालों के हाथ सौंप दिया।

Matthew 18:35

यदि हम अपने भाई को सच्चे मन से क्षमा न करें तो यीशु के अनुसार परमेश्वर पिता हमारे साथ कैसा व्यवहार करेगा?

यदि हम अपने भाई को सच्चे मन से क्षमा नहीं करेंगे तो परमेश्वर भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेगा।


Chapter 19

1 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो गलील से चला गया; और यहूदिया के प्रदेश में यरदन के पार आया। 2 और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, और उसने उन्हें वहाँ चंगा किया। 3 तब फरीसी उसकी परीक्षा करने के लिये पास आकर कहने लगे, “क्या हर एक कारण से अपनी पत्‍नी को त्यागना उचित है?” 4 उसने उत्तर दिया, “क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि जिसने उन्हें बनाया, उसने आरम्भ से नर और नारी बनाकर कहा, 5 ‘इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग होकर अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे?’ 6 अतः वे अब दो नहीं, परन्तु एक तन हैं इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।” 7 उन्होंने यीशु से कहा, “फिर मूसा ने क्यों यह ठहराया, कि त्यागपत्र देकर उसे छोड़ दे?” 8 उसने उनसे कहा, “मूसा ने तुम्हारे मन की कठोरता के कारण तुम्हें अपनी पत्‍नी को छोड़ देने की अनुमति दी, परन्तु आरम्भ में ऐसा नहीं था। 9 और मैं तुम से कहता हूँ, कि जो कोई व्यभिचार को छोड़ और किसी कारण से अपनी पत्‍नी को त्याग कर, दूसरी से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है: और जो उस छोड़ी हुई से विवाह करे, वह भी व्यभिचार करता है।”

10 चेलों ने उससे कहा, “यदि पुरुष का स्त्री के साथ ऐसा सम्बन्ध है, तो विवाह करना अच्छा नहीं।” 11 उसने उनसे कहा, “सब यह वचन ग्रहण नहीं कर सकते, केवल वे जिनको यह दान दिया गया है। 12 क्योंकि कुछ नपुंसक ऐसे हैं जो माता के गर्भ ही से ऐसे जन्मे; और कुछ नपुंसक ऐसे हैं, जिन्हें मनुष्य ने नपुंसक बनाया: और कुछ नपुंसक ऐसे हैं, जिन्होंने स्वर्ग के राज्य के लिये अपने आप को नपुंसक बनाया है, जो इसको ग्रहण कर सकता है, वह ग्रहण करे।”

13 तब लोग बालकों को उसके पास लाए, कि वह उन पर हाथ रखे और प्रार्थना करे; पर चेलों ने उन्हें डाँटा। 14 यीशु ने कहा, “बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है।” 15 और वह उन पर हाथ रखकर, वहाँ से चला गया।

16 और एक मनुष्य ने पास आकर उससे कहा, “हे गुरु, मैं कौन सा भला काम करूँ, कि अनन्त जीवन पाऊँ?” 17 उसने उससे कहा, “तू मुझसे भलाई के विषय में क्यों पूछता है? भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर।” 18 उसने उससे कहा, “कौन सी आज्ञाएँ?” यीशु ने कहा, “यह कि हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना; 19 अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना*।” 20 उस जवान ने उससे कहा, “इन सब को तो मैंने माना है अब मुझ में किस बात की कमी है?” 21 यीशु ने उससे कहा, “यदि तू सिद्ध* होना चाहता है; तो जा, अपना सब कुछ बेचकर गरीबों को बाँट दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले।” 22 परन्तु वह जवान यह बात सुन उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।

23 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है। 24 फिर तुम से कहता हूँ, कि परमेश्‍वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है।” 25 यह सुनकर, चेलों ने बहुत चकित होकर कहा, “फिर किस का उद्धार हो सकता है?” 26 यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है।” 27 इस पर पतरस ने उससे कहा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिये हैं तो हमें क्या मिलेगा?” 28 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि नई उत्पत्ति में जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा के सिंहासन पर बैठेगा, तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे। 29 और जिस किसी ने घरों या भाइयों या बहनों या पिता या माता या बाल-बच्चों या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा। 30 परन्तु बहुत सारे जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, पहले होंगे।



Matthew 19:1

x

यीशु गलील से प्रस्थान करके यहूदिया में शिक्षा दे रहा है।

और ऐसा हुआ

यदि आपकी भाषा में कहानी को नए मन का आरंभ करने का प्रावधान है तो उसे काम में लें।

ये बातें

के वचन

चला गया

"प्रस्थान किया" या "कूच किया"

प्रदेश

"क्षेत्र में"

Matthew 19:3

x

यीशु विवाह और तलाक के विषय में शिक्षा देना आरंभ करता है।

पास आकर

"यीशु के निकट आकर"

क्या तुमने नहीं पढ़ा?

यीशु फरीसियों को लज्जित करना चाहता था।

Matthew 19:5

x

यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है।

इस कारण

यह के प्रश्न का ही अगला अंश है, "तुमने नहीं पढ़ा कि वह कहता है ...?"

पत्नी के साथ रहेगा

"पत्नी के निकट रहेगा"

एक तन

"एक जीव"

Matthew 19:7

x

यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है।

उन्होंने उससे कहा

"फरीसियों ने यीशु से कहा"

क्यों यह ठहराया

"हम यहूदियों को यह आज्ञा क्यों दी"

त्याग पत्र देकर

विवाह विच्छेद का वैध पत्र

परन्तु आरंभ से ऐसा नहीं था।

"जब परमेश्वर ने नर और नारी को बनाया था तब तलाक का योजना नहीं थी"

व्यभिचार को छोड़कर

"यौनाचार में अविश्वास को छोड़ कर"।

उस छोड़ी हुई से विवाह करे, वह भी व्यभिचार करता है

अनेक आरंभिक अभिलेखों में यह शब्द नहीं हैं।

Matthew 19:10

x

यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है।

कुछ नपुंसक ऐसे हैं जो माता के गर्भ ही से ऐसे जन्मे हैं।

"यौन अंगों के बिना जन्मे पुरूष"

अपने आपको नपुंसक बनाया

संभावित अर्थ हैं, (1) "जिन्होंने अपना लिंग काट दिया" (2) "जो मनुष्य अविवाहित रहकर यौनाचार में शुद्ध रहना चाहते हैं।"

स्वर्ग के राज्य के लिए

"कि वे परमेश्वर की अधिक अच्छी सेवा कर पाएँ"

जो इसको ग्रहण कर सकता है, ग्रहण करे।

देखें कि आपने "इसको ग्रहण कर सकता है ग्रहण करे" का अनुवाद 19:11 में कैसे किया है।

Matthew 19:13

x

लोग बच्चों को यीशु के पास लाते हैं।

तब लोग बालकों को उसके पास लाए।

वैकल्पिक अनुवाद, "कुछ लोग बच्चों को लेकर यीशु के पास आए"

आने दो

"अनुमति दो"

मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो

"उन्हें मेरे पास आने से मत रोको"

क्योंकि स्वर्ग का राज ऐसों ही का है।

"स्वर्ग का राजा उन लोगों का है जो इनके समान हैं" या "केवल इन बच्चों के समान मनुष्य ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं"।

Matthew 19:16

x

यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा देना आरंभ करता है।

देखो

लेखक कहानी में एक नए चरित्र को ला रहा है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

भला काम

परमेश्वर के प्रसन्न करने वाला काम

भला तो एक ही है।

"केवल परमेश्वर की पूर्णरूपेण भला है"

Matthew 19:18

x

यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है।

Matthew 19:20

x

यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है।

इच्छा रखते हैं।

"ढूँढ़ते"

Matthew 19:23

x

यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है।

परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट को सूई के नाके में से निकल जाना सहज है।

धनवानों के लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना बहुत ही कठिन है

सूई के नाके

"सूई के पीछे का छिद्र जिसमें धागा डाला जाता है"।

Matthew 19:25

x

यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है।

चेलों ने बहुत चकित होकर

"शिष्य चकित हो गए"

फिर किसका उद्धार हो सकता है?

संभावित अर्थ, "वे उत्तर खोज रहे थे" या (2) वैकल्पिक अनुवाद, "फिर तो किसी का उद्धार संभव नहीं"

हम तो सब कुछ छोड़ के

"हमने तो अपनी संपूर्ण सम्पत्ति का त्याग कर दिया है" या "हमने अपना घर-बार सब छोड़ दिया है"

हमें क्या मिलेगा?

"परमेश्वर हमें क्या अच्छी वस्तु देगा"?

Matthew 19:28

x

यीशु अपने शिष्यों को संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की ही शिक्षा दे रहा है।

नई सृष्टि में

"जब सब कुछ नया हो जायेगा" या "नये युग में"

बारह सिंहासनों पर बैठ कर ..... न्याय करोगे

"उन पर राजा और न्यायी होगे"


Translation Questions

Matthew 19:3

यीशु की परीक्षा लेने के लिए फरीसियों ने उससे क्या पूछा?

फरीसियों ने यीशु से पूछा, "क्या हर एक कारण से अपनी पत्नी को त्यागना उचित है?"

Matthew 19:4

यीशु ने क्या कहा कि सृष्टि के आरंभ से सच है?

यीशु ने कहा कि सृष्टि के समय ही से परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया है।

Matthew 19:5

क्योंकि परमेश्वर ने नर और नारी को बनाया तो यीशु ने कहा कि पुरुष को क्या करना है?

यीशु ने कहा कि पुरुष अपने माता पिता से अलग होकर, अपनी पत्नी के साथ रहेगा।

यीशु के कथनानुसार जब पति अपनी पत्नी के साथ रहता है तब क्या होता है?

यीशु ने कहा कि जब पति अपनी पत्नी के साथ रहेगा तो वे एक तन होंगे।

Matthew 19:6

यीशु ने कहा कि परमेश्वर ने जिसे जोड़ा है उसे मनुष्य क्या न करे?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर ने जिसे जोड़ा है उसे मनुष्य अलग न करे।

Matthew 19:7

??

यीशु के अनुसार मूसा ने तलाक की आज्ञा क्यों दी थी।

Matthew 19:9

यीशु की शिक्षा के अनुसार व्यभिचार कौन करता है?

व्यभिचार को छोड़ अन्य किसी भी कारण से पुरूष अपनी पत्नी को तलाक देकर दूसरा विवाह करे तो वह व्यभिचार करता है और जो पुरूष उस त्यागी हुई स्त्री से विवाह करे वह भी व्यभिचार करता है।

Matthew 19:10

यीशु ने कहा, नपुंसक कौन हो सकता है?

यीशु ने कहा कि जो इसे ग्रहण करे वह नपुंसक होना ग्रहण कर ले।

Matthew 19:13

जब बच्चे यीशु के पास लाए जा रहे थे तब चेलों ने क्या किया?

जब छोटे बच्चों को यीशु के पास लाया जा रहा था तब चेलों ने उन्हे रोका।

Matthew 19:14

छोटे बच्चों को देखकर यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा बच्चों को मेरे पास आने दो उन्हें मना मत करो क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों का ही है।

Matthew 19:16

यीशु ने उस युवक को अनन्त जीवन पाने का कौन सा मार्ग बताया था?

यीशु ने उस युवक से कहा कि अनन्त जीवन पाने के लिए वह आज्ञाओं का पालन करे।

Matthew 19:20

उस युवक ने कहा कि वह इन सब आज्ञाओं का पालन करता है तो यीशु ने उससे क्या कहा?

इस युवक ने कहा कि वह सब आज्ञाओं को मानता है तो यीशु ने उससे कहा कि वह अपना सब कुछ बेच कर कंगालों में बांट दे।

Matthew 19:22

उस युवक ने यीशु की आज्ञा पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई जब यीशु ने उसको कहा कि वह अपना सब कुछ बेच दे?

वह युवक दुःखी होकर चला गया क्योंकि वह बहुत धनवान था।

Matthew 19:23

यीशु ने धनवान मनुष्य के स्वर्ग राज्य में प्रवेश के बारे में क्या कहा है?

यीशु ने कहा कि धनवान मनुष्य का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है परन्तु परमेश्वर के लिए सब संभव है।

Matthew 19:28

यीशु ने अपने शिष्यों से क्या प्रतिज्ञा की थी?

यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की कि नये जन्म में वे बारह सिंहासनों पर बैठ कर इस्त्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करेंगे।

Matthew 19:30

यीशु ने पहले और पिछलों के लिए क्या कहा है?

यीशु ने कहा कि जो इस समय पिछले हैं वे पहले होंगे और जो पहले हैं वो पिछले होंगे।


Chapter 20

1 “स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्थ के समान है, जो सवेरे निकला, कि अपने दाख की बारी में मजदूरों को लगाए। 2 और उसने मजदूरों से एक दीनार रोज पर ठहराकर, उन्हें अपने दाख की बारी में भेजा। 3 फिर पहर* एक दिन चढ़े, निकलकर, अन्य लोगों को बाजार में बेकार खड़े देखकर, 4 और उनसे कहा, ‘तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूँगा।’ तब वे भी गए। 5 फिर उसने दूसरे और तीसरे पहर के निकट निकलकर वैसा ही किया। 6 और एक घंटा दिन रहे फिर निकलकर दूसरों को खड़े पाया, और उनसे कहा ‘तुम क्यों यहाँ दिन भर बेकार खड़े रहे?’ उन्होंने उससे कहा, ‘इसलिए, कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया।’ 7 उसने उनसे कहा, ‘तुम भी दाख की बारी में जाओ।’

8 “सांझ को दाख बारी के स्वामी ने अपने भण्डारी से कहा, ‘मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहलों तक उन्हें मजदूरी दे-दे।’ 9 जब वे आए, जो घंटा भर दिन रहे लगाए गए थे, तो उन्हें एक-एक दीनार मिला। 10 जो पहले आए, उन्होंने यह समझा, कि हमें अधिक मिलेगा; परन्तु उन्हें भी एक ही एक दीनार मिला। 11 जब मिला, तो वह गृह स्वामी पर कुड़कुड़ा के कहने लगे, 12 ‘इन पिछलों ने एक ही घंटा काम किया, और तूने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्होंने दिन भर का भार उठाया और धूप सही?’ 13 उसने उनमें से एक को उत्तर दिया, ‘हे मित्र, मैं तुझ से कुछ अन्याय नहीं करता; क्या तूने मुझसे एक दीनार न ठहराया? 14 जो तेरा है, उठा ले, और चला जा; मेरी इच्छा यह है कि जितना तुझे, उतना ही इस पिछले को भी दूँ। 15 क्या यह उचित नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूँ वैसा करूँ? क्या तू मेरे भले होने के कारण बुरी दृष्टि से देखता है?’ 16 इस प्रकार जो अन्तिम हैं, वे प्रथम हो जाएँगे* और जो प्रथम हैं वे अन्तिम हो जाएँगे।”

17 यीशु यरूशलेम को जाते हुए बारह चेलों को एकान्त में ले गया, और मार्ग में उनसे कहने लगा। 18 “देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं; और मनुष्य का पुत्र प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा और वे उसको घात के योग्य ठहराएँगे। 19 और उसको अन्यजातियों के हाथ सौंपेंगे, कि वे उसे उपहास में उड़ाएँ, और कोड़े मारें, और क्रूस पर चढ़ाएँ, और वह तीसरे दिन जिलाया जाएगा।”

20 जब जब्दी के पुत्रों की माता ने अपने पुत्रों के साथ उसके पास आकर प्रणाम किया, और उससे कुछ माँगने लगी। 21 उसने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?” वह उससे बोली, “यह कह, कि मेरे ये दो पुत्र तेरे राज्य में एक तेरे दाहिने और एक तेरे बाएँ बैठे।” 22 यीशु ने उत्तर दिया, “तुम नहीं जानते कि क्या माँगते हो। जो कटोरा मैं पीने* पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो?” उन्होंने उससे कहा, “पी सकते हैं।” 23 उसने उनसे कहा, “तुम मेरा कटोरा तो पीओगे पर अपने दाहिने बाएँ किसी को बैठाना मेरा काम नहीं, पर जिनके लिये मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया, उन्हीं के लिये है।”

24 यह सुनकर, दसों चेले उन दोनों भाइयों पर क्रुद्ध हुए। 25 यीशु ने उन्हें पास बुलाकर कहा, “तुम जानते हो, कि अन्यजातियों के अधिपति उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। 26 परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने; 27 और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने; 28 जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिए नहीं आया कि अपनी सेवा करवाए, परन्तु इसलिए आया कि सेवा करे और बहुतों के छुटकारे के लिये अपने प्राण दे।”

29 जब वे यरीहो* से निकल रहे थे, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 30 और दो अंधे, जो सड़क के किनारे बैठे थे, यह सुनकर कि यीशु जा रहा है, पुकारकर कहने लगे, “हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।” 31 लोगों ने उन्हें डाँटा, कि चुप रहे, पर वे और भी चिल्लाकर बोले, “हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।” 32 तब यीशु ने खड़े होकर, उन्हें बुलाया, और कहा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूँ?” 33 उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, यह कि हमारी आँखें खुल जाएँ।” 34 यीशु ने तरस खाकर उनकी आँखें छूई, और वे तुरन्त देखने लगे; और उसके पीछे हो लिए।



Matthew 20:1

x

यीशु मजदूरों को मजदूरी देने वाले के दृष्टान्त आरंभ करता है।

स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्वामी के समान है।

परमेश्वर पर राज करता है जैसे गृहस्वामी अपनी भूमि पर राज करता है।

स्वर्ग का राज्य ... के समान है

देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है

ठहराकर

"जब गृहस्वामी सहमत हो गया"

एक दीनार

"एक दिन की मज़दूरी"

Matthew 20:3

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मजदूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

फिर .... निकल कर

"वह गृहस्वामी फिर गया"

बेकार खड़े देखा

"कुछ नहीं कर रहे थे" या "जिनके पास काम नहीं था"

Matthew 20:5

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

फिर .... निकलकर

"गृहस्वामी फिर बाहर गया"

बेकार खड़े देखा

"कुछ नहीं कर रहे थे" या "उनके पास काम नहीं था"

Matthew 20:8

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मजदूरों को मजदूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

उन्हें

"जिन्होंने दिन समाप्त होने से एक घंटा पहले आए थे"

एक दीनार

"एक दिन की मज़दूरी"

उन्होंने यह समझा

"जिन मज़दूरों ने सबसे अधिक काम किया था उन्होंने सोचा"

Matthew 20:11

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

जब मिला तो

"जब सबसे अधिक काम करने वाले मजदूरों को मज़दूरी मिली तो"

गृहस्वामी पर

"भू स्वामि पर" या "दाख की बारी के स्वामी पर"

दिन भर का भार उठाया और धूप सही

"हमने पूरा दिन धूप में काम किया"

Matthew 20:13

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

उनमें से एक

"पूरा दिन काम करने वाले मज़दूरों में से एक"

मित्र

किसी को कोमलता से झिड़कने का शब्द काम में लें।

क्या तूने ही मुझसे एक दीनार न ठहराया था?

वैकल्पिक अनुवाद, "हम सहमत थे कि मैं तुझे एक दीनार दूं।"

एक दीनार

"एक दिन की मज़दूरी"

मेरी इच्छा यह है

"मैं देने में प्रसन्न हूँ" या "मैं देकर प्रसन्न हूँ"

Matthew 20:15

x

यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है।

क्या यह उचित ही नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूं सो करूं?

वैकल्पिक अनुवाद, "मैं अपने माल के साथ जैसा चाहूंगा वैसा ही करूंगा" कर सकता हूँ।

उचित

"विधि सम्मत" या "निष्पक्ष" या "सही"

क्या मेरे भले होने के कारण तू बुरी दृष्टि से देखता है?

"तुझे निराश नहीं होना चाहिए कि मैं उनके साथ भलाई कर रहा हूँ, जिन्होंने कमाया नहीं"।

Matthew 20:17

x

यरूशलेम की यात्रा के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है

हम .... जाते हैं

यीशु शिष्यों को भी जोड़ रहा है।

मनुष्य का पुत्र .... पकड़वाया जाएगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "कोई है जो मनुष्य के पुत्र को पकड़वायेगा"

उसको घात के योग्य ठहराऍगे और इसके अन्य जातियों के हाथ सौंपेगे कि उसे ठट्ठों में उडाऍ।

"महायाजक और शास्त्री उसे मृत्युदण्ड के योग्य कहकर अन्यजातियों के समक्ष रखेंगे जो उसका ठट्ठा करेंगे"।

वह .... जी उठेगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उसे जीवित करेगा"

Matthew 20:20

x

दो शिष्यों की माता यीशु से एक निवेदन करती है

एक तेरे दाहिने ओर एक तेरे बाएँ बैठे।

अधिकार के स्थानों पर

Matthew 20:22

x

यीशु उन दोनों शिष्यों की माता को उत्तर देता है

तुम्हें

वे दोनों शिष्य और उनकी माता

पी सकते हो?

"क्या तुम्हारे लिए संभव है कि ..." यीशु केवल पुत्रों से कह रहा है

जो कटोरा मैं पीने पर हूँ क्या तुम पी सकते हो?

"जिस कष्ट को मैं उठाने जा रहा हूँ तुम उठा सकते हो"?

वे

दोनों शिष्यों ने

जिनके लिए मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया है, उन्हीं के लिए है"

"मेरे साथ बैठने का सम्मान उन्हीं के लिए है जिनके लिए मेरे पिता ने यह सम्मान रखा है"

तैयार किया

"निश्चित किया है"

Matthew 20:25

x

यीशु ने उनकी माता से जो कहा उसके द्वारा शिष्यों को शिक्षा देता है

अन्य जातियों के शासक उन पर प्रभुता करते हैं

"अन्य जातियों के शासक उनसे अपनी इच्छा पूरी करवाते हैं"

बड़े हैं

जिन्हें शासकों ने अधिकार दिया है

अधिकार जताते हैं

"उनके नियंत्रण में रखते है"

चाहे

"इच्छा रखे" या "लालसा करे"

अपने प्राण दे

"मरने के लिए तैयार रहे"

Matthew 20:29

x

यीशु द्वारा वे अंधों को दृष्टि दान का वृत्तान्त आरंभ होता है।

निकल रहे थे

यह यीशु और उसके शिष्य के बारे में है

पीछे हो लो

"यीशु का अनुसरण करने लगी"

देखो

परमेश्वर पाठक का ध्यान आकर्षित करता है कि कोई विस्मयकारी जानकारी आगे है। आपकी भाषा में इसको व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

जा रहा है

"उनके पास से निकल रहा है"

और भी चिल्लाकर बोले

"अंधों ने पहले से भी अधिक चिल्लाना आरंभ कर दिया" या "वे और ऊंचे शब्द में चिल्लाए"

Matthew 20:32

x

यीशु द्वारा दो अंधों को दृष्टि दान का वृत्तान्त चल रहा है।

उन्हें बुलाया

"उन अंधे मनुष्यों को बुलाया"

इच्छा रखते हैं।

"ढूँढ़ते"

हमारी आँखें खुल जाएं

वैकल्पिक अनुवाद, "हमारी इच्छा है कि तू हमें देखने योग्य बना दे" या "हम देखने के योग्य होना चाहते है"। (देखें:

तरस खाकर

"अनुकंपा से" या "उनके लिए करूणा से भरकर"


Translation Questions

Matthew 20:1

सुबह जो मजदूर लाए गए थे उन्हें उस स्वामी ने कितनी मजदूरी दी?

दाख की बारी के स्वामी ने सुबह लाए गये मजदूरों को एक दीनार पर ठहराया।

Matthew 20:4

तीसरे, छठवें, नौवें और ग्यारहवें घंटों में ठहराए गये मजदूरों को बारी के स्वामी ने कितनी मजदूरी देने का वचन दिया था?

बारी के स्वामी ने कहा कि वह उन्हें उचित मजदूरी देगा।

Matthew 20:9

ग्यारहवें घंटे में लाए गए मजदरों को कितनी मजदूरी मिली?

ग्यारहवें घंटे में लाए गए मजदूरों को एक दीनार मिला।

Matthew 20:11

सुबह काम पर लगाए गए मजदूरों ने क्या शिकायत की?

उन्होंने शिकायत की कि उन्होंने पूरा दिन काम किया और उन्हें उतना ही मिला जितना एक घंटे काम करने वाले को।

Matthew 20:13

बारी के स्वामी ने मजदूरों की शिकायत का क्या उत्तर दिया?

स्वामी ने उत्तर दिया कि सुबह काम पर लगाए गए मजदूरों को उसने ठहराई गई मजदूरी एक दीनार दी है और अन्य मजदूरों को भी उतनी ही मजदूरी देना उसकी अपनी इच्छा है।

Matthew 20:17

यरूशलेम जाते समय यीशु ने अपने शिष्यों को किस घटना की पूर्व जानकारी दी थी?

यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वह महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जायेगा और वे उसे मृत्यु दण्ड देंगे, और क्रूस पर चढ़ाएंगे परन्तु वह तीसरे दिन जी उठेगा।

Matthew 20:20

जबदी के पुत्रों की माता ने यीशु से क्या निवेदन किया था?

वह चाहती थी कि यीशु आज्ञा दे कि उसके पुत्र यीशु के राज्य में उसकी दाहिनी ओर एक और बाईं ओर दूसरा बैठे।

Matthew 20:23

राज्य में उसकी दाहिनी और बाईं ओर किस को बैठना है किसके हाथ में है?

यीशु ने उसे उत्तर दिया, कि स्वर्गीय पिता ने इन स्थानों को उन्हीं के लिए रखा है जिन्हें उसने चुना है।

Matthew 20:26

यीशु ने क्या कहा कि चेलों में कोई बड़ा कैसे बन सकता है?

यीशु ने कहा कि जो बड़ा बनना चाहे वह सेवक बने।

Matthew 20:28

यीशु ने संसार में अपने आने का कारण क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि वह सेवा करने और अनेकों की छुडौती के लिए अपने प्राण दे।

Matthew 20:30

सड़क के किनारे बैठे दो अंधे यीशु के आने पर क्या चिल्ला रहे थे?

दो अंधे पुकार रहे थे, "हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर"।

Matthew 20:34

यीशु ने उन दोनों अंधों को क्यों चंगा किया?

यीशु ने उन दोनों अंधों को चंगा किया क्योंकि उसे उन पर तरस आ गया था।


Chapter 21

1 जब वे यरूशलेम के निकट पहुँचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा, 2 “अपने सामने के गाँव में जाओ, वहाँ पहुँचते ही एक गदही बंधी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। 3 यदि तुम से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इनका प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।” 4 यह इसलिए हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो:

    5 “सिय्योन की बेटी से कहो,

     ‘देख, तेरा राजा तेरे पास आता है;

         वह नम्र है और गदहे पर बैठा है;

     वरन् लादू के बच्चे पर।’ ”

6 चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उनसे कहा था, वैसा ही किया। 7 और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया। 8 और बहुत सारे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और लोगों ने पेड़ों से डालियाँ काटकर मार्ग में बिछाईं। 9 और जो भीड़ आगे-आगे जाती और पीछे-पीछे चली आती थी, पुकार-पुकारकर कहती थी, “दाऊद के सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।” 10 जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, “यह कौन है?” 11 लोगों ने कहा, “यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।”

12 यीशु ने परमेश्‍वर के मन्दिर* में जाकर, उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफों के मेज़ें और कबूतरों के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं। 13 और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे लुटेरों का अड्डा बनाते हो।”

14 और अंधे और लँगड़े, मन्दिर में उसके पास आए, और उसने उन्हें चंगा किया। 15 परन्तु जब प्रधान याजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उसने किए, और लड़कों को मन्दिर में दाऊद की सन्तान को होशाना’ पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित हुए, 16 और उससे कहने लगे, “क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ; क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा: ‘बालकों और दूध पीते बच्चों के मुँह से तूने स्तुति सिद्ध कराई?’ ” 17 तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह* को गया, और वहाँ रात बिताई।

18 भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी। 19 और अंजीर के पेड़ को सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उसमें और कुछ न पा कर उससे कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे।” और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया। 20 यह देखकर चेलों ने अचम्भा किया, और कहा, “यह अंजीर का पेड़ तुरन्त कैसे सूख गया?” 21 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा। 22 और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से माँगोगे वह सब तुम को मिलेगा।”

23 वह मन्दिर में जाकर उपदेश कर रहा था, कि प्रधान याजकों और लोगों के प्राचीनों ने उसके पास आकर पूछा, “तू ये काम किस के अधिकार से करता है? और तुझे यह अधिकार किस ने दिया है?” 24 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; यदि वह मुझे बताओगे, तो मैं भी तुम्हें बताऊँगा कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ। 25 यूहन्ना का बपतिस्मा कहाँ से था? स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से था?” तब वे आपस में विवाद करने लगे, “यदि हम कहें ‘स्वर्ग की ओर से’, तो वह हम से कहेगा की, ‘फिर तुम ने उसका विश्वास क्यों न किया?’ 26 और यदि कहें ‘मनुष्यों की ओर से’, तो हमें भीड़ का डर है, क्योंकि वे सब यूहन्ना को भविष्यद्वक्ता मानते हैं।” 27 अतः उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” उसने भी उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता, कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ।

28 “तुम क्या समझते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उसने पहले के पास जाकर कहा, ‘हे पुत्र, आज दाख की बारी में काम कर।’ 29 उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जाऊँगा’, परन्तु बाद में उसने अपना मन बदल दिया और चला गया। 30 फिर दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ जाता हूँ’, परन्तु नहीं गया। 31 इन दोनों में से किस ने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने कहा, “पहले ने।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि चुंगी लेनेवाले और वेश्या तुम से पहले परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। 32 क्योंकि यूहन्ना धार्मिकता के मार्ग से तुम्हारे पास आया, और तुम ने उस पर विश्वास नहीं किया: पर चुंगी लेनेवालों और वेश्याओं ने उसका विश्वास किया: और तुम यह देखकर बाद में भी न पछताए कि उसका विश्वास कर लेते।

33 “एक और दृष्टान्त सुनो एक गृहस्थ था, जिसने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा; और उसमें रस का कुण्ड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। 34 जब फल का समय निकट आया, तो उसने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा। 35 पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थराव किया। 36 फिर उसने और दासों को भेजा, जो पहलों से अधिक थे; और उन्होंने उनसे भी वैसा ही किया। 37 अन्त में उसने अपने पुत्र को उनके पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 38 परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, ‘यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उसकी विरासत ले लें।’ 39 और उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।

40 इसलिए जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?” 41 उन्होंने उससे कहा, “वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।” 42 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी पवित्रशास्त्र में यह नहीं पढ़ा:

     ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने बेकार समझा था,

     वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया?

     यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे

     देखने में अद्भुत है।’

43 “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्‍वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा। 44 जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा: और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।” 45 प्रधान याजकों और फरीसी उसके दृष्टान्तों को सुनकर समझ गए, कि वह हमारे विषय में कहता है। 46 और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे।



Matthew 21:1

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ यरूशलेम जा रहा है।

बैतफगे

एक गाँव

गदही का बच्चा

"युवा नर गधा"

Matthew 21:4

x

यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है

यह इसलिए हुआ कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।

"परमेश्वर ने वर्षों पूर्व अपने भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा था कि ऐसा होगा"।

"जो वचन से पहले ही भविष्यद्वक्ता ने कह दिया था"

"जो होने से पहले ही भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था"

सिय्योन की बेटी

इस्राएल

गदेह

गरीबों की सवारी का पशु

गदही का बच्चा

युवा गधा

Matthew 21:6

x

यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है

वस्त्र

बाहरी वस्त्र या कुर्ता

वह उस पर बैठ गया

"यीशु उन कपड़ों पर बैठ गया जो गधे पर डाले गए थे।"

Matthew 21:9

x

यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है

होशाना

यह एक इब्रानी शब्द है जिसका अर्थ है, "हमें बचा" परन्तु अन्ततः इसका अर्थ हो गया, "याह की स्तुति करो"

सारे नगर में हलचल मच गई।

"नगर में हर एक जन उसे देखने के लिए उत्सुक था"

सारे नगर के लोग।

"नगर के बहुत से लोगों में" (देखें: और

Matthew 21:12

x

यह वृत्तान्त मन्दिर में यीशु के प्रवेश का है।

उसने उनसे कहा

"यीशु ने उनसे कहा जो पैसों का विनिमय कर रहे थे और लेन -देन कर रहे थे"।

प्रार्थना का घर

"लोगों के लिए प्रार्थना करने का स्थान"

डाकुओं की गुफा

"डाकुओं के छिपने का स्थान"

लंगड़े

वे जो चलने योग्य नहीं थे या जिनके पैर बेकार थे

Matthew 21:15

x

यह वृत्तान्त मन्दिर में यीशु की उपस्थिति का है।

होशाना

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया था।

हे दाऊद की सन्तान

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया था।

वे क्रोधित हुए

"वे यीशु से घृणा करके क्रोधित हुए"

क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?

"तू लोगों को अपने लिए ऐसा कहने न दे"।

क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा

"हाँ मैं सुन रहा हूँ परन्तु तुम्हें धर्मशास्त्र की पढ़ी हुई बातें स्मरण रखना है"

वह उन्हें छोड़कर

"यीशु महायाजकों और शास्त्रियों को छोड़कर"

Matthew 21:18

x

यह वृत्तान्त यीशु द्वारा अंजीर के पेड़ को श्राप देने का है।

सूख गया

"मर गया"

Matthew 21:20

x

यीशु अंजीर के वृक्ष के श्राप की व्याख्या करता है।

सूख गया

सूख कर मर गया।

Matthew 21:23

x

धर्मगुरूओं द्वारा यीशु से प्रश्न करने के वृत्तान्त का आरंभ होता है।

Matthew 21:25

x

धर्मगुरूओं द्वारा यीशु से प्रश्न करने का वृत्तान्त चल रहा है।

स्वर्ग की ओर से

"स्वर्ग में परमेश्वर से"

वह हमसे कहेगा

"यीशु हमसे कहेगा"

हमें भीड़ का डर है

"हमें डर है कि भीड़ क्या कहेगी या हमारे साथ क्या करेगी"

वे सब यूहन्ना को भविष्यद्वक्ता मानते हैं

"उनको विश्वास था कि यूहन्ना एक भविष्यद्वक्ता था"

Matthew 21:28

x

यीशु एक दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है।

Matthew 21:31

x

यीशु धर्मगुरूओं को दृष्टान्त द्वारा उत्तर दे रहा है

उन्होंने कहा

"महायाजक और पुरनियों ने कहा"

यीशु ने उनसे कहा

"यीशु ने महायाजकों और पुरनियों से कहा"

यूहन्ना .... तुम्हारे पास आया

"यूहन्ना ने आकर धर्म-गुरूओं और साधारण जनता में प्रचार किया"

धर्म के मार्ग

यूहन्ना ने दिखाया कि मनुष्य परमेश्वर के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाए और जीवन जीए।

Matthew 21:33

x

यीशु एक और वृत्तान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है

एक गृहस्वामी था जिसने दाख की बारी लगाई।

"एक भूस्वामी जिसके पास बहुत बड़ा खेत था"

किसानों को उसका ठेका देकर

"अपनी दाख की बारी किसानों की देखरेख में रखकर वह अब भी उसका स्वामी है।

किसान

जो दाखलता और दाख को संभालना जानते हैं

Matthew 21:35

x

यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है।

दासों को

उस गृहस्वामी के सेवक"

Matthew 21:38

x

यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है।

Matthew 21:40

x

यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है।

उन्होंने उससे कहा

"श्रोताओं ने यीशु को उत्तर दिया"

Matthew 21:42

x

यीशु भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है।

यीशु ने उनसे कहा

"यीशु ने श्रोताओं से कहा"

जिस पत्थर को राज मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया।

वैकल्पिक अनुवाद, "जिस पत्थर को राज मिस्त्रियों ने व्यर्थ कहा था वही सबसे महत्त्वपूर्ण ठहरा" अधिकारी यीशु का परित्याग करेंगे परन्तु परमेश्वर उसे अपने राज्य का सिर बनाएगा।

यह प्रभु की ओर से हुआ

"परमेश्वर ने इस महान परिवर्तन को किया"

Matthew 21:43

x

यीशु उस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है।

मैं तुम से कहता हूँ

यीशु महायाजकों एवं पुरनियों से कह रहा है।

उसका फल लाए

"जो सही है वह करे"

फल

"परमेश्वर के राज्य के फल"

जो इस पत्थर पर गिरेगा।

"जो इस पत्थर से टकराएगा" /रूपक

जिस पर वह गिरेगा

"जिस पर दण्ड आएगा" /रूपक

Matthew 21:45

x

धर्मगुरू यीशु का दृष्टान्त सुनकर प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं।

उसके दृष्टान्त

"यीशु का दृष्टान्त"

पकड़ना चाहा

"बन्दी बनाना चाहा"


Translation Questions

Matthew 21:2

यीशु के कथनानुसार शिष्य सामने के गांव में क्या देखेंगे?

यीशु ने कहा कि वे एक गदही और उसके बच्चे को देखेंगे।

Matthew 21:4

इस घटना की क्या भविष्यद्वाणी थी?

भविष्यद्वाणी के अनुसार राजा गदहे वरन गदहे के बच्चे पर बैठ कर आयेगा।

Matthew 21:8

जन समूह ने यरूशलेम जाते समय यीशु के मार्ग में क्या किया था?

जन समूह ने मार्ग में अपने कपड़े और वृक्षों की टहनियां बिछा दीं।

Matthew 21:9

यीशु के चलते समय जनसमूह क्या चिल्ला रहा था?

जन समूह चिल्लाता था, "दाऊद की सन्तान को होशाना, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना"।

Matthew 21:12

यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर में प्रवेश करने पर यीशु ने क्या किया?

यीशु ने मन्दिर में से लेन-देन करने वालों को निकाल दिया और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचने वालों की चौकियाँ उलट दी।

Matthew 21:13

यीशु के शब्दों में व्यापरियों ने मन्दिर को क्या बना दिया था?

यीशु ने कहा कि व्यापारियों ने परमेश्वर के मन्दिर को डाकूओं की गुफा बना दिया है।

Matthew 21:15

फरीसियों और शास्त्रियों के द्वारा बच्चों के नारे पर आपत्ति उठाने पर यीशु ने उनसे क्या कहा था?

यीशु ने भविष्यद्वक्ता के संदर्भ से उत्तर दिया, बालकों और दूध पीते बच्चों के मुँह से तु ने स्तुति सिद्ध कराई?"

Matthew 21:18

यीशु ने अंजीर के पेड़ के साथ क्या किया और क्यों?

यीशु ने अंजीर के वृक्ष को श्राप दिया और वह सूख गया क्योंकि उसमें फल नहीं लगे थे।

Matthew 21:20

अंजीर के वृक्ष के सूख जाने से यीशु ने अपने शिष्यों को प्रार्थना के बारे क्या सिखाया?

यीशु ने अपने शिष्यों को शिक्षा दी कि यदि वे विश्वास से मांगेंगे तो उन्हें मिलेगा।

Matthew 21:23

यीशु जब शिक्षा दे रहा था तब महायाजकों और पुरनियों ने यीशु से क्या कहा?

महायाजक और पुरनियों ने यीशु से उसका अधिकार जानना चाहा।

Matthew 21:25

यीशु ने प्रतिउत्तर में महायाजकों और पुरनियों से क्या पूछा?

यीशु ने उनसे पूछा कि उनके विचार में यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग से था या मनुष्यों से।

महायाजक और पुरनियें क्यों नहीं कहना चाहते थे कि यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग से था?

वे समझ गए थे कि यीशु उनसे पूछेगा कि वे यूहन्ना पर विश्वास क्यों नहीं करते थे।

Matthew 21:26

महायाजक और पुरनिये यूहन्ना के बपतिस्में को मनुष्य का क्यों नहीं कहना चाहते थे?

वे जनसमूह से डरते थे क्योंकि जनसमूह यूहन्ना को भविष्यद्वक्ता मानता था।

Matthew 21:28

यीशु के दृष्टान्त में किस पुत्र ने पिता की आज्ञा का पालन किया?

पुत्र जिसने कहा है कि वह काम पर नहीं जायेगा और बाद में जाता है।

Matthew 21:31

यीशु ने क्यों कहा कि महसूल लेने वाले और वैश्याएं महायाजकों और शास्त्रियों से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे?

यीशु ने कहा कि वे राज्य में प्रवेश कर रहे हैं क्योंकि वे यूहन्ना में विश्वास रखते थे परन्तु महायाजक और पुरनिये यूहन्ना का विश्वास नहीं करते थे।

Matthew 21:35

दाख की बारी के स्वामी ने अपने दासों को भेजा, अपनी उपज का फल मंगवाया तो किसानों ने क्या किया?

दुष्ट किसानों ने दासों को मारा-पीटा, पत्थरवाह किया और मार डाला।

Matthew 21:37

अन्त में स्वामी ने किसानों के पास किसे भेजा?

स्वामी ने अन्त में अपने पुत्र को भेजा।

Matthew 21:38

किसानों ने इस अन्तिम व्यक्ति के साथ क्या किया जिसे स्वामी ने भेजा था?

किसानों ने स्वामी के पुत्र को मार डाला।

Matthew 21:40

उन्होंने क्या कहा कि स्वामी क्या करेगा?

उन्होंने उत्तर दिया कि स्वामी आयेगा और इन दुष्ट किसानों को नष्ट करके दूसरे किसानों को ठेका देगा।

Matthew 21:42

यीशु ने जिस धर्मशास्त्र का संदर्भ दिया उसमें राज-मिस्त्रियों द्वारा त्यागे गए पत्थर का क्या हुआ?

जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने का पत्थर था।

Matthew 21:43

यीशु ने धर्मशास्त्र का संदर्भ देते हुए कहा कि आगे क्या होगा?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर का राजा महायाजकों और फरीसियों के हाथ से परमेश्वर राज्य ले लिया जायेगा। और उस जाति को दिया जायेगा जो फल लायेगा।

Matthew 21:46

महायाजकों और फरीसियों ने तुरन्त यीशु पर हाथ नहीं डाला, क्यों?

वे जनसमूह से डरते थे क्योंकि लोग यीशु को भविष्यद्वक्ता मानते थे।


Chapter 22

1 इस पर यीशु फिर उनसे दृष्टान्तों में कहने लगा। 2 “स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने पुत्र का विवाह किया। 3 और उसने अपने दासों को भेजा, कि निमंत्रित लोगों को विवाह के भोज में बुलाएँ; परन्तु उन्होंने आना न चाहा। 4 फिर उसने और दासों को यह कहकर भेजा, ‘निमंत्रित लोगों से कहो: देखो, मैं भोज तैयार कर चुका हूँ, और मेरे बैल और पले हुए पशु मारे गए हैं और सब कुछ तैयार है; विवाह के भोज में आओ।’ 5 परन्तु वे उपेक्षा करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को। 6 अन्य लोगों ने जो बच रहे थे उसके दासों को पकड़कर उनका अनादर किया और मार डाला। 7 तब राजा को क्रोध आया, और उसने अपनी सेना भेजकर उन हत्यारों को नाश किया, और उनके नगर को फूँक दिया। 8 तब उसने अपने दासों से कहा, ‘विवाह का भोज तो तैयार है, परन्तु निमंत्रित लोग योग्य न ठहरे। 9 इसलिए चौराहों में जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को विवाह के भोज में बुला लाओ।’ 10 अतः उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे, क्या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठा किया; और विवाह का घर अतिथियों से भर गया।

11 “जब राजा अतिथियों के देखने को भीतर आया; तो उसने वहाँ एक मनुष्य को देखा, जो विवाह का वस्त्र नहीं पहने था*। 12 उसने उससे पूछा, ‘हे मित्र; तू विवाह का वस्त्र पहने बिना यहाँ क्यों आ गया?’ और वह मनुष्य चुप हो गया। 13 तब राजा ने सेवकों से कहा, ‘इसके हाथ-पाँव बाँधकर उसे बाहर अंधियारे में डाल दो, वहाँ रोना, और दाँत पीसना होगा।’ 14 क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत है परन्तु चुने हुए थोड़े हैं।”

15 तब फरीसियों ने जाकर आपस में विचार किया, कि उसको किस प्रकार बातों में फँसाएँ। 16 अतः उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और परमेश्‍वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है, और किसी की परवाह नहीं करता, क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता। 17 इसलिए हमें बता तू क्या समझता है? कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं।” 18 यीशु ने उनकी दुष्टता जानकर कहा, “हे कपटियों, मुझे क्यों परखते हो? 19 कर का सिक्का मुझे दिखाओ।” तब वे उसके पास एक दीनार ले आए। 20 उसने, उनसे पूछा, “यह आकृति और नाम किस का है?” 21 उन्होंने उससे कहा, “कैसर का।” तब उसने उनसे कहा, “जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर को दो।” 22 यह सुनकर उन्होंने अचम्भा किया, और उसे छोड़कर चले गए।

23 उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं उसके पास आए, और उससे पूछा, 24 “हे गुरु, मूसा ने कहा था, कि यदि कोई बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्‍नी को विवाह करके अपने भाई के लिये वंश उत्‍पन्‍न करे। 25 अब हमारे यहाँ सात भाई थे; पहला विवाह करके मर गया; और सन्तान न होने के कारण अपनी पत्‍नी को अपने भाई के लिये छोड़ गया। 26 इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातों तक यही हुआ। 27 सब के बाद वह स्त्री भी मर गई। 28 अतः जी उठने पर वह उन सातों में से किसकी पत्‍नी होगी? क्योंकि वह सब की पत्‍नी हो चुकी थी।” 29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम पवित्रशास्त्र और परमेश्‍वर की सामर्थ्य नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़ गए हो। 30 क्योंकि जी उठने पर विवाह-शादी न होगी; परन्तु वे स्वर्ग में दूतों के समान होंगे। 31 परन्तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्‍वर ने तुम से कहा: 32 ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर हूँ?’ वह तो मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवितों का परमेश्‍वर है।” 33 यह सुनकर लोग उसके उपदेश से चकित हुए।

34 जब फरीसियों ने सुना कि यीशु ने सदूकियों का मुँह बन्द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। 35 और उनमें से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उससे पूछा, 36 “हे गुरु, व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?” 37 उसने उससे कहा, “तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख*। 38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। 39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 40 ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं* का आधार है।”

41 जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उनसे पूछा, 42 “मसीह के विषय में तुम क्या समझते हो? वह किस की सन्तान है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद की।” 43 उसने उनसे पूछा, “तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है? 44 ‘प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा, मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ।’ 45 भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे ठहरा?” 46 उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका। परन्तु उस दिन से किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ।



Matthew 22:1

x

यीशु ने धर्मगुरूओं को विवाह भोज दृष्टान्त सुनाना आरंभ किया।

स्वर्ग का राज्य...के समान है।

देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है

निमंत्रित लोगों को

वैकल्पिक अनुवाद, "राजा के द्वारा आमंत्रित जन"

Matthew 22:4

x

यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

देख

वैकल्पिक अनुवाद, "सुनो" या "देखो" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"

Matthew 22:5

x

यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

वे उपेक्षा करके चल दिए

"आमंत्रित अतिथि

निमन्त्रण का मान नहीं रखा

"उसकी निमन्त्रण को गम्भीरता से नहीं लिया"

Matthew 22:8

x

यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

चौराहे

जहाँ दो रास्ते एक दूसरे को काटते हैं।

विवाह का घर

एक बड़ा कक्ष

Matthew 22:11

x

यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

Matthew 22:13

x

यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

Matthew 22:15

x

यहाँ धर्मगुरूओं द्वारा यीशु को फसाने के प्रयास का वृत्तान्त आरंभ होता है।

उसको किस प्रकार बातों में फसाऍ

"उससे कुछ ऐसा कहलवाऍ जिसे हम उसके विरूद्ध काम में ले पाएं"

हेरोदियों

यहूदी राजा हेरोदेस के कर्मचारी तथा अनुयायी, हेरोदेस को भी साम्राज्य का मित्र था।

तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता है।

"तू कुछ लोगों को विशेष मान प्रदान नहीं करता है" या "तू बड़े लोगों की चिन्ता नहीं करता है"।

Matthew 22:18

x

धर्मगुरू कर देने के संबन्ध में यीशु को फसाने का प्रयास करते हैं।

एक दीनार

रोमी सिक्का जो एक दिन की मज़दूरी था।

Matthew 22:20

x

धर्मगुरू कर देने के संबन्ध में यीशु को फसाने का प्रयास करते हैं।

जो कैसर का है

"जो वस्तुएं कैसर की हैं"

जो परमेश्वर का है।

"जो वस्तुएं परमेश्वर की हैं"

Matthew 22:23

x

यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं।

"हे गुरू,मूसा ने कहा था ....."

वे उससे धर्मशास्त्र में मूसा के लेख के बारे में प्रश्न कर रहे थे। यदि आपकी भाषा में उद्धरण के भीतर उद्धरण देने का प्रावधान नहीं है तो आप परोक्ष वाक्य का उपयोग कर सकते हैं, "मूसा ने कहा है कि यदि कोई पुरूष ...." (देखें:

उसका भाई .... उसकी पत्नी .... भाई

उसका भाई ..... उसकी पत्नी .... उसका भाई मृतक का

Matthew 22:25

x

यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं।

सबके बाद

"जब सब भाई उससे विवाह कर चुके" या "जब सब भाई मर गए"

Matthew 22:29

परमेश्वर की सामर्थ

"परमेश्वर जो कर सकता है" यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं।

Matthew 22:31

x

यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या तुमने यह वचन नहीं पढ़ा .... याकूब।

क्या तुमने यह वचन नही पढ़ा .... याकूब , वैकल्पिक अनुवाद, "मैं जानता हूँ कि तुमने यह वचन पढ़ा है परन्तु तुम समझ नहीं पाए .... याकूब"।

जो परमेश्वर ने तुम से कहा

जो परमेश्वर ने तुम से कहा , वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर ने जो तुमसे कहा" (देखें: : )

परमेश्वर ने तुम से कहा, मैं ... याकूब का परमेश्वर हूँ?

यह उद्धरण में उद्धरण है, "परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह, परमेश्वर, अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर है"

Matthew 22:34

x

धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं।

व्यवस्थापक

मूसा की व्यवस्था को समझने में योग्य फरीसी

Matthew 22:37

x

धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं।

Matthew 22:39

x

धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं।

उसी के समान

उसी आज्ञा के समान .

Matthew 22:41

x

यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न कर रहा है

Matthew 22:43

x

यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न पूछ रहा है

मेरे दाहिने बैठ

मेरे दाहिने बैठ , दाहिनी ओर प्रायः सम्मान का स्थान दर्शाती है।

जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे न कर दूँ

"जब तक कि मैं तेरे बैरियों को जीत न लूं"

Matthew 22:45

x

यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न पूछ रहा है


Translation Questions

Matthew 22:2

राजा के पुत्र के विवाहोत्सव में निमंत्रित जनों ने क्या किया जब सेवक निमंत्रण लेकर आये?

कुछ लोगों ने निमंत्रण को गंभीरता से स्वीकार नहीं किया और अपने अपने काम में लग गए, कुछ लोगों ने राजा के सेवकों को पकड़कर मार डाला।

Matthew 22:7

विवाहोत्सव में आमंत्रित उन पहले लोगों के साथ राजा ने क्या किया?

राजा ने अपनी सेना भेज कर उन हत्यारों का नाश किया और उनके नगर को फूंक दिया।

Matthew 22:9

राजा ने उस विवाहोत्सव में किस-किस को बुलवाया?

तदोपरान्त राजा ने सब भले-बुरे लोगों को भोज में बुलवाया।

Matthew 22:11

एक व्यक्ति विवाह का वस्त्र पहिने बिना भोज में आ गया तो राजा ने उसके साथ क्या किया?

राजा ने उसे बंधक कर बाहरी अन्धकार में फिंकवा दिया।

Matthew 22:15

फरीसी यीशु के साथ क्या करना चाहते थे?

फरीसी यीशु को उसके ही शब्दों में फंसाना चाहते थे।

Matthew 22:17

फरीसियों के चेलों ने यीशु से क्या प्रश्न पूछा?

उन्होंने यीशु से पूछा कि कैसर को कर देना उचित है या नहीं।

Matthew 22:21

यीशु ने फरीसियों के चेलों को क्या उत्तर दिया था?

यीशु ने कहा कैसर का कैसर को दो और परमेश्वर का परमेश्वर को दो।

Matthew 22:23

सदूकी पुनरुत्थान के बारे में क्या मानते थे?

सदूकियों का मानना था कि पुनरुत्थान नहीं है।

Matthew 22:24

सदुकियों की कहानी में उस स्त्री के कितने पति हुए थे?

एक स्त्री के सात पति हुए।

Matthew 22:29

यीशु ने कहा कि सदूकी दो बातें नहीं जानते थे कौन-कौन सी?

यीशु ने कहा कि सदूकी न तो धर्मशास्त्र को जानते थे और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को।

Matthew 22:30

यीशु ने पुनरुत्थान में विवाह के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि पुनरुत्थान में विवाह नहीं होता है।

Matthew 22:32

यीशु ने धर्मशास्त्र से कैसे सिद्ध किया कि पुनरुत्थान है?

यीशु ने धर्मशास्त्र का वह संदर्भ दिया जहां परमेश्वर कहता है कि वह अब्राहम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर है, मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवितों का।

Matthew 22:36

व्यवस्थापक ने यीशु से कौन सा प्रश्न पूछा?

?

Matthew 22:37

यीशु ने कौन सी दो बड़ी आज्ञाएं बताई?

यीशु ने उत्तर दिया, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख और तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।

Matthew 22:42

यीशु ने फरीसियों से कौन सा प्रश्न पूछा?

यीशु ने पूछा मसीह किसका पुत्र है।

फरीसियों ने यीशु को क्या उत्तर दिया था?

फरीसियों ने उत्तर दिया कि मसीह दाऊद का पुत्र है।

Matthew 22:43

यीशु ने फरीसियों से कौन सा दूसरा प्रश्न पूछा?

?

Matthew 22:46

फरीसियों ने यीशु को क्या उत्तर दिया था?

फरीसी यीशु को उत्तर नहीं दे पाए।


Chapter 23

1 तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा, 2 “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं; 3 इसलिए वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्तु उनके जैसा काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। 4 वे एक ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कंधों पर रखते हैं*; परन्तु आप उन्हें अपनी उँगली से भी सरकाना नहीं चाहते। 5 वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं वे अपने तावीजों* को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की झालरों को बढ़ाते हैं। 6 भोज में मुख्य-मुख्य जगहें, और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन, 7 और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी* कहलाना उन्हें भाता है। 8 परन्तु तुम रब्बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है: और तुम सब भाई हो। 9 और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। 10 और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह। 11 जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। 12 जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।

13 “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उसमें प्रवेश करते हो और न उसमें प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। 14 [हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो: इसलिए तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।]

15 “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दुगुना नारकीय बना देते हो।

16 “हे अंधे अगुओं, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बन्ध जाएगा। 17 हे मूर्खों, और अंधों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है? 18 फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बन्ध जाएगा। 19 हे अंधों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? 20 इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी, और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है। 21 और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवालों की भी शपथ खाता है। 22 और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्‍वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।

23 “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों अर्थात् न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते। 24 हे अंधे अगुओं, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊँट को निगल जाते हो।

25 “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर से तो माँजते हो परन्तु वे भीतर अंधेर असंयम से भरे हुए हैं। 26 हे अंधे फरीसी, पहले कटोरे और थाली को भीतर से माँज कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों*।

27 “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम चूना फिरी हुई कब्रों* के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। 28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।

29 “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो। 30 और कहते हो, ‘यदि हम अपने पूर्वजों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उनके सहभागी न होते।’ 31 इससे तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के हत्यारों की सन्तान हो। 32 अतः तुम अपने पूर्वजों के पाप का घड़ा भर दो। 33 हे साँपो, हे करैतों के बच्चों, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे? 34 इसलिए देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानों और शास्त्रियों को भेजता हूँ; और तुम उनमें से कुछ को मार डालोगे, और क्रूस पर चढ़ाओगे; और कुछ को अपनी आराधनालयों में कोड़े मारोगे, और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे। 35 जिससे धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्याह के पुत्र जकर्याह तक, जिसे तुम ने मन्दिर और वेदी के बीच में मार डाला था, जितने धर्मियों का लहू पृथ्वी पर बहाया गया है, वह सब तुम्हारे सिर पर पड़ेगा। 36 मैं तुम से सच कहता हूँ, ये सब बातें इस पीढ़ी के लोगों पर आ पड़ेंगी।

37 “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम! तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्हें पत्थराव करता है, कितनी ही बार मैंने चाहा कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठा कर लूँ, परन्तु तुम ने न चाहा। 38 देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है। 39 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है’ तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।”



Matthew 23:1

x

यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क करता है कि वह धर्मगुरूओं के जैसे न हों।

मूसा की गद्दी पर बैठे हैं

"उनके पास मूसा का अधिकार है" या "उन्हें मूसा की व्यवस्था का अर्थ समझाने का अधिकार है"

जो कुछ

"कुछ भी" या "सब कुछ"

Matthew 23:4

x

यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि वे धर्मगुरूओं के समान न हों।

वे ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है।

वे ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है , "वे तुम पर अनेक नियम लागू करते हैं जिनका पालन करना कठिन है"

स्वयं अपनी उँगली से भी सरकाना नहीं चाहते।

"वह थोड़ी सी भी सहायता करना नहीं चाहते"

ताबीजों

छोटी-छोटी चमड़े की थैलियों में धर्मशास्त्र के पद को रखकर शरीर पर बाँधा जाता था

Matthew 23:6

x

यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि धर्मगुरूओं के समान व्यवहार न करें।

Matthew 23:8

x

यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि वे धर्मगुरूओं के समान न हों।

किसी को अपना पिता न कहना

"पृथ्वी पर किसी को भी पिता न कहना" या "कभी न कहें कि पृथ्वी पर कोई तुम्हारा पिता है"

Matthew 23:11

x

यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि धर्मगुरूओं के समान व्यवहार न करें।

बड़ा हो

"अपने आपको महत्त्वपूर्ण बनाए"

बड़ा बनाएगा

"महत्त्व में ऊंचा उठेगा"

Matthew 23:13

x

यीशु धर्मगुरूओं को पाखंड के कारण उनके विरूद्ध कह रहा है।

न तो स्वयं उसमें प्रवेश करते हो

"तुम परमेश्वर को स्वयं पर अधिकार नहीं करने देता"

तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो

"जिन स्त्रियों के पास सुरक्षा हेतु पुरूष नहीं उन्हें तुम लूटते हो"

नरक पुत्र

"जो व्यक्ति नरक का है" या "जिस व्यक्ति को नरक जाना चाहिए"

Matthew 23:16

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

अंधे अगुवो .... हे मूर्खों

यद्यपि अगुवे शरीर से अंधे नहीं थे, वे समझ नहीं सकते हैं कि वे गलत हैं।

उससे बंध जाएगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "उसने जो प्रतिज्ञा की है उसे करना अनिवार्य है"

कौन बड़ा है, सोना या मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है।

यीशु इस प्रश्न द्वारा फरीसियों को झिड़कता है।

Matthew 23:18

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

हे अंधों

आत्मिक अंधे

कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है?

यीशु इस प्रश्न से उस बात को प्रकट कर रहा है जिसे वे पहले से ही जानते हैं

भेंट

पशु की बलि या परमेश्वर के समक्ष लाया गया आटा जो वेदी पर रखने से पूर्व के हैं, एक बार वेदी पर रख दिए गए तो वे बलि होते हैं।

Matthew 23:20

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

Matthew 23:23

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

हाय।

देखें कि आपने इसका अनुवाद

पोदीने, सौंफ, जीरे

भोजन में स्वाद के लिए काम आने वाले पत्ते और बीज

हे अंधे अगुवों

ये लोग शरीर से तो अंधे नहीं है परन्तु यीशु आत्मिक अंधेपन की तुलना शारीरिक अंधेपन से करता है।

तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊँट को निगल जाते हो।

कम महत्त्व के नियमों के पालन में अत्यधिक सावधान रहना और अधिक महत्त्वपूर्ण नियमों को अनेदखा करना ऐसी मूर्खता है कि जैसे सबसे छोटे अशुद्ध पशु का मॉस खा लेना चाहे वह जानबूझ कर हो या अनजाने में हो। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम उस मूर्ख के समान हो जो अपने पेय पदार्थ में गिरनेवाले कीट को तो सावधानीपूर्वक निकाल देता है, परन्तु ऊँट को निगल जाता है"। (देखें: और )

मच्छर को तो छान देते हो

कपड़ा लगाकर पीते हो कि मच्छर मुँह में न चला जाए।

मच्छर

एक छोटा उड़ने वाला कीट

Matthew 23:25

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

हाय।

देखें इसका अनुवाद में कैसे किया गया है।

तुम कटोरे और थाली के ऊपर से मांझते हो।

"शास्त्री" और "फरीसी" बाहर से बड़े पवित्र दिखाई देते हैं।

भीतर अंधेरे और असंयम से भरे हुए हो

"वे लोगों से उनकी वस्तुएं बलपूर्वक छीन लेते हैं कि उनके पास आवश्यकता से अधिक हो जाए।"

हे अंधे फरीसी

फरीसी सत्य को नहीं समझते। वे आँखों से तो अंधे नहीं हैं।

पहले कटोरे और थाली के भीतर से मांझ कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों।

उनके मन परमेश्वर के साथ उचित संबन्ध में होंगे तो उनके जीवन से प्रकट होगा।

Matthew 23:27

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

Matthew 23:29

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

Matthew 23:32

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

तुम अपने बाप-दादों के पाप का घड़ा पूरी तरह भर दो

"तुम अपने पूर्वजों के द्वारा आरंभ किए गए पाप को पूरा करते हो।"

हे साँपों, हे करैतों

"तुम खतरनाक एवं विषैले सर्पों के जैसे हो"

तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे?

"नरक के दण्ड से बचने का तुम्हारे लिए कोई मार्ग नहीं है"

Matthew 23:34

x

यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है।

धर्मी हाबिल से लेकर .... जकरयाह तक

हाबिल हत्या का पहला शिकार था और ऐसा माना जाता है कि मन्दिर में घात किया जाने वाला जकरयाह अन्तिम था।

जकरयाह

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का पिता नहीं

Matthew 23:37

x

यीशु कहता है कि यरूशलेमवासियों द्वारा उसके परित्याग के कारण वह दुःखी है।

हे यरूशलेम, हे यरूशलेम।

हे यरूशलेम, हे यरूशलेम यीशु यरूशलेमवासियों को नगर के नाम से संबोधित करता है (देखें: और )

तेरे बालकों को

संपूर्ण इस्राएल को

तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जाता है

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर तुम्हारे घर को त्याग देगा और वह उजड़ा पड़ा रहेगा"। (देखेः )

तुम्हारा घर

संभावित अर्थः (1) यरूशलेम नगर (देखें यू.डी.बी.) या (2) मन्दिर (देखेः )


Translation Questions

Matthew 23:2

क्योंकि शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे थे तो यीशु ने लोगों को क्या परामर्श दिया था?

यीशु ने लोगों से कहा कि शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठकर जो कहते हैं उसका वे पालन करें।

Matthew 23:3

शास्त्रियों और फरीसियों के से काम करने को यीशु ने लोगों को क्यों मना किया?

यीशु ने कहा कि वे उनके से काम न करें क्योंकि वे कहते तो हैं परन्तु स्वयं करते नहीं।

Matthew 23:5

शास्त्री और फरीसी अपने काम क्यों करते थे?

शास्त्रियों और फरीसियों ने दिखाने के लिए ही सब काम किए थे।

Matthew 23:8

यीशु ने किसे हमारा एकमात्र पिता और गुरु कहा है?

यीशु ने कहा कि हमारा एकमात्र पिता स्वर्ग में है और एकमात्र गुरु मसीह है।

Matthew 23:12

परमेश्वर अभिमानी का और दीन जन का क्या करेगा?

परमेश्वर बड़े को छोटा करता है और छोटे को बड़ा बनाता है।

Matthew 23:13

यीशु शास्त्रियों और फरीसियों को बार-बार क्या कहता था जिससे उनका स्वभाव प्रकट होता था?

यीशु बार-बार शास्त्रियों और फरीसियों को पाखंडी कहता था।

Matthew 23:15

शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा किसी को अपने मत में लाने पर क्या होता था?

शास्त्री और फरीसी जब किसी को अपने धर्म में लाते थे तब वे उसे अपने समान नरक की दोगुणा सन्तान बनाते थे।

Matthew 23:16

शपथ खाकर बंध जाने के बारे में यीशु ने शास्त्रियों और फरीसियों की शिक्षा को क्या कहा था?

यीशु ने शास्त्रियों और फरीसियों को अंधे अगुवे और मूर्ख एवं अन्धे कहा था।

Matthew 23:23

उन्होंने पोदीने सौंफ और जीरे का दसवां अंश बो दिया परन्तु शास्त्री और फरीसी किस बात से चूक गए?

शास्त्रियों और फरीसियों ने व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण बातों को करने में चूक की थी, न्याय, दया और विश्वास।

Matthew 23:25

शास्त्री और फरीसी क्या साफ करने से चूक गए थे?

शास्त्री और फरीसी कटोरे को भीतर से साफ करने में चूक गए थे कि बाहरी भाग भी साफ ही रहता।

शास्त्री और फरीसी भीतर किन बातों से भरे हुए थे?

शास्त्री और फरीसी भीतर से अन्धेर, असंयम, पाखंड और अधर्म से भरे थे।

Matthew 23:29

शास्त्रियों और फरीसियों ने परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं के साथ क्या किया था?

शास्त्रियों और फरीसियों के पूर्वजों ने परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं को मारा था।

Matthew 23:33

शास्त्री और फरीसी कैसा दण्ड पायेंगे?

शास्त्री और फरीसी नरक का दण्ड भोगेंगे।

Matthew 23:34

यीशु ने क्या कहा कि वे शास्त्री और फरीसी भविष्यद्वक्ताओं, बुद्धिमानों और शास्त्रियों के साथ जिन्हें वह भेजेगा, क्या करेंगे?

यीशु ने कहा कि वे परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं में से कुछ को मार डालेंगे, क्रूस पर चढ़ायेंगे आराधनालय में कोड़े मारेंगे, एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ेगे।

Matthew 23:35

उनके दुर्व्यवहार के कारण शास्त्रियों और फरीसियों के सिर पर क्या पड़ेगा?

जितने धर्मियों का लहू पृथ्वी पर बहाया गया शास्त्रियों और फरीसियों के सिर पर पड़ेगा।

Matthew 23:36

यीशु के कथनानुसार किस पीढ़ी पर यह सब आ पड़ेगा?

यीशु ने कहा कि उनकी पीढ़ी पर यह सब कुछ आ पड़ेगा।

Matthew 23:37

यरूशलेम की सन्तान के लिए यीशु ने क्या चाहा परन्तु वह क्यों नहीं हुआ?

यीशु ने कहा कि वह यरूशलेम की सन्तान को एकत्र करना चाहता था परन्तु वे तैयार नहीं हुए।

Matthew 23:38

यरूशलेम का घर अब कैसे छोड़ा जाएगा?

यरूशलेम का घर उस उजाड़ में छोड़ा जाता है।


Chapter 24

1 जब यीशु मन्दिर से निकलकर जा रहा था, तो उसके चेले उसको मन्दिर की रचना दिखाने के लिये उसके पास आए। 2 उसने उनसे कहा, “क्या तुम यह सब नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूँ, यहाँ पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।”

3 और जब वह जैतून पहाड़* पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, “हम से कह कि ये बातें कब होंगी? और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” 4 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “सावधान रहो! कोई तुम्हें न बहकाने पाए। 5 क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, ‘मैं मसीह हूँ’, और बहुतों को बहका देंगे। 6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इनका होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। 7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह-जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। 8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ* होंगी। 9 तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएँगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। 10 तब बहुत सारे ठोकर खाएँगे, और एक दूसरे को पकड़वाएँगे और एक दूसरे से बैर रखेंगे। 11 बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को बहकाएँगे। 12 और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। 13 परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। 14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार* किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।

15 “इसलिए जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जिसकी चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्रस्‍थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे)। 16 तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएँ। 17 जो छत पर हो, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे। 18 और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे।

19 “उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय। 20 और प्रार्थना करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े। 21 क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। 22 और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएँगे। 23 उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहाँ हैं! या वहाँ है! तो विश्वास न करना।

24 “क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएँगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी बहका दें। 25 देखो, मैंने पहले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है। 26 इसलिए यदि वे तुम से कहें, ‘देखो, वह जंगल में है’, तो बाहर न निकल जाना; ‘देखो, वह कोठरियों में हैं’, तो विश्वास न करना।

27 “क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। 28 जहाँ लाश हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे।

29 “उन दिनों के क्लेश के बाद तुरन्त सूर्य अंधियारा हो जाएगा, और चाँद का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी। 30 तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे। 31 और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे।

32 “अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है। 33 इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, वरन् द्वार पर है। 34 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का अन्त नहीं होगा। 35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्‍द कभी न टलेंगी।

36 “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूतों, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। 37 जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 38 क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह-शादी होती थी। 39 और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 40 उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। 41 दो स्त्रियाँ चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। 42 इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। 43 परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में चोरी नहीं होने देता। 44 इसलिए तुम भी तैयार रहो*, क्योंकि जिस समय के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी समय मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।

45 “अतः वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर-चाकरों पर सरदार ठहराया, कि समय पर उन्हें भोजन दे? 46 धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। 47 मैं तुम से सच कहता हूँ; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराएगा। 48 परन्तु यदि वह दुष्ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्वामी के आने में देर है। 49 और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खाए-पीए। 50 तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा, और ऐसी घड़ी कि जिसे वह न जानता हो, 51 और उसे कठोर दण्ड देकर, उसका भाग कपटियों के साथ ठहराएगा: वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।



Matthew 24:1

x

यीशु अब अपने शिष्यों के साथ उसके पुनः आगमन की घटनाओं की चर्चा आरंभ करता है।

तुम यह सब देख रहे हो न!

संभावित अर्थः (1) यीशु मन्दिर के बारे में कह रहा है (वैकल्पिक अनुवाद, "इन इमारतों के बारे में मैं तुमसे कहता हूँ") या (2) यीशु अभी-अभी व्यक्त किए गए विनाश के संदर्भ में कह रहा है। ("तुम्हें समझ लेना था कि मैंने अभी-अभी तुम से क्या कहा था, परन्तु तुम नहीं समझे!") (देखेः )

Matthew 24:3

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

सावधान रहो कि कोई तुम्हें न भरमाने पाए।

"सावधान रहना कि कोई तुम्हें इन बातों के बारे में झूठ न कहे"।

Matthew 24:6

x

यीशु अपने शिष्यों से अन्त समय संबन्धित घटनाओं की चर्चा करता है।

घबरा न जाना

"ये घटनाएं तुम्हें परेशान न कर दें"

Matthew 24:9

x

यीशु शिष्यों से अन्त समय संबन्धित घटनाओं की ही चर्चा कर रहा है।

तुम्हें पकड़वाएंगे

तुम्हें पकड़वाएंगे "जो तुम्हें सताना चाहते है वे तुम्हें बन्दी बनवाएंगे"

पकड़वाएं

इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है।

Matthew 24:12

x

यीशु अपने शिष्यों से अन्त समय की घटनाओं की ही चर्चा कर रहा है।

बहुतों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा।

संभावित अर्थः (1) "लोग आपस में प्रेम नहीं रखेंगे" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "अधिकांश जन परमेश्वर से प्रेम नहीं रखेंगे"।

सब जातियों पर

वैकल्पिक अनुवाद, "सब जगहों में सब लोग"

Matthew 24:15

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

जिसकी चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी

वैकल्पिक अनुवाद, "जिसके बारे में भविष्यद्वक्ता दानिय्येल ने लिखा है"।

Matthew 24:19

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

जो गर्भवती

जो गर्भवती "गर्भवती स्त्रियाँ"

जाड़े में

"शीत ऋतु"

प्राणी

लोग

Matthew 24:23

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

तो विश्वास न करना

"उनकी झूठी बातों पर विश्वास नहीं करना"

Matthew 24:26

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।

उसका आगमन बड़ी तेजी से होगा और सब उसे देखेंगे।

जहाँ लोथ हो वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।

संभावित अर्थः (1) जब मनुष्य का पुत्र आयेगा तब सब उसे देखेंगे और जान लेंगे कि वह आ गया है। (देखें यू.डी.बी.) या (2) जहाँ आत्मिकता में मृतक हो, झूठे भविष्यद्वक्ता वहाँ अवश्य होंगे कि उन्हें झूठी बातें सुनाएँ (देखें

गिद्ध

मृतक मनुष्यों या जानवरों को खाने वाले बड़े पक्षी।

Matthew 24:29

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

शीघ्र ही

"तत्काल ही"

उन दिनों

में चर्चित दिन

सूर्य अन्धियारा हो जाएगा

"परमेश्वर सूर्य को अन्धेरा कर देगा।" (देखें: Active/Passive)

आकाश की शक्तियाँ हिलाई जायेंगी।

आकाश की शक्तियाँ हिलाई जायेंगी ।"परमेश्वर आकाश और उसके परे उथल-पुथल करेगा"।(देखें: Active/Passive)

Matthew 24:30

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

छाती पीटेंगे

वे आनेवाले दण्ड के भय से छाती पीटेंगे।

इकट्ठा करेंगे।

"उसके स्वर्गदूत चुने हुओं को एकत्र करेंगे"।

उसके चुने हुओं को

जिन्हें मनुष्य के पुत्र ने चुना है।

चारों दिशाओं से

वैकल्पिक अनुवाद, "पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण से" (देखें यू.डी.बी.) या "सब जगहों से" (देखें: )

Matthew 24:32

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

प्रवेश द्वारा के निकट है

आक्रमण करने वाली सेना के समान जो नगर में प्रवेश करने ही वाली है

Matthew 24:34

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

इस पीढ़ी का अन्त नहीं होगा।

"जो लोग इस समय हैं उनके मर जाने तक"

जब तक ये सब बातें पूरी न हों।

वैकल्पिक अनुवाद, "जब तक परमेश्वर यह सब न कर दे"

आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे।

"आकाश और पृथ्वी भले ही न रहें"

Matthew 24:36

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

न पुत्र

"पुत्र भी नहीं"

Matthew 24:37

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

जैसे नूह के दिन थे वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "जिस दिन मनुष्य के पुत्र पुन: आयेगा वह दिन ऐसा समय होगा जैसा नूह के दिनों में था" क्योंकि कोई नहीं जानता था कि विनाश आनेवाला है।

जैसे जल प्रलय से पहिले के दिनों में, ... लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह-शादी होती थी। और जब तक जल प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया... वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य के पुत्र के आने से पूर्व का समय वैसा ही होगा जैसा जल प्रलय से पूर्व का समय था जब सब खाते-पीते थे... सबको बहा न ले गया"।

Matthew 24:40

x

यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है।

तब

जब मनुष्य का पुत्र आएगा

एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।

संभावित अर्थ, (1) परमेश्वर एक को स्वर्ग ले जाएगा और दूसरे को दण्ड के लिए पृथ्वी पर छोड़ देगा। (देखें यू.डी.बी.) या (2) स्वर्गदूत एक को दण्ड के लिए ले जायेंगे और दूसरे को आशिष के लिए रख देंगे। .

चक्की पीसती

गेहूँ पीसने का साधन

इसलिए

"मैंने जो कहा है, इस कारण"

जागते रहो

"ध्यान दो"

Matthew 24:43

x

यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है कि उसके पुनः आगमन के लिए कैसे तैयार रहें।

चोर

यीशु के कहने का अर्थ है कि वह अचानक ही आयेगा, चोरी करने नहीं।

तो जागता रहता

"वह अपने घर की चौकसी करता" कि सुरक्षित रहे।

घर में सेंध लगने न देता

"वह चोरी के लिए किसी को भी घर में घुसने नहीं देता"।

Matthew 24:45

x

यीशु अपने शिष्यों को पुनः आगमन की तैयारी ही की शिक्षा दे रहा है।

अतः वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक कौन है?

वैकल्पिक अनुवाद, "विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक कौन है? जिसे स्वामी ने.... "

उन्हें भोजन दे

"अपने स्वामी के कुटुम्ब के सदस्यों को भोजन दे"।

Matthew 24:48

x

यीशु अपने शिष्यों को पुनः आगमन की तैयारी ही की शिक्षा दे रहा है।

सोचने लगे

सोचने लगे "अपने मन में विचार करे"

भाग... ठहराएगा

"उसके साथ व्यवहार करेगा"


Translation Questions

Matthew 24:2

यरूशलेम के मन्दिर के बारे में यीशु ने क्या भविष्यद्वाणी की थी?

यीशु ने भविष्यद्वाणी की थी कि मन्दिर का पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा जो ढाया न जायेगा।

Matthew 24:3

मन्दिर के बारे में भविष्यवाणी सुनकर चेलों ने यीशु से क्या पूछा?

चेलों ने यीशु से पूछा कि ऐसा कब होगा और उसके पुनःआगमन तथा संसार के अन्त के चिन्ह क्या होंगे।

Matthew 24:5

यीशु ने कैसे लोगों के लिए कहा कि वे आकर अनेकों को भरमाएंगे?

यीशु ने कहा कि अनेक जन स्वयं को मसीह कहते हुए आएंगे और बहुतों को भरमाएंगे।

Matthew 24:6

??

यीशु ने पीड़ाओं के आरंभ की कौन सी घटनाएं बताई थी।

Matthew 24:9

उस समय विश्वासियों की जो दशा होगी इसका वर्णन यीशु ने क्या किया था?

यीशु ने कहा कि विश्वासी क्लेश भोगेंगे, कुछ विश्वासी ठोकर खाकर एक दूसरे से विश्वासघात करेंगे और बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाएगा।

Matthew 24:13

यीशु ने किसके उद्धार का संकेत दिया था?

यीशु ने कहा कि जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा।

Matthew 24:14

अन्त से पूर्व सुसमाचार का क्या होगा?

अन्त से पूर्व सुसमाचार संपूर्ण संसार में सुना दिया जायेगा।

Matthew 24:15

पवित्र स्थल में घृणित वस्तु देख यीशु की चेतावनी के अनुसार विश्वासियों को क्या करना होगा[24:15]?

यीशु ने कहा कि विश्वासी पहाड़ों में भाग जायेंगे।

Matthew 24:21

उस समय क्लेश कैसा महान होगा?

उस समय क्लेश ऐसा होगा, जैसे जगत के आरंभ से कभी नहीं हुआ है।

Matthew 24:24

झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता मनुष्यों को कैसे भरमाएंगे?

झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता मनुष्यों को भरमाने के लिए बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार दिखायेंगे।

Matthew 24:27

मनुष्य के पुत्र का आगमन कैसे दिखाई देगा?

मनुष्य के पुत्र का आगमन ऐसा होगा जैसे पूर्व से पश्चिम तक बिजली चमकती है।

Matthew 24:29

उन दिनों के महाक्लेश के बाद सूर्य, चांद और तारों का क्या होगा?

सूर्य और चांद अन्धियारा हो जायेंगे और आकाश से तारे गिरेंगे।

Matthew 24:30

जब पृथ्वी के सब कुलों के लोग मनुष्य के पुत्र का सामर्थ्य और महान महिमा में आते देखेंगे तब वे क्या करेंगे?

उस समय पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे।

Matthew 24:31

जब मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा कि चुने हुओं को एकत्र करें तब कैसी आवाज सुनाई देगी?

जब स्वर्गदूत चुने हुओं को एकत्र करेंगे तब तुरही की तीव्र ध्वनि सुनाई देगी।

Matthew 24:34

इन सब घटनाओं के होने तक यीशु ने किसके लिए कहा कि वह समाप्त नहीं होगी?

यीशु ने कहा कि यह सब घटनाएं होने तक वह पीढ़ी समाप्त नहीं होगी।

Matthew 24:35

यीशु ने किसके लिए कहा कि वह टल जाएंगे और क्या नहीं टलेगा?

यीशु ने कहा कि स्वर्ग और पृथ्वी टल जाएंगे परन्तु उसका वचन नहीं टलेगा।

Matthew 24:36

यह घटनाएं कब होंगी, कौन जानता है?

केवल पिता परमेश्वर जानता है कि ऐसा कब होगा।

Matthew 24:37

मनुष्य के पुत्र का आगमन जलप्रलय के पूर्व नूह के दिनों के सदृश्य कैसे होगा?

मनुष्य पीते-खाते होंगे, आनन्द मनाते होंगे और विवाह करते होंगे और आने वाले न्याय के बारे में अज्ञात होंगे कि अकस्मात ही वह आ जायेगा।

Matthew 24:42

यीशु के आगमन के बारे में उसके विश्वासियों को कैसा व्यवहार रखना है और क्यों?

यीशु ने कहा कि उसके विश्वासियों को सदा तैयार रहना है क्योंकि वे नहीं जानते यीशु किस दिन आ जायेगा।

Matthew 24:45

स्वामी की अनुपस्थिति में एक विश्वासयोग्य एवं बुद्धिमान दास क्या करता है?

एक विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास स्वामी के अनुपस्थिति में उसके घर की निष्ठापूर्वक देखरेख करता है।

Matthew 24:47

लौट आने पर स्वामी अपने विश्वासयोग्य एवं बुद्धिमान दास के साथ क्या करेगा?

लौट आने पर स्वामी इस विश्वासयोग्य एवं बुद्धिमान इसको अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहरायेगा।

Matthew 24:48

स्वामी की अनुपस्थिति में दुष्ट दास क्या करता है?

दुष्ट दास अपने स्वामी की अनुपस्थिति में अपने साथी दासों को पीटता है और पियक्कड़ों के साथ खाता पीता है।

Matthew 24:51

स्वामी लौटने पर उस दुष्ट दास के साथ क्या करेगा?

उसका स्वामी उसे भारी ताड़ना देगा और उसे वहाँ डाल देगा जहां रोना और दांतों का पीसना होगा।


Chapter 25

1 “तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। 2 उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। 3 मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया। 4 परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। 5 जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब उँघने लगीं, और सो गई।

6 “आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उससे भेंट करने के लिये चलो। 7 तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। 8 और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं।’ 9 परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कही हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो। 10 जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया। 11 इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।’ 12 उसने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता। 13 इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस समय को।

14 “क्योंकि यह उस मनुष्य के समान दशा है जिसने परदेश को जाते समय अपने दासों को बुलाकर अपनी संपत्ति उनको सौंप दी। 15 उसने एक को पाँच तोड़, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्थात् हर एक को उसकी सामर्थ्य के अनुसार दिया, और तब परदेश चला गया। 16 तब, जिसको पाँच तोड़े मिले थे, उसने तुरन्त जाकर उनसे लेन-देन किया, और पाँच तोड़े और कमाए। 17 इसी रीति से जिसको दो मिले थे, उसने भी दो और कमाए। 18 परन्तु जिसको एक मिला था, उसने जाकर मिट्टी खोदी, और अपने स्वामी का धन छिपा दिए।

19 “बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्वामी आकर उनसे लेखा लेने लगा। 20 जिसको पाँच तोड़े मिले थे, उसने पाँच तोड़े और लाकर कहा, ‘हे स्वामी, तूने मुझे पाँच तोड़े सौंपे थे, देख मैंने पाँच तोड़े और कमाए हैं।’ 21 उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊँगा। अपने स्वामी के आनन्द में सहभागी हो।’

22 “और जिसको दो तोड़े मिले थे, उसने भी आकर कहा, ‘हे स्वामी तूने मुझे दो तोड़े सौंपें थे, देख, मैंने दो तोड़े और कमाए।’ 23 उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊँगा अपने स्वामी के आनन्द में सहभागी हो।’

24 “तब जिसको एक तोड़ा मिला था, उसने आकर कहा, ‘हे स्वामी, मैं तुझे जानता था, कि तू कठोर मनुष्य है: तू जहाँ कहीं नहीं बोता वहाँ काटता है, और जहाँ नहीं छींटता वहाँ से बटोरता है।’ 25 इसलिए मैं डर गया और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया; देख, ‘जो तेरा है, वह यह है।’ 26 उसके स्वामी ने उसे उत्तर दिया, कि हे दुष्ट और आलसी दास; जब तू यह जानता था, कि जहाँ मैंने नहीं बोया वहाँ से काटता हूँ; और जहाँ मैंने नहीं छींटा वहाँ से बटोरता हूँ। 27 तो तुझे चाहिए था, कि मेरा धन सर्राफों को दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता। 28 इसलिए वह तोड़ा उससे ले लो, और जिसके पास दस तोड़े हैं, उसको दे दो। 29 क्योंकि जिस किसी के पास है, उसे और दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा: परन्तु जिसके पास नहीं है, उससे वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। 30 और इस निकम्मे दास को बाहर के अंधेरे में डाल दो, जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।

31 “जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएँगे तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। 32 और सब जातियाँ उसके सामने इकट्ठी की जाएँगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। 33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकरियों को बाईं ओर खड़ी करेगा*। 34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है। 35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया; 36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, तुम मुझसे मिलने आए।’

37 “तब धर्मी उसको उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हमने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पानी पिलाया? 38 हमने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहनाए? 39 हमने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए?’ 40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से* किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’ 41 “तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे श्रापित लोगों, मेरे सामने से उस अनन्त आग* में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। 42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया; 43 मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहनाए; बीमार और बन्दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली।’

44 “तब वे उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हमने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की?’ 45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।’ 46 और ये अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”



Matthew 25:1

x

यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियाँ का दृष्टान्त सुनाता है।

मशालें

मशालें , (1) बत्तियाँ (यू.डी.बी.) या (2) लकड़ी की छोर पर कपड़ा लपेट कर तेल में तर करके जलाई जानेवाली बत्ती।

उनमें से पांच

उनमें से पाँच "पाँच कुवारियाँ"

अपने साथ तेल नहीं लिया।

"उसके पास केवल मशालों में ही तेल था"

Matthew 25:5

x

यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों ही का दृष्टान्त सुना रहा है।

वे सब ऊँघने लगीं

"दसों कुवारियां सोने लगी।"

Matthew 25:7

x

यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों ही का दृष्टान्त सुना रहा है।

मशालें ठीक करने लगी

मशालें ठीक करने लगी "जलाने के लिए अपनी मशालों को ठीक किया कि अधिक प्रकाश दें"

मूर्खों ने समझदारों से कहा

"मूर्ख कुंवारियों ने बुद्धिमान कुंवारियों से कहा"

हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।

"हमारी मशालें पूरी रोशनी नहीं दे रही हैं"

Matthew 25:10

x

यीशु अपने शिष्यों को बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

जा रही थी

"पाँच मूर्ख कुंवारियां जब तेल लेने जा रही थी"

जो तैयार थी

"जिनके पास पूरा तेल था"

द्वार बन्द किया गया

वैकल्पिक अनुवाद, "किसी ने द्वार बन्द कर दिया"

हमारे लिए द्वार खोल दे

"द्वार खोल दे कि हम भीतर आ जाएँ"

मैं तुम्हें नहीं जानता

"मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो"

Matthew 25:14

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का दृष्टान्त सुनाता है।

की सी दशा है

"स्वर्ग का राज्य उसके समान है"

जाते समय

"जाने के लिए तैयार था" या "शीघ्र ही जाने वाला था"

अपनी सम्पत्ति उनको सौंप दी

"उन्हें अपनी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया"

अपनी सम्पत्ति

"अपनी सम्पदा"

पाँच तोड़े

एक "तोड़ा" लगभग बीस वर्ष की मजदूरी थी। इसे आज की मुद्रा में अनुवाद न करें। यह दृष्टान्त पांच, दो और एक की आपेक्षिक तुलना का है तथा बड़ी सम्पदा का। (देखें यू.डी.बी."सोने के पांच बोरे") )

तब परदेश चला गया।

"वह स्वामी यात्रा पर निकल गया"

पाँच तोड़े और कमाए

"पाँच तोड़े और कर लिए"

Matthew 25:17

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

दो और कमाए

"दो तोड़े और कमाए"

Matthew 25:19

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

मैंने पांच तोड़े और कमाए।

"मैंने पाँच और कर लिए"।

तोड़े

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

धन्य है

धन्य है - "तूने अच्छा किया है" या "तूने सही काम किया है"। आपकी भाषा में प्रावधान होगा कि किसी स्वामी (या अधिकारी) द्वारा सेवक (या कनिष्ठ कर्मी) के काम की सराहना को व्यक्त कैसे करें।

Matthew 25:22

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

मैंने .... और कमाए

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

धन्य ...... आपने स्वामी के आनन्द

देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है

Matthew 25:24

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

तू जहाँ कहीं बोता वहाँ काटता है और जहाँ नहीं छोड़ता वहाँ से बटोरता है।

वैकल्पिक अनुवाद, "तू उस खेत से फल बटोरता है जहाँ तूने पैसा देकर बीज डलवाया है"।

छींटता

छींटता , उस युग में वे उपकरणों द्वारा बीज डालने की अपेक्षा बीजों को बिखेर दिया करते थे।

जो तेरा है वह यह है

"देख तूने जो दिया था वह यह है"।

Matthew 25:26

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

दुष्ट और आलसी दास

"तू एक दुष्ट सेवक है जो परिश्रम करना नहीं चाहता है"।

जहाँ मैंने नहीं बोया वहाँ से काटता हूँ, और जहाँ मैंने नहीं छींटा वहाँ से बटोरता हूँ।

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

अपना धन ब्याज समेत ले लेता।

"अपना सोना ले लेता"

ब्याज

ब्याज , स्वामी के पैसों को काम में लेने का अतिरिक्त भुगतान

Matthew 25:28

x

यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है।

बहुत हो जायेगा

"कहीं अधिक हो जायेगा"।

जहाँ रोना और दांत पीसना होगा।

"जहाँ मनुष्य रोता रहेगा और दांत पीसता रहेगा"

Matthew 25:31

x

यीशु अब अपने शिष्यों को बताना आरंभ करता है कि अन्त समय में वह कैसे न्याय करेगा।

सब जातियां उसके सामने इकट्ठा की जायेंगी

वैकल्पिक अनुवाद, "वह सब जातिया को एकत्र करेगा।"

उसके सामने

"उसके समक्ष"

सब जातियों पर

सब जातियाँ , "हर एक देश के लोग"

बकरियों

बकरियाँ भी भेड़ों के जैसी ही होती है, उन्हें भी भेड़ों के समान पाला जाता है।

खड़ा करेगा

"मनुष्य का पुत्र उन्हें खड़ा करेगा"।

Matthew 25:34

x

यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा।

राजा

राजा "मनुष्य का पुत्र"

दाहिनी ओर वालों से

"भेड़ों से"

हे मेरे पिता के धन्य लोगों आओ

वैकल्पिक अनुवाद, "आओ, तुम्हें मेरे पिता ने आशिषित किया है"

उस राज्य के अधिकारी हो जाओ

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर ने तुम्हारे लिए जो राज्य तैयार किया है उसके अधिकारी हो जाओ"

Matthew 25:37

x

यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा

राजा

"परमेश्वर का पुत्र"

उनसे कहेगा।

"उसके दाहिनी ओर वालों से कहेगा"

भाइयों

यदि आपकी भाषा में स्त्री-पुरूष दोनों के लिए एक शब्द है तो यहाँ काम में लें।

वह मेरे ही साथ किया

"मैं उसे मेरी ही सेवा मानता हूँ"।

Matthew 25:41

x

यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा।

हे श्रापित लोगों

"तुम, जिन्हें परमेश्वर ने श्राप दिया है"

अनन्तः भाग .... तैयार की गई है।

वैकल्पिक अनुवादः "अनन्त भाग जो परमेश्वर ने तैयार किया है"।

उसके दूतों के लिए

उसके सहायकों के लिए

तुमने मुझे कपड़े नहीं पहनाए

"तुमने मुझे पहनने के लिए कपड़े नहीं दिए"

बीमार और बन्दीगृह में था

"मैं बीमार था और बन्दीगृह में था"

Matthew 25:44

x

यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा।

वे उत्तर देंगे।

"जो उसक बाई ओर हैं "वे भी कहेंगे" (देखें

इन छोटे से छोटों

"मेरे लोगों में सबसे कम महत्त्व के जन के साथ"

मेरे साथ भी नहीं किया

"मैं यही मानता हूँ कि तुमने मेरे साथ नहीं किया" या "जिसकी तुमने सहायता नहीं की वह वास्तव में मैं ही था"

अनन्त दण्ड

"दण्ड जिसका कभी अन्त नहीं होगा"।

धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे

"धर्मी जन अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे"


Translation Questions

Matthew 25:3

दूल्हे से भेंट करने निकली मूर्ख कुंवारियों ने क्या नहीं किया था?

मूर्ख कुंवारियों ने अपनी मशालों के लिए तेल साथ नहीं लिया था।

Matthew 25:4

दूल्हे से भेंट करने जाते समय बुद्धिमान कुंवारियों ने क्या किया?

बुद्धिमान कुंवारियों ने अपने साथ तेल का पात्र भी ले लिया था।

Matthew 25:5

दूल्हा कब आया, क्या वह समय अपेक्षित था?

दूल्हे ने विलम्ब कर दिया और उसका आगमन मध्य रात्रि हुआ।

Matthew 25:8

दूल्हे के आने पर मूर्ख कुंवारियों के साथ क्या हुआ?

मूर्ख कुंवारियां तेल खरीदने गई और जब लौटकर आई तक भोजन कक्ष का द्वार बन्द हो चुका था।

Matthew 25:10

दूल्हे के आने पर बुद्धिमान कुंवारियों के साथ क्या हुआ?

बुद्धिमान कुंवारियां विवाह भोज में दुल्हे के साथ प्रवेश कर गई।

Matthew 25:13

कुंवारियों के दृष्टान्त से यीशु विश्वासियों को क्या सिखाना चाहता है?

यीशु ने कहा कि विश्वासियों को सतर्क रहना है, क्योंकि वे न उस दिन को जानते हैं न उस समय को।

Matthew 25:16

स्वामी जब यात्रा पर गया हुआ था तब इन दोनों दासों ने जिनके पास पांच और दो तोड़े थे क्या किया?

जिस दास के पास पांच तोड़े थे उसने पांच और कमाए और जिसके पास दो थे उसने दो और कमाएं।

Matthew 25:18

जब वह स्वामी यात्रा पर चला गया तब उस दास ने अपने एक तोड़े का क्या किया?

जिस दास को एक तोड़ा दिया गया था उसने उसे जमीन में दबा कर रख दिया।

Matthew 25:19

स्वामी अपनी यात्रा पर कितने समय रहा?

उनका स्वामी लम्बे समय तक बाहर रहा।

Matthew 25:20

??

जब स्वामी लौटकर आया तब उसने उन दोनों दासों के साथ क्या किया जिन्हें उसने पांच और दो तोड़े दिए थे।

Matthew 25:24

जब स्वामी लौटकर आया तब उसने उस दास के साथ कैसा व्यवहार किया जिसे उसने एक तोड़ा दिया था?

स्वामी ने उससे कहा, "हे दुष्ट और आलसी सेवक", उससे वह एक तोड़ा ले लिया और उसे बाहर के अंधेरे में डाल दिया।

Matthew 25:31

मनुष्य का पुत्र जब आकर अपने महिमामय सिंहासन पर बैठेगा तब वह क्या करेगा?

मनुष्य का पुत्र सब जातियों को एकत्र करेगा और वह मनुष्यों को एक दूसरे से अलग करेगा।

Matthew 25:34

राजा के दहिनी के मनुष्यों को क्या मिलेगा?

जो राजा के दहिनी ओर होंगे वे राज्य के अधिकारी होंगे जो उनके लिए जगत की नींव से ही तैयार किया गया है।

Matthew 25:35

राजा की दहिनी ओर के लोगों ने अपने जीवन में क्या किया था?

इसके दाहिनी ओर के मनुष्य वे लोग हैं जिन्होंने भूखों को खाना दिया, प्यासों को पानी पिलाया, परदेशियों की सेवा, नंगों को वस्त्र पहनाए, रोगियों की सेवा की और बन्दियों से भेंट की।

Matthew 25:41

राजा के बाई ओर के लोगों को क्या मिला?

राजा की बाई ओर के लोगों को अनन्त उपमा मिली जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई थी।

Matthew 25:42

राजा की बाई ओर के लोगों ने अपने जीवन में क्या नहीं किया था?

राजा के बाई ओर के लोगों ने भूखों को खाना नहीं खिलाया, प्यासों को पानी नहीं पिलाया, परदेशियों की सेवा नहीं की, नंगों को कपड़े नहीं पहनाए, रोगियों की सेवा नहीं की और बन्दियों से भेंट करने नहीं गए।


Chapter 26

1 जब यीशु ये सब बातें कह चुका, तो अपने चेलों से कहने लगा। 2 “तुम जानते हो, कि दो दिन के बाद फसह* का पर्व होगा; और मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिये पकड़वाया जाएगा।” 3 तब प्रधान याजक और प्रजा के पुरनिए कैफा नामक महायाजक के आँगन में इकट्ठे हुए। 4 और आपस में विचार करने लगे कि यीशु को छल से पकड़कर मार डालें। 5 परन्तु वे कहते थे, “पर्व के समय नहीं; कहीं ऐसा न हो कि लोगों में दंगा मच जाए।”

6 जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर में था। 7 तो एक स्त्री* संगमरमर के पात्र में बहुमूल्य इत्र लेकर उसके पास आई, और जब वह भोजन करने बैठा था, तो उसके सिर पर उण्डेल दिया। 8 यह देखकर, उसके चेले झुँझला उठे और कहने लगे, “इसका क्यों सत्यनाश किया गया? 9 यह तो अच्छे दाम पर बेचकर गरीबों को बाँटा जा सकता था।” 10 यह जानकर यीशु ने उनसे कहा, “स्त्री को क्यों सताते हो? उसने मेरे साथ भलाई की है। 11 गरीब तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदैव न रहूँगा। 12 उसने मेरी देह पर जो यह इत्र उण्डेला है, वह मेरे गाड़े जाने के लिये किया है। 13 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि सारे जगत में जहाँ कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा।”

14 तब यहूदा इस्करियोती ने, बारह चेलों में से एक था, प्रधान याजकों के पास जाकर कहा, 15 “यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूँ, तो मुझे क्या दोगे?” उन्होंने उसे तीस चाँदी के सिक्के तौलकर दे दिए। 16 और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूँढ़ने लगा।

17 अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहाँ चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?” 18 उसने कहा, “नगर में फलाने के पास जाकर उससे कहो, कि गुरु कहता है, कि मेरा समय निकट है, मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहाँ फसह मनाऊँगा।” 19 अतः चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी, और फसह तैयार किया।

20 जब सांझ हुई, तो वह बारह चेलों के साथ भोजन करने के लिये बैठा। 21 जब वे खा रहे थे, तो उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” 22 इस पर वे बहुत उदास हुए, और हर एक उससे पूछने लगा, “हे गुरु, क्या वह मैं हूँ?” 23 उसने उत्तर दिया, “जिसने मेरे साथ थाली में हाथ डाला है, वही मुझे पकड़वाएगा। 24 मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य के लिये शोक है जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है: यदि उस मनुष्य का जन्म न होता, तो उसके लिये भला होता।” 25 तब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने कहा, “हे रब्बी, क्या वह मैं हूँ?” उसने उससे कहा, “तू कह चुका।”

26 जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” 27 फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, 28 क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के लिए बहाया जाता है। 29 मैं तुम से कहता हूँ, कि दाख का यह रस उस दिन तक कभी न पीऊँगा, जब तक तुम्हारे साथ अपने पिता के राज्य में नया न पीऊँ।” 30 फिर वे भजन गाकर जैतून पहाड़ पर गए।

31 तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे; क्योंकि लिखा है, ‘मैं चरवाहे को मारूँगा; और झुण्ड की भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।’ 32 परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।” 33 इस पर पतरस ने उससे कहा, “यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएँ तो खाएँ, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊँगा।” 34 यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि आज ही रात को मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझसे मुकर जाएगा।” 35 पतरस ने उससे कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो, तो भी, मैं तुझ से कभी न मुकरूँगा।” और ऐसा ही सब चेलों ने भी कहा।

36 तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी* नामक एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा “यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहाँ जाकर प्रार्थना करूँ।” 37 और वह पतरस और जब्दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा। 38 तब उसने उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मेरे प्राण निकला जा रहा है। तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।” 39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुँह के बल गिरकर, और यह प्रार्थना करने लगा, “हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा* मुझसे टल जाए, फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।” 40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा, “क्या तुम मेरे साथ एक घण्टे भर न जाग सके? 41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो! आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है।” 42 फिर उसने दूसरी बार जाकर यह प्रार्थना की, “हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।” 43 तब उसने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं। 44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्थना की। 45 तब उसने चेलों के पास आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, समय आ पहुँचा है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। 46 उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है।”

47 वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से एक था, आया, और उसके साथ प्रधान याजकों और लोगों के प्राचीनों की ओर से बड़ी भीड़, तलवारें और लाठियाँ लिए हुए आई। 48 उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया था: “जिसको मैं चूम लूँ वही है; उसे पकड़ लेना।” 49 और तुरन्त यीशु के पास आकर कहा, “हे रब्बी, नमस्कार!” और उसको बहुत चूमा। 50 यीशु ने उससे कहा, “हे मित्र, जिस काम के लिये तू आया है, उसे कर ले।” तब उन्होंने पास आकर यीशु पर हाथ डाले और उसे पकड़ लिया। 51 तब यीशु के साथियों में से एक ने हाथ बढ़ाकर अपनी तलवार खींच ली और महायाजक के दास पर चलाकर उसका कान काट दिया। 52 तब यीशु ने उससे कहा, “अपनी तलवार म्यान में रख ले क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएँगे। 53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह सैन्य-दल से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा? 54 परन्तु पवित्रशास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, कैसे पूरी होंगी?” 55 उसी समय यीशु ने भीड़ से कहा, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिये निकले हो? मैं हर दिन मन्दिर में बैठकर उपदेश दिया करता था, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा। 56 परन्तु यह सब इसलिए हुआ है, कि भविष्यद्वक्ताओं के वचन पूरे हों।” तब सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।

57 और यीशु के पकड़नेवाले उसको कैफा नामक महायाजक के पास ले गए, जहाँ शास्त्री और पुरनिए इकट्ठे हुए थे। 58 और पतरस दूर से उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन तक गया, और भीतर जाकर अन्त देखने को सेवकों के साथ बैठ गया। 59 प्रधान याजकों और सारी महासभा* यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में झूठी गवाही की खोज में थे। 60 परन्तु बहुत से झूठे गवाहों के आने पर भी न पाई। अन्त में दो जन आए, 61 और कहा, “इसने कहा कि मैं परमेश्‍वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ।”

62 तब महायाजक ने खड़े होकर उससे कहा, “क्या तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?” 63 परन्तु यीशु चुप रहा। तब महायाजक ने उससे कहा “मैं तुझे जीविते परमेश्‍वर की शपथ देता हूँ*, कि यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे।” 64 यीशु ने उससे कहा, “तूने आप ही कह दिया; वरन् मैं तुम से यह भी कहता हूँ, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों पर आते देखोगे।” 65 तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “इसने परमेश्‍वर की निन्दा की है, अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन? देखो, तुम ने अभी यह निन्दा सुनी है! 66 तुम क्या समझते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “यह मृत्यु दण्ड होने के योग्य है।” 67 तब उन्होंने उसके मुँह पर थूका और उसे घूँसे मारे, दूसरों ने थप्पड़ मार के कहा, 68 “हे मसीह, हम से भविष्यद्वाणी करके कह कि किस ने तुझे मारा?”

69 पतरस बाहर आँगन में बैठा हुआ था कि एक दासी ने उसके पास आकर कहा, “तू भी यीशु गलीली के साथ था।” 70 उसने सब के सामने यह कहकर इन्कार किया और कहा, “मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है।” 71 जब वह बाहर द्वार में चला गया, तो दूसरी दासी ने उसे देखकर उनसे जो वहाँ थे कहा, “यह भी तो यीशु नासरी के साथ था।” 72 उसने शपथ खाकर फिर इन्कार किया, “मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।” 73 थोड़ी देर के बाद, जो वहाँ खड़े थे, उन्होंने पतरस के पास आकर उससे कहा, “सचमुच तू भी उनमें से एक है; क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है।” 74 तब वह कोसने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।” और तुरन्त मुर्गे ने बाँग दी। 75 तब पतरस को यीशु की कही हुई बात स्मरण आई, “मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” और वह बाहर जाकर फूट-फूट कर रोने लगा।



Matthew 26:1

x

यीशु अब अपने शिष्यों को बताता है कि वह कैसे कष्ट उठाएगा और मरेगा।

और ऐसा हुआ

यदि आपकी भाषा में कहानी को नए मन का आरंभ करने का प्रावधान है तो उसे काम में लें।

ये सब बातें

की बातें

मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाया जायेगा।

"कुछ लोग मनुष्य के पुत्र को ऐसे लोगों को सौंपेगे जो उसे क्रूस पर चढ़ायेंगे"।

Matthew 26:3

x

यहूदी अगुवे यीशु को पकड़ने और घात करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

इकट्ठा हुए।

गुप्त रूप से

पर्व के समय

वार्षिक फसह के पर्व के समय

Matthew 26:6

x

यीशु की मृत्यु से पूर्व एक स्त्री यीशु का अभिषेक करती है।

भोजन करने बैठा

"वह अपने सहारे पर आधा लेटा था"। आपकी भाषा में भोजन करते समय जो भी आराम दायक होता है उसका शब्द काम में लें।

एक स्त्री.... उसके पास आई।

एक स्त्री यीशु के पास आई

संगमरमर के पात्र में

कोमल पत्थर का पात्र जो महंगा होता है

इत्र

"सुगन्धित द्रव्य"

इसका क्यों सत्यानाश किया गया?

"इस स्त्री ने इत्र को व्यर्थ गवांकर अच्छा नहीं किया"

Matthew 26:10

x

अपनी मृत्यु से पूर्व अभिषेक करने वाली स्त्री की यीशु प्रशंसा करता है।

स्त्री को क्यों सताते हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें इस स्त्री को परेशान करने की आवश्यकता थी"

तुम्हारे... तुम.... तुम्हारे

चेले

Matthew 26:12

x

यीशु अपनी मृत्यु से पूर्व अभ्यंजन करने वाली स्त्री की प्रशंसा कर रहा है।

Matthew 26:14

x

शिष्यों में से एक यहूदी अगुओं के हाथ यीशु को पकड़वाने में सहायता करने के लिए तैयार हो जाता है।

तुम्हारे हाथ पकड़वा दूँ

"यीशु को तुम्हारे हाथों में कर दूँ" या "यीशु को बन्दी बनाने में तुम्हारी सहायता करूं"

तीस चाँदी के सिक्के

क्योंकि ये शब्द वही है जो पुराने नियम की भविष्यद्वाणी में हैं इसलिए इसे ज्यों का त्यों रखें, आज की मुद्रा में नहीं बदलें।

उसे पकड़वाने का

"यीशु को महायाजकों के हाथों पकड़वाने के लिए"

Matthew 26:17

x

यीशु अपने शिष्यों के साथ फसह का भोज खाने की तैयारी कर रहा है।

उसने कहा, "नगर में आमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, "गुरू कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहाँ पर्व मनाऊँगा"।

यीशु अपने शिष्यों के साथ किसी मनुष्य को सन्देश भिजवाता है। वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि नगर में एक व्यक्ति है उसके पास जाकर कहें कि गुरू कहता है, मेरा समय निकट आ गया है, मैं तेरे घर में अपने शिष्यों के साथ तेरे घर में फसह मनाऊँगा" "उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे नगर में उस मनुष्य के पास जाकर कहें कि गुरू कहता है कि उसका समय निकट आ गया है और वह उसके घर में अपने शिष्यों के साथ पर्व मनाएगा"।

मेरा समय

संभावित अर्थ, (1) "जिस समय के बारे में मैंने तुमसे कहा था" (यू.डी.बी.) या (2) "परमेश्वर ने जो समय मेरे लिए ठहराया है"।

निकट है

निकट है , संभावित अर्थः (1) "निकट है" (यू.डी.बी.) या (2) "आ गया है"

पर्व मनाऊँ

"फसह का भोज खाऊँ" या "फसह का पर्व मनाने के लिए विशेष भोजन खाऊँ"

Matthew 26:20

x

फसह का भोज खाते समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

भोजन करने के लिए बैठा

यहाँ वही शब्द काम में ले जो आपकी संस्कृति में भोजन करते समय काम में लिया जाता है।

क्या वह मैं हूँ

"निश्चय ही वह मैं नहीं, प्रभु मैं हूँ क्या"?

Matthew 26:23

x

फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

वही मुझे पकड़वाएगा।

"जो मनुष्य के पुत्र के साथ विश्वासघात करेगा"।

तू कह चुका है

"तूने कहा है, तू ही है" या "तूने अभी-अभी स्वीकार किया है"।

Matthew 26:26

x

फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

रोटी ली और आशीष माँग कर तोड़ी

इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया है।

Matthew 26:27

x

फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

को लिया

इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया है।

चेलों को देकर

"शिष्यों को दी"

वाचा का मेरा वह लहू है

"लहू जो वाचा के प्रभाव को सिद्ध करता है" या "लहू जो वाचा को संभव बनाता है"।

बहाया जाता है

"मृत्यु द्वारा बहाया जाता है" या "शीघ्र ही मेरी देह से बहेगा" या "मेरे मरते समय मेरे घावों से बहेगा"

दाख का यह रस

"दाख रस"

Matthew 26:30

x

यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

भजन

भजन , परमेश्वर का स्तुतिगान

ठोकर खाओगे

ठोकर खाओगे , "मुझे छोड़ कर भाग जाओगे"

भेड़ें तितर-बितर हो जायेंगी

वैकल्पिक अनुवाद, (1) "वे झुण्ड की भेड़ों को तितर-बितर कर देंगे" या (2) "झुण्ड की भेड़ें चारों ओर भाग जायेंगी"।

झुण्ड की भेडें

शिष्य

अपने जी उठने के बाद

वैकल्पिक अनुवाद, "जब परमेश्वर मुझे जीवित करेगा तब"

मैं अपने जी उठने के बाद

वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर मुझे मृतकों में से जिलाएगा"

Matthew 26:33

x

यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

ठोकर खाओगे

ठोकर खाओगे इसका अनुवाद जैसा ही करें।

मुर्गे की बाँग देने से पहले

वैकल्पिक अनुवाद, "सूर्योदय से पूर्व"

मुर्गे

सूर्योदय से पूर्व यह चिड़िया आवाज़ करती है।

बाँग

मुर्गे की आवाज़

Matthew 26:36

x

यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है।

उदास

बहुत दुखी

Matthew 26:39

x

यह गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त है।

मुँह के बल गिरा

मुँह के बल गिरा , प्रार्थना के लिए भूमि पर मुंह रखा

Matthew 26:42

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है।

जाकर

"यीशु ने जाकर"

मेरे पीए बिना

"जब तक मैं कष्ट का यह कटोरा न पी लूँ"

आँखें नींद से भरी थी

"वे बहुत नींद में थे"

Matthew 26:45

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है।

घड़ी आ पहुँची है।

"समय आ गया है"

पापियों के हाथ

"पापी लोगों के हाथ"

देखो

"ध्यान न दो कि मैं क्या कहने जा रहा हूँ"

Matthew 26:47

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है।

वह यह कह ही रहा था।

वह यह कह रहा था , "यीशु अभी बातें ही कर रहा था"

"जिसको मैं चूम लूँ वही है", उसे पकड़ लेना

"उसने कहा कि जिसे वह चूमे उसी को उन्हें पकड़ना है"

जिसको मैं चूम लूँ

"वह जिसे मैं चूमूँ" या "जिस व्यक्ति को मैं चूमूँगा" (यू.डी.बी.)

चूम लूँ,

चूम लूँ , अपने गुरू का सम्मान पूर्वक अभिवादन करना

Matthew 26:49

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु को पकड़ने का वृत्तान्त

यीशु के पास आकर

यीशु के पास आकर , "यहूदा यीशु के पास आया"

उसको बहुत चूमा

उसको बहुत चूमा , "चूमकर उसका अभिवादन किया"

यीशु पर हाथ डाले

यीशु की हानि के लिए उसे पकड़ा

उसे पकड़ लिया

उसे बन्दी बना लिया

Matthew 26:51

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु को बन्दी बनाने का वृत्तान्त

देखो

लेखक कहानी में एक नए चरित्र को ला रहा है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

क्या तू नहीं जानता कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा।

क्या तू सोचता है कि मैं अपने पिता से कहूँ और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक न भेजे? वैकल्पिक अनुवाद, "तू यह जान ले कि मैं अपने पिता से कह सकता हूँ और वह मेरे लिए स्वर्गदूतों की बारह पलटनों से अधिक भेज देगा"।

स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक

स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक - स्वर्गदूतों की यथार्थ संख्या महत्त्वपूर्ण नहीं है।

पलटन

रोमी सेना की एक ईकाई जिसमें छः हज़ार सैनिक होते थे।

Matthew 26:55

x

गतसमनी की वाटिका में यीशु को बन्दी बनाने का वृत्तान्त

क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने निकले हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम तो जानते हो कि मैं डाकू नहीं अतः तलवारें और लाठियाँ लेकर आना गलत है"।

लाठियाँ

लोगों पर वार करने के लिए बड़ी ठोस लकड़ी

उसे छोड़कर भाग गए।

यदि आपकी भाषा में कोई ऐसा शब्द है जो व्यक्त करे कि जब किसी के साथ होना चाहिए तब उसका साथ छोड़ दिया तो उस शब्द को यहाँ काम में लें।

Matthew 26:57

x

यहाँ महायाजक द्वारा यीशु से पूछ-ताछ करने का वृत्तान्त आरंभ होता है।

महायाजक के आंगन

महायाजक के घर के बाहर खुला स्थान

Matthew 26:59

x

महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है।

दो जन आए।

दो जन आए , "दो जन सामने आए" (यू.डी.बी.) या "दो गवाह उपस्थित हुए"

और कहा, "इसने कहा है कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ"।

वैकल्पिक अनुवाद, "उन्होंने गवाही दी कि उन्होंने यीशु को कहते सुना है कि वह परमेश्वर के मन्दिर को ढा देने में और तीन दिन में उसका पुनः निर्माण करने में समर्थ है"।

इसने कहा

इसने कहा , "इसने, यीशु ने कहा"

Matthew 26:62

x

महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है।

ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं।

ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं , "ये गवाह तेरे विरूद्ध कह रहे हैं"।

यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है तो हमसे कह दे

यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है तो हमसे कह दे , "यदि तू मसीह है तो हमारे सामने कह"।

तू कह चुका है

"जैसा तूने कहा, मैं हूँ"। या "तूने अभी स्वयं स्वीकार किया है"।

वरन मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि अब से तुम

यीशु महायाजक एवं उपस्थित गण से कह रहा है।

अबसे तुम मनुष्य के पुत्र को .... देखोगे

अब से तुम परमेश्वर के पुत्र को ... देखोगे , संभावित अर्थः (1) वे मनुष्य के पुत्र को भविष्य में कभी देखेंगे (देखें यू.डी.बी.) या (2) "अब से" से यीशु का अर्थ है उसकी मृत्यु, उसका पुनरूत्थान और स्वर्गारोहण का समय।

सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर

"सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर"

आकाश के बादलों पर आते

"आकाश के बादलों पर सवार पृथ्वी पर उतरते"

Matthew 26:65

x

महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है।

महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़े

वस्त्र फाड़ना क्रोध और दुख का प्रतीक था।

उन्होंने उत्तर दिया

"यहूदी अगुओं ने उत्तर दिया"

Matthew 26:67

x

महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है।

तब उन्होंने

संभावित अर्थः (1) "कुछ लोगों ने" या "सैनिकों ने"

उसके मुँह पर थूका

अपमान करने के लिए

Matthew 26:69

x

पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त है

मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है

पतरस भली भांति समझ रहा था कि वह क्या कह रही थी, परन्तु उसने इन शब्दों द्वारा यीशु का इन्कार किया।

Matthew 26:71

x

यह पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त चल रहा है।

जब वह

जब पतरस

डेवढ़ी

आँगन की दीवार का द्वार

Matthew 26:73

x

यह पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त चल रहा है।

उनमें से एक

उनमें से एक "जो यीशु के साथ थे उनमें से एक"

क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है

क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है तेरी बोली से हम निश्चित कह सकते है की तू गलीली है।

धिक्कारने लगा

धिक्कारने लगा "अपने आपको कोसने लगा"

शपथ खाने लगाः "मैं उस मनुष्य को नहीं जानता"

वैकल्पिक अनुवाद, "कि वह उस व्यक्ति को नहीं जानता है"


Translation Questions

Matthew 26:2

यीशु ने यहूदियों के कौन से पर्व के लिए कहा कि दो दिन में आने वाला है?

यीशु ने कहा कि फसह का पर्व दो दिन में आने वाला है।

Matthew 26:4

महायाजक के महल में महायाजक और पुरनिये क्या योजना बना रहे थे?

वे यीशु को छल से पकड़ कर मार डालने का षड्यंत्र रच रहे थे।

Matthew 26:5

महायाजक और पुरनिये किस बात से डरते थे?

उन्हें डर था कि पर्व के समय यदि वे यीशु को मार डालेंगे तो उपद्रव खड़ा हो जायेगा।

Matthew 26:6

जब उस स्त्री ने यीशु के सिर पर बहुमूल्य इत्र डाला तब चेलों की प्रतिक्रिया क्या थी?

चेले अप्रसन्न थे, वे जानना चाहते थे कि इत्र बेचकर कंगालों में पैसा क्यों नहीं बांटा गया।

Matthew 26:12

यीशु ने उस स्त्री के द्वारा इत्र डालने को क्या उपमा दी थी?

यीशु ने कहा कि उस स्त्री ने उस पर अन्तिम संस्कार का अभ्यंजन किया है।

Matthew 26:14

महायाजकों के हाथ यीशु को पकड़वाने के लिए यहूदा इस्करियोती को क्या दिया गया था?

यहूदा को चांदी के तीस सिक्के दिए गए थे कि वह यीशु को पकड़वा दे।

Matthew 26:21

यीशु ने संध्याकालीन भोज के समय अपने एक चेले के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि उसका एक चेला उसे पकड़वाएगा।

Matthew 26:24

यीशु ने अपने पकड़वाने वाले के भविष्य के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि इसके पकड़वाने वाले के लिए उत्तम होता कि वह पैदा ही नहीं हुआ होता।

Matthew 26:25

यहूदा ने पूछा कि क्या वह उसे पकड़वाएगा तो यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने उत्तर दिया "तू कह चुका है"।

Matthew 26:26

यीशु ने रोटी ली उसे आशीष दी, तोड़ी और अपने चेलों को दी तब क्या कहा?

यीशु ने कहा, "लो खाओ यह मेरी देह है"।

Matthew 26:28

यीशु ने क्या कहकर चेलों को वह कटोरा दिया?

यीशु ने कहा कि वह कटोरा वाचा का उसका लहू है जो अनेकों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाता है।

Matthew 26:30

जैतून के पर्वत पर यीशु ने अपने चेलों से क्या कहा कि उस रात वे सब करेंगे?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह सब उस रात उसका साथ छोडकर तित्तर- बित्तर हो जाएगे।

Matthew 26:33

जब पतरस ने कहा कि वह यीशु को कभी नहीं छोड़ेगा तब यीशु ने क्या कहा कि वह उस रात करेगा?

यीशु ने कहा कि अब रात मुर्गे की बांग देने से पहले पतरस तीन बार यीशु का इन्कार करेगा।

Matthew 26:37

यीशु ने पतरस और जबदी के पुत्रों को क्या कहा कि वे करें जब वह प्रार्थना करता है?

यीशु ने उनसे कहा कि वे जागते रहें।

Matthew 26:39

यीशु ने अपनी नहीं किस बात की पूर्ति की प्रार्थना की थी?

यीशु ने प्रार्थना में कहा कि उसकी नहीं परमेश्वर पिता की इच्छा पूरी हो।

यीशु कितनी बार शिष्यों को छोड़कर प्रार्थना करने गया था?

यीशु ने तीन बार शिष्यों को छोड़ प्रार्थना करने गया।

Matthew 26:40

यीशु जब प्रार्थना करके लौटा तब चेले क्या कर रहे थे?

जब यीशु प्रार्थना करके लौटा तब चेले सो रहे थे।

Matthew 26:47

यहूदा ने उस भीड़ को यीशु को पहचानने के लिए क्या चिन्ह दिया था?

यहूदा ने यीशु को चूमा कि आने वाली भीड़ को पता चले कि उसी को पकड़ना है।

Matthew 26:51

जब यीशु को पकड़ा गया तब उसके एक चेले ने क्या किया?

यीशु के चेलों में से एक ने तलवार से महायाजक के सेवक का कान काट दिया।

Matthew 26:53

अपनी रक्षा के लिए यीशु ने क्या कहा कि वह कर सकता है?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर पिता से कहकर स्वर्गदूतों की बारह सेना बुलवा सकता है।

Matthew 26:54

यीशु ने इन घटनाओं द्वारा किसकी पूर्ति बताई थी?

यीशु ने कहा कि इन घटनाओं के द्वारा पवित्र शास्त्र पूरा हो रहा है।

Matthew 26:56

उस समय यीशु के चेलों ने क्या किया?

यीशु के सब चेलें उसे छोड़कर भाग गए।

Matthew 26:59

यीशु को मृत्यु दण्ड देने के लिए महायाजक और महासभा क्या खोजती थी?

वे यीशु को मृत्युदण्ड देने के लिए झूठे गवाहों की खोज कर रहे थे।

Matthew 26:63

जीवित परमेश्वर के नाम में महायाजक ने यीशु को क्या आज्ञा दी थी?

महायाजक ने यीशु से कहा कि वह कहे कि वह परमेश्वर का पुत्र मसीह है या नहीं।

Matthew 26:64

महायाजक की आज्ञा पर यीशु ने क्या प्रतिक्रिया दिखाई थी?

यीशु ने कहा, "तूने आप ही कह दिया"।

यीशु ने महायाजक से कहा कि वह क्या देखेंगे?

यीशु ने कहा कि महायाजक मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान के दाहिनी ओर बैठे और आकाश के बादलों पर आता देखेगा।

Matthew 26:65

महायाजक ने यीशु पर क्या दोष लगाया था?

महायाजक ने यीशु को ईश-निन्दा का दोष दिया।

Matthew 26:67

यीशु पर दोष लगाने के बाद उन्होंने उसके साथ क्या किया?

उन्होंने यीशु के मुंह पर थूंका, उसे घूसे मारे और थप्पड़ मारे।

Matthew 26:70

पतरस को यीशु का साथी कहा गया तो उसने तीन बार क्या उत्तर दिया?

पतरस ने कहा कि वह यीशु को नहीं जानता है।

Matthew 26:74

पतरस द्वारा तीसरी बार यीशु का इन्कार करने पर क्या हुआ?

ज्यों ही पतरस तीसरी बार यीशु का इन्कार किया त्यों ही मुर्गे ने बांग दी।

Matthew 26:75

तीसरी बार यीशु का इन्कार करने पर पतरस को क्या स्मरण हुआ?

पतरस को स्मरण हुआ कि यीशु ने उससे कहा था, वह मूर्गे के बांग देने से पहले तीन बार यीशु का इन्कार करेगा।


Chapter 27

1 जब भोर हुई, तो सब प्रधान याजकों और लोगों के प्राचीनों ने यीशु के मार डालने की सम्मति की। 2 और उन्होंने उसे बाँधा और ले जाकर पिलातुस राज्यपाल के हाथ में सौंप दिया।

3 जब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चाँदी के सिक्के प्रधान याजकों और प्राचीनों के पास फेर लाया। 4 और कहा, “मैंने निर्दोषी को मृत्यु के लिये पकड़वाकर पाप किया है?” उन्होंने कहा, “हमें क्या? तू ही जाने।” 5 तब वह उन सिक्कों को मन्दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपने आप को फाँसी दी।

6 प्रधान याजकों ने उन सिक्कों को लेकर कहा, “इन्हें, भण्डार में रखना उचित नहीं, क्योंकि यह लहू का दाम है।” 7 अतः उन्होंने सम्मति करके उन सिक्कों से परदेशियों के गाड़ने के लिये कुम्हार का खेत मोल ले लिया। 8 इस कारण वह खेत आज तक लहू का खेत* कहलाता है। 9 तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हुआ “उन्होंने वे तीस सिक्के अर्थात् उस ठहराए हुए मूल्य को (जिसे इस्राएल की सन्तान में से कितनों ने ठहराया था) ले लिया। 10 और जैसे प्रभु ने मुझे आज्ञा दी थी वैसे ही उन्हें कुम्हार के खेत के मूल्य में दे दिया।”

11 जब यीशु राज्यपाल के सामने खड़ा था, तो राज्यपाल ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” यीशु ने उससे कहा, “तू आप ही कह रहा है।” 12 जब प्रधान याजक और पुरनिए उस पर दोष लगा रहे थे, तो उसने कुछ उत्तर नहीं दिया। 13 इस पर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू नहीं सुनता, कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं?” 14 परन्तु उसने उसको एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहाँ तक कि राज्यपाल को बड़ा आश्चर्य हुआ।

15 और राज्यपाल की यह रीति थी, कि उस पर्व में लोगों के लिये किसी एक बन्दी को जिसे वे चाहते थे, छोड़ देता था। 16 उस समय बरअब्बा नामक उन्हीं में का, एक नामी बन्धुआ था। 17 अतः जब वे इकट्ठा हुए, तो पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम किसको चाहते हो, कि मैं तुम्हारे लिये छोड़ दूँ? बरअब्बा को, या यीशु को जो मसीह कहलाता है?” 18 क्योंकि वह जानता था कि उन्होंने उसे डाह से पकड़वाया है। 19 जब वह न्याय की गद्दी पर बैठा हुआ था तो उसकी पत्‍नी ने उसे कहला भेजा, “तू उस धर्मी के मामले में हाथ न डालना; क्योंकि मैंने आज स्वप्न में उसके कारण बहुत दुःख उठाया है।”

20 प्रधान याजकों और प्राचीनों ने लोगों को उभारा, कि वे बरअब्बा को माँग ले, और यीशु को नाश कराएँ। 21 राज्यपाल ने उनसे पूछा, “इन दोनों में से किस को चाहते हो, कि तुम्हारे लिये छोड़ दूँ?” उन्होंने कहा, “बरअब्बा को।” 22 पिलातुस ने उनसे पूछा, “फिर यीशु को जो मसीह कहलाता है, क्या करूँ?” सब ने उससे कहा, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।” 23 राज्यपाल ने कहा, “क्यों उसने क्या बुराई की है?” परन्तु वे और भी चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।” 24 जब पिलातुस ने देखा, कि कुछ बन नहीं पड़ता परन्तु इसके विपरीत उपद्रव होता जाता है, तो उसने पानी लेकर भीड़ के सामने अपने हाथ धोए, और कहा, “मैं इस धर्मी के लहू से निर्दोष हूँ; तुम ही जानो।” 25 सब लोगों ने उत्तर दिया, “इसका लहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो!”

26 इस पर उसने बरअब्बा को उनके लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े* लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।

27 तब राज्यपाल के सिपाहियों ने यीशु को किले* में ले जाकर सारे सैनिक उसके चारों ओर इकट्ठी की। 28 और उसके कपड़े उतारकर उसे लाल चोगा पहनाया। 29 और काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा; और उसके दाहिने हाथ में सरकण्डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे उपहास में उड़ाने लगे, “हे यहूदियों के राजा नमस्कार!” 30 और उस पर थूका; और वही सरकण्डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे। 31 जब वे उसका उपहास कर चुके, तो वह चोगा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।

32 बाहर जाते हुए उन्हें शमौन नामक एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले। 33 और उस स्थान पर जो गुलगुता* नाम की जगह अर्थात् खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुँचकर। 34 उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उसने चखकर पीना न चाहा। 35 तब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़े बाँट लिए। 36 और वहाँ बैठकर उसका पहरा देने लगे। 37 और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि “यह यहूदियों का राजा यीशु है।” 38 तब उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएँ क्रूसों पर चढ़ाए गए। 39 और आने-जानेवाले सिर हिला-हिलाकर उसकी निन्दा करते थे। 40 और यह कहते थे, “हे मन्दिर के ढानेवाले और तीन दिन में बनानेवाले, अपने आप को तो बचा! यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ।” 41 इसी रीति से प्रधान याजक भी शास्त्रियों और प्राचीनों समेत उपहास कर करके कहते थे, 42 “इसने दूसरों को बचाया, और अपने आप को नहीं बचा सकता। यह तो ‘इस्राएल का राजा’ है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। 43 उसने परमेश्‍वर का भरोसा रखा है, यदि वह इसको चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इसने कहा था, कि ‘मैं परमेश्‍वर का पुत्र हूँ।’ ” 44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उसकी निन्दा करते थे।

45 दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अंधेरा छाया रहा। 46 तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा शबक्तनी*?” अर्थात् “हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” 47 जो वहाँ खड़े थे, उनमें से कितनों ने यह सुनकर कहा, “वह तो एलिय्याह को पुकारता है।” 48 उनमें से एक तुरन्त दौड़ा, और पनसोख्‍ता लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्डे पर रखकर उसे चुसाया। 49 औरों ने कहा, “रह जाओ, देखें, एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं।” 50 तब यीशु ने फिर बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिए। 51 तब, मन्दिर का परदा* ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चट्टानें फट गईं। 52 और कब्रें खुल गईं, और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत शव जी उठे। 53 और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए। 54 तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भूकम्प और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, “सचमुच यह परमेश्‍वर का पुत्र था!” 55 वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ जो गलील से यीशु की सेवा करती हुईं उसके साथ आईं थीं, दूर से देख रही थीं। 56 उनमें मरियम मगदलीनी और याकूब और योसेस की माता मरियम और जब्दी के पुत्रों की माता थीं।

57 जब सांझ हुई तो यूसुफ नाम अरिमतियाह का एक धनी मनुष्य जो आप ही यीशु का चेला था, आया। 58 उसने पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा। इस पर पिलातुस ने दे देने की आज्ञा दी। 59 यूसुफ ने शव को लेकर उसे साफ़ चादर में लपेटा। 60 और उसे अपनी नई कब्र में रखा, जो उसने चट्टान में खुदवाई थी, और कब्र के द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर चला गया। 61 और मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम वहाँ कब्र के सामने बैठी थीं।

62 दूसरे दिन जो तैयारी के दिन के बाद का दिन था, प्रधान याजकों और फरीसियों ने पिलातुस के पास इकट्ठे होकर कहा। 63 “हे स्वामी, हमें स्मरण है, कि उस भरमानेवाले ने अपने जीते जी कहा था, कि मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा। 64 अतः आज्ञा दे कि तीसरे दिन तक कब्र की रखवाली की जाए, ऐसा न हो कि उसके चेले आकर उसे चुरा ले जाएँ, और लोगों से कहने लगें, कि वह मरे हुओं में से जी उठा है: तब पिछला धोखा पहले से भी बुरा होगा।” 65 पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम्हारे पास पहरेदार तो हैं जाओ, अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो।” 66 अतः वे पहरेदारों को साथ लेकर गए, और पत्थर पर मुहर लगाकर कब्र की रखवाली की।



Matthew 27:1

x

यहाँ यीशु के अभियोग और मृत्यु का वृत्तान्त आरंभ होता है।

Matthew 27:3

x

लेखक ने यीशु को बन्दी बनाए जाने की कहानी में अन्तराल रखा कि यहूदा द्वारा आत्म हत्या का उल्लेख करे।(27:3- ).

जब .... यहूदा ने देखा

यदि आपकी भाषा में कहानी के अन्तराल में किसी वृत्तान्त के आने को व्यक्त करने का प्रावधान है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

तीस चाँदी के सिक्के

यीशु के साथ विश्वासघात करने की कीमत जो उसे महायाजकों ने दी थी

निर्दोष को

"वह मनुष्य जो मृत्युदण्ड के योग्य नहीं"

Matthew 27:6

x

यह यहूदा द्वारा आत्महत्या करने का वृत्तान्त है

भण्डार में रखना उचित नहीं

उचित नहीं , "हमारी व्यवस्था इसे उचित नहीं ठहराती है"

रखना

इस चाँदी को रखना

लहू का दाम

मनुष्य को मरवाने की कीमत (देखें: और यू.डी.बी.)

कुम्हार का खेत

यह खेत यरूशलेम में मरने वाले परदेशियों के दफन के लिए हुआ (देखें यू.डी.बी.)

आज तक

लेखक द्वारा वृत्तान्त लिखने के समय तक

Matthew 27:9

x

यह यहूदा द्वारा आत्महत्या करने का वृत्तान्त है

जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था।

"भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह ने यह भविष्यद्वाणी की थी और वह सच हुई"।

इस्राएल की सन्तान

इस्राएल के धर्मगुरू

आज्ञा दी थी

"यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को आज्ञा दी थी।"(27:9)

Matthew 27:11

x

अब रोमी शासक के समक्ष यीशु के अभियोग का आरंभ होता है ।

अब

यदि आपकी भाषा में कहानी अन्तराल के बाद पुनः आरंभ हो तो उसे व्यक्त करने के लिए आपकी भाषा में प्रावधान है तो उसका उपयोग यहाँ करें।

शासक

शासक - पिलातुस

तू आप ही कह रहा है।

"तू ही तो स्वीकार कर रहा है"

प्रधान याजक और पुरनिये उस पर दोष लगा रहे थे

वैकल्पिक अनुवाद, "जब महायाजक और पुरनियों उसका दोषारोपण कर रहे थे"

क्या तू नहीं सुनता कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं

"मुझे आश्चर्य हो रहा है कि तू इन लोगों को उत्तर नहीं दे रहा है जबकि ये तुझ पर बुरी-बुरी बातों का दोष लगा रहे हैं।"

एक बात का भी उत्तर नहीं दिया यहाँ तक कि हाकिम को बड़ा आश्चर्य हुआ।

एक बात का भी उत्तर नहीं दिया यहाँ तक कि शासक को बड़ा आश्चर्य हुआ । वैकल्पिक अनुवाद, "एक दोष का भी प्रतिवाद नहीं, इस पर प्रशासक चकित हुआ"।

Matthew 27:15

x

रोमी शासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है।

अब

यहाँ कहानी में अन्तराल है कि लेखक में आरंभ की दी गई जानकारी को समझने में पाठक की सहायता करे

पर्व

जिस पर्व में फसह मनाया जाता था।

बन्दी को जिसे वे चाहते थे

वैकल्पिक अनुवाद, "जिस बन्दी को जनसमूह चुनें"

माना हुआ

कुख्यात

Matthew 27:17

x

रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है।

पकड़वाया है

यीशु को पिलातुस के समक्ष लाए कि वह उनका न्याय करे

जब वह न्याय की गद्दी पर बैठा हुआ था

"जब पिलातुस न्यायासन पर बैठा था"

न्याय की गद्दी पर बैठा था

अपने कर्तव्य का पालन करने के दायित्व से

कहला भेजा

"सन्देश भेजा"

Matthew 27:20

x

रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है।

उनसे पूछा

"जनसमूह से पूछा"

Matthew 27:23

x

रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है।

उसने क्या बुराई की है?

<उसने क्या बुराई की है? - "यीशु ने क्या बुराई की है"

वे चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे

"जनसमूह ने चिल्लाकर कहा"

लहू से

"मृत्यु"

Matthew 27:25

x

रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है।

उसका लहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो

"हाँ, हम और हमारे वंशज उसकी हत्या के दोषी होने में प्रसन्न हैं"।

Matthew 27:27

x

अब रोमी सैनिकों द्वारा यीशु का ठट्ठा करने का वृत्तान्त आरंभ होता है।

किले में

संभावित अर्थ है, (1) सैनिकों के रहने के स्थान में (यू.डी.बी.) या (2) प्रशासक के निवास में

कपड़े उतार कर

"उसके वस्त्र खींच कर उतारे"

लाल रंग

गहरा लाल रंग

नमस्कार

"हम तेरा सम्मान करते हैं" या "दीर्घायु हो"

Matthew 27:30

x

रोमी सैनिको द्वारा यीशु का ठट्ठा करना चल रहा है।

वे

पिलातुस के सैनिक

उस .... उसके .... उसका .... उस

यीशु

Matthew 27:32

x

यहाँ यीशु के क्रूसीकरण का वृत्तान्त आरंभ होता है।

बाहर जाते हुए

"जब वे यरूशलेम से बाहर निकले"

बलपूर्वक पकड़ा कि उसका क्रूस उठा कर ले चले

"उसे विवश किया कि वह उनके साथ यीशु का क्रूस उठा कर चले।"

गुलगुता

"जिस स्थान को वहाँ के लोग गुलगुता कहते थे"।

पित्त

पीले रंग का कडवा द्रव्य जो पाचन क्रिया में काम में आता है

Matthew 27:35

x

यीशु के क्रुसीकरण का ही वृत्तान्त चल रहा है।

वस्त्र

जो वस्त्र यीशु पहना हुआ था

Matthew 27:38

x

यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है।

उसके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढाये गये

वैकल्पिक अनुवाद: "सैनिकों ने दो डाकुओं को भी यीशु के साथ ही क्रूस पर चढाया"

सिर हिला हिला कर

यीशु का ठट्ठा करने के लिए

Matthew 27:41

x

यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है।

इसने औरों को बचाया और अपने आपको नहीं बचा सकता

संभावित अर्थ, (1) यहूदी अगुवे विश्वास नहीं करते थे कि यीशु ने मनुष्यों को बचाया था (देखें: और यू.डी.बी.) या वह स्वयं को बचा सकता है, या (2) वे मानते थे कि उसने मनुष्यों को बचाया परन्तु वे उसका ठट्ठा कर रहे थे कि वह अपने आपको नहीं बचा सकता था।

यह यहूदियों का राजा

अगुवे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे कि यीशु इस्राएल का राजा है

Matthew 27:43

x

यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है।

डाकू भी जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाए गए थे

"और जिन डाकूओं को सैनिकों ने यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया था"

Matthew 27:45

x

यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है।

बड़े शब्द से पुकार कर

"ऊँची आवाज में कहा" या "चिल्लाया"

एली, एली, लमा, शबकतनी

अनुवादक इन शब्दों को प्रायः मूल भाषा में ही रहने देते हैं

Matthew 27:48

x

यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है।

उनमें से एक

संभावित अर्थ, (1) सैनिकों में से एक या 2) दर्शकों में से एक

स्पंज

समुद्री जीव का घर जिसे तरल पदार्थों को सोखने के लिए काम में लिया जाता था कि बाद में उसे निचोड़ कर निकाल लें।

उसे चुसाया

"यीशु को दिया"

Matthew 27:51

x

अब यीशु की मृत्यु के समय की घटनाओं का वृत्तान्त आरंभ होता है।

देखो

लेखक पाठक का ध्यान अग्रिम आश्चर्यजनक जानकारी की ओर आकर्षित कर रहा है।

कब्रें खुल गई और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे।

कब्रें खुल गई और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे । "परमेश्वर ने कब्रों को खोलकर अनेक पवित्र जनों को जो मर गए थे, मृतक देह को जीवित किया"।

सो गए थे

"मर गए थे"

कब्रें खुल गई ...... बहुतों को दिखाई दिए

घटनाओं का क्रम अस्पष्ट है। संभावित क्रम हैः यीशु के मरने के बाद भूकम्प आया और कब्रें खुल गई (1) पवित्र जन जी उठे, यीशु जी उठा और पवित्र जन नगर में गए और अनेकों ने उन्हें देखा, या (2) यीशु जी उठा, पवित्र जन भी जी उठे, नगर में गए, अनेकों ने उन्हें देखा।

Matthew 27:54

x

यीशु की मृत्यु पर चमत्कारी घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है

Matthew 27:57

x

यीशु के दफन का वृत्तान्त आरंभ होता है

पिलातुस ने दे देने की आज्ञा दी

"पिलातुस ने सैनिकों को आज्ञा दी कि यीशु का शव यूसुफ को दे दें"

Matthew 27:59

x

यीशु के दफन का वृत्तान्त चल रहा है

चादर

चादर -महंगी चादर

कब्र के द्वार पर

"कब्र के सामने"

Matthew 27:62

x

यीशु दफन के बाद की घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है।

तैयारी का दिन

फसह के लिए तैयार होने का दिन

उस भरमाने वाले ने जब वह जीवित था

"जब भरमाने वाला, यीशु जीवित था"

Matthew 27:65

x

यीशु दफन के बाद की घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है।

रखवाली

4 से 16 रोमी सैनिक

पत्थर पर मोहर लगाकर

संभावित अर्थ, (1) उन्होंने रस्सी लेकर पत्थर के चारों ओर से कब्र के द्वार की दोनों ओर की दीवारों पर जड़ दी (देखें यू.डी.बी.) या (2) उन्होंने पत्थर और कब्र के बीच मुहर लगा दी।

रखवाली की

"सैनिकों को ऐसे खड़ा किया कि वे किसी को कब्र के निकट न आने दें"


Translation Questions

Matthew 27:2

सुबह होने पर महायाजक और पुरनिए यीशु को किसके पास लग गए?

सुबह होने पर वे यीशु को पिलातुस हाकिम के पास ले गए।

Matthew 27:3

यहूदा इस्करियोती ने जब देखा कि यीशु दोषी ठहराया गया है तब उसने क्या किया?

यहूदा पछताया कि उसने एक निर्दोष के लहू के साथ विश्वासघात किया है और चांदी के सिक्के महायाजकों को लौटा दिए तथा फांसी लगा ली।

Matthew 27:6

उन तीस चांदी के सिक्कों से महायाजकों ने क्या किया?

उन्होंने उन सिक्कों से कुम्हार का खेत खरीदा कि वहाँ परदेशियों को दफन करें।

Matthew 27:9

इन घटनाओं से किसकी भविष्यद्वाणी पूरी हुई?

इन घटनाओं से यिर्मयाह की भविष्यद्वाणी पूरी हुई।

Matthew 27:11

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा और यीशु ने क्या उत्तर दिया?

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है और यीशु ने उत्तर दिया, "तू आप ही कह रहा है"।

Matthew 27:12

महायाजकों और पुरनियों के द्वारा दोष लगाने पर यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने एक शब्द भी नहीं कहा।

Matthew 27:15

फसह के पर्व की प्रथा के अनुसार पिलातुस ने यीशु के साथ क्या करना चाहा था?

पिलातुस ने उस पर्व की प्रथा के अनुसार यीशु को छोड़ देना चाहा था।

Matthew 27:19

जब पिलातुस न्याय आसन पर बैठा था तब उसकी पत्नी ने क्या सन्देश भेजा?

उसने पिलातुस से कहा कि वह उस निर्दोष के साथ कुछ न करे।

Matthew 27:20

पर्व की प्रथा के अनुसार यीशु की अपेक्षा बरअब्बा क्यों छोड़ा गया?

महायाजकों और पुरनियों ने जनता को उभारा कि वे यीशु के स्थान पर बरअब्बा को मांग लें।

Matthew 27:22

जन समूह ने यीशु के लिए क्या पुकार की?

जन समूह चिल्लाने लगे कि यीशु को क्रूस पर चढ़ाया जाये।

Matthew 27:24

पिलातुस ने देखा कि जन समूह उपद्रव पर उतर आया है तो उसने क्या किया?

पिलातुस ने हाथ घोकर स्वयं को निर्दोष यीशु के लहू का दोषी न मानते हुए उसे जनसमूह को सौंप दिया।

Matthew 27:25

पिलातुस ने यीशु को जनसमूह के हाथों में सौंप दिया तो उन्होंने क्या कहा?

लोग पुकार कर कह रहे थे, "इसका लहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो"।

Matthew 27:27

हाकिम के सिपाहियों ने यीशु के साथ क्या किया?

सिपाहियों ने यीशु को बैजिनी रंग का बागा पहनाया और उसके सिर पर कांटों का मुकुट रखा और उसका ठट्ठा किया, उस पर थूका और उसके सिर पर मारा और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने ले गए।

Matthew 27:32

कुरेनी शमौन से बेगार में क्या काम करवाया गया?

उन्होंने शमौन को पकड़ा कि यीशु का क्रूस उठाए।

Matthew 27:33

वे यीशु को क्रूसीकरण के लिए कहाँ ले गए?

वे उसे गुलगुता अर्थात खोपड़ी के स्थान ले गए।

Matthew 27:35

यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के बाद सैनिकों ने क्या किया?

सिपाहियों ने यीशु के कपड़े बांटने के लिए चिट्ठियां डाली और बैठकर पहरा देने लगे।

Matthew 27:37

उन्होंने यीशु के सिर पर क्या लिखकर लटकाया?

उन्होंने एक दोष पत्र लिखा, "यह यहूदियों का राजा यीशु है"।

Matthew 27:38

यीशु के साथ किसको क्रूस पर लटकाया गया?

यीशु के बाई और दाहिनी ओर दो डाकू भी क्रूस पर लटकाए गए।

Matthew 27:39

महायाजक शास्त्री और पुरनियों ने उसका ठट्ठा करके क्या कहा?

सब लोग यीशु को चुनौती दे रहे थे कि वह क्रूस से उतर कर अपने आपको बचा ले।

Matthew 27:45

छठवें घंटे से नौवें घंटे तक क्या हुआ?

छठवें घंटे से नौवे घंटे तक संपूर्ण देश में अंधेरा छा गया।

Matthew 27:46

नौवें घंटे यीशु ने पुकार कर क्या कहा?

?

Matthew 27:50

यीशु ने फिर उंचे शब्दों में पुकारा तब क्या हुआ?

यीशु ने प्राण त्याग दिये।

Matthew 27:51

यीशु के मरणोपरान्त मन्दिर में क्या हुआ?

यीशु के मरणोपरान्त मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट गया।

Matthew 27:52

यीशु की मृत्यु के बाद कब्रों में क्या हुआ?

यीशु की मृत्यु के बाद अनेक मृतक पवित्रजन जी उठे और बहुतों को दिखाई दिए।

Matthew 27:54

घटनाओं को देखकर सूबेदार ने क्या गवाही दी?

सूबेदार ने गवाही दी, "सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था"।

Matthew 27:57

क्रूसीकरण के बाद यीशु का पार्थिव देह का क्या हुआ?

यीशु के एक धनवान शिष्य, यूसुफ ने पिलातुस से यीशु की पार्थिव देह मांगी और उसे चादर में लपेट कर अपनी नई कब्र में रख दिया।

Matthew 27:60

यीशु की कब्र के द्वार पर क्या रखा गया था?

जिस कब्र में यीशु को रखा गया था उस पर एक बड़ा पत्थर रखा गया।

Matthew 27:62

अगले दिन महायाजक और फरीसी पिलातुस के पास क्यो गए थे?

महायाजक और फरीसी सुनिश्चित करना चाहते थे कि यीशु की मृतक देह को कोई चुरा न ले।

Matthew 27:65

पिलातुस ने उन्हें कब्र पर क्या करने की अनुमति दी?

पिलातुस ने उनकी मांग पूरी करके पत्थर पर मुहर लगवा दी और कब्र पर रखवाली करवाई।


Chapter 28

1 सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहले दिन पौ फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आई। 2 तब एक बड़ा भूकम्प हुआ, क्योंकि परमेश्‍वर का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। 3 उसका रूप बिजली के समान और उसका वस्त्र हिम के समान उज्‍ज्वल था। 4 उसके भय से पहरेदार काँप उठे, और मृतक समान हो गए। 5 स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो, मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रूस पर चढ़ाया गया था ढूँढ़ती हो। 6 वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार* जी उठा है; आओ, यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु रखा गया था। 7 और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो, कि वह मृतकों में से जी उठा है; और देखो वह तुम से पहले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे, देखो, मैंने तुम से कह दिया।” 8 और वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिये दौड़ गई।

9 तब, यीशु उन्हें मिला और कहा; “सुखी रहो” और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उसको दण्डवत् किया। 10 तब यीशु ने उनसे कहा, “मत डरो; मेरे भाइयों से जाकर कहो, कि गलील को चलें जाएँ वहाँ मुझे देखेंगे।”

11 वे जा ही रही थी, कि पहरेदारों में से कितनों ने नगर में आकर पूरा हाल प्रधान याजकों से कह सुनाया। 12 तब उन्होंने प्राचीनों के साथ इकट्ठे होकर सम्मति की, और सिपाहियों को बहुत चाँदी देकर कहा। 13 “यह कहना कि रात को जब हम सो रहे थे, तो उसके चेले आकर उसे चुरा ले गए। 14 और यदि यह बात राज्यपाल के कान तक पहुँचेगी, तो हम उसे समझा लेंगे और तुम्हें जोखिम से बचा लेंगे।” 15 अतः उन्होंने रुपये लेकर जैसा सिखाए गए थे, वैसा ही किया; और यह बात आज तक यहूदियों में प्रचलित है।

16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। 17 और उन्होंने उसके दर्शन पा कर उसे प्रणाम किया, पर किसी-किसी* को सन्देह हुआ। 18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है। 19 इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, 20 और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग* हूँ।”



Matthew 28:1

x

अब यीशु के पुनरूत्थान का वृत्तान्त आरंभ होता है

सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहले दिन पौ फटते ही

"सब्त के दिन सप्ताह होने के बाद रविवाद सूर्योदय से पूर्व"

दूसरी मरियम

"मरियम नाम की एक और महिला" या "याकूब और यूसुफ और यूसुफ की माता मरियम"

देखो

लेखक पाठकों को सूचित कर रहा है कि कोई आश्चर्यजनक बात होने जा रही है, आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने की विधि होगी।

एक बड़ा भूकम्प हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया।

संभावित अर्थ, (1) स्वर्गदूत ने आकर पत्थर को हटाया तो भूकम्प हुआ" (यू.डी.बी.) या (2) ये सब घटनाएं एक साथ हुई (यू.डी.बी.)

भूकम्प

भूकम्प अचानक ही भूमि हिलने लगी।

Matthew 28:3

x

यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है

उसका रूप

उसका रूप "स्वर्गदूत का रूप"

बिजली का सा

"ऐसा चमत्कार की आकाश की बिजली से"

पाले के समान उज्जवल

"अत्यधिक श्वेत"

मृतक समान

"निश्चेष्ट"

Matthew 28:5

x

यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है

स्त्रियों से

"मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम"

जो क्रूस पर चढ़ाया गया था

"जिसे लोगों ने और सैनिकों ने क्रूस पर चढ़ाया था"

जी उठा है

"परन्तु परमेश्वर ने उसे जीवित कर दिया है" (देखें: Active/Passive)

Matthew 28:8

x

यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है

वे

वे - मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम

देखो

लेखक पाठकों को सूचित कर रहा है कि कोई आश्चर्यजनक बात होने जा रही है, आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने की विधि होगी।

उसके पाँव पकड़कर

उसके पाँव पकड़कर "अपने घुटनों पर गिरकर उसका चरण स्पर्श किया"।

मेरे भाइयों से

मेरे भाइयों से , "यीशु के शिष्यों से

Matthew 28:11

x

अब यीशु के पुनरूत्थान पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया का आरंभ होता है।

स्त्रियों से

मरियम मगदनीनी और दूसरी मरियम

देख

कहानी में घटना के परिवर्तन का संकेत जो वर्णित घटनाओं के नामों से अलग अन्य नायकों का आने की सूचना देता है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

सम्मति की

"आपस में योजना बनाई" याजकों और पुरनियों ने सैनिकों को रिश्वत देने का निर्णय लिया।

यह कहना कि रात को जब हम सो रहे थे, तो चेले आकर उसे चुरा ले गए।

"यदि कोई पूछे तो कहना कि यीशु के शिष्यों ने आकर ... जब हम सो रहे थे"।

Matthew 28:14

x

अधिकारियों द्वारा सैनिकों को निर्देश का वृत्तान्त चल रहा है

शासक

पिलातुस

जैसा सिखाए गए थे वैसा ही किया

"जैसा याजकों ने कहा था वैसा ही किया"

आज तक

मत्ती द्वारा पुस्तक लिखे जाने तक

Matthew 28:16

x

पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट करने का वृत्तान्त आरंभ होता है।

Matthew 28:18

x

पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट का वृत्तान्त चल रहा है।

के नाम में

"के अधिकाराधीन"

Matthew 28:20

x

पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट का वृत्तान्त चल रहा है।

मानना सिखाओ

"जिन्हें तुम बपतिस्मा दोगे उन्हें सिखाना"

देखो

वैकल्पिक अनुवाद, "सुनो" या "देखो" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"


Translation Questions

Matthew 28:1

मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम किस दिन और किस समय यीशु की कब्र पर गई?

सप्ताह के पहले दिन भोर होते-ही वे यीशु की कब्र पर गए।

Matthew 28:2

यीशु की कब्र पर से पत्थर कैसे हटाया गया था?

प्रभु का एक दूत आया और कब्र पर से पत्थर हटा दिया।

Matthew 28:4

स्वर्गदूतों को देखकर पहरेदारों की क्या दशा हुई?

स्वर्गदूत को देखकर पहरेदार कांपने लगे और मृतकों के सदृश्य हो गए।

Matthew 28:5

स्वर्गदूत ने उन दोनों स्त्रियों से यीशु के बारे में क्या कहा?

स्वर्गदूत ने कहा कि यीशु जी उठा है और उनसे पहले गलील जा रहा है।

Matthew 28:8

जब वे दोनों स्त्रियां शिष्यों को समाचार सुनाने जा रही थी तब क्या हुआ?

उन स्त्रियों को यीशु दिखाई दिया और उन्होंने उसके पांव पकड़कर उसकी उपासना की।

Matthew 28:11

जब सिपाहियों ने महायाजकों को घटना का समाचार दिया तब उन्होंने क्या किया?

महायाजकों ने सिपाहियों को बहुत चांदी देकर कहा कि वे अफवाह उड़ा दें कि यीशु के शिष्य उसकी देह को चुराकर ले गए।

Matthew 28:17

यीशु को गलील में देखकर चेलों ने क्या किया?

चेलों ने यीशु की उपासना की परन्तु कुछ ने सन्देह किया।

Matthew 28:18

यीशु के कथनानुसार उसे क्या अधिकार दिया गया था?

यीशु ने कहा कि उसे स्वर्ग और पृथ्वी का पूरा अधिकार दिया गया है।

Matthew 28:19

यीशु के अपने चेलों को कौन सी तीन आज्ञाएं दी थी?

यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी कि वे चेले बनाएं और उन्हें बपतिस्मा देकर यीशु की सब आज्ञाएं मानना सिखाएं।

यीशु ने अपने चेलों को किसके नाम से बपतिस्मा देने की आज्ञा दी है?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे पिता, पुत्र और पवित्र-आत्मा के नाम से बपतिस्मा दें।

Matthew 28:20

यीशु ने अपने चेलों से अन्तिम प्रतिज्ञा क्या की थी?

यीशु ने उनसे प्रतिज्ञा की कि वे जगत के अन्त तक उनके साथ रहेगा।


Book: Mark

Mark

Chapter 1

1 परमेश्‍वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरम्भ। 2 जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक में लिखा है:

     “देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ,

     जो तेरे लिये मार्ग सुधारेगा। (मत्ती 11:10, मला. 3:1)

    3 जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है कि

     प्रभु का मार्ग तैयार करो, और उसकी

     सड़कें सीधी करो।” (यशा. 40:3)

4 यूहन्ना आया, जो जंगल में बपतिस्मा देता, और पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करता था। 5 सारे यहूदिया के, और यरूशलेम के सब रहनेवाले निकलकर उसके पास गए, और अपने पापों को मानकर यरदन नदी* में उससे बपतिस्मा लिया। 6 यूहन्ना ऊँट के रोम का वस्त्र पहने और अपनी कमर में चमड़े का कमरबन्द बाँधे रहता था और टिड्डियाँ और वनमधु खाया करता था। (2 राजा. 1:8, मत्ती 3:4) 7 और यह प्रचार करता था, “मेरे बाद वह आनेवाला है, जो मुझसे शक्तिशाली है; मैं इस योग्य नहीं कि झुककर उसके जूतों का फीता खोलूँ। 8 मैंने तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा दिया है पर वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देगा।”

9 उन दिनों में यीशु ने गलील के नासरत से आकर, यरदन में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया। 10 और जब वह पानी से निकलकर ऊपर आया, तो तुरन्त उसने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर के रूप में अपने ऊपर उतरते देखा। 11 और यह आकाशवाणी हुई, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्‍न हूँ।”

12 तब आत्मा ने तुरन्त उसको जंगल की ओर भेजा। 13 और जंगल में चालीस दिन तक शैतान ने उसकी परीक्षा की; और वह वन-पशुओं के साथ रहा; और स्वर्गदूत उसकी सेवा करते रहे।

14 यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया। 15 और कहा, “समय पूरा हुआ है, और परमेश्‍वर का राज्य निकट आ गया है*; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो।”

16 गलील की झील* के किनारे-किनारे जाते हुए, उसने शमौन और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछुवारे थे। 17 और यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ; मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।” 18 वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। 19 और कुछ आगे बढ़कर, उसने जब्दी के पुत्र याकूब, और उसके भाई यूहन्ना को, नाव पर जालों को सुधारते देखा। 20 उसने तुरन्त उन्हें बुलाया; और वे अपने पिता जब्दी को मजदूरों के साथ नाव पर छोड़कर, उसके पीछे हो लिए।

21 और वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्त सब्त के दिन आराधनालय में जाकर उपदेश करने लगा। 22 और लोग उसके उपदेश से चकित हुए; क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों की तरह नहीं, परन्तु अधिकार के साथ उपदेश देता था। 23 और उसी समय, उनके आराधनालय में एक मनुष्य था, जिसमें एक अशुद्ध आत्मा थी। 24 उसने चिल्लाकर कहा, “हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ, तू कौन है? परमेश्‍वर का पवित्र जन!” 25 यीशु ने उसे डाँटकर कहा, “चुप रह; और उसमें से निकल जा।” 26 तब अशुद्ध आत्मा उसको मरोड़कर, और बड़े शब्द से चिल्लाकर उसमें से निकल गई। 27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे “यह क्या बात है? यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी आज्ञा मानती हैं।” 28 और उसका नाम तुरन्त गलील के आस-पास के सारे प्रदेश में फैल गया।

29 और वह तुरन्त आराधनालय में से निकलकर, याकूब और यूहन्ना के साथ शमौन और अन्द्रियास के घर आया। 30 और शमौन की सास तेज बुखार से पीड़ित थी, और उन्होंने तुरन्त उसके विषय में उससे कहा। 31 तब उसने पास जाकर उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया; और उसका ज्वर उस पर से उतर गया, और वह उनकी सेवा-टहल करने लगी। 32 संध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें, जिनमें दुष्टात्माएँ थीं, उसके पास लाए। 33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। 34 और उसने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुःखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला; और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं।

35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा। 36 तब शमौन और उसके साथी उसकी खोज में गए। 37 जब वह मिला, तो उससे कहा; “सब लोग तुझे ढूँढ़ रहे हैं।” 38 यीशु ने उनसे कहा, “आओ; हम और कहीं आस-पास की बस्तियों में जाएँ, कि मैं वहाँ भी प्रचार करूँ, क्योंकि मैं इसलिए निकला हूँ।” 39 और वह सारे गलील में उनके आराधनालयों में जा जाकर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा।

40 एक कोढ़ी ने उसके पास आकर, उससे विनती की, और उसके सामने घुटने टेककर, उससे कहा, “यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” 41 उसने उस पर तरस खाकर हाथ बढ़ाया, और उसे छूकर कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।” 42 और तुरन्त उसका कोढ़ जाता रहा, और वह शुद्ध हो गया। 43 तब उसने उसे कड़ी चेतावनी देकर तुरन्त विदा किया, 44 और उससे कहा, “देख, किसी से कुछ मत कहना, परन्तु जाकर अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने ठहराया है उसे भेंट चढ़ा, कि उन पर गवाही हो।” (लैव्य. 14:1-32) 45 परन्तु वह बाहर जाकर इस बात को बहुत प्रचार करने और यहाँ तक फैलाने लगा, कि यीशु फिर खुल्लमखुल्ला नगर में न जा सका, परन्तु बाहर जंगली स्थानों में रहा; और चारों ओर से लोग उसके पास आते रहे।



Mark 1:1

तेरे... तेरे

एकवचन

प्रभु का मार्ग

इन दोनों आज्ञाओं का अर्थ एक ही हैः "तैयार करो" अर्थात किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से भेंट करने की तैयारी करो। यदि आपकी भाषा में ये दोनों उक्तियाँ एक ही हैं तो आप दूसरी उक्ति को छोड़ सकते हैं जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

Mark 1:4

यूहन्ना आया

सुनिश्चित करें कि यह वही यूहन्ना है जिसकी चर्चा में की गई है।

उसके... उससे

यूहन्ना

सारे यहूदिया प्रदेश... और यरूशलेम

यहूदिया और यरूशलेम से बहुत से लोग

Mark 1:7

यह प्रचार करता था

यूहन्ना प्रचार करता था।

मैं इस योग्य नहीं कि झुककर उसके जूतों का बन्ध खोलूं।

यूहन्ना कहता है कि वह एक दास का सबसे तुच्छ कार्य करने योग्य भी नहीं है।

झुककर

"झुककर"

वह तुम्हें पवित्र-आत्मा से बपतिस्मा देगा।

पवित्र-आत्मा का बपतिस्मा मनुष्य को पवित्र-आत्मा के संपर्क में लाता है जैसे जल का बपतिस्मा मनुष्यों को पानी के संपर्क में लाता है।

Mark 1:12

उसको जंगल की ओर जाने को विवश किया

यीशु को जाने के लिए विवश किया।

वह वन पशुओं के साथ रहा

वह जंगल में रहा

चालीस दिन

"40 दिन"

के साथ

"के मध्य"

Mark 1:14

यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद

"यूहन्ना के बन्दीगृह में डाले जाने के बाद" वैकल्पिक अनुवाद, "जब उन्होंने यूहन्ना को बन्दी बना लिया।"

परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया।

"परमेश्वर से आने वाले सुसमाचार का प्रचार किया"

समय पूरा हुआ है

"अब समय आ गया है"

Mark 1:16

शमौन और उसके भाई अन्द्रियास ... देखा

"यीशु ने शमौन और अन्द्रियास को देखा"

जाल डालते

"जाल फैलाते"

क्योंकि वे मछुवे थे

"क्योंकि वे मछली पकड़ने वाले थे"

मेरे पीछे आओ

"मेरा अनुसरण करो"

मैं तुमको मनुष्यों के मछुवे बनाऊँगा।

वह उन्हें सिखाएगा कि मनुष्यों को कैसे एकत्र करें जैसे वे मछलियों को एकत्र करते हैं।

वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

"उन्होंने अपने मछली पकड़ने के व्यवसाय का त्याग कर यीशु का अनुसरण किया।"

Mark 1:19

उनकी नाव पर

"उनकी नाव में"

जालों को सुधारते

"जाल सुधार रहे थे"

किराए के मजदूर

"उनके लिए काम करने वाले"

उसके पीछे हो लिए

"याकूब और यूहन्ना यीशु के साथ चले गए"

Mark 1:23

आराधनालय

यीशु और शिष्य आराधनालय में गए, यह वही स्थान है जहाँ उसने उपदेश देना आरंभ किया था।

क्या तू हमें नष्ट करने आया है?

वैकल्पिक अनुवाद, "हमें नष्ट नहीं करना"

Mark 1:29

निकलकर

यीशु, शमौन और अन्द्रियास के प्रस्थान के बाद

उसका ज्वर उतर गया

वैकल्पिक अनुवाद, "शमौन की सास को ज्वर से चंगाई प्राप्त हुई"

वह उनकी सेवा टहल करने लगी

वैकल्पिक अनुवाद, "उसने उन्हें भोजन पानी करवाया"

Mark 1:32

उसके...उसने...उसे

यीशु

सारा नगर द्वार पर इकट्ठा था

"उस नगर के बहुत से लोग द्वार पर एकत्र थे"

Mark 1:35

सुनसान जगह

"एक ऐसा स्थान जहाँ वह अकेला रह सकता था"

सब लोग तुम्हें ढूंढ रहे हैं।

वैकल्पिक अनुवाद, "लोग तेरी प्रतीक्षा में हैं"

Mark 1:38

उसने...वह

यीशु

हम और कहीं... जाएं

"हमें कहीं और जाना चाहिए"

सारे गलील में

"वह गलील में अनेक स्थानों में गया"

Mark 1:40

एक कोढ़ी उसके पास आया, उसने विनती की और उसके सामने घुटने टेककर उससे कहा।

"एक कोढ़ी यीशु के पास आया, वह कोढ़ी घुटने टेककर यीशु से विनती करने लगा, उस कोढ़ी ने यीशु से कहा।"

यदि तू चाहे

"यदि तू मुझे शुद्ध करना चाहे"

मुझे शुद्ध कर सकता है।

"मुझे निरोग कर सकता है" कोढ़ियों को अशुद्ध माना जाता था। उन्हें समाज से बहिष्कृत किया गया था परन्तु रोग मुक्त होने पर वह समाज में रह सकता था।

मैं चाहता हूँ

"मैं तुझे शुद्ध करने की इच्छा रखता हूँ"

Mark 1:43

उससे...वह

उस कोढ़ी से जो शुद्ध हुआ था

अपने को दिखा

"अपनी त्वचा दिखा"

Mark 1:45

वह जाकर... प्रचार करने लगा

"वह मनुष्य बाहर गया और प्रचार किया"

प्रचार करने...वचन फैलाने लगा

"लोगों को वचन बताने लगा"

(हर एक से)

वह जिससे भी भेंट करता था

यीशु फिर खुल्लम-खुल्ला नगर में न जा सका

"जनसमूह ने यीशु का नगर प्रवेश कठिन कर दिया"

चारों ओर से

"संपूर्ण क्षेत्र से" (देखें: यू.डी.बी.)


Translation Questions

Mark 1:2

यशायाह की भविष्यद्वाणी के अनुसार प्रभु के आगमन से पूर्व क्या होना था?

यशायाह ने भविष्यद्वाणी की थी कि परमेश्वर एक दूत को भेजेगा- जंगल में पुकारने वाले का शब्द कि प्रभु का मार्ग तैयार किया जाए।

Mark 1:4

यूहन्ना क्या प्रचार करता था?

यूहन्ना पापों की क्षमा के लिए मनफिराव के बपतिस्में का प्रचार करता था।

Mark 1:5

यूहन्ना से बपतिस्मा पाते समय मनुष्य क्या करते थे?

यूहन्ना से बपतिस्मा पाते समय मनुष्य अपने पापों का अंगीकार करते थे।

Mark 1:6

यूहन्ना क्या खाता था?

यूहन्ना टिड्डियाँ और वन मधु खाता था।

Mark 1:8

यूहन्ना ने उसके बाद आने वाले के बपतिस्मे के बारे में क्या कहा था?

यूहन्ना कहता था कि उसके बाद आने वाला पवित्र-आत्मा का बपतिस्मा देगा।

Mark 1:10

यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जब यीशु पानी से बाहर आया तो उसने क्या देखा?

यूहन्ना से बपतिस्मा पाने के बाद यीशु ने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर के रूप में उस पर उतरते देखा।

Mark 1:11

यीशु के बपतिस्मे के बाद आकाशवाणी में क्या कहा गया था?

तब आकाशवाणी हुई "तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझसे मैं प्रसन्न हूँ।"

Mark 1:12

यीशु को जंगल में कौन ले गया था?

आत्मा यीशु को जंगल में ले गया।

Mark 1:13

यीशु कितने दिन जंगल में रहा और वहाँ क्या हुआ?

यीशु चालीस दिन जंगल में रहा और शैतान ने उसकी परीक्षा ली।

Mark 1:15

यीशु क्या प्रचार करता था?

यीशु प्रचार करता था कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है, मनुष्यों को मन फिराकर सुसमाचार ग्रहण करना है।

Mark 1:16

शमौन, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना का व्यवसाय क्या था?

शमौन, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना सब मछुवे थे।

Mark 1:17

यीशु ने क्या कहा कि वह शमौन और अन्द्रियास को बनाएगा?

यीशु ने कहा कि वह शमौन और अन्द्रियास को मनुष्यों का मछुवा बनाएगा।

Mark 1:22

आराधनालयों में यीशु की शिक्षा सुनकर लोग आश्चर्य क्यों करते थे?

यीशु की शिक्षा पर लोग आश्चर्य करते थे क्योंकि वह अधिकार के साथ शिक्षा देता था।

Mark 1:24

आराधनालय में अशुद्ध आत्मा ने यीशु को क्या पद दिया था?

आराधनालय में अशुद्ध आत्मा ने यीशु को परमेश्वर का पवित्र जन कहा था।

Mark 1:28

यीशु के बारे में समाचार कहाँ पहुँचा?

यीशु के बारे में समाचार सब स्थानों में कैसे फैल गया।

Mark 1:30

शमौन के घर में यीशु ने किसको चंगा किया था?

शमौन के घर में यीशु ने उसकी सास को चंगा किया।

Mark 1:32

संध्या समय वहाँ क्या हुआ?

संध्या समय लोग सब रोगियों और दुष्टात्माग्रस्त मनुष्यों को लाए और यीशु ने उन्हें चंगा किया।

Mark 1:35

सूर्योदय से पूर्व यीशु ने क्या किया था?

सूर्योदय से पूर्व यीशु एकान्तवास में प्रार्थना करने चला गया था।

Mark 1:38

यीशु ने शमौन से कहा कि वह क्या करने आया है?

यीशु ने कहा कि वह आसपास की बस्तियों में प्रचार करने आया है।

Mark 1:40

एक कोढ़ी ने यीशु से विनती की कि वह उसे चंगा करे तो उसके प्रति यीशु का स्वभाव कैसा था?

यीशु को उस कोढ़ी पर तरस आया और उसने उसे चंगा किया।

Mark 1:44

यीशु ने उस कोढ़ी से क्या करने को कहा और क्यों कहा?

यीशु ने उस कोढ़ी से कहा कि वह जाकर गवाही स्वरूप मूसा की आज्ञा के अनुसार चढ़ावा चढ़ाए।


Chapter 2

1 कई दिन के बाद वह फिर कफरनहूम में आया और सुना गया, कि वह घर में है। 2 फिर इतने लोग इकट्ठे हुए, कि द्वार के पास भी जगह नहीं मिली; और वह उन्हें वचन सुना रहा था। 3 और लोग एक लकवे के मारे हुए को चार मनुष्यों से उठवाकर उसके पास ले आए। 4 परन्तु जब वे भीड़ के कारण उसके निकट न पहुँच सके, तो उन्होंने उस छत को जिसके नीचे वह था, खोल दिया और जब उसे उधेड़ चुके, तो उस खाट को जिस पर लकवे का मारा हुआ पड़ा था, लटका दिया। 5 यीशु ने, उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।” 6 तब कई एक शास्त्री जो वहाँ बैठे थे, अपने-अपने मन में विचार करने लगे, 7 “यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्‍वर की निन्दा करता है! परमेश्‍वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?” (यशा. 43:25) 8 यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया, कि वे अपने-अपने मन में ऐसा विचार कर रहे हैं, और उनसे कहा, “तुम अपने-अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो? 9 सहज क्या है? क्या लकवे के मारे से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना, कि उठ अपनी खाट उठाकर चल फिर? 10 परन्तु जिससे तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” उसने उस लकवे के मारे हुए से कहा, 11 “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” 12 वह उठा, और तुरन्त खाट उठाकर सब के सामने से निकलकर चला गया; इस पर सब चकित हुए, और परमेश्‍वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा।”

13 वह फिर निकलकर झील के किनारे गया, और सारी भीड़ उसके पास आई, और वह उन्हें उपदेश देने लगा। 14 जाते हुए यीशु ने हलफईस के पुत्र लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और वह उठकर, उसके पीछे हो लिया।

15 और वह उसके घर में भोजन करने बैठा; और बहुत से चुंगी लेनेवाले और पापी भी उसके और चेलों के साथ भोजन करने बैठे, क्योंकि वे बहुत से थे, और उसके पीछे हो लिये थे। 16 और शास्त्रियों और फरीसियों ने यह देखकर, कि वह तो पापियों और चुंगी लेनेवालों के साथ भोजन कर रहा है, उसके चेलों से कहा, “वह तो चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ खाता पीता है!” 17 यीशु ने यह सुनकर, उनसे कहा, “भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ*।”

18 यूहन्ना के चेले, और फरीसी उपवास करते थे; अतः उन्होंने आकर उससे यह कहा; “यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?” 19 यीशु ने उनसे कहा, “जब तक दुल्हा बारातियों के साथ रहता है क्या वे उपवास कर सकते हैं? अतः जब तक दूल्हा उनके साथ है, तब तक वे उपवास नहीं कर सकते। 20 परन्तु वे दिन आएँगे, कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा; उस समय वे उपवास करेंगे। 21 नये कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता; नहीं तो वह पैबन्द उसमें से कुछ खींच लेगा, अर्थात् नया, पुराने से, और वह और फट जाएगा। 22 नये दाखरस को पुरानी मशकों में कोई नहीं रखता, नहीं तो दाखरस मशकों को फाड़ देगा, और दाखरस और मशकें दोनों नष्ट हो जाएँगी; परन्तु दाख का नया रस नई मशकों में भरा जाता है।”

23 और ऐसा हुआ कि वह सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था; और उसके चेले चलते हुए बालें तोड़ने लगे। (व्य. 23:25) 24 तब फरीसियों ने उससे कहा, “देख, ये सब्त के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं?” 25 उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी नहीं पढ़ा, कि जब दाऊद को आवश्यकता हुई और जब वह और उसके साथी भूखे हुए, तब उसने क्या किया था? 26 उसने क्यों अबियातार महायाजक के समय, परमेश्‍वर के भवन में जाकर, भेंट की रोटियाँ खाई, जिसका खाना याजकों को छोड़ और किसी को भी उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दीं?” 27 और उसने उनसे कहा, “सब्त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्त के दिन के लिये*। 28 इसलिए मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।”



Mark 2:1

सुना गया कि वह घर में है

वहाँ लोगों ने सुना कि वह उस घर में है

जगह नहीं थी

"किसी के लिए भी स्थान नहीं था"

Mark 2:3

लकवे के रोगी को... उसके पास ले आए

"एक मनुष्य को लाए जो चलने में असमर्थ और उसके हाथ-पाव काम नहीं करते थे"

चार मनुष्यों

"4 मनुष्य"

उसके निकट न पहुंच सके

"यीशु जहाँ था वहाँ नहीं पहुंच सके"

Mark 2:5

उनका विश्वास देखकर

"यह देखकर कि उनमें विश्वास है" इसके अर्थ हो सकते हैं; (1) उस लकवे के रोगी को लाने वालों का विश्वास या (2) लकवे के रोगी और उसे लाने वालों का विश्वास।

लकवे के रोगी

"उस मनुष्य से जो चल नहीं सकता था"

हे पुत्र

यीशु एक पिता के समान सुधि लेते हुए जैसे एक पिता अपने बेटे की सुधि लेता है।

तेरे पाप क्षमा हुए

इसका अर्थ है, (1) परमेश्वर ने तेरे पाप क्षमा किए (देखें: 2:7) या (2) "मैंने तेरे पाप क्षमा किए"

मन में विचार करने लगे

"सोचने लगे"

यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है?

"इस व्यक्ति को ऐसा नहीं कहना चाहिए"

परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?

"केवल परमेश्वर पाप क्षमा कर सकता है"

Mark 2:8

वे अपने-अपने मन में ऐसा विचार कर रहे थे

शास्त्री एक-दूसरे से बातें नहीं कर रहे थे परन्तु अपने मनों में सोच रहे थे।

तुम अपने-अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो?

यीशु शास्त्रियों को झिड़क रहा है क्योंकि उन्होंने उसके अधिकार पर सन्देह किया। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम शास्त्रियों ने मेरे अधिकार पर प्रश्न उठाया।"

सहज क्या है?

यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि शास्त्रियों को स्मरण कराए कि उन्हें उस मनुष्य के लकवाग्रस्त होने का विश्वास था कि वह पाप का परिणाम है और यदि उसके पाप क्षमा हो जाएं तो चलने योग्य हो जाएगा अतः जब उसने उस लकवाग्रस्त मनुष्य को चंगा किया तो शास्त्रियों को समझ में आ जाए कि उसे पाप क्षमा करने का अधिकार है।

सहज क्या है?... यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए "या यह कहना कि उठ अपनी खाट उठाकर चल फिर"?

"क्या यह कहना आसान है... ‘तेरे पाप क्षमा हुए’? या यह कहना आसान है, ‘उठ... चल फिर’?"

Mark 2:10

जिससे तुम जान लो

"मैं तुम पर सिद्ध करूंगा"

तुम

शास्त्री और जनसमूह

उसने लकवे के रोगी से कहा

"उसने उस मनुष्य से जो चलने योग्य न था, उससे कहा"

सबके सामने

"वहाँ उपस्थित जनसमूह की आँखों के सामने"

Mark 2:13

सारी भीड़ उसके पास आई

"लोग वहाँ आ गए जहाँ वह था"

Mark 2:15

लेवी के घर

"लेवी के घर"

बहुत से चुंगी लेने वाले और पापी यीशु और उसके चेलों के साथ भोजन करने बैठे क्योंकि वे बहुत से थे।

"अनेक चुंगी लेने वाले और पापी जन जो यीशु के पीछे आए थे, उसके और उसके शिष्यों के साथ भोजन करने बैठे थे।"

वह तो चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ खाता-पीता है।

शास्त्री और फरीसी प्रकट कर रहे थे कि वे यीशु के इस कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं।(देखें: वैकल्पिक अनुवाद, "उसे पापियों और चुंगी लेने वालों के साथ खाना-पीना नहीं चाहिए।"

Mark 2:17

उसने उनसे कहा

"उसने फरीसियों से कहा"

"भले चंगों को वैध की आवश्यकता नहीं; परन्तु बीमारों को है

यीशु एक रूपक काम में ले रहा है जिसकी व्याख्या वह अगले अध्याय में करेगा। यीशु उन लोगों के लिए आया है जो स्वीकार करते हैं कि वे पापी हैं, उनके लिए नहीं जो अपने आपको धर्मी मानते हैं।

मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।

"मैं उन लोगों के लिए आया हूँ जो अपने को पापी मानते हैं, उनके लिए नहीं जो अपने को धर्मी मानते हैं।"

Mark 2:18

जब तक दूल्हा बरातियों के साथ रहता है, क्या वे उपवास कर सकते हैं?

यीशु अपने प्रश्न द्वारा कटाक्ष कर रहा है। "जब कोई पुरुष किसी स्त्री से ब्याह करता है तब उसके मित्र निश्चय ही भोजन का त्याग नहीं करेंगे, जब वह उनके साथ है।" (यू.डी.बी.)

Mark 2:20

जब दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा।

यीशु अपनी मृत्यु, पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के संदर्भ में पूछ रहा है, परन्तु न तो उसके हत्यारे न ही उसे पुनर्जीवित करने वाला परमेश्वर जो उसे स्वर्ग ले जाएगा। दूल्हे को अलग करने वाले नहीं हैं। यदि आपकी भाषा में नायक को स्पष्ट करने की आवश्यकता है वो यथासंभव साधारण भाषा का उपयोग करें। वैकल्पिक अनुवाद, "वे दूल्हे को अलग कर देंगे" या "मनुष्य दूल्हे को ले जाएंगे" या "दूल्हा चला जाएगा।" (देखें: और )

उस समय वे

बराती

कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता है।

पुराने वस्त्र पर नए कपड़े का पैबन्द लगाने से वस्त्र और अधिक फट जाता है, यदि पैबन्द का कपड़ा पहले से सिकोड़ा हुआ न हो। पैबन्द और वस्त्र दोनों नष्ट हो जाएंगे।

Mark 2:22

नये दाखरस को पुरानी मशकों में कोई नहीं रखता है।

यह एक रूपक या दृष्टान्त है जो उनके प्रश्न का उत्तर देता है, "यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?" ( ; देखें: )

नये दाखरस को

"अंगूर के रस को" अर्थात जिस दाखरस का नहीं हुआ है यदि आपके यहाँ अंगूर हैं तो वही शब्द काम में लें।

पुरानी मशकों में

अर्थात जिन मशकों को पहले काम में लिया जा चुका है

मशकें

पशुओं के चमड़े से बनाए गए थैले। इन्हें दाखरस के थैले या "चमड़े के थैले" (यू.डी.बी.) भी कहा जा सकता है।

मशके... नष्ट हो जाएंगी।

जब नया दाखरस के कारण फैलता है तब वे फट जाएंगी। क्योंकि उनकी फैलने की क्षमता समाप्त हो चुकी है।

नष्ट हो जाएंगे

"व्यर्थ चले जाएंगे"(यू.डी.बी.)

नई मशकों में

"नए दाखरस के थैलों में" जिन मशकों को कभी काम में नहीं लिया गया है।

Mark 2:23

देखा, ये सब्त के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं?

"देख वे सब्त के यहूदी कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।"

बालें तोड़ने और खाने लगे जो सब्त के दिन उचित नहीं

किसी के खेत से गेहूं तोड़कर खाना चोरी नहीं मानी जाती थी (देखें यू.डी.बी.) परन्तु प्रश्न इस बात का था कि क्या सब्त के दिन ऐसा विधि-सम्मत काम किया जा सकता है।

ये

गेहूं की बालें

गेहूं की बालें

गेहूं के पौधे का सबसे ऊपर का भाग जिसमें उस पौधे के पके हुए बीज होते हैं।

देख

वैकल्पिक अनुवाद, "ध्यान दो कि मैं क्या कहने जा रहा हूँ"

Mark 2:25

x

यीशु शास्त्रियों और फरीसियों को सब्त के दिन के बारे में शिक्षा दे रहा है।

क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उसके साथी? उसने कैसे परमेश्वर के भवन में जाकर रोटियां खाई

यीशु जानता था कि शास्त्रियों और फरीसियों ने यह वृत्तान्त पढ़ा है। वह उन्हें दोष दे रहा है कि वे जानबूझकर इसे गलत समझ रहे हैं। वैकल्पिक अनुवाद "तुम्हें स्मरण है कि दाऊद...उसके साथी...जाकर" या "यदि तुम समझ गए कि दाऊद... उसके साथी- और वह कैसे मन्दिर में गया"

अबियातार

यहूदियों के इतिहास में दाऊद के युग में एक महायाजक था।

"उसने कैसे... परमेश्वर के भवन में जाकर

"दाऊद परमेश्वर के भवन में गया" (यू.डी.बी.)

Mark 2:27

x

यीशु शास्त्रियों और फरीसियों को सब्त के दिन के बारे में शिक्षा दे रहा था।


Translation Questions

Mark 2:1

उस लकवे के रोगी को लाने वाले चारों पुरुषों ने क्या किया?

लोगों ने छत हटाकर लकवे के रोगी को यीशु के पास नीचे उतारा।

Mark 2:5

यीशु ने उस लकवे के रोगी से क्या कहा था?

यीशु ने उससे कहा, "पुत्र तेरे पाप क्षमा हुए।"

Mark 2:6

शास्त्रियों ने यीशु पर आपत्ति क्यों उठाई थी?

शास्त्रियों में से कुछ सोचने लगे कि पाप क्षमा तो केवल परमेश्वर करता है, अतः यीशु परमेश्वर की निन्दा करता है।

Mark 2:8

यीशु ने पृथ्वी पर पाप क्षमा के अपने अधिकार का प्रदर्शन कैसे किया था?

यीशु ने लकवे के रोगी से कहा कि वह अपनी खाट उठाकर घर चला जाए, और उसने ऐसा ही किया।

Mark 2:13

जब यीशु ने लेवी को उसके पीछे आने को कहा तब वह क्या कर रहा था?

यीशु ने लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा तो उसे बुलाया।

Mark 2:15

यीशु लेवी के घर में क्या कर रहा था जिससे फरीसियों को बुरा लगा?

यीशु पापियों और चुंगी लेने वालों के साथ भोजन कर रहा था।

Mark 2:17

यीशु ने कहा कि वह किसको बुलाने आया है?

यीशु ने कहा कि वह पापियों को बुलाने आया है।

Mark 2:18

कुछ लोगों ने उपवास के विषय यीशु से क्या पूछा?

उन्होंने यीशु से कहा कि यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले उपवास रखते हैं परन्तु उसके चेले उपवास नहीं रखते, क्यों?

Mark 2:19

यीशु ने उपवास के विषय पूछे गए प्रश्न का क्या उत्तर दिया था?

यीशु ने कहा कि जब दूल्हा बारातियों के साथ होता है तब वे उपवास नहीं करते, जब दूल्हा चला जाएगा तब वे उपवास करेंगे।

Mark 2:23

यीशु के चेलों ने गेहूं के खेत में क्या किया जिस पर फरीसियों ने उंगली उठाई?

यीशु के चेलों ने सब्त के दिन गेहूं की बालें तोड़कर खाईं।

Mark 2:25

यीशु ने वर्जित रोटियों को खाने का क्या उदाहरण दिया था?

यीशु ने दाऊद का उदाहरण दिया कि उसने भेंट की रोटियां खाई थीं जबकि उन रोटियों को केवल याजक ही खा सकता था।

Mark 2:27

यीशु ने सब्त किसके लिए बताया था?

यीशु ने कहा कि सब्त मनुष्यों के लिए बनाया गया है।

Mark 2:28

यीशु ने किस अधिकार का दावा किया था?

यीशु ने कहा कि वह सब्त का प्रभु है।


Chapter 3

1 और वह फिर आराधनालय में गया; और वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था। 2 और वे उस पर दोष लगाने के लिये उसकी घात में लगे हुए थे, कि देखें, वह सब्त के दिन में उसे चंगा करता है कि नहीं। 3 उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़ा हो।” 4 और उनसे कहा, “क्या सब्त के दिन भला करना उचित है या बुरा करना, प्राण को बचाना या मारना?” पर वे चुप रहे। 5 और उसने उनके मन की कठोरता से उदास होकर, उनको क्रोध से चारों ओर देखा, और उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और उसका हाथ अच्छा हो गया। 6 तब फरीसी बाहर जाकर तुरन्त हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे, कि उसे किस प्रकार नाश करें।

7 और यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया: और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 8 और यहूदिया, और यरूशलेम और इदूमिया से, और यरदन के पार, और सूर और सैदा के आस-पास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर, कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई। 9 और उसने अपने चेलों से कहा, “भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें।” 10 क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था; इसलिए जितने लोग रोग से ग्रसित थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे। 11 और अशुद्ध आत्माएँ भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्‍वर का पुत्र है। 12 और उसने उन्हें कड़ी चेतावनी दी कि, मुझे प्रगट न करना।

13 फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए। 14 तब उसने बारह को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ-साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें। 15 और दुष्टात्माओं को निकालने का अधिकार रखें। 16 और वे ये हैं शमौन जिसका नाम उसने पतरस रखा। 17 और जब्दी का पुत्र याकूब, और याकूब का भाई यूहन्ना, जिनका नाम उसने बुअनरगिस*, अर्थात् गर्जन के पुत्र रखा। 18 और अन्द्रियास, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफईस का पुत्र याकूब; और तद्दै, और शमौन कनानी। 19 और यहूदा इस्करियोती, जिस ने उसे पकड़वा भी दिया।

20 और वह घर में आया और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई, कि वे रोटी भी न खा सके। 21 जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो उसे पकड़ने के लिये निकले; क्योंकि कहते थे, कि उसका सुध-बुध ठिकाने पर नहीं है। 22 और शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, यह कहते थे, “उसमें शैतान है,” और यह भी, “वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।” 23 और वह उन्हें पास बुलाकर, उनसे दृष्टान्तों* में कहने लगा, “शैतान कैसे शैतान को निकाल सकता है? 24 और यदि किसी राज्य में फूट पड़े, तो वह राज्य कैसे स्थिर रह सकता है? 25 और यदि किसी घर में फूट पड़े, तो वह घर क्या स्थिर रह सकेगा? 26 और यदि शैतान अपना ही विरोधी होकर अपने में फूट डाले, तो वह क्या बना रह सकता है? उसका तो अन्त ही हो जाता है।

27 “किन्तु कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट नहीं सकता, जब तक कि वह पहले उस बलवन्त को न बाँध ले; और तब उसके घर को लूट लेगा।

28 “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मनुष्यों की सन्तान के सब पाप और निन्दा जो वे करते हैं, क्षमा की जाएगी। 29 परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरुद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगा: वरन् वह अनन्त पाप का अपराधी ठहरता है।” 30 क्योंकि वे यह कहते थे, कि उसमें अशुद्ध आत्मा है।

31 और उसकी माता और उसके भाई आए, और बाहर खड़े होकर उसे बुलवा भेजा। 32 और भीड़ उसके आस-पास बैठी थी, और उन्होंने उससे कहा, “देख, तेरी माता और तेरे भाई बाहर तुझे ढूँढ़ते हैं।” 33 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरी माता और मेरे भाई कौन हैं?” 34 और उन पर जो उसके आस-पास बैठे थे, दृष्टि करके कहा, “देखो, मेरी माता और मेरे भाई यह हैं। 35 क्योंकि जो कोई परमेश्‍वर की इच्छा पर चले*, वही मेरा भाई, और बहन और माता है।”



Mark 3:1

वह फिर आराधनालय में गया।

"यीशु ने आराधनालय में प्रवेश किया।"

एक मनुष्य था जिसका हाथ सूख गया था

"हाथों से विकलांग एक मनुष्य"

वे... उसकी घात में लगे थे कि देखें, वह सब्त के दिन उसे चंगा करता है कि नहीं।

"फरीसी यीशु की प्रतीज्ञा में थे कि वह हाथों से विकलांग उस मनुष्य को चंगा करे"

Mark 3:3

अबके बीच में खड़ा हो

"भीड़ के बीच में खड़ा हो"

क्या... उचित है?

क्योंकि लेखक लिखता है कि वे चुप रहे, इसका अर्थ है कि यीशु उन्हें चुनौती देकर उत्तर की प्रतीक्षा में था। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें जानना है कि सब्त के दिन भलाई करना व्यवस्था-सम्मत है, जीवन बचाना, हत्या न करना।"

उचित है

मूसा की व्यवस्था के अनुसार उचित

Mark 3:5

"अपना हाथ बढ़ा"

"अपने हाथ आगे कर"

उसका हाथ अच्छा हो गया

"यीशु ने उसके हाथ को स्वस्थ कर दिया" या "यीशु ने उसका हाथ वैसा ही कर दिया जैसा पहले था"

हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे।

वैकल्पिक अनुवाद, "हेरोदियों के साथ सभा की" या "हेरोदियों से भेंट करके षड्यन्त्र रचा"

Mark 3:7

यह सुनकर

"यीशु द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों की चर्चा सुनकर।"

वे उनके पास आए

"जनसमूह वहाँ पहुंचा जहाँ यीशु था"

Mark 3:9

उस ने अपने चेलों से कहा, भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे

यीशु ने शिष्यों से कहा, "मेरे लिए नाव तैयार करो"

भीड़ के कारण

"भीड़ उसका स्पर्श करने के लिए आगे आ रही थी।"

जितने लोग रोग-ग्रस्त थे...उस पर गिरे पड़ते थे।

"सब रोगी उसके स्पर्श हेतु धक्का दे रहे थे।"

Mark 3:11

दुष्टात्माएं भी

"दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य भी"

Mark 3:13

कि वे उसके साथ-साथ रहें और वह उन्हें भेजे कि प्रचार करें

"कि वे उसके साथ रहेंगे और वह उन्हें प्रचार के लिए भेजेगा" या, "उसके साथ रहने और उसके द्वारा प्रचार के लिए भेजे जाने के लिए" (यू.डी.बी.)

Mark 3:20

"ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई कि वे रोटी भी न खा सके"

"भीड़ इतनी अधिक हो गई थी कि उन्हें भोजन करने का समय भी नहीं मिला" या "जहाँ वह रह रहा था वहाँ बहुत भीड़ एकत्र हो गई। लोगों ने उसे घेर लिया था। उसे और उसके चेलों को खाना खाने का समय भी नहीं मिला।" (यू.डी.बी.)

वे उसे पकड़ने के लिए निकले

"उसके परिजन उस स्थान पर गए जहाँ वह था कि उसे पकड़ कर घर ले आएं।"

Mark 3:23

शैतान कैसे शैतान को निकाल सकता है

"शैतान अपने आपको कैसे निकाल सकता है" या "शैतान अपनी ही दुष्टात्मा के विरुद्ध काम नहीं करेगा।"

Mark 3:31

उन्होंने उसे बुलवा भेजा

"यीशु की माता और छोटे भाइयों ने किसी को भीतर भेजा कि उससे कहें कि वे बाहर है और उसे उनके पास बाहर ले आएं।"


Translation Questions

Mark 3:1

वे सब्त के दिन यीशु पर दृष्टि क्यों रखे हुए थे?

वे प्रतीक्षा में थे कि यीशु सब्त के दिन चंगा करने का काम करे और वे उसे दोषी ठहराएं।

Mark 3:4

यीशु ने उनसे सब्त के विषय क्या प्रश्न किया था?

?

श्रोताओं ने यीशु के प्रश्न पर क्या प्रतिक्रिया दिखाई और फिर यीशु का स्वभाव उनके प्रति कैसा था?

वे चुप रहे तो यीशु को क्रोध आ गया।

Mark 3:6

उस मनुष्य को यीशु ने चंगा किया तो फरीसियों ने क्या योजना बनाई?

फरीसियों ने बाहर जाकर यीशु की हत्या का षड्यंत्र रचा।

Mark 3:7

जब यीशु झील की ओर जा रहा था तो उसके पीछे कितने लोग थे?

यीशु के पीछे चलने वाला एक विशाल जनसमूह था।

Mark 3:11

यीशु को देखकर दुष्टात्माओं ने चिल्लाकर क्या कहा?

दुष्टात्माओं ने चिल्लाकर कहा कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है।

Mark 3:14

यीशु ने कितने चेले नियुक्त किए और उन्हें क्या करना था?

यीशु ने बारह चलों को नियुक्त किया कि उसके साथ रहें, प्रचार करें और दुष्टात्माओं को निकालने का अधिकार उन्हें दिया।

Mark 3:19

यीशु के साथ विश्वासघात करने वाला चेला कौन था?

यीशु के साथ विश्वासघात करने वाला चेला यहूदा था।

Mark 3:21

यीशु के परिवार ने जनसमूह और यीशु के पास की घटनाओं के बारे में क्या सोचा था?

यीशु के परिवार ने सोचा कि वह मानसिक सन्तुलन खो बैठा है।

Mark 3:22

शास्त्रियों ने यीशु पर क्या दोष लगाया?

शास्त्रियों ने यीशु पर दोष लगाया कि वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता है।

Mark 3:23

शास्त्रियों के दोषारोपण पर यीशु की प्रतिक्रिया क्या थी?

यीशु ने उनसे कहा कि विभाजित राज्य स्थिर नहीं रह सकता है।

Mark 3:28

यीशु ने किस पाप को क्षमा न करना कहा है?

यीशु ने कहा कि पवित्र-आत्मा की निन्दा ना क्षमा किया जानेवाला है।

Mark 3:33

यीशु ने किसको अपनी माता और अपने भाई कहा था?

यीशु ने कहा कि उसकी माता और उसके भाई वे हैं जो परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं।


Chapter 4

1 यीशु फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया, और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। 2 और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सारी बातें सिखाने लगा, और अपने उपदेश में उनसे कहा, 3 “सुनो! देखो, एक बोनेवाला, बीज बोने के लिये निकला। 4 और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। 5 और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली, और नरम मिट्टी मिलने के कारण जल्द उग आया। 6 और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। 7 और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया। 8 परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया।” 9 और उसने कहा, “जिसके पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले।”

10 जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उससे इन दृष्टान्तों के विषय में पूछा। 11 उसने उनसे कहा, “तुम को तो परमेश्‍वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहरवालों के लिये सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं। 12 इसलिए कि

     “वे देखते हुए देखें और उन्हें दिखाई न पड़े

     और सुनते हुए सुनें भी और न समझें;

     ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएँ।” (यशा. 6:9-10, यिर्म. 5:21)

13 फिर उसने उनसे कहा, “क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को कैसे समझोगे? 14 बोनेवाला वचन* बोता है। 15 जो मार्ग के किनारे के हैं जहाँ वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था, उठा ले जाता है। 16 और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। 17 परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इसके बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। 18 और जो झाड़ियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना, 19 और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है। 20 और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा।”

21 और उसने उनसे कहा, “क्या दीये को इसलिए लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिए नहीं, कि दीवट पर रखा जाए? 22 क्योंकि कोई वस्तु छिपी नहीं, परन्तु इसलिए कि प्रगट हो जाए; और न कुछ गुप्त है, पर इसलिए कि प्रगट हो जाए। 23 यदि किसी के सुनने के कान हों, तो सुन ले।”

24 फिर उसने उनसे कहा, “चौकस रहो, कि क्या सुनते हो? जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा, और तुम को अधिक दिया जाएगा। 25 क्योंकि जिसके पास है, उसको दिया जाएगा; परन्तु जिसके पास नहीं है उससे वह भी जो उसके पास है; ले लिया जाएगा।”

26 फिर उसने कहा, “परमेश्‍वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे, 27 और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगें और बढ़े कि वह न जाने। 28 पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहले अंकुर, तब बालें, और तब बालों में तैयार दाना। 29 परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हँसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुँची है।” (योए. 3:13)

30 फिर उसने कहा, “हम परमेश्‍वर के राज्य की उपमा किससे दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें? 31 वह राई के दाने के समान हैं; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है। 32 परन्तु जब बोया गया, तो उगकर सब साग-पात से बड़ा हो जाता है, और उसकी ऐसी बड़ी डालियाँ निकलती हैं, कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।” 33 और वह उन्हें इस प्रकार के बहुत से दृष्टान्त दे देकर उनकी समझ के अनुसार वचन सुनाता था। 34 और बिना दृष्टान्त कहे उनसे कुछ भी नहीं कहता था; परन्तु एकान्त में वह अपने निज चेलों को सब बातों का अर्थ बताता था।

35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने चेलों से कहा, “आओ, हम पार चलें।” 36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 37 तब बड़ी आँधी आई, और लहरें नाव पर यहाँ तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उससे कहा, “हे गुरु, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?” 39 तब उसने उठकर आँधी को डाँटा, और पानी से कहा, “शान्त रह, थम जा!” और आँधी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 40 और उनसे कहा, “तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?” (भज. 107:29) 41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले, “यह कौन है, कि आँधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं?”



Mark 4:1

कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर

"कि वह नाव में चढ़कर झील में चला गया"

बैठ गया

"नाव में बैठ गया"

Mark 4:3

x

उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगा

Mark 4:6

x

यीशु दृष्टान्त में सुना रहा था

सूर्य निकला, तो जल गया

"झुलस गया"

Mark 4:8

x

यीशु दृष्टान्त सुना रहा है

जिसके पास सुनने के लिए कान हों वह सुन ले

"जो ध्यान से सुनेगा वह इस दृष्टान्त का अर्थ समझेगा"

Mark 4:10

x

जब यीशु दृष्टान्त सुना चुका

तुम को... समझ दी गई है

"परमेश्वर ने तुम्हें समझ दी है" या "मैंने तुम्हें समझ दी है"

वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े

वे देखते तो हैं परन्तु अन्तर्ग्रहण नहीं करते "देखते हैं परन्तु देखना नहीं चाहते" या "वे देखते हैं परन्तु समझते नहीं"

Mark 4:13

x

यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है।

क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को क्योंकर समझोगे?

"यदि तुम इस दृष्टान्त को समझ नहीं सकते तो अन्य दृष्टान्तों को भी नहीं समझ पाओगे।"

Mark 4:16

x

यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है।

Mark 4:18

x

यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है।

Mark 4:21

x

यीशु दृष्टान्त का अर्थ समझाना समाप्त करता है और उन्हें एक और दृष्टान्त सुनाता है।

क्या दीये को इसलिए लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए?

"आप दीया घर में इसलिए नहीं लाते कि उसे पैमाने या खाट के नीचे रखें"

यदि किसी के सुनने के कान हों तो वह सुन ले

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे आपने में किया है।

Mark 4:24

x

यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है

जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा, और तुमको अधिक दिया जाएगा

तुम जिस नाप को काम में लेते हो उसी के अनुसार तुम प्राप्त करोगे वरन् अधिक पाओगे तुम जितना अधिक अच्छा सुनोगे, परमेश्वर उतनी ही अधिक समझ तुम्हें देगा।"

जिसके पास है

जिसके पास है "जिसने मेरे वचनों को समझ लिया है"

Mark 4:26

x

यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है

जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे

"जैसे किसान बीज बोता है"

हंसिया

कटनी में काम में आने वाली अर्धचन्द्रकार कतरनी

Mark 4:30

x

यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है

हम परमेश्वर के राज्य की उपमा किससे दें और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें?

"इस दृष्टान्त से मैं वर्णन कर सकता हूँ कि परमेश्वर का राज्य कैसा है।"

Mark 4:33

उनकी समझ के अनुसार वचन सुनाता है

"वे जितना समझ सकते थे उतना ही"

Mark 4:38

x

यीशु और उसके शिष्य झील पार कर रहे थे जब आंधी आई।

क्या तुझे चिन्ता नहीं कि हम नष्ट हुए जाते हैं?

"परिस्थिति पर ध्यान दें: हम मरने वाले हैं!"-

हम नष्ट हुए जाते हैं।

"हम" अर्थात यीशु और शिष्य

डांटा

"कठोरता से सुधारा" या "झिड़कना"

शान्त रह, थम जा

"शान्त रह" और "थम जा" समानार्थक शब्द है।

Mark 4:40

x

यीशु और उसके शिष्य झील पार कर रहे थे जब आंधी आई।

तुम क्यों डरते हो?

"तुम्हें डरता हुआ देखकर मैं निराश हूँ"

यह कैसा है?

"हमें सावधानी-पूर्वक समझाना है कि यह मनुष्य है कौन!"


Translation Questions

Mark 4:1

यीशु उपदेश करने के लिए नाव पर क्यों चढ़ गया था?

यीशु उपदेश करने के लिए नाव पर चढ़ गया क्योंकि भीड़ विशाल थी।

Mark 4:4

सड़क के किनारे गिरे बीजों का क्या हुआ?

चिड़ियों ने उसे चुग लिया।

Mark 4:5

पथरीली भूमि में गिरे बीजों का क्या हुआ?

वे शीघ्र उगे और गहरी जड़ न होने के कारण सूख गए।

Mark 4:7

झाड़ियों में गिरे बीजों का क्या हुआ?

कंटीली झाड़ियों ने उन्हें दबा दिया।

Mark 4:8

अच्छी भूमि में बोए गए बीजों का क्या हुआ?

बीज तीस, साठ और सौ गुणा फल लाए।

Mark 4:11

यीशु के अनुसार बारहों को क्या दिया गया है जो अन्यों को नहीं दिया गया?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर के राज्य का भेद चेलों पर प्रकट किया गया है, अन्यों पर नहीं।

Mark 4:14

यीशु के दृष्टांत में बीज क्या है?

बीज परमेश्वर का वचन है।

Mark 4:15

सड़क किनारे गिरे बीज क्या दर्शाते हैं?

ये वे लोग हैं जो वचन को सुनते तो हैं परन्तु शैतान वचन को उठा ले जाता है।

Mark 4:16

पथरीली भूमि में गिरे बीज क्या दर्शाते हैं?

ये वे लोग हैं जो सहर्ष वचन को सुनते हैं परन्तु सताव के समय वे ठोकर खाते हैं।

Mark 4:18

कंटीली झाड़ियों में गिरे बीज क्या दर्शाते हैं?

ये वे लोग हैं जो वचन को ग्रहण करते हैं परन्तु संसारिक चिन्ताएं उसे दबा देती हैं।

Mark 4:20

अच्छी भूमि में गिरे बीज क्या दर्शाते हैं?

ये वे लोग हैं जो वचन को सुनकर ग्रहण करते हैं और फल लाते हैं।

Mark 4:22

यीशु के अनुसार छिपी और गुप्त बातों का क्या होगा?

यीशु ने कहा कि छिपी और गुप्त बातें प्रकट हो जाएंगी।

Mark 4:26

परमेश्वर का राज्य किस प्रकार भूमि में डाले गए बीजों के समान है?

मनुष्य भूमि में बीज डालता है परन्तु बीजों का उगना और बढ़ना वह नहीं जानता, जब फसल तैयार हो जाती है तब वह कटनी करता है।

Mark 4:30

परमेश्वर का राज्य किस प्रकार राई के दाने के समान है?

राई का दाना सबसे छोटा होता है परन्तु उगकर वह एक बड़ा वृक्ष हो जाता है जिसमें पक्षी बसेरा करते हैं।

Mark 4:35

यीशु और चेले जब झील पार कर रहे थे तब क्या हुआ था?

झील में ऐसी बड़ी आंधी उठी कि पानी नाव में भरने लगा।

Mark 4:38

उस समय यीशु नाव में क्या कर रहा था?

यीशु सो रहा था।

चेलों ने यीशु से क्या कहा?

चेलों ने यीशु से कहा कि उसे चिन्ता नहीं कि वे डूब रहे हैं।

Mark 4:39

तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने आंधी को झिड़का और झील के पानी को शान्त किया।

Mark 4:41

यीशु के इस कार्य पर चेलों की क्या प्रतिक्रिया थी?

?


Chapter 5

1 वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुँचे, 2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिसमें अशुद्ध आत्मा, थी कब्रों से निकलकर उसे मिला। 3 वह कब्रों में रहा करता था और कोई उसे जंजीरों से भी न बाँध सकता था, 4 क्योंकि वह बार-बार बेड़ियों और जंजीरों से बाँधा गया था, पर उसने जंजीरों को तोड़ दिया, और बेड़ियों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ों में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। 6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया। 7 और ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा, “हे यीशु, परमप्रधान परमेश्‍वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्‍वर की शपथ देता हूँ, कि मुझे पीड़ा न दे।” (मत्ती 8:29, 1 राजा. 17:18) 8 क्योंकि उसने उससे कहा था, “हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।” 9 यीशु ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने उससे कहा, “मेरा नाम सेना है*; क्योंकि हम बहुत हैं।” 10 और उसने उससे बहुत विनती की, “हमें इस देश से बाहर न भेज।” 11 वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 12 और उन्होंने उससे विनती करके कहा, “हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उनके भीतर जाएँ।” 13 अतः उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर घुस गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा। 14 और उनके चरवाहों ने भागकर नगर और गाँवों में समाचार सुनाया, और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। 15 यीशु के पास आकर, वे उसको जिसमें दुष्टात्माएँ समाई थी, कपड़े पहने और सचेत बैठे देखकर, डर गए। 16 और देखनेवालों ने उसका जिसमें दुष्टात्माएँ थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उनको कह सुनाया। 17 और वे उससे विनती कर के कहने लगे, कि हमारी सीमा से चला जा। 18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिसमें पहले दुष्टात्माएँ थीं, उससे विनती करने लगा, “मुझे अपने साथ रहने दे।” 19 परन्तु उसने उसे आज्ञा न दी, और उससे कहा, “अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।” 20 वह जाकर दिकापुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे।

21 जब यीशु फिर नाव से पार गया, तो एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई; और वह झील के किनारे था। 22 और याईर नामक आराधनालय के सरदारों* में से एक आया, और उसे देखकर, उसके पाँवों पर गिरा। 23 और उसने यह कहकर बहुत विनती की, “मेरी छोटी बेटी मरने पर है: तू आकर उस पर हाथ रख, कि वह चंगी होकर जीवित रहे।” 24 तब वह उसके साथ चला; और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, यहाँ तक कि लोग उस पर गिरे पड़ते थे। 25 और एक स्त्री, जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था। 26 और जिस ने बहुत वैद्यों से बड़ा दुःख उठाया और अपना सब माल व्यय करने पर भी कुछ लाभ न उठाया था, परन्तु और भी रोगी हो गई थी। 27 यीशु की चर्चा सुनकर, भीड़ में उसके पीछे से आई, और उसके वस्त्र को छू लिया, 28 क्योंकि वह कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी, तो चंगी हो जाऊँगी।” 29 और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया; और उसने अपनी देह में जान लिया, कि मैं उस बीमारी से अच्छी हो गई हूँ। 30 यीशु ने तुरन्त अपने में जान लिया, कि मुझसे सामर्थ्य निकली है*, और भीड़ में पीछे फिरकर पूछा, “मेरा वस्त्र किसने छुआ?” 31 उसके चेलों ने उससे कहा, “तू देखता है, कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, और तू कहता है; कि किसने मुझे छुआ?” 32 तब उसने उसे देखने के लिये जिस ने यह काम किया था, चारों ओर दृष्टि की। 33 तब वह स्त्री यह जानकर, कि उसके साथ क्‍या हुआ है, डरती और काँपती हुई आई, और उसके पाँवों पर गिरकर, उससे सब हाल सच-सच कह दिया। 34 उसने उससे कहा, “पुत्री, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।” (लूका 8:48) 35 वह यह कह ही रहा था, कि आराधनालय के सरदार के घर से लोगों ने आकर कहा, “तेरी बेटी तो मर गई; अब गुरु को क्यों दुःख देता है?” 36 जो बात वे कह रहे थे, उसको यीशु ने अनसुनी करके, आराधनालय के सरदार से कहा, “मत डर; केवल विश्वास रख।” 37 और उसने पतरस और याकूब और याकूब के भाई यूहन्ना को छोड़, और किसी को अपने साथ आने न दिया। 38 और आराधनालय के सरदार के घर में पहुँचकर, उसने लोगों को बहुत रोते और चिल्लाते देखा। 39 तब उसने भीतर जाकर उनसे कहा, “तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है।” 40 वे उसकी हँसी करने लगे, परन्तु उसने सब को निकालकर लड़की के माता-पिता और अपने साथियों को लेकर, भीतर जहाँ लड़की पड़ी थी, गया। 41 और लड़की का हाथ पकड़कर उससे कहा, “तलीता कूमी*”; जिसका अर्थ यह है “हे लड़की, मैं तुझ से कहता हूँ, उठ।” 42 और लड़की तुरन्त उठकर चलने फिरने लगी; क्योंकि वह बारह वर्ष की थी। और इस पर लोग बहुत चकित हो गए। 43 फिर उसने उन्हें चेतावनी के साथ आज्ञा दी कि यह बात कोई जानने न पाए और कहा; “इसे कुछ खाने को दो।”



Mark 5:3

बेड़ियों और सांकलों से बांधा गया था

"उसके पांवों को लोहे की जंजीर से बांधा गया"

वश में नहीं कर सकता था

"नियन्त्रण में रख सकता था"

Mark 5:7

ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा

"उस दृष्टात्मा ने चिल्लाकर कहा।"

मुझे तुझसे क्या काम?

वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे तुझसे कोई काम नहीं है"

मुझे पीड़ा न दे

"मुझे कष्ट मत दे"

Mark 5:9

उसने उससे कहा, "मेरा नाम सेना है, क्योंकि हम बहुत है"

उस मनुष्य में उपस्थित दुष्टात्मा ने यीशु से कहा कि उस मनुष्य में एक ही नहीं, अनेक दुष्टात्माएं हैं।

Mark 5:11

उसने उन्हें आज्ञा दे दी

"यीशु ने उन दुष्टात्माओं को अनुमति दे दी।"

कोई दो हजार का था

"लगभग 2000 सूअर थे।"

Mark 5:14

सचेत

"सामान्य मानसिक अवस्था"

Mark 5:16

जिसमें दुष्टात्माएं थीं

"जिस व्यक्ति पर दुष्टात्माओं का अधिकार था।"

Mark 5:18

दिकापुलिस

गलील सागर के दक्षिण पूर्व का क्षेत्र

Mark 5:25

बारह वर्ष से

"बारह वर्ष से"

Mark 5:30

तू कहता है कि किसने मुझे छुआ?

वैकल्पिक अनुवाद, "हमें आश्चर्य हो रहा है कि तू कहता है, किसने मुझे छुआ।"

Mark 5:33

पुत्री

यीशु उस विश्वासी स्त्री के लिए इस शब्द को रूपक स्वरूप काम में ले रहा है।

Mark 5:35

अब गुरु को क्यों दुःख देता है

वैकल्पिक अनुवाद, "हमें गुरु को अब कष्ट नहीं देना है"

Mark 5:36

रोते और चिल्लाते देखना

"दुःख के कारण विलाप करते देखा"

Mark 5:39

तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें दुःखी नहीं होना है, न ही रोना है"

Mark 5:41

वह बारह वर्ष की थी

"वह 12 वर्ष की थी"

उसने उन्हें चिताकर आज्ञा दी

"उसने उन्हें कठोरता से कहा"


Translation Questions

Mark 5:1

वे गिरासेनियों के क्षेत्र में आए तो यीशु के सामने कौन आया?

एक दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य यीशु के सामने आया।

Mark 5:3

वह मनुष्य क्या करता था?

वह मनुष्य कब्रों में रहता था, वह सांकलों को तोड़ देता था और अपने को पत्थरों से घायल करता था।

Mark 5:7

उस अशुद्ध आत्मा ने यीशु को क्या नाम दिया था?

उस अशुद्ध आत्मा ने यीशु को परम प्रधान परमेश्वर का पुत्र कहा।

Mark 5:8

यीशु ने उस मनुष्य से क्या कहा?

यीशु ने कहा, "अशुद्ध आत्मा इस मनुष्य में से निकल आ।"

Mark 5:9

उस अशुद्ध आत्मा का नाम क्या था?

उस अशुद्ध आत्मा का नाम सेना था क्योंकि वे बहुत थीं।

Mark 5:13

यीशु ने जब उस मनुष्य में से अशुद्ध आत्माएं निकाली तो क्या हुआ था?

दुष्टात्माएं उसमें से निकलकर सूअरों में घुस गई और वे झील में डूबकर मर गए।

Mark 5:15

अशुद्ध आत्माएं निकल जाने के बाद उस पुरुष की दशा कैसी थी?

वह पुरुष वस्त्र पहना यीशु के पास सचेत बैठा था।

वहाँ के लोगों ने इस घटना पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई और यीशु से क्या विनती की?

वे लोग बहुत डर गए और यीशु से चले जाने की विनती की।

Mark 5:19

यीशु ने उस मनुष्य से अब क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने उस मनुष्य से कहा कि वह जाकर अपने लोगों को बताए कि प्रभु ने उसके लिए क्या किया है।

Mark 5:22

आराधनालय के सरदार, याईर ने यीशु से क्या विनती की थी?

याईर ने यीशु से विनती की कि वह उसके पुत्री पर हाथ रखे क्योंकि वह मरने पर है।

Mark 5:25

यीशु के वस्त्र को स्पर्श करने वाली स्त्री के साथ क्या समस्या थी?

वह स्त्री बारह वर्षों से रक्तस्राव से पीड़ित थी।

Mark 5:28

उस स्त्री ने यीशु का वस्त्र क्यों छुआ?

वह स्त्री सोचती थी कि यीशु के वस्त्र के स्पर्श मात्र से ही वह रोगमुक्त हो जायेगी।

Mark 5:30

जब उस स्त्री ने यीशु के वस्त्र को स्पर्श किया तब यीशु ने क्या किया?

यीशु को अपने में से सामर्थ्य बहने का बोध हुआ, अतः उसने देखा कि उसका स्पर्श किसने किया।

Mark 5:34

उस स्त्री ने यीशु को सच बता दिया तो यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा कि उसके विश्वास ने उसे चंगा किया है, वह कुशलता से जाए।

Mark 5:35

जब यीशु याईर के घर पहुंचा तब उसकी पुत्री किस अवस्था में थी?

याईर की पुत्री मर गई।

Mark 5:36

उस समय यीशु ने याईर से क्या कहा?

यीशु ने याईर से कहा, "मत डर केवल विश्वास रख"।

Mark 5:37

यीशु के साथ उस बालिका के कक्ष में कौन गए?

यीशु ने उस बालिका के माता-पिता और पतरस, याकूब, यूहन्ना को साथ लिया।

Mark 5:40

उस घर में लोग यीशु की बात सुनकर कि याईर की पुत्री सोती है, क्या करने लगे थे?

यीशु ने कहा कि याईर की पुत्री सोती है तो लोग उसका ठट्ठा करने लगे।

Mark 5:42

वह बालिका उठ खड़ी हुई तो लोगों की प्रतिक्रिया क्या थी?

इस घटना से लोग भयातुर और चकित थे।


Chapter 6

1 वहाँ से निकलकर वह अपने देश में आया, और उसके चेले उसके पीछे हो लिए। 2 सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा; और बहुत लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, “इसको ये बातें कहाँ से आ गई? और यह कौन सा ज्ञान है जो उसको दिया गया है? और कैसे सामर्थ्य के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं? 3 क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब और योसेस और यहूदा और शमौन का भाई है? और क्या उसकी बहनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?” इसलिए उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई। 4 यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।” 5 और वह वहाँ कोई सामर्थ्य का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया। 6 और उसने उनके अविश्वास पर आश्चर्य किया और चारों ओर से गाँवों में उपदेश करता फिरा।

7 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो-दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। 8 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि “मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे। 9 परन्तु जूतियाँ पहनो और दो-दो कुर्ते न पहनो।” 10 और उसने उनसे कहा, “जहाँ कहीं तुम किसी घर में उतरो, तो जब तक वहाँ से विदा न हो, तब तक उसी घर में ठहरे रहो। 11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।” 12 और उन्होंने जाकर प्रचार किया, कि मन फिराओ, 13 और बहुत सी दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर* उन्हें चंगा किया।

14 और हेरोदेस राजा ने उसकी चर्चा सुनी, क्योंकि उसका नाम फैल गया था, और उसने कहा, कि “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मरे हुओं में से जी उठा है, इसलिए उससे ये सामर्थ्य के काम प्रगट होते हैं।” 15 और औरों ने कहा, “यह एलिय्याह है*”, परन्तु औरों ने कहा, “भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।” 16 हेरोदेस ने यह सुन कर कहा, “जिस यूहन्ना का सिर मैंने कटवाया था, वही जी उठा है।” 17 क्योंकि हेरोदेस ने आप अपने भाई फिलिप्पुस की पत्‍नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह किया था, लोगों को भेजकर यूहन्ना को पकड़वाकर बन्दीगृह में डाल दिया था। 18 क्योंकि यूहन्ना ने हेरोदेस से कहा था, “अपने भाई की पत्‍नी को रखना तुझे उचित नहीं।” (लैव्य. 18:16, लैव्य. 20:21) 19 इसलिए हेरोदियास उससे बैर रखती थी और यह चाहती थी, कि उसे मरवा डाले, परन्तु ऐसा न हो सका, 20 क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना को धर्मी और पवित्र पुरुष जानकर उससे डरता था, और उसे बचाए रखता था, और उसकी सुनकर बहुत घबराता था, पर आनन्द से सुनता था। 21 और ठीक अवसर पर जब हेरोदेस ने अपने जन्मदिन में अपने प्रधानों और सेनापतियों, और गलील के बड़े लोगों के लिये भोज किया। 22 और उसी हेरोदियास की बेटी भीतर आई, और नाचकर हेरोदेस को और उसके साथ बैठनेवालों को प्रसन्‍न किया; तब राजा ने लड़की से कहा, “तू जो चाहे मुझसे माँग मैं तुझे दूँगा।” 23 और उसने शपथ खाई, “मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझसे माँगेगी मैं तुझे दूँगा।” (एस्ते. 5:3,6, एस्ते. 7:2) 24 उसने बाहर जाकर अपनी माता से पूछा, “मैं क्या माँगूँ?” वह बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।” 25 वह तुरन्त राजा के पास भीतर आई, और उससे विनती की, “मैं चाहती हूँ, कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मँगवा दे।” 26 तब राजा बहुत उदास हुआ, परन्तु अपनी शपथ के कारण और साथ बैठनेवालों के कारण उसे टालना न चाहा। 27 और राजा ने तुरन्त एक सिपाही को आज्ञा देकर भेजा, कि उसका सिर काट लाए। 28 उसने जेलखाने में जाकर उसका सिर काटा, और एक थाल में रखकर लाया और लड़की को दिया, और लड़की ने अपनी माँ को दिया। 29 यह सुनकर उसके चेले आए, और उसके शव को उठाकर कब्र में रखा।

30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। 31 उसने उनसे कहा, “तुम आप अलग किसी एकान्त स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो।” क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 32 इसलिए वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए। 33 और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहाँ पैदल दौड़े और उनसे पहले जा पहुँचे। 34 उसने उतर कर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिनका कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा। (2 इति. 18:16, 1 राजा. 22:17) 35 जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है। 36 उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।” 37 उसने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “क्या हम सौ दीनार की रोटियाँ मोल लें, और उन्हें खिलाएँ?” 38 उसने उनसे कहा, “जाकर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने मालूम करके कहा, “पाँच रोटी और दो मछली भी।” 39 तब उसने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर समूह में बैठा दो। 40 वे सौ-सौ और पचास-पचास करके समूह में बैठ गए। 41 और उसने उन पाँच रोटियों को और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़ कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछलियाँ भी उन सब में बाँट दीं। 42 और सब खाकर तृप्त हो गए, 43 और उन्होंने टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भर कर उठाई, और कुछ मछलियों से भी। 44 जिन्होंने रोटियाँ खाई, वे पाँच हजार पुरुष थे।

45 तब उसने तुरन्त अपने चेलों को विवश किया कि वे नाव पर चढ़कर उससे पहले उस पार बैतसैदा को चले जाएँ, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। 46 और उन्हें विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया। 47 और जब सांझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था। 48 और जब उसने देखा, कि वे खेते-खेते घबरा गए हैं, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी, तो रात के चौथे पहर के निकट वह झील पर चलते हुए उनके पास आया; और उनसे आगे निकल जाना चाहता था। 49 परन्तु उन्होंने उसे झील पर चलते देखकर समझा, कि भूत है, और चिल्ला उठे, 50 क्योंकि सब उसे देखकर घबरा गए थे। पर उसने तुरन्त उनसे बातें की और कहा, “धैर्य रखो : मैं हूँ; डरो मत।” 51 तब वह उनके पास नाव पर आया, और हवा थम गई: वे बहुत ही आश्चर्य करने लगे। 52 क्योंकि वे उन रोटियों के विषय में न समझे थे परन्तु उनके मन कठोर हो गए थे।

53 और वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुँचे, और नाव घाट पर लगाई। 54 और जब वे नाव पर से उतरे, तो लोग तुरन्त उसको पहचान कर, 55 आस-पास के सारे देश में दौड़े, और बीमारों को खाटों पर डालकर, जहाँ-जहाँ समाचार पाया कि वह है, वहाँ-वहाँ लिए फिरे। 56 और जहाँ कहीं वह गाँवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उससे विनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे।



Mark 6:1

क्या यह वही बढ़ई नहीं जो मरियम का पुत्र, और याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन का भाई है? क्या उसकी बहनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?

"यह तो एक साधारण बढ़ई है। हम तो इसे और इसके परिवार को जानते हैं! हम इसकी माता मरियम को जानते हैं। हम इसके छोटे भाइयों याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन को भी तो जानते हैं! और इसकी छोटी बहनें यहाँ हमारे बीच में ही तो रहती हैं!" (यू.डी.बी.) यह सन्देह का प्रश्न है कि यीशु ऐसे काम कैसे कर सकता है।

Mark 6:4

भविष्यद्वक्ता अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।

"यह निश्चय ही सच है कि मनुष्य अन्य स्थानों में मेरा और अन्य भविष्यद्वक्ताओं का सम्मान करते हैं। परन्तु अपने ही जन्म-स्थान में नहीं करते! यहाँ तक कि हमारे परिजन और घर के सदस्य हमारा सम्मान नहीं करते" (यू.डी.बी.)

Mark 6:7

दो-दो करके

"एक साथ दो दो" या "जोड़े में"

दो-दो कुरते न पहनो

"अतिरिक्त कुरता भी नहीं लेना"

Mark 6:10

जब तक वहाँ से विदा न हो तब तक उसी घर में ठहरे रहो।

"उस नगर से प्रस्थान करने तक उसी घर में रहना।"

Mark 6:14

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला मरे हुओं में से जी उठा है।

"परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को जीवित किया है।"

Mark 6:16

अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी

"उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी"

उससे बैर रखती थी

"उसके विरुद्ध थी"

Mark 6:18

उससे बैर रखती थी

"उसके विरुद्ध थी"

बहुत घबराता था

"वह विमूढ़ था"

Mark 6:23

एक थाल में

"एक परात में"

Mark 6:26

अपनी शपथ... और साथ बैठने वालों के कारण

"क्योंकि उसके अतिथियों ने उसे शपथ खाते सुना था"

थाल

"एक परात में"

Mark 6:37

पाँच रोटियों और दो मछलियाँ

"पाँच रोटियों और दो मछलियाँ"

Mark 6:39

सौ-सौ और पचास-पचास करके

"सौ और पचास की संख्या में"

उसने पाँच रोटियों को और दो मछलियों को लिया

"5 रोटियां और 2 मछलियाँ"

दो मछलियों को

"2 मछलियाँ"

Mark 6:42

बारह टोकरियाँ

"12 टोकरिया"

पाँच हजार पुरुष

वैकल्पिक अनुवादः "पाँच हजार पुरुष और उनके परिवार"

Mark 6:45

बैतसैदा

गलील सागर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक नगर

Mark 6:51

उनके मन कठोर हो गए थे।

"उन्हें समझना था कि वह कैसा सामर्थी है परन्तु वे समझ नहीं पाए।"

Mark 6:53

खाटों पर

"रोगियों को उठाकर लाने के लिए दरी"

Mark 6:56

वस्त्र के आंचल ही को

"उसके वस्त्र का छोर" या "उसके बागे का सिरा"


Translation Questions

Mark 6:2

यीशु के अपने गांव के लोग उस के विषय में आश्चर्य क्यों करने लगे थे?

?

Mark 6:4

यीशु ने भविष्यद्वक्ता के निरादर का स्थान कौन सा बताया था?

यीशु ने कहा कि भविष्यद्वक्ता का अपने देश, और अपने कुटुम्ब, और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता है।

Mark 6:6

यीशु अपने देश में किस बात से चकित हुआ था?

यीशु अपने देश में लोगों के अविश्वास पर चकित था।

Mark 6:7

यीशु ने बारहों को भेजते समय क्या अधिकार दिया था?

यीशु ने बारहों को अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया।

Mark 6:8

बारहों ने यात्रा में अपने साथ क्या लिया था?

बारहों ने लाठी, जूते और एक ही वस्त्र साथ लिया।

Mark 6:11

यदि किसी गांव में उनका स्वागत नहीं किया जाए तो यीशु ने उनसे क्या करने को कहा?

यीशु ने बारहों से कहा कि यदि किसी गांव में उनका स्वागत न हो तो गवाही स्वरूप अपने जूतों की धूल वहाँ झाड़कर निकल जाएं।

Mark 6:14

लोग यीशु को क्या समझते थे?

लोग सोचते थे कि यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला या एलिय्याह या कोई भविष्यद्वक्ता है।

Mark 6:18

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने हेरोदेस को किस बात के लिए व्यवस्था विरोधी कहा था?

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला ने हेरोदेस से कहा कि अपने भाई की पत्नी को रखना व्यवस्था विरोधी है।

Mark 6:20

यूहन्ना के प्रचार पर हेरोदेस की प्रतिक्रिया कैसी थी?

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले की बातों से हेरोदेस परेशान तो होता था परन्तु फिर भी उसे सुनना उसे अच्छा लगता था।

Mark 6:23

हेरोदेस ने हेरोदियास की पुत्री से क्या शपथ खाई थी?

हेरोदेस ने शपथ खाकर कहा कि वह उसे मुंह मांगा वर देगा, अपना आधा राज्य भी दे देगा।

Mark 6:25

हेरोदियास ने क्या मांगा था?

हेरोदियास ने यूहन्ना का सिर थाल में मांगा।

Mark 6:26

हेरोदेस ने हेरोदियास के आग्रह पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

हेरोदेस दुखी तो हुआ परन्तु अतिथियों के समक्ष अपनी शपथ के कारण उसके आग्रह को ठुकरा नहीं पाया।

Mark 6:31

यीशु और उसके शिष्य विश्राम हेतु एकान्तवास में जा रहे थे तब क्या हुआ?

लोगों ने यीशु और उसके चेलों को पहचान लिया और उनसे पहले वहाँ पहुंच गए।

Mark 6:34

उनकी प्रतीक्षा करने वाले जन समूह के लिए यीशु का व्यवहार कैसा था?

यीशु को उन पर तरस आया क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों के समान थे।

Mark 6:37

जब यीशु ने चेलों से जनसमूह को खाना खिलाने को कहा तब उन्होंने भोजन व्यवस्था के बारे में क्या सोचा था?

चेलों के विचार में उनके लिए रोटी खरीदने के लिए दो सौ दीनार की आवश्यकता थी।

Mark 6:38

चेलों के पास कितना भोजन था?

चेलों के पास पांच रोटियां और दो मछलियां ही थी।

Mark 6:41

यीशु ने रोटी और मछली के साथ क्या किया?

यीशु ने रोटियां और मछलियां लेकर स्वर्ग की ओर देखकर उन्हें आशीष दी और रोटी तोड़कर चेलों को दी।

Mark 6:43

सबके खा लेने के बाद कितना भोजन बच गया था?

सब खाकर तृप्त हो गए तब बचे हुए भोजन, रोटी और मछलियों से बारह टोकरियां भर गईं।

Mark 6:44

खाना खाने वालों में कितने पुरूष थे?

खाना खाने वालों में केवल पुरूष ही पांच हजार थे।

Mark 6:48

यीशु झील पर चेलों के पास कैसे आया था?

यीशु झील के पानी पर चलकर चेलों के पास आया।

Mark 6:50

चेलों ने जब यीशु को पानी पर देखा तब यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने चेलों से कहा कि वे डरें नहीं ढाढ़स बांधें।

Mark 6:52

चेले रोटियों के चमत्कार को क्यों समझ नहीं पाये थे?

रोटियों के चमत्कार को चेले समझ नहीं पाए क्योंकि उनके मन कठोर हो गए थे।

Mark 6:55

उस क्षेत्र के लोगों ने यीशु को पहचाना तो क्या किया?

लोगों ने जब-जब यीशु के आने का समाचार सुना तब-तब वे अपने रोगियों को खाटों पर ले आए।

Mark 6:56

जिन रोगियों ने यीशु के वस्त्र का स्पर्श किया तो उनके साथ क्या हुआ?

जो रोगी यीशु के वस्त्र का स्पर्श करते थे वे रोग मुक्त हो जाते थे।


Chapter 7

1 तब फरीसी और कुछ शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, उसके पास इकट्ठे हुए, 2 और उन्होंने उसके कई चेलों को अशुद्ध अर्थात् बिना हाथ धोए रोटी खाते देखा। 3 (क्योंकि फरीसी और सब यहूदी, प्राचीन परम्परा का पालन करते है और जब तक भली भाँति हाथ नहीं धो लेते तब तक नहीं खाते; 4 और बाजार से आकर, जब तक स्नान नहीं कर लेते, तब तक नहीं खाते; और बहुत सी अन्य बातें हैं, जो उनके पास मानने के लिये पहुँचाई गई हैं, जैसे कटोरों, और लोटों, और तांबे के बरतनों को धोना-माँजना।) 5 इसलिए उन फरीसियों और शास्त्रियों ने उससे पूछा, “तेरे चेले क्यों पूर्वजों की परम्पराओं पर नहीं चलते, और बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?” 6 उसने उनसे कहा, “यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की; जैसा लिखा है:

     ‘ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं,

     पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। (यशा. 29:13)

    7 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं,

     क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ (यशा. 29:13)

8 क्योंकि तुम परमेश्‍वर की आज्ञा को टालकर मनुष्यों की रीतियों को मानते हो।” 9 और उसने उनसे कहा, “तुम अपनी रीतियों को मानने के लिये परमेश्‍वर आज्ञा कैसी अच्छी तरह टाल देते हो! 10 क्योंकि मूसा ने कहा है, ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर;’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह अवश्य मार डाला जाए।’ (निर्ग. 20:12, व्य. 5:16) 11 परन्तु तुम कहते हो कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, ‘जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुँच सकता था, वह कुरबान* अर्थात् संकल्प हो चुका।’ 12 तो तुम उसको उसके पिता या उसकी माता की कुछ सेवा करने नहीं देते। 13 इस प्रकार तुम अपनी रीतियों से, जिन्हें तुम ने ठहराया है, परमेश्‍वर का वचन टाल देते हो; और ऐसे-ऐसे बहुत से काम करते हो।”

14 और उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम सब मेरी सुनो, और समझो। 15 ऐसी तो कोई वस्तु नहीं जो मनुष्य में बाहर से समाकर उसे अशुद्ध करे; परन्तु जो वस्तुएँ मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं। 16 यदि किसी के सुनने के कान हों तो सुन ले।” 17 जब वह भीड़ के पास से घर में गया, तो उसके चेलों ने इस दृष्टान्त के विषय में उससे पूछा। 18 उसने उनसे कहा, “क्या तुम भी ऐसे नासमझ हो? क्या तुम नहीं समझते, कि जो वस्तु बाहर से मनुष्य के भीतर जाती है, वह उसे अशुद्ध नहीं कर सकती? 19 क्योंकि वह उसके मन में नहीं, परन्तु पेट में जाती है, और शौच में निकल जाती है?” यह कहकर उसने सब भोजन वस्तुओं को शुद्ध ठहराया। 20 फिर उसने कहा, “जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 21 क्योंकि भीतर से, अर्थात् मनुष्य के मन से, बुरे-बुरे विचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, 22 लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। 23 ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं।”

24 फिर वह वहाँ से उठकर सूर और सैदा के देशों में आया; और एक घर में गया, और चाहता था, कि कोई न जाने; परन्तु वह छिप न सका। 25 और तुरन्त एक स्त्री जिसकी छोटी बेटी में अशुद्ध आत्मा थी, उसकी चर्चा सुन कर आई, और उसके पाँवों पर गिरी। 26 यह यूनानी और सुरूफ‍िनिकी जाति की थी; और उसने उससे विनती की, कि मेरी बेटी में से दुष्टात्मा निकाल दे। 27 उसने उससे कहा, “पहले लड़कों को तृप्त होने दे, क्योंकि लड़को की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना उचित नहीं है।” 28 उसने उसको उत्तर दिया; “सच है प्रभु; फिर भी कुत्ते भी तो मेज के नीचे बालकों की रोटी के चूर चार खा लेते हैं।” 29 उसने उससे कहा, “इस बात के कारण चली जा; दुष्टात्मा तेरी बेटी में से निकल गई है।” 30 और उसने अपने घर आकर देखा कि लड़की खाट पर पड़ी है, और दुष्टात्मा निकल गई है।

31 फिर वह सूर और सैदा के देशों से निकलकर दिकापुलिस देश से होता हुआ गलील की झील पर पहुँचा। 32 और लोगों ने एक बहरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उससे विनती की, कि अपना हाथ उस पर रखे। 33 तब वह उसको भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डाली, और थूककर उसकी जीभ को छुआ। 34 और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उससे कहा, “इप्फत्तह*!” अर्थात् “खुल जा!” 35 और उसके कान खुल गए, और उसकी जीभ की गाँठ भी खुल गई, और वह साफ-साफ बोलने लगा। 36 तब उसने उन्हें चेतावनी दी कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उसने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे। 37 और वे बहुत ही आश्चर्य में होकर कहने लगे, “उसने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहरों को सुनने की, और गूँगों को बोलने की शक्ति देता है।”



Mark 7:2

तांबे के बरतनों को

खाते समय उस युग के यहूदी आधा लेटकर खाना खाते थे। वैकल्पिक अनुवाद, "पात्र और यहाँ तक कि खाने के लिए बैठने के आसन भी।"

Mark 7:5

क्यों पुरनियों की परम्परा पर नहीं चलते, और बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?

"तेरे शिष्य पूर्वजों की परम्परा पर नहीं चलते हैं। उन्हें हमारी रीति के अनुसार हाथ धोना चाहिए।"

रोटी

भोजन

Mark 7:6

"यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की है।"

यशायाह के वचन...

Mark 7:8

अच्छी तरह

प्रभावी रूप से

बुरा कहे

मान-हर शब्दों का उपयोग करने वाला

Mark 7:11

जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुंच सका था वह कुर्बान... हो चुका

शास्त्रियों की परम्परा के अनुसार मन्दिर को यदि कुछ भेंट कर दिया गया (पैसा या वस्तु) तो उसका उपयोग किसी और बात में नहीं किया जा सकता।

कुर्बान

लेखक चाहता था कि पाठक को इस शब्द का उच्चारण समझ में आए, अतः अपनी भाषा में इस शब्द के उच्चारण हेतु अक्षरों का उपयोग करें।

Mark 7:14

तुम सब मेरी सुनो, और समझो।

"सुनो" और "समझो" अर्थ में समरूप हैं, यीशु बल देने के लिए इन दोनों शब्दों का उपयोग करता है

जो वस्तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती है

"यह मनुष्य का आन्तरिक व्यक्तित्व है" या "यह मनुष्य का सोचना, बोलना और करना है।"

पद 16: अनेक प्राचीन विद्वान इस अभिलेख की अन्तर्विष्टी करते हैं, "यदि किसी के सुनने के कान हों तो वह सुन ले"

इस वाक्य का उद्देश्य है यीशु के कट्टर सिद्धान्त के अधिकार को दर्शाने तथा प्रत्येक निष्ठावान अनुयायी उसके अभी-अभी सिखाई गई बात को समझने की अवश्यकरणीयता पर बल देता है।

Mark 7:17

क्या तुम अब भी ऐसे नासमझ हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "मैंने जो कुछ कहा और किया, मैं तुमसे उसे समझने की अपेक्षा करता हूँ।"

Mark 7:24

उसके पांवों पर गिर पड़ी

"घुटने टेके"

सुरुफिनीकी जाति

वह सीरिया के फिनिके नगर में जन्मी थी।

Mark 7:27

पहले लड़कों को तृप्त होने दे

"बच्चों को पहले भोजन करना है" या "मुझे पहले बच्चों को भोजन देना है।"

बच्चों

यहूदियों को वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे पहले यहूदियों की सेवा करना है।"

रोटी

भोजन

कुत्तों को

अन्य जातियों को

कुत्ते भी तो मेज़ के नीचे बालकों की रोटी का चूर-चार खा लेते थे।

"तू मुझ, अन्य जाति को इस प्रकार तुच्छ जानकर सेवा का पात्र बना दे"

चूरचार

रोटी के छोटे टुकड़े

Mark 7:31

होता हुआ

"से चलता हुआ"

दिकापुलिस

"दस नगर" (देखें: यू.डी.बी.) गलील सागर के दक्षिण-पूर्वक का क्षेत्र।

बहिरे को

"सुनने में असमर्थ था"

हकला भी था

"स्पष्ट बोल नहीं पाता था"

Mark 7:33

"इफ्फतह"

लेखक चाहता था कि पाठक इस शब्द का उच्चारण समझें। अतः अपनी भाषा के अक्षरों द्वारा इस शब्द का निकटतम् उच्चारण लिखें।

आह भरी

दुःख के कारण लम्बी सांस लेना

जीभ की गांठ भी खुल गई

"उसकी जीभ में जो भी रुकावट का कारण था उसे यीशु ने दूर कर दिया" या "स्पष्ट बोलने में जो भी रुकावट का कारण था उसे यीशु ने चंगा किया।"


Translation Questions

Mark 7:2

यीशु के चेलों के किस काम पर फरीसियों और शास्त्रियों ने उंगली उठाई थी?

चेले बिना हाथ धोए भोजन करते थे।

Mark 7:3

हाथ, कटोरे, पात्र और भोजन की मेज़ को धोना किस की परम्परा थी?

पुरनियों की परम्परा के अनुसार, हाथ, कटोरे, पात्र, तांबे के बर्तन और भोजन की मेज़ को भोजन करने से पहले धोना आवश्यक था।

Mark 7:6

शोधन के बारे में फरीसियों और शास्त्रियों की शिक्षा के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि फरीसी और शास्त्री पाखंडी थे कि वे परमेश्वर की आज्ञाओं को अनदेखा कर मनुष्यों की परम्परा सिखाते थे।

Mark 7:10

परमेश्वर की आज्ञा, अपने माता-पिता का आदर कर, फरीसी और शास्त्रियों द्वारा किस प्रकार टाली गई थी?

वे अपने माता-पिता के उत्तरदायित्व वहन के खर्चे को कुर्बान कह कर परमेश्वर की आज्ञा को टाल देते थे?

Mark 7:15

यीशु के अनुसार मनुष्य किससे अशुद्ध नहीं होता है?

यीशु ने कहा कि जो कुछ मनुष्य के पेट में जाता है वह उसे अशुद्ध नहीं करता है।

यीशु ने मनुष्य को अशुद्ध करने वाली क्या बात बताई?

यीशु ने कहा कि मनुष्य के मन से निकलने वाली बात उसे अशुद्ध करती है।

Mark 7:19

यीशु ने कौन-कौन से भोजन को शुद्ध कहा है?

यीशु ने सब भोजन वस्तुओं को शुद्ध कहा है।

Mark 7:21

यीशु ने मनुष्य के मन से निकलने वाली कौन सी तीन बातें बताई जो उसे अशुद्ध करती हैं?

यीशु ने कहा कि बुरे विचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता मनुष्य के मन से बाहर निकलती है।

Mark 7:25

वह स्त्री जिसकी पुत्री में अशुद्ध आत्मा थी वह यहूदी थी या यूनानी?

जिस स्त्री की पुत्री में अशुद्ध आत्मा थी वह यूनानी थी।

Mark 7:28

यीशु ने उस स्त्री से कहा कि बच्चों की रोटी कुत्तों को देना उचित नहीं तो उस स्त्री ने क्या उत्तर दिया?

उस स्त्री ने कहा कि कुत्ते भी बच्चों के गिरे टुकड़़े खाते हैं।

Mark 7:29

अब स्त्री के लिए यीशु ने क्या किया?

यीशु ने उस स्त्री की पुत्री में से दुष्टात्मा निकाल दी।

Mark 7:33

वह व्यक्ति जो बहरा और हकला था उसके साथ यीशु ने क्या किया?

यीशु ने उस बहरे और गूंगे मनुष्य के कानों में उंगलियां डालीं और थूक कर उसकी जीभ को छुआ और स्वर्ग की ओर देखकर कहा, "खुल जा"।

Mark 7:36

यीशु ने लोगों से कहा कि उसके चंगाई के कार्यों की चर्चा न करे तो उन्होंने क्या किया?

यीशु ने लोगों को जितना अधिक चुप रहने को कहा उतना ही अधिक उन्होंने उसकी चर्चा की।


Chapter 8

1 उन दिनों में, जब फिर बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और उनके पास कुछ खाने को न था, तो उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उनसे कहा, 2 “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि यह तीन दिन से बराबर मेरे साथ हैं, और उनके पास कुछ भी खाने को नहीं। 3 यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूँ, तो मार्ग में थककर रह जाएँगे; क्योंकि इनमें से कोई-कोई दूर से आए हैं।” 4 उसके चेलों ने उसको उत्तर दिया, “यहाँ जंगल में इतनी रोटी कोई कहाँ से लाए कि ये तृप्त हों?” 5 उसने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात।”

6 तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी, और वे सात रोटियाँ लीं, और धन्यवाद करके तोड़ी, और अपने चेलों को देता गया कि उनके आगे रखें, और उन्होंने लोगों के आगे परोस दिया। 7 उनके पास थोड़ी सी छोटी मछलियाँ भी थीं; और उसने धन्यवाद करके उन्हें भी लोगों के आगे रखने की आज्ञा दी। 8 अतः वे खाकर तृप्त हो गए और शेष टुकड़ों के सात टोकरे भरकर उठाए। 9 और लोग चार हजार के लगभग थे, और उसने उनको विदा किया। 10 और वह तुरन्त अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़कर दलमनूता* देश को चला गया।

11 फिर फरीसी आकर उससे वाद-विवाद करने लगे, और उसे जाँचने के लिये उससे कोई स्वर्गीय चिन्ह माँगा। 12 उसने अपनी आत्मा में भरकर कहा, “इस समय के लोग क्यों चिन्ह ढूँढ़ते हैं? मैं तुम से सच कहता हूँ, कि इस समय के लोगों को कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।” 13 और वह उन्हें छोड़कर फिर नाव पर चढ़ गया, और पार चला गया।

14 और वे रोटी लेना भूल गए थे, और नाव में उनके पास एक ही रोटी थी। 15 और उसने उन्हें चेतावनी दी, “देखो, फरीसियों के ख़मीर* और हेरोदेस के ख़मीर से सावधान रहो।” 16 वे आपस में विचार करके कहने लगे, “हमारे पास तो रोटी नहीं है।” 17 यह जानकर यीशु ने उनसे कहा, “तुम क्यों आपस में विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं? क्या अब तक नहीं जानते और नहीं समझते? क्या तुम्हारा मन कठोर हो गया है? 18 क्या आँखें रखते हुए भी नहीं देखते, और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हें स्मरण नहीं? 19 कि जब मैंने पाँच हजार के लिये पाँच रोटी तोड़ी थीं तो तुम ने टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ भरकर उठाई?” उन्होंने उससे कहा, “बारह टोकरियाँ।” 20 उसने उनसे कहा, “और जब चार हजार के लिए सात रोटियाँ थी तो तुम ने टुकड़ों के कितने टोकरे भरकर उठाए थे?” उन्होंने उससे कहा, “सात टोकरे।” 21 उसने उनसे कहा, “क्या तुम अब तक नहीं समझते?”

22 और वे बैतसैदा में आए; और लोग एक अंधे को उसके पास ले आए और उससे विनती की कि उसको छूए। 23 वह उस अंधे का हाथ पकड़कर उसे गाँव के बाहर ले गया। और उसकी आँखों में थूककर उस पर हाथ रखे, और उससे पूछा, “क्या तू कुछ देखता है?” 24 उसने आँख उठाकर कहा, “मैं मनुष्यों को देखता हूँ; क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं, जैसे पेड़।” 25 तब उसने फिर दोबारा उसकी आँखों पर हाथ रखे, और उसने ध्यान से देखा। और चंगा हो गया, और सब कुछ साफ-साफ देखने लगा। 26 और उसने उससे यह कहकर घर भेजा, “इस गाँव के भीतर पाँव भी न रखना।”

27 यीशु और उसके चेले कैसरिया फिलिप्पी के गाँवों में चले गए; और मार्ग में उसने अपने चेलों से पूछा, “लोग मुझे क्या कहते हैं?” 28 उन्होंने उत्तर दिया, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला; पर कोई-कोई, एलिय्याह; और कोई-कोई, भविष्यद्वक्ताओं में से एक भी कहते हैं।” 29 उसने उनसे पूछा, “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” पतरस ने उसको उत्तर दिया, “तू मसीह है।” 30 तब उसने उन्हें चिताकर कहा कि मेरे विषय में यह किसी से न कहना।

31 और वह उन्हें सिखाने लगा, कि मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें और वह तीन दिन के बाद जी उठे। 32 उसने यह बात उनसे साफ-साफ कह दी। इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर डाँटने लगा। 33 परन्तु उसने फिरकर, और अपने चेलों की ओर देखकर पतरस को डाँटकर कहा, “हे शैतान, मेरे सामने से दूर हो; क्योंकि तू परमेश्‍वर की बातों पर नहीं, परन्तु मनुष्य की बातों पर मन लगाता है।”

34 उसने भीड़ को अपने चेलों समेत पास बुलाकर उनसे कहा, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आप से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछे हो ले। 35 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा। 36 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? 37 और मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा? 38 जो कोई इस व्यभिचारी और पापी जाति के बीच मुझसे और मेरी बातों से लजाएगा*, मनुष्य का पुत्र भी जब वह पवित्र स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आएगा, तब उससे भी लजाएगा।”



Mark 8:1

तीन दिन से

"3 दिन से"

बेहोश हो जाएंगे

संभावित अर्थः (1) "वे बेहोश हो जाएंगे" या (2) "वे थककर चूर हो जाएंगे"

इतनी रोटी कहाँ से लाएं कि ये तृप्त हों?

चेले आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे कि यीशु उसे इतने भोजन का प्रबन्ध करने के लिए कह रहा था। वैकल्पिक अनुवाद, "यह स्थान तो ऐसा निर्जन प्रदेश है कि हम इन लोगों के भोजन का प्रबन्ध कहाँ से करें!" (यू.डी.बी.)

Mark 8:5

बैठा दो

मेज़ न होने पर आपकी संस्कृति में लोग भोजन करने कैसे बैठते हैं, उसे व्यक्त करें।

Mark 8:7

दलमनूता

गलील सागर के उत्तर-पश्चिमी तट का प्रदेश

Mark 8:11

मांगा

"ढूंढते हैं"

आह भरी

देखें कि आपने इस अनुवाद में कैसे किया है।

इस समय के लोग क्यों चिन्ह ढूंढते हैं?

यीशु उनको झिड़क रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "इस पीढ़ी को चिन्ह खोजने की आवश्यकता नहीं है"

इस समय के लोगों को क्या?

"क्या तुम सबको"

Mark 8:14

"चौकस रहो

इसका उद्देश्य बल देना है।

फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर

वैकल्पिक अनुवाद "फरीसियों की झूठी शिक्षा और हेरोदेस की झूठी शिक्षा।"(देखें: )

Mark 8:16

तुम क्यों आपस में यह विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं है?

यीशु उनके न समझने के कारण निराश है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम यह न सोचो कि मैं रोटी के बारे में कह रहा हूँ।"

Mark 8:18

आँखें रखते हुए भी तुम नहीं देखते और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हे स्मरण नहीं।

यीशु उनके न समझने के कारण निराश है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारे पास आँखें है परन्तु तुम जो देखते हो उसे समझते नहीं! तुम्हारे पास कान हैं परन्तु तुम जो सुनते हो उसे नहीं समझते! तुम्हें स्मरण रखना है।"(देखें:

Mark 8:20

"क्या तुम अब तक नहीं समझते?"

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें अब तक समझने योग्य हो जाना था कि मैं रोटी के बारे में नहीं कर रहा हूँ।"(देखें: और )

Mark 8:22

बैतसैदा

यरदन नदी के पूर्व में स्थित एक नगर

Mark 8:31

मनुष्य के पुत्र के लिए अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और पुरनियों और प्रधान-याजक, और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीन दिन के बाद जी उठे।

वैकल्पिक अनुवाद, "पुरनिये और प्रधानयाजक और शास्त्री मनुष्य के पुत्र को त्यागकर उसे मार डालें और परमेश्वर उसे फिर जीवित कर दे।"

तीन दिन से

"3 दिन से"

Mark 8:33

x

यीशु पतरस की भर्त्सना का उत्तर दे रहा है।

Mark 8:35

क्योंकि

यीशु अपने शिष्यों को कारण समझा रहा है कि उन्हें क्यों स्वयं को मृत्यु-दण्ड प्राप्त अपराधी के समान समझना है ।

Mark 8:38

x

यीशु ने अपने शिष्यों को और जनसमूह को अभी-अभी बताया है कि उसका अनुसरण करना संपूर्ण संसार से अधिक मूल्यवान क्यों है।


Translation Questions

Mark 8:1

यीशु ने अपने पीछे आने वाले जनसमूह के लिए क्या चिन्ता व्यक्त की?

यीशु ने कहा कि उसे चिन्ता इस बात की है कि जनसमूह ने भोजन नहीं किया है।

Mark 8:5

चेलों के पास कितनी रोटियां थी?

चेलों के पास सात रोटियां थी।

Mark 8:6

यीशु ने उन रोटियों का क्या किया?

यीशु ने धन्यवाद देकर रोटियां तोड़ी और चेलों को दीं कि लोगों में बांट दें।

Mark 8:8

सबके भोजन करने के बाद कितना भोजन बचा?

जब सब खा चुके तब सात टोकरे भोजन बचा।

Mark 8:9

कितने लोग भोजन करके तृप्त हुए थे?

खाने वालों में चार हजार पुरूष थे।

Mark 8:11

फरीसी यीशु को परखने के लिए यीशु से क्या मांग रहे थे?

फरीसी यीशु से स्वर्गिक चिन्ह मांग रहे थे।

Mark 8:15

फरीसियों के बारे में यीशु ने अपने चेलों को क्या चेतावनी दी थी?

यीशु ने अपने चेलों को फरीसियों के खमीर से सावधान रहने की शिक्षा दी।

Mark 8:16

चेलों ने क्या सोचा कि यीशु कह रहा है?

चेलों ने सोचा कि यीशु उनसे रोटी के बारे में कह रहा है क्योंकि वे रोटी लाना भूल गए थे।

Mark 8:19

अपना अर्थ समझाने के लिए यीशु ने उन्हें किस बात का स्मरण करवाया?

यीशु ने उन्हें पांच हज़ार और चार हज़ार पुरूषों को भोजन करवाने का स्मरण करवाया।

Mark 8:23

उस अंधे मनुष्य की पूर्ण चंगाई के निमित्त यीशु ने कौन से तीन काम किए थे?

यीशु ने पहले उसकी आंखों में थूका और उस पर हाथ रखे तब उसकी आंखों पर फिर हाथ रखा।

Mark 8:28

लोग यीशु को क्या कहते थे?

लोग कहते थे कि यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, एलिय्याह या कोई भविष्यद्वक्ता था।

Mark 8:29

पतरस ने यीशु को क्या कहा?

पतरस ने कहा कि यीशु मसीह है।

Mark 8:31

यीशु ने अपने चेलों को कौन सी होने वाली घटनाओं की जानकारी दी थी?

यीशु ने अपने चेलों को सिखाया कि मनुष्य के पुत्र के लिए अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, तुच्छ समझा जाए और मार डाला जाए और तीन दिन बाद जी उठे।

Mark 8:33

पतरस के झिड़कने पर यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा, "हे शैतान मेरे सामने से दूर हो क्योंकि तू परमेश्वर की बातों पर नहीं, परन्तु मनुष्य की बातों पर मन लगाता है"।

Mark 8:34

यीशु ने उसके पीछे आने वालों के लिए क्या कहा?

यीशु ने कहा कि जो उसके पीछे आना चाहता है वह स्वयं का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए।

Mark 8:36

यीशु ने संसार को प्राप्त करने की मनुष्य की लालसा के बारे में क्या कहा है?

यीशु ने कहा, "जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा"।

Mark 8:38

यीशु उन लोगों के लिए क्या कहा जो उसके नाम और उसके वचन से लजाते हैं?

यीशु ने कहा कि उसके पुनः आगमन पर वह उन लोगों से लजाएगा जो इस संसार में उसके नाम से और उसके वचन से लजाते हैं।


Chapter 9

1 और उसने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कोई ऐसे हैं, कि जब तक परमेश्‍वर के राज्य को सामर्थ्य सहित आता हुआ न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद कदापि न चखेंगे।” 2 छः दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और यूहन्ना को साथ लिया, और एकान्त में किसी ऊँचे पहाड़ पर ले गया; और उनके सामने उसका रूप बदल गया। 3 और उसका वस्त्र ऐसा चमकने लगा और यहाँ तक अति उज्‍ज्वल हुआ, कि पृथ्वी पर कोई धोबी भी वैसा उज्‍ज्वल नहीं कर सकता। 4 और उन्हें मूसा के साथ एलिय्याह* दिखाई दिया; और वे यीशु के साथ बातें करते थे। 5 इस पर पतरस ने यीशु से कहा, “हे रब्बी, हमारा यहाँ रहना अच्छा है: इसलिए हम तीन मण्डप बनाएँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।” 6 क्योंकि वह न जानता था कि क्या उत्तर दे, इसलिए कि वे बहुत डर गए थे। 7 तब एक बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है; इसकी सुनो।” (2 पत. 1:17, भज. 2:7) 8 तब उन्होंने एकाएक चारों ओर दृष्टि की, और यीशु को छोड़ अपने साथ और किसी को न देखा। 9 पहाड़ से उतरते हुए, उसने उन्हें आज्ञा दी, कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे, तब तक जो कुछ तुम ने देखा है वह किसी से न कहना। 10 उन्होंने इस बात को स्मरण रखा; और आपस में वाद-विवाद करने लगे, “मरे हुओं में से जी उठने का क्या अर्थ है?” 11 और उन्होंने उससे पूछा, “शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है?” 12 उसने उन्हें उत्तर दिया, “एलिय्याह सचमुच पहले आकर सब कुछ सुधारेगा, परन्तु मनुष्य के पुत्र के विषय में यह क्यों लिखा है, कि वह बहुत दुःख उठाएगा, और तुच्छ गिना जाएगा? 13 परन्तु मैं तुम से कहता हूँ, कि एलिय्याह तो आ चुका, और जैसा उसके विषय में लिखा है, उन्होंने जो कुछ चाहा उसके साथ किया।”

14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उनके चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उनके साथ विवाद कर रहें हैं। 15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उसकी ओर दौड़कर उसे नमस्कार किया। 16 उसने उनसे पूछा, “तुम इनसे क्या विवाद कर रहे हो?” 17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने पुत्र को, जिसमें गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। 18 जहाँ कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है; और वह मुँह में फेन भर लाता, और दाँत पीसता, और सूखता जाता है। और मैंने तेरे चेलों से कहा, कि वे उसे निकाल दें, परन्तु वे निकाल न सके।” 19 यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।” 20 तब वे उसे उसके पास ले आए। और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा, और वह भूमि पर गिरा, और मुँह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 21 उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” और उसने कहा, “बचपन से। 22 उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।” 23 यीशु ने उससे कहा, “यदि तू कर सकता है! यह क्या बात है? विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।” 24 बालक के पिता ने तुरन्त पुकारकर कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अविश्वास का उपाय कर।” 25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डाँटा, कि “हे गूंगी और बहरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ, उसमें से निकल आ, और उसमें फिर कभी प्रवेश न करना।” 26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहाँ तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया। 27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया। 28 जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्त में उससे पूछा, “हम उसे क्यों न निकाल सके?” 29 उसने उनसे कहा, “यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।”

30 फिर वे वहाँ से चले, और गलील में होकर जा रहे थे, वह नहीं चाहता था कि कोई जाने, 31 क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देता और उनसे कहता था, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे; और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।” 32 पर यह बात उनकी समझ में नहीं आई, और वे उससे पूछने से डरते थे।

33 फिर वे कफरनहूम में आए; और घर में आकर उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तुम किस बात पर विवाद कर रहे थे?” 34 वे चुप रहे क्योंकि, मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद-विवाद किया था, कि हम में से बड़ा कौन है? 35 तब उसने बैठकर बारहों को बुलाया, और उनसे कहा, “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सबसे छोटा और सब का सेवक बने।” 36 और उसने एक बालक को लेकर उनके बीच में खड़ा किया, और उसको गोद में लेकर उनसे कहा, 37 “जो कोई मेरे नाम से ऐसे बालकों में से किसी एक को भी ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता, वह मुझे नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।” 38 तब यूहन्ना ने उससे कहा, “हे गुरु, हमने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा और हम उसे मना करने लगे, क्योंकि वह हमारे पीछे नहीं हो लेता था।” 39 यीशु ने कहा, “उसको मना मत करो; क्योंकि ऐसा कोई नहीं जो मेरे नाम से सामर्थ्य का काम करे, और आगे मेरी निन्दा करे, 40 क्योंकि जो हमारे विरोध में नहीं, वह हमारी ओर है। 41 जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिए पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल किसी तरह से न खोएगा।”

42 “जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं, किसी को ठोकर खिलाएँ तो उसके लिये भला यह है कि एक बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाए और वह समुद्र में डाल दिया जाए। 43 यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाएँ तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। 44 जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। 45 और यदि तेरा पाँव तुझे ठोकर खिलाएँ तो उसे काट डाल। लँगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो पाँव रहते हुए नरक में डाला जाए। 46 जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती 47 और यदि तेरी आँख तुझे ठोकर खिलाएँ तो उसे निकाल डाल, काना होकर परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो आँख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। 48 जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। (यशा. 66:24) 49 क्योंकि हर एक जन आग से नमकीन किया जाएगा। 50 नमक अच्छा है, पर यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो उसे किससे नमकीन करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो।”



Mark 9:1

x

यीशु अभी-अभी अपने शिष्यों और श्रोताओं से अपने अनुसरण की चर्चा कर रहा था।

उज्जवल

"बहुत अधिक श्वेत"

कोई धोबी भी वैसा उज्जवल नहीं कर सकता था।

कपड़ों पर से दाग हटाने और उन्हें उज्जवल बनाने के लिए एक रसायन काम में लिया जाता है। धोबी कपड़ों में से धाग को हटाता है।

Mark 9:4

बहुत डर गए

"अत्यधिक भयभीत हो गए"

Mark 9:7

x

यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को अपने साथ एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु के वस्त्र उज्जवल हो गए थे।

Mark 9:9

x

यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ वह मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था।

उन्होंने इस बात को स्मरण रखा

उन्होंने इस घटना की चर्चा किसी से नहीं की, जिन्होंने इसे देखा नहीं था।

मरे हुओं में से जी उठने

"मरकर जी उठने तक"

Mark 9:11

x

यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था।

एलिय्याह सचमुच... तुच्छ गिना जाएगा

भविष्यद्वाणी थी कि एलिय्याह फिर से स्वर्ग से उतरेगा तब मसीह, मनुष्य का पुत्र, राज करने आएगा। अन्य भविष्यद्वाणियां भी थी कि मनुष्य का पुत्र बहुत दुःख उठाएगा और तुच्छ गिना जाएगा। शिष्य विमूढ़ थे कि ये दोनों बातें कैसे होंगी।

एलिय्याह तो आ चुका है।

भविष्यद्वाणी में प्रायः दो पूर्तियां होती हैं।

Mark 9:14

x

यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था।

विवाद

"तर्क-वितर्क", या "झगड़ा" या "पूछताछ करना"

Mark 9:17

x

यीशु वहां पहुंचता है जहां उसके अन्य शिष्य विधि शास्त्रियों के साथ विवाद में उलझे हुए थे।

इस दुष्टात्मा को निकाल दे

"मेरे पुत्र से इस दुष्टात्मा को निकाल दे", या "इस दुष्टात्मा को बाहर कर दे"।

मैं तब तक तुम्हारी सहूंगा?

"सहन करूंगा" या "तुम्हारे साथ निर्वाह करूंगा"।

Mark 9:20

x

उस बालक का पिता यीशु से कहता है कि उसके शिष्य उसके पुत्र को चंगा नहीं कर पाए।

तरस खाकर

"दया कर" या "कृपा कर"

Mark 9:23

यीशु ने उससे कहा, "यदि तू कर सकता है।"

यीशु उस मनुष्य के सन्देह की भर्त्सना कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु ने उससे कहा", तू क्यों कहता है, यदि तू कर सकता है?...विश्वास करने वाले के लिए सब कुछ हो सकता है" या "यीशु ने उससे कहा", तुझे ऐसा नहीं कहना था, यदि तू कर सकता है?.... सब कुछ संभव है।"

Mark 9:26

x

यीशु ने उस बालक में से अभी-अभी दुष्टात्मा को निकाला है।

बालक मरा हुआ सा हो गया।

"वह बालक मृतक सा प्रतीत होने लगा" या "वह बालक मरा हुआ सा हो गया"।

Mark 9:28

x

यीशु ने उस दुष्टात्माग्रस्त बालक को चंगा किया जिसे उसके शिष्य चंगा न कर पाये थे।

Mark 9:30

x

उस दुष्टात्माग्रस्त बालक को चंगा करने के बाद यीशु और उसके शिष्य उस स्थान से कूच करते हैं।

होकर जा रहे थे

"निकल रहे थे" या "आगे जा रहे थे"

तीन दिन से

"3 दिन से"

Mark 9:33

x

यीशु और उसके शिष्य गलील से निकल आये कि वह उन्हें जनसमूह की अनुपस्थिति में शिक्षा दे पायें।

Mark 9:38

x

यीशु न अपने शिष्यों को शिक्षा दी कि वे स्वयं को उसमें विश्वास करने वाले बालकों से अधिक न समझें।

दुष्टात्माओं को निकालते देखा

"दुष्टात्माओं को बहिष्कृत करते देखा है।"

Mark 9:42

चक्की का पाट

अन्न का आटा पीसने वाली चक्की

आग नहीं बुझती

"आग बुझाई नहीं जा सकती"

9:44

कुछ प्राचीन लेखों में यह पद है परन्तु कुछ में नहीं है।

Mark 9:45

नरक में डाला जाये

"परमेश्वर तुझे नरक में डाले"।

9:46

कुछ प्राचीन लेखों में यह पद है परन्तु कुछ में नहीं है।

Mark 9:47

जहां उनका कीड़ा नहीं मरता

"उनकी मृतक देह को खाने वाले कीड़े"


Translation Questions

Mark 9:1

यीशु ने किसके लिए कहा कि वे परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य में आता देखेंगे?

यीशु ने कहा कि वहाँ खड़े हुए लोगों में ऐसे जन हैं जो परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य में आता देखे बिना मृत्यु का स्वाद नहीं चखेंगे।

Mark 9:2

जब पतरस, याकूब और यूहन्ना उसके साथ ऊंचे पहाड़ पर गए तब क्या हुआ?

यीशु का रूपान्तरण हुआ और उसके वस्त्र चमकने लगे।

Mark 9:4

पहाड़ पर यीशु के साथ कौन बातें कर रहे थे?

एलिय्याह और मूसा यीशु के साथ बातें कर रहे थे।

Mark 9:7

पहाड़ पर बादल से क्या सुनाई पड़ा?

वहाँ बादल में से ये शब्द निकले, “यह मेरा प्रिय पुत्र है; उसकी सुनो।”

Mark 9:9

चेलों ने पहाड़ पर जो देखा था उसके बारे में यीशु ने उन्हें क्या आज्ञा दी थी?

यीशु ने उनसे कहा कि मनुष्य के पुत्र के मृतकोत्थान तक किसी से कुछ न कहें।

Mark 9:11

यीशु ने एलिय्याह के आने के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि एलिय्याह सचमुच पहले आकर सब कुछ सुधारेगा और एलिय्याह आ चुका है।

Mark 9:17

चेले उस पिता और पुत्र के लिए क्या करने में असमर्थ थे?

चेले उस पिता के पुत्र में से दुष्टात्मा नहीं निकाल पाए थे।

Mark 9:22

दुष्टात्मा उस बालक को नष्ट करने के लिए उसे कहां-कहां गिराता था?

वह दुष्टात्मा उस बालक को कभी आग में कभी पानी में गिरा देता था कि वह नष्ट हो जाए।

Mark 9:23

यीशु ने उस बालक के पिता से कहा कि विश्वास करने वाले के लिए सब कुछ संभव है तो उस पिता की क्या प्रतिक्रिया थी?

उस बालक पुत्र ने कहा, "हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ, मेरे अविश्वास का उपाय कर"।

Mark 9:28

चेले उस बालक में से गूंगी, बहरी आत्मा निकालने में असफल क्यों रहे थे?

चेले उस दुष्टात्मा को निकालने में असमर्थ रहे क्योंकि उसके लिए प्रार्थना की आवश्यकता थी।

Mark 9:31

यीशु ने अपने बारे में चेलों से क्या कहा था?

यीशु ने उनसे कहा कि वह मारा जायेगा परन्तु तीन दिन बाद फिर जी उठेगा।

Mark 9:33

मार्ग में चेले क्या विवाद कर रहे थे?

चेले आपस में विवाद कर रहे थे कि उनमें बड़ा कौन है।

Mark 9:35

यीशु ने किसको पहला बताया था?

यीशु ने कहा कि प्रथम वही है जो सबका सेवक हो।

Mark 9:36

किसी छोटे बालक को यीशु के नाम में ग्रहण करने पर मनुष्य और किसको ग्रहण करता है?

यदि कोई किसी छोटे बालक को यीशु के नाम में ग्रहण करे तो वह यीशु को और यीशु के भेजने वाले को ग्रहण करता है।

Mark 9:42

यीशु में विश्वास करने वाले किसी एक छोटे मनुष्य के लिए ठोकर का कारण होने वाले के लिए क्या उचित है?

इसके लिए उचित हो कि उसके गले में चक्की का पाट बांधकर उसे गहरे समुद्र में डाल दिया जाए।

Mark 9:43

ठोकर के हर एक कारण के साथ यीशु ने कैसा व्यवहार करने को कहा है?

यीशु ने कहा कि प्रत्येक ठोकर के कारण को दूर कर दें।

Mark 9:48

यीशु ने नरक की स्थिति कैसी वर्णन की?

यीशु ने कहा कि नरक में कीड़े नहीं मरते न ही आग कभी बुझती है।


Chapter 10

1 फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा। 2 तब फरीसियों* ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्‍नी को त्यागे?” 3 उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?” 4 उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” (व्य. 24:1-3) 5 यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। 6 पर सृष्टि के आरम्भ से, परमेश्‍वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है। (उत्प. 1:27, उत्प. 5:2) 7 इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा, 8 और वे दोनों एक तन होंगे’; इसलिए वे अब दो नहीं, पर एक तन हैं। (उत्प. 2:24) 9 इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।” 10 और घर में चेलों ने इसके विषय में उससे फिर पूछा। 11 उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्‍नी को त्याग कर दूसरी से विवाह करे तो वह उस पहली के विरोध में व्यभिचार करता है। 12 और यदि पत्‍नी अपने पति को छोड़कर दूसरे से विवाह करे, तो वह व्यभिचार करती है।”

13 फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे; पर चेलों ने उनको डाँटा। 14 यीशु ने यह देख क्रुद्ध होकर उनसे कहा, “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य ऐसों ही का है। 15 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई परमेश्‍वर के राज्य को बालक की तरह ग्रहण न करे, वह उसमें कभी प्रवेश करने न पाएगा।” 16 और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।

17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?” 18 यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्‍वर। 19 तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना*, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’ (निर्ग. 20:12-16, रोम. 13:9) 20 उसने उससे कहा, “हे गुरु, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूँ।” 21 यीशु ने उस पर दृष्टि करके उससे प्रेम किया, और उससे कहा, “तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेचकर गरीबों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।” 22 इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।

23 यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, “धनवानों को परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!” 24 चेले उसकी बातों से अचम्भित हुए। इस पर यीशु ने फिर उनसे कहा, “हे बालकों, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उनके लिए परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 25 परमेश्‍वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!” 26 वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे, “तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?” 27 यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्‍वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है।” (अय्यू. 42:2, लूका 1:37) 28 पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।” 29 यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को छोड़ दिया हो, 30 और अब इस समय* सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहनों और माताओं और बाल-बच्चों और खेतों को, पर सताव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन। 31 पर बहुत सारे जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहले होंगे।”

32 और वे यरूशलेम को जाते हुए मार्ग में थे, और यीशु उनके आगे-आगे जा रहा था : और चेले अचम्भा करने लगे और जो उसके पीछे-पीछे चलते थे वे डरे हुए थे, तब वह फिर उन बारहों को लेकर उनसे वे बातें कहने लगा, जो उस पर आनेवाली थीं। 33 “देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और मनुष्य का पुत्र प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा, और वे उसको मृत्यु के योग्य ठहराएँगे, और अन्यजातियों के हाथ में सौंपेंगे। 34 और वे उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े मारेंगे, और उसे मार डालेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”

35 तब जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, “हे गुरु, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से माँगे, वही तू हमारे लिये करे।” 36 उसने उनसे कहा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूँ?” 37 उन्होंने उससे कहा, “हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बाएँ बैठे।” 38 यीशु ने उनसे कहा, “तुम नहीं जानते, कि क्या माँगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, क्या तुम ले सकते हो?” 39 उन्होंने उससे कहा, “हम से हो सकता है।” यीशु ने उनसे कहा, “जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, उसे लोगे। 40 पर जिनके लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं।” 41 यह सुनकर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसियाने लगे। 42 तो यीशु ने उनको पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के अधिपति समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उनमें जो बड़े हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। 43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन् जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने; 44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। 45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया, कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों के छुटकारे के लिये अपना प्राण दे।”

46 वे यरीहो में आए, और जब वह और उसके चेले, और एक बड़ी भीड़ यरीहो से निकलती थी, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई एक अंधा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा था। 47 वह यह सुनकर कि यीशु नासरी है, पुकार-पुकारकर कहने लगा “हे दाऊद की सन्तान, यीशु मुझ पर दया कर।” 48 बहुतों ने उसे डाँटा कि चुप रहे, पर वह और भी पुकारने लगा, “हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर।” 49 तब यीशु ने ठहरकर कहा, “उसे बुलाओ।” और लोगों ने उस अंधे को बुलाकर उससे कहा, “धैर्य रख, उठ, वह तुझे बुलाता है।” 50 वह अपना कपड़ा फेंककर शीघ्र उठा, और यीशु के पास आया। 51 इस पर यीशु ने उससे कहा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिये करूँ?” अंधे ने उससे कहा, “हे रब्बी, यह कि मैं देखने लगूँ।” 52 यीशु ने उससे कहा, “चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है।” और वह तुरन्त देखने लगा, और मार्ग में उसके पीछे हो लिया।



Mark 10:1

x

यीशु और उसके शिष्यों ने कफरनहूम से कूच किया।

Mark 10:5

तुम्हारे मन की कठोरता के कारण

"तुम्हारे हठ के कारण"

Mark 10:7

वे अब दो नहीं पर एक तन होंगे।

यह रूपक पति-पत्नी की शारीरिक एकता को व्यक्त करता है।

Mark 10:17

तू मुझे उत्तम क्यों कहता है?

वैकल्पिक अनुवाद, "तेरे कहने का अभिप्राय क्या है उस पर ध्यान दे (या तेरे कहने का अभिप्राय है कि मैं परमेश्वर हूं), मुझे उत्तम कह रहा है, उत्तम तो केवल परमेश्वर ही है।" देखें:

Mark 10:23

परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!

ऊंट का सूई के छिद्र में से निकल जाना असंभव होता है। धनवानों के लिए अपने जीवन को परमेश्वर के अधीन रखना उतना ही कठिन है।

सूई के नाके

"सूई के नाके" अर्थात सूई के छिद्र।

Mark 10:26

तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?

"तब तो किसी का भी उद्धार नहीं हो सकता"!

Mark 10:29

ऐसा कोई नहीं जिसने....छोड़ दिया हो...न पाए।

"जिसने भी छोड़ दिया है....वह पाएगा"।

मेरे....लिए

"मेरे लाभ के लिए" या "मेरे कारण"

घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को

"इस जीवन को" या "इस वर्तमान युग को"

परलोक

"आने वाले जीवन" या "आने वाले युग"

Mark 10:32

मनुष्य का पुत्र....पकड़वाया जायेगा

"लोग मनुष्य के पुत्र को पकड़वायेंगे" या "लोग मनुष्य के पुत्र को....हाथों में दे देंगे"।

Mark 10:39

x

याकूब और यूहन्ना ने यीशु से निवेदन किया कि जब वह पृथ्वी पर राज करे तब क्या वे उसे दाहिने बाएं बैठाएं जाएगे।

जो कटोरा मैं पीने पर हूं।

यीशु इस वाक्यांश में अपनी आने वाली पीड़ा का संदर्भ दे रहा है।

जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ

यीशु इस वाक्यांश में अपनी आने वाली पीड़ा का संदर्भ दे रहा है।

Mark 10:41

हाकिम समझे जाते हैं

"वे जो शासक माने जाते हैं"

प्रभुता करते हैं

"अधीन रखते हैं" या "उन पर अधिकार होता है"

अधिकार जताते हैं।

"अधिकार का उपयोग करते हैं"

Mark 10:43

बड़ा होना चाहे

"सम्मान पाना चाहे" या "प्रशंसा पाना चाहे"

जो कोई

कोई भी

क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए।

"क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया कि लोगों से अपनी सेवा करवाए।"

Mark 10:46

x

यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम की ओर अग्रसर है।

बरतिमाई

एक व्यक्ति का नाम

तिमाई

उस अन्धे भिखारी का नाम

Mark 10:49

x

यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम की ओर अग्रसर हैं और यरीहो के बाहर एक अंधा व्यक्ति यीशु को पुकारता है।

उसे बुलाओ

"उसे बुलाने के लिए लोगों से कहा"

ढाढ़स बाँध

"डर मत"

Mark 10:51

x

यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम के लिए अग्रसर हैं।

मैं देखने लगूं

"देखने की क्षमता प्राप्त करूं"

तुरन्त देखने लगा

"तत्काल" या "अविलम्ब"


Translation Questions

Mark 10:2

फरीसियों ने यीशु को परखने के लिए कौन सा प्रश्न पूछा था?

फरीसियों ने यीशु से पूछा कि पत्नी को तलाक देना क्या उचित है।

Mark 10:4

मूसा ने यहूदियों को तलाक के बारे में क्या आज्ञा दी थी?

तलाक पत्र देने की व्यवस्था मूसा ने की थी।

Mark 10:5

मूसा ने यहूदियों को तलाक की ऐसी आज्ञा क्यों दी थी?

मूसा ने उनके मनकी कठोरता के कारण ऐसी आज्ञा दी थी।

Mark 10:6

विवाह के बारे में परमेश्वर की मूल इच्छा को दर्शाने के लिए यीशु ने इतिहास में कब का संदर्भ दिया था?

यीशु ने विवाद के बारे में परमेश्वर की मूल व्यवस्था व्यक्त करने के लिए आरंभ में नर-नारी की सृष्टि का संदर्भ दिया।

Mark 10:7

यीशु के अनुसार विवाह में पति-पत्नी क्या होंगे?

यीशु ने कहा कि पति-पत्नी एक देह होंगे।

Mark 10:9

यीशु ने विवाह में परमेश्वर द्वारा जोड़े गए मनुष्यों के लिए क्या कहा है?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर ने जिसे जोड़ा है उसे कोई अलग न करे।

Mark 10:13

जब चेलों ने बच्चों को यीशु के पास लाने वालों को झिड़का तब यीशु ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई थी?

यीशु चेलों पर क्रोधित हुआ और कहा कि बच्चों को उसके पास आने दें।

Mark 10:15

परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए उसे किस प्रकार ग्रहण करने के लिए यीशु ने कहा?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए बालकों के सदृश्य उसे ग्रहण करना है।

Mark 10:19

यीशु ने उस व्यक्ति को अनन्त जीवन का मार्ग क्या बताया?

यीशु ने उससे कहा, हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना अपने माता-पिता का आदर करना।

Mark 10:21

यीशु ने उस व्यक्ति को और क्या आज्ञा दी?

यीशु ने उससे कहा कि वह सब कुछ बेचकर उसके पीछे आ जाए।

Mark 10:22

यीशु की इस आज्ञा को सुनकर उस व्यक्ति की क्या प्रतिक्रिया थी और क्यों?

वह व्यक्ति दुखी होकर चला गया क्योंकि उसके पास बहुत धन संपदा थी।

Mark 10:23

यीशु ने किसके लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन बताया है?

यीशु ने कहा कि धनवान का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।

Mark 10:26

यीशु के अनुसार धनवान कैसे उद्धार पा सकता है?

यीशु ने कहा कि मनुष्यों के लिए तो असंभव है परन्तु परमेश्वर के लिए संभव है।

Mark 10:29

यीशु के लिए घर, परिवार, खेत आदि का त्याग करने वाले को यीशु ने कहा क्या मिलेगा?

यीशु ने कहा कि वे इस समय सौ गुना पाएंगे पर सताव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन पाएंगे।

Mark 10:32

यीशु और उसके चेले किस मार्ग पर यात्रा कर रहे थे?

यीशु और उसके चेले यरूशलेम के मार्ग पर थे।

Mark 10:33

यीशु ने अपने चेलों को यरूशलेम में होने वाली कौन सी घटना की पूर्व सूचना दी थी?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि उसे घात किया जायेगा परन्तु वह तीन दिन बाद फिर जी उठेगा।

Mark 10:35

याकूब और यूहन्ना ने यीशु से क्या निवदेन किया था?

याकूब और यूहन्ना ने यीशु से निवेदन किया कि उसकी महिमा में वे उसके दहिनी ओर बाई ओर बैठाएं जाएं।

Mark 10:39

यीशु ने याकूब और यूहन्ना से क्या भोगने को कहा?

?

Mark 10:40

क्या यीशु ने याकूब और यूहन्ना का निवेदन स्वीकार किया था?

यीशु ने कहा कि उन्हें दहिनी और बाई ओर बैठाना यीशु का काम नहीं है।

Mark 10:42

यीशु के शब्दों में अन्यजाति शासक कैसे राज करते हैं?

यीशु ने कहा कि अन्यजाति के शासक अपनी प्रजा पर प्रभुता करते हैं।

Mark 10:43

चेलों में बड़ा होने वाले के लिए यीशु ने कैसी जीवनशैली बताई है?

यीशु ने कहा कि उसके चेलों में जो बड़ा होना चाहे वह सबका सेवक बने।

Mark 10:48

जब लोगों ने बरतिमाई को डांटा कि चुप रहे तो उसने क्या किया?

अंधा बरतिमाई और भी अधिक पुकारने लगा, "हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर" |

Mark 10:52

यीशु ने उसके विश्वास के लिए क्या कहा?

यीशु ने कहा कि बरतिमाई के विश्वास ने उसे चंगा कर दिया है।


Chapter 11

1 जब वे यरूशलेम के निकट, जैतून पहाड़ पर बैतफगे* और बैतनिय्याह के पास आए, तो उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, 2 “सामने के गाँव में जाओ, और उसमें पहुँचते ही एक गदही का बच्चा, जिस पर कभी कोई नहीं चढ़ा, बंधा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल लाओ। 3 यदि तुम से कोई पूछे, ‘यह क्यों करते हो?’ तो कहना, ‘प्रभु को इसका प्रयोजन है,’ और वह शीघ्र उसे यहाँ भेज देगा।” 4 उन्होंने जाकर उस बच्चे को बाहर द्वार के पास चौक में बंधा हुआ पाया, और खोलने लगे। 5 उनमें से जो वहाँ खड़े थे, कोई-कोई कहने लगे “यह क्या करते हो, गदही के बच्चे को क्यों खोलते हो?” 6 चेलों ने जैसा यीशु ने कहा था, वैसा ही उनसे कह दिया; तब उन्होंने उन्हें जाने दिया। 7 और उन्होंने बच्चे को यीशु के पास लाकर उस पर अपने कपड़े डाले और वह उस पर बैठ गया। 8 और बहुतों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए और औरों ने खेतों में से डालियाँ काट-काट कर फैला दीं। 9 और जो उसके आगे-आगे जाते और पीछे-पीछे चले आते थे, पुकार-पुकारकर कहते जाते थे, “होशाना*; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है। (भज. 118:26) 10 हमारे पिता दाऊद का राज्य जो आ रहा है; धन्य है! आकाश में होशाना।” (मत्ती 23:39) 11 और वह यरूशलेम पहुँचकर मन्दिर में आया, और चारों ओर सब वस्तुओं को देखकर बारहों के साथ बैतनिय्याह गया, क्योंकि सांझ हो गई थी।

12 दूसरे दिन जब वे बैतनिय्याह से निकले तो उसको भूख लगी। 13 और वह दूर से अंजीर का एक हरा पेड़ देखकर निकट गया, कि क्या जाने उसमें कुछ पाए: पर पत्तों को छोड़ कुछ न पाया; क्योंकि फल का समय न था। 14 इस पर उसने उससे कहा, “अब से कोई तेरा फल कभी न खाए।” और उसके चेले सुन रहे थे।

15 फिर वे यरूशलेम में आए, और वह मन्दिर में गया; और वहाँ जो लेन-देन कर रहे थे उन्हें बाहर निकालने लगा, और सर्राफों के मेज़ें और कबूतर के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं।

16 और मन्दिर में से होकर किसी को बर्तन लेकर आने-जाने न दिया। 17 और उपदेश करके उनसे कहा, “क्या यह नहीं लिखा है, कि मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है।” (लूका 19:46, यिर्म. 7:11) 18 यह सुनकर प्रधान याजक और शास्त्री उसके नाश करने का अवसर ढूँढ़ने लगे; क्योंकि उससे डरते थे, इसलिए कि सब लोग उसके उपदेश से चकित होते थे। 19 और सांझ होते ही वे नगर से बाहर चले गए।

20 फिर भोर को जब वे उधर से जाते थे तो उन्होंने उस अंजीर के पेड़ को जड़ तक सूखा हुआ देखा। 21 पतरस को वह बात स्मरण आई, और उसने उससे कहा, “हे रब्बी*, देख! यह अंजीर का पेड़ जिसे तूने श्राप दिया था सूख गया है।” 22 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “परमेश्‍वर पर विश्वास रखो। 23 मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, ‘तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़,’ और अपने मन में सन्देह न करे, वरन् विश्वास करे, कि जो कहता हूँ वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा। 24 इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो तो विश्वास कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा। 25 और जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध हो, तो क्षमा करो: इसलिए कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे। 26 परन्तु यदि तुम क्षमा न करो तो तुम्हारा पिता भी जो स्वर्ग में है, तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा।”

27 वे फिर यरूशलेम में आए, और जब वह मन्दिर में टहल रहा था तो प्रधान याजक और शास्त्री और पुरनिए उसके पास आकर पूछने लगे। 28 “तू ये काम किस अधिकार से करता है? और यह अधिकार तुझे किसने दिया है कि तू ये काम करे?” 29 यीशु ने उनसे कहा, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; मुझे उत्तर दो, तो मैं तुम्हें बताऊँगा कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ। 30 यूहन्ना का बपतिस्मा क्या स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था? मुझे उत्तर दो।” 31 तब वे आपस में विवाद करने लगे कि यदि हम कहें ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह कहेगा, ‘फिर तुम ने उसका विश्वास क्यों नहीं की?’ 32 और यदि हम कहें, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तो लोगों का डर है, क्योंकि सब जानते हैं कि यूहन्ना सचमुच भविष्यद्वक्ता था। 33 तब उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं भी तुम को नहीं बताता, कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ।”



Mark 11:1

x

यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम के लिए अग्रसर हैं।

Mark 11:17

"क्या यह नहीं लिखा है कि मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा?"

"धर्मशास्त्र में लिखा है कि परमेश्वर ने कहा, "मैं चाहता हूँ कि मेरा घर वह स्थान कहलाए जहाँ सब जातियों के लोग प्रार्थना करने आ सकें, "परन्तु तुम डाकुओं ने इसे एक ऐसी गुफा बना दिया जहाँ तुम छिप सकते हो! तुम जानते ही हो।" (: )

Mark 11:20

उस अंजीर के पेड़ को जड़ तक सूखा हुआ देखा।

वैकल्पिक अनुवाद, "वह अंजीर का पेड़ जड़ तक सूख कर नष्ट हो गया था।"

Mark 11:27

तू ये काम किस अधिकार से करता है?

"ये काम" अर्थात यीशु द्वारा विक्रेताओं की चौकियां उलटना और उनके द्वारा सिखाई गई और की गई बातों के विरुद्ध बोलेगा।

तू ये काम किस अधिकार से करता है? और यह अधिकार तुझे किसने दिया है कि तू ये काम करे।

वैकल्पिक अनुवाद, "तुझे इसका अधिकार नहीं है क्योंकि हमने तुझे यह अधिकार नहीं दिया है।"

Mark 11:29

यूहन्ना का बपतिस्मा क्या स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?

यद्यपि यीशु इस प्रश्न का उत्तर जानता था परन्तु वह धर्म-गुरुओं द्वारा उससे प्रश्न करने के तर्क को परखना चाहता था।


Translation Questions

Mark 11:2

यीशु ने सामने के गांव में अपने चेलों को क्या करने भेजा था?

यीशु ने उन्हें उसके लिए गदही का बच्चा लाने को कहा उस पर किसी ने सवारी नहीं की थी।

Mark 11:5

चेलों ने जब गदही के बच्चे को खोला तब क्या हुआ?

कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि वे गदही के बच्चे को क्यों खोज रहे हैं तो उन्होंने वही कहा जो यीशु ने उनसे कहा था और लोगों ने उन्हें जाने दिया।

Mark 11:8

यीशु गदही के बच्चे पर सवार हुआ तो लोगों ने मार्ग में क्या बिछाया?

लोगों ने मार्ग में अपने कपड़े बिछाए और खेतों में से डालियां काट डालीं।

Mark 11:10

जब यीशु यरूशलेम की ओर बढ़ रहा था तब लोग क्या पुकार रहे थे?

लोग पुकारने लगे कि उनके पिता दाऊद का राज्य आ रहा है।

Mark 11:11

मन्दिर में प्रवेश करके यीशु ने क्या किया?

यीशु सब कुछ देखता हुआ बैतनिय्याह गया।

Mark 11:14

अंजीर के पेड़ में फल न पाकर यीशु ने क्या किया?

यीशु ने अंजीर के वृक्ष से कहा, "अब से कोई तेरा फल कभी न खाए"।

Mark 11:15

इस बार जब यीशु मन्दिर में आया तब उसने वहाँ क्या किया?

यीशु ने मन्दिर में से व्यापारियों को बाहर निकाला और किसी को सामान लेकर आने-जाने न दिया।

Mark 11:17

यीशु ने धर्मशास्त्र के अनुसार मन्दिर को क्या बताया?

यीशु ने कहा कि मन्दिर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर है।

महायाजकों और शास्त्रियों ने मन्दिर को यीशु के शब्दों में क्या बना दिया था?

यीशु ने कहा कि उन्होंने मन्दिर को डाकुओं की गुफा बना दिया है।

Mark 11:18

महायाजक और शास्त्री यीशु के साथ क्या करना चाहते थे?

महायाजक और शास्त्री यीशु की हत्या का षड्यंत्र रच रहे थे।

Mark 11:20

यीशु ने जिस अंजीर के वृक्ष को श्राप दिया था उसका क्या हुआ?

यीशु ने जिस अंजीर के पेड़ को श्राप दिया था वह जड़ से सूख गया था।

Mark 11:24

हम प्रार्थना में जो कुछ मांगते हैं उसके लिए यीशु ने क्या कहा है?

यीशु ने कहा कि हम प्रार्थना में जो भी मांगते है तो विश्वास करें कि वह मिल गया और ऐसा ही होगा।

Mark 11:25

यीशु ने हमें क्षमा के बारे में क्या सिखाया कि "हमें भी परमेश्वर क्षमा करे"?

यीशु ने कहा कि यदि किसी के लिए हमारे मन में विरोध है तो हम उसे क्षमा करें कि हमारा स्वर्गीय पिता भी हमारे अपराध क्षमा करें।

Mark 11:27

मन्दिर में महायाजक, शास्त्री और पुरनिये यीशु से क्या जानना चाहते थे?

?

Mark 11:30

यीशु ने महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों से क्या पूछा?

यीशु ने उनसे पूछा कि यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग से था या मनुष्य से।

Mark 11:31

महायाजक, शास्त्री और पुरनिये यीशु के प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं देना चाहते थे?

?

Mark 11:32

महायाजक, शास्त्री और पुरनिये यूहन्ना के बपतिस्में को मनुष्य का क्यों "नहीं" कहना चाहते थे?

वे उत्तर नहीं देना चाहते थे क्योंकि उन्हें मनुष्य का डर भी था जो उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे।


Chapter 12

1 फिर वह दृष्टान्तों में उनसे बातें करने लगा: “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। 2 फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले। 3 पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और खाली हाथ लौटा दिया। 4 फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा और उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया। 5 फिर उसने एक और को भेजा, और उन्होंने उसे मार डाला; तब उसने और बहुतों को भेजा, उनमें से उन्होंने कितनों को पीटा, और कितनों को मार डाला। 6 अब एक ही रह गया था, जो उसका प्रिय पुत्र था; अन्त में उसने उसे भी उनके पास यह सोचकर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 7 पर उन किसानों ने आपस में कहा; ‘यही तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, तब विरासत हमारी हो जाएगी।’ 8 और उन्होंने उसे पकड़कर मार डाला, और दाख की बारी के बाहर फेंक दिया।

9 “इसलिए दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा? वह आकर उन किसानों का नाश करेगा, और दाख की बारी औरों को दे देगा। 10 क्या तुम ने पवित्रशास्त्र में यह वचन नहीं पढ़ा:

     ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था,

     वही कोने का सिरा* हो गया;

    11 यह प्रभु की ओर से हुआ,

     और हमारी दृष्टि में अद्भुत है’!” (भज. 118:23)

12 तब उन्होंने उसे पकड़ना चाहा; क्योंकि समझ गए थे, कि उसने हमारे विरोध में यह दृष्टान्त कहा है: पर वे लोगों से डरे; और उसे छोड़कर चले गए।

13 तब उन्होंने उसे बातों में फँसाने के लिये कई एक फरीसियों और हेरोदियों को उसके पास भेजा। 14 और उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्‍वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं? 15 हम दें, या न दें?” उसने उनका कपट जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों परखते हो? एक दीनार मेरे पास लाओ, कि मैं देखूँ।” 16 वे ले आए, और उसने उनसे कहा, “यह मूर्ति और नाम किस का है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।” 17 यीशु ने उनसे कहा, “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्‍वर का है परमेश्‍वर को दो।” तब वे उस पर बहुत अचम्भा करने लगे।

18 फिर सदूकियों* ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उससे पूछा, 19 “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है, कि यदि किसी का भाई बिना सन्तान मर जाए, और उसकी पत्‍नी रह जाए, तो उसका भाई उसकी पत्‍नी से विवाह कर ले और अपने भाई के लिये वंश उत्‍पन्‍न करे। (उत्प. 38:8, व्य. 25:5) 20 सात भाई थे। पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया। 21 तब दूसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह कर लिया और बिना सन्तान मर गया; और वैसे ही तीसरे ने भी। 22 और सातों से सन्तान न हुई। सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। 23 अतः जी उठने पर वह उनमें से किस की पत्‍नी होगी? क्योंकि वह सातों की पत्‍नी हो चुकी थी।”

24 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो कि तुम न तो पवित्रशास्त्र ही को जानते हो, और न परमेश्‍वर की सामर्थ्य को? 25 क्योंकि जब वे मरे हुओं में से जी उठेंगे, तो उनमें विवाह-शादी न होगी; पर स्वर्ग में दूतों के समान होंगे। 26 मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने मूसा की पुस्तक* में झाड़ी की कथा में नहीं पढ़ा कि परमेश्‍वर ने उससे कहा: ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर हूँ?’ 27 परमेश्‍वर मरे हुओं का नहीं, वरन् जीवितों का परमेश्‍वर है, तुम बड़ी भूल में पड़े हो।”

28 और शास्त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया, उससे पूछा, “सबसे मुख्य आज्ञा कौन सी है?” 29 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है: ‘हे इस्राएल सुन, प्रभु हमारा परमेश्‍वर एक ही प्रभु है। 30 और तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन से, और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।’ 31 और दूसरी यह है, ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।’ इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।” 32 शास्त्री ने उससे कहा, “हे गुरु, बहुत ठीक! तूने सच कहा कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। (यशा. 45:18, व्य. 4:35) 33 और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है।” (व्य. 6:4-5, लैव्य. 19:18, होशे 6:6) 34 जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उससे कहा, “तू परमेश्‍वर के राज्य से दूर नहीं।” और किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ।

35 फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, “शास्त्री क्यों कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है? 36 दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है:

     ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, “मेरे दाहिने बैठ,

     जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों की चौकी न कर दूँ।”’ (भज. 110:1)

37 दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहाँ से ठहरा?” और भीड़ के लोग उसकी आनन्द से सुनते थे।

38 उसने अपने उपदेश में उनसे कहा, “शास्त्रियों से सावधान रहो, जो लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना और बाजारों में नमस्कार, 39 और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और भोज में मुख्य-मुख्य स्थान भी चाहते हैं। 40 वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये अधिक दण्ड पाएँगे।”

41 और वह मन्दिर के भण्डार के सामने बैठकर देख रहा था कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला। 42 इतने में एक गरीब विधवा ने आकर दो दमड़ियाँ, जो एक अधेले के बराबर होती है, डाली। 43 तब उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस गरीब विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है; 44 क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात् अपनी सारी जीविका डाल दी है।”



Mark 12:1

किसानों को उसका ठेका देकर

उस स्वामी ने दाख को संभालने के लिए लोगों का प्रबन्ध किया।

Mark 12:8

इसलिए दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा?

वैकल्पिक अनुवाद, "इसलिए मैं तुम्हें बताता हूँ कि दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा..."

Mark 12:10

क्या तुमने पवित्र-शास्त्र में यह वचन नहीं पढ़ा?

वैकल्पिक अनुवाद, "अब इन शब्दों पर सावधानी-पूर्वक ध्यान दो, जिन्हें तुमने धर्मशास्त्र में पढ़ा है।"

Mark 12:13

तुम मुझे क्यों परखते हो?

"मैं जानता हूँ कि तुम मेरे मुंह से कुछ गलत निकलवाने का प्रयास कर रहे हो कि मुझ पर दोष लगा पाओ।"

दीनार

दिन भर की मजदूरी में मिलने वाला सिक्का।

Mark 12:20

जी उठने पर वह किसकी पत्नी होगी?

वैकल्पिक अनुवाद "पुनरूत्थान के समय जब वे फिर जी उठेंगे तब उसका सातों भाइयों की पत्नी होना संभव नहीं।"

Mark 12:24

क्या तुम इस कारण भूल में नहीं पड़े हो....परमेश्वर की सामर्थ्य को?

वैकल्पिक अनुवाद "तुम भ्रमित हो क्योंकि....परमेश्वर का सामर्थ्य"

Mark 12:26

मरे हुओं के जी उठने

"परमेश्वर उन्हें जीवित करेगा"

Mark 12:35

शास्त्री कैसे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है?

वैकल्पिक अनुवाद, "यहूदी व्यवस्था के ये शिक्षक यीशु को मात्र दाऊद का वंशज कहते हैं तो वे गलती करते हैं।"

दाऊद की सन्तान।

"पुत्र" शब्द यहां वंश के संदर्भ में काम में लिया गया है।

फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा?

वैकल्पिक अनुवाद, "तो वह दाऊद का पुत्र नहीं हो सकता!"

Mark 12:41

दो दमड़ियां

"सबसे कम मूल्य के दो सिक्के"-मुद्रा में सबसे कम मूल्य के दो सिक्के

Mark 12:43

"मैं तुम से सच कहता हूं।"

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

दान पात्र

यह मन्दिर का एक दान पात्र था जो सबके लिए था।

धन की बढ़ती में से

बहुतायात में से

दरिद्रता में से

"कमी" या "दरिद्रता में से"


Translation Questions

Mark 12:1

दाख की बारी लगाकर और किसानों को ठेका देकर उसके स्वामी ने क्या किया?

दाख की बारी लगाकर और ठेका देकर उसका स्वामी यात्रा पर चला गया।

Mark 12:3

स्वामी ने जब अपनी फसल का फल लेने के लिए दासों को भेजा तब किसानों ने क्या किया?

किसानों ने स्वामी के सेवकों को मारा पीटा और हत्या कर दी।

Mark 12:6

स्वामी ने अन्त में किसानों के पास किसे भेजा?

स्वामी ने अन्त में अपने प्रिय पुत्र को भेजा।

Mark 12:8

किसानों ने स्वामी के अन्तिम प्रतिनिधि के साथ क्या किया?

किसानों ने उसे पकड़ कर मार डाला और बाहर फेंक दिया।

Mark 12:9

उसका स्वामी किसानों के साथ क्या करेगा?

दाख की बारी का स्वामी आयेगा और उन किसानों का सर्वनाश करके अपनी बारी किसी और को दे देगा।

Mark 12:10

धर्मशास्त्र में राजमिस्त्रियों द्वारा त्यागे गए पत्थर का क्या हुआ था?

जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने का पत्थर हुआ।

Mark 12:14

फरीसियों और हेरोदियों ने यीशु से क्या पूछा?

उन्होंने यीशु से पूछा कि कैसर को कर देना क्या उचित है।

Mark 12:17

यीशु ने उनके प्रश्न का क्या उत्तर दिया?

यीशु ने उनसे कहा की जो कैसर का है वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को दो।

Mark 12:18

सदूकी किसमें विश्वास नहीं करते थे?

सदूकी पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करते थे।

Mark 12:22

सदूकियों के उदाहरण में उस स्त्री के कितने पति हुए थे?

उस स्त्री के सात पति हुए।

Mark 12:23

सदूकियों ने उस स्त्री के बारे में यीशु से क्या प्रश्न किया?

?

Mark 12:24

यीशु ने सदूकियों की भूल का कारण क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि सदूकी न तो धर्मशास्त्र को जानते हैं और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को समझते हैं।

Mark 12:25

इस स्त्री के बारे में यीशु ने सदूकियों को क्या उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि पुनरुत्थान में मनुष्य विवाह नहीं करेंगे वे स्वर्गदूतों के समान होंगे।

Mark 12:26

यीशु ने धर्मशास्त्र से पुनरुत्थान को कैसे सिद्ध किया?

यीशु ने मूसा की पुस्तक का संदर्भ दिया जहां परमेश्वर स्वयं को अब्राहम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर कहता है अर्थात वे जीवित हैं।

Mark 12:29

यीशु ने किस आज्ञा को सबसे बड़ी बताया है?

यीशु ने कहा कि सबसे बड़ी आज्ञा है, तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से, अपने सारे प्राण से और अपनी सारी बुद्धि से और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।

Mark 12:31

यीशु ने दूसरी आज्ञा कौन सी बताई?

यीशु ने कहा कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, दूसरी आज्ञा है।

Mark 12:35

यीशु ने दाऊद के बारे में शास्त्रियों से क्या प्रश्न किया?

यीशु ने उनसे पूछा कि मसीह यदि दाऊद की सन्तान है तो दाऊद उसे प्रभु क्यों कहता है।

Mark 12:38

यीशु ने मनुष्यों को शास्त्रियों के किस आचरण से सावधान करवाया था?

यीशु ने कहा कि शास्त्री मनुष्यों से प्रशंसा पाना चाहते थे परन्तु वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते है।

Mark 12:44

अन्यों की तुलना में यीशु ने उस गरीब विधवा के दान को बड़ा क्यों कहा था?

यीशु ने कहा कि उसका दान बड़ा है क्योंकि उसने अपनी गरीबी में से दिया जबकि अन्यों ने अपनी बहुतायत में से दिया था।


Chapter 13

1 जब वह मन्दिर से निकल रहा था, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे गुरु, देख, कैसे-कैसे पत्थर और कैसे-कैसे भवन हैं!” 2 यीशु ने उससे कहा, “क्या तुम ये बड़े-बड़े भवन देखते हो: यहाँ पत्थर पर पत्थर भी बचा न रहेगा जो ढाया न जाएगा।”

3 जब वह जैतून के पहाड़ पर मन्दिर के सामने बैठा था, तो पतरस और याकूब और यूहन्ना और अन्द्रियास ने अलग जाकर उससे पूछा, 4 “हमें बता कि ये बातें कब होंगी? और जब ये सब बातें पूरी होने पर होंगी उस समय का क्या चिन्ह होगा?” 5 यीशु उनसे कहने लगा, “सावधान रहो* कि कोई तुम्हें न भरमाए। 6 बहुत सारे मेरे नाम से आकर कहेंगे, ‘मैं वही हूँ’ और बहुतों को भरमाएँगे। 7 और जब तुम लड़ाइयाँ, और लड़ाइयों की चर्चा सुनो, तो न घबराना; क्योंकि इनका होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। 8 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। और हर कहीं भूकम्प होंगे, और अकाल पड़ेंगे। यह तो पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा। (यिर्म. 6:24)

9 “परन्तु तुम अपने विषय में सावधान रहो, क्योंकि लोग तुम्हें सभाओं में सौंपेंगे और तुम आराधनालयों में पीटे जाओगे, और मेरे कारण राज्यपालों और राजाओं के आगे खड़े किए जाओगे, ताकि उनके लिये गवाही हो। 10 पर अवश्य है कि पहले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए। 11 जब वे तुम्हें ले जाकर सौंपेंगे, तो पहले से चिन्ता न करना, कि हम क्या कहेंगे। पर जो कुछ तुम्हें उसी समय बताया जाए, वही कहना; क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो, परन्तु पवित्र आत्मा है। 12 और भाई को भाई, और पिता को पुत्र मरने के लिये सौंपेंगे, और बच्चे माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे। (लूका 21:16, मीका 7:6) 13 और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।

14 “अतः जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु* को जहाँ उचित नहीं वहाँ खड़ी देखो, (पढ़नेवाला समझ ले) तब जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जाएँ। (दानि. 9:27, दानि. 12:11) 15 जो छत पर हो, वह अपने घर से कुछ लेने को नीचे न उतरे और न भीतर जाए। 16 और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने के लिये पीछे न लौटे। 17 उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय! हाय! 18 और प्रार्थना किया करो कि यह जाड़े में न हो। 19 क्योंकि वे दिन ऐसे क्लेश के होंगे, कि सृष्टि के आरम्भ से जो परमेश्‍वर ने रची है अब तक न तो हुए, और न कभी फिर होंगे। (मत्ती 24:21) 20 और यदि प्रभु उन दिनों को न घटाता, तो कोई प्राणी भी न बचता; परन्तु उन चुने हुओं के कारण जिनको उसने चुना है, उन दिनों को घटाया। 21 उस समय यदि कोई तुम से कहे, ‘देखो, मसीह यहाँ है!’ या ‘देखो, वहाँ है!’ तो विश्वास न करना। 22 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। (मत्ती 24:24) 23 पर तुम सावधान रहो देखो, मैंने तुम्हें सब बातें पहले ही से कह दी हैं।

24 “उन दिनों में, उस क्लेश के बाद सूरज अंधेरा हो जाएगा, और चाँद प्रकाश न देगा; 25 और आकाश से तारागण गिरने लगेंगे, और आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी। (प्रका. 6:13, यशा. 34:4) 26 तब लोग मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों में आते देखेंगे। (दानि. 7:13, प्रका. 1:17) 27 उस समय वह अपने स्वर्गदूतों* को भेजकर, पृथ्वी के इस छोर से आकाश के उस छोर तक चारों दिशा से अपने चुने हुए लोगों को इकट्ठा करेगा। (व्य. 30:4, मत्ती 24:31)

28 “अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो जब उसकी डाली कोमल हो जाती; और पत्ते निकलने लगते हैं; तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है। 29 इसी रीति से जब तुम इन बातों को होते देखो, तो जान लो, कि वह निकट है वरन् द्वार ही पर है। 30 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लेंगी, तब तक यह लोग जाते न रहेंगे। 31 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। (यशा. 40:8, लूका 21:33)

32 “उस दिन या उस समय के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता। 33 देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा। 34 यह उस मनुष्य के समान दशा है, जो परदेश जाते समय अपना घर छोड़ जाए, और अपने दासों को अधिकार दे: और हर एक को उसका काम जता दे, और द्वारपाल को जागते रहने की आज्ञा दे। 35 इसलिए जागते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आएगा, सांझ को या आधी रात को, या मुर्गे के बाँग देने के समय या भोर को। 36 ऐसा न हो कि वह अचानक आकर तुम्हें सोते पाए। 37 और जो मैं तुम से कहता हूँ, वही सबसे कहता हूँ: जागते रहो।”



Mark 13:1

कैसे भव्य भवन?

वैकल्पिक अनुवाद, "तू देख सकता है कि यह कैसे विशाल भवन हैं।"

Mark 13:7

चर्चा

"झूठा समाचार" या "इधर-उधर की बात"

Mark 13:14

उजाड़ने वाली की घृणित वस्तु

"घृणित मूर्ति पूजा" या "दुष्टता की निरर्थकता"

Mark 13:24

सूरज अन्धेरा हो जायेगा

"परमेश्वर सूर्य को अंधकारपूर्ण कर देगा"

आकाश की शक्तियां हिलाई जायेंगी

"परमेश्वर आकाश की शक्तियों को हिला देगा"

Mark 13:30

मैं तुमसे सच कहता हूं।

यीशु बल देकर कह रहा है कि वह उन्हें जो भी शिक्षा दे रहा है, वह वास्तव में होकर रहेंगी, ठीक वैसे ही जैसा उसने वर्णन किया है।

टल जायेंगे

"समाप्त हो जायेंगे"

Mark 13:35

मुर्गे

सामान्यतः भोर के समय सबसे पहले बोलने वाली चिड़िया

बांग देने के समय

"बोलने के समय" "या"


Translation Questions

Mark 13:2

यीशु ने उन भव्य पत्थरों और मन्दिर के बारे में क्या भविष्यद्वाणी की थी?

यीशु ने कहा कि मन्दिर के पत्थरों में एक भी नहीं रहेगा जो ढाया न गया हो।

Mark 13:4

चेलों ने इस पर यीशु से क्या प्रश्न पूछा?

?

Mark 13:5

यीशु ने चेलों को किस बात से सावधान रहने को कहा?

यीशु ने चेलों से कहा कि वे सावधान रहें अन्यथा कोई उन्हें भरमाए।

Mark 13:7

पीड़ाओं का आरंभ यीशु ने क्या बताया?

यीशु ने कहा कि पीड़ाओं के आरंभ में युद्ध होंगे, युद्ध की चर्चा होगी, भूकंप होंगे और अकाल पड़ेंगे।

Mark 13:9

यीशु ने क्या कहा कि चेलों के साथ होगा?

यीशु ने कहा कि चेले महासभाओं में सौंपे जायेंगे, आराधनालयों में पीटे जायेंगे, हाकिमों और राजाओं के सामने खड़े किए जायेंगे कि उनके लिए गवाही हो।

Mark 13:10

यीशु ने किसका होना पहले बताया है?

यीशु ने कहा कि पहले सुसमाचार का सब जातियों में प्रचार होना आवश्यक है।

Mark 13:12

यीशु के कथनानुसार परिवारों के सदस्य क्या करेंगे?

यीशु ने कहा कि एक परिवार के सदस्य एक दूसरे को मरवा डालेंगे।

Mark 13:13

यीशु ने किसके उद्धार के लिए कहा?

यीशु ने कहा कि जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा।

Mark 13:14

घृणित वस्तु देखने पर यीशु ने यहूदिया स्त्रियों से क्या करने को कहा?

यीशु ने कहा कि घृणित वस्तु देख कर, यहूदियावासी पर्वतों पर भाग जाएं।

Mark 13:20

चुने हुओं के कारण यीशु ने क्या कहा कि परमेश्वर ने किया है?

यीशु ने कहा कि चुने हुओं के कारण परमेश्वर ने क्लेश का समय घटा दिया है।

Mark 13:22

यीशु ने मनुष्यों का भरमाने वालों के लिए क्या कहा?

यीशु ने कहा कि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता मनुष्यों को भरमाने आएंगे।

Mark 13:24

उन दिनों के महाक्लेश के बाद आकाश में क्या होगा?

सूर्य और चांद अन्धेरा हो जाएंगे आकाश से सितारे गिरेंगे और आकाश की शक्तियां हिलाई जायेंगी।

Mark 13:26

मनुष्य बादलों में क्या देखेंगे?

वे मनुष्य के पुत्र को महान सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों पर आता देखेंगे।

Mark 13:27

मनुष्य का पुत्र जब आयेगा तब वह क्या करेगा?

मनुष्य का पुत्र पृथ्वी के इस छोर से आकाश के उस छोर तक अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेगा।

Mark 13:30

इन सब बातों के पूरा होने तक यीशु ने किसके लिए कहा कि वह समाप्त नहीं होंगे?

यीशु ने कहा कि जब तक ये सब बातें न हो लें तब तक यह पीढ़ी समाप्त नहीं होगी।

Mark 13:31

यीशु ने किस के लिए कहा कि कभी नहीं टलेगा?

यीशु ने कहा कि उसका वचन कभी नहीं टलेगा।

Mark 13:32

यीशु ने इन सब बातों के होने का समय क्या बताया है?

यीशु ने कहा कि पिता को छोड़ उस दिन और समय को कोई नहीं जानता है।

Mark 13:33

यीशु ने अपने आगमन के संबन्ध में चेलों को क्या आज्ञा दी थी?

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे जागते रहें और सावधान रहें।


Chapter 14

1 दो दिन के बाद फसह* और अख़मीरी रोटी का पर्व होनेवाला था। और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे कैसे छल से पकड़कर मार डालें। 2 परन्तु कहते थे, “पर्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में दंगा मचे।”

3 जब वह बैतनिय्याह* में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामांसी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र लेकर आई; और पात्र तोड़ कर इत्र को उसके सिर पर उण्डेला। 4 परन्तु कुछ लोग अपने मन में झुँझला कर कहने लगे, “इस इत्र का क्यों सत्यनाश किया गया? 5 क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर गरीबों को बाँटा जा सकता था।” और वे उसको झिड़कने लगे। 6 यीशु ने कहा, “उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है। 7 गरीब तुम्हारे साथ सदा रहते हैं और तुम जब चाहो तब उनसे भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा। (व्य. 15:11) 8 जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले से मेरी देह पर इत्र मला है। 9 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि सारे जगत में जहाँ कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।”

10 तब यहूदा इस्करियोती जो बारह में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया, कि उसे उनके हाथ पकड़वा दे। 11 वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उसको रुपये देना स्वीकार किया, और यह अवसर ढूँढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।

12 अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, जिसमें वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करे?” (निर्ग. 12:6, निर्ग. 12:15) 13 उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, “नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना। 14 और वह जिस घर में जाए उस घर के स्वामी से कहना: ‘गुरु कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ कहाँ है?’ 15 वह तुम्हें एक सजी-सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहाँ हमारे लिये तैयारी करो।” 16 तब चेले निकलकर नगर में आए और जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया। 17 जब सांझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया। 18 और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।” (भज. 41:9) 19 उन पर उदासी छा गई और वे एक-एक करके उससे कहने लगे, “क्या वह मैं हूँ?” 20 उसने उनसे कहा, “वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है। 21 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता तो उसके लिये भला होता।”

22 और जब वे खा ही रहे थे तो उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।” 23 फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया। 24 और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है। (निर्ग. 24:8, जक. 9:11) 25 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्‍वर के राज्य में नया न पीऊँ।” 26 फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।

27 तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है: ‘मैं चरवाहे को मारूँगा, और भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।’ 28 परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।” 29 पतरस ने उससे कहा, “यदि सब ठोकर खाएँ तो खाएँ, पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा।” 30 यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझसे मुकर जाएगा।” 31 पर उसने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े फिर भी तेरा इन्कार कभी न करूँगा।” इसी प्रकार और सब ने भी कहा।

32 फिर वे गतसमनी नाम एक जगह में आए; और उसने अपने चेलों से कहा, “यहाँ बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूँ। 33 और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया; और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा, 34 और उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ: तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।” (भज. 42:5) 35 और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह समय मुझ पर से टल जाए। 36 और कहा, “हे अब्बा, हे पिता*, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।” 37 फिर वह आया और उन्हें सोते पा कर पतरस से कहा, “हे शमौन, तू सो रहा है? क्या तू एक घंटे भी न जाग सका? 38 जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।” 39 और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की। 40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें। 41 फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुँची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। 42 उठो, चलें! देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है!”

43 वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ प्रधान याजकों और शास्त्रियों और प्राचीनों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए तुरन्त आ पहुँची। 44 और उसके पकड़नेवाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिसको मैं चूमूं वही है, उसे पकड़कर सावधानी से ले जाना। 45 और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा, “हे रब्बी!” और उसको बहुत चूमा। 46 तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया। 47 उनमें से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींचकर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया। 48 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियाँ लेकर निकले हो? 49 मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिए हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।” 50 इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए। (भज. 88:18) 51 और एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा। 52 पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया।

53 फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब प्रधान याजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहाँ इकट्ठे हो गए। 54 पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठ कर आग तापने लगा। 55 प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली। 56 क्योंकि बहुत से उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उनकी गवाही एक सी न थी। 57 तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी, 58 “हमने इसे यह कहते सुना है ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा, जो हाथ से न बना हो’।” 59 इस पर भी उनकी गवाही एक सी न निकली। 60 तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा; “तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?” 61 परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया। महायाजक ने उससे फिर पूछा, “क्या तू उस परमधन्य का पुत्र मसीह है?” 62 यीशु ने कहा, “हाँ मैं हूँ: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।” (दानि. 7:13, भज. 110:1) 63 तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन है? (मत्ती 26:65) 64 तुम ने यह निन्दा सुनी। तुम्हारी क्या राय है?” उन सब ने कहा यह मृत्यु दण्ड के योग्य है। (लैव्य. 24:16) 65 तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुँह ढाँपने और उसे घूँसे मारने, और उससे कहने लगे, “भविष्यद्वाणी कर!” और पहरेदारों ने उसे पकड़कर थप्पड़ मारे।

66 जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई। 67 और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।” 68 वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है”। फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी। 69 वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि “यह उनमें से एक है।” 70 परन्तु वह फिर मुकर गया। और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।” 71 तब वह स्वयं को कोसने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को, जिसकी तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।” 72 तब तुरन्त दूसरी बार मुर्गे ने बाँग दी पतरस को यह बात जो यीशु ने उससे कही थी याद आई, “मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” वह इस बात को सोचकर रोने लगा।



Mark 14:3

शमौन कोढ़ी

इस व्यक्ति को पहले कोढ़ था परन्तु अब वह स्वस्थ था।

संगमरमर

यह एक नर्म "सफेद पत्थर" होता है।

इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया?

वैकल्पिक अनुवाद, "ऐसा बहुमूल्य इत्र को व्यर्थ गंवाने में तर्क की कोई बात नहीं है।"

इस इत्र को...बेचा जा सकता था।

"हम इस इत्र को बेच सकते थे" या "वह इसे बेच सकती थी"

Mark 14:6

उसे क्यों सताते हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें उसे दुःख नहीं देना है।"

Mark 14:10

यहूदा इस्करियोती

देखें आपने इसका अनुवाद कैसे किया है।

Mark 14:17

जब वे बैठे भोजन कर रहे थे।

उनकी प्रथा में भोजन तख्त नीचे होते थे और अतिथियों के लिए भोजन करने हेतु आधा लेटने की स्थिति में गद्दियाँ रखी होती थी।

एक एक करके

अर्थात् प्रत्येक शिष्य ने एक के बाद एक उससे पूछा

क्या वह मैं हूँ?

"निश्चय ही वह मैं तो नहीं जो तुझे पकड़वाने में तेरे बैरियों की सहायता करेगा!" (देखें: और )

Mark 14:26

भजन गाकर

भजन भी एक गीत ही होता है। ऐसे समय पर भजन संहिता में से एक भजन गाना उनकी परम्परा थी।

Mark 14:35

x

जैतून पर्वत पर गतसमनी की वाटिका में यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को सतर्क रहकर प्रार्थना के लिए छोड़ देता है।

हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए।

"उसे जिस कष्ट का अनुभव हो रहा था उसे सहन करने की शक्ति उसे मिले।"

हे अब्बा

"अब्बा" एक यूनानी शब्द है जिसका उपयोग बच्चे अपने पिता के लिए करते थे। यह घनिष्ठ सम्बन्ध को दर्शाता है। क्योंकि पिता ही को संबोधित करता है, इस यूनानी शब्द का ही उपयोग करना महत्वपूर्ण है, "अब्बा"

इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले।

कटोरा परमेश्वर के प्रकोप का संदर्भ देता है जिसे यीशु को सहन करना है।

Mark 14:37

x

यीशु यहूदा को छोड़ अपने सब शिष्यों के साथ गतसमनी की वाटिका ही में है।

उन्हें सोते पाकर

"पतरस, याकूब और यूहन्ना को उसने सोते पाया।"

हे शमौन तू सो रहा है?

"शमौन, मैंने तुम्हें जागते रहने को कहा और तू सो रहा है"

तू एक घड़ी भी न जाग सका

"तू सजग न रह पाया।"

आत्मा तो तैयार है पर शरीर दुर्बल है।

"तुम्हारा शरीर तुम्हारे मन के अनुसार नहीं चल सकता है।"

शरीर

"देह"

Mark 14:40

x

यीशु यहूदा को छोड़ अपने सब शिष्यों के साथ गतसमनी की वाटिका ही में है।

सोते पाया

उन्हें देखा कि वे सो रहे हैं "पतरस, यूहन्ना और याकूब को सोते पाया।"

अब सोते रहो और विश्राम करो।

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम अब भी सो रहे हो! विश्राम कर रहे हो।"

Mark 14:43

x

यीशु यहूदा को छोड़ अन्य सब शिष्यों के साथ गतसमनी में है।

उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।

"बन्दी बना लिया"

Mark 14:47

x

महायाजक को, शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा भेजी गई भीड़ ने यीशु को गतसमनी में पकड़ लिया है।

क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर निकले हो?

"तुम मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर आए हो जैसे कि किसी डाकू को पकड़ने आए हो।"

Mark 14:51

x

महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों द्वारा भेजे गए दल ने यीशु को बन्दी बना लिया है।

चादर

सन की चादर

Mark 14:55

x

महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों द्वारा भेजे गए दल ने यीशु को बन्दी बना लिया है।

Mark 14:57

x

यीशु बन्दी बनाकर यहूदी महायाजक के समक्ष उपस्थित किया गया।

हमने इसे यह कहते सुना है।

"हम" अर्थात वे जो यीशु के विरुद्ध झूठी गवाही दे रहे थे

Mark 14:60

x

यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है।

बीच में खड़े होकर

"महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों के मध्य खड़े होकर"

मैं हूं

पुराने नियम में परमेश्वर स्वयं को यही कहता था।

Mark 14:63

x

यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है।

महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा

यीशु की बात सुनकर क्रोधित होने का संकेत- निन्दा समझा।

सबने कहा कि वह वध के योग्य है।

"महासभा के सब सदस्यों ने यीशु को दोषी ठहराया।"

Mark 14:66

x

यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है।

Mark 14:69

x

अब तक पतरस एक बार यीशु का इन्कार कर चुका है।

उनमें से एक है

"शिष्यों में से एक"

Mark 14:71

x

आग में ताप रहे लोगों ने पतरस को देखकर कहा कि वह भी पतरस यीशु के साथ था।

रोने लगा

रोने का अर्थ है कि वह शोकातुर या "पूर्णतः सदमें में था"

Mark 14:80

मैं तुमसे सच कहता हूं।

देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

मुझसे मुकर जाएगा

"कहेगा कि मुझे नहीं जानता"


Translation Questions

Mark 14:1

महायाजक और शास्त्री क्या षड्यंत्र रच रहे थे?

वे षड्यंत्र रच रहे थे कि यीशु को चुपचाप से पकड़ कर मार डालें।

Mark 14:2

महायाजक और शास्त्री अखमीरी रोटी के पर्व के समय ऐसा क्यों नहीं करना चाहते थे?

वे डरते थे कि लोगों में बलवा हो जायेगा।

Mark 14:3

शमौन कोढ़ी के घर में उस स्त्री ने यीशु के लिए क्या किया था?

एक स्त्री ने बहुमूल्य इत्र यीशु के सिर पर उण्डेला।

Mark 14:5

कुछ लोग उस स्त्री से रूष्ट क्यों थे?

कुछ लोग सोच रहे थे कि वह इस इत्र को बेचकर गरीबों में पैसा बांट देती तो अच्छा होता।

Mark 14:8

यीशु ने उस स्त्री के इस काम को क्या कहा?

यीशु ने कहा कि उसने यीशु की देह को दफ़न के लिए तैयार किया है।

Mark 14:9

यीशु ने उस स्त्री के काम के लिए क्या प्रतिज्ञा की थी?

यीशु ने उससे प्रतिज्ञा की कि संसार में जहां भी सुसमाचार प्रचार किया जायेगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा उसके स्मरण में की जायेगी।

Mark 14:10

यहूदा इस्करियोती महायाजकों के पास क्यों गया था?

यहूदा इस्करियोती महायाजकों के पास गया कि यीशु को पकड़वा दे।

Mark 14:12

चेलों ने फसह का भोज खाने का स्थान कैसे खोजा?

यीशु ने उनसे कहा, नगर में जाने पर वे एक मनुष्य को जल का घड़ा उठाए हुए देखेंगे, उससे पूछना कि अतिथि कक्ष कहाँ है कि वे फसह का भोज खाएं।

Mark 14:18

जब वे उसके साथ भोजन कर रहे थे तब यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि उसके साथ भोजन करने वालों में से एक उससे विश्वासघात करेगा।

Mark 14:20

यीशु ने किस चेले को विश्वासघाती बताया?

यीशु ने कहा कि उसके साथ कटोरे में रोटी डालने वाला उसे पकड़वायेगा।

Mark 14:21

यीशु ने विश्वासघाती चेले के भविष्य के लिए क्या कहा?

यीशु ने कहा कि वह जन्म ही न लेता तो अच्छा होता।

Mark 14:22

चेलों को रोटी तोड़कर देते समय यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "लो यह मेरी देह है"।

Mark 14:24

चेलों को कटोरा देते समय यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए बहाया जाता है"।

Mark 14:25

यीशु ने दाख का रस फिर कब पीने के लिए कहा?

यीशु ने कहा कि वह दाख का रस उस दिन तक फिर कभी नहीं पीयेगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीए।

Mark 14:27

जैतून के पर्वत पर यीशु ने अपने चेलों से क्या भविष्यद्वाणी की थी?

यीशु ने भविष्यद्वाणी की कि उसके चेले सब उसे छोड़ कर भाग जायेंगे।

Mark 14:30

पतरस ने जब यीशु का इन्कार कभी न करने का दावा किया तब यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा कि मुर्गे के दो बार बाँग देने से पूर्व वह तीन बार उसका इन्कार करेगा।

Mark 14:32

यीशु प्रार्थना करने गया तो उसने उन तीन चेलों से क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा कि वे वहाँ जागते रहें।

Mark 14:35

यीशु ने क्या प्रार्थना की?

यीशु ने प्रार्थना की कि हो सके तो वह समय टल जाए।

Mark 14:36

परमेश्वर से प्रार्थना के उत्तर में यीशु क्या स्वीकार करने के लिए तैयार था?

यीशु पिता की इच्छा पूरी करने को तत्पर था।

Mark 14:37

लौटने पर यीशु ने तीनों चेलों को कैसा पाया?

यीशु ने तीनों चेलों को सोता पाया।

Mark 14:40

यीशु प्रार्थना करके दूसरी बार लौटा तो उसने क्या देखा?

यीशु ने तीनों चेलों को सोता पाया।

Mark 14:41

यीशु प्रार्थना करे तीसरी बार लौटा तो क्या देखा?

यीशु ने तीनों चेलों को सोता पाया।

Mark 14:44

यहूदा ने पकड़ने वालों को यीशु की पहचान के लिए क्या बताया था?

यहूदा ने यीशु को चूम कर प्रकट किया कि वह यीशु है।

Mark 14:48

उसके पकड़े जाने में यीशु ने क्या कहा कि धर्मशास्त्र की बात पूरी होती है?

यीशु ने उनसे कहा, क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठी लेकर निकले हो? इससे धर्मशास्त्र पूरा होता है।

Mark 14:50

यीशु के पकड़े जाने पर उसके साथियों ने क्या किया?

यीशु के साथी उसे छोड़कर भाग खड़े हुए।

Mark 14:51

यीशु के पकड़े जाने के समय उस युवक ने क्या किया?

एक जवान अपनी चादर छोड़कर नंगा भाग गया।

Mark 14:53

यीशु जब महायाजक के पास लाया गया तब पतरस कहाँ था?

पतरस पहरेदारों के साथ आग तापने लगा।

Mark 14:55

महासभा में भी यीशु के विरूद्ध दी गई गवाहियों में क्या था?

यीशु के विरूद्ध की गई गवाहियां झूठी थी और एक सी नहीं थी।

Mark 14:61

महायाजक ने यीशु से उसके विषय क्या पूछा?

?

Mark 14:62

यीशु ने याजक को क्या उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि वह परमधन्य का पुत्र मसीह है।

Mark 14:64

यीशु का उत्तर सुनकर महायाजक ने यीशु को किस अपराध का दोषी ठहराया?

महायाजक ने कहा कि यीशु ईशनिन्दा का दोषी है।

Mark 14:65

यीशु को मृत्युदण्ड का दोषी ठहराने के बाद उन्होंने क्या किया?

उन्होंने उस पर थूका, थप्पड़ और उसे घूंसे मारे।

Mark 14:66

उस दासी ने पतरस को यीशु का साथी कहा तो पतरस ने क्या प्रतिक्रिया दिखाई?

पतरस ने कहा कि वह उस दासी के आरोप को न तो समझ रहा था और न ही जानता था।

Mark 14:71

पतरस से तीन बार कहा गया कि वह यीशु का चेला है तो उसने क्या प्रतिक्रिया दिखाई?

पतरस धिक्कारने और शपथ खाने लगा कि वह यीशु को नहीं जानता है।

Mark 14:72

पतरस ने तीसरी बार इन्कार किया तब क्या हुआ?

पतरस ने जब तीसरी बार इन्कार किया तब मुर्गे ने दूसरी बार बांग दी।

मुर्गे की बांग सुनकर पतरस ने क्या किया?

मुर्गे की बांग सुनकर पतरस रोने लगा।


Chapter 15

1 और भोर होते ही तुरन्त प्रधान याजकों, प्राचीनों, और शास्त्रियों ने वरन् सारी महासभा ने सलाह करके यीशु को बन्धवाया, और उसे ले जाकर पिलातुस के हाथ सौंप दिया। 2 और पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” उसने उसको उत्तर दिया, “तू स्वयं ही कह रहा है।” 3 और प्रधान याजक उस पर बहुत बातों का दोष लगा रहे थे। 4 पिलातुस ने उससे फिर पूछा, “क्या तू कुछ उत्तर नहीं देता, देख ये तुझ पर कितनी बातों का दोष लगाते हैं?” 5 यीशु ने फिर कुछ उत्तर नहीं दिया; यहाँ तक कि पिलातुस को बड़ा आश्चर्य हुआ।

6 वह उस पर्व में किसी एक बन्धुए को जिसे वे चाहते थे, उनके लिये छोड़ दिया करता था। 7 और बरअब्बा नाम का एक मनुष्य उन बलवाइयों के साथ बन्धुआ था, जिन्होंने बलवे में हत्या की थी। 8 और भीड़ ऊपर जाकर उससे विनती करने लगी, कि जैसा तू हमारे लिये करता आया है वैसा ही कर। 9 पिलातुस ने उनको यह उत्तर दिया, “क्या तुम चाहते हो, कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 क्योंकि वह जानता था, कि प्रधान याजकों ने उसे डाह से पकड़वाया था। 11 परन्तु प्रधान याजकों ने लोगों को उभारा, कि वह बरअब्बा ही को उनके लिये छोड़ दे। 12 यह सुन पिलातुस ने उनसे फिर पूछा, “तो जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो, उसको मैं क्या करूँ?” 13 वे फिर चिल्लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ा दे!” 14 पिलातुस ने उनसे कहा, “क्यों, इसने क्या बुराई की है?” परन्तु वे और भी चिल्लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ा दे।” 15 तब पिलातुस ने भीड़ को प्रसन्‍न करने की इच्छा से, बरअब्बा को उनके लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।

16 सिपाही उसे किले के भीतर आँगन में ले गए जो प्रीटोरियुम कहलाता है, और सारे सैनिक दल को बुला लाए। 17 और उन्होंने उसे बैंगनी वस्त्र पहनाया और काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा, 18 और यह कहकर उसे नमस्कार करने लगे, “हे यहूदियों के राजा, नमस्कार!” 19 वे उसके सिर पर सरकण्डे मारते, और उस पर थूकते, और घुटने टेककर उसे प्रणाम करते रहे। 20 जब वे उसका उपहास कर चुके, तो उस पर बैंगनी वस्त्र उतारकर उसी के कपड़े पहनाए; और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये बाहर ले गए।

21 सिकन्दर और रूफुस का पिता शमौन, नाम एक कुरेनी* मनुष्य, जो गाँव से आ रहा था उधर से निकला; उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले। 22 और वे उसे गुलगुता* नामक जगह पर, जिसका अर्थ खोपड़ी का स्थान है, लाए। 23 और उसे गन्धरस मिला हुआ दाखरस देने लगे, परन्तु उसने नहीं लिया। 24 तब उन्होंने उसको क्रूस पर चढ़ाया*, और उसके कपड़ों पर चिट्ठियाँ डालकर, कि किस को क्या मिले, उन्हें बाँट लिया। (भज. 22:18) 25 और एक पहर दिन चढ़ा था, जब उन्होंने उसको क्रूस पर चढ़ाया। 26 और उसका दोषपत्र लिखकर उसके ऊपर लगा दिया गया कि “यहूदियों का राजा”। 27 उन्होंने उसके साथ दो डाकू, एक उसकी दाहिनी और एक उसकी बाईं ओर क्रूस पर चढ़ाए। 28 तब पवित्रशास्त्र का वह वचन कि वह अपराधियों के संग गिना गया, पूरा हुआ। (यशा. 53:12) 29 और मार्ग में जानेवाले सिर हिला-हिलाकर और यह कहकर उसकी निन्दा करते थे, “वाह! मन्दिर के ढानेवाले, और तीन दिन में बनानेवाले! (भज. 22:7, भज. 109:25) 30 क्रूस पर से उतर कर अपने आप को बचा ले।” 31 इसी तरह से प्रधान याजक भी, शास्त्रियों समेत, आपस में उपहास करके कहते थे; “इसने औरों को बचाया, पर अपने को नहीं बचा सकता। 32 इस्राएल का राजा, मसीह, अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें।” और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उसकी निन्दा करते थे।

33 और दोपहर होने पर सारे देश में अंधियारा छा गया, और तीसरे पहर तक रहा। 34 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी?” जिसका अर्थ है, “हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” 35 जो पास खड़े थे, उनमें से कितनों ने यह सुनकर कहा, “देखो, यह एलिय्याह को पुकारता है।” 36 और एक ने दौड़कर पनसोख्‍ता को सिरके में डुबोया, और सरकण्डे पर रखकर उसे चुसाया, और कहा, “ठहर जाओ; देखें, एलिय्याह उसे उतारने के लिये आता है कि नहीं।” (भज. 69:21) 37 तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिये। 38 और मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। 39 जो सूबेदार उसके सामने खड़ा था, जब उसे यूँ चिल्लाकर प्राण छोड़ते हुए देखा, तो उसने कहा, “सचमुच यह मनुष्य, परमेश्‍वर का पुत्र था!”

40 कई स्त्रियाँ भी दूर से देख रही थीं: उनमें मरियम मगदलीनी, और छोटे याकूब और योसेस की माता मरियम, और सलोमी थीं। 41 जब वह गलील में था तो ये उसके पीछे हो लेती थीं और उसकी सेवा-टहल किया करती थीं; और भी बहुत सी स्त्रियाँ थीं, जो उसके साथ यरूशलेम में आई थीं।

42 जब संध्या हो गई, तो इसलिए कि तैयारी का दिन था, जो सब्त के एक दिन पहले होता है, 43 अरिमतियाह का रहनेवाला यूसुफ* आया, जो प्रतिष्ठित मंत्री और आप भी परमेश्‍वर के राज्य की प्रतीक्षा में था। वह साहस करके पिलातुस के पास गया और यीशु का शव माँगा। 44 पिलातुस ने आश्चर्य किया, कि वह इतना शीघ्र मर गया; और उसने सूबेदार को बुलाकर पूछा, कि “क्या उसको मरे हुए देर हुई?” 45 जब उसने सूबेदार के द्वारा हाल जान लिया, तो शव यूसुफ को दिला दिया। 46 तब उसने एक मलमल की चादर मोल ली, और शव को उतारकर उस चादर में लपेटा, और एक कब्र में जो चट्टान में खोदी गई थी रखा, और कब्र के द्वार पर एक पत्थर लुढ़का दिया। 47 और मरियम मगदलीनी और योसेस की माता मरियम देख रही थीं कि वह कहाँ रखा गया है।



Mark 15:1

तू आप ही कह रहा है।

"तू ने तो स्वयं ही कह दिया है"

Mark 15:9

छोड़ दूँ?

"मुक्त कर दूँ" या "क्षमा कर दूँ" या "जाने दूँ"

Mark 15:16

किले

सैनिकों के ठहरने का स्थान

पलटन

"बहुत से सैनिक" या "अनेक सैनिक"

उन्होंने उसे बैंजनी वस्त्र पहनाया।

यह ठट्ठा करने का एक स्वांग था। बैंजनी वस्त्र राजसी वस्त्र था और यीशु को पहनाने का अभिप्राय था, उसका उपहास करना कि वह "यहूदियों का राजा है।"

और यह कहकर उसे नमस्कार करने लगे, "हे यहूदियों के राजा नमस्कार!"

सैनिक यीशु का ठट्ठा कर रहे थे क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह यहूदियों का राजा है

Mark 15:25

डाकू

"हथियार-बन्द चोर"

Mark 15:36

खट्टा दाखरस

सिरका

मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया था।

परमेश्वर ने मन्दिर के पर्दे को दो भाग कर दिया।

Mark 15:39

सलोमी

x

Mark 15:45

एक कब्र जो चट्टानों में खोदी गई थी

"किसी ने एक कब्र को खोदा हुआ था।"

चादर

मलमल का कपड़ा (देखें इसका अनुवाद 14:51-52 में कैसे किया है)

वह कहाँ रखा गया है

यूसुफ और उसके साथ जो थे उन्होंने यीशु के शव को कहाँ रखा था।


Translation Questions

Mark 15:1

भोर होते ही महायाजकों ने यीशु के साथ क्या किया?

भोर होते ही उन्होंने यीशु को बंधवाया और पिलातुस के हाथ सौंप दिया।

Mark 15:5

महायाजक यीशु पर अनेक आरोप लगा रहे थे तब पिलातुस को किस बात पर आश्चर्य हुआ?

पिलातुस को आश्चर्य हुआ कि यीशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया।

Mark 15:6

उस पर्व पर पिलातुस उनके लिए क्या करता था?

उस पर्व पर पिलातुस उनके लिए एक अपराधी को छोड़ देता था।

Mark 15:7

जनसमूह किसे छोड़ने की विनती करने लगा, वह बन्दीगृह में क्यों था?

जनसमूह ने विनती की बरअब्बा को छोड़ दिया जाए (वह एक हत्यारा था)।

Mark 15:10

पिलातुस यीशु को क्यों छोड़ देना चाहता था?

पिलातुस जानता था कि महायाजकों ने उसे डाह के कारण पकड़वाया है।

Mark 15:12

जनसमूह ने यहूदियों के राजा के साथ कैसे व्यवहार की पुकार की?

जनसमूह ने यहूदियों के राजा को क्रूस पर चढ़ाने की मांग की।

Mark 15:17

सैनिकों की पलटन ने यीशु को कैसे वस्त्र पहनाए?

सैनिकों ने यीशु को बैंजनी वस्त्र पहनाया और उसके सिर पर कांटों का ताज रखा।

Mark 15:21

यीशु का क्रूस किसने उठाया था?

एक यात्री, शमौन कुरेनी को यीशु का क्रूस उठाने के लिए विवश किया गया।

Mark 15:22

सैनिक यीशु को जहां क्रूस पर चढ़ाने ले गए उस स्थान का नाम क्या था?

उस स्थान का नाम गुलगुता था अर्थात खोपड़ी का स्थान था।

Mark 15:24

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने क्या किया?

सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों के लिए चिटिठ्यां डालीं।

Mark 15:26

सैनिकों ने यीशु के दोष पत्र पर क्या लिखा?

सैनिकों ने एक दोष पत्र उसके उपर लगवा दिया जिस पर लिखा था, "यहूदियों का राजा"।

Mark 15:29

बटोहियों ने यीशु को क्या चुनौती दी?

आने जाने वालों ने उसकी निन्दा करते हुए कहा, क्रूस पर से उतर कर अपने आपको बचा ले।

Mark 15:31

महायाजकों ने यीशु पर विश्वास करने की क्या बातें रखी थी?

महायाजकों ने कहा कि वह क्रूस पर से उतर आए तो वे उसका विश्वास करेंगे।

Mark 15:32

यीशु की निन्दा करते समय महायाजकों ने यीशु को क्या पदनाम दिए?

महायाजकों ने यीशु को मसीह एवं इस्राएल का राजा कहा।

Mark 15:33

छठवें घंटे क्या हुआ?

छठवें घंटे संपूर्ण देश में अन्धकार हो गया था।

Mark 15:34

यीशु ने नौवें घंटे में चिल्लाकर क्या कहा था?

यीशु ने पुकार कर कहा, "हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?"

Mark 15:37

मरने से पूर्व यीशु ने क्या किया?

मरने से पूर्व यीशु ने ऊंचे स्वर में पुकारा।

Mark 15:38

यीशु की मृत्यु पर मन्दिर में क्या हुआ?

यीशु की मृत्यु पर मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे फटकर दो भाग हो गया।

Mark 15:39

यीशु की मृत्यु को देखकर सूबेदार ने क्या गवाही दी?

सूबेदार ने गवाही दी कि वह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।

Mark 15:42

यीशु की मृत्यु किस दिन हुई थी?

यीशु सब्त से एक दिन पूर्व मर गया था।

Mark 15:43

यीशु के मरणोपरान्त अरिमतिया ने यूसुफ ने क्या किया?

अरिमतिया के यूसुफ ने पिलातुस से यीशु का पार्थिव देह मांगी और उसे क्रूस से उतारकर मलमल की चादर में लपेटकर कब्र में रखकर कब्र के द्वार पर एक पत्थर लुढ़का दिया।


Chapter 16

1 जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी, और याकूब की माता मरियम, और सलोमी ने सुगन्धित वस्तुएँ मोल लीं, कि आकर उस पर मलें। 2 सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर, जब सूरज निकला ही था, वे कब्र पर आईं, 3 और आपस में कहती थीं, “हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर कौन लुढ़काएगा?” 4 जब उन्होंने आँख उठाई, तो देखा कि पत्थर लुढ़का हुआ है! वह बहुत ही बड़ा था। 5 और कब्र के भीतर जाकर, उन्होंने एक जवान को श्वेत वस्त्र पहने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा, और बहुत चकित हुई। 6 उसने उनसे कहा, “चकित मत हो, तुम यीशु नासरी को, जो क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूँढ़ती हो। वह जी उठा है, यहाँ नहीं है; देखो, यही वह स्थान है, जहाँ उन्होंने उसे रखा था। 7 परन्तु तुम जाओ, और उसके चेलों और पतरस से कहो, कि वह तुम से पहले गलील को जाएगा; जैसा उसने तुम से कहा था, तुम वही उसे देखोगे।” 8 और वे निकलकर कब्र से भाग गईं; क्योंकि कँपकँपी और घबराहट उन पर छा गई थीं। और उन्होंने किसी से कुछ न कहा, क्योंकि डरती थीं।

9 सप्ताह के पहले दिन भोर होते ही वह जी उठ कर पहले-पहल मरियम मगदलीनी को जिसमें से उसने सात दुष्टात्माएँ निकाली थीं, दिखाई दिया। 10 उसने जाकर उसके साथियों को जो शोक में डूबे हुए थे और रो रहे थे, समाचार दिया। 11 और उन्होंने यह सुनकर कि वह जीवित है और उसने उसे देखा है, विश्वास न की।

12 इसके बाद वह दूसरे रूप में उनमें से दो को जब वे गाँव की ओर जा रहे थे, दिखाई दिया। 13 उन्होंने भी जाकर औरों को समाचार दिया, परन्तु उन्होंने उनका भी विश्वास न किया।

14 पीछे वह उन ग्यारहों को भी, जब वे भोजन करने बैठे थे दिखाई दिया, और उनके अविश्वास और मन की कठोरता पर उलाहना दिया, क्योंकि जिन्होंने उसके जी उठने के बाद उसे देखा था, इन्होंने उसका विश्वास न किया था। 15 और उसने उनसे कहा, “तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। 16 जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा। 17 और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे; नई-नई भाषा बोलेंगे; 18 साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तो भी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”

19 तब प्रभु यीशु उनसे बातें करने के बाद स्वर्ग पर उठा लिया गया, और परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठ गया। (1 पत. 3:22) 20 और उन्होंने निकलकर हर जगह प्रचार किया, और प्रभु उनके साथ काम करता रहा और उन चिन्हों के द्वारा जो साथ-साथ होते थे, वचन को दृढ़ करता रहा। आमीन।



Mark 16:5

वह जी उठा है

"वह जी उठा है" या "परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित कर दिया है" या "वह स्वयं जी उठा है"

Mark 16:9

सप्ताह के पहले दिन

"रविवार को"


Translation Questions

Mark 16:2

स्त्रियां यीशु की देह का अभ्यंजन करने कब्र पर कब गई?

सप्ताह के पहले दिन सूर्योदय के समय स्त्रियां यीशु की कब्र पर गई।

Mark 16:4

कब्र पर भारी पत्थर था तो फिर वे स्त्रियां कब्र में कैसे गई?

किसी ने कब्र पर से भारी पत्थर हटा दिया था।

Mark 16:5

कब्र में उन स्त्रियों ने क्या देखा?

उन स्त्रियों ने एक कब्र में एक जवान को श्वेत वस्त्र पहने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा।

Mark 16:6

उस युवक ने यीशु के बारे में क्या कहा?

उस युवक ने कहा कि यीशु जी उठा है वह वहाँ नहीं है।

Mark 16:7

उस युवक ने कहाँ बताया कि चेले यीशु से भेंट करेंगे?

उस युवक ने कहा कि चेले गलील में यीशु से भेंट करेंगे।

Mark 16:9

पुनरुत्थान के बाद यीशु सबसे पहले किसे दिखाई दिया?

यीशु सबसे पहले मरियम मगदलीनी को दिखाई दिया।

Mark 16:11

मरियम ने चेलों से कहा कि उसने जीवित यीशु को देखा है तो उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

चेलों ने विश्वास नहीं किया।

Mark 16:13

जब अन्य दो पुरूषों ने चेलों से पूछा कि उन्होंने जीवित यीशु से भेंट की तब चेलों की प्रतिक्रिया क्या थी?

चेलों ने विश्वास नहीं किया।

Mark 16:14

जब यीशु चेलों पर प्रकट हुआ तब उनके अविश्वास के लिए उसने क्या कहा?

यीशु ने चेलों को अविश्वास के लिए झिड़का।

Mark 16:15

यीशु ने चेलों को क्या आज्ञा दी?

यीशु ने चेलों को आज्ञा दी कि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार सुनाएं।

Mark 16:16

यीशु ने किसके उद्धार के लिए कहा?

यीशु ने कहा कि विश्वास करके बपतिस्मा पाने वालों का उद्धार होगा।

यीशु ने किसको दण्ड का भागी बताया?

यीशु ने कहा कि विश्वास नहीं करने वाले दण्ड के भागी होंगे।

Mark 16:17

यीशु ने विश्वासियों को क्या चिन्ह बताए?

यीशु ने कहा कि विश्वास करने वाले दुष्टात्माएं निकालेंगे, अन्य भाषा बोलेंगे, प्राण नाशक वस्तुओं से भी उनको हानि नहीं होगी, वे बीमारों को चंगा करेंगे।

Mark 16:19

चेलों से बातें करने के बाद यीशु का क्या हुआ?

चेलों से बातें करने के बाद वह स्वर्ग में उठा लिया गया और परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।

Mark 16:20

उसके बाद चेलों ने क्या किया?

चेलों ने वहाँ से आकर हर जगह प्रचार किया।

यीशु ने तदोपरान्त क्या किया?

प्रभु उनके साथ काम करता रहा और चिन्ह के द्वारा वचन को दृढ़ करता रहा।


Book: Luke

Luke

Chapter 1

1 बहुतों ने उन बातों का जो हमारे बीच में बीती हैं, इतिहास लिखने में हाथ लगाया है। 2 जैसा कि उन्होंने जो पहले ही से इन बातों के देखनेवाले और वचन के सेवक थे हम तक पहुँचाया। 3 इसलिए हे श्रीमान थियुफिलुस मुझे भी यह उचित मालूम हुआ कि उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक-ठीक जाँच करके उन्हें तेरे लिये क्रमानुसार लिखूँ। 4 कि तू यह जान ले, कि वे बातें जिनकी तूने शिक्षा पाई है, कैसी अटल हैं।

5 यहूदिया के राजा हेरोदेस के समय अबिय्याह के दल में जकर्याह नाम का एक याजक था, और उसकी पत्‍नी हारून के वंश की थी, जिसका नाम एलीशिबा था। 6 और वे दोनों परमेश्‍वर के सामने धर्मी थे, और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे। 7 उनके कोई सन्तान न थी, क्योंकि एलीशिबा बाँझ थी, और वे दोनों बूढ़े थे।।

8 जब वह अपने दल की पारी पर परमेश्‍वर के सामने याजक का काम करता था। 9 तो याजकों की रीति के अनुसार उसके नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जाकर धूप जलाए। (निर्ग. 30:7) 10 और धूप जलाने के समय लोगों की सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी। 11 कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया। 12 और जकर्याह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया। 13 परन्तु स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे जकर्याह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरी पत्‍नी एलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्‍पन्‍न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना। 14 और तुझे आनन्द और हर्ष होगा और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे। 15 क्योंकि वह प्रभु के सामने महान होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पीएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा। (इफि. 5:18, न्याय. 13:4-5) 16 और इस्राएलियों में से बहुतों को उनके प्रभु परमेश्‍वर की ओर फेरेगा। 17 वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में होकर उसके आगे-आगे चलेगा, कि पिताओं का मन बाल-बच्चों की ओर फेर दे; और आज्ञा न माननेवालों को धर्मियों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।” (मला. 4:5-6) 18 जकर्याह ने स्वर्गदूत से पूछा, “यह मैं कैसे जानूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ; और मेरी पत्‍नी भी बूढ़ी हो गई है।” 19 स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “मैं जिब्राईल* हूँ, जो परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता हूँ; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ। (दानि. 8:16, दानि. 9:21) 20 और देख, जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा, और बोल न सकेगा, इसलिए कि तूने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास न किया।” 21 लोग जकर्याह की प्रतीक्षा करते रहे और अचम्भा करने लगे कि उसे मन्दिर में ऐसी देर क्यों लगी? 22 जब वह बाहर आया, तो उनसे बोल न सका अतः वे जान गए, कि उसने मन्दिर में कोई दर्शन पाया है; और वह उनसे संकेत करता रहा, और गूँगा रह गया। 23 जब उसकी सेवा के दिन पूरे हुए, तो वह अपने घर चला गया। 24 इन दिनों के बाद उसकी पत्‍नी एलीशिबा गर्भवती हुई; और पाँच महीने तक अपने आप को यह कह के छिपाए रखा। 25 “मनुष्यों में मेरा अपमान दूर करने के लिये प्रभु ने इन दिनों में कृपादृष्टि करके मेरे लिये ऐसा किया है।” (उत्प. 30:23)

26 छठवें महीने में परमेश्‍वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में, 27 एक कुँवारी के पास भेजा गया। जिसकी मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरुष से हुई थी: उस कुँवारी का नाम मरियम था। 28 और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा, “आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर परमेश्‍वर का अनुग्रह हुआ है! प्रभु तेरे साथ है!” 29 वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी कि यह किस प्रकार का अभिवादन है? 30 स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्‍वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। 31 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्‍पन्‍न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। (यशा. 7:14) 32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्‍वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा। (भज. 132:11, यशा. 9:6-7) 33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।” (2 शमू. 7:12,16, इब्रा. 1:8, दानि. 2:44) 34 मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे होगा? मैं तो पुरुष को जानती ही नहीं।” 35 स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी; इसलिए वह पवित्र* जो उत्‍पन्‍न होनेवाला है, परमेश्‍वर का पुत्र कहलाएगा। 36 और देख, और तेरी कुटुम्बिनी एलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होनेवाला है, यह उसका, जो बाँझ कहलाती थी छठवाँ महीना है। 37 परमेश्‍वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।” (मत्ती 19:26, यिर्म. 32:27) 38 मरियम ने कहा, “देख, मैं प्रभु की दासी हूँ, तेरे वचन के अनुसार मेरे साथ ऐसा हो।” तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।

39 उन दिनों में मरियम उठकर शीघ्र ही पहाड़ी देश में यहूदा के एक नगर को गई। 40 और जकर्याह के घर में जाकर एलीशिबा को नमस्कार किया। 41 ज्योंही एलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्चा उसके पेट में उछला, और एलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गई। 42 और उसने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है! 43 और यह अनुग्रह मुझे कहाँ से हुआ, कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई? 44 और देख ज्योंही तेरे नमस्कार का शब्द मेरे कानों में पड़ा त्योंही बच्चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा। 45 और धन्य है, वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गई, वे पूरी होंगी।”

46 तब मरियम ने कहा,

     “मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है।

    47 और मेरी आत्मा मेरे उद्धार करनेवाले

     परमेश्‍वर से आनन्दित हुई। (1 शमू. 2:1)

    48 क्योंकि उसने अपनी दासी की दीनता पर

     दृष्टि की है;

     इसलिए देखो, अब से सब युग-युग

     के लोग मुझे धन्य कहेंगे। (1 शमू. 1:11, लूका 1:42, मला. 3:12)

    49 क्योंकि उस शक्तिमान ने मेरे लिये बड़े-

     बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पवित्र है।

    50 और उसकी दया उन पर,

     जो उससे डरते हैं,

     पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है। (भज. 103:17)

    51 उसने अपना भुजबल दिखाया,

     और जो अपने मन में घमण्ड करते थे,

     उन्हें तितर-बितर किया। (2 शमू. 22:28, भज. 89:10)

    52 उसने शासकों को सिंहासनों से

     गिरा दिया;

     और दीनों को ऊँचा किया। (1 शमू. 2:7, अय्यू. 5:11, भज. 113:7-8)

    53 उसने भूखों को अच्छी वस्तुओं से

     तृप्त किया,

     और धनवानों को खाली हाथ निकाल दिया। (1 शमू. 2:5, भज. 107:9)

    54 उसने अपने सेवक इस्राएल को सम्भाल

     लिया कि अपनी उस दया को स्मरण करे, (भज. 98:3, यशा. 41:8-9)

    55 जो अब्राहम और उसके वंश पर सदा रहेगी,

     जैसा उसने हमारे पूर्वजों से कहा था।” (उत्प. 22:17, मीका 7:20)

56 मरियम लगभग तीन महीने उसके साथ रहकर अपने घर लौट गई।

57 तब एलीशिबा के जनने का समय पूरा हुआ, और वह पुत्र जनी। 58 उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों ने यह सुन कर, कि प्रभु ने उस पर बड़ी दया की है, उसके साथ आनन्दित हुए। 59 और ऐसा हुआ कि आठवें दिन वे बालक का खतना करने आए और उसका नाम उसके पिता के नाम पर जकर्याह रखने लगे। (उत्प. 17:12, लैव्य. 12:3) 60 और उसकी माता ने उत्तर दिया, “नहीं; वरन् उसका नाम यूहन्ना रखा जाए।” 61 और उन्होंने उससे कहा, “तेरे कुटुम्ब में किसी का यह नाम नहीं।” 62 तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है? 63 और उसने लिखने की पट्टी मंगाकर लिख दिया, “उसका नाम यूहन्ना है,” और सभी ने अचम्भा किया। 64 तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गई; और वह बोलने और परमेश्‍वर की स्तुति करने लगा। 65 और उसके आस-पास के सब रहनेवालों पर भय छा गया; और उन सब बातों की चर्चा यहूदिया के सारे पहाड़ी देश में फैल गई। 66 और सब सुननेवालों ने अपने-अपने मन में विचार करके कहा, “यह बालक कैसा होगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उसके साथ था।

67 और उसका पिता जकर्याह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्वाणी करने लगा।

    68 “प्रभु इस्राएल का परमेश्‍वर धन्य हो,

     कि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की

     और उनका छुटकारा किया है, (भज. 111:9, भज. 41:13)

    69 और अपने सेवक दाऊद के घराने में

     हमारे लिये एक उद्धार का सींग*

     निकाला, (भज. 132:17, यिर्म. 30:9)

    70 जैसे उसने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं

     के द्वारा जो जगत के आदि से होते

     आए हैं, कहा था,

    71 अर्थात् हमारे शत्रुओं से, और हमारे सब

     बैरियों के हाथ से हमारा उद्धार किया है; (भज. 106:10)

    72 कि हमारे पूर्वजों पर दया करके अपनी

     पवित्र वाचा का स्मरण करे,

    73 और वह शपथ जो उसने हमारे पिता

     अब्राहम से खाई थी, (उत्प. 17:7, भज. 105:8-9)

    74 कि वह हमें यह देगा, कि हम अपने

     शत्रुओं के हाथ से छूटकर,

    75 उसके सामने पवित्रता और धार्मिकता

     से जीवन भर निडर रहकर उसकी सेवा करते रहें।

    76 और तू हे बालक, परमप्रधान का

     भविष्यद्वक्ता कहलाएगा*,

     क्योंकि तू प्रभु के मार्ग तैयार करने

     के लिये उसके आगे-आगे चलेगा, (मला. 3:1, यशा. 40:3)

    77 कि उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दे,

     जो उनके पापों की क्षमा से प्राप्त होता है।

    78 यह हमारे परमेश्‍वर की उसी बड़ी करुणा से होगा;

     जिसके कारण ऊपर से हम पर भोर का प्रकाश उदय होगा।

    79 कि अंधकार और मृत्यु की छाया में बैठनेवालों को ज्योति दे,

     और हमारे पाँवों को कुशल के मार्ग में सीधे चलाए।” (यशा. 58:8, यशा. 60:1-2, यशा. 9:2)

80 और वह बालक यूहन्ना, बढ़ता और आत्मा में बलवन्त होता गया और इस्राएल पर प्रगट होने के दिन तक जंगलों में रहा।



Luke 1:1

इतिहास

“विवरण” या “वृत्तान्त” या “सच्ची कहानी”

हमारे

हमारे यहाँ “हमारे” में थियुफिलुस नहीं आता है परन्तु अभिलेख इसे स्पष्ट नहीं करता है।

इन बातों के देखने वाले

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है इन बातों को उसी समय देखा जब वे पहले-पहले हुई थी।

वचन के सेवक थे

इसके अन्य संभावित अर्थ हैं, “मनुष्यों में परमेश्वर का सन्देश सुनाने की सेवा की है” या “मनुष्यों को यीशु का शुभ सन्देश सुनाया है”

हम तक पहुंचाया

इस वाक्य में “हम” एक अलग शब्द है जो थियुफिलुस को समाहित नहीं करता है।

ठीक-ठीक जांच करके

अर्थात वह घटनाओं की यथा उचित जांच करने में अत्यधिक सावधान रहा है। उसने संभवतः अनेक अलग-अलग मनुष्यों से विचार-विमर्श किया, जिन्होंने इन घटनाओ को अपनी आंखों से देखा था, कि वह इन घटनाओं को लिखे तो वे सही हों। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, हर एक घटना की सावधानीपूर्वक खोज की है”।

“अति श्रेष्ठ”

लूका इस शब्द के उपयोग द्वारा थियुफिलुस के प्रति सम्मान एवं आदर व्यक्त कर रहा है। ऐसे संबोधन का अर्थ यह भी होता है कि थियुफिलुस एक महत्त्वपूर्ण सरकारी अधिकारी था। इसके अन्य अनुवाद हो सकते है, “माननीय” या “श्रेष्ठ” कुछ लोग ऐसे संबोधन को आरंभ में रखना अधिक उत्तम समझते है, “थियुफिलुस” या “प्रिय .... थियुफिलुस”।

थियुफिलुस

इस नाम का अर्थ है, “परमेश्वर का मित्र” इससे उसका चरित्र प्रकट होता है या यह वास्तव में उसका नाम रहा होगा। अधिकांश अनुवादों में इस शब्द को उसका नाम माना गया है।

Luke 1:5

यहूदिया के राजा हेरोदस के समय में

“जिस समय राजा हेरोदेस यहूदिया में राज कर रहा था”।

यहूदिया

इसका अनुवाद “यहूदिया के क्षेत्र में” किया जा सकता है या “यहूदिया प्रदेश” कुछ भाषाओं में अधिक उत्तम माना जाता है कि इसका अनुवाद “यहूदिया वासियों पर” किया जाता है।

एक .... था

“नाम का एक" या "एक.. था" यह एक विशिष्ट नायक को प्रवेश कराने की विधि है। आपकी भाषा में यह कैसे हो” उस पर ध्यान दें।

दल

इसको इस प्रकार अनुवाद कर सकते है “याजक मंडल” या “याजको का समूह”

अबिय्याह के दल में

“अबिय्याह के वंशजों में हो” अबिय्याह इस याजक समूह का पूर्वज था। वे सब हारून के वंशज थे। हारून इस्राएल का सर्वप्रथम याजक था।

उसकी पत्नी

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकरयाह की पत्नी”

के वंश की

“वह .... वंशजों में से एक थी” या “वह हारून की वंशज थी” या इसको इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है। “जकरयाह और उसकी पत्नी दोनों हारून के वंश के थे”।

परमेश्वर के सामने

“परमेश्वर की दृष्टि में” या “परमेश्वर के विचार में”

चलने वाले

“आज्ञाकारी”

प्रभु की सारी आज्ञाओ और विधियों

इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर की सब आज्ञाओं और अनिवार्यताओ”।

परन्तु

इस विषमतासूचक शब्द का अर्थ है कि आगे जो आनेवाला है वह अपेक्षा के विपरीत है। मनुष्यों का मानना था कि यदि वे परमेश्वर की दृष्टि में उचित जीवन रखेंगे तो परमेश्वर उन्हें सन्तान देगा परन्तु यह दम्पत्ति यद्यपि धर्मी था, उनके पास सन्तान नहीं थी।

Luke 1:8

परमेश्वर के सामने

“परमेश्वर की उपस्थिति में” स्पष्टता के लिए कुछ अनुवादक सलंग्न जानकारी भी जोड़ देते हैं, “यरूशलेम के मन्दिर में”।

रीति के अनुसार

“उनकी प्रथा के अनुसार” या “उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के अभ्यास के अनुसार”।

नाम पर चिट्ठी निकली

यह वास्तव में एक पत्थर होता था जिस पर निशान होते थे। निर्णय लेने के लिए उसे फर्श पर डाला जाता था। उनका मानना था कि वह पत्थर परमेश्वर के नियन्त्रण में रहता था कि जिस याजक को वह चाहता है वह उसके नाम पर गिरे।

सारी मण्डली

“बहुत लोग” या “लोगों की बड़ी संख्या”

बाहर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन्दिर के बाहर” या “मन्दिर के बाहर परिसर में”। मन्दिर के बाहर का घिरा हुआ भाग परिसर था।

Luke 1:11

प्रभु का

“प्रभु की ओर से” या “जो प्रभु की सेवा करे” या “जिसे परमेश्वर ने भेजा था”।

उसको दिखाई दिया

“अचानक ही उसके पास आया” या “अचानक ही जकरयाह के साथ प्रकट हुआ”।

“तेरी प्रार्थना सुन ली गई है”।

“तेरी प्रार्थना सुन ली गई है” -“तूने परमेश्वर से जो मांगा है वह स्वीकार किया गया है” इसका संलग्न अर्थ है, “और वह करेगा” इसे अनुवाद में जोड़ा जा सकता है। परमेश्वर ने जकरयाह की प्रार्थना सुनी ही नहीं पूरी की है।

उसका नाम यूहन्ना रखना

“उसे यूहन्ना नाम देगा” या “उसे यूहन्ना नाम से पुकारेगा”।

Luke 1:14

x

(स्वर्गदूत जकरयाह से बातें कर रहा है)

क्योंकि

“इसका कारण है” या “इसके अतिरिक्त” कुछ अनुवादों में यह शब्द नहीं होगा।

वह प्रभु के सामने महान होगा।

इसका अनुवाद हो सकता है, “वह परमेश्वर के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य करेगा।"

मदिरा

“खमीर किया हुआ दाखरस” या “नशीला पेय” इसका संदर्भ उन पेय पदार्थों से है जिनसे नशा होता है।

पवित्र-आत्मा से परिपूर्ण हो जायेगा।

“पवित्र-आत्मा उसे शक्ति देगा” या यदि आप अनुवाद में व्यक्त करते हैं कि “पवित्र-आत्मा उसे वश में रखेगा” तो ध्यान रखें कि इसका अर्थ यह न निकले कि दुष्टात्मा के सदृश्य वशीभूत होगा।

माता के गर्भ ही से

“ही से” दर्शाता है कि यह एक विशेष आश्चर्य का समाचार है। मनुष्यों को पहले भी पवित्र-आत्मा मिला है परन्तु एक शिशु जिसका जन्म नहीं हुआ वह पवित्र-आत्मा से पूर्ण हो, कभी सुना नहीं गया है।

Luke 1:16

x

(स्वर्गदूत जकरयाह से बातें कर रहा है)

इस्राएलियों में से बहुतेरों को

यदि इससे अर्थ निकलता है कि जकरयाह उनमें से नहीं है तो इसका अनुवाद करें, “तुम इस्राएल के वंशजों में से अनेकों को” या “तुम परमेश्वर के लोगों में से अनेकों को यदि अनुवाद में द्वितीय पुरूष काम में ले रहे हैं तो सुनिश्चित करे कि” "उनके प्रभु" के स्थान पर "तुम्हारे (बहुवचन) प्रभु" का उपयोग करें।

उसके आगे आये

वह पहले से घोषणा करेगा कि प्रभु उनके मध्य रहने के लिए आएगा।

एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य

“वही आत्मा और सामर्थ्य जो एलिय्याह में था”। आत्मा का अर्थ या तो यह है की वह परमेश्वर का आत्मा है या एलिय्याह का स्वभाव अथवा या विचार विधा। यहाँ सुनिश्चित करें कि "आत्मा" शब्द का अभिप्राय "प्रेत" या “दुष्टात्मा” न हो।

पितरों का मन बाल बच्चों की ओर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पिताओं को सन्तान की फिर से सुधि लेने के लिए प्रेरित करेगा” या “पिताओं को विवश” करेगा कि अपनी-अपनी सन्तान के साथ संबन्धों का पुनः स्थापन करें”, इसका संदर्भ माताओं से भी है परन्तु केवल पिताओं का उल्लेख किया गया है।

प्रभु के लिए.... तैयार करे

इसका अनुवाद हो सकता है “प्रभु का सन्देश सुनने के लिए तैयार करे” या “प्रभु की आज्ञा मानने के लिए तैयार करे”। (यह स्वर्गदूत की बातों का अन्त है)

Luke 1:18

मैं कैसे जानूं यह होगा?

इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं कैसे निश्चित जान सकता हूँ कि तूने जो कहा है अवश्य होगा”?

मेरी बातों की .... प्रतीति न की

“मेरा बातों का विश्वास नहीं किया”

अपने समय पर

“सही समय पर” या यह भी हो सकता है, “नियुक्त समय पर”।

Luke 1:21

बाट देखते रहे

इसका अनुवाद, "और" हो सकता है या “जब स्वर्गदूत और जकरयाह में वार्तालाप हो रहा था”।

अचम्भा करने लगे कि उसे मन्दिर में इतनी देर क्यों लगी।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे चकित थे वह मन्दिर में इतना समय क्यों लगा रहा है”।

जब वह बाहर आया

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब वह मन्दिर से बाहर आया”

Luke 1:24

उसकी पत्नी

“जकरयाह की पत्नी”

गर्भवती हुई

“गर्भधारण किया” (यू.डी.बी.) यहाँ ऐसी अभिव्यक्ति काम में लें जो स्वीकार्य हो और मनुष्यों को लजाए नहीं।

प्रभु ने ... मेरे लिए ऐसा किया है।

यह अभिव्यक्ति इस तथ्य का संदर्भ देती है कि परमेश्वर उसे गर्भ धारण की अनुमति दी है।

कृपा-दृष्टि करके

एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “मुझे दया का पात्र समझा है” या “मुझ पर दया की” या “मुझ पर तरस खाया”।

Luke 1:26

परमेश्वर की ओर से जिब्राइल स्वर्गदूत... भेजा गया।

इसे कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है, “परमेश्वर ने जिब्राईल स्वर्गदूत से कहा कि वह जाये।”

मंगनी

“विवाह करने की प्रतिज्ञा” या “शपथ” ली थी। अर्थात मरियम के माता पिता ने मरियम का विवाह युसूफ के साथ करने का वचन दे दिया था।

उसके पास भीतर आकर

“जहाँ मरियम थी वहां आया" या “जहाँ मरियम थी वहां गया”।

आनन्द और जय तेरी हो

“आनन्द” या “मगन हो” यह उस समय के सामान्य अभिवादन थे।

परमेश्वर का अनुग्रह हुआ है।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू जो अनुग्रह में सर्वोच्च है” या “तू जिसे अनुग्रह प्राप्त हुआ है" या “तू जिसने दया प्राप्त की है”।

बहुत घबरा गई

“विचलित हुई” या “डर कर विमूढ़ हो गई”

यह किस प्रकार का अभिवादन है?

मरियम शब्दों का अर्थ तो समझती थी परन्तु वह समझ नहीं पा रही थी कि वह स्वर्गदूत ऐसा अभिवादन क्यों कर रहा है

Luke 1:30

परमेश्वर का अनुग्रह “तुम पर हुआ है”

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “परमेश्वर ने तुझ पर अनुग्रह करने का निर्णय लिया है” या “परमेश्वर तुझ पर अनुग्रहकारी है” या “परमेश्वर तुझ पर दया प्रकट कर रहा है”।

वह .... परम प्रधान का पुत्र कहलायेगा।

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मनुष्य उसे परम प्रधान का पुत्र कहेंगे” या “मनुष्य स्वीकार करेंगे फिर वह परम प्रधान परमेश्वर का पुत्र है”।

उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसे देगा।

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “उसके पूर्वज राजा दाऊद के समान राज करने का अधिकार देगा”। सिंहासन राजा के शासन का अधिकार प्रकट करता है

उसके पिता

बाइबल में पूर्वजों के लिए सामान्यतः “पिता” शब्द का उपयोग किया गया है और वंशजों के लिए “पुत्र” शब्द का”। उसके शब्द का संदर्भ मरियम के पुत्र से है।

Luke 1:34

यह कैसे होगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह कैसे संभव हो सकता है”, यदि मरियम को समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे होगा, उसने उस पर सन्देह नहीं किया।

तुम पर उतरेगा।

यह वाक्यांश और अगला भी यही अर्थ रखता है कि पवित्र-आत्मा अलौकिक कार्य द्वारा मरियम को कुंवारी होते हुए भी गर्भवती करेगा। यहाँ आपको स्पष्ट करना होगा कि यह एक चमत्कार था। इसमें किसी प्रकार का शारीरिक संबन्ध नहीं था।

सामर्थ्य

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “उसके सामर्थ्य द्वारा”

छाया करेगा।

इसका अनुवाद हो सकता है “छाया के सदृश्य तुझे आच्छदित करेगा” या “तेरे साथ होगा” या “इसका कारण होगा”। यहाँ भी सावधान रहें कि शारीरिक संबन्ध भाव व्यक्त न हो।

वह पवित्र

“पवित्र शिशु” या “पवित्र बालक”

कहलाएगा

इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य कहेंगे कि वह है” या “मनुष्य स्वीकार करेंगे कि वह है”।

Luke 1:36

x

(स्वर्गदूत मरियम से बातें कर रहा है)

तेरी कुटुम्बिनी

यदि आप अधिक स्पष्ट व्यक्त करना चाहते हैं तो इलीशिबा मरियम की मौसी या नानी थी।

बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है

“यद्यपि वह वृद्ध है उसने गर्भधारण किया है” या “यद्यपि वह वृद्ध है, उसने गर्भधारण किया है और पुत्र जनेगी”। यहाँ यह सुनिश्चित कीजिए कि पाठक को यह भ्रम न हो कि मरियम और इलीशिबा दोनों ही वृद्धावस्था में थी जब उन्होंने गर्भधारण किया था।

जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरहित नहीं होता है।

इसका अनुवाद हो सकता है, “क्योंकि परमेश्वर कुछ भी कर सकता है। परमेश्वर ने इलीशिबा के लिए जो किया वह एक कारण है कि परमेश्वर कुछ भी कर सकता है और वह बिना किसी शारीरिक संबन्ध के मरियम के लिए भी गर्भधारण संभव कर सकता है।

मैं प्रभु की दासी हूँ।

इस वाक्यांश के लिए अपनी भाषा में ऐसे शब्दों को चयन करें जो उसकी दीनता एवं आज्ञाकारिता को स्पष्ट व्यक्त करें। वह परमेश्वर की दासी होने का घमण्ड नहीं कर रही थी।

तेरे वचन के अनुसार हो

“मेरे साथ ऐसा ही हो” मरियम स्वर्गदूत की भविष्यद्वाणी के प्रति अपना स्वीकरण व्यक्त कर रही थी।

Luke 1:39

अब

`इन शब्दों के द्वारा कहानी में एक नया मोड़ लाया गया है। आपकी भाषा में इसे प्रकट करने की अभिव्यक्ति पर विचार करें। कुछ अनुवादों में यहाँ “अब” का प्रयोग है तो कुछ में नहीं है।

उठकर

इसका अनुवाद हो सकता है “निकल पड़ी” या “तैयार होकर”

पहाड़ी देश

“पर्वतीय क्षेत्र” या “पहाड़ी प्रदेश” या “इस्राएल के पहाड़ी भाग में”।

वह कहाँ गईं

इसका अनुवाद हो सकता है “और वह गई” या “जब वह पहुंची, वह गई”

उछला

“अकस्मात ही हिला”

Luke 1:42

उसने

यहाँ इलीशिबा का नाम लेना अधिक स्पष्ट एवं स्वाभाविक होगा। यह निर्भर करेगा कि अपने पिछले पद का अनुवाद किस प्रकार किया है।

गर्भ का फल

इसका अनुवाद हो सकता है “तेरे गर्भ में जो शिशु है” या “वह शिशु जिसे तू जन्म देगी”। (यू.डी.बी) (देखे: )

यह अनुग्रह मुझे कहां से हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे घर आई?

इसका अनुवाद हो सकता है, “यह कैसी अद्भुत बात है कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई है”। इलिशिबा यहाँ जानकारी प्राप्त करने के लिए नहीं कह रही है।वह तो मरियम के आगमन पर चकित थी वरन अत्यधिक आनन्दित थी कि प्रभु की माता उसके पास आई।

मेरे प्रभु की माता

इसका अनुवाद हो सकता है, “तू मेरे प्रभु की माता” क्योंकि इसका संदर्भ मरियम से है।

उछला

“अकस्मात ही उछला” या “प्रबल गतिविधि दिखाई”

धन्य है वह जिसने विश्वास किया

इसका अनुवाद हो सकता है, “तूने विश्वास किया” इसलिए छाया है” या “क्योंकि तूने विश्वास किया है इसलिए तू आनन्दित होगी”।

जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गई

इसका अनुवाद हो सकता है, “प्रभु का जो सन्देश उसे दिया गया था” या “परमेश्वर ने तुझसे जो कहा”।

Luke 1:46

मेरा प्राण.... मेरी आत्मा

इसका अनुवाद हो सकता है, “ओह, मैं कैसे” या “मैं कैसे यहाँ गहरी भावनाएं व्यक्त की गई हैं। मरियम काव्य रूप में एक ही बात को दो भिन्न रूपों में व्यक्त कर रही है। “प्राण” और “आत्मा” दोनों मनुष्य के आत्मिक परिप्रेक्ष्य का संदर्भ देते हैं। उसके कहने का अर्थ है कि उसकी भक्ति उसके अन्तरतम भाग से उभर रही है। यदि संभव हो तो इनके अनुवाद में दो परस्पर भिन्न वस्तु संबन्धित शब्दों का उपयोग करे जिनका अर्थ एक ही हो।

बड़ाई करता है

“सर्वोच्च सम्मान देता है” या “अत्यधिक स्तुति करता है”।

आनन्दित हुई

“बहुत हर्षित हूँ” या “अत्याधिक प्रसन्न है”

मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर

“परमेश्वर जो मेरा मोक्षदाता है” या “मेरा मुक्तिदाता परमेश्वर”

Luke 1:48

x

(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है)

दीनता

“महत्त्वहीन” या “साधारण” या “सामान्य” या “दरिद्र” मरियम का सामाजिक स्तर ऊंचा नहीं था।

दृष्टि की है

“ध्यान दिया” या “स्मरण किया”, इसका अनुवाद यह भी हो सकता है “भूला नहीं” यहाँ परमेश्वर की स्मरण-शक्ति की बात नहीं है परन्तु यह कि उसने मरियम पर ध्यान देने का चुनाव किया।

अब से

“अब और भविष्य में”

उस शक्तिमान

यह परमेश्वर के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर जो सर्व-शक्तिमान है”

उसका नाम

“वह”

Luke 1:50

x

(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है)

और

कुछ भाषाओं में इस संयोजक शब्द का उपयोग नहीं किया गया है जो निर्भर करता है कि पिछले पद का अनुवाद किस प्रकार किया गया है।

उसकी दया उन पर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर की दया उन पर” या “वह उन पर दया करता है” या “वह उन पर कृपालु है”

पीढ़ी से पीढ़ी तक

इसका अनुवाद इस प्रकार होता है, “उन मनुष्यों की हर एक पीढ़ी तक” या “सब पीढ़ियों के मनुष्यों पर” या “हर एक युग के मनुष्यों पर”

जो उससे डरते हैं।

इसका अर्थ मात्र भय से कही अधिक है। इसका अर्थ है, परमेश्वर का आदर करना, उसकी प्रतिष्ठा करना, उसकी आज्ञा मानना।

अपना भुजबल

“उसकी भुजा के द्वारा” यह एक रूपक है जो परमेश्वर के सामर्थ्य का संदर्भ देता है।

तितर-बितर किया

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “(उन्हें) विभिन्न दिशाओं में भागने पर विवश किया” या “उन्हें खदेड़ा”

Luke 1:52

x

(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है)

बलवानों को उनके सिंहासनों से गिरा दिया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने राजाओं को उनके अधिकार से वंचित किया है” या “उसने शासकों को शासन करने से रोक दिया है”। सिंहासन राजा का आसन होता है और उसके अधिकार का द्योतक है। यदि किसी राजा को उसके सिंहासन से उतार दिया गया तो इसका अर्थ है कि उसके पास राज्य का अधिकार नहीं रहा”।

दीनों को ऊंचा किया।

इस रूपक का अर्थ है, महत्त्वपूर्ण मनुष्य कम महत्त्व के मनुष्यों से बड़े नहीं हैं। यदि आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई रूपक नहीं तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “विनम्र मनुष्यों को महत्त्व प्रदान किया” या “उन लोगों का सम्मान प्रदान किया जिन्हें मनुष्यों ने सम्मानित नहीं किया।”

अच्छी वस्तुओं से

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “अच्छे भोजन की बहुतायत”

Luke 1:54

x

(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है)

संभाल लिया

“परमेश्वर ने संभाल लिया”

अपने सेवक इस्राएल को

यहाँ “इस्राएल” का अर्थ है इस्राएल राष्ट्र या इस्राएल की प्रजा। यदि पाठक इसे एक मनुष्य इस्राएल समझने की भूल करें तो इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “अपने सेवक इस्राएल राष्ट्र को” या “उसके सेवकों इस्राएल को”

अपनी उस दया को स्मरण करे

“क्योंकि उसने प्रतिज्ञा की थी”

उसके वंश

“अब्राहम के वंश” (यह मरियम के स्तुतिगान का अंत है)

Luke 1:56

अपने घर लौट आई

“मरियम अपने घर लौट आई”

पुत्र को जन्म दिया

“अपने शिशु को जन्म दिया” या “पुत्र उत्पन्न किया”

उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों

“इलीशिबा के पड़ोसियों और परिजनों”

Luke 1:59

आठवें दिन

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “शिशु के जन्म के आठ दिन बाद” या “जब शिशु आठ दिन का हो गया”

वे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकरयाह और इलीशिबा के मित्र एवं परिजन” या केवल “लोग”

शिशु का खतना करना

“शिशु के खतने के लिए” या “शिशु के खतने के संस्कार के लिए” शिशु का खतना तो एक ही व्यक्ति करता था परन्तु परिवार के साथ आनन्द मनाने के लिए लोग उपस्थित होते थे।

नाम .... रखने लगे

“वे उसका नाम रखने लगे” या “वे उसे नाम देना चाहते थे”।

उसके पिता के नाम पर

“उसके पिता के जैसा नाम” या “उसके पिता के नाम के अनुसार”

यह नाम

इलीशिबा ने उसका नाम यूहन्ना बताया था इसलिए वे उससे कह रहे थे इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “उस नाम से हो”

Luke 1:62

उन्होंने .... संकेत करके

“उन्होंने” अर्थात उन लोगों ने जो उसके खतना के समय वहां उपस्थित थे।

उसके पिता से

“शिशु के पिता से”

तू उसका नाम क्या रखना चाहता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कि जकरयाह शिशु का क्या नाम रखना चाहता है” या “वह अपने पुत्र को क्या नाम देना चाहता है”।

मंगा कर

“जकरयाह ने मांगी” उसने संकेत करके समझाया होगा।

लिखने की पट्टी

इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “लिखने के लिए कुछ मंगाया” या कुछ अनुवादक यह भी जोड़ना चाहेंगे, “और जब उन्होंनें उसे वह दिया”

सभों को आश्चर्य हुआ

विस्मित हुए

Luke 1:64

तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गए

ये मुहावरे हैं जिनका अर्थ है कि वह अब बोलने लगा था।

आसपास के सब लोगों पर भय छा गया।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकर्याह और इलीशिबा के आसपास जितने लोग रहते थे सब पर भय छा गया” या “उनके आसपास रहने वाले सब लोग विस्मय एवं भय से अभिभूत हो गए” क्योंकि उन्होंने देखा कि परमेश्वर सामर्थी है “उसके आसपास के सब रहनेवालों” का अर्थ उनके निकट पड़ोसियों से ही नहीं, उस क्षेत्र के सब लोगों से है।

उन सब बातों की चर्चा

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “सब लोग इन बातों की चर्चा कर रहे थे”।

सब सुनने वालों ने

सब सुनने वालों ने सुननेवालों का अर्थ है, जो कुछ वहां हुआ था उसे सुनकर

विचार करके

“सोचने लगे”

कहा

“सोचने लगे” या “पूछने लगे”

यह बालक कैसा होगा?

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह बालक बड़ा होकर कैसा महान मनुष्य होगा” या “यह बालक कैसा महान होगा।” इस प्रश्न से मनुष्यों का आश्चर्य व्यक्त होता है। उन्होंने शिशु के बारे में जो सुना उससे उन्हें यह अनुभूति हुई कि वह एक महापुरूष होगा।

प्रभु का हाथ उसके साथ था।

“परमेश्वर का सामर्थ्य उस पर था” या “परमेश्वर उसमें सशक्ति कार्य कर रहा था” यह लाक्षणिक प्रयोग का एक उदाहरण है जिन्हें परमेश्वर के सामर्थ्य के स्थान में “प्रभु का हाथ” उपयोग किया गया है।

Luke 1:67

भविष्यद्वाणी करने लगा।

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “भविष्यद्वाणी करके कहा” अपनी भाषा में अपरोक्ष कथनों को व्यक्त करने की विधि खोजें।

इस्राएल का परमेश्वर

“इस्राएल पर राज करने वाला परमेश्वर” या “जिस परमेश्वर की इस्राएल उपासना करता है” यहाँ इस्राएल से अभिप्राय है, इस्राएल राष्ट्र जकरयाह और वे सब जिससे वह बात कर रहा है सब इस्राएलवासी है।

हमारे पास आया

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है “हमारी सहायता के लिए आया”

अपने लोगों पर

“परमेश्वर के लोगों पर”

Luke 1:69

x

(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है)

अपने सेवक दाऊद

अपने सेवक दाऊद “राजा दाऊद जो उसकी सेवा करता था”

(जैसा परमेश्वर ने कहा)

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने यही करने की तो प्रतिज्ञा की थी”।

अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा

अर्थात “अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं को प्रेरित किया कि कहें ”(यू.डी.बी.) जब परमेश्वर अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें करता था तब वाणी तो उनकी होती थी परन्तु सन्देश परमेश्वर देता था।

हमारे शत्रुओं से और हमारे सब बैरियों के हाथ से

इन दोनों वाक्यांशों का अर्थ है, कि परमेश्वर के लोगों के विरोधी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो हमसे लड़ते और हमारी हानि करते हैं”।

हाथ से

“अधिपत्य” या “नियंत्रण” यहाँ “हाथ” शब्द परमेश्वर के लोगों की हानि के लिए काम में लिया जानेवाला सामर्थ्य या नियंत्रण।

Luke 1:72

x

(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है)

दया करके

“के प्रति दयालु” या “अपनी दया के अनुसार काम करना”

स्मरण करे

यहाँ "स्मरण" का अर्थ यह नहीं कि वह भूला नहीं। इसका अर्थ है, “समर्पण को पूरा करना” या “किसी बात को निभाना”

शत्रुओं के हाथ से

“हमारे बैरियों के अधिपत्य से” या “हमारे बैरियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने से या हमारे बैरियों द्वारा दासत्व में लिए जाने से”।

निडर रह कर

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “हमारे बैरियों के भय से रहित रह कर”।

पवित्रता और धार्मिकता से

“पवित्र और धार्मिकता के मार्गों से (यू.डी.बी.) या “जब हम पवित्र और धर्म के मार्गों का जीवन जीयेंगे” या “जब हम पवित्र जीवन जीयेंगे और उचित काम करेंगे”।

उसके सामने

“उसकी उपस्थिति में” या “उसकी इच्छा के अनुकूल”।

करते रहें

“संपूर्ण जीवन”

Luke 1:76

x

(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है परन्तु अब वह अपने नवजात शिशु से सीधा कह रहा है।)

भविष्यद्वक्ता कहलायेगा।

वह वास्तव में एक भविष्यद्वक्ता होगा और लोग उसे भविष्यद्वक्ता मानेंगे भी। इसे स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू एक भविष्यद्वक्ता होगा”।

परम-प्रधान का

इसका अनुवाद होगा “जो सर्वोच्च परमेश्वर की सेवा करेगा” या “जो सर्वोच्च परमेश्वर का वक्ता होगा”।

उसने लोगों का उद्धार का ज्ञान दे जो उनके पापों की क्षमा से प्राप्त होता है।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर उनके पाप क्षमा करके उनका उद्धार कैसे करेगा।”

Luke 1:78

x

(जकरयाह अपने नवजात शिशु से ही भविष्यद्वाणी कर रहा है)

बड़ी करूणा से

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “क्योंकि वह हम पर कृपालु और दयालु है”

परमेश्वर की

ध्यान दें कि इन सब पदों में “हमारे” और “हम” समाहित हैं।

जिसके कारण हम पर भोर का प्रकाश उदय होगा।

“उगते हुए सूर्य के समान” या “भोर के समान”

उदय होगा

यह एक उपमा है जिसका अर्थ है, “वह ज्ञान प्रदान करेगा”। उसका अनुवाद हो सकता है, “वह आत्मिक ज्योति प्रदान करेगा।”

अन्धकार में बैठनेवालों को

इस रूपक का अर्थ है, “सत्य से अनभिज्ञ जनों को”

मृत्यु की छाया में बैठने वालों को

इस पुस्तक का अर्थ है, “जो मरने पर है” या “जिन्हें भय है कि वे शीघ्र ही मर जायेंगे”।

मार्ग में सीधे चलायेगा

यह रूपक शिक्षा देने को व्यक्त करता है।

पाँवों को

यह एक अंग द्वारा दूसरे अंग का निर्देश है जो संपूर्ण मनुष्य का संदर्भ देता है, केवल पांव ही नहीं। इसका अनुवाद हो सकता है, “हमें”

कुशल के मार्ग में

इस रूपक का अर्थ है, “शान्ति के जीवन में” या “परमेश्वर के साथ मेल के जीवन में”। इसका अनुवाद हो सकता है, “शान्ति में लाने वाले मार्ग में चलायेगा” या “ऐसे जीवन में निर्वाह करायेगा जिसके कारण परमेश्वर से मेल होता है। सुनिश्चित करें कि आपका अनुवाद “हमारे पांवों” के अनुवाद से सुसंगत हो।

Luke 1:80

बढ़ता... गया

“आयु और शरीर में विकसित होता गया” (वयस्क हो गया) इसके अनुवाद में स्पष्ट करना होगा कि वह अब बालक नहीं था जब वह निर्जन स्थान में रह रहा था।

आत्मा में बलवन्त होता गया

“आत्मिकता में परिपक्व हो गया” या “दृढ़ नैतिक चरित्र का विकास किया” या “परमेश्वर के साथ संबन्ध में अधिकाधिक दृढ़ होता गया”

जब तक

इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना अब निर्जन स्थान में नहीं रह रहा था। अपनी सार्वजनिक सेवा आरंभ करने के बाद भी यूहन्ना निर्जन स्थान में ही रहता था। अतः अर्थ स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार करे, “के समय भी”

प्रगट होने के समय

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “सबके सामने आने तक” या “आम जनता में प्रचार करने के समय”


Translation Questions

Luke 1:1

लूका जिन प्रत्यक्ष साक्षियों का उल्लेख करता है वे कौन थे?

"प्रत्यक्ष साक्षी" वे थे जो यीशु के साथ उसकी सेवा के आरंभ से थे।

Luke 1:2

कुछ प्रत्यक्ष साक्षियों ने यीशु को देखा था तो क्या किया?

उन्होंने यीशु के कामों का वृत्तान्त लिखा है।

Luke 1:4

लूका ने क्यों निर्णय लिया कि वह यीशु की बातों और कार्यों का वृत्तान्त स्वयं लिखे?

वह थियुफिलुस को उन बातों की सत्यता बताना चाहता था जो उसने सीखी थी।

Luke 1:6

परमेश्वर ने जकरयाह और इलीशिबा को धर्मी क्यों जाना था?

परमेश्वर उन्हें धर्मी ठहराया, क्योंकि उन्होंने उसकी आज्ञाएं मानी थी।

Luke 1:7

जकरयाह और इलीशिबा निःसन्तान क्यों थे?

वे निःसन्तान थे क्योंकि इलीशिबा बांझ थी और वे दोनों वृद्ध थे।

Luke 1:8

यरूशलेम के मन्दिर में जकरयाह क्या काम करता था?

जकरयाह एक याजक था।

Luke 1:9

मन्दिर में जकरयाह क्या काम करता था?

वह परमेश्वर के समक्ष धूप जलाता था।

Luke 1:10

जब जकरयाह मन्दिर में गया तब लोग क्या कर रहे थे?

सभी लोग बाहर आंगन में प्रार्थना कर रहे थे।

Luke 1:11

जब जकरयाह मन्दिर में था तब वहाँ कौन प्रकट हुआ?

मन्दिर में परमेश्वर का एक दूत जकरयाह के समक्ष प्रकट हुआ।

Luke 1:12

स्वर्गदूत को देखकर जकरयाह को क्या हुआ?

स्वर्गदूत को देखकर जकरयाह डर गया।

Luke 1:13

स्वर्गदूत ने जकरयाह से क्या कहा?

स्वर्गदूत ने जकरयाह से कहा कि वह डरे नहीं उसकी पत्नी पुत्र जनेगी, उस पुत्र का नाम यूहन्ना होगा।

Luke 1:16

स्वर्गदूत के वचन के अनुसार यूहन्ना इस्राएल के वंशजों के लिए क्या करेगा?

स्वर्गदूत ने कहा कि यूहन्ना इस्राएल के वंशजों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर फेर लायेगा।

Luke 1:17

यूहन्ना का संपूर्ण कार्य कैसी प्रजा तैयार करेगा?

प्रभु के लिए तैयार किए गए लोग योग्य प्रजा होंगे।

Luke 1:19

उस स्वर्गदूत का नाम क्या था और वह कहाँ उपस्थित रहता था?

उस स्वर्गदूत का नाम जिब्राईल था वह परमेश्वर के सामने खड़ा रहता था।

Luke 1:21

स्वर्गदूत की बात पर विश्वास न करने पर जकरयाह के साथ क्या हुआ?

पुत्र के जन्म लेने तक जकरयाह बोलने योग्य न रहा।

Luke 1:27

इलीशिबा के गर्भधारण के छः महीने बाद परमेश्वर ने जिब्राईल को किसके पास भेजा?

मरियम नामक एक कुंवारी थी जिसकी मंगनी दाऊदवंशी यूसुफ के साथ हुई थी।

Luke 1:31

स्वर्गदूत ने मरियम से क्या कहा कि उसके साथ होगा?

स्वर्गदूत ने मरियम से कहा कि वह गर्भधारण करेगी।

उस बालक का नाम क्या होगा और वह क्या करेगा?

उस बालक का नाम यीशु होगा और वह याकूब के वंशजों पर सर्वदा राज करेगा।

Luke 1:35

क्योंकि मरियम कुंवारी थी इसलिए स्वर्गदूत ने क्या कहा कि ऐसा कैसे होगा?

स्वर्गदूत ने कहा कि पवित्र आत्मा मरियम पर उतरेगा और परम प्रधान का सामर्थ्य उस पर छाया करेगा।

इस पवित्र पुत्र को स्वर्गदूत ने किसका पुत्र कहा?

उस स्वर्गदूत ने कहा कि वह बालक परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।

स्वर्गदूत ने परमेश्वर के लिए क्या असंभव बताया?

कुछ नहीं।

Luke 1:41

जब मरियम ने इलीशिबा को नमस्कार किया तब इलीशिबा के शिशु ने क्या किया?

बच्चा उसके पेट में उछला।

Luke 1:42

इलीशिबा ने किसको धन्य कहा?

इलीशिबा ने कहा कि मरियम और उसका शिशु धन्य है ।

Luke 1:54

मरियम ने कहा कि परमेश्वर के ये सामर्थी काम परमेश्वर की कौन सी प्रतिज्ञा को पूरा करेंगे?

अब्राहम और उसके वंशजों से की गई परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं पूरी होंगी कि वह उन पर दयावान होगा और उन्हें संभालेगा।

Luke 1:59

खतना के दिन के समय से इलीशिबा के पुत्र का क्या नाम रखा जाएगा?

जकरयाह।

Luke 1:63

पुत्र का नाम जकरयाह से पूछने पर उसने क्या लिख कर दिया और फिर जकरयाह के साथ क्या हुआ?

जकरयाह ने लिखा, "इसका नाम यूहन्ना है" और तब बोलने लगा।

Luke 1:66

इन सब घटनाओं के कारण उन्होंने उस बालक के लिए क्या सोचा?

उन्हें समझ में आ गया कि प्रभु का हाथ उस पर है।

Luke 1:68

जकरयाह ने परमेश्वर की स्तुति की क्योंकि परमेश्वर ने अब क्या करने का विचार किया है?

परमेश्वर ने अपनी प्रजा को मुक्त करवाने का मार्ग ले लिया है।

Luke 1:77

जकरयाह ने भविष्यद्वाणी की कि उसका पुत्र यूहन्ना मनुष्यों को क्या समझने में सहायता करेगा?

यूहन्ना मनुष्यों को बताएगा कि वे अपने पापों की क्षमा द्वारा कैसे बचाए जायेंगे।

Luke 1:80

इस्राएल के समक्ष आने तक यूहन्ना कहाँ रहता था?

यूहन्ना बड़ा होकर जंगल में रहने लगा।


Chapter 2

1 उन दिनों में औगुस्तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे रोमी साम्राज्य के लोगों के नाम लिखे जाएँ। 2 यह पहली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्विरिनियुस* सीरिया का राज्यपाल था। 3 और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने-अपने नगर को गए। 4 अतः यूसुफ भी इसलिए कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। 5 कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए। 6 उनके वहाँ रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। 7 और वह अपना पहलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा; क्योंकि उनके लिये सराय में जगह न थी।

8 और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे। 9 और परमेश्‍वर का एक दूत उनके पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उनके चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 10 तब स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूँ; जो सब लोगों के लिये होगा, 11 कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और वही मसीह प्रभु है। 12 और इसका तुम्हारे लिये यह चिन्ह है, कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे।” 13 तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का दल परमेश्‍वर की स्तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया,

    14 “आकाश में परमेश्‍वर की महिमा और

     पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्‍न है शान्ति हो।”

15 जब स्वर्गदूत उनके पास से स्वर्ग को चले गए, तो गड़ेरियों ने आपस में कहा, “आओ, हम बैतलहम जाकर यह बात जो हुई है, और जिसे प्रभु ने हमें बताया है, देखें।” 16 और उन्होंने तुरन्त जाकर मरियम और यूसुफ को और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा। 17 इन्हें देखकर उन्होंने वह बात जो इस बालक के विषय में उनसे कही गई थी, प्रगट की। 18 और सब सुननेवालों ने उन बातों से जो गड़ेरियों ने उनसे कहीं आश्चर्य किया। 19 परन्तु मरियम ये सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही। 20 और गड़ेरिये जैसा उनसे कहा गया था, वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्‍वर की महिमा और स्तुति करते हुए लौट गए।

21 जब आठ दिन पूरे हुए, और उसके खतने का समय आया, तो उसका नाम यीशु रखा गया, यह नाम स्वर्गदूत द्वारा, उसके गर्भ में आने से पहले दिया गया था। (उत्प. 17:12, लैव्य. 12:3) 22 और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार मरियम के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो यूसुफ और मरियम उसे यरूशलेम में ले गए, कि प्रभु के सामने लाएँ। (लैव्य. 12:6) 23 जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है: “हर एक पहलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा।” (निर्ग. 13:2,12) 24 और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार, “पण्‍डुकों का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्चे लाकर बलिदान करें।” (लैव्य. 12:8)

25 उस समय यरूशलेम में शमौन नामक एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्ति की प्रतीक्षा कर रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। 26 और पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकट हुआ, कि जब तक तू प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब-तक मृत्यु को न देखेगा। 27 और वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर में आया; और जब माता-पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें, 28 तो उसने उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्‍वर का धन्यवाद करके कहा:

    29 “हे प्रभु, अब तू अपने दास को अपने

     वचन के अनुसार शान्ति से विदा कर दे;

    30 क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख

     लिया है।

    31 जिसे तूने सब देशों के लोगों के सामने

     तैयार किया है। (यशा. 40:5)

    32 कि वह अन्यजातियों को सत्य प्रकट करने के

     लिए एक ज्योति होगा,

     और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।” (यशा. 42:6, यशा. 49:6)

33 और उसका पिता और उसकी माता इन बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे। 34 तब शमौन ने उनको आशीष देकर, उसकी माता मरियम से कहा, “देख, वह तो इस्राएल में बहुतों के गिरने, और उठने के लिये, और एक ऐसा चिन्ह होने के लिये ठहराया गया है, जिसके विरोध में बातें की जाएँगी (यशा. 8:14-15) 35 (वरन् तेरा प्राण भी तलवार से आर-पार छिद जाएगा) इससे बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।”

36 और अशेर के गोत्र में से हन्नाह नामक फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्तिन* थी: वह बहुत बूढ़ी थी, और विवाह होने के बाद सात वर्ष अपने पति के साथ रह पाई थी। 37 वह चौरासी वर्ष से विधवा थी: और मन्दिर को नहीं छोड़ती थी पर उपवास और प्रार्थना कर करके रात-दिन उपासना किया करती थी। 38 और वह उस घड़ी वहाँ आकर परमेश्‍वर का धन्यवाद करने लगी, और उन सभी से, जो यरूशलेम के छुटकारे की प्रतीक्षा कर रहे थे, उसके विषय में बातें करने लगी। (यशा. 52:9)

39 और जब वे प्रभु की व्यवस्था के अनुसार सब कुछ निपटा चुके तो गलील में अपने नगर नासरत को फिर चले गए। 40 और बालक बढ़ता, और बलवन्त होता, और बुद्धि से परिपूर्ण होता गया; और परमेश्‍वर का अनुग्रह उस पर था।

41 उसके माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। (निर्ग. 12:24-27, व्य. 16:1-8) 42 जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। 43 और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह बालक यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे। 44 वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचान वालों में ढूँढ़ने लगे। 45 पर जब नहीं मिला, तो ढूँढ़ते-ढूँढ़ते यरूशलेम को फिर लौट गए। 46 और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया। 47 और जितने उसकी सुन रहे थे, वे सब उसकी समझ और उसके उत्तरों से चकित थे। 48 तब वे उसे देखकर चकित हुए और उसकी माता ने उससे कहा, “हे पुत्र, तूने हम से क्यों ऐसा व्यवहार किया? देख, तेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूँढ़ते थे।” 49 उसने उनसे कहा, “तुम मुझे क्यों ढूँढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में* होना अवश्य है?” 50 परन्तु जो बात उसने उनसे कही, उन्होंने उसे नहीं समझा। 51 तब वह उनके साथ गया, और नासरत में आया, और उनके वश में रहा; और उसकी माता ने ये सब बातें अपने मन में रखीं। 52 और यीशु बुद्धि और डील-डौल में और परमेश्‍वर और मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता गया। (1 शमू. 2:26, नीति. 3:4)



Luke 2:1

अब

इस वाक्यांश से प्रकट होता है कि केवल एक नये विषय का उल्लेख करने जा रहा है।

ऐसा हुआ

इस वाक्यांश का अर्थ है कि यह एक वृत्तान्त का आरंभ है। यदि आपकी भाषा में किसी नये वृत्तान्त को आरंभ करने का प्रावधान है, तो आप उसका उपयोग करें। कुछ अनुवादों में इसे काम में नहीं लिया गया है।

औगुस्तुस कैसर

“राजा औगस्तुस” या “सम्राट औगुस्तुस” औगुस्तुस रोम का सर्वप्रथम सम्राट था।

आज्ञा निकली

आज्ञा का अर्थ है आदेश या अध्यादेश निकाला इसका अनुवाद हो सकता है, राजाज्ञा निकाली” या “आदेश दिया” या “आज्ञा दी”

नाम लिखे जाएं

नाम लिखे जाएं अर्थात् सरकारी जनगणना। किसी क्षेत्र के सब लोगों के नाम लिखे जाएं कि कर भुगतान निर्धारित किया जाए।

सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं

सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं - इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है "सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य के निवासियों का पंजीकरण किया जाए" या “रोमी साम्राज्य के सब लोगों की गणना करके लेखा तैयार किया जाए।”

रोमी साम्राज्य

इसका अनुवाद हो सकता है, “रोम के अधीन जो संसार था” या "रोमी सम्राट के अधीनस्थ देशों की जनता" या “रोमी साम्राज्य के”।

क्विरिनियुस

क्विरिनियुस को सीरिया का प्रशासक नियुक्त किया गया था।

सब लोग... गए

इसका अनुवाद हो सकता है, “हर एक जन निकल पड़ा” या “हर एक जन जा रहा था”

अपने अपने नगर को

“उसके पूर्वजों के नगर को”

नाम लिखवाने के लिए

“अपने अपने नाम का पंजीकरण करवाने के लिए” या “राजसी लेखे में नाम चढ़वाने के लिए”

Luke 2:4

यहूदिया में ..... बैतलहम को गया।

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यहूदिया में बैतलहम नगर गया” बैतलहम नासरत से ऊंचे पर था।

दाऊद के नगर

दाऊद के नगर -बैतलहम को उसके महत्त्व के कारण नगर कहा जाता था न कि जनसंख्या के कारण। राजा दाऊद का जन्म वहां हुआ था और भविष्यद्वाणी थी कि मसीह का जन्म उस नगर में होगा। “दाऊद के नगर” का अनुवाद “राजा दाऊद के नगर” किया जा सकता है।

नाम लिखवाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने नाम का पंजीकरण करवाने” या “जनगणना में लिखवाने”।

मरियम के साथ

मरियम नासरत से यूसुफ के साथ गई। यह एक संभावना है कि स्त्रियों पर भी कर लगाया जाता था। अतः आवश्यक था कि मरियम भी जाकर अपने नाम का पंजीकरण करवाएं।

अपनी मंगेतर के साथ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “होने वाली पत्नी” या “जो उसके साथ वचनबद्ध थी” वहां मंगनी के बाद दम्पत्ति को वैधानिक रूप से विवाहित माना जाता था परन्तु उनमें शारीरिक संबन्ध नहीं था।

Luke 2:6

उनके वहां रहते हुए

“जब यूसुफ और मरियम बैतलहम में थे”

दिन पूरे हुए

“समय हो गया”

जनने के दिन पूरे हुए

“शिशु के जन्म देने का समय” प्रचलित अभिव्यक्ति काम में लें कि पाठकों को संकोच न हो।

कपड़े में लपेटकर

इसका अनुवाद किया जा सकता है “उसे सुविधापूर्वक चादर में लपेटा” या “उसको संभालकर चादर में लपेटा” यह कार्य नवजात शिशु के लिए प्रेम एवं चिन्ता की अभिव्यक्ति है।

चरनी

यह एक पात्र होता था जिसमें पशुओं को खाने के लिए घास डाला जाता था। अति संभव है कि वह स्वच्छ था और उसमें शिशु के लिए गद्दे का काम करने के लिए सूखा चारा भी होगा। पशुओं को घर के पास ही रखा जाता था। कि वे सुरक्षित रहे और उन्हें चारा डालना आसान हो। स्पष्ट है कि यूसुफ और मरियम उस कक्ष में थे जहाँ पशुओं को रखा जाता था।

सराय

यह अतिथियों या यात्रियों के लिए एक पृथक स्थान होता था।

उनके लिए सराय में जगह न थी।

“उनके लिए धर्मशाला में ठहरने का स्थान नहीं था” इसका कारण था कि बैतलहम में जनगणना के लिए आने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक थी।

क्योंकि ... जगह न थी

यह स्पष्ट नहीं है कि मरियम ने अपने प्रभु को चरनी में क्यों रखा। आप सलंग्न जानकारी को स्पष्ट व्यक्त कर सकते हैं कि वे पशुशाला में ठहरे हुए थे और पद 7 में जानकारी का क्रम बदल सकते हैं, उनके लिए सराय में स्थान उपलब्ध नहीं था। इसलिए उन्हें पशुशाला में ठहरना पड़ा। जब मरियम ने अपने पहिलौठे पुत्र को जन्म दिया तब उसने उसे कपड़े में अच्छी तरह लपेटा और चरनी में रख दिया।

Luke 2:8

उस देश में

“उसके परिवेश में” या “बैतलहम के पास”

पहरा देते थे

“देखभाल कर रहे थे” या “उन्हें सुरक्षित रखने के लिए चौकसी कर रहे थे”।

भेड़ों का झुण्ड

“भेड़ों के समूह की”

रात को

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सूर्यास्त के बाद जब अन्धेरा हो गया”।

प्रभु का एक दूत

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है “प्रभु की ओर से एक स्वर्गदूत” या “प्रभु का सेवक स्वर्गदूत” या “प्रभु का भेजा हुआ एक स्वर्गदूत”

पास आ खड़ा हुआ

“उनके निकट प्रकट हुआ”

Luke 2:10

मत डरो

“निडर रहो”

क्योंकि देखो मैं उन्हें बड़े आनन्द का समाचार सुनाता हूँ।

“क्योंकि मैं तुम्हारे लिये शुभ सन्देश लाया हूँ” या "मैं तुम्हे आनन्द का समाचार सुनाता हूँ।"

जो सब लोगों के लिए बड़े आनन्द का कारण होगा

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जिसे सुनकर सब लोग अति आनन्दित होंगे।”

सब लोग

कुछ विचारकों के अनुसार इसका अर्थ है, “सब यहूदी” और कुछ के अनुसार “सब लोग”

दाऊद के नगर में

इसका अनुवाद हो सकता है, “दाऊद के नगर बैतलहम में”

यह चिन्ह है जो तुम्हें दिया गया है

इसका अनुवाद हो सकता है “परमेश्वर तुम्हें यह चिन्ह देता है” या “तुम परमेश्वर का यह चिन्ह देखोगे”।

चिन्ह

यह या तो स्वर्गदूत की बात को सत्य सिद्ध करने का पता है या शिशु की पहचान का पता है। इसका अनुवाद “प्रमाण” किया जा सकता है, पहली समझ के लिए और दूसरी समझ के लिए “विशिष्ट चिन्ह”।

कपड़े में लिपटा

इसका अनुवाद हो सकता है, “जिसे चादर में अच्छी तरह लपेटा गया है।"

Luke 2:13

स्वर्गदूतों का दल

इसका अर्थ “स्वर्गदूतों की सेना” या रूपक माने तो “व्यवस्थित समूह” हो सकता है।

परमेश्वर की स्तुति करते

इसका अनुवाद हो सकता है, “वे परमेश्वर का गुणगान कर रहे थे।"

आकाश में परमेश्वर की महिमा

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “सर्वोच्च स्थान में परमेश्वर की स्तुति करते” या (2) “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्थान में चर्चा करो” या “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्थान में चर्चा करो” या “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्तुति करो”।

पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है उनमें शान्ति हो

“पृथ्वी पर जिन मनुष्यों से परमेश्वर प्रसन्न है उनमें शान्ति हो”

Luke 2:15

उनके पास से

“चरवाहों के पास से”

आपस में

“एक दूसरे से”

आओ, हम... हमें

चरवाहे एक दूसरे से बातें कर रहे हैं, अतः जिन भाषाओं में “हम” और “हमें” के समावेशी रूप हैं तो उन रूपों का यहाँ प्रयोग करें।

Luke 2:17

प्रगट की

“चरवाहों ने मनुष्यों में चर्चा की”

जो बातें (इस बालक के विषय में) उनसे कही गई थी

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्वर्गदूत ने उन चरवाहों से जो कहा था”।

इस बालक

“उस शिशु”

उन बातों से जो गड़ेरियों ने उनसे कही थी

“चरवाहे ने उन्हें जो बातें बताई थी”

मरियम ने सब बातें अपने मन में रखकर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन सब बातों को सावधानीपूर्वक स्मरण रखा” या “उन्हें आनन्दपूर्वक स्मरण रखा” मन में रखने का अर्थ है, कि वह बात अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझा था।

लौट गए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे भेड़ों के चारागाहों में लौट गए”।

परमेश्वर की महिमा ... करते हुए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर की महानता का गुणगान करते हुए”

Luke 2:21

उसका नाम यीशु रखा गया

“उन्होंने उसे यीशु नाम दिया” या “उसे यीशु नाम से पुकारा”।

जो स्वर्गदूत ने ... कहा था।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “स्वर्गदूत ने उसे जो नाम दिया था" या "स्वर्गदूत ने उसे यही नाम दिया था”।

Luke 2:22

दिन पूरे हुए

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “परमेश्वर ने जितने दिन निर्धारित किए थे वे पूरे हुए”

शुद्ध होने के

“धार्मिक संस्कार के अनुसार शुद्ध होने के” या “परमेश्वर द्वारा उन्हें शुद्ध स्वीकार करने के दिन”

प्रभु के सामने लाएं

“उसे प्रभु को समर्पित करें” या “उसे प्रभु की उपस्थिति में प्रस्तुत करें” यह एक संस्कार था जिसमें स्वीकार किया जाता था कि पहिलौठे पुत्र पर परमेश्वर का अधिकार है

व्यवस्था में लिखा है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने ऐसा किया क्योंकि विधान में लिखा था।"

हर एक पहिलौठा

“पहला पुत्र” विधान के अनुसार मनुष्य हो या पशु सबकी प्रथम नर सन्तान, परन्तु यहाँ अनुवाद इस प्रकार करें, “पहला जन्मा पुत्र”

पंडुकों

ये साधारणतः पाये जाने वाले पक्षी है जो अन्न खाते हैं और खुले स्थानों में रहते हैं। वे छोटे होते हैं कि हाथों से पकड़ लिए जाए। वे खाए भी जाते हैं।

कबूतर के दो बच्चे

ये भी अन्न-भक्षी पक्षी हैं, और अधिकतर पर्वतों में रहते है। ये छोटे पक्षी होते हैं कि हाथों में आ जाए और खाए भी जाते हैं।

Luke 2:25

वह मनुष्य धर्मी और भक्त था

“परमेश्वर का भक्त” या “परमेश्वर का निष्ठावान”

इस्राएल का शांतिदाता

इसका अनुवाद हो सकता है, “इस्राएल के शान्तिदाता” यह “मसीह” या “ख्रीस्त का दूसरा नाम है।

पवित्र-आत्मा उस पर था

“पवित्र आत्मा उसके साथ था”, परमेश्वर उसके साथ विशेष रूप से उपस्थित था और उसे जीवन में निर्देशन एवं बुद्धि देता था।

पवित्र-आत्मा द्वारा उस पर प्रगट हुआ।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पवित्र-आत्मा ने उस पर प्रकट किया था” या “पवित्र-आत्मा ने उससे कहा था”।

जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा।

इसका अनुवाद होगा “वह मरने से पहले परमेश्वर के मसीह को देखेगा” या “वह परमेश्वर के मसीह को देखने के बाद ही मरेगा”। यहाँ “प्रभु” शब्द परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है।

Luke 2:27

आया

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “गया”

आत्मा के सिखाने से

इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर के निर्देशानुसार” या “पवित्र-आत्मा की अगुवाई में”

माता-पिता

“यीशु के माता-पिता”

व्यवस्था की रीति के अनुसार

“परमेश्वर के विधान के अनुसार”

गोद में लिया

“उसे लिया”

अब तू अपने दास को .... विदा करता है

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैं तेरा दास हूँ, मुझे शान्तिपूर्वक विदा होने दे, शमौन अपने बारे में कह रहा था।

विदा

यह अलंकृत शैली है, विदा का अर्थ है मृत्यु।

अपने वचन के अनुसार

इसका अनुवाद हो सकता है, “जैसा तूने कहा है” या “क्योंकि तूने कहा है कि तू करेगा”

Luke 2:30

तेरे उद्धार को

इसका संदर्भ यीशु से है, यीशु के द्वारा परमेश्वर मनुष्यों का उद्धार करेगा।

तैयार किया है

“योजना बनाई है” या “होने का कारण बताया है”

लोगों के सामने

“संपूर्ण मानवजाति के देखने के लिए”

वह होगा

यह उद्धारकर्ता के संदर्भ में है।

प्रकाश देने के लिए ज्योति

इसका अनुवाद किया जा सकता है “यह बालक मनुष्यों को समर्थ बनायेगा कि वे परमेश्वर के सत्य को अति उचित ग्रहण करें जैसे ज्योति मनुष्य को देखने में समर्थ बनाती है।

इस्राएल की महिमा हो

इसका अनुवाद हो सकता है, “तेरी प्रजा इस्राएल में ज्योति के आगमन का कारण होगा”।

Luke 2:33

बहुतों के गिरने और उठने के लिए

इसका अनुवाद हो सकता है, “इस्राएल में अनेकों को परमेश्वर से विमुख होने या परमेश्वर के निकट आने के लिए ठहराया गया है” इस रूपक में परमेश्वर से विमुख होने तथा परमेश्वर के निकट आने के विचार को “गिरने” तथा “उठने” द्वारा व्यक्त किया गया है। इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके लिए परमेश्वर की योजना है कि वह कुछ को परमेश्वर से दूर तथा कुछ को परमेश्वर के निकट लाए”।

तेरा प्राण भी तलवार के वार से छिद जाएगा

यह भी एक रूपक है जो मरियम के अपार दुःख को दर्शाता है। इसका अनुवाद हो सकता है, “तेरी हार्दिक वेदना सहनशक्ति के परे होगी” या "तेरा दुःख ऐसा होगा जैसे तेरा हृदय तलवार से बेधा गया है" या “तेरा हृदय विदीर्ण होगा”।

बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे

इसका अनुवाद हो सकता है, “बहुत लोगों के विचार प्रकट होंगे” या “परमेश्वर के बारे में मनुष्य जो सोचते हैं वह प्रकट हो जायेगा”

Luke 2:36

विवाह होने के बाद

“अपने विवाह के बाद”

चौरासी वर्ष से विधवा थी

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) वह चौरासी वर्षों से विधवा थी, (2) वह चौरासी वर्ष की विधवा थी।

मन्दिर को नहीं छोड़ती थी

यह एक अतिशयोक्ति है कि वह मन्दिर में इतना समय रहती थी कि जैसे वह वहां से कहीं जाती ही नहीं थी। इसका अनुवाद हो सकता है, “वह सदैव मन्दिर में रहती थी” या अतिशयोक्ति-रहित अर्थ व्यक्त किया जा सकता है, “वह प्रायः मन्दिर में ही रहती थी”।

उवपास और प्रार्थना करके

“भोजन न करके प्रार्थना करती थी”

उस घड़ी वहां आकर

“उनके पास आई” या “मरियम और यूसुफ के पास आई”

यरूशलेम के छुटकारे

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यरूशलेम को मुक्त कराने वाले की” या “यरूशलेम के लिए परमेश्वर की आशिषों और अनुग्रह को लौटा लाने वाले की” यहाँ “छुटकारा” शब्द उसके कर्ता के लिए काम में लिया गया है।

Luke 2:39

प्रभु की व्यवस्था के अनुसार सब कुछ पूरा कर चुके

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “परमेश्वर के विधान के अनुसार जो अनिवार्य था” या (2) “परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उनके लिए जो आवश्यक था”।

बुद्धि से परिपूर्ण होता गया

“अधिकाधिक बुद्धिमान होता गया” या “बुद्धिमान होना सीखता गया”।

परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था

इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने उसे आशीष दी” या “परमेश्वर उसके साथ विशेष रूप में था”।

Luke 2:41

उसके माता-पिता

“यीशु के माता-पिता”

जाया करते थे

यरूशलेम पहाड़ पर था, अतः उपासकों को ऊपर चढ़ना होता था।

उन दिनों को पूरा करके

“जब पर्व के दिन पूरे हो गए” या “पर्व के जितने दिन थे, उसके बाद”।

यह समझकर

“उन्होंने सोचा”

एक दिन का पड़ाव निकल गए

“एक दिन की यात्रा कर चुके” या “एक दिन की पद यात्रा तक आगे निकल गए”।

Luke 2:45

पर जब नहीं मिला

“जब मरियम और यूसुफ को यीशु नहीं मिला”

(और ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

मन्दिर में

इसका अनुवाद हो सकता है, “मन्दिर परिसर में” या “मन्दिर के द्वार”

के बीच

इसका अर्थ उनके बीचों-बीच नहीं वरन “उनके साथ” या “उनकी संगति में” या “उनके मध्य” (यू.डी.बी.)

उपदेशकों

“धर्म के शिक्षकों” या “परमेश्वर की शिक्षा देने वालों”

उसकी समझ

इसका अनुवाद हो सकता है, “वह कितना अधिकार समझता था” या “कि वह परमेश्वर के बारे में इतनी समझ रखता है”।

उसके उत्तरों

इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके उचित उत्तरों” या “वह उनके प्रश्नों के ऐसे उचित उत्तर देता था।”

Luke 2:48

उसे देख कर

“जब मरियम और यूसुफ ने यीशु को वहां देखा”

हमसे क्यों ऐसा व्यवहार किया?

इसका अनुवाद हो सकता है, “तू ऐसा कैसे कर सकता है” यह एक प्रकार की अप्रत्यक्ष डांट है क्योंकि वह घर लौटने में उनके साथ नहीं था।

तुम मुझे क्यों ढूंढ़ते थे?

इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम मुझे अन्यत्र क्यों खोज रहे थे?”

(देखो)

यह शब्द एक नई घटना का सूचक है। इसके द्वारा कार्य का आरंभ भी दर्शाया जाता है। यदि आपकी भाषा में इसके लिए शब्द है तो देखें कि उनका उपयोग स्वभाविक होगा।

क्या नहीं जानते थे?

यह एक ऐसा प्रश्न है, जो जानकारी के लिए नहीं, प्रभाव डालने के लिए पूछा जाता है। यीशु उनकी जानकारी नहीं चाहता था परन्तु उन पर कुछ प्रकट कर रहा था इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम्हें जानता था”।

अपने पिता के भवन में

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “मेरे पिता के भवन में” या (2) “मेरे पिता के काम में”, दोनों ही में यीशु जब कहता है, “मेरे पिता” तो वह परमेश्वर को संबोधित कर रहा है। “भवन” से उसका अभिप्राय था मन्दिर। “काम” से उसका तात्पर्य था, परमेश्वर प्रदत्त कार्य। क्योंकि अगले पद में कहा गया है कि उन्होंने उसे नहीं समझा इसलिए उचित होगा कि इसे व्यख्या द्वारा स्पष्ट करें।

Luke 2:51

वह उनके साथ गया

“यीशु मरियम और यूसुफ के साथ लौट गया”

उनके वश में रहा

“उनकी आज्ञा मानता रहा” या “उनका आज्ञाकारी बना रहा”।

मने में रखी

“सावधानीपूर्वक स्मरण रखा” या “आनन्द से विचार किया” मरियम ने अपने पुत्र के कामों और बातों को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझा था।

“बुद्धि और डील-डौल में .... बढ़ता गया”

“अधिकाधिक बुद्धिमान और बलवन्त होता गया”

परमेश्वर और मनुष्य के अनुग्रह में बढ़ता गया

इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य उसे अधिकाधिक चाहने लगे थे और परमेश्वर भी उसे अधिकाधिक आशीष देता रहा था।


Translation Questions

Luke 2:3

लोग जनगणना के लिए कहाँ गये?

लोग नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने नगर को गए।

Luke 2:4

यूसुफ मरियम के साथ बैतलहम गया और वह किसका वंशज था?

यूसुफ और मरियम बैतलहम गए क्योंकि यूसुफ दाऊद का वंशज था।

Luke 2:7

शिशु को जन्म देकर मरियम ने उसे कहाँ रखा?

शिशु का जन्म होने पर मरियम ने उसे पशुओं की चरनी में रखा।

Luke 2:8

स्वर्गदूत किस पर प्रकट हुआ था?

अपनी भेड़ो की रखवाली कर रहे चरवाहों को स्वर्गदूत दिखाई दिया।

Luke 2:9

स्वर्गदूत को देखकर चरवाहों की क्या प्रतिक्रिया थी?

चरवाहे बहुत डर गए थे।

Luke 2:11

स्वर्गदूत ने चरवाहों को क्या शुभ सन्देश सुनाया था?

स्वर्गदूत ने उन चरवाहों से कहा कि उद्धारकर्ता जन्मा है, यही मसीह प्रभु है।

Luke 2:15

स्वर्गदूतों के प्रस्थान के बाद चरवाहों ने क्या किया?

चरवाहे उस नवजात बालक को देखने बैतलहम गए।

Luke 2:21

यीशु का खतना कब किया गया था?

जन्म के आठवें दिन यीशु का खतना किया गया।

Luke 2:22

यूसुफ और मरियम यीशु को यरूशलेम के मन्दिर में क्यों लाये?

वे उसे परमेश्वर को समर्पित करने और बलि चढ़ाने के लिए मन्दिर गए जो मूसा की व्यवस्था में एक आज्ञा थी।

Luke 2:26

पवित्र आत्मा ने शमौन से क्या कहा था?

पवित्र आत्मा ने शमौन से कहा था कि जब तक वह प्रभु के मसीह को न देख ले तब तक यह नहीं मरेगा।

Luke 2:32

शमौन ने यीशु के लिए क्या कहा था?

शमौन ने भविष्यद्वाणी की कि यीशु अन्यजातियों में सत्य प्रकाशन की ज्योति और परमेश्वर की प्रजा की महिमा होगा।

Luke 2:35

शमौन ने क्या कहा कि यीशु के कारण मरियम के साथ क्या होगा?

शमौन ने कहा कि उसका प्राण तलवार से छेदा जायेगा।

Luke 2:38

भविष्द्वक्तिन हन्नाह ने मरियम, यूसुफ और यीशु को देख कर क्या किया?

हन्नाह परमेश्वर का धन्यवाद करने लगी और उस बालक के विषय में सबसे बातें करने लगी।

Luke 2:40

नासरत लौट आने पर यीशु का क्या हुआ?

यीशु बढ़ता और बलवन्त होता गया और परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था।

Luke 2:43

यीशु के माता-पिता ने क्यों यह नहीं सोचा कि वह फसह के पर्व के समय यरूशलेम में रह गया है?

उन्हें इसका बोध नहीं था क्योंकि उन्होंने सोचा कि यीशु साथ चल रहे समूह में ही होगा।

Luke 2:46

यीशु के माता-पिता को वह कहाँ मिला, और वह क्या कर रहा था?

उसके माता-पिता ने उसे मन्दिर में पाया, वह मन्दिर में उपदेशकों की बातें सुन रहा था और उनसे प्रश्न पूछ रहा था।

Luke 2:49

मरियम ने यीशु से कहा कि वे बड़ी परेशानी से उसे ढूंढ़ रहे थे तब यीशु ने क्या उत्तर दिया?

"क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?"

Luke 2:51

नासरत में लौट आने पर यीशु का व्यवहार उसके माता-पिता के साथ कैसा था?

वह उनका आज्ञाकारी रहा।

Luke 2:52

बड़ा होते-होते यीशु कैसा था?

वह बुद्धि और शरीर में बढ़ता गया और परमेश्वर और मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता गया।


Chapter 3

1 तिबिरियुस कैसर के राज्य के पन्द्रहवें वर्ष में जब पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया का राज्यपाल था, और गलील में हेरोदेस इतूरैया, और त्रखोनीतिस में, उसका भाई फिलिप्पुस, और अबिलेने में लिसानियास चौथाई के राजा थे। 2 और जब हन्ना और कैफा महायाजक* थे, उस समय परमेश्‍वर का वचन जंगल में जकर्याह के पुत्र यूहन्ना के पास पहुँचा। 3 और वह यरदन के आस-पास के सारे प्रदेश में आकर, पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। 4 जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे हुए वचनों की पुस्तक में लिखा है:

     “जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है कि,

     ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो।

    5 हर एक घाटी भर दी जाएगी, और हर एक

     पहाड़ और टीला नीचा किया जाएगा;

     और जो टेढ़ा है सीधा, और जो ऊँचा नीचा

     है वह चौरस मार्ग बनेगा।

    6 और हर प्राणी परमेश्‍वर के उद्धार को देखेगा’।” (यशा. 40:3-5)

7 जो बड़ी भीड़ उससे बपतिस्मा लेने को निकलकर आती थी, उनसे वह कहता था, “हे साँप के बच्चों, तुम्हें किस ने चेतावनी दी, कि आनेवाले क्रोध से भागो। 8 अतः मन फिराव के योग्य फल लाओ: और अपने-अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता अब्राहम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्‍वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्‍पन्‍न कर सकता है। 9 और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।” 10 और लोगों ने उससे पूछा, “तो हम क्या करें?” 11 उसने उन्हें उतर दिया, “जिसके पास दो कुर्ते हों? वह उसके साथ जिसके पास नहीं हैं बाँट ले और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।” 12 और चुंगी लेनेवाले भी बपतिस्मा लेने आए, और उससे पूछा, “हे गुरु, हम क्या करें?” 13 उसने उनसे कहा, “जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उससे अधिक न लेना।” 14 और सिपाहियों ने भी उससे यह पूछा, “हम क्या करें?” उसने उनसे कहा, “किसी पर उपद्रव न करना, और न झूठा दोष लगाना, और अपनी मजदूरी पर सन्तोष करना।” 15 जब लोग आस लगाए हुए थे, और सब अपने-अपने मन में यूहन्ना के विषय में विचार कर रहे थे, कि क्या यही मसीह तो नहीं है। 16 तो यूहन्ना ने उन सब के उत्तर में कहा, “मैं तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु वह आनेवाला है, जो मुझसे शक्तिशाली है; मैं तो इस योग्य भी नहीं, कि उसके जूतों का फीता खोल सकूँ, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। 17 उसका सूप, उसके हाथ में है; और वह अपना खलिहान अच्छी तरह से साफ करेगा; और गेहूँ को अपने खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जो बुझने की नहीं जला देगा।” 18 अतः वह बहुत सी शिक्षा दे देकर लोगों को सुसमाचार सुनाता रहा।

19 परन्तु उसने चौथाई देश के राजा हेरोदेस को उसके भाई फिलिप्पुस की पत्‍नी हेरोदियास के विषय, और सब कुकर्मों के विषय में जो उसने किए थे, उलाहना दिया। 20 इसलिए हेरोदेस ने उन सबसे बढ़कर यह कुकर्म भी किया, कि यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया।

21 जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया, और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया। 22 और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में* कबूतर के समान उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्‍न हूँ।”

23 जब यीशु आप उपदेश करने लगा, तो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और (जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का, 24 और वह मत्तात का, और वह लेवी का, और वह मलकी का, और वह यन्ना का, और वह यूसुफ का, 25 और वह मत्तित्याह का, और वह आमोस का, और वह नहूम का, और वह असल्याह का, और वह नोगह का, 26 और वह मात का, और वह मत्तित्याह का, और वह शिमी का, और वह योसेख का, और वह योदाह का, 27 और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का, और वह जरुब्बाबेल का, और वह शालतियेल का, और वह नेरी का, (एज्रा 3:2, नहे. 12:1) 28 और वह मलकी का, और वह अद्दी का, और वह कोसाम का, और वह इलमोदाम का, और वह एर का, 29 और वह येशू का, और वह एलीएजेर का, और वह योरीम का, और वह मत्तात का, और वह लेवी का, 30 और वह शमौन का, और वह यहूदा का, और वह यूसुफ का, और वह योनान का, और वह एलयाकीम का, 31 और वह मलेआह का, और वह मिन्नाह का, और वह मत्तता का, और वह नातान का, और वह दाऊद का, (2 शमू. 5:14) 32 और वह यिशै का, और वह ओबेद का, और वह बोआज का, और वह सलमोन का, और वह नहशोन का, (रूत 4:20-22) 33 और वह अम्मीनादाब का, और वह अरनी का, और वह हेस्रोन का, और वह पेरेस का, और वह यहूदा का, (1 इति. 2:1-14) 34 और वह याकूब का, और वह इसहाक का, और वह अब्राहम का, और वह तेरह का, और वह नाहोर का, (उत्प. 21:3, उत्प. 25:26, 1 इति. 1:28,34) 35 और वह सरूग का, और वह रऊ का, और वह पेलेग का, और वह एबिर का, और वह शिलह का, 36 और वह केनान का, वह अरफक्षद का, और वह शेम का, वह नूह का, वह लेमेक‍ का, (उत्प. 11:10-26, 1 इति. 1:24-27) 37 और वह मथूशिलह का, और वह हनोक का, और वह यिरिद का, और वह महललेल का, और वह केनान का, 38 और वह एनोश का, और वह शेत का, और वह आदम का, और वह परमेश्‍वर का पुत्र था। (उत्प. 4:25-5:32, 1 इति. 1:1-4)



Luke 3:1

हन्ना और कैफा महायाजक थे

वे दोनों प्रधान पुरोहित का कार्यभार उठा रहे थे।

Luke 3:3

आकर

आकर "यूहन्ना ने वहां पहुचकर”

मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रचार करता था कि मनुष्यों को अपने पापों के त्याग के प्रमाण हेतु बपतिस्मा लेना आवश्यक है।”

पापों की क्षमा के लिए

“कि उनके पाप क्षमा हों” या “कि परमेश्वर उनके पाप क्षमा करे”, “मन फिराव” पापों की क्षमा के लिए था।

Luke 3:4

जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे वचनों की पुस्तक में लिखा है

इसका अनुवाद हो सकता है, “यह वैसा ही हुआ जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने अपनी पुस्तक में लिखा था”, पद 4-6 यशायाह की पुस्तक के उद्धरण हैं। .

मार्ग

“पथ” या “सड़क”

मार्ग तैयार करो, उसकी सड़के सीधी करो

यह अंश इब्रानी कविता का रूप है, जिसमें महत्त्वपूर्ण वाक्यांशों को पर्यायवाची शब्दों में दोहराया जाता है, अतः “प्रभु का मार्ग तैयार करो” को ही व्यक्त करने का दूसरा रूप है, “उसकी सड़के सीधी करो।” यहाँ मुख्य अन्तर है, पहला वाक्यांश प्रकट करता है कि ऐसा पहली बार हुआ है और दूसरा वाक्यांश प्रकट करता है कि ऐसा होते रहता है।

प्रभु का मार्ग तैयार करो

मार्ग के इस रूपक का अर्थ है, “पापों से विमुख होकर प्रभु के आगमन के लिए तैयार करो।”

उसकी सड़के सीधी करो

सड़क की यह उपमा भी एक रूपक है जिसका अर्थ है, “प्रभु के आगमन के लिए लगातार तैयारी करते रहो”।

Luke 3:5

x

(यशायाह की भविष्यद्वाणी का उद्धरण अभी समाप्त नहीं हुआ है)

हर एक घाटी भर दी जायेगी।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मार्ग का हर एक नीचा स्थान भर दिया जायेगा” एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के आगमन की तैयारी में जब वे सड़के तैयार करते हैं तब ऊंचे नीचे स्थानों में मलवा डालकर सड़क को समतल कर दिया जाता है। यह उस रूपक का ही अंश है जिसका आरंभ पिछले पद में हुआ था।

हर एक पहाड़ और टीला नीचा किया जायेगा

इसका भी अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वे हर एक पर्वत एवं टीले को समतल कर देंगे” या “वे मार्ग के हर एक ऊंचे भाग को सीधा कर देंगे”।

परमेश्वर के उद्धार को देखेगा

इसका अनुवाद होगा, “सीखेगा कि परमेश्वर मनुष्यों का कैसे उद्धार करता है”।

Luke 3:7

बपतिस्मा लेने को

“कि यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा दे”

हे सांप के बच्चों

यह भी एक रूपक है। विषैले सर्प खतरनाक होते है और बुराई के प्रतीक हैं। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम दुष्ट विषैले सर्पों” या “तुम विषैले सर्पों के समान दुष्ट हो।”

तुम्हें किसने जता दिया

यूहन्ना यह आलंकारिक प्रश्न पूछ रहा है, “क्योंकि वे बपतिस्मा इसलिए ले रहे थे कि परमेश्वर उन्हें पापों का दण्ड न दे परन्तु वे पाप करना नहीं छोड़ रहे थे”, इसलिये वह उन्हें झिड़क रहा है। इस संपूर्ण प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम इस प्रकार परमेश्वर के हाथ से बच नहीं पाओगे” या “क्या तुम यह सोच रहे हो कि बपतिस्मा लेकर तुम परमेश्वर के क्रोध से बच जाओगे”?

आनेवाले क्रोध से

इसका अनुवाद हो सकता है, “आनेवाले दण्ड से” या “परमेश्वर के उस क्रोध से जिसे वह कार्य रूप देगा” या “क्योंकि परमेश्वर तुम्हें दण्ड देने वाला है” यहाँ “क्रोध” परमेश्वर के दण्ड का प्रतीक है क्योंकि दण्ड से पूर्व वह क्रोध करता है।

Luke 3:8

x

(यूहन्ना जनसमूह को संबोधित करके कह रहा है)

मन फिराव के योग्य फल लाओ

इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “ऐसे फल लाओ कि तुम्हारा पाप त्याग प्रकट हो”, या “ऐसे भले काम करो जिससे प्रकट हो कि तुम पापों से विमुख हो गए थे” इस रूपक में मनुष्य के आचरण की तुलना फलों से की गई है। जिस प्रकार वृक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने फल उत्पन्न करे, उसी प्रकार मनुष्य जो पापों से विमुख होने का दावा करता है उससे अपेक्षा की जाती है कि वह धार्मिकता का जीवन जीये।

अपने-अपने मन में यह न सोचो

“अपने आपसे यह न कहो” या “मन में यह न कहो” या “मत सोचो”

हमारा पिता अब्राहम है

“अब्राहम हमारा पूर्वज है” या “हम अब्राहम की सन्तान हैं” यह स्पष्ट नहीं कि वे ऐसा क्यों सोचेंगे, आप सलंग्न जानकारी व्यक्त कर सकते हैं, “कि परमेश्वर हमें दण्ड न दे”।

Luke 3:9

x

(यूहन्ना जनसमूह से बातें कर रहा है)

कुल्हाडा पेड़ों की जड़ पर धरा है

कुल्हाडा पेड़ों की जड़ों पर धरा है -, इस रूपक का अर्थ है कि दण्ड का आरंभ होने वाला है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह ऐसा है कि कुल्हाडा पेड़ों की जड़ो पर प्रहार के लिए तैयार है” या “परमेश्वर उस मनुष्य के समान है जो पेड़ को काटकर गिराने क लिए कुल्हाड़ा उठा चुका है”।

जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता वह काटा जाता है।

यह कर्मवाच्य वाक्य है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “वह उस हर एक वृक्ष को काटकर गिरा देता है जो अच्छा फल नहीं लाता है।”

आग में झोंका जाता है

आग में झोंका जाता है - इसका अनुवाद कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसे आग में झोंकता है।”

Luke 3:10

उससे पूछा

“उससे प्रश्न किया” या “यूहन्ना से पूछा”

उसने उन्हें उत्तर दिया

“उनसे प्रत्युत्तर में कहा” या “उनसे कहा” या “कहा”

ऐसा ही करो

“इसी प्रकार करो” यहाँ इसका अनुवाद किया जा सकता है, “जिसके पास भोजन नहीं है उसे भोजन दो”।

Luke 3:12

बपतिस्मा लेने आए

“कि यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा दे”

उससे अधिक न लेना

“अधिक वसूली मत करो” या “निर्धारित से अधिक कर न लो” चुंगी लेने वाले यथार्थ चुंगी से अधिक वसूल करते थे। उन्हें अपने पाप त्याग के परिणामस्वरूप ऐसा करना था।

ठहराया गया है

“जितना तुम्हें अधिकार दिया गया है”

Luke 3:14

सिपाहियों

“सेना में सेवारत”

हमारे बारे में क्या? हम क्या करें?

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने लोगों को और चुंगी लेने वालो को तो बताया कि वे क्या करें परन्तु हम सैनिकों के बारे में क्या, हम क्या करें”? “हम” और “हमारे” में यूहन्ना नहीं आता है।

न झूठा दोष लगाना

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसी प्रकार किसी पर झूठा दोष लगाकर रिश्वत मत लो” या “किसी निर्दोष को अवैध काम का दोषी मत बनाओ” सैनिक झूठा दोष लगाकर रिश्वत लेते थे।

अपने वेतन पर सन्तोष करना

“अपने वेतन से सन्तुष्ट रहो” या “जो तुम्हें दिया जाता है उसी में सन्तोष करो”।

Luke 3:15

जब लोग

वही लोग जो यूहन्ना के पास आए थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्योंकि मनुष्य”।

मै तो तुम्हे पानी से बपतिस्मा देता हूँ

“मैं बपतिस्में के लिए पानी काम में लेता हूँ” या “मैं पानी के माध्यम से बपतिस्मा देता हूँ”

मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूं।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं तो उसके जूतों का बन्ध खोलने के लिए भी महत्त्व नहीं रखता”, जूतों का बन्ध खोलना दासों का काम होता था। यूहन्ना के कहने का तात्पर्य था कि वह ऐसा महान है कि यूहन्ना उसके लिए दास-योग्य भी नहीं।

जूतों

उनके जूते ऐसे होते थे जिनको बन्ध पांव को जूते से बांधते थे जैसे आज की सैंडल।

वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा

यह उपमा पानी के बपतिस्में की तुलना आत्मिक बपतिस्में से करते हैं जो मनुष्य को पवित्र-आत्मा और आग के संपर्क में लाता है।

Luke 3:17

x

(यूहन्ना मसीह के बारे में ही चर्चा कर रहा था।)

उसका सूप

इस रूपक द्वारा धर्मियों को अधर्मियों से चुन कर अलग करने की तुलना अन्न के दानों को भूसी से अलग करने के साथ की गई है। इसका अनुवाद उपमा रूप में किया जा सकता है कि संबन्ध को अधिक स्पष्ट व्यक्त किया जाए, “मसीह उस मनुष्य के सदृश्य है जिसके हाथ में ओसाई कांटा है”।

उसका सूप उसके हाथ में है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह ओसाई कांटा हाथ में लिए हुए है, क्योंकि वह तैयार है”।

सूप

यह मूल में ओसाई कांटा है जिसके द्वारा दांवनी किए हुए गेहूँ को हवा में उछाला जाता है, अन्न भारी होने के कारण नीचे गिरता है और भूसी हवा में उड़ जाती है।

खलिहान

यह वह स्थान है जहाँ किसान अन्न को भूसी से अलग करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसका स्थान” या “गेहूँ को भूसी से अलग करने का स्थान”।

गेहूँ को .... इकट्ठा करेगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तब वह अन्न एकत्र करेगा”

खत्ते

“कोठार” या “अनाज भण्डार” यहाँ अन्न को भावी उपयोग के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

भूसी को आग में .... डाल देगा

भूसी किसी काम की नहीं होती थी इसलिए लोग उसे जला देते थे।

Luke 3:18

बहुत सी शिक्षा

इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके प्रबल प्रबोधनों” या “यूहन्ना ने अनेक बार मनुष्यों को पाप त्याग का प्रोत्साहन देकर और...”

चौथाई देश का राजा हेरोदेस

“चौथाई क्षेत्र के राजा हेरोदेस को उसके पापों के बारे में बताया, हेरोदेस चौथाई प्रदेश का प्रशासक था, राजा नहीं। उसके हाथ में गलील का सीमित प्रशासन था।

उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी के विषय

“क्योंकि हेरोदेस ने अपने सगे भाई की पत्नी से विवाह किया था”।

यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया

“उसने अपने सैनिकों को आज्ञा देकर यूहन्ना को कारागार में डलवा दिया था।”

Luke 3:21

(अब ऐसा हुआ) जब

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया

“सब लोगों का अर्थ है, यूहन्ना के साथ उपस्थित सब जन। इसका अनुवाद हो सकता है, “जब यूहन्ना सबको बपतिस्मा दे रहा था”

यीशु भी बपतिस्मा लेकर

इसका अनुवाद हो सकता है, “यूहन्ना ने यीशु को भी बपतिस्मा दिया”

आकाश खुल गया

“आकाश खुल गया” या “आकाश खुला हो गया” यह बादलों के हटने से कहीं अधिक है परन्तु इसका अर्थ स्पष्ट नहीं है। इसका संभावित अर्थ होगा, कि आकाश में एक छेद दिखाई दिया।

पवित्र आत्मा .... उस पर उतरा

“पवित्र आत्मा यीशु पर उतरा”

कबूतर

कबूतर एक छोटा पक्षी होता है जिसे वे मन्दिर में बलि चढ़ाने या खाने के काम में लेते थे। यह कबूतर जैसा है

शारीरिक रूप में कबूतर के समान

“कबूतर के सदृश्य शारीरिक रूप में”

Luke 3:23

अब

यहाँ कहानी में परिवर्तन आता है। यीशु की आयु और उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि दी गई है। इसका समापन लूका 3:37 में होता है यदि आपकी भाषा में प्रावधान है कि अग्रिम भाग पृष्ठभूमि आधारित जानकारी है तो उसका उपयोग करें।

यीशु आप

“यह यीशु” या “यह व्यक्ति यीशु”

(जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र

“वह भी यूसुफ का पुत्र कहलाता था” या “उसे यूसुफ का पुत्र माना जाता था” लोगों की समझ में वह यूसुफ का पुत्र था”।

एली का(पुत्र)

कुछ अनुवादक यहाँ एक नया वाक्य आरंभ करना चाहेंगे, “यूसुफ एली का पुत्र था” या “एली यूसुफ का पिता था”।

वह एली का पुत्र और वह मतात का पत्र और वह लेवी का पुत्र

“का पुत्र” संलग्न जानकारी है। सलंग्न में मात्र यही लिखा है, “एली का .... वह मतात का और वह लेवी का.... इस सूची का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,” वह एली का पुत्र था, और वह मतात का पुत्र था, और वह लेवी का पुत्र था....” या “यूसुफ एली का पुत्र था, एली मतात का पुत्र था, मतात लेवी का पुत्र था” या “एली का पिता मतात, मतात का पिता लेवी....” इस बात का ध्यान रखें कि आपकी भाषा में पूर्वजों की सूची कैसे बनाई जाती है। आप संपूर्ण सूची में वही भाषा काम में लें।

Luke 3:25

x

(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है)

और वह मत्तियाह का, और वह आमोस का...

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह मत्तियाह का पुत्र था, और वह आमोस का पुत्र था ...” या “यूसुफ मत्तियाह का पुत्र और मत्तियाह आमोस का पुत्र था....” या "युसूफ का पिता मत्तियाह था, मत्तियाह का पिता आमोस..." शब्दावली वही काम में लें जो आपने पिछले पदों में काम में ली है।

Luke 3:27

x

(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है)

और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का ....

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वह यूहन्ना का पुत्र था, और वह रेसा का पुत्र था.... “ या “योदाह यूहन्ना का पुत्र था, यूहन्ना रेसा का पुत्र था...” या “योह का पिता यूहन्ना था, यूहन्ना का पिता रेसा था....” शब्दावली वही काम में ले जो पिछले पदों में काम में ली है।

Luke 3:30

x

(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है)

वह शमौन का और वह यहूदा का...

इसका अनुवाद हो सकता है, “वह शमौन का पुत्र था, और वह यहूदा का पुत्र था....” या “लेवी शमौन का पुत्र था, शमौन यहूदा का पुत्र था....” या “लेवी का पिता शमौन था, शमौन का पिता यहूदा था.....” शब्दावली वही काम में लें जो पिछले पदों में काम में ली है।

Luke 3:33

x

(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है)

और वह अम्मीनादाब का, और वह अरनी का....

इसका अनुवाद हो सकता है, “वह अम्मीनादाब का पुत्र था और वह अरनी का पुत्र था....” या “लेवी (नहशोन) अम्मीनादाब का पुत्र था, अम्मीनादाब अरनी का पुत्र था....” या “नहशोन का पिता अम्मीनादाब था, अम्मीनादाब का पिता अरनी था....” शब्दावली वही काम में ले जो पिछले पदों में काम में ली है।

Luke 3:36

x

(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है)

और वह कनान का, और वह अरफक्षद का...

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वह कनान का पुत्र था और वह अरफक्षद का पुत्र था....” या लेवी केनान का पुत्र था और केनान अरफक्षद का पुत्र था....” या “शिलह का पिता केनान या और केनान का पिता अरफक्षद था....” शब्दावली वही काम में लें जो पिछले पदों में काम में ली है।

आदम का और वह परमेश्वर का पुत्र था।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आदम परमेश्वर द्वारा सृजा गया था” या “आदम जो परमेश्वर से था” या “आदम, हम कह सकते हैं परमेश्वर का पुत्र था”।


Translation Questions

Luke 3:3

यरदन नदी के परिक्षेत्र में यूहन्ना क्या प्रचार करता था?

यूहन्ना पापों की क्षमा के लिए मन फिराव के बपतिस्में का प्रचार करता था।

Luke 3:4

यूहन्ना ने किसका मार्ग तैयार करने की चर्चा की?

यूहन्ना ने कहा कि वह प्रभु का मार्ग तैयार कर रहा था।

Luke 3:8

यूहन्ना ने उनसे कहा कि वे अब्राहम को पिता मानने पर गर्व न करें अपितु क्या करें?

यूहन्ना ने उससे कहा कि वे मन फिराने के योग्य फल लाएं।

Luke 3:9

यूहन्ना ने अच्छे फल न लानेवाले वृक्ष के लिए क्या कहा था?

यूहन्ना ने कहा कि वह काटकर आग में डाल दिया जाता है।

Luke 3:13

यूहन्ना ने चुंगी लेने वालों से क्या कहा कि उन्हें अपने सच्चे मन फिराव को दिखाने के लिए क्या करना चाहिए?

यूहन्ना ने कहा कि उन्हें वास्तविक राशी से अधिक कर नहीं लेना चाहिए।

Luke 3:16

यूहन्ना ने कहा कि वह तो पानी से बपतिस्मा देता है परन्तु आनेवाला कैसे बपतिस्मा देगा?

यूहन्ना ने कहा कि कोई आ रहा है, वह पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।

Luke 3:19

यूहन्ना ने हेरोदेस को क्यों झिड़का था?

यूहन्ना ने हेरोदेस को झिड़का क्योंकि उसने अपने भाई की पत्नी से विवाह किया था और अनेक दुष्कर्म किये थे।

Luke 3:20

यूहन्ना को बन्दीगृह में किसने डलवाया था?

हेरोदेस ने यूहन्ना को बन्दीगृह में डलवा दिया था।

Luke 3:21

यूहन्ना से बपतिस्मा लेते ही यीशु के साथ क्या हुआ?

यीशु जब यूहन्ना से बपतिस्मा ले चुका तब आकाश खुल गया और पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में उस पर उतरा।

Luke 3:22

आकाशवाणी में क्या कहा गया था?

आकाशवाणी में कहा गया, "तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझसे प्रसन्न हूं"।

Luke 3:23

जब यीशु ने प्रचार करना आरंभ किया तब वह लगभग कितने वर्ष का था?

यीशु लगभग तीस वर्ष का था जब उसने प्रचार करना आरंभ किया।


Chapter 4

1 फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा; और आत्मा की अगुआई से जंगल में फिरता रहा; 2 और चालीस दिन तक शैतान उसकी परीक्षा करता रहा*। उन दिनों में उसने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। 3 और शैतान ने उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए।” 4 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है: ‘मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा’।” (व्य. 8:3) 5 तब शैतान उसे ले गया और उसको पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। 6 और उससे कहा, “मैं यह सब अधिकार, और इनका वैभव तुझे दूँगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है, और जिसे चाहता हूँ, उसे दे सकता हूँ। 7 इसलिए, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।” 8 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है: ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर’।” (व्य. 6:13-14) 9 तब उसने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहाँ से नीचे गिरा दे। 10 क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें’ 11 और ‘वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पाँव में पत्थर से ठेस लगे’।” (भज. 91:11,12) 12 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “यह भी कहा गया है: ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर की परीक्षा न करना’।” (व्य. 6:16) 13 जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया*।

14 फिर यीशु आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ, गलील को लौटा, और उसकी चर्चा आस-पास के सारे देश में फैल गई। 15 और वह उन ही आराधनालयों में उपदेश करता रहा, और सब उसकी बड़ाई करते थे।।

16 और वह नासरत में आया; जहाँ उसका पालन-पोषण हुआ था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। 17 यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक* उसे दी गई, और उसने पुस्तक खोलकर, वह जगह निकाली जहाँ यह लिखा था :

    18 “प्रभु का आत्मा मुझ पर है,

     इसलिए कि उसने कंगालों को सुसमाचार

     सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है,

     और मुझे इसलिए भेजा है, कि बन्धुओं

     को छुटकारे का

     और अंधों को दृष्टि

     पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और

     कुचले हुओं को छुड़ाऊँ, (यशा. 58:6, यशा. 61:1,2)

    19 और प्रभु के प्रसन्‍न रहने के वर्ष* का प्रचार करूँ।”

20 तब उसने पुस्तक बन्द करके सेवक के हाथ में दे दी, और बैठ गया: और आराधनालय के सब लोगों की आँखें उस पर लगी थी। 21 तब वह उनसे कहने लगा, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है।” 22 और सब ने उसे सराहा, और जो अनुग्रह की बातें उसके मुँह से निकलती थीं, उनसे अचम्भित हुए; और कहने लगे, “क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं?” (लूका 2:42, भज. 45:2) 23 उसने उनसे कहा, “तुम मुझ पर यह कहावत अवश्य कहोगे, ‘कि हे वैद्य, अपने आप को अच्छा कर! जो कुछ हमने सुना है कि कफरनहूम में तूने किया है उसे यहाँ अपने देश में भी कर’।” 24 और उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कोई भविष्यद्वक्ता अपने देश में मान-सम्मान नहीं पाता। 25 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि एलिय्याह के दिनों में जब साढ़े तीन वर्ष तक आकाश बन्द रहा, यहाँ तक कि सारे देश में बड़ा आकाल पड़ा, तो इस्राएल में बहुत सी विधवाएँ थीं। (1 राजा. 17:1, 1 राजा. 18:1) 26 पर एलिय्याह को उनमें से किसी के पास नहीं भेजा गया, केवल सैदा के सारफत में एक विधवा के पास। (1 राजा. 17:9) 27 और एलीशा भविष्यद्वक्ता के समय इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे, पर सीरिया वासी नामान को छोड़ उनमें से काई शुद्ध नहीं किया गया।” (2 राजा. 5:1-14) 28 ये बातें सुनते ही जितने आराधनालय में थे, सब क्रोध से भर गए। 29 और उठकर उसे नगर से बाहर निकाला, और जिस पहाड़ पर उनका नगर बसा हुआ था, उसकी चोटी पर ले चले, कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें। 30 पर वह उनके बीच में से निकलकर चला गया।।

31 फिर वह गलील के कफरनहूम नगर में गया, और सब्त के दिन लोगों को उपदेश दे रहा था। 32 वे उसके उपदेश से चकित हो गए क्योंकि उसका वचन अधिकार सहित था। 33 आराधनालय में एक मनुष्य था, जिसमें अशुद्ध आत्मा थी। 34 वह ऊँचे शब्द से चिल्ला उठा, “हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ तू कौन है? तू परमेश्‍वर का पवित्र जन है!” 35 यीशु ने उसे डाँटकर कहा, “चुप रह और उसमें से निकल जा!” तब दुष्टात्मा उसे बीच में पटककर बिना हानि पहुँचाए उसमें से निकल गई। 36 इस पर सब को अचम्भा हुआ, और वे आपस में बातें करके कहने लगे, “यह कैसा वचन है? कि वह अधिकार और सामर्थ्य के साथ अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देता है, और वे निकल जाती हैं।” 37 अतः चारों ओर हर जगह उसकी चर्चा होने लगी।

38 वह आराधनालय में से उठकर शमौन के घर में गया और शमौन की सास को तेज बुखार था, और उन्होंने उसके लिये उससे विनती की। 39 उसने उसके निकट खड़े होकर ज्वर को डाँटा और ज्वर उतर गया और वह तुरन्त उठकर उनकी सेवा-टहल करने लगी। 40 सूरज डूबते समय जिन-जिनके यहाँ लोग नाना प्रकार की बीमारियों में पड़े हुए थे, वे सब उन्हें उसके पास ले आएँ, और उसने एक-एक पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया। 41 और दुष्टात्मा चिल्लाती और यह कहती हुई, “तू परमेश्‍वर का पुत्र है,” बहुतों में से निकल गई पर वह उन्हें डाँटता और बोलने नहीं देता था, क्योंकि वे जानती थी, कि यह मसीह है।

42 जब दिन हुआ तो वह निकलकर एक एकांत स्थान में गया, और बड़ी भीड़ उसे ढूँढ़ती हुई उसके पास आई, और उसे रोकने लगी, कि हमारे पास से न जा। 43 परन्तु उसने उनसे कहा, “मुझे और नगरों में भी परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना अवश्य है, क्योंकि मैं इसलिए भेजा गया हूँ।” 44 और वह गलील के आराधनालयों में प्रचार करता रहा।



Luke 4:1

फिर

अर्थात यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा देने के बाद। इसका अनुवाद हो सकता है, “फिर जब यीशु का बपतिस्मा हो गया”।

आत्मा के सिखाने में

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “आत्मा उसे ले गया”

शैतान उसकी परीक्षा करता रहा।

इसका अनुवाद हो सकता है, “शैतान ने परमेश्वर की आज्ञा न मानने के लिए उसे परखा”। स्पष्ट नहीं है कि संपूर्ण समय शैतान उसकी परीक्षा ले रहा था या केवल समय के अन्त में उसकी परीक्षा ली। इसका भी अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। “वहां शैतान ने उसकी परीक्षा ली”।

उसने कुछ न खाया

“उसने” अर्थात यीशु ने।

Luke 4:3

यदि परमेश्वर का पुत्र है

शैतान संभव है कि यीशु को चुनौती दे रहा था कि वह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र सिद्ध करके दिखाए।

इस पत्थर

शैतान या तो पत्थर हाथ में लिए हुए था या निकट में पड़े एक पत्थर की ओर संकेत कर रहा था।

लिखा है

“धर्मशास्त्र में लिखा है” या “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा है” यह उद्धरण व्यवस्थाविवरण की पुस्तक से है। .

मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।

इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य केवल रोटी ही से जीवित नहीं रहता है” या “मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन मात्र की ही आवश्यकता नहीं है”। रोटी का अर्थ है भोजन। मुख्य बात यह है कि भोजन ही जीवन नही है कि मनुष्य का पोषण हो। मनुष्य को परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है। यीशु धर्मशास्त्र के उद्धरण द्वारा कह रहा था कि वह पत्थर को रोटी क्यों नहीं बनाएगा।

Luke 4:5

उसे ले गया

“एक ऊंचे पर्वत पर ले गया”

पल भर में

“पलक झपकते ही” या “तत्काल ही”

इसलिए

“अतः”

यदि तू मुझे प्रणाम करे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तू मेरे सामने घुटने टेके” या “यदि तू झुक कर मेरी उपासना करे” या “यदि तू मुझे दण्डवत करके मेरी उपासना करे”।

यह सब तेरा हो जायेगा

इसका अनुवाद हो सकता है,“मैं यह संपूर्ण साम्राज्य तुझे दे दूंगा”।

Luke 4:8

यीशु ने उसे उत्तर दिया

“प्रतिक्रिया में कहा” या “उसकी बात काटते हुए कहा”

लिखा है

इसका अनुवाद ऐसा हो सकता है, “धर्मशास्त्र में लिखा है।” या “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा है” यीशु व्यवस्थाविवरण की पुस्तक से उद्धरण प्रस्तुत कर रहा है।

तू अपने प्रभु परमेश्वर को प्रणाम कर

यीशु धर्मशास्त्र को एक विधान का संदर्भ दे रहा है, जो उसके लिए शैतान की उपासना न करने का कारण है।

तुम

तू अर्थात पुराने नियम के लोग जिन्हें परमेश्वर का विधि-विधान दिया गया था। आप “तू” को एकवचन में काम में लें क्योंकि विधान का पालन करना प्रत्येक जन के लिए अनिवार्य था।

उसी की

उसे अर्थात प्रभु परमेश्वर की

Luke 4:9

कंगूरे पर

यह मन्दिर की छत का कोना था यदि कोई वहां से गिरा या कूदा तो गंभीर रूप से घायल हो जाता या मर जाता।

यदि परमेश्वर का पुत्र है

शैतान संभव है कि यीशु को चुनौती दे रहा था कि वह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र सिद्ध करके दिखाए।

यहाँ से नीचे गिरा दे

यहाँ से नीचे गिरा दे - “नीचे कूद जा”

लिखा है

इसका अनुवाद होगा, “धर्मशास्त्र में लिखा है” या “धर्मशास्त्र क्या है” या “परमेश्वर ने धर्मशास्त्र में कहा है” शैतान ने भजनसंहिता का आधा ही उद्धरण दिया था कि यीशु को कूदने पर विवश करे।

वह .... आज्ञा देगा

"वह" अर्थात परमेश्वर

Luke 4:12

यह भी कहा गया है

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “धर्मशास्त्र कहता है”, या “लिखा है” यीशु व्यवस्थाविवरण की पुस्तक का उद्धरण दे रहा था।

तू अपने प्रभु परमेश्वर की परीक्षा न करना।

इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने प्रभु परमेश्वर को नहीं परखना” यीशु ने धर्मशास्त्र के संदर्भ से स्पष्ट कर दिया कि वह परमेश्वर को परखेगा नहीं कि नीचे कूद जाए। यह आज्ञा परमेश्वर के लोगों के लिए है।

कुछ समय के लिए

“किसी और अवसर तक के लिए”

Luke 4:14

आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ

आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और आत्मा उसे सामर्थ्य प्रदान कर रहा था” परमेश्वर विशेष रूप में यीशु के साथ था और उसे ऐसे काम करने में समर्थ कर रहा था जो मनुष्य नहीं कर सकता था।

उसकी चर्चा आसपास के सारे देश में फैल गई

इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्यों ने यीशु की चर्चा चारों ओर की” या “लोगों ने सबको यीशु के बारे में बता दिया” या “उसकी जानकारी मनुष्य से मनुष्य को मिल गई” जिन्होंने यीशु की बातें सुनी उन्होंने दूसरों को उसके बारे में बताया और उन लोगों ने औरों को बताया।

आसपास के सारे देश में

गलील के परिक्षेत्र में सब स्थानों में

सब उसकी बड़ाई करते थे।

“सब उसके बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते थे” या “सब उसके बारे में प्रशंसा करते थे”।

Luke 4:16

जहाँ पाला पोसा गया था

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जहाँ उसके माता-पिता ने उसका पालन पोषण किया था” या “जहाँ वह बड़ा हुआ था” या “जहाँ उसका बाल्यकाल बीता था”।

अपनी रीति के अनुसार

“जैसा वह सामान्यतः करता था” सब्त के दिन आराधनालय में जाना उसका अभ्यास था।

यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गई।

उसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “किसी ने उसे यशायाह की पुस्तक दी”

यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक

यशायाह ने वर्षों पूर्व अपनी भविष्यद्वाणियां लिखी थी जिनकी नकल कुंडलीग्रन्थ में की गई थी। अत: यह उक्ति उसी पुस्तक के सन्दर्भ में है।

वह जगह निकली जहाँ यह लिखा था।

“उस कुंडलीग्रन्थ में वह स्थान जहाँ लिखा था” या “कुडलीग्रन्थ में जहाँ ये शब्द लिखे थे”

Luke 4:18

x

(यीशु ने यशायाह की पुस्तक से पढ़ा )

प्रभु का आत्मा मुझ पर है

“परमेश्वर विशेष रूप में मेरे साथ है” किसी के द्वारा ऐसा कहने का अर्थ है कि परमेश्वर के वचनों का कहने का दावा करना।

बन्दियों को छुटकारे का

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बन्दी मनुष्यों को मुक्ति का सन्देश सुनाने के लिए” या “युद्ध बंदियों को मुक्त कराने के लिए”

अन्धों को दृष्टि पाने का

“घोषणा करने के लिए कि अन्धे देखेंगे” या “अन्धों को दृष्टिदान करने के लिए” या “अन्धों को देखने योग्य बनाने के लिए”

कुचले हुओं को छुड़ाया

“अत्याचार सहनेवालों को मुक्ति दिलाने के लिए”

परमेश्वर के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं

इसका अनुवाद हो सकता है, “यह घोषणा करूं कि यही वह वर्ष है, जब परमेश्वर अपनी दया प्रकट करेगा” या “सबको बताऊं, कि परमेश्वर लोगों को आशिष देने के लिए तैयार है”।

Luke 4:20

तब उसने पुस्तक बन्द करके

“तब यीशु ने कुंडलीग्रन्थ लपेट दिया”

सेवक

आराधनालयों में ऐसे सेवक होते थे, जो सुनिश्चित करते थे कि धर्मशास्त्र आदि पवित्र वस्तुओं को उचित देखरेख में रखा जाए।

सब लोगों की आंखें उस पर लगी थी।

“वे अपेक्षा से उसे देख रहे थे” या “उसे निहार रहे थे”

आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है।

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “धर्मशास्त्र में जो भविष्यद्वाणी की गई है वह आज तुम्हारे सुनते-सुनते पूरी हो गई है। यीशु के कहने का अर्थ था कि वह अपने कामों तथा वचनों के द्वारा उस समय ही इस भविष्यद्वाणी को पूरा कर रहा था।

अनुग्रह की बातें उसके मुंह से निकली थी, उनसे अचम्भा किया

“उसकी अच्छी-अच्छी बातें सुनकर वे चकित थे”

क्या यह यूसुफ का पत्र नहीं?

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह यूसुफ का ही तो पुत्र है”। या “यह उस यूसुफ का पुत्र नहीं है क्या? या “इसका पिता यूसुफ ही तो है”। वे उसे मानवीय स्तर पर आंक रहे थे कि वह एक साधारण मनुष्य यूसुफ का पुत्र है। यूसुफ एक धर्मगुरू नहीं या अतः वे आश्चर्य कर रहे थे कि उसका पुत्र ऐसा वचन सुना सकता है ।

Luke 4:23

यहाँ अपने देश में

अर्थात नासरत में, उसके अधिवास में

भविष्यद्वक्ता अपने देश में सम्मान नहीं पाता है

यीशु उन पर कटाक्ष कर रहा था, क्योंकि उन्होंने उसे अपने साथ का एक साधारण मनुष्य समझ कर विश्वास नहीं किया था।

अपने देश में

इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने नगर में” या “अपने गांव में”

Luke 4:25

x

(यीशु आराधनालय में उपासकों से बातें कर रहा है)

मैं तुमसे सच कहता हूँ

“मैं तुमसे यथातथ कहता हूँ” इस उक्ति का उपयोग कथा के महत्त्व, सत्य और यार्थता पर बल देने के लिये किया गया था।

विधवाएं

जिस स्त्री का पति मर गया तो वह विधवा कहलाती थी

एलिय्याह के दिनों में

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब एलिय्याह इस्राएल में भविष्यद्वक्ता रूप में सेवा कर रहा था”, यीशु के श्रोता जानते थे कि एलिय्याह परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता था। यदि आपके पाठकों को एलिय्याह के बारे में समझ नहीं है तो इस अभिप्रेत जानकारी को स्पष्ट करे। जैसा कि यू.डी.बी. में किया गया है।

आकाश बन्द रहा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब आकाश से वर्षा नहीं हुई थी” या “जब वर्षा नहीं हुई थी” यह एक रूपक है जिसका अर्थ है कि आकाश बन्द कर दिया गया था और वर्षा का जल ऊपर रोक दिया गया था कि पृथ्वी पर न आए।

बड़ा अकाल पड़ा

“जब भोजन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई थी” या “मनुष्य के पास खाने को भोजन नहीं था अकाल का अर्थ है फसल नष्ट हो जाना या फसल नहीं आना, जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य को भोजन की घटी हो जाती है।

सारफत में एक विधवा

सारफत नगर के लोग यहूदी नहीं थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, सारफल नगर की एक गैरयहूदी विधवा (यीशु के श्रोता जानते थे कि सारफल निवासी यहूदी नहीं थे।)

सीरियावासी नामान

सीरियावासी अर्थात सीरिया देश का नागरिक। सीरिया के नागरिक भी यहूदी नहीं थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सीरिया देश का नामान नामक एक गैर यहूदी”

Luke 4:28

उसे नगर से बाहर निकाला।

अनुवाद हो सकता है, “उसे नगर छोड़ने पर विवश किया”

चोटी पर

“चट्टान के सिरे पर”

उनके बीच में से

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “उनके मध्य से” या “जो उसे मार डालना चाहते थे उनके बीच में से”। इसका अर्थ है कि उसे कोई रोक नहीं पाया।

चला गया

“कूच कर गया” यीशु जहाँ जाना चाहता था, वहां चला गया, न कि वहां गया जहाँ वे उसे बलपूर्वक ले जाना चाहते थे।

Luke 4:31

कफरनहूम को गया

कफरनहूम नासरत से नीचे है अतः यीशु पहाड़ पर से उतर कर कफरनहूम आ गया।

गलील के कफरनूहम

यीशु गलील क्षेत्र ही में था। अतः यहाँ अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “गलील के दूसरे नगर कफरनूहम”

चकित हो गए

“आश्चर्यचकित थे” या “प्रभावित हुए”

उसका वचन अधिकार सहित था

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके वचन में एक अधिकार प्रगट होता था” या “वह अधिकार के साथ कहता था”।

Luke 4:33

जिनमें अशुद्ध आत्मा थी

“जो अशुद्ध आत्मा के वश में थे”

वह ऊंचे स्वर से चिल्ला उठा

“वह चिल्लाया” कुछ भाषाओं में इसके लिए मुहावरा भी है जैसे “दिल दहलाने वाली आवाज निकली”।

हमें तुझसे क्या काम

इसका अनुवाद हो सकता है, “हममें क्या मेल”? या “हमें तुमसे कुछ नहीं लेना देना” यह एक झगड़ालू प्रतिक्रिया है जिसका अर्थ है, “हमें परेशान करने का तुझे अधिकार नहीं है”

Luke 4:35

यीशु ने उसे डांटकर कहा

“यीशु ने उस दुष्टात्मा को झिड़कर कर कहा” या “यीशु ने उसे कठोर आज्ञा दी”

इसमें से निकल जा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे अकेला छोड़ दे” या “उसे परेशान करना छोड़ दे”।

यह कैसा वचन है?

यह आलंकारिक प्रश्न है। लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे कि यीशु के पास दुष्टात्मा को निकल जाने की आज्ञा देने का अधिकार है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह वचन आश्चर्यजनक है” या “उसका आदेश विस्मयकारी है”।

“वह अधिकार और सामर्थ्य के साथ अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देता है।

“उसके पास अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देने का अधिकार एवं सामर्थ्य है”।

चारों ओर, हर जगह उसकी चर्चा होने लगी

“यीशु का समाचार चारों और फैल गया” या “लोगों ने सर्वत्र उसकी चर्चा की”

Luke 4:38

ज्वर चढ़ा हुआ था

कुछ भाषाओं में कहा जाता है, “उसका शरीर तप रहा था”।

शमौन की सास

“शमौन की पत्नी की माता”

ज्वर को डांटा

“बुखार को कठोर आज्ञा दी” या “बुखार को उतर जाने की आज्ञा दी” (यू.डी.बी.) इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “आज्ञा दी कि उसके शरीर का ताप सामान्य हो जाए”, या “रोग को शरीर त्याग की आज्ञा दी”।

Luke 4:40

चिल्लाती

“ऊंचे स्वर में” या “ऊंची आवाज में”

वह उन्हें डांटता

“यह दुष्टात्माओं से कठोरता से कहता”

बोलने नहीं देता था

“उन्हें अनुमति नहीं देता था”

Luke 4:42

जब दिन हुआ

“सूर्योदय के समय” या “भोर के समय”

सुनसान जगह

“निर्जन स्थान में” या “जहाँ कोई नहीं रहता था” या “जहाँ मनुष्यों का आना जाना नहीं था”

अन्य नगरों में भी

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “अन्य नगरों में अनेक लोगों को”

मैं इसी लिए भेजा गया हूँ

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मुझे परमेश्वर ने इसी लिए भेजा है”


Translation Questions

Luke 4:1

यीशु को जंगल में कौन ले गया?

पवित्र आत्मा यीशु को लेकर जंगल में गया।

Luke 4:2

जंगल में शैतान ने यीशु की कितने दिन परीक्षा ली?

जंगल में चालीस दिन एक शैतान ने यीशु की परीक्षा ली।

Luke 4:3

शैतान ने यीशु को पत्थरों के साथ क्या करने की चुनौती दी?

शैतान ने यीशु से कहा कि वह पत्थरों को रोटी बना दे।

Luke 4:4

यीशु ने शैतान को क्या उत्तर दिया?

मनुष्य केवल रोटी से ही जीवित नहीं रहेगा।

Luke 4:5

उस ऊंचे स्थान पर से शैतान ने यीशु को क्या दिखाया?

शैतान ने यीशु को संसार का संपूर्ण राज्य दिखाया।

Luke 4:7

शैतान यीशु से क्या करवाना चाहता था?

शैतान चाहता था कि यीशु झुककर उसकी उपासना करे।

Luke 4:8

यीशु ने शैतान को क्या उत्तर दिया?

तू अपने प्रभु परमेश्वर ही की उपासना कर और उसी की सेवा करना।

Luke 4:9

जब शैतान यीशु को मन्दिर के कंगूरे पर ले गया तब उसने यीशु से क्या कहा?

उसने यीशु से कहा कि वह नीचे कूद जाए।

Luke 4:12

यीशु ने शैतान को क्या उत्तर दिया?

तू अपने प्रभु परमेश्वर की परीक्षा न करना।

Luke 4:13

यीशु ने मन्दिर से कूदने के लिए इन्कार किया तो शैतान ने क्या किया?

शैतान कुछ समय के लिए यीशु को छोड़कर चला गया।

Luke 4:17

आराधनालय में यीशु ने धर्मशास्त्र की किस पुस्तक से पढ़ा था?

यीशु ने यशायाह की पुस्तक से पढ़ा।

Luke 4:21

यीशु के अनुसार उस दिन क्या पूरा हुआ था?

यीशु ने कहा कि उसने यशायाह की पुस्तक से जो पढ़ा है वह उसी दिन पूरा हुआ।

Luke 4:24

यीशु ने भविष्यद्वक्ता का उसके देश में कैसे व्यवहार की चर्चा की?

यीशु ने कहा कि अपने देश में किसी भविष्यद्वक्ता को सम्मान नहीं मिलता है।

Luke 4:26

आराधनालय में यीशु ने लोगों को जो सबसे पहला उदाहरण दिया था उसमें परमेश्वर ने किस की सहायता के लिए एलिय्याह को कहाँ भेजा था?

परमेश्वर ने एलिय्याह को सैदा के सारफत में एक विधवा के पास भेजा था।

Luke 4:27

आराधनालय में यीशु ने जो दूसरा उदाहरण दिया था उसमें एलीशा के द्वारा परमेश्वर ने किस देश के मनुष्य की सहायता करवाई थी?

परमेश्वर ने एलीशा द्वारा सीरिया के नामान की सहायता की थी।

Luke 4:28

यीशु से ये उदाहरण सुनकर आराधनालय में एकत्र लोग क्या करना चाहते थे?

वे क्रोध से भर गए और उसे पहाड़ की चोटी पर से नीचे गिराना चाहते थे।

Luke 4:30

यीशु ने आराधनालय में उपस्थित लोगों से बचने के लिए क्या किया?

यीशु उनके मध्य से होकर चला गया।

Luke 4:34

आराधनालय में उस मनुष्य के मुख से दुष्टात्मा ने क्या कहा कि वह यीशु के बारे में जानता है?

दुष्टात्मा ने कहा कि वह जानता है कि यीशु परमेश्वर का पवित्र जन है।

Luke 4:36

यीशु ने जब दुष्टात्मा को निकाला तो लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?

लोग आश्चर्यचकित होकर आपस में बातें करने लगे।

Luke 4:40

यीशु ने उन रोगियों के साथ क्या किया जो उसके पास लाए गए थे?

यीशु ने उनमें से हर एक पर हाथ रखा और उन्हें चंगा किया।

Luke 4:41

निकाले जाने पर दुष्टात्मा क्या कहते थे और यीशु उन्हें बोलने क्यों नहीं देता था?

दुष्टात्मा कहते थे कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है और यीशु उन्हें बोलने नहीं देता था क्योंकि वे जानते थे कि वह मसीह है।

Luke 4:43

यीशु ने अपने भेजे जाने का क्या कारण बताया?

यीशु ने कहा कि वह परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार अनेक अन्य नगरों में सुनाने के लिए भेजा गया है।


Chapter 5

1 जब भीड़ उस पर गिरी पड़ती थी, और परमेश्‍वर का वचन सुनती थी, और वह गन्नेसरत की झील* के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ। 2 कि उसने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछवे उन पर से उतरकर जाल धो रहे थे। 3 उन नावों में से एक पर, जो शमौन की थी, चढ़कर, उसने उससे विनती की, कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले, तब वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा। 4 जब वह बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, “गहरे में ले चल, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।” 5 शमौन ने उसको उत्तर दिया, “हे स्वामी, हमने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा; तो भी तेरे कहने से जाल डालूँगा।” 6 जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे। 7 इस पर उन्होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करो: और उन्होंने आकर, दोनों नाव यहाँ तक भर लीं कि वे डूबने लगीं। 8 यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पाँवों पर गिरा, और कहा, “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ!” 9 क्योंकि इतनी मछलियों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ; 10 और वैसे ही जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ तब यीशु ने शमौन से कहा, “मत डर, अब से तू मनुष्यों को जीविता पकड़ा करेगा।” 11 और वे नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

12 जब वह किसी नगर में था, तो वहाँ कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य आया, और वह यीशु को देखकर मुँह के बल गिरा, और विनती की, “हे प्रभु यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” 13 उसने हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।” और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा। 14 तब उसने उसे चिताया, “किसी से न कह, परन्तु जा के अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा कि उन पर गवाही हो।” (लैव्य. 14:2-32) 15 परन्तु उसकी चर्चा और भी फैलती गई, और बड़ी भीड़ उसकी सुनने के लिये और अपनी बीमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई। 16 परन्तु वह निर्जन स्थानों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था।

17 और एक दिन ऐसा हुआ कि वह उपदेश दे रहा था, और फरीसी और व्यवस्थापक वहाँ बैठे हुए थे, जो गलील और यहूदिया के हर एक गाँव से, और यरूशलेम से आए थे; और चंगा करने के लिये प्रभु की सामर्थ्य उसके साथ थी। 18 और देखो कई लोग एक मनुष्य को जो लकवे का रोगी था, खाट पर लाए, और वे उसे भीतर ले जाने और यीशु के सामने रखने का उपाय ढूँढ़ रहे थे। 19 और जब भीड़ के कारण उसे भीतर न ले जा सके तो उन्होंने छत पर चढ़कर और खपरैल हटाकर, उसे खाट समेत बीच में यीशु के सामने उतार दिया। 20 उसने उनका विश्वास देखकर उससे कहा, “हे मनुष्य, तेरे पाप क्षमा हुए।” 21 तब शास्त्री और फरीसी विवाद करने लगे, “यह कौन है, जो परमेश्‍वर की निन्दा करता है? परमेश्‍वर को छोड़ कौन पापों की क्षमा कर सकता है?” 22 यीशु ने उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “तुम अपने मनों में क्या विवाद कर रहे हो? 23 सहज क्या है? क्या यह कहना, कि ‘तेरे पाप क्षमा हुए,’ या यह कहना कि ‘उठ और चल फिर?’ 24 परन्तु इसलिए कि तुम जानो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” उसने उस लकवे के रोगी से कहा, “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ और अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” 25 वह तुरन्त उनके सामने उठा, और जिस पर वह पड़ा था उसे उठाकर, परमेश्‍वर की बड़ाई करता हुआ अपने घर चला गया। 26 तब सब चकित हुए और परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगे, और बहुत डरकर कहने लगे, “आज हमने अनोखी बातें देखी हैं।”

27 और इसके बाद वह बाहर गया, और लेवी नाम एक चुंगी लेनेवाले को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” 28 तब वह सब कुछ छोड़कर उठा, और उसके पीछे हो लिया।

29 और लेवी ने अपने घर में उसके लिये एक बड़ा भोज* दिया; और चुंगी लेनेवालों की और अन्य लोगों की जो उसके साथ भोजन करने बैठे थे एक बड़ी भीड़ थी। 30 और फरीसी और उनके शास्त्री उसके चेलों से यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, “तुम चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”

31 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “वैद्य भले चंगों के लिये नहीं, परन्तु बीमारों के लिये अवश्य है। 32 मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूँ।” 33 और उन्होंने उससे कहा, “यूहन्ना के चेले तो बराबर उपवास रखते और प्रार्थना किया करते हैं, और वैसे ही फरीसियों के भी, परन्तु तेरे चेले तो खाते-पीते हैं।” 34 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम बारातियों से जब तक दूल्हा उनके साथ रहे, उपवास करवा सकते हो? 35 परन्तु वे दिन आएँगे, जिनमें दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, तब वे उन दिनों में उपवास करेंगे।” 36 उसने एक और दृष्टान्त* भी उनसे कहा: “कोई मनुष्य नये वस्त्र में से फाड़कर पुराने वस्त्र में पैबन्द नहीं लगाता, नहीं तो नया फट जाएगा और वह पैबन्द पुराने में मेल भी नहीं खाएगा। 37 और कोई नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरता, नहीं तो नया दाखरस मशकों को फाड़कर बह जाएगा, और मशकें भी नाश हो जाएँगी। 38 परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरना चाहिये। 39 कोई मनुष्य पुराना दाखरस पीकर नया नहीं चाहता क्योंकि वह कहता है, कि पुराना ही अच्छा है।”



Luke 5:1

तो ऐसा हुआ

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

जाल धो रहे थे

वे अपने जाल धो रहे थे कि मछली पकड़ने के लिए फिर से डालें।

किनारे से थोड़ा हटा ले

“पतरस से कहा कि नाव को झील में थोड़ा अन्दर कर ले”।

वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा।

बैठकर उपदेश देना गुरू की उचित मुद्रा थी।

नाव पर से उपदेश देने लगा

“नाव में बैठकर लोगों को उपदेश दे रहा था” यीशु जिस नाव में बैठा था वह किनारे से कुछ ही दूर थी और जनसमूह किनारे पर खड़ा था।

Luke 5:4

जब वह बातें कर चुका,

“मनुष्यों को शिक्षा देने के बाद”

हे स्वामी

यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी”

तेरे कहने से

“तू कहता है तो” या “तेरी बात रखने के लिए”

संकेत किया

वे बहुत दूर थे अतः हाथ हिलाकर अन्य मछुवो को संकेत दिया कि नावें लाएं।

डूबने लगी

“नावें डूबने लगी” यदि समझने में कठिनाई हो तो सलंग्न जानकारी व्यक्त करें, “मछलियों के बोझ के कारण नावें डूबने लगी थी।

Luke 5:8

यीशु के पांवों पर गिरा

इसके संभावित अर्थ हैं (1) यीशु के चरणों में झुका” या (2) यीशु के चरणों में लेट गया या (3) “यीशु के सामने घुटने टेक दिए”। पतरस गिर नहीं गया था वह दीन होकर यीशु का सम्मान कर रहा था।

मैं पापी मनुष्य हूँ

यहाँ “मनुष्य” का अर्थ है, “वयस्क” न कि सामान्य मनुष्य।

मनुष्यों को जीवता पकड़ेगा।

यहाँ “पकड़ेगा” एक रूपक है जिसका अर्थ है मसीह के लिए मनुष्यों को प्रेरित करेगा। इसका अनुवाद भी रूपक द्वारा ही किया जा सकता है, “मनुष्यों का मछुवा” या रूपक रहित अनुवाद होगा, “तू मनुष्यों को एकत्र करेगा” या “तू मनुष्यों को लेकर आयेगा”।

Luke 5:12

कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था

यहाँ कहानी में एक नया मनुष्य आता है। आपकी भाषा में इसकी अभिव्यक्ति हो सकती है। "एक सर्वांग कोढ़ी वहां था।"

मुंह के बल गिरा

“उसने साष्टांग प्रणाम किया” (यू.डी.बी.) या “घुटने टेक कर भूमि पर माथा टेका”

विनती की

“उससे भीख मांगी” या “याचना की”(यू.डी.बी.)

यदि तू चाहे

“यदि तेरी इच्छा हो”

Luke 5:14

किसी से न कह

यहाँ सलंग्न जानकारी है, तू रोगमुक्त हो गया है अपने शुद्ध होने के विषय में .....चढ़ावा.... चढ़ा.

शोधन की बलि चढ़ा

यहूदी विधान के अनुसार कोढ़ी को शुद्ध होने पर विशेष बलि चढ़ाना होती थी कि वह सांसारिक रूप से शुद्ध माना जाए और धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागी हो पाए।

उन पर गवाही हो

“याजकों के लिए गवाही” या “याजक जान ले कि तू सच में शुद्ध हो गया है। मन्दिर में याजक इस तथ्य से अभिज्ञ होगा कि यीशु ने कोढ़ी को रोग मुक्त किया है।

Luke 5:15

उसकी चर्चा

“यीशु का समाचार” इसका अर्थ है, “उस कोढ़ी की रोग मुक्ति का समाचार” या “यीशु द्वारा रोगियों के निरोगीकरण का समाचार”

और भी फैलती गई

“उसका समाचार दूर-दूर तक फैल गया” या “मनुष्य विभिन्न स्थानों में यीशु की चर्चा करने लगे”।

जंगलों में

“निर्जन स्थानों में” या “शान्त स्थानों में” या “वहां कोई आता जाता नहीं था”

Luke 5:17

एक दिन ऐसा हुआ

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

Luke 5:18

लोग एक मनुष्य को ..... खाट पर लाये

ये कहानी में नए नायक है। आपकी भाषा में नए मनुष्यों के प्रवेश को दर्शाने की अभिव्यक्ति हो सकती है। “कुछ लोग एक मनुष्य को लेकर आए” या “... को उठाए हुए कुछ लोग आए”

खाट

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बिस्तर सहित” या “चोखट पर” या “तखत पर”

लकवे का रोगी

“निष्क्रिय मनुष्य”

भीड़ के कारण उसे भीतर न ले जा सके

कुछ भाषाओं में इसका रचना रूप बदलना आवश्यक होगा, “मनुष्यों की भीड़ के कारण वे उसे रोगी को भीतर ले जाने में सफल नहीं हुए, अतः....”

छत पर चढ़ कर

उन घरों की छतें समतल होती थी और कुछ घरों की छत पर जाने के लिए बाहर सीढ़ियां होती थी।

यीशु के सामने

“सीधे यीशु के सामने” या “यीशु के समक्ष”

Luke 5:20

हे मनुष्य

यह एक ऐसा संबोधन है जो अनजान मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था। यह अशिष्ट शब्द तो नहीं है परन्तु सम्मान का शब्द भी नहीं है, कुछ भाषाओं में इसके स्थान में “मित्र” या “भाई” या “श्रीमान” शब्दों का प्रयोग होता है।

तेरे पाप क्षमा हुए

“तू क्षमा किया गया” या “मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ” (यू.डी.बी.)

विवाद करने लगे

“रोष प्रकट करने लगे” या “तर्क करके कहने लगे”, इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “आपस में कहने लगे क्या यीशु को पाप क्षमा करने का अधिकार है”?

यह कौन है जो परमेश्वर की निन्दा करता है?

इस आलंकारिक प्रश्न से स्पष्ट होता है कि वे यीशु की इस बात पर कैसे विस्मित एवं क्रोधित थे। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यह मनुष्य परमेश्वर की निन्दा करता है”, या “यह अपने को क्या समझता है कि परमेश्वर की इस प्रकार निन्दा करे”?

परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “केवल परमेश्वर ही पाप क्षमा कर सकता है, अन्य कोई नहीं”, या “पाप क्षमा करने वाला केवल परमेश्वर है, यहाँ संलग्न विचार यह है कि यदि मनुष्य पाप क्षमा करने का दावा कर रहा है तो वह परमेश्वर होने का स्वांग रच रहा है”।(देखें: .)

Luke 5:22

तुम अपने मन में क्या विवाद कर रहे हो?

इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “तुम्हें मन में ऐसा विचार नहीं करना चाहिए” या “तुम्हें सन्देह नहीं करना है कि मैं पाप क्षमा करने का अधिकार रखता हूँ”।

अपने मनों में

यह एक मुहावरा है जो मनुष्य के सोचने या विश्वास करने की इन्द्रियों की शक्ति का संदर्भ देता है। कुछ भाषाओं में इस उक्ति को काम में नहीं लेना और अधिक स्वाभाविक होता है।

सहज क्या है?

यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा उन्हें तैयार कर रहा था कि वे पाप क्षमा के उसके अधिकार को उसके रोगमुक्ति के चमत्कार से जोड़ें। वह अब उस रोगी को स्वस्थ करेगा। यह संपूर्ण प्रश्न इस प्रकार अनुवाद किया जा सकता है, “यह कहना आसान है, तेरे पाप क्षमा किए गए, परन्तु परमेश्वर ही उस निश्चेष्ट मनुष्य को उठ कर चलने योग्य कर सकता है”।

कि तुम जानो

यीशु विधि-शास्त्रियों और फरीसियों से बातें कर रहा था। यहाँ “तुम” शब्द बहुवचन में है।

मनुष्य का पुत्र

यीशु अपरे बारे में कह रहा है

मैं तुम से कहता हूँ

यीशु उस निष्क्रिय मनुष्य को संबोधित कर रहा था। यहाँ “तुम” एकवचन है

Luke 5:25

तुरन्त

“तत्काल ही” या “उसी समय”

सब चकित हुए

“देखने वाले सब विस्मित हो गए”

बहुत डर कर

“भयातुर होकर” या “श्रद्धापूर्ण भय से भर कर”

अनोखी बातें

“आश्चर्यजनक बातें” या “विचित्र बातें”

Luke 5:27

इसके बाद

पिछले पदों में व्यक्त घटनाओं के बाद

एक चुंगी लेने वाले को .... देखा

“एक चुंगी लेने वाले पर ध्यान दिया” या “एक चुंगी लेने वाले को निहारा”

चुंगी की चौकी

चुंगी कक्ष में” या “चुंगी स्थल में”, यह या तो एक प्रकार का कमरा था या सड़क के किनारे मेज़ लगा कर वे बैठा करते थे कि लोगों से सरकारी कर वसूल करें।

मेरे पीछे हो ले

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा शिष्य हो जा” या “मुझे गुरू मान कर आजा”

सब कुछ छोड़कर

“चुंगी लेने का काम त्याग कर”

Luke 5:29

बड़ा भोज

यह इस प्रकार की दावत थी जिसमें अतिथियों के साथ खाना-पीना होता था।

अपने घर में

लेवी के घर में

भोजन करने बैठा

इसका अनुवाद हो सकता है, “भोजन हेतु आसन ग्रहण किया” या “भोजन आसन पर बैठा था।” यूनानी संस्कार में भोज में तखत पर बाई कोहनी के तकिए पर टिका कर आधा लेटकर भोजन किया जाता था।

कुड़कुड़ाने लगे

“शिकायत करने लगे” या “असन्तोष व्यक्त कर रहे थे”

उसके चेलों से

“यीशु के शिष्यों से”

क्यों खाते-पीते हो?

विधि-शास्त्रियों और फरीसियों ने यह आलंकारिक प्रश्न द्वारा अपनी असहमति प्रकट की क्योंकि वे पापियों के साथ भोजन कर रहे थे। यह “तुम” शब्द बहुवचन में है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है। “तुम्हें पापियों के साथ भोजन नहीं करना है”

वैद्य

“डाक्टर” या "हकीम"

Luke 5:33

उन्होंने उनसे कहा,

“धर्म गुरूओं ने यीशु से कहा”

क्या हम बरातियों से.... उपवास करवा सकते हो?

यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा उनकी परिचित स्थिति पर विचार करवा रहा था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “दुल्हे के साथ विवाह में आनेवालों से उपवास करने के लिए कोई नहीं कहता है, क्योंकि दूल्हा उनके साथ है”।

बारातियों

“अतिथि” या “मित्र”। ये वे लोग है जो विवाह करने वाले पुरूष के साथी हैं।

परन्तु वे दिन आएंगे

“परन्तु एक दिन” (यू.डी.बी.) या “परन्तु शीघ्र ही”

दूल्हा उनसे अलग किया जायेगा

यह एक रूपक है। यीशु अपने बारे में कहता था। इसे स्पष्ट करने के लिए इसमें जोड़ा जा सकता है, “इसी प्रकार जब तक मैं उनके साथ हूँ वे उपवास नहीं कर सकते”।

Luke 5:36

कोई भी मनुष्य नये वस्त्र में से फाड़कर

“कोई नया वस्त्र काट कर” या “मनुष्य नया वस्त्र फाड़कर” (यू.डी.बी.)

पैबन्द नहीं लगाता

"सुधारता नहीं है"

मेल भी नहीं खाएगा

“उचित नहीं होगा” या “वैसा ही नहीं होगा”

Luke 5:37

x

(यीशु धर्मगुरूओं को एक और शिक्षाप्रद कथा सुनाता है।)

कोई .... नहीं भरता

“कोई.... नहीं रखता है” यू.डी.बी. या “मनुष्य कभी नहीं रखते”

नया दाखरस।

“अंगूर का ताजा रस” अर्थात जिस दाखरस का खमीर नहीं उठा है।

मशकों

ये पशुओं के चमड़े से बनी होती थी उन्हें "दाख रस के थैले" या "चमड़े के थैले"(यू.डी.बी.) भी कह सकते हैं।

नया दाखरस मशकों को फाड़ कर बह जायेगा।

“नया दाखरस खमीर होकर फैलेगा तो पुरानी मशकें लचीली न होने के कारण फट जायेंगी” यीशु के श्रोतागण को दाखरस के किणवन की प्रक्रिया की जानकारी थी कि वह फैलता है।

दाखरस .... बह जाएगा

“दाखरस मशकों से बाहर निकल जाएगा

नईं मशकें

“नई मशकों” अर्थात जिन्हें पहले काम में नहीं लिया गया है।

पुराना दाखरस

“जिस दाखरस का खमीर उठ गया है।

वह कहता है कि पुराना अच्छा है

यहाँ अतिरिक्त जानकारी देना सहायक सिद्ध होगा। “अतः वह नया दाखरस पीना नहीं चाहता है”। यह एक रूपक है जिसके माध्यम से धर्म-गुरूओं की पुरानी शिक्षा की तुलना यीशु की नई शिक्षा से की गई है। कहने का अर्थ यह है कि जो पुरानी शिक्षाओं के अभ्यास थे वे यीशु की शिक्षा को स्वीकार नहीं करते थे, क्योंकि वे नई थी।


Translation Questions

Luke 5:4

भीड़ को उपदेश सुनने के लिए शमौन की नाव काम में लेने के बाद यीशु ने उससे नाव कहाँ ले चलने को कहा था?

यीशु ने उससे कहा कि गहरे में नाव ले जाकर जाल डाले।

Luke 5:5

यद्यपि पतरस ने रात में कुछ नहीं पकड़ा था, उसने क्या किया?

उसने आज्ञा मानकर जाल डाला।

Luke 5:6

जब उन्होंने जाल डाले तब क्या हुआ?

उनके जाल में इतनी मछलियां आई कि जाल फटने लगे।

Luke 5:8

शमौन यीशु से क्या चाहता था और क्यों?

शमौन ने यीशु से चले जाने को कहा क्योंकि वह जानता था कि वह (शमौन) पापी मनुष्य है।

Luke 5:10

यीशु ने शमौन को उसके भावी कार्य के लिए क्या कहा था?

यीशु ने उससे कहा कि अब आगे से वह मनुष्यों को पकड़ेगा।

Luke 5:15

इस समय कितने लोग यीशु की शिक्षा सुनने और रोगों से मुक्ति पाने आ रहे थे?

यीशु के पास लोगों की भीड़ आ रही थी।

Luke 5:20

जिस मनुष्य को उसके साथियों ने छत में से यीशु के पास उतारा था उससे यीशु ने क्या कहा?

हे मनुष्य, तेरे पाप क्षमा हुए।

Luke 5:21

शास्त्रियों और फरीसियों ने यीशु की इस बात को ईशनिन्दा क्यों कहा?

क्योंकि परमेश्वर ही पाप क्षमा कर सकता है।

Luke 5:24

यीशु ने उस लकवे के रोगी को इस प्रकार चंगा किया कि क्या प्रकट करे कि उसे प्राप्त है?

यीशु ने उसे चंगा किया कि प्रकट करे कि उसे पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।

Luke 5:32

जब यीशु लेवी के घर में भोजन कर रहा था तब यीशु ने क्या कहा कि वह करने आया है?

वह पापियों को मन फिराव के लिए बुलाने आया है।

Luke 5:35

यीशु ने अपने चेलों के उपवास का क्या समय बताया?

यीशु के चले जाने के बाद उसके चेले उपवास करेंगे।

Luke 5:36

यीशु के दृष्टान्त में यदि पुराने वस्त्र पर नए कपड़े का पैबन्ध लगाया जाए तो क्या होगा?

नया कपड़ा पुराने कपड़े में नहीं लगेगा क्योंकि वह उसे फाड़ देगा।

Luke 5:37

यीशु के दूसरे दृष्टान्त में यदि पुरानी मशकों में नया दाखरस डाला गया तो क्या होगा?

पुरानी मशकें फट जायेंगी और दाखरस गिर जायेगा।

Luke 5:38

नए दाखरस को सुरक्षित रखने के लिए यीशु ने क्या कहा?

नया दाखरस नई मशकों में रखना चाहिए।


Chapter 6

1 फिर सब्त के दिन वह खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेले बालें तोड़-तोड़कर, और हाथों से मल-मल कर* खाते जाते थे। (व्य. 23:25) 2 तब फरीसियों में से कुछ कहने लगे, “तुम वह काम क्यों करते हो जो सब्त के दिन करना उचित नहीं?” 3 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “क्या तुम ने यह नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने जब वह और उसके साथी भूखे थे तो क्या किया? 4 वह कैसे परमेश्‍वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ लेकर खाई, जिन्हें खाना याजकों को छोड़ और किसी को उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दी?” (लैव्य. 24:5-9, 1 शमू. 21:6) 5 और उसने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी प्रभु है।”

6 और ऐसा हुआ कि किसी और सब्त के दिन को वह आराधनालय में जाकर उपदेश करने लगा; और वहाँ एक मनुष्य था, जिसका दाहिना हाथ सूखा था। 7 शास्त्री और फरीसी उस पर दोष लगाने का अवसर पाने के लिये उसकी ताक में थे, कि देखें कि वह सब्त के दिन चंगा करता है कि नहीं। 8 परन्तु वह उनके विचार जानता था; इसलिए उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “उठ, बीच में खड़ा हो।” वह उठ खड़ा हुआ। 9 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से यह पूछता हूँ कि सब्त के दिन क्या उचित है, भला करना या बुरा करना; प्राण को बचाना या नाश करना?” 10 और उसने चारों ओर उन सभी को देखकर उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने ऐसा ही किया, और उसका हाथ फिर चंगा हो गया। 11 परन्तु वे आपे से बाहर होकर आपस में विवाद करने लगे कि हम यीशु के साथ क्या करें?

12 और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्‍वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। 13 जब दिन हुआ, तो उसने अपने चेलों को बुलाकर उनमें से बारह चुन लिए, और उनको प्रेरित कहा। 14 और वे ये हैं: शमौन जिसका नाम उसने पतरस भी रखा; और उसका भाई अन्द्रियास, और याकूब, और यूहन्ना, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, 15 और मत्ती, और थोमा, और हलफईस का पुत्र याकूब, और शमौन जो जेलोतेस कहलाता है, 16 और याकूब का बेटा यहूदा, और यहूदा इस्करियोती, जो उसका पकड़वानेवाला बना।

17 तब वह उनके साथ उतरकर चौरस जगह में खड़ा हुआ, और उसके चेलों की बड़ी भीड़, और सारे यहूदिया, और यरूशलेम, और सूर और सैदा के समुद्र के किनारे से बहुत लोग, 18 जो उसकी सुनने और अपनी बीमारियों से चंगा होने के लिये उसके पास आए थे, वहाँ थे। और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए लोग भी अच्छे किए जाते थे। 19 और सब उसे छूना चाहते थे, क्योंकि उसमें से सामर्थ्य निकलकर सब को चंगा करती थी।

20 तब उसने अपने चेलों की ओर देखकर कहा,

     “धन्य हो तुम, जो दीन हो,

     क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारा है।

    21 “धन्य हो तुम, जो अब भूखे हो;

     क्योंकि तृप्त किए जाओगे।

     “धन्य हो तुम, जो अब रोते हो,

     क्योंकि हँसोगे। (मत्ती 5:4,5, भज. 126:5-6)

    22 “धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के

     कारण लोग तुम से बैर करेंगे,

     और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे,

     और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे।

23 “उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है। उनके पूर्वज भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे।

    24 “परन्तु हाय तुम पर जो धनवान हो,

     क्योंकि तुम अपनी शान्ति पा चुके।

    25 “हाय तुम पर जो अब तृप्त हो,

     क्योंकि भूखे होंगे।

     “हाय, तुम पर; जो अब हँसते हो,

     क्योंकि शोक करोगे और रोओगे।

    26 “हाय, तुम पर जब सब मनुष्य तुम्हें भला कहें,

     क्योंकि उनके पूर्वज झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही किया करते थे।

27 “परन्तु मैं तुम सुननेवालों से कहता हूँ, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उनका भला करो*। 28 जो तुम्हें श्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिये प्रार्थना करो। 29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उसकी ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुर्ता लेने से भी न रोक। 30 जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उससे न माँग। 31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।

32 “यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखते हैं। 33 और यदि तुम अपने भलाई करनेवालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। 34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिनसे फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएँ। 35 वरन् अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आसन रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। (लैव्य. 25:35-36, मत्ती 5:44-45) 36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो।

37 “दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा। 38 दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाम दबा-दबाकर और हिला-हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।”

39 फिर उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा: “क्या अंधा, अंधे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनों गड्ढे में नहीं गिरेंगे? 40 चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा। 41 तू अपने भाई की आँख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? 42 और जब तू अपनी ही आँख का लट्ठा नहीं देखता, तो अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘हे भाई, ठहर जा तेरी आँख से तिनके को निकाल दूँ?’ हे कपटी*, पहले अपनी आँख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तेरे भाई की आँख में है, भली भाँति देखकर निकाल सकेगा।

43 “कोई अच्छा पेड़ नहीं, जो निकम्मा फल लाए, और न तो कोई निकम्मा पेड़ है, जो अच्छा फल लाए। 44 हर एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है; क्योंकि लोग झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते, और न झड़बेरी से अंगूर। 45 भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है।

46 “जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो क्यों मुझे ‘हे प्रभु, हे प्रभु,’ कहते हो? (मला. 1:6) 47 जो कोई मेरे पास आता है, और मेरी बातें सुनकर उन्हें मानता है, मैं तुम्हें बताता हूँ कि वह किसके समान है? 48 वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने घर बनाते समय भूमि गहरी खोदकर चट्टान में नींव डाली, और जब बाढ़ आई तो धारा उस घर पर लगी, परन्तु उसे हिला न सकी; क्योंकि वह पक्का बना था। 49 परन्तु जो सुनकर नहीं मानता, वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने मिट्टी पर बिना नींव का घर बनाया। जब उस पर धारा लगी, तो वह तुरन्त गिर पड़ा, और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।”



Luke 6:1

(ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

खेतों में से

भूमि के खण्ड जहाँ गेहूँ के दाने विसर्जित किए जाते थे कि अधिक उपज हो।

बालें

यह गेहूँ के पौधे का ऊपरी भाग है इसमें उस पौधे के बीज होते हैं, गेहूँ का पौधा बड़ी घास के जैसा होता है।

तुम वह काम क्यों करते हो जो सब्त के दिन करना उचित नहीं”

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम सब्त के दिन गेहूँ क्यों दांवते हो? इस आलंकारिक प्रश्न का तात्पर्य है सब्त के दिन वर्जित कार्य करना। यह परमेश्वर के विधान के विरूद्ध है। “तुम” बहुवचन में है और यीशु के शिष्यों के संदर्भ में है।

Luke 6:3

क्या तुमने यह नहीं पढ़ा...?

यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु उन्हें मीठा कटाक्ष कर रहा है कि उन्होंने धर्मशास्त्र पढ़ कर भी नहीं सीखा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चय ही तुमने पढ़ा है” (यू.डी.बी.) या “तुम्हें पढ़ कर तो सीखना है”।

भेंट की रोटियां

“पवित्र रोटियां” या “परमेश्वर को चढ़ाई हुई रोटियां”

मनुष्य का पुत्र

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र हूँ”, यीशु अपने बारे में कह रहा था।

सब्त के दिन का भी प्रभु है

“सब्त का स्वामी है” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसके पास अधिकार है कि सब्त के दिन मनुष्य के लिए निर्धारित करे कि उसे क्या करना है”(यू.डी.बी.)

Luke 6:6

(और ऐसा हुआ)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

हाथ सूखा था।

उस मनुष्य का हाथ ऐसा क्षतिग्रस्त था कि वह उसे उठा नहीं सकता था। वह ऐसा मुड़ा हुआ था कि उसकी मुठ्ठी बन्द थी और सूखकर छोटा हो गया था।

ताक में थे

“यीशु पर दृष्टि गड़ाए हुए थे”

कि देखें

इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “क्योंकि वे दोष खोजना चाहते थे।"

उठ, बीच में खड़ा हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सबके सामने” (यू.डी.बी.) यीशु चाहता था कि वह ऐसे स्थान में खड़ा हो जहाँ सब उसे देख सकते थे।

Luke 6:9

उनसे

“फरीसियों से”

क्या उचित है

यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु फरीसियों को सोचने पर विवश कर रहा था कि वे स्वीकार करे कि किसी को सब्त के दिन रोगमुक्त करना उचित है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नियमोचित क्या है? “भला करना” या “मूसा का विधान किस बात की अनुमति देता है”?

अपना हाथ बढ़ा

“अपना हाथ आगे कर” या “अपना हाथ उठा”

चंगा हो गया

“स्वस्थ हो गया”

Luke 6:12

(और ऐसा हुआ)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

उन दिनों में

“उसके कुछ ही समय बाद” या “इसके बाद अधिक समय नहीं हुआ था” “तब ही एक दिन”

प्रार्थना करने गया

“यीशु प्रार्थना करने बाहर गया”

बारह चुन लिए

“उनमें से बारह को चुन लिया” या “शिष्यों में से बारह को चुन लिया”

उनको 'प्रेरित' कहा

“और उसने उन्हें प्रेरित कहा” या “जिन्हें उसने प्रेरित नियुक्त किया” या “जिन्हें उसने प्रेरित बनाया”

Luke 6:14

x

(यह उन बारहों की सूची है जिन्हें यीशु ने अपने शिष्य होने के लिए चुना था)

और वे ये हैं

नामों की यह सूची यू.एल.बी. में दी गई है कि सूची स्पष्ट की जाए। कुछ अनुवादक इसका उल्लेख करना आवश्क नहीं समझते।

इसका भाई अन्द्रियास

"शमौन का भाई अन्द्रियास"

जेलोतेस

इसके संभावित अर्थ हैं (1) जेलोतेस (2) जोशीला पहला अर्थ प्रकट करता है कि वह उस पंथ का सदस्य था जो यहूदियों को रोमी राज्य से मुक्त कराना चाहता था। इसका अनुवाद “देशभक्त” या “राष्ट्रवादी” किया जा सकता है। दूसरे का अर्थ है, वह परमेश्वर का सम्मान करने के लिए जोशीला था। इसका अनुवाद “उत्साही” किया जा सकता है।

पकड़वाने वाला बना

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने साथी से विश्वासघात किया” या “अपने मित्र को बैरियों के हाथों पकड़वाया” या “बैरियों को उसकी जानकारी देकर अपने मित्र को संकट में डाल दिया”।

Luke 6:17

उनके साथ

“जिन बारहों को उसने चुना था उनके साथ” या “उसके बारह प्रेरितों के साथ”

चंगा होने के लिए

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु के हाथों रोगमुक्ति हेतु” यदि आपके पाठकों के लिए इससे स्पष्ट न हो कि यीशु ने उन्हें वास्तव में रोगमुक्त किया तो आप स्पष्ट करके लिख सकते हैं कि यीशु ने उन्हें रोगमुक्त किया”।

अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए

“अशुद्ध आत्माओं से परेशान” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अशुद्ध आत्माग्रस्त” या “अशुद्ध आत्माओं के बन्धन में थे” कर्तृवाच्य में अनुवाद करने हेतु देखें यू.डी.बी.

अच्छे किए जाते थे।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु ने उन्हें रोगमुक्त किया” अशुद्ध आत्माग्रस्त मनुष्यों के लिए “रोगमुक्त” शब्द का उपयोग अनुचित है इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “यीशु ने उन्हें मुक्ति प्रदान की” या “यीशु ने अशुद्ध आत्माओं को निकाला”

सामर्थ्य निकल कर सब को चंगा करती थी

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसमें लोगों को रोगमुक्त करने का सामर्थ्य था” जब यीशु में से सामर्थ्य प्रवाहित होता था तब वह सामर्थ्य में कम नहीं होता था।

Luke 6:20

धन्य हो तुम

यह उक्ति तीन बार दोहराई गई है, प्रत्येक बार इसका अर्थ है कि परमेश्वर किसी को अनुग्रह प्रदान कर रहा है या उनकी स्थिति कपटरहित है या अच्छी है।

धन्य हो तुम जो दीन हो

“तुम जो दीन हो परमेश्वर के अनुग्रहपात्र बनोगे” या “तुम जो दीन हो लाभ उठाओगे” या “तुम जो दीन हो, तुम्हारे लिए बहुत अच्छा है”।

परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है।

“परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है” इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) तुम परमेश्वर के राज्य के हो” या (2) परमेश्वर के राज्य में तुम्हारे पास अधिकार होगा”। जिन भाषाओं में राज्य के लिए शब्द नहीं है, वे कह सकते हैं, “परमेश्वर तुम्हारा राजा होगा” या “परमेश्वर तुम पर राज करेगा”

हंसोगे

“तुम आनन्द से हंसोगे” या “तुम आनन्दित होंगे”

Luke 6:22

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

धन्य हो तुम

धन्य हो तुम, “तुम परमेश्वर के अनुग्रहपात्र होगे” या “तुम लाभ उठाओगे” या “तुम्हारे लिए कैसा भला है।”

तुम्हें निकाल देंगे

“तुम्हारा बहिष्कार करेंगे” या “तुम्हारा परित्याग करेंगे”

तुम्हारी निन्दा करेंगे

“तुम्हारा अपमान करके आलोचना करेंगे”

मनुष्य के पुत्र के कारण

“मनुष्य के पुत्र के नाम पर” या “क्योंकि तुम मनुष्य के पुत्र से संबन्धित हो” या “क्योंकि वे मनुष्य के पुत्र का त्याग करते हैं”।

उस दिन

“जब वे ऐसा करे” या “जब ऐसा हो”

बड़ा प्रतिफल

“अच्छा लाभ” या “इसके कारण अच्छा उपहार है”

Luke 6:24

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

हाय तुम पर

यह उक्ति तीन बार दोहराई गई है यह “धन्य हो तुम” के विपरीत है। हर बार यह प्रकट करती है कि परमेश्वर का क्रोध उन पर है या उनके लिए भविष्य में कुछ हानि या बुराई है।

हाय तुम पर जो धनवान हो

“तुम धनवालों का कैसा दुर्भाग्य है। या तुम धनवानों पर संकट आएगा, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम धनवानों के लिए कैसी दुःख की बात है” या “तुम धनवानों को कैसा दुःख होगा”।

तुम ... पा चुके

“तुम्हें तो सब कुछ बहुतायत से मिल रहा है” या “तुम्हें तो सब कुछ मिल रहा है।”

अपनी शान्ति

“तुम्हें सुख देनेवाली बात” या “तुम्हें सन्तोष प्रदान करनेवाली बात” या “तुम्हारा आनन्द”

तृप्त हो

“जिनके पेट भरे हुए हैं”, या “वो जो खूब खाते हो”

अब हंसते हो

“अब आनन्दित हो”

Luke 6:26

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

हाय तुम पर

“तुम्हारा कैसा दुर्भाग्य है”। या “तुम पर विपत्ति आएगी” या “तुम्हें कैसा दुःखी होना पड़ेगा” या “तुम्हें कैसा दुःख होगा”।

जब मनुष्य

अर्थात “सब जन” या “हर एक जन”

झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही करते थे

झूठे भविष्यद्वक्ताओं की प्रशंसा करते थे।

Luke 6:27

x

(स्पष्ट है कि यीशु जनसमूह से बाते कर रहा है जिनमें वे थे जो उसके शिष्य नहीं)

प्रेम रखो ...... भला करो ..... आशीष दो.... प्रार्थना करो

इनमें से प्रत्येक आज्ञा को करते रहना है, न कि एक बार करके समाप्त कर दो।

अपने शत्रुओं से प्रेम रखो

“अपने बैरियों की सुधि लो” या “अपने बैरियों के लिए जो भला है वह करो”।

जो तुम्हें श्राप दे

“जिनमें तुम्हें श्राप देने का स्वभाव है”

जो तुम्हारा अपमान करें

“जिनमें तुम्हारा अपमान करने का स्वभाव है”

Luke 6:29

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।)

जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे

“यदि कोई तेरे गाल पर मारे”

एक गाल पर

“चेहरे के एक ओर”

दूसरा भी फेर दे

इसका अनुवाद हो सकता है, “अपना चेहरा फेर दे कि वह दूसरी ओर भी मारे”।

न रोक

“उसे लेने से मत रोक”

जो कोई तुमसे मांगे उसे दे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि कोई कुछ भी मांगे तो उसे दे”

उससे न मांग

“उससे लौटाने को मत कह” या “मांग मत रख”

Luke 6:31

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।)

जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।

कुछ भाषाओं में इसके क्रम को विपरीत करना अधिक स्वाभाविक होता है, “तुम मनुष्यों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें” या “मनुष्यों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम उनसे चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें”।

तुम्हारी क्या बड़ाई?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसे कथन रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “तुम्हें इसके लिए बड़ाई नहीं मिलेगी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसा करके तुम्हें क्या प्रशंसा प्राप्त होगी”? या “क्या कोई कहेगा कि तुमने प्रशंसनीय काम किया है”। इसका एक और संभावित अर्थ है, “तुम्हें क्या प्रतिफल मिलेगा”?

Luke 6:35

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।)

तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा

“तुम्हें महान प्रतिफल मिलेगा”, या “तुम्हें अच्छा लाभ होगा” या “इस कारण तुम अच्छा उपहार पाओगे”।

परमप्रधान की सन्तान ठहरोगे

यहाँ “... की सन्तान” एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है “” इसका तात्पर्य है कि अपने बैरियों से प्रेम करने वाले परमेश्वर के सदृश्य काम करते हैं। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम परमेश्वर प्रधान के पुत्रों के सदृश्य व्यवहार करोगे” या “तुम परम प्रधान परमेश्वर के जैसे होंगे”, सुनिश्चित करे कि यदि पुत्र शब्द काम में ले रह हैं तो वह बहुवचन में हो कि पाठक उसे “परमेश्वर का पुत्र” यीशु न समझें।

जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर

“जो मनुष्य उसे धन्यवाद नहीं करते और जो बुरे हैं”

तुम्हारा पिता

अर्थात परमेश्वर। इसे अधिक स्पष्ट किया जा सकता है, “तुम्हारा स्वर्गीय पिता”।

Luke 6:37

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे दोष न लगाएं)

दोष मत लगाओ

“किसी पर दोष मत लगाओ” या “किसी की आलोचना मत करो”

तो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और परिणाम स्वरूप”

तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाए

यीशु ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन दोष नहीं लगायेगा। इसके संभावित अर्थ हैं (1) “परमेश्वर तुम पर दोष नहीं लगायेगा”, (2) कोई तुम पर दोष नहीं लगायेगा” दोनों ही अनुवाद स्पष्ट करते हैं कि कौन दोष नहीं लगायेगा।

दोषी न ठहराओ

“किसी को अपराधी मत ठहराओ”

तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे

यीशु ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन दोषी नहीं ठहराएगा। इसके संभावित अर्थ हैं (1) “परमेश्वर तुम्हें अपराधी नहीं ठहराएगा”, (2) कोई भी तुम्हें अपराधी नहीं ठहराएगा। दोनों अनुवादों में स्पष्ट है कि कौन अपराधी नहीं ठहराएगा।

तुम्हें भी क्षमा किया जायेगा

यीशु ने स्पष्ट नहीं किया कि कौन क्षमा करेगा। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) परमेश्वर क्षमा करेगा, (2) मनुष्य तुम्हें क्षमा करेंगे पहला अनुवाद स्पष्ट करता है कि कौन क्षमा करेगा।

Luke 6:38

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं)

तुम्हें भी दिया जाएगा

यहाँ भी यीशु स्पष्ट नहीं करता है कि कौन तुम्हें देगा। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “कोई तुम्हें देगा”, या (2) “परमेश्वर तुम्हें देगा” इन दोनों अनुवादों में देने वाले स्पष्ट हैं।

दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर

“बहुत अधिक मात्रा में”

उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे

इस वाक्य का क्रम बदला जा सकता है और कर्तृवाच्य रूप काम में लिया जा सकता है। “वे तुम्हारी गोद में इतना अधिक डालेंगे जो उन्होंने दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर और उभरता हुआ डालेंगे”। यीशु ने अनाज भण्डार के एक व्यापारी की उदारता का रूपक काम में लिया है। इसका अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “एक अनाज के व्यापारी के सदृश्य जो अनाज को दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर अधिक भरता है कि वह ऊपर से गिरने लगता है, वे तुम्हें बड़ी उदारता से देंगे।

उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जायेगा।

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वे तुम्हारे लिए भी इसी नाप से सब वस्तुएं नापेंगे” या “वे उसी मानक से तुम्हारे लिए भी वस्तुएं नापेंगे”।

Luke 6:39

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं)

क्या अन्धा अन्धे को मार्ग बता सकता है?

यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा श्रोताओं को इस चिरपरिचित बात पर विचार करने के लिए उत्प्रेरित करता है। इसका अनुवाद हो सकता है, “अच्छा मनुष्य दूसरे अन्धे मनुष्य का पथ प्रदर्शन नहीं कर सकता है, कर सकता है क्या”? या “यह तो सब ही जानते हैं कि अन्धा अन्धे को रास्ता नहीं दिखा सकता है”।

(यदि वह ऐसा करे)

कुछ भाषाओं के अनुवादक अधिक अच्छा समझते है कि इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “यदि कोई करे”।

क्या दोनों गड्डे में नहीं गिरेंगे?

यह एक और आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद प्रकार किया जा सकता है, क्या वे दोनों खड्डे में नहीं गिरेंगे”? या "दोनों खड्ड में गिर जाएगे" (यू.डी.बी.)

चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं होता

इसका अर्थ हो सकता है (1) “शिष्य को अपने गुरू से अधिक ज्ञान नहीं होता” या (2) शिष्य के पास अपने गुरू से अधिक अधिकार नहीं होता है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “शिष्य अपने गुरू से आगे नहीं निकल सकता है”।

परन्तु जो कोई सिद्ध होगा

“हर एक शिष्य जो उचित प्रशिक्षण पा चुका है” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, “हर एक शिष्य जिसने अपने प्रशिक्षण में लक्ष्य प्राप्ति कर ली है” या “वह हर एक शिष्य जिसके गुरू ने उसे पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान कर दिया है”।

Luke 6:41

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं)

क्यों देखता है

यह मनुष्यों पर उंगली उठाने या उनका दोष देखने के संबन्ध में एक रूपक है। इसका अनुवाद एक उपमा द्वारा किया जा सकता है जैसे यू.डी.बी. “तुम उंगली क्यो उठाते हो .... जैसे कि ....

तिनके

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “कण” या “लेश”

भाई

अर्थात यहूदी भाई या “यीशु में विश्वासी भाई”

लट्ठा

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “डंडा” या “फलक”

Luke 6:43

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं)

क्योंकि

यह एक तथ्य दर्शाता है कि हमारा चरित्र तर्क रूप में प्रकट किया जाएगा कि हमें अपने भाई पर दोष क्यों नहीं लगाना है।

अच्छा पेड़

“पोषित वृक्ष”

निकम्मा

"सड़ा गला", इसका अनुवाद हो सकता है, “बुरा”

प्रत्येक वृक्ष (अपने फल से) पहचाना जाता है।

“उसकी पहचान” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मनुष्य वृक्ष को .... पहचानता है” या “मनुष्य .... वृक्ष को जान लेता है”।

अंजीर

एक मीठा फल होता है। इस वृक्ष में कांटे नहीं होते हैं।

झाड़ियों

“एक कंटीली झाड़ियां”

अंगूर

लता में लगने वाले छोटे-छोटे फलों का गुच्छा। इसमें भी कांटे नहीं होते।

झड़बेरी

कांटे वाली झाड़ी ये पद एक रूपक है जो मनुष्य के आचरण को व्यक्त करता है कि वे वास्तव में क्या है” (यदि आवश्यकता हो तो इसकी व्याख्या की जा सकती है, जैसी यू.डी.बी. के अन्तिम वाक्य में की गई है “उसी प्रकार”

Luke 6:45

x

ये पद एक रूपक है जो मनुष्य के विचारों की तुलना इस भण्डार (खजाने) से करता है जिसे मनुष्य छिपाकर सुरक्षित रखते हैं।

भला मनुष्य

“एक सदाचारी मनुष्य”, यहाँ “भला” शब्द का अर्थ है, धार्मिक या नैतिक अच्छाई, “मनुष्य” अर्थ स्त्री/पुरूष। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सदाचारी मनुष्य” या “सदाचारी लोग”(यू.डी.बी)

मन के भले भण्डार से

“उसके मन में जो अच्छाई है” या “उसकी सदाचार संबन्धित मान्यताएं”

निकालता है

इसका अनुवाद रूपक रहित किया जा सकता है, “जीवन आचरण से” या “प्रकट करता है” या “दिखता है”(यू.डी.बी)

भली बातें

“सदाचार की बातें”

मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है

“इसके मन में जो है वही उसके मुंह से निकलता है” या “उसके मन में जो आचार संबन्धित मान्यताएं हैं वही उसके शब्दों को नियंत्रित करती है”। इसका अनुवाद “मन” और “मुंह” शब्दों के उपयोग के बिना भी किया जा सकता है। मनुष्य की बातें वही हैं जो उसके विचार हैं” या “उसके विचार उसके शब्दों पर प्रभाव डालते हैं”।

Luke 6:46

x

(यीशु जनसमूह को आज्ञाकारिता के महत्त्व की शिक्षा दे रहा है)

वह उस मनुष्य के समान है जिसने घर बनाते समय

यह रूपक दृढ़ नीव पर घर बनाने वाले मनुष्य की तुलना यीशु की शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले मनुष्य से करता है।

नींव

“आधार” या “अवलंब”

चट्टान

यह भूमिगत एक बड़ी और दृढ़ चट्टान है।

चट्टान पर नींव डाली

“घर की नींव डालने के लिए ऐसी गहरी खुदाई की कि” या “ठोस चट्टान पर घर बनाया” कुछ संस्कृतियों में चट्टान पर घर बनाने का विचार प्रचलित न हो। ऐसी परिस्थिति में अनुवाद अधिक सामान्य परिप्रेक्ष्य में किया जा सकता है, “घर की नींव ठोस भूमि में डाली”।

बाढ़ आई तो धारा

“जल का प्रबल प्रवाह” या “नदी”

इस पर लगी

“इससे टकराई”

क्योंकि वह पक्का बना था

“क्योंकि उस मनुष्य ने उसे दृढ़ता से बनाया था”

Luke 6:49

x

(यीशु जनसमूह को उसकी आज्ञाकारिता की शिक्षा दे रहा है)

उस मनुष्य के समान है जिसने .... घर बनाया
नींव

“आधार” या “अवलंब”

बिना नींव

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने गहरी खुदाई करके नींव नहीं डाली”

बाढ़ आई तो धारा

“जल का प्रबल प्रवाह” या “नदी”

इस पर लगी

“इससे टकराई”

गिर पड़ा

“टूट गया” या “बिखर गया”


Translation Questions

Luke 6:1

यीशु के चेले सब्त के दिन क्या कर रहे थे जिसे फरीसियों ने व्यवस्था विरोधी बताया?

वे गेहूं की बालों को तोड़कर उन्हें हाथ से रगड़कर खा रहे थे।

Luke 6:5

यीशु ने अपने लिए क्या दावा किया जिसने उसे अधिकार दिया कि वह कहे सब्त के दिन क्या करना व्यवस्था सम्मत है?

यीशु ने इस पद का दावा किया, "सब्त का प्रभु"।

Luke 6:11

यीशु ने सब्त के दिन सूखे हाथ वाले मनुष्य को चंगा किया तो शास्त्रियों और फरीसियों ने क्या प्रतिक्रिया दिखाई?

वे क्रोध से भर गए और विचार करने लगे कि यीशु के साथ क्या करें।

Luke 6:13

यीशु ने जिन बारह पुरूषों को पर्वत पर चुना था उन्हें क्या कहा?

यीशु ने उन्हें प्रेरित कहा।

Luke 6:20

यीशु ने किसको धन्यवाद कहा?

जो गरीब हैं, भूखे हैं, दुःखी हैं और मनुष्य के पुत्र के कारण सताए जाते हैं, वे धन्य हैं।

Luke 6:23

यीशु के अनुसार ऐसे मनुष्यों को आनन्दित होकर हर्ष से कूदना क्यों चाहिए?

क्योंकि स्वर्ग में उनका बड़ा प्रतिफल है।

Luke 6:27

यीशु ने कहा, उसके चेलों को बैरियों के साथ और उनसे घृणा करने वालों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?

उन्हें अपने बैरियों से प्रेम करना है और जो घृणा करे उनका भला करे।

Luke 6:35

जो धन्यवाद नहीं करते और जो बुरे हैं उनके प्रति परमेश्वर पिता का व्यवहार कैसा है?

वह उन पर दयालु और कृपालु है।

Luke 6:42

अपने भाई की आंख से तिनका निकालने से पूर्व यीशु ने हमसे क्या कहा कि हम करें?

पहले हमें अपनी आंख से लट्ठा निकालना होगा कि हम पाखंड़ी न हों।

Luke 6:45

एक भले मनुष्य के मन के भले भण्डार से क्या निकलता है?

एक भले मनुष्य के मन से भली बातें निकलती हैं।

बुरे मनुष्य के मन के बुरे भण्डार से क्या निकलता है?

बुरे मनुष्य के मन से बुराई निकलती है।

Luke 6:47

जो मनुष्य चट्टान पर अपना घर बनाता है, वह यीशु की बातें सुनकर क्या करता है?

वह यीशु की बातें सुनकर उनका पालन करता है।

Luke 6:49

जिसने बिना नींव का घर बनाया वह यीशु की बातों का क्या करता है?

वह जो यीशु की बातों को सुनकर पालन नहीं करता।


Chapter 7

1 जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया। 2 और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था। 3 उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई प्राचीनों को उससे यह विनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। 4 वे यीशु के पास आकर उससे बड़ी विनती करके कहने लगे, “वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे, 5 क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।” 6 यीशु उनके साथ-साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, “हे प्रभु दुःख न उठा, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए। 7 इसी कारण मैंने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊँ, पर वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। 8 मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूँ, ‘जा,’ तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूँ कि ‘आ,’ तो आता है; और अपने किसी दास को कि ‘यह कर,’ तो वह उसे करता है।” 9 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उसने मुँह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, “मैं तुम से कहता हूँ, कि मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।” 10 और भेजे हुए लोगों ने घर लौटकर, उस दास को चंगा पाया।

11 थोड़े दिन के बाद वह नाईन* नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी। 12 जब वह नगर के फाटक के पास पहुँचा, तो देखो, लोग एक मुर्दे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी माँ का एकलौता पुत्र था, और वह विधवा थी: और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे। 13 उसे देखकर प्रभु को तरस आया, और उसने कहा, “मत रो।” 14 तब उसने पास आकर अर्थी को छुआ; और उठानेवाले ठहर गए, तब उसने कहा, “हे जवान, मैं तुझ से कहता हूँ, उठ!” 15 तब वह मुर्दा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उसने उसे उसकी माँ को सौंप दिया। 16 इससे सब पर भय छा गया*; और वे परमेश्‍वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्‍वर ने अपने लोगों पर कृपादृष्‍टि की है।” 17 और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस-पास के सारे देश में फैल गई।।

18 और यूहन्ना को उसके चेलों ने इन सब बातों का समाचार दिया। 19 तब यूहन्ना ने अपने चेलों में से दो को बुलाकर प्रभु के पास यह पूछने के लिये भेजा, “क्या आनेवाला तू ही है, या हम किसी और दूसरे की प्रतीक्षा करे?” 20 उन्होंने उसके पास आकर कहा, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने हमें तेरे पास यह पूछने को भेजा है, कि क्या आनेवाला तू ही है, या हम दूसरे की प्रतीक्षा करे?” 21 उसी घड़ी उसने बहुतों को बीमारियों और पीड़ाओं, और दुष्टात्माओं से छुड़ाया; और बहुत से अंधों को आँखें दी। 22 और उसने उनसे कहा, “जो कुछ तुम ने देखा और सुना है, जाकर यूहन्ना से कह दो; कि अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते-फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहरे सुनते है, और मुर्दे जिलाए जाते है, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। (यशा. 35:5-6, यशा. 61:1) 23 धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए।”

24 जब यूहन्ना के भेजे हुए लोग चल दिए, तो यीशु यूहन्ना के विषय में लोगों से कहने लगा, “तुम जंगल में क्या देखने गए थे? क्या हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? 25 तो तुम फिर क्या देखने गए थे? क्या कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को? देखो, जो भड़कीला वस्त्र पहनते, और सुख-विलास से रहते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं। 26 तो फिर क्या देखने गए थे? क्या किसी भविष्यद्वक्ता को? हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, वरन् भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को। 27 यह वही है, जिसके विषय में लिखा है:

     ‘देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे-आगे भेजता हूँ, जो तेरे आगे मार्ग सीधा करेगा।’ (मला. 3:1, यशा. 40:3)

28 मैं तुम से कहता हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उनमें से यूहन्ना से बड़ा कोई नहीं पर जो परमेश्‍वर के राज्य में छोटे से छोटा है, वह उससे भी बड़ा है।” 29 और सब साधारण लोगों ने सुनकर और चुंगी लेनेवालों ने भी यूहन्ना का बपतिस्मा लेकर परमेश्‍वर को सच्चा मान लिया। 30 पर फरीसियों और व्यवस्थापकों ने उससे बपतिस्मा न लेकर परमेश्‍वर की मनसा को अपने विषय में टाल दिया।

31 “अतः मैं इस युग के लोगों की उपमा किस से दूँ कि वे किस के समान हैं? 32 वे उन बालकों के समान हैं जो बाजार में बैठे हुए एक दूसरे से पुकारकर कहते हैं, ‘हमने तुम्हारे लिये बाँसुरी बजाई, और तुम न नाचे, हमने विलाप किया, और तुम न रोए!’ 33 क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला न रोटी खाता आया, न दाखरस पीता आया, और तुम कहते हो, उसमें दुष्टात्मा है। 34 मनुष्य का पुत्र खाता-पीता आया है; और तुम कहते हो, ‘देखो, पेटू और पियक्कड़ मनुष्य, चुंगी लेनेवालों का और पापियों का मित्र।’ 35 पर ज्ञान अपनी सब सन्तानों से सच्चा ठहराया गया है।”

36 फिर किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; अतः वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा। 37 वहाँ उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई। 38 और उसके पाँवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पाँवों को आँसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पाँव बार-बार चूमकर उन पर इत्र मला। 39 यह देखकर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, “यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान जाता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिन है।” 40 यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा, “हे शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।” वह बोला, “हे गुरु, कह।” 41 “किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पाँच सौ, और दूसरा पचास दीनार देनदार था। 42 जब कि उनके पास वापस लौटाने को कुछ न रहा, तो उसने दोनों को क्षमा कर दिया। अतः उनमें से कौन उससे अधिक प्रेम रखेगा?” 43 शमौन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में वह, जिसका उसने अधिक छोड़ दिया।” उसने उससे कहा, “तूने ठीक विचार किया है।” 44 और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने शमौन से कहा, “क्या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्तु तूने मेरे पाँव धोने के लिये पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा।” (उत्प. 18:4) 45 तूने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूँ तब से इसने मेरे पाँवों का चूमना न छोड़ा। 46 तूने मेरे सिर पर तेल नहीं मला*; पर इसने मेरे पाँवों पर इत्र मला है। (भज. 23:5) 47 “इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ; कि इसके पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इसने बहुत प्रेम किया; पर जिसका थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।” 48 और उसने स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए।” 49 तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने-अपने मन में सोचने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?” 50 पर उसने स्त्री से कहा, “तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा।”



Luke 7:1

लोगों से ये सारी बातें सुना चुका

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “श्रोताओं को” या "लोगो को" या “सुनने वाले लोगो को”

Luke 7:2

उसका प्रिय था

“जो उसके लिए मूल्यवान था” या “जिसे वह बहुत मानता था”

यीशु की चर्चा सुनाई

“उसने यीशु के बारे में सुना तो ....”

आकर मेरे दास को चंगा कर

“उसको मरने से बचा ले” या “कुछ कर कि वह न मरे”

इस योग्य है

“वह शतपति इस योग्य है”

हमारी जाति

“हमारे लोगों से” अर्थात यहूदियों से

Luke 7:6

दुख न उठा

“मरे घर आने का कष्ट न कर” इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “मैं तुझे कष्ट देना नहीं चाहता” वह शतपति यीशु से विनम्र निवेदन कर रहा था।

मेरी छत तले आए

“मेरे घर में आए”, “छत तले आए” एक मुहावरा है। यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई मुहावरा है तो यहाँ उसके उपयोग के औचित्य पर विचार करें।

वचन ही कह दे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बस आज्ञा दे”। वह शतपति समझता था कि यीशु कह कर ही उसके सेवक को बचा सकता है।

मेरा सेवक चंगा हो जायेगा।

यहाँ जिस यूनानी शब्द का अनुवाद "सेवक" किया गया है उसका सामान्य अनुवाद “बालक” होता है। इसका अर्थ है कि वह सेवक या तो अल्पायु था या वह शतपति का अति प्रिय सेवक था।

दास (पद 8 ख)

यहाँ दास के मूल यूनानी शब्द का अर्थ “सेवक” है, जो अधीनस्थ काम करने वाले के लिए एक विशिष्ट शब्द है।

Luke 7:9

मैं तुम से कहता हूँ

यीशु यह कह कर अपनी आगे की आश्चर्यजनक बात पर बल दे रहा है।

मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया

कहने का अभिप्राय यह है कि यीशु को इस्त्राएलियों में ऐसे विश्वास की आशा थी परन्तु उनमें ऐसा विश्वास नहीं था। गैरयहूदियों से तो उसे विश्वास की आशा ही नहीं थी परन्तु इस मनुष्य में वह विश्वास था। आपको यह अभिप्रेत जानकारी देने की आवश्यकता होगी जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

भेजे हुए लोगों ने

“वे लोग जिनसे सूबेदार ने यीशु के पास जाकर निवेदन करने का आग्रह किया था”।

Luke 7:11

(ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

तो देखो, लोग एक मुरदे को

“देखो” शब्द हमें सतर्क करता है कि कहानी में एक मृतक का उल्लेख किया जा रहा है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है।

नगर के फाटक

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “नगर के प्रवेश द्वार पर”

मां का एकलौता पुत्र

“उस स्त्री का एक ही पुत्र”

विधवा

उसका पति मर चुका था

तरस आया

“उसके लिए उसे बहुत दुःख हुआ”

पास आकर

कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद है, “आगे बढ़ कर” या “उस समूह के निकट आकर”

अर्थी

यह एक प्रकार का चौखटा होता है जिस पर शव को रखकर कब्रिस्तान ले जाते थे, यह शव को दफन करने की वस्तु नहीं थी।

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु अपने अधिकार को व्यक्त करने के लिए ऐसा कहा था। इसका अर्थ है, “सुन”।

मुरदा

“वह मनुष्य जो मर चुका था”, वह अब मृतक न रहा, वह अब जीवित था।

Luke 7:16

सब पर भय छा गया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “सब भयातुर हो गए” या “सब भयभीत हो गए”

बड़ा भविष्यद्वक्ता

वे यीशु के बारे में कह रहे थे न कि किसी अन्य भविष्यद्वक्ता के बारे में, अतः इसका अनुवाद होगा, “यह बड़ा भविष्यद्वक्ता”

उठा है

“हमारे साथ रहने आया है” या “हम पर प्रकट हुआ है” या “हमने आज देखा है”।

कृपा दृष्टि की है

हमारी सुधि ली है

यह बात

"यह वचन" या “यह संदेश” या “यह समाचार”

फैल गई

“पहुंच गई” या “प्रसारित हो गई”

उसके विषय में यह बात.... सारे देश में फैल गई

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “लोगों ने यीशु की इस बात को सबमें फैला दिया” या "लोगों ने सब लोगों में यीशु के इस काम की चर्चा की", "यह बात"अर्थात पद 16 में लोग यीशु के बारे में जो कह रहे थे।

Luke 7:18

समाचार दिया

“यूहन्ना को सुनाया”

इन सब बातों का

“यीशु के कामों का”

प्रभु के पास.... भेजा

(यूहन्ना ने) उन्हें प्रभु के पास भेजा और उनसे कहा कि वे (प्रभु से) पूछें।

तेरे पास पूछने भेजा है कि क्या आनेवाला तू ही है?

“(यूहन्ना) ने हमें तेरे पास भेजा है क्योंकि वह पूछता है, “क्या तू ही वह है जो आनेवाला है”? या “यूहन्ना ने हमें भेजा कि तुझसे पूछें 'क्या तू ही वह है जो आनेवाला है'”? (यू.डी.बी.)

किसी दूसरे की बाट देखें?

“किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें” या “किसी दूसरे के आने की आशा रखें”

Luke 7:21

दुष्टात्माओं से छुड़ाया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने दुष्टात्माग्रस्त मनुष्यों को मुक्ति दिलाई”

“दी”

“दिया”

कंगालो

“गरीब लोगों को”

यूहन्ना से कह दो

“यूहन्ना को बता दो”

धन्य है वह जो मेरे विषय में ठोकर न खाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उस मनुष्य का कैसा सौभाग्य है जो मेरे कामों के कारण मुझमें विश्वास करने से टलता नहीं”

वह

यह किसी मनुष्य विशेष के संदर्भ में नहीं है इसलिए इसका अनुवद होगा, “जो मनुष्य” या “जो कोई भी” या “जो भी”

Luke 7:24

x

(यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में जनसमूह से कह रहा है)

तुम जंगल में क्या देखने गए थे?

यीशु ने तीन आलंकारिक प्रश्न पूछे कि श्रोता यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के बारे में पूछें। इसका अनुवाद हो सकता है, “क्या तुम... देखने गए थे? कदापि नहीं”। या “तुम निश्चय ही देखने नहीं गए थे”।

हवा से हिलते हुए सरकण्डे को?

इस रूपक का अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “हवा से हिलते हुए सरकण्डे सदृश्य मनुष्य को” इसकी दो संभावित व्याख्याएं हैं, (1) सरकण्डे हवा में आसानी से हिलते हैं, अतःऐसा मनुष्य जो आसानी से मनोदशा बदल लेते हैं, (2) हवा में सरकण्डे सरसराहट उत्पन्न करते हैं, अतः वह मनुष्य जो अधिक बातें करे परन्तु उसकी बातों का महत्त्वपूर्ण परिणाम न हो ।

कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को

“मूल्यवान वस्त्र धारण किए हुए मनुष्य को”, धनवान मनुष्य ऐसे वस्त्र पहनते हैं।

राजभवनों में

राजभवन वह विशाल स्थान होता है जहाँ राजा रहता है।

परन्तु

तो फिर क्या देखने गए थे?

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु इस उक्ति द्वारा अपनी अगली बात के महत्त्व पर बल दे रहा है

भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को

“साधारण भविष्यद्वक्ता को नहीं” या “एक भविष्यद्वक्ता से भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य को”।

Luke 7:27

x

(यीशु जनसमूह से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में ही चर्चा कर रहा है)

यह वही है जिसके विषय में लिखा है

“इसी भविष्यद्वक्ता के विषय में भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा था” या “यूहन्ना ही के बारे में वर्षों पूर्व भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा था”

देख

उस पद में यीशु भविष्यद्वक्ता मलाकी का उद्धरण दे रहा है, और वह कह रहा है कि यूहन्ना ही वह व्यक्ति है, जिसके बारे में मलाकी ने भविष्यद्वाणी की थी।

तेरे आगे आगे

“तुमसे पहले” या “तेरे आगे चलने के लिए” या “तेरे” एकवचन में है क्योंकि इस भविष्यद्वाणी में परमेश्वर मसीह के बारे में कह रहा है।

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा था इसलिए यहाँ “तुम” बहुवचन है। इस उक्ति के उपयोग द्वारा यीशु अपनी अगली बात के महत्त्व पर बल दे रहा था।

जो स्त्रियों से जन्मे हैं

“जिन्हें कभी किसी स्त्री ने जन्म दिया” यह एक अलंकार है जो सब मनुष्यों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जितने भी लोग इस दुनिया में आए है”,

यूहन्ना से बड़ा कोई नहीं

इसका सकारात्मक अनुवाद किया जा सकता है, “यूहन्ना महानतम है”।

परमेश्वर के राज्य में छोटे से छोटा है

यह उस मनुष्य के संदर्भ में है जो परमेश्वर द्वारा स्थापित राज्य का सदस्य है। इसका अनुवाद हो सकता है, “जो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर चुका है।

उससे भी बड़ा है

“यूहन्ना से भी बड़े आत्मिक स्तर पर”

Luke 7:29

x

(इस पुस्तक का लेखक लूका यूहन्ना और यीशु के प्रति मनुष्यों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी कर रहा है।)

परमेश्वर को सच्चा मान लिया था।

“उन्होंने कहा कि परमेश्वर ने स्वयं को धर्मी सिद्ध कर दिया है” या “उन्होंने घोषणा की कि परमेश्वर ने अपनी धार्मिकता प्रकट की है”

यूहन्ना का बपतिस्मा ले कर

“जिन्हें यूहन्ना ने बपतिस्मा दिया था” या “जिनका बपतिस्मा यूहन्ना के हाथों हुआ था”

बपतिस्मा न लेकर

“जिन्हें यूहन्ना ने बपतिस्मा नहीं दिया था” या “जिन्होंने यूहन्ना से बपतिस्मा लेना स्वीकार नहीं किया था” या “जिन्होंने यूहन्ना के बपतिस्मे को तुच्छ जाना था”

परमेश्वर के अभिप्राय को

“उनके लिए परमेश्वर के उद्देश्य को” या “उनके लिए परमेश्वर की योजना को” या “उनके लिए परमेश्वर की इच्छा को”

परमेश्वर के अभिप्राय को अपने विषय में टाल दिया

“परमेश्वर की अवज्ञा की” या “परमेश्वर की इच्छा पर विश्वास न करने की ठानी”

उससे बपतिस्मा न लेकर परमेश्वर के अभिप्राय को अपने विषय में टाल दिया।

इसका सलंग्न अर्थ हो सकता है, क्योंकि उन्होंने यूहन्ना के बपतिस्में को तुच्छ समझा था, वे अपने लिए परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार करने के लिए आत्मिक परिप्रेक्ष्य में तैयार नहीं थे।

Luke 7:31

x

(यीशु उन लोगों के बारे कह रहा है जिन्होंने उसे और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को परित्याग किया है)

इस युग के लोगों की उपमा किससे दूं

यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु यह प्रश्न पूछ कर तुलना कर रहा था जिसका उल्लेख वह अगले पद में करेगा। इस संपूर्ण प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है, “मैं इस पीढ़ी की तुलना करते हुए कहता हूँ कि वे उन बालकों के जैसे हैं....”

इस युग के लोगों

“आज के लोग” या “ये लोग” या “तुम जो इस पीढ़ी के हो”।

वे उन बालकों के समान हैं

यह यीशु की तुलना का आरंभ है। यह एक उपमा है । यीशु कह रहा था कि उसकी पीढ़ी के लोग उन बालकों के सदृश्य हैं जो अन्य बालकों के खेल से सन्तुष्ट नहीं थे।

बाजार

यह एक खुला मैदान होता या जहाँ व्यापारी अपना सामान बैचने आते थे।

बांसुरी

यह एक लम्बा खोखला संगीत वाद्य़ है जिसमें एक सिरे से हवा फूंक कर बजाया जाता था।

पर तुम न नाचे

“तुमने संगीत पर नृत्य नहीं किया”

और तुम न रोए

“तुम हमारे साथ दुखी नहीं हुए”

Luke 7:33

x

(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है। वह समझा रहा है कि उसने उनकी तुलना इन बालकों से क्यों की)

तुम कहते हो, उसमें दुष्टात्मा है

यीशु लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है कि वे यूहन्ना के लिए ऐसा कहते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम कहते हो कि उसमें दुष्टात्मा है,” या “तुम उसे दुष्टात्मा ग्रस्त होने का दोष देते हो”।

न रोटी खाता आया

“खाना नहीं खाता था” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह अधिकतर उपवास रखता था” इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना खाना ही नहीं खाता था।

मनुष्य का पुत्र

यीशु चाहता था कि उसके श्रोता जानें कि वह मनुष्य का पुत्र है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र”।

तुम कहते हो, देखो, पेटू....

यीशु अपने मनुष्य के पुत्र के बारे में मनुष्यों की राय व्यक्त कर रहा है, इसका अनुवाद बिना उद्धरण चिन्ह के किया जा सकता है। “तुम कहते हो कि वह पेटू है” या “तुम उसे बहुत खाने का दोष देते हो”। यदि आप “मनुष्य के पुत्र” का “मैं, मनुष्य का पुत्र” लिखते हैं तो अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम कहते हो कि मैं पेटू हूँ”

देखो पेटू,

“वह खाने का लोभी है”, या “उसे बहुत खाने की आदत है”।

पियक्कड़ मनुष्य

“मद्यव्यसनी” या “पीने का आदि”

ज्ञान अपनी सब सन्तानों द्वारा सच्चा ठहराया गया है।

यह संभवतः एक लोकोक्ति है जिसे यीशु इस परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहा था, क्योंकि उसका और यूहन्ना का परित्याग करने वाले बुद्धिमान नहीं थे।

Luke 7:36

किसी फरीसी ने

यह एक नया वृत्तान्त का आरंभ है

भोजन करने बैठा

“भोजन के लिए तख्त पर आधा लेटा” उनकी प्रथा में आराम से आधा लेट कर भोजन किया जाता था।

पापिनी स्त्री

“जिसकी जीवनशैली पाप की थी” या “जिसकी छवि थी कि वह पापी है”। अति संभव है कि वह एक वैश्या थी।

यह जानकर

यह एक लम्बा वाक्य है, कुछ भाषाओं में अधिक स्वभाविक होगा कि इसके छोटे-छोटे वाक्य बनाए जाएं। जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

संगमरमर के पात्र में

“मुलायम पत्थर का पात्र” संगमरमर एक मुलायम सफेद चट्टान होती है जिसमें सुराही आदि जैसे बर्तन बनते थे और लोग उनमें बहुमूल्य पदार्थ रखते थे।

इत्र

“उसके सुगन्धित द्रव्य” इत्र एक तेल होता है जिसकी सुगन्ध मनमोहक होती हे। लोग उसे अपने शरीर पर या वस्त्रों में लगाते थे कि उनके आसपास अच्छी सुंगन्ध व्याप्त हो।

सिर के बालों से

“अपने केश से”

Luke 7:39

अपने मन में सोचने लगा

“अपने मन में कहा”

यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान जाता

उस फरीसी ने सोचा कि यीशु भविष्यद्वक्ता नहीं है क्योंकि वह उस पापी स्त्री को स्पर्श करने दे रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्पष्ट है कि यीशु भविष्यद्वक्ता नहीं है यदि होता तो इस स्त्री को पहचान लेता”।

शमौन

यह इस फरीसी का नाम है जिसने यीशु को भोजन के लिए अपने घर में आमंत्रित किया था। वह शमौन पतरस नहीं था।

Luke 7:41

x

(यीशु ने शमौन फरीसी को क्षमा प्राप्त मनुष्यों की एक कहानी सुनाई।)

किसी महाजन के दो देनदार थे।

"एक महाजन के दो ऋणी थे"

पांच सौ दीनार

“पांच सौ दिन की मजदूरी” अर्थात एक "दीनार" प्रति दिन

पचास दीनार

"पचास दिन की मजदूरी"

पटाने को कुछ न रहा

“ऋण चुकाने के लिए कुछ न था”

उसने दोनों को क्षमा कर दिया।

उसने उनके ऋण क्षमा कर दिए।

मेरी समझ में

शमौन ने बड़ी सावधानी से उत्तर दिया था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “संभवतः ....”

तूने ठीक विचार किया है

“तू सही कहता है”

Luke 7:44

उस स्त्री की ओर फिर कर

“उस स्त्री को देखकर”, उसकी ओर देखकर यीशु ने शमौन का ध्यान उसकी ओर आकर्षित किया।

मेरे पांव धोने के लिए पानी .... आंसुओं से भिगोए

अतिथि के लिए शिष्टाचार व्यक्त करने की कुछ मुख्य विधियां थी। (यीशु शमौन में शिष्टाचार की कमी की तुलना उस स्त्री की आभार व्यक्ति से कर रहा है।)

उसने मेरे पांवों को चूमना न छोड़ा

इसका सकारात्मक अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह मेरे पांवों को लगातार चूम रही है”

Luke 7:46

x

(यीशु शमौन ही से बातें कर रहा है)

मेरे सिर पर तेल नहीं मला

“मेरे सिर में तेल नहीं डाला” यह माननीय अतिथि के स्वागत की रीति थी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे सिर पर तेल मल कर मेरा स्वागत नहीं किया”

मेरे पांवों पर इत्र मला

यद्यपि यह एक आम अभ्यास नहीं था, उस स्त्री ने ऐसा करके यीशु को अति सम्मानित किया।

इसके पाप जो बहुत थे क्षमा हुए

उसका अनुवाद भी कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है। “जिसने अधिक क्षमादान प्राप्त किया”, या “परमेश्वर ने उसके अधिक पाप क्षमा किया है”।

बहुत प्रेम किया

“इसे क्षमा करनेवाले से अधिक प्रेम किया है” या “परमेश्वर से अधिक प्रेम किया है”। कुछ भाषाओं में आवश्यकता होती है कि जिससे प्रेम किया गया उसका उल्लेख किया जाए।

जिसका थोड़ा क्षमा किया गया

“जिसे कम क्षमादान प्राप्त है” या “जिसे कम पाप क्षमा हुए”, इस वाक्य में यीशु एक सामान्य सिद्धान्त व्यक्त करता है। तथापि शमौन को समझ जाना था कि उसने यीशु से कम प्रेम किया।

Luke 7:48

तेरे पाप क्षमा हुए।

“तू क्षमा की गई है” इसे भी कर्तृवाच्य रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ”।

तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है

“तेरे विश्वास से तुझे उद्धार हुआ है”, विश्वास को विचार को क्रिया रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करती है, इसलिए तू उद्धार पाती है”।

कुशल से चली जा

यह अलविदा करने का एक रूप है जिसमें आशीर्वाद भी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जा और चिन्ता मत कर”, या “जा परमेश्वर तुझे शांति दे”।(यू.डी.बी)


Translation Questions

Luke 7:3

जब उस सूबेदार ने यहूदियों के पुरनियों को यीशु के पास भेजा तब उसने उससे पहले क्या निवेदन किया था?

उसने यीशु से कहा कि वह उसके घर आकर उसके दास को चंगा करे।

Luke 7:6

उस सूबेदार ने यीशु के पास अपने मित्रों को भेजकर यीशु से क्यों कहा कि वह उसके घर न आएं?

उस सूबेदार ने कहा कि वह इस योग्य नहीं कि यीशु उसके घर आए।

Luke 7:7

वह सूबेदार कैसे चाहता था कि यीशु उसके दास को चंगा करे?

उस सूबेदार ने यीशु से निवेदन किया कि वह बस कह दे कि उसका दास चंगा हो जाएं।

Luke 7:9

यीशु ने उस सूबेदार के विश्वास के बारे में क्या कहा?

यीशु ने कहा कि उसने इस्राएल में किसी में ऐसा विश्वास नहीं देखा।

Luke 7:13

उस विधवा के प्रति यीशु का व्यवहार कैसा था जिसका एक ही पुत्र मर गया था?

उसे उस पर तरस आया।

Luke 7:16

जब यीशु ने उस विधवा के पुत्र को मृतक से जीवित किया तब लोगों ने क्या कहा?

उन्होंने कहा, हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपा दृष्टि की है।

Luke 7:22

यीशु ने यूहन्ना के शिष्यों पर कैसे प्रकट किया कि आने वाला वही है?

यीशु ने अंधों को, लंगड़ों को, कोढ़ियों को, बहरों को चंगा किया और मृतकों को जिलाया।

Luke 7:26

यीशु ने यूहन्ना को क्या बताया?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना एक भविष्यद्वक्ता से भी बढ़कर है।

Luke 7:30

यूहन्ना से बपतिस्मा न लेकर फरीसियों और व्यवस्थापकों ने अपने लिए क्या किया?

उन्होंने परमेश्वर के अभिप्राय को टाल दिया।

Luke 7:33

यूहन्ना जो न तो रोटी खाता था और न दाखरस पीता था उसके लिए क्या करते थे?

उन्होंने कहा, उसमें दुष्टात्मा है।

Luke 7:34

यीशु खाता पीता आया तो वे उस पर क्या दोष लगाते थे?

वे यीशु को कहते थे कि वह पेटू और पियक्कड़ मनुष्य है।

Luke 7:38

उस फरीसी के घर में नगर की उस स्त्री ने क्या किया था?

उसने आंसुओं से यीशु के पांव धोए और अपने बालों से उन्हें पौंछा, उसके पावों को चूमकर उन पर इत्र मला।

Luke 7:47

यीशु ने कहा कि उसके बहुत पाप क्षमा हुए, इसलिए उसने क्या किया?

उसने बहुत प्रेम किया।

Luke 7:49

जब यीशु ने उस स्त्री से कहा कि उसके पाप क्षमा हुए तब साथ भोजन करने वालों ने क्या प्रतिक्रिया दिखाई?

?


Chapter 8

1 इसके बाद वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा, और वे बारह उसके साथ थे, 2 और कुछ स्त्रियाँ भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी*, जिसमें से सात दुष्टात्माएँ निकली थीं, 3 और हेरोदेस के भण्डारी खोजा की पत्‍नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियाँ, ये तो अपनी सम्पत्ति से उसकी सेवा करती थीं।।

4 जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर-नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उसने दृष्टान्त में कहा: 5 “एक बोनेवाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया। 6 और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु नमी न मिलने से सूख गया। 7 कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ-साथ बढ़कर उसे दबा लिया। 8 “और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।” यह कहकर उसने ऊँचे शब्द से कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन लें।”

9 उसके चेलों ने उससे पूछा, “इस दृष्टान्त का अर्थ क्या है?” 10 उसने कहा, “तुम को परमेश्‍वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिए कि

     ‘वे देखते हुए भी न देखें,

     और सुनते हुए भी न समझें।’ (मत्ती 4:11, यशा. 6:9-10)

11 “दृष्टान्त का अर्थ यह है: बीज तो परमेश्‍वर का वचन है। 12 मार्ग के किनारे के वे हैं, जिन्होंने सुना; तब शैतान आकर उनके मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएँ। 13 चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं। 14 जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता। 15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।

16 “कोई दिया जला कर* बर्तन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ। 17 कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो। 18 इसलिए सावधान रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो? क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”

19 उसकी माता और उसके भाई पास आए, पर भीड़ के कारण उससे भेंट न कर सके। 20 और उससे कहा गया, “तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।” 21 उसने उसके उत्तर में उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और मानते हैं।”

22 फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उसने उनसे कहा, “आओ, झील के पार चलें।” अतः उन्होंने नाव खोल दी। 23 पर जब नाव चल रही थी, तो वह सो गया: और झील पर आँधी आई, और नाव पानी से भरने लगी और वे जोखिम में थे। 24 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं।” तब उसने उठकर आँधी को और पानी की लहरों को डाँटा और वे थम गए, और शान्त हो गया। 25 और उसने उनसे कहा, “तुम्हारा विश्वास कहाँ था?” पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, “यह कौन है, जो आँधी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी मानते हैं?”

26 फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुँचे, जो उस पार गलील के सामने है। 27 जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिसमें दुष्टात्माएँ थीं। और बहुत दिनों से न कपड़े पहनता था और न घर में रहता था वरन् कब्रों में रहा करता था। 28 वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके सामने गिरकर ऊँचे शब्द से कहा, “हे परमप्रधान परमेश्‍वर के पुत्र यीशु! मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे पीड़ा न दे।” 29 क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिए कि वह उस पर बार-बार प्रबल होती थी। और यद्यपि लोग उसे जंजीरों और बेड़ियों से बाँधते थे, तो भी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उसे जंगल में भगाए फिरती थी। 30 यीशु ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने कहा, “सेना,” क्योंकि बहुत दुष्टात्माएँ उसमें समा गई थीं। 31 और उन्होंने उससे विनती की, “हमें अथाह गड्ढे में जाने की आज्ञा न दे।” 32 वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, अतः उन्होंने उससे विनती की, “हमें उनमें समाने दे।” अतः उसने उन्हें जाने दिया। 33 तब दुष्टात्माएँ उस मनुष्य से निकलकर सूअरों में समा गई और वह झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा।

34 चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गाँवों में जाकर उसका समाचार कहा। 35 और लोग यह जो हुआ था उसको देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं, उसे यीशु के पाँवों के पास कपड़े पहने और सचेत बैठे हुए पा कर डर गए। 36 और देखनेवालों ने उनको बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ। 37 तब गिरासेनियों के आस-पास के सब लोगों ने यीशु से विनती की, कि हमारे यहाँ से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था। अतः वह नाव पर चढ़कर लौट गया। 38 जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं वह उससे विनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा। 39 “अपने घर में लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्‍वर ने तेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं।” वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए।

40 जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उससे आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। 41 और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पाँवों पर गिरके उससे विनती करने लगा, “मेरे घर चल।” 42 क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी। जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे। 43 और एक स्त्री ने जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जीविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और फिर भी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी, 44 पीछे से आकर उसके वस्त्र के आँचल को छुआ, और तुरन्त उसका लहू बहना थम गया। 45 इस पर यीशु ने कहा, “मुझे किस ने छुआ?” जब सब मुकरने लगे, तो पतरस और उसके साथियों ने कहा, “हे स्वामी, तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है।” 46 परन्तु यीशु ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ है क्योंकि मैंने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है।” 47 जब स्त्री ने देखा, कि मैं छिप नहीं सकती, तब काँपती हुई आई, और उसके पाँवों पर गिरकर सब लोगों के सामने बताया, कि मैंने किस कारण से तुझे छुआ, और कैसे तुरन्त चंगी हो गई। 48 उसने उससे कहा, “पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।” 49 वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहाँ से आकर कहा, “तेरी बेटी मर गई: गुरु को दुःख न दे।” 50 यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, “मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी*।” 51 घर में आकर उसने पतरस, और यूहन्ना, और याकूब, और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया। 52 और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उसने कहा, “रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है।” 53 वे यह जानकर, कि मर गई है, उसकी हँसी करने लगे। 54 परन्तु उसने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, “हे लड़की उठ!” 55 तब उसके प्राण लौट आए और वह तुरन्त उठी; फिर उसने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए। 56 उसके माता-पिता चकित हुए, परन्तु उसने उन्हें चेतावनी दी, कि यह जो हुआ है, किसी से न कहना।



Luke 8:1

(और ऐसा हुआ)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

जो दुष्टात्मा से और बीमारियों से छुड़ाई गई थी।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, “जिन्हें यीशु ने प्रेत मुक्ति और रोग मुक्ति दिलाई थी।

मरियम.... और .... बहुत सी अन्य स्त्रियां

तीन स्त्रियों के नामों का उल्लेख किया गया है, मरियम, योअन्ना और सूसन्नाह।

हेरोदेस के भण्डारी खुज़ा की पत्नी योअन्ना

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यूहन्ना जो हेरोदेस के प्रबन्धक खुज़ा की पत्नी थी।" यूअन्ना खुजा की पत्नी थी और खुजा हेरोदेस का प्रबन्धक था।

Luke 8:4

एक बोने वाला बीज बोने निकला

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक किसान खेत में बीज डालने निकला”

मार्ग के किनारे

“मार्ग पर” या “पगडंडी पर” मनुष्यों के आवागमन के कारण वह भूमि कठोर हो गई थी।

रौंदा गया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पांवों तले दबते रहने के कारण उग नहीं पाए” या कतृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी में है ।

पक्षियों ने उसे चुग लिया

“पक्षी उसे खा गए”

सूख गया

“पौधे सूख कर मर गए”

तरी न मिलने से

इसका अनुवाद हो सकता है, “भूमि सूखी होने के कारण”

Luke 8:7

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

झाड़ियों ने .... उसे दबा लिया

झाड़ियों ने खाद, पानी और सूर्य का प्रकाश लेकर उन्हें बढ़ने नहीं दिया”

उगकर

“फसल लाया” या “कई गुणा बीज लाया”

जिसके पास सुनने के लिए कान हों वह सुन ले

कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक स्वाभाविक होता है।

जिसके सुनने के कान हों

“जो सुन रहा है” या “जो मेरी वाणी सुनता है”

वह सुन ले

"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"।

Luke 8:9

तुमको ...समझ दी गई है।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में तथा अभिप्रेत जानकारी के साथ किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हें समझने का वरदान दिया है” या “परमेश्वर ने तुम्हें समझने की क्षमता दी है”।(देखें: और )

परमेश्वर के राज्य के भेदों

ये सत्य छिपे हुए थे परन्तु यीशु ने उन्हें प्रकट किया है।

वे देखते हुए भी न देखें

“यद्यपि वे देखते है, वे अंतर्ग्रहण नहीं कर पायंगे, यदि क्रिया को कर्म की आवश्यकता है तो उसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यद्यपि वे सब बातों को देखते हैं उन्हें समझेंगे नहीं” या “यद्यपि वे घटनाओं को देखेंगे, वे उनका अर्थ नहीं समझेंगे।”(देखें: the section about )

सुनते हुए भी न समझें

“यद्यपि वे सुनते हैं, वे समझेंगे नहीं, “यदि क्रिया को कर्म की आवश्यकता है तो इसकी रचना इस प्रकार की जाएगी, “यद्यपि वे निर्देशनों को सुनते हैं, वे सत्य को अंतर्ग्रहण नहीं कर पायेंगे”।

Luke 8:11

x

(यीशु अपने शिष्यों ही से बातें कर रहा है। वह उन्हें इस शिक्षाप्रद कथा का अर्थ समझा रहा है)

शैतान आकर उनके मन में से वचन उठा ले जाता है।

अर्थात उन्होंने परमेश्वर का वचन सुना परन्तु शैतान ने उनसे वह भुला दिया।

“उठा ले जाता है”

कथा में पक्षी द्वारा बीज चुगना एक रूपक है। अपनी भाषा में उन शब्दों का उपयोग करे जो इस रूपक को बनाए रखे।

कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “वे विश्वास करें और परमेश्वर उनका उद्धार करे। क्योंकि यह शैतान की युक्ति है। इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्योंकि शैतान सोचता है, वे विश्वास न करें और उद्धार से वंचित हो जाएं”।

परीक्षा के समय बहक जाते हैं

“कठिनाइयों के समय वे विश्वास से विमुख हो जाते हैं” या “कठिनाइयां आने पर वे विश्वास करना छोड़ देते हैं।”

Luke 8:14

x

(यीशु इस शिक्षाप्रद कथा का ही अर्थ समझा रहा है)

चिन्ता... में फंस जाते हैं

“इस जीवन की चिन्ता, घर का लालच और सुखभोग उनके विश्वास को कुंठित कर देता है” या “जिस प्रकार झाड़ियां अच्छे पौधे को बढ़ने नहीं देती, उसी प्रकार चिन्ताए, धन, लोलुपता और विलासिता की चाह इन मनुष्यों को विश्वास में परिपक्व नहीं होने देते”।

चिन्ता

“जिन बातों के लिए मनुष्य परेशान होता है,”

जीवन के सुखविलास

“जीवन में मनुष्यों के सुख-भोग की बातें”

उनका फल नहीं पकता

“वे पक्का फल नहीं लाते”, इस रूपक का अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “जैसे एक दृश्य परिपक्व होकर फल नहीं लाता, वे भी परिपक्व होकर भले काम नहीं करते”।

धीरज से फल लाते हैं

“धीरज से फल लाते हैं”, इस रूपक का अनुवाद उपमा के उपयोग से भी किया जा सकता है, “ऐसे फल लाते हें जैसे एक अच्छा वृक्ष अच्छे फल लाता है, वे यत्न करके भले काम करते हैं”

Luke 8:16

x

(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है)

दीया

यह एक छोटी कटोरी होती थी जिसमें वे जैतून का तेल डाल कर उनमें बत्ती लगाकर जलाते थे।

दीवट

“मेज” या “ताक”

कुछ छिपा नहीं जो प्रकट न हो

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, “छिपी हुई हर एक बात प्रकट की जाएगी”

न कुछ गुप्त है जो जाना न जाए और प्रकट न हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक गुप्त बात जान ली जाएगी वरन प्रकाश में आएगी”।

किस रीति से सुनते हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम मेरी बातों को किस प्रकार सुनते हो” या “तुम परमेश्वर के वचन को कैसे सुनते हो”।

जिसके पास है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ है” या “जो मेरी शिक्षाओं को ग्रहण करता है”।

उसे दिया जाएगा

“उसे और अधिक दिया जाएगा”,इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर उसे और अधिक देगा”।

जिसके पास नहीं है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ नहीं है” या “जो मेरी शिक्षा को ग्रहण नहीं करता है”।

Luke 8:19

उसके भाई

यीशु के अपने छोटे भाई

उससे कहा गया

“लोगों ने उससे कहा”, या “किसी ने उससे कहा”

तुम से मिलना चाहते है

“तुझसे भेंट करने की प्रतीक्षा में हैं”, या “वे तुझसे मिलना चाहते हैं”

मेरी माता और मेरे भाई ये ही हैं जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।

इस रूपक को उपमा देकर अनुवाद किया जा सकता है, “परमेश्वर का वचन सुनकर उसका पालन करनेवाले मेरे लिए माता और भाई स्वरूप हैं”। या “जो परमेश्वर के वचन को सुनकर उसका पालन करते वे मेरे लिए माता और भाई का स्थान रखते हैं”।

Luke 8:22

तो ऐसा हुआ

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

नाव चल रही थी

“जब वे नाव में जा रहे थे”

वह सो गया

“उसे नींद आ गई”

आंधी आई

“अकस्मात की प्रचण्ड आंधी चलने लगी”

Luke 8:24

स्वामी

यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी”

डांटा

“कठोरता से कहा”

थम गए

“आंधी और विचलित पानी शान्त हो गए”।

तुम्हारा विश्वास कहां था?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है, “यीशु उनकी मृदु ताड़ना कर रहा था क्योंकि उनमे विश्वास नहीं था कि वे उसके साथ सुरक्षित है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम्हें विश्वास करना था” या “तुम्हें मुझ पर तो विश्वास होना था”

यह कौन है?

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह कैसा मनुष्य है”?

जो आंधी और पानी को भी आज्ञा देता है!

यह एक नये वाक्य का आरंभ हो सकता है, “यह आज्ञा देता है......”

Luke 8:26

गिरासेनियों के देश में

गिरासेनी गिरासा नगर के निवासी थे

गलील के सामने

“झील के पार गलील को देखता हुआ”

इस नगर का एक मनुष्य

"गिरासा नगर का एक व्यक्ति"

जिसमें दुष्टातमाएं थी

“वह दुष्टात्माओं के वश में था”

न कपड़े पहनता था

“वह कपड़े नहीं पहनता था”

कब्रों

जहाँ वे अपने मृतक रखते थे। संभवतः गुफाएं। वह उनमें रहता था, तो इससे प्रकट होता है कि वे कब्र भूमिगत नहीं थी।

Luke 8:28

वह यीशु को देख कर

"जब उस दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य ने यीशु को देखा।"

चिल्लाया

“उसने ऊंची आवाज में कहा” या “चिल्लाया”

गिरकर

“भूमि पर लेट गया” वह ठोकर खाकर नहीं गिरा था अपितु डर के कारण भूमि पर लेट गया था।

ऊंचे शब्द से कहा

"ऊंचे स्वर में बोला" या “पुकार कर कहा”

मुझे तुमसे क्या काम

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू मुझे कष्ट क्यों देता है”?

उस पर बार-बार प्रबल होती थी

“वह उस व्यक्ति को वशीभूत करती थी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उसे दबाती रहती थी” यह वाक्य और अगला वाक्य स्पष्ट करते हैं कि यीशु के साक्षात्कार से पूर्व उन दुष्टात्माओं ने उस मनुष्य के माध्यम से क्या-क्या किया था।

लोग उसे सांकलों और बेड़ियों से बान्धते थे

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यद्यपि लोग उसे वश में करने के लिए जज़ीरों से बान्धते थे”

Luke 8:30

सेना

“इस शब्द का अनुवाद एक ऐसे शब्द से किया जाए जिसका अर्थ हो, बहुत संख्या में सैनिक या मनुष्य। इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “सैन्य दल” या “टोली”

अथाह गड़हे में जाने की आज्ञा न दे।

“उस व्यक्ति से निकल कर नरक में जाने की आज्ञा न दे”।

Luke 8:32

वहां पहाड़ पर सुअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था

“वहीं पास में पहाड़ पर बहुत से सुअर चर रहे थे”

झपटकर

“तेजी से दौड़कर”

Luke 8:34

भागे

“उन्होंने अतिशीघ्र जाकर”

जिस मनुष्य से दुष्टात्माएं निकली थी ..... सचेत बैठे हुए पाकर

“जिस व्यक्ति से दुष्टात्माएं निकली थी उसे देखा

कपड़े पहने

“वह कपड़े पहने हुए था”

सचेत

“वह उचित मानसिक अवस्था में था” या “उसका व्यवहार सामान्य था”

यीशु के पावों के पास

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “भूमि पर बैठा यीशु की बातें सुन रहा था”।

डर मत

“वे यीशु से डर गए”

Luke 8:36

देखनेवालों ने उनको बताया

ये वे लोग थे जो उस मनुष्य की प्रेत मुक्ति के समय वहां थे।

अच्छा हुआ

“बचाया गया” या “मुक्त किया गया” या “स्वस्थ किया गया”

गिरासेनियों के देश में

“उस क्षेत्र के” या “गिरासेनियों के क्षेत्र के”

बड़ा भय छा गया

“भयभीत हो गए”

Luke 8:38

जिस मनुष्य में से दुष्टात्माएं निकाली गई थी

कुछ अनुवादक इस वाक्य का आरंभ इस प्रकार करना चाहते हैं, “यीशु और उसके शिष्यों के प्रस्थान से पूर्व, उस मनुष्य ने” या “यीशु और उसके शिष्यों के नाव में सवार होने से पूर्व”

उसे विदा करके

“यीशु ने उसे घर भेज दिया”

अपने घर

“अपने परिवार में” या “अपने कुटुम्ब में”

Luke 8:40

लोग उससे आनन्द के साथ मिले

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जनसमूह ने बड़े आनन्द से उसका स्वागत किया”

इतने में याईर नामक एक मनुष्य

“इतने में” कहानी में एक नये नायक, याईर की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है।

आराधनालय का सरदार था

“स्थानीय आराधनालय का अगुआ” या “वहां के आराधनालय के सदस्यों का अगुआ”

यीशु के पावों पर गिर के

(1) यीशु को दण्डवत किया” या (2) यीशु के चरणों में लेट गया” वह ठोकर खाकर नहीं गिरा था। उसने दीनता और श्रद्धा के साथ ऐसा किया था।

वह मरने पर थी।

“वह मरनेवाली थी” या “वह मृत्यु के मुंह में थी”

जब वह जा रहा था

कुछ अनुवादों में आवश्यक होगा कि पहले कहा जाए, “यीशु उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया”

लोग उस पर गिरे पड़ते थे

"लोग यीशु को छूते हुए चल रहे थे"

Luke 8:43

x

(यह घटना उस समय की है जब यीशु याईर की पुत्री को रोग-मुक्त करने जा रहा था)।

लहू बहने का रोग

“रक्त बहता था” संभवतः लगातार रजोधर्म का स्राव। कुछ संस्कृतियों में इसके लिए मृदुभाषी शब्द होगा।

किसी के हाथ से चंगी ना हो सकी।

“कोई उसका सफल उपचार नहीं कर पाया”

उसके वस्त्र के आंचल को छुआ

“उसके चोगे के सिरे को छू लिया” यहूदी पुरूष अपने चोगे के सिरे पर झालन लगवाते थे जो उनके सांस्कारिक वस्त्र के द्योतक थे। यह परमेश्वर की ओर से आदेशित था। अति संभव है कि उसने वह झालन छू लिया था।

Luke 8:45

x

(यीशु याईर की पुत्री के रोगहरण हेतु जा रहा था)

स्वामी

यहाँ स्वामी का मूल शब्द है उसका अर्थ दास का स्वामी नहीं है। यह एक अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के मालिक के लिए। आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “प्रधान जी” या “श्रीमान जी”

तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पडती है।

पतरस के कहने का अर्थ है कि सब तो उसका स्पर्श कर रहे हैं। यह निहितार्थ आवश्यकता के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

मुझमें से सामर्थ्य निकली है

“मुझे अपने में से रोगहरण सामर्थ्य का प्रवाह होता प्रतीत हुआ है, “इसका अर्थ यह नहीं कि यीशु सामर्थ्य में कम या दुर्बल हुआ था। उसके सामर्थ्य से वह स्त्री रोग-मुक्त हो गयी थी।

Luke 8:47

x

(यीशु याईर की पुत्री के रोगहरण हेतु जा रहा है)

उस स्त्री ने देखा कि मैं छिप नहीं सकती

“उसने देखा कि उसके द्वारा यीशु को स्पर्श करना छिपा नहीं रह सकता”

सब लोगों के सामने

“सबके समक्ष” या “सब के सुनते हुए” या “सबकी उपस्थिति में”

पावों पर गिरकर

इसके संभावित अर्थ हें, (1) “यीशु को दण्डवत करके या (2) “वह यीशु के चरणों में नतमस्तक हुई” यहाँ गिरने का अर्थ ठोकर खाकर गिरना नहीं है। यह दीनता और श्रद्धा का चिन्ह है।

पुत्री

यह किसी स्त्री को संबोधित करने का एक दया का शब्द था। आपकी भाषा में इस प्रकार के दयापूर्ण शब्द का पयार्यवाची शब्द हो सकता है।

तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है

“यह तेरा विश्वास है जिसने रोग को हर लिया है” यहाँ विश्वास का अनुवाद क्रिया रूप में किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करती है इसलिए तू निरोग हो गई है”।

कुशल से चली जा

यह एक प्रकार से आशिषों के साथ विदा करना है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चिन्त होकर जा” या “जा परमेश्वर तुझे शान्ति दे”(यू.डी.बी)।

Luke 8:49

x

(यीशु ने उस स्त्री को विदा किया ही था कि याईर के घर से एक सन्देशवाहक आया)

वह यह कह ही रहा था

“यीशु उस स्त्री से अन्तिम वचन कह ही रहा था”

आराधनालय के सरदार

अर्थात याईर के। वह स्थानीय आराधनालय के अगुवों में से एक था।

उसे उत्तर दिया

यीशु ने याईर से कहा- यीशु सन्देशवाहक से नहीं आराधनालय के अगुवे से कह रहा था।

वह बच जाएगी

“वह स्वस्थ होगी” “वह जिएगी”(यू.डी.बी)

Luke 8:51

x

(उसकी पुत्री के मरने का समाचार सुनकर भी यीशु उसके घर जा रहा है)

घर में आकर

यीशु के साथ अन्य लोग भी थे, अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब वे उसके घर पहुंचे तब यीशु .......”

पतरस, यूहन्ना, याकूब और लड़की के माता-पिता को छोड़कर

“उसने केवल पतरस, यूहन्ना और याकूब तथा उस मृतक लड़की के माता पिता को भीतर आने दिया”।

सब उसके लिए रो-पीट रहे थे

“सब लोग उस बालिका की मृत्यु पर दुःख मना रहे थे”

Luke 8:54

हे लड़की, उठ।

“हे बालिका उठ”

उसके प्राण लौट आए

“प्राण” का अनुवाद “सांसें” या “जीवन” भी किया जा सकता है। इस वाक्याँश का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जीवित हो गई” या “उसमें जान आ गई”


Translation Questions

Luke 8:3

स्त्रियों का वह बड़ा समूह यीशु और उसके चेलों के लिए क्या करता था?

कुछ स्त्रियां अपनी सम्पत्ति से उसकी सेवा करती थी।

Luke 8:11

यीशु के दृष्टान्त में जो बीज बोया गया वह क्या था?

बीज परमेश्वर का वचन है।

Luke 8:12

जो बीज मार्ग के किनारे गिरे वे क्या हैं और उनका क्या होता है?

वे वचन को सुनते तो हैं परन्तु शैतान आकर उसे ले जाता है कि वे विश्वास करके बचाए न जाएं।

Luke 8:13

पथरीली भूमि में गिरने वाले बीज क्या हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग है जो बड़े आनन्द से वचन को ग्रहण करते हैं परन्तु परीक्षा के समय विश्वास करना छोड़ देते हैं।

Luke 8:14

कंटीली झाड़ियां में गिरने वाले क्या हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग हैं जो वचन को सुनते है परन्तु चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास के कारण वह दब जाते हैं और वे परिपक्व होकर फल नहीं लाते।

Luke 8:15

अच्छी भूमि पर गिरने वाले बीज क्या हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग हे जो वचन को सुनकर उसे थामते हैं और यत्न से फल उत्पन्न करते हैं।

Luke 8:21

यीशु ने किसको अपनी माता और भाई कहा?

ये वे लोग हैं जो परमेश्वर का वचन सुनकर उस पर चलते हैं।

Luke 8:25

जब यीशु ने आंधी और पानी को शान्त किया तब चेलों ने क्या कहा?

वे आश्चर्य करने लगे कि "यह कौन है जो आंधी और पानी को भी आज्ञा देता है और वे उसकी मानते हैं?"

Luke 8:27

गिरासेनियों के देश में उस व्यक्ति से दुष्टात्माएं क्या करवाती थी?

वे उसे निर्वस्त्र कब्रों में रहने पर विवश करती थी और वह सांकलों और बेड़ियों को तोड़ देता था और वे उसे जंगलों में भगाती थी।

Luke 8:33

यीशु ने दुष्टात्माओं को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दी तो उन्होंने क्या किया?

दुष्टात्माएं सूअरों के झुण्ड में चली गई और सूअर झील में डूब कर मर गए।

Luke 8:39

यीशु ने उस व्यक्ति से क्या करने को कहा?

यीशु ने उससे कहा कि वह घर जाकर बताए कि परमेश्वर ने उसके लिए कैसे महान काम किए।

Luke 8:48

यीशु के अनुसार उस रक्त बहने वाली स्त्री की चंगाई का कारण क्या था?

वह यीशु में विश्वास के कारण रोग मुक्त हो गई थी।

Luke 8:55

यीशु ने याईर के घर में क्या किया?

यीशु ने याईर की पुत्री को मृतक से जिलाया।


Chapter 9

1 फिर उसने बारहों को बुलाकर उन्हें सब दुष्टात्माओं और बीमारियों को दूर करने की सामर्थ्य और अधिकार दिया। 2 और उन्हें परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार करने, और बीमारों को अच्छा करने के लिये भेजा। 3 और उसने उनसे कहा, “मार्ग के लिये कुछ न लेना: न तो लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपये और न दो-दो कुर्ते। 4 और जिस किसी घर में तुम उतरो, वहीं रहो; और वहीं से विदा हो। 5 जो कोई तुम्हें ग्रहण न करेगा उस नगर से निकलते हुए अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।” 6 अतः वे निकलकर गाँव-गाँव सुसमाचार सुनाते, और हर कहीं लोगों को चंगा करते हुए फिरते रहे।

7 और देश की चौथाई का राजा हेरोदेस यह सब सुनकर घबरा गया, क्योंकि कितनों ने कहा, कि यूहन्ना मरे हुओं में से जी उठा है। 8 और कितनों ने यह, कि एलिय्याह दिखाई दिया है: औरों ने यह, कि पुराने भविष्यद्वक्ताओं में से कोई जी उठा है। 9 परन्तु हेरोदेस ने कहा, “यूहन्ना का तो मैंने सिर कटवाया अब यह कौन है, जिसके विषय में ऐसी बातें सुनता हूँ?” और उसने उसे देखने की इच्छा की।।

10 फिर प्रेरितों ने लौटकर जो कुछ उन्होंने किया था, उसको बता दिया, और वह उन्हें अलग करके बैतसैदा* नामक एक नगर को ले गया। 11 यह जानकर भीड़ उसके पीछे हो ली, और वह आनन्द के साथ उनसे मिला, और उनसे परमेश्‍वर के राज्य की बातें करने लगा, और जो चंगे होना चाहते थे, उन्हें चंगा किया। 12 जब दिन ढलने लगा, तो बारहों ने आकर उससे कहा, “भीड़ को विदा कर, कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर अपने लिए रहने को स्थान, और भोजन का उपाय करें, क्योंकि हम यहाँ सुनसान जगह में हैं।” 13 उसने उनसे कहा, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने कहा, “हमारे पास पाँच रोटियाँ और दो मछली को छोड़ और कुछ नहीं; परन्तु हाँ, यदि हम जाकर इन सब लोगों के लिये भोजन मोल लें, तो हो सकता है।” 14 (क्योंकि वहाँ पर लगभग पाँच हजार पुरुष थे।) और उसने अपने चेलों से कहा, “उन्हें पचास-पचास करके पाँति में बैठा दो।” 15 उन्होंने ऐसा ही किया, और सब को बैठा दिया। 16 तब उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और स्वर्ग की और देखकर धन्यवाद किया, और तोड़-तोड़कर चेलों को देता गया कि लोगों को परोसें। 17 अतः सब खाकर तृप्त हुए, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भरकर उठाई। (2 राजा. 4:44)

18 जब वह एकान्त में प्रार्थना कर रहा था, और चेले उसके साथ थे, तो उसने उनसे पूछा, “लोग मुझे क्या कहते हैं?” 19 उन्होंने उत्तर दिया, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, और कोई-कोई एलिय्याह, और कोई यह कि पुराने भविष्यद्वक्ताओं में से कोई जी उठा है।” 20 उसने उनसे पूछा, “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” पतरस ने उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का मसीह*।” 21 तब उसने उन्हें चेतावनी देकर कहा, “यह किसी से न कहना।”

22 और उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे।”

23 उसने सबसे कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति-दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। 24 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा। 25 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपना प्राण खो दे, या उसकी हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? 26 जो कोई मुझसे और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्गदूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उससे लजाएगा। 27 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कोई-कोई ऐसे हैं कि जब तक परमेश्‍वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद न चखेंगे।”

28 इन बातों के कोई आठ दिन बाद वह पतरस, और यूहन्ना, और याकूब को साथ लेकर प्रार्थना करने के लिये पहाड़ पर गया। 29 जब वह प्रार्थना कर ही रहा था, तो उसके चेहरे का रूप बदल गया, और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा। 30 तब, मूसा और एलिय्याह*, ये दो पुरुष उसके साथ बातें कर रहे थे। 31 ये महिमा सहित दिखाई दिए, और उसके मरने की चर्चा कर रहे थे, जो यरूशलेम में होनेवाला था। 32 पतरस और उसके साथी नींद से भरे थे, और जब अच्छी तरह सचेत हुए, तो उसकी महिमा; और उन दो पुरुषों को, जो उसके साथ खड़े थे, देखा। 33 जब वे उसके पास से जाने लगे, तो पतरस ने यीशु से कहा, “हे स्वामी, हमारा यहाँ रहना भला है: अतः हम तीन मण्डप बनाएँ, एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।” वह जानता न था, कि क्या कह रहा है। 34 वह यह कह ही रहा था, कि एक बादल ने आकर उन्हें छा लिया, और जब वे उस बादल से घिरने लगे, तो डर गए। 35 और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इसकी सुनो।” (2पत. 17-18, यशा. 42:1) 36 यह शब्द होते ही यीशु अकेला पाया गया; और वे चुप रहे, और जो कुछ देखा था, उसकी कोई बात उन दिनों में किसी से न कही।

37 और दूसरे दिन जब वे पहाड़ से उतरे, तो एक बड़ी भीड़ उससे आ मिली। 38 तब, भीड़ में से एक मनुष्य ने चिल्लाकर कहा, “हे गुरु, मैं तुझ से विनती करता हूँ, कि मेरे पुत्र पर कृपादृष्‍टि कर; क्योंकि वह मेरा एकलौता है। 39 और देख, एक दुष्टात्मा उसे पकड़ती है, और वह एकाएक चिल्ला उठता है; और वह उसे ऐसा मरोड़ती है, कि वह मुँह में फेन भर लाता है; और उसे कुचलकर कठिनाई से छोड़ती है। 40 और मैंने तेरे चेलों से विनती की, कि उसे निकालें; परन्तु वे न निकाल सके।” 41 यीशु ने उत्तर दिया, “हे अविश्वासी और हठीले लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा, और तुम्हारी सहूँगा? अपने पुत्र को यहाँ ले आ।” 42 वह आ ही रहा था कि दुष्टात्मा ने उसे पटककर मरोड़ा, परन्तु यीशु ने अशुद्ध आत्मा को डाँटा और लड़के को अच्छा करके उसके पिता को सौंप दिया। 43 तब सब लोग परमेश्‍वर के महासामर्थ्य से चकित हुए। परन्तु जब सब लोग उन सब कामों से जो वह करता था, अचम्भा कर रहे थे, तो उसने अपने चेलों से कहा, 44 “ये बातें तुम्हारे कानों में पड़ी रहें, क्योंकि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाने को है।” 45 परन्तु वे इस बात को न समझते थे, और यह उनसे छिपी रही; कि वे उसे जानने न पाएँ, और वे इस बात के विषय में उससे पूछने से डरते थे।

46 फिर उनमें यह विवाद होने लगा, कि हम में से बड़ा कौन है? 47 पर यीशु ने उनके मन का विचार जान लिया, और एक बालक को लेकर अपने पास खड़ा किया, 48 और उनसे कहा, “जो कोई मेरे नाम से इस बालक को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है, क्योंकि जो तुम में सबसे छोटे से छोटा है, वही बड़ा है।”

49 तब यूहन्ना ने कहा, “हे स्वामी, हमने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा, और हमने उसे मना किया, क्योंकि वह हमारे साथ होकर तेरे पीछे नहीं हो लेता।” 50 यीशु ने उससे कहा, “उसे मना मत करो; क्योंकि जो तुम्हारे विरोध में नहीं, वह तुम्हारी ओर है।”

51 जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम को जाने का विचार दृढ़ किया। 52 और उसने अपने आगे दूत भेजे: वे सामरियों के एक गाँव में गए, कि उसके लिये जगह तैयार करें। 53 परन्तु उन लोगों ने उसे उतरने न दिया*, क्योंकि वह यरूशलेम को जा रहा था। 54 यह देखकर उसके चेले याकूब और यूहन्ना ने कहा, “हे प्रभु; क्या तू चाहता है, कि हम आज्ञा दें, कि आकाश से आग गिरकर उन्हें भस्म कर दे?” 55 परन्तु उसने फिरकर उन्हें डाँटा [और कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम कैसी आत्मा के हो। क्योंकि मनुष्य का पुत्र लोगों के प्राणों को नाश करने नहीं वरन् बचाने के लिये आया है।”] 56 और वे किसी और गाँव में चले गए।

57 जब वे मार्ग में चले जाते थे, तो किसी ने उससे कहा, “जहाँ-जहाँ तू जाएगा, मैं तेरे पीछे हो लूँगा।” 58 यीशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं, पर मनुष्य के पुत्र को सिर रखने की भी जगह नहीं।” 59 उसने दूसरे से कहा, “मेरे पीछे हो ले।” उसने कहा, “हे प्रभु, मुझे पहले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूँ।” 60 उसने उससे कहा, “मरे हुओं को अपने मुर्दे गाड़ने दे, पर तू जाकर परमेश्‍वर के राज्य की कथा सुना।” 61 एक और ने भी कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे पीछे हो लूँगा; पर पहले मुझे जाने दे कि अपने घर के लोगों से विदा हो आऊँ।” (1 राजा. 19:20) 62 यीशु ने उससे कहा, “जो कोई अपना हाथ हल पर रखकर पीछे देखता है, वह परमेश्‍वर के राज्य के योग्य नहीं।”



Luke 9:1

बारहों

बारहों - उसके बारह शिष्य जिन्हें उसने चुनकर अलग कर लिया था कि वे उसके प्रेरित हों।

सामर्थ्य और अधिकार

सामर्थ्य और अधिकार - इन दोनों शब्दों का उपयोग एक साथ इसलिए किया गया है कि उन बारहों को मनुष्यों के रोग हरण की क्षमता एवं अधिकार दिया गया था। इस वाक्यांश का अनुवाद इन दोनों शब्दों के अभिप्राय को एक साथ रख कर करें।

बिमारियों

बिमारियों का अर्थ है मनुष्यों को दुर्बल बनाने के कारण

भेजा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्हें विभिन्न स्थानों में भेजा” या “उनसे कहा कि वे जाएं”

Luke 9:3

इसने उनसे कहा

“यीशु ने उन बारहों से कहा”

कुछ न लेना

कुछ न लेना - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने साथ कुछ भी न लेना” या “कुछ भी साथ लेकर न चलना”

मार्ग के लिए

“अपनी प्रचार यात्रा में” या “जब तुम जाओ” जब तक वे यीशु के पास लौट कर न आ जाएं, उन्हें अपने गांव-गांव भ्रमण करने में कुछ भी पहले से साथ लेकर नहीं चलना था।

लाठी

लाठी - “डंडा” या “चलने के लिए लकड़ी” लाठी या डंडा ऊंचे-नीचे रास्तों पर चलने के लिए संतुलन बनाने हेतु और आत्मरक्षा के लिए साथ रखा जाता था।

जिस किसी घर में तुम उतरो

“जिस घर में प्रवेश करो”

वहीं रहो

"वहीं ठहरना" या "उसी परिवार का आतिथ्य स्वीकार करना"

वहां से

“उस शहर से” या “उस स्थान से”

Luke 9:5

x

(यीशु अपने शिष्यों को निर्देश दे रहा है)

जो तुम्हें ग्रहण न करे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो लोग तुम्हारा स्वागत न करें उनके साथ जो व्यवहार तुम्हें करना है वह यह होगा.”

निकल कर

“जहाँ यीशु था वहां से प्रस्थान किया।”

फिरते रहे

“सर्वत्र भ्रमण किया”

Luke 9:7

चौथाई देश का राजा हेरोदेस

हेरोदेस एन्तिपास जो चौथाई इस्राएल का प्रशासक था।

घबरा गया

“परेशान हो गया” या “समाचार सुनकर बेचैन हो गया” या “विमूढ़ था”(यू.डी.बी)

यूहन्ना को तो मेंने सिर कटवाया

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “यूहन्ना का तो सिर मैंने ही अपने सैनिकों से कटवाया था”।

Luke 9:10

प्रेरितों

“जिन बारहों को यीशु ने भेजा था”।

लौट गए

“यीशु के पास लौटकर आए”

उसको बता दिया

“उन प्रेरितों ने यीशु को ब्योरा सुनाया”

जो कुछ उन्होंने किया था

विभिन्न स्थानों में उन्होंने जो शिक्षा दी और रोगियों को रोग-मुक्त किया, यह उसी के सन्दर्भ में है।

उन्हें अलग करके .... ले गया।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उन्हें अकेले में ले गया”, यीशु और उसके शिष्य अकेले गए थे।

Luke 9:12

जब दिन ढलने लगा

“सूर्यास्त के समय” या “दिन के अन्त में” या “संध्या समय”

भीड़ को विदा कर

“जनसमूह को जाने दे”

जाकर इन लोगों के लिए भोजन मोल लें

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “या फिर हम जाकर भोजन मोल लें” या आप एक नया वाक्य रच सकते हैं, “यदि तू उन्हें भोजन करवाना चाहता है तो हमें जाकर भोजन मोल लेना पड़ेगा”।

वे लोग पांच हजार पुरूषों के लगभग थे

स्त्रियों और बच्चों को जो उनके साथ थे नहीं गिना गया था।

उन्हें .... बैठा दो

“उनसे बैठने के लिए कहो”

Luke 9:15

उन्होंने ऐसा ही किया

शिष्यों ने उन्हें पचास-पचास के समूह में बैठा दिया।

तब उसने

यीशु ने

रोटियां

ये सिकी हुई रोटियों की संख्या है,अर्थात “पूरी रोटियां”

स्वर्ग की ओर देखकर

“स्वर्ग की ओर देखते हुए” या “स्वर्ग को देखकर”

स्वर्ग की ओर

अर्थात आकाश की ओर देखकर। यहूदियों का मानना था कि स्वर्ग आकाश के पार है।

परोसें

“उनको दें” या “उनमें बांटें”

तृप्त हुए

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “पेट भर कर खा लिया”

Luke 9:18

(और ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

वह एकान्त में प्रार्थना कर रहा था

यह यीशु के सन्दर्भ में है

एकान्त में

शिष्य यीशु के साथ थे परन्तु यीशु अपनी निज प्रार्थना कर रहा था

उन्होंने उत्तर दिया

“उन्होंने उससे कहा”

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला

कुछ भाषाओं में कहा जाता है, “कुछ लोग कहते है”, “तू यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है”

पुराने

“प्राचीन काल के”, “बहुत समय पहले का”

जी उठा है

“जीवित हुआ है”

Luke 9:20

उसने उनसे पूछा

“यीशु ने अपने शिष्यों से पूछा”

पतरस ने उत्तर दिया

“पतरस ने कहा” या “इसका उत्तर पतरस ने दिया”

चिता कर कहा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा” या “यीशु ने उन्हें कठोर चेतावनी दी” (यू.डी.बी.)

किसी से न कहना

“अपने तक ही रखना” या “किसी से कहने की आवश्यकता नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: परन्तु यीशु ने चेतावनी देते हुए कहा, 'किसी से इसकी चर्चा न करना'

मनुष्य के पुत्र के लिए आवश्यकता है कि वह बहुत दुःख उठाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लोग मनुष्य के पुत्र को घोर पीड़ा देंगे” पद 22 का अनुवाद भी यू.डी.बी. के सदृश्य प्रथम पुरूष में किया जा सकता है।

वह तीसरे दिन जी उठे

“तीसरे दिन फिर जीवित हो”

तीसरे दिन

“मरने के तीन दिन बाद” या “मृत्यु के बाद तीसरे दिन”

Luke 9:23

उसने

यह यीशु के सन्दर्भ में है

सबसे

अर्थात यीशु के साथ जो शिष्य थे, उन सबसे।

मेरे पीछे आना चाहे

“मेरा अनुसरण करे” या “मेरा अनुयायी होना चाहता है” या “मेरे शिष्य होना चाहता है”।

अपने आपका इन्कार करे।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी लालसाओं के अधीन न रहे” या “अपनी लालसाओं का त्याग करे”

प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए

“अपना क्रूस उठाकर प्रतिदिन चले”, इसका अर्थ है, “प्रतिदिन दुःख उठाने को तैयार रहे”

मेरे पीछे हो ले

“मेरे साथ चले” या “मेरे पीछे-पीछे चले और चलता रहे”।

उसे क्या लाभ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य को क्या लाभ” यह आलंकारिक प्रश्न का एक भाग है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उससे मनुष्य को लाभ नहीं होता है”, या “मनुष्य की भलाई नहीं है”।

सारे जगत को प्राप्त करे

“वह संसार में सब कुछ पा ले”

अपना प्राण खो दे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह स्वयं ही भटक जाए या नष्ट हो जाए”।

Luke 9:26

x

(यीशु अपने शिष्यों को ही समझा रहा है)

मेरी बातों से

“सो मैं कहता हूँ उससे” या “मेरी शिक्षा से”

मनुष्य का पुत्र भी ... उससे लजाएगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य का पुत्र भी उससे लजाएगा”

मनुष्य का पुत्र

यीशु अपने बारे में कह रहा है इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं मनुष्य का पुत्र”

अपनी महिमा सहित आएगा

यीशु अपने लिए तृतीय पुरूष काम में ले रहा था। इसका अनुवाद प्रथम पुरूष में किया जा सकता है, “जब मैं अपनी महिमा में आऊंगा”।

जो यहाँ खड़े हैं उनमें से कुछ

यहाँ यीशु अपने श्रोताओं में से कुछ के लिए कह रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जो यहाँ खड़े हो उनमें से कुछ”।(यू.डी.बी)

जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद न चखेंगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मरने से पूर्व परमेश्वर का राज्य देखेंगे”।

मृत्यु का स्वाद न चखेंगे

“उनकी मृत्यु नहीं होगी” या “मरेंगे नहीं”।

जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें

आपका अनुवाद “कुछ” पर निर्भर करेगा। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते हैं, “जब तक तुम परमेश्वर का राज्य न देख लो”

Luke 9:28

(और ऐसा हुआ)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

इन बातों के

अर्थात पिछले पद में यीशु ने अपने शिष्यों से जो कहा।

पहाड़ पर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पर्वत के ऊपर” यहाँ स्पष्ट नहीं है कि वह पर्वत पर कितना ऊपर गया था।

उसके चेहरे का रूप बदल गया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके मुखमण्डल की उपमा बदल गई”।

श्वेत होकर चमकने लगा

“चमकीला सफेद और उज्जवल” या “चमकीला सफेद और बिजली की सी चमक का” (यू.डी.बी.)

Luke 9:30

और देखो ..... दो पुरूष उसके साथ बातें कर रहे थे

“देखो” शब्द का उपयोग हमें अग्रिम जानकारी के लिए सतर्क करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अकस्मात ही वहां दो पुरूष बातें करते दिखाई दिए” या “दो पुरूष अकस्मात ही उसकी बातें करते दिखाई दिए”।

ये महिमा सहित दिखाई दिए।

यह संबन्धवाचक शब्द वाक्य मूसा और एलिय्याह के बारे में जानकारी देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और वे महिमामय दिख रहे थे”

उसके मरने की

“इसके संसार से कूच करने की” या “वह इस संसार से कैसे कूच करेगा”, इसका अनुवाद किया जा सकता है, “उसकी मृत्यु की”

Luke 9:32

उसकी महिमा .... देखी

उसके चारों और उपस्थित तीव्र ज्योति। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने यीशु से निकलनेवाली तीव्र ज्योति को देखा” या “उन्होंने यीशु से निकलने वाले तेज को देखा”

और उन दो पुरूषों को जो उसके साथ खड़े थे

यह मूसा और एलिय्याह हैं।

(और ऐसा हुआ कि)

यह उक्ति गतिविधियों का आरंभ दर्शाती है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसे यहाँ काम में लें

स्वामी

यहाँ "स्वामी" का मूल भाषा यूनानी शब्द सामान्यतः दासों के स्वामी के लिए काम में लिया जाने वाला सामान्य शब्द नहीं है यह शब्द अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के स्वामी के लिए। इसका अनुवाद “प्रधान जी” या “श्रीमान जी” किया जा सकता है या ऐसा शब्द काम में लिया जा सकता है जिसका अभिप्राय एक अधिकार सम्पन्न मनुष्य से हो जैसे "महोदय"।

मण्डप

मण्डप -“तम्बू” या “झोपड़ी”

Luke 9:34

वह यह कह ही रहा था

“पतरस यह कह रही रहा था”

डर गए

ये वयस्क शिष्य बादल से नहीं डरे थे। इसका वाक्यांश से प्रकट होता है कि बादल के कारण उन पर विचित्र भय छा गया था। इसका अनुवाद, “भयभीत हो गए” हो सकता है।

बादल में से यह शब्द निकला

यदि आकाशवाणी को व्यक्त करना अस्वाभाविक हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बादल में से परमेश्वर ने कहा”

मेरा चुना हुआ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा पुत्र, जिसे मैंने चुना है”, (यू.डी.बी.) या “मेरा पुत्र, मेरा चुना हुआ”। “चुना हुआ” शब्द परमेश्वर के पुत्र के बारे में अतिरिक्त जानकारी दे रहा है। इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर के पास एक से अधिक पुत्र हैं। (देखें: information about Adjectives on )

उन दिनों में

अर्थात पुनरुत्थान के बाद यीशु के स्वर्गारोहण तक या संभव है कि यीशु के कथन के बाद।

Luke 9:37

(ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

देखों भीड़ में से एक मनुष्य

“देखो” शब्द कहानी में एक नए मनुष्य का प्रवेश करवाता है। आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई शब्द होगा। इस अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "उस भीड़ में एक पुरुष था, उसने निवेदन किया"

और देख एक दुष्टात्मा

“देख” शब्द उस मनुष्य की कहानी में दुष्टात्मा का विषय लाता है। आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई शब्द होगा। इस अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "इसमें एक दुष्टात्मा है...."

कठिनाई से छोड़ती है

इसके संभावित अर्थ हैं (1) वह उसे कठिनाई से ही कभी छोड़ती है” (यू.डी.बी.) या (2) और जब वह उसे छोड़ती है तो मेरे पुत्र के लिए ऐसा कठिन हो जाता है कि”

मुंह में फेन भर लाता है

जब मनुष्य के शरीर में अकड़न आती है तब उसे सांस लेने और निगलने में कठिनाई होती है। इसके कारण मनुष्य के मुंह से झाग निकलता है, यदि आपकी भाषा में इस स्थिति का वर्णन करने के लिए शब्द है तो उनका उपयोग करें।

Luke 9:41

यीशु ने उत्तर दिया

“यीशु ने उन्हें संबोधित करके कहा”

हे अविश्वासी और हठीले लोगों

यीशु ने जनसमूह से कहा था, अपने शिष्यों से नहीं

मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारी सहूंगा?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। यीशु को इसके उत्तर की अपेक्षा नहीं थी। इसका अर्थ है, “मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया परन्तु तुम विश्वास नहीं करते”।

अपने पुत्र को यहाँ ले आ

यहाँ यीशु उस दुष्टात्माग्रस्त युवक के पिता से कह रहा है।

वह आ ही रहा था

“यीशु के पास आते-आते” या “यीशु के निकट आते समय”

डांटा

“कठोरता से कहा”

Luke 9:43

सब लोग परमेश्वर के महा-सामर्थ्य से चकित हुए

प्रत्यक्ष में तो यीशु ने यह कार्य किया परन्तु दर्शकों ने समझ लिया था कि यह परमेश्वर का ही सामर्थ्य है।

वह करता था

“यीशु करता था”।

ये बातें तुम्हारी कानों में पड़ी रहे

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “ध्यान से सुनो और स्मरण रखो” या “भूलना नहीं”।

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं मनुष्य का पुत्र”।

मनुष्य के हाथों में पकड़वाया जाने को है

“पकड़वाया” (यू.डी.बी.) इस संपूर्ण वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य, मनुष्य के पुत्र को अधिकारियों के हाथों में दे देगे”।

परन्तु वे... न समझते थे

परन्तु वे... न समझते थे , -इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “वे समझ नहीं पाए थे कि वह अपनी मृत्यु के बारे में कह रहा है।

Luke 9:46

उनमें

“शिष्यों में”

उनके मन का विचार

“अपने-अपने मन में विचार करने लगे” या “सोच रहे थे”

मेरे भेजने वाले को

“परमेश्वर को जिसने मुझे भेजा है”(यू.डी.बी)

Luke 9:49

यूहन्ना ने कहा

“प्रति-उत्तर में यूहन्ना ने कहा” या “यूहन्ना ने यीशु से कहा” यीशु उन्हें समझा रहा था कि बड़ा कौन है तो यूहन्ना ने हस्तक्षेप करते हुए कहा। वह किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहा है वरन वह जानना चाहता था कि वह मनुष्य जो यीशु के नाम से दुष्टात्माएं निकाल रहा था, उसका शिष्यों में क्या स्थान है।

स्वामी

यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी”

जो तुम्हारे विरोध में नहीं वह तुम्हारी ओर है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो तुम्हारे लिए बाधक नहीं वह सहायक जैसा है”, या “जो तुम्हारे विपरीत काम न करे वह तुम्हारे पक्ष में काम करता है”। कुछ आधुनिक भाषाओं में ऐसे शब्द हैं जिनका अर्थ यही है।

Luke 9:51

(और ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे

“उसके ऊपर जाने का समय आ रहा था” या “उसके ऊपर जाने का समय लगभग निकट था”।

विचार दृढ़ किया

“संकल्प किया” या “इच्छा की”

(दिशा पकड़ी)

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “निश्चय किया” या “निर्णय लिया” या “दृढ़ संकल्प किया।”

जगह तैयार करें

उसके आगमन की तैयारी करें। संभवतः प्रचार के लिए, ठहरने और भोजन के लिए व्यवस्था करें।

उतरने न दिया

“उसका स्वागत नहीं किया” या “उसके ठहरने की इच्छा न की”

Luke 9:54

यह देखकर

“सामरियों का विरोध देख कर”

आकाश से आग गिरकर उन्हें भस्म कर दे

याकूब और यूहन्ना ने ऐसा सुझाव दिया क्योंकि वे जानते थे कि एलिय्याह ने परमेश्वर विरोधियों के साथ ऐसा ही किया था।

उसने फिरकर उन्हें डांटा

“यीशु ने याकूब और यूहन्ना को डांटा”। जैसा शिष्यों ने सोचा था, यीशु ने उसके विपरीत सामरियों को दोषी नहीं ठहराया।

Luke 9:57

किसी ने

शिष्यों में से किसी एक ने नहीं

लोमड़ियों के भट.... हैं परन्तु मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं”।

यीशु के कहने का तात्पर्य था कि यदि वह यीशु के साथ चलेगा तो वह भी बेघर जो जाएगा। यहाँ सलंग्न जानकारी स्पष्ट की जा सकती है, “यह आशा न कर कि तेरे पास घर होगा”।

लोमड़ियों

यह कुत्ते जैसे पशु होते हैं। वे भूमि में छेद करके उसमें रहते हैं।

आकाश के पक्षियों

“हवा में उड़ने वाले पक्षी”

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझ, मनुष्य के पुत्र को”

सिर धरने की भी जगह नहीं

“सिर टिकाने को भी नहीं” या “सोने के लिए भी जगह नहीं” यह अतिशयोक्ति है। यीशु इस तथ्य को समझाने के लिए बढ़ा चढ़ाकर कह रहा है कि उसके रहने के लिए कहीं भी उसका स्वागत नहीं है।

Luke 9:59

मेरे पीछे हो ले

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा अनुयायी हो जा” या “मेरा शिष्य होकर मेरे साथ चल”

मुझे पहले जाने दे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इससे पहले कि में तेरे साथ चलूं मुझे जाकर ....” वह व्यक्ति यीशु से निवेदन कर रहा था।

मरे हुओं को अपने मुर्दे गाड़ने दे

“मुर्दे गाड़ने का काम मुर्दों के लिए छोड़ दे” मृतक तो कुछ करते नहीं अतः यहाँ अभिप्रेत अर्थ स्पष्ट दिया जा सकता है, “आत्मिकता में मृतकों को मृतक गाड़ने दे”

Luke 9:61

हे प्रभु मैं तेरे पीछे हो लूंगा

हे प्रभु मैं तेरे पीछे हो लूंगा - “मैं तेरा शिष्य बनूंगा” या “मैं तेरे साथ चलने को तैयार हूँ” या “मैं तेरे साथ चलने का प्रण करता हूँ”

अपने... लोगों से विदा हो आऊं

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे साथ चलने से पहले में अपने परिजनों से विदा ले लूं”, या “मैं उन्हें बता दूं कि मैं तेरे साथ जा रहा हूँ”।

घर के लोगों से

“मेरे कुटुम्ब से” या “परिजनों से”

जो कोई ..... परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं

यीशु सबके लिए लागू होने वाला एक सामान्य सिद्धान्त व्यक्त कर रहा था, तथापि उस मनुष्य के लिए अभिप्रेत जानकारी यह है, “यदि तू मेरे अनुसरण की अपेक्षा अपने अतीत के लोगों पर ध्यान देगा तो तू मेरे राज्य के योग्य नहीं है”।

अपना हाथ हल पर रखकर

“खेत जोतना आरंभ करके”, किसान बीज डालने से पहले खेत में हल चलाते है। जिन समुदायों को खेती का ज्ञान नहीं उनके लिए अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपना खेत तैयार करना आरंभ कर दे और....”

पीछे देखता है

हल चलानेवाला यदि पीछे देखेगा तो वह हल को यथास्थान नहीं चला पाएगा और वह बैल के पांवों को भी चोट पहुंचायेगा। अतः उनका पूरा ध्यान आगे की ओर होना है।

योग्य

“कामना” या “उचित”


Translation Questions

Luke 9:2

यीशु ने बारहों को क्या करने भेजा था?

यीशु ने उन्हें परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने और रोगियों को चंगा करने भेजा।

Luke 9:7

हेरोदेस ने यीशु के बारे में तीन बातें सुनी वे क्या थी?

कुछ लोग यीशु को पुनर्जीवित यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते थे, कुछ लोग कहते थे कि एलिय्याह आया है, कुछ कहते थे कि प्राचीनकाल का कोई भविष्यद्वक्ता है।

Luke 9:13

चेलों के पास भीड़ को खिलाने के लिए कितना भोजन था?

उनके पास पांच रोटियां और दो मछलियां थी।

Luke 9:14

उस सुनसान जगह में यीशु के पीछे आने वाली जगह में लगभग कितने पुरुष थे?

वहाँ लगभग पांच हजार पुरुष थे।

Luke 9:16

यीशु ने पांच रोटियां और दो मछलियों के साथ क्या किया?

उसने स्वर्ग को निहार कर उन्हें आशिष दी और रोटी तोड़कर चेलों को देता गया कि भीड़ में बांटें।

Luke 9:17

बचे हुए भोजन की कितनी टोकरियां थी?

बचे हुए भोजन की बारह टोकरियां थी।

Luke 9:20

यीशु ने अपने चेलों से पूछा कि वह उसे क्या कहते हैं तब पतरस ने क्या कहा था?

उसने कहा, "परमेश्वर का मसीह"।

Luke 9:23

यीशु ने अपने अनुयायी के लिए क्या कहा था?

उसे अपने आपका इन्कार करके प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर यीशु का अनुसरण करना है।

Luke 9:29

पर्वत पर यीशु के रूप को क्या हो गया था?

उसका रूप बदल गया और उसके वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगे।

Luke 9:30

यीशु के साथ वहाँ कौन दिखाई दिया?

मूसा और एलिय्याह यीशु के साथ दिखाई दिए।

Luke 9:35

उनके ऊपर छाये हुए बादल में से क्या सुनाई दिया?

वहाँ एक वाणी सुनाई दी, "यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इसकी सुनो"।

Luke 9:39

इससे पूर्व कि यीशु उसके पुत्र में से दुष्टात्मा निकालता उसने उसकी क्या दशा की थी?

दुष्टात्मा ने चिल्लाने पर विवश किया, उसका शरीर ऐंठ कर उसके मुंह से फेंन निकाला।

Luke 9:44

यीशु ने चेलों से क्या कहा जिसका अर्थ वे नहीं समझे थे?

उसने कहा, "कि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों में पकड़वाया जायेगा।"

Luke 9:48

यीशु ने चेलों में सबसे बड़ा किसे कहा?

उनमें जो सबसे छोटा होगा वही सबसे बड़ा है।

Luke 9:51

यीशु के स्वर्ग में जाने के दिन निकट आ रहे थे तब यीशु ने क्या निश्चय किया?

उसने यरूशलेम जाने का निश्चय किया।

Luke 9:62

परमेश्वर के राज्य के योग्य होने के लिए मनुष्य को "हाथ हल पर रखकर" क्या नहीं करना है?

उसे पीछे मुड़कर नहीं देखना है।


Chapter 10

1 और इन बातों के बाद प्रभु ने सत्तर और मनुष्य नियुक्त किए और जिस-जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था, वहाँ उन्हें दो-दो करके अपने आगे भेजा। 2 और उसने उनसे कहा, “पके खेत बहुत हैं; परन्तु मजदूर थोड़े हैं इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो, कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे। 3 जाओ; देखों मैं तुम्हें भेड़ों के समान भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ। 4 इसलिए न बटुआ, न झोली, न जूते लो; और न मार्ग में किसी को नमस्कार करो। (मत्ती 10:9, 2 राजा. 4:29) 5 जिस किसी घर में जाओ, पहले कहो, ‘इस घर पर कल्याण हो।’ 6 यदि वहाँ कोई कल्याण के योग्य होगा; तो तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा, नहीं तो तुम्हारे पास लौट आएगा। 7 उसी घर में रहो, और जो कुछ उनसे मिले, वही खाओ-पीओ, क्योंकि मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए; घर-घर न फिरना। 8 और जिस नगर में जाओ, और वहाँ के लोग तुम्हें उतारें, तो जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाए वही खाओ। 9 वहाँ के बीमारों को चंगा करो: और उनसे कहो, ‘परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुँचा है।’ 10 परन्तु जिस नगर में जाओ, और वहाँ के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, तो उसके बाजारों में जाकर कहो, 11 ‘तुम्हारे नगर की धूल भी, जो हमारे पाँवों में लगी है, हम तुम्हारे सामने झाड़ देते हैं, फिर भी यह जान लो, कि परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुँचा है।’ 12 मैं तुम से कहता हूँ, कि उस दिन उस नगर की दशा से सदोम की दशा अधिक सहने योग्य होगी। (उत्प. 19:24-25)

13 “हाय खुराजीन! हाय बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर और राख में बैठकर वे कब के मन फिराते। 14 परन्तु न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी। (योए. 3:4-8, जक. 9:2-4) 15 और हे कफरनहूम, क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा किया जाएगा? तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा। (यशा. 14:13,15)

16 “जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी सुनता है, और जो तुम्हें तुच्छ जानता है, वह मुझे तुच्छ जानता है; और जो मुझे तुच्छ जानता है, वह मेरे भेजनेवाले को तुच्छ जानता है।”

17 वे सत्तर आनन्द से फिर आकर कहने लगे, “हे प्रभु, तेरे नाम से दुष्टात्मा भी हमारे वश में है।” 18 उसने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था। (प्रका. 12:7-9, यशा. 14:12) 19 मैंने तुम्हें साँपों और बिच्छुओं को रौंदने* का, और शत्रु की सारी सामर्थ्य पर अधिकार दिया है; और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी। (भज. 91:13) 20 तो भी इससे आनन्दित मत हो, कि आत्मा तुम्हारे वश में हैं, परन्तु इससे आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं।”

21 उसी घड़ी वह पवित्र आत्मा में होकर आनन्द से भर गया, और कहा, “हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया हाँ, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा। 22 मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंप दिया है; और कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है, केवल पिता और पिता कौन है यह भी कोई नहीं जानता, केवल पुत्र के और वह जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे।”

23 और चेलों की ओर मुड़कर अकेले में कहा, “धन्य हैं वे आँखें, जो ये बातें जो तुम देखते हो देखती हैं, 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं और राजाओं ने चाहा, कि जो बातें तुम देखते हो देखें; पर न देखीं और जो बातें तुम सुनते हो सुनें, पर न सुनीं।”

25 तब एक व्यवस्थापक उठा; और यह कहकर, उसकी परीक्षा करने लगा, “हे गुरु, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिये मैं क्या करूँ?” 26 उसने उससे कहा, “व्यवस्था में क्या लिखा है? तू कैसे पढ़ता है?” 27 उसने उत्तर दिया, “तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्रेम रख।” (मत्ती 22:37-40, व्य. 6:5, व्य. 10:12, यहो. 22:5) 28 उसने उससे कहा, “तूने ठीक उत्तर दिया, यही कर तो तू जीवित रहेगा।” (लैव्य. 18:5) 29 परन्तु उसने अपने आप को धर्मी ठहराने* की इच्छा से यीशु से पूछा, “तो मेरा पड़ोसी कौन है?” 30 यीशु ने उत्तर दिया “एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार पीटकर उसे अधमरा छोड़कर चले गए। 31 और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था, परन्तु उसे देखकर कतराकर चला गया। 32 इसी रीति से एक लेवी* उस जगह पर आया, वह भी उसे देखकर कतराकर चला गया। 33 परन्तु एक सामरी* यात्री वहाँ आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। 34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर* पट्टियाँ बाँधी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उसकी सेवा टहल की। 35 दूसरे दिन उसने दो दीनार निकालकर सराय के मालिक को दिए, और कहा, ‘इसकी सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे दे दूँगा।’ 36 अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” 37 उसने कहा, “वही जिस ने उस पर तरस खाया।” यीशु ने उससे कहा, “जा, तू भी ऐसा ही कर।”

38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गाँव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा। 39 और मरियम नामक उसकी एक बहन थी; वह प्रभु के पाँवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 40 परन्तु मार्था सेवा करते-करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी, “हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी चिन्ता नहीं कि मेरी बहन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? इसलिए उससे कह, मेरी सहायता करे।” 41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। 42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उससे छीना न जाएगा।”



Luke 10:1

सत्तर

कुछ अनुवादों में “बहत्तर” का उल्लेख किया गया है। आपको इसके लिए पद टिप्पणी लिखनी होगी।

दो-दो करके

“दो को एक साथ” या “दो-दो के दल में”

उसने उनसे कहा

उनके प्रस्थान से पूर्व। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने उनसे जो कहा वह यह था” या “उनके प्रस्थान से पूर्व उसने उनसे कहा”।

पक्के खेत बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं

“फसल तो बहुतायत से खड़ी है परन्तु काटने वालों की कमी है।” इस रूपक का अर्थ है कि परमेश्वर के राज्य में लाने के लिए बहुत लोग हैं। )

Luke 10:3

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)।

जाओ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “विभिन्न नगरों में जाओ” या “मनुष्यों में जाओ” या “जाकर मनुष्यों को लाओ”।

मैं तुम्हें भेड़ो के समान भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ

यह एक आज्ञा है जिसका अर्थ है कि जिन मनुष्यों के मध्य यीशु उन्हें भेज रहा था, वे उनको हानि पहुंचा सकते हैं। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैं तुम्हें भेज तो रहा हूँ परन्तु मनुष्य तुम्हें ऐसे हानि पहुंचा सकते हैं जैसे भेड़िये मेमनों को पहुंचाते हैं।

भेड़ों (मेमने)

“भेड़ के बच्चे” वे हिसंक पशुओं से अपनी रक्षा करने में समर्थ नहीं होते हैं।

भेड़ियों

भेड़िये जंगली कुत्तों के समान बड़े हिंसक मांसाहारी पशु होते है जो छोटे पशुओं को मारकर खाते हैं। “भेड़ियों” का अनुवाद उसी जाति के, “जंगली कुत्ते” या हिंसक कुत्ते किया जा सकता है या कुत्ते जैसे किसी विशेष पशु का नाम रखा जा सकता है, जिससे पाठक परिचित है, जैसे सियार”।

न बटुआ... लो

“अपने साथ पैसों की थैली नहीं रखता”

न मार्ग में किसी को नमस्कार करो

यीशु जिस बात पर बल देता है, वह है, कि वे शीघ्र-अतिशीघ्र नगरों में जाकर प्रचार करें, न कि किसी के साथ रूष्ठ व्यवहार करें।

Luke 10:5

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)।

इस घर का कल्याण हो

“इस परिवार को शान्ति मिले” यह अभिवादन और आशीर्वाद दोनों है।

कोई कल्याण के योग्य

“शान्तिप्रिय मनुष्य” ऐसा मनुष्य परमेश्वर के साथ और मनुष्यों के साथ मेल करता है।

तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “आपका आशीर्वाद उसे शान्ति दिलाएगा”

नहीं तो

“यदि वहां कोई शान्तिप्रिय नहीं है” या “यदि गृहस्वामी शान्तिप्रिय नहीं है”

तुम्हारे पास लौट आएगा

“वह शान्ति तुम्हारे पास ही रह जाएगी”

उसी घर में रहो

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वहीं रातें बिताना” यीशु के कहने का अर्थ है कि दिन भर प्रचार करके वहीं “लौट आना, यह नहीं कि उस घर से बाहर नहीं जाना।

मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए।

यीशु एक सामान्य सिद्धान्त अपने द्वारा भेजे जाने वालों पर लागू कर रहा था। क्योंकि वे उनको शिक्षा देंगे और रोगियों को रोगमुक्ति प्रदान करेंगे इसलिए उनके ठहरने और भोजन-पानी का उत्तरदायित्व उन लोगों का है।

घर-घर न फिरना

इसका अर्थ है कि हर रात एक नये परिवार में नहीं ठहरना।

Luke 10:8

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)।

वहां के लोग तुम्हें उतारें

“यदि वे तुम्हारा स्वागत करें”

जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाए वही खाओ

“वे जैसा भी भोजन दें उसे खाना”

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है

इसका संदर्भ इस तथ्य से है कि शिष्यों द्वारा रोगमुक्ति के कार्य तथा यीशु की शिक्षाओं के माध्यम से परमेश्वर के राज्य का कार्य सर्वत्र हो रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम इसी समय अपने चारों ओर परमेश्वर के राज्य को देख सकते हो”।

Luke 10:10

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)।

वहां के लोग तुम्हें ग्रहण करें

“यदि वे तुम्हारा तिरस्कार करें”

तुम्हारे नगर की धूल भी, जो हमारे पांवों में लगी है, हम तुम्हारे सामने झाड़ देते हैं।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जैसे तुम हमारा तिरस्कार करते हो वैसे ही हम भी तुम्हें पूर्णतः त्याग देते हैं। हम अपने पांवों से तुम्हारे नगर की धूल तक झाड़ रहे हैं, क्योंकि यीशु ने दो को साथ भेजा था इसलिए वे दोनों एक साथ कहेंगे। अतः जिन भाषाओं में प्रथम पुरूष (मैं) का द्विवचन है, उसका प्रयोग किया जाए।

तौभी यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है।

यह एक चेतावनी है जिसका अर्थ है, “यद्यपि तुम हमें स्वीकार नहीं इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर के राज्य के आ जाने के तथ्य का इन्कार होता है।”

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है

“परमेश्वर का राज्य तुम्हारे चारों ओर है,”

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु उन सत्तर मनुष्यों से कह रहा था। जिन्हें वह भेज रहा था उसने ऐसा इसलिए कहा कि उसकी अग्रिम महत्त्वपूर्ण बात की ओर उनका ध्यान आकर्षित हो।

उस दिन

शिष्य समझ गए थे कि इसका संदर्भ "उस दिन" से है जब पापियों का न्याय किया जाएगा।

उस नगर की दशा से सदोम की दशा अधिक सहने योग्य होगी।

“सदोम को उस नगर के तुल्य कठोर दण्ड नहीं दिया जाएगा, “इसका अर्थ हुआ कि वह नगर सदोम से अधिक कठोर दण्ड पाएगा।

Luke 10:13

x

(यीशु अब अपने उन सत्तर शिष्यों से हट कर तीन नगरों के निवासियों से कह रहा है)

हाय खुराजीन। हाय बैतसैदा

यीशु इस प्रकार संबोधन कर रहा है कि मानों खुराजीन और बैतसदा के नगरवासी सुन रहे हैं जबकि वे सुन नहीं रहे थे।

इसी सामर्थ्य के काम तुममें किए गए।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है, “जो सामर्थ्य के काम मैंने तुम्हारे मध्य किए”।

यदि वे सूर और सैदा में किए जाते

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “यदि सूर और सैदा में कोई ऐसे कार्य करता”

वे कब के मन फिरा लेते।

“वहां के दुष्ट निवासी अपने पापों का दुख प्रकट करते”(यू.डी.बी)

टाट ओढ़कर और राख में बैठकर

उस युग में दुःख की अति को प्रकट करने के लिए लोग टाट के बने वस्त्र पहनते थे जो शरीर में चुभते थे और वे राख सिर में डालते थे वरन राख पर बैठते भी थे। जब उन्हें परमेश्वर के विरूद्ध पाप का बोध होता तब भी वे ऐसा ही करते थे।

तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी।

“परमेश्वर तुम्हें सूर और सैदा के निवासियों से अधिक दण्ड देगा” इसका कारण यू.डी.बी में अधिक स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि तुमने मेरे सामर्थ्य के काम देखकर भी मुझ में विश्वास नहीं किया”

न्याय के दिन

“उस दिन जब परमेश्वर सब मनुष्यों का न्याय करेगा”। (यू.डी.बी.)

हे कफरनहूम

अब यीशु कफरनहूम के निवासियों को संबोधित कर रहा है जैसे कि वे सुन रहें हों, जबकि यथास्थिति यह थी कि वे उसके समक्ष नहीं थे।

क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है, जिसके द्वारा यीशु कफरनूहम के निवासियों के घमण्ड पर कटाक्ष कर रहा है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा उठेगा”? या “तू क्या सोचता है कि परमेश्वर तेरा मान रखेगा”?

ऊंचा किया जाएगा

“ऊंचा किया जाना एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “प्रतिष्ठा पाना”।

Luke 10:16

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को शिक्षा देना समाप्त करता है।)

जो तुम्हारी सुनता है वह मेरी सुनता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो तुम्हारी बात सुने वह वास्तव में मेरी बात सुनता है”।

जो तुम्हें तुच्छ जानता है वह मुझे तुच्छ जानता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कोई तुम्हें तुच्छ समझे तो वह वास्तव में मुझे तुच्छ समझता है”।

जो मुझे तुच्छ जानता है वह मेरे भेजनेवाले को तुच्छ जानता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे तुच्छ जानने का अर्थ है परमेश्वर को तुच्छ जानना”

मेरे भेजने वाले को

अर्थात पिता परमेश्वर को। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर को जिसने मुझे भेजा है”। (यू.डी.बी.)

Luke 10:17

x

(कुछ समय बाद वे सत्तर शिष्य यीशु के पास लौट आते है)

सत्तर

यहाँ आप पद टिप्पणी लिखना चाहोगे, “कुछ संस्करणों में सत्तर के स्थान पर बहत्तर हैं”।

वे सत्तर आनन्द करते हुए लौटे

कुछ भाषाओं में आवश्यक होगा कि पहले सत्तर शिष्यों के जाने का उल्लेख किया जाए जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। यह एक अन्तर्निहित जानकारी है जिसे स्पष्ट करना आवश्यक है।

मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था।

यीशु उपमा देकर वर्णन कर रहा था कि जब वे सत्तर शिष्य प्रचार कर रहे थे तब परमेश्वर शैतान को हरा रहा था।

मैंने तुम्हें सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का अधिकार दिया है।

“सांपों को कुचलने और बिच्छुओं को नष्ट करने का अधिकार। इसके संभावित अर्थ हैं (1) यथार्थ में सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का अधिकार या (2) सांप और बिच्छु दुष्टातमाओं के लिए रूपक हैं। यू.डी.बी. में इससका अनुवाद दुष्टात्माओं को रौंदना किया गया है, “मैंने तुम्हें दुष्टात्माओं पर वार करने का अधिकार दिया है।

सांप और बिच्छुओं को रौंदना

इसका अभिप्राय है कि ऐसा करने पर उन्हें हानि नहीं होगी। आप इसे सुस्पष्ट कर सकते हें, “सांप और बिच्छुओं पर चल कर भी सुरक्षित रहोगे”।

शत्रु की सारी सामर्थ्य पर

“मैंने तुम्हें बैरी के सामर्थ्य का दमन करने का अधिकार दिया है” या “मैंने तुम्हें शत्रु को पराजित करने का अधिकार दे दिया है”बैरी शैतान है।

इससे आनन्दित मत हो

“इससे” अर्थात अगले वाक्यांश से, कि आत्मा तुम्हारे वश में हैं”।

तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिख लिए हैं” या “तुम्हारे नाम स्वर्ग के नागरिकों की सूची में हैं”।

Luke 10:21

x

(यीशु अपने शिष्यों की उपस्थिति में अपने स्वर्गीय पिता से बातें कर रहा है)

स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु

“स्वर्ग और पृथ्वी की सब वस्तुओं के स्वामी”

इन बातों को

इसका संदर्भ शिष्यों के अधिकार के संबन्ध में यीशु की पिछली शिक्षाओं से है। अति-उत्तम होगा कि मात्र यही कहा जाए, “इन बातों को” और पाठक पर इसका अर्थ निर्धारण छोड़ दिया जाए।

ज्ञानियों और समझदारों

“बुद्धिमान और समझ रखनेवालों से” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन लोगों से छिपा रखा है जो स्वयं को बुद्धिमान समझते हैं”

बालकों पर प्रकट किया

यूनानी भाषा में बालक का मूल शब्द छोटे लड़के का बोध कराता है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “अशिक्षित बालक” (यू.डी.बी.) या (2) “जो तेरे सत्य को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेते हैं”।

बालकों

यह निर्बुद्धि एवं अज्ञानियों के लिए उपमा है, या वे मनुष्य जो जानते हैं कि वे बुद्धिमान एवं ज्ञानवान नहीं हैं।

क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा

“क्योंकि तूने देखा कि यह अच्छा है”

Luke 10:22

x

(अब यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है) आपको यहाँ टिप्पणी करने की आवश्यकता होगी, (यीशु ने अपने शिष्यों से कहा) (यू.डी.बी.)

मेरे पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया है

यह कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है:"मेरे पिता ने सारा अधिकार मुझे दे दिया"।

पुत्र

यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में व्यक्त कर रहा है।

नहीं जानता कि पुत्र कौन है

जिस शब्द का अनुवाद “जानता” किया गया है, उसका मूल अर्थ है व्यक्तिगत अनुभव द्वारा जानना। पिता परमेश्वर यीशु को ऐसी गहनता से जानता था।

केवल पिता

इसका अर्थ है कि केवल परमेश्वर पिता जानता है कि पुत्र कौन है।

पिता कौन है यह भी कोई नहीं जानता केवल पुत्र के

यहाँ जिस मूल शब्द का अनुवाद “जानता” किया गया है, इसका अर्थ है, व्यक्तिगत अनुभव से जानना। यीशु अपने पिता परमेश्वर को ऐसी गहनता में जानता था।

केवल पुत्र

इसका अर्थ है कि केवल पुत्र जानता है कि पिता कौन है।

और वह जिसे पुत्र उस पर प्रकट करना चाहे।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य पिता परमेश्वर को तब ही जान सकते हैं जब पुत्र उन पर पिता को प्रकट करना चाहे”।

Luke 10:23

अकेले में कहा

“निजि रूप में कहा”, यह संभवतः कुछ समय बाद की बात है। यू.डी.बी. इसे स्पष्ट करती है, “जब उसके शिष्य उसके साथ अकेले थे”

धन्य हैं वे आंखें, जो ये बातें जो तुम देखते हो देखती हैं।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "कैसा अहोभाग्य उनका जो उन बातों को देखते हैं जिन्हें तुम देखते हो", संभवतः वे सब जो यीशु की शिक्षाओं को सुनने आते थे।

जो बातें तुम देखते हो।

"बातें तुमने मुझे करते देखा।"

जो बातें तुम सुनते हो।

“जो बातें तुमने मुझसे सुनी हैं”

Luke 10:24

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

उसने

उस धनवाद मनुष्य ने जो अब राजा बन गया था। इसका अनुवाद ऐसे शब्दों में करें कि आपके पाठक समझ पाएं।

जो लोग उसके निकट खड़े थे”

“जो लोग उसके पास खड़े थे”

मुहर

देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है।

Luke 10:25

देखो

यह कुछ समय बाद की घटना है। आप इसे पाठकों के लिए स्पष्ट कर सकते है। जैसा यू.डी.बी. में है। “एक दिन जब यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा था”,

और देखो एक व्यवस्थापक

“देखो” शब्द हमारा ध्यान आकर्षित कराता है कि कहानी में एक नया मनुष्य है। आपकी भाषा में ऐसा शब्द या अभिव्यक्ति हो सकती है। इसका अनुवाद ऐसा भी हो सकता है," यहाँ एक विधिशास्त्री था..."

उसकी परीक्षा करने लगा

“यीशु को परखने का प्रयास किया”

व्यवस्था में क्या लिखा है?

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मूसा ने विधान में क्या लिखा है”? या “धर्मशास्त्र क्या कहता है”?

तू कैसे पढ़ता है?

“तूने उसमें क्या पढ़ा है”। या “तू उससे क्या-क्या समझता है”?

प्रेम रख

उस मनुष्य ने व्यवस्थाविवरण और लैव्यव्यवस्था की पुस्तकों का उद्धरण सुनाया।

अपने पड़ोसी

इसका संदर्भ समुदाय के सदस्य से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने स्वदेशी नागरिक से” या “अपने समुदाय के लोगों से”।

Luke 10:29

उसने अपने आपको धर्मी ठहराने की इच्छा से

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु वह स्वयं को धर्मी सिद्ध करना चाहता था, अतः उसने कहा......” या “धार्मिकता का स्वांग रचते हुए उसने कहा”,

यीशु ने उत्तर दिया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रतिक्रिया में यीशु ने उसे एक कहानी सुनाई”

डाकुओं ने घेर कर

“लुटेरों में घिर गया” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, “उस पर लुटेरों ने आक्रमण कर दिया”।

उसके कपड़े उतार लिए

“उसका सब कुछ लूट लिया” या “उसका सब कुछ चुरा लिया”।

Luke 10:31

x

(यीशु उसी मनुष्य के प्रश्न, "मेरा पड़ोसी कौन है?" के उत्तर में कहानी सुना रहा है)

ऐसा हुआ कि

इसका अर्थ है कि यह योजना के अनुसार नहीं था।

एक याजक

इस अभिव्यक्ति कहानी में किसी मनुष्य को लाती है परन्तु उसका नाम नहीं बताती है।

परन्तु उसे देख

“जब उस याजक ने इस घायल मनुष्य को देखा” याजक एक धर्मी जन होता है, इसलिए श्रोताओं का पूर्वानुमान था कि वह उस घायल मनुष्य की सहायता अवश्य करेगा। क्योंकि उसने उसकी सहायता नहीं की इसलिए इसका अनुवाद हो सकता है, “परन्तु जब उसने उसे देखा” अप्रत्याशित परिणाम की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु।

कतराकर चला गया

“वह मार्ग की दूसरी ओर होकर चला गया”

चला गया

निहितार्थ यह है कि उसने उस घायल मनुष्य की सहायता नहीं की। इसे स्पष्ट किया जा सकता है, “वह उस पागल मनुष्य की सहायता किए बिना चला गया”।

Luke 10:33

x

(यीशु उसी मनुष्य के प्रश्न, "मेरा पड़ोसी कौन है?" के उत्तर में कहानी सुना रहा है)

एक सामरी

कहानी में एक नया मनुष्य प्रवेश करता है। उसका भी नाम नहीं दिया गया है। हमें केवल यही बताया गया है कि वह एक सामरियावासी है। यहूदी सामरियों से घृणा करते थे अतः उन्होंने यही सोचा कि वह उस घायल यहूदी की सहायता नहीं करेगा।

उसे देख कर

“उस घायल व्यक्ति को देखकर उस सामरियावासी”

तरस खाया

“उसे देखकर उसे तरस आया”

उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बांधी।

उसने पहले तेल और दाखरस डाला होगा, इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने उस मनुष्य के घावों पर दाखरस डालकर और तेल लगाकर पट्टियां बान्धी” दाखरस संक्रमण से बचाने के लिए काम में लिया जाता था।

अपनी सवारी पर चढ़ा कर।

“अपनी सवारी के पशु पर” समान ढोने के लिए वह जिस पशु को लाया था, संभवतः गधा।

दो दीनार

दो दिन की मजदूरी के तुल्य पैसा देकर

भटियारे

“सराय का स्वामी” या “प्रबन्धक”

Luke 10:36

x

(यीशु उसी मनुष्य को कहानी सुना रहा है जिसने पूछा था, वे मेरा पड़ोसी कौन है)?

तेरी समझ में.... इन तीनों में से

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे विचार में इन तीनों में से ....”

उसका पड़ोसी कौन ठहरा?

“किसने सच्चा पड़ोसी सिद्ध किया”?(यू.डी.बी)

जो डाकुओं में घिर गया था

“लुटेरों का शिकार होने वाले का”

Luke 10:38

जब वे जा रहे थे

“जब यीशु और उसके शिष्य मार्ग में अग्रसर थे।” क्योंकि कहानी में नया परिदृश्य आता है इसलिए कुछ भाषाओं में “वे” को स्पष्ट करना अधिक स्वाभाविक होगा। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति होगी जो प्रकट करे कि यह कहानी का नया परिदृश्य है।

एक गांव में गया

यहाँ गांव को एक नया स्थान दर्शाया गया है परन्तु उस गांव का नाम नहीं दिया गया है।

मार्था नामक एक स्त्री

यहाँ मार्था एक नई नायिका है। आपकी भाषा में नए मनुष्यों को दर्शाने के लिए अभिव्यक्तियां होंगी।

प्रभु के चरणों में बैठकर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “फर्श पर बैठकर यीशु की शिक्षाप्रद बातें सुन रही थी”। उस युग में सीखने वाले के द्वारा ऐसा स्थान ग्रहण करना सम्मान प्रदर्शन की मुद्रा थी।

Luke 10:40

तुझे कुछ भी चिन्ता नहीं

मार्था शिकायत कर रही थी कि प्रभु मरियम को वहां बैठाकर उससे बातें करने के लिए मना नहीं कर रहा है जब कि उसे घर में कितना काम करना है। वह प्रभु का बहुत सम्मान करती थी, अतः उसने आलंकारिक प्रश्न पूछा कि उसकी शिकायत में विनम्रता आए। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसा लगता है कि तुझे ज्ञात नहीं कि....”

जो उससे छीना न जायेगा

इसके संभावित अर्थ हैं (1) “मैं उसे इस सौभाग्य से वंचित नहीं करूँगा” या (2) मेरी बातें सुनकर उसने जो लाभ उठाया है, वह कभी नहीं खोएगा”।


Translation Questions

Luke 10:4

उन सत्तर चेलों से यीशु ने क्या साथ न लेने को कहा?

वे न बटुआ, न झोली, न जूते लें।

Luke 10:9

यीशु ने उन सत्तर चेलों से प्रत्येक नगर में क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने कहा कि वे रोगियों को चंगा करें और प्रचार करें कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है।

Luke 10:12

यदि किसी नगर ने यीशु के उन चेलों को ग्रहण नहीं किया तो उस नगर की क्या दशा होगी?

उनकी दशा सदोम के दण्ड से भी अधिक बुरी होगी।

Luke 10:20

जब उन सत्तर चेलों ने लौटकर अति आनन्द के साथ यीशु को सुनाया कि वे दुष्टात्माओं को निकालने में सक्षम है तब यीशु ने उनसे क्या कहा था?

यीशु ने कहा, "इससे आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे हैं।"

Luke 10:21

यीशु ने कहा कि पिता को परमेश्वर का राज्य किन पर प्रकट करना अच्छा लगा?

पिता परमेश्वर को यही अच्छा लगा कि उसने इन बातों को अबोध बालकों पर प्रकट किया।

Luke 10:27

यीशु के अनुसार यहूदी व्यवस्था अनन्तजीवन पाने के लिए क्या निर्देश देती है?

तू अपने प्रभु परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।

Luke 10:31

इस दृष्टान्त में यहूदियों के याजक ने उस घायल मनुष्य को देखकर क्या किया?

वह कतराकर चला गया।

Luke 10:32

उस व्यक्ति को देखकर लेवी ने क्या किया?

वह कतराकर चला गया।

Luke 10:34

उस व्यक्ति को देखकर सामरी मनुष्य ने क्या किया?

उसने उसके घावों पर पट्टी बांधी और पीठ पर चढ़ाया उसे एक सराय में लाया और उसकी सेवा की।

Luke 10:37

दृष्टान्त सुनने के बाद यीशु ने उस यहूदी व्यवस्थापक से क्या कहा?

जाकर दृष्टान्त के उस सामरी के सदृश्य कर।

Luke 10:39

उस समय मरियम क्या कर रही थी?

वह यीशु के चरणों में बैठ कर उसकी बातें सुन रही थी।

Luke 10:40

यीशु मार्था के घर में आया तब वह क्या करने लगी थी?

वह भोजन तैयार करने में अत्यधिक व्यस्त थी।

Luke 10:42

यीशु ने किसके लिए कहा कि उसने उत्तम भाग चुन लिया है?

यीशु ने कहा कि मरियम ने उत्तम भाग चुन लिया है।


Chapter 11

1 फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था। और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया वैसे ही हमें भी तू सीखा दे*।”

2 उसने उनसे कहा, “जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो:

     ‘हे पिता,

     तेरा नाम पवित्र माना जाए,

     तेरा राज्य आए।

    3 ‘हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।

    4 ‘और हमारे पापों को क्षमा कर,

     क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं*,

     और हमें परीक्षा में न ला’।”

5 और उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, ‘हे मित्र; मुझे तीन रोटियाँ दे। 6 क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।’ 7 और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता। 8 मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, फिर भी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा। 9 और मैं तुम से कहता हूँ; कि माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। 10 क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। 11 तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी माँगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप दे? 12 या अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे? 13 अतः जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”

14 फिर उसने एक गूँगी दुष्टात्मा को निकाला; जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया। 15 परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के प्रधान शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।” 16 औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिये उससे आकाश का एक चिन्ह माँगा। 17 परन्तु उसने, उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “जिस-जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है; और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है। 18 और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। 19 भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारी सन्तान किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएँगे। 20 परन्तु यदि मैं परमेश्‍वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा। 21 जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी संपत्ति बची रहती है। 22 पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उसकी संपत्ति लूटकर बाँट देता है। 23 जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है, और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिखेरता है।

24 “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी। 25 और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है। 26 तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।” 27 जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, “धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।” 28 उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और मानते हैं।”

29 जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा, “इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूँढ़ते हैं; पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा। 30 जैसा योना नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा। 31 दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है। (1 राजा. 10:1-10, 2 इति. 9:1) 32 नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएँगे; क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है। (योना 3:5-10)

33 “कोई मनुष्य दिया जला के तलघर में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएँ। 34 तेरे शरीर का दिया तेरी आँख है, इसलिए जब तेरी आँख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अंधेरा है। 35 इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए। 36 इसलिए यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, और उसका कोई भाग अंधेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दिया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।”

37 जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे यहाँ भोजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा। 38 फरीसी ने यह देखकर अचम्भा किया कि उसने भोजन करने से पहले हाथ-पैर नहीं धोये। 39 प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अंधेर और दुष्टता भरी है। 40 हे निर्बुद्धियों, जिस ने बाहर का भाग बनाया, क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया*? 41 परन्तु हाँ, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तब सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।।

42 “पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भाँति के साग-पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्‍वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते। (मत्ती 23:23, मीका 6:8, लैव्य. 27:30) 43 हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो। 44 हाय तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।”

45 तब एक व्यवस्थापक ने उसको उत्तर दिया, “हे गुरु, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।” 46 उसने कहा, “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उँगली से भी नहीं छूते। 47 हाय तुम पर! तुम उन भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने मार डाला था। 48 अतः तुम गवाह हो, और अपने पूर्वजों के कामों से सहमत हो; क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मार डाला और तुम उनकी कब्रें बनाते हो। 49 इसलिए परमेश्‍वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उनके पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूँगी, और वे उनमें से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएँगे। 50 ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए, 51 हाबिल की हत्या से लेकर जकर्याह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में मारा गया: मैं तुम से सच कहता हूँ; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा। (उत्प. 4:8, 2 इति. 24:20-21) 52 हाय तुम व्यवस्थापकों पर! कि तुम ने ज्ञान की कुंजी* ले तो ली, परन्तु तुम ने आपही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।”

53 जब वह वहाँ से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे, 54 और उसकी घात में लगे रहे, कि उसके मुँह की कोई बात पकड़ें।



Luke 11:1

(और ऐसा हुआ)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

जब वह प्रार्थना कर चुका

कुछ भाषाओं में सर्वनाम शब्द के स्थान में यीशु का नाम काम में लेना अधिक स्वाभाविक होगा कि “जब वह प्रार्थना कर चुका” से पहले कहा जाए, “यीशु प्रार्थना कर रहा था”। (देखें यू.डी.बी.)

Luke 11:2

उसने उनसे कहा

"यीशु ने अपने शिष्यों से कहा"

तेरा नाम पवित्र माना जाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य तेरे नाम का सम्मान करें” या “हर एक तेरे नाम का सम्मान करें”। इसका अर्थ "हम चाहते है कि सब तेरे नाम का सम्मान करे"

तेरा राज्य आए

“अपना राज्य स्थापित कर” या “हम यह विनती करते हैं कि अपने लोगों पर राज कर”।

Luke 11:3

x

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है)

हमारी दिन भर की रोटी

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “हमारी दैनिक आवश्यकता का भोजन” रोटी मनुष्यों का दैनिक साधारण भोजन था। रोटी का अर्थ है भोजन।

हमारे पापों को क्षमा कर

“तेरे विरूद्ध हमारे पापों को क्षमा कर” या “हमारे पापों को क्षमा कर”

“क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधियों को क्षमा करते हैं”

“क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं”

अपने हर एक अपराधी को

“जिसने हमारे विरूद्ध पाप किया है” या “जिसने हमारी बुराई की है”

हमें परीक्षा में न ला

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “हमें परीक्षा से बचा”

Luke 11:5

x

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है)

तुममें से कौन है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मान लो कि तुम्हारा” या “तुम में से किसी का”। यीशु आलंकारिक प्रश्न द्वारा मनुष्यों का ध्यान आकर्षित करवाता था कि वे किसी परिस्थिति में हो तो क्या होगा।

मुझे तीन रोटियां दे

“मुझे तीन रोटियां उधार दे” या “मुझे तीन रोटियां दे दे, मैं लौटा दूंगा”। उसके पास अपने अतिथि को खिलाने के लिए घर में भोजन तैयार नहीं है।

तीन रोटियां

यदि आपके पाठक को यह बात विचित्र लगे कि कोई रोटी मांग रहा है तो इस प्रकार अनुवाद करें, “पका हुआ भोजन” या “तैयार भोजन”

एक यात्री मित्र

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यात्रा करते हुए मेरे घर आया है”

उसके आगे रखने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है

“परोसने के लिए भोजन तैयार नहीं है”

मै उठकर तुझे दे नहीं सकता

“मेरे लिए उठना आसान नहीं है”

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है

उसे उठ कर देगा

यीशु अपने शिष्यों को इस प्रकार सम्बोधित कर रहा था कि जैसे वे ही रोटी मांगने के लिए गए। यदि आपके पाठकों को इससे उलझन उत्पन्न हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मित्र होने के कारण उसे रोटी दे देगा”

लज्जा छोड़कर मांगने के कारण

इसका अर्थ है कि रोटी मांगने वाला इस तथ्य को अनदेखा कर रहा है कि उसके मित्र के लिए मध्य रात्रि के समय उठ कर उसे रोटियां देना कष्टकारी है।

Luke 11:9

x

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है)

मांगो.... ढूंढ़ो खटखटाओ

यीशु ने अपने शिष्यों को यह आज्ञा इसलिए दी कि वे लगातार प्रार्थना करने के लिए उत्साहित रहें। इस प्रसंग में तुम का सर्वाधिक उचित रूप काम में लें। . इन आज्ञाओं का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मांगते रहो.... ढूंढ़ते रहो..... खटखटाते रहो”

मांगो

कुछ भाषाओं में इस क्रिया के साथ अधिक जानकारी की आवश्यकता होगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी आवश्यकता परमेश्वर से मांगो”, “परमेश्वर से जो चाहते हो उसे ढूंढ़ो”, और “द्वार पर दस्तक दो”।

तुम्हें दिया जाएगा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर तुम्हें देगा”, या “तुम प्राप्त करोगे।”

खटखटाओ

खटखटाने का अर्थ है, द्वारा पर आकर आवाज करना कि भीतर कोई सुन कर जान ले कि आप बाहर खड़े हैं, इसका अनुवाद आपकी संस्कृति के व्यवहार के अनुसार किया जा सकता है जैसे “पुकारना” या “खांसना” या “ताली बजाना”।

तुम्हारे लिए खोला जाएगा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर तुम्हारे लिए द्वार खोल देगा” या “परमेश्वर तुम्हें भीतर लेकर एकमत करेगा”

Luke 11:11

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना के बारे में ही शिक्षा दे रहा है)

यीशु एक अर्थ के तीन आलंकारिक प्रश्न पूछ रहा है। जिस प्रकार कि एक पिता अपनी सन्तान को मांगने पर भली वस्तु देता है, उसी प्रकार हम मांगते हैं तो परमेश्वर हमें भली वस्तु ही देगा। .

तुममें ऐसा कौन पिता है कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे तो उसे पत्थर दे।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम्हारा पुत्र रोटी मांगे तो क्या तुम उसे पत्थर दोगे”? या “यदि तुम्हारी सन्तान खाने को रोटी मांगे तो निश्चय ही तुम उसे पत्थर नहीं दोगे”!

रोटी

यदि आपके पाठक रोटी नहीं खाते हैं तो आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “पका हुआ भोजन” या “सब्जी” यीशु एक परिस्थिति सुझा रहा है, वह रोटी की विशेष चर्चा नहीं कर रहा है।

मछली के बदले उसे सांप दे?

“या वह मछली मांगे तो क्या तुम उसे सांप दोगे”?

बिच्छू

बिच्छू मकड़ी से मिलता जुलता कीट है परन्तु उसकी पूंछ लम्बी होती है और उसकी पूंछ पर विषैला डंक होता है। यदि उनके स्थान में बिच्छू नहीं होते तो आप कह सकते हैं, “विषैली मकड़ी” या “काटनेवाली मकड़ी”

तुम बुरे होकर

“तुम बुरे होकर भी” या “तुम पापी होकर भी”

तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र-आत्मा क्यों न देगा?

“तो यह कितना और अधिक निश्चित है कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हें पवित्र-आत्मा देगा”। इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम निश्चित जान लो कि तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, पवित्र-आत्मा देगा”।

Luke 11:14

फिर उसने एक गूंगी दुष्टात्मा को निकाला

“फिर यीशु ने एक मनुष्य से दुष्टात्मा को निकाला” या “और उसने एक मनुष्य से दुष्टात्मा निकाली”

गूंगी दुष्टात्मा

यह तो संभव नहीं कि दुष्टात्मा गूंगी थी। पाठक शायद यह समझें कि उस दुष्टात्मा में किसी को गूंगा बनाए रखने की क्षमता थी। आप इस अभिप्रेत जानकारी को स्पष्ट कर सकते हें। “उस दुष्टात्मा ने उस मनुष्य को बोलने की क्षमता से वंचित किया हुआ था”।

(और ऐसा हुआ कि)

इस शब्द के द्वारा मनुष्यों की प्रतिक्रिया का आरंभ होता है। यदि आपकी भाषा में यहाँ उपयुक्त अभिव्यक्ति लग सकती है तो उसे काम में लें। उस मनुष्य में से दुष्टात्मा के निकल जाने पर कुछ लोग यीशु की आलोचना करने लगे तो यीशु दुष्टात्माओं के बारे में शिक्षा देने पर विवश हुआ।

जब दुष्टात्मा निकल गई

“उस मनुष्य में से दुष्टात्मा के निष्कासन पर” या “दुष्टात्मा द्वारा उस मनुष्य को त्याग देने पर”

गूंगा बोलने लगा

“वह मनुष्य जो अब तक गूंगा था बोलने लगा”

शैतान..... दुष्टात्मा निकालता है

“वह बालजबूल, दुष्टात्माओं के प्रधान, की शक्ति से दुष्टात्माओं को निकालता है”।

Luke 11:16

औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिए

“कुछ और भी लोग थे जिन्होंने यीशु को परखने के लिए”, वे परमेश्वर के अधिकार को सिद्ध करने के लिए उससे प्रमाण मांग रहे थे।

उससे आकाश का एक चिन्ह मांगा

“उससे अलौकिक चिन्ह मांगा” या “उससे कहा कि वह कोई स्वर्गीय चिन्ह दिखाए” वे चाहते थे कि यीशु अपने ईश्वरीय अधिकार को इस प्रकार सिद्ध करे

जिस-जिस राज्य में फूट होती है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब किसी राज्य की प्रजा में गृह युद्ध करे”

वह राज्य उजड़ जाता है

“तो वह नष्ट हो जाता है”

जिस घर में फूट होती है

“जिस परिवार के सदस्यों में आपसी कलह हो, वह विभाजित हो जाता है” या “जिस परिवार के सदस्य एक दूसरे से लड़ते रहें तो वह अखंड परिवार नहीं रहता है”। यहाँ “घर” का अर्थ है, “परिवार” या “घर के सदस्य”

नष्ट हो जाता है

“बिखर कर नष्ट हो जाता है” घर के नष्ट हो जाने की उपमा परिवार के विभाजन को दर्शाती है जब उसके सदस्य आपस में कलह करते हैं।

Luke 11:18

x

(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है)

यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए

यदि शैतान और उसके राज्य की आत्माएं आपस में लड़ें”

तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “शैतान का राज्य स्थिर नहीं रह सकता है” या “शैतान का राज्य नष्ट हो जाएगा”।

यह शैतान की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता है

“तुम कहते हो कि मैं बालजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता हूँ”, विवाद का अगला चरण स्पष्ट व्यक्त किया जाए, “इसका अर्थ यह हुआ कि शैतान अपने ही विरोध में काम करता है”

तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं?

“तुम्हारे अनुयायी किसकी सहायता से दुष्टात्माएं निकालते हैं? “यह एक आलंकारिक प्रश्न है जिसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तो तुम्हें मानना होगा कि तुम्हारे अनुयायी भी बाजजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालते हैं। इस कथन का अभिप्रेत मूल्यांकन स्पष्ट किया जाए, “हम जानते हैं कि यह सच नहीं है”।

वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे

तुम्हारे अनुयायी जो परमेश्वर के सामर्थ्य से दुष्टात्माएं निकालते हैं, मुझ पर बालजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालने के तुम्हारे दोष का न्याय करेंगे”।

परमेश्वर की सामर्थ्य

“परमेश्वर की सहायता से” (देखें Metonymy)

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है

“इसका अर्थ है कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य आ गया है”।

Luke 11:21

x

(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है)

जब एक बलवन्त मनुष्य

यह कहानी एक रूपक है। उस बलवन्त मनुष्य को जिस पर बाहर से आक्रमण करने की तुलना यीशु से की गई है जो दुष्टात्माएं निकालता है तो वह बाहर से शैतान पर आक्रमण करता है।

उसकी सम्पत्ति बची रहती है

“उसका सामान कोई चुरा नहीं सकता है”

उसकी सम्पत्ति लूट कर बांट लेता है

इसका अनुवादक इस प्रकार किया जा सकता है, “उसका सामान अपने अधिकार में कर लेता है” या “जो वह चाहता है ले जाता है”।

“जो मेरे साथ नहीं”

“जो मेरा सहयोगी नहीं” या “जो मेरा सहकर्मी नहीं”

“जो मेरे विरोध में है

“मेरे विरूद्ध है” यह उन लोगों के सदंर्भ में है, जो यीशु पर बालजबूल की सहायता से काम करने का दोष लगा रहे थे।

Luke 11:24

x

(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है)

सूखी जगहों में

अर्थात् निर्जन स्थानों में, जहाँ दुष्टात्मा भटकती है।

जब नहीं पाती

“जब वह दुष्टात्मा कहीं विश्राम नहीं पाती है”

मैं अपने उसी घर में जहाँ से मैं निकली थी

यह एक रूपक है जो उस मनुष्य का संदर्भ देता है जिसमें से वह दुष्टात्मा निकली थी। इसका अनुवाद होगा, “वह मनुष्य जिसमें मैं अन्तर्वास करती थी”। (यू.डी.बी. पद 26 को यू.डी.बी. में उपमा देकर अनुवाद किया गया है।

आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “आकर देखते है कि किसी ने उस घर को झाड़कर साफ कर दिया है और सब कुछ यथास्थान में रखा हुआ है”

झाड़ा-बुहारा

“खा लो” यह रूपक उस मनुष्य को दर्शाता है जिसमें से दुष्टात्मा निकल गई थी परन्तु उसने उसमें पवित्र-आत्मा का अन्तर्वास नहीं होने दिया।

Luke 11:27

(और ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

ऊँचे शब्द से कहा

“जनसमूह के कोलाहल से और भी ऊँचे स्वर में”

धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन जो तूने चूसे।

“सौभाग्य उस स्त्री का जिसने तुझे स्तनपान करवाया” “सौभाग्यवती है वह स्त्री जिसने तुझे जन्म दिया और दूध पिलाया”। कहने का अर्थ है कि वह स्त्री जो उसकी माता है। .

धन्य है

इसका अनुवाद किया जा सकता है, कैसी आनन्दित” या “परमेश्वर से आशिषित”

Luke 11:29

इस युग के लोग

“इस समय के लोग” (यू.डी.बी.)

चिन्ह ढूंढ़ते हैं

“वे मुझसे चिन्ह देखना चाहते हैं” या “तुम में से अनेक जन चाहते हैं कि मैं चिन्ह दिखाऊं” वे कैसा चिन्ह देखना चाहते थे इसका अभिप्रेत जानकारी यू.डी.बी. के जैसे स्पष्ट की जा सकती है। (देखें: )

चिन्ह उनको न दिया जाएगा।

“परमेश्वर उन्हें कोई चिन्ह नहीं देगा”

योना के चिन्ह

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “योना के साथ जो हुआ” या “योना के लिए परमेश्वर ने जो चमत्कार किया” (यू.डी.बी.)

जैसा योना चिन्ह ठहरा.... वैसे ही

अर्थात उस युग के यहूदियों के लिए यीशु परमेश्वर का वही चिन्ह होगा जो योना नीनवे के लोगों के लिए परमेश्वर का चिन्ह था।

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है

Luke 11:30

दक्षिण की रानी

अर्थात् शीबा की रानी। शीबा इस्त्राएल के दक्षिण में एक राज्य था।

न्याय के दिन... उन्हें दोषी ठहराएगी

“खड़ी होकर उन्हें दोष देगी”

पृथ्वी की छोर से आई थी

“वह बहुत दूर से आई थी”। “पृथ्वी की छोर एक मुहावरा है जिसका अर्थ है “बहुत दूर से”।

सुलैमान से भी बड़ा है

यीशु उन्हें झिड़की द्वारा जो समझाना चाहता था, “परन्तु तुमने मेरी बातें नहीं सुनी”।

Luke 11:32

उन्होंने योना का प्रचार सुनकर उन्हें दोषी ठहराया

“नीनवे के लोगों ने पश्चाताप किया”

योना से भी बड़ा है

यीशु अपने बारे में कह रहा था।

यहाँ वह है जो योना से भी बड़ा है

यीशु उन्हें झिड़क रहा था, “परन्तु तुमने पश्चाताप नहीं किया”।

Luke 11:33

(यीशु जनसमूह को ही शिक्षा दे रहा है)

यीशु को जनसमूह में सबसे आशा नहीं थी कि वे यीशु की शिक्षा को समझें। अतः यही उचित है कि रूपकों की व्याख्या करने की अपेक्षा उनका ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाए।

दीया

एक कटोरे में जैतून का तेल डालकर उसमें बत्ती लगाकर जलाया जाता था परन्तु यहाँ मुख्य बात यह है कि उससे प्रकाश फैलता था।

तल घर में या पैमाने के नीचे नहीं रखता

“छिपा कर नहीं रखता है”

दीवट पर

“दीपदान पर” या “मेज पर” या “उपले में”

दीया तेरी आँख है

इसके अनेक अलंकार हैं। आँख का लाक्षणिक उपयोग देखने के लिए भी किया जाता है जो समझ का रूपक है। देह मनुष्य के जीवन का भी द्योतक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरी आँख का दीपक है”। (देखें और और ) क्योंकि यीशु सबके लिए एक सत्य की चर्चा कर रहा था इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आँख मानवीय देह का दीपक है।

तेरी आँख निर्मल है

“जब तेरी दृष्टि उत्तम है” या “जब तू स्पष्ट देख सकता है”,

तेरा सारा शरीर भी उजियाला है।

उजियाला सत्य का रूपक है जिसका अर्थ है, “तेरा संपूर्ण जीवन सत्य ज्योति से पूर्ण है” या “उसका संपूर्ण जीवन सत्य से पूर्ण है”

वह बुरी है तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है

अन्धेरा झूठ का रूपक है। इसका अर्थ है, “यदि तेरी दृष्टि अच्छी नहीं तो तेरा संपूर्ण जीवन झूठ से भरा है”।

Luke 11:37

भोजन करने बैठा

“भोजन तख्त पर बैठा” उनकी प्रथा में भोजन करते समय आधा लेटकर भोजन किया जाता था।

धोना

“हाथ नहीं धोए” या “संस्कारिक रीति से हाथ नहीं धोए”, फरीसियों का एक नियम था कि परमेश्वर के समक्ष संस्कारिक शुद्धता के लिए हाथ धोना आवश्यक है।

Luke 11:39

तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर से मांझते हो

बर्तनों को बाहर से धोना फरीसियों का सांस्कारिक अभ्यास था।

परन्तु तुम्हारे भीतर अन्धेरा और दुष्टता भरी है

इस रूपक द्वारा पात्रों के भीतर की शुद्धता की तुलना उनके मन की दशा से की गई है।

जिसने बाहर का भाग बनाया क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु उस फरीसी को झिड़क रहा था कि वह समझता नहीं कि परमेश्वर मन को देखता है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

भीतर वाली वस्तुओं को दान कर दो

“भीतर जो है उसे गरीबों में बांट दो” इसका अर्थ है, “अपने भीतर के भाग को परमेश्वर पर केन्द्रित कर अपेक्षा इसके कि केवल बाहरी सफाई करे”।

Luke 11:42

x

(यीशु फरीसी ही से बातें कर रहा है)

तुम पोदीने और सुदाब का और सब भांति के साग-पात का दशमांश देते हो।

“तुम अपने पोदीने, ब्राहमी और सब्जियों का दसवां भाग परमेश्वर को देते हो”। यीशु एक उदाहरण दे रहा था कि फरीसी अपनी आय का दसवां भाग परमेश्वर को देने में कैसे कट्टर थे।

पोदीने अैर सुदाब

ये पत्ते हैं सुगन्ध के लिए भोजन में डाले जाते है। यदि आपके पाठक पोदीना और ब्राहमी नहीं जानते तो आप किसी मसाले के नाम काम में लें या केवल सुगन्धित पत्ते कहें।

सब भांति के साग-पात

इसके संभावित अर्थ हैं (1) हर एक सब्जी का” या (2) बगीचे के हर एक पौधे का”

उन्हें भी न छोड़ते

यह दोहरी नकारात्मकता को सकारात्मक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “अन्य उचित कार्य भी करते”

Luke 11:43

x

(यीशु फरीसियों ही से बातें कर रहा है)

मुख्य-मुख्य आसन

“सम्मानित स्थान”

छिपी कब्रों के समान हो जिन पर लोग चलते हैं परन्तु नहीं जानते

यह एक उपमा है। फरीसी छिपी हुई कब्रों के सदृश्य थे क्योंकि वे सांसारिक रूप से शुद्ध दिखते थे परन्तु उनके कारण मनुष्य अशुद्ध होता था। यह समानता यू.डी.बी. में अधिक स्पष्ट की गई है।

छिपी कब्रें ।

ये कब्रें भूमि में खोद कर मृतकों को गाड़ने की थी। उन्हें सफेद पत्थरों से ढांका नहीं जाता था कि लोग उन्हें देख पाएं। यदि कोई कब्र पर चढ़ जाए तो वह अशुद्ध हो जाता था।

Luke 11:45

तुम ऐसे बोझ.... मनुष्यों पर लादते हो

“तुम मनुष्यों पर ऐसा बोझ डालते हो कि वे उठा नहीं सकते, यह एक रूपक है। मनुष्यों को नियमों के अधीन करना ऐसा है जैसा उन पर भारी बोझ डालना। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम मनुष्यों को पालन करने के लिए बहुत नियम देते हो”।

उन बोझों को एक उँगली से भी नहीं छूते

“परन्तु तुम उँगली लगा कर भी बोझ उठाने में उनकी सहायता नहीं करते”। इसका अर्थ है, “परन्तु उन नियमों का पालन करने में तुम मनुष्यों की लेशमात्र भी सहायता नहीं करते।

Luke 11:47

x

(यीशु विधि शिक्षकों से ही बातें कर रहा है)

(और यह भी)

इस उक्ति द्वारा भविष्यद्वक्ताओं के प्रति उनके सम्मान ओर उनके पूर्वजों द्वारा भविष्यद्वक्ताओं की हत्या के मध्य विषमता की ओर ध्यान आकर्षित करवाया गया है।

तुम गवाह हो और अपने बाप दादों के कामों से सहमत हो।

यहाँ झिड़की निहित है, “तुमने उनके कामों को अनुचित नहीं कहा”। वे भविष्यद्वक्ताओं की हत्याओं के बारे में जानते थे परन्तु उन्हें दोषी नहीं ठहराते थे।

Luke 11:49

x

(यीशु धर्म गुरूओं से ही बातें कर रहा है)

इसलिए

यह उंगली अभिव्यक्ति से संबन्धित है। परमेश्वर और भविष्यद्वक्ताओं को भेजेगा कि सिद्ध करे कि वह पीढ़ी अपने पूर्वजों के सदृश्य उनकी हत्या करेगी।

परमेश्वर की बुद्धि

“परमेश्वर ने अपनी बुद्धि के द्वारा कहा” या “परमेश्वर ने बुद्धिमानी से कहा”

“मैं.... भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूंगा

“मैं” अपने लोगों में भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूंगा”।

वे उनमें से कुछ को मार डालेंगे

“मेरे लोग कुछ भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को मार डालेंगे”।

जितने भी भविष्यद्वक्ताओं का लहू.... बहाया गया है सब का लेखा इस युग के लोगों से लिया जाएगा।

लहू बहाने का संदर्भ भविष्यद्वक्ताओं की हत्या से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जितने भी भविष्यद्वक्ताओं की आज तक हत्या की गई है उनके लहू का लेखा लिया जाएगा।

जकर्याह

वह संभवतः 2 इतिहास में वर्णित भविष्यद्वक्ता है, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का पिता नहीं।

Luke 11:52

x

(यीशु विधि शिक्षकों से ठीक कह रहा है कि वे परमेश्वर के विरूद्ध कैसे पाप करते हैं।)

कुंजी ले तो ली

इस रूपक का अर्थ है, “तुमने मनुष्यों को परमेश्वर के सत्य में प्रवेश करने से बाधित किया है”। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है जैसे यू.डी.बी. में किया गया है।

कुंजी

यह पहुंचने का साधन दर्शाता है जैसे किसी घर में या भण्डारगृह में पहुँचना है।

आप ही प्रवेश नहीं किया

“तुम स्वयं ज्ञान ग्रहण करने हेतु प्रवेश नहीं करते” इस रूपक का अर्थ है, “तुम स्वयं ज्ञान का उपयोग करते हो।

Luke 11:53

जब वह वहां से निकला

“जब यीशु उस फरीसी के घर से चला गया”

उसके मुंह की कोई बात पकड़ें

यह एक रूपक है। वे चाहते थे कि यीशु कोई अनुचित बात कहे और वे उस पर दोष लगाएं। इसका अनुवाद रूपक के बिना किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।


Translation Questions

Luke 11:2

यीशु ने अपने चेलों को कौन सी प्रार्थना सिखाई थी?

यीशु ने प्रार्थना की, "हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए, हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला"।

Luke 11:8

यीशु के इस दृष्टान्त में उस मित्र ने मध्य रात्री उठ कर अपने मित्र को रोटी क्यों दी?

उसके मित्र के निर्लज दबाव के कारण।

Luke 11:13

स्वर्गीय पिता मांगने वालों को क्या देगा?

वह पवित्र आत्मा देगा।

Luke 11:15

यीशु को दुष्टात्माएं निकालते देख उस पर क्या दोष लगाया गया था?

उन्होंने यीशु पर दोष लगाया कि वह दुष्टात्माओं के सरदार बालजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता है।

Luke 11:20

यीशु ने उत्तर दिया कि वह किसकी सहायता से दुष्टात्माएं निकालता है?

वह परमेश्वर के सामर्थ्य से दुष्टात्माएं निकालता था।

Luke 11:26

यदि कोई दुष्टात्मा मनुष्य को छोड़ कर चली जाए परन्तु पुनः आ जाए तो उस मनुष्य की अन्तिम दशा कैसी होगी?

अब मनुष्य की अन्तिम दशा पहले से भी बुरी हो जायेगी।

Luke 11:28

जब एक स्त्री ने ऊंचे शब्दों में यीशु की माता को धन्य कहा तब यीशु ने किसको धन्य कहा था?

वे जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।

Luke 11:31

पुराने नियम के कौन से दो नायकों से भी यीशु ने स्वयं को बड़ा बताया?

सुलैमान और योना।

Luke 11:39

यीशु ने फरीसियों के भीतर क्या भरा हुआ बताया?

यीशु ने कहा कि वे लालसा और दुष्टता से भरे थे।

Luke 11:42

यीशु ने फरीसियों द्वारा अनदेखी बात कौन सी बताई?

उन्होंने न्याय और परमेश्वर के प्रेम को अनदेखा किया था।

Luke 11:46

यीशु ने मनुष्यों के साथ शास्त्रियों के व्यवहार को कैसा बताया?

वे मनुष्यों पर भारी बोझ ला देते थे परन्तु स्वयं उसमें उंगली भी नहीं लगाते थे।

Luke 11:50

यीशु ने इस पीढ़ी को किस अपराध का दोषी ठहराया?

वे संसार के आरंभ से अब तक भविष्यद्वक्ताओं के लहू के दोषी ठहरेंगे।

Luke 11:54

यीशु की बातें सुनकर फरीसियों और शास्त्रियों ने क्या किया?

उन्होंने उसके साथ विवाद करके उसी के शब्दों में उसे फंसाने का प्रयास किया।


Chapter 12

1 इतने में जब हजारों की भीड़ लग गई, यहाँ तक कि एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे, तो वह सबसे पहले अपने चेलों से कहने लगा, “फरीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहना। 2 कुछ ढपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा। 3 इसलिए जो कुछ तुम ने अंधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जाएगा; और जो तुम ने भीतर के कमरों में कानों कान कहा है, वह छतों पर प्रचार किया जाएगा।

4 “परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूँ, कि जो शरीर को मार सकते हैं और उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकते, उनसे मत डरो। 5 मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, मारने के बाद जिसको नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो; वरन् मैं तुम से कहता हूँ उसी से डरो। 6 क्या दो पैसे की पाँच गौरैयाँ नहीं बिकती? फिर भी परमेश्‍वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता। 7 वरन् तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, अतः डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।

8 “मैं तुम से कहता हूँ जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा उसे मनुष्य का पुत्र भी परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने मान लेगा। 9 परन्तु जो मनुष्यों के सामने मुझे इन्कार करे उसका परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने इन्कार किया जाएगा।

10 “जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा। परन्तु जो पवित्र आत्मा की निन्दा करें, उसका अपराध क्षमा नहीं किया जाएगा।

11 “जब लोग तुम्हें आराधनालयों और अधिपतियों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें। 12 क्योंकि पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सीखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।”

13 फिर भीड़ में से एक ने उससे कहा, “हे गुरु, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बाँट दे*।” 14 उसने उससे कहा, “हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बाँटनेवाला नियुक्त किया है?” (निर्ग. 2:14) 15 और उसने उनसे कहा, “सावधान रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”

16 उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई। 17 “तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूँ, क्योंकि मेरे यहाँ जगह नहीं, जहाँ अपनी उपज इत्यादि रखूँ। 18 और उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा: मैं अपनी बखारियाँ तोड़ कर उनसे बड़ी बनाऊँगा; और वहाँ अपना सब अन्न और संपत्ति रखूँगा; 19 ‘और अपने प्राण से कहूँगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।’ 20 परन्तु परमेश्‍वर ने उससे कहा, ‘हे मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा; तब जो कुछ तूने इकट्ठा किया है, वह किसका होगा?’ 21 ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्‍वर की दृष्टि में धनी नहीं।”

22 फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, अपने जीवन की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की, कि क्या पहनेंगे। 23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है। 24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उनके भण्डार और न खत्ता होता है; फिर भी परमेश्‍वर उन्हें खिलाता है। तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है (भज. 147:9) 25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? 26 इसलिए यदि तुम सबसे छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो? 27 सोसनों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न काटते हैं; फिर भी मैं तुम से कहता हूँ, कि सुलैमान भी अपने सारे वैभव में, उनमें से किसी एक के समान वस्त्र पहने हुए न था। 28 इसलिए यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भट्ठी में झोंकी जाएगी, ऐसा पहनाता है; तो हे अल्पविश्वासियों, वह तुम्हें अधिक क्यों न पहनाएगा? 29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न सन्देह करो। 30 क्योंकि संसार की जातियाँ इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है। 31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।

32 “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे। 33 अपनी संपत्ति बेचकर* दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं, जिसके निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नाश नहीं करता। 34 क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहाँ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।

35 “तुम्हारी कमर बंधी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें। (निर्ग. 12:11, 2 राजा. 4:29, इफि. 6:14, मत्ती 5:16) 36 और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की प्रतीक्षा कर रहे हों, कि वह विवाह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाएँ तो तुरन्त उसके लिए खोल दें। 37 धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह कमर बाँध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा। 38 यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं। 39 परन्तु तुम यह जान रखो, कि यदि घर का स्वामी जानता, कि चोर किस घड़ी आएगा, तो जागता रहता, और अपने घर में सेंध लगने न देता। 40 तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।”

41 तब पतरस ने कहा, “हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सबसे कहता है।” 42 प्रभु ने कहा, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिसका स्वामी उसे नौकर-चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर भोजन सामग्री दे। 43 धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। 44 मैं तुम से सच कहता हूँ; वह उसे अपनी सब संपत्ति पर अधिकारी ठहराएगा। 45 परन्तु यदि वह दास सोचने लगे, कि मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने-पीटने और खाने-पीने और पियक्कड़ होने लगे। 46 तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन, जब वह उसकी प्रतीक्षा न कर रहा हो, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो, आएगा और उसे भारी ताड़ना देकर उसका भाग विश्वासघाती के साथ ठहराएगा। 47 और वह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था*, और तैयार न रहा और न उसकी इच्छा के अनुसार चला, बहुत मार खाएगा। 48 परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिए जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा; और जिसे बहुत सौंपा गया है, उससे बहुत लिया जाएगा।

49 “मैं पृथ्वी पर आग* लगाने आया हूँ; और क्या चाहता हूँ केवल यह कि अभी सुलग जाती! 50 मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूँगा! 51 क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ; नहीं, वरन् अलग कराने आया हूँ। 52 क्योंकि अब से एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे, तीन दो से दो तीन से। 53 पिता पुत्र से, और पुत्र पिता से विरोध रखेगा; माँ बेटी से, और बेटी माँ से, सास बहू से, और बहू सास से विरोध रखेगी।” (मीका 7:6)

54 और उसने भीड़ से भी कहा, “जब बादल को पश्चिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, कि वर्षा होगी; और ऐसा ही होता है। 55 और जब दक्षिणी हवा चलती देखते हो तो कहते हो, कि लूह चलेगी, और ऐसा ही होता है। 56 हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?

57 “तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है? 58 जब तू अपने मुद्दई के साथ न्यायाधीश के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उससे छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे सिपाही को सौंपे और सिपाही तुझे बन्दीगृह में डाल दे। 59 मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक तू पाई-पाई न चुका देगा तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।”



Luke 12:1

इतने में

जब वे षड्यंत्र रच रहे थे

हजारों की भीड़

“हजारों लोग” या “विशाल जनसमूह”

एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे

यह एक अतिशयोक्ति है जो दर्शाती है कि वहां बहुत अधिक लोग थे। इसका अर्थ है कि वे धक्का-मुक्की कर रहे थे।

सबसे पहले अपने शिष्यों से कहने लगा

यीशु ने सबसे पहले अपने शिष्यों से कहा

चौकस रहना

“अनर्थ से सतर्क रहना” या “अपने को सुरक्षित रखना

फरीसियों के कपट रूपी खमीर से

यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है, “फरीसियों के पाखंड से जो खमीर जैसा है”। जिस प्रकार कि खमीर संपूर्ण आटे में फैल जाता है उसी प्रकार उनका पाखंड भी संपूर्ण समुदाय में फैल रहा है इस संपूर्ण चेतावनी का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सावधान रहो कि तुम भी फरीसियों के सदृश्य पाखंडी नहीं बन जाओ”। उनका कपटी व्यवहार सबको प्रभावित करता है जिस प्रकार कि खमीर आटे को पूर्णतः प्रभावित कर देता है”।

Luke 12:2

x

(यीशु अपने शिष्यों को पाखंड के प्रति चेतावनी दे रहा है)

कुछ ढका नहीं जो खोला न जाएगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक छिपी वस्तु प्रगट होगी” या “मनुष्य के गुप्त कामों को लोग जान लेंगे”।

न कुछ छिपा है जो जाना न जाएगा

यह वाक्यांश भी वही बात कहता है जो उपरोक्त वाक्यांश में कही गई है, इसलिए कि उसके तथ्य का महत्त्व प्रकट हो।

कानों कान कहा है

अर्थात “कानों में फुसफुसाया गया है”

कोठरियों में

“बन्द कमरों में” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बन्द दरवाजों के पीछे” या “अकेले में” या “गुप्त रूप से”।

प्रचार किया जाएगा।

“चिल्ला-चिल्लाकर कहा जाएगा” या “मनुष्य उसका प्रचार करेंगे”।

छत पर

इस्त्राएल के घरों की छतें समतल होती थी। लोग वहां जाकर खड़े हो सकते थे। यदि पाठकों को इसकी कल्पना करने में असुविधा हो तो इसका अनुवाद अधिक सामान्य अभिव्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, “ऊंचे स्थान से जहाँ से सबके लिए सुनना संभव हो”।

Luke 12:4

x

(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है)

कुछ नहीं कर सकते

“उससे अधिक और कुछ नहीं कर सकते” या “वे इससे अधिक हानि नहीं पहुंचा सकते” या “वे तुम्हें और अधिक कष्ट नहीं दे सकते”,

किससे डरना चाहिए

“परमेश्वर से डरो” या “जिसको” या “परमेश्वर से डरो क्योंकि”

घात करने के बाद

“तुम्हें मारने के बाद” या “किसी को मार डालने के बाद”

नरक में डालने का अधिकार है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके पास मनुष्य को नरक में डालने का अधिकार है”

Luke 12:6

x

(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है)

क्या दो पैसे की पांच गौरेयां नहीं बिकती”

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “गौरेयों पर ध्यान दो। उनका मूल्य कितना कम है कि वे पैसे में पांच मिलती हैं”

गौरेयां

ये छोटी-छोटी दाना चुगने वाली चिड़ियाँ होती हैं।

परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता

“परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता है। (यू.डी.बी.) या “परमेश्वर एक भी गौरेया की सुधि लेने से नहीं चूकता है”

तुम्हारे सिर के बाल भी गिने हुए है

“परमेश्वर जानता है कि तुम्हारे सिर पर कितने बाल हैं”

इसलिए डरो नहीं

“इसलिए मनुष्यों से डरो नहीं” या “इसलिए तुम्हें हानि पहुंचाने वाले मनुष्यों से मत डरो”।

तुम बहुत गौरेयों से बढ़ कर हो

“परमेश्वर तुम्हें अनेक गौरेयों से अधिक मूल्यवान समझता है”।

Luke 12:8

x

(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है)

जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा

“जो लोगों से कहेगा कि वह मेरा शिष्य है” या “जो कोई मनुष्यों के समक्ष मेरे प्रति स्वामी-भक्ति स्वीकार करेगा”।

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र”

जो मनुष्यों के सामने मेरा इनकार करे

“जो मनुष्यों के समक्ष मेरा त्याग करे”, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो मनुष्यों के समक्ष मेरा शिष्य होना स्वीकार न करे” या “जो मेरे प्रति स्वामी-भक्ति से इन्कार करे”

इन्कार किया जायेगा

“त्याग किया जायेगा”। इसका अनुवाद इस प्रकार यिा जा सकता है, “परमेश्वर का पुत्र भी उसका इन्कार करेगा” या “मैं उसे अपना शिष्य स्वीकार नहीं करूंगा”

जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात करे

“जो कोई मनुष्य के पुत्र की बुराई करे”

उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा।

“वह क्षमा किया जाएगा” या “परमेश्वर उसके लिए उसे क्षमा कर देगा”।

जो पवित्र-आत्मा की निन्दा करे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे पवित्र-आत्मा के विरूद्ध बुरी बात कहे” या पवित्र-आत्मा को दुष्ट कहे”।

Luke 12:11

x

(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है)

सभाओं में

आराधनालयों में धर्म-गुरूओं के समक्ष पूछताछ के लिए” (यू.डी.बी.)

अधिकारियों

“देश में जो अधिकार के पद पर नियुक्त हैं”

तो

“उस समय” या “तब”

Luke 12:13

हे मनुष्य

कुछ अनुवाद इस व्यक्ति को एक अनजान मनुष्य को संबोधित करने की विधि मानते हैं। कुछ के विचार में यीशु किस विशेष मनुष्य को झिड़क रहा था। आपकी भाषा में इन दोनों अभिव्यक्तियों को व्यक्त करने के शब्द होंगे। कुछ लोग इसका अनुवाद ही नहीं करते हैं।

किसने मुझे तुम्हारा न्यायी नियुक्त किया है?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मैं तुम्हारा न्यायी या मध्यस्थ नहीं हूँ। जिन भाषाओं में द्विवचन है, वे यहाँ इसका उपयोग करें।

बांटनेवाला

बांटनेवाला अर्थात् समस्या का समाधान खोजने वाला।

उसने उनसे पूछा

यहाँ “उनसे” का संदर्भ संभवतः जनसमूह से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु ने जनसमूह से कहा”

हर प्रकार के लोगों से अपने आप को बचाए रखो

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सम्पदा प्राप्ति की लालसा मन में न आने दो” या “और अधिक पाने की लालसा के अधीन न हो जाओ”।

किसी का जीवन

यह एक सामान्य तथ्य है। यह किसी व्यक्ति विशेष का बोध नहीं कराता है। कुछ भाषाओं में इसे व्यक्त करने की उक्तियां हैं।

सम्पत्ति की बहुतायत

“उसके पास कितना है” या “उसके पास कितनी धन-सम्पदा है”।

Luke 12:16

उसने उनसे .... कहा

संभवतः यीशु अब भी जनसमूह से बातें कर रहा है

बड़ी उपज हुई

“बहुत अधिक फसल आई”

बखारियां

बखारियां वे पक्के गोदाम होते है यहाँ किसान अपनी फसल और भोजन की वस्तुएं सुरक्षित रखते हैं।

सम्पत्ति

“सब सामान”

अपने प्राण से कहूंगा

“अपने आपसे कहूंगा” (यू.डी.बी.)

Luke 12:20

x

(यीशु उसी धनवान मनुष्य की कहानी सुना रहा है)

इसी रात तेरा प्राण तुझसे ले लिया जाएगा।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू आज रात ही मर जाएगा” या “तेरी जान आज रात तुझसे ले ली जाएगी”।

“वह किसका होगा”?

“तेरा धन संचय किसका होगा”? या “तेरा एकत्र किया हुआ किसके पास जाएगा”? इस अलंकारिक प्रश्न का उद्देश्य है कि उस मनुष्य को यह बोध हो कि उसकी धन-सम्पदा अन्ततः उसकी नहीं रहेगी।

जो अपने लिए धन बटोरता है

“मूल्यवान वस्तुएं एकत्र करता है”

धनी नहीं

“आशीष या “कृपया” या “उदारतारहित”

परमेश्वर की दृष्टि में

इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर के विचार में” या “परमेश्वर के संबध में, इसका अर्थ है कि उस मनुष्य ने परमेश्वर के लिए जो महत्त्वपूर्ण है उसमें निवेश नहीं किया है या परमेश्वर जिसका प्रतिफल देगा उसमें निवेश नहीं किया है।

Luke 12:22

इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ

“अतः” या “इस कारण” या “इस कहानी की शिक्षा के द्वारा”

मैं तुझ से कहता हूँ

मैं तुम्हें एक महत्त्वपूर्ण बात बताता हूँ” या “तुम्हें ध्यान से सुनने की आवश्यकता है”

अपने प्राण की चिन्ता न करो कि हम क्या खाएंगे

इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने प्राण और भोजन की चिन्ता न करो” या “जीने के लिए पर्याप्त भोजन की”

न शरीर की, कि क्या पहनेंगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने शरीर की और वस्त्रों की” या “शरीर के लिए वस्त्रों की”

Luke 12:24

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

कौवों

इसका संदर्भ या तो (1) कौवों से है जो दाना खाने वाली चिडियां हैं या (2) काले कौवों से है जो मृतकों का मांस खाते हैं। यीशु के श्रोता कौवों को व्यर्थ समझते थे क्योंकि उन्हें खाया नहीं जा सकता।

तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।

यह संबोधन कारक है जो इस तथ्य पर बल देता है कि परमेश्वर के लिए मनुष्य पक्षियों से अधिक मूल्यवान हैं।

एक घड़ी

“यह एक रूपक है। मनुष्य का जीवन बढ़ाया नहीं जा सकता है।

Luke 12:27

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

सोसनों

सोसन जंगलों में उगनेवाले जंगली फूल होते हैं। यदि आपकी भाषा में सोसन का फूल नहीं है तो आप इसी प्रकार के किसी और का नाम ले सकते हैं पर केवल “फूल” शब्द का उपयोग कर सकते हैं।

न कातते

“ ना ही वे वस्त्र तैयार करने के लिए धागा बनाते हैं” या “वे धागा नहीं बनाते हैं।

सुलैमान भी अपने सारे वैभव में

“सुलैमान जो बहुत ही अधिक धनवान था” या “सुलैमान जो अनमोल वस्त्र पहनता था”।

यदि परमेश्वर मैदान की घास को .... ऐसा पहनाता है

“यदि परमेश्वर मैदान में उगने वाली घास को ऐसा विभूषित करता है” या “परमेश्वर मैदान की घास को ऐसा सुसज्जित करता है”। घास को पहनाना एक रूपक है जिसका अर्थ है “घास को सौंदर्य प्रदान करना”

वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?

यह संबोधन कारक है कि परमेश्वर घास की तुलना में मनुष्य की अधिक सुधि लेगा

Luke 12:29

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

इस बात की खोज में न रहो कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे।

“खाने-पीने पर ध्यान मत दो” या “बहुत खाने पीने की लालसा मत करो”

संसार की जातियां

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “संसारिक लोग” या “संसार में अविश्वासी जातियां” यहाँ अविश्वासियों के लिए लाक्षणिक प्रयोग है।

Luke 12:31

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

उसके राज्य की खोज में रहो

“परमेश्वर के राज्य में ध्यान लगाओ या “परमेश्वर के राज्य की लालसा करो”।

ये वस्तुएं भी तुम्हें मिल जायेंगी

“ये सब कुछ तुम्हें मिल जाएगा”, “ये वस्तुएं” अर्थात भोजन ओर वस्त्र।

हे छोटे झुण्ड

यीशु अपने शिष्यों को भेड़ों का झुण्ड कह रहा था। भेड़ों के या बकरियों के झुण्ड की रखवाली चरवाहा करता है जिस प्रकार चरवाहा अपनी भेड़ों की रखवाली करता है उसी प्रकार परमेश्वर यीशु के शिष्यों की रखवाली करेगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “छोटे समूह” या “प्रिय समूह”

Luke 12:33

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

दान कर दो

“अपनी सम्पत्ति को बेच कर जो धनराशि प्राप्त हो वह गरीबों में बांट दो”

अपने लिए ऐसे बटुए बनाओ.... अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस प्रकार तुम अपने लिए ऐसे बटुए बनाओगे....” स्वर्ग में बटुए और धन एक ही बात हैं। दोनों ही परमेश्वर की आशिषों को द्योतक हैं।

ऐसे बटुएं बनाओ जो पुराने नहीं होते

“जिन बटुओं में छेद नहीं होता है”

पुराने नहीं होते

“घटता नहीं” या “कम नहीं होता”

Luke 12:35

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

तुम्हारी कमरें बंधी रहें

वे लम्बा चोगा पहनते थे और काम करते समय उसे ऊपर करके कमर पर बान्ध लेते थे कि उससे रुकावट उत्पन्न न हो। इस निहितार्थ को स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सेवा में तत्पर रहने के लिए वस्त्रों को कमर में कस लो” या “वस्त्र धारण करके सेवा के लिए तैयार हो जाओ।

तुम्हारे दीये जलते रहें

“अपने दीये जलते हुए रखो”।

दीये

ये छोटे कटोरे होते थे जिनमें जैतून का तेल डालकर एक बत्ती लगाई जाती थी जिसे जलाते थे।

उन मनुष्यों के समान बनों जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हैं।

यह एक उपमा है जो यीशु के शिष्यों को यीशु के पुनः आगमन के लिए तैयार रहने की तुलना उन सेवकों से करती है जो अपने स्वामी के लौटने की प्रतीक्षा में खड़े हैं। यह एक शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है।

विवाह से कब लौटेगा

“विवाह उत्सव से कब लौटेगा”

Luke 12:37

x

(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

धन्य है

कैसा सौभाग्य है

जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए

“अपने आगमन पर उनका स्वामी उनकी प्रतीक्षा कर रहा था” या “जो अपने स्वामी के लिए आगमन पर तैयार पाए जाएं”।

वह कमर बांध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा

यह पिछले पद का विपरीत है। क्योंकि सेवक अपने स्वामी के प्रति निष्ठावान थे इसलिए उन पर स्वामी उन्हें अपनी सेवा द्वारा प्रतिफल देगा।

वह कमर बांध कर

इसके अनुवाद में निहितार्थ को स्पष्ट किया सकता है, “वह कमर कसकर उनकी सेवा करेगा” या “तैयार होकर उनकी सेवा करेगा”

रात के दूसरे पहर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “रात में बहुत देर से” या “मध्य रात्री से कुछ ही समय पूर्व” दूसरा पहर रात 9 बजे से 12 बजे के बीच का होता था।

या तीसरे पहर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि वह रात में बहुत देर से आए” तीसरा यह रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक का होता था।

Luke 12:39

x

(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

तुम सोचते भी नहीं, उसी समय मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।

एक चोर और मनुष्य के पुत्र में एकमात्र समानता यह है कि मनुष्य दोनों ही के आगमन के बारे में नहीं जानते हैं इसलिए उन्हें सदैव तैयार रहना है।

मनुष्य का पुत्र आ जायेगा

यीशु अपने बारे में कह रहा था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब मैं, मनुष्य का पुत्र आऊंगा

Luke 12:41

तू हम ही से या सबसे कहता है

यह अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु ने पतरस के प्रश्न का सीधा उत्तर नहीं दिया परन्तु यह अपेक्षा की कि जो विश्वासयोग्य प्रबन्धक होना चाहते थे वे इस शिक्षाप्रद कथा को समझें। इसका आरंभ एक सरकारी व्यवस्था से किया जा सकता है, “मैंने उन सबके लिए कहा जो ....”

विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी

यीशु एक और शिक्षाप्रद कथा सुनाता है कि सेवक को अपने स्वामी के आगमन की प्रतीक्षा में कैसा विश्वासयोग्य होना है।

जिसका स्वामी उसे नौकरों पर सरदार ठहराए

“जिसे उसका स्वामी अपने अन्य सेवकों का व्यवस्थापक नियुक्त करे”

धन्य है वह दास

“उस सेवक का कैसा सौभाग्य है”

जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करता पाए”

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसका स्वामी उसे अपना कर्तव्य निष्ठापूर्वक निभाता पाएं”

Luke 12:45

x

(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

वह दास

अर्थात जिस सेवक को उसके स्वामी ने अपने अन्य सेवकों पर व्यवस्थापक नियुक्त किया था।

मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा स्वामी तो शीघ्र नहीं लौटेगा”

दासों और दासियों को

इन शब्दों का मूल अर्थ है “लड़कों” और “लड़कियों” को अर्थात या तो वे युवा थे या स्वामी के प्रिय थे।

इसका भाग अविश्वासियों के साथ पाएगा

“इसे अविश्वासियों में रखेगा”, या “उसे वहां भेज देगा जहाँ उसने अविश्वासियों को रखा है।

Luke 12:47

x

(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

बहुत मार खाएगा

“उसकी बहुत” पिटाई होगी” या “कोड़ों की मार खाएगा”

जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत मांगा जाएगा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसका स्वामी उसे बहुत मारेगा” या “उसका स्वामी उसे कठोर दण्ड देगा”।

जिसे बहुत सौंपा गया उससे बहुत लिया जाएगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्वामी ने जिसे बहुत सौंपा है, उससे बहुत लेगा। यदि आपने पिछले वाक्य को कर्मवाच्य वाक्य में अनुवाद किया है तो यू.डी.बी. के अनुसार अनुवाद करने का विचार करें।

जिसे बहुत सौंपा गया है

“जिसे बहुत सम्पदा का उत्तरदायित्व सौंपा गया है” या “जिसको अधिक उत्तरदायित्व सौंपा गया है।

Luke 12:49

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ

“मैं पृथ्वी पर आग उगलने आया हूँ” या “मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ”

चाहता हूँ.... कि अभी सुलग जाती

इस वाक्य से प्रकट होता है कि यीशु कैसा चाहता है कि ऐसा हो। इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है, “मेरी गहन इच्छा है कि आग लग चुकी होती” या अधिक सामान्य रूप में कहें तो “मेरी तो बड़ी इच्छा है कि ऐसा हो चुका होता”, (वाक्यों के प्रकार का अध्याय देखें)

मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है

यहाँ बपतिस्मा, “ कष्ट सहने" रूपक स्वरूप काम में लिया गया है। जिस प्रकार बपतिस्में में मनुष्य जल मग्न हो जाता है उसी प्रकार यीशु कष्टों में मग्न हो जाएगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं कष्टों का बपतिस्मा लूंगा” या उपमा देकर, “मुझे कष्ट ऐसे डुबा देंगे जैसे बपतिस्मे में पानी मनुष्य को डुब देता है”।

परन्तु

यहाँ “परन्तु” शब्द का अर्थ है कि वह अपने कष्टों के बपतिस्में के लिए पृथ्वी पर आग नहीं लगा पाएगा।

जब तक यह न हो ले, तब तक मैं कैसी व्यवस्था में रहूंगा

इस वाक्य में उसकी मनोदशा पर बल देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं अत्यधिक व्याकुल हूं और रहूंगा भी जब तक कि मेरे कष्ट पूरे न हों”।

Luke 12:51

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। मनुष्यों ने मसीह से अपेक्षा की थी कि वह उन्हें बैरियों से शान्ति दिलाए। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम यह न सोचो कि मैं पृथ्वी पर शान्ति स्थापित करने आया हूँ।

वरन् अलग कराने आया हूँ

“इसकी अपेक्षा मैं विभाजन कराने आया हूँ”

दल

“विरोध” या “कलह”

एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे

यह एक उदाहरण है कि परिवारों में भी विभाजन होगा।

Luke 12:54

वर्षा होगी

“वर्षा होने वाली है” या “पानी बरसेगा” (यू.डी.बी.)

धरती और आकाश

मौसम को देखकर

इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं चाहते।

यह अलंकारिक प्रश्न झिड़की के लिए है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हें इस समय का भी अर्थ निर्धारण करना चाहिए”।

Luke 12:57

x

(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है)

तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते कि उचित क्या है?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है जो झिड़की है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हें तो सत्य को स्वयं ही अन्तर्ग्रहण कर लेना चाहिए” यहाँ भी सत्य के विषय यीशु की शिक्षा आरंभ होती है।

आप ही

“स्वयं ही पहल करके” या “जब तुम्हारे पास समय है” (यू.डी.बी.) इसका सलंग्न अर्थ है कि श्रोताओं को अपनी रूचि एवं बुद्धि के आधार पर काम करना है कोई उन्हें विवश न करे।

जब तू अपने मुद्दई के साथ हाकिम के पास जा रहा है

यह एक नई शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है। यीशु परमेश्वर के आनेवाले दण्ड के लिए एक काल्पनिक परिस्थिति रच रहा है

मार्ग ही में

यद्यपि यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, ऐसी परिस्थिति में मनुष्य अकेला ही होता है। अतः आपकी भाषा में “तू” शब्द एकवचन में होना चाहिए।

छूटने का यत्न कर ले

“अपने विरोधी के साथ समझौता कर ले”

हाकिम

न्यायाधीश, परन्तु मूल शब्द अधिक विशिष्ट एवं भयावह है।


Translation Questions

Luke 12:3

यीशु के अनुसार अंधकार में की गई बातों का क्या होगा?

वह उजाले में सुना जाएगा।

Luke 12:5

यीशु ने किसका भय मानने के लिए कहा?

जिसको नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो।

Luke 12:8

यीशु उन सबके साथ क्या करेगा जो मनुष्यों में उसके नाम का अंगीकार करते हैं?

यीशु परमेश्वर के स्वर्गदूतों के समक्ष उस व्यक्ति का नाम स्वीकार करेगा।

Luke 12:15

यीशु के अनुसार हमारा जीवन क्या नहीं है?

हमारा जीवन धन संपदा की बहुतायत से नहीं है।

Luke 12:18

यीशु के इस दृष्टान्त में वह धनवान की विपुल उपज के कारण क्या करेगा?

वह अपनी बुखारियां तोड़ कर बड़े-बड़े गोदाम बनायेगा और चैन से बैठ कर खायेगा, पीएगा और आनन्द करेगा।

Luke 12:20

परमेश्वर ने उस धनवान मनुष्य से क्या कहा?

परमेश्वर ने उससे कहा, "हे मूर्ख इसी रात तेरा प्राण तुझसे ले लिया जाएगा, तब जो कुछ तूने इकट्ठा किया है वह किसका होगा?

Luke 12:31

हमें जीवन की बातों की चिन्ता करने की अपेक्षा यीशु की आज्ञा के अनुसार क्या करना चाहिए?

हमें परमेश्वर के राज्य की खोज करनी है।

Luke 12:33

यीशु की आज्ञा के अनुसार हम अपना धन कहाँ एकत्र करें और क्यों?

हमें स्वर्ग में धन एकत्र करना है क्योंकि वहाँ न तो चोर आ सकते हैं और न ही उसमें कीड़े लगते हैं।

Luke 12:37

यीशु के अनुसार परमेश्वर के कैसे सेवक धन्य हैं?

जो यीशु के आगमन पर सतर्क एवं तैयार पाये जायें वे धन्य हैं।

Luke 12:40

क्या हम यीशु के आगमन का समय जानते हैं?

नहीं।

Luke 12:46

उस दास का क्या होगा जो अन्य दासों को मारता-पीटता है तथा स्वामी के लौटने के लिए तैयार नहीं रहता है?

भारी ताड़ना देकर उसका भाग अविश्वासियों के साथ ठहराएगा।

Luke 12:48

जिन्हें अधिक दिया गया उनसे क्या अपेक्षा की जायेगी?

उससे अधिक अपेक्षा की जाएगी।

Luke 12:52

यीशु के अनुसार वह पृथ्वी पर कैसा विभाजन लाएगा?

एक ही परिवार के सदस्य एक दुसरे के विरोधी होकर विभाजित हो जायेंगे।

Luke 12:58

यीशु की आज्ञा के अनुसार न्यायाधीश के सम्मुख उपस्थित किए जाने से पूर्व हमें अपने विरोधियों के साथ क्या कर लेना चाहिए?

हमें पहले ही समझौता करने का प्रयास करना है।


Chapter 13

1 उस समय कुछ लोग आ पहुँचे, और उससे उन गलीलियों की चर्चा करने लगे, जिनका लहू पिलातुस ने उन ही के बलिदानों के साथ मिलाया था। 2 यह सुनकर यीशु ने उनको उत्तर में यह कहा, “क्या तुम समझते हो, कि ये गलीली बाकी गलीलियों से पापी थे कि उन पर ऐसी विपत्ति पड़ी?” 3 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे* तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होंगे। 4 या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोह का गुम्मट गिरा, और वे दबकर मर गए: यरूशलेम के और सब रहनेवालों से अधिक अपराधी थे? 5 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम भी सब इसी रीति से नाश होंगे।”

6 फिर उसने यह दृष्टान्त भी कहा, “किसी की अंगूर की बारी* में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था : वह उसमें फल ढूँढ़ने आया, परन्तु न पाया। (मत्ती 21:19-20, मर. 11:12-14) 7 तब उसने बारी के रखवाले से कहा, ‘देख तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूँढ़ने आता हूँ, परन्तु नहीं पाता, इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे?’ 8 उसने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूँ। 9 अतः आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।”

10 सब्त के दिन वह एक आराधनालय में उपदेश दे रहा था। 11 वहाँ एक स्त्री थी, जिसे अठारह वर्ष से एक दुर्बल करनेवाली दुष्टात्मा लगी थी, और वह कुबड़ी हो गई थी, और किसी रीति से सीधी नहीं हो सकती थी। 12 यीशु ने उसे देखकर बुलाया, और कहा, “हे नारी, तू अपनी दुर्बलता से छूट गई।” 13 तब उसने उस पर हाथ रखे, और वह तुरन्त सीधी हो गई, और परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगी। 14 इसलिए कि यीशु ने सब्त के दिन उसे अच्छा किया था*, आराधनालय का सरदार रिसियाकर लोगों से कहने लगा, “छः दिन हैं, जिनमें काम करना चाहिए, अतः उन ही दिनों में आकर चंगे हो; परन्तु सब्त के दिन में नहीं।” (निर्ग. 20:9-10, व्य. 5:13-14) 15 यह सुन कर प्रभु ने उत्तर देकर कहा, “हे कपटियों, क्या सब्त के दिन तुम में से हर एक अपने बैल या गदहे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? 16 “और क्या उचित न था, कि यह स्त्री जो अब्राहम की बेटी है, जिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बाँध रखा था, सब्त के दिन इस बन्धन से छुड़ाई जाती?” 17 जब उसने ये बातें कहीं, तो उसके सब विरोधी लज्जित हो गए, और सारी भीड़ उन महिमा के कामों से जो वह करता था, आनन्दित हुई।

18 फिर उसने कहा, “परमेश्‍वर का राज्य किसके समान है? और मैं उसकी उपमा किससे दूँ? 19 वह राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपनी बारी में बोया: और वह बढ़कर पेड़ हो गया; और आकाश के पक्षियों ने उसकी डालियों पर बसेरा किया।” (मत्ती 13:31-32, यहे. 31:6, दानि. 4:21) 20 उसने फिर कहा, “मैं परमेश्‍वर के राज्य कि उपमा किस से दूँ? 21 वह ख़मीर के समान है, जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिलाया, और होते-होते सब आटा ख़मीर हो गया।”

22 वह नगर-नगर, और गाँव-गाँव होकर उपदेश देता हुआ यरूशलेम की ओर जा रहा था। 23 और किसी ने उससे पूछा, “हे प्रभु, क्या उद्धार पानेवाले थोड़े हैं?” उसने उनसे कहा, 24 “सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। 25 जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, ‘हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे,’ और वह उत्तर दे कि मैं तुम्हें नहीं जानता, तुम कहाँ के हो? 26 तब तुम कहने लगोगे, ‘कि हमने तेरे सामने खाया-पीया और तूने हमारे बजारों में उपदेश दिया।’ 27 परन्तु वह कहेगा, मैं तुम से कहता हूँ, ‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से हो। हे कुकर्म करनेवालों, तुम सब मुझसे दूर हो।’ (भज. 6:8) 28 वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा, जब तुम अब्राहम और इसहाक और याकूब और सब भविष्यद्वक्ताओं को परमेश्‍वर के राज्य में बैठे, और अपने आप को बाहर निकाले हुए देखोगे। 29 और पूर्व और पश्चिम; उत्तर और दक्षिण से लोग आकर परमेश्‍वर के राज्य के भोज में भागी होंगे। (यशा. 66:18, प्रका. 7:9, भज. 107:3, मला. 1:11) 30 यह जान लो, कितने पिछले हैं वे प्रथम होंगे, और कितने जो प्रथम हैं, वे पिछले होंगे।”

31 उसी घड़ी कितने फरीसियों ने आकर उससे कहा, “यहाँ से निकलकर चला जा; क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है।” 32 उसने उनसे कहा, “जाकर उस लोमड़ी से कह दो, कि देख मैं आज और कल दुष्टात्माओं को निकालता और बीमारों को चंगा करता हूँ और तीसरे दिन अपना कार्य पूरा करूँगा। 33 तो भी मुझे आज और कल और परसों चलना अवश्य है, क्योंकि हो नहीं सकता कि कोई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम के बाहर मारा जाए।

34 “हे यरूशलेम! हे यरूशलेम! तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए उन्हें पत्थराव करता है; कितनी ही बार मैंने यह चाहा, कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठे करूँ, पर तुम ने यह न चाहा। 35 देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है, और मैं तुम से कहता हूँ; जब तक तुम न कहोगे, ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है,’ तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।” (भज. 118:26, यिर्म. 12:7)



Luke 13:1

उस समय

इस उक्ति द्वारा यह घटना अध्याय 12 के अन्त से जोड़ी गई है जिसमें यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा था।

जिनका लहू पिलातुस ने उन्हीं के बलिदानों के साथ मिला दिया था।

यह एक रूपक है जिसमें उनकी मृत्यु को लहू कहा गया है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब जो बलिदान चढ़ाते समय पिलातुस द्वारा मार डाले गए थे”। पिलातुस ने स्वयं नहीं अपने सैनिकों को आज्ञा देकर उनकी हत्या करवाई थी। (देखें: Metonymy)

क्या तुम समझते हो कि ये गलीली और सब गलातियों से अधिक पापी थे?

“क्या वे गलीलवासी अधिक पापी थे”? या “इससे क्या यह सिद्ध होता है कि ये गलीली अधिक पापी थे”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यह सकारात्मक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “तुम सोचते हो कि ये गलीली अधिक पापी थे” या आदेशात्मक वाक्य में, “यह न सोचों कि ये गलीली अधिक पापी थे”।

मैं तुमसे कहता हूँ कि नहीं

यीशु ने कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ” तो वह “नहीं” पर बल देने के लिए था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चय ही नहीं”। इसके संभावित अर्थ है, “निश्चय ही वे अधिक पापी नहीं थे” या “उनका पीड़ित अन्त निश्चय ही सिद्ध नहीं करता कि वे पापी थे”। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम्हारा यह विचार अनुचित है।

तुम सब इसी रीति से नष्ट होगे

“तुम सब भी मरोगे”, यहाँ “इसी रीति से” का अर्थ है, “परिणाम यही होगा”, न कि “इसी रूप में घात किए जाओगे”

नष्ट होगें

“तुम्हारे जीवन का अन्त” या “मरोगे”

Luke 13:4

x

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

या वे

यीशु ऐसे ही दुर्भाग्य का दूसरा उदाहरण दे रहा है। इसका आरंभ इस प्रकार हो सकता है, “या उन अठारह जनों को ही देख लो” या “उन अठारह जनों पर विचार करो” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम सोचते हो कि वे अधिक पापी थे” या आदेशात्मक वाक्य में

“यह मत सोचो कि वे अधिक पापी थे”।

“क्या वे अधिक पापी थे” या “क्या यह सिद्ध होता है कि वे अधिक पापी है?” यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यह एक कथन द्वारा अनुवाद किया जा सकता है: “आपको लगता है कि वे अधिक पापी है” या एक आदेश के रूप में “क्या आप को लगता है कि वे अधिक पापी हैl”

यरूशलेम के सब रहनेवालों से

“अन्य नागरिकों से”

मैं तुमसे कहता कि कि नहीं

यहाँ यीशु, “मैं तुमसे कहता हूँ” कह कर “नहीं” पर बल डाल रहा है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “निश्चय ही नहीं”? इसके संभावित अर्थ हैं, “वे निश्चय ही अधिक पापी नहीं थे” या “उनका अनुवाद दुर्भाग्य निश्चय ही को सिद्ध नहीं करता है”, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम ऐसा सोचते हो तो तुम गलत हो”।

नष्ट होगें

“तुम्हारे जीवन का अन्त” या “मरोगे”

Luke 13:6

x

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

यीशु ने यह शिक्षाप्रद कथा सुनाई

यीशु ने पिछले पद में कही गई अपनी बात को समझाने के लिए यह कथा सुनाई कि वे या तो अपने पापों से विमुख हों या नष्ट हों।

यह भूमि को भी क्यों रोके

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद विधान वाचक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है या आदेशात्मक वाक्य में, “इसे भूमि रोकने न दे”।

Luke 13:8

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

रहने दे

“इस वृक्ष को अभी छोड़ दे”या “इसे अभी मत काट”

खाद डालूँ

“इसकी जड़ों की मिट्टी में खाद डालूँ” खाद पशुओं का गोबर होता था जिसे वे मिट्टी में मिलाते थे कि पेड़-पौधों का भोजन हो।

उसे काट डालना

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “तब मुझे काटने दे” या “तब मुझसे काटने को कहना। वह सेवक सुझाव दे रहा था। वह अपने स्वामी को आज्ञा नहीं दे रहा था।

Luke 13:10

सब्त के दिन

कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद “सब्त पर” किया गया है क्योंकि हम नहीं जानते कि वह सब्त कौन सा था।

देखो

यहाँ “देखो” कहानी में एक नए मनुष्य के प्रवेश की सूचना देता है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है।

दुर्बल करनेवाली दुष्टात्मा

“दुर्बल दुष्टात्मा ने उसे दुर्बल कर दिया था”

Luke 13:12

तू अपनी दुर्बलता से छूट गई

“तू विकारमुक्त हो गई” यह कह कर यीशु उसकी मुक्ति ला रहा था। इसका अनुवाद आदेशात्मक वाक्य या विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है। (यू.डी.बी.)

उसने उस पर हाथ रखे

“उसने उसे छुआ”

आराधनालय के सरदार रिसियाकर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आराधनालय का प्रधान कुपित हुआ “क्योंकि यीशु ने उपचार कार्य किया था”

लोगों से कहने लगा

“निर्देश दिया” या “प्रतिक्रिया दिखाई”

आकर चंगे हों

“उन दिनों में रोगमुक्ति हेतु आओ”

Luke 13:15

प्रभु ने उत्तर दिया

प्रभु ने आराधनालय के प्रधान से कहा।

हर एक अपने ..... गदहे को स्थान से खोलकर

यह एक अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु ने इस प्रकार उनकी परिचित बात की और ध्यान आकर्षित करवाया। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम अपना गधा खोलते हो।

अपने बैल या गधे को

ये पालतू पशु थे जिन्हें वे पानी पिलाने ले जाते थे।

अब्राहम की बेटी है

“अब्राहम की वंशज है”

जिसे शैतान ने बांध रखा था

यह एक रूपक है। इसका अर्थ है, “जिसे शैतान ने कूबड़ा करके रखा हुआ था”। रूपक के साथ अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है।

अठारह वर्ष से

यीशु के कहने का तात्पर्य था कि अठारह वर्ष उसके कष्टों का बहुत लम्बा समय था। अन्यों भाषाओं में इस बात पर बल देने की अपनी-अपनी अभिव्यक्ति होगी।

क्या यह उचित न था

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु ने यह प्रश्न इसलिए किया था कि श्रोता स्वीकार करें कि सब्त के दिन उसे स्वस्थ करने का कार्य उचित था। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम निश्चय ही स्वीकार करोगे कि यह उचित है”

बन्धन से छुड़ाई जाती

यह एक रूपक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसे शैतान से छुड़ाना या इस विकृति के बन्धन से मुक्त कराना”

Luke 13:17

जब उसने ये बातें कहीं

“जब यीशु ने ये बातें कहीं”

इस महिमा के कामों से

“इस महिमा के कामों से जो यीशु ने किए”

Luke 13:18

x

(यीशु आराधनालय में शिक्षा दे रहा है)

परमेश्वर का राज्य किसके समान है?

यह अलंकारिक प्रश्न यीशु के चर्चा विषय का आरंभ करता है। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि परमेश्वर का राज्य कैसा है”।

मैं उसकी उपमा किससे दूं?

यह प्रश्न भी पिछले प्रश्न जैसा ही है। यीशु इस प्रश्न द्वारा अपनी चर्चा का आरंभ करता है। कुछ भाषाओं में दोनों का उपयोग किया जा सकता है और कुछ में केवल एक का।

राई के एक दाने के समान है

राई का दाना बहुत ही छोटा होता है परन्तु इसका वृक्ष बहुत बड़ा होता है। यदि राई अपरिचित है तो किसी और बहुत छोटे बीज का नाम लिया जा सकता है या केवल “एक छोटा बीज” कहा जा सकता है।

अपनी बारी में बोया

“उसे उसने अपने बगीचे में डाला” लोग कभी-कभी बीजों को बोने के लिए उन्हें छित्तरा देते है कि वे भूमि में विसर्जित होकर उगें।

बढ़कर पेड़ हो गया

यह अतिशयोक्ति है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “वह झाड़ी बन गया”।

आकाश के पक्षियों ने

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “आकाश में उड़ने वाले पक्षी या मात्र “पक्षियों ने”

Luke 13:20

x

(यीशु आराधनालय में ही शिक्षा दे रहा है)

मैं परमेश्वर के राज्य की उपमा किससे दूं?

यह भी एक अलंकारिक प्रश्न है जो प्रकट करता है कि यीशु इसके बारे में क्या कहेगा। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

वह खमीर के समान है

आटा कितना भी हो थोड़ा सा ही खमीर उसके लिए पर्याप्त होता है। इसे स्पष्ट किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

तीन पसेरी आटे में मिलाया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “बहुत आटे में” या “आपकी संस्कृति में बहुत आटे को जो भी कहते हैं उसे लिखें।

Luke 13:22

सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो

“संकीर्ण द्वार से प्रवेश करने के लिए परिश्रम करो” यह परमेश्वर के राज्य का रूपक है इस रूपक में परमेश्वर के राज्य के घर से तुलना की गई है। यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, अतः “तुम” बहुवचन है।

सकेत द्वार

परमेश्वर के राज्य का नागरिक बनने का अर्थ है संकीर्ण द्वारा से प्रवेश करना। यह तथ्य कि द्वारा संकीर्ण है, बहुत ही कम मनुष्य एक बार में उसमें से प्रवेश कर पाएंगे। अतः इस सीमित अभिप्राय को व्यक्त करते हुए अनुवाद करें।

Luke 13:25

x

(यीशु परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के बारे में ही चर्चा कर रहा है)

घर का स्वामी

यह परमेश्वर के संदर्भ में है इसलिए इसका अनुवाद “परमेश्वर” करें

बाहर खड़े हुए

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा था। अतः “तुम” शब्द बहुवचन में है। वह उनसे कह रहा है कि मानो वे उस द्वार से परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे।

मुझ से दूर हो

“मेरे पास से चले जाओ”

कुकर्म करनेवालों

“अनुचित काम करनेवालों”

Luke 13:28

x

(यीशु परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के विषय पर ही आख्यान कर रहा है)

बाहर निकाले हुए देखोगे

“जब तुम स्वयं ही बाहर किए हुए होंगे”

लोग आकर

“मनुष्य राज्य में आकर”

कुछ पिछले हैं वे पहले होंगे

यह सम्मान और महत्त्व के बारे में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कुछ लोग जो महत्त्व में नगण्य है वे सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होंगे” या “कुछ लोगों का यहाँ मान नहीं है उनका वहां सम्मान होगा”।

Luke 13:31

उसी घड़ी के बाद

“यीशु की बात समाप्त होने के शीघ्र बाद ही”

यहाँ से निकल कर चला जा क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है

इसका अनुवाद यीशु के लिए चेतावनी स्वरूप करें। वे उसे परामर्श दे रहे थे कि वह वहां से कहीं चला जाये कि सुरक्षित रहे।

हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है

“हेरोदेस तेरी हत्या करवाना चाहता है” या “हेरोदेस तेरी हत्या का आदेश देने जा रहा है”

उस लोमड़ी

यीशु हेरोदेस को लोमड़ी कह रहा था। लोमड़ी कुत्ते के समान एक छोटा जानवर होती है। यह एक रूपक है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) हेरोदेस की धमकी उसके लिए महत्त्वहीन थी। या (2) हेरोदेस धोखा करने वाला मनुष्य था।

हो नहीं सकता कि कोई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम के बाहर मारा जाए।

यहूदियों ने भविष्यद्वक्ताओं को यरूशलेम में मारा था और यीशु जानता था कि उसकी हत्या भी यरूशलेम ही में होगी। इसके अनुवाद का एक विकल्प है, “यरूशलेम ही में यहूदी अगुवे परमेश्वर के सन्देश वाहकों को मार डालते हैं”।

Luke 13:34

x

(यीशु यरूशलेम जाने से पूर्व फरीसियों से बातें कर रहा है)

हे यरूशलेम, हे यरूशलेम।

यीशु इस प्रकार कह रहा है कि मानों यरूशलेमवासी सुन रहे हैं। यीशु ने दो बार यरूशलेम को पुकारा जिससे प्रकट होता है कि वह कितना दुःखी था।

तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है और .....पथराव करता है

यदि शहर का नाम लेना आपके पाठकों को असामान्य लगता है तो आप स्पष्ट कर सकते हैं कि यीशु उस शहर के निवासियों से कह रहा था, “तुम जो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या करते हो ओर जिन्हें परमेश्वर के भेजे हुओं पर पथराव करते हो”

तेरे बालकों को इकट्ठा करूं

“तेरे निवासियों को इकट्ठा करूं” या “तुम्हें इकट्ठा करूं”

जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है।

यह रूप दर्शाता है कि मुर्गी अपने बच्चों को पंखों तले छिपा कर सुरक्षित करती है।

तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जाता है।

इस रूपक के संभावित अर्थ हैं, (1) “परमेश्वर ने तुम्हें त्याग दिया है” या (2) तुम्हारा नगर निर्जन है”। इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने यरूशलेम की प्रजा की सुरक्षा त्याग दी है। आज बैरी उन पर आक्रमण करके उन्हें खदेड़ सकते हैं। यह एक अवश्यंभावी घटना की भविष्यद्वाणी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हारा घर त्यागा जाएगा” या “परमेश्वर तुम्हें त्याग देगा”

तुम मुझे फिर कभी न देखोगे

“तुम मुझे उस समय तक नहीं देखोगे जब तक कि तुम यह न कहोगे....” या “अगली बार जब तुम मुझे देखोगे तक कहोगे....”


Translation Questions

Luke 13:3

जिन गलीलियों की पिलातुस ने हत्या करवाई थी वे क्या अन्य गलीलियों से अधिक बड़े पापी थे कि उनके साथ ऐसा हुआ?

नहीं।

Luke 13:8

यीशु के इस दृष्टान्त में उस वृक्ष के साथ क्या किया गया जो तीन वर्ष से फल नहीं ला रहा था?

उस वृक्ष को अधिक खाद पानी दिया गया और एक और वर्ष का समय दिया कि वह फल लाए अन्यथा काट दिया जाए।

Luke 13:11

आराधनालय में उस स्त्री के अठारह वर्ष कुबड़ी रहने का कारण क्या था?

शैतान ने उसे अठारह वर्ष से एक दुर्बल करने वाली दुष्टात्मा से बांध रखा था।

Luke 13:14

उस स्त्री को यीशु ने चंगा किया तो आराधनालय का सरदार क्यों क्रोधित हुआ था?

क्योंकि यीशु ने उसे सब्त के दिन चंगा किया।

Luke 13:15

यीशु ने किस प्रकार प्रकट किया कि आराधनालय का सरदार पाखंड़ी था?

यीशु ने उसे स्मरण करवाया कि वह भी तो सब्त के दिन अपने गदहे को खोलकर पानी पिलाने ले जाता है तो वह यीशु द्वारा उस स्त्री को खोलने पर क्यों क्रोध करता है।

Luke 13:19

परमेश्वर का राज्य राई के बीज के सदृश्य कैसे है?

वह एक छोटा सा दाना होता है परन्तु उग कर बड़ा हो जाता है और उसमें आकाश के पक्षियों के लिए डालियों पर बसेरा करने का स्थान होता है।

Luke 13:24

जब यीशु से पूछा गया कि उद्धार पाने वाले क्या थोड़े हैं तब यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने कहा, "सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो", क्योंकि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे और न कर सकेंगे।

Luke 13:28

जब मनुष्यों को बाहर डाला जायेगा और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर पायेंगे तब वे क्या करेंगे?

वे रोएंगे और दांत पीसेंगे।

परमेश्वर के साथ में भोजन तख्त पर कौन बैठेगा?

अब्राहम, इसहाक, याकूब और भविष्यद्वक्ता तथा पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से अनेक मनुष्य।

Luke 13:33

यीशु ने अपनी मृत्यु का स्थान कहाँ बताया था?

वह यरूशलेम में मारा जायेगा।

Luke 13:34

यीशु ने यरूशलेम निवासियों के लिए क्या इच्छा रखी थी?

उसने उन्हें एकत्र करने की इच्छा की जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखो के नीचे इकट्ठा करती है।

यीशु की तो यह इच्छा थी परन्तु यरूशलेम के निवासियों की प्रतिक्रिया क्या थी?

उन्होंने उसका त्याग किया।

Luke 13:35

अतः यीशु ने यरूशलेम और वहाँ के निवासियों के लिए क्या भविष्यद्वाणी की थी?

उनका घर तब तक उजाड़ छोड़ा गया जब तक वे यह न कहेंगे, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है।


Chapter 14

1 फिर वह सब्त के दिन फरीसियों के सरदारों में से किसी के घर में रोटी खाने गया: और वे उसकी घात में थे। 2 वहाँ एक मनुष्य उसके सामने था, जिसे जलोदर का रोग* था। 3 इस पर यीशु ने व्यवस्थापकों और फरीसियों से कहा, “क्या सब्त के दिन अच्छा करना उचित है, कि नहीं?” 4 परन्तु वे चुपचाप रहे। तब उसने उसे हाथ लगाकर चंगा किया, और जाने दिया। 5 और उनसे कहा, “तुम में से ऐसा कौन है, जिसका पुत्र या बैल कुएँ में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाल ले?” 6 वे इन बातों का कुछ उत्तर न दे सके।

7 जब उसने देखा, कि आमन्त्रित लोग कैसे मुख्य-मुख्य जगह चुन लेते हैं तो एक दृष्टान्त देकर उनसे कहा, 8 “जब कोई तुझे विवाह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो। 9 और जिस ने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है, आकर तुझ से कहे, ‘इसको जगह दे,’ और तब तुझे लज्जित होकर सबसे नीची जगह में बैठना पड़े। 10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सबसे नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिस ने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे ‘हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ,’ तब तेरे साथ बैठनेवालों के सामने तेरी बड़ाई होगी। (नीति. 25:6-7) 11 क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”

12 तब उसने अपने नेवता देनेवाले से भी कहा, “जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों को न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए। 13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को बुला। 14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उनके पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने* पर इसका प्रतिफल मिलेगा।”

15 उसके साथ भोजन करनेवालों में से एक ने ये बातें सुनकर उससे कहा, “धन्य है वह, जो परमेश्‍वर के राज्य में रोटी खाएगा।” 16 उसने उससे कहा, “किसी मनुष्य ने बड़ा भोज दिया और बहुतों को बुलाया। 17 जब भोजन तैयार हो गया, तो उसने अपने दास के हाथ आमन्त्रित लोगों को कहला भेजा, ‘आओ; अब भोजन तैयार है।’ 18 पर वे सब के सब क्षमा माँगने लगे, पहले ने उससे कहा, ‘मैंने खेत मोल लिया है, और अवश्य है कि उसे देखूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ 19 दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़े बैल मोल लिए हैं, और उन्हें परखने जा रहा हूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ 20 एक और ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता।’ 21 उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें कह सुनाईं। तब घर के स्वामी ने क्रोध में आकर अपने दास से कहा, ‘नगर के बाजारों और गलियों में तुरन्त जाकर कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को यहाँ ले आओ।’ 22 दास ने फिर कहा, ‘हे स्वामी, जैसे तूने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।’ 23 स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए। 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि उन आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा*’।”

25 और जब बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी, तो उसने पीछे फिरकर उनसे कहा। 26 “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्‍नी और बच्चों और भाइयों और बहनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता; (मत्ती 10:37, यूह. 12:25, व्य. 33:9) 27 और जो कोई अपना क्रूस न उठाए; और मेरे पीछे न आए; वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता।

28 “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की सामर्थ्य मेरे पास है कि नहीं? 29 कहीं ऐसा न हो, कि जब नींव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले यह कहकर उसका उपहास करेंगे, 30 ‘यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?’ 31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हजार लेकर मुझ पर चढ़ा आता है, क्या मैं दस हजार लेकर उसका सामना कर सकता हूँ, कि नहीं? 32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूत को भेजकर मिलाप करना चाहेगा। 33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।

34 “नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा। 35 वह न तो भूमि के और न खाद के लिये काम में आता है: उसे तो लोग बाहर फेंक देते हैं। जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले।”



Luke 14:1

रोटी खाने गया

“भोजन करने” या “खाना खाने गया” रोटी भोजन का मुख्य भाग होती है अतः इसका अर्थ है, भोजन।

वे उसकी घात में थे।

वे प्रतीक्षा में थे कि यीशु से कोई चूक हो और वे उस पर दोष लगाएं।

वहां एक मनुष्य उसके सामने था

कुछ भाषाओं में इस वाक्य के आरंभ में “देखो” शब्द है जिसका अभिप्राय है कि कहानी में एक नाम मनुष्य है। आपकी भाषा में भी ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है।

जिसे जलन्धर का रोग था।

जलन्धर एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर का पानी विभिन्न अंगों में रुक जाता है और परिणामस्वरूप शरीर में सूजन आ जाती है। कुछ भाषाओं में इस विकार का निश्चित नाम है।

क्या सब्त के दिन अच्छा करना उचित है या नहीं?

“क्या मूसा का विधान हमें सब्त के दिन उपचार की अनुमति देता है”?

Luke 14:4

परन्तु वे चुपचाप रहे

धर्मगुरूओं ने यीशु को उत्तर नहीं दिया

उसने उसे छूकर

“यीशु ने उसको स्पर्श किया”

तुममें से ऐसा कौन है जिसका गधा या बैल कुएं में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाले?

यह एक अलंकारिक प्रश्न था जिसके द्वारा यीशु उनसे स्वीकार करवाना चाहता था कि वे सब्त के दिन अपने पशु को कुएं से खींचकर निकालने में परिश्रम करते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, यदि तुम में से किसी का बैल या गधा सब्त के दिन कुंएं में गिर जाए तो तुम अतिशीघ्र उसे खींचकर बाहर निकालोगे”

वे..... कुछ उत्तर न दे सके

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उनके पास इसका प्रत्युत्तर नहीं था”। इसका अर्थ यह नहीं कि उनके पास यीशु के प्रश्न का उत्तर नहीं था, वे जानते थे कि यीशु का कहना सत्य है परन्तु वे अपने मुंह से कहना नहीं चाहते थे।

Luke 14:7

x

(यीशु उस फरीसी के घर में उपस्थित जनों से बातें कर रहा है)

मुख्य-मुख्य जगह

माननीय अतिथियों के स्थान

तुझे लज्जित होकर

“तब तुझे लज्जित होना पड़ेगा”

Luke 14:10

x

(यीशु उस फरीसी के घर में उपस्थित जनों से बातें कर रहा है)

सबसे नीची जगह

“जो स्थान एक नगण्य मुनष्य हो”

आगे बढ़कर बैठ

“सम्मानित स्थान पर बैठ”

जो अपने आपको बड़ा बनाएगा

“महत्त्वपूर्ण होना चाहेगा” या “जो महत्त्वपूर्ण स्थान लेगा”

वह छोटा किया जाएगा

“वह उसे महत्त्वहीन दर्शाया जाएगा” या “उसे महत्त्वहीन स्थान दिया जाएगा”

जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा

“जो स्वयं को दीन हीन बनाएगा” या “जो छोटा स्थान लेगा”

ऊंचा किया जाएगा

“वह सम्मानित किया जाएगा” या “उसे महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा”

Luke 14:12

कहीं ऐसा न हो

“क्योंकि वे”

Luke 14:13

x

(यीशु उस फरीसी से कह रहा है जिसने उसे भोजन हेतु आमंत्रित किया था)

उनके पास तुझे बदलना देने को कुछ नहीं

वे बदले में तुझे अपने घर भोज हेतु आमंत्रित नहीं कर सकते हैं।

धर्मियों के जी उठने पर

“जब धर्मी मृतकों में से जी उठेंगे

Luke 14:15

धन्य है वह

वह किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं कह रहा था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धन्य है वह हर एक जन” या “कैसा सौभाग्यशाली है वह हर एक जन”

वह जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जो परमेश्वर के राज्य में भोज पर बैठे”। यहाँ रोटी से अभिप्राय है, भोजन।

जब भोजन तैयार हो गया

“भोजन का समय हुआ तब” या “जब भोजन आरंभ करने का समय आया”

आमंत्रित लोगों को

“जिन्हें उसने भोज में आमंत्रित किया था”

Luke 14:18

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

क्षमा मांगने लगे

अर्थात वे भोज में न आने का कारण बताने लगे”

मैं तुझसे विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर

“कृपया मुझे क्षमा कर” या “कृपया मेरी क्षमायाचना स्वीकार कर”

पांच जोड़े बैल

बैल नर गाय होते हैं जो बोझ खींचने या कठिन काम करने के लिए काम में लिए जाते है और उन्हें सामान्यतः जोड़े में काम में लिया जाता है।

मैंने विवाह किया है

इसके लिए अपनी भाषा में कोई व्यावहारिक अभिव्यक्ति काम में लें। कुछ भाषाओं में कहा जाएगा, “मेरा विवाह हुआ है” या “पत्नी ब्याही है”

Luke 14:21

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

स्वामी ने क्रोध में आकर

“अपने अतिथियों से क्रोधित होकर”

दास ने फिर कहा

यहाँ सलंग्न जानकारी को स्पष्ट करना आवश्यक है कि उस सेवक ने अपने स्वामी की आज्ञा के अनुसार किया जैसा यू.डी.बी. में है, “सेवक ने जाकर वैसा ही किया और आकर अपने स्वामी से कहा”,

Luke 14:23

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा

इसका संदर्भ नगर को बाहर की सड़कों और पगडंडिओं से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नगर के बाहर मुख्य मार्गों और पगडंडियों में जा”

उन आमंत्रित लोगों में से

यहाँ लोगों शब्द का मूल अर्थ है “वयस्क पुरूष” न कि साधारण जनता।

आमंत्रित

“जिन्हें मैंने निमंत्रण भेजा था”

मेरे भोज को न चखेगा

“मेरे द्वारा तैयार किए गए भोजन का आनन्द नहीं लेने पाएगा”

Luke 14:28

x

(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है)

तुममें से कौन है

यह एक अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु इस प्रश्न द्वारा श्रोताओं को सोचने पर विवश कर रहा था कि वे ऐसी परिस्थिति में क्या करेंगे। इसका अनुवाद विधानवाचयक वाक्य बनाकर भी किया जा सकता है, यदि तुममें से कोई गढ़ बनाना चाहे तो वह पहले बैठकर उसकी लागत का लेखा अवश्य तैयार करेगा”।

गढ़

यह संभवतः दाख की बारी में चौकीदारी का गुम्मट होगा। कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऊंची ईमारत” या “चौकसी का मचान”।

कहीं ऐसा न हो

“यदि वह पहले लागत को न गिने”

जब वह नींव डाल ले

“जब वह उसकी नींव तैयार कर ले” या “जब वह निर्माण कार्य आरंभ कर दे”

Luke 14:31

x

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

या

यीशु इस शब्द के द्वारा दूसरी परिस्थिति का वर्णन कर रहा है जिसमें निर्णय लेने से पहले परिणाम सोचना पड़ता है।

कौन ऐसा राजा है.... पहले बैठकर विचार न कर ले।

यह एक और अलंकारिक प्रश्न है।इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम जानते हो कि राजा ... पहले बैठता है और फिर विचार करता है

विचार कर ले

इसके संभावित अर्थ हैं (1) “सावधानीपूर्वक विचार करे” या (2) “अपने परामर्शदाताओं की बात पर ध्यान दें।

नहीं तो

उसे यह समझ में आ जाए कि वह शत्रु की सेना को नहीं हरा सकता” “वह यह मान ले कि उसकी सेना शत्रु की सेना का सामना नहीं कर सकती है। (यू.डी.बी.)

दूत

“सन्देशवाहक” या “प्रतिनिधि”

तुममें से जो कोई अपना सब कुछ त्याग दे

इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में भी किया जा सकता है, “तुममें से जो अपना सब कुछ त्याग दे वही मेरा शिष्य हो सकता है”।

अपना सब कुछ त्याग दे

“अपना सर्वास्व छोड़ कर”

Luke 14:34

x

(यीशु अपने पीछे आ रहे जनसमूह से बातें कर रहा है)

नमक तो अच्छा है

“नमक उपयोगी है”

वह किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “वह फिर नमकीन नहीं किया जा सकता है” या “कोई नहीं है जो उसे फिर से नमकीन कर दे”।

वह न तो भूमि के और न खाद के काम में आता है

खाद का अनुवाद “कूड़े की खाद” या “उर्वरक” किया जा सकता है। खाद खेतों और बगीचों में डाली जाती थी। खाना खराब हो जाए तो उसे खाद में मिलाया जाता था परन्तु नमक के साथ ऐसा भी नहीं किया जा सकता है। वह पूर्णतः व्यर्थ है।

जिसके सुनने के काम हां वह सुन ले।

इसे आदेशसूचक वाक्य में बदला जा सकता है, “तुम्हारे पास सुनने के लिए कान हैं तो ध्यान से सुनो”। या “यदि तुम मेरी बात सुन रहे हो तो ध्यान दो”।

जिसके सुनने के कान हों

“जो सुन सकता है” जो मेरी बात सुन रहा है”

वह सुन ले

“वह ध्यान से सुने” या “मेरी बात पर ध्यान दे”,

Luke 14:35

यदि कोई मेरे पास आए और अपने पिता... को भी अप्रिय न जाने तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।

इसे विधानवाचक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, यदि कोई मेरे पास आए तो वह मेरा शिष्य तब ही हो सकता है जब वह अपने पिता से लगाव न रखे”।

अप्रिय

यह एक अतिशयोक्ति है जो प्रकट करती है कि सबसे अधिक यीशु से प्रेम रखना कितना महत्त्वपूर्ण है। यदि इस अतिशयोक्ति को गलत समझा जाए तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि कोई मेरे पास आए और अपने पिता से अधिक मुझसे प्रेम न रखे तो वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता है” या “यदि कोई मेरे पास आए तो वह मेरा शिष्य तब ही हो सकता है जब वह अपने पिता से अधिक मुझसे प्रेम रखे”।

वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय जाने

“और अपने प्राण को भी”

और जो कोई अपना क्रूस न उठाए और मेरे पीछे न आए, वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता”

इसका विधानवाचक वाक्य बनाया जा सकता है, “यदि कोई मेरा शिष्य होना चाहता है तो उसे अपना क्रूस उठा कर मेरे साथ चलना होगा”

अपना क्रूस .... उठाए

इसका अर्थ है मरने के लिए तैयार रहे। उस युग में जिन्हें मृत्यु दण्ड दिया जाता था उन्हें अपना वह क्रूस उठाकर ले जाना होता था जिस पर उन्हें लटकाया जाना होता था। यीशु के अनुयायियों को भावी कष्टों को सहने के लिए तैयार होना था।


Translation Questions

Luke 14:3

यीशु ने वहाँ एक जलन्धर रोगी को देख व्यवस्थापकों और फरीसियों से क्या पूछा?

सब्त के दिन चंगा करना क्या व्यवस्था सम्मत है या नहीं।

Luke 14:4

व्यवस्थापकों और फरीसियों ने क्या उत्तर दिया?

वे चुप रहे।

Luke 14:5

उस पुरूष को चंगा करने के बाद यीशु ने व्यवस्थापकों और फरीसियों को कैसे पाखंडी सिद्ध किया?

?

Luke 14:11

बड़े बनने वालों के साथ यीशु के अनुसार क्या होगा?

वह छोटा किया जाएगा।

यीशु के अनुसार दीन जन के साथ क्या होगा?

वह बड़ा किया जाएगा।

Luke 14:14

यीशु के अनुसार कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को घर में आमंत्रित करने वालों को कैसा प्रतिफल मिलेगा?

वे धर्मियों के पुनरूत्थान पर अपना प्रतिफल पायेंगे।

Luke 14:18

यीशु के इस दृष्टान्त में भोज में निमंत्रित जनों ने क्या किया?

उन्होंने भोज में न आने के बहाने बताए।

Luke 14:21

तब स्वामी ने किसको भोज के लिए बुलवाया?

कंगालों, टुण्डों, अन्धों और लंगड़ों को ले आओ।

Luke 14:24

तब स्वामी ने मूल अतिथियों के लिए क्या कहा?

कोई भी भोज को न चखेगा।

Luke 14:26

यीशु के अनुसार उसके चेलों को क्या करना है?

यदि कोई अपने परिवार और प्राण को अप्रिय न जाने और अपना क्रूस न उठाए और उसके पीछे न आए, और सर्वस्व त्याग न दे तो वह यीशु का चेला नहीं हो सकता।

Luke 14:28

यीशु को इस उदाहरण में कि उसके अनुसरण में क्या अपनाया है, घर बनाने वाले को सबसे पहले क्या करना होता है?

मनुष्य को कुल व्यय गिनना है।

Luke 14:35

यदि नमक का स्वाद चला जाए तो क्या होता है?

वह फेंका जाता है।


Chapter 15

1 सब चुंगी लेनेवाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उसकी सुनें। 2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ाकर कहने लगे, “यह तो पापियों से मिलता है और उनके साथ खाता भी है।” 3 तब उसने उनसे यह दृष्टान्त कहा: 4 “तुम में से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक खो जाए तो निन्यानवे को मैदान में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? (यहे. 34:11-12,16) 5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे काँधे पर उठा लेता है। 6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है, ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।’ 7 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।

8 “या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हों, और उनमें से एक खो जाए; तो वह दिया जलाकर और घर झाड़-बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? 9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।’ 10 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।”

11 फिर उसने कहा, “किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। 12 उनमें से छोटे ने पिता से कहा ‘हे पिता, सम्पत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए।’ उसने उनको अपनी संपत्ति बाँट दी। 13 और बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहाँ कुकर्म में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। (नीति. 29:3) 14 जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। 15 और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहाँ गया, उसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये* भेजा। 16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; क्योंकि उसे कोई कुछ नहीं देता था। 17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। 18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) 19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’

20 “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। 21 पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।’ 22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसके हाथ में अँगूठी, और पाँवों में जूतियाँ पहनाओ, 23 और बड़ा भोज तैयार करो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाए। 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था*, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे।

25 “परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। और जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उसने गाने-बजाने और नाचने का शब्द सुना। 26 और उसने एक दास को बुलाकर पूछा, ‘यह क्या हो रहा है?’ 27 “उसने उससे कहा, ‘तेरा भाई आया है, और तेरे पिता ने बड़ा भोज तैयार कराया है, क्योंकि उसे भला चंगा पाया है।’ 28 यह सुनकर वह क्रोध से भर गया और भीतर जाना न चाहा: परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा। 29 उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख; मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, फिर भी तूने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता। 30 परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी सम्पत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तूने बड़ा भोज तैयार कराया।’ 31 उसने उससे कहा, ‘पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है*। 32 परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है’।”



Luke 15:1

वह तो पापियों से मिलता है

“वह पापियों को पास आने देता है”, या “वह पापियों की संगति करता है”

यह

वे यीशु के बारे में कह रहे थे

उनके साथ खाता भी है

“भी” शब्द दर्शाता है कि उनके विचार में यीशु का पापियों से संपर्क रखना बहुत बुरा था और उनके साथ भोजन करना तो और भी बुरा था।

Luke 15:3

उसने उनसे यह दृष्टान्त कहा

उनसे अर्थात धर्म-गुरुओं से

तुममें से कौन है.... जो निन्यानवे को जंगल में छोड़कर उस खोई हुई को .... खोजता न रहे।

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु उन्हें स्मरण करवा रहा है कि वे अपनी एक खोई हुई भेड़ को अवश्य खोजेंगे। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। कुछ भाषाओं में इस काल्पनिक परिस्थिति को व्यक्त करने का प्रावधान है। यह किसी मनुष्य की कहानी नहीं कि उसकी भेड़ खो गई है।

तुममें से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों

इस शिक्षाप्रद कथा का आरंभ होता है, “तुममें” से कौन है, “इसलिए कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष ही काम में लिया गया है, “यदि तुम्हारे पास सौ भेड़ें हों”।

Luke 15:6

x

(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

और घर में आकर

“जब वह चरवाहा घर पहुंचता है” या “जब तुम घर पहुंचों” (यू.डी.बी.) भेड़ के मालिक को वैसे ही संबोधित करें जैसे आपने पिछले पद में किया है।

मैं तुझ से कहता हूँ

यहाँ “मैं” यीशु के लिए है। वह जनसमूह से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है।

इसी रीति से

“इसी प्रकार” या “जैसे वह चरवाहा ओर उसके मित्र एवं पड़ोसी उसके साथ आनन्द करते हैं”।

स्वर्ग में ऐसा ही आनन्द होगा

“स्वर्ग में हर एक प्राणी आनन्द करेगा”

निन्यानवे ऐसे धर्मियों.... जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं

“निन्यानवे मनुष्य जो सोचते हैं कि वे धर्मी हैं और उन्हें मन परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। “यीशु के कहने का अर्थ यह नहीं है कि कोई धर्मी जन है। इसकी अपेक्षा वह अर्थालंकार काम में ले रहा है या जिसे कटाक्ष कहते हैं क्योंकि उसके श्रोता स्वयं को धर्मी समझते थे जबकि वे थे नहीं।

Luke 15:8

x

(यीशु धर्म-गुरूओं ही से बातें कर रहा है)

कौन ऐसी स्त्री होगी... वह दीया जलाकर... जब तक मिल न जाएं जी लगाकर खोजती रहेगी।

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु अपने श्रोताओं को स्मरण करवा रहा है कि उनका चांदी का सिक्का खो जाए तो वे किसी भी प्रकार उसे खोज कर ही सांस लेंगे। इस वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जानते हो कि यदि कोई स्त्री अपने दस चांदी के सिक्कों में से एक को खो दे तो वह दीया जलाकर घर को पूर्णरूपेण झाड़कर उस सिक्के को खोज कर निकालेगी”।

कौन ऐसी होगी

यह एक काल्पनिक परिस्थिति है न कि किसी स्त्री की वास्तविक कहानी है। कुछ भाषाओं में इसे ज्यों का त्यों व्यक्त करने का प्रावधान होगा।

इसी रीति से

“इसी प्रकार” या जैसे लोग उसके साथ आनन्द मनाते हैं”।

एक मन फिराने वाले पापी

इसका अनुवाद होगा, “जब एक पापी पापों से विमुख होता है”

Luke 15:11

किसी मनुष्य के

यह एक शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है। इसका अपनी भाषा में व्यावहारिक रूप में प्रस्तुतिकरण करें। कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद मात्र ऐसा होगा, “एक मनुष्य के .....”

मुझे दे दीजिए

पुत्र चाहता था कि उसका पिता उसका भाग उसी समय उसे दे दे। जिन भाषाओें में आज्ञासूचक वाक्य रचना हो कि किसी काम का तुरन्त किया जाना दर्शाया जाए तो उसका यहाँ उपयोग करें।

सम्पत्ति में से जो भाग मेरा है

“सम्पत्ति का वह भाग जो तू मरते समय मेरे नाम पर करेगा”

Luke 15:13

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

इकट्ठा करके

“अपना सामान बांध कर” या “झोले में अपना समान ले कर”।

कुकर्म में

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपना सारा पैसा व्यर्थ में गवां दिया”

उस देश में बड़ा अकाल पड़ा

“वहां भयंकर अकाल पड़ा” (यू.डी.बी.) या “भोजन की कमी हो गई”

अकाल

अकाल के समय भोजन की कमी हो जाती है। वर्षा की कमी और फसल नष्ट होने के कारण ऐसा होता है।

वह कंगाल हो गया

“आवश्यकता पूर्ति की कमी” या “कमी हो गई”

Luke 15:15

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

एक के यहाँ जा पड़ा

“वह” अर्थात वह युवक

जा पड़ा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने नौकरी पकड़ी” या “काम करने लगा”

एक के यहाँ

उस देश के एक नागरिक के पास

सूअर चराने के लिए

“सूअरों को खाना देने के लिए”

वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सुअर खाते थे अपना पेट भरे

“बहुत चाहता था कि उन फलियों को खाए

फलियों को

यह फलियों के छिलके थे। अतः इनका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “फलियों के छिलके” या “फलियों का भूसा”

Luke 15:17

x

(यीशु अपनी कहानी सुना रहा है)

अपने आपे में आया

“इसकी बुद्धि सही हुई” या “अपनी परिस्थिति को समझा” या “उसकी बुद्धि से पर्दा हटा”

मेरे पिता के कितने ही मजदूरों के भोजन से अधिक रोटी मिलती है।

यह संबोधन वाक्य है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे पिता के सब मजदूरों को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता है”

भूखा मर रहा हूँ

यह अतिशयोक्ति नहीं है। वह युवक वास्तव में भूखा मर रहा था।

मैंने स्वर्ग के विरोध में.... पाप किया है

“मैंने परमेश्वर के विरोध में पाप किया है” यहूदी परमेश्वर शब्द को जीभ पर लाना नहीं चाहते थे। इसलिए उसके स्थान पर स्वर्ग शब्द का उपयोग करते थे।

इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं

“मैं तेरा पुत्र कहलाने योगय नहीं” पुत्र को अपने पिता की धन-सम्पत्ति का उत्तराधिकार पाने का अधिकार था।

इस योग्य नहीं

“अब इस योग्य नहीं रहा” (यू.डी.बी.) इसका अर्थ है कि पहले तो वह था परन्तु अब नहीं है।

मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले

“मुझे कर्मी के समान नौकरी पर रख ले” या “मुझे एक नौकर की नौकरी दे दे”

Luke 15:20

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

जब वह उठकर अपने पिता के पास चला।

“उस देश से कूच करके वह अपने पिता के पास चल पड़ा”

तरस खाया

“उस पर दया आई” या “उसके दिल में गहरा प्रेम उभरा”

गले लगाया और बहुत चूमा

पिता के इस व्यवहार का अर्थ था कि पुत्र समझ ले कि पिता उससे प्रेम करता है और वह अति प्रसन्न है कि पुत्र घर लौट आया है। यदि पाठकों के विचार में पिता द्वारा पुत्र को गले लगाना और चूमना उचित नहीं तो आप अपनी संस्कृति में पुरूष द्वारा पुरूष के प्रति स्नेह प्रदर्शन की विधि का उपयोग करें, या आप इसका अधिक सामान्य अनुवाद कर सकते हैं, “इसका स्नेह पूर्ण स्वागत किया”।

मैंने स्वर्ग के विरोध मे .... पाप किया है

“परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है”

तेरी दृष्टि में

“तेरे सम्मुख” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने देखा है कि मैंने पाप किया है” या “तू जानता है”।

Luke 15:22

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

अच्छा वस्त्र

“घर में जो सबसे अच्छा चोगा है” चोगा एक लम्बा वस्त्र होता था जो कपड़ों के ऊपर से पहना जाता था। जिन स्थानों में चोगा अपरिचित्र वस्त्र है, वहां अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सर्वोत्तम वस्त्र”

हाथ में अंगूठी

अंगूठी अधिकार का प्रतीक थी जिसे पुरूष अपनी उंगली में पहनते थे।

जूतों

वे वास्तव में सैंडल पहनते थे परन्तु सैंडल अपरिचित हो तो जूतियां ही उचित है।

पाला हुआ बछड़ा

बछड़ा गाय का युवा नर बच्चा होता था। वे एक बछड़े को अच्छा भोजन खिलाकर मोटा करते थे कि जब विशेष भोज का अवसर आए तब उसे वध करें। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “जिस बछड़े को हमने विशेष तैयार किया है”।

“या” जिस बछड़े को हमने खूब खिलाया है मारो

यहाँ निहितार्थ स्पष्ट किया जा सकता है कि वे उसे पकाएंगे, “मारकर पकाओ”।

मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी उठा है

यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है, “जैसे कि मेरा पुत्र मर कर जी उठा, या “मुझको ऐसा लगा कि मेरा पुत्र मर गया परन्तु वह जीवित है”

खो गया था, अब मिल गया है

यह भी एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है, “यह ऐसा है जैसे कि मेरा पुत्र खो गया था और अब मिल गया है” या “मुझे ऐसा लगा कि मेरा पुत्र खो गया है परन्तु वह मिल गया है”, या “मेरा पुत्र भटक गया था और अब घर लौट आया है”।

Luke 15:25

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

दास

जिस शब्द का अनुवाद यहाँ दास किया गया है उसका मूल अर्थ है, “बालक” इसका अर्थ है कि वह सेवक एक युवक था।

यह क्या हो रहा है?

“यह क्या हो रहा है”? (यू.डी.बी.)

पला हुआ बछड़ा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा कसता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “बहुत चारा खिलाया हुआ बछड़ा” या “वह बछड़ा जिसे हम मोटा कर रहे थे”

Luke 15:28

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली

“सदैव तेरा आज्ञापालन किया है” या “तूने जो भी कहा वही किया है”।

आनन्द करता

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उत्सव मनाऊं”

तेरा यह पुत्र

“यह तेरा पुत्र”, बड़ा पुत्र इस प्रकार रोष प्रकट करता है।

तेरी सम्पत्ति वैश्याओं में उड़ा दी

“तेरी सारी सम्पत्ति वैश्याओं पर गवां दी” या “तेरी सारी सम्पत्ति वैश्याओं में लुटा दी”

पाला हुआ बछड़ा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा कसता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “बहुत चारा खिलाया हुआ बछड़ा” या “वह बछड़ा जिसे हम मोटा कर रहे थे”

Luke 15:31

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

यह तेरा भाई

पिता बड़े पुत्र को स्मरण करवा रहा है कि घर लौट कर आने वाला उसका भाई है।

मर गया था, फिर जी उठा है

यह एक रूपक है। वह पुत्र बहुत समय तक घर से बाहर था इसलिए उसकी तुलना मृतक से की गई है ओर उसका घर लौट आना जी उठने के तुल्य है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में है।

खो गया था अब मिल गया है

यह एक रूपक है। छोटा पुत्र लम्बे समय तक घर से बाहर था इसलिए उसकी तुलना खोए हुए मनुष्य से की गई है और उसका घर लौट आना ऐसा है कि जैसे खोया हुआ पुत्र मिल गया। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह ऐसा है जैसे वह खो गया था और अब मिल गया है”, (यू.डी.बी.) या “वह खो गया था और अब घर लौट आया है”


Translation Questions

Luke 15:4

यीशु के इस दृष्टान्त में एक भेड़ के खोजने पर चरवाहा क्या करता है?

वह निन्यानवे भेड़ों को छोड़ कर एक खोई हुई भेड़ को खोज कर लाता है और आनन्द मनाता है।

Luke 15:7

एक पापी के मन फिराने पर स्वर्ग में क्या होता है?

परमेश्वर के स्वर्गदूतों की उपस्थिति में आनन्द मनाया जाता है।

Luke 15:8

यीशु के इस दृष्टान्त में वह स्त्री जिसने दस चांदी के सिक्कों में से एक खो दिया, क्या करती है?

वह उसे यत्न से खोज कर अपने मित्रों और पड़ोसियों के साथ आनन्द करती हैं।

Luke 15:12

यीशु के इस दृष्टान्त में छोटे पुत्र ने अपने पिता से क्या कहा?

जो मेरी संपदा होना है वह मुझे अभी दे दे।

Luke 15:13

छोटे पुत्र ने अपने उत्तराधिकार का क्या किया?

उसने निरंकुश जीवन जीने में अपनी सब सम्पत्ति उड़ा दी।

Luke 15:15

सब सम्पत्ति खर्च कर देने के बाद छोटे पुत्र ने जीवन निर्वाह के लिए क्या किया?

उसने किसी के सुअर संभालने की नौकरी की।

Luke 15:18

जब उसकी बुद्धि ठिकाने आई तब छोटे पुत्र ने क्या निर्णय किया?

उसने अपने पिता के पास जाकर अपना पाप स्वीकार करके सेवकों के सदृश्य काम करने का निर्णय लिया।

Luke 15:20

छोटे पुत्र को घर लौटते देख पिता ने क्या किया?

वह भागकर गया और उसे गले लगाकर चूमा।

Luke 15:22

पिता ने छोटे पुत्र के लिए अतिशीघ्र क्या किया?

पिता ने उसे बागा पहनाया, अंगूठी पहनाई, जूते दिए और भोज की व्यवस्था की।

Luke 15:28

जब बड़े पुत्र ने छोटे भाई के लौट आने की खुशी में भोज का समाचार सुना तो कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

वह क्रोध से भर गया और भोज में नहीं गया।

Luke 15:29

बड़े पुत्र ने पिता से क्या शिकायत की?

बड़े पुत्र ने शिकायत की कि उसने पिता की आज्ञा कभी नहीं टाली परन्तु उसके पिता ने उसे बकरी का बच्चा भी नहीं दिया कि मित्रों के साथ आनन्द मनाता।

Luke 15:31

बड़े पुत्र को पिता ने क्या उत्तर दिया?

पिता ने उससे कहा, "पुत्र तू सर्वदा मेरे साथ है और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है"।

Luke 15:32

पिता ने छोटे पुत्र के साथ आनन्द मनाना क्यों उचित समझा?

क्योंकि छोटा पुत्र खो गया था, अब मिल गया है।


Chapter 16

1 फिर उसने चेलों से भी कहा, “किसी धनवान का एक भण्डारी था, और लोगों ने उसके सामने भण्डारी पर यह दोष लगाया कि यह तेरी सब सम्पत्ति उड़ाए देता है। 2 अतः धनवान ने उसे बुलाकर कहा, ‘यह क्या है जो मैं तेरे विषय में सुन रहा हूँ? अपने भण्डारीपन का लेखा दे; क्योंकि तू आगे को भण्डारी नहीं रह सकता।’ 3 तब भण्डारी सोचने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? क्योंकि मेरा स्वामी अब भण्डारी का काम मुझसे छीन रहा है: मिट्टी तो मुझसे खोदी नहीं जाती; और भीख माँगने से मुझे लज्जा आती है। 4 मैं समझ गया, कि क्या करूँगा: ताकि जब मैं भण्डारी के काम से छुड़ाया जाऊँ तो लोग मुझे अपने घरों में ले लें।’ 5 और उसने अपने स्वामी के देनदारों में से एक-एक को बुलाकर पहले से पूछा, कि तुझ पर मेरे स्वामी का कितना कर्ज है? 6 उसने कहा, ‘सौ मन जैतून का तेल,’ तब उसने उससे कहा, कि अपनी खाता-बही ले और बैठकर तुरन्त पचास लिख दे। 7 फिर दूसरे से पूछा, ‘तुझ पर कितना कर्ज है?’ उसने कहा, ‘सौ मन गेहूँ,’ तब उसने उससे कहा, ‘अपनी खाता-बही लेकर अस्सी लिख दे।’

8 “स्वामी ने उस अधर्मी भण्डारी को सराहा, कि उसने चतुराई से काम किया है; क्योंकि इस संसार के लोग अपने समय के लोगों के साथ रीति-व्यवहारों में ज्योति के लोगों* से अधिक चतुर हैं। 9 और मैं तुम से कहता हूँ, कि अधर्म के धन से अपने लिये मित्र बना लो; ताकि जब वह जाता रहे, तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें। 10 जो थोड़े से थोड़े में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है: और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है। 11 इसलिए जब तुम सांसारिक धन में विश्वासयोग्य न ठहरे, तो सच्चा धन तुम्हें कौन सौंपेगा? 12 और यदि तुम पराये धन में विश्वासयोग्य न ठहरे, तो जो तुम्हारा है, उसे तुम्हें कौन देगा?

13 “कोई दास दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता क्योंकि वह तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा; या एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा: तुम परमेश्‍वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।”

14 फरीसी जो लोभी थे, ये सब बातें सुनकर उसका उपहास करने लगे। 15 उसने उनसे कहा, “तुम तो मनुष्यों के सामने अपने आप को धर्मी ठहराते हो, परन्तु परमेश्‍वर तुम्हारे मन को जानता है, क्योंकि जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है, वह परमेश्‍वर के निकट घृणित है।

16 “जब तक यूहन्ना आया, तब तक व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता प्रभाव में थे। उस समय से परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाया जा रहा है, और हर कोई उसमें प्रबलता से प्रवेश करता है। 17 आकाश और पृथ्वी का टल जाना व्यवस्था के एक बिन्दु के मिट जाने से सहज है।

18 “जो कोई अपनी पत्‍नी को त्याग कर दूसरी से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है, और जो कोई ऐसी त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है, वह भी व्यभिचार करता है।

19 “एक धनवान मनुष्य था जो बैंगनी कपड़े और मलमल पहनता और प्रति-दिन सुख-विलास और धूम-धाम के साथ रहता था। 20 और लाज़र* नाम का एक कंगाल घावों से भरा हुआ उसकी डेवढ़ी पर छोड़ दिया जाता था। 21 और वह चाहता था, कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; वरन् कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे। 22 और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुँचाया। और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया, 23 और अधोलोक* में उसने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आँखें उठाई, और दूर से अब्राहम की गोद में लाज़र को देखा। 24 और उसने पुकारकर कहा, ‘हे पिता अब्राहम, मुझ पर दया करके लाज़र को भेज दे, ताकि वह अपनी उँगली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ।’ 25 परन्तु अब्राहम ने कहा, ‘हे पुत्र स्मरण कर, कि तू अपने जीवनकाल में अच्छी वस्तुएँ पा चुका है, और वैसे ही लाज़र बुरी वस्तुएँ परन्तु अब वह यहाँ शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है। 26 ‘और इन सब बातों को छोड़ हमारे और तुम्हारे बीच एक बड़ी खाई ठहराई गई है कि जो यहाँ से उस पार तुम्हारे पास जाना चाहें, वे न जा सके, और न कोई वहाँ से इस पार हमारे पास आ सके।’ 27 उसने कहा, ‘तो हे पिता, मैं तुझ से विनती करता हूँ, कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज, 28 क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं; वह उनके सामने इन बातों की चेतावनी दे, ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएँ।’ 29 अब्राहम ने उससे कहा, ‘उनके पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, वे उनकी सुनें।’ 30 उसने कहा, ‘नहीं, हे पिता अब्राहम; पर यदि कोई मरे हुओं में से उनके पास जाए, तो वे मन फिराएँगे।’ 31 उसने उससे कहा, ‘जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते, तो यदि मरे हुओं में से कोई भी जी उठे तो भी उसकी नहीं मानेंगे’।”



Luke 16:1

x

(यीशु श्रोताओं से ही बातें कर रहा है)

उसने चेलों से भी कहा

पिछला भाग फरीसियों और विधि-शास्त्रियों के लिए था जबकि यीशु के शिष्य भी श्रोताओं में थे।

दोष लगाया

“लोगों ने उस धनवान मनुष्य से शिकायत की”

तेरी सारी सम्पत्ति उड़ाए देता है

“तेरी सम्पत्ति को गवां रहा है” या “उस धनवान की सम्पत्ति को मूर्खता से व्यर्थ कर रहा है”

यह क्या है जो मैं तेरे विषय में सुन रहा हूँ

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। उस धनवान के कहने का अर्थ था, “मैंने तेरे कामों के बारे में सुना है

अपने भण्डारीपन का लेखा दे

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अपना दायित्व दूसरे को सौंपने के लिए बही खाता तैयार कर ले” या “किसी और को लेखा देने के लिए तैयार हो जा” या “मेरी सम्पत्ति का लेखा बही तैयार कर”।

Luke 16:3

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

अब मैं क्या करूं?

वह प्रबन्धक अपने आप से कह रहा है, अपने विकल्पों पर विचार करने के लिए।

मेरा स्वामी

वह धनवान मनुष्य इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मेरा नियोजक” यह प्रबन्धक इसका दास नहीं था।

मिट्टी तो मुझसे खोदी नहीं जाती

“मुझमें गड्डा खोदने की तो शक्ति नहीं है”, या “मैं मजदूरी करने योग्य नहीं”

जब मैं भण्डारी के काम से छुड़ाया जाऊं

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “जब मेरा प्रबन्धन कार्य चला जाए”

Luke 16:5

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

अपने स्वामी के देनदारों

“उसके स्वामी के जो ऋणी थे” या “जिन लोगों ने उसके स्वामी से समान उधार लिया था” यहाँ देनदार वे हैं जिन्होंने उसके स्वामी से तेल और अन्न उधार लिया था।

एक-एक करके बुलाया .... पूछा

“प्रबन्धक ने बुलाया” और “प्रबन्धक ने पूछा”

सौ मन तेल

“लगभग 340 लीटर जैतून का तेल”

उसने ..... उसने उससे कहा

“ऋणी ने कहा .... प्रबन्धक ने ऋणी से कहा”

सौ मन गेहूँ

“लगभग 22,000 सूखा लीटर गेहूँ”

उसने ....पूछा....उसने कहा....उसने ....कहा

प्रबन्धक ने पूछा... ऋणी ने कहा.... प्रबन्धक ने कहा

Luke 16:8

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

स्वामी ने उस अधर्मी भण्डारी को सराहा

जिन ऋणियों के ऋण कम कर दिए गए थे, उन्होंने सोचा कि यह साहूकार का प्रबन्ध है अतः वे उस धनवान मनुष्य की प्रशंसा करते थे।

सराहा

“प्रशंसा की” या “इसके लिए अच्छी बातें की” या “अनुमोदन किया”

उसने चतुराई से काम किया

“उसने समझदारी से काम किया” या “उसने बुद्धिमानी का काम किया”

इस संसार के लोग

अर्थात परमेश्वर को न समझने और जानने वाले लोग जो उस धर्मी प्रबन्धक के जैसे हैं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस संसार के लोग” या “सांसारिक जन”

ज्योति के लोगों

अर्थात धर्मी जन जो कुछ नहीं छिपाते। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ज्योति की सन्तान” या “ज्योति में निर्वाह करने वाले मनुष्य”

मैं तुमसे कहता हूँ

“मैं” यीशु के लिए है। यीशु की कहानी समाप्त हो गई है। “मैं तुम से कहता हूँ” इस उक्ति द्वारा उसकी बात में परिवर्तन आता है। वह श्रोआतों को समझा रहा है कि इस कहानी की शिक्षा को अपने जीवन में कैसे प्रासंगिक बनाएं।

अधर्म के धन से

भौतिक सम्पदा से अर्थात वस्त्र, भोजन, पैसा, बहुमूल्य समान से

अनन्त निवासों में

इसका संदर्भ स्वर्ग से है जहाँ परमेश्वर रहता है।

Luke 16:10

x

(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है)

इसलिए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिससे कि” या “अतः इस सिद्धान्त के अनुसार”।

सच्चा धन तुम्हें कौन देगा

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सच्ची सम्पदा के लिए तुम पर कोई विश्वास नहीं करेगा” या “प्रबन्धन हेतु सच्ची सम्पदा तुम्हें कोई नहीं देगा”

जो तुम्हारा है, उसे तुम्हें कौन देगा

यह भी एक अलंकारिक प्रश्न है। “तुम्हारे अपने लिए तुम्हें सम्पदा कोई नहीं देगा”

Luke 16:13

x

(यीशु जनसमूह को ही शिक्षा दे रहा है)

कोई दास

इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “एक सेवक.... नहीं कर सकता है”

प्रेम रखेगा

“समर्पित होगा” “स्वामी-भक्ति दिखाएगा”।

तुच्छ जानेगा

“घृणा करेगा” या “मान में कम समझेगा” या “गिरा हुआ समझेगा”।

सेवा नहीं कर सकते

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में रखें।

सेवा

“दासता”

तुच्छ जानेगा

वह सेवक घृणा करेगा”

Luke 16:14

लोभी थे

“वे धन के लालची थे” या “उन्हें धन सम्पदा को एकत्र करना आता था” या “धन लोभियों”

उसे ठट्ठो में उड़ाने लगे

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “फरीसियों ने यीशु का उपहास किया”

उसने उनसे पूछा

“यीशु ने फरीसियों से कहा”

तुम तो मनुष्यों के सामने अपने आपको धर्मी ठहराते हो

“तुम मनुष्यों की दृष्टि में अच्छे बनते हो”

परमेश्वर तुम्हारे मन को जानता है

“परमेश्वर तुम्हारी लालसाओं को जानता है” या “परमेश्वर तुम्हारे मनोरथ जानता है”

जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है

“मनुष्य की समझ में जो महत्त्वपूर्ण है”

परमेश्वर के निकट घृणित है

इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर घृणा करता है” या “परमेश्वर के लिए घृणित वस्तु है”।

Luke 16:16

x

(यीशु फरीसियों को उपदेश दे रहा है)

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता

परमेश्वर का संपूर्ण लिखित वचन

यूहन्ना तक रहे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यूहन्ना के आगमन और प्रचार करने तक”

इस समय परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाया जा रहा था।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हम मनुष्यों को परमेश्वर के राज्य का शुभ सन्देश सुना रहे थे”।

हर कोई उसमें प्रबलता से प्रवेश करता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अनेक मनुष्य उसमें प्रवेश करने का यथासंभव प्रयास कर रहे थे”, ये उन मनुष्यों के बारे में है जो यीशु की शिक्षाओं को सुनकर उनका पालन करते थे।

आकाश और पृथ्वी का टल जाना.... सहज है

“तुम जानते हो कि आकाश और पृथ्वी नहीं टल सकते, अतः निश्चित जान लो”

व्यवस्था का एक बिन्दु

“व्यवस्था का छोटे से छोटा अंश भी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मूसा के विधान की सबसे छोटी बात”

मिट जाने

“विधान से हटना”

Luke 16:18

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

क्योंकि यह एक नियम का उदाहरण है जो बदला नहीं है, इस पाठ का आरंभ इस प्रकार किया जा सकता है, “उदाहरणार्थ”

जो कोई अपनी पत्नी को त्याग कर

“जो पुरूष अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद करके” या “अपनी पत्नी को तलाक देकर” या “यदि पुरूष अपनी पत्नी को तलाक देकर”

वह व्यभिचार करता है

वह व्यभिचार का दोषी है”

जो कोई ऐसी त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है

“ऐसी स्त्री से विवाह करनेवाला पुरूष” या “यदि कोई पुरूष ऐसी स्त्री से विवाह करे”

Luke 16:19

x

(यीशु का चर्चा विषय चल रहा है)

एक धनवान मनुष्य था

यहाँ स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में ऐसा कोई पुरूष था या यीशु ने काल्पनिक कथा सुनाई थी कि उसकी बात समझ में आए।

जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहनता

“वह बैंजनी रंग में रंगा हुआ उत्तम कोटी का मलमल पहनता था” या “वह बहुत कीमती वस्त्र पहनता था” बैंजनी रंग में रंगा हुआ मलमल बहुत मंहगा होता था।

प्रतिदिन सुख विलास और धूमधाम में रहता था

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसका दैनिक भोजन उत्सव स्वरूप होता था” या “प्रतिदिन मंहगे भोजन का आनन्द होता था” या “अपनी लालसा पूर्ति के लिए बहुत पैसा खर्च करता था”।

लाजर नाम का एक कंगाल... उसकी डेवड़ी पर छोड़ दिया जाता था।

“लोग लाजर नामक एक कंगाल को उसे फाटक पर छोड़ जाते थे”

कंगाल

“भीख मांग कर भोजन खाने वाला गरीब मनुष्य”।

उसकी डेवड़ी पर

“उस धनवान के द्वार पर” या “उस धनवान के घर के फाटक पर”

घावों से भरा हुआ

“उसके पूरे शरीर पर घाव थे”

वह चाहता था कि .... पेट भरे

“खाना चाहता था” या “की लालसा करता था”

धनवान की मेज पर की जूठन

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “धनवान जब खाना खाता था तब जो चूरचार उसकी मेज से नीचे गिरता था” या “उस धनवान की मेज से जो बचा हुआ भोजन फेंका जाता था”

यहाँ तक कि

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “इसके अतिरिक्त” या “यह भी कि”, इससे प्रकट होता है कि लाजर के लिए जो कहा गया है उससे भी बुरी दशा उसकी अब आगे है।

कुत्ते

कुत्तों को अशुद्ध माना जाता था। लाजर इतना दुर्बल एवं लाचार था कि वह कुत्तों को भगा भी नहीं पाता था।

Luke 16:22

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

ऐसा हुआ कि

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुंचाया

“स्वर्गदूत उसे ले गए और अब्राहम की गोद में डाल दिया”

अब्राहम की गोद

स्पष्ट है कि अब्राहम और लाजर भोज में एक दूसरे के संपर्क में थे और लाजर का सिर अब्राहम की छाती पर था। यह अतिथियों के भोज की यूनानी विधि थी। इस वाक्यांश का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अब्राहम के पास में” या “अब्राहम के ऊपर झुका हुआ” या “अब्राहम के साथ बैठा हुआ”

पीड़ा में पड़े हुए

“जब उसे अविराम पीड़ा हो रही थी” या “घोर पीड़ा में”

अपनी आंखें उठाई

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “ऊपर देखा”

अब्राहम की गोद में लाजर को देखा

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “और लाजर को अब्राहम की छाती पर लेटे देखा”, या “और लाजर को उसके निकट बैठे देखा” या “ लाजर को उसके साथ देखा

Luke 16:24

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

उसने पुकार कर कहा

“उस धनवान मनुष्य ने पुकारा” या “उसने अब्राहम से चिल्ला कर कहा”

मुझ पर दया कर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कृपया मुझ पर तरस खा” या “कृपया मुझ पर दया कर”

लाजर को भेज

“लाजर को भेज कर” या “कृपया लाजर को मेरे पास भेज दे” या “लाजर से कह कि वह मेरे पास आए”

अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर

इससे प्रकट होता है कि पानी की मात्रा कितनी कम थी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह अपनी उंगली पानी में स्पर्श करके”।

मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ

"मैं इस आग में असहनीय पीड़ा भोग रहा हूँ" या "मैं इस आग में भयानक कष्ट उठा रहा हूँ"

Luke 16:25

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

हे पुत्र

वह धनवान मनुष्य भी अब्राहम वंशज था।

अच्छी वस्तुएं

“सर्वोत्तम वस्तुएं” या “मनभावन वस्तुएं”

वैसे ही लाजर, बुरी वस्तुएं

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लाजर को सब कुछ बुरा ही मिला” या “उसे वही मिला जिससे उसे कष्ट हुआ”।

तड़प

“घोर पीड़ा”

इन सब बातों को छोड़

“इस सत्य के अतिरिक्त”

एक भारी गड़हा ठहराया गया है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हारे और हमारे मध्य बहुत गहरी खाई रखी है” (यू.डी.बी.)

भारी गड़हा

“गहरी और चौड़ी खाई” या “बहुत बड़ा विभाजन” या “विशाल खाई”।

तुम्हारे पास जाना चाहें

“जो इस खाई को पार करना चाहे” या “यदि कोई पार आना जाना चाहे”

Luke 16:27

x

(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

उसे मेरे पिता के घर भेज

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लाजर से कह कि वह मेरे पिता के परिवार में जाकर” या “कृपया उसे मेरे पिता के परिवार में भेज”

मेरे पिता के घर

“मेरे परिवार में”, यह ईमारत नहीं है। वह धनवान व्यक्ति चाहता था कि लाजर जाकर उसके परिजनों को चेतावनी दे यद्यपि वे एक ही आवास में नहीं रहते थे।

इन बातों की गवाही दे

“लाजर से कह कि उन्हें चेतावनी दे”

ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएं।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कि वे भी यहाँ न आएं” (यू.डी.बी.) या “यदि उन्हें चेतावनी न दी गई तो वे भी यही आयेंगे”। यहाँ अभिप्रेत अर्थ है, कि यहाँ आने से बचने के लिए उन्हें पापों से विमुख होना है। इस अभिप्रेत अर्थ को स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “कि वे पापों से विमुख हो जाएं और यहाँ न आएं।

इस पीड़ा की जगह में

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह स्थान जहाँ हमें पीड़ा होती है” या “यह स्थान जहाँ कष्ट असहनीय है” या “इस स्थान में जहाँ हमें पीड़ित किया जाता है”।

Luke 16:29

उनके पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं

“तेरे भाइयों के पास मूसा और भविष्यद्वक्ताओं के लेख है” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने मूसा और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों को सुना है”।

वे उनकी सुनें

“तेरे भाई मूसा और भविष्यद्वक्ताओं पर मनन करें”।

यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए

इसका अनुवाद हो सकता है,"यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए" या "यदि मरे हुओं में से उन्हें चेतावनी दे."

जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते

"यदि वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं द्वारा लिखी बातों पर ध्यान न दे"

उन्हें पाप का बोध नहीं होगा

“ तौभी उसकी नहीं मानेंगे, वे विश्वास नहीं करेंगे”


Translation Questions

Luke 16:1

उस धनवान मनुष्य ने अपने भण्डारी के बारे में क्या सुना था?

उस धनवान मनुष्य से सुना कि उसका भण्डारी उसका धन उड़ा रहा है।

Luke 16:5

नौकरी से निकाले जाने से पूर्व उस भण्डारी ने क्या किया?

उस भण्डारी ने धनवान मनुष्य के देनदारों को एक-एक करके बुलवाया और उनका ऋण घटा दिया।

Luke 16:8

प्रबन्धक के कामों पर उसके स्वामी ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उस धनवान मनुष्य ने अपने प्रबन्धक की प्रशंसा की क्योंकि उसने चतुराई से काम किया था।

Luke 16:9

इस कहानी के आधार पर यीशु ने मनुष्यों को क्या शिक्षा दी?

यीशु ने कहा, "अधर्मं के धन से अपने लिये मित्र बना लो; ताकि जब वह जाता रहे, तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें।

Luke 16:10

यीशु ने कहा कि जो थोड़े में विश्वासयोग्य है वह और किसमें विश्वासयोग्य होगा?

वह व्यक्ति अधिक में भी विश्वासयोग्य रहेगा।

Luke 16:13

यीशु के अनुसार हमें दो स्वामियों में से किसकी सेवा का चुनाव करना है?

हमें परमेश्वर और धन में चुनाव करना है।

Luke 16:16

यीशु के अनुसार यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के आगमन तक क्या प्रभावी था?

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता यूहन्ना तक रहे।

यीशु के अनुसार अब क्या सुनाया जा रहा है?

परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार अब सुनाया जा रहा है।

Luke 16:18

यीशु के अनुसार अपनी पत्नी का त्याग करके दूसरी से विवाह करने वाला क्या है?

यह मनुष्य व्यभिचारी है।

Luke 16:22

यीशु की कहानी में भिखारी लाजर मरणोपरान्त कहाँ गया?

वह अब्राहम की गोद में शान्ति से था।

Luke 16:23

वह धनवान मनुष्य मरणोपरान्त कहाँ गया?

अधोलोग में कष्ट भोगने गया।

Luke 16:24

उस धनवान ने अब्राहम से प्रथम निवेदन क्या किया था?

उसने कहा, "मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं"।

Luke 16:26

उस धनवान मनुष्य को अब्राहम ने क्या उत्तर दिया?

अब्राहम ने कहा, "हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गड़हा ठहराया गया है"।

Luke 16:27

उस धनवान मनुष्य ने अब्राहम से और क्या निवेदन किया?

उसने कहा, "मैं तुम से विनती करता हूँ कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज, इन बातों की गवाही दे"।

Luke 16:29

उस धनवान मनुष्य को अब्राहम ने क्या उत्तर दिया?

अब्राहम ने कहा, "उनके पास मूसा और भविष्यद्वक्ता हैं वे उनकी सुनें।

Luke 16:31

अब्राहम ने कहा कि यदि वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की न सुने तो कोई क्या करे तौभी वे नहीं मानेंगे?

यदि कोई मर कर भी जी उठे तौभी वे विश्वास नहीं करेंगे।


Chapter 17

1 फिर उसने अपने चेलों से कहा, “यह निश्चित है कि वे बातें जो पाप का कारण है, आएँगे परन्तु हाय, उस मनुष्य पर जिसके कारण वे आती है! 2 जो इन छोटों में से किसी एक को ठोकर खिलाता है, उसके लिये यह भला होता कि चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह समुद्र में डाल दिया जाता। 3 सचेत रहो; यदि तेरा भाई अपराध करे तो उसे डाँट, और यदि पछताए तो उसे क्षमा कर। 4 यदि दिन भर में वह सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, कि मैं पछताता हूँ, तो उसे क्षमा कर।”

5 तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, “हमारा विश्वास बढ़ा।” 6 प्रभु ने कहा, “यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस शहतूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।

7 “पर तुम में से ऐसा कौन है, जिसका दास हल जोतता, या भेड़ें चराता हो, और जब वह खेत से आए, तो उससे कहे, ‘तुरन्त आकर भोजन करने बैठ’? 8 क्या वह उनसे न कहेगा, कि मेरा खाना तैयार कर: और जब तक मैं खाऊँ-पीऊँ तब तक कमर बाँधकर मेरी सेवा कर; इसके बाद तू भी खा पी लेना? 9 क्या वह उस दास का एहसान मानेगा, कि उसने वे ही काम किए जिसकी आज्ञा दी गई थी? 10 इसी रीति से तुम भी, जब उन सब कामों को कर चुके हो जिसकी आज्ञा तुम्हें दी गई थी, तो कहो, ‘हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है’।”

11 और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील प्रदेश की सीमा से होकर जा रहा था। 12 और किसी गाँव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले। (लैव्य. 13:46) 13 और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊँचे शब्द से कहा, “हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर!” 14 उसने उन्हें देखकर कहा, “जाओ; और अपने आपको याजकों को दिखाओ*।” और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए। (लैव्य. 14:2-3) 15 तब उनमें से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूँ, ऊँचे शब्द से परमेश्‍वर की बड़ाई करता हुआ लौटा; 16 और यीशु के पाँवों पर मुँह के बल गिरकर उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी* था। 17 इस पर यीशु ने कहा, “क्या दसों शुद्ध न हुए, तो फिर वे नौ कहाँ हैं? 18 क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्‍वर की बड़ाई करता?” 19 तब उसने उससे कहा, “उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।”

20 जब फरीसियों ने उससे पूछा, कि परमेश्‍वर का राज्य कब आएगा? तो उसने उनको उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का राज्य प्रगट रूप में नहीं आता। 21 और लोग यह न कहेंगे, कि देखो, यहाँ है, या वहाँ है। क्योंकि, परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।” 22 और उसने चेलों से कहा, “वे दिन आएँगे, जिनमें तुम मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन को देखना चाहोगे, और नहीं देखने पाओगे। 23 लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वहाँ है!’ या ‘देखो यहाँ है!’ परन्तु तुम चले न जाना और न उनके पीछे हो लेना। 24 क्योंकि जैसे बिजली आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। 25 परन्तु पहले अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ। 26 जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। (इब्रा. 4:7, मत्ती 24:37-39, उत्प. 6:5-12) 27 जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह-शादी होती थी; तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया। 28 और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते-पीते लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे; 29 परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया। (2 पत. 2:6, यहू. 1:7, उत्प. 19:24) 30 मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।

31 “उस दिन जो छत पर हो; और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने को न उतरे, और वैसे ही जो खेत में हो वह पीछे न लौटे। 32 लूत की पत्‍नी को स्मरण रखो! (उत्प. 19:26, उत्प. 19:17) 33 जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई उसे खोए वह उसे बचाएगा। 34 मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो मनुष्य एक खाट पर होंगे, एक ले लिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। 35 दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। 36 [दो जन खेत में होंगे एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ा जाएगा।]” 37 यह सुन उन्होंने उससे पूछा, “हे प्रभु यह कहाँ होगा?” उसने उनसे कहा, “जहाँ लाश हैं, वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।” (अय्यू. 39:30)



Luke 17:1

हो नहीं सकता कि ठोकरें न लगें

इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य को पाप में ललचाने, बातें तो निश्चय ही होंगी” (यू.डी.बी.) या “परीक्षाओं को रोकना असंभव है” या पाप के प्रलोभनों को रोकना असंभव है”।

उस मनुष्य पर जिसके कारण वे आती हैं

“उस पर जिसके द्वारा परीक्षाएं आती हैं” या “उस हर एक मनुष्य पर जिसके द्वारा परीक्षाएं आती हैं।

भला होता कि चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता और वह समुद्र में डाल दिया जाता।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसके गले में चक्की का पाट बान्धकर उसे समुद्र में डाल दिया जाता

चक्की का पाट

यह बहुत बड़ा चक्राकार पत्थर होता था जिससे गेहूँ पीसा जाता था। इसका अनुवाद हो सकता है, “बहुत भारी पत्थर”

इन छोटों में से

इसका अनुवाद हो सकता है, “छोटे बच्चों में से” या “इन छोटे विश्वास के मनुष्यों में से”।

ठोकर खिलाता है

इसका अनुवाद हो सकता है, “पाप करवाता है”

Luke 17:3

तेरा भाई

सामान्यतः “तेरा विश्वासी” तथा “वास्तविक भाई” जो तेरे माता-पिता की सन्तान है।

इसे समझा

“उसे कठोर चेतावनी दे” या “दृढ़ता से उससे कह कि उसने अनुचित काम किया है” या “उसे सुधार”

अपराध करे

यह एक परिस्थिति आधारित वाक्य है जो संभवतः किसी भावी घटना की चर्चा करता है

सात बार तेरा अपराध करे

यह एक काल्पनिक भावी परिस्थिति है। ऐसा हो नहीं सकता परन्तु यदि हो तो यीशु कहता है क्षमा करो।

दिन भर में वह सात बार

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “दिन में अनेक बार”, बाइबल में संख्या 7 पूर्णता का प्रतीक है।

Luke 17:5

हमारा विश्वास बढ़ा

“कृपया हमारे विश्वास में बडोतरी कर” या कृपया हमारे विश्वास में अधिक विश्वास उत्पन्न कर”

यदि तुमको राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर थोड़ा सा हो” या “तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर हो परन्तु है नहीं”। वाक्य की रचना का सलंग्न अर्थ व्यक्त करती है कि उनका विश्वास वास्तव में राई के दाने के बाराबर भी नहीं था।

जड़ से उखाड़ कर समुद्र में लग जा

इसका अनुवाद हो सकता है, यहाँ से उखड़ जा और समुद्र में उग जा” या “भूमि से जड़ें उखाड़ कर समुद्र में जड़ पकड़ ले”

तो वह तुम्हारी मान ले

“वह वृक्ष तुम्हारी आज्ञा मानता” परिणाम शर्त आधारित है। ऐसा तब ही होगा जब उनमें विश्वास होगा।

Luke 17:7

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

तुममें से ऐसा कौन है

“तुम में ऐसा कोई है” या “परन्तु तुममें से कौन”, यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “यदि तुम में से किसी का” या “मान लो कि तुममें से किसी का” इसके उदाहरण हेतु यू.डी.बी. देखें।

तुममें से ऐसा कौन है जिसका दास

यीशु जनसमूह से पूछ रहा था कि यदि ऐसी परिस्थिति आ जाए तो उनमें से कोई क्या करेगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु तुममें ऐसा कौन है जिसका सेवक”

जिसका दास हल जोतता या भेड़ें चराता हो

“तुम्हारे खेत जोतने वाला या भेड़ों को चराने वाला सेवक”

हल जोतता

हल जोतने का अर्थ है खेत की मिट्टी को हल की सहायता से पलटना कि बीज डालने के लिए तैयार हो।

तो उससे कहे

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद हो सकता है, “इसकी अपेक्षा तुम उससे कहोगे”

कमर कस और मझे भोजन परोस

“कमर कस कर मुझे भोजन परोस” या “उचित वस्त्र पहन कर मेरी सेवा कर” वे अपने वस्त्र को उठाकर कमर पर बान्ध लेते थे कि काम करते समय वस्त्र बाधा उत्पन्न न करें।

इसके बाद

“मेरी सेवा करने के बाद”

Luke 17:9

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

क्या वह उस पाप का अहसान मानेगा?

पिछले दो पदों के अनुवाद के आधार पर इसका अनुवाद भी इस प्रकार होगा, “वह धन्यवाद नहीं कहेगा” या “तुम धन्यवाद नहीं कहोगे”।

जिसकी आज्ञा दी गई थी

“जो आज्ञा तुमने दी थी”

क्या उसका अहसान मानेगा?

इसका अनुवाद हो सकता है, “ठीक”? या “क्या यह सच नहीं । इस आलंकारिक प्रश्न के द्वारा यीशु अपने शिष्यों को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि उसने जो कहा वह स्पष्टतः सच है।

तुम भी

यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए जिन भाषाओं में “तुम” शब्द बहुवचन में है, उसका उपयोग किया जाए।

तो कहो

“परमेश्वर से कहो”

हम निकम्मे दास हैं

इसका अनुवाद हो सकता है, “हम साधारण दास हैं” हम सेवक तेरी प्रशंसा के योग्य नहीं हैं”।

Luke 17:11

(और ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

वह यरूशलेम जाते हुए

“जब वे यरूशलेम के मार्ग पर जा रहे थे

उसे दस कोढ़ी मिले

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “इसका साक्षात्कार दस पुरूषों से हुआ जो कोढ़ी थे” या “दस कोढ़ के रोगी उसे मिले”

उन्होंने.... ऊँचे शब्द से कहा

“उन्होंने पुकार कर कहा” या “वे चिल्लाए”

स्वामी

यहाँ "स्वामी" का मूल भाषा यूनानी शब्द सामान्यतः दासों के स्वामी के लिए काम में लिया जाने वाला सामान्य शब्द नहीं है यह शब्द अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के स्वामी के लिए। इसका अनुवाद “प्रधान जी” या “श्रीमान जी” किया जा सकता है या ऐसा शब्द काम में लिया जा सकता है जिसका अभिप्राय एक अधिकार सम्पन्न मनुष्य से हो जैसे "महोदय"।

हम पर दया कर

इसका अनुवाद हो सकता है, “कृपया रोग-मुक्त करने की दया हम पर कर”।

Luke 17:14

अपने आपको याजकों को दिखाओ

यहाँ निहितार्थ को स्पष्ट किया जा सकता है, “कि वे तुम्हारा परीक्षण करें”

(और ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण बात का होना प्रकट होता है। इसका अनुवाद हो सकता है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसे यहाँ काम में लें।

वे शुद्ध हो गए

यही वह महत्त्वपूर्ण बात है जिसको प्रकट करने के लिए “और ऐसा हुआ कि” कहा गया है, इसका अनुवाद हो सकता है, “वे कोढ़ से रोगमुक्त होकर शुद्ध हो गए” या “वे कोढ़ से रोगमुक्त हो गए”

यह देखकर कि वह चंगा हो गया

“रोग मुक्ति देखकर” या “उसे यीशु द्वारा रोगमुक्ति की अनुभूति हुई”

लौटा

“वह फिर से यीशु के पास आया”

ऊँचे शब्द से परमेश्वर की बढ़ाई करता हुआ

“पुकार-पुकार कर परमेश्वर की स्तुति की”

यीशु के पावों पर मुँह के बल गिरकर

“वह यीशु के चरणों में नतमस्तक होकर” उसने यीशु को सम्मान में ऐसा किया था।

Luke 17:17

यीशु ने कहा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु ने जनसमूह से कहा” यीशु ने .... उसके प्रतिक्रिया दिखाते हुए जनसमूह से कहा।

क्या दसों शुद्ध न हुए?

यह तीन आलंकारिक प्रश्नों में से कहता है। यीशु ने इन प्रश्नों द्वारा जनसमूह में विस्मय और निराशा प्रकट की कि दस में से एक ही परमेश्वर की स्तुति करने लौटा। इसका अनुवाद हो सकता है, “दस कोढ़ी रोग-मुक्त किए गए थे” या “परमेश्वर ने दस को रोगमुक्त किया है”

नौ कहाँ हैं?

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद किया जा सकता है, “अन्य नौ को भी तो आना था” या “अन्य नौ क्यों नहीं लौटे”?

क्या इस परदेशी को छोड़कर कोई और न निकला जो परमेश्वर की बड़ाई करता?

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस विजातीय पुरूष की अपेक्षा परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं है? या “दस पुरूष रोगमुक्त किए गए परन्तु केवल यह परदेशी परमेश्वर की स्तुति करने लौटा है” या “क्या यह सब हो सकता है कि इस परदेशी पुरूष के अतिरिक्त परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं लौटा”?

इस परदेशी

सामरियों के पूर्वज गैरयहूदी थे और उनकी परमेश्वर की आराधना विधि यहूदियों से भिन्न थी।

तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है

“तेरे विश्वास के कारण तेरा रोग दूर हुआ है” यहाँ विश्वास को क्रिया रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करता है इसलिए तू रोग-मुक्त हो गया है”

Luke 17:20

जब फरीसियों ने उससे पूछा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है “फरीसियों ने यीशु से पूछा” यहाँ कहानी का नया वृत्तान्त आरंभ होता है। कुछ अनुवादक इसका आरंभ इस प्रकर करते हैं, “एक दिन” (यू.डी.बी.) या “एक बार”

परमेश्वर का राज्य कब आएगा

इसे उद्धरण चित्रों में रखा जा सकता है, “परमेश्वर का राज्य कब आएगा”?

परमेश्वर का राज्य दृष्य रूप में नहीं आता है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम परमेश्वर के राज्य को प्रत्यक्ष रूप में देखना चाहते हो, परन्तु तुम देखोगे नहीं”। वे देखते नहीं थे कि यीशु राजा रूप में उनके मध्य उपस्थित है, क्योंकि वे एक सांसारिक राज्य की प्रतीक्षा में थे।

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर का राज्य तो आ गया है” या “परमेश्वर ने तो तुम्हारे मध्य राज करना आरंभ कर दिया है।

Luke 17:22

वे दिन आयेंगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक समय ऐसा आयेगा” या “एक दिन

देखना चाहोगे

“तुम देखने की लालसा करोगे” या “तुममें उसका अनुभव करने की मनोकामना होगी”। उसके शिष्य तो चाहते थे कि वह राज करे। परन्तु सताव का समय आएगा और वे यही चाहेंगे कि यीशु राज कर रहा हो।”

मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य के पुत्र के राज के समय एक दिन”

उनके पीछे हो लेना

“उनका अनुसरण नहीं करना”

जैसे बिजली.... चमकती है

यह एक उपमा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जैसे बिजली चमकती है तो सबको दिखाई देती है और” या “जिस प्रकार बिजली आकस्मात ही चमकती है”।

वैसै ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “मनुष्य का पुत्र जब राज करने आएगा उस दिन भी ऐसा ही होगा”।

Luke 17:25

x

(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है)

परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुख उठाए

“परन्तु मनुष्य के पुत्र को पहले पीड़ित होना आवश्यक है” यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है।

जैसा नूह के दिनों में हुआ था

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नूह के दिनों में मनुष्य का जैसा जीवन था” या “नूह के जीवनकाल में जैसा लोग करते थे”। “नूह के दिनों में” अर्थात उस समय से पूर्व जब परमेश्वर ने संसार को दण्ड दिया था।

वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य के पुत्र के समय भी लोग ऐसा ही जीवन जी रहे होंगे”। या “जब मनुष्य के पुत्र को पुन आगमन का समय होगा तब मनुष्यों का जीवन आचरण वैसा ही होगा”। “मनुष्य के पुत्र के दिनों में जब मनुष्य का पुत्र आनेवाला होगा।

लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह होते थे

वे सामान्य जीवन जी रहे थे और परमेश्वर के आने वाले दण्ड की उन्हें चिन्ता नहीं थी।

जहाज़

“बड़ी नाव”

Luke 17:28

x

(यीशु बातें कर रहा है)

और जैसा लूत के दिनों में हुआ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक और उदाहरण है, लूत के युग में जैसा था” या “लूत के जीवनकाल में लोगों पर जो व्यवहार था”। “लूत के दिनों में अर्थात सदोम और अमोरा नगरों पर परमेश्वर के दण्ड से पूर्व।

खाते-पीते

“सदोम के लोग खाते-पीते थे”

आग और गन्धक आकाश से बरसी

“आकाश से आग और गन्धक ऐसे गिरे जैसे बरसात”।

Luke 17:30

x

(यीशु बातें कर रहा है)

ऐसा ही होगा

अर्थात “ठीक ऐसा ही तब भी होगा” लूत के युग के लोग क्या करते थे स्पष्ट व्यक्त किया जाए जैसा यू.डी.बी. में है, “मनुष्य तैयार नहीं रहेगा”

मनुष्य के पुत्र के प्रकट होने के दिन

“जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा” या “जब मनुष्य का पुत्र आएगा”

जो छत पर हो .... वह .... न उतरे

“जो घर की छत पर हो वह नीचे न आए” या “यदि कोई अपने घर की छत पर हो तो वह उतर कर नीचे न आए।

छत पर

उनके घरों की छतें समतल होती थी। मनुष्य वहां बैठ सकते थे।

उसका सामान

“उसकी सम्पदा” या “उसकी वस्तुऍ”

पीछे न लौटे

यहाँ अभिप्रेत अर्थ है कि वे घर लौटने की अपेक्षा जान बचाकर भागें, यू.डी.बी. में स्पष्ट व्यक्त किया गया है।

Luke 17:32

लूत की पत्नी को स्मरण रखो

यह एक चेतावनी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लूत की पत्नी जैसा मत करना”। उसने मुड़कर सदोम को देखा और सदोम की जनता के साथ दण्ड पाया”।

जे कोई अपना प्राण बचाना चाहे वे उसे खोएगा”।

“अपना जीवन सुरक्षित रखने की खोज करने वाले, अपने प्राण खो देंगे” या “जो अपनी पुरानी जीवनशैली को सुरक्षित रखना चाहेगा उसका प्राण जाएगा”

जो कोई उसे खोए वह उसे जीवित रखेगा।

“मनुष्य को अपना प्राण खाएँगे वे सुरक्षित रहेंगे”। या “जो अपनी पुरानी जीवनशैली का त्याग कर देगा वह जीवित रहेगा”।

Luke 17:34

x

(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है)

उस रात

अर्थात, जिस रात मनुष्य का पुत्र आयेगा उस समय क्या होगा।

दो मनुष्य एक खाट पर होंगे

यह एक काल्पनिक परिस्थिति है कि उस समय दो मनुष्य क्या कर रहे होंगे। इसका अनुवाद हो सकता है, “दो मनुष्य एक दीवान पर होंगे”।

खाट

“दीवान” या “पलंग”

एक ले लिया जाएगा दूसरा छोड़ दिया जाएगा

इसका अनुवाद कर्तवाच्य क्रियावाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर एक व्यक्ति को उठा लेगा और दूसरे को यही छोड़ देगा” या “स्वर्गदूत एक व्यक्ति को उठा लेंगे परन्तु दूसरे को छोड़ देंगे”।

दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी

यह एक काल्पनिक दृश्य है कि दो स्त्रियाँ क्या कर रही होंगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “दो स्त्रियाँ एक साथ गेहूँ पीस रही होंगी”। कुछ संस्करणों में इस प्रकार अनुवाद किया गया है, “खेत में दो मनुष्य होंगे, एक उठा लिया जाएगा और दूसरा रह जाएगा”। यह वाक्य लूका रचित सुसमाचार के सर्वोत्तम अभिलेखों में नहीं है।

हे प्रभु, यह कहाँ होगा?

“हे प्रभु, ऐसा कहाँ होगा”? (यू.डी.बी.)

जहाँ लोथ है, वहां गिद्ध इकट्ठे होंगे

यह स्पष्टतः एक लोकोक्ति है जिसका अर्थ है, “यह स्पष्ट होगा”, या “जब ऐसा होगा तब तुम जान लोगे”। “यह अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है”, गिद्धों के आने से स्पष्ट है कि वहां शव है, इसी प्रकार इन बातों से प्रकट होगा कि मनुष्य का पुत्र प्रकट होने वाला है”।

गिद्ध

गिद्ध बड़े पक्षी हैं जो मृतक पशुओं का मांस खाते हैं। आप पक्षियों को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं या आपके यहाँ ऐसे पक्षियों का नाम लिख सकते हैं।


Translation Questions

Luke 17:4

यीशु के अनुसार यदि हमारा भाई अपराध करके कहे, "मैं पछताता हूँ" तो हमें क्या करना चाहिए?

हमें उसे क्षमा करना है।

Luke 17:10

दास होने के कारण अपने स्वामी की आज्ञा के अनुसार सब काम करने के बाद हमें क्या कहना चाहिए?

हमें कहना है, "हम निकम्मे दास हैं, जो हमें करना चाहिए था, हमने केवल वहीं किया है"।

Luke 17:12

जब सामरिया और गलील के बीच से जा रहा था तब उसे कौन मिलें?

दस कोढ़ी उसके पास आए।

Luke 17:13

उन्होंने यीशु से क्या कहा?

उन्होंने कहा, "हे स्वामी हम पर दया कर"।

Luke 17:14

यीशु ने उनसे क्या करने को कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि वे जाकर याजक को दिखाएं।

जब वे कोढ़ी चलने लगे तो क्या हुआ?

वे शुद्ध किए गए।

Luke 17:15

उन दस कोढ़ियों में से कितनों ने लौटकर आभार व्यक्त किया?

परन्तु लौटकर एक ही आया।

Luke 17:16

यीशु को आभार व्यक्त करने लौटा कोढ़ी कहाँ का निवासी था?

वह एक सामरी था।

Luke 17:21

जब यीशु से परमेश्वर के राज्य के आगमन का समय पूछा गया तब यीशु ने क्या उत्तर दिया?

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।

Luke 17:24

यीशु के अनुसार अपने दिन उसका प्रकटीकरण कैसा होगा?

जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंधकर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी प्रकट होगा।

Luke 17:25

यीशु के अनुसार उसके साथ पहले क्या होना था?

अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए और वह पीढ़ी उसे तुच्छ ठहराए।

Luke 17:27

मनुष्य के पुत्र का दिन नूह और लूत के दिनों के सदृश्य कैसे होगा?

लोग खाएंगे-पीएंगे, विवाह करेंगे, लेन-देन करेंगे, पेड़ लगाएंगे, घर बनाएंगे, उन्हें विनाश के दिन के आगमन का बोध भी नहीं होगा।

Luke 17:31

हमें लूत की पत्नी के सदृश्य कैसे नहीं होना है?

?

Luke 17:37

यीशु के चेलों ने पूछा कि ऐसा कहाँ होगा तो यीशु ने प्रकृति का कौन सा उदाहरण दिया?

जहाँ लोथ हैं, वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।


Chapter 18

1 फिर उसने इसके विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और साहस नहीं छोड़ना चाहिए उनसे यह दृष्टान्त कहा: 2 “किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्‍वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था। 3 और उसी नगर में एक विधवा भी रहती थी: जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, ‘मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा।’ 4 उसने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्त में मन में विचार कर कहा, ‘यद्यपि मैं न परमेश्‍वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूँ; 5 फिर भी यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिए मैं उसका न्याय चुकाऊँगा, कहीं ऐसा न हो कि घड़ी-घड़ी आकर अन्त को मेरी नाक में दम करे’।”

6 प्रभु ने कहा, “सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है? 7 अतः क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उसकी दुहाई देते रहते; और क्या वह उनके विषय में देर करेगा? 8 मैं तुम से कहता हूँ; वह तुरन्त उनका न्याय चुकाएगा; पर मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?”

9 और उसने उनसे जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे, कि हम धर्मी हैं, और दूसरों को तुच्छ जानते थे, यह दृष्टान्त कहा: 10 “दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिये गए; एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेनेवाला। 11 फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्‍वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि मैं और मनुष्यों के समान दुष्टता करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेनेवाले के समान हूँ। 12 मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।’

13 “परन्तु चुंगी लेनेवाले ने दूर खड़े होकर, स्वर्ग की ओर आँख उठाना भी न चाहा, वरन् अपनी छाती पीट-पीटकर* कहा, ‘हे परमेश्‍वर मुझ पापी पर दया कर!’ (भज. 51:1) 14 मैं तुम से कहता हूँ, कि वह दूसरा नहीं; परन्तु यही मनुष्य धर्मी ठहरा और अपने घर गया; क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”

15 फिर लोग अपने बच्चों को भी उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे; और चेलों ने देखकर उन्हें डाँटा। 16 यीशु ने बच्चों को पास बुलाकर कहा, “बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्हें मना न करो: क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य ऐसों ही का है। 17 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई परमेश्‍वर के राज्य को बालक के समान ग्रहण न करेगा वह उसमें कभी प्रवेश करने न पाएगा।”

18 किसी सरदार ने उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?” 19 यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक, अर्थात् परमेश्‍वर। 20 तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना’।” 21 उसने कहा, “मैं तो इन सब को लड़कपन ही से मानता आया हूँ।” 22 यह सुन, “यीशु ने उससे कहा, तुझ में अब भी एक बात की घटी है, अपना सब कुछ बेचकर कंगालों को बाँट दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।” 23 वह यह सुनकर बहुत उदास हुआ, क्योंकि वह बड़ा धनी था।

24 यीशु ने उसे देखकर कहा, “धनवानों का परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है! 25 परमेश्‍वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है।” 26 और सुननेवालों ने कहा, “तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?” 27 उसने कहा, “जो मनुष्य से नहीं हो सकता, वह परमेश्‍वर से हो सकता है।” 28 पतरस ने कहा, “देख, हम तो घर-बार छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।” 29 उसने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि ऐसा कोई नहीं जिस ने परमेश्‍वर के राज्य के लिये घर, या पत्‍नी, या भाइयों, या माता-पिता, या बाल-बच्चों को छोड़ दिया हो। 30 और इस समय कई गुणा अधिक न पाए; और परलोक में अनन्त जीवन।”

31 फिर उसने बारहों को साथ लेकर उनसे कहा, “हम यरूशलेम को जाते हैं, और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं* वे सब पूरी होंगी। 32 क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा, और वे उसका उपहास करेंगे; और उसका अपमान करेंगे, और उस पर थूकेंगे। 33 और उसे कोड़े मारेंगे, और मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।” 34 और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी और यह बात उनसे छिपी रही, और जो कहा गया था वह उनकी समझ में न आया।

35 जब वह यरीहो के निकट पहुँचा, तो एक अंधा सड़क के किनारे बैठा हुआ भीख माँग रहा था। 36 और वह भीड़ के चलने की आहट सुनकर पूछने लगा, “यह क्या हो रहा है?” 37 उन्होंने उसको बताया, “यीशु नासरी जा रहा है।” 38 तब उसने पुकार के कहा, “हे यीशु, दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर!” 39 जो आगे-आगे जा रहे थे, वे उसे डाँटने लगे कि चुप रहे परन्तु वह और भी चिल्लाने लगा, “हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर!” 40 तब यीशु ने खड़े होकर आज्ञा दी कि उसे मेरे पास लाओ, और जब वह निकट आया, तो उसने उससे यह पूछा, 41 तू क्या चाहता है, “मैं तेरे लिये करूँ?” उसने कहा, “हे प्रभु, यह कि मैं देखने लगूँ।” 42 यीशु ने उससे कहा, “देखने लग, तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा कर दिया है।” 43 और वह तुरन्त देखने लगा; और परमेश्‍वर की बड़ाई करता हुआ, उसके पीछे हो लिया, और सब लोगों ने देखकर परमेश्‍वर की स्तुति की।



Luke 18:1

x

(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है)

फिर उसने

“फिर यीशु ने”

कहा

“सुनाया” (यू.डी.बी.)

हियाव न छोड़ना चाहिए

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “प्रार्थना करने में क्लांत न हों”। या “विश्वास करना न छोड़ें”

किसी नगर में एक न्यायी रहता था

“किसी” शब्द का उपयोग घटना के वर्णन हेतु किया गया है जिसमें न तो न्यायी का नाम है और न नगर का नाम है।

न परमेश्वर से डरता था

“परमेश्वर का भय नहीं मानता था” (यू.डी.बी.)

न किसी मनुष्य की परवाह करता था

“न मनुष्यों का ही मान रखता था”

Luke 18:3

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

विधवा

विधवा वह स्त्री होती है जिसका पति मर गया। यीशु के शिष्य उसे आरक्षित नारी समझे होंगे।

मेरा न्याय चुका कर

इसका अनुवाद हो सकता है, “उसे दण्ड दे” या “मेरा बदला चुका”

मेरा विरोधी

“मेरे शत्रु से” या “मुझे हानि पहंुचाने वाले से” यह कोर्ट केस में बंधी है। यह स्पष्ट नहीं कि उसने इस विधवा पर केस डाला है या इस विधवा ने उस पर केस डाला है।

परमेश्वर से डरता

“परमेश्वर का भय नहीं मानता”

मनुष्यों

“सामान्यतः मनुष्य”

मुझे सताती रहती है

इसका अनुवाद हो सकता है, “मुझे परेशान करती है”

मेरी नाक में दम कर दे

“मेरा जीना दुश्वार कर दे”

घड़ी-घड़ी आकर

“बार-बार आकर”

Luke 18:6

x

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है)

सुनो, वह अधर्मी न्यायी क्या कहता है?

“विचार करो कि उस अधर्मी न्यायी क्या कहता है” इसका अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठकों को समझ में आ जाए कि यीशु ने अपनी बात उस न्यायी के शब्दों में कह दी है।

क्या परमेश्वर.... न्याय न चुकाएगा?

यीशु ने इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा यह संकेत दिया कि उसके श्रोताओं को उसकी शिक्षा को समझ लेना चाहिए। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “परमेश्वर निश्चय ही चुकाएगा” या “अतः तुम निश्चित जानो कि परमेश्वर न्याय चुकाएगा”

अपने चुने हुओं का

“जिन मनुष्यों को उसने चुन लिया है”

क्या वह उनके विषय में देर करेगा?

यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा श्रोताओं को स्मरण कराना चाहता था कि परमेश्वर का यह गुण तो उन्हें पहले ही से जानना आवश्यक था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “और तुम जानते हो कि वह उनके साथ देर नहीं करता है”।

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है

क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?

इस शिक्षाप्रद कथा का उद्देश्य था कि शिष्यों को विश्वास के साथ प्रार्थना करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। यीशु का यह एक और आलंकारिक प्रश्न है जिसके द्वारा यीशु नकारात्मक उत्तर पाना चाहता था। इस प्रश्न का अर्थ है, “मैं जानता हूँ कि जब मैं, मनुष्य का पुत्र लौटकर आऊंगा तब मैं ऐसे मनुष्यों को भी देखूंगा जो मुझ में विश्वास नहीं रखते हैं”।

Luke 18:9

फिर उसने

“फिर यीशु ने”

उनसे

“उन कुछ लोगों से”

जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे कि हम धर्मी है

“जो पाखंडी थे” या “जो सोचते थे कि वे धर्मी है”

तुच्छ जानते थे

“हीन समझते थे”

मन्दिर में

“मन्दिर परिसर में”

Luke 18:11

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा

इस वाक्यांश की मूल यूनानी भाषा स्पष्ट नहीं है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) फरीसी ने खड़े होकर अपने बारे में इस प्रकार प्रार्थना की” या (2) “फरीसी ने अकेले खड़े होकर प्रार्थना की”।

अन्धेर करनेवाला

अन्धेर करनेवाला मनुष्यों को विवश करके उनका समान ले लेता है, या “उन्हें डराकर”

उपवास

उपवास का अर्थ है, भोजन नहीं करना। फरीसी सप्ताह में दो दिन उपवास रखते थे।

कमाई का

आमदनी का

Luke 18:13

x

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

स्वर्ग की ओर आँखें उठाना

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “स्वर्ग की ओर देखना” या “ऊपर देखना”

अपनी छाती पीट-पीटकर

यह शोक प्रकट करने का प्रतीक है ओर उस मनुष्य के पश्चाताप एवं दीनता को दर्शाता है।

मुझ पापी पर दया कर

इसका अनुवाद हो सकता है, “हे परमेश्वर मुझ पर दया कर क्योंकि मैं एक भयानक पापी हूँ”। या “हे परमेश्वर मुझ पर दया कर, में एक भयानक पापी हूँ”।

यही मनुष्य

“वह चुंगी लेनेवाला”

वह दूसरा नहीं

“उस पहले वाले की अपेक्षा” या “उसकी अपेक्षा” या “वह मनुष्य नहीं” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “परन्तु वह दूसरा व्यक्ति धर्मी नहीं ठहराया गया”

क्योंकि जो कोई अपने आपको बड़ा बनाएगा,

इस वाक्यांश द्वारा यीशु कहानी से हटकर उस सामान्य सिद्धान्त पर आता है जो इस कहानी द्वारा दर्शाया गया है।

बड़ा किया जाएगा

“महान समझा जाएगा”

Luke 18:15

उन पर हाथ रखे, परन्तु

इसे एक अलग वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “उन्हें छूएं परन्तु”

डांटा

शिष्यों ने उन माता-पिता के इस कार्य पर कठोर आपत्ति उठाई

आने दो

“उन्हें अनुमति दो”

बालकों

यह शब्द “शिशु” नहीं है। जिन बच्चों को लोग ला रहे थे, वे बालक थे अर्थात शिशु नहीं थे, उनसे बड़े थे।

उन्हें मना मत करो

“उन्हें बाधित मत करो” या “बच्चों को मत रोको”

ऐसों ही का है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसे मनुष्यों का है जो इन बच्चों के स्वभाव के हैं”।

मैं तुमसे सच कहता हूँ।

“मैं तुमसे निश्चय कहता हूँ” यीशु इस अभिव्यक्ति द्वारा अपने आगामी कथन के महत्त्व पर बल दे रहा था।

बालक के समान

यह एक उपमा है जिसके द्वारा परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करनेवालों के स्वभाव की तुलना बच्चों के स्वभाव से की गई है। समानता के विषय हैं, दीनता एवं विश्वास करना। इस उपमा का अर्थ है, वे परमेश्वर के राज्य को जिस विनम्रता से स्वीकार करते हैं वह ठीक वैसी ही है जैसी एक बच्चे में होती है और विश्वास भी।

प्रवेश

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर के राज्य में प्रवेश”

Luke 18:18

उत्तम

“सुनने और आज्ञा मानने योग्य”

मैं क्या करूं?

“मुझे क्या करने की आवश्यकता है” या “मेरे लिए क्या आवश्यक है”?

उत्तराधिकार

“अधिकृत स्वामी होने के लिए” यह शब्द सामान्यतः किसी मृतक की सम्पदा के लिए काम में लिया जाता था। लूका इस उपमा के उपयोग द्वारा दर्शाना चाहता है कि वह प्रधान समझ गया था कि अनन्त जीवन कर्मों से नहीं है और हर एक जन को अनन्त जीवन प्राप्त नहीं है।

कोई उत्तम नहीं, केवल एक, अर्थात परमेश्वर,

इसका अनुवाद दो वाक्यों में किया जा सकता है। “मनुष्य तो कोई भी नहीं जो उत्तम हो सकता है। केवल परमेश्वर ही है जो उत्तम है।

हत्या न करना

“कत्ल न करना”

यह सब बातें

“इन सब आज्ञाओं को”

Luke 18:22

यह सुन यीशु ने

“यीशु ने उसकी यह बात सुनकर”

यीशु ने उससे कहा

“यीशु ने उसे उत्तर दिया”

तुममें अब भी एक बात की घटी है।

“तुम्हें एक और काम करने की आवश्यकता है”। या “एक काम तूने अभी तक नहीं किया है”

अपना सब कुछ बेच कर

“अपनी संपूर्ण सम्पदा बेच कर” या “तेरे पास जो कुछ है सब बेच दे”

बांट दे

“दे दे”

कंगालों में बांट दे

“यह पैसा गरीबों को दे दे”

Luke 18:24

वह बहुत उदास हुआ

यह वाक्य अनेक यूनानी पुरालेखों में नहीं है, इसलिए अंग्रेजी अनुवादों में प्रायः इसे छोड़ दिया गया है।

ऊंट का सुई के नाके में से निकल जाना

ऊंट के लिए सूई के छिद्र से पार निकलना असंभव है। ऐसा प्रतीत होता है कि यीशु अतिशयोक्ति के उपयोग द्वारा यह कहना चाहता था कि “धनवान मनुष्य के लिए उद्धार पाना बहुत ही कठिन है”।

ऊंट

यह एक बहुत बड़ा पशु है, गाय और घोड़े से भी बड़ा

सूई के नाके

सूई का छिद्र जिसमें सिलाई करने का धागा डाला जाता है।

Luke 18:26

सुननेवालों ने

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु की इस बात को सुननेवालों ने”

तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?

संभव है कि वे उत्तर पाना चाहते थे। परन्तु अति संभव है कि यह एक अलंकारिक प्रश्न है जिसका अर्थ है, “तब तो किसी का भी उद्धार नहीं हो सकता है”।

उद्धार

“पापों से मुक्ति”

परमेश्वर से ही हो सकता है

“परमेश्वर ही है जो यह कर सकता है”

Luke 18:28

घर बार

“अपनी धन सम्पत्ति” या “अपना सब कुछ”

मैं तुमसे सच कहता हूँ

यीशु इस वाक्य द्वारा अपने अग्रिम बात पर बल दे रहा था।

ऐसा कोई नहीं जिसने .... कई गुणा अधिक न पाया हो

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “जिसने भी .... छोड़ दिया हो.... वह पाएगा।

आनेवाले युग में अनन्त जीवन

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आने वाले संसार में अनन्त जीवन”

Luke 18:31

देख

यह शब्द यीशु की सेवा में गंभीर परिवर्तन दर्शाता है जब वह अन्तिम समय के लिए यरूशलेम जा रहा है।

भविष्यद्वक्ताओं

पुराने नियम के भविष्यद्वक्ता

सब पूरी होंगी

“अवश्य घटेंगी” या “होकर रहेंगी”

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को मनुष्य का पुत्र कहता है या और अपने लिए “वह” सर्वनाम का उपयोग करता था।

तीसरे दिन

मरणोपरान्त तीसरे दिन। परन्तु शिष्यों की समझ में यह बात न आई। अतः इस पद के अनुवाद में इस व्याख्या को निहित न करना ही अच्छा है।

Luke 18:34

वह उनकी समझ में न आया

“वे कुछ भी समझ न पाए”

इन बातों को

यरूशलेम में यीशु के कष्टों और मृत्यु का वर्णन और तीसरे दिन उसका पुनरुत्थान।

ये बातें उनसे छिपी रही

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उन्हें यीशु की बातें समझने से रोक दिया” (यू.डी.बी.)

जो कहा गया था

इसका अनुवाद भी कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु ने जो कहा था”

Luke 18:35

निकट पहुंचा

“पास आया”

एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा

“वहां एक अंधा मनुष्य बैठा था” यहाँ केवल वह व्यक्ति महत्त्वपूर्ण है, उसका नाम जानने की आवश्यकता नहीं है।

भीख मांग रहा था.... सुनकर

इसका अनुवाद भी दो वाक्य में किया जा सकता है, “भीख मांग रहा था” जब उसने यीशु के चलने की आहट सुनी तो”

उन्होंने उसको बताया

लोगों ने उसे बताया

यीशु नासरी

यीशु नासरत का रहनेवाला था। नासरत गलील का एक नगर था।

जा रहा है

“उसके पास से जा रहा है”

Luke 18:38

उसने पुकार के कहा

“चिल्लाया” या “पुरजोर आवाज दी”

दाऊद की सन्तान

यीशु दाऊद का वंशज था। दाऊद इस्राएल का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण राज्य था।

मुझ पर दया कर

“मुझ पर तरस खा” या “मुझ पर कृपा कर”

आगे-आगे जा रहे थे

“जनसमूह में लोग”

चुप रहे

“शान्त रहे” या “चिल्लाए नहीं”

वह और भी चिल्लाने लगा

अर्थात वह और ऊँचे स्वर में चिल्लाने लगा या वह अविराम चिल्लाता जा रहा था।

Luke 18:42

तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैंने तुझे दृष्टिदान दिया क्योंकि तूने मुझमें विश्वास किया है”।

उसके पीछे हो लिया

इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके पीछे चलने लगा”

परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ

“परमेश्वर की स्तुति करता हुआ” या “परमेश्वर को महान कहता हुआ”


Translation Questions

Luke 18:1

इस कहानी से यीशु अपने चेलों को प्रार्थना के बारे में क्या सिखाना चाहता था?

वह उन्हें सिखाना चाहता था कि वे प्रार्थना करते रहें, निराश न हों, परमेश्वर उन पुकारने वालों का न्याय चुकाता है।

Luke 18:3

उस विधवा ने अधर्मी न्यायधीश से क्या याचना की?

उसने अपने मुद्दई के विरूद्ध न्याय मांगा।

Luke 18:5

अन्ततः उस अधर्मी न्यायाधीश ने मन में क्या सोचा?

उसने कहा,"यह विधवा मुझे सताती रहती है इसलिए मैं इसका न्याय चुकाऊंगा"।

Luke 18:9

उस फरीसी का अपने बारे में अपने अन्य मनुष्यों की धार्मिकता के बारे में क्या विचार था?

वह सोचता था कि वह अन्य मनुष्यों से अधिक धर्मी है।

Luke 18:10

यीशु की इस कहानी में कौन से मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने गए थे?

एक फरीसी और एक चूंगी लेने वाला मन्दिर में प्रार्थना करने गए।

Luke 18:13

मन्दिर में उस चूंगी लेने वाले ने क्या प्रार्थना की?

उसने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर"।

Luke 18:14

कौन परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी ठहर कर घर गया?

वह चूंगी लेने वाला परमेश्वर के सम्मुख धर्मी ठहरा।

Luke 18:16

यीशु ने परमेश्वर का राज्य कैसों का बताया?

वह बच्चों जैसों का है।

Luke 18:22

यीशु ने उस सरदार से (जिसने अपनी युवावस्था में परमेश्वर की सब आज्ञाओं का पालन किया था) एकमात्र काम करने को कहा वह क्या था?

यीशु ने उससे कहा कि वह अपना सब कुछ बेच कर कंगालों में बांट दे।

Luke 18:23

उस सरदार ने यीशु की बात सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई और क्यों?

वह बहुत दुःखी हुआ क्योंकि वह अत्यधिक धनवान था।

Luke 18:30

परमेश्वर के राज्य के लिए सांसारिक सम्पदा का त्याग करने वालों से यीशु ने क्या प्रतिज्ञा की?

यीशु ने उनसे इस संसार में बहुत कुछ देने की और आने वाले संसार में अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा की।

Luke 18:32

यीशु के अनुसार पुराने नियम के भविष्यद्वक्ताओं ने मनुष्य के पुत्र के बारे में क्या लिखा था?

वह अन्यजाति के हाथ में दिया जायेगा, उसे ठट्ठों में उड़ाया जायेगा, उसे लज्जित किया जायेगा, कोड़े मारे जायेंगे और मृत्यु दी जायेगी परन्तु वह तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेगा।

Luke 18:38

मार्ग के किनारे बैठे उस अन्धे मनुष्य ने यीशु से क्या कहा?

उसने कहा, "हे यीशु, दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर"।

Luke 18:43

उस अंधे मनुष्य की चंगाई को देख मनुष्यों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उन्होंने परमेश्वर की महिमा और स्तुति की।


Chapter 19

1 वह यरीहो में प्रवेश करके जा रहा था। 2 वहाँ जक्कई* नामक एक मनुष्य था, जो चुंगी लेनेवालों का सरदार और धनी था। 3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है? परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। 4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि यीशु उसी मार्ग से जानेवाला था। 5 जब यीशु उस जगह पहुँचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उससे कहा, “हे जक्कई, झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।” 6 वह तुरन्त उतरकर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। 7 यह देखकर सब लोग कुड़कुड़ाकर कहने लगे, “वह तो एक पापी मनुष्य के यहाँ गया है।” 8 जक्कई ने खड़े होकर प्रभु से कहा, “हे प्रभु, देख, मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूँ, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूँ।” (निर्ग. 22:1) 9 तब यीशु ने उससे कहा, “आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिए कि यह भी अब्राहम का एक पुत्र* है। 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूँढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।” (मत्ती 15:24, यहे. 34:16)

11 जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उसने एक दृष्टान्त कहा, इसलिए कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे, कि परमेश्‍वर का राज्य अभी प्रगट होनेवाला है। 12 अतः उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पा कर लौट आए। 13 और उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।’ 14 “परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे।

15 “जब वह राजपद पा कर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उसने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन-देन से क्या-क्या कमाया। 16 तब पहले ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरे मुहर से दस और मुहरें कमाई हैं।’ 17 उसने उससे कहा, ‘हे उत्तम दास, तू धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासयोग्य निकला अब दस नगरों का अधिकार रख।’ 18 दूसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, तेरी मुहर से पाँच और मुहरें कमाई हैं।’ 19 उसने उससे कहा, ‘तू भी पाँच नगरों पर अधिकार रख।’ 20 तीसरे ने आकर कहा, ‘हे स्वामी, देख, तेरी मुहर यह है, जिसे मैंने अँगोछे में बाँध रखा था। 21 क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिए कि तू कठोर मनुष्य है: जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तूने नहीं बोया, उसे काटता है।’ 22 उसने उससे कहा, ‘हे दुष्ट दास, मैं तेरे ही मुँह से* तुझे दोषी ठहराता हूँ। तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूँ, जो मैंने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैंने नहीं बोया, उसे काटता हूँ; 23 तो तूने मेरे रुपये सर्राफों को क्यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता?’ 24 और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, ‘वह मुहर उससे ले लो, और जिसके पास दस मुहरें हैं उसे दे दो।’ 25 उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास दस मुहरें तो हैं।’ 26 ‘मैं तुम से कहता हूँ, कि जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा। 27 परन्तु मेरे उन बैरियों को जो नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूँ, उनको यहाँ लाकर मेरे सामने मार डालो’।”

28 ये बातें कहकर वह यरूशलेम की ओर उनके आगे-आगे चला। 29 और जब वह जैतून नाम पहाड़ पर बैतफगे और बैतनिय्याह के पास पहुँचा, तो उसने अपने चेलों में से दो को यह कहके भेजा, 30 “सामने के गाँव में जाओ, और उसमें पहुँचते ही एक गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ, बन्धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोलकर लाओ। 31 और यदि कोई तुम से पूछे, कि क्यों खोलते हो, तो यह कह देना, कि प्रभु को इसकी जरूरत है।”

32 जो भेजे गए थे, उन्होंने जाकर जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया। 33 जब वे गदहे के बच्चे को खोल रहे थे, तो उसके मालिकों ने उनसे पूछा, “इस बच्चे को क्यों खोलते हो?” 34 उन्होंने कहा, “प्रभु को इसकी जरूरत है।” 35 वे उसको यीशु के पास ले आए और अपने कपड़े उस बच्चे पर डालकर यीशु को उस पर बैठा दिया। 36 जब वह जा रहा था, तो वे अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे। (2 राजा. 9:13) 37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुँचा, तो चेलों की सारी मण्डली उन सब सामर्थ्य के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्दित होकर बड़े शब्द से परमेश्‍वर की स्तुति करने लगी: (जक. 9:9)

    38 “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है!

     स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)

39 तब भीड़ में से कितने फरीसी उससे कहने लगे, “हे गुरु, अपने चेलों को डाँट।” 40 उसने उत्तर दिया, “मैं तुम में से कहता हूँ, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।”

41 जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया। 42 और कहा, “क्या ही भला होता, कि तू; हाँ, तू ही, इसी दिन में कुशल की बातें जानता, परन्तु अब वे तेरी आँखों से छिप गई हैं। (व्य. 32:29, यशा. 6:9-10) 43 क्योंकि वे दिन तुझ पर आएँगे कि तेरे बैरी मोर्चा बाँधकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएँगे। 44 और तुझे और तेरे साथ तेरे बालकों को, मिट्टी में मिलाएँगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तूने वह अवसर जब तुझ पर कृपादृष्‍टि की गई न पहचाना।”

45 तब वह मन्दिर में जाकर बेचनेवालों को बाहर निकालने लगा। 46 और उनसे कहा, “लिखा है; ‘मेरा घर प्रार्थना का घर होगा,’ परन्तु तुम ने उसे डाकुओं की खोह बना दिया है।” (यशा. 56:7, यिर्म. 7:11) 47 और वह प्रतिदिन मन्दिर में उपदेश देता था : और प्रधान याजक और शास्त्री और लोगों के प्रमुख उसे मार डालने का अवसर ढूँढ़ते थे। 48 परन्तु कोई उपाय न निकाल सके; कि यह किस प्रकार करें, क्योंकि सब लोग बड़ी चाह से उसकी सुनते थे।



Luke 19:1

एक मनुष्य था

अब कहानी में एक नया मनुष्य आता है, आपकी भाषा में किसी नए मनुष्य का प्रवेश व्यक्त करने की अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

Luke 19:3

वह यीशु को देखना चाहता था

“जक्कई देखना चाहता था कि यीशु कौन है”

गूलर के पेड़

गूलर एक छोटा गोल फल होता है, लगभग 2. से.मी. का। इसका अनुवाद केवल “अंजीर का वृक्ष” या “वृक्ष” मात्र ही किया जा सकता है।

वह नाटा था

“वह कद में छोटा था”

Luke 19:5

उस जगह

“उस वृक्ष के नीचे” या “जहाँ जक्कई था”

वह तो एक पापी मनुष्य के यहाँ जा उतरा है

“यीशु एक पापी के घर में गया है”

एक पापी

“एक प्रकट पापी” या “वास्तव में एक पापी” (यू.डी.बी.) या “एक सन्देहरहित पापी”

Luke 19:8

प्रभु

यह यीशु के सन्दर्भ में है

आज इस घर में उद्धार आया है

इस भाववाचक संज्ञा “उद्धार” का अनुवाद “उद्धार करना” क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने इस परिवार का उद्धार किया है”

इस घर में

यहाँ जिस शब्द का अनुवाद “घर” किया गया है उसका अर्थ है घर में रहने वाले लोग या परिवार (देखें: Metonymy)

यह भी

“यह मनुष्य भी” या “जक्कई भी”

अब्राहम का पुत्र

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “अब्राहम का वंशज” या (2) “जिस व्यक्ति का विश्वास अब्राहम के जैसा है”

खोए हुओं को

“परमेश्वर से दूर हो गए मनुष्यों को” या “जो पाप करके परमेश्वर से दूर हो गए हैं”

Luke 19:11

परमेश्वर का राज्य अभी प्रकट होनेवाला है

“कि यीशु उसी समय परमेश्वर के राज्य पर राज करेगा”

एक धनी मनुष्य

“शासक वर्ग का एक मनुष्य” या “किसी महत्त्वपूर्ण परिवार का एक सदस्य”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “एक महत्त्वपूर्ण मनुष्य” या “ऊँचा पद रखनेवाला एक मनुष्य”

राज पद पाकर लौटे

“राजा बनकर” या “अपने प्रदेश का राजा बनकर”

Luke 19:13

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

उसने .... बुलाकर

उसने शब्द उस धनवान मनुष्य के लिए काम में लिया गया है।

दस मुहरें

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “एक-एक मुहर दी”

दस मुहरें

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “दस कीमती मुहरें” या “बहुत पैसा दिया”। एक मुहर लगभग चार महीनों की मजदूरी होती थी।

लेनदेन करना

“इससे व्यापार करना” या “इससे और अधिक धन कमाना”

नगर के रहने वाले

“उसके देश के नागरिक”

दूतों

“प्रतिनिधियों” या “सन्देशवाहकों”

(और ऐसा हुआ)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

राजपद पाकर

“राजा बन कर”

क्या-क्या कमाया

“उन्होंने कितना पैसा और बनाया”

Luke 19:16

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

पहले ने

“पहले सेवक ने”

आकर

इस धनवान मनुष्य के समक्ष आकर

मुहर

देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है।

धन्य

“तूने बहुत अच्छा काम किया है” आपकी भाषा में नियोजक अनुमोदन दर्शाने के शब्द काम में लेता होगा जैसे “अच्छा काम किया”

Luke 19:18

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

तेरी मुहर से पाँच और मुहरें कमाई हैं

इसका अनुवाद किया जा सकता है “हे प्रभु तूने मुझे जो मुहरें दी थी उनसे मैंने पाँच और अधिक अर्जित की हैं।

मुहर

देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है।

तू पाँच नगरों पर हाकिम हो

“तू पाँच नगरों पर अधिकारी होगा”

Luke 19:20

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

मुहर

देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है।

तू कठोर मनुष्य है

“तू निर्दयी है” या “तू एक ऐसा मनुष्य है जो सेवकों से अनावश्यक अपेक्षा करता है”। या “एक निष्ठुर मनुष्य है” (यू.डी.बी.)

जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “तूने जहाँ निवेश नहीं किया वहां से पाना चाहता है” या “जो तेरा नहीं उसे पाना चाहता है” यह एक लोकोक्ति है जो लालची मनुष्य का चरित्र दर्शाती है।

काटता है

काटता है अर्थात “फसल उठाता है” या “एकत्र करता है” या “उठाता है”

जो तूने नहीं बोया उसे काटता है

“जो फसल तेरी नहीं, उसे काटता है” यह एक रूपक है। वह सेवक अपने स्वामी की तुलना एक ऐसे किसान से कर रहा था जो दूसरों की खेती से अपना भोजन लेता है।

Luke 19:22

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

तू कठोर मनुष्य है

“निष्ठुर मनुष्य”

कठोर मनुष्य हूँ... उठा लेता

वह अपने सेवक के शब्दों को दोहरा रहा था वह स्वीकार नहीं कर रहा था कि यह सत्य है।

तूने मेरे रुपये... क्यों नहीं रख दिए?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है जो झिड़की के लिए है। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुझे मेरी मुहर सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दी”।

सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दिए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बैंक में क्यों नहीं डाल दिया। जिन संस्कृतियों में बैंक नहीं है वहां अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ब्याज पर क्यों नहीं चढ़ा दिया”?

सर्राफ

सर्राफ ब्याज पर पैसा चलाते हैं। वे आपके पैसों को किसी को ब्याज पर देंगे और ब्याज का एक भाग आपको दे देंगे

ब्याज समेत ले लेता

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं” आकर अपनी मुहरें और उसका ब्याज वसूल कर लेता” (यू.डी.बी.) या “मैं आकर उसका लाभ उठाता”

ब्याज

पैसों पर कमाया हुआ अतिरिक्त धन।

Luke 19:26

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

मैं तुझ से कहता हूँ

यह राजा के वचन हैं। कुछ अनुवादक इसका आरंभ इस प्रकार करते हैं, “और राजा ने कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ”, या “परन्तु राजा ने कहा,मैं यह कहता हूँ”।

जिसके पास

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो दी हुई सम्पत्ति का उचित उपयोग करता है” या “जो मेरी दी हुई सम्पत्ति लाभकारी उपयोग करता है”

उसे दिया जाएगा

इसका अनुवाद कर्तृवाय वाक्य में किया जा सकता है, “मैं उसे और दूंगा”

जिसके पास नहीं है

इसका अनुवाद हो सकता है, “जो दी हुई सम्पत्ति का लाभकारी उपयोग नहीं करता है”।

मेरे उन बैरियों को

क्योंकि उसके बैरी वहां उपस्थित नहीं हैं इसलिए कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद इस प्रकार किया गया है, “मेरे वे बैरी” (यह शिक्षाप्रद कथा का समापन है और जक्कई के घर में होने वाले संवाद का अनत है)।

Luke 19:28

ये बातें कह कर वह

“वह” यीशु के लिए प्रयुक्त सर्वनाम है न कि पिछले गद्यांश में राजा के लिए। कुछ अनुवादों में स्पष्ट किया गया है, “जब यीशु ये बातें कह चुका”

यरूशलेम की ओर उनके आगे-आगे चला।

यरूशलेम यरीहो से लगभग 975 मीटर की ऊंचाई पर है।

Luke 19:29

(और ऐसा हुआ कि)

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

पास पहुंचा

“वह” अर्थात यीशु। उसके शिष्य उसके साथ थे।

बैतफगे

बैतफगे जैतून पर्वत पर स्थित एक गांव था। जैतून पर्वत यरूशलेम से किद्रोन नाले के पास था।

जैतून नामक पहाड़

“जैतून पर्वत कहलाने वाला पर्वत” या “जैतून के पेड़ों का पर्वत”

Luke 19:32

जो भेजे गए थे

इसका कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “जिन्हें यीशु ने भेजा था” या “यीशु ने जिन दो शिष्यों को भेजा था”।

अपने -अपने कपड़े..... डालकर

“गधे के बच्चे पर अपने बाहरी वस्त्र डालकर”

अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लोगों ने अपने वस्त्र मार्ग में बिछाए” या “अन्य जनों ने अपने चोगे मार्ग में बिछाए”

Luke 19:37

निकट आते हुए

“जब यीशु निकट आ रहा था” या “जब यीशु पहुंच रहा था”, “यीशु के शिष्य उसके साथ चल रहे थे।

उन सब सामर्थ्य के कामों

इसका अनुवाद हो सकता है, “उन्होंने यीशु के उन आश्चर्य के कामों को देखा था”।

धन्य है वह राजा

वे यीशु के लिए ऐसा नारा लगा रहे थे

प्रभु

परमेश्वर

आकाश मण्डल में महिमा हो

इसका अनुवाद हो सकता है, “सर्वोच्च परमेश्वर की स्तुति हो”, या “परम-प्रधान की स्तुति हो”। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है जिसमें कहा जा सकता है कि कौन स्तुति करेगा, जैसा यू.डी.बी में है।

Luke 19:39

अपने चेलों को डांट

इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने अनुयायियों को ऐसा करने से रोक”।

मैं तुमसे कहता हूँ

यीशु ने अपनी अगली बात पर बल देने के लिए इस उक्ति का उपयोग किया था।

यदि ये चुप रहे

यह एक काल्पनिक परिस्थिति है। कुछ अनुवादकों के लिए आवश्यक होगा कि यीशु के अभिप्रेत अर्थ को प्रकट करें, “नहीं, मैं उन्हें डांटूँगा नहीं क्योंकि यदि ये चुप हो गए तो ....”

पत्थर चिल्ला उठेंगे

“पत्थर स्तुति करने लगेंगे”

Luke 19:41

जब वह निकट आया

“पहुंचा” या “पास में आया”

नगर

यरूशलेम नगर

उस पर रोया

“उस” यरूशलेम के लिए सर्वनाम है परन्तु इसका अभिप्राय वहां के नागरिकों से है। (देखें: Metonymy)

बातें जानता

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं कैसे चाहता हूँ कि तुम जानते” या “मैं अत्यधिक दुखी हूँ क्योंकि तुम नहीं जानते” यह एक दुहाई है। वह अपना दुःख प्रकट कर रहा था कि यरूशलेमवासी इन बातों को नहीं जानते थे। इस वाक्य के अन्त में सलंग्न जानकारी जोड़ी जा सकती हे, “तो तुम कुशल से रहते”।

तुम

यहाँ “तुम” शब्द एकवचन में है क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है परन्तु यदि आपकी भाषा में एकवचन सामान्य हो तो बहुवचन ही काम में लें जो नगरवासियों के संदर्भ में होगा।

वे तेरी आंखों से छिप गई हैं

इसका अनुवाद होगा, “तुम देख नहीं सकते”। या “तुम उसे समझने में असमर्थ हो”

Luke 19:43

x

(यीशु यरूशलेम नगर के बाहर बातें कर रहा है)

क्योंकि

आगे की बातें यीशु के दुःख का कारण प्रकट करेंगी।

वे दिन तुझ पर आएंगे

इससे उनके कठिन समय का बोध होता है। कुछ भाषाओं में आनेवाले समय को व्यक्त नहीं किया जा सकता है। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “भविष्य में तेरे साथ ऐसा होगा” या “तू शीघ्र ही कष्ट का समय देखेगा”।

तुम

“तुझे” एकवचन है क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है। परन्तु यदि आपकी भाषा में एकवचन असामान्य प्रतीत हो तो बहुवचन ही का उपयोग करें जो नगरवासियों के संदर्भ में होगा।

मोर्चा बांधकर

घेराव करके जिससे कि नगरवासियों का बाहर आना जाना बन्द हो जाए।

मिट्टी में मिलाएंगे

क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है इसलिए यह अपनी शहरपनाह और ईमारतों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे तेरी शहरपनाह को नाश कर देंगे और तेरी ईमारतों को तेरे नगर को नष्ट कर देंगे।

तेरे बालकों को जो तुझ में हैं।

अर्थात नगरवासियों को। यदि आपने “तुझ” का बहुवचन काम में लिया है तो इसका अनुवाद होगा “वे नगर में तुम लोगों को घात करेंगे”।

पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे

यह अतिशयोक्ति है जिसके द्वारा उस पत्थरों के नगर का सर्वनाश की भविष्यद्वाणी की गई है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे स्वामी पत्थर यथास्थान नहीं रहने देंगे।”

तूने.... न पहचाना

“तूने समझा नहीं” या “तूने स्वीकार नहीं किया”।

Luke 19:45

बाहर निकालने लगा

“बाहर फेंकने लगा” या “खदेड़ने लगा” या “हटने पर विवश करने लगा”।

लिखा है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा है। यह यशायाह की पुस्तक का उद्धरण है।

मेरा घर

“मेरा” शब्द परमेश्वर के लिए है।

प्रार्थना का घर

“मनुष्यों के लिए मुझ से प्रार्थना करने का स्थान”

डाकुओं की खोह

“डाकुओं कि छिपने का स्थान” यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है, “डाकुओं की गुफा के समान”

Luke 19:47

मन्दिर में

“मन्दिर परिसर में” या “मन्दिर

प्रधान याजक

“सबसे बड़ा पुरोहित” या “सर्व प्रतिष्ठित पुरोहित”

सब लोग बड़ी चाह से उसकी सुनते थे

“यीशु की बातों पर कान लगाते थे”


Translation Questions

Luke 19:2

यीशु को देखने के लिए कौन पेड़ पर चढ़़ गया था, उसका व्यवसाय क्या था और समाज में उसका क्या स्थान था?

वह जक्कई था, एक धनवान चूंगी लेने वाला।

Luke 19:7

यीशु जक्कई के घर गया तो लोग क्या कहने लगे?

लोग कहने लगे, "वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है"।

Luke 19:9

जक्कई ने गरीबों को दान देने का वचन दिया तो यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "आज इस घर में उद्धार आया है"।

Luke 19:11

यीशु के यरूशलेम प्रवेश के समय मनुष्य क्या सोच रहे थे?

वे सोचते थे कि परमेश्वर का राज्य उसी समय आएगा।

Luke 19:12

यीशु के इस दृष्टान्त में वह कुलीन मनुष्य यात्रा के लिए कहाँ जा रहा था?

वह राज्य प्राप्त करने दूर देश को जा रहा था, वह फिर लौटेगा।

Luke 19:17

यीशु ने मुहरों को बढ़ाने वालों को क्या दिया?

उसने उन्हें नगरों पर राज करने का अधिकार दिया।

Luke 19:21

उस दुष्ट सेवक के विचार में वह धनवान मनुष्य कैसा था?

उसने सोचा कि उसका स्वामी एक कठोर व्यक्ति है।

Luke 19:24

उसके स्वामी ने उसके साथ क्या किया?

उसने अपने दास से मुहर ले ली।

Luke 19:27

जो नहीं चाहते थे कि वह उन पर राज्य करे उसके साथ उसने क्या किया?

उसके स्वामी ने राज्य के विरोधियों को उसने सामने घात किया।

Luke 19:30

यरूशलेम में प्रवेश हेतु यीशु ने कैसे पशु की सवारी की थी?

गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ था।

Luke 19:38

यीशु जैतून के पर्वत पर से उतर रहा था तब जनसमूह क्या नारा लगा रहा था?

लोग ऊंचे शब्दों में कहने लगे, "धन्य है वह राजा जो प्रभु के नाम से आता है"।

Luke 19:40

??

यदि मनुष्य आनन्द से नारा लगाना छोड़ दे "तो यीशु ने कहा क्या होगा?"

Luke 19:41

नगर के निकट आने पर यीशु को क्या हुआ?

यीशु रोया।

Luke 19:44

यीशु की भविष्यद्वाणी के अनुसार वहाँ के निवासियों और उस नगर का क्या होगा?

यीशु ने कहा कि उसके बैरी निवासियों को घात करेंगे और वहाँ पत्थर पर पत्थर नहीं रहेगा।

Luke 19:47

यीशु मन्दिर में शिक्षा दे रहा था तो कौन उसकी हत्या करना चाहते थे?

महायाजक, शास्त्री अनेक पुरनिये यीशु को मार डालने का षड्यंत्र रचने लगे।

Luke 19:48

वे उस समय उसकी हत्या क्यों नहीं कर पाए?

क्योंकि लोग ध्यान लगाकर उसकी बातें सुनते थे।


Chapter 20

1 एक दिन ऐसा हुआ कि जब वह मन्दिर में लोगों को उपदेश देता और सुसमाचार सुना रहा था, तो प्रधान याजक और शास्त्री, प्राचीनों के साथ पास आकर खड़े हुए। 2 और कहने लगे, “हमें बता, तू इन कामों को किस अधिकार से करता है, और वह कौन है, जिसने तुझे यह अधिकार दिया है?” 3 उसने उनको उत्तर दिया, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; मुझे बताओ 4 यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?” 5 तब वे आपस में कहने लगे, “यदि हम कहें, ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह कहेगा; ‘फिर तुम ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?’ 6 और यदि हम कहें, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तो सब लोग हमें पत्थराव करेंगे, क्योंकि वे सचमुच जानते हैं, कि यूहन्ना भविष्यद्वक्ता था।” 7 अतः उन्होंने उत्तर दिया, “हम नहीं जानते, कि वह किस की ओर से था।” 8 यीशु ने उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता कि मैं ये काम किस अधिकार से करता हूँ।”

9 तब वह लोगों से यह दृष्टान्त कहने लगा, “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और किसानों को उसका ठेका दे दिया और बहुत दिनों के लिये परदेश चला गया। (मर. 12:1-12, मत्ती 21:33-46) 10 नियुक्त समय पर उसने किसानों के पास एक दास को भेजा, कि वे दाख की बारी के कुछ फलों का भाग उसे दें, पर किसानों ने उसे पीटकर खाली हाथ लौटा दिया। 11 फिर उसने एक और दास को भेजा, ओर उन्होंने उसे भी पीटकर और उसका अपमान करके खाली हाथ लौटा दिया। 12 फिर उसने तीसरा भेजा, और उन्होंने उसे भी घायल करके निकाल दिया। 13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ 14 जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’ 15 और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा? 16 वह आकर उन किसानों को नाश करेगा, और दाख की बारी दूसरों को सौंपेगा।” यह सुनकर उन्होंने कहा, “परमेश्‍वर ऐसा न करे।” 17 उसने उनकी ओर देखकर कहा, “फिर यह क्या लिखा है:

     ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था,

     वही कोने का सिरा हो गया।’ (भज. 118:22, 23)

18 जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा वह चकनाचूर हो जाएगा*, और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।” (दानि. 2:34,35)

19 उसी घड़ी शास्त्रियों और प्रधान याजकों ने उसे पकड़ना चाहा, क्योंकि समझ गए थे, कि उसने उनके विरुद्ध दृष्टान्त कहा, परन्तु वे लोगों से डरे। 20 और वे उसकी ताक में लगे और भेदिये भेजे, कि धर्मी का भेष धरकर उसकी कोई न कोई बात पकड़ें, कि उसे राज्यपाल के हाथ और अधिकार में सौंप दें। 21 उन्होंने उससे यह पूछा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन् परमेश्‍वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। 22 क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं?” 23 उसने उनकी चतुराई को ताड़कर उनसे कहा, 24 “एक दीनार मुझे दिखाओ। इस पर किसकी छाप और नाम है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।” 25 उसने उनसे कहा, “तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर को दो।” 26 वे लोगों के सामने उस बात को पकड़ न सके, वरन् उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए।

27 फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उनमें से कुछ ने उसके पास आकर पूछा। 28 “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये यह लिखा है, ‘यदि किसी का भाई अपनी पत्‍नी के रहते हुए बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्‍नी से विवाह कर ले, और अपने भाई के लिये वंश उत्‍पन्‍न करे।’ (उत्प. 38:8, व्य. 25:5) 29 अतः सात भाई थे, पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया। 30 फिर दूसरे, 31 और तीसरे ने भी उस स्त्री से विवाह कर लिया। इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए। 32 सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। 33 अतः जी उठने पर वह उनमें से किस की पत्‍नी होगी, क्योंकि वह सातों की पत्‍नी रह चुकी थी।” 34 यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के सन्तानों में तो विवाह-शादी होती है, 35 पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, की उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उनमें विवाह-शादी न होगी। 36 वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्‍वर के भी सन्तान होंगे। 37 परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, वह प्रभु को ‘अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर’ कहता है। (निर्ग. 3:2, निर्ग. 3:6) 38 परमेश्‍वर तो मुर्दों का नहीं परन्तु जीवितों का परमेश्‍वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।” 39 तब यह सुनकर शास्त्रियों में से कितनों ने कहा, “हे गुरु, तूने अच्छा कहा।” 40 और उन्हें फिर उससे कुछ और पूछने का साहस न हुआ*।

41 फिर उसने उनसे पूछा, “मसीह को दाऊद की सन्तान कैसे कहते हैं? 42 दाऊद आप भजन संहिता की पुस्तक में कहता है:

     ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा,

    43 मेरे दाहिने बैठ,

     जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों तले की चौकी न कर दूँ।’

44 दाऊद तो उसे प्रभु कहता है; तो फिर वह उसकी सन्तान कैसे ठहरा?”

45 जब सब लोग सुन रहे थे, तो उसने अपने चेलों से कहा। 46 “शास्त्रियों से सावधान रहो*, जिनको लम्बे-लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना अच्छा लगता है, और जिन्हें बाजारों में नमस्कार, और आराधनालयों में मुख्य आसन और भोज में मुख्य स्थान प्रिय लगते हैं। 47 वे विधवाओं के घर खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये बहुत ही दण्ड पाएँगे।”



Luke 20:1

ऐसा हुआ कि

यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

Luke 20:3

उसने उनको उत्तर दिया

यीशु ने कहा

यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्यों को बपतिस्मा देने का अधिकार यूहन्ना को स्वर्ग से मिला था या मनुष्यों से? या “परमेश्वर ने यूहन्ना को बपतिस्मा देने के लिए कहा था या मनुष्यों ने”?

स्वर्ग से

“परमेश्वर से” यहूदी परमेश्वर का नाम, “यहोवा” अपने मुंह पर नहीं लाते थे। वे परमेश्वर के लिए स्वर्ग शब्द का उपयोग करते थे। (देखें: metonymy)

Luke 20:5

वे आपस में कहने लगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने आपस में विचार किया” या “उन्होंने उत्तर खोजा”

स्वर्ग से

“परमेश्वर से”, यह निर्भर करता है कि पिछले पद में प्रश्न का अनुवाद कैसे किया गया है। इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने दिया” या “परमेश्वर ने अधिकार दिया” कुछ भाषाओं में परोक्ष अभिव्यक्ति अधिक उचित होती हे। इस वाक्य के आरंभ का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि हम कहते हैं कि परमेश्वर ने उसे अधिकार दिया है”।

वो वह कहेगा

“तो यीशु कहेगा”

पथराव करेंगे

“पत्थर मारकर हमारी हत्या कर देंगे। परमेश्वर के विधान में एक आज्ञा थी कि यदि कोई परमेश्वर की या उसके भविष्यद्वक्ताओं की निन्दा करे तो उसे पत्थरवाह किया जाए।

Luke 20:7

अतः उन्होंने उत्तर दिया

“प्रधान पुरोहित, विधि-शास्त्रियों तथा पुरनियों ने कहा”

हम नहीं जानते कि वह किसकी ओर से था

कुछ भाषाओं में अपरोक्ष उद्धरण उचित होता है, “उन्होंने कहा, हम नहीं जानते”

वह किसकी ओर से था

“यूहन्ना का बपतिस्मा किसके अधिकार से था” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यूहन्ना को बपतिस्मा देने का अधिकार किसने दिया था” या “यूहन्ना किसके अधिकर से बपतिस्मा देता था”।

मैं भी तुमको नहीं बताता

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं भी नहीं बताऊंगा” या “तुम मुझे बताना नहीं चाहते तो मैं भी तुम्हें नहीं बताऊंगा”।

Luke 20:9

किसानों को उसका ठेका दे दिया

“किसानों को किराए पर दे दिया” या “किसानों को सौंप दिया कि उसकी फसल संभालें ओर उसे लाभ का अंश दें”।

किसान

दाख की बारी को संभालने और दाख की उपज उठाने वाले लोग, “दाख उत्पादक”

दाख की बारी के कुछ फलों का भाग

“कुछ दाख” या “दाख की फसल का अंश” इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि दाख का उत्पाद या उसकी आय का पैसा।

छूछे हाथ लौटा दिया

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे कुछ नहीं दिया और भगा दिया” या “उसे दाख दिए बिना भेज दिया”।

Luke 20:11

x

(यीशु वही कथा सुना रहा है)

उसका आगमन करके

“उसके साथ बुरा व्यवहार करके”

घायल करके

“मार पीट कर”

तीसरा भेजा

यहाँ अनुवाद में “तौ भी” शब्द नहीं है जिसका अर्थ है कि उस दाख की बारी के स्वामी को दूसरा सेवक भेजने की आवश्यकता नहीं थी परन्तु उसने दूसरा ही नहीं तीसरा सेवक भी भेजा।

Luke 20:13

x

(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

किसानों ने उसे देखा

“जब उन किसानों ने स्वामी के पुत्र को देखा”

Luke 20:15

x

(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

दाख की बारी के बाहर निकाला

“किसानों ने उसके पुत्र को दाखकी बारी के बाहर ले जाकर मार डाला”

दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?

यीशु इस अलंकारिक प्रश्न द्वारा दाख की बारी के स्वामी की प्रतिक्रिया पर श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करवाना चाहता था। इसका अनुवाद आज्ञा सूचक वाक्य में किया जा सकता है, “अब सुनो कि दाख की बारी का स्वामी उसके साथ क्या करेगा”।

परमेश्वर करे ऐसा न हो।

“परमेश्वर ऐसा न होने दे” या “ऐसा कभी न हो” श्रोता समझ गए थे कि परमेश्वर उन्हें यरूशलेम से विस्थापित करेगा क्योंकि उन्होंने मसीह को त्याग दिया था। अतः उन्होंने अपनी प्रबल इच्छा व्यक्त की कि ऐसा दुर्भाग्य उन पर आए।

Luke 20:17

x

(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है)

उसने उनकी ओर देख कर

“यीशु ने उन्हें घूर कर” या “सीधा उनकी ओर देखकर”, यीशु ने ऐसा इसलिए किया कि वह उन्हें अपनी बात को समझने का लेखादायी माने।

फिर यह क्या लिखा है

इस अलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धर्मशास्त्र का यह संदर्भ क्या अर्थ रखता है”? या “तुम्हें धर्मशास्त्र को समझना है”।

जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने का सिरा हो गया।

यह रूपक भजनसंहिता की भविष्यद्वाणी है कि मनुष्य मसीह का परित्याग करेंगे।

जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया।

“जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने किसी काम का नहीं” कहा या “उस युग में गृह-निर्माण के लिए पत्थर काम में आते थे।

कोने का सिरा

यह ईमारत को दृढ़ता प्रदान करने के लिए लगाया जाता था। इसका उनुवाद हो सकता है, “प्रमुख पत्थर” या “सबसे अधिक महत्वपूर्ण पत्थर”

जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा

“जो भी उस पत्थर पर गिरेगा” यह एक रूपक भी एक भविष्यद्वाणी है कि मसीह का त्याग करनेवाले हर एक मनुष्य का क्या होगा।

चकनाचूर हो जायेगा

“टुकड़े-टुकड़ें हो जायेगा, “उस पत्थर पर गिरने का परिणाम ऐसा होगा।

जिस पर वह गिरेगा

यह मसीह का त्याग करनेवालों को दण्ड देने की भविष्यद्वाणी के लिए काम में लिया गया एक रूपक है।

Luke 20:19

उसे पकड़ना चाहा

“यीशु को बन्दी बनाने का उपाए खोजा” पकड़े का अर्थ है बन्दी बनाना।

उसी घड़ी

“तुरन्त”

लोगों से डरे

यीशु को उसी पल न पकड़ने का कारण यही था। लोग यीशु को मान प्रदान करते थे। जिसके कारण धर्म के अगुवे डरते थे कि यदि वे यीशु को बन्दी बनायेंगे तो जनता उसका क्या करेगी। कुछ अनुवादकों को इसे स्पष्ट करना होगा”, उन्होंने उसे बन्दी नहीं बनाया क्योंकि वे जनता से डरते थे।

भेदिए भेजे

“विधि-शास्त्रियों और प्रधान पुरोहितों ने यीशु की गतिविधियों की निगरानी हेतु गुप्त में मनुष्य नियुक्त किए”

उसकी कोई न कोई बात पकड़ें

“वे यीशु की किसी ऐसी बात को पकड़े जो नियम विरोधी हो”।

ताकि उसे हाकिम के हाथ और अधिकार में सौंप दें।

“उसे प्रशासक के समक्ष उपस्थित करने हेतु” या “कि वे उसे प्रशासक को सौंप दें”

हाकिम के हाथ और अधिकार में

“हाथ” ओर “अधिकार” एक ही बात को कहने की दो विधियां हैं। इसके अनुवाद में एक ही रखें। यीशु को प्रशासक के समक्ष उपस्थित करने का कारण स्पष्ट करने की आवश्यकता है, “कि प्रशासक यीशु को दण्ड दे”।

Luke 20:21

तू ठीक कहता और सिखाता भी है

उस भेदिए ने यीशु के बारे में प्रचलित विचार व्यक्त किया

किसी का पक्षपात नहीं करता

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) चाहे बड़े से बड़ा मनुष्य पसन्द न करे तू सच्ची बात ही बोलता है” (यू.डी.बी.) या “तू किसी एक का पक्ष नहीं लेता है”

क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, या नहीं?

वे सोच रहे थे कि यीशु, “हाँ” कहेगा तो यहूदी उसके विरुद्ध हो जायेंगे कि वह विदेशी सरकार का समर्थ है। यदि वह “नहीं” कहेगा तो धर्मगुरू रोमियों से कह देंगे कि वह रोमी नियम तोड़ने के लिए लोगों को भड़काता है।

क्या उचित है

वे परमेश्वर के विधान के अनुसार उचित जानना चाहते थे कैसर के विधान के अनुसार नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्या हमारा विधान अनुमति देता है”?

कैसर

कैसर रोमी राज्य का सम्राट था। वे रोम के लिए मात्र कैसर का नाम लेते थे।

Luke 20:23

उसने उनकी चतुराई को ताड़ कर

“यीशु उनकी धूर्तता को समझ गया” या “यीशु समझ गया कि वे उसे फसाना चाहते थे”

एक दीनार

एक दिन की मजदूरी के बराबर मूल्य का एक सिक्का

छाप और नाम

“चित्र एवं नाम”

Luke 20:25

उसने उनसे कहा

यीशु ने उन भेदियों से कहा

कैसर

कैसर का अर्थ है रोमी सरकार

उसे पकड़ न सके

“उसकी बात में कोई गलती न पकड़ पाए”

अचम्भित होकर

“चकित हुए” या “हैरान हो गए” (यू.डी.बी.)

Luke 20:27

जो कहते थे कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं।

इस वाक्यांश से सदूकियों को यहूदियों का एक पंथ माना जाता है जो कहता था कि पुनरुत्थान नहीं होता है। इसका अर्थ यह नहीं समझा जाए कि सदूकियों में कुछ पुनरुत्थान को नहीं मानते थे और कुछ मानते थे।

किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते बिना सन्तान मर जाए

“यदि किसी का भाई विवाह पश्चात निःसन्तान मर जाए”

बिना सन्तान

“सन्तान न उत्पन्न करने से पहले”

उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले

“अपने मृतक भाई की पत्नी से विवाह करे”

Luke 20:29

x

(सदूकी यीशु को एक काल्पनिक कथा सुना रहे हैं)

सात भाई थे

ऐसा होना संभव था परन्तु यह संभवतः यीशु को परखने के लिए एक काल्पनिक कहानी थी।

बिना सन्तान मर गए

“निःसन्तान मर गए” या “मर गए परन्तु सन्तान उत्पन्न नहीं कर पाए”।

दूसरे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “दूसरे ने उससे विवाह किया और ऐसा ही हुआ” या “दूसरे ने अपने मृतक भाई की पत्नी से विवाह किया परन्तु वह भी निःसन्तान मर गया”।

तीसरे ने भी उस स्त्री से विवाह किया

“तीसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह किया”

इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसी प्रकार सातों भाई उस स्त्री के पति होकर निःसन्तान मर गए”

जी उठने पर

“जब मृतक जी उठेंगे” (यू.डी.बी.) या “पुनरुत्थान के दिन” कुछ भाषाओं में सदूकियों द्वारा पुनरुत्थान में विश्वास न करने को और स्पष्ट किया गया है जैसे “तथाकथित पुनरुत्थान के दिन”, (मृतकों का जी उठना माना जाता है)

Luke 20:34

इस युग की सन्तानों में

“इस संसार के लोगों में” या इस युग के मनुष्यों में” यह स्वर्गिक प्राणियों या पुनरूत्थान के बाद के मनुष्यों में अन्तर प्रकट करता है।

विवाह होता है

उस संस्कृति में कहा जाता था कि पुरूष स्त्री से विवाह करता है और स्त्री विवाह में पुरूष को दी जाती है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “विवाह करते है”

जो लोग इस योग्य ठहरेंगे

“जिन्हें परमेश्वर ने योग्य स्वीकार किया है”

मरे हुओं के जी उठने को प्राप्त करें

“पुनरुत्थान प्राप्त करे” या “फिर जी उठें”।

वे न विवाह करेंगे ओर न विवाह में दिए जाएंगे

“विवाह नहीं करेंगे”, यह पुनरूत्थान के बाद है

वे फिर मरने के भी नहीं

इसका अनुवाद हो सकता है, “वे फिर कभी नहीं मरेंगे”, पुनरूत्थान के बाद।

परमेश्वर की भी सन्तान होंगे

“परमेश्वर की सन्तान”

पुनरुत्थान की सन्तान

“मृतकों में से जी उठे लोग”

पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्वर की भी सन्तान होंगे

इसका अनुवाद हो सकता है, “मृतकों में से जी उठने के द्वारा वे परमेश्वर की सन्तान होंगे”।

Luke 20:37

x

(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है)

इस बात को कि मरे हुए जी उठते है, मूसा ने भी ... प्रकट की है।

“परन्तु मूसा ने भी सिद्ध किया है कि मृतक जी उठते है”, यहाँ “भी” शब्द का उपयोग किया गया है क्योंकि सदूकियों के लिए धर्मशास्त्र में मृतकों के जी उठने का उल्लेख कोई आश्चर्य की बात नहीं थी परन्तु उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मूसा ऐसा कुछ कहेगा।

झाड़ी की कथा में

“धर्मशास्त्र में जहाँ उसने जलती हुई भस्म न होने वाली झाड़ी का उल्लेख किया है” या “धर्मशास्त्र में अविनाशी जलती हुई झाड़ी की चर्चा करते समय”

परमेश्वर को प्रभु को

“जब मूसा परमेश्वर को”

अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है

“अब्राहम, इसहाक और मूसा का परमेश्वर” कहता है”

परमेश्वर तो मुर्दों का नहीं

“परमेश्वर मृतकों का परमेश्वर नहीं है” या “परमेश्वर मृतकों का परमेश्वर नहीं” जिनकी आत्माएं मर चुकी हैं”।

जीवतों का परमेश्वर है

“जीवित मनुष्यों का परमेश्वर है” या “उन मनुष्यों का परमेश्वर है जिनकी आत्माएं अमर हैं”। यदि यह स्पष्ट न हो तो आपको संलग्न जानकारी व्यक्त करने की आवश्यकता होगी, “यद्यपि उनका शरीर मृतक है।

उसके निकट सब जीवित हैं

“क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में वे सब जीवित हैं” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “क्योंकि परमेश्वर जानता है कि उनकी आत्माएं जीवित हैं”

Luke 20:39

शास्त्रियों में से कुछ ने यह कहा

“कुछ विधि-शास्त्रियों ने यीशु से कहा”

उससे कुछ और पूछने का हियाव न हुआ

“वे उससे पूछने में डरे” या “उससे पूछने का साहस न किया” प्रश्नों के उद्देश्य का निहितार्थ और प्रश्न न पूछने का कारण स्पष्ट किया जा सकता है, “उन्होंने उससे और अधिक चतुराई के प्रश्न नहीं पूछे क्योंकि उन्हें डर था कि उसके उत्तर उन्हें मूर्ख सिद्ध कर देंगे”।

Luke 20:41

वे कैसे कहते हैं

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे क्यों कहते हैं कि” या “मैं उनकी इस बात पर चर्चा करूंगा”

दाऊद की सन्तान

“राजा दाऊद का वंशज”, यहाँ सन्तान शब्द का अर्थ है, वंशज। यह परमेश्वर के राज्य में राज करनेवाले के विषय में कहा गया है।

प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु कहा” या “परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा। यह एक भजन का उद्धरण है, “यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा, परन्तु यहूदी “यहोवा” शब्द का उपयोग नहीं करते थे। वे इसके स्थान में “प्रभु” शब्द का उपयोग करते थे।

मेरे प्रभु से

दाऊद मसीह को अपना प्रभु कह रहा हथा

मेरे दाहिने बैठ

दाहिनी ओर सम्मान का स्थान होता है। परमेश्वर मसीह को सम्मान देने के लिए कहता है, “मेरे दाहिने बैठ”

जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के तले न कर दूँ।

यह एक रूपक है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों की चौकी सा न कर दूँ”, या “जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे लिए जीत न लूँ”।

पाँवों के तले

“पाँवों के नीचे”

फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा?

“तो मसीह दाऊद का वंशज कैसे हुआ”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इससे स्पष्ट होता है कि मसीह दाऊद की सन्तान मात्र नहीं है”।

Luke 20:45

चौकस रहो

“सावधान रहो”।

जिनको लम्बे-लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना अच्छा लगता है।

लम्बे वस्त्र उनके महत्त्व का प्रतीक थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिनको सम्मानसूचक वस्त्र धारण करके बाहर निकलना अच्छा लगता है”।

वे विधवाओं के घर खोजते हैं

“वे विधवाओं के घर लूटते हैं”। यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “वे विधवाओं की सम्पदा हड़पते हैं”।

घर

यहाँ “घर” का अर्थ है, सम्पदा।

दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते हैं।

“वे धर्मी होने का ढोंग रखकर देर तक प्रार्थना की मुद्रा में रहते है” या “वे देर तक प्रार्थना की मुद्रा में खड़े रहते हैं कि लोग उन्हें धर्मी समझें।

दिखाने के लिए

“कि मनुष्य उन्हें वह समझे जो वे नहीं हैं” या “कि मनुष्य उन्हें अपने से अधिक अच्छा समझें”

वे बहुत ही दण्ड पाएंगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे अन्यों से अधिक दण्ड पाएंगे” या “परमेश्वर उन्हें दूसरों की तुलना में अधिक कठोर दण्ड देगा”


Translation Questions

Luke 20:4

जब यहूदियों के अगुओं ने यीशु से पूछा कि वह किस अधिकार से मन्दिर में शिक्षा देता है तो यीशु ने उनसे क्या प्रश्न किया?

यीशु ने पूछा, "यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग से था या मनुष्यों से"?

Luke 20:5

यदि वे कहते, "स्वर्ग से" तो उन यहूदी अगुओं ने क्या सोचा यीशु उनसे कहेगा?

वे सोचने लगे कि यीशु पूछेगा कि उन्होंने उसमें विश्वास क्यों नहीं किया।

Luke 20:6

यदि वे कहते "मनुष्य से" तो उन्हें जनसमूह से क्या खतरा था?

वे सोचने लगे जन समूह उन पर पत्थराव करेगा।

Luke 20:10

यीशु को इस दृष्टान्त में जब दाख की बारी को स्वामी ने फल लेने के लिए दासों को भेजा तो किसानों ने क्या किया?

उन्होंने दासों को मारा-पीटा, उन्हें लज्जित किया और खाली हाथ लौटा दिया।

Luke 20:13

अन्त में स्वामी ने उन किसानों के पास किसको भेजा?

अन्त में उसने अपने प्रिय पुत्र को भेजा।

Luke 20:15

पुत्र के बारी में आने पर किसानों ने क्या दिया?

उन्होंने उसे दाख की बारी के बाहर करके उसकी हत्या कर दी।

Luke 20:16

दाख की बारी का स्वामी उन किसानों के साथ क्या करेगा?

वह उन किसानों को नष्ट करके किसी और को दाख की बारी दे देगा?

Luke 20:19

यीशु ने यह दृष्टान्त किसके लिए सुनाया था?

उसने शास्त्रियों और महायाजकों पर यह दृष्टान्त सुनाये थे?

Luke 20:25

कैसर को कर चुकाने के औचित्य के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा जो कैसर का है वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को दो।

Luke 20:27

सदूकी किस बात में विश्वास नहीं करते थे?

वे मृतकों के पुनरूत्थान में विश्वास नहीं करते थे।

Luke 20:34

यीशु ने इस संसार और अनन्त जीवन में विवाह के बारे में क्या कहा?

विवाह, इस संसार का है अनन्त जीवन का नहीं।

Luke 20:37

पुनरूत्थान के सत्य को सिद्ध करने के लिए यीशु ने पुराने नियम से क्या संदर्भ दिया था?

यीशु ने मूसा और जलती हुई झाड़ी का उदाहरण दिया जहां परमेश्वर को अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहा गया है।

Luke 20:42

शास्त्रियों से पूछे गए प्रश्न के संबन्ध में यीशु ने भजनसंहिता से दाऊद का कौन सा अभिकथन संदर्भित किया था?

यीशु ने उद्धारण दिया, "प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, मेरे दहिने ओर बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के तले न कर दूं"।

Luke 20:47

अपने धर्म के पाखंड के पीछे वे शास्त्री क्या कुकर्म करते थे?

वे विधवाओं के घरों को खा जाते थे और दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी प्रार्थनाएं करते थे।

यीशु ने उन शास्त्रियों को क्या दण्ड बताया?

वे अधिक दण्ड पाएंगे।


Chapter 21

1 फिर उसने आँख उठाकर धनवानों को अपना-अपना दान भण्डार में डालते हुए देखा। 2 और उसने एक कंगाल विधवा को भी उसमें दो दमड़ियाँ डालते हुए देखा। 3 तब उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है। 4 क्योंकि उन सब ने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”

5 जब कितने लोग मन्दिर के विषय में कह रहे थे, कि वह कैसे सुन्दर पत्थरों और भेंट* की वस्तुओं से संवारा गया है, तो उसने कहा, 6 “वे दिन आएँगे, जिनमें यह सब जो तुम देखते हो, उनमें से यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।”

7 उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, यह सब कब होगा? और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?” 8 उसने कहा, “सावधान रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुत से मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूँ; और यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है: तुम उनके पीछे न चले जाना। (1 यूह. 4:1, मर. 13:21-23) 9 और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इनका पहले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।”

10 तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। (2 इति. 15:5-6, यशा. 19:2) 11 और बड़े-बड़े भूकम्प होंगे, और जगह-जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े-बड़े चिन्ह प्रगट होंगे। 12 परन्तु इन सब बातों से पहले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएँगे, और आराधनालयों में सौंपेंगे, और बन्दीगृह में डलवाएँगे, और राजाओं और राज्यपालों के सामने ले जाएँगे। 13 पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा। 14 इसलिए अपने-अपने मन में ठान रखो कि हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे। 15 क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूँगा, कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे। 16 और तुम्हारे माता-पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएँगे; यहाँ तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे। 17 और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे। 18 परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका न होगा*। (मत्ती 10:30, लूका 12:7) 19 “अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।

20 “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। 21 तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएँ, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएँ; और जो गाँवों में हो वे उसमें न जाएँ। 22 क्योंकि यह पलटा लेने के ऐसे दिन होंगे, जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएँगी। (व्य. 32:35, यिर्म. 46:10) 23 उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय! क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ी आपत्ति होगी। 24 वे तलवार के कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुँचाए जाएँगे, और जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्यजातियों से रौंदा जाएगा। (एज्रा 9:7, भज. 79:1, यशा. 63:18, यिर्म. 21:7, दानि. 9:26)

25 “और सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे। (भज. 46:2-3, भज. 65:7, यशा. 13:10, यशा. 24:19, यहे. 32:7, योए. 2:30) 26 और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाँट देखते-देखते लोगों के जी में जी न रहेगा* क्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी। (लैव्य. 26:36, हाग्गै 2:6, हाग्गै 2:21) 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। (प्रका. 1:7, दानि. 7:13) 28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।”

29 उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, “अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो। 30 ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है। 31 इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्‍वर का राज्य निकट है। 32 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा। 33 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।

34 “इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फन्दे के समान अचानक आ पड़े। 35 क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। (प्रका. 3:3, लूका 12:40) 36 इसलिए जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े* होने के योग्य बनो।”

37 और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था। 38 और भोर को तड़के सब लोग उसकी सुनने के लिये मन्दिर में उसके पास आया करते थे।



Luke 21:1

दान

“पैसों का दान”

भण्डार

“दान पात्र” या “मन्दिर में दान देने का पात्र” (यू.डी.बी.) यह मन्दिर में एक पात्र था जिसमें श्रद्धालु धन डालते थे।

दो दमड़ियाँ

“दो सबसे छोटे सिक्के” या “ताम्बे के दो सिक्के” उस समय की मुद्रा में इन सिक्कों का मूल्य सबसे कम था। इसका अनुवाद आपके पैसों में सबसे कम कीमत के सिक्कों में किया जा सकता है, जैसे दो पैसा”

मैं तुझ से कहता हूँ

यीशु अपने शिष्यों से कह रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन है।

सबने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी बहुतायत में से थोड़ा डाला है”

उसने अपनी घटी में से “अपनी जीविका डाल दी है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके पास बहुत थोड़ा ही था और उसने वह सब डाल दिया है”

अपनी घटी में से

“अपनी आवश्यकता में से” या “उसके पास जो थोड़ा सा था उसमें से”

Luke 21:5

भेंट की वस्तुओं

“मनुष्यों ने जो परमेश्वर को जो भेंट चढ़ाई”

वे दिन आयेंगे

“एक समय ऐसा आयेगा” या “एक दिन”

पत्थर पर पत्थर भी छूटेगा

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “हर एक पत्थर उखाड़ा जाएगा” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “शत्रु पत्थर के ऊपर पत्थर नहीं रहने देंगे।

जो ढाया न जाएगा

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “पूर्णतः नाश किया जाएगा”, इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, “शत्रु एक पत्थर को उखाड़ फेंकेंगे”

Luke 21:7

उन्होंने उससे पूछा

“शिष्यों ने यीशु से पूछा” या “यीशु के शिष्यों से उससे पूछा”

इन बातों को

जिन बातों के विषय यीशु ने अभी-अभी कहा था। यीशु ने मन्दिर के विनाश के बारे में कहा था।

भरमाए न जाओ

“कि झूठ पर विश्वास न करो”, यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा था, अतः “तुम” शब्द बहुवचन में है।

मेरे नाम से

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे होने का दावा करेंगे” या “मेरे अधिकार का दावा करेंगे”।

समय निकट आ पहुंचा है

“संसार का अन्त” या “सब बातों का अन्त”

इस समय तुरन्त अन्त न होगा

“लड़ाइयों” और बलवों के समय तुरन्त अन्त न होगा”। संज्ञा शब्द “अन्त” का अनुवाद क्रिया रूप में भी किया जा सकता है, “इन बातों के साथ संसार समाप्त नहीं होगा”

Luke 21:10

तब उसने उनसे कहा

“तब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा” क्योंकि यह पिछले पद में यीशु की बातों का ही अग्रिम भाग है इसलिए कुछ अनुवादक उचित समझते हैं कि इसका प्रस्तुतिकरण इस प्रकार किया जाए, “तब उसने उनसे कहा”।

जाति पर जाति चढ़ाई करेगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक जाति दूसरी जाति पर आक्रमण करेगी”।

राज्य

यह देश नहीं जाति है।

राज्य पर राज्य

एक राज्य दूसरे राज्य के विरूद्ध उठेगा, या “एक राजा दूसरे पर आक्रमण करेगा”

अकाल और महामारियां

“अकाल पड़ेगे” और बीमारियां फैलेंगी” या “भूख से और बीमारियों से बहुत लोग मर जायेंगे”

भयंकर बातें

“मनुष्यों को भयभीत करने वाली बातें या “ऐसी घटनाएं घटेंगी कि मनुष्य डर से कांप उठेगा”

Luke 21:12

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

इन बातों को

यीशु ने जो भयानक भावी घटनाएं सुनाई।

तुम्हें पकड़ेंगे

“तुम्हें बन्दी बनाएंगे” या “तुम्हें दबोच लेंगे” कुछ भाषाओं में कर्ता का उल्लेख करना आवश्यक होता है, “लो तुम्हें बन्दी बनाएंगे” या “बैरी तुम्हें बन्दी बनाएंगे”

तुम

यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है।

पंचायतों में सौंपेगे

“तुम्हें आराधनालयों के अगुओं के हाथों में सौंपेगें”। आराधनालयों के अगुवे यीशु के शिष्यों से संबन्ध रखने से यहूदियों का संबन्ध विच्छेद करवा देंगे क्योंकि ये यीशु के शिष्य हैं।

बन्दीगृह में डलवाएंगे

“कारावास में डलवा देंगे” या “कारावास में डाल देंगे”

तुम्हारे लिए गवाही

“मेरे बारे में अपनी गवाही देने”

Luke 21:14

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

अपने-अपने मन में ठान लो

“निश्चय कर लो” या दृढ़ संकल्प कर लो”

हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे

“आरोपों के लगाए जाने पर प्रतिवाद में अपनी सुरक्षा हेतु कुछ कहने के लिए समय से पूर्व चिन्ता नहीं करें”

बोल और बुद्धि

“बुद्धि के वचन” या “बुद्धिमानी की बातें”

मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा

“मैं तुम्हें बताऊंगा कि बुद्धि की कैसी बातें करो”

कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे

इसका अर्थ है, “तुम्हारे विरोधी निरूत्तर हो जाएंगे या तुम्हारी बात को गलत सिद्ध नहीं कर पाएंगे।

Luke 21:16

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

तुम्हें पकड़वायेंगे

“तुम्हें अधिकारियों के हाथों में सौंपा जायेंगा” या “तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जाएगा”।

कुछ को मरवा भी डालेंगे

“तुममें से कुछ को तो वे मार भी डालेंगे” इसके संभावित अर्थ हैं (1) अधिकारी तुममें से कुछ को मरवा डालेंगे” या (2) जो तुम्हें पकड़वाएंगे वे कुछ को तो मार ही डालेंगे”, पहला अर्थ अधिक उचित है।

मेरे नाम के कारण

“मेरे कारण” या “क्योंकि तुम मेरे अनुयायी हो”

परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका न होगा

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम्हारे सिर का एक-एक बाल सुरक्षित रहेगा”। यह एक अलंकार है जिसका अर्थ है, “तुम्हें कोई हानि न होगी” मनुष्य के सबसे छोटे भाग का संदर्भ देते हुए इस बात पर बल दिया जाता है कि मनुष्य पूरा का पूरा सुरक्षित रहेगा। यीशु ने पहले ही कह दिया है कि कुछ को मार डाला जाएगा। अतः कुछ विचारकों का मानना है कि इसका अभिप्राय आत्मिक सुरक्षा से है जैसा “इनसे तुम्हें वास्तव में कोई हानि न होगी” में है।

अपने धीरज से

“दृढ़ रहने के द्वारा” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुमने विश्वास न किया”

अपने प्राणों को बचाए रखोगे

“तुम जीवन पाओगे” या “सदा जीवित रहोगे”।

Luke 21:20

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “जब तुम देखो कि सेनाओं ने यरूशलेम को घेर लिया है”

तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है

“कि वह शीघ्र ही उजड़ जाएगा” या “वे शीघ्र ही उसे नष्ट कर देंगे”।

भाग जाएं

“संकट से दूर भाग जाएं”

ये बदला लेने के ऐसे दिन होंगे

“यह दण्ड के दिन होंगे” या “उन दिनों में मनुष्य को दण्ड दिया जाएगा” या “उस समय परमेश्वर इस नगर को दण्ड देगा”।

लिखी हुई सब बातें

“धर्मशास्त्र में जो बातें लिखी है”।

Luke 21:23

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

देश में बड़ा क्लेश

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) देशवासियों पर विपत्ति आएगी” या (2) देश में शारीरिक कष्ट का समय होगा”

इन लोगों पर बड़ा प्रकोप होगा

इन लोगों पर क्रोध उगला जाएगा, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ये लोग परमेश्वर के क्रोध का अनुभव करेंगे” या “परमेश्वर इन लोगों से बहुत क्रोधित होगा”। यहाँ दण्ड का सलंग्न अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “इन लोगों को दण्ड दिया जाएगा” या “परमेश्वर इन लोगों को दण्ड देगा”

वे तलवार के कौर हो जाएंगे

“वे तलवार से मारे जाएंगे” शत्रु के सैनिक उन्हें मार डालेंगे।

सब देशों के लोगों में बन्दी बनाकर पहुंचाए जाएंगे।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। उनके बैरी उन्हें बन्दी बनाकर अन्य देशों में ले जाएंगे।

यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) अन्य जातियाँ यरूशलेम को जीतकर उसमें वास करेगी या (2) अन्य जातियां यरूशलेम के निवासियों को नष्ट कर देंगी।

Luke 21:25

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

देश-देश के लोगों को संकट होगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सब जातियों के लोगों पर विपत्ति आएगी” या “सब जातियों में जिज्ञासा उत्पन्न होगी”

वे समुद्र के गरजने से घबरा जाएंगे

“क्योंकि वे समुद्र की गर्जन और लहरों की ध्वनि से घबरा जाएंगे” या “वे समुद्र की प्रबल ध्वनि एवं लहरों की तीव्र गति देख कर डर से भर जाएंगे। यह समुद्री तूफान और विनाशकारी गति के संबन्ध में है।

संसार पर आनेवाली घटनाओं

“संसार में होने वाली घटनाओं” या “संसार पर घटनाओं के घटने के कारण”

आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी

“आकाश की शक्तिशाली वस्तुएं हिल जायेंगी” इसके संभावित अर्थ है, (1) सूर्य, चाँद, सितारे अपनी सामान्य गति से विचलित हो जाएंगे या (2) आकाश की शक्तिशाली आत्माएं घबरा जाएंगी। पहला अर्थ अधिक उत्तम है।

Luke 21:27

x

(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है)

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है

बादल पर आते देखेंगे

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बादल पर सवार उतरते देखेंगे”

सामर्थ्य और महिमा के साथ

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सामर्थ्य ओर महिमा से पूर्ण” या “वह सामर्थी एवं महिमामय होगा” यहाँ सामर्थ्य का अर्थ उसके अधिकार से है कि वह संसार का न्याय करेगा। “महिमा” का यहाँ अर्थ है, तीव्र प्रकाश से आवृत्त। परमेश्वर कभी-कभी अपनी महानता तीव्र प्रकाश द्वारा दर्शाता है।

सीधे होकर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आत्म-विश्वास के साथ खड़े होकर”। जब मनुष्य डरता है तब वह झुक कर खड़ा होता है कि देखा न जाए या क्षतिग्रस्त न हो। जब वे निडर होते है तब सीना तानकर खड़े होते हैं।

अपने सिर ऊपर उठाना

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “ऊपर देखना”। आप देखने पर उन्हें अपना उद्धारक आता दिखाई देगा।

तुम्हारा छुटकारा निकट होगा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हारा उद्धारक तुम्हारे पास आ रहा है” या “तुम शीघ्र ही बचाए जाओगे”।

Luke 21:29

ज्यों ही उनमें कोपले निकलती हैं।

“जब उनमें नए पत्ते आते है”

तुम देखकर आप ही जान लेते हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य स्वयं ही देखकर समझ जाता है”,

ग्रीष्मकाल निकट है

“ग्रीष्मकाल का आरंभ होने वाला है”। इस्त्राएल में ग्रीष्मकाल बहुत सूखा होता है। अतः फसल ग्रीष्मकाल के आगमन से पूर्व ही काट ली जाती है। इसका अर्थ है, “कटनी का समय आ गया है” यह सलंग्न जानकारी है जो वे देखकर समझ जाते हैं।

परमेश्वर का राज्य निकट है।

परमेश्वर का राज्य शीघ्र ही स्थापित होगा” या “परमेश्वर अपने राज्य पर शासन करेगा”

Luke 21:32

इस पीढ़ी

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) वह पीढ़ी जो यीशु द्वारा बताए गए चिन्हों में से पहला देखेगी या (2) जिस पीढ़ी से यीशु बातें कर रहा था। पहला अधिक संभव है।

आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे

“आकाश और पृथ्वी का अन्त हो जाएगा” यहाँ आकाश का अर्थ है ब्रह्माण्ड और उसके परे सब कुछ”

मेरी बातें कभी न टलेंगी

“मैंने जो कहा है वह अटल है”, या “मेरे वचन अचूक हैं”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मेरा कहा पूरा होकर रहेगा” या “मैंने जो कह दिया वह अवश्य होगा”।

Luke 21:34

ऐसा न हो कि तुम्हारे मन सुस्त हो जाएं

“कि तुम व्यस्त न हो जाओ”

मतवालेपन

“असंयम भोग-विलास” या “अच्छी लगनेवाली बातों में लीन हो जाएं” इसका अनुवाद विशिष्ट उदाहरण देकर किया जा सकता है, जैसे अत्यधिक सुखभोग”।

जीवन की चिन्ताओं

“इस जीवन में बहुत चिन्ता करने में”

वह दिन.... अकस्मात आ पड़े

कुछ अनुवादकों को निहितार्थ व्यक्त करने की आवश्यकता पड़ेगी, “यदि तुम सतर्क नहीं रहे तो वह दिन अचानक आ जाएगा” जो सतर्क न रहें और प्रतीक्षारत न रहें उनके लिए वह दिन अचानक ही होगा।

वह दिन

इसका अनुवाद अधिक निश्चित रूप में किया जा सकता है, “वह दिन जब मनुष्य का पुत्र आएगा”

फन्दे के समान अचानक

यह एक उपमा है जिसका अर्थ है, जब तुम्हें उसकी आशा न हो जैसे कि फन्दा अचानक ही पशु को फंसा लेता है।

सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।

“वह सब पर प्रभावी होगा” या “उस दिन की घटनाएं सबके लिए होंगी।

सारी पृथ्वी पर

“संपूर्ण धरातल पर” या “संपूर्ण पृथ्वी पर”

Luke 21:36

इन सब आनेवाली घटनाए से बचने... योग्य हो

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) इन सब बातों को सहने योग्य शक्तिशाली हो”, (2) इनसे बचने में सामर्थ हो”

इन सब आनेवाली घटनाओं से

“जो बातें होने वाली हैं” यीशु ने अभी-अभी उन्हें होनेवाली भयानक बातों के बारे में बताया जैसे सताव, युद्ध और बन्दीकरण।

मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य बनो

“मनुष्य के पुत्र के समक्ष आत्म-विश्वास से खड़े होने योग्य हो” यह संभवत‘ मनुष्य के पुत्र द्वारा सबका न्याय करने के संदर्भ में है। जो मनुष्य तैयार नहीं होगा वह मनुष्य के पुत्र से डरेगा और आत्म-विश्वास के साथ खड़ा नहीं होगा।

Luke 21:37

दिन को मन्दिर में उपदेश करता था

“दिन के समय वह मन्दिर में उपदेश देता था” आगे के पदों से ज्ञात होगा कि यीशु और अन्य लोग यीशु की मृत्यु से पूर्व उस सप्ताह प्रतिदिन क्या-क्या करते थे।

मन्दिर में

इसका अर्थ है, “मन्दिर परिसर में”

रात को बाहर जाकर

“रात में वह नगर से बाहर चला जाता था” या “प्रतिदिन रात में वह नगर से बाहर चला जाता था।

सब लोग

यह एक अतिशयोक्ति है। इसका अर्थ है “बहुत बड़ी संख्या में मनुष्य” या “लगभग सब ही”

भोर को तड़के

“दिन तड़के ही लोग आ जाते थे” या “प्रतिदिन सुबह भोर को ही”

उसकी सुनने

“उसकी शिक्षा सुनने”


Translation Questions

Luke 21:4

यीशु ने क्यों कहा कि उस गरीब विधवा ने सबसे अधिक दान दिया?

क्योंकि उसने अपनी गरीबी में से दिया जबकि अन्यों ने अपनी बहुतायत में से दिया था।

Luke 21:6

यीशु की भविष्यद्वाणी के अनुसार मन्दिर का क्या होना था?

यीशु ने कहा कि मन्दिर ध्वंस किया जायेगा और वहाँ पत्थर पर पत्थर नहीं रहेगा।

Luke 21:7

मन्दिर के बारे में लोगों ने कौन सी दो बातें पूछीं?

?

Luke 21:8

यीशु ने चिताया कि अनेक झूठे लोग प्रकट होंगे, ये झूठे लोग क्या कहेंगे?

वे कहेंगे, "मैं वही हूँ", और "समय निकट आ पहुंचा है"।

Luke 21:9

अन्त से पहले यीशु ने कौन से भयंकर चिन्ह बताए?

उस समय युद्ध होंगे, भूकम्प होंगे, अकाल पड़ेंगे, महामारियां होंगी, आकाश में भयंकर बातों के चिन्ह प्रकट होंगे।

Luke 21:13

विश्वासियों का सताव कैसे अवसर उत्पन्न करेगा?

इससे उनकी गवाही के लिए अवसर उत्पन्न होंगे।

Luke 21:16

यीशु के अनुयायियों से कौन घृणा करेगा?

माता-पिता, भाई, संबन्धी, मित्र और "हर एक जन" उनसे घृणा करेगा।

Luke 21:20

यरूशलेम के विनाश की संकेतक घटनाएं क्या होंगी?

जब यरूशलेम सेनाओं से घिर जाएगा तब उसका विनाश निकट होगा।

Luke 21:21

यरूशलेम का विनाश निकट देखकर वे यीशु के सुझाव के अनुसार क्या करें?

यीशु ने उनसे कहा कि वे पहाड़ों में भाग जाएं, नगर को त्याग दें और नगर में प्रवेश भी न करें।

Luke 21:22

यीशु ने यरूशलेम के विनाश के दिनों को क्या कहा?

यीशु ने उस समय को बदला लेने के दिन कहा जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जायेंगी।

Luke 21:24

यरूशलेम कितने दिन तक अन्य जातियों द्वारा रौंदा जायेगा?

जब तक अन्य जातियों का समय पूरा न हो तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जायेगा।

Luke 21:25

यीशु ने कहा कि जब वह सामर्थ्य और महिमा में आयेगा तब कौन-कौन से चिन्ह दिखाई देंगे?

यीशु ने कहा कि चांद, सूरज और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, पृथ्वी पर सब जातियों में क्लेश होगा।

Luke 21:30

यीशु ने कौन से उदाहरण से समझाया कि उसके श्रोता ऋतु के आगमन को पहचान लेते हैं?

यीशु ने अंजीर के वृक्ष का उदाहरण देकर कहा कि जब उसमें कोंपले निकलती हैं तो वे जान लेते हैं कि ग्रीष्मकाल निकट है।

Luke 21:33

यीशु ने किसको टल जाने की बात कही थी?

आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे।

क्या कभी नहीं टलेगा?

यीशु की बातें कभी नहीं टलेंगी।

Luke 21:34

यीशु ने अपने श्रोताओं को क्या चेतावनी दी कि वे क्या न करें क्योंकि वह दिन अचानक आ जायेगा?

यीशु ने उन्हें चेतावनी दी कि उनके मन खुमार, मतवाले पन, और जीवन की चिन्ता से सुस्त न हो जाएं।

Luke 21:36

यीशु ने अपने श्रोताओं को किस बात की चेतावनी दी क्योंकि वह दिन अकस्मात ही आने वाला है?

यीशु ने उनसे कहा कि वे सावधान रह कर प्रार्थना करें।


Chapter 22

1 अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था। 2 और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे।

3 और शैतान यहूदा में समाया*, जो इस्करियोती कहलाता और बारह चेलों में गिना जाता था। 4 उसने जाकर प्रधान याजकों और पहरुओं के सरदारों के साथ बातचीत की, कि उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए। 5 वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया। 6 उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा, कि बिना उपद्रव के उसे उनके हाथ पकड़वा दे।

7 तब अख़मीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्‍ना बलि करना अवश्य था। (निर्ग. 12:3,6,8,14) 8 और यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा, “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।” 9 उन्होंने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम तैयार करें?” 10 उसने उनसे कहा, “देखो, नगर में प्रवेश करते ही एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, जिस घर में वह जाए; तुम उसके पीछे चले जाना, 11 और उस घर के स्वामी से कहो, ‘गुरु तुझ से कहता है; कि वह पाहुनशाला कहाँ है जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ?’ 12 वह तुम्हें एक सजी-सजाई बड़ी अटारी दिखा देगा; वहाँ तैयारी करना। 13 उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।

14 जब घड़ी पहुँची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। 15 और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी, कि दुःख-भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊँ। 16 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक वह परमेश्‍वर के राज्य में पूरा न हो तब तक मैं उसे कभी न खाऊँगा।” 17 तब उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया और कहा, “इसको लो और आपस में बाँट लो। 18 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक परमेश्‍वर का राज्य न आए तब तक मैं दाखरस अब से कभी न पीऊँगा।” 19 फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” 20 इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है। (निर्ग. 24:8, 1 कुरि. 11:25, मत्ती 26:28, जक. 9:11) 21 पर देखो, मेरे पकड़वानेवाले का हाथ मेरे साथ मेज पर है। (भज. 41:9) 22 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया, जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर, जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!” 23 तब वे आपस में पूछ-ताछ करने लगे, “हम में से कौन है, जो यह काम करेगा?”

24 उनमें यह वाद-विवाद भी हुआ; कि हम में से कौन बड़ा समझा जाता है? 25 उसने उनसे कहा, “अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं; और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वे उपकारक कहलाते हैं। 26 परन्तु तुम ऐसे न होना; वरन् जो तुम में बड़ा है, वह छोटे के समान और जो प्रधान है, वह सेवक के समान बने। 27 क्योंकि बड़ा कौन है; वह जो भोजन पर बैठा या वह जो सेवा करता है? क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूँ।

28 “परन्तु तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे; 29 और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूँ। 30 ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पीओ; वरन् सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।

31 “शमौन, हे शमौन, शैतान ने तुम लोगों को माँग लिया है कि गेंहूँ के समान फटके*। 32 परन्तु मैंने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।” 33 उसने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूँ।” 34 उसने कहा, “हे पतरस मैं तुझ से कहता हूँ, कि आज मुर्गा बाँग देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता।”

35 और उसने उनसे कहा, “जब मैंने तुम्हें बटुए, और झोली, और जूते बिना भेजा था, तो क्या तुम को किसी वस्तु की घटी हुई थी?” उन्होंने कहा, “किसी वस्तु की नहीं।” 36 उसने उनसे कहा, “परन्तु अब जिसके पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी, और जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले। 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12)

38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।”

39 तब वह बाहर निकलकर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए। 40 उस जगह पहुँचकर उसने उनसे कहा, “प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।” 41 और वह आप उनसे अलग एक ढेला फेंकने की दूरी भर गया, और घुटने टेककर प्रार्थना करने लगा। 42 “हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, फिर भी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।” 43 तब स्वर्ग से एक दूत उसको दिखाई दिया जो उसे सामर्थ्य देता था*। 44 और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू की बड़ी-बड़ी बूँदों के समान भूमि पर गिर रहा था। 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया। 46 और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।”

47 वह यह कह ही रहा था, कि देखो एक भीड़ आई, और उन बारहों में से एक जिसका नाम यहूदा था उनके आगे-आगे आ रहा था, वह यीशु के पास आया, कि उसका चूमा ले। 48 यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?” 49 उसके साथियों ने जब देखा कि क्या होनेवाला है, तो कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएँ?” 50 और उनमें से एक ने महायाजक के दास पर तलवार चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया। 51 इस पर यीशु ने कहा, “अब बस करो।” और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया। 52 तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो? 53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।”

54 फिर वे उसे पकड़कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे-पीछे चलता था। 55 और जब वे आँगन में आग सुलगाकर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उनके बीच में बैठ गया। 56 और एक दासी उसे आग के उजियाले में बैठे देखकर और उसकी ओर ताक कर कहने लगी, “यह भी तो उसके साथ था।” 57 परन्तु उसने यह कहकर इन्कार किया, “हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।” 58 थोड़ी देर बाद किसी और ने उसे देखकर कहा, “तू भी तो उन्हीं में से है।” पतरस ने कहा, “हे मनुष्य मैं नहीं हूँ।” 59 कोई घंटे भर के बाद एक और मनुष्य दृढ़ता से कहने लगा, “निश्चय यह भी तो उसके साथ था; क्योंकि यह गलीली है।” 60 पतरस ने कहा, “हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है?” वह कह ही रहा था कि तुरन्त मुर्गे ने बाँग दी। 61 तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” 62 और वह बाहर निकलकर फूट-फूट कर रोने लगा।

63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे; 64 और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।” 65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं।

66 जब दिन हुआ तो लोगों के पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री इकट्ठे हुए, और उसे अपनी महासभा में लाकर पूछा, 67 “यदि तू मसीह है, तो हम से कह दे!” उसने उनसे कहा, “यदि मैं तुम से कहूँ तो विश्वास न करोगे। 68 और यदि पूछूँ, तो उत्तर न दोगे। 69 परन्तु अब से मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठा रहेगा।” (मर. 14:62, भज. 110:1) 70 इस पर सब ने कहा, “तो क्या तू परमेश्‍वर का पुत्र है?” उसने उनसे कहा, “तुम आप ही कहते हो, क्योंकि मैं हूँ।” 71 तब उन्होंने कहा, “अब हमें गवाही की क्या आवश्यकता है; क्योंकि हमने आप ही उसके मुँह से सुन लिया है।”



Luke 22:1

अखमीरी रोटी का पर्व

इस पर्व को अखमीरी रोटी का पर्व इसलिए कहते हैं कि उस दिन यहूदी खमीर किए हुए आटे की रोटी नहीं खाते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह पर्व का दिन जब वे अखमीरी रोटी खाते थे”

अखमीरी रोटी

जिस रोटी में आटे को फुलानेवाला खमीर नहीं मिलाया जाता थां इसे “खमीररहित रोटी” भी कह सकते हैं।

जब वह निकट आया

“आरंभ होने पर था”

उसको कैसे मार डालें

“वे यीशु को मार डालने का उपाय खोज रहे थे” याजकों और विधि-शास्त्रियों को अधिकार नहीं था कि यीशु की हत्या करें परन्तु वे उसकी हत्या करवाने के लिए किसी को खोज रहे थे।

वे लोगों से डरते थे

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) मनुष्य क्या करेंगे, इसका उन्हें डर था। या (2) डरते थे कि लोग यीशु को राजा बनाएंगे।

Luke 22:3

शैतान यहूदा में समाया

यह लगभग दुष्टात्माग्रस्त होने जैसा था

प्रधान याजक

याजकों के प्रधान

पहरूओं के सरदारों

“मन्दिर के सुरक्षाकर्मियों के कप्तानों

उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु को पकड़ने में कैसे उनकी सहायता कर सकता है”।

Luke 22:5

वे

“प्रधान पुरोहित और सुरक्षा अधिकारी”

उसे रुपये देने का वचन दिया

अर्थात यहूदा को

उसने मान लिया

“सहमत हो गया” यद्यपि यह आवृत्तिमय है।

उसे उनके हाथ पकड़वा दे

“यीशु को पकड़ने में उनकी सहायता करे”

जब भीड़ न हो

“अकेले में” या “जब वह भीड़ में न हो”

Luke 22:7

अखमीरी रोटी के पर्व का दिन

“खमीररहित रोटी का दिन” या “इस दिन यहूदी अपने घर में से खमीरी रोटी यहूदी अपने घर में से खमीरी रोटी का पूरा निशान मिटा देते थे तदोपरान्त सात दिन तक वे अखमीरी रोटी का पर्व मनाते थे।

फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था।

“फसह के भोज के लिए मेम्ना वध करना आवश्यक था” प्रत्येक परिवार या कुछ लोग मिलकर एक मेमना मारकर एक साथ खाते थे, बहुत मेम्ने वध किए जाते थे।

हमारे खाने के लिए

हमारे अर्थात उस समय पतरस और यूहन्ना उसके साथ थे। पतरस और यूहन्ना यीशु के फसह भोज के सहभागियों में थे।

तैयार करो

यीशु के कहने का अर्थ यह नहीं था कि वे खाना पकाएं परन्तु यह कि उसकी तैयारी करें।

तू कहाँ चाहता है कि हम इसे तैयार करें

हममें यीशु सम्मिलित नहीं है। यीशु भोज तैयार करने वाले दल में नहीं था।

तैयारी करें

“भोज की तैयारी करें” या “भोज तैयार करें”।

Luke 22:10

उसने उनसे कहा

उसने अर्थात यीशु ने

एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम एक मनुष्य को जल का घड़ा लेकर जाते हुए देखोगे”

जल का घड़ा उठाए हुए

“पानी से भरा घड़ा लेकर जाते हुए” वह संभवतः अपने कंधे पर घड़ा उठाए हुए होगा

उसके पीछे चले जाना

इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके पीछे-पीछे उस घर में चले जाना”

गुरू तुम से कहता है

शिष्यों को यीशु का निर्देश उद्धरणों में है। यू.डी.बी. में उद्धरणरहित रचना है, “हमारा गुरू कहता है कि हमें वह कक्ष दिखा”।

गुरू

यह यीशु के सन्दर्भ में है

फसह खाऊं

“फसह का भोज खाऊं”

Luke 22:12

x

(यीशु पतरस और यूहन्ना को निर्देश दे रहा है)

वह... दिखा देगा

“उस मकान का स्वामी तुम्हें दिखाएगा”

अटारी

“ऊपर का कक्ष” यदि आपके यहाँ घर के ऊपर कमरे नहीं होते है तो आपको शहरों के घरों का वर्णन करना होगा।

उन्होंने जाकर

“पतरस और यूहन्ना ने जाकर”

Luke 22:14

मुझे बड़ी लालसा थी कि

मुझे हार्दिक इच्छा थी कि” (यू.डी.बी.)

मैं तुमसे कहता हूँ

यह उक्ति यीशु की आगे की बात को महत्त्व पर बल देती है।

पूरा न हो

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) जब तक फसह के पर्व का उद्देश्य पूरा न हो”, (2) जब तक हम अन्तिम फसह भोज को न मनाएं”, इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “जब तक परमेश्वर इसे पूरा न करे” या “जब तक परमेश्वर फसह के पर्व का उद्देश्य पूरा न करे”

Luke 22:17

धन्यवाद किया

“उसने परमेश्वर को धन्यवाद दिया”

और कहा

“अपने शिष्यों से कहा”

आपस में बांट लो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस दाखरस को आपस में बांट लो” या “सब इसमें से पीओ”

मैं तुमसे कहता हूँ

यह उक्ति यीशु की आगे की बात को महत्त्व पर बल देती है।

दाख का रस

“अंगूर का रस” अंगूर के रस को खमीर करके यह दाखरस बनाया जाता था।

जब तक परमेश्वर का राज्य न आए

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब तक परमेश्वर के राज्य की स्थापना न हो” या जब तक परमेश्वर अपना राज्य स्थापित न करे” या जब तक परमेश्वर अपने राज्य में शासन न करे”

Luke 22:19

रोटी

यह खमीररहित रोटी थी।

तोड़ी

उसके दो या अधिक टुकड़े किए होंगे और शिष्य में बांट दी। संभव हो तो दोनों ही परिस्थितियों को व्यक्त करने का प्रयास करें।

यह मेरी देह है

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) यह रोटी मेरी देह है”, या (2) यह रोटी मेरी देह का प्रतीक है”।

जो तुम्हारे लिए दी जाती है

“मेरी देह जो मैं तुम्हारे लिए दूंगा” या “मेरी देह जिसे मैं तुम्हारे लिए बलि चढ़ाऊंगा, जिन भाषाओं में प्राप्तिकर्ताओं को प्रकट करना आवश्यक हो, उनमें अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरी देह है जो मैं तुम्हारे लिए घात किए जाने हेतु अधिकारियों को देता हूँ”।

यही किया करो

“यह रोटी खाया करो”

मेरे स्मरण के लिए

“मुझे याद करने के लिए”

कटोरा

कटोरा अर्थात उसमें जो दाखरस था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “इस कटोरे का दाखरस” या “यह दाखरस”।

मेरे उस लहू में.... नई वाचा है

“नई वाचा जो मेरे लहू से प्रभावी होगी” या “नई वाचा जो मेरे लहू से विधिवत ठहरेगी”। या “उस नई वाचा का प्रतीक है जो जिसे परमेश्वर मेरे बहाए गए लहू से स्थापित करेगा”।

जो तुम्हारे लिए बहाया जाता है।

“मेरा लहू जो मेरी मृत्यु में तुम्हारे लिए बहाया जाएगा” या “मेरा लहू जो मेरे मरते समय मेरे घावों से तुम्हारे ही लिए बहेगा”।

Luke 22:21

x

(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है)

मेरे पकड़वाने वाले का हाथ

“जो मुझसे विश्वासघात करेगा”

मनुष्य का पुत्र तो.... जाता ही है

“निःसन्देह मनुष्य का पुत्र तो जाएगा” या “मनुष्य का पुत्र तो मरेगा ही”

हाय उस मनुष्य पर जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है

“परन्तु हाय उस पर जो मनुष्य के पुत्र के साथ विश्वासघात करे” या “मनुष्य के पुत्र से विश्वासघात करने वाले का कैसा दुर्भाग्य है”।

Luke 22:24

उनमें यह विवाद भी हुआ

“शिष्य आपस में विवाद करने लगे”

कौन बड़ा समझा जाता है

“सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण समझा जाता है”

उसने उनसे कहा

“यीशु ने अपने शिष्यों से कहा”

उन पर प्रभुता करते हैं

“उन पर कठोर निर्दयता से शासन करते हैं” या “उन पर अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं”

कहलाते हैं

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कहलाना चाहते हैं” या “स्वयं को कहते है।” मनुष्य ऐसे शासकों को संभवतः माननीय शासक नहीं समझते थे।

आधारक

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “संरक्षक” या “मनुष्यों के सहायक अगुवे”

Luke 22:26

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

तुम ऐसे न होना

“तुम्हारी मानसिकता ऐसी न हो”

छोटे के समान

“सबसे कम महत्त्व का” अगुवे अधिकतर आयु में अधिक होते थे जिन्हें “पुरनिये” कहते थे। “सबसे छोटा मनुष्य के लिए अगुआई के पद की संभावना सबसे कम थी”।

क्योंकि

यह संपूर्ण पद 26-27 में दी गई यीशु की आज्ञा से संबन्धित है। यहाँ मुख्य विचार है कि सबसे बड़ा सेवा करे क्योंकि मैं एक सेवक हूं। यीशु जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य था उसकी सेवा करता था, अतः उनमें जो सबसे बड़ा था उसे उन सबकी सेवा करना आवश्यक था।

वह जो सेवा करता है

“सेवक”

बड़ा कौन है?

“बड़ा कौन है” या “कौन अधिक महत्त्वपूर्ण है”? यीशु ने यह आलंकारिक प्रश्न पूछ कर परदेश में महानता के विषय में शिष्यों के प्रश्न का उत्तर दिया। इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं चाहता हूं कि तुम विचार करो कि कौन बड़ा है”।

वह जो भोजन पर बैठा है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जो भोजन कर रहा है”

वह जो सेवा करता है

“वह जो भोजन परोसता है” या “जो भोजन पर बैठनेवाले की सेवा करता है” यह सेवक का संदर्भ है।

क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है?

यह भी एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका संलग्न उत्तर है, “निश्चय ही जो भोजन पर बैठा है, वह सेवक से बड़ा है”।

परन्तु मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूं।

“परन्तु” शब्द यहाँ इसलिए है कि मनुष्य जो यीशु से अपेक्षा करते थे और जो वह वास्तव में थे दोनों में विषमता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तथापि मैं तुम्हारी सेवा कर रहा हूं”।

Luke 22:28

x

(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है)

मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहें

“मेरे संघर्षों में सदा मेरे साथ रहें”

जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया है वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूं।

कुछ भाषाओं में अनुवाद के लिए इसका क्रम बदलने की आवश्यकता होगी, “जैसे मेरे पिता ने मुझको एक राज्य दिया है, ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हें एक राज्य देता हूं

मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूं

“मैं तुम्हें परमेश्वर के राज्य के प्रशासक नियुक्त करता हूं”। (यू.डी.बी.) या “मैं तुम्हें इस राज्य में शासन करने का अधिकार देता हूं” या “मैं तुम्हें राजा बनाऊंगा”।

जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया है

“जिस प्रकार कि मेरे पिता ने मुझे अपने राज्य में राजा होकर राज करने का अधिकार दिया है”

सिंहासनों पर बैठकर

सिंहासनों पर बैठकर एक लाक्षणिक प्रयोग है जो राजा के उत्तरदायित्वों को निभाते के लिए उपयोग किया गया है। इसका अर्थ है, “तुम राजाओं का कार्यभार देखोगे” या राजाओं के सदृश्य काम करोगे”। (देखें: metonymy)

सिंहासनो

इसका अनुवाद हो सकता है, “राजाओं के आसन”

Luke 22:31

x

(यीशु अब सीधा शमौन से बात करता है)

शमौन, हे शमौन!

यीशु ने दो बार उसका नाम लिया जिसका अर्थ है कि यीशु जो कहने जा रहा है, वह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बात है।

तुम लोगों को माँग लिया है कि गेहूँ के समान काट के

“तुम” शब्द सब शिष्यों के लिए है। जिन भाषाओं में तुम के अलग-अलग वचन है उनमें बहुवचन काम में लिया जाए।

गेहूँ के समान कट के

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “तुम्हें परख कर दोष निकाले” इसका अर्थ स्पष्ट किया जाए जैसा यू.डी.बी. में किया गया है, “तुम्हें परखे”। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है “जैसे कोई सूप में गेहूँ फटकता है”

परन्तु मैंने तेरे लिए विनती की

यहाँ “तुम” शब्द केवल शमौन के लिए है। जिन भाषाओं में “तुम” के अलग-अलग वचन हैं, उनमें एकवचन काम में लिया जाए।

तेरा विश्वास जाता न रहे

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “कि तू विश्वास में बना रहे” या “तू मुझ में विश्वास करता रहे”

अपने भाइयों को

यह अन्य शिष्यों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे सहविष्वासियों को” या “विश्वास में तेरे भाइयों को” या “अन्य शिष्यों को”

Luke 22:33

x

(यीशु के कथन पर कि शैतान उन्हें परखेगा, पतरस प्रतिक्रिया दिखाता है)

मुर्ग बांग न देगा

यहाँ मुर्ग का बांग देना दिन के एक निश्चित समय के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। मुर्ग प्रायः भोर के समय बांग देता है।

मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा।

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “मुर्ग के बांग देने से पूर्व तू तीन बार मेरा इन्कार कर चुका होगा” इसका क्रम बदला जा सकता है, “आज मुर्ग के बांग देने से पहले तू तीन बार कहेगा कि मुझे नहीं जानता”

आज

यहूदियों का नया दिन सूर्यास्त से आरंभ होता था। यीशु सूर्यास्त के बाद उनसे बातें कर रहा था। मुर्ग भोर के समय बांग देगा। भोर का समय उसी दिन का भाग था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आज रात” या “सुबह”

Luke 22:35

जब मैंने तुम्हें ..... भेजा था

यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है अतः जिस भाषाओं में “तुम्हें” बहुवचन में है उनमें “तुम्हें” का बहुवचन काम में लें।

बटुए

पैसे रखने का थैला परन्तु यहाँ इसका अर्थ है पैसा।

झोली

इसका अनुवाद, “यात्री की झोली” या “भोजन” किया जा सकता है क्योंकि यदि वे झोली लेंगे तो उसमें भोजन लेकर भी चलेंगे।

क्या तुमको किसी वस्तु की घटी हुई?

“क्या तुम्हें किसी भी वस्तु की आवश्यकता पड़ी थी कि वह तुम्हारे पास नहीं है”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है कि शिष्य सोचें कि जहाँ वे गए उन्होंने उनकी कैसी सेवा की थी।

किसी वस्तु की नहीं

“हमें किसी बात की कमी नहीं हुई”

कपड़े

“वस्त्रों के ऊपर पहनने वाला चोगा

जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले ले।

यीशु किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं कह रहा था कि यदि उसके पास तलवार न हो तो वह एक खरीद ले। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “यदि किसी के पास तलवार नहीं है तो वह अपने वस्त्र बेचकर एक मोल ले ले”।

Luke 22:37

जो लिखा है

“मेरे बारे में भविष्यद्वक्ता ने धर्मशास्त्र में जो लिखा है” (यू.डी.बी.)

मुझमें पूरा होना अवश्य है

उसके शिष्य यह तो जानते थे कि धर्मशास्त्र में जो भी लिखा है, उसे परमेश्वर पूरा करेगा।

वह अपराधियों के साथ गिना गया।

“मनुष्यों ने उसे भी अपराधियों में से एक माना” कुछ भाषाओं में इसे स्पष्ट व्यक्त करने की आवश्यकता होगी, “धर्मशास्त्र में यह लिखा है, “वह अपराधियों में गिना गया”।

अपराधी

“नियमों का पालन नहीं करनेवाला” या “अपराधी”

मेरे विषय में लिखी बातें पूरी होने पर हैं

यूनानी अभिलेखों में यह वाक्य स्पष्ट नहीं है। इसका संभावित अर्थ है, “मेरे जीवन का अन्त होने को है”

उन्होंने कहा

यह कम से कम यीशु के दो शिष्यों के संदर्भ में है।

बहुत है

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) इतनी तलवारें पर्याप्त हैं” या (2) इनके विषय इतना कहना भी बहुत है”। जब यीशु ने उनसे तलवारें खरीदने के लिए कहा था तो इसका अर्थ था कि उनके लिए अब संकट उत्पन्न होगा। वह वास्तव में तलवारें लेकर युद्ध करने का विचार नहीं कर रहा था।

Luke 22:39

वह बाहर निकल कर

फसह के भोजन खाने के बाद वहां से बाहर निकला

तुम परीक्षा में न पड़ो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम पर परीक्षा न आए” या “जब तुम पर परीक्षा आए तो पाप में न गिरो” या “तुम पर ऐसी घोर परीक्षा न आए कि पाप करो”

Luke 22:41

ढेला फेंकने की दूरी भर

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “इतनी दूर कि कोई वहां तक पत्थर फेंक दे”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “कुछ ही दूर” या अनुमानित दूरी जैसे, “लगभग 30 मीटर दूर”। (यू.डी.बी.)

इस कटोरे को मेरे पास से हटा लो

यह एक रूपक है। यीशु अपने आनेवाले कष्टों के बारे में कह रहा है कि माना वह एक कटोरा है और उसमें भरे कष्ट उसे पीने पड़ेंगे। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “कष्टों का यह कटोरा मुझ से दूर कर दे”। या “मेरे इन कष्टों का निवारा कर” या “मुझे इन कष्टों से छुड़ा ले”।

तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु मैं चाहता हूं कि मेरी नहीं तेरी ही इच्छा पूरी हो”

Luke 22:43

उसको दिखाई दिया

“यीशु को एक स्वर्गदूत दिखाई दिया”।

जो उसे सामर्थ्य देता था

“उसे ढाढ़स बँधाता था”

हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा

“मनोव्यथा में प्रार्थना करने लगा

उसका पसीना मानों लहू की बड़ी-बड़ी बूंदों के समान भूमि पर गिर रहा था।

“उसका पसीना भूमि पर इस प्रकार टपक रहा था कि जैसे लहू टपक रहा हो”।

Luke 22:45

तब वह प्रार्थना से उठा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब यीशु प्रार्थना करके उठा” या “प्रार्थना करने के बाद यीशु उठा और”

उदासी के मारे सोता पाया

“देखा कि वे सो रहे थे क्योंकि वे बहुत दुखी थे”

क्यों सोते हो?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है जिसके संभावित अर्थ हैं, (1) तुम्हें ऐसे समय सोता हुआ देखकर मुझे आश्चर्य होता है”, या (2) इस समय तो तुम्हें सोना नहीं चाहिए”।

परीक्षा में न पड़ो

“परीक्षा में न गिरो” या “परीक्षा में पाप न करो”

Luke 22:47

एक भीड़ आई

यहाँ कहानी में एक जनसमूह प्रवेश करता है। अपनी भाषा में ऐसे दृश्य परिवर्तन को व्यक्त करने के लिए शब्द होंगे।

उनके आगे-आगे आ रहा था

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उनको लेकर यीशु के पास आ रहा था यहूदा उन्हें दिखा रहा था कि यीशु कहां है, वह उन्हें कार्य निर्देशन नहीं दे रहा था।

उसका चूमा ले

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसे चूम कर उसका अभिवादन करे” जब पुरूष अपने परिवार के पुरूषों या मित्रों से भेंट करते थे तब वे उन्हें एक गाल पर या दोनों गालों पर चूमते थे। यदि आपके पाठकों को पुरूषों द्वारा एक दूसरे को चूमने के वर्णन से कि कर्तव्य विमूढ़ हों तो इसका अनुवाद सामान्य अभिवादन में करें, “मित्रतापूर्ण अभिवादन करने आया”

मनुष्य का पुत्र

यीशु स्वयं के लिए इस उक्ति का उपयोग करता था।

क्या चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?

यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा यहूदा को झिड़क रहा है, “मनुष्य के प्रभु को पकड़वाने के लिए चूमा का दुरूपयोग कर रहा है”। यहूदा हाथ के संकेत से यह यह कहकर बता सकता था कि यीशु कौन है” वह जो उस चट्टान के पास खड़ा है वही यीशु है” परन्तु उसने प्रेम के प्रतीक चुम्बन को धोखे के लिए काम में लिया।

Luke 22:49

उसके साथियों ने

“यीशु के शिष्यों ने”

क्या होने वाला है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “याजक और सैनिक यीशु को बन्दी बनाने आए हैं”।

महायाजक के दास पर तलवार चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया।

“प्रधान पुरोहित के दास पर तलवार से वार किया तो उसका दाहिना कान कट गया”।

उसका कान छूकर उसे अच्छा किया

“उसका कटा हुआ कान छूकर अच्छा कर दिया”

Luke 22:52

क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियां लिए हुए निकले हो

“तुम लोग तलवारें और लाठियां लेकर आए हो, क्या मैं डाकू हूं? “यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह जानते हुए भी कि मैं डाकू नहीं तुम तलवार और लाठियां लेकर मेरे पास आए हो”।

जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था

“मैं तो प्रतिदिन तुम्हारे बीच में रहाता था”

मन्दिर में

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन्दिर परिसर में”।

तुमने मुझ पर हाथ न डाला

इस मुहावरे का अर्थ है, “मुझे बन्दी नहीं बनाया”

अन्धकार का अधिकार है।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अन्धकार के शासक का समय” या “शैतान की इच्छा के अनुसार दुष्ट के कार्यों का पूरा करने का समय है”, (यू.डी.बी.) “अन्धकार का अधिकार एक लाक्षणिक प्रयोग है जिसका अर्थ है, दुष्ट शासक, शैतान।

Luke 22:54

पकड़कर ले चले

“यीशु को बन्दी बनाकर उस वाटिका से ले कर चले”

आग सुलगा कर

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कुछ लोगों ने वहां आग जलाई हुई थी” गर्म करने के लिए आग जलाई थी।

आंगन में

यह प्रधान पुरोहित के महल का परिसर था।। चारों ओर दीवारें थी परन्तु छत नहीं थी।

Luke 22:56

उसकी ओर ताक कर कहने लगी

“पतरस को घूरकर देखा और लोगों से कहा।

यह भी तो उसके साथ था।

वह उपस्थित जनों को पतरस के बारे में कह रही थी। वह पतरस का नाम नहीं जानती थी।

उसने यह कह कर इन्कार किया

“परन्तु पतरस ने कहा, यह सच नहीं है”।

हे नारी, मैं उसे नहीं जानता

पतरस उस स्त्री का नाम नहीं जानता था वह उसे “नारी” कह कर उसका अपमान नहीं कर रहा था। आप अपनी संस्कृति में नारी शब्द के स्थान पर उपयुक्त शब्द का प्रयोग करें या इस शब्द को छोड़ दें।

हे मनुष्य मैं नहीं हूं

स्त्री शब्द के बारे में उपरोक्त टिप्पणी देखें

Luke 22:59

दृढ़ता से कहने लगा

“बलपूर्वक कहा” या “ऊंचे शब्द में कहा” (यू.डी.बी.)

निश्चय यह भी

यह अर्थात पतरस। वह संभवतः पतरस का नाम नहीं जानता था।

यह गलीली है

मत्ती लिखता है कि पतरस की भाषा-शैली से लोग समझ जाते थे कि वह गलीली है।

मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है

इस उक्ति का अभिप्राय है, घोर विरोध के साथ कहना, “तू जो कहता है वह कदापि सच नहीं है”। या “तू जो कह रहा है वह झूठ है”।

वह कह ही रहा था कि

“अभी पतरस की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि”

Luke 22:61

प्रभु की वह बात याद आई

“यीशु के वचन” या “यीशु ने कहा था”

आज

यीशु ने पिछली रात पतरस से कहा था कि दिन तड़कने से पूर्व क्या होगा। अतः इसका अनुवाद “आज राज” किया जा सकता है।

Luke 22:63

आंखें ढांक कर

“उसकी आंखों पर कपड़ा बान्ध कर कि वह देख न पाए”

भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा है

सुरक्षाकर्मी विश्वास नहीं करते थे कि यीशु भविष्यद्वक्ता बिना देखे बता सकता था कि उसे किसने मारा है। वे यीशु को भविष्यद्वक्ता तो कहते थे परन्तु वे सिद्ध करना चाहते थे कि वह भविष्यद्वक्ता नहीं है। इसका दूसरा अनुवाद है, “हमें बता कि तुझे किसने मारा और सिद्ध कर कि तू भविष्यद्वक्ता है” या “हे भविष्यद्वक्ता तुझे किसने मारा है, बता”?

भविष्यद्वाणी करके

“परमेश्वर का वचन सुना” कहने का अर्थ है कि परमेश्वर बताएगा कि यीशु को किसने मारा है क्योंकि यीशु की आंखें तो बन्द थी।

Luke 22:66

यहाँ सभा में लाकर

इसके संभावित अर्थ हैं, (1) पुरनियों ने यीशु को परिषद में बुलवाया या (2) सुरक्षाकर्मी यीशु को पुरनियों की सभा में लाए। कुछ भाषाओं में कर्ताओं के लिए केवल सर्वनाम का उपयोग किया गया है, “वे लाए” या कर्मवाच्य वाक्य में अनुवाद किया गया है, “यीशु परिषद के सम्मुख लाया गया”

कहा

“पुरनियों ने पूछा यीशु से पूछा”

हमसे कह दे

यदि तू मसीह है

यदि मैं तुमसे कहूं तो प्रतीति न करोगे

यह यीशु के दो काल्पनिक कथनों में पहला है, यीशु ईश-निन्दा का दोषी कहलाने का अवसर उन्हें नहीं देना चाहता था। आपकी भाषा में ऐसी सांकेतिक अभिव्यक्ति होगी जिससे प्रकट हो कि कार्य वास्तव में हुआ नहीं।

यदि मैं पूछूँ तो उत्तर न दोगे

यह दूसरा काल्पनिक कथन है

कहूं तो.... पूछूं तो

यीशु के कहने का अर्थ था कि यदि वह स्वयं कुछ कहे या उनसे कहने को कहे तो भी कोई लाभ नहीं। वे सही उत्तर तो देंगे नहीं। यह दो वाक्य यीशु के विचारों को प्रकट करते हें कि उनकी परिषद सत्य की खोज में नहीं थी।

Luke 22:69

x

(यीशु पुरनियों की परिषद से बातें कर रहा है)

अब से

“आज से” या “आज से आरंभ करके”

मनुष्य का पुत्र

यीशु इस उक्ति द्वारा मसीह का संदर्भ दे रहा था। उसका अभिप्राय था कि वह स्वयं के बारे में कह रहा था परन्तु पुरनियों को पूछ कर पता लगाना था कि वह क्या वास्तव में यही कह रहा था।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा रहेगा।

यहूदी मानते थे कि कोई भी उस स्थान को ग्रहण नहीं कर सकता है। उनके लिए ऐसा कहने का अर्थ था “परमेश्वर के साथ परमेश्वर तुल्य होना”।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर

“महाप्रतापी परमेश्वर”, यहाँ परमेश्वर के सर्वोच्च अधिकार का विचार है।

तो क्या तू परमेश्वर का पुत्र है

परिषद के सदस्यों ने यीशु से यह प्रश्न किया क्योंकि वे चाहते थे कि यीशु स्पष्ट कहे कि वह परमेश्वर का पुत्र है जैसा उन्होंने उसकी बातों से अनुमान लगाया था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने ऐसा कहा तो क्या तू वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है”?

तुम आप ही कहते हो, क्योंकि मैं हूं

“हां, ठीक वैसे ही जैसे तुम कहते हो”।

अब हमें गवाहों की क्या आवश्यकता है?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अर्थ है, “हमें और अधिक गवाही नहीं चाहिए।

उसके मुंह से सुन लिया है

इस मुहावरे में मनुष्य के लिए उसके एक अंग (मुंह) का उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है “सीधा उसी से” इससे इस तथ्य पर बात पर बल है कि यीशु ने स्वयं ही वह बात कह दी जिसका वे उस पर दोष लगा रहे थे।


Translation Questions

Luke 22:1

उस समय कौन सा यहूदी पर्व निकट था?

अखमीरी रोटी का पर्व फसह कहलाता था।

Luke 22:6

यहूदा महायाजकों के हाथ यीशु को पकड़वाने के लिए कैसा अवसर खोज रहा था?

वह अवसर की खोज में था कि यीशु कब जनसमूह से अलग हो।

Luke 22:10

यीशु और उसके शिष्यों ने फसह का भोजन कहाँ किया था?

उन्होंने यरूशलेम में एक बड़े सजे हुए कक्ष में फसह का भोजन किया।

Luke 22:16

यीशु ने फसह का भोज दोबारा खाने के विषय में क्या कहा था?

यीशु फसह का भोज अब उस समय तक खायेगा जब परमेश्वर के राज्य में पूरा होगा।

Luke 22:19

यीशु ने रोटी तोड़कर अपने चेलों को दी तब क्या कहा था?

यीशु ने कहा, "यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है, मेरे स्मरण के लिए यही किया करो।

Luke 22:20

चेलों को कटोरा देते हुए यीशु ने क्या कहा था?

यीशु ने कहा, "यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिए बहाया जाता है नई वाचा है"।

Luke 22:22

क्या यह परमेश्वर की योजना थी कि यीशु पकड़वाया जायेगा?

हां।

Luke 22:23

क्या चेले जानते थे कि उसे कौन पकड़वायेगा?

नहीं।

Luke 22:26

यीशु ने अपने चेलों में सबसे बड़ा किसे बताया?

सबसे बड़ा वह है जो सेवा करता है।

Luke 22:27

यीशु चेलों के मध्य कैसा था?

वह एक सेवक का जीवन जी रहा था।

Luke 22:30

यीशु ने अपने चेलों को कहाँ बैठने की प्रतिज्ञा की?

यीशु ने कहा कि वे सिंहासन पर बैठ कर इस्राएल के बारहों गोत्रों का न्याय करेंगे।

Luke 22:34

यीशु ने पतरस के किस काम की भविष्यद्वाणी की थी?

यीशु ने कहा कि मुर्ग की बांग देने से पहले पतरस तीन बार उसका इन्कार करेगा।

Luke 22:37

इन घटनाओं में यीशु के बारे में कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हो रही थी?

धर्मशास्त्र में भविष्यद्वाणी है, "वह अपराधियों में गिना गया"।

Luke 22:40

जैतून के पर्वत पर यीशु ने शिष्यों से प्रार्थना करने को क्यों कहा?

यीशु चाहता था कि वे प्रार्थना करते रहें कि परीक्षा में न पड़ें।

Luke 22:42

जैतून के पर्वत पर यीशु ने क्या प्रार्थना की थी?

यीशु ने प्रार्थना की, "हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले। तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो"।

Luke 22:45

यीशु प्रार्थना करके लौटा तब चेले क्या कर रहे थे?

वे सो रहे थे।

Luke 22:47

जनसमूह के समक्ष यहूदा ने यीशु को कैसे पकड़वाया?

उसने यीशु को चूम कर पकड़वाया।

Luke 22:51

यीशु ने उस व्यक्ति के साथ क्या किया जिसका कान काटा गया था?

यीशु ने उसके कान को छूकर चंगा किया।

Luke 22:53

यीशु ने कौन सा स्थान बताया कि वह वहाँ प्रतिदिन महायाजकों के निकट था?

वह मन्दिर में था।

Luke 22:54

यीशु को पकड़ कर वे कहाँ ले गए?

वे उसे महायाजक के आवास में ले गए।

Luke 22:57

इस दासी ने जब कहा कि पतरस भी यीशु के साथ था तब पतरस ने क्या कहा?

पतरस ने कहा, "हे नारी मैं उसे नहीं जानता"।

Luke 22:60

जब पतरस ने यीशु को जानने से तीन बार इन्कार कर किया तो तुरन्त ही क्या हुआ?

मुर्ग ने बांग दी।

Luke 22:62

यीशु ने पतरस को देखा तो उसने क्या किया?

वह बाहर जाकर फूट-फूट कर रोया।

Luke 22:63

यीशु को पकड़ने वालों ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया?

उन्होंने उसका ठट्ठा किया उसे पीटा और उसकी निन्दा की।

Luke 22:67

महासभा ने कहा कि यीशु कहे कि वह मसीह है तो यीशु ने उनसे कहा कि यदि वह कहे तो वे क्या नहीं करेंगे?

वे विश्वास नहीं करेंगे।

Luke 22:71

??

महासभा ने क्यों कहा कि उन्होंने गवाहों की आवश्यकता नहीं कि सिद्ध करें कि यीशु स्वयं को मसीह कहता है।


Chapter 23

1 तब सारी सभा उठकर उसे पिलातुस के पास ले गई। 2 और वे यह कहकर उस पर दोष लगाने लगे, “हमने इसे लोगों को बहकाते और कैसर को कर देने से मना करते, और अपने आप को मसीह, राजा कहते हुए सुना है।” 3 पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” उसने उसे उत्तर दिया, “तू आप ही कह रहा है।” 4 तब पिलातुस ने प्रधान याजकों और लोगों से कहा, “मैं इस मनुष्य में कुछ दोष नहीं पाता।” 5 पर वे और भी दृढ़ता से कहने लगे, “यह गलील से लेकर यहाँ तक सारे यहूदिया में उपदेश दे देकर लोगों को भड़काता है।” 6 यह सुनकर पिलातुस ने पूछा, “क्या यह मनुष्य गलीली है?” 7 और यह जानकर कि वह हेरोदेस की रियासत* का है, उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्योंकि उन दिनों में वह भी यरूशलेम में था।

8 हेरोदेस यीशु को देखकर बहुत ही प्रसन्‍न हुआ, क्योंकि वह बहुत दिनों से उसको देखना चाहता था : इसलिए कि उसके विषय में सुना था, और उसका कुछ चिन्ह देखने की आशा रखता था। 9 वह उससे बहुत सारी बातें पूछता रहा, पर उसने उसको कुछ भी उत्तर न दिया। 10 और प्रधान याजक और शास्त्री खड़े हुए तन मन से उस पर दोष लगाते रहे। 11 तब हेरोदेस ने अपने सिपाहियों के साथ उसका अपमान करके उपहास किया, और भड़कीला वस्त्र पहनाकर उसे पिलातुस के पास लौटा दिया। 12 उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए। इसके पहले वे एक दूसरे के बैरी थे।

13 पिलातुस ने प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर उनसे कहा, 14 “तुम इस मनुष्य को लोगों का बहकानेवाला ठहराकर मेरे पास लाए हो, और देखो, मैंने तुम्हारे सामने उसकी जाँच की, पर जिन बातों का तुम उस पर दोष लगाते हो, उन बातों के विषय में मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया है; 15 न हेरोदेस ने, क्योंकि उसने उसे हमारे पास लौटा दिया है: और देखो, उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि वह मृत्यु के दण्ड के योग्य ठहराया जाए। 16 इसलिए मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ।” 17 पिलातुस पर्व के समय उनके लिए एक बन्दी को छोड़ने पर विवश था। 18 तब सब मिलकर चिल्ला उठे, “इसका काम तमाम कर, और हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दे।” 19 वह किसी बलवे के कारण जो नगर में हुआ था, और हत्या के कारण बन्दीगृह में डाला गया था। 20 पर पिलातुस ने यीशु को छोड़ने की इच्छा से लोगों को फिर समझाया। 21 परन्तु उन्होंने चिल्लाकर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर!” 22 उसने तीसरी बार उनसे कहा, “क्यों उसने कौन सी बुराई की है? मैंने उसमें मृत्यु दण्ड के योग्य कोई बात नहीं पाई! इसलिए मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ।” 23 परन्तु वे चिल्ला-चिल्लाकर पीछे पड़ गए, कि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए, और उनका चिल्लाना प्रबल हुआ। 24 अतः पिलातुस ने आज्ञा दी, कि उनकी विनती के अनुसार किया जाए। 25 और उसने उस मनुष्य को जो बलवे और हत्या के कारण बन्दीगृह में डाला गया था, और जिसे वे माँगते थे, छोड़ दिया; और यीशु को उनकी इच्छा के अनुसार सौंप दिया।

26 जब वे उसे लिए जा रहे थे, तो उन्होंने शमौन नाम एक कुरेनी को जो गाँव से आ रहा था, पकड़कर उस पर क्रूस को लाद दिया कि उसे यीशु के पीछे-पीछे ले चले। 27 और लोगों की बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली: और बहुत सारी स्त्रियाँ भी, जो उसके लिये छाती-पीटती और विलाप करती थीं। 28 यीशु ने उनकी ओर फिरकर कहा, “हे यरूशलेम की पुत्रियों, मेरे लिये मत रोओ; परन्तु अपने और अपने बालकों के लिये रोओ। 29 क्योंकि वे दिन आते हैं, जिनमें लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे जो बाँझ हैं, और वे गर्भ जो न जने और वे स्तन जिन्होंने दूध न पिलाया।’

    30 उस समय

     ‘वे पहाड़ों से कहने लगेंगे, कि हम पर गिरो,

     और टीलों से कि हमें ढाँप लो।’

31 क्योंकि जब वे हरे पेड़ के साथ ऐसा करते हैं, तो सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?” 32 वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ मार डालने को ले चले। 33 जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुँचे, तो उन्होंने वहाँ उसे और उन कुकर्मियों को भी एक को दाहिनी और दूसरे को बाईं और क्रूसों पर चढ़ाया। 34 तब यीशु ने कहा, “हे पिता, इन्हें क्षमा कर*, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं?” और उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़े बाँट लिए। (1 पत. 3:9, प्रका. 7:60, यशा. 53:12, भज. 22:18)

35 लोग खड़े-खड़े देख रहे थे, और सरदार भी उपहास कर-करके कहते थे, “इसने औरों को बचाया, यदि यह परमेश्‍वर का मसीह है, और उसका चुना हुआ है, तो अपने आप को बचा ले।” (भज. 22:7) 36 सिपाही भी पास आकर और सिरका देकर उसका उपहास करके कहते थे। (भज. 69:21) 37 “यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने आप को बचा!” 38 और उसके ऊपर एक दोष पत्र भी लगा था : “यह यहूदियों का राजा है।”

39 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उनमें से एक ने उसकी निन्दा करके कहा, “क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आप को और हमें बचा!” 40 इस पर दूसरे ने उसे डाँटकर कहा, “क्या तू परमेश्‍वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है, 41 और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।” 42 तब उसने कहा, “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।” 43 उसने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक* में होगा।”

44 और लगभग दोपहर से तीसरे पहर तक सारे देश में अंधियारा छाया रहा, 45 और सूर्य का उजियाला जाता रहा, और मन्दिर का परदा बीच से फट गया, (आमो. 8:9, इब्रा.10:19) 46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” और यह कहकर प्राण छोड़ दिए। 47 सूबेदार ने, जो कुछ हुआ था देखकर परमेश्‍वर की बड़ाई की, और कहा, “निश्चय यह मनुष्य धर्मी था।” 48 और भीड़ जो यह देखने को इकट्ठी हुई थी, इस घटना को देखकर छाती पीटती हुई लौट गई। 49 और उसके सब जान पहचान, और जो स्त्रियाँ गलील से उसके साथ आई थीं, दूर खड़ी हुई यह सब देख रही थीं। (भज. 38:11, भज. 88:8)

50 और वहाँ, यूसुफ नामक महासभा का एक सदस्य था, जो सज्जन और धर्मी पुरुष था। 51 और उनके विचार और उनके इस काम से प्रसन्‍न न था; और वह यहूदियों के नगर अरिमतियाह का रहनेवाला और परमेश्‍वर के राज्य की प्रतीक्षा करनेवाला था। 52 उसने पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा, 53 और उसे उतारकर मलमल की चादर में लपेटा, और एक कब्र में रखा, जो चट्टान में खोदी हुई थी; और उसमें कोई कभी न रखा गया था। 54 वह तैयारी का दिन था, और सब्त का दिन आरम्भ होने पर था। 55 और उन स्त्रियों ने जो उसके साथ गलील से आई थीं, पीछे-पीछे, जाकर उस कब्र को देखा और यह भी कि उसका शव किस रीति से रखा गया हैं। 56 और लौटकर सुगन्धित वस्तुएँ और इत्र तैयार किया; और सब्त के दिन तो उन्होंने आज्ञा के अनुसार विश्राम किया। (निर्ग. 20:10, व्य. 5:14)



Luke 23:1

सारी सभा

“सब यहूदी अगुवे”

उठ कर

“खड़े होकर” या “अपने पांवों पर खड़े होकर”

पिलातुस के पास

“पिलातुस के समक्ष” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पितलातुस के सामने खड़ा किया”

लोगों को बहकाते

“हमारे लोगों को झूठ बोलकर समस्याएं उत्पन्न कर रहा है”

कैसर को कर देने से मना करने

“उनसे कहता है कि कैसर को कर मत दो”

Luke 23:3

पिलातुस ने उससे पूछा

“पिलातुस ने यीशु से पूछा”

तू आप ही कह रहा है।

इस मुहावरे का अर्थ है, “तू जो कहता है वह सच है”। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ जो तू पूछता है वही है”

लोगों से

“जनसमूह से”

मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता

“मैं इसे किसी भी अपराध का दोषी नहीं पाता हूं

लोगों को भड़काता है

“समस्याएं उत्पन्न करता है”

गलील से लेकर यहाँ तक

“इसने गलील में समस्याएं उत्पन्न करना आरंभ किया था ओर अब यहाँ भी समस्याएं उत्पन्न कर रहा है”

Luke 23:6

यह सुनकर

“यह सुनकर कि यीशु ने गलील में शिक्षा देना आरंभ की”

क्या यह

“यदि यह”

मनुष्य

यह यीशु के सन्दर्भ में है

यह जानकर

“पिलातुस ने जब जाना कि”

हेरोदेस की रियासत

इस वाक्य में सलंग्न जानकारी नहीं दी गई है कि हेरोदेस गलील का प्रशासक था। आप इसे स्पष्ट व्यक्त कर सकते हैं, “यीशु हेरोदेस के न्यायिक क्षेत्र में था क्योंकि गलील पर हेरोदेस का प्रशासन था।

भेज दिया

पिलातुस ने भेज दिया

वह

अर्थात हेरोदेस

उन दिनों में

“फसह के पर्व के समय”

Luke 23:8

बहुत ही प्रसन्न हुआ

“हेरोदेस बहुत प्रसन्न हुआ”

उसे देखना चाहता था

“हेरोदेस यीशु को देखना चाहता था”

उसके विषय में सुना था।

“हेरोदेस ने यीशु के बारे में सुना था”

आशा रखता था

“हेरोदेस को आशा थी”

उससे कुछ चिन्ह

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है “वह उससे आश्चर्यकर्म देखना चाहता था”

उसने उसको कुछ भी उत्तर न दिया

“उत्तर नहीं दिया” (यू.डी.बी.) या “हेरोदेस को कोई उत्तर नहीं दिया”

खड़े हुए

“वहां खड़े होकर”

तन मन से उस पर दोष लगाते रहे

“प्रबलता से दोष लगा रहे थे” या “कड़वाहट भरे दोष लगा रहे थे”

Luke 23:11

भड़कीला वस्त्र पहनाकर

आपका अनुवाद इसे यीशु का सम्मान प्रकट न करे। उन्होंने यीशु का ठट्ठा करने और तमाशा बनाने के लिए ऐसा किया था।

उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए।

यहाँ संलग्न अर्थ है कि पिलातुस ने हेरोदेस को यीशु का न्याय करने का अवसर दिया जिससे हेरोदेस प्रसन्न था। आप इसे स्पष्ट कर सकते हैं, “और हेरोदेस और पिलातुस ने यीशु को न्याय के लिए हेरोदेस के पास भेजा था।

इससे पहले

“उस दिन से पूर्व”

Luke 23:13

प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर

“प्रधान पुरोहितो, प्रधानों ओर जनसमूह को एकत्र किया”।

मैंने तुम्हारे सामने इसकी जांच की

“मैंने तुम्हारे सामने यीशु से पूछताछ की” इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैंने यीशु से पूछताछ की जिसके तुम भी गवाह हो”।

मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया

“मेरे विचार में वह दोषी नहीं है”, (यू.डी.बी.)

Luke 23:15

हेरोदेस ने

“हेरोदेस भी इसे दोषी नहीं मानता है” (यू.डी.बी.)

क्योंकि

“हम यह जानते हैं क्योंकि”

उसने उसे हमारे पास लौटा दिया है।

“हेरोदेस ने यीशु को हमारे पास पुनः भेज दिया है”, “हमारे” शब्द विशिष्ट है। उसका संदर्भ पिता पुत्र और उसके सैनिकों से है, न कि याजकों और विधि-शास्त्रियों से, न ही जनसमूह से है जो हेरोदेस के पास गए थे।

उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि मृत्यु-दण्ड के योग्य ठहराया जाए।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “इसने मृत्यु-दण्ड योग्य कोई अपराध नहीं किया है”।

इसलिए मैं उसे पिटवा कर

पिलातुस ने यीशु में कोई दोष नहीं पाया इसलिए उसे यीशु को पिटाई किए बिना मुक्त कर देना चाहिए था। इस वाक्य के अनुवाद में तर्क सम्मत बनाने की आवश्यकता नहीं है। पिलातुस ने यीशु को कोड़े मारने का प्रस्ताव रखा। जबकि वह जानता था कि यीशु निर्दोष है क्योंकि वह जनसमूह से डरता था।

अब

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पिलातुस ने ऐसा इसलिए कहा”

उनके लिए एक बन्दी को छोड़ने पर विवश था

यह एक राजनीतिक प्रथा थी। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि उसमें यह सलंग्न जानकारी दी जा सके, “वह प्रथा के कारण विवश था कि उनके लिए फसह के पर्व पर एक अपराधी को मुक्त करे”।

Luke 23:18

सब मिलकर चिल्ला उठे

“जनसमूह में से सब चिल्लाने लगे”

इसका काम तमाम कर

“इसे दूर कर” जनसमूह का अभिप्राय था “इसे ले जाकर मार डाल”

क्योंकि

“उसके अपराध में हाथ बटाने के कारण” या “के अपराध के कारण”

बलवे के कारण

“जनता को रोम के विरुद्ध भड़काने के कारण” (यू.डी.बी.)

Luke 23:20

फिर समझाया

“उनसे फिर कहा” या “जनसमूह को समझाया”

यीशु को छोड़ने की इच्छा से

“वह यीशु को मुक्त कर देना चाहता था”

उसने तीसरी बार उनसे कहा

“पिलातुस ने जनसमूह से तीसरी बार कहा”

Luke 23:23

पीछे पड़ गए

“जनसमूह बलपूर्वक चिल्लाने लगा”

चिल्ला-चिल्लाकर

“बहुत ऊंचे स्वर में”

वह क्रूस पर चढ़ाया जाए

“यीशु को क्रूस का दण्ड दे”

चिल्लाना प्रबल हुआ

“जनसमूह चिल्लाकर कह रहा था”

उनकी विनती के अनुसार

“जनसमूह की इच्छा पूरी की जाए”। (यू.डी.बी.)

उसने उस मनुष्य को.... छोड़ दिया

“पिलातुस ने जनसमूह की मांग के अनुसार बरअब्बा को छोड़ दिया”

यीशु को उनकी इच्छा के अनुसार सौंप दिया

“पिलातुस ने यीशु को जनसमूह की इच्छा के अनुसार सौंप दिया” या “पिलातुस ने यीशु को जनसमूह के निर्णय पर क्रूसीकरण हेतु दे दिया”

Luke 23:26

जब वे उसे लिए जा रहे थे

“जब सैनिक यीशु को पिलातुस की उपस्थिति से लेकर चले”

उन्होंने शमौन नामक एक कुरैनी को ....पकड़ कर

रोमी सैनिकों को अधिकार था कि वे किसी से भी अपना बोझ उठवा सकते थे। आपके अनुवाद से ऐसा प्रकट न हो कि शमौन कुरैनी को बन्दी बनाया गया था या उसने अपराध किया था।

एक

“एक मनुष्य जो कुरेनवासी था”

गांव से आ रहा था

"वह ग्रामीण क्षेत्र से यरूशलेम में आ रहा था "(यू.डी.बी)

उस पर क्रूस लाद दिया

“उसके कंधे पर क्रूस रख दिया”

Luke 23:27

विलाप करती थी

“यीशु के लिए दुःख मना रही थी”

उसके पीछे हो ली

“यीशु के पीछे चल रही थी”

हे यरूशलेम की पुत्रियों

“तुम यरूशलेम की स्त्रियों”

मेरे लिए मत रोओ

“मेरी दशा पर मत रोओ”

अपने और अपने बालकों के लिए रोओ

“तुम्हारे और तुम्हारी सन्तान के साथ जो होने वाला है, उस पर रोओ”

Luke 23:29

जिनमें लोग कहेंगे

“सब लोग कहेंगे”

बांझ

“जिस स्त्री ने सन्तान को जन्म नहीं दिया”

फिर

“उस दिन”

पहाड़ों से कहने लगेंगे

“वे पहाड़ों से कहेंगे”

क्योंकि जब वे हरे पेड़ के साथ ऐसा करते हैं तो सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?

यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम देख सकते हो कि वे वृक्ष के हरे रहते हुए ऐसा बुरे काम कर सकते हैं तो निश्चय जान लो कि वृक्ष के सूख जाने पर वे कितना अधिक बुरा करेंगे। “इसका अर्थ है”, तुम देख सकते हो कि अच्छे समय में वे ऐसा बुरा काम कर रहे है तो निश्चय ही भविष्य में जब बुरा समय आएगा तब वे और कहीं अधिक बुरा करेंगे”।

हरे पेड़

हरा पेड़ वर्तमान में अच्छाई के लिए काम में लिया गया रूपक है। यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई रूपक है तो उसे काम में लें।

सूखे

सूखी लकड़ी भावी बुराई के लिए प्रयुक्त रूपक है।

वे

अर्थात रोमी या यहूदी अगुवे या विशेष रूप में किसी के लिए नहीं।

Luke 23:32

अन्य दो मनुष्यों को जो कुकर्मी थे।

“दो अन्य मनुष्यों को जो अपराधी थे” (यू.डी.बी.)

उसके साथ घात करने ले चले

“यीशु को साथ लेकर चले” या “सैनिकों ने यीशु के साथ दो अपराधियों को भी लिया”।

घात करने के लिए

“मारने के लिए” या “मृत्युदण्ड हेतु”

Luke 23:33

जब वे उस जगह... पहुंचे

वे अर्थात सैनिक, अपराधी और यीशु

क्रूसों पर चढ़ाया

“सैनिकों ने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया”

एक को दाहिनी

“एक अपराधी को यीशु के दाहिनी ओर क्रूस पर चढ़ाया”

दूसरे को बाईं ओर

“दूसरे अपराधी को यीशु की बाई ओर क्रूस पर चढ़ाया”।

इन्हें क्षमा कर

“इन्हें”, क्षमा कर”

ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं

“क्योंकि उन्हें बोध नहीं कि वे क्या करते हैं”

चिट्ठियां डालकर

यह एक प्रकार का जुआ था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने जुआ खेला

उसके कपडे़ं बांट लिए

“कि कौन यीशु का कौन सा वस्त्र ले जाएगा”

Luke 23:35

खड़े हुए

“वहां खड़े होकर”

उसी की

यह यीशु के सन्दर्भ में है

अपने आपको बचा ले

“यीशु अपने आपको बचा ले” या “हम देखना चाहते हैं कि वह क्रूस पर से अपनी रक्षा करके सिद्ध करे कि वह कौन है”।

चुना हुआ

इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “वह है जिसे परमेश्वर ने चुना है”

Luke 23:36

उसी की

“यीशु का”

पास आकर

“यीशु के निकट आकर”

सिरका देकर

“यीशु को पीने के लिए सिरका देकर”। अनेक बाइबल विद्वान मानते हैं कि सैनिक यीशु का ठट्ठा कर रहे थे। वे जानते थे क यीशु प्यासा है परन्तु वे सिरका उसके होंठों तक लाकर उसे चूसने नहीं देते थे।

दोष पत्र

“यीशु के सिर के ऊपर क्रूस पर एक तख्ती पर लिखा था”।

Luke 23:39

उसकी निन्दा करके

“यीशु का ठट्ठा करते हुए”

क्या तू मसीह नहीं?

इस प्रश्न का उद्देश्य उत्तर पाना नहीं परन्तु यीशु के मसीह होने पर सन्देह प्रकट करना था।

दूसरे ने उसे डांट कर कहा

“दूसरे अपराधी ने कहा”

उसे डांट कर

“उस अपराधी को डांटकर कहा”

तू भी तो वही दण्ड पा रहा है

“तू इस दण्ड के योग्य ठहराया गया है” (यू.डी.बी.)

हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं

“हम तो इस दण्ड के योग्य है”।

वह मनुष्य

वह यीशु के बारे में कह रहा था

Luke 23:42

तब उसने कहा

“उस अपराधी ने कहा”

जब तू अपने राज्य में आए

“राजा होकर शासन करे” (यू.डी.बी.)

मैं तुमसे सच कहता हूं।

“सच कहता हूं” यीशु की बात पर बल देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता हे, “मैं चाहता हूं कि तू जान ले”

स्वर्गलोक

यह वह स्थान था जहाँ धर्मी जन मर कर जाते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आनन्द लोक में” या “धर्मियों के लोक में” या “सुखलोक में” यीशु उसे विश्वास दिला रहा था कि वह परमेश्वर के पास होगा और परमेश्वर उसे ग्रहण करेगा”

Luke 23:44

दोपहर से तीसरे पहर तक

“लगभग दोपहर के समय” यह उनके समय गिनने की विधि थी। उनका दिन का आरंभ सुबह छः बजे से गिना जाता था।

सारे देश में अन्धियारा छाया रहा

“संपूर्ण प्रदेश में अन्धेरा हो गया”

तीसरे पहर तक

“तीन बजे तक” वे सुबह छः बजे से दिन गिनते थे”

मन्दिर का पर्दा

“मन्दिर के भीतर जो पर्दा था”

बीच से फट गया

“फट कर दो भाग हो गया” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने मन्दिर के पर्दे को फाड़ कर दो भाग कर दिया”।

Luke 23:46

बड़े शब्द से पुकार कर

“चिल्लाकर”

“हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं”

“मैं अपनी आत्मा तेरी देखरेख में सौंपता हूं”, “इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में देता हूं और जानता हूं कि तू संभालेगा”।

यह कह कर

“यीशु ने यह कह कर”

प्राण छोड़ दिए

“यीशु मर गया”

जो कुछ हुआ था

“सब घटनाओं को”

Luke 23:48

लोगों से

“जनसमूह”

यह देखने को

“जो हो रहा था वह देखने को”

इकट्ठी हुई थी

“एकत्र थी”

इस घटना को

“सब घटनाओं को”

लौट गए

“घर चली गई”

छाती पीटती हुई

यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “दुःख प्रकट करने के लिए छाती पीटना”

जान पहचान

“जो यीशु को जानते थे” या “जिन्होंने यीशु से भेंट की थी”

उसके साथ

“यीशु के पीछे आई थी”

दूर खड़ी हुई

“यीशु से कुछ दूर खड़े होकर”

इन बातों को

“जो हो रहा था देख रही थी”

Luke 23:50

देखो

यह शब्द कहानी में एक नये मनुष्य के आगमन का बोध कराता है। अपनी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका उपयोग करें।

महासभा का एक सदस्य था

“वह यहूदी परिषद का सदस्य था”

सज्जन और धर्मी पुरूष था

“वह एक भला एवं सदाचारी मनुष्य था”

उनकी योजना और उनके इस काम से प्रसन्न नहीं था

“यूसुफ परिषद के निर्णय से और उनके इस काम से कि यीशु को मृत्यु-दण्ड दिया जाए प्रसन्न नहीं था।

अरिमतिया का रहनेवाला

“यूसुफ अरिमतिया नामक यहूदी नगर का निवासी था

बाट जोहनेवाली

“यूसुफ प्रतीक्षारत था”

Luke 23:52

यह

यूसुफ ने

पिलातुस के पास जाकर

“पिलातुस के पास जाकर याचना की”

उसे उतार कर

“यीशु के शव को क्रूस से उतार कर”

मलमल की चादर में लपेटा

“यीशु के शव को उत्तम मलमल में लपेटा”

कब्र में रखा

“यीशु के शव को कब्र में रखा”

चट्टान में खुदी हुई थी

“किसी ने चट्टान काट कर कब्र बनाई थी”

उसमें कभी कोई न रखा गया था

“उस कब्र में कभी किसी ने शव नहीं रखा था”।

Luke 23:54

वह तैयारी का दिन था

“जिस दिन यहूदी अपने विश्राम दिवस सब्त के लिए तैयारी करते थे”

सब्त का दिन आरंभ होने पर था

“शीघ्र ही सूर्यास्त होने वाला था अर्थात सब्त का दिन आरंभ होने वाला था”। (यू.डी.बी.) यहूदियों का नया दिन सूर्यास्त से आरंभ होता था।

उसके साथ गलील से आई थी

“जो यीशु के साथ गलील से यात्रा करके आई थी”

पीछे-पीछे जाकर

यूसुफ और उसके साथ के लोगों के पीछे जाकर

कब्र को देखा

“उन स्त्रियों ने कब्र को देखा”

इसका शव किस रीति से रखा गया है

“उन स्त्रियों ने देखा कि उन पुरूषों ने यीशु का शव कब्र में कैसे रखा है”।

लौट कर

“वे जहाँ ठहरी हुई थी वहां लौट गई”, (यू.डी.बी.)

सुगन्धित वस्तुएं और इत्र

“यीशु की देह के दफन हेतु तैयार सामग्री”

विश्राम किया

“उन स्त्रियों ने कोई काम नहीं किया”

आज्ञा के अनुसार

“यहूदी विधान के अनुसार” या यहूदी विधान की अनिवार्यता के अनुसार” या “मूसा द्वारा दिए गए विधान की अनिवार्यता के अनुसार”


Translation Questions

Luke 23:2

यहूदी अगुओं ने पिलातुस के समक्ष यीशु पर क्या दोष लगाये?

उन्होंने दोष लगाया कि यीशु लोगों को बहकाता है और कैसर को कर देने से मना करता है और स्वयं को मसीह, राजा कहता है।

Luke 23:4

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद पिलातुस ने उसके बारे में क्या निर्णय दिया?

पिलातुस ने कहा, "मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता"।

Luke 23:8

हेरोदेस यीशु को क्यों देखना चाहता था?

हेरोदेस यीशु को देखना चाहता था कि उससे कोई चमत्कार देखे।

Luke 23:9

यीशु ने हेरोदेस के प्रश्नों का क्या उत्तर दिया?

यीशु ने कोई उत्तर नहीं दिया।

Luke 23:14

जब यीशु को पिलातुस के पास पुनः लाया गया तब पिलातुस ने क्या कहा?

पिलातुस ने कहा, "मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता"।

Luke 23:18

जनसमूह फसह के लिए किसे बन्दीगृह से मुक्त करवाना चाहते थे?

वे एक अपराधी , बरअब्बा को छुड़वाना चाहते थे।

Luke 23:21

जनसमूह ने चिल्लाकर यीशु के लिए क्या कहा?

लोगों ने चिल्ला कर कहा, "उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर।"

Luke 23:22

पिलातुस ने तीसरी बार जनसमूह से यीशु के बारे में क्या कहा था?

पिलातुस ने कहा, "उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि वह मृत्यु के दण्ड के योग्य ठहराया जाए"|

Luke 23:24

पिलातुस ने अन्त में जनसमूह की बात मान कर यीशु को क्रूस पर क्यों चढ़वाया।

क्योंकि वे चिल्लाकर प्रबलता से कह रहे थे।

Luke 23:26

यीशु का क्रूस उठाकर कौन चला था?

शमौन कुरेनी ने यीशु का क्रूस उठाया।

Luke 23:28

यीशु ने यरूशलेम की स्त्रियों से किसके लिए विलाप करने को कहा?

उन्हें अपने लिए और अपनी सन्तान के लिए विलाप करना है।

Luke 23:32

यीशु के साथ कौन क्रूस पर चढ़ाए गए थे?

यीशु के साथ दो और अपराधी क्रूस पर चढ़ाए गए थे।

Luke 23:34

उसे क्रूस पर चढ़ाने वालों के लिए यीशु ने क्या प्रार्थना की?

यीशु ने कहा, "हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।"

Luke 23:35

लोगों ने, सैनिकों ने और उन दोनों अपराधियों में से एक ने यीशु को क्या चुनौती दी?

उन्होंने उसे चुनौती दी कि वह स्वयं की रक्षा करे।

Luke 23:38

यीशु के क्रूस पर दोष पत्र में क्या लिखा था?

उस पर लिखा था, "यह यहूदियों का राजा है"।

Luke 23:42

दूसरे अपराधी ने यीशु से क्या निवेदन किया था?

उसने यीशु से कहा, "जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना"।

Luke 23:43

यीशु ने उस दूसरे अपराधी से क्या प्रतिज्ञा की?

यीशु ने उससे कहा, "आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा"।

Luke 23:44

यीशु की मृत्यु के तुरन्त पूर्व ही कौन सी चमत्कारी घटना हुई थी?

संपूर्ण देश में अन्धकार छाया था और मन्दिर का पर्दा बीच में से फट गया।

Luke 23:47

सूबेदार ने यीशु की मृत्यु के बाद उसके लिए क्या कहा?

सूबेदार ने कहा, "निश्चय यह मनुष्य धर्मी था"।

Luke 23:52

यीशु के मरणोपरान्त अरिमतिया के यूसुफ ने क्या किया?

उसने पिलातुस से यीशु का पार्थिव शरीर मांगा और उसे कब्र में रखा।

Luke 23:54

जब यीशु को कब्र में रखा गया तब कौन सा दिन आरंभ होने वाला था?

सब्त का दिन आरंभ होने वाला था।

Luke 23:56

यीशु के साथ जो स्त्रियां थी उन्होंने सब्त के दिन क्या किया?

परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उन्होंने विश्राम किया।


Chapter 24

1 परन्तु सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थी, लेकर कब्र पर आईं। 2 और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया, 3 और भीतर जाकर प्रभु यीशु का शव न पाया। 4 जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तब, दो पुरुष झलकते वस्त्र पहने हुए उनके पास आ खड़े हुए। 5 जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुँह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उनसे कहा, “तुम जीविते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ती हो? (प्रका. 1:18, मर. 16:5-6) 6 वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठा है। स्मरण करो कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था, 7 ‘अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए, और तीसरे दिन जी उठे’।” 8 तब उसकी बातें उनको स्मरण आईं, 9 और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और अन्य सब को, ये सब बातें कह सुनाई। 10 जिन्होंने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उनके साथ की अन्य स्त्रियाँ भी थीं। 11 परन्तु उनकी बातें उन्हें कहानी के समान लगी और उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया। 12 तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ा गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उससे अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया।

13 उसी दिन उनमें से दो जन इम्माऊस नामक एक गाँव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था। 14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे। 15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछ-ताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उनके साथ हो लिया। 16 परन्तु उनकी आँखें ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहचान न सके*। 17 उसने उनसे पूछा, “ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते-चलते आपस में करते हो?” वे उदास से खड़े रह गए। 18 यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नामक एक व्यक्ति ने कहा, “क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उसमें क्या-क्या हुआ है?” 19 उसने उनसे पूछा, “कौन सी बातें?” उन्होंने उससे कहा, “यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्‍वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता* था। 20 और प्रधान याजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया। 21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है। 22 और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं। 23 और जब उसका शव न पाया, तो यह कहती हुई आईं, कि हमने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्होंने कहा कि वह जीवित है। 24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उसको न देखा।” 25 तब उसने उनसे कहा, “हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों! 26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुःख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?” 27 तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया। (यूह. 1:45, लूका 24:44, व्य. 18:15)

28 इतने में वे उस गाँव के पास पहुँचे, जहाँ वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है। 29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, “हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है।” तब वह उनके साथ रहने के लिये भीतर गया। 30 जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा। 31 तब उनकी आँखें खुल गईं*; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उनकी आँखों से छिप गया। 32 उन्होंने आपस में कहा, “जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्रशास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्‍पन्‍न हुई?” 33 वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उनके साथियों को इकट्ठे पाया। 34 वे कहते थे, “प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।” 35 तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना।

36 वे ये बातें कह ही रहे थे, कि वह आप ही उनके बीच में आ खड़ा हुआ; और उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।” 37 परन्तु वे घबरा गए, और डर गए, और समझे, कि हम किसी भूत को देख रहे हैं। 38 उसने उनसे कहा, “क्यों घबराते हो? और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं? 39 मेरे हाथ और मेरे पाँव को देखो, कि मैं वहीं हूँ; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी माँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।”

40 यह कहकर उसने उन्हें अपने हाथ पाँव दिखाए। 41 जब आनन्द के मारे उनको विश्वास नहीं हो रहा था, और आश्चर्य करते थे, तो उसने उनसे पूछा, “क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है?” 42 उन्होंने उसे भुनी मछली का टुकड़ा दिया। 43 उसने लेकर उनके सामने खाया। 44 फिर उसने उनसे कहा, “ये मेरी वे बातें हैं, जो मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए, तुम से कही थीं, कि अवश्य है, कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में, मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों।” 45 तब उसने पवित्रशास्त्र समझने के लिये उनकी समझ खोल दी। 46 और उनसे कहा, “यों लिखा है कि मसीह दुःख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा, (यशा. 53:5, लूका 24:7) 47 और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा। 48 तुम इन सब बातें के गवाह हो। 49 और जिसकी प्रतिज्ञा* मेरे पिता ने की है, मैं उसको तुम पर उतारूँगा और जब तक स्वर्ग से सामर्थ्य न पाओ, तब तक तुम इसी नगर में ठहरे रहो।”

50 तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी; 51 और उन्हें आशीष देते हुए वह उनसे अलग हो गया और स्वर्ग पर उठा लिया गया। (प्रेरि. 1:9, भज. 47:5) 52 और वे उसको दण्डवत् करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए। 53 और वे लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्‍वर की स्तुति किया करते थे।



Luke 24:1

सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर की

“रविवार को दिन तड़के ही”

कब्र पर आईं

“कब्र पर पहुंची” यू.एल.बी. इस प्रकार लिखी गई है कि जैसे लेखक कब्र पर ही था और स्त्रियों को वहां आते देख रहा था। यू.डी.बी. इस प्रकार लिखी गई है कि जैसे लेखक स्त्रियों को उस नामरहित स्थान से कूच करके कब्र पर जाते देख रहा था।

कब्र

यह कब्र एक चट्टान काट कर बनाई गई थी।

पत्थर को कब्र पर से लुड़का हुआ देखा

एक बड़ा चट्टान का पत्थर, जो कब्र के द्वार को बन्द करने के लिए रखा गया था। उसे लुड़काने के लिए बहुत लोगों की आवश्यकता पड़ती थी।

Luke 24:4

(ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

झलकते वस्त्र

“ज्योतिमय चमकते हुए वस्त्र” (यू.डी.बी.)

बहुत डर कर

“भयभीत हो गई”

जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हों?

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जीवित मनुष्य को मृतकों में खोज रही हो” या “तुम्हें जीवित मनुष्य को मृतकों के स्थान में नहीं खोजना चाहिए”। (यू.डी.बी.)

“तुम ... क्यों ढूंढ़ती हो”?

यहाँ “तुम” बहुवचन है क्योंकि स्त्रियां एक से अधिक हैं।

Luke 24:6

x

(स्वर्गदूत उन स्त्रियों से बातें कर रहे हैं)

स्मरण करो

“स्मरण करो कि”

तुमसे कहा था

यीशु ने कम से कम एक सप्ताह पहले उससे कहा था।

तुमसे

“तुम” बहुवचन में है। तुम अर्थात ये स्त्रियां और शिष्य”

मनुष्य का पुत्र

यह परोक्ष उद्धरणों में है और इसका अनुवाद अपरोक्ष उद्धरणों में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है।

अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र

“मनुष्य के पुत्र के लिए आवश्यक था कि” यह निश्चित था क्योंकि परमेश्वर निर्णय ले चुका था।

हाथ में पकड़वाया जाए

“सौंपा जाए” या “दे दिया जाए” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “उन्हें मुझे, मनुष्य के पुत्र को पापी मनुष्यों के हाथों में सौंपना आवश्यक है”। (यू.डी.बी.) “कोई तो निश्चय ही पापियों के हाथों मनुष्य के पुत्र को पकड़वाएगा”

Luke 24:8

तब उसकी बातें उनको स्मरण आई

“तब यीशु की बातें उन्हें स्मरण आई”

कब्र से लौटकर

लेखक आ अवलोकन क्षेत्र कब्र और शिष्यों के मध्य का मार्ग है। (यू.डी.बी.) जबकि यू.डी.बी. का अवलोकन क्षेत्र कब्र के पास का है। अतः वह कहता है कि स्त्रियां लौट गई। दोनों ही परिस्थितियों में स्त्रियां कब्र से चलकर शिष्यों के पास गई।

अन्य सब

“ग्यारह शिष्यों के साथ जितने भी अनुयायी थे सब”

Luke 24:11

उनकी बातें उन्हें कहानी सी जान पड़ी”

“परन्तु शिष्यों ने सोचा कि उन स्त्रियों की बात तर्कहीन है”।

उठ कर

यह एक इब्रानी शब्द है जिसका अर्थ है क्रियाशील होना अब पतरस बैठा था या खड़ा था, महत्त्व नहीं रखता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “निकल पड़ा”

झुक कर

“कब्र में देखने के लिए झुका”

कपड़े पड़े देखे

“केवल मलमल की चादर पड़ी थी”

Luke 24:13

देखो

यह एक सर्वथा भिन्न घटना का आरंभ दर्शाता है, जो उन स्त्रियों और पतरस की घटना से भिन्न है।

उसी दिन

“उसी दिन” (यू.डी.बी.)

साठ मील

“ग्यारह किलोमीटर” (मूल भाषा में यह दूरी 60 स्टेडिया है। एक स्टेडियम, 185 मीटर का होता था”।

Luke 24:15

(और ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कार्य का आरंभ होना दर्शाया गया है। यीशु के प्रकट होने से कार्य आरंभ होता है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

यीशु आप

“आप” शब्द यीशु पर और उसके प्रकट होने के विस्मय पर ध्यान केन्द्रित कराता है, क्योंकि अभी तक किसी ने पुनरूत्थित यीशु को नहीं देखा था उन स्त्रियों ने केवल स्वर्गदूतों को देखा था।

परन्तु उनकी आंखें ऐसी बन्द कर दी गई थी कि उसे पहचान न सके।

“उनकी आंखें यीशु को पहचानने से रोकी गई थी” उनकी क्षमता को उनकी आंखे कहा गया है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसे पहचानने से उन्हें रोका गया” या “किसी रुकावट के कारण वे उसे पहचान न सके”।

Luke 24:17

क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है?

“तू” अर्थात यीशु (एकवचन) यह एक आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। क्लियोपास ने अपना आश्चर्य व्यक्त किया कि यीशु यरूशलेम की इस घटना से अनभिज्ञ था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू ही एक ऐसा मनुष्य है”

Luke 24:19

कौन सी बातें?

“क्या हुआ है” या “क्या घटना घटी है”?

काम और वचन में सामर्थी

“सामर्थ्य के काम करता था और सामर्थी वचन सुनाता था”

परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।

इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने यीशु को सामर्थी बनाया और लोगों ने देखा कि वह सामर्थी था। इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने उसे महान कार्य करने और महान शिक्षा देने का सामर्थ्य दिया था। और मनुष्य अचम्भा करते थे”।

उसे पकड़वा दिया कि ... मृत्यु की आज्ञा दी जाए

उसे रोमी प्रशासक के समक्ष पकड़वा दिया कि उसे मृत्युदण्ड दिया जाए”।

Luke 24:21

यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा

यहूदियों पर रोमियों का राज था। उन शिष्यों के कहने का अर्थ था कि वह रोमियों से स्वतंत्रता दिलाएगा, “इस्त्राएल को उनके बैरी, रोमियों से मुक्ति दिलाएगा”।

इस घटना को हुए

“उसकी मृत्यु के बाद”

Luke 24:22

ने भी

उन पुरूषों ने उन स्त्रियों के समाचार को एक अच्छी बात समझा था, न कि यीशु की मृत्यु के अतिरिक्त एक ओर बुरा समाचार।

जो भोर को कब्र पर गई थी

“ये स्त्रियां भोर के समय कब्र पर गई थी”

स्वर्गदूतों का दर्शन पाया

“स्वर्गदूत देखे”

Luke 24:25

यीशु ने उनसे कहा

“उनसे का द्विवचन काम में लें।

मन्दमतियों

“तुम्हारे मन सुस्त हो गए हैं और प्रतिक्रिया में मन्द है”

क्या यह अवश्य न था

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। “यीशु का कष्ट उठाना उचित था। यदि वह कष्ट नहीं उठाता तो अनुचित होता”।

अपनी महिमा में प्रवेश करे

यह समय की बात है जब यीशु सबको अपना सौंदर्य और महानता दिखाएगा” और आदर और उपासना का पात्र होगा।

अर्थ उन्हें समझाया

“उनसे का द्विवचन काम में लें।

Luke 24:28

गाँव के पास पहुंचे

“जब वे उस गांव के निकट आए” (यू.डी.बी.)

उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा कि वह आगे जाना चाहता है

वे दोनों शिष्य उसके व्यवहार से यही समझे कि वह आगे कहीं ओर जाना चाहता था। संभवतः जब वे गांव के द्वार में प्रवेश करने को मुड़े तब वह सीधा आगे जा रहा था क्योंकि यीशु के शब्दों से तो ऐसा कुछ प्रकट नहीं होता है।

उन्होंने यह कह कर उसे रोका

“रोका” के मूल यूनानी शब्द का अर्थ है शारीरिक बल देर तक लगाए रखना परन्तु यह एक अतिशयोक्ति प्रतीत होती है। उन्हें उसे विवश करने में समय लगा।

भीतर गया

“यीशु ने उनके घर में प्रवेश किया”

उनके साथ रहने के लिए

“उनसे का द्विवचन काम में लें।

Luke 24:30

(ऐसा हुआ कि)

इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

उनकी आंखें खुल गई

“तब वे उसे पहचान गए” या “उन्हें समझ में आ गया”

रोटी

यह खमीररहित रोटी है, न कि साधारण भोजन है।

धन्यवाद किया

“रोटी के लिए धन्यवाद दिया” या “परमेश्वर को उसके लिए धन्यवाद दिया”

आंखों से छिप गया

विलोप हो गया। वह अदृश्य नहीं हुआ था।

क्या हमारे मन में उत्तेजना उत्पन्न हुई

“हमारे मन भीतर ही भीतर उत्तेजित हो रहे थे” (यू.डी.बी.) यह एक अलंकारिक प्रश्न है।

हमारे मन में उत्तेजना

यह एक रूपक है जो यीशु से बातें करते समय उनकी प्रबल भावनाओं का वर्णन करता है। इस प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब वह हमसे बातें कर रहा था तब हमारी भावनाएं कैसी विचलित हो रही थी”।

हमारे मन में

वे दो जन बातें कर रहे हैं इसलिए “हमारे” को द्विवचन में रखें यदि आपकी भाषा में ऐसा अन्तर दर्शाया जा सकता है।

पवित्रशास्त्र का अर्थ हमें समझाता था

“जब वह धर्मशास्त्र की व्याख्या कर रहा था”

Luke 24:33

वे उसी घड़ी उठ कर

“वे” अर्थात वे दोनों शिष्य जिन भाषाओं में द्विवचन है, उनमें द्विवचन काम में लिया जाए।

उठ कर

“खड़े होकर”

ग्यारहों

यीशु के शिष्य जिनमें यहूदा नहीं था

वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है

यीशु के ग्यारह शिष्य तथा उनके साथ जो अन्य अनुयायी थे यह कहते थे।

बता दी

“उन दोनों ने बताई”

मार्ग की बातें

जब वे इम्माऊस जा रहे थे तब यीशु के साक्षात्कार की चर्चा की।

उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “उन्होंने यीशु को कैसे पहचाना”।

रोटी तोड़ते समय

“जब यीशु ने रोटी तोड़ी”

Luke 24:36

यीशु आप

“आप” यीशु के लिए और उन्हें वास्तव में दर्शन देने के आश्चर्य पर ध्यान केन्द्रित कराता है। उनमें से अधिकांश ने यीशु के पुनरुत्थान के बाद नहीं देखा था।

उनके बीच में

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन सबकी आंखों के सामने”।

तुम्हें शान्ति मिले

“तुम शान्ति पाओ”। या “परमेश्वर तुम्हें शान्ति दे”। (यू.डी.बी.) “तुम्हें” शब्द बहुवचन है।

वह घबरा गए और डर गए

“वे विस्मित होकर डर गए”।

समझे कि हम किसी भूत को देख रहे हैं।

उन्हें अभी तक यीशु के जीवित होने की बात समझ में नहीं आई थी।

भूत

यहाँ भूत का अर्थ है किसी मृतक की आत्मा

Luke 24:38

क्यों घबराते हो

यह एक अलंकारिक प्रश्न है जो उन्हें ढांढ़स बंधाने के लिए था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मत डरो”।

तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?

“तुम्हारे मन में शंका क्यों है”? यह आलंकारिक प्रश्न मृदु झिड़की है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन में सन्देह न होने दो”। यीशु उनसे कह रहा था कि उसके जीवित होने पर सन्देह न करो। यह यू.डी.बी. में स्पष्ट किया जा सकता है।

हड्डी मांस

यह देह को सिद्ध करने के लिए था।

Luke 24:41

जब आनन्द के मारे

“वे तब भी विश्वास न कर पाए कि यह सच है”। वे अत्यधिक उत्साहित थे परन्तु साथ ही विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि वह जीवित है।

आश्चर्य करते थे

“और विस्मित थे” (यू.डी.बी.) या “सोच रहे थे कि यह कैसे संभव है”।

उनके सामने

“उनकी आंखों के सामने” या “उनके देखते हुए”

Luke 24:44

तुम्हारे साथ रहते है

“पहले जब मैं तुम्हारे साथ था”।

मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विषय में लिखी हैं।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है।

सब पूरी हों

परमेश्वर सब बातें पूरी करेगा।

जितनी बातें... लिखी हैं

“मेरे विषय जो कुछ लिखा है सब”

Luke 24:45

उनकी समझ खोल दी

“उसने उन्हें समझने की बुद्धि दी” (यू.डी.बी.)

यों लिखा है

“वर्षों पूर्व लोगों ने यही लिखा था”

मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मसीह के अनुयायी प्रचार करेंगे कि मनुष्यों को पापों से विमुख होकर परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त करना है”।

तीसरे दिन

“दो रातों के बाद”

सब जातियों में

“मनुष्यों की सब जातियों में” या “सब जनसमुदायों में”

Luke 24:48

गवाह हो

“तुम्हें सबको बताना है कि तुमने मेरे बारे में जो कुछ देखा है, सब सच है। शिष्यों ने यीशु का जीवन उसकी मृत्यु और उसका पुनरूत्थान देखा था और उसने मनुष्यों के लिए क्या किया, इन सबका वर्णन करना है।

जिसकी प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, मैं उसको तुम पर उतारूंगा

“मेरे पिता ने जो प्रतिज्ञा की है वह मैं तुम्हें दूंगा।

तब तक स्वर्ग से सामर्थ्य न पाओ

“सामर्थ्य से पूर्ण हो” या “सामर्थ्य प्राप्त करो” परमेश्वर का सामर्थ्य उन्हें वैसे ही ढाँप करेगा जैसे वस्त्र शरीर को करते हैं।

स्वर्ग से

“परमेश्वर से”

Luke 24:50

(ऐसा हुआ कि)

“यह हुआ कि”

उन्हें आशीष देते हुए

“यीशु उनकी भलाई के लिए परमेश्वर से कह रहा था”

उसे लिया गया

लूका नहीं बताता है कि यीशु को किसने स्वर्ग में उठा लिया। हम नहीं जानते कि वह परमेश्वर स्वयं था या एक स्वर्गदूत था या अनेक स्वर्गदूत थे। यदि आपकी भाषा में आवश्यक हो कि यीशु को स्वर्ग में उठाने वाले का नाम व्यक्त करें तो यू.डी.बी. के जैसा अनुवाद सर्वोत्तम है, “चला गया”

Luke 24:52

उसको दण्डवत करके

इसका अर्थ है, दीनता एवं श्रद्धा के साथ झुकना, या घुटने टेकना या किसी के चरणों में मुंह के बल लेटना।

लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर

वे प्रतिदिन मन्दिर परिसर में जाते थे।

परमेश्वर की स्तुति किया करते थे

परमेश्वर की स्तुति उपासना करते थे। (यू.डी.बी.)


Translation Questions

Luke 24:1

स्त्रियां यीशु की कब्र पर कब आई?

सप्ताह के प्रथम दिन वे भोर के समय आई।

Luke 24:2

इन स्त्रियों ने कब्र में क्या देखा?

उन्होंने देखा कि पत्थर लुढ़काया हुआ है और यीशु वहाँ नहीं है।

Luke 24:6

??

झलकते वस्त्रधारी उन पुरूषों (स्वर्गदूतों) ने क्या कहा कि यीशु के साथ हुआ है।

Luke 24:11

जब स्त्रियों ने कब्र पर अपना अनुभव चेलों को सुनाया तब चेलों की प्रतिक्रिया कैसी थी?

उन्होंने इस समाचार को व्यर्थ की बात मानकर अनसुना कर दिया।

Luke 24:12

कब्र में पतरस ने क्या देखा?

उसने वहाँ केवल कपड़े पड़े देखें।

Luke 24:16

इम्माऊस के मार्ग पर चलने वाले उन दो चेलों ने यीशु को क्यों नहीं पहचाना जबकि वह उनके साथ था?

उसे पहचानने के लिए उनकी आंखें बन्द थी।

Luke 24:21

जब यीशु जीवित था तब चेलों को उससे क्या आशा थी?

वे इस आशा में थे कि यीशु इस्राएल को उसके बैरियों से छुड़वायेगा।

Luke 24:27

यीशु ने उन दोनों को धर्मशास्त्र से क्या समझाया था?

उसने अपने बारे में धर्मशास्त्र की बातें उन्हें समझाई।

Luke 24:30

उन दोनों ने यीशु को अन्त में कैसे पहचाना?

जब यीशु ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा तब उन्होंने यीशु को पहचाना।

Luke 24:31

जब उन्होंने यीशु को पहचान लिया तब यीशु ने क्या किया?

वह उनकी आंखों से ओझल हो गया।

Luke 24:36

यरूशलेम में अपने चेलों पर पहली बार प्रकट होने पर यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "तुम्हें शान्ति मिले"।

Luke 24:39

यीशु ने कैसे सिद्ध किया कि वह केवल आत्मा नहीं है?

यीशु ने चेलो से कहा कि वे उसे छूकर देखें, उसके हाथ और पांव देखें और उनके सामने मछली खाई।

Luke 24:45

तब चेले धर्मशास्त्र समझने योग्य कैसे हुए?

यीशु ने उनकी बुद्धि खोल दी कि वे समझ पाएं।

Luke 24:47

यीशु ने सब जातियों में क्या प्रचार करने की आज्ञा दी?

मन फिराव और पापों की क्षमा का प्रचार सब जातियों में किया जाना था।

Luke 24:49

यीशु ने चेलों से किस की प्रतीक्षा करने के लिए कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि स्वर्ग से सामर्थ्य पाने तक वे प्रतीक्षा करें।

Luke 24:51

बैतनिय्याह के निकट जब यीशु ने अपने शिष्यों को आशीष दी तब क्या हुआ था?

वह स्वर्ग में उठा लिया गया।

Luke 24:53

तदोपरान्त चेले कहाँ जाते थे और क्या करते थे?

वे लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्वर की स्तुति किया करते थे।


Book: John

John

Chapter 1

1 आदि में* वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था। 2 यही आदि में परमेश्‍वर के साथ था। 3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्‍पन्‍न हुआ और जो कुछ उत्‍पन्‍न हुआ है, उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्‍पन्‍न न हुई। 4 उसमें जीवन था*; और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। 5 और ज्योति अंधकार में चमकती है; और अंधकार ने उसे ग्रहण न किया। 6 एक मनुष्य परमेश्‍वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिसका नाम यूहन्ना था। 7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएँ। 8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्‍पन्‍न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहचाना। 11 वह अपने घर में आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्‍वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं 13 वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुए हैं। 14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। (1 यूह. 4:9) 15 यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी, और पुकारकर कहा, “यह वही है, जिसका मैंने वर्णन किया, कि जो मेरे बाद आ रहा है, वह मुझसे बढ़कर है, क्योंकि वह मुझसे पहले था।” 16 क्योंकि उसकी परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात् अनुग्रह पर अनुग्रह। 17 इसलिए कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई, परन्तु अनुग्रह और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुँची। 18 परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा*, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।

19 यूहन्ना की गवाही यह है, कि जब यहूदियों ने यरूशलेम से याजकों और लेवियों को उससे यह पूछने के लिये भेजा, “तू कौन है?” 20 तो उसने यह मान लिया, और इन्कार नहीं किया, परन्तु मान लिया “मैं मसीह नहीं हूँ।” 21 तब उन्होंने उससे पूछा, “तो फिर कौन है? क्या तू एलिय्याह है?” उसने कहा, “मैं नहीं हूँ।” “तो क्या तू वह भविष्यद्वक्ता है?” उसने उत्तर दिया, “नहीं।” 22 तब उन्होंने उससे पूछा, “फिर तू है कौन? ताकि हम अपने भेजनेवालों को उत्तर दें। तू अपने विषय में क्या कहता है?” 23 उसने कहा, “जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है, ‘मैं जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हूँ कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो’।” (यशा. 40:3) 24 ये फरीसियों की ओर से भेजे गए थे। 25 उन्होंने उससे यह प्रश्न पूछा, “यदि तू न मसीह है, और न एलिय्याह, और न वह भविष्यद्वक्ता है, तो फिर बपतिस्मा क्यों देता है?” 26 यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “मैं तो जल से बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु तुम्हारे बीच में एक व्यक्ति खड़ा है, जिसे तुम नहीं जानते। 27 अर्थात् मेरे बाद आनेवाला है, जिसकी जूती का फीता मैं खोलने के योग्य नहीं।” 28 ये बातें यरदन के पार बैतनिय्याह में हुई, जहाँ यूहन्ना बपतिस्मा देता था।

29 दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्‍वर का मेम्‍ना* है, जो जगत के पाप हरता है। (1 पत. 1:19, यशा. 53:7) 30 यह वही है, जिसके विषय में मैंने कहा था, कि एक पुरुष मेरे पीछे आता है, जो मुझसे श्रेष्ठ है, क्योंकि वह मुझसे पहले था। 31 और मैं तो उसे पहचानता न था, परन्तु इसलिए मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्राएल पर प्रगट हो जाए।” 32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी, “मैंने आत्मा को कबूतर के रूप में आकाश से उतरते देखा है, और वह उस पर ठहर गया। 33 और मैं तो उसे पहचानता नहीं था, परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझसे कहा, ‘जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है।’ 34 और मैंने देखा, और गवाही दी है कि यही परमेश्‍वर का पुत्र है।” (भज. 2:7)

35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे। 36 और उसने यीशु पर जो जा रहा था, दृष्टि करके कहा, “देखो, यह परमेश्‍वर का मेम्‍ना है।” 37 तब वे दोनों चेले उसकी सुनकर यीशु के पीछे हो लिए। 38 यीशु ने मुड़कर और उनको पीछे आते देखकर उनसे कहा, “तुम किस की खोज में हो?” उन्होंने उससे कहा, “हे रब्बी, (अर्थात् हे गुरु), तू कहाँ रहता है?” 39 उसने उनसे कहा, “चलो, तो देख लोगे।” तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसी के साथ रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग था। 40 उन दोनों में से, जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 41 उसने पहले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उससे कहा, “हमको ख्रिस्त अर्थात् मसीह मिल गया।” (यूह. 4:25) 42 वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा, “तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू कैफा* अर्थात् पतरस कहलाएगा।”

43 दूसरे दिन यीशु ने गलील को जाना चाहा, और फिलिप्पुस से मिलकर कहा, “मेरे पीछे हो ले।” 44 फिलिप्पुस तो अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा का निवासी था। 45 फिलिप्पुस ने नतनएल से मिलकर उससे कहा, “जिसका वर्णन मूसा ने व्यवस्था में और भविष्यद्वक्ताओं ने किया है, वह हमको मिल गया; वह यूसुफ का पुत्र, यीशु नासरी है।” (मत्ती 21:11) 46 नतनएल ने उससे कहा, “क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है?” फिलिप्पुस ने उससे कहा, “चलकर देख ले।” 47 यीशु ने नतनएल को अपनी ओर आते देखकर उसके विषय में कहा, “देखो, यह सचमुच इस्राएली है: इसमें कपट नहीं।” 48 नतनएल ने उससे कहा, “तू मुझे कैसे जानता है?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “इससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया, जब तू अंजीर के पेड़ के तले था, तब मैंने तुझे देखा था।” 49 नतनएल ने उसको उत्तर दिया, “हे रब्बी, तू परमेश्‍वर का पुत्र हे; तू इस्राएल का महाराजा है।” 50 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “मैंने जो तुझ से कहा, कि मैंने तुझे अंजीर के पेड़ के तले देखा, क्या तू इसलिए विश्वास करता है? तू इससे भी बड़े-बड़े काम देखेगा।” (यूह. 11:40) 51 फिर उससे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि तुम स्वर्ग को खुला हुआ, और परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र के ऊपर उतरते और ऊपर जाते देखोगे।” (उत्प. 28:12)



John 1:1

आदि में

आकाश और पृथ्वी की रचना से भी बहुत पहले का समय

वचन

अर्थात यीशु। यदि संभव होता तो "यह वचन" अनुवाद करें यदि आपकी भाषा में "वचन" स्त्रीलिंग शब्द है तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "वह जो वचन कहलाता है"।

सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, "परमेश्वर ने सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न किया है"।

और जो कुछ उत्पन्न है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई।

"परमेश्वर ने उसके बिना कुछ नहीं सृजा" या "परमेश्वर ने सब कुछ उसके साथ सृजा है" (देखें: और )

John 1:4

उसमें जीवन था

"यह वही है जिसे वचन कहा गया है, वही है जिसने हर एक प्राणी को जीवन दिया"

वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था

"वह हम पर परमेश्वर के सत्य को वैसे ही प्रकट करता है जैसे ज्योति अन्धकार की वस्तुओं को प्रकट करती है।"

ज्योति अन्धकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।

"मनुष्य नहीं चाहते कि वह उनकी बुराइयों को प्रकट करे, ठीक वैसे ही जैसे अन्धकार बुराई है, परन्तु जिस प्रकार कि अन्धकार ज्योति को दबा नहीं सकता उसी प्रकार दुष्ट उस ज्योति स्वरूप व्यक्ति को परमेश्वर के सत्य के प्रकटीकरण से रोक नहीं पाता है"।

John 1:9

प्रकाशित करती है

प्रकाशित करती है, "प्रकाश देती है"

John 1:10

वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहचाना।

"यद्यपि वह इस संसार में था और परमेश्वर ने यहाँ पर जो कुछ है वह सब कुछ उसी के द्वारा सृजा मनुष्यों ने फिर भी उसे स्वीकार नहीं किया"।

वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया

"वह अपने ही स्वदेश-वासियों में आया और उसके अपने ही स्वदेश-वासियों ने भी उसे स्वीकार नहीं किया"।

John 1:12

उसने अधिकार दिया

"उसने उन्हें अधिकार दिया" या "उसने उनके लिए संभव कर दिया"।

John 1:14

अनुग्रह से परिपूर्ण

"हमसे सदैव दयालु व्यवहार करता है जिसके हम योग्य नहीं"।

John 1:16

परिपूर्णता

यह शब्द परमेश्वर के अनुग्रह के संदर्भ में है जिसका कोई अन्त नहीं।

वरदान पर वरदान

"आशिषों पर आशिषें"

एकमात्र मनुष्य, स्वयं परमेश्वर

एकमात्र मनुष्य, स्वयं परमेश्वर, इसका अर्थ हो सकता है, (1) "एकमात्र परमेश्वर" या (2) "एकमात्र पुत्र"

जो पिता की गोद में है

"जो सदैव पिता के पास रहता है", घनिष्ट संबन्ध का अभिप्राय प्रकट करता है। (देखेः )

John 1:19

और इन्कार नहीं किया

और उसने यह मान लिया, उसने उनसे सत्य कहा है और स्पष्ट व्यक्त किया। (देखें: और

तो फिर तू कौन है?

"यदि तू मसीह नहीं तो सच क्या है"? या "तो फिर से क्या रहा है"? या "तो फिर तू क्या कह रहा है"?

John 1:22

तब उन्होंने उससे पूछा?

"याजकों और लेवियों ने यूहन्ना से पूछा"

हम अपने

याजक और लेवी, यूहन्ना नहीं

उसने कहा

"यहून्ना ने कहा"

"मैं जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द हूँ"।

"मैं उसके जैसा हूँ जो ऐसे स्थान में घोषणा कर रहा है जहाँ उसकी वाणी कोई न सुने"।

"तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो"

प्रभु के आगमन के लिए अपने आपको तैयार करो जैसे किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के आगमन के लिए लोग मार्ग तैयार करते हैं।

John 1:24

यह वही है जो मेरे पीछे आता है

"मेरे बाद यही तुम्हारे लिए प्रचार करेगा"।

जिसकी जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं

जिसकी जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं, यहून्ना कह रहा है कि वह एक सेवक का सबसे तुच्छ कार्य उसके लिए करना चाहे तो भी योग्य नहीं है।

John 1:29

एक पुरूष मेरे पीछे आता है जो मुझसे श्रेष्ठ है।

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 1:32

उतरना

"नीचे आते"

परमेश्वर का पुत्र

इस अभिलेख की कुछ प्रतिलिपियों में लिखा है, "परमेश्वर का पुत्र" और कुछ में लिखा है, "परमेश्वर का चुना हुआ"।

John 1:37

दसवें घंटे

दसों घंटे, यह समय दोपहर के बाद, अन्धेरा होने से पूर्व का है जो किसी दूसरे नगर जाने का समय नहीं था।

John 1:40

यूहन्ना

यह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला नहीं पर यूहन्ना उनमें एक प्रचलित नाम था।

John 1:46

क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है?

"नासरत से कोई भी अच्छी वस्तु नहीं निकल सकती है"

इसमें कपट नहीं

"एक पूर्णतः सत्यवादी मनुष्य है"

John 1:49

सच-सच

किसी महत्त्वपूर्ण एवं सत्य बात को व्यक्त करने के लिए आपकी भाषा में जो भी अभिव्यक्ति है उसका उपयोग यहाँ करें।


Translation Questions

John 1:1

आदि में क्या था?

आदि में वचन था।

वचन किसके साथ था?

वचन परमेश्वर के साथ था।

वचन क्या था?

वचन परमेश्वर था।

John 1:3

क्या वचन के बिना भी कुछ उत्पन्न हुआ है?

सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई है।

John 1:4

वचन में क्या था?

उसमें जीवन था।

John 1:6

परमेश्वर ने जिस मनुष्य को भेजा उसका नाम क्या था?

उसका नाम यूहन्ना था।

John 1:7

यूहन्ना किस उद्देश्य से आया था?

वह गवाही देने आया कि ज्योति की गवाही दे ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।

John 1:10

क्या जगत ने उस ज्योति को पहचाना और ग्रहण किया था जिसकी गवाही देने यूहन्ना आया था?

यूहन्ना जिस ज्योति की गवाही देने आया था उसे जगत ने नहीं पहचाना और इस ज्योति को अपनों ही ने उसे नहीं पहचाना।

John 1:13

ज्योति ने अपने में विश्वास करने वालों के लिए क्या किया?

जितनों ने उसे ग्रहण किया उन्हें उसने परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया।

उसके नाम में विश्वास करने वाले परमेश्वर की सन्तान कैसे हो सकते हैं?

वे परमेश्वर से उत्पन्न होकर परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं।

John 1:14

क्या पिता परमेश्वर की ओर से आने वाले वचन के तुल्य कभी कोई हुआ है या कभी हुआ था?

नहीं, वचन ही एक अद्वैत व्यक्तित्व था जो पिता की ओर से आने वाले वचन के सदृश्य था।

John 1:16

हमने इस मनुष्य की परिपूर्णता से क्या प्राप्त किया, जिसकी गवाही यूहन्ना ने दी थी?

उसकी परिपूर्णता में से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह।

John 1:17

मसीह यीशु के द्वारा क्या आया है?

अनुग्रह और सत्य मसीह यीशु से आया।

John 1:18

क्या किसी ने कभी परमेश्वर को देखा है?

"किसी भी मनुष्य ने परमेश्वर को कभी नहीं देखा है।"

हम पर परमेश्वर को किसने प्रकट किया है?

एकलौते पुत्र ने जो पिता परमेश्वर की गोद में है, उसी ने उसे हम पर प्रकट किया है।

John 1:19

यरूशलेम से आने वाले याजकों एवं लेवियों को यूहन्ना ने क्या उत्तर दिया था?

उसने कहा, "जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है, 'मैं जंगल में पुकारने वाले का शब्द हूँ कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो'"।

John 1:29

यीशु को आते देख यूहन्ना ने क्या कहा था?

उसने कहा, "देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।"

John 1:31

यूहन्ना पानी का बपतिस्मा क्यों देता था?

वह जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि जगत का पाप उठा ले जाने वाला परमेश्वर का मेम्ना, मसीह यीशु इस्राएल पर प्रकट हो जाए।

John 1:32

यीशु को परमेश्वर का पुत्र मानने का यूहन्ना के लिए क्या चिन्ह था?

यूहन्ना जिस पर आकाश से आत्मा को उतर कर ठहरते देखेगा, वही पवित्र आत्मा का बपतिस्मा देने वाले का चिन्ह होगा।

John 1:35

यीशु को यूहन्ना ने "परमेश्वर का मेम्ना" कहा तो यूहन्ना के दो शिष्यों ने क्या किया?

वे यीशु के पीछे हो लिए।

John 1:40

उन दोनों ने जिन्होंने यूहन्ना की गवाही सुनकर यीशु का अनुकरण किया, एक का नाम क्या था?

इन दोनों में से एक का नाम अन्द्रियास था।

John 1:41

अन्द्रियास ने अपने भाई शमौन को यीशु के बारे में क्या कहा था?

अन्द्रियास ने शमौन से कहा, "हमको ख्रीस्त, अर्थात मसीह मिल गया है"।

John 1:42

यीशु ने शमौन से क्या कहा कि वह कहलाएगा?

यीशु ने कहा शमौन कैफा (अर्थात पतरस कहलाएगा)।

John 1:44

अन्द्रियास और पतरस किस नगर के निवासी थे?

अन्द्रियास और पतरस बैतसैदा के निवासी थे।

John 1:49

नतनएल ने यीशु के बारे में क्या कहा था?

नतनएल ने कहा, "हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्राएल का महाराजा है"।

John 1:51

यीशु ने नतनएल से क्या कहा कि वह देखेगा?

यीशु ने नतनएल से कहा, कि वह स्वर्ग को खुला हुआ और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र के ऊपर उतरते और ऊपर जाते देखेगा।


Chapter 2

1 फिर तीसरे दिन गलील के काना* में किसी का विवाह था, और यीशु की माता भी वहाँ थी। 2 यीशु और उसके चेले भी उस विवाह में निमंत्रित थे। 3 जब दाखरस खत्म हो गया, तो यीशु की माता ने उससे कहा, “उनके पास दाखरस नहीं रहा*।” 4 यीशु ने उससे कहा, “हे महिला मुझे तुझ से क्या काम? अभी मेरा समय* नहीं आया।” 5 उसकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुम से कहे, वही करना।” 6 वहाँ यहूदियों के शुद्धीकरण के लिए पत्थर के छः मटके रखे थे, जिसमें दो-दो, तीन-तीन मन समाता था। 7 यीशु ने उनसे कहा, “मटको में पानी भर दो।” तब उन्होंने उन्हें मुहाँमुहँ भर दिया। 8 तब उसने उनसे कहा, “अब निकालकर भोज के प्रधान के पास ले जाओ।” और वे ले गए। 9 जब भोज के प्रधान ने वह पानी चखा, जो दाखरस बन गया था और नहीं जानता था कि वह कहाँ से आया हैं; (परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था वे जानते थे), तो भोज के प्रधान ने दूल्हे को बुलाकर, उससे कहा 10 “हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है, और जब लोग पीकर छक जाते हैं, तब मध्यम देता है; परन्तु तूने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है।” 11 यीशु ने गलील के काना में अपना यह पहला चिन्ह दिखाकर अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया। 12 इसके बाद वह और उसकी माता, उसके भाई, उसके चेले, कफरनहूम को गए और वहाँ कुछ दिन रहे।

13 यहूदियों का फसह का पर्व निकट था, और यीशु यरूशलेम को गया। 14 और उसने मन्दिर में बैल, और भेड़ और कबूतर के बेचनेवालों ओर सर्राफों को बैठे हुए पाया। 15 तब उसने रस्सियों का कोड़ा बनाकर, सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया, और सर्राफों के पैसे बिखेर दिये, और मेज़ें उलट दीं, 16 और कबूतर बेचनेवालों से कहा, “इन्हें यहाँ से ले जाओ। मेरे पिता के भवन को व्यापार का घर मत बनाओ।” 17 तब उसके चेलों को स्मरण आया कि लिखा है, “तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी*।” (भज. 69:9) 18 इस पर यहूदियों ने उससे कहा, “तू जो यह करता है तो हमें कौन सा चिन्ह दिखाता हैं?” 19 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “इस मन्दिर को ढा दो, और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा।” 20 यहूदियों ने कहा, “इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?” 21 परन्तु उसने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था। 22 फिर जब वह मुर्दों में से जी उठा फिर उसके चेलों को स्मरण आया कि उसने यह कहा था; और उन्होंने पवित्रशास्त्र और उस वचन की जो यीशु ने कहा था, विश्वास किया।

23 जब वह यरूशलेम में फसह के समय, पर्व में था, तो बहुतों ने उन चिन्हों को जो वह दिखाता था देखकर उसके नाम पर विश्वास किया। 24 परन्तु यीशु ने अपने आप को उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा, क्योंकि वह सब को जानता था, 25 और उसे प्रयोजन न था कि मनुष्य के विषय में कोई गवाही दे, क्योंकि वह आप जानता था कि मनुष्य के मन में क्या है?



John 2:3

महिला

पुत्र द्वारा अपनी माता को महिला कहना अभद्र प्रतीत होगा, अतः अपनी भाषा में ऐसा शब्द काम में लें जो विनम्र एवं औपचारिक हो।

मुझे तुमसे क्या काम?

"इसका मुझ से क्या संबन्ध" या "मुझे मत कह कि क्या करना है"।

अभी समय नहीं आया

"अभी समय नहीं है"।

John 2:6

दो-दो तीन-तीन मन

"80 से 120 लीटर" उनका जो नाप था टन वह लगभग 40 लीटर का होता था

मुँहामुँह

अर्थात मुँह का या पूरा भर दो

भोज के प्रधान

अर्थात भोजन पानी का प्रबन्धक

John 2:9

(परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था वे जानते थे)

यह अतिरिक्त जानकारी है।

छका हुआ

दाखमधु के प्रभाव के कारण अच्छी और घटिया मय में अन्तर नहीं पहचान पाते हैं।

John 2:12

वे गए

इसका मतलब यह है कि उन्होंने ऊँचे स्थान से नीचे स्थान की तरफ प्रस्थान किया। काना नगर कफरनहूम से ऊंचे पर स्थित था और दक्षिण-पश्चिम में था।

उसके भाई

इस शब्द में भाई-बहन सब है। यीशु के सब भाई बहन उससे कम आयु के थे।

John 2:13

यरूशलेम को

अर्थात वे नीचे से ऊपर की ओर गए यरूशलेम पहाड़ पर स्थित है।

मन्दिर में

यह मन्दिर का बाहरी आंगन है जहाँ गैर यहूदियों के लिए आराधना करने की व्यवस्था थी।

बेचने वालों को

"परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाने के लिए पशु बेचे जाते थे।"

सर्राफों

यहूदी अधिकारियों ने अनिवार्य किया हुआ था कि बाहर का पैसा मन्दिर के पैसों में बदल कर ही पशु-पक्षी खरीदे जाएं अतः सर्राफ मुद्रा विनिमय करते थे।

John 2:15

मेरे पिता के घर को

यीशु इस अभिव्यक्ति द्वारा मन्दिर का संदर्भ देता था।

John 2:17

तेरे घर

अर्थात परमेश्वर का मन्दिर-परमेश्वर का घर

खा जायेगी

अर्थात पूर्णतः अभिभूत कर देगी।

ये बातें

अर्थात मन्दिर के व्यापार को ध्वंस करता है

John 2:20

क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा है?

"तीन दिन में इसका पुनः निर्माण करना तेरे लिए संभव नहीं है"

यह वचन

इसका संदर्भ यूह. 02:17 में यीशु के वचन से है। 2:19

John 2:23

परन्तु

यह एक संयोजक शब्द है जो प्रकट करता है कि एक अनापेक्षित घटना आने वाली है, वैकल्पिक अनुवाद, "तथापि"


Translation Questions

John 2:1

गलील के काना नगर में विवाह के उत्सव में कौन था?

गलील के काना नगर में यीशु की माता और उसके शिष्य एक विवाह में आमंत्रित थे।

John 2:5

यीशु की माता ने उससे क्यों कहा कि दाखरस समाप्त हो गया है?

उसने यीशु को परिस्थिति से अवगत करवाया कि वह कुछ करे।

John 2:7

यीशु ने सेवकों को कौन से दो काम करने के लिए कहा था?

उसने कहा कि वे पानी के बर्तन पानी से भर दें, फिर उसने सेवकों से कहा कि वे उसमें से कुछ पानी लेकर भोज के प्रधान के पास ले जाए।

John 2:10

दाखरस में बदले जल को चख कर भोज के प्रधान ने क्या कहा?

भोज के प्रधान ने कहा, "हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है, और जब लोग पीकर छक जाते है, तब मध्यम देता है; परन्तु तूने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है"।

John 2:11

यह चमत्कारी चिन्ह देख कर, यीशु के शिष्यों की प्रतिक्रिया क्या थी?

यीशु के शिष्यों ने उसमें विश्वास किया।

John 2:14

यरूशलेम के मन्दिर में यीशु ने क्या देखा?

उसने मन्दिर में बैल, भेड़ और कबूतर के बेचने वाले और सर्राफों को बैठे देखा।

John 2:15

यीशु ने व्यापारियों और सर्राफों के साथ क्या किया?

उसने रस्सियों का कोड़ा बनाकर उन सबको मन्दिर से बाहर निकाला, भेड़ों और बैलों को भी, उसने सर्राफों के पैसे बिखेर दिए और उनके पीढ़ों को उलट दिया।

John 2:16

यीशु ने व्यापारियों से क्या कहा?

उसने कहा, "इन्हें यहां से ले जाओ, मेरे पिता के घर को व्यापार का घर मत बनाओ"।

John 2:19

यीशु ने यहूदा अगुओं को क्या उत्तर दिया?

उसने उत्तर दिया, "इस मन्दिर को ढा दो और तीन दिन में इसे खड़ा कर दूंगा"।

John 2:21

यीशु किस मन्दिर की बात कर रहा था?

यीशु अपनी देह को मन्दिर कह रहा था।

John 2:23

लोगों ने यीशु के नाम में विश्वास क्यों किया?

लोगों ने उसके द्वारा किए गए चमत्कारी चिन्हों को देख कर विश्वास किया।

John 2:24

यीशु ने स्वयं को मनुष्य के भरोसे पर क्यों नहीं छोड़ा?

यीशु ने स्वयं को उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा, क्योंकि वह सबको जानता था और उसे आवश्यकता नहीं थी कि मनुष्य के विषय में गवाही दे।


Chapter 3

1 फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम का एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था*। 2 उसने रात को यीशु के पास आकर उससे कहा, “हे रब्बी, हम जानते हैं, कि तू परमेश्‍वर की ओर से गुरु होकर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्‍वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता।” 3 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ*, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्‍वर का राज्य देख नहीं सकता।” 4 नीकुदेमुस ने उससे कहा, “मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो कैसे जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है?” 5 यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे* तो वह परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। 6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। 7 अचम्भा न कर, कि मैंने तुझ से कहा, ‘तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।’ 8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसकी आवाज़ सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहाँ से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है।” (सभो. 11:5) 9 नीकुदेमुस ने उसको उत्तर दिया, “ये बातें कैसे हो सकती हैं?” 10 यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “तू इस्राएलियों का गुरु होकर भी क्या इन बातों को नहीं समझता? 11 मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ कि हम जो जानते हैं, वह कहते हैं, और जिसे हमने देखा है उसकी गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते। 12 जब मैंने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं, और तुम विश्वास नहीं करते, तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूँ, तो फिर क्यों विश्वास करोगे? 13 कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वहीं जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है। (यहू. 6:38) 14 और जिस तरह से मूसा ने जंगल में साँप को ऊँचे पर चढ़ाया, उसी रीती से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए। (यूह. 8:28) 15 ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए। 16 “क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। 17 परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा, कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। 18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; इसलिए कि उसने परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया। (यूह. 5:10) 19 और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अंधकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे। 20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए। 21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों कि वह परमेश्‍वर की ओर से किए गए हैं।”

22 इसके बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए; और वह वहाँ उनके साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा। 23 और यूहन्ना भी सालेम के निकट ऐनोन* में बपतिस्मा देता था। क्योंकि वहाँ बहुत जल था, और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे। 24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था। 25 वहाँ यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ। 26 और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उससे कहा, “हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था, और जिसकी तूने गवाही दी है; देख, वह बपतिस्मा देता है, और सब उसके पास आते हैं।” 27 यूहन्ना ने उत्तर दिया, “जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए, तब तक वह कुछ नहीं पा सकता। 28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैंने कहा, ‘मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ।’ (यूह. 1:20, मला. 3:1) 29 जिसकी दुल्हिन है, वही दूल्हा है: परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है। 30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ।

31 “जो ऊपर से आता है, वह सर्वोत्तम है, जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है; और पृथ्वी की ही बातें कहता है: जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है। (यूह. 8:23) 32 जो कुछ उसने देखा, और सुना है, उसी की गवाही देता है; और कोई उसकी गवाही ग्रहण नहीं करता। 33 जिसने उसकी गवाही ग्रहण कर ली उसने इस बात पर छाप दे दी कि परमेश्‍वर सच्चा है। 34 क्योंकि जिसे परमेश्‍वर ने भेजा है, वह परमेश्‍वर की बातें कहता है: क्योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता। 35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं। 36 जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है।”



John 3:1

सदस्य

फरीसी समुदाय का एक सदस्य

यहूदी महासभा

महासभा, "सेनहेड्रिन" कहलाती थी जो एक यहूदी सभाओं में सर्वोपरि थी।

हम जानते हैं

यहां "हम" विशिष्ट शब्द है जो केवल नीकेदेमुस और महासभा के सदस्यों के लिए है।

John 3:3

सच-सच हूँ।

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

नये सिरे से जन्में

"स्वर्ग से जन्म ले" या "परमेश्वर से जन्म ले"

मनुष्य जब बूढ़ा हो गया तो कैसे जन्म ले सकता है?

उसने इस प्रश्न द्वारा इसकी असंभावना पर बल दिया था। वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य वृद्धावस्था में फिर से जन्म कभी नहीं ले सकता है।"

क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार फिर से जन्म ले सकता है?

"वह निश्चय ही अपनी माता के गर्भ में प्रवेश नहीं कर सकता"।

दूसरी बार

"फिर से" या "पुनः"

गर्भ

स्त्री गर्भ के शरीर में भ्रूण विकास का स्थानं वैकल्पिक अनुवाद, "पेट"

John 3:5

सच-सच

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया गया है।

जल और आत्मा से जन्मा हुआ

इसके तीन संभावित अर्थ हैं (1) पानी में बपतिस्मा लेना या (2) शारीरिक जन्म या (3) पवित्र आत्मा से जन्म लेना वैकल्पिक अनुवाद, "पवित्र आत्मा से आत्मिक जन्म लेना"।(देखें: और )

John 3:7

x

यीशु नीकुदेमुस से बातें कर रहा है।

तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।

"तुझे स्वार्गिक जन्म लेना है" या "परमेश्वर को तुझे जीवन दान देना है"। देखें पर टिप्पणी

हवा जिधर चाहती है उधर चलती है।

इसके दो अर्थ हैं। मूल भाषा में हवा और आत्मा के लिए एक ही शब्द है। वैकल्पिक अनुवाद, "पवित्र आत्मा एक जैसा है वह जहाँ चाहता है वहाँ जाता है"।

John 3:9

ये चीजे कैसे हो सकती हैं?

यह प्रश्न कथन पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद "ऐसा नहीं हो सकता" या "ऐसा होना संभव नहीं है"।

तू इस्राएलियों का गुरू होकर भी क्या इन बातों को नहीं समझता?

यह प्रश्न उसके कथन को बल देने के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद, "तू इस्राएलियों का शिक्षक है और मुझे आश्चर्य हो रहा है कि तू इन बातों को नहीं समझता।"

सच-सच

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

हम कहते हैं

जब यीशु ने कहा, "हम" तो उसमें वह नीकुदेमुस को नहीं गिन रहा है।

John 3:12

अगर तुमसे स्वर्ग की बातें कहूँ तो तुम कैसे विश्वास करोगे

दोनों जगह में "तुम" एकवचन में है

अगर स्वर्ग की बातें कहूँ तो तुम कैसे विश्वास करोगे?

"यदि मैं स्वर्ग की बातें कहूँगा" तो तुम निश्चय ही विश्वास नहीं करोगे"।

स्वर्ग की बातें

आत्मिक बातें

John 3:14

जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया

वह वास्तविक सांप नहीं था। ताबें का बना सांप था।

जंगल में

जंगल एक निर्जल, निर्जन स्थान था परन्तु यहाँ वह उस स्थान का उल्लेख कर रहा है जहां मूसा और इब्रानी 40 वर्ष तक जंगल में थे।

जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया था उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए।

x

John 3:16

परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा

जगत अर्थात संसार का वह हर एक जन जो यीशु में विश्वास रखता है न कि हर एक जन जो संसार में है।

एकलौता पुत्र

"एकमात्र पुत्र"

दण्ड की आज्ञा

"दण्ड"

John 3:19

उसके कामों पर दोष लगाया जाए।

वैकल्पिक अनुवाद "कि ज्योति उसके कामों को उजागर न कर दे" या "कि ज्योति उसके कामों को प्रकट न कर दे"। (देखें: )

वह जो करता है वह स्पष्ट दिखाई दे

वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य इसके कामों को स्पष्ट देख पाएं" या "वह जो करता है वह स्पष्ट दिखाई दे"।

John 3:22

क्योंकि वहाँ जल बहुत था

"क्योंकि उस स्थान में जल के सोते अनेक थे"।

आएनोन

इसका अर्थ है जल का सोता

शालेम

यरदन के निकट एक नगर

बपतिस्मा लेते थे

"यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा देता था" या "वह उन्हें बपतिस्मा देता था"।

John 3:25

तब यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ वाद-विवाद हुआ।

"तब यूहन्ना के शिष्यों में और एक यहूदी में विवाद होने लगा"।

विवाद हुआ

"विवाद आरंभ हुआ" या "होने लगा"

विवाद

"शब्दों का झगड़ा"

देख, वह बपतिस्मा देता है।

यहाँ "देख" शब्द एक आज्ञा है अर्थात "ध्यान दे" वैकल्पिक अनुवाद, ध्यान दे कि वह भी बपतिस्मा देता है" या "उसे तो देख, वह भी बपतिस्मा दे रहा है"

John 3:27

जब तक उसे स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता है।

"किसी में सामर्थ्य नहीं जब तक कि"

तुम तो आप ही

यहां "तुम" शब्द बहुवचन में है जिसका अर्थ है वे सब जिनसे यूहन्ना बातें कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम सब" या "तुम सब के सब"।

उसके आगे भेजा गया हूँ।

"परमेश्वर ने मुझे पहले आने के लिए भेजा है"

John 3:29

जिसकी दुल्हिन है वही दुल्हा है

"दूल्हा दूल्हन से विवाह करता है" या "दूल्हे के पास ही दूल्हन होती है"

अब, मेरा यह, हर्ष पूरा हुआ है

"अतः मैं बहुत आनन्दित हूँ" या "मेरा आनन्द बहुत है"।

मेरा हर्ष

शब्द "मेरा" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, वह जो कह रहा है

वह बढ़े

"वह" अर्थात दुल्हा, यीशु

John 3:31

वह जो पृथ्वी से है

वैकल्पिक अनुवाद, "जो मनुष्य पृथ्वी पर है" या "पृथ्वी का मनुष्य"

जो स्वर्ग से आता है

"जो" यीशु के संदर्भ में है।

कोई उसकी गवाही ग्रहण नहीं करता

"बहुत कम लोग उसकी गवाही स्वीकार करते हैं"।

जिसने उसकी गवाही ग्रहण कर ली

"जिसने" उस व्यक्ति का संदर्भ देता है जो "यीशु की बातें सुनने वाला मनुष्य" है।

छाप लगा दी है

"सिद्ध करता है" या "सहमत होता है"

John 3:34

क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है

"यह यीशु, जिसे परमेश्वर ने अपना प्रतिनिधि होने के लिए भेजा है"।

क्योंकि वह आत्मा नाप कर नहीं देता है।

"क्योंकि यह वही है जिसे परमेश्वर ने अपनी आत्मा का संपूर्ण सामर्थ्य दे दिया है"

जो विश्वास करता है

"जो विश्वास करता है" या "विश्वास करने वाला कोई भी"

परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है

"परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है"


Translation Questions

John 3:1

नीकुदेमुस कौन था?

नीकुदेमुस एक फरीसी था, यहूदी महासभा का सदस्य।

John 3:2

नीकुदेमुस ने यीशु के समक्ष क्या गवाही दी थी?

नीकुदेमुस ने यीशु से कहा, "हे रब्बी, हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरू होकर आया है, क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो तो नहीं दिखा सकता"।

John 3:3

यीशु ने ऐसा क्या कहा कि नीकुदेमुस विस्मित होकर आश्चर्य में पड़ गया था?

यीशु ने नीकुदेमुस से कहा, "यदि कोई नये सिरे से "न जन्में" अर्थात "जल और आत्मा से न जन्में" तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता।

John 3:9

नीकुदेमुस के कौन से प्रश्न प्रकट करते हैं कि वह उलझन में पड़ गया था?

नीकुदेमुस ने कहा, "मनुष्य जब बूढ़ा हो गया तो कैसे जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है"? उसने कहा, "ये बातें कैसे हो सकती है"?

John 3:10

यीशु ने नीकुदेमुस को क्यों झिड़की दी?

यीशु ने नीकुदेमुस को झिड़क कर कहा, "तू इस्राएलियों का गुरू होकर भी इन बातों को नहीं समझता"? "जब मैंने पृथ्वी की बातें कही और तुम विश्वास नहीं करते तो यदि मैं स्वर्ग की बातें कहूँ तो फिर कैसे विश्वास करोगे"?

John 3:13

स्वर्ग में कौन चढ़ा था?

कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र।

John 3:14

मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना क्यों आवश्यक था?

अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए; ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए।

John 3:16

परमेश्वर ने संसार के लिए अपना प्रेम कैसे प्रकट किया है?

परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।

John 3:17

क्या परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत पर दण्ड की आज्ञा देने भेजा था?

नहीं, परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।

John 3:19

मनुष्य दण्ड का भागी क्यों होता है?

दण्ड की आज्ञा का कारण है कि जगत में ज्योति आई और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे।

John 3:20

बुराई करने वाले ज्योति में आना क्यों नहीं चाहते?

जो बुराई करता है वह ज्योति से बैर रखता है और ज्योति में नहीं आता है क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसके काम प्रकट हों।

John 3:21

सत्य पर चलने वाले ज्योति में क्यों आ जाते हैं?

वह ज्योति में आता है ताकि उसके काम प्रगट हों कि वे परमेश्वर की आज्ञाओं के पालन के हैं।

John 3:26

यूहन्ना के शिष्यों ने जब शिकायत की कि यीशु बपतिस्मा दे रहा है और सब उसके पास जा रहे हैं तब यूहन्ना ने क्या उत्तर दिया?

यूहन्ना ने कहा, "अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं"।

John 3:33

जिन्होंने स्वर्ग से आने वाले की गवाही ग्रहण कर ली उन्होंने किस बात पर छाप लगा दी है?

उन्होंने सिद्ध कर दिया कि परमेश्वर सच्चा है।

John 3:35

पिता ने पुत्र के हाथ में क्या दे दिया है?

उसने सब वस्तुएं पुत्र के हाथ में दे दीं हैं।

John 3:36

पुत्र में विश्वास करने वालों में क्या है?

उनमे अनन्त जीवन है।

पुत्र की आज्ञा न मानने वालों के साथ क्या होता है?

वह जीवन को नहीं देखेगा, परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।


Chapter 4

1 फिर जब प्रभु को मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता और उन्हें बपतिस्मा देता है। 2 (यद्यपि यीशु स्वयं नहीं वरन् उसके चेले बपतिस्मा देते थे), 3 तब वह यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया, 4 और उसको सामरिया से होकर जाना अवश्य था। 5 इसलिए वह सूखार* नामक सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। 6 और याकूब का कुआँ भी वहीं था। यीशु मार्ग का थका हुआ उस कुएँ पर यों ही बैठ गया। और यह बात लगभग दोपहर के समय हुई। 7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई। यीशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला।” 8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 9 उस सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों माँगता है?” क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते। (प्रेरि. 108:28) 10 यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्‍वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल* देता।” 11 स्त्री ने उससे कहा, “हे स्वामी, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कुआँ गहरा है; तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया? 12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कुआँ दिया; और आपही अपने सन्तान, और अपने पशुओं समेत उसमें से पीया?” 13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा, 14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा*, वह उसमें एक सोता बन जाएगा, जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” 15 स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊँ और न जल भरने को इतनी दूर आऊँ।” 16 यीशु ने उससे कहा, “जा, अपने पति को यहाँ बुला ला।” 17 स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं बिना पति की हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “तू ठीक कहती है, ‘मैं बिना पति की हूँ।’ 18 क्योंकि तू पाँच पति कर चुकी है, और जिसके पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तूने सच कहा है।” 19 स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्ता है। 20 हमारे पूर्वजों ने इसी पहाड़ पर भजन किया, और तुम कहते हो कि वह जगह जहाँ भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।” (व्य. 11:29) 21 यीशु ने उससे कहा, “हे नारी, मेरी बात का विश्वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे, न यरूशलेम में। 22 तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो; और हम जिसे जानते हैं, उसका भजन करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। (यशा. 2:3) 23 परन्तु वह समय आता है, वरन् अब भी है, जिसमें सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूँढ़ता है। 24 परमेश्‍वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें।” 25 स्त्री ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख्रिस्त कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा।” 26 यीशु ने उससे कहा, “मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ, वही हूँ।”

27 इतने में उसके चेले आ गए, और अचम्भा करने लगे कि वह स्त्री से बातें कर रहा है; फिर भी किसी ने न पूछा, “तू क्या चाहता है?” या “किस लिये उससे बातें करता है?” 28 तब स्त्री अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई, और लोगों से कहने लगी, 29 “आओ, एक मनुष्य को देखो, जिस ने सब कुछ जो मैंने किया मुझे बता दिया। कहीं यही तो मसीह नहीं है?” 30 तब वे नगर से निकलकर उसके पास आने लगे। 31 इतने में उसके चेले यीशु से यह विनती करने लगे, “हे रब्बी, कुछ खा ले।” 32 परन्तु उसने उनसे कहा, “मेरे पास खाने के लिये ऐसा भोजन है जिसे तुम नहीं जानते।” 33 तब चेलों ने आपस में कहा, “क्या कोई उसके लिये कुछ खाने को लाया है?” 34 यीशु ने उनसे कहा, “मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजनेवाले की इच्छा के अनुसार चलूँ और उसका काम पूरा करूँ। 35 क्या तुम नहीं कहते, ‘कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं?’ देखो, मैं तुम से कहता हूँ, अपनी आँखें उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो, कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं। 36 और काटनेवाला मजदूरी पाता, और अनन्त जीवन के लिये फल बटोरता है, ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर आनन्द करें। 37 क्योंकि इस पर यह कहावत ठीक बैठती है: ‘बोनेवाला और है और काटनेवाला और।’ (मीका 6:15) 38 मैंने तुम्हें वह खेत काटने के लिये भेजा जिसमें तुम ने परिश्रम नहीं किया औरों ने परिश्रम किया और तुम उनके परिश्रम के फल में भागी हुए।”

39 और उस नगर के बहुत से सामरियों ने उस स्त्री के कहने से यीशु पर विश्वास किया; जिस ने यह गवाही दी थी, कि उसने सब कुछ जो मैंने किया है, मुझे बता दिया। 40 तब जब ये सामरी उसके पास आए, तो उससे विनती करने लगे कि हमारे यहाँ रह, और वह वहाँ दो दिन तक रहा। 41 और उसके वचन के कारण और भी बहुतों ने विश्वास किया। 42 और उस स्त्री से कहा, “अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हमने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है।” 43 फिर उन दो दिनों के बाद वह वहाँ से निकलकर गलील को गया। 44 क्योंकि यीशु ने आप ही साक्षी दी कि भविष्यद्वक्ता अपने देश में आदर नहीं पाता। 45 जब वह गलील में आया, तो गलीली आनन्द के साथ उससे मिले; क्योंकि जितने काम उसने यरूशलेम में पर्व के समय किए थे, उन्होंने उन सब को देखा था, क्योंकि वे भी पर्व में गए थे।

46 तब वह फिर गलील के काना में आया, जहाँ उसने पानी को दाखरस बनाया था। वहाँ राजा का एक कर्मचारी था जिसका पुत्र कफरनहूम में बीमार था। 47 वह यह सुनकर कि यीशु यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उससे विनती करने लगा कि चलकर मेरे पुत्र को चंगा कर दे: क्योंकि वह मरने पर था। 48 यीशु ने उससे कहा, “जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे।” (दानि. 4:2) 49 राजा के कर्मचारी ने उससे कहा, “हे प्रभु, मेरे बालक की मृत्यु होने से पहले चल।” 50 यीशु ने उससे कहा, “जा, तेरा पुत्र जीवित है।” उस मनुष्य ने यीशु की कही हुई बात पर विश्वास किया और चला गया। 51 वह मार्ग में जा ही रहा था, कि उसके दास उससे आ मिले और कहने लगे, “तेरा लड़का जीवित है।” 52 उसने उनसे पूछा, “किस घड़ी वह अच्छा होने लगा?” उन्होंने उससे कहा, “कल सातवें घण्टे में उसका ज्वर उतर गया।” 53 तब पिता जान गया कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उससे कहा, “तेरा पुत्र जीवित है,” और उसने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया। 54 यह दूसरा चिन्ह था जो यीशु ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया।



John 4:1

जब प्रभु को मालूम हुआ

"जब" शब्द यहाँ कहानी में परिवर्तन का संकेतक है, कहानी में पूर्व के अध्याय में यूहन्ना के शब्दों से परिवर्तित होकर यीशु के कार्यों का वर्णन करती है।

यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं देते थे।

"असलमे यीशु लोगों को बपतिस्मा नहीं दे रहा था"। "स्वयं" शब्द यीशु पर बल देने के लिए है।

John 4:6

मुझे पानी पिला

एक विनम्र निवेदन है, आज्ञा नहीं।

John 4:9

किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते हैं

"संबन्ध नहीं रखते हैं"।

John 4:11

क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है?

"तू हमारे पिता याकूब से बड़ा नहीं हो सकता"

John 4:19

मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्ता है

"मैं समझ सकती हूं कि तू एक भविष्यद्वक्ता है"

John 4:21

हम जिसे जानते हैं, उसकी आराधना करते हैं, क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है।

हम उसे जानते हैं "क्योंकि जो मनुष्यों को परमेश्वर के दण्ड से बचाएगा वह जन्म से यहूदी है"।

John 4:23

परन्तु, वह समय आता है, वरन् अब भी है

वैकल्पिक अनुवाद, "परन्तु समय आ चुका है, जब"

आराधना आत्मा से करेंगे।

"उसके आत्मा के निर्देशन में"

John 4:28

कहीं यही तो मसीह नहीं?

वैकल्पिक मनुष्य, "क्या यह मनुष्य मसीह हो सकता है"?

John 4:34

मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले वाले की इच्छा के अनुसार चलूं।

"जिस प्रकार भोजन भूखे मनुष्य को सन्तुष्ट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की इच्छा का पालन करना मुझे सन्तुष्ट करता है"

क्या तुम नहीं कहते

"क्या यह तुम में प्रचलित कहावत नहीं"?

वे कटनी के लिए पक चुके हैं।

जिस प्रकार खेत में पकी हुई फसल कटनी के लिए तैयार होती है वैसे ही मनुष्य मेरा सन्देश स्वीकार करने के लिए तैयार हैं“

John 4:37

तुम उसके परिश्रम के फल के भागी हुए।

"तुम" शब्द "तुम" को पिछले उपयोग का फल प्रदान करने के लिए है। इसका अनुवाद अपनी भाषा में उस शब्द से करें जो किसी व्यक्ति को बल प्रदान करता है।

John 4:43

यीशु ने आप ही साक्षी दी

"आप" शब्द बल प्रदान करने के लिए काम में लिया गया है


Translation Questions

John 4:1

यीशु कब यहूदिया से गलील चला गया?

यह जानकर कि फरीसियों को समाचार मिल गया है कि यीशु यूहन्ना से अधिक बपतिस्मा दे रहा है और शिष्य बना रहा है तो वह यहूदिया को छोड़कर गलील चला गया।

John 4:5

गलील जाते समय यीशु किस स्थान में रूका था?

वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर में याकूब के कुएँ के पास ठहर गया।

John 4:7

जब यीशु कुएं पर था तब वहाँ कौन आया?

उस कुएँ पर एक सामरी स्त्री पानी भरने आई।

यीशु ने उस सामरी स्त्री से क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, "मुझे पानी पिला"।

John 4:8

यीशु के शिष्य उस समय कहाँ थे?

वे नगर में भोजन लेने गए थे।

John 4:9

उस सामरी स्त्री को यीशु के इस व्यवहार पर आश्चर्य क्यों हुआ?

इस पर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि यहूदी सामरियों से संबन्ध नहीं रखते थे।

John 4:10

यीशु ने वार्तालाप को परमेश्वर की बातों की ओर करने के लिए क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा कि यदि वह परमेश्वर के वरदान को जानती और पानी मांगने वाले को पहचानती तो वह उससे मांगती और वह उसे जीवन का जल देता।

John 4:11

उस स्त्री की किस बात से प्रकट होता है कि वह यीशु की आत्मिक बात को समझ नहीं पाई थी?

उस स्त्री ने कहा, "हे प्रभु तेरे पास तो जल भरने को तो कुछ भी नहीं है और कुआं गहरा है, तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया?"

John 4:15

यीशु उस स्त्री को अपने जल के बारे में क्या कहता है?

यीशु ने उस स्त्री से कहा कि जो उसके दिए हुए पानी को पीते हैं वे फिर कभी प्यासे नहीं होते और वह उनमें सोता बन जायेगा जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहेगा।

वह स्त्री अब इस जल को क्यों मांगती है जो यीशु देता है?

उसने वह जल मांगा कि उसे फिर प्यास न लगे और उसे पानी लेने कुएं के पास न आना पड़े।

John 4:16

यीशु चर्चा विषय बदलकर उस स्त्री से क्या कहता है?

यीशु ने उससे कहा, "जा अपने पति को यहां बुला ला"।

John 4:17

जब यीशु ने उससे कहा कि वह अपने पति को ले आए तब उस स्त्री का उत्तर क्या था?

उस स्त्री ने यीशु से कहा कि उसका पति नहीं है।

John 4:18

यीशु की किस बात से उस स्त्री को विश्वास हो गया कि यीशु एक भविष्यद्वक्ता है?

यीशु ने उससे कहा कि उसने पांच पति किए हैं और जिसके साथ वह रहती है, वह भी उसका पति नहीं है।

John 4:20

आराधना के बारे में उस स्त्री ने यीशु के समक्ष क्या मतभेद रखा था?

अब वह आराधना के स्थान पर उनमें जो मतभेद था उसका विषय ले आती है।

John 4:23

यीशु ने सच्चे भक्तों के बारे में उस स्त्री से क्या कहा जिन्हें पिता परमेश्वर खोजता है?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर आत्मा है और सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे।

John 4:25

उस स्त्री ने यीशु से कहा कि मसीह आने वाला है जो सब बातें बताएगा तो यीशु ने उस पर क्या प्रकट किया?

यीशु ने उससे कहा कि वही मसीह है।

John 4:28

यीशु से बातें करने के बाद उस स्त्री ने क्या किया?

उस स्त्री ने पानी का बर्तन वहीं छोड़ा और नगर में जाकर लोगों से कहा, आओ एक मनुष्य को देखो, जिसने सब कुछ जो मैंने किया मुझे बता दिया। कहीं यही तो मसीह नहीं है?

John 4:30

उस स्त्री की बातें सुनकर नगरवासियों ने क्या किया?

वे सब नगर से निकल कर यीशु के पास आए।

John 4:34

यीशु ने अपना भोजन क्या बताया?

यीशु ने कहा, मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं।

John 4:36

फसल काटने का क्या लाभ है?

काटने वाला मजदूरी पाता है और अनन्त जीवन के लिए फल बटोरता है, ताकि बोने वाला और काटने वाला दोनों मिलकर आनन्द करें।

John 4:39

वे कौन सी दो बातें थी जिनके कारण सामरियों ने यीशु में विश्वास किया?

उस स्त्री की बातें सुनकर उस नगर में अनेक सामरियों ने यीशु में विश्वास किया और उसके वचन के कारण और भी बहुतों ने विश्वास किया।

John 4:42

उन सामरियों में से अधिकांश ने यीशु के विषय क्या विश्वास किया?

उन्होंने कहा कि अब वे जान गए हैं कि यीशु निश्चय ही जगत का उद्धारकर्ता है।

John 4:45

गलील वासियों ने गलील में यीशु का स्वागत क्यों किया था?

उन्होंने उसका हार्दिक स्वागत किया क्योंकि उन्होंने पर्व के समय यरूशलेम में उसके द्वारा किए गए सब काम देखे थे।

John 4:46

यीशु यहूदिया से गलील आया तब किसने उससे विनती की, कि उसके पुत्र को चंगा करें?

राजा के एक कर्मचारी ने आकर विनती की, कि वह उसके घर आकर उसके पुत्र को चंगा करे।

John 4:48

यीशु ने राजा के उस कर्मचारी से चिन्ह चमत्कारों के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने उससे कहा, कि मनुष्य चिन्ह चमत्कार देखे बिना विश्वास नहीं करेंगे।

John 4:50

यीशु ने उससे कहा, जा तेरा पुत्र जीवित है, तो उसने क्या किया?

उसने यीशु की बात पर विश्वास किया और घर लौट गया।

John 4:53

उस रोगी बालक के पिता से जब यीशु ने कहा, जा तेरा पुत्र जीवित है, एक दिन पहले सातवें घंटे उसका ज्वर उतर गया तो इसका परिणाम क्या हुआ?

परिणाम यह हुआ कि राजा के उस कर्मचारी ने और उसके पूरे घराने ने विश्वास किया।


Chapter 5

1 इन बातों के पश्चात् यहूदियों का एक पर्व हुआ, और यीशु यरूशलेम को गया। 2 यरूशलेम में भेड़-फाटक के पास एक कुण्ड है, जो इब्रानी भाषा में बैतहसदा कहलाता है, और उसके पाँच ओसारे हैं। 3 इनमें बहुत से बीमार, अंधे, लँगड़े और सूखे अंगवाले (पानी के हिलने की आशा में) पड़े रहते थे। 4 क्योंकि नियुक्त समय पर परमेश्‍वर के स्वर्गदूत कुण्ड में उतरकर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहले उतरता, वह चंगा हो जाता था, चाहे उसकी कोई बीमारी क्यों न हो। 5 वहाँ एक मनुष्य था, जो अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था। 6 यीशु ने उसे पड़ा हुआ देखकर और यह जानकर कि वह बहुत दिनों से इस दशा में पड़ा है, उससे पूछा, “क्या तू चंगा होना चाहता है?” 7 उस बीमार ने उसको उत्तर दिया, “हे स्वामी, मेरे पास कोई मनुष्य नहीं, कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्ड में उतारे; परन्तु मेरे पहुँचते-पहुँचते दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है।” 8 यीशु ने उससे कहा, “उठ, अपनी खाट उठा और चल फिर।” 9 वह मनुष्य तुरन्त चंगा हो गया, और अपनी खाट उठाकर चलने फिरने लगा। 10 वह सब्त का दिन था। इसलिए यहूदी उससे जो चंगा हुआ था, कहने लगे, “आज तो सब्त का दिन है, तुझे खाट उठानी उचित नहीं।” (यिर्म. 17:21) 11 उसने उन्हें उत्तर दिया, “जिस ने मुझे चंगा किया, उसी ने मुझसे कहा, ‘अपनी खाट उठाकर चल फिर’।” 12 उन्होंने उससे पूछा, “वह कौन मनुष्य है, जिस ने तुझ से कहा, ‘खाट उठा और, चल फिर’?” 13 परन्तु जो चंगा हो गया था, वह नहीं जानता था कि वह कौन है; क्योंकि उस जगह में भीड़ होने के कारण यीशु वहाँ से हट गया था। 14 इन बातों के बाद वह यीशु को मन्दिर में मिला, तब उसने उससे कहा, “देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इससे कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।” 15 उस मनुष्य ने जाकर यहूदियों से कह दिया, कि जिस ने मुझे चंगा किया, वह यीशु है। 16 इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे, क्योंकि वह ऐसे-ऐसे काम सब्त के दिन करता था। 17 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूँ।” 18 इस कारण यहूदी और भी अधिक उसके मार डालने का प्रयत्न करने लगे, कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता, परन्तु परमेश्‍वर को अपना पिता कहकर, अपने आप को परमेश्‍वर के तुल्य ठहराता था।

19 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन-जिन कामों को वह करता है, उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है। 20 क्योंकि पिता पुत्र से प्‍यार करता है* और जो-जो काम वह आप करता है, वह सब उसे दिखाता है; और वह इनसे भी बड़े काम उसे दिखाएगा, ताकि तुम अचम्भा करो। 21 क्योंकि जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है, उन्हें जिलाता है। 22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है, 23 इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें; जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिसने उसे भेजा है, आदर नहीं करता। 24 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।

25 “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्‍वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएँगे। 26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे; 27 वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है। 28 इससे अचम्भा मत करो; क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे। 29 जिन्होंने भलाई की है, वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है, वे दण्ड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे। (दानि.12:2)

30 “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूँ, वैसा न्याय करता हूँ, और मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूँ। 31 यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूँ; तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। 32 एक और है जो मेरी गवाही देता है, और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही वह देता है, वह सच्ची है। 33 तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उसने सच्चाई की गवाही दी है। 34 परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता*; फिर भी मैं ये बातें इसलिए कहता हूँ, कि तुम्हें उद्धार मिले। 35 वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था; और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में, मगन होना अच्छा लगा। 36 परन्तु मेरे पास जो गवाही है, वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है: क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं, कि पिता ने मुझे भेजा है। 37 और पिता जिस ने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है; 38 और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते, क्योंकि जिसे उसने भेजा तुम उस पर विश्वास नहीं करते। 39 तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते* हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है; 40 फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। 41 मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता। 42 परन्तु मैं तुम्हें जानता हूँ, कि तुम में परमेश्‍वर का प्रेम नहीं। 43 मैं अपने पिता के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे। 44 तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो एकमात्र परमेश्‍वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो? 45 यह न समझो, कि मैं पिता के सामने तुम पर दोष लगाऊँगा, तुम पर दोष लगानेवाला तो है, अर्थात् मूसा है जिस पर तुम ने भरोसा रखा है। 46 क्योंकि यदि तुम मूसा पर विश्वास करते, तो मुझ पर भी विश्वास करते, इसलिए कि उसने मेरे विषय में लिखा है। (लूका 24:27) 47 परन्तु यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते, तो मेरी बातों पर क्यों विश्वास करोगे?”



John 5:1

इन बातों के पश्चात्

राजा के कर्मचारी के पुत्र को जीवित करने के बाद

यरूशलेम को गया

यरूशलेम पहाड़ पर बसा है। यरूशलेम का मार्ग छोटी पहाड़ियों पर ऊपर नीचे होता हुआ जाता है। यदि आपकी भाषा में ऐसा शब्द है जो समतल भूमि पर चलने की अपेक्षा पहाड़ पर चढ़ने को व्यक्त करता है तो उसका उपयोग करें।

कुण्ड

भूमि में पानी का गड्डा

बैतहसदा

"बैतहसदा" का अर्थ है दया का घर

ओसारे

किसी इमारत से लगी छत जिसकी कम से कम एक दीवार नहीं होती है

बहुत से

अनेक

पद 4

कुछ प्राचीन अभिलेखों में यह पद है परन्तु अन्यों में नहीं है, अतः हमारा सुझाव है कि आप वहां रिक्त स्थान छोड़ने की अपेक्षा पद 3 और पद 4 को जोड़ दें जैसा यू.एल.बी. और यू.डी.बी. में किया गया है।

John 5:5

वहाँ था

"बैतहसदा के कुण्ड के पास।"

अड़तीस वर्ष से

38 वर्षों से

यह जानकर

"वह समझ गया"

John 5:7

जब पानी हिलाया जाए

"जब स्वर्गदूत पानी हिलाए"

दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है।

"मुझसे पहले कोई और ही कुण्ड में उतर जाता है" उस कुण्ड में जल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से उतर कर जाना होता था।

उठ

"खड़ा हो"

अपनी खाट उठा

"अपना बिछौना उठा"

John 5:9

वह मनुष्य तुरन्त चंगा हो गया।

"वह मनुष्य फिर से स्वस्थ हो गया"

अब

अब मुख्य कहानी में अन्तराल आता है

John 5:10

जिसने मुझे चंगा किया

जिस मनुष्य ने मुझे स्वास्थ्य प्रदान किया

John 5:12

उन्होंने उससे पूछा

"यहूदी गुरूओं ने स्वास्थ्य लाभ उठाने वाले से पूछा"

John 5:14

वह यीशु को मिला

"यीशु को वह मनुष्य मिला जिसे उसने चंगा किया था"

देख

वैकल्पिक अनुवाद, "देख" या "सुन" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दे"।

John 5:16

अब

यहाँ कहानी में अन्तराल आता है और यूहन्ना कहानी का एक नये परिदृश्य प्रस्तुत करता है।

अपने आप को परमेश्वर के तुल्य भी ठहराता है

"कहता है कि वह परमेश्वर के समान है" या "कहता है कि उसके पास परमेश्वर के समान अधिकार है"

John 5:19

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

सच-सच

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

तुम अचम्भा करोगे

"तुम चकित हो जाओगे" या "तुम भौंचक्के रह जाओगे”।

John 5:21

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है .

John 5:24

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है .

सच-सच

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 5:25

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

सच-सच

यह बल देने के लिए है। इसका अनुवाद अपनी भाषा में किसी बात पर बल देने के शब्दों में करें

John 5:26

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

John 5:28

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

उसका शब्द सुन कर

"मनुष्य के पुत्र की वाणी सुनकर"

John 5:30

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है .

कुछ नहीं कर सकता

इसका अनुवाद वैसा करें जैसा में किया है

John 5:33

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता

"मुझे मनुष्यों की गवाही की आवश्यकता नहीं"

युहन्ना तो जलता और चमकता हुआ दीपक था

"यूहन्ना ने परमेश्वर की पवित्रता को इस प्रकार प्रकट किया जिस प्रकार दीपक ज्योति प्रकट करता है"।

John 5:36

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

उसके वचन को तुम में स्थिर नहीं रखते क्योंकि उसने भेजा है तुम उसका विश्वास नहीं करते।

"तुम उसमें विश्वास नहीं करते जिसे उसने भेजा है, इसी से मैं जानता हूं कि उसका वचन तुममे नहीं है।"

तुम में

"तुममें अवस्थित"

John 5:39

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है

"यदि तुम धर्मशास्त्र पढ़ो तो तुम्हें अनन्त जीवन प्राप्त होगा" या "धर्मशास्त्र तुम्हें अनन्त जीवन पाने का मार्ग दिखाएगा"।

John 5:41

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है .

मिलता है

"ग्रहण कर पाओगे"

तुममें परमेश्वर का प्रेम नहीं

इसके अर्थ हो सकते हैं (1) "तुम परमेश्वर से सच में प्रेम नहीं करते" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "तुम्हें परमेश्वर का प्रेम वास्तव में मिला नहीं"

John 5:43

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है .

तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो एकमात्र परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो?

"तुम किसी भी प्रकार विश्वास नहीं कर सकते क्योंकि तुम एक दूसरे से प्रशंसा पाना चाहते हो .... एकमात्र परमेश्वर की ओर से है"

John 5:45

x

यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है .

यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते, तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे?

"तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास करते नहीं तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे"।

मेरी बातों पर

"जो मैं कहता हूं"


Translation Questions

John 5:2

भेड़ फाटक के पास उस कुण्ड का नाम क्या था जिसके पांच ओसारे थे?

इस कुण्ड का नाम बैतहसदा था।

John 5:3

बैतहसदा के पास कौन लोग रहते थे?

उस छत के नीचे बहुत से बीमार, अंधे, लंगड़े और सूखे अंग वाले पड़े रहते थे।

John 5:5

बैतहसदा के निकट यीशु ने किससे पूछा, "क्या तू चंगा होना चाहता है?

वहाँ अड़तीस वर्षों से एक रोगी पड़ा हुआ था यीशु ने उससे साक्षात्कार किया।

John 5:7

यीशु ने जब उससे पूछा, क्या तू चंगा होना चाहता है, तब उसने क्या उत्तर दिया?

उस रोगी ने कहा, "हे प्रभु मेरे पास कोई मनुष्य नहीं कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्ड में उतारे; परन्तु मेरे पहुँचते-पहुँचते दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है।"

John 5:8

यीशु ने उस रोगी से कहा, "अपनी खाट उठा और चल-फिर", तब क्या हुआ?

वह तुरन्त चंगा हो गया और अपनी खाट उठाकर चलने लगा।

John 5:9

उस रोगी को अपनी खाट उठाकर चलते हुए देख यहूदी अगुवे क्यों क्रोधित हुए?

यह देख वे क्रोधित हुए क्योंकि वह सब्त का दिन था और उसे अपनी खाट उठाने की अनुमति नहीं थी।

John 5:14

उस रोगी को जब यीशु ने मन्दिर में देखा तब उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, "देख, तू चंगा हो गया है। फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इससे भारी विपत्ति तुम पर आ पड़े।"

John 5:15

जब यीशु ने उससे कहा, कि वह पाप करना छोड़ दे तब उस रोगी ने क्या किया?

उसने यहूदियों के अगुवों से कहा कि उसे चंगा करने वाला यीशु था।

John 5:17

सब्त के दिन यीशु चंगाई का काम करता था इसलिए यहूदी अगुवे उसे सताने लगे, तो यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, "मेरा पिता अब तक काम करता है और मैं भी काम करता हूँ"।

John 5:18

यीशु ने यहूदियों के अगुवों से क्या कहा उसके कारण वे उसे मार डालने का प्रयत्न करने लगे?

यह इसलिए हुआ कि यीशु ने (उनके विचार में) सब्त के दिन का उल्लंघन ही नहीं किया, परमेश्वर को अपना पिता कहा अर्थात उसकी बराबरी की।

John 5:19

यीशु ने क्या किया?

उसने वही किया जो उसने पिता को करते देखा।

John 5:20

पिता ने पुत्र को कौन से महान कार्य दिखाए जिसे देख यहूदी अगुवें आश्चर्यचकित हुए?

पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है जिलाता है।

John 5:22

पिता ने न्याय का सब काम पुत्र को क्यों सौंप दिया है?

पिता ने न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें।

John 5:23

यदि कोई पुत्र का आदर न करे तो क्या होता है?

यदि कोई पुत्र का आदर नहीं करता तो वह भेजने वाले पिता का भी आदर नहीं करता है।

John 5:24

यदि कोई यीशु के वचनों में विश्वास करे और उसको भेजने वाले पिता में विश्वास करे तो उसका क्या होता है?

यदि ऐसा है तो अनन्त जीवन उसका है और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।

John 5:26

पिता ने जीवन के संबन्ध में पुत्र को क्या दिया है?

पिता ने पुत्र को अधिकार दिया है कि अपने आपमें जीवन रखे।

John 5:28

जब मृतक परमेश्वर पिता का शब्द सुनेंगे तब क्या होगा?

जिन्होंने भलाई की है, उनका पुनरूत्थान जीवन के लिए होगा और जिन्होंने बुराई की है, उनका पुनरूत्थान दण्ड के लिए होगा।

John 5:30

यीशु का न्याय सच्चा क्यों है?

उसका न्याय सच्चा है क्योंकि वह अपनी इच्छा पूरी नहीं करता परन्तु उसको भेजने वाले की इच्छा पूरी करता है।

John 5:34

यीशु की कौन सी दो गवाहियां हैं जो मनुष्य की नहीं हैं?

यीशु ने जो काम किया वह पिता ने उसे पूरा करने को सौंपा था, वे गवाही हैं कि पिता ने यीशु को भेजा है और पिता ही ने यीशु की गवाही दी है।

John 5:37

पिता का शब्द किसने नहीं सुना और किसने उसका रूप कभी नहीं देखा?

यहूदियों ने न तो कभी परमेश्वर का शब्द सुना न उसका रूप देखा।

John 5:39

यहूदियों के अगुवे धर्मशास्त्र में खोज क्यों करते थे?

वे धर्मशास्त्र में खोजते थे कि उन्हें अनन्त जीवन मिल जाए।

धर्मशास्त्र किसकी गवाही देते थे?

धर्मशास्त्र यीशु की गवाही देते थे।

John 5:44

यहूदियों के अगुवे किससे प्रशंसा नहीं खोजते थे?

एकमात्र आदर जो परमेश्वर की ओर से है उसे वे नहीं चाहते थे।

John 5:45

परमेश्वर पिता के समक्ष यहूदी अगुवों को कौन दोष देगा?

मूसा परमेश्वर के समक्ष यहूदी अगुवों पर दोष लगाएगा।

John 5:46

यीशु ने क्या कहा कि यहूदी अगुवे करेंगे यदि वे मूसा का विश्वास करें?

यीशु ने कहा कि यदि यहूदी अगुवे मूसा पर विश्वास करते तो उसका भी विश्वास करते क्योंकि उसने यीशु के विषय में लिखा था।


Chapter 6

1 इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात् तिबिरियुस की झील के पार गया। 2 और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्यकर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उनको देखते थे*। 3 तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहाँ बैठा। 4 और यहूदियों के फसह का पर्व निकट था। 5 तब यीशु ने अपनी आँखें उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलिप्पुस से कहा, “हम इनके भोजन के लिये कहाँ से रोटी मोल लाएँ?” 6 परन्तु उसने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह स्वयं जानता था कि वह क्या करेगा। 7 फिलिप्पुस ने उसको उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिये पूरी न होंगी कि उनमें से हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल जाए।” 8 उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उससे कहा, 9 “यहाँ एक लड़का है, जिसके पास जौ की पाँच रोटी और दो मछलियाँ हैं, परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं।” 10 यीशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो।” उस जगह बहुत घास थी। तब वे लोग जो गिनती में लगभग पाँच हजार के थे, बैठ गए। 11 तब यीशु ने रोटियाँ लीं, और धन्यवाद करके बैठनेवालों को बाँट दी; और वैसे ही मछलियों में से जितनी वे चाहते थे बाँट दिया। 12 जब वे खाकर तृप्त हो गए, तो उसने अपने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।” 13 इसलिए उन्होंने बटोरा, और जौ की पाँच रोटियों के टुकड़े जो खानेवालों से बच रहे थे, उनकी बारह टोकरियाँ भरीं। 14 तब जो आश्चर्यकर्म उसने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे; कि “वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है।” (मत्ती 21:11) 15 यीशु यह जानकर कि वे उसे राजा बनाने के लिये आकर पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया।

16 फिर जब संध्या हुई, तो उसके चेले झील के किनारे गए, 17 और नाव पर चढ़कर झील के पार कफरनहूम को जाने लगे। उस समय अंधेरा हो गया था, और यीशु अभी तक उनके पास नहीं आया था। 18 और आँधी के कारण झील में लहरें उठने लगीं। 19 तब जब वे खेते-खेते तीन चार मील के लगभग निकल गए, तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते, और नाव के निकट आते देखा, और डर गए। 20 परन्तु उसने उनसे कहा, “मैं हूँ; डरो मत।” 21 तब वे उसे नाव पर चढ़ा लेने के लिये तैयार हुए और तुरन्त वह नाव उसी स्थान पर जा पहुँची जहाँ वह जाते थे।

22 दूसरे दिन उस भीड़ ने, जो झील के पार खड़ी थी, यह देखा, कि यहाँ एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी, और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा, परन्तु केवल उसके चेले ही गए थे। 23 (तो भी और छोटी नावें तिबिरियुस से उस जगह के निकट आई, जहाँ उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।) 24 जब भीड़ ने देखा, कि यहाँ न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी-छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूँढ़ते हुए कफरनहूम को पहुँचे।

25 और झील के पार उससे मिलकर कहा, “हे रब्बी, तू यहाँ कब आया?” 26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्त हुए। 27 नाशवान भोजन के लिये परिश्रम न करो*, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात् परमेश्‍वर ने उसी पर छाप कर दी है।” 28 उन्होंने उससे कहा, “परमेश्‍वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?” 29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो।” 30 तब उन्होंने उससे कहा, “फिर तू कौन सा चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तुझ पर विश्वास करें? तू कौन सा काम दिखाता है? 31 हमारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है, ‘उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी’।” (भज. 78:24) 32 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 33 क्योंकि परमेश्‍वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है।” 34 तब उन्होंने उससे कहा, “हे स्वामी, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर।” 35 यीशु ने उनसे कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ*: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। 36 परन्तु मैंने तुम से कहा, कि तुम ने मुझे देख भी लिया है, तो भी विश्वास नहीं करते। 37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा। 38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ। 39 और मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उसने मुझे दिया है, उसमें से मैं कुछ न खोऊँ परन्तु उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँ। 40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा।” 41 तब यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे, इसलिए कि उसने कहा था, “जो रोटी स्वर्ग से उतरी, वह मैं हूँ।” 42 और उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो वह क्यों कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?” 43 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “आपस में मत कुड़कुड़ाओ। 44 कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसको अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा। 45 भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है, ‘वे सब परमेश्‍वर की ओर से सिखाए हुए होंगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। (यशा. 54:13) 46 यह नहीं, कि किसी ने पिता को देखा है परन्तु जो परमेश्‍वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है। 47 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। 48 जीवन की रोटी मैं हूँ। 49 तुम्हारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। 50 यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उसमें से खाए और न मरे। 51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा; और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा, वह मेरा माँस है।” 52 इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे, “यह मनुष्य कैसे हमें अपना माँस खाने को दे सकता है?” 53 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ जब तक मनुष्य के पुत्र का माँस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। 54 जो मेरा माँस खाता, और मेरा लहू पीता हैं, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं अन्तिम दिन फिर उसे जिला उठाऊँगा। 55 क्योंकि मेरा माँस वास्तव में खाने की वस्तु है और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। 56 जो मेरा माँस खाता और मेरा लहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है*, और मैं उसमें। 57 जैसा जीविते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। 58 जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, पूर्वजों के समान नहीं कि खाया, और मर गए; जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।” 59 ये बातें उसने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं।

60 इसलिए उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है; इसे कौन मान सकता है?” 61 यीशु ने अपने मन में यह जानकर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं, उनसे पूछा, “क्या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है? 62 और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था, वहाँ ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा? (भज. 47:5) 63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं। 64 परन्तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते।” क्योंकि यीशु तो पहले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं; और कौन मुझे पकड़वाएगा। 65 और उसने कहा, “इसलिए मैंने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।”

66 इस पर उसके चेलों में से बहुत सारे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले। 67 तब यीशु ने उन बारहों से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?” 68 शमौन पतरस ने उसको उत्तर दिया, “हे प्रभु, हम किस के पास जाएँ? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। 69 और हमने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्‍वर का पवित्र जन तू ही है।” 70 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुन लिया? तो भी तुम में से एक व्यक्ति शैतान है।” 71 यह उसने शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के विषय में कहा, क्योंकि यही जो उन बारहों में से था, उसे पकड़वाने को था।



John 6:1

इन बातों के बाद

"इन बातों" अर्थात . की घटनाओं के बाद। वैकल्पिक अनुवाद, "कुछ समय बाद"।

यीशु चला गया

"यीशु पार गया" (यू.डी.बी.) या "यीशु चलकर पहुंचा"

एक बड़ी भीड़

"विशाल जनसमूह"

John 6:4

अब

यह शब्द का उपयोग करके अब मुख्य कहानी में अन्तराल आता है

(यहूदियों के फसह पर्व निकट था)

यूहन्ना कुछ समय कहानी को रोकता है कि कहानी की पृष्ठ भूमि की जानकारी दे कि वह क्या समय था जब ये सब घटनाएं हो रही थी।

(उसने यह बात उसको परखने के लिए कही थी, क्योंकि वह आप जानता था कि वह क्या करेगा।)

यूहन्ना कुछ समय के लिए कहानी की घटनाओं का क्रम रोक देता है कि यीशु द्वारा फिलिप्पुस से रोटी का प्रबन्ध करने की बात की व्याख्या करे।

वह आप जानता था।

यह शब्द "आप" स्पष्ट करता है कि "वह" शब्द यीशु के लिए काम में लिया गया है। यीशु जानता था कि वह क्या करेगा।

John 6:7

दो सौ दीनार की रोटी

दो सौ दिनों की मजदूरी के पैसों से खरीदी गई रोटी"

जौ की .... रोटी

जौ के आटे से बनी रोटी

इतने लोगों के लिए वे क्या हैं?

ये पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ इतने लोगों को भोजन कराने के लिए क्या हैं?

John 6:10

बैठा दो

"बैठा दो" आपकी भाषा में भोजन करने के लिए बैठने का शब्द काम में लें।

(उस जगह बहुत घास थी)

मनुष्यों के बैठने के लिए वह एक सुविधाजनक स्थान था

लोग .... पुरूष

जनसमूह

संख्या लगभग पांच हजार थी

जनसमूह में संभवतः स्त्रियां और बच्चे भी थे , परन्तु गणना केवल पुरूषों की है।

धन्यवाद करके

यीशु परमेश्वर से प्रार्थना करके रोटी और मछलियों के लिए उसे धन्यवाद दे रहा है।

बैठने वालों में बांट दीं।

यीशु ने रोटियाँ और मछलियाँ तोड़ी और अपने शिष्यों को दे दीं कि वे उन्हें लोगों में बांट दें।

John 6:13

उन्होंने बटोरा

"शिष्यों ने एकत्र किया"

बच रहे थे

जो भोजन किसी ने नहीं खाया था

यह आश्चर्यकर्म हैं

यीशु द्वारा पाँच हजार लोगों को पांच रोटियाँ और दो मछलियाँ से भोजन करने का।

John 6:16

(उस समय अन्धेरा हो गया था और यीशु अभी तक उनके पास आया नहीं था।)

अपनी भाषा की अभिव्यक्ति द्वारा इसे व्यक्त करें कि यह जानकारी पृष्ठभूमि की है

John 6:19

शिष्य नाव खे रहे थे

नाव में प्रायः दो, चार, छः लोग पतवार चलाते थे। आपकी भाषा में पानी पर नाव चलाने के लिए भिन्न विधि हो सकती है।

तीन-चार मील

भूल भाषा का शब्द है "स्टेडियम" अर्थात 185 मीटर।

John 6:22

झील

गलील सागर

"तब अन्य नावें निकट आई, जहाँ उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद ...."

अपनी भाषा की अभिव्यक्ति द्वारा इसे व्यक्त करें कि यह जानकारी पृष्ठभूमि की है

नावें तिबरियास से उस जगह के निकट आई

शिष्यों के चले जाने के बाद नावें आई परन्तु इससे पूर्व कि लोग देखते कि "वहाँ कोई नांव न थी"।

John 6:26

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 6:32

x

यीशु लोगों से बातें कर रहा है .

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

जीवन की रोटी

यीशु अपनी तुलना रोटी से कर रहा है। जैसे हमारे शरीर के लिए रोटी आवश्यक है, वैसे ही यीशु हमारे आत्मिक जीवन के लिए आवश्यक है।

John 6:35

x

यीशु लोगों से बातें कर रहा है .

जीवन की रोटी मैं हूँ।

यीशु अपनी तुलना रोटी से कर रहा है। जैसे हमारे शरीर के लिए रोटी आवश्यक है, वैसे ही यीशु हमारे आत्मिक जीवन के लिए आवश्यक है।

जो कोई मेरे पास आयेगा उसे मैं कभी न निकालूँगा।

"जो मेरे पास आयेंगे उनमें से हर एक को मैं अपने पास रखूंगा"।

John 6:38

x

यीशु लोगों से बातें कर रहा है .

उसने जिसने मुझे भेजा

"मेरा पिता जिसने मुझे भेजा है"

John 6:41

x

यीशु जब लोगों से बातें कर रहा था तब यहूदी मनुष्यों ने विघ्न डाला .

कुड़कुड़ाने लगे

अप्रसन्न होकर कुड़कुड़ाना लगे

जो रोटी स्वर्ग से उतरी वह मैं हूँ

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 6:43

x

यीशु लोगों से बातें कर रहा है परन्तु यहूदी अगुवे भी हैं। .

खींच

इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) "खींचता है" या (2) "आकर्षित करता है"

भविष्यद्वक्ता के लेखों में यह लिखा है

"भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा है"

John 6:46

x

अब यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है .

यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है, ... उसी ने पिता को देखा है।

संभावित अर्थ, (1) यूहन्ना अपने शब्दों को जोड़ रहा है आप अपने शब्दों में व्यक्त कर सकते हैं कि यह कहानी का महत्त्वपूर्ण भाग है। (देखें: [[rc://*/bible/team-info/training/quick-reference/discourse/background]]) यीशु यूह. 06:43/6:45) के संभावित भ्रम को दूर कर रहा है।

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 6:48

x

यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है।

जीवन की रोटी मैं हूँ।

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे .में किया है।

John 6:50

x

यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है। .

यह वह रोटी है

देखें .

जीवन की रोटी

इसके अर्थ हैं, (1) जैसा में जीवन की रोटी का है या (2) "रोटी जो जीवित है" जैसे मनुष्य और पशु जीवित है, मृतक का विपरित।

John 6:52

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

मनुष्य के पुत्र का मांस खाओ और उसका लहू पीओ

मनुष्य के पुत्र को विश्वास के द्वारा ग्रहण करना ऐसा है जैसे जीवनदायक भोजन-पानी पीना

John 6:54

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

वास्तव में खाने की वस्तु .... वास्तव में पीने की वस्तु

यीशु को विश्वास के द्वारा ग्रहण करना अनन्त जीवन उसी प्रकार देता है जिस प्रकार भोजन-पानी शरीर का पोषण करते हैं।

John 6:57

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

जीवते पिता

इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) "पिता जो जीवन देता है" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "पिता जो जीवित है" जैसे मनुष्य और पशु जीवित हैं। मृतक का विपरित। (यूह. 06:50/6:51)

John 6:60

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

इसे कौन सुन सकता है?

"इसे कोई नहीं सुन सकता है" या "यह ग्रहण-योग्य नहीं"

क्या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है?

वैकल्पिक अनुवादः "मुझे आश्चर्य होता है कि इससे तुम्हें बुरा लगा"।

ठोकर लगी

"विश्वास त्याग करने पर विवश करता है"

John 6:62

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा?

"संभवतः तुम मेरा सन्देश स्वीकार करोगे जब तुम मुझे, जो स्वर्ग से आया है, वहीं जाते देखोगे जहां मैं पहले था"।

बातें

"सन्देश" संभावित अर्थ है, (1) यूह. 06:32/6:32-58) में उसके वचन/ या (2) उसकी सब शिक्षाएं

वे आत्मा हैं और जीवन भी हैं

इन दोनों शब्दों का अर्थ अत्यधिक समान है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैंने जो बातें तुमसे की हैं वे आत्मिक जीवन लाती हैं"।

John 6:64

x

यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32)

मेरे पास आओ

"मेरे पीछे आओ"

John 6:66

उसके चेलों

यहाँ चेलों से अर्थ है यीशु के पीछे चलने वालों का समूह

बारहों

ये 12 शिष्यों का एक विशिष्ट समूह था जो उसकी संपूर्ण सेवा में उसके साथ था। इसका अनुवाद किया जा सकता है, "12 शिष्य"

John 6:70

क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? तौभी तुममें से एक व्यक्ति शैतान का दास है।

"मैंने तुम सबको स्वयं चुना है, परन्तु एक शैतान का दास है"।


Translation Questions

John 6:1

गलील सागर का दूसरा नाम क्या था?

गलील सागर तिबिरियास की झील भी कहलाता था।

John 6:2

यीशु के पीछे बड़ी भीड़ क्यों रहती थी?

वे उसके पीछे चलते थे, क्योंकि वे रोगियों की चंगाई के चिन्ह देखते थे जो यीशु करता था।

John 6:4

यीशु जब अपने शिष्यों के साथ पहाड़ पर बैठा था तब उसने क्या देखा?

उसने एक विशाल जन समूह को आते देखा।

John 6:5

यीशु ने फिलिप्पुस से क्यों कहा, "हम इनके भोजन के लिए कहाँ से रोटी लाएँ?

यीशु ने फिलिप्पुस को परखने के लिए यह कहा था।

John 6:7

"हम इनके भोजन के लिए रोटी कहाँ से लाएं? यीशु के इस प्रश्न का फिलिप्पुस ने क्या उत्तर दिया?

फिलिप्पुस ने कहा, "दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिए पूरी न होगी कि उनमें से हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल जाए"।

John 6:8

"हम इनके भोजन के लिए कहाँ से रोटी मोल लाएं" यीशु के इस प्रश्न पर अन्द्रियास ने क्या कहा?

अन्द्रियास ने कहा, "यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियां और दो मछलियाँ हैं परन्तु इतने लोगों के लिए वे क्या हैं?"

John 6:10

वहाँ लगभग कितने पुरूष थे?

वहाँ लगभग पुरूष ही पांच हजार थे।

John 6:11

यीशु ने उन रोटियों और मछलियों का क्या किया?

यीशु ने रोटियां लीं और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी, और वैसे ही मछलियां भी बांट दीं।

उन लोगों को खाने के लिए कितना मिला?

वे खाकर तृप्त हो गए।

John 6:13

भोजन करने के बाद रोटी के कितने टुकड़े उठाए गए?

शिष्यों ने रोटी के बचे हुए टुकड़े उठाए तो बारह टोकरियाँ भर गई थी।

John 6:14

यीशु अकेला पहाड़ों में क्यों चला गया था?

यीशु वहाँ से निकल गया क्योंकि वह जान गया था कि लोग इस चमत्कार(पांच हज़ार को भोजन से तृप्त करना) को देखकर उसे बल पूर्वक राजा बनाना चाहते हैं।

John 6:18

शिष्य नाव में चढ़कर कफरनहूम जाने लगे तो मौसम में क्या हुआ?

हवा तेज हो गई थी और झील में लहरें उठने लगी थी।

John 6:19

शिष्य क्यों डर गए?

यीशु पानी पर चल कर नाव के पास आया तो वे डर गए।

John 6:20

यीशु ने शिष्यों से क्या कहा कि उन्होंने उसे नाव में आने दिया?

यीशु ने कहा, "मैं हूँ, डरो मत"।

John 6:26

भीड़ द्वारा उसे खोजने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि वे आश्चर्यकर्मों के कारण उसे नहीं ढूंढ़ते परन्तु इसलिए कि वे रोटियां खाकर तृप्त हुए थे।

John 6:27

यीशु ने भीड़ से क्या करने को और क्या न करने को कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि वे नाशमान भोजन के लिए नहीं परन्तु उस भोजन के लिए परिश्रम करें जो अनन्त जीवन तक ठहरता है।

John 6:29

यीशु ने जनसमूह को परमेश्वर के कामों की क्या परिभाषा दी?

यीशु ने उनसे कहा कि परमेश्वर का कार्य यह है कि तुम उस पर जिसे उसने भेजा है विश्वास करो।

John 6:30

लोग यीशु से स्वर्गिक रोटी जैसा चिन्ह मांग रहे थे जिसे उनके पितरों ने उन्हें खिलाई थी तो यीशु ने उनसे किस रोटी की चर्चा की?

यीशु ने परमेश्वर द्वारा दी गई स्वर्ग की सच्ची रोटी की चर्चा की जो जगत को जीवन देती है और जीवन की वह रोटी वह है।

John 6:37

यीशु के पास कौन आएगा?

स्वर्गीय पिता यीशु को जो कुछ देता है वह सब उसके पास आएगा।

John 6:39

यीशु को भेजने वाले स्वर्गीय पिता की इच्छा क्या थी?

यीशु के पिता की इच्छा थी कि जो कुछ उसने यीशु को दिया है उसमें से वह कुछ न खोए। जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।

John 6:44

मनुष्य यीशु के पास कैसे आ सकता है?

मनुष्य यीशु के पास तब ही आ सकता है जब पिता उसे खींचे।

John 6:46

पिता को किसने देखा है?

जो परमेश्वर की ओर से है, उसी ने पिता को देखा है।

John 6:51

जगत को जीवन के लिए यीशु कौन सी रोटी देगा?

यीशु जो रोटी देगा वह जगत के जीवन के लिए उसकी देह है।

John 6:53

अपने में जीवन पाने के लिए क्या करना है?

जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।

John 6:56

यीशु में और यीशु हम में कैसे बने रह सकते हैं?

यीशु का मांस खाकर और उसका लहू पीकर हम उसमें स्थिर बने रहते हैं और वह हम में।

John 6:57

यीशु क्यों जीवित है?

यीशु स्वर्गीय पिता के कारण जीवित है।

John 6:60

यीशु का मांस खाने और उसका लहू पीने की बात सुनकर यीशु के अनुयायियों में से अनेकों की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसके अनुयायियों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, "यह कठोर बात है, इसे कौन सुन सकता है?" और उनमे से बहुतों ने यीशु का अनुसरण त्याग दिया।

John 6:67

जब यीशु ने अपने बारह शिष्यों से कहा, "क्या तुम भी चले जाना चाहते हो"? तो किसने उत्तर दिया और उत्तर में क्या कहा?

शमौन पतरस ने कहा, "हे प्रभु, हम किसके पास जाए? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं और हमने विश्वास किया और जान गए हैं कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।"

John 6:70

यीशु ने जब कहा कि बारहों में से एक शैतान है तो उसका संकेत किसकी ओर था?

यीशु ने शमौन इस्करियोती के पुत्र यूहदा के विषय में कहा था, क्योंकि वह बारहों मे से एक था जो उसे पकड़वाने को था।


Chapter 7

1 इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा, क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिए वह यहूदिया में फिरना न चाहता था। 2 और यहूदियों का झोपड़ियों का पर्व निकट था। (लैव्य. 23:34) 3 इसलिए उसके भाइयों ने उससे कहा, “यहाँ से कूच करके यहूदिया में चला जा, कि जो काम तू करता है, उन्हें तेरे चेले भी देखें। 4 क्योंकि ऐसा कोई न होगा जो प्रसिद्ध होना चाहे, और छिपकर काम करे: यदि तू यह काम करता है, तो अपने आप को जगत पर प्रगट कर।” 5 क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे। 6 तब यीशु ने उनसे कहा, “मेरा समय अभी नहीं आया; परन्तु तुम्हारे लिये सब समय है। 7 जगत तुम से बैर नहीं कर सकता*, परन्तु वह मुझसे बैर करता है, क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूँ, कि उसके काम बुरे हैं। 8 तुम पर्व में जाओ; मैं अभी इस पर्व में नहीं जाता, क्योंकि अभी तक मेरा समय पूरा नहीं हुआ।” 9 वह उनसे ये बातें कहकर गलील ही में रह गया।

10 परन्तु जब उसके भाई पर्व में चले गए, तो वह आप ही प्रगट में नहीं, परन्तु मानो गुप्त होकर गया। 11 यहूदी पर्व में उसे यह कहकर ढूँढ़ने लगे कि “वह कहाँ है?” 12 और लोगों में उसके विषय चुपके-चुपके बहुत सी बातें हुई कितने कहते थे, “वह भला मनुष्य है।” और कितने कहते थे, “नहीं, वह लोगों को भरमाता है।” 13 तो भी यहूदियों के भय के मारे कोई व्यक्ति उसके विषय में खुलकर नहीं बोलता था।

14 और जब पर्व के आधे दिन बीत गए; तो यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा। 15 तब यहूदियों ने अचम्भा करके कहा, “इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई?” 16 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरा उपदेश मेरा नहीं, परन्तु मेरे भेजनेवाले का है। 17 यदि कोई उसकी इच्छा पर चलना चाहे*, तो वह इस उपदेश के विषय में जान जाएगा कि वह परमेश्‍वर की ओर से है, या मैं अपनी ओर से कहता हूँ। 18 जो अपनी ओर से कुछ कहता है, वह अपनी ही बढ़ाई चाहता है; परन्तु जो अपने भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है, और उसमें अधर्म नहीं। 19 क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी? तो भी तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता। तुम क्यों मुझे मार डालना चाहते हो?” 20 लोगों ने उत्तर दिया; “तुझ में दुष्टात्मा है! कौन तुझे मार डालना चाहता है?” 21 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैंने एक काम किया, और तुम सब अचम्भा करते हो। 22 इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है, यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु पूर्वजों से चली आई है, और तुम सब्त के दिन को मनुष्य का खतना करते हो। (उत्प. 17:10-13, लैव्य. 12:3) 23 जब सब्त के दिन मनुष्य का खतना किया जाता है ताकि मूसा की व्यवस्था की आज्ञा टल न जाए, तो तुम मुझ पर क्यों इसलिए क्रोध करते हो, कि मैंने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया। 24 मुँह देखकर न्याय न करो, परन्तु ठीक-ठीक न्याय करो।” (यशा. 11:3, यूह. 8:15)

25 तब कितने यरूशलेमवासी कहने लगे, “क्या यह वह नहीं, जिसके मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है? 26 परन्तु देखो, वह तो खुल्लमखुल्ला बातें करता है और कोई उससे कुछ नहीं कहता; क्या सम्भव है कि सरदारों ने सच-सच जान लिया है; कि यही मसीह है? 27 इसको तो हम जानते हैं, कि यह कहाँ का है; परन्तु मसीह जब आएगा, तो कोई न जानेगा कि वह कहाँ का है।” 28 तब यीशु ने मन्दिर में उपदेश देते हुए पुकार के कहा, “तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ का हूँ। मैं तो आप से नहीं आया परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है, उसको तुम नहीं जानते। 29 मैं उसे जानता हूँ; क्योंकि मैं उसकी ओर से हूँ और उसी ने मुझे भेजा है।” 30 इस पर उन्होंने उसे पकड़ना चाहा तो भी किसी ने उस पर हाथ न डाला, क्योंकि उसका समय अब तक न आया था। 31 और भीड़ में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, “मसीह जब आएगा, तो क्या इससे अधिक चिन्हों को दिखाएगा जो इसने दिखाए?”

32 फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपके-चुपके करते सुना; और प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसे पकड़ने को सिपाही भेजे। 33 इस पर यीशु ने कहा, “मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूँ; तब अपने भेजनेवाले के पास चला जाऊँगा। 34 तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।” 35 यहूदियों ने आपस में कहा, “यह कहाँ जाएगा कि हम इसे न पाएँगे? क्या वह उनके पास जाएगा जो यूनानियों में तितर-बितर होकर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा? 36 यह क्या बात है जो उसने कही, कि ‘तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु न पाओगे: और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते’?”

37 फिर पर्व के अन्तिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकारकर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। (यशा. 55:1) 38 जो मुझ पर विश्वास करेगा*, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।” 39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था। (यशा. 44:3) 40 तब भीड़ में से किसी-किसी ने ये बातें सुन कर कहा, “सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है।” (मत्ती 21:11) 41 औरों ने कहा, “यह मसीह है,” परन्तु किसी ने कहा, “क्यों? क्या मसीह गलील से आएगा? 42 क्या पवित्रशास्त्र में नहीं आया कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गाँव से आएगा, जहाँ दाऊद रहता था?” (यशा. 11:1, मीका 5:2) 43 अतः उसके कारण लोगों में फूट पड़ी। 44 उनमें से कितने उसे पकड़ना चाहते थे, परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला। 45 तब सिपाही प्रधान याजकों और फरीसियों के पास आए, और उन्होंने उनसे कहा, “तुम उसे क्यों नहीं लाए?”

46 सिपाहियों ने उत्तर दिया, “किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें न की।” 47 फरीसियों ने उनको उत्तर दिया, “क्या तुम भी भरमाए गए हो? 48 क्या शासकों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है? 49 परन्तु ये लोग जो व्यवस्था नहीं जानते, श्रापित हैं।” 50 नीकुदेमुस ने, (जो पहले उसके पास आया था और उनमें से एक था), उनसे कहा, 51 “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है?” 52 उन्होंने उसे उत्तर दिया, “क्या तू भी गलील का है? ढूँढ़ और देख, कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।” 53 तब सब कोई अपने-अपने घर चले गए।



John 7:3

जगत

"सब लोग" या "हर एक जन"

John 7:8

तुम

बहुवचन

John 7:10

वह भी ऊपर चला गया

यरूशलेम ऊंचे पर स्थित है

John 7:14

उसे बिन पढ़े विद्या कैसे आई

"हो ही नहीं सकता कि वह धर्मशास्त्र का इतना ज्ञान रखे"।

मेरे भेजने वाले का है।

"उसका" अर्थात यीशु के स्वर्गीय पिता परमेश्वर का

John 7:17

परन्तु जो अपने भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है और उसमें अधर्म नहीं।

"परन्तु मैं इसलिए ये काम करता हूं कि लोग मेरे भेजनेवाले का आदर करें, और मैं वही हूँ जो सच बोलता हूं। मैं कभी झूठ नहीं बोलता।"

John 7:19

"क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी"

"वह मूसा ही तो था जिसने तुम्हें व्यवस्था दी"

तुम क्यों मुझे मार डालना चाहते हो

"तुम मुझे मार डालने की खोज में हो"।

तुममें दुष्टात्मा है

"तू पागल है"।

कौन तुझे मार डालना चाहता है?

"तुझे कोई भी मार डालना नहीं चाहता है"।

John 7:21

एक काम

"एक आश्चर्यकर्म" या "एक चिन्ह"

(यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु बाप दादों से चली आई है।)

यहाँ लेखक अतिरिक्त जानकारी दे रहा है।

John 7:23

तुम मुझ पर क्यों क्रोध करते हो इसलिए कि मैंने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया।

"तुम्हें मुझसे क्रोधित नहीं होना है कि मैंने एक मनुष्य को सब्त के दिन स्वास्थ्य प्रदान किया"।

John 7:25

क्या यह वह नहीं जिसे मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है?

"यह यीशु है जिसे मार डालने की खोज में वे हैं"।

John 7:28

तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहां का हूं

"तुम" बहुवचन है

मेरा भेजनेवाला सच्चा है

"जिसने मुझे भेजा है वह सच्चा गवाह है"।

John 7:30

मसीह जब आयेगा तो क्या इससे अधिक आश्चर्यकर्म दिखायेगा, जो इसने दिखाए?

जब मसीह आयेगा तो क्या इससे अधिक आश्चर्यकर्म दिखायेगा, जो इसने दिखाए? "जब मसीह आयेगा तब वह इस मनुष्य द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों से अधिक चिन्ह नहीं दिखा पायेगा"।

John 7:37

अब

"अब" शब्द का उपयोग यहाँ मुख्य कहानी में अन्तराल है

महान दिन

यह "महान दिन" है क्योंकि यह पर्व का अन्तिम या सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण दिन है।

यदि कोई प्यासा हो

परमेश्वर की बातों की लालसा करता हो, जैसे मनुष्य पानी की लालसा करता है या प्यासा होता है।

मेरे पास आए और पीए

"कोई" शब्द का अर्थ है, "जो भी", "पीए" शब्द का अर्थ है, मसीह में आत्मिक पूर्ति पाना।

पवित्रशास्त्र

"पवित्रशास्त्र" मसीह के बारे में भविष्यद्वाणियों का द्योतक है। यह एक पुराने नियम के किसी एक गद्यांश का उद्धरण नहीं है।

जीवित जल की नदियां बह निकलेंगी।

मसीह आत्मिकता के प्यासों के लिए ऐसी राहत दिलाएगा कि वह प्रवाहित होकर आसपास के सब लोगों की सहायता करेगी।

जीवन के जल

इसके अर्थ हैं, (1) "पानी जो जीवन देता है" या "पानी जिससे मनुष्यों को जीवन मिलता है" या (2) सोते से बहनेवाला प्राकृतिक जल, कुएं से निकलने वाले जल से भिन्न।

John 7:39

लेकिन वह

“वह”यीशु को दर्शाता है

John 7:40

क्या, मसीह गलील में से आयेगा?

"मसीह गलील से नहीं आ सकता" (यू.डी.बी.)

क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था?

"धर्मशास्त्र सिखाता है कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आयेगा, दाऊद का गांव"।

क्या पवित्रशास्त्र में यह नहीं आया

"भविष्यद्वक्ताओं ने धर्मशास्त्र में लिखा है"

John 7:43

लोगों में फूट पड़ गई

यीशु कौन और क्या है, इस पर जनसमूह एकमत नहीं हो पाया।

परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला

"परन्तु किसी ने उसे नहीं पकड़ा"

John 7:45

सिपाही

मन्दिर के सुरक्षाकर्मी

तुम उसे क्यों नहीं लाए?

तुम उसे क्यों नहीं लाए? "तुम" अर्थात मन्दिर के सुरक्षाकर्मी।

John 7:47

फरीसियों ने उनको उत्तर दिया

"उनको" अर्थात मन्दिर के सुरक्षाकर्मियों को।

क्या तुम भी भरमाए गए हो?

"तुम भी धोखा खा गए"

"भरमाए गए"

"भरमाए गए" - धोखा खा गए

"क्या सरदारों और फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है?

"एक भी सरदार या फरीसी ने उस पर विश्वास नहीं किया है"।

John 7:50

हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को .... दोषी ठहराती है?

नीकुदेमुस के कहने का अर्थ था कि व्यवस्था के अनुसार चलने वाले अभियोग के बिना किसी पर दोष नहीं लगाते

क्या हमारी व्यवस्था... दोषी ठहराती है?

"हमारी व्यवस्था हमें अनुमति नहीं देती कि .... किसी को दण्ड दें"।

क्या तू भी गलील का है?

"तू भी गलील के घटिया लोगों में से होगा"।

John 7:53

07-53-8:11

8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं तो कुछ में नहीं है।

एक-एक करके

एक एक करके यह उन सब मनुष्यों के संदर्भ में है जिनका उल्लेख में किया गया है।


Translation Questions

John 7:1

यीशु यहूदिया में जाना क्यों नहीं चाहता था?

यीशु वहाँ नहीं जाना चाहता था क्योंकि यहूदी उसे मार डालना चाहते थे।

John 7:2

यीशु के भाइयों ने उससे क्यों आग्रह किया कि झोपिड़यों के पर्व में वह यहूदिया जाए?

उन्होंने उससे आग्रह किया कि वह यहूदिया को जाए कि वहाँ भी उसके अनुयायी उसके आश्चर्यकर्मों को देखें और संसार पर वह प्रगट हों।

John 7:6

उस पर्व में न जाने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने अपने भाइयों से कहा कि उसका समय अभी नहीं आया है और उसका समय पूरा नहीं हुआ है।

John 7:7

संसार यीशु से क्यों घृणा करता था?

यीशु ने कहा कि संसार उससे घृणा करता है क्योंकि वह उसके विरोध में गवाही देता था कि उसके काम बुरे हैं।

John 7:10

यीशु कब और कैसे पर्व में गया था?

उसके भाइयों के यहूदिया प्रस्थान के बाद यीशु गुप्त रूप में वहाँ गया।

John 7:12

यीशु के बारे में जन समूह क्या-क्या कहता था?

कुछ ने कहा, "वह भला मनुष्य है", कुछ लोग कहते थे, "नहीं वह लोगों को भरमाता है"।

John 7:13

यीशु के विरूद्ध कुछ भी कहने का साहस किसी को नहीं हुआ, क्यों?

यहूदियों के भय के कारण किसी ने यीशु के विरूद्ध कुछ भी कहने का साहस नहीं किया।

John 7:14

यीशु ने मन्दिर में शिक्षा देना कब आरंभ किया?

पर्व के आधे दिन बीत जाने के बाद यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा।

John 7:17

यीशु परमेश्वर की ओर से शिक्षा देता है या अपनी ओर से इसे पहचानने की वजह यीशु ने क्या बताई?

यीशु ने कहा यदि कोई यीशु को भेजने वाले की इच्छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपदेश के बारे में जान जायेगा कि वह परमेश्वर की ओर से है।

John 7:18

जो मनुष्य यीशु को भेजने वाले की महिमा की खोज करता है उसके बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि वह मनुष्य सच्चा है और उसमें अधर्म नहीं है।

John 7:19

यीशु के अनुसार व्यवस्था का पालन करने वाला कौन है?

यीशु ने कहा, तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता है।

John 7:22

सब्त के दिन किसी को चंगा करने के पक्ष में यीशु ने क्या तर्क प्रस्तुत किया था?

यीशु का तर्क था कि मूसा की व्यवस्था का पालन करने के लिए सब्त के दिन खतना कराना अनिवार्य है तो वे उसके द्वारा सब्त के दिन किसी को चंगा करने पर क्रोध क्यों करते थे।

John 7:24

यीशु ने कैसा न्याय करने के लिए कहा?

यीशु ने कहा, मुंह देखकर न्याय न करो, परन्तु ठीक-ठीक न्याय करो।

John 7:32

यीशु को पकड़ने के लिए किसने सैनिक भेजे थे?

महायाजक और फरीसियों ने यीशु को पकड़ने के लिए सैनिक भेजे।

John 7:39

यीशु ने कहा, "यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी"। यहाँ यीशु के कहने का अभिप्राय क्या है?

यीशु ने पवित्र आत्मा के बारे में कहा था, जो उसमें विश्वास करने वालों को मिलना था।

John 7:45

यीशु को पकड़ने के लिए जब सिपाही लौट कर आए तब महायाजक और फरीसियों ने उनसे पूछा, "तुम उसे क्यों नहीं लाए?" तो उन्होंने क्या उत्तर दिया?

उन सैनिकों ने कहा, "किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं की"।

John 7:50

फरीसियों ने जब यीशु को पकड़ने के लिए भेजे गए सिपाहियों से कहा, "क्या तुम भी भरमाए गए हो"? तब नीकुदेमुस ने उनसे क्या कहा था? क्या सरदारों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है?

नीकुदेमुस ने फरीसियों से कहा, "क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को, पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है, दोषी ठहराती है?"


Chapter 8

1 परन्तु यीशु जैतून के पहाड़* पर गया। 2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा। 3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ा करके यीशु से कहा, 4 “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है। 5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों को पत्थराव करें; अतः तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” (लैव्य. 20:10) 6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएँ, परन्तु यीशु झुककर उँगली से भूमि पर लिखने लगा। 7 जब वे उससे पूछते रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।” (रोम. 2:1) 8 और फिर झुककर भूमि पर उँगली से लिखने लगा। 9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक-एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। 10 यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” 11 उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।”

12 तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” (यूह. 12:46) 13 फरीसियों ने उससे कहा; “तू अपनी गवाही आप देता है; तेरी गवाही ठीक नहीं।” 14 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “यदि मैं अपनी गवाही आप देता हूँ, तो भी मेरी गवाही ठीक है, क्योंकि मैं जानता हूँ, कि मैं कहाँ से आया हूँ* और कहाँ को जाता हूँ? परन्तु तुम नहीं जानते कि मैं कहाँ से आता हूँ या कहाँ को जाता हूँ। 15 तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता। 16 और यदि मैं न्याय करूँ भी, तो मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अकेला नहीं, परन्तु मैं पिता के साथ हूँ, जिस ने मुझे भेजा है। 17 और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है; कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है। 18 एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूँ, और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिस ने मुझे भेजा।” (व्य. 19:15) 19 उन्होंने उससे कहा, “तेरा पिता कहाँ है?” यीशु ने उत्तर दिया, “न तुम मुझे जानते हो, न मेरे पिता को, यदि मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते।” 20 ये बातें उसने मन्दिर में उपदेश देते हुए भण्डार घर में कहीं, और किसी ने उसे न पकड़ा; क्योंकि उसका समय अब तक नहीं आया था।

21 उसने फिर उनसे कहा, “मैं जाता हूँ, और तुम मुझे ढूँढ़ोगे और अपने पाप में मरोगे; जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।” 22 इस पर यहूदियों ने कहा, “क्या वह अपने आप को मार डालेगा, जो कहता है, ‘जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते’?” 23 उसने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ; तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं। 24 इसलिए मैंने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वही हूँ, तो अपने पापों में मरोगे।” 25 उन्होंने उससे कहा, “तू कौन है?” यीशु ने उनसे कहा, “वही हूँ जो प्रारंभ से तुम से कहता आया हूँ। 26 तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है; और जो मैंने उससे सुना है, वही जगत से कहता हूँ।” 27 वे न समझे कि हम से पिता के विषय में कहता है। 28 तब यीशु ने कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाओगे, तो जानोगे कि मैं वही हूँ, और अपने आप से कुछ नहीं करता, परन्तु जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया, वैसे ही ये बातें कहता हूँ। 29 और मेरा भेजनेवाला मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा; क्योंकि मैं सर्वदा वही काम करता हूँ, जिससे वह प्रसन्‍न होता है।” 30 वह ये बातें कह ही रहा था, कि बहुतों ने उस पर विश्वास किया।

31 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। 32 और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” 33 उन्होंने उसको उत्तर दिया, “हम तो अब्राहम के वंश से हैं, और कभी किसी के दास नहीं हुए; फिर तू क्यों कहता है, कि तुम स्वतंत्र हो जाओगे?” 34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। 35 और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। (गला. 4:30) 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे। 37 मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहम के वंश से हो; तो भी मेरा वचन तुम्हारे हृदय में जगह नहीं पाता, इसलिए तुम मुझे मार डालना चाहते हो। 38 मैं वही कहता हूँ, जो अपने पिता के यहाँ देखा है; और तुम वही करते रहते हो जो तुम ने अपने पिता से सुना है।” 39 उन्होंने उसको उत्तर दिया, “हमारा पिता तो अब्राहम है।” यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अब्राहम के सन्तान होते, तो अब्राहम के समान काम करते। 40 परन्तु अब तुम मुझ जैसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिस ने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्‍वर से सुना, यह तो अब्राहम ने नहीं किया था। 41 तुम अपने पिता के समान काम करते हो” उन्होंने उससे कहा, “हम व्यभिचार से नहीं जन्मे, हमारा एक पिता है अर्थात् परमेश्‍वर।” 42 यीशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्‍वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझसे प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्‍वर में से निकलकर आया हूँ; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा। 43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिए कि मेरा वचन सुन नहीं सकते। 44 तुम अपने पिता शैतान से हो*, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं; जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन् झूठ का पिता है। (प्रेरि. 13:10) 45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूँ, इसलिए तुम मेरा विश्वास नहीं करते। 46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूँ, तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? 47 जो परमेश्‍वर से होता है*, वह परमेश्‍वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिए नहीं सुनते कि परमेश्‍वर की ओर से नहीं हो।”

48 यह सुन यहूदियों ने उससे कहा, “क्या हम ठीक नहीं कहते, कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्टात्मा है?” 49 यीशु ने उत्तर दिया, “मुझ में दुष्टात्मा नहीं; परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, और तुम मेरा निरादर करते हो। 50 परन्तु मैं अपनी प्रतिष्ठा नहीं चाहता, हाँ, एक है जो चाहता है, और न्याय करता है। 51 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि यदि कोई व्यक्ति मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा।” 52 यहूदियों ने उससे कहा, “अब हमने जान लिया कि तुझ में दुष्टात्मा है: अब्राहम मर गया, और भविष्यद्वक्ता भी मर गए हैं और तू कहता है, ‘यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु का स्वाद न चखेगा।’ 53 हमारा पिता अब्राहम तो मर गया, क्या तू उससे बड़ा है? और भविष्यद्वक्ता भी मर गए, तू अपने आप को क्या ठहराता है?” 54 यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं आप अपनी महिमा करूँ, तो मेरी महिमा कुछ नहीं, परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है, जिसे तुम कहते हो, कि वह हमारा परमेश्‍वर है। 55 और तुम ने तो उसे नहीं जाना: परन्तु मैं उसे जानता हूँ; और यदि कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्हारे समान झूठा ठहरूँगा: परन्तु मैं उसे जानता, और उसके वचन पर चलता हूँ। 56 तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा, और आनन्द किया।” 57 यहूदियों ने उससे कहा, “अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तूने अब्राहम को देखा है?” 58 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि पहले इसके कि अब्राहम उत्‍पन्‍न हुआ, मैं हूँ।” 59 तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए, परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया।



John 8:1

07-53-8:11

8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं।

सब लोग

अनेक लोग

एक स्त्री .... व्यभिचार में पकड़ी गई थी

"उन्होंने एक स्त्री को व्यभिचार करते पकड़ा था"

John 8:4

07-53-8:11

8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं।

ऐसी स्त्रियों

"ऐसे मनुष्यों पर" या "जो ऐसे काम करते है"

अब व्यवस्था में

यहां पृष्ठभूमि आधारित जानकारी दी गई है जिसे यीशु और यहूदी अधिकारी समझते थे।

तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?

इसका अनुवाद आदेश सूचक वाक्य में भी किया जा सकता है, "तू हमें बता कि इसके साथ क्या किया जाए"?

उसको परखने के लिए

"उसे फंसाने के लिए" इसका अर्थ है, छल का प्रश्न पूछना

ताकि उस पर दोष लगाने के लिए कोई बात पाएं।

कि उस पर दोष लगाने के लिए कोई विषय स्पष्ट सामने आए, जिससे कि वे उस पर किसी गलत बात का दोष लगा पाएं, या "जिससे कि वे उस पर मूसा की व्यवस्था या रोमी विधि के उल्लंघन का आरोप लगा पाएं"

John 8:7

07-53-8:11

8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं।

जब वे उससे पूछते ही रहे

"वे" का संदर्भ फरीसियों और शास्त्रियों से है (देखें यूह. 08:1/8:3)

तुममें जो निष्पाप हो।

"यदि तुममें कोई निष्पाप हो" या "तुम में से किसी ने कभी पाप न किया हो"

तुम में

यीशु शास्त्रियों और फरीसियों और संभवतः जनसमूह से भी कह रहा था।

उसे अनुमति दो

"वही व्यक्ति"

उसने झुक कर

"वह झुका कि भूमि पर ऊंगली से लिखे"

John 8:9

07-53-8:11

8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं।

एक एक करके

"एक के बाद एक"

हे नारी वे दोष लगानेवाले कहां गए?

यीशु ने उसे नारी कह कर पुकारा तो उसका अर्थ यह नहीं कि वह उसे तुच्छ समझ रहा था या उसे लज्जित करना चाहता था। यदि कोई यह समझे कि वह ऐसा कर रहा था तो "नारी" शब्द को हटा दें।

John 8:12

जगत की ज्योति मैं हूं।

देखें आपने "ज्योति" का अनुवाद यूह में कैसे किया है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही हूं जो जगत को ज्योति देता हूँ।"

जगत

"संसार के मनुष्यों"

जो मेरे पीछे हो लेगा

"वह हर एक जन जो मेरा अनुसरण करेगा" यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "वह हर एक जन जो मेरी शिक्षाओं पर चलता है“, या "मेरी आज्ञा मानने वाला हर एक जन"

वह अन्धकार में न चलेगा

अन्धकार में न चलेगा, यह पाप के जीवन के लिए एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद, "उसका जीवन ऐसा नहीं रहेगा कि मानो वह अन्धकार में जी रहा है"

तू अपनी गवाही आप देता है।

"तू तो अपनी ही प्रशंसा कर रहा है"।

तेरी गवाही ठीक नहीं

"तेरी गवाही उचित नहीं है", "तू स्वयं अपना गवाह नहीं हो सकता" या "जो तू अपने बारे में कहता है वह हो सकता है कि सच न हो"।

John 8:14

भले ही मैं अपनी गवाही आप देता हूं

"यद्यपि मैं ये बातें अपने पक्ष में कहता हूं"

शरीर

मानवीय मानकों और मनुष्य की व्यवस्था(यु.डी.बी)

मैं किसी का न्याय नहीं करता

संभावित अर्थ, (1) "मैं अभी किसी का न्याय नहीं करता हूं" या (2) "मैं इस समय किसी का न्याय नहीं कर रहा हूं"।

यदि मैं न्याय करूं

"यदि मैं मनुष्यों का न्याय करूं", संभावित अर्थ है, (1) "जब मैं मनुष्यों का न्याय करूंगा" (भविष्य में) या (2) "मैं जब भी मनुष्यों का न्याय करूंगा" (अब) या (3) "मैं जब भी मनुष्यों का न्याय करूं" (अभी)

मेरा न्याय सच्चा है

संभावित अर्थ हैं, (1) "मेरा न्याय उचित होगा या (2) मेरा न्याय सही है"।

मैं अकेला नहीं

यहाँ सलंग्न जानकारी है कि न्याय करने में वह अकेला नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद "मैं न्याय करने में अकेला नहीं हूं" या "मैं अकेला न्याय नहीं करता हूं"।

मै पिता के साथ हूँ

"पिता मेरे साथ न्याय करता है" या "जब मैं न्याय करता हूं तो पिता न्याय करता है"।

पिता है जिसने मुझे भेजा है

"जिसने मुझे भेजा है", पिता के बारे में अधिक जानकारी देता है। वैकल्पिक अनुवाद, "पिता ही है जिसने मुझे भेजा है"

John 8:17

x

यीशु फरीसियों तथा अन्यों से बातें कर रहा है।

हाँ, और तुम्हारी व्यवस्था में

"हाँ" यीशु ने पहले कहा है उसी संबन्ध में अब आगे कह रहा है

यह लिखा है

"मूसा ने लिखा है"

दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है

"यदि दो मनुष्य एक ही बात कहे तो लोग मान लेते हैं कि वह सही है।"

एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूं

"मैं अपनी गवाही देता हूं" या "मैं अपने बारे में तुम्हारे समक्ष प्रमाण रखता हूं"(यु.डी.बी)

John 8:21

अपने पाप में मरोगे

"पाप की दशा में ही मरोगे" या "पाप करते-करते ही मर जाओगे"

तुम नहीं आ सकते

"तुम योग्य नहीं कि आओ"

क्या वह अपने आपको मार डालेगा?

इसका अनुवाद दो अलग-अलग प्रश्नों में किया जा सकता है। "क्या वह आत्म हत्या करेगा? उसने यही क्यों कहा क्या"?

John 8:23

x

यीशु श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर दे रहा है

यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वही हूं, तो अपने पापों में मरोगे।

"यदि तुम विश्वास नहीं करोगें कि मैं हूं तो अपने पापों में मरोगे।"

मैं वही हूं

"कि मैं परमेश्वर हूं" (यू.डी.बी.)

John 8:25

उन्होंने कहा

"उन्होंने" अर्थात यहूदी अगुओं ने

पिता

"उसका पिता"

John 8:28

ऊंचे पर चढ़ाओगे

"जब तुम चढ़ाओगे", यह अभी तक नहीं हुआ है।

मेरे पिता ने मुझे सिखाया है

"वैसे ही जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया है"

जो मेरा भेजने वाला

शब्द "वह" यीशु का पिता परमेश्वर

वह यह बातें कह ही रहा था

"जब यीशु बातें कर ही रहा था"

John 8:31

तुम मेरे वचन में बने रहोगे

"मैंने जो कहा है वैसा करोगे"।

सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।

सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा, "यदि तुम सत्य का पालन करोगे तो परमेश्वर तुम्हें स्वतंत्र करेगा"।

John 8:34

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

पाप का दास है

"पाप के दास के समान है" इसका अभिप्राय है कि पाप मनुष्य का स्वामि है

घर में

"परिवार में"

यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।

उनकी प्रथा के अनुसार जेठा पुत्र पारिवारिक दास को स्वतंत्र कर सकता था। इसी प्रकार परमेश्वर का पुत्र मनुष्यों को स्वतंत्र कर सकता है।

John 8:37

वचन

मेरी शिक्षाएं

John 8:39

ऐसा तो अब्राहम ने नहीं किया था।

वैकल्पिक अनुवाद, "अब्राहम ने परमेश्वर का सत्य सुनाने वाले को कभी घात नहीं किया था।"

John 8:42

तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते?"

यीशु इस प्रश्न द्वारा मुख्यतः यहूदी अगुओं को झिड़क रहा है क्योंकि वे उसकी बात नहीं सुनते थे।

John 8:45

तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है?

"तुम में से कोई भी मुझे पापी नहीं कह सकता" यीशु ने इस प्रश्न द्वारा अपने निष्पाप होने पर बल दिया।

तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते?

"मुझमें विश्वास न करने का तुम्हारे पास कोई कारण नहीं है"। यीशु इस प्रश्न द्वारा यहूदी अगुओं के अविश्वास को झिड़क रहा है।

John 8:50

मेरे वचन पर चलेगा

"मैं जो कहता हूं उसका पालन करेगा"

John 8:57

अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तूने अब्राहम को देखा है?

"तू पचास वर्ष से कम आयु का है। तू अब्राहम को देख ही नहीं सकता"

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।


Translation Questions

John 8:6

शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा उस स्त्री को यीशु के पास लाने का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उस स्त्री को यीशु के समक्ष लाने का उनका मुख्य उद्देश्य था कि यीशु को किसी प्रकार उसी की बातों में फंसाकर उस पर दोष लगाएँ।

John 8:7

शास्त्रियों और फरीसियों के उस प्रश्न पर यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने उनसे कहा, "तुम में जो निष्पाप हो वही पहले उसको पत्थर मारे।"

John 8:9

जब यीशु ने कहा कि जो निष्पाप हो वही उस स्त्री को पत्थर मारे तो उन्होंने क्या किया?

यीशु का उत्तर सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक सब एक-एक करके निकल गए।

John 8:11

यीशु ने व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री से क्या कहा?

यीशु ने उस स्त्री से कहा, "जा और फिर पाप न करना"।

John 8:17

यीशु ने अपनी गवाही को सत्य सिद्ध कैसे किया?

यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, "तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है, एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूँ और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है, जिसने मुझे भेजा है"।

John 8:23

फरीसी अपने पापों में मरेंगे, इस विषय यीशु ने अपनी बात किस तथ्य पर आधारित की?

यीशु ने उन्हीं के ज्ञान के आधार पर कहा, कि वे नीचे के हैं, और वह ऊपर का है, वे संसार के हैं और यीशु संसार का नहीं।

John 8:24

फरीसी पापों में मरने से कैसे बच सकते थे?

यीशु ने कहा कि वे अपने पापों में मरेंगे, यदि वे विश्वास करें कि यीशु "मैं ही हूं"।

John 8:26

यीशु संसार से क्या कहता था?

यीशु संसार से वही कहता था जो वह पिता से सुनता था।

John 8:29

यीशु को भेजने वाला परमेश्वर पिता उसके साथ क्यों रहता था, वह उसे अकेला क्यों नहीं छोड़ता था?

पिता परमेश्वर यीशु के साथ था, वह उसे अकेला नहीं छोड़ता था क्योंकि वह सर्वदा वही करता था जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता था।

John 8:31

यीशु ने क्या कहा कि विश्वासी यहूदी उसके सच्चे शिष्य कैसे बन सकते है?

यदि कोई यीशु के वचन में बना रहे तो वह सच में उसका शिष्य है।

John 8:33

यीशु की बातें सुनकर क्या सोचा जब उसने कहा "तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा?

यहूदियों ने सोचा कि यीशु मनुष्य का दास बनने के लिए कह रहा है।

John 8:34

जब यीशु ने कहा, "तुम सत्य को जानो और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा" तब उसका अभिप्राय क्या था?

यीशु पापों के दासत्व से स्वतंत्र होने के बारे में कह रहा था।

John 8:37

यीशु के अनुसार यहूदी उसे क्यों मार डालना चाहते थे?

वे उसे मार डालना चाहते थे क्योंकि उसके वचन का उनके हृदय में स्थान नहीं था।

John 8:39

यीशु ने क्यों कहा कि वे अब्राहम की सन्तान नहीं?

यीशु ने कहा कि वे अब्राहम की सन्तान नहीं क्योंकि उनके काम अब्राहम के समान नहीं थे। उन्होंने तो यीशु की हत्या करना चाहा।

John 8:42

यहूदियों ने जब दावा किया कि एकमात्र परमेश्वर ही उनका पिता है तो यीशु ने उनकी बात का खंडन कैसे किया?

यीशु ने उनसे कहा, "यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता तो तुम मुझसे प्रेम रखते क्योंकि मैं परमेश्वर की ओर से आया हूँ। मै आप से नहीं आया हूँ, परन्तु उसी ने मुझे भेजा है।"

John 8:44

यीशु ने किसको यहूदियों का पिता कहा?

यीशु कहता है कि उनका पिता शैतान है।

यीशु ने शैतान के बारे में क्या कहा?

यीशु ने कहा कि शैतान आरंभ ही से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं। शैतान झूठ बोलता है तो वह उसका स्वभाव है क्योंकि वह झूठा ही है वरन झूठ का पिता है।

John 8:47

परमेश्वर का वचन कौन सुनता है?

जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर का वचन सुनता है।

John 8:51

यीशु ने कहा कि उसके वचन को मानने वाले के साथ क्या होगा?

यीशु का वचन मानने वाला कभी मृत्यु न देखेगा।

John 8:52

यहूदी क्यों कहते थे, यीशु में दुष्टात्मा है?

उन्होंने इसलिए ऐसा कहा कि यीशु ने उनसे कहा था, "मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा"

यहूदियों के विचार में यीशु की बात विचित्र क्यों थी?

वे ऐसा सोचते थे क्योंकि उनकी समझ में मृत्यु केवल शारीरिक मृत्यु थी। अब्राहम और भविष्यद्वक्ता भी तो मर गए थे (शरीर से)।

John 8:56

यीशु कौन से कथन के द्वारा प्रकट करता है कि अब्राहम अब भी जीवित है और यीशु उससे बड़ा है?

यीशु ने कहा, "तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था और उसने देखा और आनन्द किया"। और "मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ"। (यीशु के इस कथन का अर्थ है कि अब्राहम जीवित है और मसीह यीशु उससे बड़ा है)


Chapter 9

1 फिर जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अंधा था। 2 और उसके चेलों ने उससे पूछा, “हे रब्बी, किस ने पाप किया था* कि यह अंधा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?” 3 यीशु ने उत्तर दिया, “न तो इसने पाप किया था, न इसके माता पिता ने परन्तु यह इसलिए हुआ, कि परमेश्‍वर के काम उसमें प्रगट हों। 4 जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है। वह रात आनेवाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता। 5 जब तक मैं जगत में हूँ, तब तक जगत की ज्योति हूँ।” (यूह. 8:12) 6 यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगाकर। 7 उससे कहा, “जा, शीलोह के कुण्ड में धो ले” (शीलोह का अर्थ भेजा हुआ है) अतः उसने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया। (यशा. 35:5) 8 तब पड़ोसी और जिन्होंने पहले उसे भीख माँगते देखा था, कहने लगे, “क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख माँगा करता था?” 9 कुछ लोगों ने कहा, “यह वही है,” औरों ने कहा, “नहीं, परन्तु उसके समान है” उसने कहा, “मैं वही हूँ।” 10 तब वे उससे पूछने लगे, “तेरी आँखों कैसे खुल गई?” 11 उसने उत्तर दिया, “यीशु नामक एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आँखों पर लगाकर मुझसे कहा, ‘शीलोह में जाकर धो ले,’ तो मैं गया, और धोकर देखने लगा।” 12 उन्होंने उससे पूछा, “वह कहाँ है?” उसने कहा, “मैं नहीं जानता।”

13 लोग उसे जो पहले अंधा था फरीसियों के पास ले गए। 14 जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उसकी आँखें खोली थी वह सब्त का दिन था। 15 फिर फरीसियों ने भी उससे पूछा; तेरी आँखें किस रीति से खुल गई? उसने उनसे कहा, “उसने मेरी आँखों पर मिट्टी लगाई, फिर मैंने धो लिया, और अब देखता हूँ।” 16 इस पर कई फरीसी कहने लगे, “यह मनुष्य परमेश्‍वर की ओर से नहीं*, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता।” औरों ने कहा, “पापी मनुष्य कैसे ऐसे चिन्ह दिखा सकता है?” अतः उनमें फूट पड़ी। 17 उन्होंने उस अंधे से फिर कहा, “उसने जो तेरी आँखें खोली, तू उसके विषय में क्या कहता है?” उसने कहा, “यह भविष्यद्वक्ता है।” 18 परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अंधा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिसकी आँखें खुल गई थी, बुलाकर 19 उनसे पूछा, “क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अंधा जन्मा था? फिर अब कैसे देखता है?” 20 उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, “हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अंधा जन्मा था। 21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब कैसे देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उसकी आँखें खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा।” 22 ये बातें उसके माता-पिता ने इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे; क्योंकि यहूदी एकमत हो चुके थे, कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए। 23 इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, “वह सयाना है; उसी से पूछ लो।” 24 तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अंधा था दूसरी बार बुलाकर उससे कहा, “परमेश्‍वर की स्तुति कर; हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।” 25 उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ।” 26 उन्होंने उससे फिर कहा, “उसने तेरे साथ क्या किया? और किस तरह तेरी आँखें खोली?” 27 उसने उनसे कहा, “मैं तो तुम से कह चुका, और तुम ने न सुना; अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो?” 28 तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, “तू ही उसका चेला है; हम तो मूसा के चेले हैं। 29 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने मूसा से बातें की; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहाँ का है।” 30 उसने उनको उत्तर दिया, “यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते की कहाँ का है तो भी उसने मेरी आँखें खोल दीं। 31 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्‍वर का भक्त हो, और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है। (नीति. 15:29) 32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अंधे की आँखें खोली हों। 33 यदि यह व्यक्ति परमेश्‍वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।” 34 उन्होंने उसको उत्तर दिया, “तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है?” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।

35 यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उससे भेंट हुई तो कहा, “क्या तू परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्वास करता है?” 36 उसने उत्तर दिया, “हे प्रभु, वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूँ?” 37 यीशु ने उससे कहा, “तूने उसे देखा भी है; और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है।” 38 उसने कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ*।” और उसे दण्डवत् किया। 39 तब यीशु ने कहा, “मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूँ, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएँ।” 40 जो फरीसी उसके साथ थे, उन्होंने ये बातें सुन कर उससे कहा, “क्या हम भी अंधे हैं?” 41 यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।



John 9:3

हमें

”हमें" का अर्थ है यीशु और उसके शिष्यों को जिनसे वह बातें कर रहा है।

दिन .... रात

दिन .... रात यीशु मनुष्यों द्वारा परमेश्वर के काम करने के समय की तुलना दिन से कर रहा है। यीशु उस समय की तुलना रात से कर रहा है जब हम परमेश्वर का काम नहीं कर सकते।

जगत की ज्योति हूं

"वह जो सत्य को उजागर करता है जैसे प्रकाश वास्तविकता को प्रकट करता है।"

John 9:10

आंखों पर लगाकर

देखें कि आपने इसका अनुवाद यूह. 09:06/9:6 में कैसे किया है।

John 9:16

वह सब्त का दिन मानता है

सब्त के दिन के नियम का उल्लंघन नहीं करता है

John 9:24

उन्होंने उस मनुष्य को .... बुलाया

यहूदियों ने उस मनुष्य को बुलाया (यूह. 09:16/9:18)

वह मनुष्य

वे यीशु के लिए कह रहे हैं।

वह मनुष्य

वह मनुष्य जो पहले अंधा था।

वह पापी है या नहीं, मै नहीं जानता

"मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं"

John 9:26

x

यहूदी अगुवे यीशु के बारे में उस मनुष्य से पूछताछ कर रहे हैं जो जन्म से अंधा था (यूह. 09:16/9:18)

John 9:28

x

यहूदी अगुवे यीशु के बारे में उस मनुष्य से पूछताछ कर रहे हैं जो जन्म से अंधा था (यूह. 09:16/9:18)

हम मूसा के चेले हैं। हम जानते हैं .... इस मनुष्य को नहीं जानते...

यहूदी अगुवे केवल अपने ही बारे में बातें कर रहे हैं।

John 9:30

परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता ... उसकी सुनता है

पापियों की प्रार्थना का उत्तर नहीं देता है ..... उसकी प्रार्थना का उत्तर देता है।

John 9:32

यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आंखें खोली हों।

"किसी ने कभी नहीं सुना कि .... आंखें खोली हैं"

जन्म के अंधे की आंखे खोली हों

"दृष्टिदान दिया कि जन्म का अंधा देखने लगा हो"

तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है?

"तू तो पूर्णतः पापों में जन्मा है। तू हमें शिक्षा देने योग्य है ही नहीं"।

John 9:39

ताकि जो नहीं देखते वे देखें और जो देखते है वे अन्धे हो जाएं।

कि जो आंखों से नहीं देखते वे परमेश्वर को पहचानें और जो आंखों से देखते है वे परमेश्वर को नहीं पहचानें।


Translation Questions

John 9:2

उस मनुष्य के जन्म से अंधे होने का कारण शिष्यों की कल्पना में क्या था?

शिष्यों के विचार में या तो उस अंधे ने पाप किया था या उसके माता-पिता ने।

John 9:3

उसके अंधे होने का कारण यीशु ने क्या बताया?

यीशु ने कहा कि उसके अंधे होने का कारण था कि परमेश्वर के काम उसमें प्रकट हों।

John 9:6

यीशु ने उस अंधे के साथ क्या किया और उससे क्या कहा?

यीशु ने मिट्टी में थूक कर उसे गीला किया और उसकी आँखों पर लगाई और उससे कहा कि वह जाकर शीलोम के कुण्ड में धो ले।

John 9:7

शीलोम के कुण्ड में आंखें धोने के बाद उसका क्या हुआ?

वह लौटा तो वह देखता था।

John 9:9

जब यह विवाद चल रहा था कि यही वह अंधा मनुष्य है जो बैठ कर भीख मांगता था तब उस दृष्टि प्राप्त मनुष्य ने क्या गवाही दी?

उस मनुष्य ने गवाही दी कि वह अंधा भिखारी ही है।

John 9:13

इस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य के साथियों ने क्या किया?

वे उस व्यक्ति को फरीसियों के पास ले गए।

John 9:14

उसकी चंगाई किस दिन हुई थी?

उस अंधे मनुष्य की चंगाई सब्त के दिन हुई थी।

John 9:16

फरीसियों में मतभेद का कारण क्या था?

कुछ फरीसियों ने कहा कि यीशु परमेश्वर की ओर से नहीं है, क्योंकि वह सब्त का पालन नहीं करता है (उसने सब्त के दिन चंगाई का काम किया है) अन्य फरीसियों ने कहा कि ऐसा पापी मनुष्य चिन्ह कैसे दिखा सकता है?

John 9:17

पूछने पर उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य ने क्या उत्तर दिया?

उस पूर्वकालिक अंधे ने कहा, "वह एक भविष्यद्वक्ता है।"

John 9:18

यहूदियों ने उस अंधे मनुष्य के माता-पिता को क्यों बुलवाया?

उन्होंने उसके माता-पिता को बुलवाया क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह मनुष्य पहले से अंधा था।

John 9:20

उसके माता-पिता ने उसके बारे में क्या गवाही दी?

उसके माता पिता ने कहा कि वह निश्चय ही उनका पुत्र है और वह अन्धा ही जन्मा था।

John 9:21

उसके माता-पिता ने कैसी अनभिज्ञता प्रकट की?

उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि वह कैसे देख सकता है और उसे किसने दृष्टि दान दिया है?

John 9:22

उसके माता-पिता ने क्यों कहा, "वह सयाना है, उसी से पूछ लो"?

उन्होंने इसलिए ऐसा कहा क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे क्योंकि यहूदियों ने यह निर्णय लिया था, कि यीशु को मसीह कहने वाले को आराधनालय से बाहर कर दिया जायेगा।

John 9:24

जब फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य को दूसरी बार भीतर बुलवाया तब उससे क्या कहा?

उन्होंने उससे कहा, "परमेश्वर की स्तुति कर। हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।"

John 9:25

फरीसियों ने यीशु को पापी कहा तो उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य की प्रतिक्रिया कैसे थी?

उसने कहा, "मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं; मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ"।

John 9:26

फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे का ठट्ठा क्यों किया?

फरीसियों ने उसका ठट्ठा किया क्योंकि उसने कहा था, "मैं तुमसे कह चुका हूँ और तुमने नहीं सुना, अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो?"

John 9:30

फरीसियों द्वारा ठट्ठा करने पर उस व्यक्ति ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उसने कहा, "यह तो आश्चर्य की बात है कि तुम नहीं जानते कि वह कहाँ का है, तौभी उसने मेरी आँखें खोल दीं। हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता, परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है, जगत के आरंभ से यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आँखे खोली हों। यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता"।

John 9:34

फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे की प्रतिक्रिया पर उसके साथ कैसा व्यवहार किया?

उन्होंने उससे कहा, तू तो बिल्कुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है? और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।

John 9:35

जब यीशु ने सुना कि वह मनुष्य आराधनालय के बाहर कर दिया गया है तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने उसको खोजा और उसे पा लिया।

यीशु ने जब उसे खोज लिया तब उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे पूछा कि क्या वह मनुष्य के पुत्र में विश्वास करता है और फिर उससे कहा कि वही (यीशु) मनुष्य का पुत्र है।

John 9:38

यह जानकर कि यीशु ही मनुष्य का पुत्र है उस पूर्वकालिक अंधे ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य ने यीशु से कहा, "हे प्रभु मैं विश्वास करता हूँ" और उसे दण्डवत किया।

John 9:41

यीशु ने फरीसियों के पापों के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने उनसे कहा, "यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरतेः परन्तु अब कहते हो कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।


Chapter 10

1 “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है*। 2 परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है* वह भेड़ों का चरवाहा है। 3 उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है। 4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उनके आगे-आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे-पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं। 5 परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएँगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।” 6 यीशु ने उनसे यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है।

7 तब यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि भेड़ों का द्वार मैं हूँ। 8 जितने मुझसे पहले आए; वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उनकी न सुनी। (यिर्म. 23:1, यूह. 10:27) 9 द्वार मैं हूँ; यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया-जाया करेगा और चारा पाएगा। (भज. 118:20) 10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और हत्या करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ। 11 अच्छा चरवाहा मैं हूँ; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है। (भज. 23:1, यशा. 40:11, यहे. 34:15) 12 मजदूर जो न चरवाहा है, और न भेड़ों का मालिक है, भेड़िए को आते हुए देख, भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है, और भेड़िया उन्हें पकड़ता और तितर-बितर कर देता है। 13 वह इसलिए भाग जाता है कि वह मजदूर है, और उसको भेड़ों की चिन्ता नहीं। 14 अच्छा चरवाहा मैं हूँ; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ*, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं। 15 जिस तरह पिता मुझे जानता है, और मैं पिता को जानता हूँ। और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूँ। 16 और मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं; मुझे उनका भी लाना अवश्य है, वे मेरा शब्द सुनेंगी; तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा। (यशा. 56:8, यहे. 34:23, यहे. 37:24) 17 पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ। 18 कोई उसे मुझसे छीनता नहीं*, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है। यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।” 19 इन बातों के कारण यहूदियों में फिर फूट पड़ी। 20 उनमें से बहुत सारे कहने लगे, “उसमें दुष्टात्मा है, और वह पागल है; उसकी क्यों सुनते हो?” 21 औरों ने कहा, “ये बातें ऐसे मनुष्य की नहीं जिसमें दुष्टात्मा हो। क्या दुष्टात्मा अंधों की आँखें खोल सकती है?”

22 यरूशलेम में स्थापन पर्व हुआ, और जाड़े की ऋतु थी। 23 और यीशु मन्दिर में सुलैमान के ओसारे में टहल रहा था। 24 तब यहूदियों ने उसे आ घेरा और पूछा, “तू हमारे मन को कब तक दुविधा में रखेगा? यदि तू मसीह है, तो हम से साफ कह दे।” 25 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने तुम से कह दिया, और तुम विश्वास करते ही नहीं, जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूँ वे ही मेरे गवाह हैं। 26 परन्तु तुम इसलिए विश्वास नहीं करते, कि मेरी भेड़ों में से नहीं हो। 27 मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं। 28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ, और वे कभी नाश नहीं होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। 29 मेरा पिता, जिस ने उन्हें मुझ को दिया है, सबसे बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। 30 मैं और पिता एक हैं।” 31 यहूदियों ने उसे पत्थराव करने को फिर पत्थर उठाए। 32 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उनमें से किस काम के लिये तुम मुझे पत्थराव करते हो?” 33 यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझे पत्थराव नहीं करते, परन्तु परमेश्‍वर की निन्दा के कारण और इसलिए कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्‍वर बनाता है।” (लैव्य. 24:16) 34 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि ‘मैंने कहा, तुम ईश्वर हो’? (भज. 82:6) 35 यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिनके पास परमेश्‍वर का वचन पहुँचा (और पवित्रशास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती।) 36 तो जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, तुम उससे कहते हो, ‘तू निन्दा करता है,’ इसलिए कि मैंने कहा, ‘मैं परमेश्‍वर का पुत्र हूँ।’ 37 यदि मैं अपने पिता का काम नहीं करता, तो मेरा विश्वास न करो। 38 परन्तु यदि मैं करता हूँ, तो चाहे मेरा विश्वास न भी करो, परन्तु उन कामों पर विश्वास करो, ताकि तुम जानो, और समझो, कि पिता मुझ में है, और मैं पिता में हूँ।” 39 तब उन्होंने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया परन्तु वह उनके हाथ से निकल गया। 40 फिर वह यरदन के पार उस स्थान पर चला गया, जहाँ यूहन्ना पहले बपतिस्मा दिया करता था, और वहीं रहा। 41 और बहुत सारे उसके पास आकर कहते थे, “यूहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इसके विषय में कहा था वह सब सच था।” 42 और वहाँ बहुतों ने उस पर विश्वास किया।



John 10:1

x

यीशु फरीसियों से बातें कर रहा है

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

भेड़शाला

बाड़ा लगा हुआ वह सुरक्षित स्थान जहाँ चरवाहा भेड़ों को रखता है।

चोर और डाकू

चोर और डाकू, इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है परन्तु यह बल देने के लिए काम में लिए गए हैं।

John 10:5

वे न समझे

संभावित अर्थ (1) "शिष्य नहीं समझे" या 2)"जनसमूह नहीं समझा" अतः इसे ऐसे ही रहने दे तो ठीक होगा।

John 10:7

x

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

भेड़ों का द्वार मैं हूँ

"मुझ से होकर भेड़ें भेड़शाला में प्रवेश करती हैं," यीशु के कहने का अर्थ है कि वह प्रवेश की अनुमति देता है। यहां ”भेड़“ शब्द परमेश्वर के लोगों के लिए काम में लिया गया है।

जितने मुझसे पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं।

जितने मुझसे पहले आए वे सब चोर और डाकू है, "जितने मुझ से पहले आए", यह उक्ति उन उपदेशकों के संदर्भ में है जिन्होंने यीशु से पहले आकर शिक्षा दी। यीशु उन्हें "चोर और डाकू" कहता है। क्योंकि उनकी शिक्षा झूठी थी और वे परमेश्वर के लोगों को, सत्य की समझ से रहित होकर, पथभ्रष्ट करते थे।

John 10:9

x

यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है

द्वार मैं हूँ

स्वयं को "द्वार" कहने में यीशु का अभिप्राय है कि वह सच्चा मार्ग दिखाता है कि भेड़शाला जिसका प्रतीक है वहां कैसे पहुंचे।

चारा

चारा वह हरी घास है जिसे भेड़ें खाती है।

वे जीवन पाएं

"वे" शब्द भेड़ों के संदर्भ में है, "जीवन" अर्थात अनन्त जीवन

John 10:11

x

यीशु अच्छे चरवाहे का दृष्टान्त ही सुना रहा है।

अच्छा चरवाहा मैं हूँ

"मैं एक अच्छे चरवाहे के जैसा हूँ"।

अपना प्राण देता है

अपना प्राण देता है //-// किसी बात को देने का अर्थ है उसको अपने वश से जाने देना। यह मृत्यु के लिए प्रयुक्त एक कोमल शब्द है, वैकल्पिक अनुवाद ”मर जाता है“।

John 10:14

x

यीशु अच्छे चरवाहे का दृष्टान्त ही सुना रहा है।

अच्छा चरवाहा मैं हूँ

"मैं एक अच्छे चरवाहे के जैसा हूं"।

मैं अपनी भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूँ

यह यीशु द्वारा कोमलता से कहता है कि वह अपनी भेड़ों की रक्षा करते हुए मर जायेगा। वैकल्पिक अनुवाद, मैं अपनी भेड़ों के लिए मर जाऊंगा“।

भेड़शाला

चरवाहे की भेड़ों का वृंद। भेड़शाला का अर्थ है, भेड़ों के रहने का स्थान।

John 10:17

x

यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है।

मैं अपना प्राण देता हूँ कि इसे फिर से ले लूँ

यह यीशु के कोमल शब्द हैं जिनके द्वारा वह कह रहा है कि वह मर जायेगा और फिर स्वयं को मरने दूंगा कि फिर स्वयं को जीवित करूं"।

John 10:19

तुम उसकी क्यों सुनते हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "उसकी बातें मत सुनो"।

क्या दुष्टात्मा अंधों की आंखें खोल सकती है?

वैकल्पिक अनुवाद, "दुष्टात्मा अंधे को दृष्टिदान नहीं दे सकती है।"

John 10:22

स्थापन पर्व

यह आठ दिवसीय शीतकालीन अवकाश था। उसमें यहूदी परमेश्वर के चमत्कार को स्मरण करते थे कि परमेश्वर ने आठ दिन तक दीपों में तेल समाप्त होने न दिया, जब तक कि वे और तेल का प्रबन्ध करते थे। दीपदान इसलिए जलते थे कि परमेश्वर के लिए लोगों का समर्पण दर्शाएं। किसी वस्तु के समर्पण का अर्थ है कि उसे किसी विशेष उद्देश्य के निमित्त ही में लिया जाए।

ओसारे

ओसारे- इमारत से जुड़ी दीवार रहित छत

John 10:25

वे ही मेरे गवाह हैं

चमत्कार उसके लिए प्रमाण प्रस्तुत करते हैं जिस प्रकार कि न्यायालय में गवाह प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "ये चमत्कार मेरे लिए प्रमाण प्रस्तुत करते हैं"।

मेरी भेड़ों

वैकल्पिक अनुवाद "मेरे अनुयायी नहीं" या "मेरे शिष्य नहीं" या मेरे लोग नहीं।

John 10:29

पिता के हाथ

"हाथ" का अर्थ है पिता की सम्पदा या उसका नियंत्रण एवं सुरक्षा

John 10:32

स्वयं को परमेश्वर बनाता है

"परमेश्वर होने का दावा करता है"

John 10:34

तुम ईश्वर हो

"ईश्वर" शब्द प्रायः झूठे देवी-देवताओं के लिए काम में लिया जाता है। सच्चे परमेश्वर के लिए अंग्रेजी में बड़ा "जी" लगता है। यहां यीशु धर्मशास्त्र के संदर्भ द्वारा दर्शाता है कि परमेश्वर ने अपने अनुयायियों को ईश्वर कहता है क्योंकि उसने पृथ्वी पर उसके प्रति निधित्व हेतु उन्हें चुना है।

क्या .... नहीं लिखा है?

यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि उस जानकारी के उजागर करे जिसे यहूदी धर्मगुरूओं के लिए जानना आवश्यक था, ”लिखा है“।

पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती।

पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती, यह वाक्य धर्मशास्त्र को हमारा नियंत्रक दर्शाता है और वह नियंत्रण तोड़ा नहीं जा सकता या नियंत्रण मुक्त नहीं किया जा सकता कि हम उसके सत्यवचन से बच पाएं। वैकल्पिक अनुवाद, "धर्मशास्त्र की किसी भी बात को झूठा नहीं कहा जा सकता है" (यू.डी.बी.) या "धर्मशास्त्र सत्य है"।

John 10:37

x

यीशु अपने विरोधी यहूदी धर्मगुरूओं के समक्ष प्रतिवाद प्रस्तुत कर रहा है।

John 10:40

निस्संदेह

यह शब्द जो सच है उसे दर्शाने को उपयोग किया गया है, वैकल्पिक अनुवाद-”सत्यता में” अथवा “सच-सच”


Translation Questions

John 10:1

यीशु के अनुसार चोर और डाकू कौन है?

जो भेड़शाला में द्वार से प्रवेश नहीं करता परन्तु किसी दूसरी ओर से चढ़ जाता है तो वह चोर और डाकू है।

John 10:2

भेड़शाला में द्वार से प्रवेश करने वाला कौन है?

जो द्वार से भेड़शाला में प्रवेश करे वह उन भेड़ों का चरवाहा है।

John 10:3

पुकारने पर भेड़ें चरवाहे के पीछे क्यों जाती हैं?

भेड़ें चरवाहे के पीछे जाती हैं क्योंकि वह उसका शब्द पहचानती हैं।

John 10:5

क्या भेड़ें पराये के पीछे जाती हैं?

नहीं, भेड़ें पराये के पीछे नहीं जाती हैं।

John 10:7

यीशु से पहले आने वाले सब लोग क्या थे?

जो यीशु से पहले आए वे सब चोर और डाकू थे और भेड़ों ने उनकी न सुनी।

John 10:9

यीशु ने कहा "द्वार मैं हूँ" द्वार से प्रवेश करने वालों का क्या होगा?

जो यीशु रूपी द्वार से प्रवेश करते हैं वे उद्धार पाएंगे और भीतर बाहर आया जाया करेंगे और चारा पाएंगे।

John 10:11

यीशु एक अच्छे चरवाहे ने भेड़ों के लिए क्या करना चाहा और किया भी?

अच्छे चरवाहे यीशु अपनी भेड़ों के लिए जान देने को तैयार है।

John 10:16

क्या यीशु की और भी भेड़ें हैं, उनका क्या होगा?

यीशु ने कहा कि उसकी और भी भेड़ें हैं जो उस भेड़शाला की नहीं हैं, उनका लाना भी उसके लिए आवश्यक है कि एक ही भेड़शाला हो और एक ही चरवाहा हो।

John 10:17

परमेश्वर पिता यीशु से प्रेम क्यों करता है?

परमेश्वर पिता यीशु से प्रेम करता है क्योंकि यीशु अपनी जान देता है वरन उसे फिर ले लेने का अधिकार भी उसे है।

John 10:18

क्या कोई यीशु से जान छीन सकता है?

नहीं, वह स्वयं ही जान देता है।

यीशु को जान देने और उसे फिर से लेने का अधिकार कहाँ से मिला?

यीशु ने यह आज्ञा परमेश्वर पिता से प्राप्त की थी।

John 10:19

यीशु की बातों के बारे में यहूदी क्या कहते थे?

अनेक लोग कहने लगे, "उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है उसकी क्यों सुनते हो?" अन्यों ने कहा, "ये बातें ऐसे मनुष्य की नहीं जिसमें दुष्टात्मा हो, क्या दुष्टात्मा अंधों की आंखे खोल सकती हैं?"

John 10:24

सुलैमान के ओसारे में मन्दिर में उसे घेर कर यहूदियों ने यीशु से क्या कहा?

उन्होंने कहा, "तू हमारे मन को कब तक दुविधा में रखेगा? यदि तू मसीह है तो हमसे साफ-साफ कह दे।"

John 10:25

सुलैमान के ओसारे में यीशु ने यहूदियों से क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि उसने तो पहले ही कह दिया था (कि वह मसीह है) परन्तु उन्होंने विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उसकी भेड़ें नहीं थे।

John 10:28

यीशु अपनी भेड़ों की देखरेख और सुरक्षा के बारे में क्या कहता है?

यीशु ने कहा कि वह अपनी भेड़ों को अनन्त जीवन देता है, वे कभी नष्ट नहीं होंगी और उन्हें उसके हाथ से कोई छीन नहीं सकता।

John 10:29

यीशु को भेड़ें किसने दी थी?

पिता परमेश्वर ने यीशु को भेड़ें दी थी।

क्या पिता परमेश्वर से बड़ा भी कोई है?

परमेश्वर पिता सबसे महान है।

John 10:30

यीशु ने कहा, "मैं और मेरा पिता एक हैं"। तब यहूदियों ने उसे पत्थरवाह करने के लिए पत्थर क्यों उठाए थे?

क्योंकि उनका मानना था कि यीशु ईश्वर की निंदा कर रहा था और स्वयं को परमेश्वर के बराबर बताता था जबकि वह मात्र एक मनुष्य था।

John 10:34

ईशनिन्दा के आक्षेप का यीशु का प्रतिवाद क्या था?

यीशु स्वयं की रक्षा में कहता है, "क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है, मैंने कहा, तुम ईश्वर हो? यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुंचा और पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती, तो जिसे पिता ने पवित्र ठहरा कर जगत में भेजा है, तुम उससे कहते हो, "तू निन्दा करता है“ इसलिए कि मैंने कहा, "मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ"?

John 10:37

यीशु यहूदियों से क्या कहता है कि उसमें विश्वास करने या न करने के लिए उन्हें क्या करना होगा?

यीशु ने यहूदियों से कहा कि वे उसके कामों को देखें, यदि यीशु अपने पिता के काम नहीं कर रहा है तो उस पर विश्वास नहीं करें। यदि वह अपने पिता के काम कर रहा है तो उस पर विश्वास करें।

John 10:38

यीशु ने यहूदियों से क्या कहा कि वे समझेंगे और जानेंगे भी यदि वे यीशु के कामों में विश्वास करें?

यीशु ने कहा कि वे जान सकते हैं और समझ सकते हैं कि पिता परमेश्वर यीशु में है और यीशु परमेश्वर में है।

John 10:39

यीशु की बातों की यहूदियों में क्या प्रतिक्रिया हुई जब उसने कहा कि वह पिता में है और पिता उसमें है?

यहूदियों ने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया।

John 10:40

इस घटना के बाद यीशु कहाँ चला गया?

यीशु फिर यरदन पार उस स्थान में चला गया जहाँ यूहन्ना पहले बपतिस्मा देता था।

John 10:41

बहुत से लोग जो यीशु के पास आए उन्होंने क्या कहा और किया?

लोग उसके पास आकर कहते थे, "यूहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इसके विषय में कहा था, वह सब सच था"। अनेक मनुष्यों ने वहाँ यीशु में विश्वास किया।


Chapter 11

1 मरियम और उसकी बहन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नाम एक मनुष्य बीमार था। 2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाज़र बीमार था। 3 तब उसकी बहनों ने उसे कहला भेजा, “हे प्रभु, देख, जिससे तू प्‍यार करता है*, वह बीमार है।” 4 यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्‍वर के पुत्र की महिमा हो।” 5 और यीशु मार्था और उसकी बहन और लाज़र से प्रेम रखता था। 6 जब उसने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया। 7 फिर इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।” 8 चेलों ने उससे कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” 9 यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। 10 परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।” 11 उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।” 12 तब चेलों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा।” 13 यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था : परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा। 14 तब यीशु ने उनसे साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है। 15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।” 16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।”

17 फिर यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। 18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। 19 और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे। 20 जब मार्था यीशु के आने का समाचार सुनकर उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। 21 मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। 22 और अब भी मैं जानती हूँ, कि जो कुछ तू परमेश्‍वर से माँगेगा, परमेश्‍वर तुझे देगा।” 23 यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।” 24 मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ, अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” (प्रेरि. 24:15) 25 यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ*, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा। 26 और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” 27 उसने उससे कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूँ, कि परमेश्‍वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।”

28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, “गुरु यहीं है, और तुझे बुलाता है।” 29 वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई। 30 (यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उससे भेंट की थी।) 31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। 32 जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिरके कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” 33 जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ, 34 और कहा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले।” 35 यीशु रोया*। 36 तब यहूदी कहने लगे, “देखो, वह उससे कैसा प्‍यार करता था।” 37 परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “क्या यह जिस ने अंधे की आँखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?” 38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। 39 यीशु ने कहा, “पत्थर को उठाओ।” उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्‍ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।” 40 यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्‍वर की महिमा को देखेगी।” 41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आँखें उठाकर कहा, “हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है। 42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस-पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें, कि तूने मुझे भेजा है।” 43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!” 44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोलकर जाने दो।”

45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया। 46 परन्तु उनमें से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया। 47 इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा, “हम क्या करेंगे? यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है। 48 यदि हम उसे यों ही छोड़ दे, तो सब उस पर विश्वास ले आएँगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।” 49 तब उनमें से कैफा नाम एक व्यक्ति ने जो उस वर्ष का महायाजक था, उनसे कहा, “तुम कुछ नहीं जानते; 50 और न यह सोचते हो, कि तुम्हारे लिये यह भला है, कि लोगों के लिये एक मनुष्य मरे, और न यह, कि सारी जाति नाश हो।” 51 यह बात उसने अपनी ओर से न कही, परन्तु उस वर्ष का महायाजक होकर भविष्यद्वाणी की, कि यीशु उस जाति के लिये मरेगा; 52 और न केवल उस जाति के लिये, वरन् इसलिए भी, कि परमेश्‍वर की तितर-बितर सन्तानों को एक कर दे। 53 अतः उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे। 54 इसलिए यीशु उस समय से यहूदियों में प्रगट होकर न फिरा; परन्तु वहाँ से जंगल के निकटवर्ती प्रदेश के एप्रैम नाम, एक नगर को चला गया; और अपने चेलों के साथ वहीं रहने लगा। 55 और यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत सारे लोग फसह से पहले दिहात से यरूशलेम को गए कि अपने आप को शुद्ध करें। (2 इति. 30:17) 56 वे यीशु को ढूँढ़ने और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे, “तुम क्या समझते हो? क्या वह पर्व में नहीं आएगा?” 57 और प्रधान याजकों और फरीसियों ने भी आज्ञा दे रखी थी, कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए, कि उसे पकड़ लें।



John 11:3

जिससे तू प्रीति रखता है।

यह वाक्यांश लाजर के साथ यीशु के घनिष्ठ संबन्ध को दर्शाता है।

यह बीमारी मृत्यु की नहीं

"इस बीमारी का उद्देश्य उसकी मृत्यु नहीं है"

John 11:8

हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पत्थराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?

वैकल्पिक अनुवाद, "गुरू तू निश्चय ही वहां नहीं जाना चाहता है क्योंकि यहूदी तुझे पत्थराव करना चाहते हैं"।

यीशु ने उत्तर दिया

"यीशु ने दृष्टान्त के द्वारा उत्तर दिया"

क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते?

वैकल्पिक अनुवाद, "दिन में प्रकाश के बारह घंटे होते हैं।"

John 11:10

क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं

संभावित अर्थ है, (1) "वह देख नहीं सकता" (यू.डी.बी.) या (2) "उसके पास प्रकाश नहीं"।

हमारा मित्र लाजर सो गया है

"लाजर मर गया है, परन्तु कुछ समय के लिए"

मैं उसे जगाने जाता हूँ

यीशु लाजर को जीवित करने का विचार व्यक्त कर रहा है।

John 11:15

x

यीशु अपने शिष्यों से बैतनिय्याह जाने ही की बात कर रहा है

तुम्हारे कारण

”तुम्हारे लाभ के लिए“

दिद्मुस कहलाता है

दिद्मुस एक पुलिंग शब्द है, अर्थात जुड़वा

John 11:17

दो मील

”लगभग तीन किलोमीटर“। मूल भाषा में यह दूरी ”स्टेडियम“ में व्यक्त की गई है। एक स्टेडियम 185 मीटर का होता था।

John 11:24

जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह अनन्तकाल तक न मरेगा।

वैकल्पिक अनुवाद, "जो मुझ में विश्वास रखते है वे परमेश्वर से सदा के लिए अलग नहीं होंगे"।

John 11:30

उसके पांवों पर गिर पड़ी

मरियम ने यीशु के चरणों में घुटने टेके, सम्मान का प्रतीक।

John 11:36

क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?

वैकल्पिक अनुवाद, "यह एक अंधे को दृष्टिदान दे सकता है तो यह लाज़र को भी चंगा कर सकता था कि वह मरता नहीं"।

आँखें खोली

चंगा किया

John 11:38

क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी?

वैकल्पिक अनुवाद, "स्मरण रख कि मैंने तुझ से कहा है, यदि तू मुझ में विश्वास रखेगी तो देखेगी कि परमेश्वर कैसा महान है"।

John 11:43

कफन से हाथ पांव बंधे हुए निकल गया

उस समय की प्रथा थी कि शव को कपड़े की पट्टियों से बांधा जाए।

यीशु ने उन से कहा

"उनसे" शब्द चमत्कार को देखने वालों के लिए है।

John 11:49

तुम कुछ भी नहीं जानते

काइफा ने ऐसा इसलिए नहीं कहा कि वे अज्ञानी थे परन्तु इसलिए कि उसके समाधान से वे अनभिज्ञ थे। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम तो ऐसे बातें कर रहे हो कि तुम जानते ही नहीं कि क्या करना चाहिए"।

John 11:51

यह बात उसने कही

काइफा की योजना को भविष्यद्वाणी माना एवं समझा जा रहा था जबकि काइफा को स्वयं यह बोध नहीं था कि वह भविष्यद्वाणी कर रहा है। यह पृष्ठभूमि संबन्धित जानकारी है। इसे अपनी भाषा में स्पष्ट करने के लिए जो भी शब्द आवश्यक है उनका उपयोग करें।

उस जाति के लिए मरेगा

"जाति" से अभिप्राय है संपूर्ण इस्राएल जाति।

John 11:54

x

यीशु यरूशलेम के निकट के गाँव बैतनिय्याह से कूच करता है

John 11:56

x

यदि पद 57 का पद 56 से पहले होने का तथ्य आपके पाठकों को उलझन में डाल देगा तो आप दोनों पदों को संयोजित करके पद 57 के पाठ को पद 56 के पहले लिखें।

वे यीशु को ढूंढ़ने लगे।

"वे" अर्थात यरूशलेम आने वाले यहूदी धर्मगुरू

प्रधान याजको

यह जानकारी पृष्ठभूमि आधारित है कि यहूदी आराधनालों द्वारा यीशु के मन्दिर में आने के विचार की व्याख्या की जाए। यदि आपकी भाषा में ऐसी पृष्ठभूमि गर्मित जानकारी को व्यक्त करने की विधि है तो उसे काम में लें। उसने आसपास के लोगों से उसका विचार पूछा। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारे विचार में क्या यीशु पर्व में आने से डरेगा"।

तुम क्या सोचते हो? क्या वह पर्व में नहीं आयेगा?

तुम क्या सोचते हो? क्या वह पर्व में नहीं आयेगा? - व्यक्ता विमूढ़ था कि यीशु पर्व में आयेगा या नहीं क्योंकि उसे वहां बन्दी बनाए जाने का खतरा था। उसने अन्य साथियों की राय जानना चाहा। वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे विचार में क्या यीशु पर्व में आने से नहीं डरेगा"


Translation Questions

John 11:1

लाजर कौन था?

लाजर बैतनिय्याह का निवासी था। मार्था और मरियम उसकी बहनें थी। यह वहीं मरियम थी जिसने यीशु पर इत्र डालकर अपने बालों से उसके पांव पोंछे थे।

John 11:4

लाजर की रोगावस्था के बारे में सुनकर यीशु ने लाजर और उसके रोग के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा, "यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिए है कि आपके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो"।

John 11:6

लाजर के रोगाव्यस्था के बारे में सुनकर यीशु ने क्या कहा?

यीशु जहां था वहीं दो दिन और रूक गया।

John 11:8

यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, "आओ, हम फिर यहूदिया को चलें" तो उन्होंने क्या उत्तर दिया?

शिष्यों ने यीशु से कहा, "हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर वहीं जाना चाहता है"?

John 11:9

दिन और रात में चलने के बारे में यीशु ने क्या कहा था?

यीशु ने कहा यदि कोई दिन के उजियाले में चले तो ठोकर नहीं खाता है क्योंकि वह इस जगत का उजाला देखता है, परन्तु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें उजाला नहीं।

John 11:11

यीशु ने कहा कि लाजर सो गया है और वह उसे जगाने जाता है तो शिष्यों ने उसका क्या अर्थ समझा?

शिष्यों ने सोचा कि वह प्राकृतिक नींद के बारे में कह रहा है क्योंकि उन्होंने कहा, "हे प्रभु, यदि वह सो गया है तो वह स्वस्थ हो जायेगा"।

John 11:13

यीशु ने कहा, लाजर सो गया है, तो उसके कहने का अर्थ क्या था?

यीशु ने कहा, लाजर सो गया है तो उसके कहने का अर्थ था कि वह मर गया है।

John 11:15

यीशु ने क्यों कहा, कि वह आनन्दित है कि लाजर की मृत्यु के समय वहाँ नहीं था क्यों?

यीशु ने कहा, "मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो"।

John 11:16

थोमा के विचार में यदि वे वहाँ गए तो क्या होगा?

थोमा ने सोचा था कि वे सब मारे जायेंगे।

John 11:17

यीशु के आगमन पर लाजर को कितने दिन हो गए थे?

लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो गए थे।

John 11:20

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर मार्था ने क्या किया?

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर मार्था उससे भेंट करने निकली।

John 11:22

मार्था क्या सोचती थी की परमेश्वर, यीशु के लिए क्या कर सकता था?

मार्था ने कहा, "मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा"।

John 11:24

जब यीशु ने मार्था से कहा "तेरा भाई फिर जी उठेगा" तो उसकी प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने यीशु से कहा, "मैं जानती हूँ कि अन्तिम दिन पुनरूत्थान के समय वह फिर जी उठेगा"।

John 11:25

यीशु के कथनानुसार उसमें विश्वास करने वालों का क्या होगा?

यीशु ने कहा कि जो कोई उसमें विश्वास करेगा वह मर भी जाए तौभी जीएगा और जो कोई जीवित है और उसमें विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा।

John 11:27

यीशु के बारे में मार्था की क्या गवाही थी?

मार्था ने यीशु से कहा, "मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है"।

John 11:29

मरियम कहाँ जा रही थी?

मरियम यीशु से भेंट करने जा रही थी।

John 11:31

मरियम को तुरन्त जाते देख वहाँ उपस्थित यहूदियों ने क्या सोचा और क्या किया?

मार्था के घर में उपस्थित यहूदियों ने सोचा कि मरियम कब्र पर रोने जा रही है तो वे उसके साथ चल पड़े।

John 11:33

यीशु के आत्मा में उदास और व्याकुल होकर रोने का कारण क्या था?

यीशु ने मरियम और अन्य यहूदियों को रोते देखा तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ और यीशु रोया।

John 11:36

यीशु को रोता देख यहूदियों ने क्या निष्कर्ष निकाला?

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यीशु लाजर से प्रेम रखता था।

John 11:39

यीशु द्वारा दी गई गुफा से पत्थर हटाने की आज्ञा सुन मार्था ने क्या कहा?

मार्था ने कहा, "हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती होगी क्योंकि उसे मरे अब चार दिन हो गए हैं"।

John 11:40

मार्था ने कब्र पर से पत्थर हटाने का विरोध किया तो यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने मार्था से कहा, "क्या मैंने तुम से नहीं कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी"?

John 11:41

जब कब्र से पत्थर हटाया गया तब यीशु ने तुरन्त क्या किया?

यीशु ने स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर अपने पिता से प्रार्थना की।

John 11:42

यीशु ने अपने पिता से जो कहा उसे ऊंचे शब्द में कहने का कारण क्या था?

उसने ऊंचे शब्दों में प्रार्थना की कि वहाँ उपस्थित जन विश्वास करें कि परमेश्वर ने उसे भेजा है।

John 11:44

जब यीशु ने पुकार कर कहा, "हे लाजर निकल आ" तो क्या हुआ?

वह कफ़न से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था।

John 11:45

लाज़र को कब्र से बाहर आता देख यहूदियों की क्या प्रतिक्रिया थी?

अनेक यहूदियों ने यीशु का यह काम देखकर उसमें विश्वास किया परन्तु कुछ ने जाकर फरीसियों को यीशु के इस काम का समाचार सुनाया।

John 11:50

महायाजकों और फरीसियों की सभा में कैफा ने क्या भविष्यद्वाणी की?

महायाजक कैफा ने कहा, "तुम्हारे लिए यह भला है कि हमारे लोगों के लिए एक मनुष्य मरे और सारी जाति नष्ट न हो"।

John 11:53

उस दिन से महासभा ने क्या योजना बनाई?

उन्होंने यीशु की हत्या की योजना बनाई।

John 11:54

लाजर को जीवित करने के बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु अब यहूदियों में प्रकट होकर नहीं रहा, वह बैतनिय्याह से निकल कर पास के जंगल के इफ्राईम नाम एक नगर को चला गया और अपने शिष्यों के साथ वहीं रहने लगा।

John 11:57

महायाजकों और फरीसियों ने क्या आज्ञा दी?

उन्होंने यह उपदेश दिया कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए ताकि वे उसे पकड़ें।


Chapter 12

1 फिर यीशु फसह से छः दिन पहले बैतनिय्याह में आया, जहाँ लाज़र था; जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था। 2 वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मार्था सेवा कर रही थी, और लाज़र उनमें से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे। 3 तब मरियम ने जटामांसी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला, और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्धित हो गया। 4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा, 5 “यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर गरीबों को क्यों न दिया गया?” 6 उसने यह बात इसलिए न कही, कि उसे गरीबों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए कि वह चोर था और उसके पास उनकी थैली रहती थी, और उसमें जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था। 7 यीशु ने कहा, “उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे। 8 क्योंकि गरीब तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।” (मर. 14:7)

9 यहूदियों में से साधारण लोग जान गए, कि वह वहाँ है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिए भी कि लाज़र को देखें, जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया था। 10 तब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की सम्मति की। 11 क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।

12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है। 13 उन्होंने खजूर की डालियाँ लीं, और उससे भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, “होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।” (भज. 118:25-26) 14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो वह उस पर बैठा, जैसा लिखा है,

    15 “हे सिय्योन की बेटी,

     मत डर;

     देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा

     हुआ चला आता है।”

16 उसके चेले, ये बातें पहले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उनको स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं; और लोगों ने उससे इस प्रकार का व्यवहार किया था। 17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उसने लाज़र को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया था। 18 इसी कारण लोग उससे भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उसने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है। 19 तब फरीसियों ने आपस में कहा, “सोचो, तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो; देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।”

20 जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे। 21 उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।” 22 फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा। 23 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है*, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो। 24 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है। 25 जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा। 26 यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।

27 “अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है*। इसलिए अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ। 28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।” 29 तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।” 30 इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है। 31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा। 32 और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।” 33 ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा। 34 इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (दानि. 7:14) 35 यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। 36 जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा।

37 और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया; 38 ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा:

     “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किस ने विश्वास किया है?

     और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?” (यशा. 53:1)

39 इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है:

    40 “उसने उनकी आँखें अंधी,

     और उनका मन कठोर किया है;

     कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें,

     और मन से समझें,

     और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।” (यशा. 6:10)

41 यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की। 42 तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ। 43 क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्‍वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।

44 यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है। 45 और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है। 46 मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे। 47 यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। 48 जो मुझे तुच्छ जानता है* और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा। 49 क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की, परन्तु पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या-क्या कहूँ और क्या-क्या बोलूँ? 50 और मैं जानता हूँ, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ।”



John 12:1

आध सेर

यहां मूल भाषा का शब्द है, "लितरा" जो भार का माप है, रोम का एक पाऊंड लगभग बारह आऊंस या 327.5 ग्राम होता है।

इत्र

सुगन्धित पौधों से प्राप्त तेल से बना द्रव्य

जटामांसी

यह घंटी के आकार के गुलाबी रंग के फूलों से प्राप्त इत्र है, जो नेपाल, चीन और भारत में उगता है।

घर सुगंधित हो गया

"इत्र की सुगन्ध संपूर्ण घर में फैल गई"।

John 12:4

x

जब मरियम यीशु के चरणों पर इत्र लगा रही थी तब वह भोजन हेतु आसीन था।

जो उसे पकड़वाने पर था

वैकल्पिक अनुवाद, "जिसने आगे चलकर यीशु को बन्दी बनाने में उसके बैरियों की सहायता की थी"

इसलिए कि वह चोर था ..... वह निकाल लेता था।

यूहन्ना यहूदा के इस सुझाव का भेद खोलता है। इस पृष्ठभूमि गर्मित जानकारी को अपने ही प्रकार से अनुवाद करे यदि प्रबन्ध है।

John 12:9

x

बैतनिय्याह में यीशु भोजन कर रहा है

अब

यहाँ मुख्य कहानी में रूकावट है। यूहन्ना कहानी में एक नए समूह का प्रवेश करता है।

प्रधान याजकों ने...सम्मति की

"प्रधान याजकों ने विचार विमर्श किया" या "प्रधान याजकों ने सुझाव खोजे"।

उसके कारण

लाज़र के जी उठने के कारण अनेकों ने यीशु पर विश्वास किया था।

John 12:12

होशाना

अर्थात "परमेश्वर बचाए"।

जो प्रभु के नाम में आता है

किसी के नाम में आने का अर्थ है कि उसके अधिकार और सामर्थ्य के साथ आना, या उनका प्रतिनिधि या सन्देशवाहक होना। वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर के प्रतिनिधि रूप में आता है।"

John 12:14

हे सिय्योन की बेटी

"सिय्योन की बेटी", इस्त्राएल को व्यक्त करने का रूपक है, "इस्त्राएल की सन्तान" या "यरूशलेम के लोग"

John 12:16

x

लेखक पृष्ठभूमि गर्भित जानकारी देता है।

जब यीशु की महिमा प्रगट हुई

वैकल्पिक अनुवाद, "जब परमेश्वर ने यीशु को महिमान्वन किया"

उन्हें स्मरण आया कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थी।

लेखक, यूहन्ना यहाँ व्याख्या द्वारा पाठक को बताता है कि यह पृष्ठभूमि आधारित जानकारी है कि शिष्य इसे बाद में समझे।

John 12:17

संसार उसके पीछे हो चला है

वैकल्पिक अनुवाद, “ऐसा प्रतीत होता है कि सब ही उसके अनुयायी हो गए हैं”

John 12:23

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है, परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है, वैकल्पिक अनुवाद, "इस दृष्टान्त पर ध्यान दो जो मैं तुम्हें सुनाता हूं। मेरा जीवन एक बीज के सदृश्य है जो भूमि में डाला गया और मर गया। जब तक वह बोया न जाए वह मात्र एक ही बीज रहता है, परन्तु जब उसे बोया जाता है तब वह बदलकर अनेक बीजों की फसल देने के लिए विकसित होता है।"

John 12:25

जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा।

जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा। - वैकल्पिक अनुवाद, "इसी प्रकार जो अपनी इच्छा को प्रिय जानता है वह उसे नष्ट करता है और जो अपनी इच्छा को अनदेखा करता है, क्योंकि वह मेरे अधीन होता है, वह सदा परमेश्वर के साथ रहेगा"।

John 12:27

अब मैं क्या कहूँ। हे पिता मुझे इस घड़ी से बचा।

"मैं प्रार्थना में यह नहीं कहूँगा, हे पिता मुझे ऐसे समय में बचा ले"।

John 12:32

सबको अपने पास खींचूगा

"मैं सब कुछ बाँध लूँगा... कि मैं सदा के लिए राज करूं"

उसने यह प्रगट कर दिया कि वह कैसी मृत्यु मरेगा।

x

John 12:34

यीशु ने उससे कहा, "ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है?"

वैकल्पिक अनुवाद, तब यीशु ने उन्हें यह दृष्टान्त सुनाया, "मेरे वचन तुम्हारे लिए ज्योति के समान हैं, कि समझने में तुम्हारी सहायता करें कि परमेश्वर की इच्छा का जीवन जीओ। अब मैं अधिक समय तक तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा। आवश्यक है कि जब तक मैं हूँ, तुम मेरे निर्देशों का पालन करो। यदि तुम मेरे वचनों को अस्वीकार करते हो तो वह ऐसा है जैसे अन्धकार अकस्मात ही तुम पर छा गया और तुम नहीं जानते कि कहाँ जा रहे हो"।

John 12:37

"हे प्रभु हमारे समाचार का किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रकट हुआ है"?

"हे प्रभु हमारे समाचार का किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रकट हुआ है"? -वैकल्पिक अनुवाद, "हे प्रभु हमारा सन्देश किसी ने नहीं सुना जबकि उन्होंने देखा है कि तू उन्हें सामथ्र्य के साथ बचाने में योग्य है"।

प्रभु का भुजबल

परमेश्वर की उद्धारक पराक्रमी क्षमता के बारे में है।

John 12:41

आराधनालय में से निकाले जाएं

"आराधनालय में उनका प्रवेश निषेध हो जाए"

John 12:44

जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।

वैकल्पिक अनुवाद, "जो मुझे देखता है वह मेरे भेजनेवाले परमेश्वर को देखता है"।

John 12:46

मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ

यीशु यहाँ भी स्वयं की तुलना संसार की अन्धकार विरोधी ज्योति से करता है।

अन्धकार में रहे

"आत्मिक अन्धेपन में रहे"

यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिए नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिए आया हूं।

वैकल्पिक अनुवाद, "यदि कोई मेरी शिक्षा को सुनकर अस्वीकार करे तो मुझे उसको दोष देने की आवश्यकता नहीं है। मेरी शिक्षा ही ने उसे दोषी ठहरा दिया है क्योंकि उसने उसे अस्वीकार किया। यहां तक मेरी बात है, मैं दोषी ठहराने नहीं, परन्तु मेरे विश्वासियों का उद्धार करने आया हूं"।

John 12:48

पिछले दिन

पिछले दिन, "जब परमेश्वर मनुष्यों को पापों का न्याय करेगा"।

उसकी आज्ञा अनन्तजीवन है।

"मैं जानता हूं कि उसने मुझे जिन वचनों के आख्यान की आज्ञा दी है, वे अनन्तजीवन दायक वचन हैं।


Translation Questions

John 12:1

यीशु फिर बैतनिय्याह कब लौटा?

फसह के पर्व के छः दिन पूर्व वह बैतनिय्याह आया।

John 12:3

यीशु के लिए बनाए गए भोज के समय मरियम ने क्या किया?

मरियम ने जटामांसी का आधा सेर इत्र लेकर यीशु के पावों पर डाला और अपने बालों से उसके पांव पोंछे।

John 12:4

यीशु के शिष्यों में से एक यहूदा ने क्यों शिकायत की कि वह इत्र बेचकर कंगालों में पैसा बांटा जा सकता था?

यहूदा ने इसलिए नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिन्ता थी परन्तु इसलिए कि वह चोर था, उसके पास उनकी थैली रहती थी और जो कुछ उसमें डाला जाता था, वह निकाल लेता था।

John 12:7

यीशु ने जटामांसी का इत्र डालने के लिए मरियम का पक्ष कैसे लिया?

यीशु ने कहा, "उसे रहने दो। उसे यह मेरे गाड़े जाने के दिन के लिए रखने दो। कंगाल तो सदैव तुम्हारे साथ रहेंगे परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूंगा।"

John 12:9

बैतनिय्याह में भीड़ क्यों लग गई थी?

यीशु की वहाँ उपस्थिति का समाचार सुनकर यहूदियों की बड़ी भीड़ यीशु को ही नहीं लाजर को भी देखने आई जिसे यीशु ने जीवित किया था।

John 12:10

महायाजक लाजर को क्यों मार डालना चाहते थे?

वे लाजर को मार डालना चाहते थे क्योंकि उसके कारण अनेक यहूदी यीशु में विश्वास करने लगे थे।

John 12:13

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर पर्व में आने वालों की भीड़ ने क्या किया?

उन्होंने खजूर की डालियां लीं और यह पुकारते हुए उससे भेंट करने निकले, "होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है"।

यीशु के शिष्यों को जो बात पहले समझ में नहीं आई थी परन्तु यीशु की महिमा प्रकट होने पर उन्हें स्मरण आया कि उसके बारे में ऐसा ही लिखा है और लोगों ने उसके साथ वैसा ही व्यवहार किया था। वह बात क्या थी?

शिष्यों को स्मरण हुआ कि यीशु के बारे में लिखा है, "हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।"

John 12:17

पर्व में आने वाले यीशु से भेंट करने क्यों निकले?

वे यीशु से भेंट करने निकले क्योंकि उन्होंने सुना था कि यीशु ने लाजर को जिलाया था।

John 12:18

यीशु ने प्रार्थना की, "हे पिता अपने आप की महिमाकर" तब क्या हुआ?

तब यह आकाशवाणी हुई, "मैंने उसकी महिमा की है और फिर भी करूंगा"।

John 12:23

जब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा कि कुछ यूनानी उससे भेंट करना चाहते हैं तो यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "वह समय आ गया हे कि मनुष्य के पुत्र की महिमा हो"।

John 12:24

यीशु के अनुसार गेहूं का दाना भूमि में गिरकर मर जाता है तब क्या होता है?

यीशु ने कहा कि मरने के बाद वह बहुत फल लाता है।

John 12:25

जो इस संसार में अपने प्राण से प्रेम करे और जो उससे घृणा करे उनका क्या होगा?

यीशु ने कहा कि जो अपने प्राण से प्रेम रखेगा वह उसे खोएगा और जो इस संसार में अपने जीवन से घृणा करेगा वह अनन्त जीवन के लिए होगा।

John 12:26

यीशु की सेवा करने वाले का क्या होगा?

पिता परमेश्वर उसका आदर करेगा।

John 12:30

यीशु ने उस आकाशवाणी का कारण क्या बताया?

यीशु ने कहा, "यह शब्द मेरे लिए नहीं परन्तु तुम्हारे लिए आया है"।

John 12:31

यीशु के अनुसार क्या होने वाला था?

यीशु ने कहा, "अब संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जायेगा"।

John 12:33

यीशु ने क्यों कहा, "मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सबको अपने पास खींचूगा।"

यीशु ने कहा कि यह उसकी मृत्यु के बारे में है कि वह कैसी होगी।

John 12:35

लोगों ने उससे पूछा, "तू क्यों कहता है कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?" क्या यीशु ने इस प्रश्न का उन्हें सीधा उत्तर दिया था?

नहीं, उसने उनके प्रश्नों का सीधा उत्तर नहीं दिया।

John 12:36

यीशु ने ज्योति के विषय में क्या कहा?

यीशु ने कहा, "ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है चले चलो," ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे.... "ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति की सन्तान बनो"।

John 12:39

वे यीशु में विश्वास करने योग्य क्यों नहीं थे?

वे विश्वास करने योग्य नहीं थे क्योंकि यशायाह ने कहा था, "उसने उनकी आंखें अंधी और उनका मन कठोर कर दिया है, कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें और मन से समझें, और फिरें और मैं उन्हें चंगा करूं"।

John 12:41

यशायाह ने ऐसा क्यों कहा था?

उसने यह कहा क्योंकि उसने यीशु की महिमा देखी थी।

John 12:42

यीशु में विश्वास करने वाले अधिकारी उसका अंगीकार क्यों नहीं करते थे?

उन्होंने यीशु में विश्वास का अंगीकार नहीं किया क्योंकि वे फरीसियों से डरते थे कि उन्हें आराधनालय से बहिष्कृत न कर दें, वे परमेश्वर की अपेक्षा मनुष्यों की प्रशंसा चाहते थे।

John 12:44

यीशु अपने और अपने पिता के बारे क्या कहता है?

यीशु ने कहा, "जो मुझ पर विश्वास करता है वह मुझ पर नहीं वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, जो मुझे देखता है वह मेरे भेजने वाले को देखता है।"

John 12:47

यीशु संसार के लिए क्या करने आया था?

यीशु ने कहा कि वह संसार का उद्धार करने आया है।

John 12:48

जो यीशु का त्याग करते और उसके वचनों को ग्रहण नहीं करते उनका क्या होगा?

यीशु के द्वारा कहा गया वचन अस्वीकार करने वालों का अन्तिम दिन में न्याय किया जायेगा।

John 12:49

क्या यीशु अपने आप ही बोलता था?

नहीं, पिता जिसने यीशु को भेजा उसी ने उसे आज्ञा दी कि क्या करे और क्या बोले।

John 12:50

यीशु क्यों ठीक वहीं कहता था जो पिता ने उसे आज्ञा दी थी?

यीशु ने वह सब किया क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता की आज्ञा अनन्त जीवन है।


Chapter 13

1 फसह के पर्व से पहले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरा वह समय आ पहुँचा है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊँ, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा। 2 और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था, कि उसे पकड़वाए, तो भोजन के समय 3 यीशु ने, यह जानकर कि पिता ने सब कुछ उसके हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्‍वर के पास से आया हूँ, और परमेश्‍वर के पास जाता हूँ। 4 भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए, और अँगोछा लेकर अपनी कमर बाँधी।

5 तब बर्तन में पानी भरकर चेलों के पाँव धोने* और जिस अँगोछे से उसकी कमर बंधी थी उसी से पोंछने लगा। 6 जब वह शमौन पतरस के पास आया तब उसने उससे कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धोता है?” 7 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो मैं करता हूँ, तू अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।” 8 पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा!” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी भाग नहीं।” 9 शमौन पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, तो मेरे पाँव ही नहीं, वरन् हाथ और सिर भी धो दे।” 10 यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है, उसे पाँव के सिवा और कुछ धोने का प्रयोजन नहीं; परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है: और तुम शुद्ध हो; परन्तु सब के सब नहीं।” 11 वह तो अपने पकड़वानेवाले को जानता था इसलिए उसने कहा, “तुम सब के सब शुद्ध नहीं।”

12 जब वह उनके पाँव धो चुका और अपने कपड़े पहनकर फिर बैठ गया तो उनसे कहने लगा, “क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया? 13 तुम मुझे गुरु, और प्रभु, कहते हो, और भला कहते हो, क्योंकि मैं वहीं हूँ। 14 यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पाँव धोए; तो तुम्हें भी एक दूसरे के पाँव धोना चाहिए। 15 क्योंकि मैंने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो। 16 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं; और न भेजा हुआ* अपने भेजनेवाले से। 17 तुम तो ये बातें जानते हो, और यदि उन पर चलो, तो धन्य हो। 18 मैं तुम सब के विषय में नहीं कहता: जिन्हें मैंने चुन लिया है, उन्हें मैं जानता हूँ; परन्तु यह इसलिए है, कि पवित्रशास्त्र का यह वचन पूरा हो, ‘जो मेरी रोटी खाता है, उसने मुझ पर लात उठाई।’ (भज. 41:9) 19 अब मैं उसके होने से पहले तुम्हें जताए देता हूँ कि जब हो जाए तो तुम विश्वास करो कि मैं वहीं हूँ। (यूह. 14:29) 20 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है, और जो मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।”

21 ये बातें कहकर यीशु आत्मा में व्याकुल हुआ और यह गवाही दी, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” 22 चेले यह संदेह करते हुए, कि वह किस के विषय में कहता है, एक दूसरे की ओर देखने लगे। 23 उसके चेलों में से एक जिससे यीशु प्रेम रखता था, यीशु की छाती की ओर झुका हुआ बैठा था। 24 तब शमौन पतरस ने उसकी ओर संकेत करके पूछा, “बता तो, वह किस के विषय में कहता है?” 25 तब उसने उसी तरह यीशु की छाती की ओर झुककर पूछा, “हे प्रभु, वह कौन है?” यीशु ने उत्तर दिया, “जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूँगा, वही है।” 26 और उसने टुकड़ा डुबोकर शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती को दिया। 27 और टुकड़ा लेते ही शैतान उसमें समा गया: तब यीशु ने उससे कहा, “जो तू करनेवाला है, तुरन्त कर।” 28 परन्तु बैठनेवालों में से किसी ने न जाना कि उसने यह बात उससे किस लिये कही। 29 यहूदा के पास थैली रहती थी, इसलिए किसी-किसी ने समझा, कि यीशु उससे कहता है, कि जो कुछ हमें पर्व के लिये चाहिए वह मोल ले, या यह कि गरीबों को कुछ दे। 30 तब वह टुकड़ा लेकर तुरन्त बाहर चला गया, और रात्रि का समय था।

31 जब वह बाहर चला गया तो यीशु ने कहा, “अब मनुष्य के पुत्र की महिमा हुई, और परमेश्‍वर की महिमा उसमें हुई; 32 और परमेश्‍वर भी अपने में उसकी महिमा करेगा, वरन् तुरन्त करेगा। 33 हे बालकों, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूँ: फिर तुम मुझे ढूँढ़ोगे, और जैसा मैंने यहूदियों से कहा, ‘जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते,’ वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूँ। 34 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ*, कि एक दूसरे से प्रेम रखो जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 35 यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।”

36 शमौन पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, तू कहाँ जाता है?” यीशु ने उत्तर दिया, “जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता; परन्तु इसके बाद मेरे पीछे आएगा।” 37 पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूँगा।” 38 यीशु ने उत्तर दिया, “क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा? मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ कि मुर्गा बाँग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा।



John 13:1

अब फसह के पर्व से पहले

यह वाक्यांश परिदृश्य प्रकट करने के लिए पृष्ठभूमिगर्मित जानकारी है। आपकी भाषा में पृष्ठभूमिगर्मित जानकारी को व्यक्त करने के लिए जैसा भी प्रावधान है, उसका उपयोग करें।

शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती

वैकल्पिक अनुवाद, "शमौन का पुत्र, कारियोथ निवासी यहूदा"

John 13:3

भोजन पर से उठ कर अपने ऊपरी कपड़े उतार दिए

वह स्थान धूल से भरा था इसलिए अतिथि सत्कार करने वाले को आन्तुकों के पांव धोने के लिए एक सेवक रखना होता था।

John 13:6

हे प्रभु, क्या तू मेरे पांव धोता है?

वैकल्पिक अनुवाद, "हे प्रभु तू निश्चय ही मेरे पांव नहीं धोएगा"

John 13:10

तुम .... सब के सब नहीं

"तुम" अर्थात शिष्य?

तुम सब के सब शुद्ध नहीं।

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम सब के सब अपराध से शुद्ध नहीं हो"

John 13:12

क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें समझना है कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है"।

John 13:19

मैं वही हूँ (मैं हूँ)

परमेश्वर ने मूसा को अपना यही नाम बताया था। यह परमेश्वर का पवित्र नाम है जिसे सब यहूदी जानते थे।

John 13:21

आत्मा में व्याकुल हुआ

"परेशान, चिन्तित हुआ"

John 13:23

मेज पर छाती की ओर झुका हुआ था

उस संस्कृति में लोग अपने पाश्र्व पर आधा लेट कर भोजन करते थे।

यीशु की छाती

यीशु के सीने की ओर

यीशु की छाती

यीशु के सीने की ओर

जिससे यीशु प्रेम रखता था।

यह यूहन्ना था

John 13:26

इस्करियोती

कारियोथ गांव का

John 13:28

कि वह कंगालों को कुछ दे

इसका कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है, "जाकर गरीबों को कुछ दान दे"

John 13:31

हे बालकों

यीशु "हे बालकों" का उपयोग करता है कि वह व्यक्त करे कि वह अपने शिष्यों से बच्चों के समान प्रेम करता था।

John 13:34

सब लोग

"सब" अर्थात शिष्यों के पारस्परिक प्रेम को देखने वाले सब लोग।

John 13:36

अपना प्राण भी दे दूँगा

"जान दे दूँगा" या "मर जाउँगा"

क्या तू मेरे लिए अपना प्राण देगा?

वैकल्पिक अनुवाद, "तू कहता है कि तू मेरे लिए मर भी जायेगा" देखें: )


Translation Questions

John 13:1

यीशु ने कब तक अपनों से प्रेम रखा?

वह अन्त तक अपने लोगों से आरंभ का सा ही प्रेम रखता रहा।

John 13:2

शैतान ने यहूदा इस्करियोती के मन में क्या डाल दिया था?

शैतान ने यहूदा इस्करियोती के मन में डाला कि वह यीशु को पकड़वाए।

John 13:3

पिता परमेश्वर ने यीशु के हाथ में क्या कुछ दे दिया था?

पिता परमेश्वर ने यीशु के हाथ में सब कुछ कर दिया था।

यीशु कहाँ से आया था और कहाँ जा रहा था?

यीशु परमेश्वर के पास से आया था और वही लौट कर जा रहा था।

John 13:4

भोजन से उठने के बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु ने अपने ऊपरी वस्त्र उतार दिए और अंगोछा लेकर अपनी कमर बांधी। तब बर्तन में पानी लेकर शिष्यों के पांव धोने और जिस अंगोछे से कमरकस रखी थी उससे पोंछने लगा।

John 13:8

पतरस के इन्कार करने पर यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने कहा, "यदि मैं तुझे न धोऊं तो मेरे साथ तेरा कुछ भी सांझा नहीं"।

John 13:11

यीशु ने अपने शिष्यों से क्यों कहा, "तुम शुद्ध हो परन्तु सब के सब नहीं"?

यीशु ने इसलिए पूछा कि वह जानता था कौन उसे पकड़वाएगा।

John 13:14

यीशु ने अपने शिष्यों के पांव क्यों धोए?

यीशु ने अपने शिष्यों के पांव धोए कि उनके लिए एक उदाहरण हो कि वे भी ऐसा ही करें।

John 13:16

क्या सेवक अपने स्वामी की और भेजा गया अपने भेजने वाले से बड़ा होता है?

सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और जो भेजा गया वह भेजनेवाले से बड़ा नहीं होता है।

John 13:18

यीशु के साथ विश्वासघात किसने किया?

जिसने यीशु की रोटी खाई उसी ने विश्वासघात किया।

John 13:19

यीशु ने शिष्यों से क्यों कहा कि उनमें से सब शुद्ध नहीं और कि "जो मेरे साथ रोटी खाता है उसने मुझ पर लात उठाई"?

यीशु ने होने से पहले उन्हें बता दिया था कि वे विश्वास करें कि यीशु "मैं हूँ" है।

John 13:20

यदि कोई यीशु को ग्रहण करता है वह किसे ग्रहण करता है?

यीशु ने कहा जो मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है; और जो मुझे ग्रहण करता है वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।

John 13:24

जब यीशु ने कहा कि शिष्यों में से एक उसे पकड़वाएगा तब पतरस ने क्या किया?

शमौन पतरस ने यीशु के प्रिय शिष्य की ओर संकेत करके पूछा, "बता तो वह किसके विषय में कहता है"?

John 13:25

जब यीशु के प्रिय शिष्य ने उससे पूछा कि कौन उसे पकड़वाएगा तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने कहा, "जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूंगा वही है।" उस ने टुकड़ा डुबोकर शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती को दिया।

John 13:27

यीशु ने यहूदा को रोटी दी तब उसमें क्या हुआ और उसने क्या किया?

रोटी खाते ही यहूदा में शैतान समा गया और वह तुरन्त चला गया।

John 13:31

परमेश्वर का महिमान्वन कैसे होने वाला था?

मनुष्य के पुत्र में परमेश्वर की महिमा होने वाली थी। जब मनुष्य के पुत्र का महिमान्वन हुआ तो वह परमेश्वर का महिमान्वन था।

John 13:34

यीशु ने अपने शिष्यों को कौन सी नई आज्ञा दी थी?

नई आज्ञा यह थी कि वे आपस में प्रेम रखें जैसे यीशु ने उनसे प्रेम किया था।

John 13:35

यीशु के अनुसार यदि शिष्य आपस में यीशु का सा प्रेम रखेंगे तो क्या होगा?

यीशु ने कहा कि यदि वे आपस में प्रेम रखेंगे तो सब जानेंगे कि वे उसके शिष्य हैं।

John 13:36

यीशु ने उससे कहा, जहां मैं जाता हूँ वहाँ तू अभी मेरे पीछे आ नहीं सकता", तो क्या पतरस समझ पाया था?

नहीं, शमौन पतरस नहीं समझा था क्योंकि उसने यीशु से पूछा था, "हे प्रभु तू कहाँ जाता है"?

John 13:38

पतरस ने यीशु से कहा, "मैं तो तेरे लिए अपना प्राण भी दे दूंगा", तब यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने कहा, "क्या तू मेरे लिए अपना प्राण देगा? मैं तुझसे सच-सच कहता हूँ कि मुर्ग बांग न देगा जब तक कि तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा"।


Chapter 14

1 “तुम्हारा मन व्याकुल न हो*, तुम परमेश्‍वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। 2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। 3 और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा, कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो।

4 और जहाँ मैं जाता हूँ तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।” 5 थोमा ने उससे कहा, “हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जाता है; तो मार्ग कैसे जानें?” 6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ*; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। 7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।”

8 फिलिप्पुस ने उससे कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।” 9 यीशु ने उससे कहा, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? 10 क्या तू विश्वास नहीं करता, कि मैं पिता में हूँ, और पिता मुझ में हैं? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। 11 मेरा ही विश्वास करो, कि मैं पिता में हूँ; और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्वास करो।

12 “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन् इनसे भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ। 13 और जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो। 14 यदि तुम मुझसे मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा।

15 “यदि तुम मुझसे प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे। 16 और मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। 17 अर्थात् सत्य की आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।

18 “मैं तुम्हें अनाथ न छोडूँगा, मैं तुम्हारे पास वापस आता हूँ। 19 और थोड़ी देर रह गई है कि संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिए कि मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे। 20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में। 21 जिसके पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझसे प्रेम रखता है, और जो मुझसे प्रेम रखता है, उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उससे प्रेम रखूँगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूँगा।” 22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उससे कहा, “हे प्रभु, क्या हुआ कि तू अपने आप को हम पर प्रगट करना चाहता है, और संसार पर नहीं?” 23 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “यदि कोई मुझसे प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएँगे, और उसके साथ वास करेंगे। 24 जो मुझसे प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन् पिता का है, जिस ने मुझे भेजा।

25 “ये बातें मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही। 26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”

27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ*, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। 28 तुम ने सुना, कि मैंने तुम से कहा, ‘मैं जाता हूँ, और तुम्हारे पास फिर आता हूँ’ यदि तुम मुझसे प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूँ क्योंकि पिता मुझसे बड़ा है। 29 और मैंने अब इसके होने से पहले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम विश्वास करो। 30 मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूँगा, क्योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ पर उसका कुछ अधिकार नहीं। 31 परन्तु यह इसलिए होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूँ, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूँ। उठो, यहाँ से चलें।



John 14:8

"हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ और क्या तू मुझे नहीं जानता?"

वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हारे (बहुवचन) साथ पहले ही बहुत समय रह चुका हूँ और प्रकट है कि तुम (एकवचन) मुझे नहीं जानते, फिलिप्पुस"।

तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?

वैकल्पिक अनुवाद, "अतः तुझे (एकवचन) कहने की आवश्यकता नहीं, "पिता को हमें दिखा"

John 14:10

क्या तू विश्वास नहीं करता

"क्या तू (एकवचन) विश्वास नहीं करता"

ये बातें जो मैं तुमसे कहता हूँ

"जो बातें मैं तुम से (बहुवचन) कहता हूँ"।

ये बातें जो मैं तुम से कहता हूं, अपनी ओर से नहीं कहता।

"मेरे ये सन्देश जो मैं तुम्हें सुनाता हूँ, अपनी ओर से नहीं सुनाता हूँ।"

John 14:15

सहायक

पवित्र आत्मा, "वह जो सहायता हेतु निकट आता है" या "जो ढ़ाढस बंधाता है" या "जो सहायता करता है"

सत्य का आत्मा

पवित्र आत्मा

जगत

वे लोग जो यीशु में विश्वास नहीं करते

John 14:18

जगत

"जो परमेश्वर के लोग नहीं"

John 14:28

मुझसे बड़ा है

"मुझसे अधिक अधिकार संपन्न है"

John 14:80

इस संसार का राजकुमार

यह शैतान का नाम है


Translation Questions

John 14:1

शिष्यों का मन व्याकुल क्यों नहीं होना था?

उनका मन व्याकुल न होना था क्योंकि यीशु उनके लिए जगह तैयार करने जा रहा था और वह आकर उन्हें अपने यहां ले जायेगा कि जहां वह रहे वहाँ वे भी रहें।

John 14:2

पिता के घर में क्या है?

मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं।

John 14:3

यीशु शिष्यों के लिए क्या करने जा रहा था?

यीशु उनके लिए जगह तैयार करने जा रहा था।

John 14:6

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग क्या है?

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग यीशु है।

John 14:8

फिलिप्पुस ने यीशु से क्या करने को कहा जो शिष्यों के लिए बहुत होगा?

फिलिप्पुस ने यीशु से कहा, "हे प्रभु पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिए बहुत है"।

John 14:10

क्या यीशु शिष्यों से अपनी ओर से कुछ कहता था?

यीशु ने कहाँ, जो वह कहता है वह अपनी ओर से नहीं कहता परन्तु पिता उसमें रहकर अपने काम करता है।

John 14:11

यीशु ने क्यों कहा कि शिष्य विश्वास क्यों करें कि वह पिता में है और पिता उसमें है?

यीशु ने उनसे कहा कि वे इस बात में विश्वास करें कुछ नहीं तो उसके कामों पर ही विश्वास करें।

John 14:12

यीशु ने क्यों कहा कि शिष्य उससे भी बड़े काम करेंगे?

यीशु ने कहा कि शिष्य उससे भी महान कार्य करेंगे क्योंकि वह पिता के पास जा रहा है।

John 14:13

क्या कारण है कि शिष्य यीशु के नाम से जो कुछ मांगेगे वह देगा?

यीशु ऐसा करेगा जिससे कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।

John 14:15

यीशु ने कहा कि हम उससे प्रेम करेंगे तो हम क्या करेंगे?

यीशु ने कहा कि उसकी आज्ञाओं को मानने का अर्थ है कि हम उससे प्रेम करते हैं।

John 14:17

यीशु ने उस सहायक को क्या कहा जो पिता उसके शिष्यों को देगा कि सदा उसके साथ रहे?

यीशु उसे सत्य का आत्मा कहता है।

संसार सत्य के आत्मा को ग्रहण क्यों नहीं कर सकता है?

संसार सत्य के आत्मा को ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह न तो उसे देख सकता है और न ही उसे जान सकता है।

यीशु ने सत्य के आत्मा का अन्तर्वास किस मे बताया?

यीशु ने कहा कि उसके शिष्यों में सत्य का आत्मा होगा।

John 14:21

जो यीशु की आज्ञाओं को मानकर उन पर चले तो उसके साथ क्या होगा?

यीशु ने कहा, जो मुझसे प्रेम रखता है, उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उससे प्रेम रखूंगा और अपने आपको उस पर प्रकट करूंगा।

John 14:26

जब पिता पवित्र आत्मा को भेजेगा तब वह क्या करेगा?

वह सहायक, पवित्र आत्मा शिष्यों को सब कुछ बातें सिखाएगा और यीशु ने जो कुछ कहा है सब स्मरण कराएगा।

John 14:28

यीशु के चले जाने पर शिष्यों को आनन्दित क्यों होना है?

यीशु ने कहा कि उन्हें आनन्दित होना है क्योंकि यीशु पिता के पास जा रहा है और पिता यीशु से बड़ा है।

John 14:30

शिष्यों से और भी अधिक बातें न करने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि इसका कारण है कि इस संसार का सरदार आता है।


Chapter 15

1 “सच्ची दाखलता मैं हूँ; और मेरा पिता किसान है। 2 जो डाली मुझ में है*, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छाँटता है ताकि और फले। 3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैंने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 4 तुम मुझ में बने रहो*, और मैं तुम में जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 5 मैं दाखलता हूँ: तुम डालियाँ हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते*। 6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो माँगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 9 जैसा पिता ने मुझसे प्रेम रखा, वैसे ही मैंने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे जैसा कि मैंने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ। 11 मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।

12 “मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 13 इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूँगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 16 तुम ने मुझे नहीं चुना* परन्तु मैंने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से माँगो, वह तुम्हें दे। 17 इन बातों की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिए देता हूँ, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

18 “यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उसने तुम से पहले मुझसे भी बैर रखा। 19 यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रेम रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं वरन् मैंने तुम्हें संसार में से चुन लिया है; इसलिए संसार तुम से बैर रखता है। 20 जो बात मैंने तुम से कही थी, ‘दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता,’ उसको याद रखो यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएँगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे। 21 परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते। 22 यदि मैं न आता और उनसे बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उनके पाप के लिये कोई बहाना नहीं। 23 जो मुझसे बैर रखता है, वह मेरे पिता से भी बैर रखता है। 24 यदि मैं उनमें वे काम न करता, जो और किसी ने नहीं किए तो वे पापी नहीं ठहरते, परन्तु अब तो उन्होंने मुझे और मेरे पिता दोनों को देखा, और दोनों से बैर किया। 25 और यह इसलिए हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उनकी व्यवस्था में लिखा है, ‘उन्होंने मुझसे व्यर्थ बैर किया।’ (भज. 69:4, भज. 109:3) 26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा, अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा। 27 और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो।



John 15:1

ले लेता है

अधिकांश संस्करणों में इसका अर्थ व्यक्त किया गया है, "काट कर निकाल देता है" (यू.डी.बी.) एक अल्प संख्यक विचार यह भी है कि डालियों को भूमि से ऊपर उठाता है कि वे फल लाएं।

John 15:3

तुम

इस संपूर्ण गद्यांश "तुम" शब्द बहुवचन है और यीशु के शिष्यों का संदर्भ देता है।

तुम तो उस वचन के कारण जो मैंने तुमसे कहा है, स्वच्छ हो।

वैकल्पिक अनुवाद, "यह ऐसा है कि मानों तुम पहले ही छांटे जा चुके हो और शुद्ध डालियां हो क्योंकि तुमने मेरी शिक्षाओं का अनुसरण किया है"।

John 15:5

मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो

वैकल्पिक अनुवाद, "मैं दाखलता स्वरूप हूँ और तुम शाखाओं के स्वरूप हो"।

वह डाली के समान फेंक दिया जाता है।

"किसान उसे डाली के समान फेंक देता है" (देखें: और )

John 15:8

तुम मेरे चेले ठहरोगे

"दिखाओगे कि मेरे शिष्य हो" या "प्रकट करोगे कि मेरे शिष्य हो"।

मेरे प्रेम में बने रहोगे

"मैं कितना प्रेम करता हूँ इसका बोध सदा तुम्हें रहेगा।"

John 15:10

यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैंने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ।

यदि तुम मेरी शिक्षाओं का अनुसरण करोगे तो तुम्हें मेरे प्रेम का बोध होता रहेगा, ठीक वैसे ही जैसे मैं अपने पिता की आज्ञाओं का पालन करता हूँ और उसके प्रेम का बोध मुझे सदा होता रहता है“।

John 15:18

यदि संसार तुमसे बैर रखता है ..... इसलिए संसार तुमसे बैर रखता है।

यीशु इस पद में "संसार" शब्द का उपयोग उन लोगों के संदर्भ में करता है जो परमेश्वर के नहीं हैं।

John 15:23

वचन पूरा हो

"भविष्यद्वाणी पूरी हो"

John 15:26

सहायक

पवित्र आत्मा, "प्रोत्साहन देने वाला" या जो "सहायता करता है"


Translation Questions

John 15:1

सच्ची दाखलता कौन है?

सच्ची दाखलता यीशु है।

किसान कौन है?

पिता परमेश्वर किसान है।

John 15:2

जो डालियां मसीह में हैं उनके साथ पिता क्या करता है?

जो डाली यीशु में है और नहीं फलती उसे वह काट डालता है और जो फलती है उसे वह छांटता है ताकि और फले।

John 15:3

शिष्य शुद्ध क्यों हैं?

वे यीशु के वचन के द्वारा शुद्ध हैं।

John 15:4

फल लाने के लिए हमें क्या करना है?

फल लाने के लिए हमें यीशु में बने रहना है।

John 15:5

डालियां कौन हैं?

हम डालियां हैं।

John 15:6

यदि आप यीशु में बने न रहें तो क्या होगा?

जो यीशु में बना नहीं रहता तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता है।

John 15:7

हम जो भी मांगे वह पूरा हो तो हमें उसके लिए क्या करना होगा?

हमें यीशु में और उसके वचन को हममे बने रहना है। तब हम जो भी चाहें मांग सकते हैं और वह हमें दिया जायेगा।

John 15:8

पिता की महिमा प्रकट करने की दो विधियां क्या हैं?

हम बहुत फल लाते हैं तो वह पिता की महिमा है और हम यीशु के शिष्य हैं।

John 15:10

यीशु के प्रेम में बने रहने के लिए हमें क्या करना है?

हमें उसकी आज्ञाएं मानना है।

John 15:13

मनुष्य के लिए सबसे बड़ा प्रेम क्या है?

इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्र के लिए प्राण दे।

John 15:14

हम कैसे जानेंगे कि हम यीशु के मित्र हैं?

यदि हम वह करें जो यीशु ने आज्ञा दी है तो हम यीशु के मित्र हैं।

John 15:15

यीशु ने अपने शिष्यों को मित्र क्यों कहा था?

उसने उन्हें मित्र कहा क्योंकि उसने उन्हें वह सब बता दिया जो उसने पिता से सुना था।

John 15:19

यीशु के अनुयायियों से संसार क्यों घृणा करता है?

संसार यीशु के अनुयायियों से घृणा करता है क्योंकि वे इस संसार के नहीं है क्योंकि यीशु ने उन्हें उस संसार में से चुन लिया है।

John 15:22

संसार के पास पाप के लिए बहाना क्यों नहीं है?

उनके पास पाप के लिए कोई बहाना नहीं है क्योंकि यीशु ने उनसे बातें की हैं और उनके मध्य ऐसे काम किए जो अन्य कोई नहीं कर सकता है।

John 15:24

संसार के पास पाप के लिए बहाना क्यों नहीं है?

उनके पास पाप के लिए कोई बहाना नहीं है क्योंकि यीशु ने उनसे बातें की हैं और उनके मध्य ऐसे काम किए जो अन्य कोई नहीं कर सकता है।

John 15:26

यीशु की गवाही कौन देगा?

सहायक अर्थात सत्य का आत्मा और यीशु के शिष्य उसकी गवाही देंगे।

John 15:27

शिष्य यीशु की गवाही क्यों देंगे?

वे यीशु के गवाह होंगे क्योंकि वे आरंभ ही से यीशु के साथ रहे थे।


Chapter 16

1 “ये बातें मैंने तुम से इसलिए कहीं कि तुम ठोकर न खाओ। 2 वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन् वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्‍वर की सेवा करता हूँ। 3 और यह वे इसलिए करेंगे कि उन्होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं। 4 परन्तु ये बातें मैंने इसलिए तुम से कहीं, कि जब उनके पूरे होने का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए, कि मैंने तुम से पहले ही कह दिया था,

“मैंने आरम्भ में तुम से ये बातें इसलिए नहीं कहीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था। 5 अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जाता हूँ और तुम में से कोई मुझसे नहीं पूछता, ‘तू कहाँ जाता हैं?’ 6 परन्तु मैंने जो ये बातें तुम से कही हैं, इसलिए तुम्हारा मन शोक से भर गया। 7 फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा। 8 और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा। 9 पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते; 10 और धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ, और तुम मुझे फिर न देखोगे; 11 न्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। (यूह. 12:31)

12 “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। 13 परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। 14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा। 15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिए मैंने कहा, कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।

16 “थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।” 17 तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा, “यह क्या है, जो वह हम से कहता है, ‘थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे?’ और यह ‘इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ’?” 18 तब उन्होंने कहा, “यह ‘थोड़ी देर’ जो वह कहता है, क्या बात है? हम नहीं जानते, कि क्या कहता है।” 19 यीशु ने यह जानकर, कि वे मुझसे पूछना चाहते हैं, उनसे कहा, “क्या तुम आपस में मेरी इस बात के विषय में पूछ-ताछ करते हो, ‘थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे’? 20 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ; कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द करेगा: तुम्हें शोक होगा, परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा। 21 जब स्त्री जनने लगती है तो उसको शोक होता है, क्योंकि उसकी दुःख की घड़ी आ पहुँची, परन्तु जब वह बालक को जन्म दे चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्‍पन्‍न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती। (यशा. 26:17, मीका 4:9) 22 और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूँगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा। 23 उस दिन* तुम मुझसे कुछ न पूछोगे; मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, यदि पिता से कुछ माँगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा। 24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं माँगा; माँगो तो पाओगे* ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।।

25 “मैंने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्टान्तों में और फिर नहीं कहूँगा परन्तु खोलकर तुम्हें पिता के विषय में बताऊँगा। 26 उस दिन तुम मेरे नाम से माँगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से विनती करूँगा। 27 क्योंकि पिता तो स्वयं ही तुम से प्रेम रखता है, इसलिए कि तुम ने मुझसे प्रेम रखा है, और यह भी विश्वास किया, कि मैं पिता कि ओर से आया। 28 मैं पिता कि ओर से जगत में आया हूँ, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास वापस जाता हूँ।” 29 उसके चेलों ने कहा, “देख, अब तो तू खुलकर कहता है, और कोई दृष्टान्त नहीं कहता। 30 अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और जरूरत नहीं की कोई तुझ से प्रश्न करे, इससे हम विश्वास करते हैं, कि तू परमेश्‍वर की ओर से आया है।” 31 यह सुन यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम अब विश्वास करते हो? 32 देखो, वह घड़ी आती है वरन् आ पहुँची कि तुम सब तितर-बितर होकर अपना-अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, फिर भी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है। (यूह. 8:29) 33 मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बाँधो, मैंने संसार को जीत लिया है*।”



John 16:5

उसे तुम्हारे पास भेजूंगा

सहायक या पवित्र आत्मा

John 16:8

धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ और तुम मुझे फिर न देखोगे।

"वह मनुष्यों से ऐसा कहेगा क्योंकि मैं पिता के पास लौट रहा हूं, और तुम मुझे अब नहीं देखोगे, तुम जान लोगे कि मैं ही हूं जो सच्चा धर्मी हूँ"।

संसार का सरदार

शैतान, संसार में भ्रष्ट बातों का शासक। इस "संसार का राजकुमार", का अनुवाद वैसे ही करना होगा जैसा )में किया है।

John 16:19

क्या तुम आपस में मेरी इस बात के विषय में पूछताछ करते हो?

यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि अपने शिष्यों का ध्यान उन बातों पर केन्द्रित करे जो उसने अभी-अभी उनसे की हैं कि वह और भी समझाए। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम आपस में यह पूछ रहो हो कि मैंने जो कहा उसका अर्थ क्या है"।

John 16:22

मेरे नाम से

"मेरे अधिकार से" या "मेरी ओर से"

John 16:29

क्याँ तुम अब विश्वास करते हो?

वैकल्पिक अनुवाद, "अब तुम अन्ततः मुझमें विश्वास करने लगे हो"

John 16:32

मैंने संसार को जीत लिया है

"मैंने परमेश्वर के विरोधियों को हरा दिया है"।


Translation Questions

John 16:1

यीशु ने शिष्यों से यह सब बातें क्यों कहीं थी?

यीशु ने उनसे ये बातें इसलिए कहीं कि वे ठोकर न खाएँ।

John 16:3

लोग यीशु के शिष्यों का आराधनालयों से क्यों निकालेंगे और कुछ को मार भी डालेंगे?

वे ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने न तो पिता को और न ही यीशु को जाना है।

John 16:4

यीशु ये बातें आरंभ में शिष्यों से क्यों नहीं कही थी?

यीशु ने उनसे आरंभ ये बातें नहीं कही थी क्योंकि वह उनके साथ था।

John 16:7

यीशु का जाना क्यों अच्छा था?

यीशु का जाना शिष्यों के लिए अच्छा था क्योंकि यदि वह नहीं जायेगा तो सहायक उनके पास नहीं आयेगा।

John 16:8

सहायक संसार को कौन सी बातों ने निरूत्तर करेगा?

सहायक आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।

John 16:13

सत्य का आत्मा जब आयेगा तब वह शिष्यों के लिए क्या करेगा?

वह शिष्यों को पूर्ण सत्य में लेकर चलेगा क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और आनेवाली बातें बताएगा।

John 16:14

सत्य का आत्मा यीशु की महिमा कैसे प्रकट करेगा?

वह यीशु की बातें शिष्यों को बताएगा।

John 16:15

सत्य का आत्मा यीशु की कौन सी बातें बतायेगा?

सत्य का आत्मा पिता की सब बातें बतायेगा, पिता का सब कुछ यीशु का है।

John 16:16

यीशु की कौन सी बातें शिष्यों के समझ में नहीं आई थी?

शिष्यों को समझ में नहीं आया जब यीशु ने कहा, "थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे" और "यह इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूं"।

John 16:20

शिष्यों के दुःख का क्या होगा?

आनन्द में बदल जायेगा।

John 16:22

शिष्यों के आनन्द का कारण क्या होगा?

वे यीशु को फिर से देखेंगे और उनका मन प्रफुल्लित होगा।

John 16:24

यीशु ने शिष्यों से क्यों कहा कि मांगो और पाओ?

यीशु ने कहा मांगोगे तो तुम्हारा आनन्द पूरा हो जायेगा।

John 16:27

क्या कारण था कि पिता यीशु के शिष्यों से प्रेम करता था?

पिता शिष्यों से प्रेम करता है क्योंकि शिष्यों ने यीशु से प्रेम किया और विश्वास किया कि वह पिता के पास से आया था।

John 16:28

यीशु कहाँ से आया था और कहाँ जा रहा था?

यीशु पिता के पास से संसार में आया था और अब वह संसार को छोड़ कर पिता के पास जा रहा था।

John 16:32

यीशु ने शिष्यों के बारे में क्या कहा था कि वे उस समय करेंगे?

यीशु ने कहा कि शिष्य तितर-बितर होकर अपना-अपना मार्ग लेंगे और यीशु को अकेला छोड़ देंगे।

शिष्यों के तितर-बितर होने के बाद भी यीशु के साथ कौन होगा?

पिता तब भी यीशु के साथ होगा।

John 16:33

संसार में क्लेश भोगने के उपरान्त भी यीशु ने शिष्यों को ढाढ़स बांधने के लिए क्यों कहा था?

यीशु ने उनसे कहा कि वे ढाढ़स बांधे क्योंकि उसने संसार को जीत लिया है।


Chapter 17

1 यीशु ने ये बातें कहीं और अपनी आँखें आकाश की ओर उठाकर कहा, “हे पिता, वह घड़ी आ पहुँची, अपने पुत्र की महिमा कर, कि पुत्र भी तेरी महिमा करे*, 2 क्योंकि तूने उसको सब प्राणियों पर अधिकार दिया, कि जिन्हें तूने उसको दिया है, उन सब को वह अनन्त जीवन दे। 3 और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जाने। 4 जो काम तूने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है। 5 और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की सृष्टि पहले, मेरी तेरे साथ थी।

6 “मैंने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तूने जगत में से मुझे दिया। वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है। 7 अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तूने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है। 8 क्योंकि जो बातें तूने मुझे पहुँचा दीं, मैंने उन्हें उनको पहुँचा दिया और उन्होंने उनको ग्रहण किया और सच-सच जान लिया है, कि मैं तेरी ओर से आया हूँ, और यह विश्वास किया है की तू ही ने मुझे भेजा। 9 मैं उनके लिये विनती करता हूँ, संसार के लिये विनती नहीं करता हूँ परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं। 10 और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इनसे मेरी महिमा प्रगट हुई है। 11 मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों। 12 जब मैं उनके साथ था, तो मैंने तेरे उस नाम से, जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा की, मैंने उनकी देख-रेख की और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नाश न हुआ, इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो। (यूह. 18:9) 13 परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूँ, और ये बातें जगत में कहता हूँ, कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएँ। 14 मैंने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है, और संसार ने उनसे बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। 15 मैं यह विनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख। 16 जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। 17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर*: तेरा वचन सत्य है। 18 जैसे तूने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैंने भी उन्हें जगत में भेजा। 19 और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएँ।

20 “मैं केवल इन्हीं के लिये विनती नहीं करता, परन्तु उनके लिये भी जो इनके वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, 21 कि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूँ, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिए कि जगत विश्वास करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। 22 और वह महिमा जो तूने मुझे दी, मैंने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे कि हम एक हैं। 23 मैं उनमें और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तूने मुझसे प्रेम रखा, वैसा ही उनसे प्रेम रखा। 24 हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तूने मुझे दी है, क्योंकि तूने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझसे प्रेम रखा। (यूह. 14:3) 25 हे धार्मिक पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा। 26 और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था, वह उनमें रहे और मैं उनमें रहूँ*।”



John 17:3

x

यीशु प्रार्थना कर रहा है

वे तुझे एकमात्र परमेश्वर को..... जानें

परमेश्वर को अपने अनुभव से "जानें" न कि परमेश्वर के बारे में बातों को जानें"।

जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था

अर्थात यीशु संपूर्ण सांसारिक सेवा जिसमें उसने सुसमाचार सुनाया।

John 17:6

जगत में से

परमेश्वर में विश्वास न करनेवाले सब लोग।

तेरे वचन को मान लिया है

"तेरी शिक्षाओं का अनुसरण किया है"।

John 17:12

की पवित्रशास्त्र की बाते पूरी हो

धर्मशास्त्र में लिखी हुई बातें

John 17:18

जगत में

संपूर्ण संसार में हर एक जगह और हर एक मनुष्य के पास।

उनके लिए

"उनके लाभ के लिए" या "उनकी भलाई के लिए"

John 17:25

संसार ने मुझे (तुझे) नहीं जाना, परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा है।

संसार ने तुझे नहीं पहचाना परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तूने मुझे भेजा है। - "इस संसार को तुझे जानने का मेरे जैसा अनुभव नहीं है; और इन शिष्यों ने जान लिया है कि तूने मुझे भेजा है"


Translation Questions

John 17:2

पिता परमेश्वर ने यीशु को सब प्राणियों पर अधिकार क्यों दिया था?

पिता ने यह इसलिए किया कि यीशु उन सबको अनन्त जीवन दे जिन्हें परमेश्वर ने यीशु को सौंपा है।

John 17:3

अनन्त जीवन क्या है?

अनन्त जीवन यह है कि वे एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे परमेश्वर ने भेजा है जानें।

John 17:4

यीशु ने परमेश्वर की महिमा पृथ्वी पर कैसे प्रकट की?

उसने पिता द्वारा सौंपे गए काम को पूरा करके यह किया।

John 17:5

यीशु कैसी महिमा चाहता था?

यीशु चाहता था कि परमेश्वर उसकी वही महिमा प्रकट करे जो जगत की सृष्टि से पहले उसके साथ उसकी थी।

John 17:6

यीशु ने पिता का नाम किस पर प्रकट किया था?

पिता ने इस संसार में से जितने लोग यीशु को दिए थे उन पर उसने पिता का नाम प्रकट किया था।

John 17:8

पिता ने यीशु को जो लोग दिए थे उन्होंने यीशु के वचनों पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई थी?

उन्होंने यीशु के वचनों को ग्रहण किया और सच में जाना कि यीशु पिता के पास से आया था और उन्होंने विश्वास किया कि पिता ने यीशु को भेजा।

John 17:9

यीशु ने कहा कि वह किसके लिए विनती नहीं करता है?

यीशु ने कहा कि वह संसार के लिए विनती नहीं करता है।

John 17:11

संक्षेप में यीशु ने उन लोगों के लिए क्या मांगा जिन्हें पिता ने यीशु को सौंपा था?

यीशु पिता से प्रार्थना करता है कि वह अपने नाम से उनकी रक्षा करे कि वे एक हों और पिता उन्हें उस दुष्ट से बचाए और सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र करे, वे पिता और पुत्र दोनों में बने रहें और जहां यीशु है वहाँ वे भी उसके साथ रहें।

John 17:12

जब यीशु संसार में था तब उसने उन लोगों के साथ क्या किया था जिन्हें पिता ने उसे सौंपा था?

यीशु ने उनकी रक्षा की थी।

John 17:19

यीशु ने स्वयं को पवित्र क्यों किया था?

यीशु ने स्वयं को पवित्र किया कि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएं।

John 17:20

यीशु ने और किसके लिए भी विनती की थी?

यीशु ने उनके लिए भी विनती की जो उसके शिष्यों के वचनों के द्वारा उसमें विश्वास करेंगे।

John 17:23

पिता उनसे कैसा प्रेम करता है जिन्हें उसने यीशु को सौंपा है?

पिता उनसे भी वैसा ही प्रेम करता है जैसा वह यीशु से प्रेम करता है।

John 17:26

पिता ने जिन्हें यीशु को सौंपा है उन पर यीशु ने पिता का नाम क्यों प्रकट किया और करेगा?

यीशु ने प्रकट किया और करेगा भी कि जिस प्रेम से पिता ने यीशु को प्रेम किया वह उनमें हो और यीशु उनमें हों।


Chapter 18

1 यीशु ये बातें कहकर अपने चेलों के साथ किद्रोन के नाले के पार गया, वहाँ एक बारी थी, जिसमें वह और उसके चेले गए। 2 और उसका पकड़वानेवाला यहूदा भी वह जगह जानता था, क्योंकि यीशु अपने चेलों के साथ वहाँ जाया करता था। 3 तब यहूदा सैन्य-दल को और प्रधान याजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर दीपकों और मशालों और हथियारों को लिए हुए वहाँ आया। 4 तब यीशु उन सब बातों को जो उस पर आनेवाली थीं, जानकर निकला, और उनसे कहने लगा, “किसे ढूँढ़ते हो?” 5 उन्होंने उसको उत्तर दिया, “यीशु नासरी को।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं हूँ।” और उसका पकड़वानेवाला यहूदा भी उनके साथ खड़ा था। 6 उसके यह कहते ही, “मैं हूँ,” वे पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े। 7 तब उसने फिर उनसे पूछा, “तुम किस को ढूँढ़ते हो।” वे बोले, “यीशु नासरी को।” 8 यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तो तुम से कह चुका हूँ कि मैं हूँ, यदि मुझे ढूँढ़ते हो तो इन्हें जाने दो*।” 9 यह इसलिए हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उसने कहा था: “जिन्हें तूने मुझे दिया, उनमें से मैंने एक को भी न खोया।” 10 शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चलाकर, उसका दाहिना कान काट दिया, उस दास का नाम मलखुस था। 11 तब यीशु ने पतरस से कहा, “अपनी तलवार काठी में रख। जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊँ?”

12 तब सिपाहियों और उनके सूबेदार और यहूदियों के प्यादों ने यीशु को पकड़कर बाँध लिया, 13 और पहले उसे हन्ना के पास ले गए क्योंकि वह उस वर्ष के महायाजक कैफा का ससुर था। 14 यह वही कैफा था, जिसने यहूदियों को सलाह दी थी कि हमारे लोगों के लिये एक पुरुष का मरना अच्छा है।

15 शमौन पतरस और एक और चेला भी यीशु के पीछे हो लिए। यह चेला महायाजक का जाना पहचाना था और यीशु के साथ महायाजक के आँगन में गया। 16 परन्तु पतरस बाहर द्वार पर खड़ा रहा, तब वह दूसरा चेला जो महायाजक का जाना पहचाना था, बाहर निकला, और द्वारपालिन से कहकर, पतरस को भीतर ले आया। 17 उस दासी ने जो द्वारपालिन थी, पतरस से कहा, “क्या तू भी इस मनुष्य के चेलों में से है?” उसने कहा, “मैं नहीं हूँ।” 18 दास और प्यादे जाड़े के कारण कोयले धधकाकर खड़े आग ताप रहे थे और पतरस भी उनके साथ खड़ा आग ताप रहा था।

19 तब महायाजक ने यीशु से उसके चेलों के विषय में और उसके उपदेश के विषय में पूछा। 20 यीशु ने उसको उत्तर दिया, “मैंने जगत से खुलकर बातें की; मैंने आराधनालयों और मन्दिर में जहाँ सब यहूदी इकट्ठा हुआ करते हैं सदा उपदेश किया और गुप्त में कुछ भी नहीं कहा*। 21 तू मुझसे क्यों पूछता है? सुननेवालों से पूछ: कि मैंने उनसे क्या कहा? देख वे जानते हैं; कि मैंने क्या-क्या कहा।” 22 जब उसने यह कहा, तो प्यादों में से एक ने जो पास खड़ा था, यीशु को थप्पड़ मारकर कहा, “क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है?” (लूका 22:63, मीका 5:1) 23 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “यदि मैंने बुरा कहा, तो उस बुराई पर गवाही दे; परन्तु यदि भला कहा, तो मुझे क्यों मारता है?” 24 हन्ना ने उसे बंधे हुए कैफा महायाजक के पास भेज दिया।

25 शमौन पतरस खड़ा हुआ आग ताप रहा था। तब उन्होंने उससे कहा; “क्या तू भी उसके चेलों में से है?” उसने इन्कार करके कहा, “मैं नहीं हूँ।” 26 महायाजक के दासों में से एक जो उसके कुटुम्ब में से था, जिसका कान पतरस ने काट डाला था, बोला, “क्या मैंने तुझे उसके साथ बारी में न देखा था?” 27 पतरस फिर इन्कार कर गया और तुरन्त मुर्गे ने बाँग दी।

28 और वे यीशु को कैफा के पास से किले को ले गए और भोर का समय था, परन्तु वे स्वयं किले के भीतर न गए ताकि अशुद्ध न हों परन्तु फसह खा सके। 29 तब पिलातुस उनके पास बाहर निकल आया और कहा, “तुम इस मनुष्य पर किस बात का दोषारोपण करते हो?” 30 उन्होंने उसको उत्तर दिया, “यदि वह कुकर्मी न होता तो हम उसे तेरे हाथ न सौंपते।” 31 पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम ही इसे ले जाकर अपनी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय करो।” यहूदियों ने उससे कहा, “हमें अधिकार नहीं कि किसी का प्राण लें।” 32 यह इसलिए हुआ, कि यीशु की वह बात पूरी हो जो उसने यह दर्शाते हुए कही थी, कि उसका मरना कैसा होगा। 33 तब पिलातुस फिर किले के भीतर गया और यीशु को बुलाकर, उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है*?” 34 यीशु ने उत्तर दिया, “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या औरों ने मेरे विषय में तुझ से कही?” 35 पिलातुस ने उत्तर दिया, “क्या मैं यहूदी हूँ? तेरी ही जाति और प्रधान याजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा, तूने क्या किया है?” 36 यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहाँ का नहीं।” 37 पिलातुस ने उससे कहा, “तो क्या तू राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है, कि मैं राजा हूँ; मैंने इसलिए जन्म लिया, और इसलिए जगत में आया हूँ कि सत्य पर गवाही दूँ जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।” (1 यूह. 4:6) 38 पिलातुस ने उससे कहा, “सत्य क्या है?” और यह कहकर वह फिर यहूदियों के पास निकल गया और उनसे कहा, “मैं तो उसमें कुछ दोष नहीं पाता।

39 पर तुम्हारी यह रीति है कि मैं फसह में तुम्हारे लिये एक व्यक्ति को छोड़ दूँ। तो क्या तुम चाहते हो, कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 40 तब उन्होंने फिर चिल्लाकर कहा, “इसे नहीं परन्तु हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दे।” और बरअब्बा डाकू था।



John 18:4

किसे ढूंढ़ते हो?

"तुम किसकी खोज में हो"?

मैं हूँ

यहाँ "वही" शब्द अभिलेख में नहीं है परन्तु उसका अभिप्राय यहां है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही वह हूं" या "वह व्यक्ति मैं हूँ"।

John 18:6

मैं हूँ

मूल लेख में "वही" शब्द नहीं है परन्तु अभिप्राय वही है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही वही हूँ" या "वह व्यक्ति मैं हूँ"

John 18:10

मयान में

कटार या तलवार को रखने का उपकरण कि रखनेवाले को चोट न लगे।

कटोरा

इसका संदर्भ हो सकता है, (1) यीशु को जो कष्ट उठाना है उसका परिणाम (देखें: यू.डी.बी.) या (2) परमेश्वर का प्रकोप जिसे उसके लोगों की मुक्ति के निमित्त यीशु को भोगना था।

क्या मैं उसे न पीऊं?

यीशु इस प्रश्न के द्वारा कष्टों पर बल दे रहा है कि उसे निश्चय ही कष्ट भोगने हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे पीना ही है"।

John 18:15

एक और चेला भी... यह चेला

यह प्रेरित यूहन्ना है जो इस पुस्तक का लेखक है

John 18:17

कहीं तू भी इस मनुष्य के चेलों में से तो नहीं।

वैकल्पिक अनुवाद, "तू भी तो इस मनुष्य के शिष्यों में से एक है"।

John 18:19

महायाजक

यह काइफा था

मैंने संसार में खुलकर बातें की हैं।

यीशु ने सार्वजनिक सेवा की थी।

यह लोग

वे लोग जिन्होंने यीशु के उपदेश सुने थे

John 18:22

क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है?

वैकल्पिक अनुवाद, "तुझे महायाजक को इस प्रकार उत्तर नहीं देना है"।

बुराई की गवाही दे

"बता कि मैंने जो कहा उसमें क्या बुराई है"?

यदि भला कहा, तो मुझे क्यों मारता है?

"यदि मैं सच कहा है तो मुझे मारने की आवश्यकता नहीं है"

John 18:28

यदि यह कुकर्मी नहीं होता तो हम उसे तेरे हाथ सौंपते।

"यह मनुष्य कुकर्मी है और हमें इसे निश्चय ही दण्ड के लिए तेरे पास लाना है"

John 18:38

सत्य क्या है?

"कोई नहीं जान सकता कि सत्य क्या है"। और


Translation Questions

John 18:1

इन बातों को कहने के बाद यीशु कहाँ गया था?

ये बातें कह कर यीशु अपने शिष्यों के साथ किद्रोन के नाले के पार एक वाटिका में गया।

John 18:2

यहूदा को उस वाटिका की जानकारी कैसे थी?

यह स्थान यीशु का परिचित था क्योंकि वह शिष्यों के साथ प्रायः वहाँ जाता था।

John 18:3

दीपकों और मशालों और हथियारों को लेकर वहाँ कौन आया?

यहूदा सैनिकों के एक दल और प्रधान याजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर वहाँ आया।

John 18:6

उन लोगों ने कहा कि वे यीशु नासरी को खोजते हैं तब यीशु ने कहा, "मैं हूँ" तो उनका क्या हुआ?

उनके साथ सैनिक पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े।

John 18:8

यीशु ने क्यों कहा, "मैं तुम से कह चुका हूँ कि मैं हूँ, यदि मुझे ढूंढ़ते हो, तो इन्हें जाने दो"?

यह इसलिए हुआ कि वह वचन पूरा हो जो उसने कहा था; "जिन्हें तूने मुझे दिया था उनमें से मैंने एक को भी न खोया"।

John 18:10

पतरस ने तलवार चलाकर महायाजक के दास का कान काट दिया तो यीशु ने उससे क्या कहा था?

यीशु ने पतरस से कहा, "अपनी तलवार म्यान में रख। जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है, क्या मैं उसे न पीऊं?"

John 18:13

सैनिक और सूबेदार और महायाजक के प्यादों ने यीशु को बांध कर किसके सामने खड़ा किया?

वे पहले यीशु को हन्ना के पास ले गए।

हन्ना कौन था?

हन्ना उस वर्ष के महायाजक काइफा का ससुर था।

John 18:16

पतरस महायाजक के परिसर में कैसा गया?

एक शिष्य महायाजक का परिचित था वह द्वारपालिन से कह कर पतरस को भीतर ले आया।

John 18:17

पतरस से किसने पूछा कि वह यीशु के साथ था या उसका शिष्य था?

एक स्त्री परिसर के द्वार की चौकसी कर रही थी और दास और प्यादे कोयले जलाकर आग ताप रहे थे और महायाजक के उस दास का एक परिजन जिसका कान पतरस ने काट दिया था, सबने पूछा कि क्या पतरस भी यीशु के साथ था या उसका शिष्य तो नहीं।

John 18:19

महायाजक ने यीशु से उसके शिष्यों और उसके आदेशों के बारे में पूछा तो यीशु ने उसे क्या उत्तर दिया?

यीशु ने महायाजक को उत्तर दिया "मैंने संसार में खुलकर बातें की, सुनने वालों से पूछ कि मैंने उनसे क्या कहा?"

John 18:24

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद हन्ना ने उसे कहाँ भेज दिया?

हन्ना ने यीशु को महायाजक काइफा के पास भेज दिया।

John 18:27

जब पतरस ने तीसरी बार यीशु का इन्कार किया तब क्या हुआ?

पतरस ने जब तीसरी बार यीशु का इन्कार किया तब तुरन्त ही मुर्ग ने बांग दी।

John 18:28

जो लोग यीशु को किले में ले गए थे उन्होंने भीतर प्रवेश क्यों नहीं किया?

वे किले के भीतर नहीं गए कि अशुद्ध न हों और फसह खा सकें।

John 18:29

पिलातुस ने पूछा, "तुम इस मनुष्य पर किस बात का आरोप लगाते हो"? तो यीशु पर दोष लगाने वालों ने क्या उत्तर दिया?

उन्होंने पिलातुस को उत्तर दिया, "यदि वह कुकर्मी न होता तो हम उसे तेरे हाथ न सौंपेते"।

John 18:31

यीशु को स्वयं दण्ड देने की अपेक्षा वे उसे पिलातुस के पास क्यों ले गए?

यहूदी यीशु को मार डालना चाहते थे परन्तु रोमी राज्य की अनुमति के बिना वे ऐसा नहीं कर सकते थे।

John 18:33

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है, उसने यीशु से यह भी पूछा कि उसने क्या किया है।

John 18:35

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है, उसने यीशु से यह भी पूछा कि उसने क्या किया है।

John 18:36

यीशु ने पिलातुस को अपने राज्य के बारे में क्या कहा?

यीशु ने उत्तर दिया, "मेरा राज्य इस संसार का नहीं।" और न ही यहाँ का है।

John 18:37

यीशु का जन्म क्यों हुआ था?

यीशु का जन्म राजा होने के लिए हुआ था।

John 18:38

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद पिलातुस ने क्या निर्णय लिया?

पिलातुस ने यहूदियों से कहा, "मैं तो उसमें कुछ दोष नहीं पाता"।

John 18:39

पिलातुस ने यीशु को मुक्त करने का प्रस्ताव दिया तो यहूदियों ने चिल्लाकर क्या कहा?

यहूदियों ने चिल्लाकर कहा, "इसे नहीं, परन्तु हमारे लिए बरअब्बा को छोड़ दे"।


Chapter 19

1 इस पर पिलातुस ने यीशु को लेकर कोड़े लगवाए। 2 और सिपाहियों ने काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा, और उसे बैंगनी वस्त्र पहनाया, 3 और उसके पास आ आकर कहने लगे, “हे यहूदियों के राजा, प्रणाम!” और उसे थप्पड़ मारे। 4 तब पिलातुस ने फिर बाहर निकलकर लोगों से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूँ; ताकि तुम जानो कि मैं कुछ भी दोष नहीं पाता।”

5 तब यीशु काँटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहने हुए बाहर निकला और पिलातुस ने उनसे कहा, “देखो, यह पुरुष।” 6 जब प्रधान याजकों और प्यादों ने उसे देखा, तो चिल्लाकर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर!” पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम ही उसे लेकर क्रूस पर चढ़ाओ; क्योंकि मैं उसमें दोष नहीं पाता।” 7 यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उसने अपने आप को परमेश्‍वर का पुत्र* बताया।” (लैव्य. 24:16) 8 जब पिलातुस ने यह बात सुनी तो और भी डर गया। 9 और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा, “तू कहाँ का है?” परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया। 10 पिलातुस ने उससे कहा, “मुझसे क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।” 11 यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिए जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।”

12 इससे पिलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा*, परन्तु यहूदियों ने चिल्ला चिल्लाकर कहा, “यदि तू इसको छोड़ देगा तो तू कैसर का मित्र नहीं; जो कोई अपने आप को राजा बनाता है वह कैसर का सामना करता है।” 13 ये बातें सुनकर पिलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था, जो इब्रानी में ‘गब्बता*’ कहलाता है, और न्याय आसन पर बैठा। 14 यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था : तब उसने यहूदियों से कहा, “देखो, यही है, तुम्हारा राजा!” 15 परन्तु वे चिल्लाए, “ले जा! ले जा! उसे क्रूस पर चढ़ा!” पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊँ?” प्रधान याजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं।” 16 तब उसने उसे उनके हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।

17 तब वे यीशु को ले गए। और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया, जो ‘खोपड़ी का स्थान’ कहलाता है और इब्रानी में ‘गुलगुता’। 18 वहाँ उन्होंने उसे और उसके साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया, एक को इधर और एक को उधर, और बीच में यीशु को। 19 और पिलातुस ने एक दोष-पत्र लिखकर क्रूस पर लगा दिया और उसमें यह लिखा हुआ था, “यीशु नासरी यहूदियों का राजा।” 20 यह दोष-पत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था। 21 तब यहूदियों के प्रधान याजकों ने पिलातुस से कहा, “‘यहूदियों का राजा’ मत लिख परन्तु यह कि ‘उसने कहा, मैं यहूदियों का राजा हूँ’।” 22 पिलातुस ने उत्तर दिया, “मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया।” 23 जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुर्ता भी लिया, परन्तु कुर्ता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था; 24 इसलिए उन्होंने आपस में कहा, “हम इसको न फाड़े, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा।” यह इसलिए हुआ, कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो, “उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिए और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली।” (भज. 22:18)

25 अतः सिपाहियों ने ऐसा ही किया। परन्तु यीशु के क्रूस के पास उसकी माता और उसकी माता की बहन मरियम, क्लोपास की पत्‍नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी। 26 यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिससे वह प्रेम रखता था पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, “हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।” 27 तब उस चेले से कहा, “यह तेरी माता है।” और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया।

28 इसके बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो कहा, “मैं प्यासा हूँ।” 29 वहाँ एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, इसलिए उन्होंने सिरके के भिगोए हुए पनसोख्‍ता को जूफे पर रखकर उसके मुँह से लगाया। (भज. 69:21) 30 जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा, “पूरा हुआ”; और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए। (लूका 23:46, मर. 15:37)

31 और इसलिए कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पिलातुस से विनती की, कि उनकी टाँगें तोड़ दी जाएँ और वे उतारे जाएँ ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था। (मर. 15: 42, व्य. 21:22-23) 32 इसलिए सिपाहियों ने आकर पहले की टाँगें तोड़ी तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे। 33 परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उसकी टाँगें न तोड़ी। 34 परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला। 35 जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उसकी गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो। 36 ये बातें इसलिए हुईं कि पवित्रशास्त्र की यह बात पूरी हो, “उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।” (निर्ग. 12:46, गिन. 9:12, भज. 34:20) 37 फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, “जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे।” (जक. 12:10)

38 इन बातों के बाद अरिमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, (परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पिलातुस से विनती की, कि मैं यीशु के शव को ले जाऊँ, और पिलातुस ने उसकी विनती सुनी, और वह आकर उसका शव ले गया। 39 नीकुदेमुस भी जो पहले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। 40 तब उन्होंने यीशु के शव को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा। 41 उस स्थान पर जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिसमें कभी कोई न रखा गया था। 42 अतः यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी।



John 19:1

हे यहूदियों के राजा, प्रणाम

मूल भाषा में "चिरंजीव" शब्द है जो केवल हाथ उठाकर कैसर के लिए कहा जाता था। सैनिकों ने कांटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहनाकर यीशु का आहावन किया था, वे वास्तव में उसे राजा नहीं मान रहे थे।

John 19:7

तू कहाँ का है?

"तू कहाँ का है"? पिलातुस ने यीशु से उसकी पहचान पूछी। आपकी भाषा/संस्कृति में किसी की पहचान पूछने की विशेष रीति हो सकती है।

John 19:10

मुझसे क्यों नहीं बोलता?

पिलातुस को आश्चर्य हुआ कि यीशु अपना प्रतिवाद का अवसर खो रहा है। "मुझे उत्तर दे"।

John 19:12

अपने आपको राजा बनाता है

राजा होने का दावा करता है

यीशु को बाहर लाया

सैनिकों को आज्ञा दी कि यीशु को जनता के सामने बाहर लाएं।

बैठा दिया

महत्त्वपूर्ण लोग बैठते थे जबकि साधारण जनता खड़ी रहती थी।

न्याय के आसन पर

अधिकारिक निर्णय देने के लिए महत्त्वपूर्ण मनुष्य जिस आसन पर बैठता था। आपकी संस्कृति में इस कृत्य के लिए विशेष अभिव्यक्तियां होंगी।

एक चबूतरा था

पत्थर का विशेष मंच जहाँ केवल महत्त्वपूर्ण लोग ही जा सकते थे। उसकी संस्कृति में ऐसे विशिष्ट स्थान होंगे।

John 19:14

तब उसने यहूदियों से कहा

वैकल्पिक अनुवाद, "पिलातुस ने यहूदी अगुओं से कहा।"

John 19:25

उस चेले को जिससे वह प्रेम रखता था

इस सुसमाचार का लेखक यूहन्ना

हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है

वैकल्पिक अनुवाद, "हे नारी, देख इस व्यक्ति को अपने पुत्र जैसा स्वीकार कर"।

यह तेरी माता है

वैकल्पिक अनुवाद, "इस नारी को अपनी माता स्वरूप ग्रहण कर"।

John 19:28

सिरका

दाखरस जिसे बहुत समय किण्वन के लिए रखा जाता था।

उन्होंने..... पर रखकर

"रोमी सैनिकों ने रखकर"

स्पंज

तरल पदार्थ को सोखने की वस्तु

प्राण त्याग दिए

यीशु ने अपनी आत्मा परमेश्वर को दे दी और देह को मरने दिया।

John 19:31

तैयारी

फसह के पूर्व का समय जब भोजन तैयार किया जाता था।

John 19:34

जिसने यह देखा

यह वाक्य कहानी से अलग है। लेखक (प्रेरित यूहन्ना) हमें बताता है कि वह कहां था और हम विश्वास कर सकते हैं कि जो उसने लिखा वह सच है।

John 19:38

यहूदियों के डर से

"यहूदी अगुवों के डर से"

सेर

देखें कि में आपने उसका अनुवाद कैसे किया है।


Translation Questions

John 19:2

पिलातुस ने यीशु को कोड़े लगवाए फिर सैनिकों ने उसके साथ क्या किया?

सैनिकों ने कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा और उसे बैंजनी वस्त्र पहनाया और उसके पास आकर कहने लगे, "हे यहूदियों के राजा, प्रणाम"। और उसे थप्पड़ भी मारे।

John 19:4

पिलातुस यीशु को सबके सामने क्यों लाया था?

पिलातुस यीशु को बाहर लाया कि लोगों पर प्रकट हो कि पिलातुस ने उसमें कोई दोष नहीं पाया।

John 19:5

पिलातुस उसे बाहर लाया तब वह क्या पहने हुए था?

यीशु कांटों का मुकुट और बैंजनी वस्त्र धारण किए हुए था।

John 19:6

यीशु को देखकर महायाजकों और उसके प्यादों ने चिल्लाकर क्या कहा?

उन्होंने चिल्लाकर कहा "उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर"।

John 19:7

यहूदियों की किस बात से पिलातुस और भी डर गया?

यहूदियों ने पिलातुस से कहा, "हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उसने अपने आपको परमेश्वर का पुत्र बताया"।

John 19:9

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि वह कहाँ का है तो यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने उत्तर नहीं दिया।

John 19:11

यीशु के शब्दों में पिलातुस को किसने अधिकार दिया था?

यीशु ने कहा, "यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता तो तेरा मुझ पर कोई अधिकार न होता"।

John 19:12

पिलातुस यीशु को छोड़ना चाहता था परन्तु यहूदियों की किस बात ने उसे ऐसा करने से रोका?

यहूदी नारा लगा रहे थे, "यदि तू इसको छोड़ देगा तो तेरी भक्ति कैसर की ओर नहीं। जो कोई अपने आपको राजा बताता है वह कैसर का सामना करता है"।

John 19:15

इससे पहले कि पिलातुस यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए उनके हाथों में देता, महायाजकों ने अन्तिम बात क्या कही?

महायाजकों ने कहा, "कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं"।

John 19:17

उन्होंने यीशु को कहाँ क्रूस पर चढ़ाया?

उन्होंने यीशु को गुलगुता अर्थात खोपड़ी का स्थान में क्रूस पर चढ़ाया।

John 19:18

क्या उस दिन केवल यीशु ही क्रूस पर चढ़ाया गया था?

नहीं यीशु के साथ दो और अपराधी उसके दहिनी और बाई ओर क्रूस पर चढ़ाए गये।

John 19:19

पिलातुस ने यीशु के क्रूस लगाने वाले दोष पत्र पर क्या लिखा था?

उसके दोष पत्र पर लिखा था, "यीशु नासरी यहूदियों का राजा"।

John 19:20

यीशु का दोष पत्र कौन-कौन सी भाषाओं में लिखा था?

वह दोष इब्रानी, लतीनी और यूनानी में लिखा था।

John 19:23

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने क्या किया?

सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों को चार भागों में बांट लिया, हर एक सैनिक के लिए एक भाग, परन्तु उन्होंने उसका बागा जो ऊपर से नीचे तक बिना जोड़ का था उसे फाड़ा नहीं, उस पर चिट्ठी डाली।

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने जो किया वह क्यों हुआ?

ऐसा इसलिए हुआ कि धर्मशास्त्र की बात पूरी हो, "उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिए और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली"।

John 19:25

यीशु के क्रूस के पास कौन खड़ा था?

यीशु की माता और उसकी माता की बहन और क्लोपास की पत्नी मरियम, मरियम मगदलीनी और वह शिष्य जिसे यीशु प्रेम करता था क्रूस के पास खड़े थे।

John 19:26

यीशु ने अपनी माता और प्रिय शिष्य को निकट खड़ा देखकर क्या कहा?

यीशु ने कहा, "हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है"।

John 19:27

यीशु ने अपने प्रिय शिष्य से कहा, "यह तेरी माता है", तब उसने क्या किया?

उसी समय से वह चेला उसे अपने घर ले गया।

John 19:28

यीशु ने क्यों कहा, "मैं प्यासा हूं"।

यीशु ने यह धर्मशास्त्र की पूर्ति के निमित्त कहा था।

John 19:29

उसके मुंह के निकट लाए गए सिरके को पीकर यीशु ने क्या किया?

सिरका लेकर यीशु ने कहा, "पूरा हुआ", और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिया।

John 19:31

यहूदियों ने पिलातुस से क्यों निवेदन किया कि दण्डित अपराधियों की टांगे तोड़ दी जाएं?

वह तैयारी का दिन था और सब्त के दिन पार्थिव देह क्रूस पर न रहे, यहूदियों ने पिलातुस से निवेदन किया कि अपराधियों की टांगे तोड़ कर उन्हें उतार लिया जाए।

John 19:33

सैनिकों ने यीशु की टांगे क्यों नहीं तोड़ी?

यीशु की टांगे नहीं तोड़ी गई क्योंकि वह मर चुका था।

John 19:34

यीशु को मृतक जानने के बाद भी एक सैनिक ने क्या किया?

एक सैनिक ने यीशु की पसलियों में भाला मारा।

John 19:35

यीशु के क्रूसीकरण की संपूर्ण घटना को जिसने देखा उसने क्यों गवाही दी?

जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उस की गवाही सच्ची है कि तुम विश्वास करो।

John 19:36

यीशु की टांगे क्यों नहीं तोड़ी गई थी और उसे क्यों बेधा गया था?

यह सब इसलिए हुआ कि धर्मशास्त्र की बात पूरी हो, "उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी" और यह भी लिखा है, "जिसे उन्होंने बेधा है उस पर वे दृष्टि करेंगे"।

John 19:38

यीशु के शव को ले जाने का निवदेन किसने किया था?

अरमतियाह के यूसुफ ने पिलातुस से निवदेन किया कि वह यीशु के शव को ले जाना चाहता है।

John 19:39

यीशु का शव लेने के लिए यूसुफ के साथ कौन आया था?

नीकुदेमुस भी अरमतियाह के यूसुफ के साथ आया था।

यीशु के शव के साथ अरमतियाह के यूसुफ और नीकुदेमुस ने क्या किया?

उन्होंने यीशु के शव को पचास सेर के लगभग गन्धरस और एल्वा लगाकर कपड़े में लपेट दिया और वहाँ निकट स्थित एक बारी की कब्र में रखा।


Chapter 20

1 सप्ताह के पहले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा। 2 तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिससे यीशु प्रेम रखता था आकर कहा, “वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं; और हम नहीं जानतीं, कि उसे कहाँ रख दिया है।” 3 तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले। 4 और दोनों साथ-साथ दौड़ रहे थे, परन्तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहले पहुँचा। 5 और झुककर कपड़े पड़े देखे: तो भी वह भीतर न गया। 6 तब शमौन पतरस उसके पीछे-पीछे पहुँचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे। 7 और वह अँगोछा जो उसके सिर पर बन्धा हुआ था, कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं परन्तु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा। 8 तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहले पहुँचा था, भीतर गया और देखकर विश्वास किया। 9 वे तो अब तक पवित्रशास्त्र की वह बात न समझते थे, कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा। (भज. 16:10) 10 तब ये चेले अपने घर लौट गए।

11 परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते-रोते कब्र की ओर झुककर, 12 दो स्वर्गदूतों को उज्‍ज्वल कपड़े पहने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहाँ यीशु का शव पड़ा था। 13 उन्होंने उससे कहा, “हे नारी, तू क्यों रोती है?” उसने उनसे कहा, “वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहाँ रखा है।” 14 यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है*। 15 यीशु ने उससे कहा, “हे नारी तू क्यों रोती है? किस को ढूँढ़ती है?” उसने माली समझकर उससे कहा, “हे श्रीमान, यदि तूने उसे उठा लिया है तो मुझसे कह कि उसे कहाँ रखा है और मैं उसे ले जाऊँगी।” 16 यीशु ने उससे कहा, “मरियम!” उसने पीछे फिरकर उससे इब्रानी में कहा, “रब्बूनी*!” अर्थात् ‘हे गुरु।’ 17 यीशु ने उससे कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उनसे कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्‍वर और तुम्हारे परमेश्‍वर के पास ऊपर जाता हूँ।” 18 मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया, “मैंने प्रभु को देखा और उसने मुझसे बातें कहीं।”

19 उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था, संध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।” 20 और यह कहकर उसने अपना हाथ और अपना पंजर उनको दिखाए: तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए। 21 यीशु ने फिर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।” 22 यह कहकर उसने उन पर फूँका और उनसे कहा, “पवित्र आत्मा लो। 23 जिनके पाप तुम क्षमा करो* वे उनके लिये क्षमा किए गए हैं; जिनके तुम रखो, वे रखे गए हैं।”

24 परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात् थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उनके साथ न था। 25 जब और चेले उससे कहने लगे, “हमने प्रभु को देखा है,” तब उसने उनसे कहा, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ, और कीलों के छेदों में अपनी उँगली न डाल लूँ, तब तक मैं विश्वास नहीं करूँगा।”

26 आठ दिन के बाद उसके चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उनके साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।” 27 तब उसने थोमा से कहा, “अपनी उँगली यहाँ लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।” 28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्‍वर!” 29 यीशु ने उससे कहा, “तूने तो मुझे देखकर विश्वास किया है? धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया।”

30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के सामने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए। 31 परन्तु ये इसलिए लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ।



John 20:1

x

यीशु के दफन के बाद यह तीसरा दिन है

सप्ताह के पहले दिन

वैकल्पिक अनुवाद, "रविवार के दिन"

दूसरे चेलें के पास जिससे यीशु प्रेम रखता था

यह वाक्यांश, यूहन्ना द्वारा संपूर्ण पुस्तक में उसके स्वयं के बारे में कहने की विधि है।

वे प्रभु को कब्र से निकाल ले गए

"किसी ने प्रभु को कब्र से निकाल लिया"

John 20:3

x

मरियम ने पतरस और यूहन्ना को बताया कि किसी ने यीशु का शव कब्र से निकाल लिया है।

दूसरा चेला

स्पष्ट है कि यूहन्ना अपना नाम लिखने की अपेक्षा स्वयं को इस प्रकार करता है तो वह उसकी विनम्रता है।

कपड़े पड़े देखे

यह यीशु का कफन था। दफन के लिए शव पर लपेटे गए कपड़े।

John 20:6

x

मरियम ने पतरस और यूहन्ना को अभी-अभी बताया कि यीशु का शव कब्र में नहीं है।

मलमल के कपड़े

देखें कि आपने "कपड़े" का अनुवाद में कैसे किया है।

अंगोछा

सामान्यतः चेहरे पर से पसीना पोंछने का कपड़ा परन्तु इससे मृतक का मुंह भी ढांका जाता था।

John 20:8

x

पतरस और यूहन्ना आकर देखते हैं कि कब्र खाली है।

दूसरा चेला

यूहन्ना स्वयं का नाम लिखने की अपेक्षा इस प्रकार संबोधित करता है वो यह उसकी विनम्रता है।

देखा

पतरस ने देखा

John 20:11

x

पतरस और यूहन्ना घर लौट आए।

John 20:14

x

पतरस और यूहन्ना के प्रस्थान के बाद मरियम मगदलीनी वहीं थी।

उसे उठा लिया है

उसे अर्थात यीशु के शव को

John 20:16

रब्बूनी

रब्बूनी का अर्थ रब्बी या गुरू ही है। यह मरियम की भाषा का शब्द है जो अरामी मिश्रित इब्रानी थी।

John 20:19

उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था।

यह रविवार था

तुम्हें शान्ति मिले

यह एक सामान्य अभिवादन था।

अपना हाथ और अपना पंजर उन्हें दिखाया

"उसने उन्हें अपने हाथ और पसलियों के घाव दिखाए"।

John 20:21

तुम्हें शान्ति मिले

की टिप्पणियां देखें

उनके लिए क्षमा किए गए हैं

"परमेश्वर क्षमा कर देगा"।

वे रखे गए हैं

"परमेश्वर क्षमा नहीं करेगा"

John 20:24

दिद्मुस

दिद्मुस - देखें इसका नाम का अनुवाद कैसे किया गया है,

जब अन्य चेले उससे कहने लगे

उससे अर्थात थोमा से

उसके हाथों में

उसके अर्थात यीशु के

John 20:26

चेले फिर

उसके अर्थात यीशु के

तुम्हें शान्ति मिले

की टिप्पणियां देखें

अविश्वासी

"विश्वास रहित" या "विश्वास से वंचित"

John 20:28

तुमने विश्वास किया है।

वैकल्पिक अनुवाद, "तूने विश्वास किया कि मैं जीवित हूं"

बिन देखे

वैकल्पिक अनुवाद, "जिन्होंने मुझे जीवित नहीं देखा है"

John 20:30

उसके नाम में जीवन

वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु के द्वारा तुम्हें जीवन मिले"


Translation Questions

John 20:1

मरियम मगदलीनी यीशु की कब्र पर कब आई?

वह सप्ताह के पहले दिन यीशु की कब्र पर आई।

कब्र पर पहुंचकर मरियम मगदलीनी ने क्या देखा?

उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा हुआ है।

John 20:2

मरियम मगदलीनी ने उन दोनों शिष्यों से क्या कहा?

उसने कहा "वे प्रभु को कब्र से निकाल ले गए और हम नहीं जानते कि उसे कहाँ रखा है।"

John 20:3

मरियम मगदलीनी की बात पर पतरस और दूसरे चेले ने क्या किया?

वे दोनों भाग कर कब्र पर आए।

John 20:5

शमौन पतरस और उस दूसरे शिष्य ने कब्र में क्या देखा?

उन्होंने कपड़े वहाँ पड़े हुए देखे और जो अंगोछा सिर पर बंधा था वह अलग एक जगह लिपटा हुआ रखा देखा।

John 20:8

कब्र में उन्होंने जो देखा उस पर दूसरे शिष्य की क्या प्रतिक्रिया थी?

उसने देखा और विश्वास किया।

John 20:12

मरियम ने कब्र में झांक कर क्या देखा?

उसने वहाँ श्वेत वस्त्रों में दो स्वर्गदूत देखे एक उस स्थान के शीर्ष की ओर बैठा था और दूसरा वस्त्रों की ओर जहां यीशु का शव रखा था।

John 20:13

स्वर्गदूतों ने मरियम से क्या कहा?

उन्होंने उससे पूछा हे नारी तू क्यों रोती है?

John 20:14

मरियम ने मुड़कर देखा तो वहाँ कौन था?

उसने वहाँ यीशु को खड़ा देखा परन्तु पहचाना नहीं।

John 20:15

मरियम ने यीशु को क्या समझा?

उसने सोचा कि वह माली है।

John 20:16

मरियम ने यीशु को कब पहचाना?

उसने यीशु को तब पहचाना जब उसने उसका नाम लिया, "मरियम"।

John 20:17

यीशु ने मरियम को स्पर्श हेतु मना क्यों किया?

यीशु ने मरियम से कहा कि वह उसे न छूए क्योंकि वह अभी पिता के पास नहीं गया है।

यीशु ने मरियम के हाथ अपने भाइयों के लिए क्या सन्देश भेजा?

यीशु ने मरियम से कहा, "मेरे भाइयों के पास जाकर कह दे कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं"।

John 20:19

सप्ताह के प्रथम दिन संध्या समय शिष्य एकत्र थे तब क्या हुआ?

यीशु आकर उनके मध्य खड़ा हो गया।

John 20:20

यीशु ने शिष्यों को क्या दिखाया?

उसने उन्हें अपने हाथ और पसलियां दिखाई।

John 20:21

यीशु ने अपने शिष्यों के साथ क्या किया?

यीशु ने कहा कि वह शिष्यों को वैसे ही भेज रहा है जैसे उसके पिता ने उसे भेजा था।

John 20:22

शिष्यों पर पवित्र आत्मा फूंकने के बाद यीशु ने अपने शिष्यों से क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, "पवित्र आत्मा लो" जिनके पाप तुम क्षमा करो वे उनके लिए क्षमा किए गए है, जिनके तुम रखो, वे रखे गए हैं"।

John 20:24

जब शिष्यों के मध्य यीशु प्रकट हुआ तब एक शिष्य वहाँ नहीं था, वह कौन था?

थोमा जो दिदुमुस कहलाता है वह उस समय उनके साथ नहीं था, जब यीशु आया।

John 20:25

थोमा ने क्या कहा कि वह विश्वास करने के लिए करेगा?

थोमा ने कहा, "जब तक मैं उनके हाथों में कीलों के छेद न देख लूं और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं तब तक मैं विश्वास न करूंगा?

John 20:26

थोमा ने यीशु को कब देखा?

आठ दिन बाद चेले फिर घर के भीतर थे और थोमा उनके साथ था तब यीशु बन्द द्वार से प्रवेश करके उनके मध्य उपस्थित हुआ।

John 20:27

यीशु ने थोमा से क्या करने को कहा?

यीशु ने थोमा से कहा, "अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो"।

John 20:28

थोमा ने यीशु से क्या कहा?

थोमा ने कहा, "हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर"।

John 20:29

यीशु ने किसको धन्य कहा?

यीशु ने कहा, "धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया"।

John 20:30

क्या यीशु ने वे चिन्ह भी दिखाए जो इस पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

जी हां, यीशु ने शिष्यों की उपस्थिति में और भी अनेक चिन्ह दिखाए जो यूहन्ना की पुस्तक में नहीं लिखे गए हैं।

John 20:31

इस पुस्तक में चिन्हों की चर्चा क्यों की गई है?

वे इसलिए लिखे गए हैं कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है।


Chapter 21

1 इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियुस झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया। 2 शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे। 3 शमौन पतरस ने उनसे कहा, “मैं मछली पकड़ने जाता हूँ।” उन्होंने उससे कहा, “हम भी तेरे साथ चलते हैं।” इसलिए वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा। 4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ; फिर भी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है। 5 तब यीशु ने उनसे कहा, “हे बालकों, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है?” उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं।” 6 उसने उनसे कहा, “नाव की दाहिनी ओर जाल डालो, तो पाओगे।” तब उन्होंने जाल डाला, और अब मछलियों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके। 7 इसलिए उस चेले ने जिससे यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, “यह तो प्रभु है*।” शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा। 8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछलियों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे। 9 जब किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोयले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी। 10 यीशु ने उनसे कहा, “जो मछलियाँ तुम ने अभी पकड़ी हैं, उनमें से कुछ लाओ।” 11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिरपन बड़ी मछलियों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल न फटा। 12 यीशु ने उनसे कहा, “आओ, भोजन करो।” और चेलों में से किसी को साहस न हुआ, कि उससे पूछे, “तू कौन है?” क्योंकि वे जानते थे कि यह प्रभु है। 13 यीशु आया, और रोटी लेकर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी। 14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।

15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, “हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इनसे बढ़कर मुझसे प्रेम रखता है?” उसने उससे कहा, “हाँ प्रभु; तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ।” उसने उससे कहा, “मेरे मेम्नों को चरा।” 16 उसने फिर दूसरी बार उससे कहा, “हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझसे प्रेम रखता है?” उसने उनसे कहा, “हाँ, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ।” उसने उससे कहा, “मेरी भेड़ों* की रखवाली कर।” 17 उसने तीसरी बार उससे कहा, “हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझसे प्रीति रखता है?” पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा, “क्या तू मुझसे प्रीति रखता है?” और उससे कहा, “हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चरा। 18 मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बाँधकर जहाँ चाहता था, वहाँ फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बाँधकर जहाँ तू न चाहेगा वहाँ तुझे ले जाएगा।” 19 उसने इन बातों से दर्शाया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्‍वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।”

20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिससे यीशु प्रेम रखता था, और जिस ने भोजन के समय उसकी छाती की और झुककर पूछा “हे प्रभु, तेरा पकड़वानेवाला कौन है?” 21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, इसका क्या हाल होगा?” 22 यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।” 23 इसलिए भाइयों में यह बात फैल गई, कि वह चेला न मरेगा; तो भी यीशु ने उससे यह नहीं कहा, कि यह न मरेगा, परन्तु यह कि “यदि मैं चाहूँ कि यह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे इससे क्या?”

24 यह वही चेला है, जो इन बातों की गवाही देता है* और जिस ने इन बातों को लिखा है और हम जानते हैं, कि उसकी गवाही सच्ची है। 25 और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक-एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ, कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे जगत में भी न समातीं।



John 21:4

भोर होते ही

"उजाला होने लगा था"

John 21:7

(क्योंकि वह नंगा था)

यह अतिरिक्त जानकारी है।

(वे किनारे से अधिक दूर नहीं थे कोई दो सौ हाथ पर थे।)

यह अतिरिक्त जानकारी है।

दो सौ हाथ

"नब्बे मीटर" एक हाथ आधे मीटर से कुछ कम होता है।

John 21:15

मेरे मेमनों को चरा

वैकल्पिक अनुवाद, "मेरे लोगों को जिनकी मैं सुधि लेता हूं, उनका पोषण कर"।

मेरी भेड़ों की रखवाली कर

वैकल्पिक अनुवाद "जिन लोगों की मैं सुधि लेता हूं उनकी रखवाली कर"

John 21:17

मेरी भेड़ों को चरा

वैकल्पिक अनुवाद "जिन लोगों की मैं सुधि लेता हूं उनकी रखवाली कर"

मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ

उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

John 21:20

भोजन के समय

अन्तिम भोज के समय (देखें: यूह. )

उसे पतरस ने देखा

"उसे" अर्थात जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसे देखकर

John 21:22

वह ..... ठहरे रहे

यूह. 21:20 में "वह" अर्थात जिस शिष्य से यीशु प्रेम करता था।

मेरे आने तक

यीशु का पुनः आगमन स्वर्ग से उसका लौट आना

तुझे इससे क्या

वैकल्पिक अनुवाद, "तू इसकी चिन्ता न कर"

John 21:24

यह वही चेला है जो इन बातों की गवाही देता है और जिसने इन बातों को लिखा है।

शिष्य यूहन्ना

हम जानते हैं

हम कलीसिया में जानते हैं

पुस्तकें जो लिखी जाती हैं वे संसार में न समाती

x


Translation Questions

John 21:1

यीशु जब फिर से शिष्यों पर प्रकट हुआ तब शिष्य कहाँ थे?

शिष्य तिबिरियास की झील पर थे तब यीशु उन पर फिर प्रकट हुआ।

John 21:2

तिबिरियास की झील पर कौन-कौन थे?

शमौन पतरस, थोमा जो दिदुमुस कहलाता था और गलील के काना नगर का नतनएल और जबदी के पुत्र और उसके चेलों में से दो और तिबिरियास झील पर थे।

John 21:3

शिष्य क्या कर रहे थे?

वे पूरी रात व्यर्थ में मछली पकड़ते रहे।

John 21:6

यीशु ने शिष्यों से क्या करने को कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि वे नाव की दाहिनी ओर जाल डालें तो पाएंगे।

शिष्यों ने जाल डाला तो क्या हुआ?

मछलियों की बहुतायत के कारण वे जाल को खींच नहीं पाए।

John 21:7

यीशु के प्रिय शिष्य ने कहा कि वह यीशु है तो पतरस ने क्या किया?

उसने अंगरखा कमर में बांधा और झील में कूद पड़ा।

John 21:8

अन्य शिष्यों ने क्या किया?

अन्य शिष्य डोंगी पर मछलियों से भरा जाल खींचते हुए आए।

John 21:10

यीशु ने शिष्यों से कौन से दो काम करने को कहे?

यीशु ने शिष्यों से कहा कि पकड़ी हुई मछलियों में से कुछ लेकर आएं और उसके साथ नाश्ता करें।

John 21:12

यीशु ने शिष्यों से कौन से दो काम करने को कहे?

यीशु ने शिष्यों से कहा कि पकड़ी हुई मछलियों में से कुछ लेकर आएं और उसके साथ नाश्ता करें।

John 21:14

पुनरूत्थान के बाद जब यीशु यहां शिष्यों पर प्रकट हुआ तो वह कितनी बार हुआ था?

पुनरूत्थान के बाद यहां तीसरी बार यीशु शिष्यों पर प्रकट हुआ था?

John 21:15

नाश्ते के बाद यीशु ने पतरस से क्या पूछा था?

यीशु ने पतरस से पूछा, "हे शमौन यूहन्ना के पुत्र क्या तू इनसे बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है और उसने दो बार और उससे पूछा, ”क्या तू मुझसे प्रेम रखता है"?

John 21:17

हर बार जब यीशु ने पतरस से पूछा कि वह उससे प्रेम करता है तब पतरस का उत्तर क्या था?

हर एक प्रश्न का उत्तर पतरस ने यही दिया, "हां प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझसे प्रीति रखता हूं"।

हर बार पतरस यीशु के प्रश्न का सकारात्मक उत्तर देता है तो यीशु हर बार उससे क्या कहता है?

पहली बार यीशु ने पतरस से कहा, "मेरे मेमनों को चराए" दूसरी बार यीशु ने कहा, "मेरी भेड़ों की रखवाली करना" और तीसरी बार यीशु ने कहा, "मेरी भेड़ों को चरा"।

John 21:18

यीशु ने पतरस से क्या कहा कि उसकी वृद्धावस्था में उसके साथ होगा?

यीशु ने पतरस से कहा कि जब वह वृद्ध हो जायेगा तब वह हाथ फैलाएगा और दूसरा उसकी कमर बांधकर जहां वह नहीं चाहेगा वहाँ उसे ले जायेगा।

John 21:19

यीशु ने पतरस की वृद्धावस्था की चर्चा क्यों की थी?

इन बातों से यीशु ने संकेत दिया कि पतरस की मृत्यु कैसी होगी।

John 21:20

इस पुस्तक का लेखक कौन है और वह किसकी गवाही देता है?

जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसने यह पुस्तक लिखी है और गवाही देता है कि इसमें व्यक्त सब घटनाएं सच हैं।

John 21:22

यीशु जिस शिष्य से प्रेम रखता था उसके बारे में पतरस ने यीशु से क्या पूछा?

पतरस ने यीशु से पूछा, "हे प्रभु इसका क्या हाल होगा"?

"हे प्रभु इसका क्या हाल होगा"? पतरस के इस प्रश्न पर यीशु ने पतरस से क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा, "तू मेरे पीछे होले"।

John 21:24

इस पुस्तक का लेखक कौन है और वह किसकी गवाही देता है?

जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसने यह पुस्तक लिखी है और गवाही देता है कि इसमें व्यक्त सब घटनाएं सच हैं।


Book: Acts

Acts

Chapter 1

1 हे थियुफिलुस, मैंने पहली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ किया और करता और सिखाता रहा, 2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया। 3 और उसने दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा, और परमेश्‍वर के राज्य की बातें करता रहा।

4 और चेलों से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, “यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की प्रतीक्षा करते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो। (लूका 24:49) 5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।” (मत्ती 3:11)

6 अतः उन्होंने इकट्ठे होकर उससे पूछा, “हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्राएल का राज्य पुनः स्थापित करेगा?” 7 उसने उनसे कहा, “उन समयों या कालों को जानना, जिनको पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। 8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे*; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे।”

9 यह कहकर वह उनके देखते-देखते ऊपर उठा लिया गया, और बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। (भज. 47:5) 10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तब, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहने हुए उनके पास आ खड़े हुए। 11 और कहने लगे, “हे गलीली पुरुषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।” (1 थिस्स. 4:16)

12 तब वे जैतून नामक पहाड़ से जो यरूशलेम के निकट एक सब्त के दिन की दूरी पर है, यरूशलेम को लौटे। 13 और जब वहाँ पहुँचे तो वे उस अटारी पर गए, जहाँ पतरस, यूहन्ना, याकूब, अन्द्रियास, फिलिप्पुस, थोमा, बरतुल्मै, मत्ती, हलफईस का पुत्र याकूब, शमौन जेलोतेस और याकूब का पुत्र यहूदा रहते थे। 14 ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर* प्रार्थना में लगे रहे।

15 और उन्हीं दिनों में* पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्ति के लगभग इकट्ठे थे, खड़ा होकर कहने लगा। 16 “हे भाइयों, अवश्य था कि पवित्रशास्त्र का वह लेख पूरा हो, जो पवित्र आत्मा ने दाऊद के मुख से यहूदा के विषय में जो यीशु के पकड़ने वालों का अगुआ था, पहले से कहा था। (भज. 41:9)

17 क्योंकि वह तो हम में गिना गया, और इस सेवकाई में भी सहभागी हुआ। 18 (उसने अधर्म की कमाई से एक खेत मोल लिया; और सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उसकी सब अंतड़ियाँ निकल गई। 19 और इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए, यहाँ तक कि उस खेत का नाम उनकी भाषा में ‘हकलदमा’ अर्थात् ‘लहू का खेत’ पड़ गया।)

20 क्योंकि भजन संहिता में लिखा है,

     ‘उसका घर उजड़ जाए,

     और उसमें कोई न बसे’

     और ‘उसका पद कोई दूसरा ले ले।’ (भज. 69:25, भज. 109:8)

21 इसलिए जितने दिन तक प्रभु यीशु हमारे साथ आता जाता रहा, अर्थात् यूहन्ना के बपतिस्मा से लेकर उसके हमारे पास से उठाए जाने तक, जो लोग बराबर हमारे साथ रहे, 22 उचित है कि उनमें से एक व्यक्ति हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए।” 23 तब उन्होंने दो को खड़ा किया, एक यूसुफ को, जो बरसब्बास कहलाता है, जिसका उपनाम यूस्तुस है, दूसरा मत्तियाह को।

24 और यह कहकर प्रार्थना की, “हे प्रभु, तू जो सब के मन को जानता है, यह प्रगट कर कि इन दोनों में से तूने किस को चुना है, 25 कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले, जिसे यहूदा छोड़कर अपने स्थान को गया।” 26 तब उन्होंने उनके बारे में चिट्ठियाँ डाली, और चिट्ठी मत्तियाह के नाम पर निकली, अतः वह उन ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया।



Acts 1:1

हे थियुफिलुस, मैंने अपनी पहली पुस्तिका

पहली पुस्तिका का आशय लूका रचित सुसमाचार से है।

हे थियुफिलुस

यह पुस्तिका लूका ने थियुफिलुस नामक व्यक्ति को लिखी थी। उसे संबोधित करने के लिए उसने “हे” शब्द का प्रयोग किया है। कुछ अनुवादों में संस्कृति उपयुक्त संबोधनों का प्रयोग करते हुए वाक्य के आरम्भ में “प्रिय थियुफिलुस” जैसे संबोधन का प्रयोग किया गया है। थियुफिलुस का शाब्दिक अर्थ “परमेश्वर का मित्र” होता है।

उस दिन तक जब वह ....ऊपर न उठाया गया

इसका आशय यीशु मसीह के स्वर्गारोहण से है।

पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर

विशिष्ट कार्यों में शिष्यों की अगुवाई के निमित्त पवित्र आत्मा यीशु की अगुआई करता था।

उसने दुःख उठाने के बाद

यह क्रूस पर उठाये गए यीशु के कष्टों व उसकी मृत्यु के विषय में है।

अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया

12 मूल शिष्यों के अतिरिक्त यीशु बहुत से अन्य लोगों पर भी प्रकट हुआ था।

Acts 1:4

और उनसे मिलकर..

अर्थात यीशु जब उनसे मिला।

उनसे मिलकर...

“उनसे” का आशय यहाँ पर 11 शिष्यों से है।

उसने उन्हें यरूशलेम न छोड़ने की आज्ञा दी।

“और उनसे मिलकर उन्हें आज्ञा दी, यरुशलेम को न छोडो।” इसे हम सीधे उद्धरण के समान भी अनुदित कर सकते हैं, जैसा कि यूडीबी में किया गया है।

पिता की उस प्रतिज्ञा

इसका आशय पवित्र आत्मा से है।

पानी से बपतिस्मा दिया.....पवित्रात्मा से बपतिस्मा

यीशु यहाँ यूहन्ना द्वारा दिए जानेवाले पानी के बपतिस्मे की तुलना परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले बपतिस्मे से करते हैं जो कि पवित्र आत्मा के साथ दिया जाएगा।

यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया

जिन भाषाओं में “बपतिस्मा” को किसी वस्तु के साथ दिया जाना होता है, वहाँ हम ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “यूहन्ना ने लोगों को पानी के साथ बपतिस्मा दिया” अथवा, “यूहन्ना ने उन्हें पानी से बपतिस्मा दिया।”

बपतिस्मा पाओगे

अनुवाद करते समय इसे सक्रिय क्रिया के साथ भी अनूदित किया जा सकता है: “परमेश्वर तुम्हे बप्तिस्मा देगा।”

Acts 1:6

क्या तू इसी समय इस्राएल राज्य को फेर देगा

क्या तू इसी समय इस्राएल राज्य को फेर देगा -“क्या तू इस्राएल को फिर से एक सामर्थी राज्य बना देगा?”

समय या कालों

“समय या दिनों”

तब तुम सामर्थ्य पाओगे

“तुम आत्मिक रूप से दृढ़ किये जाओंगे।”

मेरे गवाह होगे

यह सामर्थ पाने का परिणाम है। इसका अनुवाद करते समय “मेरे गवाह होने के लिए” भी लिख सकते हैं और बता सकते हैं कि सामर्थ पाने का उद्देश्य यही था।

पृथ्वी के छोर तक

“पूरे संसार में” अथवा “पृथ्वी के सुदूर प्रदेशों में भी”।

Acts 1:9

उनके देखते-देखते

“उसके शिष्य आकाश की ओर देख रहे थे कि”

बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया

“वह बादलों में चला गया, और एक बादल ने उसे छिपा लिया और उसे आँखों से ओझल कर दिया।”

वे आकाश की ओर ताक रहे थे

“आकाश की ओर टकटकी लगाये थे” अथवा “वे आकाश की ओर एकटक देख रहे थे”

हे गलीली पुरुषों

विशेषकर “तुम शिष्यों।” हालाँकि स्वर्गदूतों ने बातचीत शिष्यों से की थी, लेकिन अन्य पदों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि इस घटना के समय दूसरे स्त्री व पुरुष भी मौजूद थे।

तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो?

यूडीबी के समान इस आलंकारिक प्रश्न को एक कथन के रूप में अभी अनूदित किया जा सकता है।

Acts 1:12

तब वे...... लौटे गए

अर्थात “तब शिष्य.....लौटे गए”

एक सब्त के दिन की दूरी पर है

सब्त के दिन लोगों को काम करने से रोकने हेतु फरीसियों द्वारा बनाया गया नियम।

जब वहाँ पहुंचे

“जब वे यरूशलेम में स्थित अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचे”

ऊपरी कोठरी

घर में ऊपर की सतह पर बनाया गया कमरा।

शमौन जेलोतेस

‘शमौन देशभक्त।” उस समय बहुत से जेलोतेस थे, लेकिन शमौन ही केवल अकेला ऐसा शिष्य था जो कि जेलोतेस था। जेलोतेस इस्राएल पर रोमियों का शासन समाप्त करना चाहते थे।

उनमें एकता थी।

उनका दल एक था और उनमे किसी प्रकार का कोई मतभेद या मनमुटाव नहीं था।

एक चित्त होकर प्रार्थना करने लगे

“स्वयं को प्रार्थना के लिए समर्पित कर दिया”

Acts 1:15

उन्हीं दिनों

“यीशु मसीह के स्वर्ग में जाने के कुछ ही दिनों बाद”

भाइयों के बीच में

“भाइयों” शब्द का प्रयोग अधिकतर संगी विश्वासियों के लिए होता है और इसमें स्त्री व पुरुष दोनों शामिल हैं।

अवश्य था कि पवित्र शास्त्र का वह लेख पूरा हो

पतरस यहाँ विशेष रूप से यहूदा से जुड़ी भविष्यद्वाणियों के विषय में कह रहा है।

दाऊद के मुख से

“दाऊद के शब्दों से।” “मुख” शब्द यहाँ “शब्दों” के लिए प्रयुक्त हुआ है हालाँकि दाऊद ने उन्हें लिखा था।

Acts 1:17

x

में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है

उसकी अधर्म की

अर्थात “यीशु के शत्रुओं द्वारा उसे पकड़वाने का अधर्म से भरा कार्य।” इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि कौन से “अधर्म” की बात हो रही है।

और सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उसकी सब अंतड़ियां निकल पड़ी।

और इसी खेत पर यहूदा घातक रूप से सिर के बल गिरा और उसका शरीर फट कर खुल गया। वचन के दूसरे हिस्सों में उसके द्वारा फांसी लगा कर आत्महत्या करने के उल्लेख हैं।

इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए यह लहू का खेत।

इस मृत्यु के कारण लोग उस खेत को नए नाम से संबोधित करने लगे।

Acts 1:20

x

में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है

क्योंकि भजन संहिता में लिखा है

यहूदा की इस घटना का विस्तृत ब्यौरा देते समय पतरस को भजन संहिता के कुछ पद याद आ रहे हैं जो कि उसके अनुसार वर्तमान स्थिति से सम्बंधित है।

भजन संहिता

अनुवाद करते समय हम “भजन पुस्तिका” अथवा “गीत-संहिता” भी लिख सकते हैं। यह पुस्तक वचन का एक हिस्सा है।

उसका घर उजड़ जाए

घर उजड़ने का आशय यहाँ घर के मालिक की मृत्यु से है।

और उसमें कोई न बसे

अर्थात, यह भूमि अशुद्ध है; रहने के योग्य नहीं है।

और उसका पद कोई दूसरा ले ले

“उसका पद किसी दूसरे को मिल जाए”

Acts 1:21

x

में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है

इसलिए...

पतरस यहाँ बतानेवाला है कि भजन संहिता के उन पदों का सन्दर्भ उसने क्यों दिया था और उसके विषय में अब उन्हें क्या करना चाहिए।

जो लोग बराबर हमारे साथ रहे, उचित है कि उनमें से एक व्यक्ति हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए

पतरस यहाँ यहूदा के स्थान पर प्रेरित नियुक्त होनेवाले व्यक्ति की अपेक्षित योग्यताओं के विषय में कह रहा है।

तब उन्होंने दो को खड़ा किया

यहूदा के स्थान पर नियुक्ति करते समय उन्हें दो योग्य व्यक्ति मिलते हैं।

एक युसूफ को, जो बर-सबा कहलाता है, जिसका उपनाम यूस्तुस है

युसूफ को बर-सबा व यूस्तुस के नाम से भी जाना जाता था।

Acts 1:24

और यह कह कर प्रार्थना की

“तब विश्वासियों ने प्रार्थना की”

हे प्रभु, तू जो सबके मन को जानता है

अर्थात, “हे प्रभु, तू जो सबके भीतर की प्रेरणाओं और विचारों को जानता है”

यह प्रगट कर कि इन दोनों में से तूने किस को चुना है कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले

यह प्रगट कर कि इन दोनों में तूने किसको चुना है कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले - “इसलिए, हे परमेश्वर, हमें दिखा कि प्रेरितों के बीच खाली हुए इस स्थान के लिए तूने किसे चुना है।”

जिसे यहूदा छोड़ कर अपने स्थान को गया

यीशु को धोखा देकर, भाग जाने और मर जाने के बाद खाली हुए यहूदा के स्थान को भरने के लिए

उनके बारे में चिट्ठियाँ डाली

ऐसा उन्होंने युसूफ और मत्तियाह के बीच चुनाव करने के लिए किया।

चिट्ठी मत्तियाह के नाम पर निकली

चिट्ठी ने संकेत दिया कि मत्तियाह को चुना जाना चाहिए।

अतः वह उन ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया।

“प्रेरितों ने उसे भी एक प्रेरित गिना”


Translation Questions

Acts 1:1

नये नियम की कौन सी दो पुस्तकें लूका ने लिखीं?

लूका ने लूका रचित सुसमाचार और प्रेरितों के कार्य लिखीं।

Acts 1:3

दुख उठाने के बाद यीशु ने चालीस दिन तक क्या किया?

चालीस दिन तक वह प्रेरितों को जीवित दिखाई देता रहा, और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा।

Acts 1:4

यीशु ने प्रेरितों को किस बात की बाट जोहते रहने की आज्ञा दी?

यीशु ने प्रेरितों को पिता की प्रतिज्ञा की बाट जोहते रहने की आज्ञा दी।

Acts 1:5

थोड़े दिनों में प्रेरितों को किससे बपतिस्मा मिलने वाला था?

प्रेरितों को पवित्र-आत्मा से बपतिस्मा मिलने वाला था।

Acts 1:7

जब प्रेरितों ने राज्य को फेर देने की बात का समय पूछा तो यीशु ने उनको किस प्रकार उत्तर दिया?

यीशु ने उनको उत्तर दिया कि उसे समयों या कालों को जानना उनका काम नहीं।

Acts 1:8

यीशु ने प्रेरितों से क्या कहा कि वे पवित्र-आत्मा से क्या पायेंगे?

यीशु ने प्रेरितों से कहा कि वे पवित्र-आत्मा से सामर्थ्य पायेंगे।

यीशु ने कहाँ तक बताया की प्रेरित उसके गवाह होंगे?

यीशु ने कहा की उसके प्रेरित यहूदिया, सामरिया और पृथ्वी की छोर तक उसके गवाह होंगे।

Acts 1:9

यीशु अपने प्रेरितों से किस प्रकार अलग हुआ?

यीशु को ऊपर उठा लिया गया और बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया।

Acts 1:11

स्वर्गदूतों ने क्या कहा कि यीशु फिर से पृथ्वी पर कैसे आयेगा?

स्वर्गदूतों ने कहा कि यीशु उसी रीति से फिर से आयेगा जैसे वह स्वर्ग को गया है।

Acts 1:14

अटारी पर प्रेरित, स्त्रियाँ, मरियम और यीशु के भाई क्या कर रहे थे?

वे एक चित्त होकर प्रार्थना कर रहे थे।

Acts 1:16

यहूदा जिसने यीशु के साथ विश्वासघात किया, उसके जीवन से क्या बात पूरी हुई थी?

यहूदा द्वारा पवित्र-शास्त्र का लेख पूरा हुआ।

Acts 1:18

यीशु के साथ विश्वासघात करने के लिए रुपए पाने के बाद यहूदा का क्या हुआ?

यहूदा ने एक खेत मोल लिया, सिर के बल गिरा, उसका पेट फट गया और उसकी सब अन्तड़ियाँ बाहर निकल पड़ीं।

Acts 1:20

भजनसंहिता की पुस्तक के अनुसार यहूदा की अगुवाई के पद का क्या होना चाहिए?

भजनसंहिता में लिखा है कि यहूदा की अगुवाई का पद किसी और को ले लेना चाहिए।

Acts 1:21

वह व्यक्ति जो यहूदा की अगुवाई का पद लेगा उसके लिए क्या आवश्यक था?

पद लेने वाला व्यक्ति यूहन्ना के बपतिस्मा लेने के समय से प्रेरितों के साथ रहा हो और यीशु के जी उठने का गवाह रहा हो।

Acts 1:24

प्रेरितों ने किस प्रकार तय किया कि दो उम्मीदवारों में से किसको यहूदा का पद लेना चाहिए?

प्रेरितों ने प्रार्थना की कि परमेश्वर अपना चुनाव प्रगट करे और फिर उन्होंने चिट्ठियाँ डालीं।

Acts 1:26

फिर किसको ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया?

मत्तियाह ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया।


Chapter 2

1 जब पिन्तेकुस्त का दिन* आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। (लैव्य. 23:15-21, व्य. 16:9-11) 2 और अचानक आकाश से बड़ी आँधी के समान सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज गया। 3 और उन्हें आग के समान जीभें फटती हुई दिखाई दी और उनमें से हर एक पर आ ठहरी। 4 और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए*, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य-अन्य भाषा बोलने लगे।

5 और आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त-यहूदी यरूशलेम में रहतें थे। 6 जब वह शब्द सुनाई दिया, तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्‍योंकि हर एक को यही सुनाई देता था, कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं। 7 और वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे, “देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं?

8 तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी-अपनी जन्मभूमि की भाषा सुनता है? 9 हम जो पारथी, मेदी, एलाम लोग, मेसोपोटामिया, यहूदिया, कप्पदूकिया, पुन्तुस और आसिया, 10 और फ्रूगिया और पंफूलिया और मिस्र और लीबिया देश जो कुरेने के आस-पास है, इन सब देशों के रहनेवाले और रोमी प्रवासी, 11 अर्थात् क्या यहूदी, और क्या यहूदी मत धारण करनेवाले, क्रेती और अरबी भी हैं, परन्तु अपनी-अपनी भाषा में उनसे परमेश्‍वर के बड़े-बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।”

12 और वे सब चकित हुए, और घबराकर एक दूसरे से कहने लगे, “यह क्या हो रहा है?” 13 परन्तु दूसरों ने उपहास करके कहा, “वे तो नई मदिरा के नशे में हैं।”

14 पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊँचे शब्द से कहने लगा, “हे यहूदियों, और हे यरूशलेम के सब रहनेवालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। 15 जैसा तुम समझ रहे हो, ये नशे में नहीं है, क्योंकि अभी तो तीसरा पहर ही दिन चढ़ा है। 16 परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई है:

    17 ‘परमेश्‍वर कहता है, कि अन्त के दिनों में ऐसा होगा, कि

     मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उण्डेलूँगा और

     तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगी,

     और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे,

     और तुम्हारे वृद्ध पुरुष स्वप्न देखेंगे।

    18 वरन् मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी उन दिनों

     में अपने आत्मा उण्डेलूँगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे।

    19 और मैं ऊपर आकाश में अद्भुत काम*,

     और नीचे धरती पर चिन्ह, अर्थात्

     लहू, और आग और धुएँ का बादल दिखाऊँगा।

    20 प्रभु के महान और तेजस्वी दिन* के आने से पहले

     सूर्य अंधेरा

     और चाँद लहू सा हो जाएगा।

    21 और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार पाएगा।’ (योए. 2:28-32)

22 “हे इस्राएलियों, ये बातें सुनो कि यीशु नासरी एक मनुष्य था जिसका परमेश्‍वर की ओर से होने का प्रमाण उन सामर्थ्य के कामों और आश्चर्य के कामों और चिन्हों से प्रगट है, जो परमेश्‍वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखलाए जिसे तुम आप ही जानते हो। 23 उसी को, जब वह परमेश्‍वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला। 24 परन्तु उसी को परमेश्‍वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता। (2 शमू. 22:6, भज. 18:4, भज. 116:3)

25 क्योंकि दाऊद उसके विषय में कहता है,

     ‘मैं प्रभु को सर्वदा अपने सामने देखता रहा

     क्योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊँ।

    26 इसी कारण मेरा मन आनन्दित हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई;

     वरन् मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा।

    27 क्योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा;

     और न अपने पवित्र जन को सड़ने देगा!

    28 तूने मुझे जीवन का मार्ग बताया है;

     तू मुझे अपने दर्शन के द्वारा आनन्द से भर देगा।’ (भज. 16:8-11)

29 “हे भाइयों, मैं उस कुलपति दाऊद के विषय में तुम से साहस के साथ कह सकता हूँ कि वह तो मर गया और गाड़ा भी गया और उसकी कब्र आज तक हमारे यहाँ वर्तमान है। (1 राजा. 2:10) 30 वह भविष्यद्वक्ता था, वह जानता था कि परमेश्‍वर ने उससे शपथ खाई है, “मैं तेरे वंश में से एक व्यक्ति को तेरे सिंहासन पर बैठाऊँगा।” (2 शमू. 7:12-13, भज. 132:11) 31 उसने होनेवाली बात को पहले ही से देखकर मसीह के जी उठने के विषय में भविष्यद्वाणी की,

     कि न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया, और न उसकी देह सड़ने पाई। (भज. 16:10)

32 इसी यीशु को परमेश्‍वर ने जिलाया, जिसके हम सब गवाह हैं। 33 इस प्रकार परमेश्‍वर के दाहिने हाथ से सर्वो‍च्च पद पा कर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त करके जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी, उसने यह उण्डेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो।

34 क्योंकि दाऊद तो स्वर्ग पर नहीं चढ़ा; परन्तु वह स्वयं कहता है,

     ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा; मेरे दाहिने बैठ,

    35 जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों तले की चौकी न कर दूँ।’ (भज. 110:1)

36 अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्‍वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।”

37 तब सुननेवालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और अन्य प्रेरितों से पूछने लगे, “हे भाइयों, हम क्या करें?” 38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने-अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। 39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर-दूर के लोगों के लिये भी है जिनको प्रभु हमारा परमेश्‍वर अपने पास बुलाएगा।” (योए. 2:32)

40 उसने बहुत और बातों से भी गवाही दे देकर समझाया कि अपने आप को इस टेढ़ी जाति से बचाओ। (व्य. 32:5, भज. 78:8) 41 अतः जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए।

42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।

43 और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। 44 और वे सब विश्वास करनेवाले इकट्ठे रहते थे, और उनकी सब वस्तुएँ साझे की थीं। 45 और वे अपनी-अपनी सम्पत्ति और सामान बेच-बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे।

46 और वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर-घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सिधाई से भोजन किया करते थे। 47 और परमेश्‍वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उनसे प्रसन्‍न थे; और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था।



Acts 2:1

वे सब एक जगह इकट्ठे थे

“वे” से यहाँ पर आशय संभवतः120 विश्वासियों के दल से था जो लूका 1: 15-26 में इकठ्ठे थे। इसमें बारह प्रेरित भी शामिल थे।

एकाएक आकाश से एक बड़ी आंधी के सनसनाहट का शब्द हुआ

“आकाश से आता एक शोर सुनाई दिया”

आंधी की सनसनाहट

“तेज़ वेग से चल रही हवा का स्वर” अथवा “तेज़ी से बह रही हवा का स्वर”

सारा घर

यह घर या बड़ी ईमारत हो सकता है.

आग की सी जीभें

संभावित आशय हैं 1) आग से बनी जीभें, अथवा 2) जीभ की शक्ल में आग की छोटी लपटें। लैंप जैसी छोटी जगह में जलते समय आग की लपटें जीभ की शक्ल में लापटती दिखाई दे सकती हैं।

अन्य-अन्य भाषाओँ में बोलने लगे

वे भाषाओँ जिनका पहले से उन्हें कोई ज्ञान न था।

Acts 2:4

भक्त

परमेश्वर को आदर देनेवाले और उसकी आराधना करनेवाले लोग

आकाश के नीचे की हर एक जाति में से

“संसार की हर एक जाति”

जब वह शब्द सुनाई दिया

इसका आशय आंधी के स्वर है। इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रियापद के रूप में किया जा सकता है: “जब उन्होंने आंधी का शब्द सुना।”

भीड़

अर्थात “बहुत से लोगों का विशाल समूह”

गलीली

अनुवाद करते समय इसे “गलीलवासी” भी लिख सकते हैं।

Acts 2:8

तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी-अपनी जन्मभूमि की भाषा सुनता है

अनुवाद करते समय इसे 1) लोगों द्वारा असल में पूछे गए प्रश्न की भांति व्यक्त कर सकते हैं, या फिर 2) इसे लोगों के आश्चर्य को प्रकट करनेवाले एक आलंकारिक प्रश्न की भांति अनूदित कर सकते हैं।

पारथी और मेदी और एलामी

अर्थात “पार्थिया, मेदिया और एलाम के लोग।”

यहूदी मत धारण करनेवाले

“ऐसे गैर यहूदी लोग जो अब यहूदी हो गए हैं” अथवा “वे लोग जिन्होंने अपना धर्मत्याग के द्वारा यहूदी हो गए हैं” अथवा “यहूदी आस्था को अपना चुके लोग।”

Acts 2:12

सब चकित हुए, और घबरा कर

सब चकित हुए, और घबरा कर - लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि वहाँ आखिर हो क्या रहा था (यूडीबी)। अनुवाद करते समय इसे “विस्मित और विमूढ़ हो गए” भी लिख सकते हैं।

यह क्या हो रहा है?

कुछ लोगों ने इस घटना को गंभीरता से लिया।

परन्तु दूसरों ने ठट्ठा करके कहा

“लेकिन दूसरों ने तिरस्कार करते हुए कहा” अथवा “उनका अपमान करते हुए”

वे तो नयी मदिरा के नशे में हैं

अनुवाद करते समय इसे “नशे में धुत” लिख सकते हैं। कुछ लोगों ने इस आश्चर्यकर्म पर विश्वास न कर, प्रेरितों का मज़ाक उड़ाने का चुनाव किया।

नयी मदिरा

सामान्य मदिरा से अधिक नशीली मदिरा

Acts 2:14

ग्यारह के साथ खड़ा हुआ

पतरस की कही बात का समर्थन सभी प्रेरितों ने किया।

पहर ही दिन चढ़ा है

“अभी तो सुबह के नौ ही बजे हैं” (यूडीबी)। पतरस अपने सुननेवालों से यह जानने की आशा रखता था कि सुबह-सुबह कोई नशे में धुत नहीं होता। यह जानकारी अन्तर्निहित थी, जिसे ज़रुरत पड़ने पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सकता था।

पहर ही दिन

“सुबह के नौ बजे” (यूडीबी)।

Acts 2:16

x

में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है

परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गयी

“यही वह बात है जो परमेश्वर ने कही और योएल नबी से लिखने को कहा” अथवा “परमेश्वर द्वारा कही गयी इन्हीं बातों को योएल नबी ने लिखा था।”

कही गयी

इसे सक्रिय क्रियापद के रूप में भी लिखा जा सकता है: “जो परमेश्वर ने कही थी” या फिर “जिस विषय में परमेश्वर ने कहा था।”

अंत के दिनों में

अनुवाद के समय इसे हम “अंतिम दिनों में” भी लिख सकते हैं। जो बातें अब वह बतानेवाला है, वे अंतिम दिनों में घटेंगी। यह परमेश्वर की कही बात का पहला हिस्सा है। यूडीबी के समान, “परमेश्वर कहता है” शब्द को वाक्य में आरम्भ में लगाया गया है।

अपना आत्मा...उंडेलूँगा

यह व्यक्त करने के लिए कि परमेश्वर किस प्रकार सभी लोगों को अपना आत्मा देगा, यहाँ आलंकारिक भाषा का प्रयोग किया गया है

सब मनुष्यों पर

“सब लोगों पर।”

Acts 2:18

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन में भविष्यद्वक्ता योएल की बात को पतरस आगे बढाता है

मैं अपना आत्मा ...उंडेलूँगा

परमेश्वर अपना आत्मा पूरी भरपूरी के साथ देता है।

भविष्यद्वाणी

परमेश्वर उन्हें परमेश्वर से जुड़े सत्य बोलने की प्रेरणा देता है

धूएँ

"धूएं" का आशय यहाँ"धुंध अथवा "कोहरे" से है

उंडेलूँगा

यह किसी घड़े यह बाल्टी के पानी को तेज़ी से खाली करने के समान है। इसका अनुवाद भी पिछली बार की तरह करें।

Acts 2:20

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन में भविष्यद्वक्ता योएल की बात को पतरस आगे बढाता है

सूर्य अँधेरा और चाँद लहू सा हो जाएगा

इस पद का सटीक आशय स्पष्ट नहीं है, इसलिए अपनी भाषा में इसका सशब्द अनुवाद ही करें।

नाम लेगा

अर्थात प्रार्थना या फिर विनती करेगा

Acts 2:22

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

परमेश्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान

परमेश्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान -मसीह की मृत्यु परमेश्वर की पूर्व योजना व पूर्वज्ञान के अनुसार थी।

तुम ने

यह तुम्हारे का बहुवचन रूप है। यदि आपकी भाषा में इसके लिए कोई विशिष्ट शब्द हो तो कृपया उसी का प्रयोग करें।

पकड़वाया गया

“लोगों ने उसे पकड़वाया,” “तुमने उसे पकड़वा दिया”

छुड़ाकर

रस्सी के बंधन को खोलने के समान बंधनमुक्त किया

मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया

मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया -“मृत्यु की पीढा के बंधन से मुक्त किया।”

वश

मृत्यु अंततः यीशु को बाँध कर न रख सकी

Acts 2:24

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

मैंने देखा

घटनाओं के होने से पूर्व दाऊद ने परमेश्वर को अपने जीवन में कार्य करते देखा

अपने सामने

अपने सम्मुख, अपने साथ

मेरी दाहिनी ओर

दाहिने पक्ष को मज़बूत माना जाता था। दाहिनी ओर का व्यक्ति या तो सबसे मज़बूत सेवक, या फिर सबसे मज़बूत सहायक समझा जाता था।

मेरा मन आनन्दित हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई

भीतरी आनंद को बाह्य रूप से अभिव्यक्त किया गया है

मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा

“मैं जीवन भर परमेश्वर से आशा बांधे रहूँगा”

Acts 2:27

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को, पतरस भजन संहिता में निहित दाऊद के उद्धरणों के साथ आगे बढाता है

अपने पवित्र जन

“अपने अभिषिक्त अथवा चुने हुओं को”

सड़ने

उसका शरीर मृत न बना रहेगा कि वह सड़ने लगे। अनुवाद करते समय “सड़ने का अनुभव” भी लिख सकते हैं।

जीवन के मार्ग

“जीवनदायी सत्य”

Acts 2:29

x

में प्रारम्भ किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

कुलपति

पिता, पूर्वज पिता

शपथ

उद्घोषणा का गंभीर कथन

शपथ खाई है

बात की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए एक गंभीर कथन कहना

भाइयों

अर्थात भाइयों और बहनों

वह जानता था

प्रेरितों 1:27-28 में दाऊद ने पहले ही मसीह को देख लिया था और उसके विषय में कहा था

Acts 2:32

x

में प्रारम्भ किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

परमेश्वर के दाहिने हाथ से

“विश्वसनीयता, आदर, अनुमोदन, विश्वास, भरोसे, सामर्थ और परमेश्वर के विशेषाधिकारों का स्थान।”

Acts 2:34

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा

“प्रभु (परमेश्वर) ने मेरे प्रभु (मसीह) से कहा”

मेरे दाहिने बैठ

मेरे पास “आदर, विश्वास, विशेषाधिकारों और सामर्थ का स्थान ग्रहण कर”,

जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों तले की चौकी न कर दूं

“जब ताकि मैं तेरे बैरियों को ठिकाने न लगा दूं, या फिर, हरा न दूं”

Acts 2:37

सुननेवालों के हृदय छिद गए

यह बताने के लिए कि सुननेवालों के लिए इस बात को सुनना कितना कष्टदायी था, लूका आलंकारिक भाषा का प्रयोग करता है।

यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी संतानों...के लिए भी है

“यह प्रतिज्ञा तुम्हारे, और संतानों के लिए है”

Acts 2:40

अपने आप को .......बचाओ

अपने आप को .......से अलग करो

टेढ़ी जाति से बचाओ

नैतिक और आत्मिक रूप से भ्रष्ट जाति से बचाओ

ग्रहण किया

विश्वास किया, स्वीकार किया

उन्होंने बपतिस्मा लिया

यीशु के शिष्यों ने उन्हें बपतिस्मा दिया

Acts 2:43

उनकी सब वस्तुएं साझे की थी

“उन्होंने अपनी सब वस्तुएं सबके साथ, आपस में बाँट ली”

बाँट दिया करते थे

वस्तुएं दे देते थे, या कि उसे बेचने से मिले धन को बाँट लेते थे, या फिर उस धन को दे देते थे

भय

भय -श्रृद्धापूर्ण भय

इकट्ठे रहते थे

विश्वास में एक होकर इकट्ठे रहते थे

जिसकी आवश्यकता होती थी

जब कोई विश्वासी अपनी आवश्यकता प्रकट करता था, या कि उसकी आवश्यकता दिखाई देती थी तो अन्य विश्वासी उस आवश्यकता को पूरा करते थे

Acts 2:46

एक मन होकर

“एक मनसा”

वे लगातार यही करते थे

अर्थात “विश्वासी प्रतिदिन....एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे”

रोटी तोड़ते

भोजन आपस में बाँटते थे, परभू भोज साँझा करते थे (यूडीबी)।

मन की सीधे से

बिना किसी घमंड के, सरल भाव के साथ, बिना किसी औपचारिकता के, बिना किसी पद या विशेषाधिकार के भाव के

सब लोग उनसे प्रसन्न थे

सब लोग उनका सम्मान करते थे


Translation Questions

Acts 2:1

किस यहूदी पर्व के दिन सारे शिष्य (प्रेरित) इकट्ठे थे?

पिन्तेकुस्त के दिन प्रेरित इकट्ठे थे।

Acts 2:4

जब पवित्र-आत्मा घर के अन्दर उतरा तब शिष्यों ने क्या करना प्रारम्भ कर दिया?

शिष्य अन्य-अन्य भाषा बोलने लगे।

Acts 2:5

यरूशलेम में इस समय यहूदी भक्त कहाँ के थे?

यहूदी भक्त आकाश के नीचे के हर राष्ट्र से थे।

Acts 2:6

शिष्यों का प्रचार सुनकर भीड़ क्यों विस्मित हो गई थी?

भीड़ विस्मित हो गई थी क्योंकि हर एक उन्हें अपनी भाषा में बोलते हुए सुनाई दे रहा था।

Acts 2:11

मार्ग में शिष्य क्या चर्चा कर रहे थे?

शिष्य परमेश्वर के बड़े-बड़े कार्यों के बारे में चर्चा कर रहे थे।

Acts 2:13

कुछ जो शिष्यों का ठट्ठा कर रहे थे, उन्होंने क्या सोचा?

जो शिष्यों का ठठ्ठा कर रहे थे, उन्होंने सोचा कि वे नई मदिरा के नशे में हैं।

Acts 2:16

पतरस ने क्या कहा कि इस समय क्या बात पूरी हो रही है?

पतरस ने कहा कि योएल की भविष्यद्वाणी पूरी हो रही थी, क्योंकि परमेश्वर ने कहा था कि वह अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उण्डेलेगा।

Acts 2:21

योएल की भविष्यद्वाणी के अनुसार उद्धार पानेवाला कौन हैं?

योएल की भविष्यद्वाणी के अनुसार हर एक जो प्रभु का नाम लेता है, उद्धार पाया हुआ है।

Acts 2:22

यीशु की सेवकाई किस प्रकार परमेश्वर ने कैसे प्रमाणित की?

यीशु की सेवकाई का प्रमाण सामर्थ्य के कामों और आश्चर्य के कर्मों और चिन्हों से प्रगट है जो परमेश्वर ने उसके द्वारा किये।

Acts 2:23

यह किसकी योजना थी कि यीशु को क्रूस पर चढ़ाया जाए?

परमेश्वर की निर्धारित योजना के अनुसार ही यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था।

Acts 2:25

पुराने नियम की पुस्तक में राजा दाऊद ने परमेश्वर के पवित्र जन के बारे में क्या भविष्यद्वाणी की?

राजा दाऊद ने भविष्यवाणी की कि परमेश्वर अपने पवित्र जन का नाश नहीं होने देगा।

Acts 2:30

परमेश्वर ने राजा दाऊद से उसके वंश के बारे में क्या शपथ खाई?

परमेश्वर ने राजा दाऊद से शपथ खाई कि उसके वंश में से एक सिंहासन पर बैठेगा।

Acts 2:32

??

परमेश्वर का वह पवित्र जन कौन था जिसने नाश नहीं देखा और जिसके लिए सिंहासन पर बैठने की भविष्यवाणी की गई?यीशु वह पवित्र जन था जिसके लिए भविष्यद्वाणी की गई थी कि वह राजा होगा।

Acts 2:36

पतरस ने परमेश्वर द्वारा यीशु को दी गई किन दो उपाधियों का प्रचार किया?

परमेश्वर ने यीशु को प्रभु और मसीह दोनों बताया।

Acts 2:37

जब भीड़ ने पतरस का प्रचार सुना तो उस पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

भीड़ ने पूछा कि वे क्या करें।

Acts 2:38

पतरस ने भीड़ को क्या करने को कहा?

पतरस ने भीड़ से मन फिराने और अपने-अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेने को कहा।

Acts 2:39

पतरस ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा किसके लिए बताई?

पतरस ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा भीड़, उनकी सन्तानों और सब दूर-दूर के लोगों के लिए बताई।

Acts 2:41

उस दिन कितने लोगों को बपतिस्मा दिया गया?

करीब तीन हजार लोगों को बपतिस्मा दिया गया।

Acts 2:42

बपतिस्मा पाये लोग किस बात में लौलीन रहे?

वे प्रेरितों से शिक्षा पाने और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।

Acts 2:44

वे जिन्होंने विश्वास किया उन्होंने जरूरतमन्दों की सहायता किस प्रकार की?

उन्होंने अपनी-अपनी सम्पत्ति और सामान बेचा और जैसी जिसको आवश्यकता होती थी, उनको बाँट दी।

Acts 2:46

इस समय विश्वासी कहाँ इकट्ठे हो रहे थे?

विश्वासी मन्दिर में जा रहे थे।

Acts 2:47

विश्वासियों के समूह में कौन किसको प्रतिदिन मिलाता जाता था?

प्रभु उद्धार पाये हुए लोगों को प्रतिदिन उनमें मिला देता था।


Chapter 3

1 पतरस और यूहन्ना तीसरे पहर प्रार्थना के समय मन्दिर में जा रहे थे। 2 और लोग एक जन्म के लँगड़े को ला रहे थे, जिसको वे प्रतिदिन मन्दिर के उस द्वार पर जो ‘सुन्दर’ कहलाता है, बैठा देते थे, कि वह मन्दिर में जानेवालों से भीख माँगे। 3 जब उसने पतरस और यूहन्ना को मन्दिर में जाते देखा, तो उनसे भीख माँगी।

4 पतरस ने यूहन्ना के साथ उसकी ओर ध्यान से देखकर कहा, “हमारी ओर देख!” 5 अतः वह उनसे कुछ पाने की आशा रखते हुए उनकी ओर ताकने लगा। 6 तब पतरस ने कहा, “चाँदी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूँ; यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर।”

7 और उसने उसका दाहिना हाथ पकड़ के उसे उठाया; और तुरन्त उसके पाँवों और टखनों में बल आ गया। 8 और वह उछलकर खड़ा हो गया, और चलने-फिरने लगा; और चलता, और कूदता, और परमेश्‍वर की स्तुति करता हुआ उनके साथ मन्दिर में गया।

9 सब लोगों ने उसे चलते-फिरते और परमेश्‍वर की स्तुति करते देखकर, 10 उसको पहचान लिया कि यह वही है, जो मन्दिर के ‘सुन्दर’ फाटक पर बैठ कर भीख माँगा करता था; और उस घटना से जो उसके साथ हुई थी; वे बहुत अचम्भित और चकित हुए।

11 जब वह पतरस और यूहन्ना को पकड़े हुए था, तो सब लोग बहुत अचम्भा करते हुए उस ओसारे में जो सुलैमान का कहलाता है, उनके पास दौड़े आए। 12 यह देखकर पतरस ने लोगों से कहा, “हे इस्राएलियों, तुम इस मनुष्य पर क्यों अचम्भा करते हो, और हमारी ओर क्यों इस प्रकार देख रहे हो, कि मानो हमने अपनी सामर्थ्य या भक्ति से इसे चलने-फिरने योग्य बना दिया।

13 अब्राहम और इसहाक और याकूब के परमेश्‍वर*, हमारे पूर्वजों के परमेश्‍वर ने अपने सेवक यीशु की महिमा की, जिसे तुम ने पकड़वा दिया, और जब पिलातुस ने उसे छोड़ देने का विचार किया, तब तुम ने उसके सामने यीशु का तिरस्कार किया। 14 तुम ने उस पवित्र और धर्मी* का तिरस्कार किया, और चाहा की, एक हत्यारे को तुम्हारे लिये छोड़ दिया जाए।

15 और तुम ने जीवन के कर्ता को मार डाला, जिसे परमेश्‍वर ने मरे हुओं में से जिलाया; और इस बात के हम गवाह हैं।

16 और उसी के नाम ने, उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है, इस मनुष्य को जिसे तुम देखते हो और जानते भी हो सामर्थ्य दी है; और निश्चय उसी विश्वास ने जो यीशु के द्वारा है, इसको तुम सब के सामने बिलकुल भला चंगा कर दिया है। 17 “और अब हे भाइयों, मैं जानता हूँ कि यह काम तुम ने अज्ञानता से किया, और वैसा ही तुम्हारे सरदारों ने भी किया। 18 परन्तु जिन बातों को परमेश्‍वर ने सब भविष्यद्वक्ताओं के मुख से पहले ही बताया था, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा; उन्हें उसने इस रीति से पूरा किया।

19 इसलिए, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाएँ जाएँ, जिससे प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएँ। 20 और वह उस यीशु को भेजे जो तुम्हारे लिये पहले ही से मसीह ठहराया गया है।

21 अवश्य है कि वह स्वर्ग में उस समय तक रहे जब तक कि वह सब बातों का सुधार* न कर ले जिसकी चर्चा प्राचीनकाल से परमेश्‍वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुख से की है। 22 जैसा कि मूसा ने कहा, ‘प्रभु परमेश्‍वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ जैसा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा, जो कुछ वह तुम से कहे, उसकी सुनना।’ (व्य.18:15-18)

23 परन्तु प्रत्येक मनुष्य जो उस भविष्यद्वक्ता की न सुने, लोगों में से नाश किया जाएगा। (लैव्य. 23:29, व्य. 18:19)

24 और शमूएल से लेकर उसके बाद वालों तक जितने भविष्यद्वक्ताओं ने बात कहीं उन सब ने इन दिनों का सन्देश दिया है। 25 तुम भविष्यद्वक्ताओं की सन्तान और उस वाचा के भागी हो, जो परमेश्‍वर ने तुम्हारे पूर्वजों से बाँधी, जब उसने अब्राहम से कहा, ‘तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे घराने आशीष पाएँगे।’ (उत्प. 12:3, उत्प. 18:18, उत्प. 22:18, उत्प. 26:4)

26 परमेश्‍वर ने अपने सेवक को उठाकर पहले तुम्हारे पास भेजा, कि तुम में से हर एक को उसकी बुराइयों से फेरकर आशीष दे।”



Acts 3:1

मंदिर में

“मंदिर क्षेत्र में” या फिर, “मंदिर की ओर।” वे भीतरी भवन में नहीं गए थे, क्योंकि वहां केवल याजक जा सकते थे।

तीसरे पहर

“दोपहर तीन बजे” (यूडीबी)।

भीख

“भीख” का आशय उन पैसों से है जो लोग गरीबों को देते हैं। व्यक्ति गरीब था और अपने लिए पैसे मांग रहा था।

Acts 3:4

ध्यान से देख कर

“एकटक होकर देख कर” या फिर “उसे ध्यान से देख कर”

उनकी ओर ताकने लगा

“लंगड़ा व्यक्ति उन्हें गौर से देखने लगा”

चाँदी और सोना

इन्हें वाक्य की शुरुआत में यह बताने के लिए रखा गया है कि उस लंगड़े व्यक्ति को बस इन्हीं चीज़ों की आस थी, जो कि पतरस के पास नहीं थी, और पतरस के पास जो वस्तु थी, उससे इसकी तुलना दिखाने के लिए भी ऐसा किया गया है।

Acts 3:7

मंदिर में गया

इसका आशय मंदिर के प्रांगण से होगा। मंदिर के असल भवन के भीतर जाने की अनुमति केवल याजकों को थी।

Acts 3:9

द्वार जो ‘सुन्दर’ कहलाता है

“सुन्दर कहलाने वाले द्वार”

पहचान लिया

“देख लिया” अथवा “वे जान गए कि” अथवा “देखा”

अचंभित और चकित हुए

“बहुत हैरान हुए” (यूडीबी) या फिर “आश्चर्य और विस्मय से भर उठे”

Acts 3:11

जब

“जिस समय”

उस ओसारे में जो सुलैमान का कहलाता है

“सुलैमान के ओसारे में।” सुलैमान, बहुत समय पहले हुए इस्राएल के एक राजा का नाम था। ओसारे का आशय स्तंभों की पंक्ति से है जिनके ऊपर एक छत भी होती है, और केवल एक तरफ से खुला होता है। अनुवाद करते समय इसे “सुलैमान का आँगन” भी लिख सकते हैं। सुलैमान का ओसारा बहुत विशाल था।

बहुत अचम्भा करते हुए

“अचम्भे से भरे हुए” या फिर “चकित होकर” या फिर “विस्मय से भर कर”

यह देखकर पतरस

“बढ़ती हुई भीड़ को देख कर पतरस ने” अथवा “लोगों को देख कर पतरस” (यूडीबी)

हे इस्राएलियों

“हे मेरे संगी इस्राएलियों” (यूडीबी)। पतरस भीड़ को संबोधित कर रहा था, “इस्राएलियों” का आशय वहाँ मौजूद सभी इस्राएलियों से था।

तुम....क्यों अचम्भा करते हो...?

यह आलंकारिक प्रश्न है। अनुवाद के समय यूं भी लिख सकते हैं कि “तुम्हे अचंभित नहीं होना चाहिए” यूडीबी।

क्यों इस प्रकार देख रहे हो

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है कि, “तुम्हें हम पर यूं दृष्टि लगाने की आवश्यकता नहीं हैं” या फिर, “हमें इस तरह टकटकी लगा कर देखने का कोई कारण नहीं है।”

हमारी

“हमारी” को यहाँ पतरस व यूहन्ना दोनों के लिए एक साथ और व्यक्तिगत रूप से प्रयुक्त किया गया है।

हम

“हम” को यहाँ पतरस व यूहन्ना दोनों के लिए एक साथ और व्यक्तिगत रूप से प्रयुक्त किया गया है।

मानो हम ही ने अपनी सामर्थ्य या भक्ति से इसे चलने-फिरने योग्य बना दिया

यह एक आलंकारिक प्रश्न है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “हमने इसे अपनी सामर्थ्य या भक्ति से नहीं चलाया।” नोट: मूल हिंदी अनुवाद में “चलने-फिरने के योग्य” लिखना बेहतर होगा। कृपया “के” शब्द का भी प्रयोग करें।

Acts 3:13

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

जिसे तुमने पकड़वा दिया

“जिसे तुम पीलातुस के पास ले गए”

तब तुम ने उसके सामने उसका इनकार किया

“तब तुमने पीलातुस के आगे उसका इनकार किया”

जब पिलातुस ने उसे छोड़ने का विचार किया,

“जब पीलातुस ने यीशु को मुक्त करने का निर्णय लिया”

एक हत्यारे को तुम्हारे लिए छोड़ दिया जाए

इसे सक्रिय क्रियापद की भांति अनूदित किया जा सकता है: “कि पीलातुस तुम्हें एक हत्यारा दे दे।”

तुम्हारे लिए छोड़ दिया जाए

“तुम्हे दे दे।” इसका आशय “कृपा के रूप में देने” से है। यहाँ बंधन से “मुक्त” करने का भाव नहीं है।

Acts 3:15

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

जीवन का राजकुमार

"जीवन के कर्ता" (यू.डी.बी)या “जीवन का शासक”

इस मनुष्य को .....सामर्थ्य दी है

“इस मनुष्य को....जिसे तुम देखते जानते भी हो

उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है

कुछ भाषाओँ में “विश्वास” शब्द संज्ञा रूप में नहीं होता, ऐसे में उसे क्रिया रूप में व्यक्त करने की ज़रुरत हो सकती है। यदि वाक्य में कर्ता को लिखना ज़रूरी हो, तो “हम’ शब्द के उपयुक्त रूप का प्रयोग करें।

Acts 3:17

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

Acts 3:19

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

मन फिराओ

“परमेश्वर की ओर फिरो”

जिस से प्रभु के सम्मुख से विश्रांति के दिन आएं

“जिस से प्रभु तुम्हें सामर्थ्य दे।”

तुम्हारे पाप मिटाए

“दूर किये” अथवा “रद्द कर दिए”

Acts 3:21

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

स्वर्ग में उस समय तक रहे...

जैसा कि पहले ही उल्लिखित था कि यीशु स्वर्ग में रहेगा।

जब तक कि वह सब बातों का सुधार न कर ले

“जब तक कि परमेश्वर सभी बातों का सुधार न कर ले”

जिसकी चर्चा प्राचीन काल से परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुख से की है

“परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं से सुधार के विषय बोलने को कहा”

प्राचीन काल से परमेश्वर ने अपने उसके पवित्र भविष्द्वक्ताओं

“बहुत समय पहले हुए पवित्र भविष्यद्वक्ताओं”

एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा

“किसी को भविष्यद्वक्ता होने के लिए चुनेगा” अथवा “किसी को भविष्यद्वक्ता होने का अधिकार देगा”

नाश किया जाएगा

“हटा दिया जाएगा” या कि “दूर किया जाएगा” अथवा “निकाल दिया जाएगा”

Acts 3:24

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

उसके बाद वालों

“शमूएल के बाद हुए भविष्यद्वक्ता”

इन दिनों

“इस समय” अथवा “इस समय जो हो रहा है” या फिर “जो बातें हो रही हैं”

तुम भविष्यद्वक्ताओं की संतान....हो

“तुम भविष्यद्वक्ताओं के वारिस हो।” अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “अपने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से परमेश्वर ने जो प्रतिज्ञा की है, वे तुम्हें मिलेगी।”

वाचा के भागी

“वाचा की संतान” या फिर, “वाचा के वारिस।” अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “परमेश्वर ने अपनी वाचा में जिसकी प्रतिज्ञा की है, वे तुम पाओगे।”

तेरे वंश

“तेरी संतान के कारण”

परमेश्वर ने अपने सेवक को उठाकर

“परमेश्वर द्वारा अपने सेवक को चुनने के बाद” अथवा “परमेश्वर द्वारा अपने सेवक को अधिकार दिए जाने के बाद”

अपने सेवक

यहाँ पर आशय परमेश्वर के मसीह से है।


Translation Questions

Acts 3:2

मन्दिर के रास्ते पर मन्दिर जाते हुए पतरस और यूहन्ना ने किसको देखा?

पतरस और यूहन्ना ने मंदिर के द्वार पर एक जन्म के लंगड़े को उनसे भीख माँगते देखा।

Acts 3:6

पतरस ने उस आदमी को क्या नहीं दिया?

पतरस ने उस आदमी को चाँदी और सोना नहीं दिया।

पतरस ने उस आदमी को क्या दिया?

पतरस ने उस आदमी को चलने-फिरने की सामर्थ्य दी।

Acts 3:8

जो कुछ पतरस ने उस आदमी को दिया, उसके प्रति उस आदमी को क्या प्रतिक्रिया हुई?

वह मन्दिर में चलते, कूदते और परमेश्वर की स्तुति करते हुए गया।

Acts 3:10

उन लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई, जिन्होंने उस आदमी को मन्दिर में देखा?

लोग बहुत चकित और अचम्भित हुए।

Acts 3:13

पतरस ने लोगों को क्या याद दिलाया कि उन्होंने यीशु के साथ क्या किया?

पतरस ने लोगों को याद दिलाया कि उन्होंने यीशु को पीलातुस के लिए पकड़वा दिया, उसका इन्कार किया और उसको मार डाला।

Acts 3:16

पतरस ने क्या कहा कि उस आदमी को किसने अच्छा किया?

पतरस ने कहा कि यीशु के नाम में उस आदमी के विश्वास ने उसको भला-चंगा कर दिया।

Acts 3:19

पतरस ने लोगों को क्या करने को कहा?

पतरस ने लोगों को मन फिराने के लिए कहा।

Acts 3:21

पतरस ने कहा कि किस समय तक यीशु स्वर्ग में रहे?

पतरस ने कहा कि वह स्वर्ग में उस समय तक रहे जब तक कि सब बातों का सुधार न कर ले।

Acts 3:22

मूसा ने यीशु के बारे में क्या कहा?

मूसा ने कहा कि प्रभु परमेश्वर उस जैसा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा, जिसको लोग सुनेंगे।

Acts 3:23

जो मनुष्य यीशु की न सुने उसके साथ क्या किया जाएगा?

जो मनुष्य यीशु की न सुने वह पूर्ण रूप से नाश किया जाएगा।

Acts 3:25

पुराने नियम की किस वाचा की बात पतरस ने लोगों को याद दिलाई?

पतरस ने लोगों को याद दिलाया कि वे भविष्यद्वक्ताओं की सन्तान और उस वाचा के भागी हैं जिसे परमेश्वर ने अब्राहम से बाँधा जब परमेश्वर ने कहा, "तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे घराने आशीष पाएंगे।"

Acts 3:26

परमेश्वर ने किस प्रकार यहूदियों को आशीष देना चाहा?

परमेश्वर ने यहूदियों को आशीष देने की चाहत पहले यीशु को उनके पास भेजकर की ताकि वे अपनी बुराइयों से फिरें।


Chapter 4

1 जब पतरस और यूहन्ना लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। 2 वे बहुत क्रोधित हुए कि पतरस और यूहन्ना यीशु के विषय में सिखाते थे और उसके मरे हुओं में से जी उठने का प्रचार करते थे। 3 और उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि संध्या हो गई थी। 4 परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उनकी गिनती पाँच हजार पुरुषों के लगभग हो गई।

5 दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उनके सरदार और पुरनिए और शास्त्री। 6 और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। 7 और पतरस और यूहन्ना को बीच में खड़ा करके पूछने लगे, “तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है?”

8 तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उनसे कहा, 9 “हे लोगों के सरदारों और प्राचीनों*, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछ-ताछ की जाती है, कि वह कैसे अच्छा हुआ। 10 तो तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्‍वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है।

11 यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना* और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। (भज. 118:22-23, दानि. 2:34, 35) 12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सके।”

13 जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उनको पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं।

14 परन्तु उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़े देखकर, यहूदी उनके विरोध में कुछ न कह सके।

15 परन्तु उन्हें महासभा के बाहर जाने का आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, 16 “हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहनेवालों पर प्रगट है, कि इनके द्वारा एक प्रसिद्ध चिन्ह दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। 17 परन्तु इसलिए कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएँ, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें।” 18 तब पतरस और यूहन्ना को बुलाया और चेतावनी देकर यह कहा, “यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखाना।”

19 परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो, कि क्या यह परमेश्‍वर के निकट भला है, कि हम परमेश्‍वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें? 20 क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हमने देखा और सुना है, वह न कहें।”

21 तब उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया, क्योंकि लोगों के कारण उन्हें दण्ड देने का कोई कारण नहीं मिला, इसलिए कि जो घटना हुई थी उसके कारण सब लोग परमेश्‍वर की बड़ाई करते थे। 22 क्योंकि वह मनुष्य, जिस पर यह चंगा करने का चिन्ह दिखाया गया था, चालीस वर्ष से अधिक आयु का था।

23 पतरस और यूहन्ना छूटकर अपने साथियों के पास आए, और जो कुछ प्रधान याजकों और प्राचीनों ने उनसे कहा था, उनको सुना दिया। 24 यह सुनकर, उन्होंने एक चित्त होकर ऊँचे शब्द से परमेश्‍वर से कहा, “हे प्रभु, तू वही है जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उनमें है बनाया। (निर्ग. 20:11, भज. 146:6) 25 तूने पवित्र आत्मा के द्वारा अपने सेवक हमारे पिता दाऊद के मुख से कहा,

     ‘अन्यजातियों ने हुल्लड़ क्यों मचाया?

     और देश-देश के लोगों ने क्यों व्यर्थ बातें सोची?

    26 प्रभु और उसके अभिषिक्त के विरोध में पृथ्वी के राजा खड़े हुए, और हाकिम एक साथ इकट्ठे हो गए।’ (भज. 2:1,2)

27 क्योंकि सचमुच तेरे पवित्र सेवक यीशु के विरोध में, जिसे तूने अभिषेक किया, हेरोदेस और पुन्तियुस पिलातुस भी अन्यजातियों और इस्राएलियों के साथ इस नगर में इकट्ठे हुए, (यशा. 61:1) 28 कि जो कुछ पहले से तेरी सामर्थ्य और मति से ठहरा था वही करें।

29 अब हे प्रभु, उनकी धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ। 30 और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया*, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए, और परमेश्‍वर का वचन साहस से सुनाते रहे।

32 और विश्वास करनेवालों की मण्डली एक चित्त और एक मन के थे यहाँ तक कि कोई भी अपनी सम्पत्ति अपनी नहीं कहता था, परन्तु सब कुछ साझे का था। 33 और प्रेरित बड़ी सामर्थ्य से प्रभु यीशु के जी उठने की गवाही देते रहे और उन सब पर बड़ा अनुग्रह था।

34 और उनमें कोई भी दरिद्र न था, क्योंकि जिनके पास भूमि या घर थे, वे उनको बेच-बेचकर, बिकी हुई वस्तुओं का दाम लाते, और उसे प्रेरितों के पाँवों पर रखते थे। 35 और जैसी जिसे आवश्यकता होती थी, उसके अनुसार हर एक को बाँट दिया करते थे।

36 और यूसुफ नामक, साइप्रस का एक लेवी था जिसका नाम प्रेरितों ने बरनबास अर्थात् (शान्ति का पुत्र) रखा था। 37 उसकी कुछ भूमि थी, जिसे उसने बेचा, और दाम के रुपये लाकर प्रेरितों के पाँवों पर रख दिए।



Acts 4:1

मंदिर के सरदार

मंदिर के मुख्य पहरेदार

उन पर चढ़ आये

“उनके पास गए” अथवा “उनके पास पहुँच गए”

वे बहुत क्रोधित

पतरस ने यीशु और उसके पुनरुत्थान के विषय में उपदेश दिया था। इस बात ने सदूकियों में क्रोध भर दिया था क्योंकि वे यीशु के पुनरुत्थान पर विश्वास नहीं करते थे।

उनकी गिनती

विशेषकर पुरुषों की संख्या।

क्योंकि संध्या हो गयी थी

उन दिनों शाम के समय लोगों से तर्क-वितर्क न करने की परंपरा थी।

पांच हज़ार पुरुषों के लगभग हो गयी थी

“पुरुषों की संख्या लगभग पांच हज़ार हो गयी थी” अथवा “पुरुषों की संख्या बढ़ कर लगभग पांच हज़ार हो गयी थी।”

Acts 4:5

तुमने यह काम किस सामर्थ्य से

“तुम्हें यह काम करने की सामर्थ्य किसने दी” (यूडीबी) अथवा “तुम्हें यह काम करने की सामर्थ्य कहाँ से मिली।” उन्हें यह मालूम था कि पतरस व यूहन्ना अपनी सामर्थ्य से उस व्यक्ति को चंगाई नहीं दे सकते थे।

किस नाम से

“किसके सामर्थ देने से”

Acts 4:8

इस्राएली लोग

इस्राएलवासियों

Acts 4:11

x

में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है

कोने के सिरे का पत्थर

कोने के सिरे का पत्थर - यहाँ पर रूपक अलंकार का प्रयोग है। जिस प्रकार कोने को बुनियाद में लगाया जाता है और आगे के निर्माण के लिए उसे आधार की तरह लिया जाता है। यीशु हमारे उद्धार की एकमात्र बुनियाद है।

Acts 4:13

जब उन्होंने....हियाव देखा

“उन्होंने” का आशय समूह के अगुओं से है।

यह जाना

“समझ गए” अथवा “जान गए”

ये अनपढ़ साधारण मनुष्य

“ये” का आशय यहाँ पतरस व यूहन्ना से है

अनपढ़

“प्रशिक्षित” अथवा “औपचारिक शिक्षा से रहित”

Acts 4:15

हम इसका इन्कार नहीं कर सकते

“हम इस आश्चर्यकर्म को नकार नहीं सकते।” यरूशलेम का हर व्यक्ति उस व्यक्ति की चंगाई के बारे में जान गया था।।

उन्हें

अर्थात पतरस व पौलुस

किसी मनुष्य से बात न करें

“किसी से और कुछ न कहें”

Acts 4:19

हम से हो नहीं सकता कि .......वह न कहें

हम विवश हैं कि ....वह कहें.

परमेश्वर के निकट भला है

परमेश्वर के समक्ष भला है और उसे आदर देता है

Acts 4:21

उन्हें दंड देने का कोई दांव नहीं मिला

अगुओं यह समझ नहीं आया कि जो लोग उस व्यक्ति की चंगाई के गवाह थे, उनके बीच बिना किसी उपद्रव के वे किस प्रकार पतरस और यूहन्ना को दंड दें

और धमकाकर छोड़ दिया

अगुओं ने उन्हें आगे और दंड देने की धमकी डी

वह मनुष्य.....चालीस वर्ष से अधिक आयु का था

यह बात सभी जानते थे कि वह एक अपाहिज था और उसे हाल ही में चंगाई मिली थी।

Acts 4:23

अपने साथियों के पास आए

अपने साथियों के पास आए -वे अन्य विश्वासियों के पास गए

एक चित्त होकर ऊँचें शब्द से परमेश्वर से कहा

एक चित्त होकर ऊँचें शब्द से परमेश्वर से कहा -वे मन-सबुद्धि से एक थे

व्यर्थ बातें सोंची

बेकार की बातें, अवास्तविक बातें

Acts 4:26

x

में, भजन संहिता में निहित राजा दाऊद पर शुरु किये अपने उद्धरण को पतरस आगे बढाता है

एक साथ इकट्ठे हो गए

वे साथ हो लिए। उन्होंने अपनी सेनायें मिला ली।

Acts 4:27

x

विश्वासी जन में शुरू की अपनी प्रार्थना को आगे बढ़ाते हैं

हेरोदेस और पुन्तियुस पीलातुस भी अन्य जातियों और इस्राएलियों के साथ इस नगर में इकट्ठे हुए

दाऊद ने केवल गैर-यहूदी जातियों को शामिल किया था, लेकिन पतरस में इस्राएल और उसके शासकों को भी मसीह के विरोधियों में गिना

इस नगर में

अर्थात यरूशलेम में

Acts 4:29

x

विश्वासी जन में शुरू की अपनी प्रार्थना को आगे बढ़ाते हैं

उनकी धमकियों को देख कर

उनकी धमकियों को देख कर -इसी कारण से शिष्यों को परमेश्वर का वचन बोलने का हियाव दिया गया था।

तेरा वचन बड़े हियाव से सुनाएँ

यह शिष्यों का पवित्र आत्मा से भरने का परिणाम था

Acts 4:32

और विश्वास करनेवालों की मंडली

“विश्वास करनेवालों बहुत से लोग...”

उन सब पर बड़ा अनुग्रह था

इसका आशय है कि 1)परमेश्वर बहुत से विश्वासियों पर बहुत से वरदान और हियाव उंडेल रहा था या फिर 2) यरूशलेम के अन्य सभी लोग विश्वासियों को आदर की दृष्टि से देखते थे।

Acts 4:34

बेच-बेचकर बिकी हुई वस्तुओं का.....दाम लाते थे और उसे प्रेरितों के पावों पर रखते थे और अपनी आवश्यकता के अनुसार ...हर एक को बाँट दिया करते थे

बहुत से विश्वासियों ने ऐसा एक बार नहीं, वरन बार-बार ऐसा किया

प्रेरितों के पांवों पर रखते थे

ऐसा करने के द्वारा विश्वासी यह वयक्त करते थे कि : 1) उनका मन-पर्तिवर्तन हो चुका है और यह कि 2) वरदानों को बांटने का अधिकार वे प्रेरितों को दे रहे थे

जैसे जिसे आवश्यकता होती थी

ऐसा लगता है कि विश्वासियों की आवश्यकताओं पर नज़र रखी जाती थी; बस किसी के कहने भर से उनसे सामान नहीं दिया जाता था।

Acts 4:36

युसूफ नामक, साइप्रस का एक लेवी था

कहानी के इस अंश में बरनबास का प्रवेश होता है। आगे चल कर वह लूका रचित प्रेरितों के कार्य की पुस्तक में बड़ी भूमिका निभाता है। कहानी में इस नए व्यक्ति के प्रवेश को व्यक्त करते समय अपनी भाषा में शब्दों के चुनाव पर विशेष ध्यान दें।

प्रेरितों के पांवों पर रख दिए

इस प्रकार देना विश्वासियों के मध्य आम प्रथा थी, और यह इस बात का प्रतीक थी कि उपहार को अपने अनुसार प्रयोग करने का अधिकार प्रेरितों को सौंप दिया गया है।


Translation Questions

Acts 4:2

पतरस और यूहन्ना मंदिर में लोगों को क्या शिक्षा दे रहे थे?

पतरस और यूहन्ना यीशु और उसके मरे हुओं में से जी उठने के बारे में शिक्षा दे रहे थे।

Acts 4:3

मंदिर के याजकों, पुरनियों और शास्त्रियों पर पतरस और यूहन्ना की शिक्षा का क्या असर हुआ?

उन्होंने पतरस और यूहन्ना को गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया।

Acts 4:4

लोगों पर पतरस और यूहन्ना की शिक्षा का क्या असर हुआ?

करीब पाँच हजार (बहुत से) लोगों ने विश्वास किया।

Acts 4:9

फिलिप्पुस सुसमाचार प्रचारक के विषय में हम क्या जानते हैं?

फिलिप्पुस की चार कुंवारी पुत्रियाँ थीं जो भविष्यद्वाणी करतीं थीं।

Acts 4:10

पतरस ने क्या कहा कि मन्दिर में उस मनुष्य को उसने किस सामर्थ्य या नाम से चंगा किया?

पतरस ने उत्तर दिया कि उसने यीशु मसीह के नाम से उस मनुष्य को मन्दिर में चंगा किया।

Acts 4:12

पतरस ने क्या कहा कि कौन सा एक अकेला तरीका है जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकते हैं?

पतरस ने कहा कि यीशु के अलावा और कोई दूसरा नाम नहीं, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें।

Acts 4:14

पतरस और यूहन्ना के खिलाफ यहूदी अगुवे कुछ क्यों न कह सके?

अगुवे कुछ न कह सके क्योंकि जिस मनुष्य को चंगा किया गया था, वह पतरस और यूहन्ना के साथ खड़ा था।

Acts 4:18

यहूदी अगुवे ने पतरस और यूहन्ना को क्या न करने की चेतावनी दी?

यहूदी अगुवे ने पतरस और यूहन्ना को चेतावनी दी कि यीशु के विषय में न बोलें और न सिखलाएं।

Acts 4:20

पतरस और यूहन्ना ने यहूदी अगुवों को किस प्रकार उत्तर दिया?

पतरस और यूहन्ना ने उत्तर दिया कि यह तो उनसे हो नहीं सकता कि जो बातें उन्होंने सुनी और देखी है, वह न कहें।

Acts 4:29

विश्वासियों को यहूदी अगुवों की चेतावनी से जो प्रतिक्रिया हुई उसके लिए परमेश्वर से क्या माँगा?

विश्वासियों ने मांगा कि वे यीशु के नाम में बड़े हियाव से वचन को सुना सकें, और चिन्ह और अद्भुत काम कर सकें।

Acts 4:31

जब विश्वासी अपनी प्रार्थना कर चुके तो क्या हुआ?

जब विश्वासी अपनी प्रार्थना समाप्त कर चुके तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया, वे सब पवित्र-आत्मा से भर गए और परमेश्वर का वचन हियाव से सुनाते रहे।

Acts 4:32

विश्वासियों की आवश्यकताएं कैसे पूरी होती थीं?

विश्वासियों का सब कुछ साझे का था, और जिनके पास सम्पत्ति थी उन्होंने उसे बेचा और उसका दाम लाकर प्रेरितों को दे दिया ताकि आवश्यकता के अनुसार उसे बाँट दिया जाए।

Acts 4:36

वह मनुष्य जिसने अपनी भूमि बेच दी और रुपया प्रेरितों को दे दिया उसको नया नाम क्या दिया गया जिसका अर्थ है "शांति का पुत्र"?

बरनबास नामक व्यक्ति का अर्थ है "शान्ति का पुत्र" ।


Chapter 5

1 हनन्याह नामक एक मनुष्य, और उसकी पत्‍नी सफीरा ने कुछ भूमि बेची। 2 और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा; और यह बात उसकी पत्‍नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्रेरितों के पाँवों के आगे रख दिया।

3 परन्तु पतरस ने कहा, “हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े? 4 जब तक वह तेरे पास रही, क्या तेरी न थी? और जब बिक गई तो क्या तेरे वश में न थी? तूने यह बात अपने मन में क्यों सोची? तूने मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्‍वर से झूठ बोला है।” 5 ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा*, और प्राण छोड़ दिए; और सब सुननेवालों पर बड़ा भय छा गया। 6 फिर जवानों ने उठकर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया।

7 लगभग तीन घंटे के बाद उसकी पत्‍नी, जो कुछ हुआ था न जानकर, भीतर आई। 8 तब पतरस ने उससे कहा, “मुझे बता क्या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी?” उसने कहा, “हाँ, इतने ही में।”

9 पतरस ने उससे कहा, “यह क्या बात है, कि तुम दोनों प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिए एक साथ सहमत हो गए? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएँगे।” 10 तब वह तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए; और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया। 11 और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुननेवालों पर, बड़ा भय छा गया।

12 प्रेरितों के हाथों से बहुत चिन्ह और अद्भुत काम लोगों के बीच में दिखाए जाते थे, और वे सब एक चित्त होकर सुलैमान के ओसारे में इकट्ठे हुआ करते थे। 13 परन्तु औरों में से किसी को यह साहस न होता था कि, उनमें जा मिलें; फिर भी लोग उनकी बड़ाई करते थे।

14 और विश्वास करनेवाले बहुत सारे पुरुष और स्त्रियाँ प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे*। 15 यहाँ तक कि लोग बीमारों को सड़कों पर ला-लाकर, खाटों और खटोलों पर लिटा देते थे, कि जब पतरस आए, तो उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए। 16 और यरूशलेम के आस-पास के नगरों से भी बहुत लोग बीमारों और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुओं को ला-लाकर, इकट्ठे होते थे, और सब अच्छे कर दिए जाते थे।

17 तब महायाजक और उसके सब साथी जो सदूकियों के पंथ के थे, ईर्ष्या से भर कर उठे। 18 और प्रेरितों को पकड़कर बन्दीगृह में बन्द कर दिया।

19 परन्तु रात को प्रभु के एक स्वर्गदूत ने बन्दीगृह के द्वार खोलकर उन्हें बाहर लाकर कहा, 20 “जाओ, मन्दिर में खड़े होकर, इस जीवन की सब बातें लोगों को सुनाओ।” 21 वे यह सुनकर भोर होते ही मन्दिर में जाकर उपदेश देने लगे। परन्तु महायाजक और उसके साथियों ने आकर महासभा को और इस्राएलियों के सब प्राचीनों को इकट्ठा किया, और बन्दीगृह में कहला भेजा कि उन्हें लाएँ।

22 परन्तु अधिकारियों ने वहाँ पहुँचकर उन्हें बन्दीगृह में न पाया, और लौटकर संदेश दिया, 23 “हमने बन्दीगृह को बड़ी सावधानी से बन्द किया हुआ, और पहरेवालों को बाहर द्वारों पर खड़े हुए पाया; परन्तु जब खोला, तो भीतर कोई न मिला।”

24 जब मन्दिर के सरदार और प्रधान याजकों ने ये बातें सुनीं, तो उनके विषय में भारी चिन्ता में पड़ गए कि उनका क्या हुआ! 25 इतने में किसी ने आकर उन्हें बताया, “देखो, जिन्हें तुम ने बन्दीगृह में बन्द रखा था, वे मनुष्य मन्दिर में खड़े हुए लोगों को उपदेश दे रहे हैं।”

26 तब सरदार, अधिकारियों के साथ जाकर, उन्हें ले आया, परन्तु बलपूर्वक नहीं, क्योंकि वे लोगों से डरते थे, कि उन पर पत्थराव न करें। 27 उन्होंने उन्हें फिर लाकर महासभा के सामने खड़ा कर दिया और महायाजक ने उनसे पूछा, 28 “क्या हमने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? फिर भी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।”

29 तब पतरस और, अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्त्तव्य है। 30 हमारे पूर्वजों के परमेश्‍वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था। (व्य. 21:22-23) 31 उसी को परमेश्‍वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वो‍च्च किया, कि वह इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान करे। (लूका 24:47) 32 और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्‍वर ने उन्हें दिया है, जो उसकी आज्ञा मानते हैं।”

33 यह सुनकर वे जल उठे, और उन्हें मार डालना चाहा। 34 परन्तु गमलीएल* नामक एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, महासभा में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी।

35 तब उसने कहा, “हे इस्राएलियों, जो कुछ इन मनुष्यों से करना चाहते हो, सोच समझ के करना। 36 क्योंकि इन दिनों से पहले थियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूँ; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिए, परन्तु वह मारा गया; और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हुए और मिट गए। 37 उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिए; वह भी नाश हो गया, और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हो गए।

38 इसलिए अब मैं तुम से कहता हूँ, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उनसे कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह योजना या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा; 39 परन्तु यदि परमेश्‍वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्‍वर से भी लड़नेवाले ठहरो।”

40 तब उन्होंने उसकी बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना। 41 वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। 42 इसके बाद हर दिन, मन्दिर में और घर-घर में, वे लगातार सिखाते और प्रचार करते थे कि यीशु ही मसीह है।



Acts 5:1

अब

अथवा ‘’लेकिन अब’’। कहानी में आये नए मोड़ का संकेत देने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। हमें अपनी भाषोचित अभिव्यक्ति का प्रयोग करना है।

एक मनुष्य

यह उस मनुष्य का परिचय देने का एक तरीका है। ध्यान दें कि कहानी में किसी नए व्यक्ति के प्रवेश को आपकी भाषा में किस प्रकार व्यक्त किया जाता है।

उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा

बेच कर प्राप्त हुई रकम के विषय में उसने प्रेरितों से झूठ बोला। इसमें अन्तर्निहित जानकारी को उभार कर इस प्रकार भी लिख सकते हैं: “बेच कर प्राप्त हुई रकम में से उसने कुछ राशि चुपके से अपने पास रख ली।”

प्रेरितों के पांवों पर रख दिए

इस प्रकार देना विश्वासियों के मध्य आम प्रथा थी, और यह इस बात का प्रतीक थी कि उपहार को अपने अनुसार प्रयोग करने का अधिकार प्रेरितों को सौंप दिया गया है।

उसकी पत्नी भी जानती थी

उसकी पत्नी भी जानती थी -अनुवाद करते समय हम यह भी लिख सकते हैं कि, “उसकी पत्नी को यह बात मालूम थी और वह ऐसा करने के लिए तैयार हो गयी।”

Acts 5:3

शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली

पतरस ने भाषाडम्बर से भरा यह प्रश्न हनन्याह को फटकारने के लिए पूछा था

क्या तेरी न थी....क्या तेरे वश में न थी

इस प्रश्न को पूछने के द्वारा पतरस हनन्याह को यह याद दिलाना चाहता है कि : पैसे तब भी हनन्याह के ही थे और वे तब भी हनन्याह के वश में ही थे।

तूने यह बात अपने मन में क्यों विचारी?

इस प्रश्न के द्वारा पतरस हनन्याह को फटकार लगा रहा है।

फिर जवानों ने उठकर

यहाँ पर शाब्दिक अर्थ का प्रयोग है, अर्थात “जवान उठ कर आये...” यह किसी काम को करने की पहल को व्यक्त करता है।

उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया

किसी की मृत्यु पर शव को अंतिम गाड़ने से पहले तैयार किया जाता था। ऐसा प्रतीत होता है कि हनन्याह के मामले में ऐसा नहीं किया गया।

Acts 5:7

जो कुछ हुआ था

यह कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है

मुझे बता

पतरस ने उसे हाँ या ना में जवाब देने का आदेश दिया

भूमि इतने ही में बेची थी

यह कहानी हनन्याह के छल के विषय में है, न कि लेखा देने के विषय में। लूका ने भूमि के असल दाम का उल्लेख नहीं किया है।

Acts 5:9

यह क्या बात है, कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा की परिक्षा के लिए एका किया है

यह वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसे इस तरह भी अनूदित किया जा सकता है, कि “तुम दोनों ने आत्मा की परीक्षा लेने का एका किया है।”

और प्राण छोड़ दिए

यह “और वह मर गयी” के लिए शिष्टोक्ति है।

उनके पांवों पर

यह आलंकारिक भाषा है। वह हनन्याह को गाड़नेवाले के पैरों पर गिर पड़ी।

Acts 5:12

बहुत चिन्ह और अद्भुत काम लोगों के बीच में दिखाए जाते थे

“बहुत से आश्चर्यकर्म हो रहे थे” (यूडीबी देखें)

औरों में से किसी को

अर्थात, “जो भी कलीसिया का हिस्सा थे, उनमे से किसी को”

सुलैमान के ओसारे

यह मंदिर प्रांगण के भीतर स्थित था

बड़ाई करते थे

“बहुत सम्मान व आदर देते थे”

Acts 5:14

उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए

अर्थात, पतरस की छाया पड़ने पर वे चंगे हो जाएँ

Acts 5:17

तब

यहाँ से कहानी में बदलाव आता है। इस बदलाव को दिखाते समय अपनी भाषा का एकदम सटीक और सही प्रयोग करें।

डाह

“ईर्ष्या” या कि “आक्रोश।” सदूकियों की ईर्ष्या का मुख्य कारण था प्रेरितों को मिल रही ख्याति।

प्रेरितों को पकड़कर

अर्थात “प्रेरितों को बंदी बना कर।”

Acts 5:19

उन्हें बाहर लाकर कहा

“उन्हें जेल से बाहर निकाल कर कहा”

भोर होते ही

रात में मंदिर बंद रहता था। प्रेरितों ने स्वर्गदूत की बात पर यथासम्भव तेज़ी से अमल किया।

Acts 5:22

x

(वचन के इस हिस्से के लिए कोई नोट्स नहीं है।)

Acts 5:24

भारी चिंता में पड़ गए

“वे समझ नहीं पाए” या कि “वे विमूढ़ हो गए”

ये बातें सुनीं

अर्थात “वे जो उन्होंने अभी-अभी सुनी थी” (कि प्रेरित जेल में नहीं थे)

जिन्हें तुमने

‘तुमने’ यहाँ बहुवचन में है

Acts 5:26

कि हम पर पथराव न करें

कि हम पर पथराव न करें -अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिखा जा सकता है कि, “कि मंदिर के रक्षकों पर पथराव न करें।”

उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो

“उस व्यक्ति की मृत्यु के लिए हमें ज़िम्मेदार ठहराना चाहते हों”

आज्ञा

आज्ञा -आज्ञा (बहु.)

तुमने....भर दिया है

तुमने....भर दिया है -तुमने (बहु.)

Acts 5:29

इस्राएलियों को मन फिराव की शकित और पापों की क्षमा प्रदान करें

इस्राएलियों को मन फिराव की शकित और पापों की क्षमा प्रदान करें -अनुवाद करते समय यूं भी लिखा सकते हैं,कि “इस्राएलियों को अपने पापों से मन फिराने और अपने पापों की क्षमा प्राप्त करने का अवसर दिया।”

और पवित्र आत्मा भी

और पवित्र आत्मा भी -पवित्र आत्मा को एक व्यक्ति के रूप में संबोधित किया गया है जो यीशु के आश्चर्यकर्म के कार्यों को प्रमाणित कर सकता है।

Acts 5:33

वे जल गए

प्रेरितों द्वारा फटकारे जाने से परिषद् के सदस्यों को बहुत अधिक क्रोध आया।

Acts 5:34

सोच समझ के करना

“इस विषय में ध्यान से सोंचना” (यूडीबी), या फिर, “इस विषय में सावधान रहना”

Acts 5:38

x

में शुरू की अपनी बात को गमलीएल आगे बढाता है।

Acts 5:40

योग्य तो ठहरे

यीशु के लिए कष्ट भोगना एक सौभाग्य था।


Translation Questions

Acts 5:1

हनन्याह और सफीरा ने क्या पाप किया?

हनन्याह और सफीरा ने यह कहकर झूठ बोला कि वे अपनी सम्पत्ति को बेचकर पूरा दाम दे रहे थे जबकि उन्होंने उसके दाम का एक ही भाग दिया।

Acts 5:3

पतरस ने पूछा हनन्याह और सफीरा ने किससे झूठ बोला?

पतरस ने बताया कि हनन्याह और सफीरा ने पवित्र-आत्मा से झूठ बोला।

Acts 5:5

परमेश्वर ने हनन्याह और सफीरा का क्या न्याय किया?

परमेश्वर ने हनन्याह और सफीरा दोनों को मार दिया।

Acts 5:11

कलीसिया और उन सबने जिसने हनन्याह और सफीरा के बारे में सुना, उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

कलीसिया में हनन्याह और सफीरा के बारे में सुनने वालों पर बड़ा भय छा गया।

Acts 5:15

कुछ लोग बीमार को चंगाई दिलवाने के लिए क्या कर रहे थे?

कुछ लोग बीमारों को सड़कों पर ले जा रहे थे, ताकि पतरस की छाया ही उन पर पड़ जाए, और दूसरे लोग दूसरे शहरों से यरूशलेम में बीमारों को ला रहे थे।

Acts 5:17

यरूशलेम में बीमार चंगाई पा रहे थे, इसके प्रति सदूकियों की क्या प्रतिक्रिया थी?

सब सदूकी डाह से भर उठे और प्रेरितों को बन्दीगृह में बन्द कर दिया।

Acts 5:19

किस प्रकार से सब प्रेरित बन्दीगृह से बाहर निकले?

एक स्वर्गदूत आया और उसने बन्दीगृह के द्वार खोलकर उन्हें बाहर निकाला।

Acts 5:23

जब महायाजकों के प्यादे बन्दीगृह गये तो उन्होंने क्या पाया?

प्यादों में उन्हें बन्दीगृह में न पाया जबकि बन्दीगृह बड़ी चौकसी से बन्द किया गया था और पहरेदार द्वारों पर खड़े हुए थे।

Acts 5:26

प्यादे क्यों प्रेरितों को महायाजकों के पास ले आए किन्तु बलपूर्वक नहीं?

प्यादे डरते थे कि कहीं लोग उन्हें पत्थरवाह न करें।

Acts 5:29

प्रेरितों ने क्या कहा जब उनसे पूछा गया कि वे क्यों चेतावनी दिये जाने पर भी यीशु नाम से उपदेश दे रहे थे?

प्रेरितों ने उत्तर दिया, "हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए।"

Acts 5:30

प्रेरितों ने किसे यीशु को मार डालने का उत्तरदायी ठहराया?

प्रेरितों ने उत्तर दिया कि महायाजक और महासभा के सदस्य यीशु को मार डालने के उत्तरदायी थे।

Acts 5:33

महासभा के सदस्यों पर इस कथन का कि वे यीशु को मार डालने के उत्तरदायी थे, क्या प्रतिक्रिया हुई?

महासभा के सदस्य यह सुनकर जल गये और उन्हें मार डालना चाहा।

Acts 5:38

गमलीएल ने महासभा को क्या सलाह दी?

गमलीएल ने महासभा को प्रेरितों को अकेला छोड़ देने की सलाह दी।

Acts 5:39

गमलीएल ने महासभा को क्या चेतावनी दी कि उन्हें प्रेरितों को उखाड़ फेंकने की कोशिश समाप्त करनी होगी?

गमलीएल ने महासभा को चेतावनी दी कि वे परमेश्वर से लड़ाई करना छोड़ दें।

Acts 5:40

उसके स्वामी ने उसके साथ क्या किया?

महासभा ने प्रेरितों को पीटा और उन्हें यीशु के नाम से बातें न करने की आज्ञा देकर जाने दिया।

Acts 5:41

प्रेरितों पर महासभा से प्राप्त बर्ताव की क्या प्रतिक्रिया हुई?

प्रेरित इस बात से आनन्दित हुए कि वे यीशु के नाम के लिए निरादर के योग्य ठहरे।

Acts 5:42

महासभा से मिलने के बाद प्रेरितों ने प्रतिदिन क्या किया?

प्रेरितों ने प्रतिदिन उपदेश दिया और सुसमाचार सुनाया कि यीशु ही मसीह है।


Chapter 6

1 उन दिनों में जब चेलों की संख्या बहुत बढ़ने लगी, तब यूनानी भाषा बोलनेवाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रतिदिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती।

2 तब उन बारहों ने चेलों की मण्डली को अपने पास बुलाकर कहा, “यह ठीक नहीं कि हम परमेश्‍वर का वचन छोड़कर खिलाने-पिलाने की सेवा में रहें। 3 इसलिए हे भाइयों, अपने में से सात सुनाम पुरुषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हो, चुन लो, कि हम उन्हें इस काम पर ठहरा दें। 4 परन्तु हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।”

5 यह बात सारी मण्डली को अच्छी लगी, और उन्होंने स्तिफनुस नामक एक पुरुष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, फिलिप्पुस, प्रुखुरुस, नीकानोर, तीमोन, परमिनास और अन्ताकिया* वासी नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया। 6 और इन्हें प्रेरितों के सामने खड़ा किया और उन्होंने प्रार्थना करके उन पर हाथ रखे।

7 और परमेश्‍वर का वचन फैलता गया* और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई; और याजकों का एक बड़ा समाज इस मत के अधीन हो गया।

8 स्तिफनुस अनुग्रह और सामर्थ्य से परिपूर्ण होकर लोगों में बड़े-बड़े अद्भुत काम और चिन्ह दिखाया करता था। 9 तब उस आराधनालय में से जो दासत्व-मुक्त कहलाती थी, और कुरेनी और सिकन्दरिया और किलिकिया और आसिया के लोगों में से कई एक उठकर स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे।

10 परन्तु उस ज्ञान और उस आत्मा का जिससे वह बातें करता था, वे सामना न कर सके। 11 इस पर उन्होंने कई लोगों को उकसाया जो कहने लगे, “हमने इसे मूसा और परमेश्‍वर के विरोध में निन्दा* की बातें कहते सुना है।”

12 और लोगों और प्राचीनों और शास्त्रियों को भड़काकर चढ़ आए और उसे पकड़कर महासभा में ले आए। 13 और झूठे गवाह खड़े किए, जिन्होंने कहा, “यह मनुष्य इस पवित्रस्‍थान और व्यवस्था के विरोध में बोलना नहीं छोड़ता। (यिर्म. 26:11) 14 क्योंकि हमने उसे यह कहते सुना है, कि यही यीशु नासरी इस जगह को ढा देगा, और उन रीतियों को बदल डालेगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं।” 15 तब सब लोगों ने जो महासभा में बैठे थे, उसकी ओर ताक कर उसका मुख स्वर्गदूत के समान देखा*।



Acts 6:1

उन दिनों में

यहाँ एक नए प्रकरण की शुरुआत हो रही है। अपनी भाषा के अनुसार उपयुक्त शब्दों का चुनाव करें।

संख्या बहुत बढ़ने लगी

“संख्या में बहुत वृद्धि होने लगी”

यूनानी भाषा बोलनेवाले

ये वे यहूदी थे जिन्होंने अपना लगभग पूरा जीवन इस्राएल से बाहर, रोमी साम्राज्य में कहीं बिताया था, और वे यूनानी भाषा बोलते हुए बड़े हुए थे। उनकी भाषा और संस्कृति भी इस्राएल के मूल यहूदियों से थोड़ी अलग थी। नोट: यहाँ पर “यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदी” लिखना बेहतर होगा।

इब्रानियों

ये इस्राएल में पले-बड़े अरामी बोलनेवाले यहूदी थे। इस समय तक कलीसिया में केवल यहूदी और यहूदी मत में आनेवाले लोगों को गिना जाता था।

विधवाओं

सही मायनों में विधवा वह स्त्री है जिसके पति की मृत्यु हो चुकी है, आयु ढलने के कारण शादी नहीं कर सकती, और जिसकी देखभाल करनेवाला कोई सगा-सम्बन्धी न हो।

प्रतिदिन की सेवकाई

प्रेरितों को दी जानेवाली रकम का एक हिस्सा प्रारंभिक कलीसिया की विधवाओं के लिए भोजन खरीदने में लगाया जाता था।

सुधि नहीं ली जाती

“अवहेलना की गयी” या फिर, “भुला दिया गया।” इतने सारे ज़रूरतमंदों के बीच कभी-कभार ज़रूरतमंद छूट जाते थे।

Acts 6:2

खिलाने-पिलाने

इसका आशय लोगों को भोजन कराने से है।

सात सुनाम पुरुषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हो

इसके संभावित अर्थ हैं, 1) उन लोगों में तीन गुण हों--अच्छी प्रतिष्ठा, आत्मा की भरपूरी, और बुद्धि की भरपूरी, अथवा 2) लोग अपने दो गुणों के लिए जाने जाते हों---आत्मा की परिपूर्णता, और बुद्धि की परिपूर्णता (यूडीबी)।

सुनाम

“लोग जिन्हें अच्छा मानते हों” अथवा “लोग जिन पर विश्वास करते थे”

अपने में से

उपयुक्त स्थान में अपनी भाषा की विशिष्ट अभिव्यक्ति का प्रयोग करें

चुन लो

उपयुक्त स्थान में अपनी भाषा में बहुवचन के लिए प्रयुक्त होनेवाले शब्दों का प्रयोग करें

Acts 6:4

यह बात सारी मंडली को अच्छी लगी

यह बात साड़ी मंडली को मंज़ूर/स्वीकार्य थी

स्तिफनुस,..और फिलिप्पुस और पृखुरुस,नीकानोर, तीमोन, परमिनास, और अन्ताकियावासी नीकुलाउस

ये सभी यूनानी नाम हैं जिससे इस बात का संकेत मिलता है कि चुने गए अधिकतर अथवा सभी लोग यूनानी-यहूदी विश्वासियों में से थे।

जो यहूदी मत में आ गया था

अर्थात यहूदी मत को धारण करनेवाला एक गैर-यहूदी व्यक्ति

उन पर हाथ रखे

सात लोगों को आशीष दिया और उन्हें कार्य करने का उत्तरदायित्व व अधिकार दिया

Acts 6:7

परमेश्वर का वचन फैलता गया

इसका प्रभाव और अधिक फैलता गया

चेलों की गिनती

अर्थात यीशु के आज्ञापालकों व अनुयायियों की गिनती

इस मत के अधीन हो गया

अर्थात “इस नए मत के मार्ग का अनुकरण किया”

Acts 6:8

आराधनालय से जो लिबिरतीनों की कहलाती थी

आराधनालय से जो लिबिरतीनों की कहलाती थी -:संभवतः ये अलग-अलग स्थान के पूर्व दास थे। यह स्पष्ट नहीं है कि आराधनालय में मौजूद बाकी लोग उस आराधनालय का हिस्सा थे या कि बस स्तिफनुस से वाद-विवाद का हिस्सा थे।

स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे

स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे -“स्तिफनुस से तर्क करने लगे” (यूडीबी) अथवा “स्तिफनुस से चर्चा करने लगे”

Acts 6:10

वे सामना न कर सके

“वे उससे बहस न कर सके”

आत्मा

अर्थात पवित्र आत्मा

कई लोगों को उभारा

अर्थात “कई लोगों को इस बात के लिए राज़ी किया कि वे”

परमेश्वर के विरोध में निंदा

अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर और मूसा की व्यवस्था के विरोध में”

Acts 6:12

भड़काकर

गुस्सा भड़काकर

पकड़कर

“दबोच कर”

उसकी ओर ताककर

“उसे एकटक देखा।” यहाँ पर आलंकारिक भाषा का प्रयोग है।

उसका मुखड़ा स्वर्गदूत का सा देखा

यहाँ उपमा का प्रयोग है जिसका आशय “दमकता देखा” से है, जो कि यहाँ उल्लिखित नहीं है। अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “उसका चेहरा स्वर्गदूत के चेहरे सा दमक रहा था” (यूडीबी)।


Translation Questions

Acts 6:1

इब्रानियों के विरोध में यूनानी भाषा बोलने वालों ने क्या कुड़कुड़ाया?

यूनानी भाषा बोलने वालों ने शिकायत की कि दैनिक भोजन वितरण में उनकी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती।

Acts 6:3

किसने सात मनुष्यों को खिलाने-पिलाने की सेवा के लिए चुना?

चेलों (विश्वासियों) ने सात मनुष्य इस काम के लिए चुने।

इन सात मनुष्यों के चुने जाने के लिए इनकी क्या विशेषताएं थीं?

इन सात मनुष्यों को सुनाम वाला, पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण होना था।

Acts 6:4

प्रेरित किस कार्य में लगे रहे?

प्रेरित प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहे।

Acts 6:6

जब विश्वासी उन सात मनुष्यों को लाए तो प्रेरितों ने क्या किया?

प्रेरितों ने प्रार्थना की और उनके सिर पर हाथ रखे।

Acts 6:7

यरूशलेम में चेलों के साथ क्या हो रहा था?

यरूशलेम में चेलों की गिनती याजकों समेत बहुत बढ़ती गई।

Acts 6:10

अविश्वासी यहूदियों और स्तिफनुस के वाद-विवाद में कौन जीत रहा था?

अविश्वासी यहूदी उस ज्ञान और आत्मा से जिससे स्तिफनुस बातें करता था, सामना न कर सके।

Acts 6:14

झूठे गवाहों द्वारा स्तिफनुस पर क्या दोष लगाए गए?

झूठे गवाहों ने दावा किया कि स्तिफनुस ने कहा कि यीशु नासरी इस जगह को ढा देगा और मूसा की रीतियों को बदल डालेगा।

Acts 6:15

जब सब लोगों ने जो सभा में बैठे थे, स्तिफनुस की ओर ताका तो उन्होंने क्या देखा?

उन्होंने उसका मुखड़ा एक स्वर्गदूत का सा देखा।


Chapter 7

1 तब महायाजक ने कहा, “क्या ये बातें सत्य है?” 2 उसने कहा,

“हे भाइयों, और पिताओं सुनो, हमारा पिता अब्राहम हारान में बसने से पहले जब मेसोपोटामिया में था; तो तेजोमय परमेश्‍वर ने उसे दर्शन दिया। 3 और उससे कहा, ‘तू अपने देश और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देश में चला जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा।’ (उत्प. 12:1)

4 तब वह कसदियों के देश से निकलकर हारान में जा बसा; और उसके पिता की मृत्यु के बाद परमेश्‍वर ने उसको वहाँ से इस देश में लाकर बसाया जिसमें अब तुम बसते हो, (उत्प. 12:5) 5 और परमेश्‍वर ने उसको कुछ विरासत न दी, वरन् पैर रखने भर की भी उसमें जगह न दी, यद्यपि उस समय उसके कोई पुत्र भी न था। फिर भी प्रतिज्ञा की, ‘मैं यह देश, तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूँगा।’ (उत्प. 13:15, उत्प. 15:18, उत्प. 16:1, उत्प. 24:7, व्य. 2:5, व्य. 11:5)

6 और परमेश्‍वर ने यों कहा, ‘तेरी सन्तान के लोग पराये देश में परदेशी होंगे, और वे उन्हें दास बनाएँगे, और चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे।’ (उत्प. 15:13-14, निर्ग. 2:22) 7 फिर परमेश्‍वर ने कहा, ‘जिस जाति के वे दास होंगे, उसको मैं दण्ड दूँगा; और इसके बाद वे निकलकर इसी जगह मेरी सेवा करेंगे।’ (उत्प. 15:14, निर्ग. 3:12) 8 और उसने उससे खतने की वाचा* बाँधी; और इसी दशा में इसहाक उससे उत्‍पन्‍न हुआ; और आठवें दिन उसका खतना किया गया; और इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्‍पन्‍न हुए। (उत्प. 17:10-11, उत्प. 21:4)

9 “और कुलपतियों ने यूसुफ से ईर्ष्या करके उसे मिस्र देश जानेवालों के हाथ बेचा; परन्तु परमेश्‍वर उसके साथ था। (उत्प. 37:11, उत्प. 37:28, उत्प. 39:2-3, उत्प. 45:4) 10 और उसे उसके सब क्लेशों से छुड़ाकर मिस्र के राजा फ़िरौन के आगे अनुग्रह और बुद्धि दी, उसने उसे मिस्र पर और अपने सारे घर पर राज्यपाल ठहराया। (उत्प. 39:21, उत्प. 41:40, उत्प. 41:43, उत्प. 41:46, भज. 105:21)

11 तब मिस्र और कनान के सारे देश में अकाल पड़ा; जिससे भारी क्लेश हुआ, और हमारे पूर्वजों को अन्न नहीं मिलता था। (उत्प. 41:54, 55, उत्प. 42:5) 12 परन्तु याकूब ने यह सुनकर, कि मिस्र में अनाज है, हमारे पूर्वजों को पहली बार भेजा। (उत्प. 42:2) 13 और दूसरी बार यूसुफ अपने भाइयों पर प्रगट हो गया, और यूसुफ की जाति फ़िरौन को मालूम हो गई। (उत्प. 45:1, उत्प. 45:3, उत्प. 45:16)

14 तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पचहत्तर व्यक्ति थे, बुला भेजा। (उत्प. 45:9-11, उत्प. 45:18-19, निर्ग. 1:5, व्य. 10:22) 15 तब याकूब मिस्र में गया; और वहाँ वह और हमारे पूर्वज मर गए। (उत्प. 45:5,6, उत्प. 49:33, निर्ग. 1:6) 16 उनके शव शेकेम में पहुँचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे अब्राहम ने चाँदी देकर शेकेम में हामोर की सन्तान से मोल लिया था। (उत्प. 23:16-17, उत्प. 33:19, उत्प. 49:29-30, उत्प. 50:13, यहो. 24:32)

17 “परन्तु जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया, जो परमेश्‍वर ने अब्राहम से की थी, तो मिस्र में वे लोग बढ़ गए; और बहुत हो गए। 18 तब मिस्र में दूसरा राजा हुआ जो यूसुफ को नहीं जानता था। (निर्ग. 1:7-8) 19 उसने हमारी जाति से चतुराई करके हमारे बाप-दादों के साथ यहाँ तक बुरा व्यवहार किया, कि उन्हें अपने बालकों को फेंक देना पड़ा कि वे जीवित न रहें। (निर्ग. 1:9-10, निर्ग. 1:18, निर्ग. 1:22) 20 उस समय मूसा का जन्म हुआ; और वह परमेश्‍वर की दृष्टि में बहुत ही सुन्दर था; और वह तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाला गया। (निर्ग. 2:2) 21 परन्तु जब फेंक दिया गया तो फ़िरौन की बेटी ने उसे उठा लिया, और अपना पुत्र करके पाला। (निर्ग. 2:5, निर्ग. 2:10) 22 और मूसा को मिस्रियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह वचन और कामों में सामर्थी था।

23 “जब वह चालीस वर्ष का हुआ, तो उसके मन में आया कि अपने इस्राएली भाइयों से भेंट करे। (निर्ग. 2:11) 24 और उसने एक व्यक्ति पर अन्याय होते देखकर, उसे बचाया, और मिस्री को मारकर सताए हुए का पलटा लिया। (निर्ग. 2:12) 25 उसने सोचा, कि उसके भाई समझेंगे कि परमेश्‍वर उसके हाथों से उनका उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा।

26 दूसरे दिन जब इस्राएली आपस में लड़ रहे थे, तो वह वहाँ जा पहुँचा; और यह कहके उन्हें मेल करने के लिये समझाया, कि हे पुरुषों, ‘तुम तो भाई-भाई हो, एक दूसरे पर क्यों अन्याय करते हो?’ 27 परन्तु जो अपने पड़ोसी पर अन्याय कर रहा था, उसने उसे यह कहकर धक्का दिया, ‘तुझे किस ने हम पर अधिपति और न्यायाधीश ठहराया है? 28 क्या जिस रीति से तूने कल मिस्री को मार डाला मुझे भी मार डालना चाहता है?’ (निर्ग. 2:13-14)

29 यह बात सुनकर, मूसा भागा और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा: और वहाँ उसके दो पुत्र उत्‍पन्‍न हुए। (निर्ग. 2:15-22, निर्ग. 18:3-4)

30 “जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए, तो एक स्वर्गदूत ने सीनै पहाड़ के जंगल में उसे जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में दर्शन दिया। (निर्ग. 3:1) 31 मूसा ने उस दर्शन को देखकर अचम्भा किया, और जब देखने के लिये पास गया, तो प्रभु की यह वाणी सुनाई दी, (निर्ग. 3:2-3) 32 “मैं तेरे पूर्वज, अब्राहम, इसहाक और याकूब का परमेश्‍वर हूँ।” तब तो मूसा काँप उठा, यहाँ तक कि उसे देखने का साहस न रहा। 33 तब प्रभु ने उससे कहा, ‘अपने पाँवों से जूती उतार ले, क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। (निर्ग. 3:5) 34 मैंने सचमुच अपने लोगों की दुर्दशा को जो मिस्र में है, देखी है; और उनकी आहें और उनका रोना सुन लिया है; इसलिए उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूँ। अब आ, मैं तुझे मिस्र में भेजूँगा। (निर्ग. 2:24, निर्ग. 3:7-10)

35 “जिस मूसा को उन्होंने यह कहकर नकारा था, ‘तुझे किस ने हम पर अधिपति और न्यायाधीश ठहराया है?’ उसी को परमेश्‍वर ने अधिपति और छुड़ानेवाला ठहराकर, उस स्वर्गदूत के द्वारा जिस ने उसे झाड़ी में दर्शन दिया था, भेजा। (निर्ग. 2:14, निर्ग. 3:2) 36 यही व्यक्ति मिस्र और लाल समुद्र और जंगल में चालीस वर्ष तक अद्भुत काम और चिन्ह दिखा दिखाकर उन्हें निकाल लाया। (निर्ग. 7:3, निर्ग. 14:21, गिन. 14:33) 37 यह वही मूसा है, जिस ने इस्राएलियों से कहा, ‘परमेश्‍वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मेरे जैसा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा।’ (व्य. 18:15-18)

38 यह वही है, जिस ने जंगल में मण्डली के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उससे बातें की, और हमारे पूर्वजों के साथ था, उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुँचाए। (निर्ग. 19:1-6, निर्ग. 20:1-17, व्य. 5:4-22, व्य. 9:10-11) 39 परन्तु हमारे पूर्वजों ने उसकी मानना न चाहा; वरन् उसे ठुकराकर अपने मन मिस्र की ओर फेरे, (निर्ग. 23:20-21, गिन. 14:3-4) 40 और हारून से कहा, ‘हमारे लिये ऐसा देवता बना, जो हमारे आगे-आगे चलें; क्योंकि यह मूसा जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया, हम नहीं जानते उसे क्या हुआ?’ (निर्ग. 32:1, निर्ग. 32:23)

41 उन दिनों में उन्होंने एक बछड़ा बनाकर, उसकी मूरत के आगे बलि चढ़ाया; और अपने हाथों के कामों में मगन होने लगे। (निर्ग. 32:4,6) 42 अतः परमेश्‍वर ने मुँह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया*, कि आकाशगण पूजें, जैसा भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखा है,

     ‘हे इस्राएल के घराने,

     क्या तुम जंगल में चालीस वर्ष तक पशु बलि और अन्नबलि मुझ ही को

     चढ़ाते रहे? (यिर्म. 7:18, यिर्म. 8:2, यिर्म. 19:13)

    43 और तुम मोलेक* के तम्बू

     और रिफान देवता के तारे को लिए फिरते थे,

     अर्थात् उन मूर्तियों को जिन्हें तुम ने दण्डवत् करने के लिये बनाया था।

     अतः मैं तुम्हें बाबेल के परे ले जाकर बसाऊँगा।’ (आमो. 5:25-26)

44 “साक्षी का तम्बू जंगल में हमारे पूर्वजों के बीच में था; जैसा उसने ठहराया, जिस ने मूसा से कहा, ‘जो आकार तूने देखा है, उसके अनुसार इसे बना।’ (निर्ग. 25:1-40, निर्ग. 25:40, निर्ग. 27:21, गिन. 1:50) 45 उसी तम्बू को हमारे पूर्वजों ने पूर्वकाल से पा कर यहोशू के साथ यहाँ ले आए; जिस समय कि उन्होंने उन अन्यजातियों पर अधिकार पाया, जिन्हें परमेश्‍वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से निकाल दिया, और वह दाऊद के समय तक रहा। (यहो. 3:14-17, यहो. 18:1, यहो. 23:9, यहो. 24:18) 46 उस पर परमेश्‍वर ने अनुग्रह किया; अतः उसने विनती की, कि मैं याकूब के परमेश्‍वर के लिये निवास स्थान बनाऊँ। (2 शमू. 7:2-16, 1 राजा. 8:17-18, 1 इति. 17:1-14, 2 इति. 6:7-8, भज. 132:5)

47 परन्तु सुलैमान ने उसके लिये घर बनाया। (1 राजा. 6:1,2, 1 राजा. 6:14, 1 राजा. 8:19-20, 2 इति. 3:1, 2 इति. 5:1, 2 इति. 6:2, 2 इति. 6:10)

48 परन्तु परमप्रधान हाथ के बनाए घरों में नहीं रहता, जैसा कि भविष्यद्वक्ता ने कहा,

    49 ‘प्रभु कहता है, स्वर्ग मेरा सिंहासन

     और पृथ्वी मेरे पाँवों तले की चौकी है,

     मेरे लिये तुम किस प्रकार का घर बनाओगे?

     और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?

    50 क्या ये सब वस्तुएँ मेरे हाथ की बनाई नहीं?’ (यशा. 66:1-2)

51 “हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो। जैसा तुम्हारे पूर्वज करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो। (निर्ग. 32:9, निर्ग. 33:3-5, लैव्य. 26:41, गिन. 27:14, यशा. 63:10, यिर्म. 6:10, यिर्म. 9:26) 52 भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? और उन्होंने उस धर्मी के आगमन का पूर्वकाल से सन्देश देनेवालों को मार डाला, और अब तुम भी उसके पकड़वानेवाले और मार डालनेवाले हुए (2 इति. 36:16) 53 तुम ने स्वर्गदूतों के द्वारा ठहराई हुई व्यवस्था तो पाई, परन्तु उसका पालन नहीं किया।”

54 ये बातें सुनकर वे जल गए और उस पर दाँत पीसने लगे। (अय्यू. 16:9, भज. 35:16, भज. 37:12, भज. 112:10) 55 परन्तु उसने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर स्वर्ग की ओर देखा और परमेश्‍वर की महिमा को* और यीशु को परमेश्‍वर की दाहिनी ओर खड़ा देखकर 56 कहा, “देखों, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्र को परमेश्‍वर के दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।”

57 तब उन्होंने बड़े शब्द से चिल्लाकर कान बन्द कर लिए, और एक चित्त होकर उस पर झपटे। 58 और उसे नगर के बाहर निकालकर पत्थराव करने लगे, और गवाहों ने अपने कपड़े शाऊल नामक एक जवान के पाँवों के पास उतार कर रखे।

59 और वे स्तिफनुस को पत्थराव करते रहे, और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।” (भज. 31:5) 60 फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, “हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा।” और यह कहकर सो गया।



Acts 7:1

हे भाइयों और पितरों सुनों

परिषद् के सदस्यों को अपने परिवार के सदस्यों के सामन अभिनन्दन देकर स्तिफनुस उनके प्रति अपना आदर व्यक्त कर रहा था।

हमारा पिता

“हमारा पिता अब्राहम” कहने के द्वारा स्तिफनुस अपने सुननेवालों को भी शामिल कर रहा था

अपने देश और अपने कुटुंब से निकलकर

“अपने” का आशय अब्राहम से है (एकवचन)।

Acts 7:4

x

में शुरू किये परिषद् के संबोधन और बचाव को स्तिफनुस आगे बढ़ाता है

जिसमें अब तुम बसते हो

“तुम” का आशय यहूदी परिषद् के सदस्यों और सभी सुननेवालों से है

तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूंगा

वह भूमि सदा अब्राहम की रहेगी

Acts 7:6

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

और वे उन्हें दास बनायेंगे

तेरे वंशज उनके दास होंगे”

इसी दशा में इसहाक उससे उत्पन्न हुआ

कहानी अब्राहम की ओर मुड़ती है

Acts 7:9

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

कुलपतियों

“याकूब के ज्येष्ठ पुत्र” अथवा “युसूफ के बड़े भाई”

Acts 7:11

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

अकाल पड़ा

“एक अकाल पड़ा,” भूमि ने कुछ न उपजा

बापदादों

“युसूफ के बड़े भाई”

अन्न

अनुवाद करते समय इसे “भोजन” लिख सकते हैं

प्रगट हो गया

प्रगट हो गया -युसूफ ने स्वयं को अपने भाइयों पर ज़ाहिर कर दिया।

Acts 7:14

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

वह और हमारे बापदादे

वह और हमारे बापदादे -अर्थात “याकूब और उसके बेटे, और हमारे बापदादे”

उनके शव शकेम में पहुचाएं जाकर

उनके शव शकेम में पहुंचाए जाकर - अर्थात “याकूब के वंशज, याकूब और उसके बेटों के शव को शकेम लेकर गए”

चांदी देकर

धन देकर

Acts 7:17

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया

परमेश्वर द्वारा अब्राहम के साथ की प्रतिज्ञा को पूरे करने का समय निकट आया

युसूफ को नहीं जानता था

यह आलंकारिक भाषा है। “युसूफ” का आशय यहाँ असल में युसूफ द्वारा किये कार्यों से है।

हमारी जाति

“हमारी” से आशय स्तिफनुस और उसके सुननेवालों से भी है।

बुरा व्यवहार किया

“बुरा बर्ताव किया” अथवा, “शोषण किया”

अपने बालकों को फेंक देना

अपने बालको को फेंक दिया ताकि वे मर जाएँ।

Acts 7:20

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

उस समय

इन शब्दों का प्रयोग कहानी में नए व्यक्ति, मूसा के प्रवेश की भूमिका के रूप में हुआ है।

परमेश्वर की दृष्टि में बहुत ही सुन्दर था

“परमेश्वर की दृष्टि में” का प्रयोग अतिश्योक्ति के रूप में हुआ है।

जब फेंक दिया गया

अर्थात “जब उसे फिरौन के आदेश पर फेंक दिया गया”

उसे उठा लिया

अर्थात “उसे लेपालक पुत्र बना लिया” (संभवतः यह आधिकारिक रूप से नहीं किया गया था)

अपना पुत्र करके पाला

“अपने पुत्र की तरह पाला”

Acts 7:22

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

मूसा को.....सारी विद्या सिखाई गयी

मूसा को....सारी विद्या सिखाई गयी अर्थात “मिस्रियों ने मूसा को सारी विद्या सिखाई”।

मिस्रियों की सारी विद्या

यहाँ पर अतिश्योक्ति का प्रयोग है। इसका आशय है कि कि “मिस्रियों की बहुत सी विद्या सिखाई गयी।

वह बातों और कामों में सामर्थी था

अर्थात ‘उसकी बातें और काम बहुत प्रभावी थे,” या फिर, “उसकी बातों और कामों में बहुत सामर्थ था” (यूडीबी), अथवा “उसकी बातों और कार्यों में बहुत प्रभाव था”

अपने इस्राएली भाइयों

उनके रहन-सहन के विषय में पता लगाऊं

मिस्री को मारकर

मूसा ने उस मिस्री को इतनी ज़ोर से मारा कि उसकी मृत्यु हो गयी

उसने सोचा

उसने विचारा

मेरे हाथों से

मेरे द्वारा

उनका उद्धार करेगा

अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “उनका उद्धार कर रहा है”

Acts 7:26

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

हे पुरुषों, तुम तो भाई-भाई हो

यह लड़ते हुए दो इस्राएली पुरुषों से कही गयी बात है

अन्याय

अन्याय का आशय व्यक्ति से किया गया दुर्व्यवहार और बेईमानी से है

तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया

यह वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसका आशय है कि “तुम्हे बीच में आने का कोई अधिकार नहीं है”।

हम पर तुम्हें ......न्यायी ठहराया है?

ऐसा कह हर उस इस्राएली ने मूसा को बहार का घोषित किया है।

Acts 7:29

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

यह बात सुनकर

इससे ज्ञात होता है कि, “मूसा ने सुन लिया था कि इस्राएली पुरुष जानते थे कि एक दिन पहले उसने एक मिस्री की ह्त्या की थी।”

उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए

यहाँ यह स्पष्ट है कि स्तिफनुस के सामने बैठे लोग जानते थे कि मूसा ने एक मिद्यानी स्त्री विवाह किया था।

जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए

“मूसा के मिस्र से भागने चालीस सालों के बाद

Acts 7:31

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

दर्शन को देखकर अचम्भा किया

मूसा यह देख कर हैरान था कि झाड़ी में आग होने के बावजूद वह भस्म नहीं हो रही थी। यह बात स्तिफनुस के सुननेवालों को पहले से ज्ञात थी।

जब देखने के लिए पास गया....उसे देखने का हियाव न हुआ

इसका संभावित अर्थ यह है कि मूसा पहले तो देखने के लिए उसके पास गया, लेकिन फिर भय के कारण पीछे हट गया

मूसा काँप उठा

मूसा भयभीत हो गया

Acts 7:33

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है

इसका आशय है कि परमेश्वर वहां उपस्थित है, और परमेश्वर के आसपास की सारी भूमि को परमेश्वर पवित्र जानता है, या कि, परमेश्वर की उपस्थिति से भूमि पवित्र हो गयी।

मैंने सचमुच अपने लोगों को देखा है

“देखने” पर ज़ोर दिया गया है

अपने लोगों

अब्राहम, इसहाक, और याकूब के वंशज

उन्हें छुड़ाने के लिए उतरा हूँ

मैं स्वय उनके छुटकारे पर दृष्टि रखूंगा

Acts 7:35

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

35-38 तक, वचन में मूसा के विषय में आपस में सम्बंधित वाक्यों की श्रृंखला है। हर वाक्य की शुरुआत “जिस मूसा” या “यह वही मूसा”, अथवा यह वही है” जैसे शब्दों से होती है। संभव हो तो मूसा को उजागर करने के लिए ऐसे ही कथनों का प्रयोग करें।

जिस मूसा को उन्होंने यह कह कर नकारा था

यहाँ पर में घटित हुई घटना का सन्दर्भ है

तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया?

इसका अनुवाद करते समय में किये अनुवाद का सन्दर्भ लें

हाकिम और छुड़ानेवाला ठहराकर

“उन पर शासन करने और उन्हें दासत्व से छुडाने”

उस स्वर्गदूत के द्वारा

“स्वर्गदूत के माध्यम से”

चालीस वर्ष तक

“बीहड़ में इस्राएलियों के चालीस सालों के वास के दौरान”

तुम्हारे भाइयों में से

“तुम्हारे अपने लोगों में से” (यूडीबी)

Acts 7:38

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

यह खंड में मूसा पर ज़ोर देने के लिए कहे गए वाक्यों को आगे बढ़ाता है

यह वही है जिसे जंगल में कलीसिया के बीच

“यह वही मूसा है जो जंगल में इस्राएलियों के बीच” (यूडीबी)

उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुंचाए

अनुवाद करते समय इसे सक्रिय रूप में ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “उसी से परमेश्वर ने जीवित वचन हमें देने के लिए कहे।”

जीवित वचन

संभावित आशय हैं, 1)“अखंड सन्देश” या फिर 2) “जीवनदायी शब्द।”

उसे हटाकर अपने मिस्र की ओर फेरे

यह अलंकार मूसा को नकारे जाने पर ज़ोर देता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं को, “उसकी अगुआई को नकार कर”

उन दिनों

“जब उन्होंने मिस्र की ओर लौटने का निर्णय किया”

Acts 7:41

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि

उन्होंने एक बछड़ा बना कर

“उन्होंने बछड़े की एक मूरत बनायी”

कि आकाशगण पूजे

“आकाश की ज्योतियों को पूजे”

हे इस्राएल के घराने

यहाँ अलंकार का प्रयोग है, और आशय इस्राएल की समस्त जाति/देश से है।

क्या तुम.... पशुबलि और अन्नबलि मुझ ही को चढ़ाते रहे

यह एक आलंकारिक प्रश्न है जो यह कह रहा है कि वे सारी बालियाँ परमेश्वर को नहीं चढ़ाई गयी थीं। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “वो पशुबलि व अन्नबलि तुमने मुझे नहीं चढ़ाई।”

Acts 7:43

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है। स्तिफनुस यहाँ आमोस के उस उद्धरण को आगे बढाता है जिसकी शुरुआत उसने में की थी

मोलेक के तम्बू

झूठे देवता मोलेक के तम्बू

रिफान देवता के तारे

रिफान देवता के प्रतीक तारे

उन मूर्तियों को जिन्हें तुमने दंडवत करने के लिए बनाया था

उन्होंने पूजने के लिए मोलेक और रिफान देवताओं की मूर्तियाँ बनाईं थी।

मैं तुम्हें बाबुल के परे ले जाकर

“मैं तुम्हें बाबुल से हटा दूंगा”

Acts 7:44

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है।

साक्षी का तम्बू

10 आज्ञाएं खुदी पत्थर की तख्तियों वाला वाचा का संदूक

अन्य जातियों पर अधिकार पाया

इसमें अन्य जातियों की भूमि, भवन, फसल, पशु और बाकी सभी तरह की संपत्ति शामिल है जिन पर इस्राएल जय प्राप्त कर रहा था।

दाऊद के समय तक रहा

वाचा का वह संदूक, इस्राएल के राजा दाऊद के समय तक तम्बू में रहा था

याकूब के परमेश्वर के लिए निवास स्थान बनाऊं

दाऊद चाहता था कि वाचा का संदूक यरूशलेम में रहे, न कि इस्राएल का चक्कर लगाते तम्बू में।

Acts 7:47

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है।

हाथ के बनाए घरों में

अर्थात “लोगों द्वारा बनाए गए घरों में।”

स्वर्ग मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे पांवों तले की पीढी है

परमेश्वर की उपस्थिति की महानता और विशालता का बखान करते समय भविष्यद्वक्ता कहता है कि पूरा विश्व उसका सिंहासन है, और एक मनुष्य के इतने इतने विराट और महान परमेश्वर का निवास स्थान बनाना असंभव है क्योंकि यह पृथ्वी तो बस उसके पैरों की पीढी जिंतनी बड़ी है।

मेरे लिए तुम किस प्रकार का घर बनाओगे?

मेरे लिए तुम किस प्रकार का घर बनाओगे यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं, वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। असल में इसका आशय है कि “तुम मेरे योग्य घर नहीं बना सकते”

मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?

अर्थात “मेरे विश्राम के योग्य स्थान कहीं नहीं है!”

क्या ये सब वस्तुएं मेरे हाथ की बनाई नहीं?

यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। असल में इसका आशय है कि “इन सभी वस्तुएं स्वयं मैं ही ने बनाई हैं।”

Acts 7:51

x

स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है।

हे हठीले...

यहाँ स्तिफनुस उन यहूदी अगुओं को झिडकी दे रहा है।

मन ....के खतनारहित लोगों

“मन से अवज्ञाकारी लोगों।” शायद स्तिफनुस यहाँ उनकी तुलना गैर-यहूदियों से कर रहा है, जो उन्हें अपमानजनक लगता हो।

भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे बापदादों ने नहीं सताया?

यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। इसका आशय असल में यह है कि “तुम्हारे बापदादों ने हरेक भविष्यद्वक्ता को सताया है।”

उस धर्मी

इसका आशय यीशु मसीह से है।

मार डालनेवाले

“उस धर्मी के हत्यारे” अथवा, “मसीह के हत्यारे।”

Acts 7:54

वे जल गए

“वे अत्यंत क्रोधित हो उठे” के लिए भाषोक्ति का प्रयोग किया गया है।

ये बातें सुनकर

ये बातें सुनकर -यहाँ कहानी में एक मोड़ है; इस बिंदु पर उपदेश समाप्त होता है और परिषद् प्रतिक्रिया करती है।

दांत पीसने लगे

दांत पीसने लगे - यह एक मुहावरा है, जिसका प्रयोग भड़के हुए क्रोध के चरम यह घृणा को व्यक्त करता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “वे क्रोध में भड़क उठे और दांत पीसने लगे।”

स्वर्ग की ओर देखा

“ऊपर आकाश की ओर देखा।” ऐसा प्रतीत होता है कि स्तिफ्नुस के आलावा और किसी को यह दर्शन नहीं दिखाई दिया था।

यीशु को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा देखकर

ध्यान दें कि यीशु परमेश्वर की दाहिनी ओर “बैठे” नहीं वरन “खड़े” थे। राजा का इस प्रकार किसी अतिथि के लिए खड़ा होना एक सम्मानजनक बात थी।

परमेश्वर की महिमा

प्रकाश के समान परमेश्वर की महिमा अथवा तेज/भव्यता। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर की ओर से एक तेज़ प्रकाश।”

मनुष्य का पुत्र

स्तिफनुस यहाँ यीशु को “मनुष्य के पुत्र” की उपाधि से जोड़ रहा है।

Acts 7:57

अपने कान बंद कर लिए

उन्होंने अपने कान बंद कर लिए ताकि उन्हें स्तिफनुस की बातें न सुनाई दें।

उसे नगर के बाहर निकालकर

“परिषद् ने स्तिफनुस को पकड़ कर जबरन नगर के बाहर ले गए”

अपने कपड़े

कपड़ों से आशय जैकेट अथवा कोट के समान ऊपर पहननेवाले अंगरखों और लबादों से है।

पांवों के पास

रखवाली के लिए कपड़े “सामने” रख दिए।

Acts 7:59

मेरी आत्मा को ग्रहण कर

“मेरी आत्मा को ले”

सो गया

“मर गया” को कोमलता से अभिव्यक्त किया गया है।


Translation Questions

Acts 7:2

स्तिफनुस ने यहूदी लोगों के इतिहास के बारे में समीक्षा करते हुए प्रारम्भ में परमेश्वर की जो प्रतिज्ञा बताई वह किससे की गई थी?

स्तिफनुस ने अपना इतिहास परमेश्वर के अब्राहम को दिए गए वायदे से प्रारम्भ करते हुए बताना शुरु किया।

Acts 7:5

परमेश्वर की अब्राहम से क्या प्रतिज्ञा थी?

परमेश्वर ने अब्राहम और उसके बाद उसके वंश को वह देश देने की प्रतिज्ञा की थी।

परमेश्वर की अब्राहम को दी गई प्रतिज्ञा पूरी होने में असम्भव क्यों लगती थी?

परमेश्वर की प्रतिज्ञा असम्भव इसलिए लगती थी, क्योंकि अब्राहम के पास कोई सन्तान न थी।

Acts 7:6

परमेश्वर ने क्या कहा कि, पहले अब्राहम के वंशजों के साथ चार सौ वर्ष तक क्या होगा?

परमेश्वर ने कहा अब्राहम के वंशज पराये देश में चार सौ वर्ष तक दास रहेंगे।

Acts 7:8

परमेश्वर ने अब्राहम से क्या वाचा बाँधी?

परमेश्वर ने अब्राहम से खतने की वाचा बाँधी।

Acts 7:9

यूसुफ किस प्रकार मिस्र में एक दास बन गया?

उसके भाई उससे डाह करते थे और उसके मिस्र देश जाने वालों के हाथ बेच दिया।

Acts 7:10

यूसुफ किस प्रकार मिस्र देश पर हाकिम ठहराया गया?

परमेश्वर ने फिरौन को अनुग्रह और बुद्धि दी और उसने यूसुफ को मिस्र देश पर हाकिम ठहरा दिया।

Acts 7:12

जब कनान में अकाल पड़ा तो याकूब ने क्या किया?

याकूब ने अपने पुत्रों को मिस्र में भेजा क्योंकि उसने सुना कि वहाँ अनाज था।

Acts 7:14

याकूब और उसके कुटुम्बी मिस्र को क्यों चले गए?

यूसुफ ने अपने भाइयों द्वारा याकूब को मिस्र आने के लिए कहला भेजा था।

Acts 7:17

जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आ गया जो परमेश्वर ने अब्राहम से की थी, तो मिस्र में इस्राएलियों की संख्या को क्या हुआ?

मिस्र में इस्राएलियों की संख्या बढ़ गयी और वे बहुत हो गये।

Acts 7:19

मिस्र के नये राजा ने किस प्रकार इस्राएलियों की संख्या को कम किया?

मिस्र के नये राजा ने इस्राएलियों को अपने नवजात शिशुओं को फेंक देने की जबरदस्ती की ताकि वे जीवित न रहें।

Acts 7:21

फेंक दिये जाने पर मूसा कैसे जीवित रहा?

फिरौन की बेटी ने उसे उठा लिया और अपने बेटे की तरह उसे पाला।

Acts 7:22

मूसा की पढ़ाई कैसे हुई?

मूसा को मिस्रियों की सारी विद्या पढ़ाई गई।

Acts 7:24

जब मूसा चालीस वर्ष का हुआ तो उसने एक इस्राएली पर अन्याय होता देखकर क्या किया?

मूसा ने इस्राएली को बचाया और मिस्री को मार दिया।

Acts 7:29

मूसा भागकर कहाँ गया था?

मूसा वहां से भाग कर मिद्यान देश को चला गया।

Acts 7:30

अब मूसा अस्सी वर्ष का हुआ, तो उसने क्या देखा?

मूसा ने जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में एक स्वर्गदूत को देखा।

Acts 7:34

प्रभु ने मूसा को कहाँ जाने की आज्ञा दी और वहाँ परमेश्वर क्या करने जा रहा था?

परमेश्वर ने मूसा को मिस्र जाने की आज्ञा दी क्योंकि परमेश्वर इस्राएलियों को बचाने जा रहा था।

Acts 7:36

मूसा ने जंगल में इस्राएलियों की कब तक अगुवाई की?

मूसा ने जंगल में इस्राएलियों की अगुवाई चालीस वर्ष तक की।

Acts 7:37

मूसा ने इस्राएलियों से क्या भविष्यवाणी की?

मूसा ने इस्राएलियों से भविष्यद्वाणी की कि ‘परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिए मुझसा भविष्यद्वक्ता उठाएगा।

Acts 7:41

किस प्रकार इस्राएलियों ने अपना मन वापिस मिस्र की ओर लगाया?

इस्राएलियों ने एक बछड़ा बनाया और उसकी मूरत के आगे बलि चढ़ाया।

Acts 7:42

परमेश्वर ने उन इस्राएलियों से कैसी प्रतिक्रिया दिखाई जो उससे मुँह मोड़कर चले गए थे?

परमेश्वर ने उनसे मुँह मोड़ लिया और उन्हें छोड़ दिया कि आकाशगण पूजें।

Acts 7:43

परमेश्वर ने इस्राएलियों को कहाँ ले जाकर बसाने के लिए कहा?

परमेश्वर ने इस्राएलियों को बाबुल के परे ले जाकर बसाने के लिए कहा।

Acts 7:44

परमेश्वर ने इस्राएलियों को जंगल में क्या बनाने को कहा जिसे वे बाद में अपने साथ इस देश में ले गए?

इस्राएलियों ने जंगल में साक्षी का तंबू बनाया।

Acts 7:45

किसने अन्य जातियों को इस्राएलियों से पहले निकाल दिया?

परमेश्वर ने अन्य जातियों को इस्राएलियों के साम्हने से निकाल दिया।

Acts 7:46

किसने परमेश्वर के लिए निवास स्थान बनाने को कहा और किसने सचमुच में परमेश्वर के लिए घर बनाया?

दाऊद ने परमेश्वर के लिए निवास-स्थान बनाने को कहा और सुलैमान ने परमेश्वर के लिए एक घर बनाया।

Acts 7:49

परम प्रधान का सिंहासन कहाँ है?

परम-प्रधान का सिंहासन स्वर्ग है।

Acts 7:51

स्तिफनुस ने लोगों पर अपने बाप-दादाओं की तरह किस बात को सदा करते रहने का आरोप लगाया?

स्तिफनुस ने लोगों पर पवित्र-आत्मा का विरोध करने का आरोप लगाया।

Acts 7:52

स्तिफनुस ने लोगों को धर्मी जन के बारे में क्या दोषी ठहराया?

स्तिफनुस ने लोगों से कहा कि उन्होंने उस धर्मी जन के साथ विश्वासघात करके पकड़वा दिया और मार डाला।

Acts 7:54

स्तिफनुस के दोषारोपण पर महासभा के सदस्यों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

महासभा के सदस्य जल गये और स्तिफनुस पर दाँत पीसने लगे।

Acts 7:55

स्तिफनुस ने क्या कहा कि उसने स्वर्ग की ओर देखने पर क्या देखा?

स्तिफनुस ने कहा कि उसने यीशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखा।

Acts 7:57

तब महासभा के सदस्यों ने स्तिफनुस को क्या किया?

महासभा के सदस्य एक चित्त होकर उस पर झपटे, और उसे नगर से बाहर निकालकर पत्थरवाह करने लगे।

Acts 7:58

गवाहों ने स्तिफनुस को पत्थरवाह किये जाते समय अपने बाहरी कपड़े कहाँ रख दिए?

गवाहों ने अपने बाहरी कपड़े शाऊल नामक एक जवान के पाँव के पास रख दिए।

Acts 7:60

मरने से पहले स्तिुफनुस ने आखिरी माँग क्या की?

स्तिफनुस ने परमेश्वर से कहा कि यह पाप उन पर मत लगा।


Chapter 8

1 शाऊल उसकी मृत्यु के साथ सहमत था।

उसी दिन यरूशलेम की कलीसिया पर बड़ा उपद्रव होने लगा और प्रेरितों को छोड़ सब के सब यहूदिया और सामरिया देशों में तितर-बितर हो गए। 2 और भक्तों ने स्तिफनुस को कब्र में रखा; और उसके लिये बड़ा विलाप किया। 3 पर शाऊल कलीसिया को उजाड़ रहा था; और घर-घर घुसकर पुरुषों और स्त्रियों को घसीट-घसीट कर बन्दीगृह में डालता था।

4 मगर जो तितर-बितर हुए थे, वे सुसमाचार सुनाते हुए फिरे। 5 और फिलिप्पुस* सामरिया नगर में जाकर लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा।

6 जो बातें फिलिप्पुस ने कहीं उन्हें लोगों ने सुनकर और जो चिन्ह वह दिखाता था उन्हें देख-देखकर, एक चित्त होकर मन लगाया। 7 क्योंकि बहुतों में से अशुद्ध आत्माएँ बड़े शब्द से चिल्लाती हुई निकल गई, और बहुत से लकवे के रोगी और लँगड़े भी अच्छे किए गए। 8 और उस नगर में बड़ा आनन्द छा गया।

9 इससे पहले उस नगर में शमौन* नामक एक मनुष्य था, जो जादू-टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को कोई बड़ा पुरुष बनाता था। 10 और सब छोटे से लेकर बड़े तक उसका सम्मान कर कहते थे, “यह मनुष्य परमेश्‍वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है।” 11 उसने बहुत दिनों से उन्हें अपने जादू के कामों से चकित कर रखा था, इसलिए वे उसको बहुत मानते थे।

12 परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विश्वास किया जो परमेश्‍वर के राज्य और यीशु मसीह के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरुष, क्या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे। 13 तब शमौन ने स्वयं भी विश्वास किया और बपतिस्मा लेकर फिलिप्पुस के साथ रहने लगा और चिन्ह और बड़े-बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था।

14 जब प्रेरितों ने जो यरूशलेम में थे सुना कि सामरियों ने परमेश्‍वर का वचन मान लिया है तो पतरस और यूहन्ना को उनके पास भेजा। 15 और उन्होंने जाकर उनके लिये प्रार्थना की ताकि पवित्र आत्मा पाएँ। 16 क्योंकि पवित्र आत्मा अब तक उनमें से किसी पर न उतरा था, उन्होंने तो केवल प्रभु यीशु के नाम में बपतिस्मा लिया था। 17 तब उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया।

18 जब शमौन ने देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो उनके पास रुपये लाकर कहा, 19 “यह शक्ति मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूँ, वह पवित्र आत्मा पाए।”

20 पतरस ने उससे कहा, “तेरे रुपये तेरे साथ नाश हों, क्योंकि तूने परमेश्‍वर का दान रुपयों से मोल लेने का विचार किया। 21 इस बात में न तेरा हिस्सा है, न भाग; क्योंकि तेरा मन परमेश्‍वर के आगे सीधा नहीं। (भज. 78:37) 22 इसलिए अपनी इस बुराई से मन फिराकर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार क्षमा किया जाए।

23 क्योंकि मैं देखता हूँ, कि तू पित्त की कड़वाहट और अधर्म के बन्धन में पड़ा है।” (व्य. 29:18, विला. 3:15) 24 शमौन ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिये प्रभु से प्रार्थना करो कि जो बातें तुम ने कहीं, उनमें से कोई मुझ पर न आ पड़े।”

25 अतः पतरस और यूहन्ना गवाही देकर और प्रभु का वचन सुनाकर, यरूशलेम को लौट गए, और सामरियों के बहुत से गाँवों में सुसमाचार सुनाते गए।

26 फिर प्रभु के एक स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठकर दक्षिण की ओर उस मार्ग पर जा, जो यरूशलेम से गाज़ा को जाता है। यह रेगिस्तानी मार्ग है। 27 वह उठकर चल दिया, और तब, कूश देश का एक मनुष्य आ रहा था, जो खोजा* और कूशियों की रानी कन्दाके का मंत्री और खजांची था, और आराधना करने को यरूशलेम आया था।

28 और वह अपने रथ पर बैठा हुआ था, और यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ता हुआ लौटा जा रहा था। 29 तब आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा, “निकट जाकर इस रथ के साथ हो ले।” 30 फिलिप्पुस उसकी ओर दौड़ा और उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ते हुए सुना, और पूछा, “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?” 31 उसने कहा, “जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूँ?” और उसने फिलिप्पुस से विनती की, कि चढ़कर उसके पास बैठे।

32 पवित्रशास्त्र का जो अध्याय वह पढ़ रहा था, वह यह था :

     “वह भेड़ के समान वध होने को पहुँचाया गया,

     और जैसा मेम्‍ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही

     उसने भी अपना मुँह न खोला,

    33 उसकी दीनता में उसका न्याय होने नहीं पाया,

     और उसके समय के लोगों का वर्णन कौन करेगा?

     क्योंकि पृथ्वी से उसका प्राण उठा लिया जाता है।” (यशा. 53:7-8)

34 इस पर खोजे ने फिलिप्पुस से पूछा, “मैं तुझ से विनती करता हूँ, यह बता कि भविष्यद्वक्ता यह किस के विषय में कहता है, अपने या किसी दूसरे के विषय में?” 35 तब फिलिप्पुस ने अपना मुँह खोला, और इसी शास्त्र से आरम्भ करके उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया।

36 मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे, तब खोजे ने कहा, “देख यहाँ जल है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है?” 37 फिलिप्पुस ने कहा, “यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो ले सकता है।” उसने उत्तर दिया, “मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह परमेश्‍वर का पुत्र है।” 38 तब उसने रथ खड़ा करने की आज्ञा दी, और फिलिप्पुस और खोजा दोनों जल में उतर पड़े, और उसने उसे बपतिस्मा दिया।

39 जब वे जल में से निकलकर ऊपर आए, तो प्रभु का आत्मा फिलिप्पुस को उठा ले गया, और खोजे ने उसे फिर न देखा, और वह आनन्द करता हुआ अपने मार्ग चला गया। (1 राजा. 18:12) 40 पर फिलिप्पुस अश्दोद में आ निकला, और जब तक कैसरिया में न पहुँचा, तब तक नगर-नगर सुसमाचार सुनाता गया।



Acts 8:1

शाऊल उसके वध में सहमत था

लूका यहाँ पर कहानी को स्तिफनुस से शाऊल की ओर मोड़ रहा है। इस मोड़ को व्यक्त करने के लिए अनुवाद के समय अपनी भाषा के उपयुक्त शब्दों का चुनाव करें।

घसीट-घसीट कर

उन्हें बलपूर्वक ले जाया गया

उसी दिन

अर्थात स्तिफनुस की मृत्यु के दिन

सब के सब ....तितर-बितर हो गए

यरुशलेम में रहनेवाले बहुत से अथवा अधिकाँश विश्वासी तितर-बितर हो गए को अतिश्योक्ति के साथ व्यक्त किया गया है।

प्रेरितों को छोड़

इसका आशय ही कि प्रेरित वहीँ यरूशलेम में ही बने रहे और वे इस बड़े सताव से बच गए थे।

भक्तों ने

“परमेश्वर का भय रखनेवाले लोगों ने” अथवा, “वे जो परमेश्वर का भय रखते थे”

उसके लिए बड़ा विलाप किया

“उसके लिए बहुत शोक मनाया” (यूडीबी)

घर-घर घुसकर

शाऊल द्वारा कई घरों में घुसने की बात को यहाँ अतिश्योक्ति के साथ व्यक्त किया गया है। उसके पास यरूशलेम के हर घर में घुसने की अनुमति नहीं थी।

पुरुषों और स्त्रियों को घसीट-घसीट कर

शाऊल ने यहूदी विश्वासियों को उनके घर से बलपूर्वक निकाल कर उन्हें जेल में डाल दिया।

Acts 8:4

जो तित्तर-बित्तर हुए थे

“वे जो बड़े सताव के कारण तितर-बितर हुए थे।” तितर-बितर होने का कारण वह सताव था जिसके विषय में पहले बताया जा चुका है।

सामरिया नगर

सामरिया नगर : यह स्पष्ट नहीं है कि यहाँ सामरिया के एक नगर (यूएलबी) की बात हो रही है या कि सामरिया नगर (यूडीबी) की ही बात हो रही है। इसलिए, अनुवाद करते समय “सामरिया नगर” लिखना ही सही रहेगा।

Acts 8:6

बहुतों में से

“सामरिया नगर के बहुत से लोगों में से।” स्थान की स्थिति पहले ही स्पष्ट की जा चुकी है।

लोगों ने सुनकर

फिलिप्पुस के माध्यम से होनेवाली चंगाइयों के चलते लोग सुनने लगे थे। इस बात को समझ लेना चाहिए।

और उस नगर में बड़ा आनन्द छा गया

लोगों के आनंद का कारण फिलिप्पुस के द्वारा मिलनेवाली चंगाइयां थी।

Acts 8:9

शमौन नामक एक मनुष्य था

“शमौन नाम का एक मनुष्य था” में इन शब्दों के साथ ही कहानी में एक नए पात्र का प्रवेश है। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपकी भाषा में नए पात्रों का प्रवेश दिखाने के लिए कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

उस नगर

अर्थात “सामरिया नगर”

सामरिया के लोगों

यहाँ पर आशय सामरिया के सभी लोगों से प्रतीत होता है, लेकिन यह अतिश्योक्ति है। इसका आशय है “सामरिया के बहुत से लोगों” से है।

यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है

लोग कहते थे कि शमौन “महान शक्ति” नाम की अलौकिक शक्ति है।

Acts 8:12

बपतिस्मा लेने लगे

बपतिस्मा लेने लगे -फिलिप्पुस ने नए विश्वासियों को बपतिस्मा दिया।

चिन्ह और बड़े-बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था

“फिलिप्पुस को चिन्ह और महान आश्चर्यकर्म करते देख आकर अचंभित होता था।”

Acts 8:14

सामरियों ने

सामरियों ने -सामरिया प्रदेश के बहुत से लोगों (यूडीबी) के स्थान पर “सामरियों ने” का प्रयोग किया गया है। आलंकारिक भाषा।

और उन्होंने जाकर

अर्थात “पतरस व यूहन्ना ने जाकर”

उनके लिए प्रार्थना की

“पतरस और यूहन्ना ने जाकर सामरिया के विश्वासियों के लिए प्रार्थना की”

कि पवित्र आत्मा पाएं

“कि सामरिया के विश्वासी लोग पवित्र आत्मा पा सकें।”

उन्होंने तो....बपतिस्मा लिया था

“फिलिप्पुस ने सामरिया के विश्वासियों को बस बपतिस्मा दिया था।”

तब उन्होंने उन पर हाथ रखे

तब उन्होंने उन पर हाथ रखे - अर्थात, स्तिफनुस द्वारा दिए सुसमाचार के उपदेश पर विश्वास करनेवालों पर हाथ रखे।

Acts 8:18

...कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है....

.....कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा मिलता है.....

कि जिस किसी पर हाथ रखूँ, वह पवित्र आत्मा पाए

“कि जब मैं लोगों पर अपना हाथ रखूँ, तो उन्हें पवित्र आत्मा मिल जाए”

Acts 8:20

तेरे...तेरे...तूने

ये सभी सर्वनाम शमौन के लिए प्रयोग किये गए हैं

तेरा मन परमेश्वर के आगे सीधा नहीं

“तेरे विचार सही नहीं हैं”

परमेश्वर का दान

अर्थात् लोगों पर हाथ रखने के द्वारा पवित्र आत्मा देने का दान

विचार किया

अर्थात “पवित्र आत्मा देने के दान को खरीदने का विचार”

पित्त की सी कड़वाहट

उपमा अलंकार का प्रयोग। इसका आशय “बहुत अधिक डाह करने” से है। (यूडीबी)

अधर्म के बंधन

“पाप का दास” अथवा “केवल पाप कर सकता है”

Acts 8:24

जो बातें तुमने कहीं, उनमें से कोई

जो बातें तुमने कहीं, उनमें से कोई -यहाँ सन्दर्भ पतरस की झिड़की का है, “तेरी चांदी तेरे साथ नाश हो।”

जो तुमने कहीं

“तुमने” का आशय पतरस व यूहन्ना से है।

Acts 8:25

वे गवाही देकर

पतरस व यूहन्ना ने सामरियों को वही बताया था जो वे यीशु के बारे में व्यक्तिगत तौर पर जानते थे।

प्रभु का वचन सुनाकर

पतरस व यूहन्ना ने सामरियों को बताया कि यीशु के विषय में वचन के कहता है

और सामरियों के बहुत से गाँवों में

अर्थात “सामरिया के कई गाँवों के निवासियों को”

Acts 8:26

फिर

कहानी में नयी घटना का प्रारंभ।

और देखो

ये शब्द कहानी में किसी नए पात्र के आगमन का संकेत देते हैं। अनुवाद करते समय अपनी भाषा के यथोचित शब्दों का चुनाव करें।

खोजा

यहाँ पर ज़ोर उस व्यक्ति के नपुंसक होने पर नहीं, वरन उसके इथियोपिया के उच्च अधिकारी होने पर है।

कन्दाके

जिस प्रकार मिस्र के राजाओं को फिरौन कहते थे, वैसे ही इथियोपिया की रानी को कन्दाके की उपाधि से संबोधित किया जाता था।

रथ

यहाँ पर “घोड़ागाड़ी” शब्द का प्रयोग अधिक उपयुक्त है। रथ को प्रायः युद्ध के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता था, न कि यातायात के वाहन के सन्दर्भ में।

यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ता हुआ

अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक में से पढ़ रहा था।” यह पुस्तक बाइबिल के पुराने नियम में है।

Acts 8:29

तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?

अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “तू जो पढ़ रहा है, क्या तुझे उसका अर्थ भी मालूम है?” इथियोपिया का वह वासी पढ़ सकता था और बुद्धिमान था। यहाँ पर आत्मिक समझ की बात हो रही है।

“जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूं?”

यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं है, वरन आलंकारिक भाषा का प्रयोग है। उसके कहने का आशय है कि “जब तक कोई मेरा मार्गदर्शन नहीं करेगा, तब तक मैं इसे नहीं समझ सकता।”

उसने फिलिप्पुस से विनती की कि चढ़ कर मेरे पास बैठ।

इसका आशय यह भी है कि फिलिप्पुस ने उसके साथ यात्रा करना स्वीकार कर लिया था।

Acts 8:32

जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है

जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है -ऊन कतरनेवाला व्यक्ति भेड़ के ऊन कतरता है ताकि उसका तरह-तरह से प्रयोग किया जा सके।

उसकी दीनता में उसका न्याय होने नहीं पाया

“उसका अपमान किया गया और उसका उचित न्याय नहीं किया”

Acts 8:34

उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया

“उस खोजे को यीशु के सुसमाचार की शिक्षा दी”

Acts 8:36

अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है।

यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसका आशय है कि, “अब मुझे बपतिस्मा देने से तुझे कोई नहीं रोक सकता।”

37वां वचन

यह पद हटा दिया गया है क्योंकि कुछ प्राचीन, और अधिक विश्वसनीय शास्त्रों में यह पद नहीं है।

Acts 8:39

खोजे ने उसे फिर न देखा

“खोजे ने दोबारा कभी फिलिप्पुस को न देखा”

फिलिप्पुस अश्दोद में आ निकला

इस बात के कोई संकेत नहीं मिलते कि जहाँ फिलिप्पुस उस इथियोपियावासी से मिला था, वहां से लेकर अश्दोद तक वह यात्रा करके गया था। गाजा के ओर जाते मार्ग में वह अचानक ही अदृश्य हुआ और अश्दोद में दोबारा से दिखाई दिया।

जब तक कैसरिया में न पहुंचा

फिलिप्पुस की कहानी यहाँ कैसरिया में समाप्त होती है


Translation Questions

Acts 8:1

शाऊल ने स्तिफनुस के पत्थरवाह किये जाने के बारे में क्या सोचा?

शाऊल स्तिफनुस के वध से सहमत था।

स्तिफनुस के पत्थरवाह किये जाने के दिन क्या होने लगा?

जिस दिन स्तिफनुस को पत्थरवाह किया गया उस दिन यरूशलेम की कलीसिया पर बड़ा उपद्रव होने लगा।

यरूशलेम में विश्वासियों ने क्या किया?

यरूशलेम में विश्वासी यहूदिया और सामरिया देशों में तितर-बितर हो गये और सुसमाचार सुनाते हुए फिरे।

Acts 8:6

फिलिप्पुस ने जो कुछ कहा उस पर सामरिया के लोगों ने एक चित्त होकर मन क्यों लगाया?

जब चेलों ने फिलिप्पुस द्वारा किए गए चिन्हों को देखा तो लोगों ने एक चित्त होकर मन लगाया।

Acts 8:9

सामरिया के लोगों ने शमौन पर एक चित्त होकर मन क्यों लगाया?

जब उन्होंने उसका जादू-टोना देखा तो एक चित्त होकर मन लगाया।

Acts 8:13

जब शमौन ने फिलिप्पुस का सुसमाचार सुना तो उसने क्या किया?

शमौन ने भी विश्वास किया और बपतिस्मा लिया।

Acts 8:17

जब पतरस और यूहन्ना ने सामरिया में विश्वासियों पर अपने हाथ रखे तब क्या हुआ?

सामरिया में विश्वासियों ने पवित्र-आत्मा पाया।

Acts 8:18

शमौन ने प्रेरितों को क्या दिया?

शमौन ने प्रेरितों को रुपए दिए ताकि उसके बदले में उसको हाथ रखकर पवित्र-आत्मा देने का वरदान मिले।

Acts 8:23

जब शमौन ने प्रेरितों को रुपए दिए तो पतरस ने उसकी आत्मिक-दशा के बारे में क्या कहा?

पतरस ने कहा कि शमौन पित्त की सी कड़वाहट और अधर्म के बन्धन में पड़ा है।

Acts 8:26

एक स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस को क्या करने को कहा?

एक स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस को दक्षिण की ओर रेगिस्तानी मार्ग पर जाने को कहा जो गाजा को जाता है।

Acts 8:27

फिलिप्पुस किससे मिला और वह मनुष्य क्या कर रहा था?

फिलिप्पुस कूश देश से अपने रथ पर बैठकर और यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़कर आते हुए एक महान अधिकारी खोजा से मिला।

Acts 8:30

फिलिप्पुस ने उस मनुष्य से क्या प्रश्न पूछा?

फिलिप्पुस ने उस मनुष्य से पूछा, "तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?"

Acts 8:31

उस मनुष्य ने फिलिप्पुस को क्या करने को कहा?

उस मनुष्य ने फिलिप्पुस को रथ में आकर वह समझाने को कहा जो वह पढ़ रहा था।

Acts 8:32

पवित्रशास्त्र से यशायाह पुस्तक के अध्याय से पढ़े जा रहे अध्याय में जिस मनुष्य का वर्णन हो रहा था, उसको क्या होता है?

वह मनुष्य भेड़ के समान वध होने को पहुंचाया जाता है, किन्तु अपना मुंह नहीं खोलता।

Acts 8:34

धर्मशास्त्र से वह जो पढ़ रहा था उसके विषय में उस मनुष्य ने फिलिप्पुस से क्या प्रश्न पूछा?

उस मनुष्य ने फिलिप्पुस से पूछा कि क्या वह भविष्यद्वक्ता अपने विषय में कह रहा है या किसी दूसरे मनुष्य के विषय में।

Acts 8:35

फिलिप्पुस क्या बताता है कि धर्मशास्त्र के यशायाह अध्याय में वह मनुष्य कौन था?

फिलिप्पुस ने समझाया कि धर्मशास्त्र के यशायाह में वह मनुष्य यीशु था।

Acts 8:38

तब फिलिप्पुस ने उस मनुष्य को क्या किया?

फिलिप्पुस और खोजा दोनों पानी में उतरे और फिलिप्पुस ने उसे बपतिस्मा दिया।

Acts 8:39

फिलिप्पुस को क्या हुआ जब वह पानी से बाहर निकला?

जब फिलिप्पुस पानी से बाहर आया तो प्रभु का आत्मा फिलिप्पुस को उठा ले गया।

खोजा ने क्या किया जब वह पानी से बाहर आया?

जब खोजा पानी से बाहर आया तो वह आनन्द करते हुए अपने मार्ग पर चला गया।


Chapter 9

1 शाऊल* जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और मार डालने की धुन में था, महायाजक के पास गया। 2 और उससे दमिश्क* के आराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियाँ माँगी, कि क्या पुरुष, क्या स्त्री, जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बाँधकर यरूशलेम में ले आए।

3 परन्तु चलते-चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुँचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी, 4 और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, “हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?”

5 उसने पूछा, “हे प्रभु, तू कौन है?” उसने कहा, “मैं यीशु हूँ; जिसे तू सताता है। 6 परन्तु अब उठकर नगर में जा, और जो तुझे करना है, वह तुझ से कहा जाएगा।” 7 जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को देखते न थे।

8 तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्तु जब आँखें खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे उसका हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए। 9 और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया।

10 दमिश्क में हनन्याह नामक एक चेला था, उससे प्रभु ने दर्शन में कहा, “हे हनन्याह!” उसने कहा, “हाँ प्रभु।” 11 तब प्रभु ने उससे कहा, “उठकर उस गली में जा, जो ‘सीधी’ कहलाती है, और यहूदा के घर में शाऊल नामक एक तरसुस वासी को पूछ ले; क्योंकि वह प्रार्थना कर रहा है, 12 और उसने हनन्याह नामक एक पुरुष को भीतर आते, और अपने ऊपर हाथ रखते देखा है; ताकि फिर से दृष्टि पाए।”

13 हनन्याह ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, मैंने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है कि इसने यरूशलेम में तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी-बड़ी बुराइयाँ की हैं; 14 और यहाँ भी इसको प्रधान याजकों की ओर से अधिकार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बाँध ले।” 15 परन्तु प्रभु ने उससे कहा, “तू चला जा; क्योंकि यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्राएलियों के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है। 16 और मैं उसे बताऊँगा, कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा-कैसा दुःख उठाना पड़ेगा।”

17 तब हनन्याह उठकर उस घर में गया, और उस पर अपना हाथ रखकर कहा, “हे भाई शाऊल, प्रभु, अर्थात् यीशु, जो उस रास्ते में, जिससे तू आया तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर दृष्टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए।” 18 और तुरन्त उसकी आँखों से छिलके से गिरे, और वह देखने लगा और उठकर बपतिस्मा लिया; 19 फिर भोजन करके बल पाया।

वह कई दिन उन चेलों के साथ रहा जो दमिश्क में थे।

20 और वह तुरन्त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्‍वर का पुत्र है। 21 और सब सुननेवाले चकित होकर कहने लगे, “क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम में उन्हें जो इस नाम को लेते थे नाश करता था, और यहाँ भी इसलिए आया था, कि उन्हें बाँधकर प्रधान याजकों के पास ले जाए?” 22 परन्तु शाऊल और भी सामर्थी होता गया, और इस बात का प्रमाण दे-देकर कि यीशु ही मसीह है, दमिश्क के रहनेवाले यहूदियों का मुँह बन्द करता रहा।

23 जब बहुत दिन बीत गए, तो यहूदियों ने मिलकर उसके मार डालने की युक्ति निकाली। 24 परन्तु उनकी युक्ति शाऊल को मालूम हो गई: वे तो उसके मार डालने के लिये रात दिन फाटकों पर घात में लगे रहे थे। 25 परन्तु रात को उसके चेलों ने उसे लेकर टोकरे में बैठाया, और शहरपनाह पर से लटकाकर उतार दिया।

26 यरूशलेम में पहुँचकर उसने चेलों के साथ मिल जाने का उपाय किया परन्तु सब उससे डरते थे, क्योंकि उनको विश्वास न होता था, कि वह भी चेला है। 27 परन्तु बरनबास ने उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले जाकर उनसे कहा, कि इसने किस रीति से मार्ग में प्रभु को देखा, और उसने इससे बातें की; फिर दमिश्क में इसने कैसे साहस से यीशु के नाम का प्रचार किया।

28 वह उनके साथ यरूशलेम में आता-जाता रहा। 29 और निधड़क होकर प्रभु के नाम से प्रचार करता था; और यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदियों के साथ बातचीत और वाद-विवाद करता था; परन्तु वे उसे मार डालने का यत्न करने लगे। 30 यह जानकर भाइयों ने उसे कैसरिया में ले आए, और तरसुस को भेज दिया।

31 इस प्रकार सारे यहूदिया, और गलील, और सामरिया में कलीसिया को चैन मिला, और उसकी उन्नति होती गई; और वह प्रभु के भय और पवित्र आत्मा की शान्ति में चलती और बढ़ती गई।

32 फिर ऐसा हुआ कि पतरस हर जगह फिरता हुआ, उन पवित्र लोगों के पास भी पहुँचा, जो लुद्दा* में रहते थे।

33 वहाँ उसे ऐनियास नामक लकवे का मारा हुआ एक मनुष्य मिला, जो आठ वर्ष से खाट पर पड़ा था। 34 पतरस ने उससे कहा, “हे ऐनियास! यीशु मसीह तुझे चंगा करता है। उठ, अपना बिछौना उठा।” तब वह तुरन्त उठ खड़ा हुआ। 35 और लुद्दा और शारोन के सब रहनेवाले उसे देखकर प्रभु की ओर फिरे।

36 याफा* में तबीता अर्थात् दोरकास नामक एक विश्वासिनी रहती थी, वह बहुत से भले-भले काम और दान किया करती थी। 37 उन्हीं दिनों में वह बीमार होकर मर गई; और उन्होंने उसे नहलाकर अटारी पर रख दिया।

38 और इसलिए कि लुद्दा याफा के निकट था, चेलों ने यह सुनकर कि पतरस वहाँ है दो मनुष्य भेजकर उससे विनती की, “हमारे पास आने में देर न कर।” 39 तब पतरस उठकर उनके साथ हो लिया, और जब पहुँच गया, तो वे उसे उस अटारी पर ले गए। और सब विधवाएँ रोती हुई, उसके पास आ खड़ी हुई और जो कुर्ते और कपड़े दोरकास ने उनके साथ रहते हुए बनाए थे, दिखाने लगीं।

40 तब पतरस ने सब को बाहर कर दिया, और घुटने टेककर प्रार्थना की; और शव की ओर देखकर कहा, “हे तबीता, उठ।” तब उसने अपनी आँखें खोल दी; और पतरस को देखकर उठ बैठी। 41 उसने हाथ देकर उसे उठाया और पवित्र लोगों और विधवाओं को बुलाकर उसे जीवित और जागृत दिखा दिया। 42 यह बात सारे याफा में फैल गई; और बहुतों ने प्रभु पर विश्वास किया। 43 और पतरस याफा में शमौन नामक किसी चमड़े के धन्धा करनेवाले के यहाँ बहुत दिन तक रहा।



Acts 9:1

शाऊल जो अब तक

कहानी पर फिलिप्पुस से हट कर शाऊल में केन्द्रित हो जाती है। “इस बीच शाऊल” (यूडीबी)

अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था

“घात” के स्थान पर हम यूं भी लिख सकते हैं : “अब बी प्रभु के चेलों को धमका रहा था, और उन्हें घात भी कर रहा था”।

उससे....चिट्ठियां माँगी

“महा याजक से अनुमोदन की चिट्ठियां मांगीं”

जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बांधकर यरूशलेम ले आये

“वह” का आशय शाऊल से है।

जिन्हें वह इस पंथ पर पाए

अर्थात “जिन्हें भी वह यीशु मसीह की शिक्षाओं का अनुकरण करते पाता”

बांधकर यरूशलेम ले आये

“वह उन्हें यरूशलेम में बंधक बना कर ले आये।” पौलुस के उद्देश्य को स्पष्ट करने के लिए हम यह भी जोड़ सकते हैं कि, “ताकि यहूदी अगुवें उनका न्याय करें और दंड दे सकें।”

Acts 9:3

x

(महा याजक द्वारा चिट्ठियाँ देने के बाद , वह दमिश्क के लिए निकल पड़ा)

परन्तु चलते-चलते

शाऊल इस समय दमिश्क की ओर यात्रा कर रहा है

तो एकाएक

कहानी में अचानक आनेवाले बदलाव को व्यक्त करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है।

आकाश से ....ज्योति चमकी

आकाश से

वह भूमि पर गिर पड़ा

यह सपष्ट नहीं है कि 1)”शाऊल स्वयं भूमि पर गिर पड़ा” या कि 2) “उस ज्योति के कारण वह भूमि पर गिर गया था” या 3) “शाऊल बेसुध सा होकर गिर पड़ा था।” यह तो स्पष्ट है कि शाऊल का गिरना संयोग नहीं था।

तू मुझे क्यों सताता है?

इस प्रश्न के द्वारा शाऊल को प्रभु झिड़की दे रहे थे। अनुवाद करते समय हम ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “तू मुझे सता रहा है।”

Acts 9:5

“हे प्रभु, तू कौन है?”

“प्रभु” का आशय यहाँ 1) प्रभु, अथवा 2)स्वामी या कि “महोदय” हो सकता है, क्योंकि इस समय तक शाऊल को यह ज्ञात नहीं था कि उसका सामना यीशु मसीह से हुआ है।

परन्तु अब उठ कर नगर में जा....

“उठ और दमिश्क के नगर में जा....”

वह तुझ से कहा जाएगा

कोई तुझे बता देगा

तू....तू....तुझे

ये सभी एकवचन हैं।

किसी को देखते न थे

ज्योति का अनुभव केवल शाऊल को हुआ था।

Acts 9:8

न देख सका

शाऊल अँधा हो गया था

और न खाया और न पीया

“उसने न खाने और पीने का फैसला किया” अथवा, “वह न खा सका और न पी सका”, क्योंकि उसे “भूख न थी।”

Acts 9:10

अब वहाँ……..था

कहानी में एक नए पात्र के प्रवेश को दर्शाने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है।

हनन्याह

यीशु का एक चेला जिसने यीशु की आज्ञा मानते हुए शाऊल के पास गया, और उस पर हाथ रख कर उसे चंगाई दी।

प्रभु ने उससे कहा

“प्रभु ने हनन्याह से कहा”

यहूदा के घर

यहूदा दमिश्क में उस घर का मालिक था जहां हनन्याह रुका था। हालाँकि नए नियम में बहुत से हनन्याह हैं, लेकिन संभव है कि यह हनन्याह हमें दोबारा दिखाई नहीं देता।

एक तरसुसवासी

“तरसुस के नगर का एक वासी”

Acts 9:13

महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है

यह स्पष्ट है कि इस समय तक शाऊल का अधिकार केवल यहूदियों तक सीमित था।

मेरा चुना हुआ पात्र है

“चुना हुआ पात्र” का आशय सेवा के लिए अलग किया है। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “मैंने इसे अपनी सेवा के लिए चुना है।”

मेरा नाम प्रगट करने के लिए

“मेरा नाम प्रगट करने के लिए” का आशय यीशु के लिए बोलने और उससे जुड़ना है। अनुवाद करते समय हम “मेरे बारे में बोलने के लिए” भी लिख सकते हैं।

मेरे नाम के लिए

अर्थात “लोगों के मेरे विषय में बताने के लिए।”

Acts 9:17

उस पर अपना हाथ रखकर कहा

हनन्याह ने शाऊल पर अपना हाथ रखकर कहा

जो...तुझे दिखाई दिया

हालाँकि यात्रा के दौरान शाऊल के साथ और लोग भी थे, लेकिन “तुझे” का आशय केवल शाऊल (एकवचन) से है।

उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर से दृष्टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए

इसे सक्रिय वाक्यांश के रूप में भी लिख सकते हैं, “उसी ने मुझे भेजा है कि तू फिर से देखने लगे और पवित्र आत्मा तुझमे भर जाए।”

उसकी आँखों से छिलके से गिरे

“मछली के शरीर के छिलके जैसे कुछ गिरे”

और उठकर बप्तिस्मा लिया

अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “वह उठा और हनन्याह ने उसे बप्तिस्मा दिया।”

Acts 9:20

और वह तुरंत आरधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा

“वह” अर्थात शाऊल

कि वह परमेश्वर का पुत्र है

“वह” अर्थात यीशु।

सब सुननेवाले

अतिशयोक्ति का प्रयोग है। “सब” के स्थान पर “सुननेवाले कई लोगों” लिख सकते हैं।

क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम में उन्हें जो इस नाम को लेते थे, नाश करता था...?

यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। यहाँ पूरा ज़ोर इस बात पर है कि विश्वासियों को सताने वाला शाऊल ही था। इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “यह वही है जिसने यीशु का नाम लेनेवालों को यरूशलेम में नाश किया था।

Acts 9:23

यहूदियों ने मिलकर उसे मार डालने के लिए

“उसे” का आशय शाऊल से है।

परन्तु उनकी युक्ति शाऊल को मालूम हो गयी

इसे सक्रिय वाक्यांश के रूप में लिख सकते हैं, जैसे कि, “लेकिन किसी ने शाऊल को इस युक्ति की जानकारी दे दी।”

रात दिन फाटकों पर लगे रहे थे

इस नगर के चारो ओर एक दीवार थी। आने-जाने के लिए लोगों को नगर के फाटक का इस्तेमाल करना होता था।

उसके चेलों

यीशु के विषय में शाऊल के उपदेश पर विश्वास करने और उसकी शिक्षा को माननेवाले लोग।

Acts 9:26

परन्तु सब उससे डरते थे

“सब” एक अतिशयोक्ति है। इसका आशय बहुत से या अधिकाँश से है। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते हैं, कि “लगभग सभी उससे डरते थे।”

परन्तु बरनबास ने उसे अपने साथ

“परन्तु बरनबास ने शाऊल को साथ लिया और”

कैसे हियाव से यीशु के नाम का प्रचार किया

अर्थात शाऊल ने यीशु के सुसमाचार की शिक्षा दी।

Acts 9:28

वह उनके साथ

“शाऊल प्रेरितों के साथ मिला और”

प्रभु के नाम से प्रचार करता था

अर्थात यीशु मसीह के सुसमाचार के सन्देश का।

यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदियों के साथ बातचीत और वाद-विवाद करता था

शाऊल ने यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदियों से तर्क-वितर्क किया

कैसरिया में ले आये

यरूशलेम से कैसरिया को जानेवाले मार्ग में ऊंचाई का अंतर था। लेकिन बोलते समय ऐसा कहना सामान्य बात थी कि ऊपर यरूशलेम की और मंदिर की ओर जा रहे है, और दूसरी ओर यरूशलेम से दूर जाते समय कहते थे कि यरूशलेम से नीचे की ओर।

Acts 9:31

उसकी उन्नति होती गयी

परमेश्वर ने उन्हें उन्नति दी

प्रभु के भय और....में बढ़ती चली जाती थी

“प्रभु को आदर व सम्मान देती रही”

पवित्र आत्मा की शांति में

“पवित्र आत्मा उन्हें सामर्थ व प्रोत्साहन देता था”

इस प्रकार सारे यहूदिया, और गलील, सामरिया में

“सारे” शब्द के प्रयोग में संभवतः अतिशयोक्ति का प्रयोग है। इसका आशय “अधिकाँश” से हो सकता है।

पवित्र लोगों के पास

यह यीशु मसीह के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले लोगों के लिए प्रयुक्त हुआ आलंकारिक शब्द है।

लुदिया

लुदिया यह याफा नगर के दक्षिणपूर्व में लगभग 18 किमी। पर स्थित था। पुराने नियम में, और आधुनिक इस्राएल में यह लोद कहलाता था।

Acts 9:33

वहाँ उसे ऐनियास नामक लकवे का मारा हुआ एक मनुष्य मिला

“वहां पतरस को ऐनियास नामक लकवे का मारा हुआ एक मनुष्य मिला।” यह स्पष्ट है कि पतरस उससे मिलने की मंशा से नहीं गया था।

लकवे का मारा हुआ

वह चल-फिर नहीं सकता था, शायद कमर से नीचे से उसका शरीर लाचार था

अपना बिछौना बिछा

अर्थात “अपनी चटाई उठा” (यूडीबी)

...के सब रहनेवाले

यह “बहुत से लोगों” को अतिशयोक्तिपूर्ण दिखाया गया है

Acts 9:36

याफा में

यहाँ पतरस की कहानी में नया अध्याय जुड़ता है

तबीता अर्थात दोरकास नाम एक विश्वासिनी

तबीता उस विश्वासिनी का अरामी और दोरकास यूनानी भाषा में नाम था। दोनों ही नाम का अर्थ है “हिरन” है।

बहुत से भले-भले काम

अर्थ सुस्पष्ट है

उन्हीं दिनों में

अर्थात जिन दिनों पतरस लुदिया में था। यह अन्तर्निहित जानकारी है।

Acts 9:38

दो मनुष्य भेजकर उसे विनती की

शिष्यों ने दो लोग पतरस के पास भेजे

विधवाएं

अर्थात जिनके पतियों की मृत्यु हो चुकी है

उनके साथ रहते हुए

अर्थात "जब वह जीवित थी और प्रेरितों के साथ थी” (यूडीबी)

Acts 9:40

सबको बाहर कर दिया

अकेले में तबीता के लिए प्रार्थना करने के लिए पतरस ने सभी को बाहर कर दिया था।

यह बात सारे याफा में फ़ैल गयी

पतरस द्वारा तबीता को जिलाए जाने के आश्चर्यकर्म की बात

प्रभु पर विश्वास किया

अर्थात “प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर विश्वास किया”।

पतरस…..यहाँ बहुत दिन तक रहा

ऐसा हुआ कि पतरस……यहाँ बहुत दिन तक रहा


Translation Questions

Acts 9:1

शाऊल ने यरूशलेम में महायाजक से क्या करने की आज्ञा माँगी?

शाऊल ने महायाजक से दमिश्क आराधनालयों के नाम पर चिट्ठियाँ माँगी ताकि वह दमिश्क की यात्रा से इस पंथ के प्रत्येक को बाँधकर ला सके।

Acts 9:3

जब शाऊल दमिश्क के पास पहुँचा, उसने क्या देखा?

जब शाऊल दमिश्क के पास पहुँचा, उसने आकाश से अपने चारों ओर ज्योति चमकते हुए देखी।

Acts 9:4

आवाज ने शाऊल से क्या कहा?

आवाज ने शाऊल से कहा, "हे शाऊल, हे शाऊल तू मुझे क्यों सताता है? "

Acts 9:5

जब शाऊल ने पूछा, उससे कौन बोल रहा है, तो क्या उत्तर था?

उत्तर था, "मैं यीशु हूँ; जिसे तू सताता है।"

Acts 9:8

जब शाऊल भूमि पर से उठा तो उसे क्या हुआ?

जब शाऊल भूमि पर से उठा तो उसे कुछ दिखाई न दिया।

Acts 9:9

तब शाऊल कहाँ गया और उसने क्या किया?

तब शाऊल दमिश्क को गया और तीन दिन तक न खाया न पिया।

Acts 9:11

प्रभु ने हनन्याह से क्या करने को कहा?

प्रभु ने हनन्याह से कहा, जा और शाऊल पर हाथ रख ताकि शाऊल फिर से दृष्टि पाए।

Acts 9:13

प्रभु के लिए हनन्याह ने क्या परवाह दिखाई?

हनन्याह को परवाह थी, कि शाऊल दमिश्क में उन सबको बाँधकर ले जाने आया है, जो प्रभु का नाम लेते हैं।

Acts 9:15

प्रभु के पास शाऊल के लिए कौन सा विशेष कार्य था, जिसके लिए उसने कहा कि वह उसका चुना हुआ पात्र है?

प्रभु ने कहा कि शाऊल उसके नाम को अन्य जातियों, राजाओं और इस्राएलियों के सामने प्रगट करने के लिए उसका चुना हुआ पात्र है।

Acts 9:16

क्या प्रभु ने कहा शाऊल का विशेष कार्य आसान या कठिन होगा?

प्रभु ने कहा कि शाऊल को उसके नाम के खातिर बहुत दुख उठाना पढ़ेगा।

Acts 9:19

शाऊल के ऊपर हनन्याह के हाथ रखने के बाद क्या हुआ?

शाऊल के ऊपर हनन्याह के हाथ रखने के बाद शाऊल ने दृष्टि पायी, बपतिस्मा लिया और खाया।

Acts 9:20

शाऊल ने तुरन्त क्या करना प्रारम्भ कर दिया?

शाऊल ने तुरन्त आराधनालयों में यह प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है।

Acts 9:25

जब यहूदियों ने आखिरकार शाऊल को मारने की योजना बनाई तो उसने क्या किया?

जब यहूदियों ने शाऊल को मार डालने की योजना बनाई तो वह भाग निकला। उसको एक टोकरे में उसके चेलों ने बैठाकर शहरपनाह पर से लटकाकर उसे उतार दिया।

Acts 9:26

जब शाऊल यरूशलेम आया तो शिष्य उससे कैसे मिले?

यरूशलेम में शिष्य उससे डरते थे।

Acts 9:27

तब कौन शाऊल को प्रेरितों के पास लाया और समझाया कि दमिश्क में उसके साथ क्या हुआ?

तब बरनबास शाऊल को प्रेरितों के पास लाया और समझाया कि दमिश्क में उसके साथ क्या हुआ।

Acts 9:29

शाऊल ने यरूशलेम में क्या किया?

शाऊल ने निधड़क होकर यीशु के नाम का प्रचार किया।

Acts 9:31

जब शाऊल को तरसुस भेज दिया गया तो यहूदिया, गलील और सामरिया में कलीसिया की दशा कैसी थी?

यहूदिया, गलील और सामरिया में कलीसिया को चैन मिला, उसकी बढ़ोत्तरी होती गई और संख्या बढ़ती गई।

Acts 9:33

लुद्दा में ऐसा क्या हुआ कि वहाँ के सब लोग प्रभु की ओर फिरे?

लुद्दा में पतरस ने एक लकवे के मारे हुए मनुष्य से बात की जिसे यीशु ने चंगा किया था।

Acts 9:36

याफा में क्या हुआ कि बहुत से लोग प्रभु की ओर फिरे?

पतरस ने याफा में तबीता नाम की मरी हुई स्त्री के लिए प्रार्थना की और उसे जिंदा कर दिया।


Chapter 10

1 कैसरिया में कुरनेलियुस* नामक एक मनुष्य था, जो इतालियानी नाम सैन्य-दल का सूबेदार था। 2 वह भक्त* था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्‍वर से डरता था, और यहूदी लोगों को बहुत दान देता, और बराबर परमेश्‍वर से प्रार्थना करता था।

3 उसने दिन के तीसरे पहर के निकट दर्शन में स्पष्ट रूप से देखा कि परमेश्‍वर का एक स्वर्गदूत उसके पास भीतर आकर कहा, “हे कुरनेलियुस।” 4 उसने उसे ध्यान से देखा और डरकर कहा, “हे स्वामी क्या है?” उसने उससे कहा, “तेरी प्रार्थनाएँ और तेरे दान स्मरण के लिये परमेश्‍वर के सामने पहुँचे हैं। 5 और अब याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को, जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले। 6 वह शमौन, चमड़े के धन्धा करनेवाले के यहाँ अतिथि है, जिसका घर समुद्र के किनारे हैं।”

7 जब वह स्वर्गदूत जिसने उससे बातें की थी चला गया, तो उसने दो सेवक, और जो उसके पास उपस्थित रहा करते थे उनमें से एक भक्त सिपाही को बुलाया, 8 और उन्हें सब बातें बताकर याफा को भेजा।

9 दूसरे दिन जब वे चलते-चलते नगर के पास पहुँचे, तो दोपहर के निकट पतरस छत पर प्रार्थना करने चढ़ा। 10 उसे भूख लगी और कुछ खाना चाहता था, परन्तु जब वे तैयार कर रहे थे तो वह बेसुध हो गया। 11 और उसने देखा, कि आकाश खुल गया; और एक बड़ी चादर, पात्र के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, पृथ्वी की ओर उतर रहा है। 12 जिसमें पृथ्वी के सब प्रकार के चौपाए और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी थे।

13 और उसे एक ऐसी वाणी सुनाई दी, “हे पतरस उठ, मार और खा।” 14 परन्तु पतरस ने कहा, “नहीं प्रभु, कदापि नहीं; क्योंकि मैंने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है।” (लैव्य. 11:1-47, यहे. 4:14) 15 फिर दूसरी बार उसे वाणी सुनाई दी, “जो कुछ परमेश्‍वर ने शुद्ध ठहराया है*, उसे तू अशुद्ध मत कह।” 16 तीन बार ऐसा ही हुआ; तब तुरन्त वह चादर आकाश पर उठा लिया गया।

17 जब पतरस अपने मन में दुविधा में था, कि यह दर्शन जो मैंने देखा क्या है, तब वे मनुष्य जिन्हें कुरनेलियुस ने भेजा था, शमौन के घर का पता लगाकर द्वार पर आ खड़े हुए। 18 और पुकारकर पूछने लगे, “क्या शमौन जो पतरस कहलाता है, यहाँ पर अतिथि है?”

19 पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था, कि आत्मा ने उससे कहा, “देख, तीन मनुष्य तुम्हें खोज रहे हैं। 20 अतः उठकर नीचे जा, और निःसंकोच उनके साथ हो ले; क्योंकि मैंने ही उन्हें भेजा है।” 21 तब पतरस ने नीचे उतरकर उन मनुष्यों से कहा, “देखो, जिसको तुम खोज रहे हो, वह मैं ही हूँ; तुम्हारे आने का क्या कारण है?”

22 उन्होंने कहा, “कुरनेलियुस सूबेदार जो धर्मी और परमेश्‍वर से डरनेवाला और सारी यहूदी जाति में सुनाम मनुष्य है, उसने एक पवित्र स्वर्गदूत से यह निर्देश पाया है, कि तुझे अपने घर बुलाकर तुझ से उपदेश सुने। 23 तब उसने उन्हें भीतर बुलाकर उनको रहने की जगह दी।

और दूसरे दिन, वह उनके साथ गया; और याफा के भाइयों में से कुछ उसके साथ हो लिए।

24 दूसरे दिन वे कैसरिया में पहुँचे, और कुरनेलियुस अपने कुटुम्बियों और प्रिय मित्रों को इकट्ठे करके उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

25 जब पतरस भीतर आ रहा था, तो कुरनेलियुस ने उससे भेंट की, और उसके पाँवों पर गिरकर उसे प्रणाम किया। 26 परन्तु पतरस ने उसे उठाकर कहा, “खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य ही हूँ।”

27 और उसके साथ बातचीत करता हुआ भीतर गया, और बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर 28 उनसे कहा, “तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहाँ जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्‍वर ने मुझे बताया है कि किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न कहूँ। 29 इसलिए मैं जब बुलाया गया तो बिना कुछ कहे चला आया। अब मैं पूछता हूँ कि मुझे किस काम के लिये बुलाया गया है?”

30 कुरनेलियुस ने कहा, “चार दिन पहले, इसी समय, मैं अपने घर में तीसरे पहर को प्रार्थना कर रहा था; कि एक पुरुष चमकीला वस्त्र पहने हुए, मेरे सामने आ खड़ा हुआ। 31 और कहने लगा, ‘हे कुरनेलियुस, तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरे दान परमेश्‍वर के सामने स्मरण किए गए हैं। 32 इसलिए किसी को याफा भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुला। वह समुद्र के किनारे शमौन जो, चमड़े का धन्धा करनेवाले के घर में अतिथि है। 33 तब मैंने तुरन्त तेरे पास लोग भेजे, और तूने भला किया जो आ गया। अब हम सब यहाँ परमेश्‍वर के सामने हैं, ताकि जो कुछ परमेश्‍वर ने तुझ से कहा है उसे सुनें।”

34 तब पतरस ने मुँह खोलकर कहा,

अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, (व्य. 10:17, 2 इति. 19:7) 35 वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धार्मिक काम करता है, वह उसे भाता है।

36 जो वचन उसने इस्राएलियों के पास भेजा, जब कि उसने यीशु मसीह के द्वारा जो सब का प्रभु है, शान्ति का सुसमाचार सुनाया। (भज. 107:20, भज. 147:18, यशा. 52:7, नहू. 1:15) 37 वह वचन तुम जानते हो, जो यूहन्ना के बपतिस्मा के प्रचार के बाद गलील से आरम्भ होकर सारे यहूदिया में फैल गया: 38 परमेश्‍वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से अभिषेक किया; वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा, क्योंकि परमेश्‍वर उसके साथ था। (यशा. 61:1)

39 और हम उन सब कामों के गवाह हैं; जो उसने यहूदिया के देश और यरूशलेम में भी किए, और उन्होंने उसे काठ पर लटकाकर मार डाला। (व्य. 21:22-23) 40 उसको परमेश्‍वर ने तीसरे दिन जिलाया, और प्रगट भी कर दिया है। 41 सब लोगों को नहीं वरन् उन गवाहों को जिन्हें परमेश्‍वर ने पहले से चुन लिया था, अर्थात् हमको जिन्होंने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया पीया;

42 और उसने हमें आज्ञा दी कि लोगों में प्रचार करो और गवाही दो, कि यह वही है जिसे परमेश्‍वर ने जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है। 43 उसकी सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उसको उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी। (यशा. 33:24, यशा. 53:5-6, यिर्म. 31:34, दानि. 9:24)

44 पतरस ये बातें कह ही रहा था कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया*। 45 और जितने खतना किए हुए विश्वासी पतरस के साथ आए थे, वे सब चकित हुए कि अन्यजातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उण्डेला गया है।

46 क्योंकि उन्होंने उन्हें भाँति-भाँति की भाषा बोलते और परमेश्‍वर की बड़ाई करते सुना। इस पर पतरस ने कहा, 47 “क्या अब कोई इन्हें जल से रोक सकता है कि ये बपतिस्मा न पाएँ, जिन्होंने हमारे समान पवित्र आत्मा पाया है?” 48 और उसने आज्ञा दी कि उन्हें यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा दिया जाए। तब उन्होंने उससे विनती की, कि कुछ दिन और हमारे साथ रह।



Acts 10:1

कैसरिया में कुरनेलियुस नाम एक मनुष्य था

कहानी में कुरनेलियुस नाम के एक नए पात्र का प्रवेश होता है।

जो इतालियानी नाम पलटन का सूबेदार था

“उसका नाम कुनेलियुस था। वह रोमी सेना के इतालवी खंड के 100 सिपाहियों के ऊपर प्रभारी-अधिकारी था।”

वह भक्त था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्वर से डरता था,

अर्थात, “वह परमेश्वर में आस्था रखता था और अपने जीवन में परमेश्वर को आदर देता था और उसकी आराधना करता था।”

अपने सारे घराने समेत

“अपने पूरे परिवार के साथ”

यहूदी लोगों को बहुत दान देता

अर्थात “गरीब यहूदी लोगों को।” परमेश्वर के प्रति अपने भय को प्रकट करने का उसका यह एक तरीका था।

Acts 10:3

उसने दिन के तीसरे पहर

यहूदियों के दोपहर की प्रार्थना का नियमित समय।

स्पष्ट रूप से देखा

अर्थात “कुरनेलियुस ने स्पष्ट रूप से देखा”

चमड़े के धंधा करनेवाले के यहाँ

अर्थात चर्मकार के यहाँ

Acts 10:7

जब वह स्वर्गदूत जिसने उससे बातें की थी चला गया

अर्थात “कुरनेलियुस को मिले दर्शन के समाप्त होने पर”

उन्हें सब बातें बताकर

अर्थात कुरनेलियुस ने अपने दो सेवकों और सिपाही को अपने दर्शन बताया

याफा भेजा

अपने दो सेवकों और सिपाही को याफा भेजा।

Acts 10:9

जब वे चलते-चलते नगर के पास पहुंचें

कुरनेलियुस के दो सेवक और सिपाही कुरनेलियुस की आज्ञा पर याफा की ओर यात्रा कर रहे थे।

वह बेसुध हो गया

यह वह दशा थी जिसमें दर्शन पाते समय पतरस भी था।

और उसने देखा कि आकाश खुल गया

यह पतरस के दर्शन की शुरुआत थी

एक पात्र बड़ी चादर के समान

उस बड़े पात्र का आकार एक बड़ी चादर के समान था

जिसमें हर प्रकार के....जंतु और आकाश के पंछी थे

अर्थात उस पात्र के भीतर बहुत तरह के जंतु थे

Acts 10:13

और उसे एक ऐसा शब्द सुनाई दिया

वक्ता स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह स्पष्ट है कि बोलनेवाला परमेश्वर की ओर से था, न कि शैतान की ओर से।

प्रभु

पतरस ने आदरपूर्वक इस शब्द का प्रयोग किया है।

मैंने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है

यह स्पष्ट है कि पात्र में जो जीव-जंतु थे जो मूसा की व्यवस्था के अनुसार अशुद्ध थे और जिन्हें खाना वर्जित था।

Acts 10:17

द्वार पर आ खड़े हुए

अर्थात “घर के द्वार पर आ खड़े हुए।” स्पष्ट है कि घर में एक दीवार और प्रवेश के लिए एक बाड़ा लगा गेट था।

और पुकारकर पूछने लगे

कुरनेलियुस के लोग द्वार के बाहर से ही पतरस के बारे में पूछताछ कर रहे थे।

जो पतरस कहलाता है

अर्थ स्पष्ट है

Acts 10:19

पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था

पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था “पतरस जब उस दर्शन पर विचार कर ही रहा था।”

आत्मा

“पवित्र आत्मा”

देख, तीन मनुष्य

“सावधान, तीन मनुष्य” या फिर, “जा, तीन मनुष्य”

जिसकी खोज....तुम्हारे आने का कारण क्या है?

जिसकी खोज तुम.....तुम्हारे आने का कारण क्या है? “तुम” और “तुम्हारे” का आशय कुरनेलियुस द्वारा भेजे गए तीन लोगों से है.

Acts 10:22

उन्होंने कहा

कुरनेलियुस द्वारा भेजे गए तीन संदेशवाहकों ने पतरस से कहा

कुरनेलियुस....सारी यहूदी जाति में सुनाम मनुष्य है

अर्थात बहुत से यहूदी लोग कुरनेलियुस के विषय में भली बातें कहते थे।

सारी यहूदी जाति

यहाँ बहुत से यहूदी लोग कुरनेलियुस के विषय में भली बातें कहते थे को अतिशयोक्ति के साथ व्यक्त किया गया है।

कि तुझे अपने घर बुलाकर

“तुझे” अर्थात पतरस को।

Acts 10:24

दूसरे दिन वे

“वे” अर्थात पतरस, याफा से पतरस के साथ आया व्यक्ति, और कुरनेलियुस के तीन सेवक

अपने कुटुम्बियों और प्रिय मित्रों को इकट्ठे करके

“अपने” का आशय कुरनेलियुस से है।

Acts 10:25

उसके पांवों पर गिर कर उसे

पांवों पर गिरना यहाँ केवल आदर व्यक्त करने की नहीं, वरन आराधना की क्रिया है (यूडीबी)।

“खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य हूँ।”

यहाँ पर पतरस की आराधना करने पर कुरनेलियुस को हल्की सी झिड़की दी गयी है।

Acts 10:27

उसके साथ बातचीत करता हुआ

अर्थात कुरनेलियुस से बातचीत करता हुआ

बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर

“बहुत से गैर यहूदी लोगों को इकट्ठे देखकर।” यह स्पष्ट है कि कुरनेलियुस ने जिन्हें बुलाया था वे गैर यहूदी थे।

यहूदी के लिए अधर्म है

“यहूदी के लिए वर्जित है”

तुम जानते हो

पतरस यहाँ कुरनेलियुस और आमंत्रित लोगों को संबोधित कर रहा है।

मुझे किस काम के लिए बुलाया गया है?”

पतरस यहाँ कुरनेलियुस और उपस्थित सभी गैर-यहूदियों से पूछ रहा है।

Acts 10:30

पूरे चार दिन हुए

बाइबिल पर आधारित संस्कृति में वर्तमान दिन को भी शामिल किया जाता है। आज के अनुसार “तीन दिन पहले” लिखा जाएगा।

तीसरे पहर की प्रार्थना

परमेश्वर से प्रार्थना करने का यहूदियों का समय।

अपने घर में तीसरे पहर की प्रार्थना

कुछ प्राचीन प्रमाणित लेख “उपवास और प्रार्थना...” कहते हैं

तेरी प्रार्थना

यहाँ आशय केवल कुरनेलियुस (एकवचन) से है।

तेरे दान परमेश्वर के सामने स्मरण किये गए

अर्थात “तेरे दान पर परमेश्वर का ध्यान लगाया है”

शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुला

“पतरस कहलानेवाले शमौन से आने के लिए कह”

तेरे पास लोग भेजे

“तेरे” का आशय केवल पतरस (एकवचन) से है।

हम सब यहाँ

“हम” का आशय उन लोगों से है जिन्हें कुरनेलियुस ने पतरस को सुनने के लिए बुलाया था।

Acts 10:34

तब पतरस ने मुंह खोलकर कहा

“तब पतरस ने उन्हें संबोधित करना शुरू किया” (यूडीबी)

जो उससे डरता और धर्म के काम करता है,वह उसे भाता है

“उसका भय रखनेवाले और धर्म के काम करनेवाला हर व्यक्ति उसे भाता है”

Acts 10:36

x

(पतरस अपनी बात आगे बढाता है)

वह वचन तुम जानते हो

“वचन” का आशय “वचन” से ही है

जो सब का प्रभु है

इसमें यहूदी और गैर-यहूदी सभी लोग शामिल हैं।

तुम जानते हो

आशय कुरनेलियुस और उसके पाहुनों से है (बहुवचन)

वह वचन तुम जानते हो

अर्थात “उसके सभी काम जानते हो”

Acts 10:39

x

(पतरस अपनी बात आगे बढ़ाता है)

हम.....गवाह हैं

“हम प्रेरित....गवाह हैं.” इस संबोधन में पतरस ने अपने सुननेवालों को शामिल नहीं किया है।

जो उसने.....में भी किये

“जो यीशु ने....में भी किये”

उसे...मार डाला

“जिसे यहूदी अगुओं ने मार डाला”

उसको

“यीशु को”

उसको परमेश्वर ने तीसरे दिन जिलाया

परमेश्वर ने यीशु को फिर से जीवित किया

और प्रगट भी कर दिया

परमेश्वर ने उसे स्वयं को प्रगट करने की अनुमति दी

Acts 10:42

x

(पतरस अपनी बात आगे बढ़ाता है)

उसने हमें आज्ञा दी

परमेश्वर ने हम प्रेरितों को आज्ञा दी। इस “यहाँ” शब्द में पतरस को सुननेवाले शामिल नहीं हैं।

यह वही है जिसे परमेश्वर ने .....ठहराया है

कि यीशु ही वही है जिसे परमेश्वर ने ....ठहराया है.

जीवतों और मरे हुओं का

वे जो अब भी जीवित हैं और वे जो मर चुके हैं

उसकी सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हैं

सब भविष्यद्वक्ता यीशु की गवाही देते हैं

Acts 10:44

वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया

वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया “सब” का आशय संभवतः घर में मौजूद सब गैर-यहूदियों से है जो पतरस पर विश्वास रखते थे।

दान

“मुफ्त का वरदान”

पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है

परमेश्वर ने पवित्र आत्मा का दान उंडेला है

Acts 10:46

उन्होंने उन्हें भांति-भांति की भाषा बोलते और परमेश्वर की बड़ाई करते सुना

ये लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषाएँ थीं जिससे यहुदियों को यह पता चल पाया कि “उन्हें” अर्थात अन्यजातीय लोग सचमुच परमेश्वर की बड़ाई कर रथे थे।

क्या कोई जल की रोक कर सकता है कि....

यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। इसका आशय है कि “किसी को उन्हें जल से दूर नहीं रखना चाहिए।”

कि ये बप्तिस्मा न पाएं

पतरस यहाँ पर आलंकारिक भाषा का प्रयोग कर रहा है और प्रश्न वास्तविक न होकर केवल आलंकारिक है। कहने का आशय असल में है कि ये लोग बप्तिस्मा पाने के योग्य हैं।

और उसने आज्ञा दी कि उन्हें ....बप्तिस्मा दिया जाए

“पतरस ने उन्हें अन्यजतीय लोगों को बप्तिस्मा देने की आज्ञा दी” (निष्क्रिय) अथवा “पतरस ने यहूदी मसीहियों को गैर-यहूदी विश्वासियों को बप्तिस्मा देने की आज्ञा दी”

तब उन्होंने उससे विनती की

“तब अन्यजातियों ने पतरस से विनती की”


Translation Questions

Acts 10:2

कुरनेलियुस किस प्रकार का व्यक्ति था?

कुरनेलियुस धर्मी और परमेश्वर से डरने वाला, दयावान और सदैव परमेश्वर से प्रार्थना करने वाला व्यक्ति था।

Acts 10:4

स्वर्गदूत ने क्या कहा कि परमेश्वर ने कुरनेलियुस को याद किया?

स्वर्गदूत ने कहा कि कुरनेलियुस की प्रार्थनाओं और निर्धनों को दिये गये दानों ने परमेश्वर को कुरनेलियुस का स्मरण कराया।

Acts 10:5

स्वर्गदूत ने कुरनेलियुस को क्या करने को कहा?

स्वर्गदूत ने कुरनेलियुस से पतरस को याफा से लाने के लिए आदमी भेजने को कहा।

Acts 10:11

दूसरे दिन जब पतरस छत पर प्रार्थना कर रहा था, तो उसने क्या देखा?

पतरस ने एक बहुत बड़ी चादर सब प्रकार के चौपायों, रेंगने वाले जन्तुओं और आकाश के पक्षियों से भरी हुई देखी।

Acts 10:13

जब पतरस ने वह दर्शन देखा, तो उसे क्या आवाज सुनाई दी?

आवाज ने पतरस से कहा, "हे पतरस उठ, मार और खा।"

Acts 10:14

पतरस की आवाज के प्रति क्या प्रतिक्रिया थी?

पतरस ने यह कहकर खाने से मना किया कि उसने कभी कोई अशुद्ध और अपवित्र वस्तु नहीं खाई है।

Acts 10:15

इसके बाद आवाज ने पतरस से क्या कहा?

आवाज ने कहा, "जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे तू अशुद्ध मत कर।"

Acts 10:20

जब कुरनेलियुस के भेजे हुए मनुष्य घर पर पहुंचे तो आत्मा ने पतरस से क्या कहा?

पतरस से आत्मा ने नीचे जाने और भेजे हुए मनुष्यों के साथ हो लेने को कहा।

Acts 10:22

कुरनेलियुस के पास से आए हुए मनुष्यों ने पतरस को कुरनेलियुस के घर आकर क्या करने की उम्मीद की?

कुरनेलियुस के पास से आए हुए मनुष्यों ने कुरनेलियुस के घर आकर पतरस से वचन सुनाने की उम्मीद की।

Acts 10:26

जब कुरनेलियुस ने पतरस के पाँवों पर गिरकर उसे प्रणाम किया तो पतरस ने क्या कहा?

पतरस ने कुरनेलियुस को खड़ा होने को कहा क्योंकि वह एक मनुष्य ही था।

Acts 10:28

पतरस क्या कर रहा था जिसे पूर्वकाल में यहूदियों को करने की आज्ञा न थी और अब वह उसको क्यों कर रहा था?

पतरस अन्य जाति के लोगों से संगति कर रहा था क्योंकि परमेश्वर ने उसे बताया था कि किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न कहे।

Acts 10:35

पतरस ने किसके लिए कहा कि वह परमेश्वर को स्वीकृत है?

पतरस ने कहा कोई भी जो परमेश्वर से डरता और धार्मिक कार्य करता है, वह परमेश्वर को स्वीकृत है।

Acts 10:38

कुरनेलियुस के घर आये हुए लोगों ने यीशु के बारे में कौन सा संदेश पहले ही सुन रखा था?

लोगों ने पहले ही सुन रखा था कि यीशु का पवित्र-आत्मा और सामर्थ्य से अभिषेक हुआ था और उसने उन सबको चंगा किया था जो सताए हुए थे, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।

Acts 10:40

पतरस ने किस बात की गवाही दी की कि यीशु के साथ उसकी मृत्यु के बाद क्या हुआ और पतरस इस बात को कैसे जानता था?

पतरस ने गवाही दी कि परमेश्वर ने यीशु को तीसरे दिन जिलाया और पतरस ने उसके जी उठने के बाद उसके साथ खाया।

Acts 10:42

पतरस ने क्या कहा कि यीशु ने उनको लोगों को प्रचार करने की आज्ञा दी है?

पतरस ने कहा, यीशु ने उनको आज्ञा दी है कि प्रचार करो कि यीशु को परमेश्वर ने जीवतों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है।

Acts 10:43

पतरस ने किस चीज के लिए कहा कि प्रत्येक जो यीशु पर विश्वास करेगा, पायेगा?

पतरस ने कहा कि प्रत्येक जो यीशु पर विश्वास करता है उसे पापों की क्षमा मिलेगी।

Acts 10:44

उन लोगों को क्या हुआ जो पतसर को जो अभी भी वचन सुना रहा था, सुन रहे थे?

उन सभी पर जो पतरस से वचन को सुन रहे थे, पवित्र-आत्मा उतरा।

Acts 10:45

वे विश्वासी जो खतना किए हुए समूह के थे, चकित क्यों हुए?

वे विश्वासी जो खतना किए हुए समूह के थे चकित इसलिए हुए क्योंकि पवित्र-आत्मा का वरदान अन्य जातियों पर भी उण्डेला गया।

Acts 10:46

वे लोग ऐसा क्या कर रहे थे जिससे दिखाई दे कि पवित्र-आत्मा उन पर उतरा है?

वे लोग अन्य भाषाओं में बोल रहे थे और परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे जिससे दिखाई दे रहा था कि पवित्र-आत्मा उन पर उतरा है।

Acts 10:48

यह देखकर कि लोगों को पवित्र-आत्मा मिला है, पतरस ने क्या आज्ञा दी कि उनके साथ किया जाए?

पतरस ने आज्ञा दी कि उन लोगों को यीशु के नाम में बपतिस्मा दिया जाए।


Chapter 11

1 और प्रेरितों और भाइयों ने जो यहूदिया में थे सुना, कि अन्यजातियों ने भी परमेश्‍वर का वचन मान लिया है। 2 और जब पतरस यरूशलेम में आया, तो खतना किए हुए लोग उससे वाद-विवाद करने लगे, 3 “तूने खतनारहित लोगों के यहाँ जाकर उनके साथ खाया।”

4 तब पतरस ने उन्हें आरम्भ से क्रमानुसार कह सुनाया; 5 “मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रहा था, और बेसुध होकर एक दर्शन देखा, कि एक बड़ी चादर, एक पात्र के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, आकाश से उतरकर मेरे पास आया। 6 जब मैंने उस पर ध्यान किया, तो पृथ्वी के चौपाए और वन पशु और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी देखे;

7 और यह आवाज़ भी सुना, ‘हे पतरस उठ मार और खा।’ 8 मैंने कहा, ‘नहीं प्रभु, नहीं; क्योंकि कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुँह में कभी नहीं गई।’ 9 इसके उत्तर में आकाश से दूसरी आवाज़ आई, ‘जो कुछ परमेश्‍वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह।’ 10 तीन बार ऐसा ही हुआ; तब सब कुछ फिर आकाश पर खींच लिया गया।

11 तब तुरन्त तीन मनुष्य जो कैसरिया से मेरे पास भेजे गए थे, उस घर पर जिसमें हम थे, आ खड़े हुए। 12 तब आत्मा ने मुझसे उनके साथ बेझिझक हो लेने को कहा, और ये छः भाई भी मेरे साथ हो लिए; और हम उस मनुष्य के घर में गए। 13 और उसने बताया, कि मैंने एक स्वर्गदूत को अपने घर में खड़ा देखा, जिसने मुझसे कहा, ‘याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले। 14 वह तुझ से ऐसी बातें कहेगा, जिनके द्वारा तू और तेरा सारा घराना उद्धार पाएगा।’

15 जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था। 16 तब मुझे प्रभु का वह वचन स्मरण आया; जो उसने कहा, ‘यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।’

17 अतः जब कि परमेश्‍वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला; तो मैं कौन था जो परमेश्‍वर को रोक सकता था?” 18 यह सुनकर, वे चुप रहे, और परमेश्‍वर की बड़ाई करके कहने लगे, “तब तो परमेश्‍वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।”

19 जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते फीनीके और साइप्रस और अन्ताकिया में पहुँचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे। 20 परन्तु उनमें से कुछ साइप्रस वासी और कुरेनी* थे, जो अन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमाचार की बातें सुनाने लगे। 21 और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।

22 तब उनकी चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्होंने बरनबास* को अन्ताकिया भेजा। 23 वह वहाँ पहुँचकर, और परमेश्‍वर के अनुग्रह को देखकर आनन्दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहें। 24 क्योंकि वह एक भला मनुष्य था; और पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण था; और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले।

25 तब वह शाऊल को ढूँढ़ने के लिये तरसुस को चला गया। 26 और जब उनसे मिला तो उसे अन्ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत से लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सबसे पहले अन्ताकिया ही में मसीही कहलाए।

27 उन्हीं दिनों में कई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम से अन्ताकिया में आए। 28 उनमें से अगबुस* ने खड़े होकर आत्मा की प्रेरणा से यह बताया, कि सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ेगा, और वह अकाल क्लौदियुस के समय में पड़ा।

29 तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी पूँजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सेवा के लिये कुछ भेजे। 30 और उन्होंने ऐसा ही किया; और बरनबास और शाऊल के हाथ प्राचीनों के पास कुछ भेज दिया।



Acts 11:1

और....

कहानी को आगे बढाने के लिए प्रयुक्त

जो यहूदिया में थे

“जो यहूदिया प्रांत में थे”

परमेश्वर का वचन मान लिया

यह यीशु मसीह के सुसमाचार पर अन्यजातियों द्वारा विश्वास करने, उन पर पवित्र आत्मा के उतरने व उनके द्वारा बप्तिस्मा लेने को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त की गयी अभिव्यक्ति है।

और जब पतरस यरूशलेम में आया

यरूशलेम पहाड़ी पर स्थित है

खतना किये हुए लोग

ऐसे यहूडी लोग जो यह सिखाते थे कि मसीह के अनुयायियों को खतना करवाना चाहिए और मूसा की व्यवस्था को पालन करना चाहिए

उससे वाद-विवाद करने लगे

“वे उसके समक्ष मुद्दा उठा रहे थे”

उनके साथ खाया

यहूदी व्यवस्था के अनुसार खतना किये लोगों का उन लोगों के साथ भोजन करना वर्जित था जिन्होंने खतना नहीं किया है

Acts 11:4

तब पतरस ने उन्हें .....कह सुनाया

तब पतरस ने उन्हें.....कह सुनाया - पतरस ने यहूदी विश्वासियों की निंदा नहीं की वरन उन्हें मैत्रीपूर्ण रीति से समझाया था

पृथ्वी के चौपाए

चौपाए से आशय शायद पालतू जानवरों से है।

वनपशु

इसका आशय शायद जंगली जानवरों से था जिन्हें लोग पालतू नहीं बनाते अथवा नहीं बना सकते हैं।

रेंगनेवाले जंतु

अर्थात सरीसृप

Acts 11:7

x

(पतरस अपना बोलना जारी रखता है)

कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुंह में कभी नहीं गयी

स्पष्ट है कि पात्र में वे जानवर थे जिन्हें यहूदी व्यवस्था के अनुसार खाना वर्जित था।

कोई अपवित्र या अशुद्ध

कोई अपवित्र या अशुद्ध यहाँ भोजन की “अपवित्र या अशुद्ध” वस्तुओं की बात हो रही है।

मेरे मुंह में कभी नहीं गयी

मेरे मुंह में कभी नहीं गयी अर्थात “मैंने कभी नहीं खाई।”

जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह

अर्थात “जो पशु परमेश्वर ने शुद्ध ठहराए हैं, उन्हें अशुद्ध मत कह।”

अशुद्ध

पुराने नियम की यहूदी व्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति कई तरह से अशुद्ध हो जाता था, जैसे कि वर्जित जानवरों को खाना आदि।

Acts 11:11

x

(पतरस अपनी बात को आगे बढाता है)

और देखो

“और तुरंत ही” या फिर “बस उसी पल” (यूडीबी)। इससे मूल कहानी में एक नये प्रकरण की शुरुआत का संकेत मिलता है। आप यहाँ अपनी भाषा में उपलब्ध उचित शब्दों का प्रयोग करें।

उनके साथ बेखटके हो लेने को कहा

अर्थात “यहूदी और गैर-यहूदी का भेदभाव किये बिना साथ हो लेने को कहा”

लेने को कहा

किसी ने उन्हें भेजा था।

छ: भाई

“छ: यहूदी विश्वासी”

शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले

“पतरस कहलानेवाले शमौन को बुलवा ले”

उद्धार पाएगा

“परमेश्वर द्वारा बचाया जाएगा”

Acts 11:15

x

(पतरस अपनी बात जारी रखता है।)

तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था

“पवित्र आत्मा अन्यजातियों पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से पिन्तेकुस्त के दिन यहूदी विश्वासियों पर उतरा था।”

आरम्भ में हम पर

“हम” का आशय यहाँ पतरस और उन यहूदी विश्वासियों से है जो आरम्भ में थे, लेकिन कमरे में मौजूद सभी लोग शुरू से मौजूद नहीं थे।

आरम्भ में

आरम्भ में पतरस का आशय यहाँ पिन्तेकुस्त के दिन से है।

तुम पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा पाओगे

“परमेश्वर तुम्हें पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा देगा”

Acts 11:17

x

(17वें पद में पतरस अपना संबोधन समाप्त करता है)

परमेश्वर ने उन्हें....दिया

“उन्हें” का आशय यहाँ कुरनेलियुस और उसके संपर्क में आये गैर-यहूदी लोगों की कहानी से है। लेकिन, यरूशलेम में यहूदी विश्वासियों को वृत्तान्त सुनाते समय पतरस उन्हें गैर-यहूदी कह कर संबोधित नहीं करता

वही वरदान

पतरस यहाँ पवित्र आत्मा के वरदान के विषय में कह रहा है

मैं कौन था, जो परमेश्वर को रोक सकता था?

मैं परमेश्वर का विरोध नहीं कर सकता।

यह सुनकर, वे चुप रहे

यह सुनकर, वे चुप रहे - “वे” का आशय खतना हुए लोगों से है जो पतरस की आलोचना कर रहे थे।

जीवन के लिए मन फिराव का दान दिया है

“जीवन की ओर ले जानेवाला मन फिराव का दान दिया है”

Acts 11:19

जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए

प्रेरितो के कार्य के 8वें अध्याय का सारांश कहानी में एक नए प्रकरण के प्रवेश की भूमिका बनाने के लिए है।

जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए

“यहूदी अगुवों द्वारा स्तिफनुस की हत्या के बाद बहुत से विश्वासी क्लेश झेलने लगे। ये विश्वासी यरूशलेम छोड़ कर दूसरी जगह चले गए.....”

परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को

वे सोचते थे कि परमेश्वर का वचन केवल यहूदियों के लिए है, गैर- यहूदियों (यूनानियों) के लिए नहीं।

प्रभु का हाथ

अर्थात “परमेश्वर बहुत सामर्थी रीति से उन्हें समर्थ बना रहा था”।

Acts 11:22

तब उनकी चर्चा

“उनकी” का आशय अन्ताकिया के नए विश्वासियों से है

कलीसिया के सुनने में आई

अर्थात “यरूशलेम के विश्वासियों ने सुना।”

उन्होंने बरनबास को अन्ताकिया भेजा

यरूशलेम की कलीसिया के विश्वासियों ने भेजा

परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर

“विश्वासियों के प्रति परमेश्वर की दया देखकर” (यूडीबी)

सब को उपदेश दिया

“सब को उपदेश देता रहा”

प्रभु से लिपटे रहो

“प्रभु के विश्वासयोग्य बने रहो”

तन मन लगाकर

“”प्रभु के प्रति पूरी तरह समर्पित रहो” अथवा “प्रभु पर सम्पूर्ण रीति से आस्था रखो”(यूडीबी)

पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण था

पवित्र आत्मा की आज्ञापालन करते समय स्तिफनुस पवित्र आत्मा के वश में था

बहुत से लोग प्रभु में आ मिले

अर्थात “बहुत से लोगों ने प्रभु में विश्वास किया।”

Acts 11:25

तरसुस को चला गया

अर्थात “तरसुस नगर को चला गया”

और जब उनसे मिला तो उसे अन्ताकिया में लाया

“शाऊल से मिलने पर बरनबास शाऊल को ले आया”

वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते

अर्थात “बरनबास और शाऊल एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते” अथवा “बरनबास और शाऊल एक वर्ष तक नियमित रूप से कलीसिया से मिलते”

चेले सबसे पहले अन्ताकिया में मसीही कहलाए

चेले सबसे पहले अन्ताकिया में मसीही कहलाए - “अन्ताकियावासियों ने सबसे पहले चेलों को मसीही नाम से बुलाया”

Acts 11:27

उन्हीं दिनों में

कहानी में नए प्रकरण की शुरुआत

यरूशलेम से अन्ताकिया आये

यरूशलेम से अन्ताकिया दोनों अलग स्तर पर थे। ऐसा प्रतीत होता है कि यरूशलेम, विशेषकर कि मंदिर की बहुत महत्ता है।

सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ा

“अन्न की भारी कमी हो गयी”

सारे जगत में

यहाँ अतिशयोक्ति का प्रयोग है। असल में “जगत” का आशय रोमी साम्राज्य से है।

Acts 11:29

हर एक अपनी अपनी पूंजी के अनुसार

हर एक अपनी अपनी पूँजी के अनुसार - अर्थात धनी लोगों ने अधिक भेजा और गरीब लोगों ने अपनी हैसियत के अनुसार कम

उन्होंने ऐसा ही किया

के पास कुछ भेज दिया<“अन्ताकिया के विश्वासियों ने धन-दान में दिया और उन्होंने धन भेज दिया...”

बरनबास और शाऊल के हाथ

बरनबास और शाऊल के हाथ --अर्थात “यरूशलेम की कलीसिया के प्राचीनो के पास स्वयं बरनबास और शाऊल धन लेकर आये”


Translation Questions

Acts 11:1

क्या समाचार प्रेरितों और भाइयों ने यहूदिया में सुना?

प्रेरितों और भाइयों ने यहूदिया में सुना कि अन्य जातियों ने भी परमेश्वर का वचन मान लिया है।

Acts 11:2

पतरस के खिलाफ़ यरूशलेम में ख़तना किए समूह के लोगों ने क्या आलोचना की थी?

ख़तना किए समूह के लोगों ने पतरस की खतनारहित लोगों के साथ खाने के लिए आलोचना की।

Acts 11:4

पतरस ने अपने खिलाफ़ आलोचना का उत्तर कैसे दिया?

पतरस ने आलोचना का उत्तर चादर के दर्शन और अन्यजातियों के आत्मा से बपतिस्मे की व्याख्या कर के दिया।

Acts 11:18

ख़तना हुए समूह के लोगों के पतरस का उत्तर सुनने के बाद क्या निचोड़ निकाला?

उन्होंने परमेश्वर की बड़ाई की और यह कहकर समाप्त किया कि परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिए मन फिराव का दान दिया है।

Acts 11:19

स्तिफनुस की मृत्यु के पश्चात् जो तित्तर-बित्तर हो गए थे उनमें से अधिकतर विश्वासियों ने क्या किया?

अधिकतर तित्तर-बित्तर हो गए विश्वासियों ने यहूदियों के इलावा किसी अन्य को यीशु के विषय में वचन नहीं सुनाया।

Acts 11:20

क्या हुआ जब तित्तर-बित्तर हुए विश्वासियों में से कुछ ने यूनानियों को प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाया?

जब उन्होंने प्रभु यीशु का सुसमाचार यूनानियों को सुनाया, तो बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।

Acts 11:22

यरूशलेम के बरनबास के अन्ताकिया में यूनानी विश्वासियों को क्या बताया?

बरनबास ने यूनानियों को मन से प्रभु यीशु मसीह से लिपटे रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

Acts 11:26

किसने अन्ताकिया की कलीसिया में एक वर्ष व्यतीत किया?

बरनबास और शाऊल ने अन्ताकिया की कलीसिया में एक वर्ष व्यतीत किया।

चेलों ने सर्वप्रथम अन्ताकिया में क्या नाम प्राप्त किया?

चेले सबसे पहले अन्ताकिया में ही मसीही कहलाए।

Acts 11:28

अगबुस नाम के भविष्यवक्ता ने क्या भविष्यवाणी की?

अगबुस ने भविष्यवाणी की कि सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ेगा।

Acts 11:29

चेलों ने अगबुस की भविष्यवाणी पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

चेलों ने बरनबास और शाऊल के हाथों यहूदिया में रहने वाले भाइयों के लिए कुछ मदद भेजी।


Chapter 12

1 उस समय हेरोदेस राजा* ने कलीसिया के कई एक व्यक्तियों को दुःख देने के लिये उन पर हाथ डाले। 2 उसने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला।

3 जब उसने देखा, कि यहूदी लोग इससे आनन्दित होते हैं, तो उसने पतरस को भी पकड़ लिया। वे दिन अख़मीरी रोटी के दिन थे। 4 और उसने उसे पकड़कर बन्दीगृह में डाला, और रखवाली के लिये, चार-चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा, इस मनसा से कि फसह के बाद उसे लोगों के सामने लाए।

5 बन्दीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी; परन्तु कलीसिया उसके लिये लौ लगाकर परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रही थी। 6 और जब हेरोदेस उसे उनके सामने लाने को था, तो उसी रात पतरस दो जंजीरों से बंधा हुआ, दो सिपाहियों के बीच में सो रहा था; और पहरेदार द्वार पर बन्दीगृह की रखवाली कर रहे थे।

7 तब प्रभु का एक स्वर्गदूत आ खड़ा हुआ और उस कोठरी में ज्योति चमकी, और उसने पतरस की पसली पर हाथ मार कर उसे जगाया, और कहा, “उठ, जल्दी कर।” और उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ीं। 8 तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “कमर बाँध, और अपने जूते पहन ले।” उसने वैसा ही किया, फिर उसने उससे कहा, “अपना वस्त्र पहनकर मेरे पीछे हो ले।”

9 वह निकलकर उसके पीछे हो लिया; परन्तु यह न जानता था कि जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, वह सच है, बल्कि यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ। 10 तब वे पहले और दूसरे पहरे से निकलकर उस लोहे के फाटक पर पहुँचे, जो नगर की ओर है। वह उनके लिये आप से आप खुल गया, और वे निकलकर एक ही गली होकर गए, इतने में स्वर्गदूत उसे छोड़कर चला गया।

11 तब पतरस ने सचेत होकर कहा, “अब मैंने सच जान लिया कि प्रभु ने अपना स्वर्गदूत भेजकर मुझे हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया, और यहूदियों की सारी आशा तोड़ दी।” 12 और यह सोचकर, वह उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है। वहाँ बहुत लोग इकट्ठे होकर प्रार्थना कर रहे थे।

13 जब उसने फाटक की खिड़की खटखटाई तो रूदे* नामक एक दासी सुनने को आई। 14 और पतरस का शब्द पहचानकर, उसने आनन्द के मारे फाटक न खोला; परन्तु दौड़कर भीतर गई, और बताया कि पतरस द्वार पर खड़ा है। 15 उन्होंने उससे कहा, “तू पागल है।” परन्तु वह दृढ़ता से बोली कि ऐसा ही है: तब उन्होंने कहा, “उसका स्वर्गदूत होगा।”

16 परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा अतः उन्होंने खिड़की खोली, और उसे देखकर चकित रह गए*। 17 तब उसने उन्हें हाथ से संकेत किया कि चुप रहें; और उनको बताया कि प्रभु किस रीति से मुझे बन्दीगृह से निकाल लाया है। फिर कहा, “याकूब और भाइयों को यह बात कह देना।” तब निकलकर दूसरी जगह चला गया।

18 भोर को सिपाहियों में बड़ी हलचल होने लगी कि पतरस कहाँ गया। 19 जब हेरोदेस ने उसकी खोज की और न पाया, तो पहरुओं की जाँच करके आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएँ: और वह यहूदिया को छोड़कर कैसरिया में जाकर रहने लगा।

20 हेरोदेस सूर और सैदा के लोगों से बहुत अप्रसन्न था। तब वे एक चित्त होकर उसके पास आए और बलास्तुस को जो राजा का एक कर्मचारी था, मनाकर मेल करना चाहा; क्योंकि राजा के देश से उनके देश का पालन-पोषण होता था। (1 राजा. 5:11, यहे. 27:17) 21 ठहराए हुए दिन हेरोदेस राजवस्त्र पहनकर सिंहासन पर बैठा; और उनको व्याख्यान देने लगा।

22 और लोग पुकार उठे, “यह तो मनुष्य का नहीं ईश्वर का शब्द है।” 23 उसी क्षण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने तुरन्त उसे आघात पहुँचाया, क्योंकि उसने परमेश्‍वर की महिमा नहीं की और उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और वह मर गया। (दानि. 5:20)

24 परन्तु परमेश्‍वर का वचन बढ़ता और फैलता गया*।

25 जब बरनबास और शाऊल अपनी सेवा पूरी कर चुके तो यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेकर यरूशलेम से लौटे।



Acts 12:1

Now

Now - this begins a new part of the story

उस समय

उस समय जब यहूदिया के भाइयों की मदद के लिए अन्ताकिया के शिष्यों ने धन भेजा था

उन पर हाथ डाले

अर्थात “पकड़वाने के लिए सिपाही भेजे” अथवा “उन्हें पकड़ कर कैद में डलवाने के लिए सिपाही भेजे।”

कलीसिया के कई एक व्यक्तियों को

स्पष्ट है कि यहाँ कलीसिया के अगुओं की बात हो रह है। अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “सभा के अगुओं”, अथवा “विश्वासियों की सभा के अगुओं।” नोट: “उन पर हाथ डाले” में व्याकरणिक अशुद्धि है। इसे एकवचन में लिखेंगे, कि “उन पर हाथ डाला।”

दुःख देने के लिए

“उन्हें कष्ट देने के लिए”

उसने .....मरवा डाला

अर्थात “हेरोदेस राजा ने....मरवा डाला” या फिर, “हेरोदेस ने ....मरवाने का आदेश दिया”

उसने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला

यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है कि याकूब की किस रीति से हत्या की गयी थी

Acts 12:3

जब उसने देखा, कि यहूदी लोग इससे आनंदित होते हैं

“जब हेरोदेस को पता चला कि याकूब की मृत्यु से यहूदी अगुवे प्रसन्न होते हैं”

यहूदी लोग इससे आनंदित होते है

“यहूदी लोग खुश होते हैं”

तो उसने पतरस को भी पकड़ लिया

“हेरोदेस ने पतरस को भी पकड़ने के आदेश दे दिए”

वे दिन

अर्थात “जब ऐसा हुआ” या फिर, “हेरोदेस ने ऐसा किया”

उसने उसे पकड़ कर बंदीगृह में डाला

“सिपाहियों द्वारा पतरस को पकड़वाकर, हेरोदेस ने पतरस को बंदीगृह में डलवा दिया’

चार-चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा

“सिपाहियों के चार दल” (यूडीबी देखें)। हर दल में चार सिपाही थे और एक समय में चार सिपाहियों का एक दल पतरस पर नज़र रखता था। दो सिपाही दो तरफ, और बाकी के दो प्रवेश द्वार पर।

पहरों में रखा

अर्थात “पतरस को पहरों में रखा”

इस मनसा से कि फसह के बाद उसे लोगों के सामने लाए

“हेरोदेस ने योजना बनाई थी कि पतरस का न्याय वह लोगों के सामने करेगा” या फिर, “हेरोदेस ने यहूदी लोगों के सामने पतरस का न्याय करने की योजना बनाई”

Acts 12:5

बंदीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी

बंदीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी -वे लगातार उस पर नज़र रखे थे

लौ लगाकर

अर्थात “पूरी निष्ठा से लगातार” अथवा, “समर्पण भाव के साथ बिना रुके”

कलीसिया

यरूशलेम के विश्वासी प्रार्थना कर रहे थे, या फिर, यरूशलेम की कलीसिया प्रार्थना कर रही थी

उसके लिए

“पतरस के लिए”

जब हेरोदेस उसे उनके सामने लाने को था

“जब हेरोदेस पतरस को मृत्यु दंड देने के लिए बाहर लाने को था”

पतरस दो जंजीरों से बंधा था

“पतरस दो जंजीरों में जकड़ा हुआ था”

रखवाली कर रहे थे

“पहरा दे रहे थे”

Acts 12:7

तो देखो

“तो देखो” में सहसा हुई किसी घटना का संकेत मिलता है।

आ खड़ा हुआ

“पतरस की बगल में आ खड़ा हुआ”

उस कोठरी में

उस कोठरी में - “बंदीगृह के उस कक्ष में”

उसने पतरस की पसली पर हाथ मार कर उसे जगाया

“स्वर्गदूत ने पतरस थपथपा कर जगाया”

उसे जगाया

“पतरस को जगाया”

उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ी

स्वर्गदूत ने पतरस की जंजीरों को छूए बिना ही उन्हें खोल कर गिराया था। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते हैं, कि “पतरस की जंजीरें आप ही खुल कर गिर पडीं”

उससे कहा

अर्थात "पतरस से कहा"

उसने वैसा ही किया

“पतरस ने स्वर्गदूत के कहे अनुसार किया” या फिर, “पतरस ने उनकी आज्ञा मान ली”

स्वर्गदूत ने उससे कहा

“स्वर्गदूत ने पतरस से कहा”

मेरे पीछे हो ले

मेरे पीछे हो ले -यहाँ कहने का आशय यह है कि वहाँ से निकलते समय पतरस को अपना ध्यान पतरस पर लगाए रखना था।

Acts 12:9

परन्तु यह न जानता था

“पतरस यह न जानता था” या फिर, “पतरस यह नहीं समझा कि”

जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, सच है

जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, सच है- “स्वर्गदूत सचमुच में वह सब कर रहा है” या फिर, “स्वर्गदूत द्वारा किये कार्य, सचमुच घटित हो रहे थे।”

यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ

यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ- “पतरस यह समझा कि वह दर्शन देख रहा था।”

तब वे पहले

“तब स्वर्गदूत और पतरस”

निकलकर...पर पहुंचे

“निकलकर...गए”

पहले

“पहले पहरे”

पहुंचे

“पतरस और स्वर्गदूत....पहुँच गए”

जो नगर की ओर है

“जो नगर की ओर खुलता है”

वह उनके लिए आप से आप खुल गया

वह उनके लिए आप से आप खुल गया - “उनके लिए अपने आप खुल गया” या फिर, “उनके लिए स्वयं खुल गया”

और वे निकलकर

“और स्वर्गदूत व पतरस द्वार से होते हुए निकल गए”

एक ही गली होकर गए

“एक गली के किनारे-किनारे चले गए”

उसे छोड़ कर चला गया

“पतरस को अचानक से छोड़ दिया” या फिर, “अचानक अदृश्य हो गया”

Acts 12:11

तब पतरस ने सचेत होकर कहा

“जब पतरस को पूरी तरह होश आया” या फिर, “जब पतरस को यह समझ आया कि जो कुछ भी हुआ, वह सच था”

मुझे हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया

‘हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया” का आशय “हेरोदेस की योजना से बचा लिया” है।

यहूदियों की सारी आशा

“यहूदी जो मेरे साथ होते देखना चाहते थे”

मैं सच जान लिया

“अर्थात मैंने यह सच जान लिया है”

उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है

“.....जो मरकुस भी कहलाता है”

Acts 12:13

खिड़की खटखटाई

“पतरस ने खिड़की खटखटाई”। घर के भीतर आने से पहले दरवाज़े पर खटखटाना यहूदियों की एक सामान्य रीति थी।

फाटक की खिड़की

“बाहर के दरवाज़े की खिड़की” या फिर, “आँगन से गली की ओर खुलनेवाले प्रवेश द्वार की खिड़की खटखटाई”

सुनने को आई

अर्थात “खटखटाने वाले को देखने आई”

पतरस का शब्द पहचानकर

“रूदे ने पतरस की आवाज़ पहचान ली”

आनंद के मारे

“वह इतनी आनंदित हो गयी कि” या फिर, “उत्साह के चलते”

द्वार पर खड़ा है

अर्थात “द्वार के उस ओर खड़ा है।” इस समय तक पतरस दरवाज़े के बाहर ही था।

उन्होंने उससे कहा

“घर के भीतर मौजूद विश्वासियों ने रूदे से कहा”

तू पागल है

लोगों को उसकी बात पर विश्वास नही हो रहा था, और उसे पागल कह कर डांट दिया। अनुवाद करते समय हम “तू पागल तो नहीं है” भी लिख सकते हैं।

परन्तु वह दृढ़ता से बोली कि ऐसा ही है

“रूदे ने ज़ोर देकर कहा कि वह सच बोल रही है”

तब उन्होंने कहा

अर्थात “घर के भीतर मौजूद विश्वासियों ने उत्तर दिया”

उसका स्वर्गदूत होगा

“तुमने पतरस का स्वर्गदूत देखा होगा।” कुछ यहूदी संरक्षक दूतों पर विश्वास करते थे और शायद सोंचते होंगे कि पतरस का दूत उनसे मिलने आया है।

Acts 12:16

परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा

परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा - अर्थात जितने समय लोग घर के भीतर बातें कर रहे थे, उन पूरे दौरान पतरस खटखटाता रहा।

अतः उन्होंने खिड़की खोली, और उसे देखकर चकित रह गए

“दरवाज़ा खोलने पर घर के भीतर बैठे लोग पतरस को देख कर हैरान रह गए”

हाथ से संकेत किया कि चुप रहें

पतरस ने घर के भीतर के लोगों को हाथ से संकेत देकर चुप रहने को कहा

यह बात कह देना

“ये बातें कह देना”

चला गया

“पतरस चला गया”

Acts 12:18

भोर को

यहाँ पर कहानी में कुछ रोक आया है जो आगे चलकर कहानी को फिर आरम्भ करेगा, इसलिए अनुवाद इस प्रकार होना है, “अब जब भोर हुई, तब....”

बड़ी हलचल

यहाँ पर ज़ोर दिया गया है। अनुवाद करते समय यहाँ “बहुत हलचल” लिख सकते हैं।

बड़ी हलचल

“हलचल” में यहाँ चरम दुःख, उत्कंठा, भय या भ्रम नकारात्मक भाव है।

का क्या हुआ

“के साथ क्या हुआ”

जब हेरोदेस ने उसकी खोज की और न पाया

इसे यूं भी कह सकते हैं कि “जब हेरोदेस ने पतरस की खोज की और पतरस को न खोज सका।”

जब हेरोदेस ने उसकी खोज की

संभावित अर्थ इस प्रकार हैं, 1) “जब हेरोदेस ने सुना कि पतरस वहां नहीं था, वह स्वयं कैदखाने में उसे खोजने गया” या फिर, 2) “जब हेरोदेस ने सुना कि पतरस गायब था, उसने बंदीगृह की तलाशी लेने सिपाही भेजे।”

तो पहरूओं की जांच करके आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएं

“हेरोदेस ने पहरूओं से पूछताछ की और सिपाहियों को आज्ञा दी कि उन पहरूओं को मार डाले

और वह यहूदिया छोड़ कर

“तब हेरोदेस यहूदिया छोड़ कर”। यरूशलेम की ओर यात्रा करते समय रास्ते में आनेवाले स्थान निचली सतह पर स्थित माने जाते हैं, क्योंकि यरूशलेम पहाडी पर स्थित है।

Acts 12:20

लेकिन

‘अब उस समय’ का प्रयोग कहानी में आये बदलाव को दर्शाने के लिए किया जाता है। वैकल्पिक अनुवाद:"उस समय"

सो वे .....उसके पास गए

“हेरोदेस से बातचीत करने के लिए सूर और सैदा से आये प्रतिनिधि लोग मिलकर गए।”

एक चित्त होकर उसके पास गए

“ये लोग आपस में सलाह करके उसके पास गए”

बलास्तुस

बलास्तुस हेरोदेस राजा का सहायक अथवा राजमहल का बड़ा अधिकारी था।

मेल करवाना चाहा

“इन लोगों ने शान्ति की विनती की”

ठहराए हुए दिन

बैठक के लिए “नियत दिनों में”

उनको व्याख्यान देने लगा

“हेरोदेस ने उन लोगों को भाषण दिया” या फिर, “हेरोदेस ने उन लोगों से कहा”।

सिंहासन पर बैठा

हेरोदेस अपना औपचारिक संबोधन यहीं से देता था। “हेरोदेस अपने सिंहासन पर बैठा।” (यूडीबी)

Acts 12:22

यह तो ....परमेश्वर का शब्द है

“यह शब्द तो परमेश्वर का शब्द है” अथवा, “यह मनुष्य नहीं परमेश्वर बोल रहा है” (यूडीबी)

तुरंत

तुरंत जबकि लोग हेरोदेस की प्रशंसा कर ही रहे थे कि

उसे मारा

“हेरोदेस को मारा” अथवा “हेरोदेस को बीमार कर दिया”

उसने परमेश्वर की महिमा नहीं की

परमेश्वर की बजाय हेरोदेस ने उन लोगों को अपनी आराधना करने दी। “हेरोदेस ने परमेश्वर को महिमा नहीं दी।”

उसके शरीर में कीड़े पड़ गए

“हेरोदेस के शरीर को कीड़ों ने खा लिया और उसकी मृत्यु हो गयी।”

Acts 12:24

परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया

यहाँ पर आशय “यीशु के उद्धार के उपदेश के फैलने और इस उपदेश पर विश्वास रखनेवालों की संख्या में वृद्धि” से है। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर का वचन फैलता गया और विश्वासियों की संख्या बढ़ती चली गयी”।

अपनी सेवा पूरी कर चुके तो....

अर्थात “यरूशलेम की कलीसिया के अगुओं को धन सौंप कर”

लौटे

“बरनबास और अन्ताकिया को शाऊल लौटे”

यूहन्ना को....साथ लेकर

“बरनबास और शाऊल, यूहन्ना को अपने साथ लेकर”

जो मरकुस कहलाता है

“जिसे मरकुस बुलाते हैं”


Translation Questions

Acts 12:2

हेरोदेस राजा ने यूहन्ना के भाई याकूब के साथ क्या किया?

हेरोदेस राजा ने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला।

Acts 12:3

हेरोदेस राजा ने पतरस के साथ क्या किया?

हेरोदेस ने पतरस को पकड़ कर जेल में डाल दिया ताकि फसह के बाद उसे लोगों के सामने लाए।

Acts 12:5

कलीसिया पतरस के लिए क्या कर रही थी?

कलीसिया लौ लगा कर पतरस के लिए प्रार्थना कर रही थी।

Acts 12:7

पतरस जेल से बाहर कैसे निकला?

प्रभु का एक स्वर्गदूत उसे दिखाई पड़ा, उसकी जंजीरें गिर पड़ीं, और वह स्वर्गदूत के पीछे जेल से बाहर हो लिया।

Acts 12:13

जब पतरस उस घर में पहुँचा जहाँ विश्वासी प्रार्थना कर रहे थे, किसने दरवाज़ा खोला और उसने क्या किया?

रूदे नाम की एक दासी सुनने को आई और दौड़कर भीतर गई और बताया कि पतरस दरवाज़े पर खड़ा है।

Acts 12:15

देमेत्रियुस की चिंता पर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया जताई?

पहले उन्होंने सोचा कि वह पागल हो गई है, पर फिर उन्होंने दरवाज़ा खोला और पतरस को देखा।

Acts 12:17

विश्वासियों को बताने के बाद कि उसके साथ क्या हुआ, पतरस ने उन्हें क्या करने के लिए कहा?

पतरस ने उन्हें ये बातें याकूब और उसके भाइयों को बताने के लिए कहा।

Acts 12:19

उन पहरूओं का क्या हुआ जो पतरस की निगरानी कर रहे थे?

हेरोदेस ने पहरूओं की जांच करके आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएं।

Acts 12:22

जब हेरोदेस ने व्याख्यान देना शुरू किया तब लोगों ने क्या कहा?

तब लोग पुकार उठे, "यह मनुष्य का नहीं, परमेश्वर का शब्द है"!

Acts 12:23

हेरोदेस के व्याख्यान के बाद उसे क्या हुआ, और क्यों?

क्योंकि हेरोदेस ने परमेश्वर की महिमा नहीं की, परमेश्वर के स्वर्गदूत ने उसे मारा और उसे कीड़े पड़ गए।

Acts 12:24

इस दौरान परमेश्वर के वचन के साथ क्या हो रहा था?

परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।

Acts 12:25

बरनबास और शाऊल अपने साथ किसे ले गए?

बरनबास और शाऊल, यूहन्ना जो मरकुस कहलाता है उसे अपने साथ ले गए।


Chapter 13

1 अन्ताकिया की कलीसिया में कई भविष्यद्वक्ता और उपदेशक थे; अर्थात् बरनबास और शमौन जो नीगर* कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और चौथाई देश के राजा हेरोदेस का दूधभाई मनाहेम और शाऊल। 2 जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैंने उन्हें बुलाया है।” 3 तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना करके और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया।

4 अतः वे पवित्र आत्मा के भेजे हुए सिलूकिया को गए; और वहाँ से जहाज पर चढ़कर साइप्रस को चले। 5 और सलमीस* में पहुँचकर, परमेश्‍वर का वचन यहूदियों के आराधनालयों में सुनाया; और यूहन्ना उनका सेवक था।

6 और उस सारे टापू में से होते हुए, पाफुस तक पहुँचे। वहाँ उन्हें बार-यीशु* नामक एक जादूगर मिला, जो यहूदी और झूठा भविष्यद्वक्ता था। 7 वह हाकिम सिरगियुस पौलुस के साथ था, जो बुद्धिमान पुरुष था। उसने बरनबास और शाऊल को अपने पास बुलाकर परमेश्‍वर का वचन सुनना चाहा। 8 परन्तु एलीमास जादूगर ने, (क्योंकि यही उसके नाम का अर्थ है) उनका सामना करके, हाकिम को विश्वास करने से रोकना चाहा।

9 तब शाऊल ने जिसका नाम पौलुस भी है, पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उसकी ओर टकटकी लगाकर कहा, 10 “हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की सन्तान, सकल धार्मिकता के बैरी, क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? (नीति. 10:9, होशे 14:9)

11 अब देख, प्रभु का हाथ तुझ पर पड़ा है; और तू कुछ समय तक अंधा रहेगा और सूर्य को न देखेगा।” तब तुरन्त धुंधलापन और अंधेरा उस पर छा गया, और वह इधर-उधर टटोलने लगा ताकि कोई उसका हाथ पकड़कर ले चले। 12 तब हाकिम ने जो कुछ हुआ था, देखकर और प्रभु के उपदेश से चकित होकर विश्वास किया।

13 पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर पंफूलिया के पिरगा में* आए; और यूहन्ना उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया। 14 और पिरगा से आगे बढ़कर पिसिदिया के अन्ताकिया में पहुँचे; और सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठ गए। 15 व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक से पढ़ने के बाद आराधनालय के सरदारों ने उनके पास कहला भेजा, “हे भाइयों, यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो।”

16 तब पौलुस ने खड़े होकर और हाथ से इशारा करके कहा, “हे इस्राएलियों, और परमेश्‍वर से डरनेवालों, सुनो 17 इन इस्राएली लोगों के परमेश्‍वर ने हमारे पूर्वजों को चुन लिया, और जब ये मिस्र देश में परदेशी होकर रहते थे, तो उनकी उन्नति की; और बलवन्त भुजा से निकाल लाया। (निर्ग. 6:1, निर्ग. 12:51) 18 और वह कोई चालीस वर्ष तक जंगल में उनकी सहता रहा, (निर्ग. 16:35, गिन. 14:34, व्य. 1:31)

19 और कनान देश में सात जातियों का नाश करके उनका देश लगभग साढ़े चार सौ वर्ष में इनकी विरासत में कर दिया। (व्य. 7:1, यहो. 14:1) 20 इसके बाद उसने शमूएल भविष्यद्वक्ता तक उनमें न्यायी ठहराए। (न्याय. 2:16, 1 शमू. 2:16)

21 उसके बाद उन्होंने एक राजा माँगा; तब परमेश्‍वर ने चालीस वर्ष के लिये बिन्यामीन के गोत्र में से एक मनुष्य अर्थात् कीश के पुत्र शाऊल को उन पर राजा ठहराया। (1 शमू. 8:5,1 शमू. 8:19,1 शमू. 10:20-21, 1 शमू. 10:24, 1 शमू. 11:15)

22 फिर उसे अलग करके दाऊद को उनका राजा बनाया; जिसके विषय में उसने गवाही दी, ‘मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है। वही मेरी सारी इच्छा पूरी करेगा।’ (1 शमू. 13:14, 1 शमू. 16:12-13, भज. 89:20, यशा. 44:28)

23 उसी के वंश में से परमेश्‍वर ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के पास एक उद्धारकर्ता, अर्थात् यीशु को भेजा। (2 शमू. 7:12-13, यशा. 11:1) 24 जिसके आने से पहले यूहन्ना ने सब इस्राएलियों को मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार किया। 25 और जब यूहन्ना अपनी सेवा पूरी करने पर था, तो उसने कहा, ‘तुम मुझे क्या समझते हो? मैं वह नहीं! वरन् देखो, मेरे बाद एक आनेवाला है, जिसके पाँवों की जूती के बन्ध भी मैं खोलने के योग्य नहीं।’

26 “हे भाइयों, तुम जो अब्राहम की सन्तान हो; और तुम जो परमेश्‍वर से डरते हो, तुम्हारे पास इस उद्धार का वचन भेजा गया है। 27 क्योंकि यरूशलेम के रहनेवालों और उनके सरदारों ने, न उसे पहचाना, और न भविष्यद्वक्ताओं की बातें समझी; जो हर सब्त के दिन पढ़ी जाती हैं, इसलिए उसे दोषी ठहराकर उनको पूरा किया।

28 उन्होंने मार डालने के योग्य कोई दोष उसमें न पाया, फिर भी पिलातुस से विनती की, कि वह मार डाला जाए। 29 और जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई सब बातें पूरी की, तो उसे क्रूस पर से उतार कर कब्र में रखा।

30 परन्तु परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, 31 और वह उन्हें जो उसके साथ गलील से यरूशलेम आए थे, बहुत दिनों तक दिखाई देता रहा; लोगों के सामने अब वे ही उसके गवाह हैं।

32 और हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में जो पूर्वजों से की गई थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं, 33 कि परमेश्‍वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की; जैसा दूसरे भजन में भी लिखा है,

     ‘तू मेरा पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।’ (भज. 2:7) 34 और उसके इस रीति से मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी, कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है,

     ‘मैं दाऊद पर की पवित्र और अटल कृपा तुम पर करूँगा।’ (यशा. 55:3)

35 इसलिए उसने एक और भजन में भी कहा है,

     ‘तू अपने पवित्र जन को सड़ने न देगा।’ (भज. 16:10) 36 क्योंकि दाऊद तो परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया, और अपने पूर्वजों में जा मिला, और सड़ भी गया। (न्याय. 2:10, 1 राजा. 2:10) 37 परन्तु जिसको परमेश्‍वर ने जिलाया, वह सड़ने नहीं पाया।

38 इसलिए, हे भाइयों; तुम जान लो कि यीशु के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है। 39 और जिन बातों से तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सबसे हर एक विश्वास करनेवाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।

40 इसलिए चौकस रहो, ऐसा न हो, कि जो भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखित है, तुम पर भी आ पड़े:

    41 ‘हे निन्दा करनेवालों, देखो, और चकित हो, और मिट जाओ;

     क्योंकि मैं तुम्हारे दिनों में एक काम करता हूँ;

     ऐसा काम, कि यदि कोई तुम से उसकी चर्चा करे, तो तुम कभी विश्वास न करोगे’।” (हब. 1:5)

42 उनके बाहर निकलते समय लोग उनसे विनती करने लगे, कि अगले सब्त के दिन हमें ये बातें फिर सुनाई जाएँ। 43 और जब आराधनालय उठ गई तो यहूदियों और यहूदी मत में आए हुए भक्तों में से बहुत से पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए; और उन्होंने उनसे बातें करके समझाया, कि परमेश्‍वर के अनुग्रह में बने रहो।

44 अगले सब्त के दिन नगर के प्रायः सब लोग परमेश्‍वर का वचन सुनने को इकट्ठे हो गए। 45 परन्तु यहूदी भीड़ को देखकर ईर्ष्या से भर गए, और निन्दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे।

46 तब पौलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा, “अवश्य था, कि परमेश्‍वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता; परन्तु जब कि तुम उसे दूर करते हो, और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं ठहराते, तो अब, हम अन्यजातियों की ओर फिरते हैं। 47 क्योंकि प्रभु ने हमें यह आज्ञा दी है,

     ‘मैंने तुझे अन्यजातियों के लिये ज्योति ठहराया है,

     ताकि तू पृथ्वी की छोर तक उद्धार का द्वार हो’।” (यशा. 49:6)

48 यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्‍वर के वचन की बड़ाई करने लगे, और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया। 49 तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा।

50 परन्तु यहूदियों ने भक्त और कुलीन स्त्रियों को और नगर के प्रमुख लोगों को भड़काया, और पौलुस और बरनबास पर उपद्रव करवाकर उन्हें अपनी सीमा से बाहर निकाल दिया। 51 तब वे उनके सामने अपने पाँवों की धूल झाड़कर इकुनियुम को चले गए। 52 और चेले आनन्द से और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते रहे।



Acts 13:1

अन्ताकिया की कलीसिया में

“उस समय अन्ताकिया की कलीसिया में”

शमौन जो नीगर कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और चौथाई देश के राजा हेरोदेस का दूधभाई मनाहेम और शाऊल

(देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

हेरोदेस का दूधभाई

मनाहेम संभवतः हेरोदेस का संगी या साथ पला-बड़ा मित्र था

मेरे लिए...अलग करो

“मेरी सेवा के लिए....नियुक्त’’ अथवा “शुद्ध” करो

मैंने उन्हें बुलाया है

मैंने उन्हें बुलाया है बुलाने से आशय परमेश्वर द्वारा इस कार्य के चुनने से है

तब उन्होंने

अर्थात तब “सभा ने” या फिर, “विश्वासियों की सभा ने”

उन पर हाथ रखकर

“परमेश्वर की सेवा के लिए अलग किये उन लोगों पर अपने हाथ रखकर।” यहाँ पर हाथ रखने के द्वारा आत्मा के वरदान देने का उल्लेख नहीं है। यह बरनबास और शाऊल पर पवित्र आत्मा की बुलाहट की पुष्टि करने के लिए प्राचीनों द्वारा निभाई गयी रीति थी।

उन्हें विदा किया

“उन लोगों को विदा किया” या फिर, “उन लोगों को पवित्र आत्मा द्वारा बताये गए कार्य को करने के लिए विदा किया”

Acts 13:4

अतः वे

अर्थात “बरनबास और शाऊल”

सिलूकिया को गए

सिलूकिया को गए - शायद यहाँ सतह की ऊँचाई में अंतर था

सिलूकिया

सिलूकिया सागर तट के किनारे बसा नगर था

सलमीस

सलमीस नगर कुप्रुस द्वीप में था

यहूदियों के आरधनालयों में

संभावित अर्थ हैं: 1) “बरनबास और शाऊल ने सलमीस नगर में उपदेश दिए थे और वहां बहुत से यहूदी आराधनालय थे” या फिर 2) “बरनबास और शाऊल ने उपदेश देने की शुरुआत सलमीस नगर से की और कुप्रुस द्वीप में यात्रा करते हुए बाकी यहूदी आराधनालयों में गए।”

Acts 13:6

...से होते हुए, पाफुस था पहुंचे

अर्थात बरनबास,शाऊल और यूहन्ना मरकुस पहुंचे

सारे टापू

वे टापू की एक छोर से दूसरी छोर तक गए। हो सकता है कि वे टापू के हर नगर में न गए हों। लेकिन अपने रास्ते में आनेवाले हर नगर में उन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया होगा।

पाफुस

कुप्रुस टापू का एक मुख्य नगर जहाँ प्रांत का गवर्नर रहता था

एक जादूगर मिला

“मिला” से आशय अचानक हुई भेंट से है। अनुवाद करते समय हम “संयोगवश उनकी भेंट एक जादूगर से हुई।”

एक जादूगर

“जादू-टोना करनेवाला व्यक्ति” अथवा “पारलौकिक और जादूई कला का अभ्यास करनेवाला व्यक्ति।”

बार-यीशु नामक

यूनानी भाषा में इसका अर्थ है “यीशु का बेटा। लेकिन इस व्यक्ति का यीशु मसीह से कोई लेना-देना नहीं था। ‘यीशु’ उन दिनों बहुत आम नाम था।

के साथ था

“अकसर ...के साथ था” या फिर, “अकसर...उनकी संगति में रहता था”

हाकिम

रोमी प्रान्त का गवर्नर अधिकारी। अनुवाद करते समय “गवर्नर” भी लिख सकते हैं

जो बुद्धिमान पुरुष था

अर्थात "सरगियुस पौलुस"

इलीमास टोन्हे ने

अर्थात जादूगर बार-यीशु ने

(इसका नाम इसी तरह अनूदित है)

“यूनानी भाषा में वह इसी नाम से बुलाया जाता था”

उनका सामना करके; विश्वास करने से रोकना चाहा

“उन्हें रोकने के लिए उनसे आमना-सामना किया”

चाहा

“सरगियुस पौलुस ....ने वचन सुनना चाहा”

चाहा

“इलिमास ने....चाहा”

हाकिम को विश्वास करने से रोकना चाहा

“हाकिम को सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करने से रोकना चाहा”

Acts 13:9

तब शाऊल ने जिसका नाम पौलुस भी है

“जिसे लोग पौलुस भी बुलाते थे” या फिर “जो स्वयं को पौलुस भी कहता था”

उसकी ओर टकटकी लगाकर कहा

“शाऊल ने इलिमास टोन्हे को घूर कर देखा”

हे....शैतान की संतान

यहाँ आलंकारिक संबोधन है। अनुवाद करते समय आप 1) “शैतान के बच्चे” या फिर 2) “शैतान के समान” अथवा 3) “हे शैतान जैसे काम करनेवाले” भी लिख सकते हैं।

सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए

सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए - “मक्कारी और हमेशा गलत काम करने के द्वारा तू हमेशा दूसरों को झूठी बातों पर विश्वास दिलाना चाहता है”

चतुराई से भरे

यहाँ इसका आशय परमेश्वर की व्यवस्था का निष्ठापूर्वक पालन करने में आलस करना और उसे निष्ठापूर्वक नहीं करने से है।

क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा?

शैतान का अनुकरण करने को लेकर पौलुस उस जादूगर को झिड़की दे रहा है। अनुवाद करते समय हम इसे “तू यह कहना बंद कर कि प्रभु परमेश्वर का सत्य झूठा है”। (यूडीबी) (देखें आलंकारिक प्रश्न)

प्रभु के सीधे मार्गों को

“प्रभु के विषय में जो सत्य है” को आलंकारिक भाषा के प्रयोग द्वारा व्यक्त किया गया है। प्रभु के विषय में जो सत्य है, उन्हें झूठा बटाने के लिए पौलुस उस जादूगर को झिड़की दे रहा है।

Acts 13:11

x

(11वें पद में इलिमास के साथ शुरू हुई बातचीत को पौलुस आगे बढाता है।)

प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है

अर्थात परमेश्वर की सामर्थ्य तुझे दंड देने को तैयार है”। अनुवाद करते समय हम इसे “परमेश्वर तुझे दंड देगा” भी लिख सकते हैं।

तू..............अंधा रहेगा

“परमेश्वर तुझे अँधा बना देगा”

और सूर्य को न देखेगा

इलिमास पूरी तरह से अँधा हो जाएगा। यहाँ तक कि उसे सूर्य की रोशनी भी नहीं दिखेगी

कुछ समय तक

“कुछ अवधि के लिए” या फिर “परमेश्वर द्वारा नियत समय के लिए”

तब तुरंत अंधापन और अँधेरा छा गया

“तब इलिमास पर एक धुंध और अँधेरा छा गया” या फिर, “एक अंधियारी धुंध इलिमास की आँखों पर छा गयी” या फिर, “तब इलिमास की दृष्टि धुंधली हो गयी और फिर उनमे अँधियारा छा गया” या फिर, “इलिमास की दृष्टि धुंधली हो गयी और फिर उसे दिखना बंद हो गया”

और वह इधर-उधर टटोलने लगा

“इलिमास भटकने लगा” या फिर, “इलिमास इधर-उधर छू-छूकर चलने लगा”

हाकिम

रोमी प्रान्त का अधिकारी। अनुवाद करते समय इसे “अधिकारी” भी लिख सकते हैं।

विश्वास किया

“हाकिम ने विश्वास किया” या फिर, “हाकिम ने यीशु पर विश्वास किया”

उपदेश से चकित होकर

“हाकिम उपदेश से चकित हुआ और” या फिर, “हाकिम को बहुत आश्चर्य हुआ”

Acts 13:13

लेकिन

कहानी में आये नए मोड़ यहाँ प्रकट हो रहा है।

पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर ....में आए

“पौलुस और उसके साथी जहाज के द्वारा ....पहुंचे.” ये साथी बरनबास और यूहन्ना मरकुस थे.

और यूहन्ना उन्हें छोड़ कर...को लौट गया

“लेकिन यूहन्ना पौलुस व बरनबास को छोड़ कर....को लौट गया”

पम्फूलिया के पिरगा में आए

“पम्फूलिया स्थित पिरगा में आए”

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक से पढने के बाद

अर्थात “व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें पढ़ी जाने के बाद”

उनके पास कहला भेजा

“किसी के द्वारा पौलुस और उसके साथियों को कहा”

यदि लोगों के उपदेश के लिए तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो

“यदि तुम्हारे में से किसी के पास उपदेश का कोई शब्द हो तो कहो”

तो कहो

“तो कृपया कहें” या फिर, “तो कृपया हमें बताएं”

Acts 13:16

हाथ से सैन करके कहा

अपने हाथों को हिलाकर संकेत बनाते हुए कहा कि वह बोलने को तैयार है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “अपने हाथों से इशारा करके बताया कि वह बोलनेवाला है”।

हे....परमेश्वर से डरनेवालों

यहाँ पर आशय उन गैर-यहूदियों से है जिन्होंने परमेश्वर की आराधना करने और उस पर विश्वास किया था। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “तुम जो इस्राएल के तो नहीं हो, लेकिन परमेश्वर की आराधना करते हो।”

सुनो

मेरी बात सुनों” या फिर, “मैं जो कहनेवाला हूँ, उसे सुनो”

इस्राएली लोगों के परमेश्वर ने

“इस्राएल के लोगों के परमेश्वर ने”

हमारे बापदादों को चुन लिया

यहाँ “हमारे” सर्वनाम का प्रयोग विशिष्ट है और केवल पौलुस व उसके संगी यहूदियों के विषय में है। यहाँ हम “यहूदी लोगों को चुन लिया” भी लिख सकते हैं।

जब ये मिस्र देश में ....रहते थे

“जब इस्राएल के लोग मिस्र देश में....रहते थे”

निकाल लाया

“परमेश्वर इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया”

सहता रहा

“परमेश्वर ने उन्हें सहन किया” या फिर “परमेश्वर ने उनकी अवज्ञाओं को सहन किया”

Acts 13:19

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

नाश करके

अर्थात नाश करने के बाद

इनकी मीरास

“परमेश्वर ने पौलुस के लोगों की मीरास कर दिया”

उन का देश

“इस्राएल के लोगों का देश”

कोई साढ़े चार सौ वर्ष में

“साढ़े चार सौ साल पहले”

मीरास कर दिया

परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को दे दिया

शमूएल भविष्यद्वक्ता तक

शमूएल भविष्यद्वक्ता तक - “शमूएल भविष्यद्वक्ता के होने तक”

Acts 13:21

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

तब परमेश्वर ने चालीस वर्ष के लिए

“तब परमेश्वर चालीस साल की अवधि के लिए”

दाऊद को उनका राजा बनाया

“परमेश्वर ने दाऊद को उनका राजा चुना”

उनका राजा

अर्थात “इस्राएल का राजा” अथवा “इस्राएलवासियों पर राजा ठहराया”

जिसके विषय में उनसे गवाही दी

“जिसके बारे में परमेश्वर ने कहा”

मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद,...मिल गया है

“मैं ने पाया है कि यिशै का बेटा दाऊद...”

मेरे मन के अनुसार

मेरे मन के अनुसार अर्थात “एक ऐसा मनुष्य है, जो वही चाहता है जो मैं चाहता हूँ” (यूडीबी)।

Acts 13:23

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

इसी के वंश से

“दाऊद के वंश से”

अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार

“परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार”

मन फिराव के बपतिस्मा

“मन फिराव को व्यक्त करनेवाला बपतिस्मा”

तुम मुझे क्या समझते हो?

लोगों को उपदेश देते समय बप्तिस्मा देनेवाले यूहन्ना ने उनसे यह प्रश्न क्या था। इसे “सोचों, मैं कौन हूँ” भी लिख सकते हैं।

जिसके पांवों की जूती भी मैं खोलने के योग्य नहीं

“मैं तो उसके पैरों की जूतियाँ तक खोलने के योग्य नहीं”

Acts 13:26

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

तुम जो अब्राहम की संतान हो

“अब्राहम के वंशज हो” (यूडीबी)

तुम्हारे पास इस उद्धार का वचन

यहाँ “तुम्हारे” का आशय पौलुस और आराधनालय में उपस्थित सभी लोगों से है।

न उसे पहचाना

“यीशु को न जाना”

तुम्हारे पास उद्धार का वचन भेजा गया

“परमेश्वर ने उद्धार का वचन भेजा गया”

न भविष्यद्वक्ताओं की बातें समझी

यहाँ पर आशय “भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों अथवा उनकी लिखी बातों” से है।

इसलिए उसे दोषी ठहराकर उनको पूरा किया

“इसलिए यरूशलेम के अगुओं ने असल में ठीक वही किया जो भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था कि वे करेंगे”

जो हर सब्त के दिन पढ़ी जाती हैं

“जिन्हें हर सब्त के दिन पढ़ा जाता है”।

Acts 13:28

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

उन्होंने

अर्थात यहूदी अगुओं ने

उसमें

अर्थात यीशु में

कोई दोष उसमें न पाया

यहूदी अगुवे बस किसी तरह यीशु को मार डालना चाहते थे। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते अहिं, कि “यहूदी अगुवों को यीशु को मरवाने का कोई कारण न मिला”

तौभी पीलातुस से विनती की

नोट: “विनती” के स्थान पर “मांग की” अधिक उपयुक्त है, क्योंकि उन्होंने पीलातुस पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला था।

जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई बातें पूरी की

जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई बातें पूरी की “जब यहूदी अगुओं ने भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों में यीशु की मृत्यु के विषय में लिखी हुई बातें पूरी की”

तो उसे क्रूस पर से उतार कर कब्र में रखा

“कुछ अगुओं ने यीशु के मरने के पश्चात उसे क्रूस पर से उतार लिया”

Acts 13:30

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया

“परन्तु परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया”

बहुत दिनों तक दिखाई दिया

“यीशु बहुत दिनों तक दिखाई दिया”

लोगों के सामने अब वे ही उसके गवाह हैं

“लोगों के सामने अब वे ही यीशु की गवाही दे रहे हैं”

Acts 13:32

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

उस प्रतिज्ञा के विषय में जो बापदादों से की गयी थी

“परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा के विषय में जो परमेश्वर ने हमारे बापदादों से की थी”

वही प्रतिज्ञा हमारी संतान के लिए पूरी की

“परमेश्वर ने वह प्रतिज्ञा हमारी संतान के लिए पूरी कि”

हमारी संतान के लिए

“हम, संतानों के लिए”

कि परमेश्वर ने यीशु को जिला कर

“कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाने के द्वारा”

जिलाने के विषय में भी

“जिलाने का सत्य भी”

मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी, कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है

मरे हुओं में से जिलाने के विषय में ही, कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है -परमेश्वर ने यीशु के जिलाने के विषय में कहा है ताकि यीशु की देह कभी न सड़े”

पवित्र और अटल कृपा

“पवित्र और नियत कृपा”

Acts 13:35

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

इसलिए उसने एक और भजन में

इसलिए उसने एक और भजन में - -“इसलिए दाऊद एक और भजन में”

तू अपने पवित्र जन को

दाऊद यहाँ परमेश्वर से बातें कर रहा है

सड़ने न देगा

“के शरीर को सड़ने न देगा”

अपने समय में

“अपने जीवनकाल में”

सेवा करके

“परमेश्वर की सेवा की” अथवा, “परमेश्वर को प्रसन्न किया”

सो गया

सो गया - “वह मर गया”

और अपने बापदादों में जा मिला

-“और उसे अपने पूर्वजों के साथ मिटटी में गाड़ दिया गया”

परन्तु...वह सड़ने न पाया

“परन्तु...यीशु की देह सड़ने न पायी”

सड़ने न पाया

“उसकी देह सड़ने न पाई”

Acts 13:38

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

तुम जान लो कि

“तुम्हारे लिए जानना ज़रूरी है कि”

इसी के पापों की क्षमा का सुसमाचार तुम्हें दिया जाता है

“हम तुम्हे यह बताया जाता है कि यीशु मसीह के द्वारा तुम्हारे पाप क्षमा हो सकते हैं”

इसी के द्वारा

“यीशु के द्वारा”

जिन बातों से

“पापों से”

Acts 13:40

x

(पौलुस अपनी बात जारी रखता है)

जो भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में आया है

“ताकि जो बातें भविष्यद्वक्ताओं ने कही हैं”

तुम पर भी आ पड़े

“तुम” का आशय आराधनालय में उपस्थित लोगों से है

‘हे निंदा करनेवालों, देखो”

“हे तिरस्कार से भरे लोगों, सावधान”, अथवा, “मेरा ठट्ठा करनेवालों, सावधान”

मिट जाओ

“मर जाओ”

मैं तुम्हारे दिनों में

“मैं” का आशय परमेश्वर से है

एक काम करता हूँ

“कुछ कर रहा हूँ”

तुम्हारे दिनों में

“तुम्हारे जीवनकाल में”

ऐसा काम

“मैं कुछ ऐसा काम कर रहा हूँ जो”

यदि कोई तुमसे उसकी चर्चा करे

“यदि कोई तुम्हे उसके विषय में बताये”

Acts 13:42

उनके (पौलुस और बरनबास के) बाहर निकलते समय

“जब पौलुस और बरनबास बाहर जा रहे थे”

उनसे विनती करने लगे, कि

“उनसे बहुत आग्रह किया कि”

यहूदी मत में आये हुए भक्तों में

ये यहूदी मत को ग्रहण करनेवाले गैर-यहूदी लोग थे

उन्होंने उनसे बात करके समझाया

“पौलुस और बरनबास ने उन लोगों से बात करके समझाया”

कि परमेश्वर के अनुग्रह में बने रहो

“कि परमेश्वर के अनुग्रह में अपनी आस्था बनाए रखो”

Acts 13:44

नगर के प्रायः सब लोग

सशब्द अर्थ

नगर के प्रायः सब लोग

“सब लोग” अतिशयोक्ति प्रतीत होई है, लेकिन “प्रायः” शब्द से बात स्पष्ट हो जाती है

यहूदी

अर्थात “यहूदी अगुवे”

डाह से भर गए

“यहूदी अगुवे डाह से भर उठे” या फिर, “यहूदी अगुवों को जलन होने लगी”

और निंदा करते हुए

“और पौलुस की निंदा करते हुए”

Acts 13:46

परमेश्वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता

“कि परमेश्वर का वचन पहले तुम्हे सुनाया जाए”

पहले तुम्हें सुनाया जाता

“पहले तुम यहूदियों को सुनाया जाता”

जब कि तुम उसे दूर करते हो

“जब कि तुम यहूदी परमेश्वर के वचन को नकारते हो”

अपने को अनंत जीवन के योग्य नहीं ठहराते

यहूदी लोगों ने यीशु मसीह के माध्यम से अनंत जीवन के पौलुस द्वारा दिए सन्देश को ठुकरा दिया था

की ओर फिरते हैं

की ओर फिरते हैं “हम” का आशय पौलुस व बरनबास से है न कि भीड़ से।

मैंने तुझे अन्यजातियों के लिए ज्योति ठहराया है

यह कथन पुराने नियम से उद्धृत है जहाँ “मैंने” का आशय परमेश्वर से और “तुझे” का आशय मूल रूप से यीशु मसीह से था। पौलुस बताता है कि किस प्रकार यह कथन उस पर और बरनबास पर भी लागू होती है और वे अन्यजातियों में वचन बांटते हैं।

Acts 13:48

जितने अनंत जीवन के लिए ठहराए गए थे

“वे सब जिन्हें परमेश्वर ने अनंत जीवन के लिए चुना था”

अनंत जीवन के लिए ठहराए गए थे

“परमेश्वर ने अनंत जीवन के लिए चुना था”

तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा

तब जिन्होंने विश्वास किया, वे जाकर यीशु मसीह के वचन को दूसरों में बांटने लगे

Acts 13:50

परन्तु यहूदियों ने

“परन्तु यहूदी अगुओं ने”

भड़काया

“उकसाया” अथवा “मनाया”

उपद्रव करवाकर

“इन कुलीन स्त्री-पुरुषों ने सताव को भड़काया”

उन्हें अपने सीमा से बाहर निकाल दिया

“पौलुस व बरनबास को अपने नगर से निकाल दिया” या फिर, “पौलुस व बरनबास को अपने क्षेत्र से निष्कासित कर दिया”

वे उनके सामने अपने पांवों की धूल झाड़ कर

प्रतीकात्मक रूप से किया गया कार्य जो यह व्यक्त करता है कि परमेश्वर ने उन्हें नकार दिया है और उन्हें दंड देगा।

वे.....चले गए

“पौलुस व बरनबास.....चले गए”


Translation Questions

Acts 13:2

अन्ताकिया की कलीसिया उस समय क्या कर रही थी जब पवित्र आत्मा ने उनसे बातचीत की?

अन्ताकिया की कलीसिया उपवास सहित प्रभु की आराधना कर रहे थे जब पवित्र आत्मा ने उनसे बात की।

पवित्र-आत्मा ने उन्हें क्या करने के लिए कहा?

पवित्र आत्मा ने उनसे कहा कि बरनबास और शाऊल को उस काम के लिए अलग करने के लिए ।

Acts 13:3

कलीसिया ने पवित्र आत्मा का कहा सुन कर क्या किया?

कलीसिया ने उपवास और प्रार्थना कर के, बरनबास और शाऊल पर हाथ रख कर उन्हें विदा किया।

Acts 13:5

जब बरनबास और शाऊल सलमीस गए, तो उनके साथ कौन गया?

सलमीस में, यूहन्ना मरकुस उनका सेवक था।

Acts 13:6

बार-यीशु कौन था?

बार-यीशु एक झूठा यहूदी भविष्यवक्ता था और हाकिम के सम्पर्क में था।

Acts 13:7

हाकिम ने बरनबास और शाऊल को क्यों बुलाया?

हाकिम ने बरनबास और शाऊल को इसलिए बुलाया क्योंकि वह परमेश्वर का वचन सुनना चाहता था।

Acts 13:9

शाऊल किस अन्य नाम से भी जाना जाता था?

शाऊल को पौलुस के नाम से भी जाना जाता था।

Acts 13:10

पौलुस ने क्या किया जब बार-यीशु ने हाकिम को विश्वास करने से रोकना चाहा?

पौलुस ने बार-यीशु से कहा कि वह शैतान की संतान है और वह कुछ समय के लिए अंधा हो जाएगा।

Acts 13:12

बार-यीशु का परिणाम देख कर हाकिम ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

हाकिम ने विश्वास किया।

Acts 13:13

जब पौलुस और उसके साथी जहाज़ से पिरगा आए तो यूहन्ना मरकुस ने क्या किया?

यूहन्ना मरकुस उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया।

Acts 13:15

पिसदिया के अन्ताकिया में कहाँ पौलुस को बोलने के लिए कहा गया था?

पिसदिया के अन्ताकिया में, पौलुस को यहूदियों के आराधनालय में बोलने के लिए कहा गया था।

Acts 13:17

अपने उपदेश में पौलुस ने किस ऐतिहासिक घटना का वर्णन किया?

पौलुस ने अपने उपदेश में इस्राएलियों के इतिहास का वर्णन किया।

Acts 13:23

परमेश्वर ने किसके द्वारा इस्राएलियों को उद्धारकर्ता दिया?

राजा दाऊद के द्वारा परमेश्वर ने इस्राएलियों को उद्धारकर्ता दिया।

Acts 13:24

पौलुस के अनुसार किसने आने वाले उद्धारकर्ता के लिए मार्ग तैयार किया था?

पौलुस ने कहा कि यूहन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने आने वाले उद्धारकर्ता के लिए मार्ग तैयार किया।

Acts 13:27

किस प्रकार लोगों और यरूशलेम के सरदारों ने भविष्यवक्ताओं की बातें पूरी कीं?

लोगों और यरूशलेम के सरदारों के भविष्यवक्ताओं की कही बातें यीशु को मृत्यु के लिए दोषी ठहराकर पूरी कीं।

Acts 13:31

अब लोगों में यीशु के गवाह कौन थे?

जिन लोगों ने यीशु को मर कर जी उठने के पश्चात् देखा वही अब उसकी गवाही थे।

Acts 13:33

परमेश्वर ने किस प्रकार दिखाया कि उसने यहूदियों से किया अपना वायदा पूरा किया है?

परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाकर दिखाया कि उसने यहूदियों से अपना वायदा निभाया है।

Acts 13:35

परमेश्वर ने भजन संहिता में पवित्र जन से क्या वायदा किया?

परमेश्वर ने वायदा किया कि वह अपने पवित्र जन को सड़ने न देगा।

Acts 13:38

पौलुस ने हर एक विश्वास करने वाले के विषय में क्या घोषणा की?

पौलुस ने हर एक विश्वास करने वाले के लिए पापों की क्षमा की घोषणा की।

Acts 13:40

पौलुस ने अपने सुनने वालों को क्या चेतावनी दी?

पौलुस ने अपने सुनने वालों को चेतावनी दी कि उन लोगों जैसे न बनें जिनका वर्णन भविष्यवक्ताओं की पुस्तक में है,जो चर्चा सुन कर भी, विश्वास नहीं करते।

Acts 13:44

अन्ताकिया में, अगले दिन सब्त के दिन परमेश्वर का वचन सुनने कौन आया?

अगले दिन प्राय: सब लोग सब्त के दिन परमेश्वर का वचन सुनने आए।

Acts 13:45

यहूदियों ने भीड़ को देख कर क्या प्रतिक्रिया की?

यहूदी डाह से भर गए और पौलुस के उपदेश के विरोध में बोलने लगे, उसकी निन्दा करते हुए।

Acts 13:46

पौलुस ने क्या कहा कि यहूदी परमेश्वर के वचन के साथ कर रहे थे जिसे परमेश्वर ने उनसे कहा था?

परमेश्वर ने कहा कि यहूदी परमेश्वर के वचन को दूर कर रहे थे जिसे परमेश्वर ने उनसे कहा था।

Acts 13:48

जब अन्यजातियों ने देखा कि पौलुस उनकी ओर मुड़ रहा था तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?

अन्यजातीय आनन्दित हुए और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे।

कितने अन्यजातीयों ने विश्वास किया?

जितने अनन्त जीवन के लिए ठहराए गए थे उन्होंने विश्वास किया।

Acts 13:50

फिर यहूदियों ने पौलुस और बरनबास के साथ क्या किया?

यहूदियों ने पौलुस और बरनबास के खिलाफ़ लोगों को भड़काया और नगर से बाहर फिकवा दिया।

Acts 13:51

पौलुस और बरनबास ने इकुनियुम जाने से पहले क्या किया?

पौलुस और बरनबास ने अन्ताकिया के लोगों के खिलाफ़ अपने पांवों की धूल को झाड़ा।


Chapter 14

1 इकुनियुम में ऐसा हुआ कि पौलुस और बरनबास यहूदियों की आराधनालय में साथ-साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया। 2 परन्तु विश्वास न करनेवाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में भड़काए, और कटुता उत्‍पन्‍न कर दी।

3 और वे बहुत दिन तक वहाँ रहे, और प्रभु के भरोसे पर साहस के साथ बातें करते थे: और वह उनके हाथों से चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था। 4 परन्तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इससे कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए।

5 परन्तु जब अन्यजाति और यहूदी उनका अपमान और उन्हें पत्थराव करने के लिये अपने सरदारों समेत उन पर दौड़े। 6 तो वे इस बात को जान गए, और लुकाउनिया* के लुस्त्रा और दिरबे नगरों में, और आस-पास के प्रदेशों में भाग गए। 7 और वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे।

8 लुस्त्रा में एक मनुष्य बैठा था, जो पाँवों का निर्बल था। वह जन्म ही से लँगड़ा था, और कभी न चला था। 9 वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और पौलुस ने उसकी ओर टकटकी लगाकर देखा कि इसको चंगा हो जाने का विश्वास है। 10 और ऊँचे शब्द से कहा, “अपने पाँवों के बल सीधा खड़ा हो।” तब वह उछलकर चलने फिरने लगा।

11 लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊँचे शब्द से कहा, “देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आए हैं।” 12 और उन्होंने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिर्मेस कहा क्योंकि वह बातें करने में मुख्य था। 13 और ज्यूस के उस मन्दिर का पुजारी जो उनके नगर के सामने था, बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाकर लोगों के साथ बलिदान करना चाहता था।

14 परन्तु बरनबास और पौलुस प्रेरितों ने जब सुना, तो अपने कपड़े फाड़े, और भीड़ की ओर लपक गए, और पुकारकर कहने लगे, 15 “हे लोगों, तुम क्या करते हो? हम भी तो तुम्हारे समान दुःख-सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीविते परमेश्‍वर की ओर फिरो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उनमें है बनाया। (निर्ग. 20:11, भज. 146:6) 16 उसने बीते समयों में सब जातियों को अपने-अपने मार्गों में चलने दिया।

17 तो भी उसने अपने आप को बे-गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।” (भज. 147:8, यिर्म. 5:24) 18 यह कहकर भी उन्होंने लोगों को बड़ी कठिनाई से रोका कि उनके लिये बलिदान न करें।

19 परन्तु कितने यहूदियों ने अन्ताकिया और इकुनियुम से आकर लोगों को अपनी ओर कर लिया, और पौलुस को पत्थराव किया, और मरा समझकर उसे नगर के बाहर घसीट ले गए। 20 पर जब चेले उसकी चारों ओर आ खड़े हुए, तो वह उठकर नगर में गया और दूसरे दिन बरनबास के साथ दिरबे को चला गया।

21 और वे उस नगर के लोगों को सुसमाचार सुनाकर, और बहुत से चेले बनाकर, लुस्त्रा और इकुनियुम और अन्ताकिया को लौट आए। 22 और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे कि विश्वास में बने रहो; और यह कहते थे, “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।”

23 और उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। 24 और पिसिदिया से होते हुए वे पंफूलिया में पहुँचे; 25 और पिरगा में वचन सुनाकर अत्तलिया में आए।

26 और वहाँ से जहाज द्वारा अन्ताकिया गये, जहाँ वे उस काम के लिये जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्‍वर के अनुग्रह में सौंपे गए। 27 वहाँ पहुँचकर, उन्होंने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्‍वर ने हमारे साथ होकर कैसे बड़े-बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया*। 28 और वे चेलों के साथ बहुत दिन तक रहे।



Acts 14:1

इकुनियुम में ऐसा हुआ

“इकुनियुम में भी ऐसा ही हुआ”

परन्तु विश्वास न करनेवाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में भड़काए

“परन्तु अवज्ञाकारी यहूदियों ने अन्यजातियों को विश्वासियों के विरुद्ध कर दिया’

Acts 14:3

और वे बहुत दिनों तक वहाँ रहे

पौलुस व बरनबास कई दिनों तक इकुनियुम में रहे। यदि “और” शब्द के प्रयोग से भ्रम पैदा होता हो, तो उसे हटाया जा सकता है।

अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था

“प्रभु अपने अनुग्रह के वचन पर......”

अपने अनुग्रह के

अर्थात “प्रभु के अनुग्रह के”

वचन पर गवाही देता था

“वचन की सत्यता की गवाही देता था”

वह उनके हाथों से

अर्थात पौलुस व बरनबास के हाथों से।

चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर

यीशु ने पौलुस व बरनबास को चिन्ह व अद्भुत कार्य करने की सामर्थ दी। अनुवाद करते समय यूँ भी लिख सकते हैं कि, “चिन्ह और अद्भुत काम करने की सामर्थ दी” (यूडीबी)

कितने तो ...की ओर, और कितने....की ओर हो गए

“की ओर हो गए” का आशय है “के पक्ष में हो गए”

प्रेरितों की ओर

यहाँ लूका ने पौलुस व बरनबास को प्रेरित कहते हुए, उन्हें यीशु के बारह चेलों की बराबरी देता है।

Acts 14:5

अपने सरदारों समेत

“इकुनियुम के सरदारों समेत”

तो वे इस बात को जान गए

“तब पौलुस व बरनबास उन्हें चोट पहुंचाने के लिए बनाई गयी उनकी योजना को जान गए”

लुकाउनिया

एशिया माइनर का एक जिला

लुस्त्रा

इकुनियुम के दक्षिण और दिरबे के उत्तर में स्थित एशिया माइनर का एक नगर

दिरबे

इकुनियुम और लुस्त्रा के दक्षिण में स्थित एशिया माइनर का एक नगर

और वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे

“और पौलुस व बरनबास वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे”

Acts 14:8

और ऊंचे शब्द से कहा

“पौलुस ने उस लंगड़े व्यक्ति से कहा”

वह जन्म ही से लंगड़ा था, और कभी न चला था

“वह पैदाइशी लंगड़ा था, और चलने से लाचार था”

पौलुस ने उसकी ओर टकटकी लगा कर देखा

“पौलुस ने सीधा उसे देखा”

कि इस को

“कि इस लंगड़े व्यक्ति को”

चंगा हो जाने का

“चंगाई पाने का”

Acts 14:11

ऊँचें शब्द से कहा

“जोश से चिल्लाया” (यूडीबी)

देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आये हैं

बहुत लोगों को लगता था कि पौलुस व बरनबास उनके देवता है जो आकाश या स्वर्ग से उतर कर उनके पास आये थे। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “देवता स्वर्ग से उतर कर हमारे पास आये हैं।”

मनुष्यों के रूप में

लोगों को लगता था कि देवता लोग पूरी तरह से मनुष्य नहीं दिखते होंगे।

क्योंकि वह बातें करने में

“क्योंकि पौलुस बातें करने में”

बैल और फूलों के हार

बलि के लिए जानवर, और पौलुस व बरनबास अथवा बलि के जानवर के लिए फूलों के हार।

मंदिर का पुजारी..... लोगों के साथ

“मंदिर का पुजारी...और भीड़” (यूडीबी)

Acts 14:14

प्रेरितों ने जब

लूका यहाँ पौलुस व बरनबास को “प्रेरित” कह रहा है और यीशु के 12 मूल चेलों के साथ उनकी बराबरी कर रहा है।

हे लोगों, तुम क्या करते हो?

जब लोग पौलुस और बरनबास के लिए बलिदान देना चाहते थे, तब पौलुस और बरनबास ने उन्हें झिड़की दी। इस हम इस प्रकार भी लिख सकते हैं, कि “हे लोगों, तुम्हे ये सब नहीं करना चाहिए!”

हम भी तो तुम्हारे समान

अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “हम भी तुम्हारी तरह”

इन व्यर्थ की वस्तुओं से अलग होकर

“इन बेकार की मूरतों की आराधना बंद करों” या फिर, “इन झूठे देवताओं की आराधना बंद कर”

जीवते परमेश्वर

“बजाय इसके, जीवते परमेश्वर की आराधना करो”

अपने-अपने मार्गों में चलने दिया

“अपने अनुसार जीने दिया”

Acts 14:17

x

(पौलुस व बरनबास अपना उपदेश जारी रखते हैं)

उसने अपने आप को

“परमेश्वर ने स्वयं को”

किन्तु

अनुवाद करते समय “उस पर भी” का प्रयोग भी कर सकते हैं।

तुम्हारे मन को....भरता रहा

“तुम्हारे” से पौलुस का आशय सभी सुननेवालों से है

तुम्हारे मन को भोजन और आनंद से भरता रहा

“तुम्हे खाने को पर्याप्त भोजन और आनंददायक वस्तुएं देता रहा”

उन्होंने लोगों को बड़ी कठिनाई से रोका कि उनके लिए बलिदान न करें

भीड़ ने पौलुस व बरनबास के लिए बैल को लगभग बलि कर ही दिया था

Acts 14:19

लोगों को अपनी ओर कर लिया

“लोगों को पौलुस के विरोध में कर दिया”

वह उठकर

पौलुस के विषय में है

नगर में गया

“पौलुस फिर से विश्वासियों के साथ लुस्त्रा में गया”

दिरबे चला गया

“पौलुस दिरबे चला गया”

Acts 14:21

वे ....लोगों को सुसमाचार सुनाकर....चेले बनाकर...लौट आये

यहाँ पौलुस व बरनाबास के विषय में बात हो रही है

उस नगर

अर्थात “दिरबे”

चेलों के मन को स्थिर करते रहे

पौलुस व बरनबास ने विश्वासियों को दृड़ बनाया और सुसमाचार के सत्य में और अधिक मज़बूत बनाया

यह उपदेश देते थे कि विश्वास में बने रहो

पौलुस व बरनबास लोगों को यीशु में विश्वास बनाए रखने का प्रोत्साहन दे रहे थे

और यह कहते थे कि, “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।”

यह प्रत्यक्ष भाष्य है। अनुवाद करते समय हम इसे कर्मप्रधान भी बना सकते हैं। जैसे कि, “उन्होंने बताया कि वे उन्हें क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना था।”

यह कहते थे

अर्थात "पौलुस व बरनबास लुस्त्रा, इकुनियुम और अन्ताकिया के विश्वासियों से कहते थे"

प्रवेश करना होगा

पौलुस यहाँ बरनबास, विश्वासियों और स्वयं के विषय में भी कह रहा है।

Acts 14:23

और उन्होंने.....प्राचीन ठहराए

“पौलुस और बरनबास ने.... विश्वासियों की नयी सभाओं के लिए अगुवे नियुक्त किये”

प्रभु के हाथ सौंपा

“पौलुस और बरनबास ने नियुक्त किये प्राचीनों को प्रभु के हाथ सौंपा”

जिस पर उन्होंने विश्वास किया था

“जिस पर नए विश्वासियो ने विश्वास किया था”

जहां वे उस काम के लिए जो उन्होंने

“वे” और “उन्होंने” का आशय पौलुस व बरनबास से है

जहां वे उस काम के लिए जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह में सौपें गए थे

“जहां अन्ताकिया के लोगों ने प्रार्थना की थी कि परमेश्वर पौलुस व बरनबास की देखरेख और रक्षा करे”

Acts 14:27

वहाँ पहुंचकर, उन्होंने

“वहां पहुंचकर पौलुस व बरनबास ने”

परमेश्वर ने हमारे साथ कैसे बड़े-बड़े काम किए

“परमेश्वर ने पौलुस व बरनबास के साथ कैसे बड़े-बड़े काम किए”

परमेश्वर ने.....कैसे

परमेश्वर ने....किस प्रकार

और अन्यजातियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया

यहाँ पर अलंकार का प्रयोग है। कहने का आशय है कि “परमेश्वर ने अन्यजातियों के लिए विश्वास का एक मार्ग बना दिया” या फिर, “परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी विश्वास का अवसर दिया”। जिस प्रकार व्यक्ति बंद दरवाज़े से नहीं गुज़र सकता, वैसे ही अन्यजातीय लोगों के लिए भी परमेश्वर पर विश्वास करना तब तक असंभव है जब तक कि परमेश्वर उनके लिए यह संभव न बनाए।

वे चेलों के साथ

अर्थात पौलुस व बरनबास


Translation Questions

Acts 14:1

जब इकुनियुम में पौलुस और बरनबास के प्रचार को सुनकर बहुतों ने विश्वास किया तो विश्वास न करने वाले यहूदियों ने क्या किया?

विश्वास न करने वाले लोगों ने अन्यजातियों के मन भाईयों के विरोध में भड़काए और उनके मन में कटुता उत्पन्न कर दी।

Acts 14:3

परमेश्वर ने अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही कैसे दी?

परमेश्वर ने पौलुस और बरनबास के हाथों से चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह की गवाही दी।

Acts 14:5

पौलुस और बरनबास ने इकुनियुम क्यों छोड़ा?

कुछ अन्यजातीय और यहूदियों ने अपने सरदारों को भड़का कर पौलुस और बरनबास पर पथराव करने और उनका अपमान करने की कोशिश की।

Acts 14:8

पौलुस ने ऐसा क्या किया जिसके कारण लुस्त्रा में कोलाहल मच गया ?

पौलुस ने जन्म से लंगड़े आदमी को चंगा कर दिया।

Acts 14:11

लुस्त्रा के लोग पौलुस और बरनबास के लिए क्या करना चाहते थे?

वे लोग ज्यूस के पुजारी के द्वारा पौलुस और बरनबास को बलिदान चढ़ाना चाहते थे।

Acts 14:14

बरनबास और पौलुस ने लोगों की इच्छा जानकार किस प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त की?

बरनबास और पौलुस ने अपने कपड़े फाड़े और, भीड़ की ओर लपक गए और पुकारकर कहने लगे कि उन्हें इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरना चाहिए।

Acts 14:16

पौलुस और बरनबास ने क्या बताया जो परमेश्वर ने बीते समय में अपने मार्गों में चलने वाली जातियों के लिए भी किया?

परमेश्वर उन्हें वर्षा और फलवन्त ऋतु दे कर, उनके मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।

Acts 14:19

लुस्त्रा की भीड़ ने पौलुस के साथ बाद में क्या किया?

लुस्त्रा की भीड़ ने बाद में पौलुस पर पथराव कर उसे घसीट कर नगर के बाहर छोड़ दिया।

Acts 14:20

जब चेले पौलुस के आस-पास खड़े थे तो उसने क्या किया?

पौलुस उठा और नगर में चला गया।

Acts 14:22

क्या करके पौलुस के अनुसार चेले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश पा सकते थे?

पौलुस के अनुसार बड़ा क्लेश उठाकर चेलों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना चाहिए।

Acts 14:23

पौलुस और बरनबास ने जाने से पहले विश्वासियों की प्रत्येक कलीसिया में क्या किया?

हर एक कलीसिया में, पौलुस और बरनबास ने प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथों में सौंपा।

Acts 14:27

पौलुस और बरनबास ने अन्ताकिया वापिस आकर क्या किया?

और जब वे अन्ताकिया लौटे, उन्होंने कलीसिया को बताया कि परमेश्वर ने कैसे उनके साथ होकर बड़े-बड़े काम किए,और कैसे अन्यजातियों के लिए विश्वास का द्वार खोला।


Chapter 15

1 फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे: “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।” (लैव्य. 12:3) 2 जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत मतभेद और विवाद हुआ तो यह ठहराया गया, कि पौलुस और बरनबास, और उनमें से कुछ व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ।

3 अतः कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया; और वे फीनीके और सामरिया से होते हुए अन्यजातियों के मन फिराने का समाचार सुनाते गए, और सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया। 4 जब वे यरूशलेम में पहुँचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उनसे आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्‍वर ने उनके साथ होकर कैसे-कैसे काम किए थे।

5 परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से कितनों ने उठकर कहा, “उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए।” 6 तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।

7 तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद हो जाने के बाद खड़े होकर उनसे कहा,

“हे भाइयों, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्‍वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुँह से अन्यजातियाँ सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।” 8 और मन के जाँचने वाले परमेश्‍वर ने उनको भी हमारे समान पवित्र आत्मा देकर उनकी गवाही दी; 9 और विश्वास के द्वारा उनके मन शुद्ध करके हम में और उनमें कुछ भेद न रखा।

10 तो अब तुम क्यों परमेश्‍वर की परीक्षा करते हो। कि चेलों की गर्दन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे पूर्वज उठा सकते थे और न हम उठा सकते है। 11 हाँ, हमारा यह तो निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएँगे*; उसी रीति से हम भी पाएँगे।”

12 तब सारी सभा चुपचाप होकर बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्‍वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में कैसे-कैसे बड़े चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाए।

13 जब वे चुप हुए, तो याकूब कहने लगा,

“हे भाइयों, मेरी सुनो। 14 शमौन ने बताया, कि परमेश्‍वर ने पहले पहल अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की, कि उनमें से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले।

15 और इससे भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी मिलती हैं, जैसा लिखा है,

    16 ‘इसके बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊँगा,

     और उसके खंडहरों को फिर बनाऊँगा,

     और उसे खड़ा करूँगा, (यिर्म. 12:15)

    17 इसलिए कि शेष मनुष्य, अर्थात् सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूँढें,

    18 यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।’ (आमो. 9:9-12, यशा. 45:21)

19 इसलिए मेरा विचार यह है, कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्‍वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दुःख न दें; 20 परन्तु उन्हें लिख भेजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं* और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के माँस से और लहू से परे रहें। (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17, लैव्य. 17:10-14) 21 क्योंकि पुराने समय से नगर-नगर मूसा की व्यवस्था के प्रचार करनेवाले होते चले आए है, और वह हर सब्त के दिन आराधनालय में पढ़ी जाती है।”

22 तब सारी कलीसिया सहित प्रेरितों और प्राचीनों को अच्छा लगा, कि अपने में से कुछ मनुष्यों को चुनें, अर्थात् यहूदा, जो बरसब्बास कहलाता है, और सीलास को जो भाइयों में मुखिया थे; और उन्हें पौलुस और बरनबास के साथ अन्ताकिया को भेजें। 23 और उन्होंने उनके हाथ यह लिख भेजा: “अन्ताकिया और सीरिया और किलिकिया के रहनेवाले भाइयों को जो अन्यजातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों का नमस्कार!

24 हमने सुना है, कि हम में से कुछ ने वहाँ जाकर, तुम्हें अपनी बातों से घबरा दिया; और तुम्हारे मन उलट दिए हैं परन्तु हमने उनको आज्ञा नहीं दी थी। 25 इसलिए हमने एक चित्त होकर ठीक समझा, कि चुने हुए मनुष्यों को अपने प्रिय बरनबास और पौलुस के साथ तुम्हारे पास भेजें। 26 ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन्होंने अपने प्राण हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिये जोखिम में डाले हैं।

27 और हमने यहूदा और सीलास को भेजा है, जो अपने मुँह से भी ये बातें कह देंगे। 28 पवित्र आत्मा को, और हमको भी ठीक जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों को छोड़; तुम पर और बोझ न डालें; 29 कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से दूर रहो। इनसे दूर रहो तो तुम्हारा भला होगा। आगे शुभकामना।” (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17, लैव्य. 17:10-14)

30 फिर वे विदा होकर अन्ताकिया में पहुँचे, और सभा को इकट्ठी करके उन्हें पत्री दे दी। 31 और वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनन्दित हुए। 32 और यहूदा और सीलास ने जो आप भी भविष्यद्वक्ता थे, बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया।

33 वे कुछ दिन रहकर भाइयों से शान्ति के साथ विदा हुए कि अपने भेजनेवालों के पास जाएँ। 34 (परन्तु सीलास को वहाँ रहना अच्छा लगा।) 35 और पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए: और अन्य बहुत से लोगों के साथ प्रभु के वचन का उपदेश करते और सुसमाचार सुनाते रहे।

36 कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, “जिन-जिन नगरों में हमने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उनमें चलकर अपने भाइयों को देखें कि कैसे हैं।” 37 तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया। 38 परन्तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उनसे अलग हो गया था, और काम पर उनके साथ न गया, साथ ले जाना अच्छा न समझा।

39 अतः ऐसा विवाद उठा कि वे एक दूसरे से अलग हो गए; और बरनबास, मरकुस को लेकर जहाज से साइप्रस को चला गया।

40 परन्तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्‍वर के अनुग्रह में सौंपा जाकर वहाँ से चला गया। 41 और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकला।



Acts 15:1

कुछ लोग

अर्थ स्पष्ट है

यहूदिया से आये

“ऊपर यहूदिया से आये” (अन्ताकिया की अपेक्षा यहूदिया अधिक ऊँचाई पर स्थित है)। यहूदी लोग यरूशलेम व मंदिर की और जाने को “ऊपर जाना” कहते थे, और यरूशलेम व मंदिर से दूर जाने को “नीचे जाना”

भाइयों को सिखाने लगे

“अन्ताकिया के विश्वासियों को सिखाने लगे” या फिर, “अन्ताकिया में विश्वासियों को सिखाने लगे”

की रीति

“रिवायत के अनुसार” या फिर, “शिक्षा के अनुसार”

उनसे बहुत बड़ा

अर्थात “यहूदिया के लोगों से बहुत बड़ा”

यरूशलेम को

(ऊपर दिए गए टिप्पणी देखे: "यरूशलेम की और")

इस बात के विषय

“इस मुद्दे के विषय”

Acts 15:3

अतः कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया

इसे परोक्ष कथन के रूप में इस प्रकार भी लिख सकते हैं कि “अतः पौलुस, बरनबास और कुछ अन्य विश्वासी लोग कलीसिया द्वारा कुछ दूर तक पहुंचाए गए।”

...से होते हुए.....समाचार सुनाते गए

“से होते हुए” और “समाचार सुनाते गए” इस बात का संकेत देते हैं कि परमेश्वर के कार्यों का बखान करते हुए वे जगह-जगह गए।

अन्यजातियों के मन फिराने

बहुत से अन्यजातीय लोग यूनानी व रोमी देवताओं को छोड़ यीशु में विश्वास करने लगे थे।

कलीसिया और प्रेरित उनसे आनंद के साथ मिले

अर्थात “कलीसिया के सदस्यो और प्रेरितों ने उनका स्वागत किया..”

उनके साथ होकर

“उनके माध्यम से”

Acts 15:5

परन्तु कैसे?

लूका विश्वासियों के दो समूहों की तुलना करता है, पहले वे जो “केवल यीशु के द्वारा उद्धार” में विश्वास रखते हैं, और दूसरे वे फरीसी जो यीशु में विश्वास तो रखते हैं लेकिन यह भी मानते हैं कि “उद्धार के लिए खतना करवाना भी अनिवार्य है।”

उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए

“उन्हें” का आशय खतराहित गैर-यहूदी विश्वासियों से हैं।

व्यवस्था को मानने के लिए

“व्यवस्था का पालन करने के लिए”

इस बात के विषय में विचार करने के लिए

“विश्वास से जुड़े इस अंतर पर विचार करने के लिए।” अर्थात, पौलुस द्वारा दिए जानेवाले उद्धार के उपदेश (यीशु द्वारा उद्धार) और फरीसियों के सुसमाचार (खतना और व्यवस्था द्वारा उद्धार) के बीच के अंतर पर बहस करने के लिए इकट्ठे हों।

Acts 15:7

खड़े होकर उनसे कहा

“खड़े होकर उपस्थित प्रेरितों, प्राचीनों और अन्य विश्वासियों से कहा”

हे भाइयों

पतरस यहाँ उपस्थित पुरुषों को संबोधित कर रहा है

बहुत दिन हुए

“बहुत दिन पहले” (यूडीबी)

तुम में से मुझे

यहूदी विश्वासियों के बीच में से मुझे

कि मेरे मुंह से

पतरस यहाँ अपने विषय में कह रहा है।

अन्यजातिय सुसमाचार का वचन सुनकर

“अन्यजातिय सुसमाचार का वचन सुनें”

उनकी गवाही दी

“अन्यजातीय की गवाही दी”

and he made

"and God made"

हम में और उनमें कुछ भेद न रखा

परमेश्वर ने यहूदी विश्वासियों और गैर-यहूदी विश्वासियों के बीच कोई अंतर न रखा

हम में और उनमें

“हम में” में पतरस स्वयं को भी शामिल कर रहा है, और “उनमें” का आशय गैर-यहूदियों से है।

Acts 15:10

x

(पतरस अपनी बात जारी रखता है।)

तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो? कि चेलों की गर्दन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सकते थे और न हम उठा सकते हैं?

यह वास्तविक प्रश्न है जहाँ पतरस यहूदी विश्वासियों से यह कह रहा है कि गैर-यहूदी विश्वासियों को मूसा की व्यवस्था और विशेषकर खतना कराने की ज़रुरत नहीं थी। इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “जिस बोझ को हम यहूदी ही न उठा सके, उस बोझ को अन्यजातिय विश्वासियों पर लाद कर परमेश्वर की परीक्षा न लो!”

न हमारे बापदादे...और न हम

पतरस यहाँ “हमारे” और “हम” शब्द में अपने सुननेवालों को भी शामिल कर रहा है।

हमारा तो यह निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे, उसी रीति से हम भी पाएंगे।

पतरस यहाँ अपने यहूदी श्रोताओं के साथ स्वयं को शामिल कर रहा है।

जिस रीति से वे...

“जिस रीति से गैर-यहूदी...”

Acts 15:12

तब सारी सभा

अर्थात प्रेरित, प्राचीन, और उपस्थित दूसरे विश्वासी

परमेश्वर ने ....काम दिखाए

“परमेश्वर ने.....काम किये”

उनके द्वारा

“उनके” का आशय पौलुस व बरनबास से है

Acts 15:13

जब वे चुप हो गए

“जब बरनबास और पौलुस ने बोलना बंद किया”

एक लोग

”लोगों का समूह”

उनमें से

“उनके बीच से”

अपने नाम के लिए

यह शब्द स्वयं के लिए प्रयोग किया है। अनुवाद करते समय इसे “स्वयं अपने लिए” भी लिख सकते हैं।

Acts 15:15

x

(याकूब अपने बात जारी रखता है)

बातें भी मिलती हैं

“इस सत्य की पुष्टि करती हैं”

मैं इसके बाद फिर आकर....फिर बनाउंगा, और उसे खड़ा करूँगा

“मैं” आशय परमेश्वर से है जो भविष्यद्वक्ताओं के शब्दों के माध्यम से बोल रहा है

मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊंगा

इसका आशय परमेश्वर द्वारा दाऊद के वंशजों में से एक राजा को चुनने से है। (यूडीबी)

उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा, और उसे खड़ा करूँगा, इसलिए कि शेष मनुष्य ....प्रभु को ढूंढें

“मैं राजा दाऊद के वंशजो से एक राजा बनाऊंगा और उसे खड़ा करूँगा, ताकि शेष लोग....प्रभु को ढूढें”

उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा

“खंडहरों” से आशय ईमारतों, दीवारों, और पीछे छोड़ गयी संपत्ति से है जो नगर के तबाह होने पर, कई वर्षों के दौरान पड़े-पड़े खराब हो जाती हैं।

जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है

“जो प्राचीनकाल से इन बातों का समाचार देता आया है”

Acts 15:19

x

(याकूब अपने बात जारी रखता है)

अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दुःख न दें

“हमें अन्यजातीय लोगों का खतना करने और मूसा की व्यवस्था को मानने को नहीं कहना चाहिए”

उन्हें दुःख न दें

“हम” में याकूब प्रेरितों, प्राचीनों और खतना हुए लोगों को शामिल कर रहा है।

मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के मांस....और लहू

अशुद्धताएं, जानवरों का गला घोंटना, और लहू पीना अकसर इन मूरतों और झूठे देवताओं की आराधना का हिस्सा होते थे।

पुराने समय से….मूसा की व्यवस्था

मूसा की व्यवस्था का आशय परमेश्वर द्वारा मूसा को दी गयी व्यवस्था से है।

प्रचार करनेवाले

अर्थात व्यवस्था का प्रचार करनेवाले लोग

Acts 15:22

तब सारी कलीसिया

यह व्यक्त करता है कि कलीसिया के सभी सदस्य प्रेरितों और प्राचीनोंसे सहमत थे। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “यरूशलेम की पूरी कलीसिया।”

यहूदा, जो बरसब्बा कहलाता है

यरूशलेम की कलीसिया का एक अगुआ

सिलास

यरूशलेम की कलीसिया का एक अगुआ

अन्ताकिया को भेजें

“यहूदा और सीलास को अन्ताकिया भेजे”

उनके हाथ यह लिख भेजा

“प्रेरितों, दूसरे प्राचीनों और यरूशलेम के विश्वासियों ने यह लिखा”

किलिकिया

कुप्रुस टापू में, एशिया माइनर उत्तर का एक प्रांत

Acts 15:24

x

(यरूशलेम की कलीसिया से अन्ताकिया के गैर-यहूदी विश्वासियों को लिखे पत्र में आगे है.....)

हम में से कुछ ने

“हम में से कुछ लोगों ने”

हम ने उनको आज्ञा नहीं दी थी

हम ने उनको ये सब प्रचार करने को नहीं कहा था

ठीक समझा

सहमत हुए

अपने प्रिय बरनबास और पौलुस

यह स्नेहपूर्ण संबोधन है। “जिन्हें हम इतना स्नेह करते हैं” (यूडीबी)

Acts 15:27

x

(यरूशलेम की कलीसिया से अन्ताकिया के गैर-यहूदी विश्वासियों को लिखे पत्र में आगे है.....)

हम ने यहूदा और सीलास को भेजा है

“इसलिए हम ने यहूदा और सीलास को भेजा है” या फिर, “इस कारण हमने.....”

जो अपने मुंह से भी ये बातें कह देंगे

“जो स्वयं ही ये बातें के देंगे”

लहू से

जानवरों के लहू का सेवन करने के विषय में है।

गला घोंटे हुओं

मारा गया जानवर जिसका लहू नहीं बहाया गया हिया

आगे शुभ

पत्र के अंत में लिखा जानेवाला अभिनन्दन। इसे “अलविदा” भी लिख सकते है।

Acts 15:30

और वे विदा होकर

“वे” का आशय यहूदा, सिलास, पौलुस और बरनबास से है

और वे विदा होकर

अर्थात “जाने की अनुमति दे दी गयी” या फिर, “उन्हें विदा किया”

अन्ताकिया में पहुंचे

“अन्ताकिया पहुंचे।” यरूशलेम से किसी भी अन्य नगर जाने की बात को यहूदी नीचे उतरना कहते थे।

वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनंदित हुए

“वे” का आशय अन्ताकिया के विश्वासियों से है

भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया

“अन्ताकिया के विश्वासियों को उपदेश देकर स्थिर किया”

आप भी भविष्यद्वक्ता

भविष्यद्वक्ता होने के कारण परमेश्वर से मिलनेवाले अधिकार का विशेष रीति से प्रयोग किया. अनुवाद करते समय यूं लिखा जा सकता है कि “क्योंकि वे भविष्यद्वक्ता थे” या फिर, “भविष्यद्वक्ता होने के कारण” (यूडीबी).

Acts 15:33

वे कुछ दिन रह कर...विदा हुए

“वे” अर्थात यहूदा और सिलास

कुछ दिन

“कुछ अवधि” या फिर “कई सप्ताह तक”

भाइयों से शांति के साथ विदा हुए

“विदा लेते समय विश्वासियों ने अभिनन्दन दिया”

भाइयों से शांति के साथ

भाइयों से शांति के साथ अन्ताकिया की कलीसिया से मित्रों के समान

अपने भेजनेवालों

“यहूदा और सीलास को भेजनेवाली यरूशलेम की कलीसिया के पास”

पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए

“जबकि पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में ही रहे”

कुछ प्राचीन लेख

प्राचीन हस्तलेखों में यहाँ कुछ अंतर है।

Acts 15:36

आओ, फिर....देखें कि कैसे हैं

यहाँ सुझाव का भाव है

चलकर अपने भाइयों को देखें

“चलकर” अर्थात उनके पास “जाकर”

देखें कि कैसे हैं

“अपने भाइयों के वर्तमान हालात का पता लगाए और देखें कि जो सत्य उन्हें दिया गया था, वे उसे कैसे निबाह रहे हैं।”

यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया

“पौलुस और अपने (बरनबास) साथ यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया”

Acts 15:39

ऐसा विवाद उठा

पौलुस और बरनबास एकमत अथवा सहमत न हो सके

वे एक दूसरे से अलग हो गए

“पौलुस व बरनबास एक दूसरे से अलग हो गए”

और बरनबास, मरकुस को लेकर .....चला गया

“और बरनबास ने मरकुस को साथ लिया, और वहां से रवाना हो गए”

भाइयों से

“अन्ताकिया के विश्वासियों से”

सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकला

सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकल ये एशिया माइनर स्थित जगहें थी।

कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ

“कलीसियाओं को आत्मिक रूप से मज़बूत बनाता हुआ”


Translation Questions

Acts 15:1

यहूदिया से आए कुछ लोगों ने भाईयों को क्या सिखाया?

यहूदिया से आए कुछ लोगों के भाइयों को सिखाया कि यदि उन्होंने मूसा की रीति से ख़तना न किया हो तो वे उद्धार नहीं पा सकते।

Acts 15:2

भाइयों ने इस प्रश्न का किस प्रकार हल ढूँढने का निर्णय किया?

भाइयों ने निश्चित किया कि पौलुस और बरनबास और कुछ और लोग यरूशलेम में प्रेरितों और प्राचीनों के पास जाएं।

Acts 15:3

फीनीके और सामरिया से होते हुए, पौलुस और अन्यों ने क्या समाचार सुनाया?

पौलुस और अन्यों ने अन्यजातीयों के मन फिराने का समाचार सुनाया।

Acts 15:5

विश्वासियों के कौन से पंथ का विश्वास था कि अन्यजातियों को खतना करना चाहिए और मूसा की व्यवस्था का पालन करना चाहिए?

फरीसियों के पंथ का विश्वास था कि अन्यजातियों को खतना कराना और मूसा की व्यवस्था का पालन करना चाहिए।

Acts 15:8

पतरस के अनुसार परमेश्वर ने अन्यजातियों के लिए क्या किया और उन्हें क्या दिया था?

पतरस ने कहा परमेश्वर ने अन्यजातियों को पवित्र आत्मा दिया और विश्वास के द्वारा उनके मन को शुद्ध किया।

Acts 15:11

पतरस के अनुसार यहूदियों और अन्यजातीयों ने किस प्रकार उद्धार पाया?

पतरस ने कहा कि यहूदी और अन्यजाति दोनों ने प्रभु यीशु के अनुग्रह द्वारा उद्धार पाया।

Acts 15:12

पौलुस और बरनबास ने कलीसिया को क्या बताया?

पौलुस और बरनबास ने बताया कि किस प्रकार परमेश्वर ने अन्यजातियों में कैसे-कैसे बड़े चिन्ह और अद्भुत काम कर दिखाए।

Acts 15:13

याकूब की भविष्यद्वाणी के अनुसार परमेश्वर किस चीज़ का पुनर्निर्माण करने वाला था और इसमें कौन-कौन शामिल होने वाले थे?

भविष्यद्वाणी के अनुसार परमेश्वर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाएगा और इसमें अन्यजातीय शामिल होंगे।

Acts 15:20

याकूब ने मन फिराने वाले अन्यजातीयों को क्या आज्ञा दी?

याकूब ने आज्ञा दी कि मन फिराने वाले अन्यजातियों को मूरतों की अशुदधता और व्यभिचार और गला घोटे हुओं के मांस और लहू से परे रहना चाहिए।

Acts 15:28

अन्यजातियों को लिखे पत्र में, कौन इस निर्णय से सहमत कहा जाता है कि अन्यजातियों को केवल कुछ आवश्यक आज्ञाएँ दी जानी चाहियें?

पत्र के लेखकों और पवित्र आत्मा ने इस निर्णय से सहमति जताई।

Acts 15:31

अन्यजातियों ने यरूशलेम से आए पत्र पर कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की?

अन्यजातियों ने पत्र के प्रोत्साहन से अत्यन्त आनन्द उठाया।

Acts 15:35

पौलुस और बरनबास ने अन्ताकिया में रहकर क्या किया?

पौलुस और बरनबास ने परमेश्वर के वचन से उपदेश सुनाया और सिखाया।

Acts 15:36

पौलुस ने बरनबास को क्या बताया कि वह क्या करना चाहता है?

पौलुस ने बरनबास से कहा कि जिन-जिन नगरों में उन्होंने परमेश्वर का वचन सुनाया था वहां वापिस लौटकर भाइयों को देखें कि कैसे हैं।

Acts 15:37

पौलुस और बरनबास ने अलग-अलग दिशाओं में यात्रा करने का निश्चय क्यों किया?

बरनबास मरकुस को साथ ले जाना चाहता था, पर पौलुस ने उसको साथ ले जाना अच्छा न समझा।


Chapter 16

1 फिर वह दिरबे और लुस्त्रा में भी गया, और वहाँ तीमुथियुस नामक एक चेला था। उसकी माँ यहूदी विश्वासी थी, परन्तु उसका पिता यूनानी था। 2 वह लुस्त्रा और इकुनियुम के भाइयों में सुनाम था। 3 पौलुस की इच्छा थी कि वह उसके साथ चले; और जो यहूदी लोग उन जगहों में थे उनके कारण उसे लेकर उसका खतना किया, क्योंकि वे सब जानते थे, कि उसका पिता यूनानी था।

4 और नगर-नगर जाते हुए वे उन विधियों को जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने ठहराई थीं, मानने के लिये उन्हें पहुँचाते जाते थे। 5 इस प्रकार कलीसियाएँ विश्वास में स्थिर होती गई और गिनती में प्रतिदिन बढ़ती गई।

6 और वे फ्रूगिया और गलातिया प्रदेशों में से होकर गए, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन्हें आसिया में वचन सुनाने से मना किया। 7 और उन्होंने मूसिया* के निकट पहुँचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु के आत्मा ने उन्हें जाने न दिया। 8 अतः वे मूसिया से होकर त्रोआस* में आए।

9 वहाँ पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदुनी पुरुष खड़ा हुआ, उससे विनती करके कहता है, “पार उतरकर मकिदुनिया में आ, और हमारी सहायता कर।” 10 उसके यह दर्शन देखते ही हमने तुरन्त मकिदुनिया जाना चाहा, यह समझकर कि परमेश्‍वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है।

11 इसलिए त्रोआस से जहाज खोलकर हम सीधे सुमात्राके और दूसरे दिन नियापुलिस में आए। 12 वहाँ से हम फिलिप्पी* में पहुँचे, जो मकिदुनिया प्रान्त का मुख्य नगर, और रोमियों की बस्ती है; और हम उस नगर में कुछ दिन तक रहे। 13 सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझकर गए कि वहाँ प्रार्थना करने का स्थान होगा; और बैठकर उन स्त्रियों से जो इकट्ठी हुई थीं, बातें करने लगे।

14 और लुदिया नाम थुआतीरा नगर की बैंगनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी, और प्रभु ने उसका मन खोला, ताकि पौलुस की बातों पर ध्यान लगाए। 15 और जब उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उसने विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चलकर मेरे घर में रहो,” और वह हमें मनाकर ले गई।

16 जब हम प्रार्थना करने की जगह जा रहे थे, तो हमें एक दासी मिली, जिसमें भावी कहनेवाली आत्मा थी; और भावी कहने से अपने स्वामियों के लिये बहुत कुछ कमा लाती थी। 17 वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी, “ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्‍वर के दास हैं, जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं।” 18 वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही, परन्तु पौलुस परेशान हुआ, और मुड़कर उस आत्मा से कहा, “मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँ, कि उसमें से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।”

19 जब उसके स्वामियों ने देखा, कि हमारी कमाई की आशा जाती रही, तो पौलुस और सीलास को पकड़कर चौक में प्रधानों के पास खींच ले गए। 20 और उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर कहा, “ये लोग जो यहूदी हैं, हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं; (1 राजा. 18:17) 21 और ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिये ठीक नहीं।

22 तब भीड़ के लोग उनके विरोध में इकट्ठे होकर चढ़ आए, और हाकिमों ने उनके कपड़े फाड़कर उतार डाले, और उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी। 23 और बहुत बेंत लगवाकर उन्होंने उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया और दरोगा को आज्ञा दी कि उन्हें सावधानी से रखे। 24 उसने ऐसी आज्ञा पा कर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उनके पाँव काठ में ठोंक दिए।

25 आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्‍वर के भजन गा रहे थे, और कैदी उनकी सुन रहे थे। 26 कि इतने में अचानक एक बड़ा भूकम्प हुआ, यहाँ तक कि बन्दीगृह की नींव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्धन खुल गए।

27 और दरोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा कि कैदी भाग गए, अतः उसने तलवार खींचकर अपने आपको मार डालना चाहा। 28 परन्तु पौलुस ने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “अपने आप को कुछ हानि न पहुँचा, क्योंकि हम सब यहीं हैं।”

29 तब वह दिया मँगवाकर भीतर आया और काँपता हुआ पौलुस और सीलास के आगे गिरा;

30 और उन्हें बाहर लाकर कहा, “हे सज्जनों, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूँ?” 31 उन्होंने कहा, “प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।”

32 और उन्होंने उसको और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया। 33 और रात को उसी घड़ी उसने उन्हें ले जाकर उनके घाव धोए, और उसने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया। 34 और उसने उन्हें अपने घर में ले जाकर, उनके आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत परमेश्‍वर पर विश्वास करके आनन्द किया।

35 जब दिन हुआ तब हाकिमों ने सिपाहियों के हाथ कहला भेजा कि उन मनुष्यों को छोड़ दो। 36 दरोगा ने ये बातें पौलुस से कह सुनाई, “हाकिमों ने तुम्हें छोड़ देने की आज्ञा भेज दी है, इसलिए अब निकलकर कुशल से चले जाओ।”

37 परन्तु पौलुस ने उससे कहा, “उन्होंने हमें जो रोमी मनुष्य हैं, दोषी ठहराए बिना लोगों के सामने मारा और बन्दीगृह में डाला, और अब क्या चुपके से निकाल देते हैं? ऐसा नहीं, परन्तु वे आप आकर हमें बाहर ले जाएँ।” 38 सिपाहियों ने ये बातें हाकिमों से कह दीं, और वे यह सुनकर कि रोमी हैं, डर गए, 39 और आकर उन्हें मनाया, और बाहर ले जाकर विनती की, कि नगर से चले जाएँ।

40 वे बन्दीगृह से निकलकर लुदिया के यहाँ गए, और भाइयों से भेंट करके उन्हें शान्ति दी, और चले गए।



Acts 16:1

और देखो

ये शब्द कहानी में किसी नए पात्र के आगमन का संकेत देते हैं। अनुवाद करते समय अपनी भाषा के यथोचित शब्दों का चुनाव करें।

किसी विश्वासिनी यहूदिनी का पुत्र था

“मसीह पर विश्वास रखनेवाली एक यहूदी स्त्री का पुत्र था”

वह.....सुनाम था

“तीमुथियुस की साख अच्छी थी” अथवा, “विश्वासी उसके विषय में भली बातें कहते थे”

पौलुस की इच्छा थी कि यह मेरे साथ चले

“पौलुस चाहता था कि तीमुथियुस उसके साथ चले” अत: पौलुस ने तीमुथियुस को साथ ले लिया इस सब गद्यांश में उत्तम पुरुष सर्वनाम है वे सब तीमुथियुस के संदर्भ में है|

उसका पिता यूनानी था

एक यूनानी होने के नाते तीमुथियुस का खतना कराने पिता स्वयं नहीं गया होगा; इसलिए पौलुस ने खतना कर दिया। खतना की रस्म अकसर एक यहूदी धर्मगुरु करता था।

Acts 16:4

और नगर-नगर जाते हुए वे

“वे” सर्वनाम यहाँ पौलुस, सीलास, और तीमुथियुस के लिए प्रयुक्त हुआ है

उनके मानने के लिए

“कलीसिया के सदस्यों द्वारा मानने के लिए” अथवा “विश्वासियों द्वारा मानने के लिए”

जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने ठहराई थीं

“जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने लिखी हैं”

कलीसियाएं विश्वास में स्थिर होती गयी

“पौलुस, सिलास, और तीमुथियुस द्वारा कलीसियाएँ विश्वास में स्थिर होती गयी”

Acts 16:6

फ्रूगीया और गलातिया

एशिया के प्रांत।

मूसिया....बितूनिया

ये भी एशिया के दो और प्रांत हैं

पवित्र आत्मा ने उन्हें....मना किया

“पवित्र आत्मा ने उन्हें...रोका” या फिर, “पवित्र आत्मा ने उन्हें...अनुमति नहीं दी”

यीशु के आत्मा

“पवित्र आत्मा”

Acts 16:9

पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा

यह सपना नहीं दर्शन था

उससे विनती करके

“पौलुस से निवेदन कर रहा है”

हमारी सहायता कर

“हमारी” में सभी शामिल नहीं हैं।

हमने तुरंत

सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था।

परमेश्वर ने हमें .....बुलाया है

सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था।

उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिए

“मकदूनिया के लोगों को सुसमाचार सुनाने के लिए”

Acts 16:11

हम सीधे

सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था।

सुमात्रा....नियापुलिस

फिलिप्पी के तटीय नगर।

रोमियों की बस्ती है

रोमियों द्वारा जीती गयी जगह जहां विशेषकर उनके सैनिक रहते थे

Acts 16:14

लुदिया...एक भक्त स्त्री

लुदिया नाम की .....एक भक्त स्त्री

बैंजनी कपड़े बेचनेवाली

“बैंजनी रंग के कपड़ों की व्यपारिन”

भक्त स्त्री

भक्त से तात्पर्य उन गैर-यहूदियों से है जो परमेश्वर की प्रशंसा व स्तुति और उसका अनुकरण तो करते थे, लेकिन यहूदी व्यवस्था को सम्पूर्ण रीति से नहीं मानते थे।

सुन रही थी

उनकी बातें सुन रही थी

पौलुस की बातों पर चित्त लगाए

“पौलुस के कही बातों पर चित्त लगाए”

अपने घराने समेत बप्तिस्मा लिया

“जब उन्होंने लुदिया और उसके घराने को बप्तिस्मा दिया”

Acts 16:16

एक दासी मिली

“वहाँ एक दासी मिली”

भावी कहनेवाली आत्मा

एक दुष्टात्मा उसे लोगों के निकट भविष्य में होनेवाली घटनाएं बताती थी

उसी घड़ी निकल गयी

“और वह आत्मा तुरंत उसमें से निकल गयी”

परन्तु पौलुस दुखित हुआ

“परन्तु पौलुस को उससे बहुत परेशानी होती थी” अथवा “उसके ऐसा करने से पौलुस को बहुत परेशानी होती थी”

मुंह फेरकर

“पौलुस मुड़ा और’ या फिर, “मुड़ कर स्त्री से कहा”

Acts 16:19

उसके स्वामियों

उस दासी के मालिक

हमारी कमाई की आशा

दासी में मौजूद भावी की आत्मा थी और लोग उसे भविष्य बताने के लिए धन देते थे

खींच ले गए

केवल पौलुस व सीलास को खींच कर ले गए थे, लूका व तीमुथियुस के दल के बाकी सदस्यों को नही।

प्रधानों के पास

“प्रधानों के समक्ष” या फिर, “प्रधानों के पास उनका न्याय कराने के लिए”

उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर कहा

“पौलुस व सीलास को फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर दासी के स्वामियों ने कहा”

ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं

“पौलुस व सीलास ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं”

जिन्हें मानना हम रोमियों के लिए ठीक नहीं

दासी के स्वामी रोमी थे, इसलिए अधिकारियों को अपने पक्ष में मान रहे थे।

Acts 16:22

हाकिमों ने उनके कपड़े फाड़कर उतार डाले

हाकिमों ने पौलुस व सीलास के कपड़े फाड़ डाले

उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी

उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी “हाकिम ने सिपाहियों को पौलुस व सिलास को बेंत मारने की आज्ञा दी।”

बंदीगृह में डलवा दिया

“हाकिमों ने पौलुस व सीलास को बंदीगृह में डलवा दिया” या फिर, “हाकिमों ने सिपाहियों को आज्ञा दी कि वे पौलुस व सीलास को बंदीगृह में डाल दें।”

आज्ञा दी कि उन्हें चौकसी में रखें

“दरोगा को यह पक्का करने की आज्ञा दी कि वे बंदीगृह से बाहर न जाएँ।” बंदीगृह अथवा जेल में मौजूद सब लोगों की ज़िम्मेदारी दरोगा पर होती है।

कोठरी में रखा

कोठरी में बंद कर दिया

काठ में ठोंक

“काठ” का आशय लकड़ी के गुटके से है जिसके बीच में कैदी के पैर दाल कर कसने के लिए छेद होता है ताकि वो भाग न सके (यूडीबी)

Acts 16:25

उनकी सुन रहे थे

“उनकी” का आशय पौलुस व सीलास से है, जो उस समय प्रार्थना व स्तुति गान में लगे थे।

यहाँ तक कि बंदीगृह की नींव हिल गयी

“जिस कारण बंदीगृह की नींव हिल गयी”

सब के बंधन खुल पड़े

“सब के बंधन खुल गए”

Acts 16:27

उसने....अपने आपको

ये सभी सर्वनाम दरोगा के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

मार डालना चाहा

“मार डालना चाहा।” कैदियों के भागने की सजा भुगतने की अपेक्षा दरोगा आत्महत्या करना चाहता था।

हम सब यहीं हैं

“हम” का आशय पौलुस, सिलास और बाकी के कैदी से भी है।

Acts 16:29

भीतर लपका

“तेज़ी से भीतर गया”

पौलुस और सीलास के आगे गिरा

पौलुस और सीलास के आगे दरोगा विनीत हुआ और उनके आगे गिरा

उन्हें बाहर लाकर

उन्हें जेल से बाहर लाया

Acts 16:32

x

पौलुस और सीलास ने दरोगा के परिवार से अपना संपर्क बनाए रखा

उन्हें ले जाकर

“उन्हें ले जाकर।” पौलुस और सीलास को दरोगा अपने घर ले गया।

अपने सब लोगों समेत तुरंत बपतिस्मा लिया

इस कथन को हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “पौलुस व सिलास ने दरोगा व उसके परिवार के सदस्यों को बप्तिस्मा दिया।”

उसने अपने

ये दोनों सर्वनाम दरोगा के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

परमेश्वर पर विश्वास करके

“दरोगा के परिवार के सभी सदस्यों ने परमेश्वर पर विश्वास किया और....”

Acts 16:35

जब दिन हुआ,

अर्थात “अगली सुबह” (यूडीबी)। यहाँ नए प्रकरण की शुरुआत है

कहला भेजा

“सन्देश भेजा” यह फिर “आज्ञा भेजी”

उन मनुष्यों को छोड़ दो

“उन लोगों को जाने दो”

अब निकलकर

“अब जेल से बाहर निकल कर”

Acts 16:37

पौलुस ने उससे कहा

“पौलुस ने सिपाहियों से कहा”

लोगों के सामने

“हाकिम ने लोगों के सामने”

उन्होंने हमें.....मारा और बंदीगृह में डाला

“हमें” का आशय केवल पौलुस व सीलास से है।

ऐसा नहीं

“ऐसा कभी न होगा।” हालाँकि पौलुस यहाँ बात दरोगा से कर रहा है, लेकिन उसका आशय नगर के हाकिमों या फिर अगुओं से है।

रोमी

रोमी से आशय रोम साम्राज्य के कानूनी तौर पर नागिरक लोगों से है। उनके अधिकारों में स्वतंत्र रहने और सुनवाई का अधिकार शामिल है। नगर के अगुवों को डर था कि यदि रोम को पौलुस व सीलास के साथ हुए दुर्व्यवहार की खबर हो गई तो क्या होगा।

वे आप आकर

“नगर के हाकिम खुद आकर उनसे विनती करें”

और आकर उन्हें मनाया

“हाकिमों ने आकर पौलुस व सीलास को मनाया”

बाहर ले जाकर

“पौलुस व सीलास को बाहर ले जाकर”

Acts 16:40

लुदिया के यहाँ

“लुदिया के घर”

उन्हें शान्ति दी

“पौलुस व सीलास ने उन भाइयों को शांति दी” या फिर, “पौलुस व सीलास ने विश्वासियों को शांति दी”


Translation Questions

Acts 16:3

पौलुस ने तीमुथियुस को यात्रा पर साथ ले जाने से पहले उसके साथ क्या किया और क्यों?

पौलुस ने तीमुथियुस का खतना किया क्योंकि उन जगहों में जो यहूदी थे वे जानते थे कि तीमुथियुस का पिता यूनानी था।

Acts 16:4

पौलुस ने मार्ग में आनेवाली कलीसियाओं को क्या निर्देश दिए?

पौलुस ने उन विधियों को जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने ठहराईं थीं मानने के लिए निर्देशित किया।

Acts 16:9

पौलुस को कैसे ज्ञात हुआ कि परमेश्वर ने उसे मकिदुनिया में सुसमाचार प्रचार के लिए बुलाया है?

पौलुस ने दर्शन देखा कि मकिदुनी पुरुष खड़ा हुआ उसे सहायता के लिए पुकार रहा है।

Acts 16:13

सब्त के दिन, पौलुस फिलिप्पी के दरवाज़े के बाहर, नदी के किनारे क्यों गए?

पौलुस ने सोचा कि वहां प्रार्थना करने का स्थान होगा।

Acts 16:14

पौलुस के बोलने के द्वारा परमेश्वर ने लुदिया नामक स्त्री के लिए क्या किया?

प्रभु ने लुदिया का मन खोला ताकि पौलुस की बातों पर चित्त लगाए।

Acts 16:15

पौलुस के नदी पर बोलने के पश्चात किसका बप्तिस्मा हुआ?

पौलुस के बोलने के पश्चात् लुदिया और उसके घराने ने बप्तिस्मा लिया।

Acts 16:16

दासी जिसमें आत्मा थी अपने स्वामियों के लिए किस प्रकार धन कमा कर लाती थी?

वह अपने स्वामियों के लिए भविष्य बता कर धन कमाती थी।

Acts 16:17

दासी के कई दिनों तक अपना पीछा करने के पश्चात् पौलुस ने क्या किया?

पौलुस ने मुँह फेरकर उस आत्मा से कहा मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूँ उसमें से निकल जा।

Acts 16:21

दासी के स्वामियों ने पौलुस और सीलास के खिलाफ़ क्या आरोप लगाया?

उन्होंने पौलुस और सीलास पर आरोप लगाया कि वे ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं जिन्हें करना या मानना रोमियों के लिए ठीक नहीं।

Acts 16:22

पौलुस और सीलास को हाकिमों ने क्या दण्ड दिया?

उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी, बंदीग्रह में डाल दिया और उनके पाँव काठ में ठोक दिए।

Acts 16:25

पौलुस और सीलास आधी रात को बंदीग्रह में क्या कर रहे थे?

वह प्रार्थना कर रहे और परमेश्वर के भजन गा रहे थे।

Acts 16:26

ऐसा क्या हुआ जिसके कारण दरोगा अपने आप को मार डालने की तैयारी करने लगा?

एक बड़ा भूकम्प आया, बंदीग्रह के सारे द्वार खुल गए, और सबके बंधन भी खुल गए।

Acts 16:30

पौलुस और सीलास से दरोगा ने क्या प्रश्न पूछा?

दरोगा ने पौलुस और सीलास से पूछा,"सज्जनों, मैं उद्धार पाने के लिए क्या करूँ" ।

Acts 16:31

पौलुस और सीलास ने दरोगा को क्या उत्तर दिया?

पौलुस और सीलास ने उत्तर दिया, "प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा”।

Acts 16:33

उस रात किसका बप्तिस्मा हुआ?

उस रात दरोगा और उसके घराने का बप्तिस्मा हुआ।

Acts 16:35

किन बातों से डर कर हाकिमों ने पौलुस और सीलास को छोड़ देने की आज्ञा भेजी?

हाकिम डरे हुए थे क्योंकि उन्हें यह बोध हो गया था कि उन्होंने दो निर्दोष रोमी नागरिकों को लोगों के सामने मारा है।

Acts 16:40

हाकिमों के नगर छोड़ कर चले जाने के आग्रह के पश्चात्, पौलुस और सीलास ने क्या किया?

पौलुस और सीलास लुदिया के घर गए, भाईयों को शान्ति दी, और फिलिप्पी छोड़ कर चले गए।


Chapter 17

1 फिर वे अम्फिपुलिस* और अपुल्लोनिया होकर थिस्सलुनीके में आए, जहाँ यहूदियों का एक आराधनालय था। 2 और पौलुस अपनी रीति के अनुसार उनके पास गया, और तीन सब्त के दिन पवित्रशास्त्रों से उनके साथ वाद-विवाद किया;

3 और उनका अर्थ खोल-खोलकर समझाता था कि मसीह का दुःख उठाना, और मरे हुओं में से जी उठना, अवश्य था; “यही यीशु जिसकी मैं तुम्हें कथा सुनाता हूँ, मसीह है।” 4 उनमें से कितनों ने, और भक्त यूनानियों में से बहुतों ने और बहुत सारी कुलीन स्त्रियों ने मान लिया, और पौलुस और सीलास के साथ मिल गए।

5 परन्तु यहूदियों ने ईर्ष्या से भरकर बाजारू लोगों में से कई दुष्ट मनुष्यों को अपने साथ में लिया, और भीड़ लगाकर नगर में हुल्लड़ मचाने लगे, और यासोन के घर पर चढ़ाई करके उन्हें लोगों के सामने लाना चाहा। 6 और उन्हें न पा कर, वे यह चिल्लाते हुए यासोन और कुछ भाइयों को नगर के हाकिमों के सामने खींच लाए, “ये लोग जिन्होंने जगत को उलटा पुलटा कर दिया है, यहाँ भी आए हैं।

7 और यासोन ने उन्हें अपने यहाँ ठहराया है, और ये सब के सब यह कहते हैं कि यीशु राजा है, और कैसर की आज्ञाओं का विरोध करते हैं।” 8 जब भीड़ और नगर के हाकिमों ने ये बातें सुनीं, तो वे परेशान हो गये। 9 और उन्होंने यासोन और बाकी लोगों को जमानत पर छोड़ दिया।

10 भाइयों ने तुरन्त रात ही रात पौलुस और सीलास को बिरीया में भेज दिया, और वे वहाँ पहुँचकर यहूदियों के आराधनालय में गए। 11 ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रतिदिन पवित्रशास्त्रों में ढूँढ़ते रहे कि ये बातें ऐसी ही हैं कि नहीं। 12 इसलिए उनमें से बहुतों ने, और यूनानी कुलीन स्त्रियों में से और पुरुषों में से बहुतों ने विश्वास किया।

13 किन्तु जब थिस्सलुनीके के यहूदी जान गए कि पौलुस बिरीया में भी परमेश्‍वर का वचन सुनाता है, तो वहाँ भी आकर लोगों को भड़काने और हलचल मचाने लगे। 14 तब भाइयों ने तुरन्त पौलुस को विदा किया कि समुद्र के किनारे चला जाए; परन्तु सीलास और तीमुथियुस वहीं रह गए। 15 पौलुस के पहुँचाने वाले उसे एथेंस तक ले गए, और सीलास और तीमुथियुस के लिये यह निर्देश लेकर विदा हुए कि मेरे पास अति शीघ्र आओ।

16 जब पौलुस एथेंस में उनकी प्रतीक्षा कर रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल उठा। 17 अतः वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उनसे हर दिन वाद-विवाद किया करता था।

18 तब इपिकूरी* और स्तोईकी दार्शनिकों में से कुछ उससे तर्क करने लगे, और कुछ ने कहा, “यह बकवादी क्या कहना चाहता है?” परन्तु दूसरों ने कहा, “वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है,” क्योंकि वह यीशु का और पुनरुत्थान का सुसमाचार सुनाता था।

19 तब वे उसे अपने साथ अरियुपगुस* पर ले गए और पूछा, “क्या हम जान सकते हैं, कि यह नया मत जो तू सुनाता है, क्या है? 20 क्योंकि तू अनोखी बातें हमें सुनाता है, इसलिए हम जानना चाहते हैं कि इनका अर्थ क्या है?” 21 (इसलिए कि सब एथेंस वासी और परदेशी जो वहाँ रहते थे नई-नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे।)

22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा होकर कहा,

“हे एथेंस के लोगों, मैं देखता हूँ कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े माननेवाले हो। 23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, ‘अनजाने ईश्वर के लिये।’ इसलिए जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूँ।

24 जिस परमेश्‍वर ने पृथ्वी और उसकी सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता। (1 राजा. 8:27, 2 इति. 6:18, भज. 146:6) 25 न किसी वस्तु की आवश्यकता के कारण मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वांस और सब कुछ देता है। (यशा. 42:5, भज. 50:12, भज. 50:12)

26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियाँ सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उनके ठहराए हुए समय और निवास के सीमाओं को इसलिए बाँधा है, (व्य. 32:8) 27 कि वे परमेश्‍वर को ढूँढ़े, और शायद वे उसके पास पहुँच सके, और वास्तव में, वह हम में से किसी से दूर नहीं हैं। (यशा. 55:6, यिर्म. 23:23)

28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है,

“हम तो उसी के वंश भी हैं।” 29 अतः परमेश्‍वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं कि ईश्वरत्व, सोने या चाँदी या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। (उत्प. 1:27, यशा. 40:18-20, यशा. 44:10-17)

30 इसलिए परमेश्‍वर ने अज्ञानता के समयों पर ध्यान नहीं दिया, पर अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। 31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।” (भज. 9:8, भज. 72:2-4, भज. 96:13, भज. 98:9, यशा. 2:4)

32 मरे हुओं के पुनरुत्थान की बात सुनकर कितने तो उपहास करने लगे, और कितनों ने कहा, “यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे।” 33 इस पर पौलुस उनके बीच में से चला गया। 34 परन्तु कुछ मनुष्य उसके साथ मिल गए, और विश्वास किया; जिनमें दियुनुसियुस जो अरियुपगुस का सदस्य था, और दमरिस नाम एक स्त्री थी, और उनके साथ और भी कितने लोग थे।



Acts 17:1

फिर वे अम्फिपुलिस

“वे” का आशय पौलुस व सीलास से है। लूका व तीमुथियुस उनके साथ नहीं हैं।

होकर...में आये

अर्थात “ये यात्रा करते हुए.....में आये”

फिर वे अम्फिपुलिस और अपुल्लोनिया

ये मकदूनिया के तटीय नगर थे।

अपनी रीति के अनुसार

“अपनी आदत के अनुसार” या फिर, “सामान्य अभ्यास के अनुसार।” पौलुस अकसर यहूदी आराधनालयों में सब्त के दिन जाता था जब वहां यहूदी लोग मौजूद होते थे।

उनके पास गया

“उनके” का आशय यहूदी आराधनालय और उसमें मौजूद यहूदियों से था

उनके साथ वाद-विवाद किया

“आराधनालय में मौजूद यहूदियों से तर्क-वितर्क किया” या फिर, “आरधनालयों के यहूदियों से चर्चा की”

Acts 17:3

उन का अर्थ खोल-खोलकर समझाता था

संभावित अर्थ : 1) “पौलुस वचन की विस्तार से व्याख्या देता था ताकि लोगों को उसके उपदेश समझ आ सकें” या फिर 2) “पौलुस वचन की पुस्तक या कि स्क्रॉल खोल रहा था”

अवश्य था

“योजना का हिस्सा था” या फिर, “तो होना ही था”

मरे हुओं में से जी उठना

“मर कर दोबारा जी उठाना”

यहूदियों ने मान लिया

“....ने विश्वास कर लिया” या फिर, “.....को विश्वास में जीत लिया”

पौलुस और सीलास के साथ मिल गए

“पौलुस और सिलास के साथी बन गए”

भक्त यूनानियों में से

वे जो परमेश्वर की आराधना करते थे लेकिन खतना कराने के द्वारा यहूदी मत में नहीं आये थे

और भीड़ लगाकर

“और एक बड़ी भीड़ बनाकर”

Acts 17:5

डाह से भरकर

“डाह के कारण”

कई दुष्ट मनुष्यों को

“कुछ बुरे लोगों को।” यहाँ “मनुष्यों” का आशय विशिष्ट रूप से पुरुषों से है।

बजार से

“चीज़ों, मवेशियों, अथवा सेवाओं की ख़रीद-फरोख्त की जगह के लोग” (यूडीबी)

नगर में हुल्लड़ मचाने लगे

“नगर में हुल्लड़ करने लगे”

के घर पर चढ़ाई

“के घर पर हिंसात्मक कार्यवाही”

लाना चाहा

यह सर्वनाम बाजार के अविश्वासी यहूदी और दुष्ट पुरुष को दर्शाता है।

लोगों के सामने

“सार्वजनिक तौर पर निर्णय लेने के लिए सरकारी अथवा कानूनी तौर पर नागरिक लोगों के सामने”

नगर के हाकिमों के सामने

“नगर के हाकिमों की उपस्थित में”

ये लोग जिन्होंने

“ये लोग” से यहूदी लोगों का आशय पौलुस व सीलास से था।

उल्टा-पुल्टा कर दिया है

“उल्टा-पुल्टा करना” एक मुहावरा है, जिसका आशय “अस्त-व्यस्त करने से है” (यूडीबी)। पौलुस व सिलास के उपदेशों के प्रभाव को यहूदी अगुवे बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे थे।

यासोन ने उन्हें अपने यहाँ उतारा

यहाँ पर संकेत मिलता है कि प्रेरितों के उपदेश से यासोन सहमत था..

Acts 17:8

सुनाकर घबरा दिया

“चिंता में डाल दिया” या फिर “मानसिक तनाव में डाल दिया”

पैसे लेकर

“ज़मानत” अथवा “धरोहर” या कि “शुल्क” (यूडीबी)। यह अच्छे बर्ताव की प्रतिज्ञा राशि थी, जो अच्छे बर्ताव करने पर वापित कर दी जाती थी, या फिर बुरे बर्ताव से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रयुक्त हो जाती थी।

और बाकी लोगों को

“यासोन के अतिरिक्त अन्य विश्वासी”

और उन्होंने......उन्हें छोड़ दिया

“और अधिकारियों ने यासोन और बाकी बंदी बनाए गए अन्य विश्वासियों को छोड़ दिया”

Acts 17:10

से भले थे

यहाँ “भले” होने का आशय उनकी ग्रहणशीलता व “खुले मन से सुनने की तत्परता” से है। “खुले मन से सुनने की तत्परता” शिक्षित एवं उच्च वर्ग के परिवारों का लक्षण होता है जहाँ विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाता है

वचन ग्रहण किया

“उपदेशों को सुना”

बड़ी लालसा से

बिरीया के लोग पौलुस के उपदेशों को वचन की कसौटी पर परखने को तैयार थे

प्रतिदिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढते थे

“वे पवित्र शास्त्र के पदों का हर दिन गहराई से मूल्यांकन करते थे”

Acts 17:13

जब ...यहूदी जान गए कि

“जब..... यहूदियों को बताया गया” या फिर, “जब....यहूदियों ने सुना कि...” (यूडीबी)

वहां भी आकर लोगों को भड़काने लगे

“वहाँ भी आकर लोगों को उत्तेजित करने लगे” या फिर, “वहाँ भी आकर लोगों के मन में संदेह पैदा करने लगे”

हलचल मचाने लगे

“लोगों में संदेह और भय पैदा करने लगे”

पौलुस के पहुंचाने वाले

“पौलुस के साथ जाने वाले” या फिर, “वे लोग जो पौलुस के साथ थे”

Acts 17:16

उसका जी जल गया

“वह बहुत परेशान हो उठा” या फिर, “वह बहुत अशांत हो गया” या फिर, “वह बहुत दुखी हो गया” (यूडीबी)

अतः वह ......वाद-विवाद किया करता था

“इसलिए उसने.......तर्क किया” या फिर, “इसलिए उसने..... चर्चा किया करता था”. यहाँ इस बात के संकेत हैं कि वह उपदेश की तुलना में यहाँ लोगों से अधिक सवाल-जवाब होता था।

और चौंक पर जो

व्यापार करने की जगह, जहां वस्तुओं, मवेशियों और सेवाओं की खरीद-फरोख्त होती थी; “सार्वजनिक चौक” (यूडीबी)

Acts 17:18

इपिकूरी.....दार्शनिकों

वे लोग जो यह मानते हैं कि सभी चीज़ों का अस्तित्व संयोग से हुआ है। वे यह भी मानते थे कि देवता स्वयं अपने में ही संतुष्ट और खुश हैं, और उन्हें विश्व के संचालन की चिंता नही है। वे पुनरुत्थान को नहीं मानते थे।

स्तोईकी दार्शनिक

इन लोगों का मानना था कि स्वयं को भाग्य के हवाले कर देने से ही मुक्ति मिलती है। वे जीवते परमेश्वर और पुनरुत्थान को नहीं मानते थे।

उससे तर्क करने लगे

“पौलुस से तर्क करने लगे”

और कुछ ने कहा

“और कुछ दार्शनिकों ने कहा”

यह बकवादी क्या कहना चाहता है

“बकवादी” कहने से आशय उलटी-पुलती बातें कहने से है। यह “वक्ता” के लिए प्रयुक्त होनेवाला एक नकारात्मक शब्द है। दार्शनिकों कहते थे कि पौलुस अधूरे-कच्चे ज्ञान की बातें कर रहा है जिसे सुनना बेकार है।

परन्तु दूसरों ने कहा

“परन्तु दार्शनिकों के अतिरिक्त अन्य लोगों ने कहा”

वह.......प्रचारक मालूम पड़ता है

“वह....... उद्घोषणा करनेवाला लगता है” या फिर, “ऐसा लगता है कि वह...... सन्देश को बांटने के मिशन पर निकला हैके विश्वासियों ने धन-दान में दिया और उन्होंने धन भेज दिया...”

अन्य देवताओं

“अन्य” से तात्पर्य दूसरे लोगों के देवताओं से है; गैर-यहूदी/गैर रोमी देवताओं से है।

Acts 17:19

तब वे उसे अपने साथ

“तब इपिकूरी और स्तोईकी दार्शनिक पौलुस को अपने साथ”

अरियुपगुस पर ले गए

एथेंस की एक पहाडी पर ले गए जहां एथेंस का सर्वोच्च न्यायलय रहा होगा।

हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्या है

“हम” का आशय यहाँ केवल दार्शनिकों से है। अनुवाद करते समय हम यह भी लिख सकते हैं कि “इन चीज़ों के जो होने का तू दावा कर रहा है, हम उसके आधार पर न्याय करना चाहते हैं। “

सब एथेंस वासी

मकदूनिया (आधुनिक यूनान) के एक तटीय नगर एथेंस के बाशिंदे।

और परदेशी

अर्थात एथेंस वासियों के समुदाय में एक नया व्यक्ति

किसी काम में समय नहीं बिताते थे

समय बिताने से आशय समय लगाने, अथवा समय का इस्तेमाल करने से है

नयी-नयी बातें कहने और सुनने के सिवाय

“नए-नए दार्शनिक विचारों पर चर्चा करने के सिवाय” (यूडीबी)

Acts 17:22

देवताओं के बड़े माननेवाले हो

पौलुस यहाँ एथेंसवासियों द्वारा प्रार्थना, वेदियों और बलिदानों के द्वारा अपने देवताओं के प्रति अपनी निष्ठा के सार्वजनिक प्रदर्शन के विषय में कह रहा है।

क्योंकि मैं फिरते हुए

“क्योंकि मैंने घूमते हुए”

अनजाने ईश्वर के लिये

संभावित आशय: 1) “किसी विशिष्ट अनजाने ईश्वर के लिए” या फिर, 2) “किसी भी अनजाने ईश्वर के लिए”

Acts 17:24

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

पृथ्वी का स्वामी होकर

यहाँ पौलुस उन अनजाने प्रभु परमेश्वर के बारे में बता रहा है. अनुवाद करते समय यह भी लिख सकते हैं कि, “क्योंकि वह पृथ्वी का स्वामी है...”

हाथ के बनाए हुए

“लोगों के बनाए हुए”

मनुष्यों के हाथों की सेवा

“सेवा” का आशय यहाँ उपचार-सेवा से है। वैकल्पिक अनुवाद: “देखरेख।”

मनुष्यों के हाथों

“लोगों के हाथों”

क्योंकि वह तो आप ही

“क्योंकि वह स्वयं”

Acts 17:26

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

एक ही मूल

संभावित अर्थ: 1) परमेश्वर द्वारा रचित पहला आदम 2) इसमें आदम और हव्वा दोनों भी शामिल हो सकते हैं

मनुष्यों की सब जातियां ....बनाई हैं

“मनुष्यों की सब जातियां.....परमेश्वर, सृष्टिकर्ता ने बनाई है”

उनके ठहराए हुए.....कि वे

यहाँ पर “उनके” और “वे” का आशय पृथ्वी पर मौजूद सभी मनुष्यों से है

परमेश्वर को ढूंढें

“परमेश्वर को खोजे”

उसे टटोलकर पाएं

“उसकी ज़रुरत को महसूस करें”

हम में से किसी से

इसमें पौलुस अपने श्रोताओं के साथ स्वयं को भी शामिल कर रहा है।

Acts 17:28

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

क्योंकि हम उसी में

“क्योंकि हम परमेश्वर में”

हम उसी में जीवित, और चलते-फिरते हैं

पौलुस यहाँ अपने श्रोताओं के साथ स्वयं को भी शामिल कर रहा है।

उसी के वंश के हैं

उसी के वंशज है। “उसी” सर्वनाम का संज्ञा मूल यहाँ स्पष्ट नहीं है।

कि ईश्वरत्व

परमेश्वर की प्रकृति अथवा गुण

Acts 17:30

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

अज्ञानता

संभावित अर्थ: 1) “किसी बात के विषय में जानकारी न होना” या फिर, 2) “स्वयं इंकार करना”।

उस मनुष्य के द्वारा.....जिसे उनसे ठहराया है

“उस मनुष्य के द्वारा.....जिसे परमेश्वर ने ठहराया है”

यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है

“अपने चुनाव को परमेश्वर ने सबके समक्ष प्रकट किया है”

Acts 17:32

बात सुनकर

इस बात को सुननेवाले लोग एथेंस से थे

कितने तो ठट्ठा करने लगे

“कितनों ने पौलुस का ठट्ठा उड़ाया” या “कुछ लोगों ने पौलुस की हंसी उड़ाई।” उन्हें इस बात का विश्वास नहीं था कि कोई मरने के बाद जीवन में लौट सकता है।

हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे

“हम” का आशय यहाँ पौलुस को सुनने की इच्छा रखनेवाले एथेंसवासियों से है। वे पौलुस से बात कर रहे थे लेकिन उसे अपने समूह का हिस्सा नहीं मानते थे।

दियुनुसियुस जो अरियुपगुस का सदस्य था, और दमरिस नाम एक स्त्री

दियुनुसियुस एक पुरुष का नाम था और दमरिस एक स्त्री का।


Translation Questions

Acts 17:1

थिस्स्लुनीके में आकर, पौलुस सबसे पहले यीशु के विषय में वचन बताने कहाँ गया?

पौलुस यहूदियों के आराधनालय यीशु के विषय में वचन बताने गया।

Acts 17:3

पौलुस के अनुसार वचन में क्या आवश्यक था?

पौलुस ने समझाया कि यीशु के लिए दुःख उठाना और मरे हुओं में से जी उठना आवश्यक था।

Acts 17:7

नगर के हाकिमों को पौलुस और सीलास के खिलाफ़ क्या दोष लगाया गया?

पौलुस और सीलास पर आरोप लगाया गया कि वे कैसर की आज्ञाओं का विरोध करते हैं और कहते हैं कि एक और राजा है-यीशु।

Acts 17:10

बिरीया आकर पौलुस और सीलास कहाँ गए?

पौलुस और सीलास यहूदियों के आराधनालय गए।

Acts 17:11

बिरीया के लोगों ने पौलुस का सन्देश सुन कर क्या किया?

बिरीया के लोगों ने वचन ग्रहण किया और पवित्र शास्त्रों में ढूँढ़ते थे कि ये बातें यूं हैं कि नहीं।

Acts 17:13

पौलुस को बिरीया क्यों छोड़ना पड़ा, फिर वह कहाँ गया?

पौलुस को बिरिया छोड़ना पड़ा क्योंकि थिस्सलुनीके के यहूदियों ने लोगों को भड़काया और इसलिए पौलुस एथेंस चला गया।

Acts 17:17

एथेंस आकर पौलुस कहाँ गया?

पौलुस यहूदी आराधनालय में गया और चौक में ताकि परमेश्वर के वचन से वाद-विवाद कर सके।

Acts 17:19

आगे पौलुस को सिखाने के लिए कहाँ ले जाया गया?

पौलुस को अरियुपगुस लाया गया ताकि आगे सिखा सके।

Acts 17:23

एथेंस में पौलुस ने कौन सी वेदी पाई, जिसकी व्याख्या वह लोगों को करना चाहता था?

पौलुस ने एक ऐसी वेदी पाई जिस पर लिखा था, अनजाने ईश्वर के लिए, जिसकी व्याख्या वह लोगों को करना चाहता था।

Acts 17:25

पौलुस के अनुसार सृष्टिकर्ता परमेश्वर लोगों को क्या देता है?

पौलुस ने कहा जिस परमेश्वर ने सब वस्तुओं को बनाया, वह ही सबको जीवन, श्वास और सब कुछ देता है।

Acts 17:26

किस मूल से परमेश्वर ने सब लोगों की जातियां बनाईं हैं?

एक ही मूल से परमेश्वर ने मनुष्य की सब जातियां बनाईं।

Acts 17:27

पौलुस के अनुसार परमेश्वर किसी से भी कितनी दूरी पर था?

पौलुस ने कहा परमेश्वर किसी से भी दूर नहीं था।

Acts 17:29

पौलुस के अनुसार हमें परमेश्वर के विषय में क्या नहीं समझना चाहिए?

पौलुस ने कहा कि हमें परमेश्वर को मनुष्य द्वारा सोने, चांदी या पत्थर से मनुष्य की कारीगरी से बनाया नहीं समझना चाहिए।

Acts 17:30

परमेश्वर हर जगह अब मनुष्यों को क्या करने की आज्ञा देता है?

परमेश्वर अब हर जगह मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।

Acts 17:31

परमेश्वर ने किसके लिए एक दिन ठहराया है?

परमेश्वर ने एक दिन ठहराया है जिसमें वह धर्म से जगत का न्याय करेगा।

परमेश्वर ने इस बात का क्या प्रमाण दिया है कि यीशु जगत के न्यायी के रूप में चुना गया है?

परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाकर प्रमाणित कर दिया है कि यीशु धर्म से जगत का न्याय करेगा।

Acts 17:32

पौलुस के मरे हुओं के पुनरुत्थान के विषय में सुन कर कुछ लोगों ने क्या किया?

मरे हुओं के पुनरुत्थान के विषय में सुन कर कुछ लोगों ने पौलुस का ठट्ठा किया।

Acts 17:34

क्या पौलुस की बात पर किसी ने विश्वास किया?

हाँ, कुछ लोगों ने पौलुस का विश्वास किया और उनके साथ कई अन्य भी थे।


Chapter 18

1 इसके बाद पौलुस एथेंस को छोड़कर कुरिन्थुस में आया। 2 और वहाँ अक्विला नामक एक यहूदी मिला, जिसका जन्म पुन्तुस में हुआ था; और अपनी पत्‍नी प्रिस्किल्ला के साथ इतालिया से हाल ही में आया था, क्योंकि क्लौदियुस ने सब यहूदियों को रोम से निकल जाने की आज्ञा दी थी, इसलिए वह उनके यहाँ गया। 3 और उसका और उनका एक ही व्यापार था; इसलिए वह उनके साथ रहा, और वे काम करने लगे, और उनका व्यापार तम्बू बनाने का था।

4 और वह हर एक सब्त के दिन आराधनालय में वाद-विवाद करके यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था। 5 जब सीलास और तीमुथियुस मकिदुनिया से आए, तो पौलुस वचन सुनाने की धुन में लगकर यहूदियों को गवाही देता था कि यीशु ही मसीह है। 6 परन्तु जब वे विरोध और निन्दा करने लगे, तो उसने अपने कपड़े झाड़कर उनसे कहा, “तुम्हारा लहू तुम्हारी सिर पर रहे! मैं निर्दोष हूँ। अब से मैं अन्यजातियों के पास जाऊँगा।”

7 और वहाँ से चलकर वह तीतुस यूस्तुस नामक परमेश्‍वर के एक भक्त के घर में आया, जिसका घर आराधनालय से लगा हुआ था।

8 तब आराधनालय के सरदार क्रिस्पुस* ने अपने सारे घराने समेत प्रभु पर विश्वास किया; और बहुत से कुरिन्थवासी ने सुनकर विश्वास किया और बपतिस्मा लिया। 9 और प्रभु ने रात को दर्शन के द्वारा पौलुस से कहा, “मत डर, वरन् कहे जा और चुप मत रह; 10 क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, और कोई तुझ पर चढ़ाई करके तेरी हानि न करेगा; क्योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं।” (यशा. 41:10, यशा. 43:5, यिर्म. 1:8) 11 इसलिए वह उनमें परमेश्‍वर का वचन सिखाते हुए डेढ़ वर्ष तक रहा।

12 जब गल्लियो अखाया देश का राज्यपाल था तो यहूदी लोग एका करके पौलुस पर चढ़ आए, और उसे न्याय आसन के सामने लाकर कहने लगे, 13 “यह लोगों को समझाता है, कि परमेश्‍वर की उपासना ऐसी रीति से करें, जो व्यवस्था के विपरीत है।”

14 जब पौलुस बोलने पर था, तो गल्लियो ने यहूदियों से कहा, “हे यहूदियों, यदि यह कुछ अन्याय या दुष्टता की बात होती तो उचित था कि मैं तुम्हारी सुनता। 15 परन्तु यदि यह वाद-विवाद शब्दों, और नामों, और तुम्हारे यहाँ की व्यवस्था के विषय में है, तो तुम ही जानो; क्योंकि मैं इन बातों का न्यायी बनना नहीं चाहता।”

16 और उसने उन्हें न्याय आसन के सामने से निकलवा दिया। 17 तब सब लोगों ने आराधनालय के सरदार सोस्थिनेस को पकड़ के न्याय आसन के सामने मारा। परन्तु गल्लियो ने इन बातों की कुछ भी चिन्ता न की।

18 अतः पौलुस बहुत दिन तक वहाँ रहा, फिर भाइयों से विदा होकर किंख्रिया में इसलिए सिर मुण्डाया, क्योंकि उसने मन्नत मानी थी और जहाज पर सीरिया को चल दिया और उसके साथ प्रिस्किल्ला और अक्विला थे। (गिन. 6:18) 19 और उसने इफिसुस* में पहुँचकर उनको वहाँ छोड़ा, और आप ही आराधनालय में जाकर यहूदियों से विवाद करने लगा।

20 जब उन्होंने उससे विनती की, “हमारे साथ और कुछ दिन रह।” तो उसने स्वीकार न किया; 21 परन्तु यह कहकर उनसे विदा हुआ, “यदि परमेश्‍वर चाहे तो मैं तुम्हारे पास फिर आऊँगा।” तब इफिसुस से जहाज खोलकर चल दिया;

22 और कैसरिया में उतर कर (यरूशलेम को) गया और कलीसिया को नमस्कार करके अन्ताकिया में आया।

23 फिर कुछ दिन रहकर वहाँ से चला गया, और एक ओर से गलातिया और फ्रूगिया में सब चेलों को स्थिर करता फिरा।

24 अपुल्लोस नामक एक यहूदी जिसका जन्म सिकन्दरिया* में हुआ था, जो विद्वान पुरुष था और पवित्रशास्त्र को अच्छी तरह से जानता था इफिसुस में आया। 25 उसने प्रभु के मार्ग की शिक्षा पाई थी, और मन लगाकर यीशु के विषय में ठीक-ठीक सुनाता और सिखाता था, परन्तु वह केवल यूहन्ना के बपतिस्मा की बात जानता था। 26 वह आराधनालय में निडर होकर बोलने लगा, पर प्रिस्किल्ला और अक्विला उसकी बातें सुनकर, उसे अपने यहाँ ले गए और परमेश्‍वर का मार्ग उसको और भी स्पष्ट रूप से बताया।

27 और जब उसने निश्चय किया कि पार उतरकर अखाया को जाए तो भाइयों ने उसे ढाढ़स देकर चेलों को लिखा कि वे उससे अच्छी तरह मिलें, और उसने पहुँचकर वहाँ उन लोगों की बड़ी सहायता की जिन्होंने अनुग्रह के कारण विश्वास किया था। 28 अपुल्लोस ने अपनी शक्ति और कौशल के साथ यहूदियों को सार्वजनिक रूप से अभिभूत किया, पवित्रशास्त्र से प्रमाण दे देकर कि यीशु ही मसीह है।



Acts 18:1

इस के बाद

“एथेन्स में हुई इन घटनाओं के बाद”

एक यहूदी मिला

संभावित आशय : 1) “वह संयोगवश उससे मिला” 2) “स्वयं पौलुस उससे जाकर मिला।”

जिसका जन्म पुन्तुस हुआ था

कृष्ण सागर के दक्षिण तट पर स्थित एक प्रान्त

हाल ही में आया था

शायद पिछले साल आया हो।

क्लौदियुस ने.....आज्ञा दी थी

वर्तमान रोमी सम्राट।

सब यहूदियों को ........आज्ञा दी थी

“आदेश दिया था”

Acts 18:4

वह .....वाद-विवाद करके

“वह” अर्थात पौलुस और “वाद-विवाद” का आशय दो व्यक्तियों के बीच आमने-सामने की चर्चा से है. वैकल्पिक अनुवाद “ “इसलिए पौलुस......तर्क-वितर्क किया” या फिर, “इसलिए पौलुस ने चर्चा की.”

समझाता था

अनुवाद करते समय “समझाने का प्रयास करता रहा” भी लिख सकते हैं।

अपने कपड़े झाड़कर

पौलुस इस संकेत द्वारा यह व्यक्त कर रहा था कि अविश्वासी यहूदियों से वह अपना नाता तोड़ रहा था और उन्हें परमेश्वर के न्याय पर छोड़ रहा था।

“तुम्हारा लहू तुम्हारी गर्दन पर रहे

यहाँ आलंकारिक भाषा का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ है कि मन फिराव से इनकार करने और अपनी ढीठाई के कारण स्वयं पर पडनेवाले न्याय के लिए यहूदी स्वयं ज़िम्मेदार हैं।

Acts 18:7

और वहां से चलकर

“और तब पौलुस वहां से चला गया और ...”

तितुस युस्तुस

एक यहूदी विश्वासी।

आराधनालय के सरदार

“आराधनालय के प्रशासन व उसे सहायता देनेवाला व्यक्ति

सरदार क्रिस्पुस

एक और यहूदी विश्वासी।

अपने सारे घराने

“उसके साथ रहनेवाले परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार”

बहुत से कुरिन्थ वासी

बहुत से कुरिन्थ वासी जो यहूदी नहीं थे

Acts 18:9

चुप मत रह

“सुसमाचार के प्रचार को बंद मत कर”

क्योंकि मैं

“मैं” अर्थात प्रभु, जो उस समय पौलुस से बातें कर रहा था

तेरे साथ हूँ

“तेरे” का आशय पौलुस से है जिसके साथ परमेश्वर एक दर्शन में बातचीत कर रहा था

इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं

“इस नगर में बहुत से लोग मुझ पर विश्वास करते हैं”

Acts 18:12

गल्लियो अखाया

अखाया एक रोमी प्रान्त था और कुरिन्थ इसका हिस्सा था, जो कि अब आज दक्षिण यूनान में है।

उसे न्याय आसन के सामने लाकर

यहूदी लोग पौलुस को जबरन न्यायालय ले गए। वैकल्पिक अनुवाद : “अधिकारी द्वारा उसका न्याय करवाने के लिए उसके समक्ष ले गए।”

जो व्यवस्था के विपरीत है

यहूदी लोग जानबूझ कर पौलुस पर यहूदी व्यवस्था और रीतियों के विरोध में होने का दोष लगा रहे थे, और उसे रोमी व्यवस्था का विरोधी दिखाने का प्रयास कर रहे थे।

Acts 18:14

गल्लियों ने यहूदियों से कहा

प्रान्त के रोमी हाकिम ने यहूदियों से कहा

तुम्हारे यहाँ की व्यवस्था के विषय में है

यह मूसा की व्यवस्था और पौलुस के समय की यहूदी रीतियों के विषय में है

मैं इन बातों का न्यायी बनना नहीं चाहता

“मैं इन बातों का न्याय करने से इनकार करता हूँ।”

Acts 18:16

तब सब लोगों ने

“सब लोगों” या फिर “तब सभी ने।” यहाँ अतिशयोक्ति है क्योंकि भीड़ का हरेक जन का उसे पकड़ना संभव नहीं है।

सरदार सोस्थिनेस

कुरिन्थ की आराधनालय का एक यहूदी सरदार।

सामने मारा

“सामने पीटा” या फिर, “सामने लात-घुसें लगाए।” सोस्थिनेस की पिटाई की गयी थी।

Acts 18:18

उसके साथ प्रिस्किल्ला और अक्विला थे

पौलुस जहाज के द्वारा सीरिया गया। प्रिस्किल्ला और अक्विला भी उसके साथ गए

किन्ख्रिया

किन्ख्रिया एक बंदरगाह था जो कि कुरिन्थ नगर का हिस्सा था।

उसने मन्नत मानी थी

अर्थात परमेश्वर के लिए कुछ करने का प्रण लिया। इसके द्वारा लेवियों के बाहर के लोग भी परमेश्वर की सेवा कर सकते थे।

इफिसुस पहुंचकर

“पौलुस, प्रिस्किल्ला और अक्विवल के इफिसुस पहुँचने पर”

विवाद करने लगा

“चर्चा करने लगा” या कि “तर्क-वितर्क करने लगा”

Acts 18:20

जब उन्होंने....विनती की

“जब यहूदियों ने....विनती की”

उनसे विदा हुआ

“उनसे विदा लेकर”

Acts 18:22

कैसरिया में उतर कर

“कैसरिया पहुंचा”

यरूशलेम को गया

“पौलुस यरूशलेम को गया”

कलीसिया को नमस्कार करके

“यरूशलेम की कलीसिया के सदस्यों को नमस्कार करके”

अन्ताकिया को गया

यरूशलेम से अन्ताकिया को गया।

वहाँ से चला गया

“पौलुस वहाँ से चला गया”

गलातिया और फ्रुगिया में

एशिया के प्रान्त जो आज टर्की में है।

सब चेलों को स्थिर करता फिरा

“सब चेलों को मज़बूत किया”

Acts 18:24

जिसका जन्म सिकंदरिया में हुआ था

“सिकंदरिया नगर में पैदा हुआ व्यक्ति।” संभावित अर्थ : 1) “मिस्र में उत्तर तट पर स्थित सिकंदरिया” या फिर, 2) “एशिया में पश्चिम तट पर स्थित सिकंदरिया।”

और मन लगा कर

पूरे जोश के साथ

यूहन्ना के बपतिस्मे

“यूहन्ना द्वारा दिए गए बपतिस्मे”

उसकी बातें सुनकर

उसकी वाक्पटुता देखकर

और भी ठीक-ठीक

“और भी सम्पूर्णता के साथ”

Acts 18:27

और जब उसने

“और जब अपुल्लोस ने”

पार उतर कर अखाया को जाए

अखाया एक रोमी प्रान्त है जो आधुनिक यूनान के दक्षिण खंड में स्थित था।

चेलों को लिखा

“अखाया के मसीहियों को पत्र लिखा”

और उसने पहुंचकर

“और अपुल्लोस ने पहुँच कर”

बड़ी प्रबलता से यहूदियों को सबके सामने निरुत्तर करता रहा

अपुल्लोस ने यहूदियों को सबके सामने वाद-विवाद में हराया


Translation Questions

Acts 18:3

पौलुस ने अपनी उपजीविका के लिए क्या किया?

पौलुस ने अपनी उपजीविका के लिए तम्बू बनाने का काम किया।

Acts 18:5

पौलुस ने कुरिन्थुस में यहूदियों को क्या गवाही दी?

पौलुस ने यहूदियों को यीशु के ही मसीह होने की गवाही दी।

Acts 18:6

जब यहूदियों ने पौलुस को अस्वीकार कर दिया तो उसने क्या किया?

पौलुस ने यहूदियों को कहा कि तुम्हारा लहू तुम्हारी गर्दन पर रहे, और फिर वह अन्यजातियों की ओर चला गया।

Acts 18:9

पौलुस ने कुरिन्थुस में परमेश्वर से क्या प्रोत्साहन प्राप्त किया?

परमेश्वर ने पौलुस से कहा कि चुप मत रह, क्योंकि वहाँ उसे कोई भी हानि नहीं पहुँचाएगा।

Acts 18:12

यहूदियों ने पौलुस के विरोध में हाकिम के सामने क्या दोष लगाए?

यहूदियों ने आरोप लगाया कि पौलुस लोगों को समझाता है कि परमेश्वर की उपासना इस रीति से करें जो व्यवस्था के विपरीत है।

Acts 18:15

हाकिम ने पौलुस पर लगाए गए दोषों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

हाकिम ने कहा यदि उनका वाद-विवाद उनकी व्यवस्था के विषय में है तो वह न्यायी नहीं बनना चाहता।

Acts 18:18

कौन से पति-पत्नी पौलुस के साथ इफिसुस गए?

अक्विला और प्रिस्किल्ला पौलुस के साथ इफिसुस गए।

Acts 18:22

इफिसुस छोड़ने के बाद सबसे पहले पौलुस किन दो स्थानों पर गया?

इफिसुस छोड़ने के बाद पौलुस यरूशलेम और फिर अन्ताकिया गया।

Acts 18:25

अपुल्लोस किन शिक्षाओं को अच्छी तरह से जानता था, और किन शिक्षाओं में उसे और दिशानिर्देश की आवश्यकता थी?

अपुल्लोस यीशु के विषय में ठीक से जानता था, परन्तु वह केवल यूहन्ना के बपतिस्मे की बात जानता था।

Acts 18:26

अपुल्लोस के लिए अक्विला और प्रिस्किल्ला ने क्या किया?

प्रिस्किल्ला और अक्विला उसे अपने साथ ले गए और परमेश्वर का मार्ग उसे और भी ठीक-ठीक बताया।

Acts 18:28

अपुल्लोस अपनी वाक्पटुता और पवित्र शास्त्र के ज्ञान से क्या करने में सक्षम था?

अपुल्लोस सबके सामने बड़ी प्रबलता से पवित्र शास्त्र से प्रमाण दे कर कि यीशु ही मसीह है, निरुत्तर करता रहा।


Chapter 19

1 जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था, तो पौलुस ऊपर के सारे देश से होकर इफिसुस में आया और वहाँ कुछ चेले मिले। 2 उसने कहा, “क्या तुम ने विश्वास करते समय पवित्र आत्मा पाया*?” उन्होंने उससे कहा, “हमने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी।”

3 उसने उनसे कहा, “तो फिर तुम ने किसका बपतिस्मा लिया?” उन्होंने कहा, “यूहन्ना का बपतिस्मा।” 4 पौलुस ने कहा, “यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया, कि जो मेरे बाद आनेवाला है, उस पर अर्थात् यीशु पर विश्वास करना।”

5 यह सुनकर उन्होंने प्रभु यीशु के नाम का बपतिस्मा लिया। 6 और जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा, और वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे। 7 ये सब लगभग बारह पुरुष थे।

8 और वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा, और परमेश्‍वर के राज्य के विषय में विवाद करता और समझाता रहा। 9 परन्तु जब कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी वरन् लोगों के सामने इस पंथ को बुरा कहने लगे, तो उसने उनको छोड़कर चेलों को अलग कर लिया, और प्रतिदिन तुरन्नुस की पाठशाला में वाद-विवाद किया करता था। 10 दो वर्ष तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया के रहनेवाले क्या यहूदी, क्या यूनानी सब ने प्रभु का वचन सुन लिया।

11 और परमेश्‍वर पौलुस के हाथों से सामर्थ्य के अद्भुत काम दिखाता था। 12 यहाँ तक कि रूमाल और अँगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थे, और उनकी बीमारियाँ दूर हो जाती थी; और दुष्टात्माएँ उनमें से निकल जाया करती थीं।

13 परन्तु कुछ यहूदी जो झाड़ा फूँकी करते फिरते थे, यह करने लगे कि जिनमें दुष्टात्मा हों उन पर प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूँकने लगे, “जिस यीशु का प्रचार पौलुस करता है, मैं तुम्हें उसी की शपथ देता हूँ।” 14 और स्क्किवा* नाम के एक यहूदी प्रधान याजक के सात पुत्र थे, जो ऐसा ही करते थे।

15 पर दुष्टात्मा ने उत्तर दिया, “यीशु को मैं जानती हूँ, और पौलुस को भी पहचानती हूँ; परन्तु तुम कौन हो?” 16 और उस मनुष्य ने जिसमें दुष्ट आत्मा थी; उन पर लपककर, और उन्हें काबू में लाकर, उन पर ऐसा उपद्रव किया, कि वे नंगे और घायल होकर उस घर से निकल भागे। 17 और यह बात इफिसुस के रहनेवाले यहूदी और यूनानी भी सब जान गए, और उन सब पर भय छा गया; और प्रभु यीशु के नाम की बड़ाई हुई।

18 और जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से बहुतों ने आकर अपने-अपने बुरे कामों को मान लिया और प्रगट किया। 19 और जादू टोना करनेवालों में से बहुतों ने अपनी-अपनी पोथियाँ इकट्ठी करके सब के सामने जला दीं; और जब उनका दाम जोड़ा गया, जो पचास हजार चाँदी के सिक्कों के बराबर निकला। 20 इस प्रकार प्रभु का वचन सामर्थ्यपूर्वक फैलता गया और प्रबल होता गया।

21 जब ये बातें हो चुकी तो पौलुस ने आत्मा में ठाना कि मकिदुनिया और अखाया* से होकर यरूशलेम को जाऊँ, और कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोम को भी देखना अवश्य है।” 22 इसलिए अपनी सेवा करनेवालों में से तीमुथियुस और इरास्तुस को मकिदुनिया में भेजकर आप कुछ दिन आसिया में रह गया।

23 उस समय उस पन्थ के विषय में बड़ा हुल्लड़ हुआ। 24 क्योंकि दिमेत्रियुस नाम का एक सुनार अरतिमिस के चाँदी के मन्दिर बनवाकर, कारीगरों को बहुत काम दिलाया करता था। 25 उसने उनको और ऐसी वस्तुओं के कारीगरों को इकट्ठे करके कहा, “हे मनुष्यों, तुम जानते हो कि इस काम से हमें कितना धन मिलता है। 26 और तुम देखते और सुनते हो कि केवल इफिसुस ही में नहीं, वरन् प्रायः सारे आसिया में यह कह कहकर इस पौलुस ने बहुत लोगों को समझाया और भरमाया भी है, कि जो हाथ की कारीगरी है, वे ईश्वर नहीं। 27 और अब केवल इसी एक बात का ही डर नहीं कि हमारे इस धन्धे की प्रतिष्ठा जाती रहेगी; वरन् यह कि महान देवी अरतिमिस का मन्दिर तुच्छ समझा जाएगा और जिसे सारा आसिया और जगत पूजता है उसका महत्व भी जाता रहेगा।”

28 वे यह सुनकर क्रोध से भर गए और चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “इफिसियों की अरतिमिस, महान है!” 29 और सारे नगर में बड़ा कोलाहल मच गया और लोगों ने गयुस और अरिस्तर्खुस, मकिदुनियों को जो पौलुस के संगी यात्री थे, पकड़ लिया, और एक साथ होकर रंगशाला में दौड़ गए।

30 जब पौलुस ने लोगों के पास भीतर जाना चाहा तो चेलों ने उसे जाने न दिया। 31 आसिया के हाकिमों में से भी उसके कई मित्रों ने उसके पास कहला भेजा और विनती की, कि रंगशाला में जाकर जोखिम न उठाना। 32 वहाँ कोई कुछ चिल्लाता था, और कोई कुछ; क्योंकि सभा में बड़ी गड़बड़ी हो रही थी, और बहुत से लोग तो यह जानते भी नहीं थे कि वे किस लिये इकट्ठे हुए हैं।

33 तब उन्होंने सिकन्दर को, जिसे यहूदियों ने खड़ा किया था, भीड़ में से आगे बढ़ाया, और सिकन्दर हाथ से संकेत करके लोगों के सामने उत्तर देना चाहता था।

34 परन्तु जब उन्होंने जान लिया कि वह यहूदी है, तो सब के सब एक स्वर से कोई दो घंटे तक चिल्लाते रहे, “इफिसियों की अरतिमिस, महान है।” 35 तब नगर के मंत्री ने लोगों को शान्त करके कहा, “हे इफिसियों, कौन नहीं जानता, कि इफिसियों का नगर बड़ी देवी अरतिमिस के मन्दिर, और आकाश से गिरी हुई मूरत का रखवाला है। 36 अतः जब कि इन बातों का खण्डन ही नहीं हो सकता, तो उचित है, कि तुम शान्त रहो; और बिना सोचे-विचारे कुछ न करो। 37 क्योंकि तुम इन मनुष्यों को लाए हो, जो न मन्दिर के लूटनेवाले है, और न हमारी देवी के निन्दक हैं।

38 यदि दिमेत्रियुस और उसके साथी कारीगरों को किसी से विवाद हो तो कचहरी खुली है, और हाकिम भी हैं; वे एक दूसरे पर आरोप लगाए। 39 परन्तु यदि तुम किसी और बात के विषय में कुछ पूछना चाहते हो, तो नियत सभा में फैसला किया जाएगा। 40 क्योंकि आज के बलवे के कारण हम पर दोष लगाए जाने का डर है, इसलिए कि इसका कोई कारण नहीं, अतः हम इस भीड़ के इकट्ठा होने का कोई उत्तर न दे सकेंगे।” 41 और यह कह के उसने सभा को विदा किया।



Acts 19:1

और जब…….वहां कुछ चेले मिले

“ऐसा हुआ कि जब…..वहां कुछ चेले मिले”

सारे देश से होकर

सारे देश में यात्रा करते हुए

ऊपर के सारे से होकर

अर्थात एशिया (आधुनिक टर्की) में स्थित एक क्षेत्र जो इफिसुस और सिकंदरिया त्रोआस और भीतरी क्षेत्र के पूर्व की ओर था।

पवित्र आत्मा पाया

पवित्र आत्मा ग्रहण किया

हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी

“हमने पवित्र आत्मा की चर्चा नहीं सुनी थी”

Acts 19:3

x

पौलुस इफिसुस के नए विश्वासियों के साथ अपनी चर्चा जारी रखता है

तो फिर तुमने किसका बपतिस्मा लिया?

“तो फिर तुमने किसके नाम से बपतिस्मा लिया?”

उन्होंने कहा

“चेलों ने कहा”

यूहन्ना का बपतिस्मा

“यूहन्ना के बपतिस्मा से”

मन फिराव का बपतिस्मा

“अपने पापों से मन फिराते समय लोग जो बपतिस्मा लेते हैं।”

जो मेरे बाद आनेवाला

“जो बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना के बाद आनेवाला”

Acts 19:5

जब पौलुस ने उन पर

जब पौलुस ने उससे बातचीत कर रहे इफिसुस के विश्वासियों पर

हाथ रखे

“प्रार्थना करते समय उनके सिर पर हाथ रखे” (यूडीबी)

वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने लगे और भविष्यद्वाणी करने लगे

इस बात के संकते नहीं दिए गए हैं कि उनकी बातें कितनो को समझ आई होगी।

ये सब लगभग बारह पुरुष थे

“ ...पौलुस से बपतिस्मा लेकर पवित्र आत्मा पाने वाले लगभग 12 लोग थे” (यूडीबी)...(देखें: [[rc://*/ta/संस्क1/अनुवाद/अंजीर-स्पष्ट]]

Acts 19:8

और वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा

अनुवाद कते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “तीन महीने तक पौलुस आराधनालय जाता रहा और हियाव के साथ बोलता रहा।”

और समझाता रहा

“लोगों को बोले गए सत्य का विश्वास दिलाता रहा”

कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी

“कुछ यहूदियों ने ढीठाई के साथ उपदेश को स्वीकारने से मना कर दिया”

को बुरा कहने लगे

“के बारे में बुरा-बुरा कहने लगे”

यीशु के मार्ग को

अर्थात “यीशु मसीह के द्वारा उद्धार की बात को”

चेलों को अलग किया

“विश्वासियों को अलग किया”

आसिया के रहनेवाले....सुन लिया

संभावित अर्थ: 1) “पौलुस ने पूरे आसिया में कई लोगों के साथ सुसमाचार बांटा” या फिर, 2) “सारे आसिया से इफिसुस में आनेवाले यात्रियों के द्वारा पौलुस का उपदेश इफिसुस से पूरे आसिया में फैल गया।”

Acts 19:11

पौलुस के हाथों

“पौलुस के द्वारा”

यहाँ तक कि रुमाल और अंगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थे

अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “यहाँ तक कि पौलुस द्वारा स्पर्श किये रुमाल और अंगोछे बीमारों पर डालते थे”

Acts 19:13

कुछ यहूदी झाड़-फूंकी

लोगों व जगहों से बुरी आत्माएं निकालनेवाले लोग

प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूंके

हालाँकि वे यीशु पर विश्वास नहीं करते थे, लेकिन वे उसके नाम को जादूई शब्द की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास करते थे

जिनमें दुष्टात्मा हों

“बुरी आत्मा से ग्रस्त लोग”

यह कह कर फूंके

“उन पर नाम फूंकते थे”

Acts 19:15

यीशु को मैं जानती हूँ, और पौलुस को भी जानती हूँ

“मैं यीशु और पौलुस को तो जानती हूँ;” या फिर, “मैंने यीशु और पौलुस के बारे में तो सुना है”

तुम कौन हो?

यह वास्तविक प्रश्न नहीं है; यह कथन असल में बुरी आत्मा पर उनके अधिकार को लेकर संदेह को व्यक्त करता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “तुम्हारे पास कौन सा अधिकार है?” या फिर, “तुम्हारा को अधिकार नहीं है।”

उन पर लपककर

अर्थात “उन झाड़ा फूंकी करनेवालों” पर लपक कर। यहाँ पर उसी शब्द का प्रयोग करने जिसका प्रयोग आप पहले 13वें पद में किया है

वे नंगे और घायल होकर ....निकल भागे

वे झाड़ा-फूंकी करनेवालों के कपड़े तार-तार हो गए और वे भागे

उन सब पर भय छा गया

“इफिसुस के यहूदी और यूनानी लोग बहुत डर गए”

Acts 19:18

अपनी-अपनी पोथियाँ इकट्ठी करके

जादूई तंत्रों-मन्त्रों वाली किताबें और स्क्रॉल

सब के सामने

“सब के आगे”

चांदी के सिक्कों

चांदी के एक सिक्के का दाम एक दैनिक मजदूर की एक दिन की दिहाड़ी के बराबर था।

इस प्रकार प्रभु का वचन बल पूर्वक फैलता गया और प्रबल होता गया

“प्रभु से सम्बंधित उपदेश इतना प्रभावी था कि वह फैलता गया और पहले अधिक प्रभावशाली होता गया।”

Acts 19:21

जब ये बातें हो चुकी तो पौलुस ने

अर्थात इफिसुस में अपनी सेवा करने के बाद पौलुस ने

मकदूनिया और अखाया

आधुनिक यूनान के प्रांत

पौलुस ने आत्मा में ठाना

संभावित अर्थ: 1) पौलुस ने पवित्र आत्मा की मदद से निर्णय लिया” या फिर, 2) पौलुस की अपनी आत्मा ने निर्णय लेने में उसकी अगुवाई की।

मुझे रोम को भी देखना अवश्य है

“मुझे रोम की भी यात्रा करनी ज़रूरी है”

आप कुछ दिन आसिया में रह गया

आगामी पदों में स्पष्ट हो जाएगा कि पौलुस इफिसुस में रुका था

Acts 19:23

बड़ा हुल्लड़ हुआ

उपद्रव जैसी स्थिति

उस पंथ

मसीहत के लिए इस्तेमाल किया जानेवाला शब्द

एक सुनार

सोने-चांदी की आकृतियाँ आदि गढ़नेवाला कारीगर

देमेत्रियुस नाम का

इफिसुस का एक सुनार पौलुस व स्थानीय कलीसिया के विरोध में था।

अरतिमिस के चांदी के मंदिर

इफिसुस में अरतिमिस को समर्पित एक विशाल मंदिर था

बहुत काम दिलाया करता था

वे चाँदी से बनी अरतिमिस की कई मूरतें बेचता था

Acts 19:26

x

देमेत्रियुस नाम का एक सुनार अपने कारीगरों से बातचीत जारी रखता है

तुम देखते और सुनते हो

“तुम जानते-बूझते हो”

बहुत लोगों को समझाया

“बहुत से लोगों को स्थानीय देवताओं की पूजा न करने और मसीह की ओर मुड़ने का विश्वास दिलाया है”

उसका महत्व भी जाता रहेगा

अरतिमिस की महानता केवल लोगों की सोच से है

जिसे सारा आसिया और जगत पूजता है नोट: “जिसे” के स्थान पर हिंदी संस्करण में “जिस” लिखा हुआ है। कृपया इसे सुधार लें।

यहाँ अतिशयोक्ति का प्रयोग है। बहुत से लोग पूजते हैं की जगह सारा आसिया और जगत पूजता है कहा गया है।

Acts 19:28

वे यह सुनकर

“कारगर यह सुनकर”

क्रोध से भर गए

“बहुत क्रोधित हो उठे”

और चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे

“और ज़ोर से चिल्ला कर बोलने लगे”

जो पौलुस के संगी यात्री थे, पकड़ लिया

“लोगों ने पौलुस के साथियों को पकड़ लिया”

और एक साथ होकर रंगशाला में दौड़ गए

यह दंगे-फसाद जैसे स्थिति हो गयी थी

रंगशाला में

इफिसुस की रंगशाला प्रयोग जनता के मनोरंजन हेतु नाटक व संगीत आदि के लिए होता था

मकदूनियों को

गयुस व अरिस्तर्खुस मकदूनिया से आये थे और उस समय इफिसुस में पौलुस के साथ कार्य कर रहे थे

Acts 19:30

रंगशाला

अर्ध-गोलाकार की आकृति वाली जगह जहाँ लोगों के बैठने के लिए बेंच लगे होते हैं, और इसमे हज़ारों की तादात में लोग आ सकते हैं।

Acts 19:33

तब उन्होंने सिकंदर को आगे बढ़ाया

सिकंदर को लेकर पौलुस तीमुथियुस को चेतावनी दे रहा है

हाथ से संकेत करके

“देखनेवालों की तरफ संकेत किया”

उत्तर देना चाहता था

वह अपने बचावे में कुछ कहना चाहता था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह क्या कहना चाहता था।

Acts 19:35

कौन नहीं जानता, कि इफिसियों का नगर बड़ी देवी अरतिमिस के मंदिर, और ज्यूस की ओर से गिरी हुई मूरत का टहलुआ है

यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है. अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “हर कोई जानता है कि......”

टहलुआ

इफिसुस के लोग अरतिमिस के मंदिर की देखरेख और सुरक्षा करते थे

ज्यूस की ओर से गिरी हुई मूरत

अरतिमिस के मंदिर में देवी की एक मूरत थी जो उल्कापिंड पर गढ़ी गए थी, और उल्कापिंड सीधे ज्यूस से भेजा माना जाता था

Acts 19:38

x

भीड़ को संबोधन जारी रहता है

देमेत्रियुस

इफिसुस का एक सुनार जो पौलुस व स्थानीय कलीसिया का विरोधी था

हाकिम

गवर्नर अथ्वास शासक के लिए प्रोकंसल्स शब्द है।


Translation Questions

Acts 19:2

जिन चेलों को पौलुस इफिसुस में मिला उन्होंने जब विश्वास किया तो किस विषय में सुना नहीं हुआ था?

चेलों ने पवित्र आत्मा के विषय में नहीं सुना था।

Acts 19:4

यूहन्ना का बप्तिस्मा किस का बप्तिस्मा था?

यूहन्ना का बप्तिस्मा मन फिराव का बप्तिस्मा था।

यूहन्ना ने लोगों को किस पर विश्वास करने के लिए कहा था?

यूहन्ना ने लोगों को कहा था कि जो मेरे बाद आने वाला है उस पर विश्वास करना।

Acts 19:5

पौलुस इफिसुस के चेलों को किसके नाम में बप्तिस्मा दिया?

पौलुस ने उन्हें प्रभु यीशु के नाम का बप्तिस्मा दिया।

Acts 19:6

बप्तिस्मा पाने वाले और जिन पर पौलुस ने हाथ रखा था उन लोगों का क्या हुआ?

उन पर पवित्र आत्मा ठहरा और वे भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे।

Acts 19:9

जब कुछ यहूदी लोगों ने उसकी नहीं मानी और यीशु के मार्ग को बुरा कहने लगे तो पौलुस ने क्या किया?

पौलुस ने उनको छोड़कर चेलों को अलग कर लिया और तुरन्नुस की पाठशाला में वाद-विवाद करने लगा।

Acts 19:12

पौलुस के हाथों परमेश्वर ने कौन सा विशेष आश्चर्यकर्म किया?

जब पौलुस से रूमाल और अंगोछे लेकर, बीमारों को चंगा और दुष्टात्माओं को निकाला जाता था।

Acts 19:16

झाड़-फूंक करने वाले सात यहूदी जिन्होंने प्रभु यीशु के नाम पर दुष्टात्मा निकालने की कोशिश की उनका क्या हुआ?

दुष्टात्मा ने उन्हें वश में लाकर ऐसा उपद्रव किया कि वे नंगे और घायल होकर घर से निकल भागे।

Acts 19:19

इफिसुस में अनेक जादू करने वालों ने क्या किया?

जादू करने वालों में से बहुतों ने अपनी पोथियाँ सबके सामने जला दीं।

Acts 19:21

यरूशलेम जाने के बाद पौलुस ने क्या बताया कि वह कहाँ जाएगा?

पौलुस ने कहा कि यरूशलेम जाने के बाद वह रोम जाएगा।

Acts 19:26

सुनार अरतिमिस ने अन्य कारीगरों को एकत्रित कर के क्या चिंता जताई?

देमेत्रियुस की चिन्ता का विषय यह था कि पौलुस लोगों को सिखा रहा था कि जो हाथ की कारीगरी है वह ईश्वर नहीं, और यह कि अरतिमिस देवी को भी तुच्छ माना जाएगा।

Acts 19:28

देमेत्रियुस की चिंता पर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया जताई?

लोग क्रोध से भर गए और चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे कि अरतिमिस महान है,और सारे नगर में कोलाहल मच गया।

Acts 19:30

पौलुस ने चाहते हुए भी भीड़ को सम्बोधित क्यों नहीं किया?

चेलों और कुछ हाकिमों ने पौलुस से विनती की कि वहां न जाए।

Acts 19:38

नगर के मन्त्री ने लोगों को दंगा करने की बजाए क्या करने को कहा?

नगर के मन्त्री ने लोगों को कचहरी में अपना विवाद लाने को कहा।

Acts 19:40

नगर के मन्त्री के अनुसार लोग किस संकट में थे?

नगर के मन्त्री ने कहा कि लोग बलवे के कारण उन पर दोष लगाए जाने का डर है और इस भीड़ के इकट्ठा होने का कोई उत्तर नहीं है।


Chapter 20

1 जब हुल्लड़ थम गया तो पौलुस ने चेलों को बुलवाकर समझाया, और उनसे विदा होकर मकिदुनिया की ओर चल दिया। 2 उस सारे प्रदेश में से होकर और चेलों को बहुत उत्साहित कर वह यूनान में आया। 3 जब तीन महीने रहकर वह वहाँ से जहाज पर सीरिया की ओर जाने पर था, तो यहूदी उसकी घात में लगे, इसलिए उसने यह निश्चय किया कि मकिदुनिया होकर लौट जाए।

4 बिरीया के पुरूर्स का पुत्र सोपत्रुस और थिस्सलुनीकियों में से अरिस्तर्खुस और सिकुन्दुस और दिरबे का गयुस, और तीमुथियुस और आसिया का तुखिकुस और त्रुफिमुस आसिया तक उसके साथ हो लिए। 5 पर वे आगे जाकर त्रोआस में हमारी प्रतीक्षा करते रहे। 6 और हम अख़मीरी रोटी के दिनों के बाद फिलिप्पी से जहाज पर चढ़कर पाँच दिन में त्रोआस में उनके पास पहुँचे, और सात दिन तक वहीं रहे।

7 सप्ताह के पहले दिन जब हम रोटी तोड़ने के लिये इकट्ठे हुए, तो पौलुस ने जो दूसरे दिन चले जाने पर था, उनसे बातें की, और आधी रात तक उपदेश देता रहा। 8 जिस अटारी पर हम इकट्ठे थे, उसमें बहुत दीये जल रहे थे।

9 और यूतुखुस नाम का एक जवान खिड़की पर बैठा हुआ गहरी नींद से झुक रहा था, और जब पौलुस देर तक बातें करता रहा तो वह नींद के झोके में तीसरी अटारी पर से गिर पड़ा, और मरा हुआ उठाया गया। 10 परन्तु पौलुस उतरकर उससे लिपट गया*, और गले लगाकर कहा, “घबराओ नहीं; क्योंकि उसका प्राण उसी में है।” (1 राजा. 17:21)

11 और ऊपर जाकर रोटी तोड़ी और खाकर इतनी देर तक उनसे बातें करता रहा कि पौ फट गई; फिर वह चला गया।

12 और वे उस जवान को जीवित ले आए, और बहुत शान्ति पाई।

13 हम पहले से जहाज पर चढ़कर अस्सुस को इस विचार से आगे गए, कि वहाँ से हम पौलुस को चढ़ा लें क्योंकि उसने यह इसलिए ठहराया था, कि आप ही पैदल जानेवाला था। 14 जब वह अस्सुस में हमें मिला तो हम उसे चढ़ाकर मितुलेने* में आए।

15 और वहाँ से जहाज खोलकर हम दूसरे दिन खियुस के सामने पहुँचे, और अगले दिन सामुस में जा पहुँचे, फिर दूसरे दिन मीलेतुस में आए। 16 क्योंकि पौलुस ने इफिसुस के पास से होकर जाने की ठानी थी, कि कहीं ऐसा न हो, कि उसे आसिया में देर लगे; क्योंकि वह जल्दी में था, कि यदि हो सके, तो वह पिन्तेकुस्त के दिन यरूशलेम में रहे।

17 और उसने मीलेतुस से इफिसुस में कहला भेजा, और कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया। 18 जब वे उसके पास आए, तो उनसे कहा,

“तुम जानते हो, कि पहले ही दिन से जब मैं आसिया में पहुँचा, मैं हर समय तुम्हारे साथ किस प्रकार रहा। 19 अर्थात् बड़ी दीनता से, और आँसू बहा-बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षड़यंत्र के कारण जो मुझ पर आ पड़ी; मैं प्रभु की सेवा करता ही रहा। 20 और जो-जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उनको बताने और लोगों के सामने और घर-घर सिखाने से कभी न झिझका। 21 वरन् यहूदियों और यूनानियों को चेतावनी देता रहा कि परमेश्‍वर की ओर मन फिराए, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करे।

22 और अब, मैं आत्मा में बंधा हुआ* यरूशलेम को जाता हूँ, और नहीं जानता, कि वहाँ मुझ पर क्या-क्या बीतेगा, 23 केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे-देकर मुझसे कहता है कि बन्धन और क्लेश तेरे लिये तैयार है। 24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता कि उसे प्रिय जानूँ, वरन् यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवा को पूरी करूँ, जो मैंने परमेश्‍वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।

25 और अब मैं जानता हूँ, कि तुम सब जिनमें मैं परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार करता फिरा, मेरा मुँह फिर न देखोगे। 26 इसलिए मैं आज के दिन तुम से गवाही देकर कहता हूँ, कि मैं सब के लहू से निर्दोष हूँ। 27 क्योंकि मैं परमेश्‍वर की सारी मनसा को तुम्हें पूरी रीति से बताने से न झिझका। 28 इसलिए अपनी और पूरे झुण्ड की देख-रेख करो; जिसमें पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है कि तुम परमेश्‍वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उसने अपने लहू से मोल लिया है। (भज. 74:2) 29 मैं जानता हूँ, कि मेरे जाने के बाद फाड़नेवाले भेड़िए तुम में आएँगे, जो झुण्ड को न छोड़ेंगे। 30 तुम्हारे ही बीच में से भी ऐसे-ऐसे मनुष्य उठेंगे, जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहेंगे।

31 इसलिए जागते रहो, और स्मरण करो कि मैंने तीन वर्ष तक रात दिन आँसू बहा-बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा। 32 और अब मैं तुम्हें परमेश्‍वर को, और उसके अनुग्रह के वचन को सौंप देता हूँ; जो तुम्हारी उन्नति कर सकता है, और सब पवित्र किये गये लोगों में सहभागी होकर विरासत दे सकता है।

33 मैंने किसी के चाँदी, सोने या कपड़े का लालच नहीं किया। (1 शमू. 12:3) 34 तुम आप ही जानते हो कि इन्हीं हाथों ने मेरी और मेरे साथियों की आवश्यकताएँ पूरी की। 35 मैंने तुम्हें सब कुछ करके दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है: ‘लेने से देना धन्य है’।”

36 यह कहकर उसने घुटने टेके और उन सब के साथ प्रार्थना की। 37 तब वे सब बहुत रोए और पौलुस के गले लिपट कर उसे चूमने लगे। 38 वे विशेष करके इस बात का शोक करते थे, जो उसने कही थी, कि तुम मेरा मुँह फिर न देखोगे। और उन्होंने उसे जहाज तक पहुँचाया।



Acts 20:1

जब हुल्लड़ थम गया तो

“हुल्लड़ के थमने के बाद”

पौलुस....उनसे विदा होकर

एक-दूसरे से विदा ली

चेलों को बहुत उत्साहित कर

“चेलों का उत्साह बढाने के लिए बहुत सी बातें कहीं”

तीन महीने रह कर

“तीन महीने रहने के बाद”

यहूदी उसकी घात में लगे

“यहूदियों ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र किया”

उसकी घात में लगे

“उसके विरुद्ध एक गुप्त योजना बना ली’

सीरिया की ओर जाने पर था

“सीरिया की ओर जाने को तैयार था”

Acts 20:4

उसके साथ हो लिए

“पौलुस के साथ यात्रा कर रहे हैं”

हमारी बाट जोहते रहें

प्रेरितों का लेखक,लूका, दल में फिर से शामिल हो गया है। वैकल्पिक अनुवाद: हमसे आगे यात्रा की है।

Acts 20:7

सप्ताह के पहले दिन

“रविवार को”

जब हम रोटी तोड़ने के लिए

प्रभु भोज के दौरान रोटी तोड़ी और खाई गयी (यूडीबी)

बातें करता रहा

“बातें करता रहा”

अटारी

यह शायद घर की मंजिल का तीसरा तल था।

Acts 20:9

गहरी नींद से झुक रहा था

वह गहरी नींद में सोया हुआ था

तीसरी अटारी

“भूतल से दो तल ऊपर”

मरा हुआ उठाया गया

मारा हुआ उठाया गया - जब वे उसे नीचे उठाने गए तो देख कि वह मर चुका है।

गले लगाकर

गले लगाकर - “छाती से लगाकर”(यूडीबी)

गले लगाकर कहा

गले लगाकर कहा - “गले लगाकर पौलुस ने कहा”

उसका प्राण उसी में है

“युतुखुस अभी जीवित है”

Acts 20:11

ऊपर जाकर

“पौलुस ऊपर गया”

रोटी तोड़ी

“सबके साथ भोजन किया।” रोटी तोड़कर सबमे बांटना इसी में शामिल है।

फिर वह चला गया

“वह वहाँ से चला गया”

उस लड़के को

संभावित अर्थ: 1) 14 साल से बड़ा लड़का (यूडीबी), 2) सेवक या दास, 3) या फिर 9-14 के बीच की उम्र का कोई लड़का.

Acts 20:13

हम पहले से

यहाँ ये शब्द बताते हैं कि लूका और सहयात्रियों को पौलुस से अलग करता है, जो जहाज से नहीं गया था।

वह आप ही पैदल जानेवाला था

“वह पैदल जाना चाहता था”

जब वह अस्सुस में

आधुनिक बेहराम, तुर्की के ठीक नीचे, एजियन समुद्र के तट पर स्थित एक नगर है।

हम उसे चढ़ाकर मितुलेने में आए

“हम” शब्द का आशय लूका और उसके सहयात्रियों से है, लेकिन इसमें पौलुस शामिल नहीं है।

मितुलेने में आए

एजियन समुद्र के तट पर आधुनिक मितिलिनी, तुर्की में स्थित एक नगर।

Acts 20:15

हम दूसरे दिन

“हम” का आशय पौलुस, लूका, और उनके सहयात्रियों से है।

खियुस के सामने पहुंचें

खियुस एजियन समुद्र से घिरे आधुनिक तुर्की के तट से दूर स्थित टापू।

सामुस में जा लगे

खियुस के दक्षिण में स्थित टापू। वैकल्पिक अनुवाद: “हम सामुस टापू पर पहुंचें”

मीलेतुस में आये

मीलेतुस, पश्चिम एशिया माइनर में मीऐनडर नदी के मुहाने पर स्थित एक बंदरगाह है।

पौलुस ने इफिसुस के पास से होकर जाने की ठानी थी

पौलुस इफिसुस से होते हुए आगे दक्षिण में मीलेतुस की ओर गया

Acts 20:17

मीलेतुस से

प्रेरितों में मीलेतुस के अनुवाद का सन्दर्भ

जब मैं आसिया आया

आसिया में आते ही - “आसिया में प्रवेश करते ही”

बड़ी दीनता के साथ

“नम्रता” अथवा “विनय के साथ”

आंसू बहा-बहा कर

प्रभु की सेवा करते हुए मैं कई बार रोया

न झिझका

“न कतराया” अथवा “स्वयं को न रोका”

घर-घर सिखाने

घर-घर सिखाने -अर्थात, उसने लोगों को उनके घरों में जाकर व्यक्तिगत रूप से सिखाया।

परमेश्वर की ओर मन फिराना

“अपने पाप से फिर कर परमेश्वर की ओर आना”

Acts 20:22

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

आत्मा में बंधा हुआ यरूशलेम को जाता हूँ

“पवित्र आत्मा द्वारा विवश होकर यरूशलेम को जाता हूँ”

पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझसे कहता है

“पवित्र आत्मा ये चेतावनियाँ मुझे देता है”

बंधन और क्लेश तेरे लिए तैयार है

“कि मैं बंधनों में जकड़ कर कैद में डाला जानेवाला और शारीरिक कष्ट भोगनेवाला हूँ”

अपनी दौड़ को......पूरा करूं

“परमेश्वर के दिए काम पूरे करूं”

गवाही देकर

“गवाह हूँ”

Acts 20:25

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

मैं जानता हूँ कि तुम सब

“मैं जानता हूँ कि तुम सभी”

जिनमे मैं परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता फिरा

“जिन्हें मैंने परमेश्वर के राज्य का उपदेश दिया”

मेरा मुंह फिर न देखोगे

“अब मुझे फिर न देखोगे”

मैं सबके लहू से निर्दोष हूँ

“परमेश्वर द्वारा किसी को अपराधी ठहराए जाने पर मुझे दोष नहीं दिया जा सकता”

Acts 20:28

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

पूरे झुण्ड की

यह एक आलंकारिक अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार एक गडरिया भेडियों से अपनी भेड़ों की रक्षा करता है, वैसे ही कलीसिया के अगुओं को अपनी अगुवाई के अंतर्गत आनेवाले लोगों की देखरेख व शत्रु से रक्षा करनी चाहिए।

जिसे उसे अपने लहू से मोल लिया है

“क्रूस पर अपने लहू को बहा कर मसीह ने जिन्हें मोल लिया है।

जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को

“मसीह का अनुकरण करनेवालों को अपनी, झूठी शिक्षा का विश्वास दिलाने का प्रयास करेंगे”

Acts 20:31

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

इसलिए जागते रहो

“सावधान और सचेत रहो” या फिर, “रखवाली करते रहो” (यूडीबी)

और स्मरण करो

“और लगातार याद करों” या फिर, “भूलो मत”

इसलिए जागते रहो, और समरण करो

इसे यूं भी लिख सकते हैं कि : 1) “सतर्क रहो और याद करो” या फिर, 2) “याद करते समय जागते रहो” अथवा 3) याद करो और सतर्क रहो

मैंने तीन वर्ष तक .....हर एक को चेतावनी देना न छोड़ा

पौलुस ने उन्हें तीन सालों तक लगातार शिक्षा नहीं दी थी, वरन तीन सालों के दौरान बीच-बीच में शिक्षा दी थी

चेतावनी देना न छोड़ा

संभावित अर्थ: 1) “चेताना न छोड़ा” या फिर 2) “मैंने सुधार करना और प्रोत्साहन देना न छोड़ा।”

Acts 20:33

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

मैंने किसी के चाँदी का लालच नहीं किया

“मैंने किसी की चांदी की इच्छा नहीं की” या फिर, “मुझे किसी की चांदी नहीं चाहिए”

किसी की चाँदी, सोने या कपड़े का लालच नहीं किया

कपड़ों को निधि समझा जाता था; जितने अधिक कपड़े आपके पास हैं, आप उतने ही अमीर है।

तुम, आप ही

“आप ही” को बात में प्रभाव उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।

इन्हीं हाथों ने मेरी......आवश्यकताएं पूरी की हैं

" मैं अपने हाँथों से काम करके पैसा कमाते है और अपना कर्चा उठाते हूँ।"

परिश्रम करते हुए निर्बलों को संभालना

“कड़ा परिश्रम करो ताकि उन लोगों की मदद कर सकों जो लाचार हैं”

लेने से देना धन्य है

देने से व्यक्ति को पमरेश्वर के अनुग्रह एवं आनंद का अधिक अनुभव होता है।

Acts 20:36

पौलुस के गले लिपट कर

“पौलुस से गले लग कर” या फिर, “पौलुस से गले मिले”

उसे चूमने लगे

मध्यपूर्व में किसी को चूमना उसके प्रति भाईचारा और स्नेह व्यक्त करने का तरीका है।

तुम मेरा मुंह फिर न देखोगे

"वे पौलुस को पृथ्वी पर फिर नहीं देख पाएगा" “ मुंह” पौलुस के सन्दर्भ में है


Translation Questions

Acts 20:3

सीरिया के लिए जल यात्रा करने की अपेक्षा पौलुस अपनी योजना बदलकर मकिदुनिया होते हुए लौट आने के लिए क्यों विवश हुआ?

सीरिया की ओर जाने पर था, तो यहूदी उसकी घात में लगे, इसलिये उस ने यह सलाह की कि मकिदुनिया होकर लौट आए।

Acts 20:7

सप्ताह के कौन से दिन पौलुस और अन्य विश्वासी रोटी तोड़ने के लिए एकत्रित होते थे?

सप्ताह के पहले दिन पौलुस और अन्य विश्वासी रोटी तोड़ने के लिए इकट्ठे हुए।

Acts 20:9

उस जवान का क्या हुआ जो खिड़की से गिर गया जब कि पौलुस बात कर रहा था?

जवान तीसरी अटारी पर से गिर पड़ा और मरा हुआ उठाया गया, पर पौलुस उतरकर उससे लिपट गया और लड़का जीवित हो गया।

Acts 20:16

पौलुस को यरूशलेम जाने की जल्दी क्यों थी?

पौलुस को यरूशलेम जाने की जल्दी थी क्योंकि वह वहां पिन्तेकुस्त के दिन रहना चाहता था।

Acts 20:18

किस विषय में पौलुस के अनुसार उसने यहूदियों और यूनानियों को चेतावनी दे दी थी जब उसने आसिया में प्रवेश किया?

पौलुस ने कहा कि उसने यहूदियों और यूनानियों दोनों को मन फिराने और प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने की चेतावनी दी।

Acts 20:23

यरूशलेम जाते समय पवित्र आत्मा किस विषय में पौलुस को गवाही दे रही थी?

पवित्र आत्मा पौलुस को गवाही दे रही थी कि बन्धन और क्लेश तेरे लिए तैयार है।

Acts 20:24

प्रभु यीशु से पौलुस ने क्या सेवकाई प्राप्त की थी?

पौलुस की सेवकाई सुसमाचार पर गवाही देने के लिए जो उसने प्रभु यीशु से पाई है थी।

Acts 20:27

पौलुस ने क्यों कहा कि वह किसी भी मनुष्य के लहू से निर्दोष है?

पौलुस ने कहा कि वह किसी भी मनुष्य के लहू से निर्दोष है क्योंकि उसने परमेश्वर के सारे अभिप्राय उन्हें पूरी रीति से बताए थे।

Acts 20:28

पौलुस ने इफिसियों के प्राचीनों को उसके जाने के बाद क्या ध्यानपूर्वक करने का निर्देश दिया?

पौलुस ने प्राचीनों को पूरे झुंड की चौकसी से निगरानी करने का निर्देश दिया।

Acts 20:30

पौलुस के अनुसार उसके जाने के बाद इफिसियों के प्राचीनो के बीच में क्या होगा?

पौलुस ने कहा कि कुछ प्राचीन चेलों को अपने पीछे खींचने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें करेंगे।

Acts 20:32

पौलुस ने इफिसियों के प्राचीनों को किसको सौंपा?

पौलुस ने इफिसियों के प्राचीनों को परमेश्वर के हाथों में सौंपा।

Acts 20:34

पौलुस ने काम को लेकर इफिसियों के सामने क्या उदाहरण पेश किया?

पौलुस ने अपनी और अपने साथियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने हाथों से काम किया और निर्बलों की सहायता की।

Acts 20:38

इफिसियों के प्राचीनों को किस बात ने सबसे अधिक शोकित किया?

इफिसियों के प्राचीनों ने सबसे अधिक इस बात का शोक किया कि पौलुस ने उनसे कहा कि तुम मेरा मुँह फिर न देखोगे।


Chapter 21

1 जब हमने उनसे अलग होकर समुद्री यात्रा प्रारंभ किया, तो सीधे मार्ग से कोस में आए, और दूसरे दिन रूदुस में, और वहाँ से पतरा में; 2 और एक जहाज फीनीके को जाता हुआ मिला, और हमने उस पर चढ़कर, उसे खोल दिया।

3 जब साइप्रस दिखाई दिया, तो हमने उसे बाएँ हाथ छोड़ा, और सीरिया को चलकर सूर में उतरे; क्योंकि वहाँ जहाज का बोझ उतारना था। 4 और चेलों को पा कर हम वहाँ सात दिन तक रहे। उन्होंने आत्मा के सिखाए पौलुस से कहा कि यरूशलेम में पाँव न रखना।

5 जब वे दिन पूरे हो गए, तो हम वहाँ से चल दिए; और सब स्त्रियों और बालकों समेत हमें नगर के बाहर तक पहुँचाया और हमने किनारे पर घुटने टेककर प्रार्थना की। 6 तब एक दूसरे से विदा होकर, हम तो जहाज पर चढ़े, और वे अपने-अपने घर लौट गए।

7 जब हम सूर से जलयात्रा पूरी करके पतुलिमयिस* में पहुँचे, और भाइयों को नमस्कार करके उनके साथ एक दिन रहे। 8 दूसरे दिन हम वहाँ से चलकर कैसरिया में आए, और फिलिप्पुस सुसमाचार प्रचारक के घर में जो सातों में से एक था, जाकर उसके यहाँ रहे। 9 उसकी चार कुँवारी पुत्रियाँ थीं; जो भविष्यद्वाणी करती थीं। (योए. 2:28)

10 जब हम वहाँ बहुत दिन रह चुके, तो अगबुस नामक एक भविष्यद्वक्ता यहूदिया से आया। 11 उसने हमारे पास आकर पौलुस का कमरबन्द लिया, और अपने हाथ पाँव बाँधकर कहा, “पवित्र आत्मा यह कहता है, कि जिस मनुष्य का यह कमरबन्द है, उसको यरूशलेम में यहूदी इसी रीति से बाँधेंगे, और अन्यजातियों के हाथ में सौंपेंगे।”

12 जब हमने ये बातें सुनी, तो हम और वहाँ के लोगों ने उससे विनती की, कि यरूशलेम को न जाए। 13 परन्तु पौलुस ने उत्तर दिया, “तुम क्या करते हो, कि रो-रोकर मेरा मन तोड़ते हो? मैं तो प्रभु यीशु के नाम के लिये यरूशलेम में न केवल बाँधे जाने ही के लिये वरन् मरने के लिये भी तैयार हूँ।” 14 जब उसने न माना तो हम यह कहकर चुप हो गए, “प्रभु की इच्छा पूरी हो।”

15 उन दिनों के बाद हमने तैयारी की और यरूशलेम को चल दिए। 16 कैसरिया के भी कुछ चेले हमारे साथ हो लिए, और मनासोन नामक साइप्रस के एक पुराने चेले को साथ ले आए, कि हम उसके यहाँ टिकें।

17 जब हम यरूशलेम में पहुँचे, तो भाई बड़े आनन्द के साथ हम से मिले। 18 दूसरे दिन पौलुस हमें लेकर याकूब के पास गया, जहाँ सब प्राचीन इकट्ठे थे। 19 तब उसने उन्हें नमस्कार करके, जो-जो काम परमेश्‍वर ने उसकी सेवकाई के द्वारा अन्यजातियों में किए थे, एक-एक करके सब बताया।

20 उन्होंने यह सुनकर परमेश्‍वर की महिमा की, फिर उससे कहा, “हे भाई, तू देखता है, कि यहूदियों में से कई हजार ने विश्वास किया है; और सब व्यवस्था के लिये धुन लगाए हैं। 21 और उनको तेरे विषय में सिखाया गया है, कि तू अन्यजातियों में रहनेवाले यहूदियों को मूसा से फिर जाने को सिखाता है, और कहता है, कि न अपने बच्चों का खतना कराओ ओर न रीतियों पर चलो।

22 तो फिर क्या किया जाए? लोग अवश्य सुनेंगे कि तू यहाँ आया है। 23 इसलिए जो हम तुझ से कहते हैं, वह कर। हमारे यहाँ चार मनुष्य हैं, जिन्होंने मन्नत मानी है। 24 उन्हें लेकर उसके साथ अपने आप को शुद्ध कर; और उनके लिये खर्चा दे, कि वे सिर मुँड़ाएँ। तब सब जान लेंगे, कि जो बातें उन्हें तेरे विषय में सिखाई गईं, उनकी कुछ जड़ नहीं है परन्तु तू आप भी व्यवस्था को मानकर उसके अनुसार चलता है। (गिन. 6:5, गिन. 6:13-18, गिन. 6:21)

25 परन्तु उन अन्यजातियों के विषय में जिन्होंने विश्वास किया है, हमने यह निर्णय करके लिख भेजा है कि वे मूर्तियों के सामने बलि किए हुए माँस से, और लहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से, बचे रहें।” 26 तब पौलुस उन मनुष्यों को लेकर, और दूसरे दिन उनके साथ शुद्ध होकर मन्दिर में गया, और वहाँ बता दिया, कि शुद्ध होने के दिन, अर्थात् उनमें से हर एक के लिये चढ़ावा चढ़ाए जाने तक के दिन कब पूरे होंगे। (गिन. 6:13-21)

27 जब वे सात दिन पूरे होने पर थे, तो आसिया के यहूदियों ने पौलुस को मन्दिर में देखकर सब लोगों को भड़काया, और यों चिल्ला-चिल्लाकर उसको पकड़ लिया, 28 “हे इस्राएलियों, सहायता करो; यह वही मनुष्य है, जो लोगों के, और व्यवस्था के, और इस स्थान के विरोध में हर जगह सब लोगों को सिखाता है, यहाँ तक कि यूनानियों को भी मन्दिर में लाकर उसने इस पवित्रस्‍थान को अपवित्र किया है।” 29 उन्होंने तो इससे पहले इफिसुस वासी त्रुफिमुस* को उसके साथ नगर में देखा था, और समझते थे कि पौलुस उसे मन्दिर में ले आया है।

30 तब सारे नगर में कोलाहल मच गया, और लोग दौड़कर इकट्ठे हुए, और पौलुस को पकड़कर मन्दिर के बाहर घसीट लाए, और तुरन्त द्वार बन्द किए गए। 31 जब वे उसे मार डालना चाहते थे, तो सैन्य-दल के सरदार को सन्देश पहुँचा कि सारे यरूशलेम में कोलाहल मच रहा है।

32 तब वह तुरन्त सिपाहियों और सूबेदारों को लेकर उनके पास नीचे दौड़ आया; और उन्होंने सैन्य-दल के सरदार को और सिपाहियों को देखकर पौलुस को मारना-पीटना रोक दिया। 33 तब सैन्य-दल के सरदार ने पास आकर उसे पकड़ लिया; और दो जंजीरों से बाँधने की आज्ञा देकर पूछने लगा, “यह कौन है, और इसने क्या किया है?”

34 परन्तु भीड़ में से कोई कुछ और कोई कुछ चिल्लाते रहे और जब हुल्लड़ के मारे ठीक सच्चाई न जान सका, तो उसे गढ़ में ले जाने की आज्ञा दी। 35 जब वह सीढ़ी पर पहुँचा, तो ऐसा हुआ कि भीड़ के दबाव के मारे सिपाहियों को उसे उठाकर ले जाना पड़ा। 36 क्योंकि लोगों की भीड़ यह चिल्लाती हुई उसके पीछे पड़ी, “उसका अन्त कर दो।”

37 जब वे पौलुस को गढ़ में ले जाने पर थे, तो उसने सैन्य-दल के सरदार से कहा, “क्या मुझे आज्ञा है कि मैं तुझ से कुछ कहूँ?” उसने कहा, “क्या तू यूनानी जानता है? 38 क्या तू वह मिस्री नहीं, जो इन दिनों से पहले बलवाई बनाकर चार हजार हथियारबंद लोगों को जंगल में ले गया?”

39 पौलुस ने कहा, “मैं तो तरसुस का यहूदी मनुष्य हूँ! किलिकिया के प्रसिद्ध नगर का निवासी हूँ। और मैं तुझ से विनती करता हूँ, कि मुझे लोगों से बातें करने दे।” 40 जब उसने आज्ञा दी, तो पौलुस ने सीढ़ी पर खड़े होकर लोगों को हाथ से संकेत किया। जब वे चुप हो गए, तो वह इब्रानी भाषा में बोलने लगा:



Acts 21:1

जब हमने......अलग होकर

"हमने" का आशय लुका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है।

सीधे मार्ग से कोस में आए

“सीधे कोस में आये” या फिर, “हम सीधे कोस नगर में गए”

कोस

कोस एक यूनानी द्वीप दक्षिण एजियन सागर क्षेत्र में आधुनिक दीन के तुर्की के तट पर है।

रुदुस में

रुदुस एक यूनानी टापू है जो आधुनिक तुर्की के तट से दूर दक्षिण एजियन समुद्र क्षेत्र, कोस के दक्षिण व क्रेते के उत्तरपूर्व में है.

पतरा

पतरा भूमध्यसागर के क्षेत्र में एजियन समुद्र के दक्षिण में आधुनिक तुर्की के दक्षिण पश्चिमी तट पर स्थित है

Acts 21:3

में उतरे

“उतरे” शब्द में बहुवचन का संकेत है जिसका आशय लूका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है

बाएँ हाथ छोड़ा

“टापू की बाईं ओर से गए”

उन्होंने आत्मा के सिखाए पौलुस से कहा

“उन्होंने (चेलों ने) पौलुस को बताया कि परमेश्वर ने उन पर क्या उद्घाटित किया है"

Acts 21:5

जब वे दिन पूरे हो गए

“जब चलने/प्रस्थान करने का समय आया”

और सब

“सब” का आशय सूर के विश्वासियों से है। लूका आगे कहता है कि “सब” स्त्रियों और बालकों समेत

एक दूसरे से विदा होकर

मित्रों से विदाई ली

Acts 21:7

जब हम सूर से जलयात्रा पूरी करके

“हम” शब्द से आशय लूका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है

तुलिमयिस में पहुंचे

तुलिमयिस दक्षिण के सूर, लेबनान के एक शहर था। आधुनिक दिन एकड़ इस्राएल है

सातों में से एक था

प्रेरितों के पिछले अध्यायों में विधवाओं में भोजन व सहायता बांटने के लिए चुने गए सात लोगों में से एक

उसके यहाँ रहे

"फिलिप्पुस"

चार कुंवारी पुत्रियाँ थीं; जो भविष्यद्वाणी करती थीं

"चार कुंवारी बेटियाँ थीं, जो परमेश्वर से उसके सन्देश को प्राप्त कर लोगों को सुनाने के लिए जानी जाती थीं।"

Acts 21:10

एक भविष्यद्वक्ता

यह व्यक्ति परमेश्वर से सन्देश प्राप्त कर उसे लोगों को सुनाने के लिए जाना जाता था।

अगबुस नामक

अगबुस यहूदिया का निवासी था।

पौलुस का कटिबंध लिया

“पौलुस की कमर से उसका कटिबंध निकला”

और अपने हाथ पाँव बांधकर

अर्थात “पौलुस की कटिबंध से”

के हाथ में सौपेंगे

“के आगे डाल देंगे” या फिर, “के हाथों में दे देंगे”

के हाथ में

“कानूनी हिरासत में”। अन्यजातीय लोग पौलुस को गिरफ्तार कर अपनी हिरासत में ले लेंगे।

Acts 21:15

हमने तैयारी की और

"हमने" शब्द लूका, पौलुस और उसके साथ के लोग के सन्दर्भ में है।

को साथ ले आये

को साथ ले आये में बहुवचन का संकेत है। साथ लानेवाले ये लोग कैसरिया के चेले थे

नासोन नामक साइप्रस

नासोन साइप्रस द्वीप का एक मनुष्य था।

एक पुराने चेले

“विश्वासियों के प्रथम समूह से एक विश्वासी”

Acts 21:17

भाई बड़े आनंद के साथ हम से मिले

बड़े सताव के बाद यरूशलेम में रह गए यहूदी विश्वासी लोग।

तब उसने उन्हें नमस्कार करके.......एक-एक करके सबको बताया

“प्राचीनों का अभिनन्दन करने के बाद पौलुस ने...एक-एक करके सबको बताया” या फिर, “प्राचीनों का अभिनन्दन करने के बात, पौलुस ने बताया”

उसकी सेवकाई

“पौलुस ने अपनी सेवकाई”

एक-एक करके सबको बताया

“पौलुस ने परमेश्वर द्वारा किये कार्यों का विस्तार से ब्यौरा दिया”

Acts 21:20

उन्होंने यह सुनकर परमेश्वर की महिमा की, फिर उससे कहा

“यह सुनकर प्राचीनों ने परमेश्वर की महिमा कि, और पौलुस से बोले”

सब व्यवस्था के लिए धुन लगाए हैं

“यहूदी विश्वासी धुन लगाए हैं”

उनको तेरे विषय में सिखाया गया है

"लोगों ने यहूदी विश्वसिओं को बताया"

कि तू....सिखाता है

“कि तू……….से कहता है कि”

Acts 21:22

x

यरूशलेम के प्राचीन पौलुस से अपनी बात कहना जारी रखते हैं।

चार मनुष्य है, जिन्होंने मन्नत मानी है

यह किसी निश्चित अवधि के लिए शराब न पीने या बाल न काटने की मन्नत थी. वैकल्पिक अनुवाद: “चार मनुष्य हैं, जिन्होंने परमेश्वर से मन्नत मानी थी”

उनके लिए खर्चा दें

नर और मादा मेम्नें, एक मेंढा, और अन्न व पेय बलिदान की खरीद पर होने वाले खर्च के लिए. वैकल्पिक अनुवाद: “उनकी ज़रुरत की खरीद के भुगतान के लिए”

व्यवस्था को मान कर

“मूसा की व्यवस्था और यहूदी रीतियों के अनुसार जीवन को जीता है”

Acts 21:25

x

यरूशलेम के प्राचीन पौलुस से अपनी बातचीत जारी रखते हैं।

हमने यह निर्णय लिख भेजा है

"हमने" पुरनियों से है।

गला घोंटे हुओं के मांस से

“वे जानवर जिन्हें खाने के लिए उनका रक्त बहाए बिना ही मारा गया है”

उनके साथ शुद्ध होकर

मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करने से पहले यहूदियों को विधिपूर्वक स्वयं की शुद्धि करनी होती थी। यह गैर-यहूदियों से संपर्क से शुद्धि थी।

शुद्ध होने के दिन

यह लोगों की मन्नतों से जुड़ी शुद्धिकरण की प्रक्रिया थी, और यह मंदिर प्रांगण में प्रवेश से पूर्व विधिपूर्वक की जानेवाली शुद्धि से बिलकुल थी।

चढ़ाव चढ़ाए जाने तक

“उनके द्वारा चढ़ावे में जानवर की भेंट चढ़ाए जाने तक”

Acts 21:27

सब लोगों को भड़काया

“एक बड़ी भीड़ द्वारा विरोध शुरू करवाया”

उसको पकड़ लिया

“उसे हाथों से पकड़ लिया”

यहाँ तक कि यूनानियों को भी मंदिर में ले आये

मंदिर के भीतरी गृह में जाने की अनुमति केवल यहूदी पुरुषों को थी।

त्रुफिमुस

यह एक यूनानी था जिसे मंदिर के भीतरी गृह में लाने का दोष पौलुस पर लगा था

Acts 21:30

तब सारे नगर में कोलाहल मच गया

“तब नगर के बहुत से लोग पौलुस पर क्रोधित हो उठे”

तुरंत द्वार बंद कर दिए गए

"पौलुस के बाहर निकने के बाद निकलने के बाद रखवालों ने मन्दिर का द्वारा तुरंत बंद कर दिया। "यहूदियों ने मन्दिर का द्वार तुरंत बंद कर दिया।"

पलटन के सरदार

लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी

यरूशलेम में कोलाहल मच रहा है

“यरूशलेम के बहुत से लोग कोलाहल मचा रहे हैं।” घटना से उत्पन्न हुए तनाव को व्यक्त करने के लिए अतिशयोक्ति का प्रयोग किया गया ही।

Acts 21:32

तब वह तुरंत

तब पलटन का सरदार तुरंत

नीचे दौड़ आया

गढ़ से नीचे गृह की ओर जाती हुई सीढियां हैं

पलटन के सरदार

लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी

ने पास आकर उसे पकड़ लिया

“पौलुस को अपनी गिरफ्त में ले लिया” या फिर, “पौलुस को गिरफ्तार कर लिया”

Acts 21:34

पलटन के सरदार

लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी

उसे गढ़ ले जाने की

गढ़ सेना द्वारा सुरक्षित ईमारत को कहते हैं

जब वह सीढ़ी पर पहुंचा,

"जब पौलुस पर पहुंचा तो सिपाहियों उसे ले गए"

उसका अंत कर दो

"उसे मार डाला।" भीड़ ने विनम्र भाषा में पौलुस की मृत्यु की मांग की।

Acts 21:37

जब वे पौलुस को गढ़ में ले जाने पर थे

"जब सिपाहियों पौलुस को ला रहे थे

गढ़

जैसा आपने पूर्व पद में किया है

पलटन के सरदार

लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी

“क्या तू यूनानी जानता है? क्या तू वह मिस्री तो नहीं, जो इन दिनों से पहले बलवाई बनाकर चार हज़ार कटिबंध लोगों को जंगल में ले गया?

"सेना का सरदार इन प्रश्नों द्वारा अपने आश्चर्यता को प्रकट करता है। पौलुस ओ नहीं है जो वह समझता हैं।

क्या तू वह मिस्री नहीं

पौलुस के आगमन से कुछ समय पहले एक अज्ञात मिस्री व्यक्ति ने यरूशलेम में रोम के विरुद्ध द्रोह की शुरुआत की थी। बाद में वह “जंगल में भाग गया था, और सरदार सोच रहा था कि कहीं पौलुस ही वह व्यक्ति तो नहीं।

चार हज़ार कटिबंध

“4000 लोग जिन्होंने अपने से भिन्न मत रखनेवालों को मार डालते थे।”

Acts 21:39

मैं तुझसे विनती करता हूँ

"मेरा तुझसे विनती है" or "“मेरा तुझसे निवेदन है”"

करने दे

“कृपया मुझे.....करने दे”

पलटन के सरदार

अर्थात पलटन के सरदार ने।

पौलुस ने सीढ़ी पर खड़े होकर

अर्थात गढ़ की सीढ़ियों पर खड़े होकर


Translation Questions

Acts 21:4

पौलुस को सूर के चेलों ने पवित्र आत्मा के द्वारा क्या कहा?

चेलों ने आत्मा के सिखाए पौलुस को कहा कि वहां पाँव मत रखना।

Acts 21:11

अगबुस नामक भविष्यद्वक्ता ने पौलुस को क्या कहा?

अगबुस ने बताया कि यरूशलेम में यहूदी पौलुस को बांधेंगे और उसे अन्यजातियों के हवाले कर देंगे।

Acts 21:13

जब हर एक ने पौलुस से यरूशलेम न जाने की विनती की तो पौलुस ने क्या कहा?

पौलुस ने कहा कि वह प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिए यरूशलेम में न केवल बांधे जाने वरन मरने के लिए भी तैयार है।

Acts 21:18

यरूशलेम में आकर पौलुस किसे को मिला?

पौलुस याकूब और प्राचीनों से मिला।

Acts 21:21

पौलुस के विरोध में यहूदियों ने क्या आरोप लगाए थे?

यहूदियों ने पौलुस पर अन्यजातियों के मध्य रहते यहूदियों को मूसा से फिर जाने का आरोप लगाया।

Acts 21:24

याकूब और प्राचीनों ने पौलुस को जिन चार मनुष्यों ने मन्नत मांगी थी उनके साथ जाकर अपने आप को शुद्ध करने के लिए क्यों कहा?

वे चाहते थे कि सब जान जाएं कि पौलुस एक यहूदी के रूप में व्यवस्था को मानकर उसके अनुसार चलता है।

Acts 21:25

याकूब के अनुसार विश्वासी अन्यजातियों को क्या करना चाहिए था?

याकूब ने कहा कि अन्यजातियों को मूर्तियों के सामने बलि किए हुए मांस से, और लहू से, गला घोंटे हुओं के मांस से,और व्यभिचार से बचे रहें।

Acts 21:28

आसिया के कुछ यहूदियों ने पौलुस के विरोध में मंदिर में क्या आरोप लगाए?

यहूदियों ने पौलुस को व्यवस्था के विपरीत और यूनानियों को मन्दिर में ला कर मन्दिर को अपवित्र करने का आरोप लगाया।

Acts 21:31

आरोप लगाने के पश्चात् यहूदियों ने पौलुस के साथ क्या किया?

यहूदी पौलुस को मंदिर के बाहर घसीट कर लाए और उसे मारने की कोशिश की।

Acts 21:33

जब पलटन के सरदार के पास सन्देश पंहुचा कि सारे यरूशलेम में कोलाहल मच गया है तो उसने क्या किया?

पलटन के सरदार ने पौलुस को पकड़ लिया और उसे दो जंजीरों से बाँधने की आज्ञा देकर पूछने लगा कि यह कौन है और इसने क्या किया है।

Acts 21:36

जब सिपाही पौलुस को गढ़ में ले जाने लगे तो भीड़ क्या चिल्ला रही थी?

भीड़ चिल्ला रही थी,"उसका अन्त कर दो!"

Acts 21:39

पौलुस ने पलटन के सरदार से क्या विनती की?

पौलुस ने विनती की कि उसे लोगों से बात करने की आज्ञा दी जाए।

Acts 21:40

पौलुस ने यरूशलेम के लोगों से किस भाषा में बात की?

पौलुस ने इब्रानी भाषा में यरूशलेम के लोगों से बात की।


Chapter 22

1 “हे भाइयों और पिताओं, मेरा प्रत्युत्तर सुनो, जो मैं अब तुम्हारे सामने कहता हूँ।”

2 वे यह सुनकर कि वह उनसे इब्रानी भाषा में बोलता है, वे चुप रहे। तब उसने कहा:

3 “मैं तो यहूदी शिक्षा पाए हूँ, जो किलिकिया के तरसुस में जन्मा; परन्तु इस नगर में गमलीएल* के पाँवों के पास बैठकर शिक्षा प्राप्त की, और पूर्वजों की व्यवस्था भी ठीक रीति पर सिखाया गया; और परमेश्‍वर के लिये ऐसी धुन लगाए था, जैसे तुम सब आज लगाए हो। 4 मैंने पुरुष और स्त्री दोनों को बाँधकर, और बन्दीगृह में डालकर, इस पंथ को यहाँ तक सताया, कि उन्हें मरवा भी डाला। 5 स्वयं महायाजक और सब पुरनिए गवाह हैं; कि उनमें से मैं भाइयों के नाम पर चिट्ठियाँ लेकर दमिश्क को चला जा रहा था, कि जो वहाँ हों उन्हें दण्ड दिलाने के लिये बाँधकर यरूशलेम में लाऊँ।

6 “जब मैं यात्रा करके दमिश्क के निकट पहुँचा, तो ऐसा हुआ कि दोपहर के लगभग अचानक एक बड़ी ज्योति आकाश से मेरे चारों ओर चमकी। 7 और मैं भूमि पर गिर पड़ा: और यह वाणी सुना, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?’ 8 मैंने उत्तर दिया, ‘हे प्रभु, तू कौन है?’ उसने मुझसे कहा, ‘मैं यीशु नासरी हूँ, जिसे तू सताता है।’

9 और मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, परन्तु जो मुझसे बोलता था उसकी वाणी न सुनी। 10 तब मैंने कहा, ‘हे प्रभु, मैं क्या करूँ?’ प्रभु ने मुझसे कहा, ‘उठकर दमिश्क में जा, और जो कुछ तेरे करने के लिये ठहराया गया है वहाँ तुझे सब बता दिया जाएगा।’ 11 जब उस ज्योति के तेज के कारण मुझे कुछ दिखाई न दिया, तो मैं अपने साथियों के हाथ पकड़े हुए दमिश्क में आया।

12 “तब हनन्याह नाम का व्यवस्था के अनुसार एक भक्त मनुष्य, जो वहाँ के रहनेवाले सब यहूदियों में सुनाम था, मेरे पास आया, 13 और खड़ा होकर मुझसे कहा, ‘हे भाई शाऊल, फिर देखने लग।’ उसी घड़ी मेरी आँखें खुल गई और मैंने उसे देखा।

14 तब उसने कहा, ‘हमारे पूर्वजों के परमेश्‍वर ने तुझे इसलिए ठहराया है कि तू उसकी इच्छा को जाने, और उस धर्मी को देखे, और उसके मुँह से बातें सुने। 15 क्योंकि तू उसकी ओर से सब मनुष्यों के सामने उन बातों का गवाह होगा, जो तूने देखी और सुनी हैं। 16 अब क्यों देर करता है? उठ, बपतिस्मा ले, और उसका नाम लेकर*अपने पापों को धो डाल।’ (योए. 2:32)

17 “जब मैं फिर यरूशलेम में आकर मन्दिर में प्रार्थना कर रहा था, तो बेसुध हो गया। 18 और उसको देखा कि मुझसे कहता है, ‘जल्दी करके यरूशलेम से झट निकल जा; क्योंकि वे मेरे विषय में तेरी गवाही न मानेंगे।’

19 मैंने कहा, ‘हे प्रभु वे तो आप जानते हैं, कि मैं तुझ पर विश्वास करनेवालों को बन्दीगृह में डालता और जगह-जगह आराधनालय में पिटवाता था। 20 और जब तेरे गवाह स्तिफनुस का लहू बहाया जा रहा था तब भी मैं वहाँ खड़ा था, और इस बात में सहमत था, और उसके हत्यारों के कपड़ों की रखवाली करता था।’ 21 और उसने मुझसे कहा, ‘चला जा: क्योंकि मैं तुझे अन्यजातियों के पास दूर-दूर भेजूँगा’।”

22 वे इस बात तक उसकी सुनते रहे; तब ऊँचे शब्द से चिल्लाए, “ऐसे मनुष्य का अन्त करो; उसका जीवित रहना उचित नहीं!” 23 जब वे चिल्लाते और कपड़े फेंकते और आकाश में धूल उड़ाते थे*; 24 तो सैन्य-दल के सूबेदार ने कहा, “इसे गढ़ में ले जाओ; और कोड़े मारकर जाँचो, कि मैं जानूँ कि लोग किस कारण उसके विरोध में ऐसा चिल्ला रहे हैं।”

25 जब उन्होंने उसे तसमों से बाँधा तो पौलुस ने उस सूबेदार से जो उसके पास खड़ा था कहा, “क्या यह उचित है, कि तुम एक रोमी मनुष्य को, और वह भी बिना दोषी ठहराए हुए कोड़े मारो?” 26 सूबेदार ने यह सुनकर सैन्य-दल के सरदार के पास जाकर कहा, “तू यह क्या करता है? यह तो रोमी मनुष्य है।”

27 तब सैन्य-दल के सरदार ने उसके पास आकर कहा, “मुझे बता, क्या तू रोमी है?” उसने कहा, “हाँ।” 28 यह सुनकर सैन्य-दल के सरदार ने कहा, “मैंने रोमी होने का पद बहुत रुपये देकर पाया है।” पौलुस ने कहा, “मैं तो जन्म से रोमी हूँ।” 29 तब जो लोग उसे जाँचने पर थे, वे तुरन्त उसके पास से हट गए; और सैन्य-दल का सरदार भी यह जानकर कि यह रोमी है, और उसने उसे बाँधा है, डर गया।

30 दूसरे दिन वह ठीक-ठीक जानने की इच्छा से कि यहूदी उस पर क्यों दोष लगाते हैं, इसलिए उसके बन्धन खोल दिए; और प्रधान याजकों और सारी महासभा को इकट्ठे होने की आज्ञा दी, और पौलुस को नीचे ले जाकर उनके सामने खड़ा कर दिया।



Acts 22:1

x

पौलुस भीड़ को संबोधित करता है

हे भाइयों और पितरों

अपने बराबर और अपने से बड़े पुरुषों को आदरपूर्वक संबोधित कर रहा है

मेरा प्रत्युत्तर सुनो

“कृपया मेरा प्रत्युत्तर सुनो”

जो मैं अब तुम्हारे सामने कहता हूँ

“जो मैं अब तुम्हारे सामने रखता हूँ”

इब्रानी भाषा में

“उनकी इब्रानी भाषा में”

Acts 22:3

x

पौलुस भीड़ से अपनी बात जारी रखता है।

इस नगर में गमलीएल के पांवों के बैठकर पढ़ाया गया

“यरूशलेम में गमलीएल रब्बी का विद्यार्थी था”

बापदादों की व्यवस्था भी ठीक रीति पर सिखाया गया

"उन्होंने मुझे हमारे पूर्वजों के व्यवस्था के सख्त तरीके के अनुसार निर्देश दिए" या "जो निर्देश सटीक रूप से बापदादों की व्यवस्था से था।"

परमेश्वर के लिए ऐसी धुन लगाए था

“परमेश्वर की इच्छा के प्रति मैं अपने मन में बहुत गहराई से महसूस करता हूँ और उसके अनुसार करता हूँ” या फिर, “मैं परमेश्वर की सेवक को तत्पर हूँ”

जैसे तुम सब आज लगाए हो

“जिस रीति से आज तुम सब रहते हो” या फिर, “जैसे कि आज तुम हो।” पौलुस यहाँ स्वयं की तुलना भीड़ से कर रहा है।

इस पंथ को

पिन्तेकुस्त के बाद यरूशलेम में विश्वासियों की स्थानीय देह को “पंथ” का नाम दिया गया था।

मरवा भी डाला

पौलुस पंथ के अनुयायियों को मार डालने को भी तैयार था

गवाही देकर

“पुरनिये इसकी गवाही देते हैं” या “प्रमाणित करते हैं”

भाइयों के नाम पर चिट्ठियाँ लेकर

“महा याजक और प्राचीनों से चिट्ठियां लेकर”

बांधकर यरूशलेम वापिस ले आऊं

“मुझे आदेश था कि मैं उन्हें कड़ियों में बाँध कर यरूशलेम वापिस ले आऊँ”

Acts 22:9

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

यह शब्द सुना

“यीशु की आवाज़ सुनी”

उस ज्योति के तेज के कारण कुछ दिखाई न दिया

“ज्योति के तेज़ के कारण मैं अँधा हो गया।”

Acts 22:12

x

गढ़ की सीढ़ियों पर खड़ी यहूदियों की भीड़ से पौलुस अपनी बात जारी रखता है

व्यवस्था के अनुसार एक भक्त मनुष्य

परमेश्वर की व्यवस्था का हनन्याह बहुत गंभीरता से पालन करता था

सुनाम था

“लोगों के बीच उसकी छवि बहुत अच्छी थी”

उसी घड़ी

“तुरंत ही” या फिर, “तभी के तभी।” यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है जो कुछ तुरंत होता है

Acts 22:14

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

तब उसने कहा

“तब हनन्याह ने कहा”"

उसकी इच्छा

“परमेश्वर की इच्छा को”

अब क्यों देर करता है?

वैकल्पिक अनुवाद: "इंतजार नहीं करना!" या " "देरी मत करो!" (यू.डी.बी). यह एक आलंकारिक प्रश्न है.

पापों को धो डाल

जैसे अपने शरीर को धोने से शरीर की बहरी गंदगी हो हटाता है, यीशु मसीह का नाम पाप की क्षमा के लिए पुकारने से आंतरिक शुद्धिकरण होता है।" अपने पापों के लिए क्षमा मांगे"

Acts 22:17

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

बेसुध हो गया

“मुझे एक दर्शन दिखाई दिया” या फिर, “परमेश्वर ने मुझे एक दर्शन दिखाया”

और उसको देखा कि मुझसे कहता है

“और यीशु को देखा जो मुझसे कहता था कि”

वे........न मानेंगे

“यरूशलेम वासी .....न मानेंगे”

Acts 22:19

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

वे तो आप ही जानते हैं

यरूशलेम के अविश्वासी यहूदी तो स्वयं जानते हैं

पिटवाता था

“उन्हें कोड़े पड़वाने की सज़ा करवाता था”

जगह-जगह आराधनालय में

पौलुस, यरूशलेम के हर आराधनालय में उपस्थित यहूदी विश्वासियों को ढूंढता फिरता था

स्तिफनुस का लहू बहाया जा रहा था

किसी को निर्मम रीति से तब तक पीटना जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।

Acts 22:22

ऐसे मनुष्य का अंत करो

“इसे मार डालो”

इसे गढ़ में ले जाओ

"सिपाहियों को निर्देश दिए की पौलुस को लाए"(देखें: [[rc://*/ta/संस्क2/अनुवाद/अंजीर-सक्रियनिष्क्रिय]]

गढ़

पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

कि मैं जानूं

“कि सूबेदार स्वयं जान ले कि”

Acts 22:25

तसमों में

ये चमड़े और जानवर के भीतरी अंगों से बनी पट्टियां थीं

“क्या यह उचित है कि तुम एक रोमी मनुष्य को, और वह भी बिना दोषी ठहराए हुए कोड़े मारो?”

यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है, जिसके द्वारा सरदार को पौलुस को कोड़े लगवाने की आज्ञा पर विचार करने को प्रेरित किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद : “यह उचित नहीं है कि तुम एक रोमी, और वह भी बिना दोषी ठहराए कोड़े मारो!”

“तू यह क्या करता है?”

यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है, जिसके द्वारा सरदार को पौलुस को कोड़े लगवाने की आज्ञा पर विचार करने को प्रेरित किया गया है। इसका आशय है, “तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए!”

Acts 22:27

उससे कहा

सरदार ने पौलुस से कहा

मैंने रोमी होने का पद बहुत रुपये देकर पाया है”

“मैंने रोमी नागरिकता बहुत रूपये देकर पाई है” या फिर, “मैं बहुत रुपये देकर रोमी नागरिक हुआ हूँ।”

“मैं तो जन्म से रोमी हूँ”

“मैं तो रोमी नागरिकों के परिवार में जन्मा हूँ, इसलिए जन्म से रोमी हूँ।”

जो लोग उसे जांचने पर थे

“जो लोग उसे जांचने की सोंच रहे थे” या कि, “जो लोग उसे जांचने की तैयारी कर रहे थे”

Acts 22:30

पलटन के सरदार

लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी

और पौलुस को नीचे ले जाकर

गढ़ से नीचे मंदिर के प्रांगण की ओर सीढियां जाती हैं।


Translation Questions

Acts 22:2

जब भीड़ ने पौलुस को इब्रानी में बात करते सुना, तो उन्होंने क्या किया?

पौलुस को इब्रानी भाषा में बोलते देख वे चुप हो गए।

Acts 22:3

पौलुस ने अपनी शिक्षा कहाँ पाई थी, उसका शिक्षक कौन था?

पौलुस ने यरूशलेम में शिक्षा पाई, और गमलीएल उसका शिक्षक था।

Acts 22:4

पौलुस ने व्यवस्था पर चलने वाले लोगों के साथ कैसा बर्ताव किया?

पौलुस ने व्यवस्था पर चलने वालों को सताव करके मरवा डाला और बंदीगृह में भिजवाया।

Acts 22:7

दमिश्क के निकट पौलुस को आकाश से चमकती ज्योति ने क्या कहा?

आवाज ने शाऊल से कहा, "हे शाऊल, हे शाऊल तू मुझे क्यों सताता है? "

Acts 22:8

पौलुस किसे सताया करता था?

पौलुस यीशु नासरी को सताया करता था।

Acts 22:11

पौलुस देख क्यों नहीं पा रहा था?

पौलुस उस ज्योति के तेज के कारण जो उसने दमिश्क के निकट आते हुए देखी थी, कुछ नहीं देख पा रहा था।

Acts 22:12

पौलुस को अपनी आँखों की ज्योति कैसे वापिस मिली?

हनन्याह नाम का व्यवस्था के अनुसार का एक भक्त आया और खड़ा होकर उससे कहा,“हे भाई शाऊल, फिर देखने लग”।

Acts 22:16

हनन्याह ने पौलुस को उठ कर क्या करने के लिए कहा और क्यों?

हनन्याह ने पौलुस को उठ कर बप्तिस्मा लेने और अपने पापों को धो डालने के लिए कहा।

Acts 22:18

जब यीशु ने पौलुस से मंदिर में बात की, तो उसने क्या बताया कि यहूदी पौलुस की यीशु के विषय में गवाही पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे?

यीशु ने कहा कि यहूदी यीशु के विषय में पौलुस की गवाही पर विश्वास नहीं करेंगे।

Acts 22:21

यीशु ने पौलुस को किस के पास भेजा?

यीशु ने पौलुस को अन्यजातियों के पास भेजा।

Acts 22:23

पौलुस को अन्यजातियों के विषय में बात करते सुन कर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया की?

लोग चिल्लाते और कपड़े फेंकते, आकाश में धूल उड़ाते थे।

Acts 22:25

इससे पूर्व कि वे पौलुस को कोड़े मारते उसने उनसे क्या प्रश्न किया?

पौलुस ने उनसे कहा, "क्या यह उचित है, कि तुम एक रोमी मनुष्य को, और वह भी बिना दोषी ठहराए हुए कोड़े मारो?"

Acts 22:28

पौलुस रोमी नागरिक कैसे बना था?

पौलुस जन्म से रोमी था।

Acts 22:30

यह जानने के पश्चात् कि पौलुस एक रोमी नागरिक है पलटन के सरदार ने क्या किया?

पलटन के सरदार ने उसके सारे बन्धन खोल दिए, और महायाजकों की सारी महासभा इकट्ठी होने की आज्ञा दी,और पौलुस को उनके मध्य खड़ा कर दिया।


Chapter 23

1 पौलुस ने महासभा की ओर टकटकी लगाकर देखा, और कहा, “हे भाइयों, मैंने आज तक परमेश्‍वर के लिये बिलकुल सच्चे विवेक से जीवन बिताया है।” 2 हनन्याह महायाजक ने, उनको जो उसके पास खड़े थे, उसके मुँह पर थप्पड़ मारने की आज्ञा दी। 3 तब पौलुस ने उससे कहा, “हे चूना फिरी हुई भीत, परमेश्‍वर तुझे मारेगा। तू व्यवस्था के अनुसार मेरा न्याय करने को बैठा है, और फिर क्या व्यवस्था के विरुद्ध मुझे मारने की आज्ञा देता है?” (लैव्य. 19:15, यहे. 13:10-15)

4 जो पास खड़े थे, उन्होंने कहा, “क्या तू परमेश्‍वर के महायाजक को बुरा-भला कहता है?” 5 पौलुस ने कहा, “हे भाइयों, मैं नहीं जानता था, कि यह महायाजक है; क्योंकि लिखा है,

     ‘अपने लोगों के प्रधान को बुरा न कह’।” (निर्ग. 22:28)

6 तब पौलुस ने यह जानकर, कि एक दल सदूकियों और दूसरा फरीसियों का हैं, महासभा में पुकारकर कहा, “हे भाइयों, मैं फरीसी और फरीसियों के वंश का हूँ, मरे हुओं की आशा और पुनरुत्थान के विषय में मेरा मुकद्दमा हो रहा है।” 7 जब उसने यह बात कही तो फरीसियों और सदूकियों में झगड़ा होने लगा; और सभा में फूट पड़ गई। 8 क्योंकि सदूकी तो यह कहते हैं, कि न पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा है; परन्तु फरीसी इन सबको मानते हैं।

9 तब बड़ा हल्ला मचा और कुछ शास्त्री जो फरीसियों के दल के थे, उठकर यों कहकर झगड़ने लगे, “हम इस मनुष्य में कुछ बुराई नहीं पाते; और यदि कोई आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है तो फिर क्या?” 10 जब बहुत झगड़ा हुआ, तो सैन्य-दल के सरदार ने इस डर से कि वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें, सैन्य-दल को आज्ञा दी कि उतरकर उसको उनके बीच में से जबरदस्ती निकालो, और गढ़ में ले आओ।

11 उसी रात प्रभु ने उसके पास आ खड़े होकर कहा, “हे पौलुस, धैर्य रख; क्योंकि जैसी तूने यरूशलेम में मेरी गवाही दी, वैसी ही तुझे रोम में भी गवाही देनी होगी।”

12 जब दिन हुआ, तो यहूदियों ने एका किया, और शपथ खाई कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, यदि हम खाएँ या पीएँ तो हम पर धिक्कार। 13 जिन्होंने यह शपथ खाई थी, वे चालीस जन से अधिक थे।

14 उन्होंने प्रधान याजकों और प्राचीनों के पास आकर कहा, “हमने यह ठाना है कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, तब तक यदि कुछ भी खाएँ, तो हम पर धिक्कार है। 15 इसलिए अब महासभा समेत सैन्य-दल के सरदार को समझाओ, कि उसे तुम्हारे पास ले आए, मानो कि तुम उसके विषय में और भी ठीक से जाँच करना चाहते हो, और हम उसके पहुँचने से पहले ही उसे मार डालने के लिये तैयार रहेंगे।”

16 और पौलुस के भांजे ने सुना कि वे उसकी घात में हैं, तो गढ़ में जाकर पौलुस को सन्देश दिया। 17 पौलुस ने सूबेदारों में से एक को अपने पास बुलाकर कहा, “इस जवान को सैन्य-दल के सरदार के पास ले जाओ, यह उससे कुछ कहना चाहता है।”

18 अतः उसने उसको सैन्य-दल के सरदार के पास ले जाकर कहा, “बन्दी पौलुस ने मुझे बुलाकर विनती की, कि यह जवान सैन्य-दल के सरदार से कुछ कहना चाहता है; इसे उसके पास ले जा।” 19 सैन्य-दल के सरदार ने उसका हाथ पकड़कर, और उसे अलग ले जाकर पूछा, “तू मुझसे क्या कहना चाहता है?”

20 उसने कहा, “यहूदियों ने एका किया है, कि तुझ से विनती करें कि कल पौलुस को महासभा में लाए, मानो तू और ठीक से उसकी जाँच करना चाहता है। 21 परन्तु उनकी मत मानना, क्योंकि उनमें से चालीस के ऊपर मनुष्य उसकी घात में हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि जब तक वे पौलुस को मार न डालें, तब तक न खाएँगे और न पीएँगे, और अब वे तैयार हैं और तेरे वचन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

22 तब सैन्य-दल के सरदार ने जवान को यह निर्देश देकर विदा किया, “किसी से न कहना कि तूने मुझ को ये बातें बताई हैं।”

23 उसने तब दो सूबेदारों को बुलाकर कहा, “दो सौ सिपाही, सत्तर सवार, और दो सौ भालैत को कैसरिया जाने के लिये तैयार कर रख, तू रात के तीसरे पहर को निकलना।” 24 और पौलुस की सवारी के लिये घोड़े तैयार रखो कि उसे फेलिक्स राज्यपाल* के पास सुरक्षित पहुँचा दें।”

25 उसने इस प्रकार की चिट्ठी भी लिखी:

26 “महाप्रतापी फेलिक्स राज्यपाल को क्लौदियुस लूसियास को नमस्कार; 27 इस मनुष्य को यहूदियों ने पकड़कर मार डालना चाहा, परन्तु जब मैंने जाना कि वो रोमी है, तो सैन्य-दल लेकर छुड़ा लाया।

28 और मैं जानना चाहता था, कि वे उस पर किस कारण दोष लगाते हैं, इसलिए उसे उनकी महासभा में ले गया। 29 तब मैंने जान लिया, कि वे अपनी व्यवस्था के विवादों के विषय में उस पर दोष लगाते हैं, परन्तु मार डाले जाने या बाँधे जाने के योग्य उसमें कोई दोष नहीं। 30 और जब मुझे बताया गया, कि वे इस मनुष्य की घात में लगे हैं तो मैंने तुरन्त उसको तेरे पास भेज दिया; और मुद्दइयों को भी आज्ञा दी, कि तेरे सामने उस पर आरोप लगाए।”

31 अतः जैसे सिपाहियों को आज्ञा दी गई थी, वैसे ही पौलुस को लेकर रातों-रात अन्तिपत्रिस में लाए। 32 दूसरे दिन वे सवारों को उसके साथ जाने के लिये छोड़कर आप गढ़ को लौटे। 33 उन्होंने कैसरिया में पहुँचकर राज्यपाल को चिट्ठी दी; और पौलुस को भी उसके सामने खड़ा किया।

34 उसने पढ़कर पूछा, “यह किस प्रदेश का है?” 35 और जब जान लिया कि किलिकिया का है; तो उससे कहा, “जब तेरे मुद्दई भी आएँगें, तो मैं तेरा मुकद्दमा करूँगा।” और उसने उसे हेरोदेस के किले में, पहरे में रखने की आज्ञा दी।



Acts 23:1

हे चूना फिरी हुई भीत

दीवारों को सफ़ेद रंग से रंगने का अभ्यास ताकि वे साफ़-सुथरी दिखें। जिस प्रकार दीवार की सुन्दरता बढाने के लिए उसे रंगा जाता है, उसी प्रकार, एक व्यक्ति भीतर से बुरा होते हुए भी बाहर से भला दिख सकता है।

मुझे मारने की आज्ञा देता है

“लोगों के मुझे मारने की आज्ञा देता है” या फिर, “इन लोगों से मुझे मारने को कहता है”

Acts 23:4

क्या तू परमेश्वर के महायाजक बुरा-भला कहता है

लोगों ने पौलुस को उसकी कही बातों के कारण फटकारते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर के महायाजक का अपमान न करों!”

हे भाइयों, मैं नहीं जानता था, कि यह महायाजक है

संभावित अर्थ: 1) “पौलुस को मालूम नहीं था कि यह एक महायाजक था क्योंकि वह महायाजक की भांति पेश नहीं आ रहा था” या फिर, 2) “पौलुस बहुत समय से यरूशलेम से दूर रहा था, और शायद इस दौरान नए महायाजक की नियुक्ति हो गयी थी और पौलुस को यह नहीं पता था।”

Acts 23:6

मेरा मुकद्दमा हो रहा है

“तुम मुझ पर मुकद्दमा करते हो”

सभा में फूट पड़ गयी

“सभा के सदस्यों में आपस में असहमति हो गयी”

न पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा है

संभावित अर्थ: 1) वे पुनरुत्थान, स्वर्गदूत या आत्मा में विश्वास नहीं करते थे या फिर, 2) उनका मानना था कि परमेश्वर लोगों को न तो स्वर्गदूत और न ही आत्मा के रूप में जिलाएगा

Acts 23:9

“और यदि कोई आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है तो फिर क्या?”

आत्मा और स्वर्गदूतों के होने की पुष्टि करने के द्वारा फरीसी लोग सदूकियों को फटकार रहे हैं। वैकल्पिक अनुवाद : “शायद आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है।”

वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें

“वे पौलुस को गंभीर रूप से घायल न कर दें”

जबरदस्ती निकालो

“पौलुस को बलपूर्वक ले गए”

गढ़ में ले आओ

यहसैनिक शक्ति और महत्व् की ईमारत है,जहाँ अकसर सिपाही रहते है, (यूडीबी)। पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

Acts 23:11

गवाही देकर

संभावित अर्थ: 1) “बोला” या “अपने उद्धार की गवाही दी या फिर, 2) उद्धार का उपदेश दिया

Acts 23:12

एका किया

“औपचारिक रूप से सहमत हुए”

चालीस जन

40 लोग

Acts 23:14

उन्होंने.......आकर कहा

“चालीस यहूदियों ने.....आकर कहा”

उसे तुम्हारे पास ले आए

“पौलुस को गढ़ से यहाँ मंदिर में परिषद के सदस्यों से मिलने के लिए ले आए”

Acts 23:16

उसकी घात में हैं

उसकी घात में हैं -वे लोग, जिन्होंने पौलुस की हत्या करने का प्रण लिया है, वे उस पर घात लगाए बैठे थे।

यह उससे कुछ कहना चाहता है

पलटन के सरदार से वह युवा कुछ कहना चाहता है

गढ़

जैसा आपने पूर्व पद में किया है

Acts 23:18

बंदी पौलुस ने मुझे बुलाकर विनती की

“बंदी पौलुस ने मुझे आकर उससे बात करने को कहा”

जवान

पलटन के सरदार ने उस जवान का हाथ पकड़ा था, इससे प्रतीत होता है कि पौलुस का वह रिश्तेदार कम उम्र का ही रहा होगा। शायद 12 से 15 साल का।

Acts 23:20

चालीस के ऊपर

“40 लोग”

उसकी घात में हैं

“पौलुस को घात करने की ताक में हैं”

Acts 23:22

दो सूबेदारों ने

दो सूबेदारों ने

सत्तर सवार

सत्तर घुड़सवार

दो सौ भालैत

भालों से लैस 200 सिपाही

पहर रात बीते

यह लगभग रात के 9:00 बजे हैं।

फेलिक्स हाकिम

फेलिक्स रोमन हाकिम है जो कैसरिया के क्षेत्र में रहता है।

Acts 23:25

फेलिक्स हाकिम

फेलिक्स पुरे क्षेत्र का रोमन हाकिम है।

मार डालना चाहा

यहूदी पौलुस मारने को तैयार थे।

पलटन लेकर छुड़ा लिया

अर्थात “पलटन लेकर उनके पास गया और उन्हें छुड़ा लिया”

Acts 23:28

x

क्लौदियुस का पत्र जारी है नोट: 26वें पद में “कौल्दियुस का” लिखा जाना चाहिए। कृपया सुधार करें

मैं जानना चाहता था

“मैं” का आशय क्लौदियुस लूसियास से है।

वे उस पर किस कारण दोष लगाते हैं

“यहूदी किस कारण पौलुस पर दोष लगाते हैं”

तब मैंने जान लिया

"बाद में मुझे पता चल गया"

Acts 23:31

अन्तिपत्रिस

हेरोदेस द्वारा उसके पिता अन्तिपतेर के सम्मान में बसाया गया नगर। यह मध्य इस्राएल में स्थित था।

Acts 23:34

और जब जान लिया कि किलिकिया का है

“जब हाकिम को पता चला कि पौलुस किलिकिया से है”

पहरे में रखने की आज्ञा दी

पहरे में रखने की आज्ञा दी -“सिपाहियों को उसे पहरे में रखने की आज्ञा दी” या फिर, “सिपाहियों को उसे अधीन रखने की आज्ञा दी”


Translation Questions

Acts 23:1

महायाजक ने जो उसके पास खड़े थे उन्हें उसके चेहरे पर थप्पड़ मारने की आज्ञा क्यों दी?

महायाजक गुस्से में था क्योंकि पौलुस ने कहा कि उसने परमेश्वर के लिए बिल्कुल सच्चे विवेक से जीवन बिताया है।

Acts 23:6

किस कारण पौलुस ने सभा में कहा कि उसका मुक़दमा हो रहा है?

पौलुस ने कहा कि पुनरुत्थान पर उसके भरोसे के कारण उसका मुक़दमा हो रहा है।

Acts 23:7

जब पौलुस ने अपने ऊपर मुक़दमा होने का कारण बताया तो सभा में किस बात को लेकर वाद-विवाद आरम्भ हुआ?

सभा में झगड़ा होने लगा क्योंकि फरीसियों का मानना है कि पुनरुत्थान है पर सदूकी कहते हैं कि पुनरुत्थान नहीं है।

Acts 23:10

पलटन का सरदार पौलुस को सभा से गढ़ वापिस क्यों ले गया?

पलटन के सरदार को इस बात का डर था कि कहीं सभा के सदस्य उसके टुकड़े-टुकड़े न कर दें।

Acts 23:11

उसी रात परमेश्वर ने पौलुस को क्या वचन दिया?

परमेश्वर ने पौलुस को ढांढस बंधने को कहा क्योंकि उसे अभी यरूशलेम की तरह रोम में भी गवाही देनी थी।

Acts 23:12

कुछ यहूदियों ने पौलुस के सम्बन्ध में क्या शपथ खाई?

लगभग चालीस यहूदी जनों ने शपथ खाई कि जब तक वे पौलुस को मार न डालें वे न कुछ खाएँगे और न पीएंगे।

Acts 23:14

चालीस यहूदियों ने महायाजकों और पुरनियों के पास आकर क्या योजना बताई?

उन्होंने महायाजकों और पुरनियों को कहा कि पौलुस को महासभा में लेकर आएं ताकि वे उसे यहाँ पहुँचने से पहले ही मार डालें।

Acts 23:16

पलटन के सरदार को चालीस यहूदियों की योजना के विषय में कैसे ज्ञात हुआ?

पौलुस के भांजे ने योजना सुनी और जाकर पलटन के सरदार को इसके विषय में बताया।

Acts 23:23

पलटन के सरदार की चालीस यहूदियों की योजना जानने के पश्चात् क्या प्रतिक्रिया थी?

पलटन के सरदार ने दो सूबेदारों को बुलाकर, बड़ी संख्या में पहरेदारों के साथ पौलुस को फेलिक्स हाकिम के पास कुशलता से रात के तीसरे पहर जाने की आज्ञा दी।

Acts 23:29

फेलिक्स हाकिम को लिखी चिट्ठी में, पलटन के सरदार ने पौलुस के विरोध में लगे आरोपों के विषय में क्या कहा?

पलटन के सरदार ने कहा कि व्यवस्था के विवादों के विषय में उस पर दोष लगे हैं परन्तु मारे डाले जाने या बांधे जाने योग्य उसमें कोई दोष नहीं।

Acts 23:35

फेलिक्स ने कब पौलुस के मुक़दमे का निर्णय करना निश्चित किया?

फेलिक्स ने कहा कि जब पौलुस के मुद्दई भी आ जाएँगे तो वह उसका मुक़दमा सुनेगा।

मुकदमें की सुनवाई तक पौलुस को कहाँ रखा गया?

पौलुस को हेरोदेस के किले में मुक़दमे की सुनवाई तक रखा गया।


Chapter 24

1 पाँच दिन के बाद हनन्याह महायाजक कई प्राचीनों और तिरतुल्लुस नामक किसी वकील को साथ लेकर आया; उन्होंने राज्यपाल के सामने पौलुस पर दोषारोपण किया। 2 जब वह बुलाया गया तो तिरतुल्लुस उस पर दोष लगाकर कहने लगा, “हे महाप्रतापी फेलिक्स, तेरे द्वारा हमें जो बड़ा कुशल होता है; और तेरे प्रबन्ध से इस जाति के लिये कितनी बुराइयाँ सुधरती जाती हैं।

3 इसको हम हर जगह और हर प्रकार से धन्यवाद के साथ मानते हैं।

4 परन्तु इसलिए कि तुझे और दुःख नहीं देना चाहता, मैं तुझ से विनती करता हूँ, कि कृपा करके हमारी दो एक बातें सुन ले। 5 क्योंकि हमने इस मनुष्य को उपद्रवी और जगत के सारे यहूदियों में बलवा करानेवाला, और नासरियों के कुपंथ का मुखिया पाया है। 6 उसने मन्दिर को अशुद्ध करना चाहा*, और तब हमने उसे बन्दी बना लिया। [हमने उसे अपनी व्यवस्था के अनुसार दण्ड दिया होता;

7 परन्तु सैन्य-दल के सरदार लूसियास ने आकर उसे बलपूर्वक हमारे हाथों से छीन लिया, 8 और इस पर दोष लगाने वालों को तेरे सम्मुख आने की आज्ञा दी।] इन सब बातों को जिनके विषय में हम उस पर दोष लगाते हैं, तू स्वयं उसको जाँच करके जान लेगा।” 9 यहूदियों ने भी उसका साथ देकर कहा, ये बातें इसी प्रकार की हैं।

10 जब राज्यपाल ने पौलुस को बोलने के लिये संकेत किया तो उसने उत्तर दिया: “मैं यह जानकर कि तू बहुत वर्षों से इस जाति का न्याय करता है, आनन्द से अपना प्रत्युत्तर देता हूँ।, 11 तू आप जान सकता है, कि जब से मैं यरूशलेम में आराधना करने को आया, मुझे बारह दिन से ऊपर नहीं हुए। 12 उन्होंने मुझे न मन्दिर में, न आराधनालयों में, न नगर में किसी से विवाद करते या ना भीड़ लगाते पाया; 13 और न तो वे उन बातों को, जिनके विषय में वे अब मुझ पर दोष लगाते हैं, तेरे सामने उन्हें सच प्रमाणित कर सकते हैं।

14 परन्तु यह मैं तेरे सामने मान लेता हूँ, कि जिस पंथ को वे कुपंथ कहते हैं, उसी की रीति पर मैं अपने पूर्वजों के परमेश्‍वर* की सेवा करता हूँ; और जो बातें व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों में लिखी है, उन सब पर विश्वास करता हूँ। 15 और परमेश्‍वर से आशा रखता हूँ जो वे आप भी रखते हैं, कि धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा। (दानि. 12:2) 16 इससे मैं आप भी यत्न करता हूँ, कि परमेश्‍वर की और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे।

17 बहुत वर्षों के बाद मैं अपने लोगों को दान पहुँचाने, और भेंट चढ़ाने आया था। 18 उन्होंने मुझे मन्दिर में, शुद्ध दशा में, बिना भीड़ के साथ, और बिना दंगा करते हुए इस काम में पाया। परन्तु वहाँ आसिया के कुछ यहूदी थे - और उनको उचित था, 19 कि यदि मेरे विरोध में उनकी कोई बात हो तो यहाँ तेरे सामने आकर मुझ पर दोष लगाते है।

20 या ये आप ही कहें, कि जब मैं महासभा के सामने खड़ा था, तो उन्होंने मुझ में कौन सा अपराध पाया? 21 इस एक बात को छोड़ जो मैंने उनके बीच में खड़े होकर पुकारकर कहा था, ‘मरे हुओं के जी उठने के विषय में आज मेरा तुम्हारे सामने मुकद्दमा हो रहा है’।”

22 फेलिक्स ने जो इस पंथ की बातें ठीक-ठीक जानता था, उन्हें यह कहकर टाल दिया, “जब सैन्य-दल का सरदार लूसियास आएगा, तो तुम्हारी बात का निर्णय करूँगा।” 23 और सूबेदार को आज्ञा दी, कि पौलुस को कुछ छूट में रखकर रखवाली करना, और उसके मित्रों में से किसी को भी उसकी सेवा करने से न रोकना।

24 कुछ दिनों के बाद फेलिक्स अपनी पत्‍नी द्रुसिल्ला* को, जो यहूदिनी थी, साथ लेकर आया और पौलुस को बुलवाकर उस विश्वास के विषय में जो मसीह यीशु पर है, उससे सुना। 25 जब वह धार्मिकता और संयम और आनेवाले न्याय की चर्चा कर रहा था, तो फेलिक्स ने भयभीत होकर उत्तर दिया, “अभी तो जा; अवसर पा कर मैं तुझे फिर बुलाऊँगा।”

26 उसे पौलुस से कुछ धन मिलने की भी आशा थी; इसलिए और भी बुला-बुलाकर उससे बातें किया करता था। 27 परन्तु जब दो वर्ष बीत गए, तो पुरकियुस फेस्तुस, फेलिक्स की जगह पर आया, और फेलिक्स यहूदियों को खुश करने की इच्छा से पौलुस को बन्दी ही छोड़ गया।



Acts 24:1

पांच दिन के बाद

रोमी सिपाहियों द्वारा पौलुस को कैसरिया ले जाने के पांच दिन बाद।

हनन्याह महायाजक

पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

लेकर आया

“लेकर केसरिया गया, जहाँ पौलुस था”

किसी वकील

“अदालत में बोलनेवाला व्यक्ति।” वैकल्पिक अनुवाद: “विधिवक्ता”

तिरतुल्लुस

एक व्यक्ति का नाम है।

जब वह बुलाया गया तो

“जब पौलुस हाकिम के सामने, जो कि अदालत में न्यायी था, पेश किया गया”

उन पर दोष लगाकर कहने लगा

“उसके विरोध में कहने लगा” या फिर, “उस पर रोमी व्यवस्था का विरोधी होने का दोष लगाने लगा” नोट: यहाँ अनुवाद में “उन पर” के स्थान पर “उस पर” होना चाहिए क्योंकि यहाँ एकवचन है।

तेरे द्वारा

“तेरे” का आशय हाकिम से है।

हमें जो बड़ा कुशल होता है

“तेरी प्रजा में बड़ी शान्ति है।”

हे महाप्रतापी फेलिक्स

पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

Acts 24:4

x

तिरतुल्लुस अपनी बात फेलिक्स के आगे जारी रखता है।

तुझे और दुःख देना नहीं चाहता

संभावित अर्थ: 1) इसलिए मैं आपका अधिक समय नहीं लूँगा (यूडीबी) या फिर, 2) “इसलिए मैं आपको अधिक कष्ट नहीं दूंगा”

एक दो बातें सुन ले

“मेरी छोटी सी बात सुन ले”

हम ने इस मनुष्य को........पाया है

“हम ने इस मनुष्य को.........देखा है”. “हम ने” से आशय हनन्याह, कुछ अगुवे और तिरतुल्लुस से है

जगत के सारे यहूदियों

“जगत के बहुत से यहूदियों”

मंदिर को अशुद्ध करना चाहा

“मदिर की धार्मिकता का अपमान करना चाहा”

पद 6 ब-8 अ

6ब पद से 8अ तक - कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में इनमे भिन्नता है। "[6ब]और हम अपनी व्यवस्था के अनुसार इसका न्याय करना चाहते थे। "[7]लेकिन पलटन का सरदार लूसियास आया, और जबरन इसे हमारे हाथों से ले गया। "[8ब] तब उसने इस पर दोष लगानेवालों को तेरे सामने पेश होने की आज्ञा दी।”

Acts 24:7

x

तिरतुल्लुस फेलिक्स के आगे अपनी बात को जारी रखता है.

परन्तु पलटन के सरदार लूसियास

“लूसियास” के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

उसे बलपूर्वक हमारे हाथों से छीन लिया

“उसे” अर्थात “पौलुस को”। “सिपाहियों ने आकर पौलुस को हमारे हाथों से बलपूर्वक छीन लिया।” "बलपूर्वक" का आशय यहाँ पूरी ताकत के ज़ोर से है।

उसको जांच करके

“पौलुस से पूछताछ करके”या “उससे न्यायालय में पूछताछ करके”

जिन के विषय में हम उस पर दोष लगाते हैं

“पौलुस पर दोष लगते है” या “जिन के विषय में हम पौलुस पर दोष लगाते हैं”

Acts 24:10

जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का संकेत किया

“जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का इशारा किया”

अपना प्रत्युत्तर देता हूँ

“अपनी बात समझाता हूँ”

तू आप जानता है

“तू आप यह परख सकता है”

बारह दिन से

“बारह दिन से”

न नगर में विवाद करते ....पाया

“न नगर की शांति भंग करते.....पाया” या फिर, “न नगर को भड़काते...पाया”

दोष

“गलत काम करने के आरोप” या फिर, “अपराध के आरोप”

Acts 24:14

x

हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है।

यह मैं तेरे सामने मान लेता हूँ

“मैं यह तेरे सामने स्वीकारता हूँ” या कि “मैं तेरे आगे अंगीकार करता हूँ”

जिस पंथ को वे कुपंथ कहते हैं

“वे जिसे अधर्म कहते हैं”

“अपने बापदादों के परमेश्वर”

इसका आशय यह है कि पौलुस एक प्राचीन धर्म का पालन करने का दावा कर रहा है, और इसलिए यह एक नया, बदनाम “कुपंथ” नही है।

धर्मी

“धर्मी लोग”

यत्न करता हूँ

"मैं व्यायाम करता हूं" या “मैं अभ्यास करता हूँ”

परमेश्वर की... और

"परमेश्वर की .....उपस्थिति में"

Acts 24:17

x

हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है।

अपने लोगों को दान पहुंचाने और भेंट चढ़ाने

“अपने लोगों को दान और पैसों की भेंट चढाने”

बिना भीड़ के साथ

“मैंने किसी गलत रीति से भीड़ नहीं जमा की”

उनकी कोई बात

“एशिया के यहूदियों की”

कोई बात हो

“कुछ कहना हो”

Acts 24:20

x

हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है।

उन्होंने

कैसरिया में हो रही पौलुस की सुनवाई में मौजूद परिषद् के सदस्य।

Acts 24:22

जब पलटन का सरदार लूसियास आएगा

“लूसियास जब भी आएगा” या फिर, “लूसियास के आने पर”

तुम्हारी बात का निर्णय करूँगा

“तेरे विरुद्ध लगाए दोषों का निर्णय करूँगा” या फिर, “मैं न्याय करूँगा कि तू दोषी है या नहीं।”

कुछ छूट में

पौलुस को कैद में थोड़ी छूट दी गयी जो अन्यथा कैदियों को नहीं दी जाती।

Acts 24:24

कुछ दिनों के बाद

“बहुत दिनों बाद”

फेलिक्स....आया

फेलिक्स के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें

पत्नी द्रुसिल्ला

पत्नी द्रुसिल्ला एक स्त्री का नाम।

फेलिक्स ने भयभीत होकर

फेलिक्स को संभवतः अपने पापों को लेकर अपराधबोध हो रहा हो

अभी तो जा

“अभी के लिए तो जा” या "तब तक"

Acts 24:26

उसे पौलुस से कुछ रुपये मिलने की आशा थी

“पौलुस फेलिक्स को कुछ धन देगा।” फेलिक्स को आशा थी कि पौलुस छूटने के लिए उसे कुछ घूंस वगैरह देगा।

इसलिए और भी बुला-बुलाकर उससे बातें किया करता था

“इसलिए फेलिक्स अकसर पौलुस को बुलाकर उससे बातें किया करता था”

पुरकियुस फेस्तुस

ये फेलिक्स के बदले आया न्य रोमन हकीम है


Translation Questions

Acts 24:5

यहूदियों ने पौलुस के विरोध में हाकिम के सामने क्या दोष लगाए?

तिरतुल्लुस ने पौलुस पर यहूदियों से बलवा करवाने और मन्दिर को अशुद्ध करने के आरोप लगाए।

तिरतुल्लुस के अनुसार पौलुस किस पंथ का मुखिया था?

तिरतुल्लुस ने कहा कि पौलुस नासरियों के कुपन्थ का मुखिया था।

Acts 24:12

पौलुस के अनुसार उसने मन्दिर, आराधनालय, और नगर में क्या किया?

पौलुस ने कहा कि उसने न तो किसी के साथ विवाद किया और न ही भीड़ लगाई।

Acts 24:14

किस विषय में पौलुस ने कहा कि वह विश्वासयोग्य था?

पौलुस ने कहा कि वह जो बातें व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों में लिखी है वे उन सब पर विश्वास करता है।

Acts 24:15

पौलुस ने यहूदियों को जो उस पर दोष लगाते थे क्या आशा दी?

वे परमेश्वर पर धर्मी और अधर्मी दोनों के जी उठने के विषय में समान दृढविश्वास रखते हैं।

Acts 24:17

पौलुस के अनुसार वह यरूशलेम क्यों आया था?

पौलुस के अनुसार वह अपने लोगों को दान पंहुचाने और भेंट चढ़ाने आया था।

Acts 24:18

पौलुस के अनुसार जब उसे आसिया के कुछ यहूदियों ने मन्दिर में पाया तो वह वहां क्या कर रहा था?

पौलुस ने कहा कि वह मन्दिर में शुद्धिकरण समारोह में था जब उसे वहां पाया गया।

Acts 24:22

फेलिक्स हाकिम को किस विषय में पहले से अच्छी तरह पता था?

फेलिक्स हाकिम इस पंथ के विषय में अच्छे से जानता था।

फेलिक्स ने कब पौलुस के मुक़दमे का निर्णय करना निश्चित किया?

फेलिक्स ने कहा कि जब पलटन का सरदार लुसियास यरूशलेम से आएगा तब वह पौलुस के मुक़दमे का निर्णय करेगा।

Acts 24:24

कुछ दिनों के पश्चात् पौलुस ने फेलिक्स को किस विषय में बताया?

पौलुस ने फेलिक्स को यीशु मसीह में विश्वास, धर्म, संयम और आने वाले न्याय के विषय में बताया।

Acts 24:25

पौलुस की बात पर फेलिक्स ने क्या प्रतिक्रिया की?

फेलिक्स ने भयभीत हो कर उसे उस समय जाने के लिए कहा।

Acts 24:27

दो वर्ष के पश्चात्, जब नया हाकिम आया तो फेलिक्स पौलुस को बन्दी ही क्यों छोड़ गया?

फेलिक्स पौलुस को बन्दी ही छोड़ गया क्योंकि वह यहूदियों को खुश करना चाहता था।


Chapter 25

1 फेस्तुस उस प्रान्त में पहुँचकर तीन दिन के बाद कैसरिया से यरूशलेम को गया। 2 तब प्रधान याजकों ने, और यहूदियों के प्रमुख लोगों ने, उसके सामने पौलुस पर दोषारोपण की; 3 और उससे विनती करके उसके विरोध में यह चाहा कि वह उसे यरूशलेम में बुलवाए, क्योंकि वे उसे रास्ते ही में मार डालने की घात* लगाए हुए थे।

4 फेस्तुस ने उत्तर दिया, “पौलुस कैसरिया में कैदी है, और मैं स्वयं जल्द वहाँ जाऊँगा।” 5 फिर कहा, “तुम से जो अधिकार रखते हैं, वे साथ चलें, और यदि इस मनुष्य ने कुछ अनुचित काम किया है, तो उस पर दोष लगाएँ।”

6 उनके बीच कोई आठ दस दिन रहकर वह कैसरिया गया: और दूसरे दिन न्याय आसन पर बैठकर पौलुस को लाने की आज्ञा दी। 7 जब वह आया, तो जो यहूदी यरूशलेम से आए थे, उन्होंने आस-पास खड़े होकर उस पर बहुत से गम्भीर दोष लगाए, जिनका प्रमाण वे नहीं दे सकते थे। 8 परन्तु पौलुस ने उत्तर दिया, “मैंने न तो यहूदियों की व्यवस्था के और न मन्दिर के, और न कैसर के विरुद्ध कोई अपराध किया है।”

9 तब फेस्तुस ने यहूदियों को खुश करने की इच्छा से पौलुस को उत्तर दिया, “क्या तू चाहता है कि यरूशलेम को जाए; और वहाँ मेरे सामने तेरा यह मुकद्दमा तय किया जाए?”

10 पौलुस ने कहा, “मैं कैसर के न्याय आसन के सामने खड़ा हूँ; मेरे मुकद्दमें का यहीं फैसला होना चाहिए। जैसा तू अच्छी तरह जानता है, यहूदियों का मैंने कुछ अपराध नहीं किया।

11 यदि अपराधी हूँ और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है, तो मरने से नहीं मुकरता; परन्तु जिन बातों का ये मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उनमें से कोई बात सच न ठहरे, तो कोई मुझे उनके हाथ नहीं सौंप सकता। मैं कैसर की दोहाई देता हूँ।” 12 तब फेस्तुस ने मंत्रियों की सभा के साथ विचार करके उत्तर दिया, “तूने कैसर की दोहाई दी है, तो तू कैसर के पास ही जाएगा।”

13 कुछ दिन बीतने के बाद अग्रिप्पा राजा* और बिरनीके ने कैसरिया में आकर फेस्तुस से भेंट की। 14 उनके बहुत दिन वहाँ रहने के बाद फेस्तुस ने पौलुस के विषय में राजा को बताया, “एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्स बन्दी छोड़ गया है। 15 जब मैं यरूशलेम में था, तो प्रधान याजकों और यहूदियों के प्राचीनों ने उस पर दोषारोपण किया और चाहा, कि उस पर दण्ड की आज्ञा दी जाए। 16 परन्तु मैंने उनको उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्ड के लिये सौंप दें, जब तक आरोपी को अपने दोष लगाने वालों के सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले।

17 अतः जब वे यहाँ उपस्थित हुए, तो मैंने कुछ देर न की, परन्तु दूसरे ही दिन न्याय आसन पर बैठकर, उस मनुष्य को की आज्ञा दी। 18 जब उसके मुद्दई खड़े हुए, तो उन्होंने ऐसी बुरी बातों का दोष नहीं लगाया, जैसा मैं समझता था। 19 परन्तु अपने मत के, और यीशु नामक किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था, और पौलुस उसको जीवित बताता था, विवाद करते थे। 20 और मैं उलझन में था, कि इन बातों का पता कैसे लगाऊँ? इसलिए मैंने उससे पूछा, ‘क्या तू यरूशलेम जाएगा, कि वहाँ इन बातों का फैसला हो?’

21 परन्तु जब पौलुस ने दोहाई दी, कि मेरे मुकद्दमें का फैसला महाराजाधिराज के यहाँ हो; तो मैंने आज्ञा दी, कि जब तक उसे कैसर के पास न भेजूँ, उसकी रखवाली की जाए।” 22 तब अग्रिप्पा ने फेस्तुस से कहा, “मैं भी उस मनुष्य की सुनना चाहता हूँ। उसने कहा, “तू कल सुन लेगा।”

23 अतः दूसरे दिन, जब अग्रिप्पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आकर सैन्य-दल के सरदारों और नगर के प्रमुख लोगों के साथ दरबार में पहुँचे। तब फेस्तुस ने आज्ञा दी, कि वे पौलुस को ले आएँ। 24 फेस्तुस ने कहा, “हे महाराजा अग्रिप्पा, और हे सब मनुष्यों जो यहाँ हमारे साथ हो, तुम इस मनुष्य को देखते हो, जिसके विषय में सारे यहूदियों ने यरूशलेम में और यहाँ भी चिल्ला-चिल्लाकर मुझसे विनती की, कि इसका जीवित रहना उचित नहीं।

25 परन्तु मैंने जान लिया कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जब कि उसने आप ही महाराजाधिराज की दोहाई दी, तो मैंने उसे भेजने का निर्णय किया। 26 परन्तु मैंने उसके विषय में कोई ठीक बात नहीं पाई कि महाराजाधिराज को लिखूँ*, इसलिए मैं उसे तुम्हारे सामने और विशेष करके हे राजा अग्रिप्पा तेरे सामने लाया हूँ, कि जाँचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले। 27 क्योंकि बन्दी को भेजना और जो दोष उस पर लगाए गए, उन्हें न बताना, मुझे व्यर्थ समझ पड़ता है।”



Acts 25:1

फेस्तुस उन प्रान्त में पहुंचकर

संभावित अर्थ: 1) “फेस्तुस बस वहां पहुँच गया” या फिर, 2) “फेस्तुस अपने शासन की शुरुआत करने वहां पहुंचा।” (यूडीबी)

कैसरिया से यरूशलेम

मूल भाषा में “केसरिया से (ऊपर) यरूशलेम की ओर” जैसा भाव है, जिसके संभावित आशय हैं कि 1) यरूशलेम को ऊंचा स्थान प्राप्त था; या फिर 2) यरूशलेम ऊंचे स्थान पर स्थित था।

पौलुस की नालिश की

अदालत में औपचारिक तौर पर आरोप दायर किये गए। वैकल्पिक अनुवाद: “पौलुस पर व्यवस्था का उल्लंघन करने का आरोप लगाया,”

और उससे विनती की

“और फेस्तुस से विनती की” या फिर, “उन्होंने फेस्तुस से आग्रह किया”

कि वह उसे यरूशलेम में बुलवाए.....वे उसे...मार डाले

“कि फेस्तुस पौलुस को यरूशलेम में बुलवाए, क्योंकि वे उसे रास्ते ही में मार डालने की घात लगाए हुए थे"

यरूशलेम में बुलवाए

“यरूशलेम में भिजवाए”

वे उसे रास्ते ही में मार डालने की घात लगाये हुए थे

वे रस्ते ही में पौलुस को मार डालने वाले थे

Acts 25:4

पौलुस कैसरिया में पहरे में है

पौलुस कैसरिया में पहरे में है - वैकल्पिक अनुवाद: “पौलुस कैसरिया में बंदी है, और मैं स्वयं भी जल्द ही वहाँ लौटूंगा।”

इस मनुष्य ने कुछ अनुचित काम किया है

“यदि पौलुस ने कुछ अनुचित काम किया है या नहीं”

उस पर दोष लगाए

“उस पर आरोप लगाए” या फिर, “उस पर व्यवस्था का उल्लंघन करने का दोष लगाए”

Acts 25:6

कोई आठ दस दिन रहकर

“कोई आठ दस दिन रह कर फेस्तुस”

न्याय-आसन पर बैठकर

“न्यायी की भूमिका निभाने न्याय-आसन पर बैठा”

पौलुस को लाने की आज्ञा दी

“पौलुस को लाने को कहा”

और उसने पहुंचकर

“पौलुस के आने पर वह फेस्तुस के समक्ष खड़ा हुआ”

न तो यहूदियों की व्यवस्था का

"यहूदियों की व्यवस्था" यूडीबी के अनुसार

और न मंदिर का ....कोई अपराध किया है

इसका आशय यह है कि यरूशलेम के मंदिर में प्रवेश को लेकर उसने कोई अपराध नहीं किया है।

Acts 25:9

यहूदियों को खुश करने की इच्छा से

“यहूदियों को खुश करना चाहता था”

मेरे सामने तेरा मुकद्दमा तय किया जाए?

“जहाँ मैं तुझ पर लगे आरोपों का न्याय करूँगा”

मेरे मुकद्दमे का फैसला यहीं होना चाहिए

"यह स्थान कौन सा है जहाँ मेरा न्याय होना है।"

Acts 25:11

x

फेस्तुस के समक्ष पौलुस अपने बचाव में बोलना जारी रखता है।

यदि अपराधी हूँ और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है

“यदि मैंने कोई ऐसा अपराध किया है जिसके लिए मुझे मृत्यु दंड मिलना चाहिए”

परन्तु जिन बातों का वे मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उनमें से कोई सच न निकले”

“परन्तु यदि मुझ पर लगाए गए आरोप सच न निकलें”

तो कोई मुझे उनके हाथ नहीं सौंप सकता

संभावित आशय: 1)फेस्तुस के पास पौलुस को इन झूठे आरोप लगानेवालों को सौंपने का कानूनी अधिकार नहीं है, अथवा 2) पौलुस कह रहा था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है, और हाकिम को उसे यहूदियों के हाथों नहीं सौंपना चाहिए।

मैं कैसर की दोहाई देता हूँ

“मैं कैसर के सामने पेश होने की दुहाई देता हूँ”

तब फेस्तुस ने मंत्रियों की सभा के साथ बात करके

“तब फेस्तुस ने अपने सलाहकारों से बातचीत की”

Acts 25:13

अग्रिप्पा राजा और बिरनीके ने

अग्रिप्पा वर्तमान राज करने वाला राजा था और बिरनीके उसकी बहन थी।

फेस्तुस से भेंट की

“आधिकारिक बातों के विषय में फेस्तुस से भेंट की”

एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्स बंदी छोड़ गया है

कार्यकाल पूरा होने पर कार्यालय छोड़ते समय उसने एक व्यक्ति को बंदीगृह में छोड़ दिया था।

Acts 25:17

x

फेस्तुस अपनी बात जारी रखता है

जब वे यहाँ इकट्ठे हुए

“जब यहूदी अगुवे मुझसे मिलने यहाँ आये”

न्याय-आसन पर बैठकर

“न्यायी के पद पर आसीन होकर”

उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी

“मैं ने सिपाहियों से पौलुस को मेरे समक्ष लाने की आज्ञा दी”

परन्तु अपने मत के

“मत” का आशय जीवन व आलौकिक बातों के प्रति लोगों की आस्था से है।

कि वहाँ इन बातों का फैसला हो

“कि यहूदी परिषद् इन बातों का फैसला करे”

Acts 25:21

x

21वें पद में फेस्तुस अपनी बात जारी रखता है।

तो मैंने आज्ञा दी ... उसे हिरासत में रखा जाए.

“तो आज्ञा दी.....उसे कैद में ही रखा जाए।”

तू कल सुन लेगा

अर्थात “तू कल पौलुस को सुन लेगा”

Acts 25:23

जब अग्रिप्पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आये

नामों के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें।

वे पौलुस को ले आये

उन्होंने पौलुस को अपने सम्मुख पेश किया।

चिल्ला-चिल्लाकर मुझसे विनती की

“ऊंची आवाज़ में मुझसे विनती की”

Acts 25:25

इसलिए मैं उसे तुम्हारे सामने और विशेष करके हे राजा अग्रिप्पा तेरे सामने लाया हूँ

“इसलिए मैं पौलुस को तुम सबके सामने, और विशेषकर, हे राजा अग्रिप्पा, तेरे सामने लाया हूँ”

जांचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले

“जांचने के बाद मेरे पास कुछ लिखने को हो” अथवा, “जांचने के बाद मुझे पता चल सके कि मुझे क्या लिखना है”

जो उस पर दोष लगाए

संभावित आशय: 1) यहूदी अगुओं द्वारा लगाए गए आरोप अथवा, 2) रोमी व्यवस्था के अंतर्गत आरोप लगाए


Translation Questions

Acts 25:3

महायाजक और यहूदियों के प्रमुख ने फेस्तुस से क्या विनती की?

उन्होंने फेस्तुस से विनती की कि पौलुस को यरूशलेम बुलाए ताकि वे उसे रास्ते में ही मार डालें।

Acts 25:5

फेस्तुस ने महायाजक और यहूदियों के प्रमुख को क्या करने के लिए कहा?

फेस्तुस ने उन्हें कैसरिया जाने के लिए कहा, जहाँ फेस्तुस स्वयं जा रहा था, ताकि वे वहां पौलुस पर दोष लगा सकें।

Acts 25:9

पौलुस का कैसरिया में मुक़दमा सुनते हुए, फेस्तुस ने पौलुस से क्या प्रश्न पूछा?

फेस्तुस ने पूछा कि क्या वह चाहता है कि उसे यरूशलेम ले जाकर उसका निर्णय किया जाए।

पौलुस से फेस्तुस ने यह प्रश्न क्यों पूछा?

फेस्तुस ने पौलुस से यह प्रश्न यहूदियों को खुश करने की इच्छा से पूछा।

Acts 25:10

फेस्तुस के प्रश्न पर पौलुस की क्या प्रतिक्रिया थी?

पौलुस ने कहा कि उस ने यहूदियों का कुछ अपराध नहीं किया है, और उसने कैसर के द्वारा न्याय किए जाने की दुहाई दी।

Acts 25:12

फेस्तुस ने पौलुस के मुक़दमे के साथ क्या करने का निर्णय लिया?

फेस्तुस ने निर्णय सुनाया कि यदि पौलुस कैसर के पास ही जाना चाहता है तो उसे कैसर के पास ही ले जाया जाएगा।

Acts 25:16

फेस्तुस ने दण्ड देने के लिए किस रोमी रीति के विषय में बताया?

फेस्तुस ने कहा कि रोमी, अपराधियों को उस पर दोष लगाने वालों के द्वारा लगाए दोषों के लिए आमने-सामने खड़े होकर अपना पक्ष रखने का अवसर देते हैं।

Acts 25:19

फेस्तुस के अनुसार यहूदियों ने पौलुस पर क्या दोष लगाए थे?

फेस्तुस ने कहा कि जो दोष उसपर लगाए गए है वे उनके मत के और यीशु नामक किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था और जिसके जीवित होने का पौलुस दावा करता था, विषय में विवाद था।

Acts 25:26

फेस्तुस पौलुस को राजा अग्रिप्पा के सामने पेश करने क्यों लाया?

फेस्तुस राजा अग्रिप्पा की सहायता चाहता था कि कैसर के सामने पौलुस के मुक़दमे के विषय में कुछ तर्कसंगत लिखने को मिले।

Acts 25:27

फेस्तुस के अनुसार कैसर के पास भेजते समय क्या करना उसे व्यर्थ जान पड़ा?

फेस्तुस ने कहा कि पौलुस के खिलाफ़ जो दोष लगाएं हैं उन्हें न बताना व्यर्थ जान पड़ता है।


Chapter 26

1 अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “तुझे अपने विषय में बोलने की अनुमति है।” तब पौलुस हाथ बढ़ाकर उत्तर देने लगा,

2 “हे राजा अग्रिप्पा, जितनी बातों का यहूदी मुझ पर दोष लगाते हैं, आज तेरे सामने उनका उत्तर देने में मैं अपने को धन्य समझता हूँ, 3 विशेष करके इसलिए कि तू यहूदियों के सब प्रथाओं और विवादों को जानता है*। अतः मैं विनती करता हूँ, धीरज से मेरी सुन ले।

4 “जैसा मेरा चाल-चलन आरम्भ से अपनी जाति के बीच और यरूशलेम में जैसा था, यह सब यहूदी जानते हैं। 5 वे यदि गवाही देना चाहते हैं, तो आरम्भ से मुझे पहचानते हैं, कि मैं फरीसी होकर अपने धर्म के सबसे खरे पंथ के अनुसार चला।

6 और अब उस प्रतिज्ञा की आशा के कारण जो परमेश्‍वर ने हमारे पूर्वजों से की थी, मुझ पर मुकद्दमा चल रहा है। 7 उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए, हमारे बारहों गोत्र अपने सारे मन से रात-दिन परमेश्‍वर की सेवा करते आए हैं। हे राजा, इसी आशा के विषय में यहूदी मुझ पर दोष लगाते हैं। 8 जब कि परमेश्‍वर मरे हुओं को जिलाता है*, तो तुम्हारे यहाँ यह बात क्यों विश्वास के योग्य नहीं समझी जाती?

9 “मैंने भी समझा था कि यीशु नासरी के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना चाहिए। 10 और मैंने यरूशलेम में ऐसा ही किया; और प्रधान याजकों से अधिकार पा कर बहुत से पवित्र लोगों को बन्दीगृह में डाला, और जब वे मार डाले जाते थे, तो मैं भी उनके विरोध में अपनी सम्मति देता था। 11 और हर आराधनालय में मैं उन्हें ताड़ना दिला-दिलाकर यीशु की निन्दा करवाता था, यहाँ तक कि क्रोध के मारे ऐसा पागल हो गया कि बाहर के नगरों में भी जाकर उन्हें सताता था।

12 “इसी धुन में जब मैं प्रधान याजकों से अधिकार और आज्ञा-पत्र लेकर दमिश्क को जा रहा था; 13 तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैंने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति, अपने और अपने साथ चलनेवालों के चारों ओर चमकती हुई देखी। 14 और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैंने इब्रानी भाषा में, मुझसे कहते हुए यह वाणी सुनी, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।’

15 मैंने कहा, ‘हे प्रभु, तू कौन है?’ प्रभु ने कहा, ‘मैं यीशु हूँ, जिसे तू सताता है। 16 परन्तु तू उठ, अपने पाँवों पर खड़ा हो; क्योंकि मैंने तुझे इसलिए दर्शन दिया है कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराऊँ, जो तूने देखी हैं, और उनका भी जिनके लिये मैं तुझे दर्शन दूँगा। (यहे. 2:1) 17 और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूँगा, जिनके पास मैं अब तुझे इसलिए भेजता हूँ। (1 इति. 16:35) 18 कि तू उनकी आँखें खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर*, और शैतान के अधिकार से परमेश्‍वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, विरासत पाएँ।’ (व्य. 33:3-4, यशा. 35:5-6, यशा. 42:7, यशा. 42:16, यशा. 61:1)

19 अतः हे राजा अग्रिप्पा, मैंने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली, 20 परन्तु पहले दमिश्क के, फिर यरूशलेम के रहनेवालों को, तब यहूदिया के सारे देश में और अन्यजातियों को समझाता रहा, कि मन फिराओ और परमेश्‍वर की ओर फिर कर मन फिराव के योग्य काम करो। 21 इन बातों के कारण यहूदी मुझे मन्दिर में पकड़कर मार डालने का यत्न करते थे।

22 परन्तु परमेश्‍वर की सहायता से मैं आज तक बना हूँ और छोटे बड़े सभी के सामने गवाही देता हूँ, और उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता, जो भविष्यद्वक्ताओं और मूसा ने भी कहा कि होनेवाली हैं, 23 कि मसीह को दुःख उठाना होगा, और वही सबसे पहले मरे हुओं में से जी उठकर, हमारे लोगों में और अन्यजातियों में ज्योति का प्रचार करेगा।” (यशा. 42:6, यशा. 49:6)

24 जब वह इस रीति से उत्तर दे रहा था, तो फेस्तुस ने ऊँचे शब्द से कहा, “हे पौलुस, तू पागल है। बहुत विद्या ने तुझे पागल कर दिया है।” 25 परन्तु उसने कहा, “हे महाप्रतापी फेस्तुस, मैं पागल नहीं, परन्तु सच्चाई और बुद्धि की बातें कहता हूँ। 26 राजा भी जिसके सामने मैं निडर होकर बोल रहा हूँ, ये बातें जानता है, और मुझे विश्वास है, कि इन बातों में से कोई उससे छिपी नहीं, क्योंकि वह घटना तो कोने में नहीं हुई।

27 हे राजा अग्रिप्पा, क्या तू भविष्यद्वक्ताओं का विश्वास करता है? हाँ, मैं जानता हूँ, कि तू विश्वास करता है।” 28 अब अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “क्या तू थोड़े ही समझाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है?” 29 पौलुस ने कहा, “परमेश्‍वर से मेरी प्रार्थना यह है कि क्या थोड़े में, क्या बहुत में, केवल तू ही नहीं, परन्तु जितने लोग आज मेरी सुनते हैं, मेरे इन बन्धनों को छोड़ वे मेरे समान हो जाएँ।”

30 तब राजा और राज्यपाल और बिरनीके और उनके साथ बैठनेवाले उठ खड़े हुए; 31 और अलग जाकर आपस में कहने लगे, “यह मनुष्य ऐसा तो कुछ नहीं करता, जो मृत्यु-दण्ड या बन्दीगृह में डाले जाने के योग्य हो*। 32 अग्रिप्पा ने फेस्तुस से कहा, “यदि यह मनुष्य कैसर की दोहाई न देता, तो छूट सकता था।”



Acts 26:1

पौलुस अपना हाथ बढ़ा कर

“भीड़ का ध्यान खींचने के लिए पौलुस ने उनकी तरफ हाथ बढ़ा कर”

उत्तर देने लगा

“स्वयं पर लगे आरोपों से अपना बचाव करने लगा”

मैं अपने को धन्य समझता हूँ

अग्रिप्पा के समक्ष प्रस्तुत होने को पौलुस धन्य समझता था क्योंकि वह उसे सुसमाचार के विषय में बोलने का अवसर मानता था।

Acts 26:4

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

सब यहूदी

संभावित आशय: 1) पौलुस के साथ पले-बढे फरीसी उसे एक फरीसी के रूप में जानते थे, या फिर, 2) “पहले एक जोशीले फरीसी और अब एक विश्वासी के रूप में पौलुस विख्यात था”

अपनी जाति

संभावित आशय: 1) संभावित रूप से यहाँ सभी यहूदियों की बात न होकर, उसके अपने यहूदी लोगों का सन्दर्भ हो, या फिर, 2) समस्त इस्राएल जाति से है।

Acts 26:6

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

मुझ पर मुकद्दमा चल रहा है

“मैं यहाँ पर हूँ, जहां मुझ पर मुकद्दमा चलाया जा रहा है”

उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने आशा के कारण जो परमेश्वर ने हमारे बापदादों से की थी

पौलुस को मसीह के आने की आशा है

उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए

“परमेश्वर द्वारा की गयी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए”

जब कि परमेश्वर मरे हुओं को जिलाता है, तो तुम्हारे यहाँ यह बात क्यों विश्वास के योग्य नहीं समझी जाती

ऐसा कहते हुए पौलुस परमेश्वर द्वारा लोगों को जिलाने की बात से जुडी अग्रिप्पा की आस्था से अपने द्वारा कही जा रही बातों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है लो

Acts 26:9

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

यीशु नासरी के नाम के विरोध में

“यीशु के अनुयायियों के विरोध में”

उन्हें ताड़ना दिला-दिला कर

संभावित आशय: 1) पौलुस ने कुछ विश्वासियों को कई बार दण्डित किया या फिर, 2) पौलुस ने बहुत से विश्वासियों को सताया

अपनी सम्मति देता था

“उन्हें ताड़ना देनेवालों को अपनी सम्मति देता था”

Acts 26:12

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

अधिकार और आज्ञा-पत्र

पौलुस के पास यहूदी अगुओं द्वारा जारी किये गए अधिकार पत्र थे जो उसे यहूदी विश्वासियों को ताड़ना देने की अनुमति देते थे।

पैने पर लात मारना तेरे लिए कठिन है

पौलुस द्वारा परमेश्वर की योजना के विरोध की तुलना परमेश्वर किसान के बैल द्वारा छड़ी को लात मारने से करते हैं। यूडीबी देखें। इसका आशय है कि पौलुस के लिए परमेश्वर की योजना से बचना विकट है।

Acts 26:15

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

पवित्र किये गए हैं

“मेरे बनाए गए हैं” (यूडीबी) या फिर, “मेरे लिए अभिषिक्त किये गए हैं”

विश्वास करने से

यहाँ पर आशय परमेश्वर द्वारा अलग किये गए लोगों के परमेश्वर में विश्वास से है

Acts 26:19

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

मैंने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली

“मैंने उस स्वर्गीय दर्शन में दिए सन्देश का पालन किया।”

Acts 26:22

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

जो भविष्यद्वक्ताओं

यहाँ पौलुस का आशय पुराने नियम में भविष्यदवक्ताओं द्वारा लिखी गयी सभी बातों से है।

कि मसीह को दुःख उठाना होगा

“कि मसीह को दुःख उठाकर मरना होगा”

ज्योति का प्रचार करेगा

अर्थात “सुसमाचार का प्रचार करेगा”

Acts 26:24

तू पागल है

“तू बकवास कर रहा है” या फिर, “तू पगला गया है”

बुद्धि की

“गंभीर बातें” अथवा “गंभीर विषय की”

मैं निडर होकर बोल रहा हूँ

“मैं राजा अग्रिप्पा से खुल कर बोल रहा हूँ”

वह घटना तो कोने में नहीं हुई

इसे सर्वविदित कर दिया गया। वैकल्पिक अनुवाद: “वह घटना चोरी-चुपके से नहीं हुई।”

Acts 26:27

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

क्या तू भविष्यद्वक्ताओं का विश्वास करता है?

ऐसा पूछते हुए पौलुस अग्रिप्पा को याद दिलाना चाहता है कि अग्रिप्पा को तो पहले से भविष्यद्वक्ताओं की कही बातों का विश्वास करता है। इसलिए अग्रिप्पा को यीशु के विषय में कही बातों का भी विश्वास करना चाहिए।

तू थोड़े ही समझाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है?

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 26:30

तब राजा और हाकिम

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।


Translation Questions

Acts 26:3

पौलुस राजा अग्रिप्पा के सामने अपना प्रतिवाद रखने में क्यों प्रसन्न था?

पौलुस राजा अग्रिप्पा के सामने अपना प्रतिवाद प्रस्तुत करने इ लिए बहुत खुश था क्योंकि अग्रिप्पा यहूदी व्यवहारों और विवादों को जानता था।

Acts 26:5

यरूशलेम में पौलुस का जीवन आरम्भ ही से कैसे रहा?

पौलुस अपने धर्म के सबसे कट्टर पंथ, फरीसी आचरण के अनुसार चला।

Acts 26:6

परमेश्वर की कौन सी प्रतिज्ञा की आशा के कारण पौलुस के अनुसार वह और यहूदी आशा लगाए हैं?

पौलुस के अनुसार वह और यहूदी पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा पर आशा लगाए बैठे हैं।

Acts 26:9

मन फिराने से पहले, पौलुस यीशु नासरी के नाम के विरोध में क्या कर रहा था?

पौलुस बहुत से पवित्र सन्तों को बंदीगृह में डालता, उनके मारे जाने पर उनके विरोध में सम्मति देता और यहाँ तक कि बाहर के नगरों में जाकर भी उनको ताड़ना देता।

Acts 26:13

पौलुस ने दमिश्क के मार्ग में क्या देखा?

पौलुस ने मार्ग में सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति देखी।

Acts 26:14

पौलुस ने दमिश्क के मार्ग में क्या सुना?

पौलुस ने सुना,“हे शाऊल, हे शाऊल! तू मुझे क्यों सताता है?”

Acts 26:15

पौलुस से दमिश्क के मार्ग में कौन बात कर रहा था?

पौलुस से दमिश्क के मार्ग में यीशु बात कर रहा था।

Acts 26:16

पौलुस को यीशु ने क्या नियुक्त किया?

यीशु ने पौलुस को सेवक और अन्यजातियों के लिए गवाह नियुक्त किया।

Acts 26:18

यीशु अन्यजातियों को क्या ग्रहण करवाना चाहता था?

यीशु ने कहा वह चाहता था कि अन्यजातियाँ अपने पापों की क्षमा और परमेश्वर से मीरास पाएं।

Acts 26:20

पौलुस के अनुसार कौन सी दो बातों का उसने जहाँ भी गया प्रचार किया?

पौलुस के अनुसार उसने लोगों से मन फिराने और परमेश्वर की ओर मुड़ने के लिए, और मन फिराव के योग्य काम करने के लिए कहा।

Acts 26:22

भविष्यद्वक्ताओं और मूसा ने क्या कहा था जो होने वाला है?

भविष्यद्वक्ताओं और मूसा ने कहा था कि मसीह को दुःख उठाना होगा, मरे हुओं में से जी कर उठेगा और यहूदियों और अन्यजातियों में ज्योति का प्रचार करेगा।

Acts 26:24

पौलुस की सफाई सुन कर फेस्तुस ने क्या सोचा?

फेस्तुस ने सोचा कि पौलुस पागल हो गया था।

Acts 26:28

पौलुस की राजा अग्रिप्पा के लिए क्या इच्छा थी?

पौलुस की इच्छा थी कि राजा अग्रिप्पा मसीही हो जाए।

Acts 26:31

अग्रिप्पा, फेस्तुस और बिरनीके पौलुस पर लगे आरोपों के विषय में किस निर्णय पर पहुंचे?

वे सब इस बात पर सहमत थे कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया जो मृत्यु दण्ड, या बन्दीग्रह में डालने योग्य हो, यदि यह कैसर की दुहाई न देता तो छूट सकता था।


Chapter 27

1 जब यह निश्चित हो गया कि हम जहाज द्वारा इतालिया जाएँ, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बन्दियों को भी यूलियुस नामक औगुस्तुस की सैन्य-दल के एक सूबेदार के हाथ सौंप दिया। 2 अद्रमुत्तियुम* के एक जहाज पर जो आसिया के किनारे की जगहों में जाने पर था, चढ़कर हमने उसे खोल दिया, और अरिस्तर्खुस नामक थिस्सलुनीके का एक मकिदूनी हमारे साथ था।

3 दूसरे दिन हमने सैदा में लंगर डाला और यूलियुस ने पौलुस पर कृपा करके उसे मित्रों के यहाँ जाने दिया कि उसका सत्कार किया जाए। 4 वहाँ से जहाज खोलकर हवा विरुद्ध होने के कारण हम साइप्रस की आड़ में होकर चले; 5 और किलिकिया और पंफूलिया के निकट के समुद्र में होकर लूसिया* के मूरा में उतरे। 6 वहाँ सूबेदार को सिकन्दरिया का एक जहाज इतालिया जाता हुआ मिला, और उसने हमें उस पर चढ़ा दिया।

7 जब हम बहुत दिनों तक धीरे-धीरे चलकर कठिनता से कनिदुस के सामने पहुँचे, तो इसलिए कि हवा हमें आगे बढ़ने न देती थी, हम सलमोने के सामने से होकर क्रेते की आड़ में चले; 8 और उसके किनारे-किनारे कठिनता से चलकर ‘शुभलंगरबारी’ नामक एक जगह पहुँचे, जहाँ से लसया नगर निकट था।

9 जब बहुत दिन बीत गए, और जलयात्रा में जोखिम इसलिए होती थी कि उपवास के दिन अब बीत चुके थे, तो पौलुस ने उन्हें यह कहकर चेतावनी दी, 10 “हे सज्जनों, मुझे ऐसा जान पड़ता है कि इस यात्रा में विपत्ति और बहुत हानि, न केवल माल और जहाज की वरन् हमारे प्राणों की भी होनेवाली है।” 11 परन्तु सूबेदार ने कप्ता‍न और जहाज के स्वामी की बातों को पौलुस की बातों से बढ़कर माना।

12 वह बन्दरगाह जाड़ा काटने के लिये अच्छा न था; इसलिए बहुतों का विचार हुआ कि वहाँ से जहाज खोलकर यदि किसी रीति से हो सके तो फीनिक्स* में पहुँचकर जाड़ा काटें। यह तो क्रेते का एक बन्दरगाह है जो दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम की ओर खुलता है।

13 जब दक्षिणी हवा बहने लगी, तो उन्होंने सोचा कि उन्हें जिसकी जरूरत थी वह उनके पास थी, इसलिए लंगर उठाया और किनारे के किनारे, समुद्र तट के पास चल दिए।

14 परन्तु थोड़ी देर में जमीन की ओर से एक बड़ी आँधी उठी, जो ‘यूरकुलीन’ कहलाती है। 15 जब आँधी जहाज पर लगी, तब वह हवा के सामने ठहर न सका, अतः हमने उसे बहने दिया, और इसी तरह बहते हुए चले गए। 16 तब कौदा* नामक एक छोटे से टापू की आड़ में बहते-बहते हम कठिनता से डोंगी को वश में कर सके।

17 फिर मल्लाहों ने उसे उठाकर, अनेक उपाय करके जहाज को नीचे से बाँधा, और सुरतिस के रेत पर टिक जाने के भय से पाल और सामान उतार कर बहते हुए चले गए। 18 और जब हमने आँधी से बहुत हिचकोले और धक्के खाए, तो दूसरे दिन वे जहाज का माल फेंकने लगे;

19 और तीसरे दिन उन्होंने अपने हाथों से जहाज का साज-सामान भी फेंक दिया। 20 और जब बहुत दिनों तक न सूर्य न तारे दिखाई दिए, और बड़ी आँधी चल रही थी, तो अन्त में हमारे बचने की सारी आशा जाती रही।

21 जब वे बहुत दिन तक भूखे रह चुके, तो पौलुस ने उनके बीच में खड़ा होकर कहा, “हे लोगों, चाहिए था कि तुम मेरी बात मानकर, क्रेते से न जहाज खोलते और न यह विपत्ति आती और न यह हानि उठाते।

22 परन्तु अब मैं तुम्हें समझाता हूँ कि ढाढ़स बाँधो, क्योंकि तुम में से किसी के प्राण की हानि न होगी, पर केवल जहाज की। 23 क्योंकि परमेश्‍वर जिसका मैं हूँ, और जिसकी सेवा करता हूँ, उसके स्वर्गदूत ने आज रात मेरे पास आकर कहा, 24 ‘हे पौलुस, मत डर! तुझे कैसर के सामने खड़ा होना अवश्य है। और देख, परमेश्‍वर ने सब को जो तेरे साथ यात्रा करते हैं, तुझे दिया है।’ 25 इसलिए, हे सज्जनों, ढाढ़स बाँधो; क्योंकि मैं परमेश्‍वर पर विश्वास करता हूँ, कि जैसा मुझसे कहा गया है, वैसा ही होगा। 26 परन्तु हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा।”

27 जब चौदहवीं रात हुई, और हम अद्रिया समुद्र में भटक रहे थे, तो आधी रात के निकट मल्लाहों ने अनुमान से जाना कि हम किसी देश के निकट पहुँच रहे हैं। 28 थाह लेकर उन्होंने बीस पुरसा गहरा पाया और थोड़ा आगे बढ़कर फिर थाह ली, तो पन्द्रह पुरसा पाया। 29 तब पत्थरीली जगहों पर पड़ने के डर से उन्होंने जहाज की पीछे चार लंगर डाले, और भोर होने की कामना करते रहे।

30 परन्तु जब मल्लाह जहाज पर से भागना चाहते थे, और गलही से लंगर डालने के बहाने डोंगी समुद्र में उतार दी; 31 तो पौलुस ने सूबेदार और सिपाहियों से कहा, “यदि ये जहाज पर न रहें, तो तुम भी नहीं बच सकते।” 32 तब सिपाहियों ने रस्से काटकर डोंगी गिरा दी।

33 जब भोर होने पर थी, तो पौलुस ने यह कहकर, सब को भोजन करने को समझाया, “आज चौदह दिन हुए कि तुम आस देखते-देखते भूखे रहे, और कुछ भोजन न किया। 34 इसलिए तुम्हें समझाता हूँ कि कुछ खा लो, जिससे तुम्हारा बचाव हो; क्योंकि तुम में से किसी के सिर का एक बाल भी न गिरेगा।” 35 और यह कहकर उसने रोटी लेकर सब के सामने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया और तोड़कर खाने लगा।

36 तब वे सब भी ढाढ़स बाँधकर भोजन करने लगे। 37 हम सब मिलकर जहाज पर दो सौ छिहत्तर जन थे। 38 जब वे भोजन करके तृप्त हुए, तो गेंहूँ को समुद्र में फेंककर जहाज हलका करने लगे।

39 जब दिन निकला, तो उन्होंने उस देश को नहीं पहचाना, परन्तु एक खाड़ी देखी जिसका चौरस किनारा था, और विचार किया कि यदि हो सके तो इसी पर जहाज को टिकाएँ। 40 तब उन्होंने लंगरों को खोलकर समुद्र में छोड़ दिया और उसी समय पतवारों के बन्धन खोल दिए, और हवा के सामने अगला पाल चढ़ाकर किनारे की ओर चले। 41 परन्तु दो समुद्र के संगम की जगह पड़कर उन्होंने जहाज को टिकाया, और गलही तो धक्का खाकर गड़ गई, और टल न सकी; परन्तु पिछली लहरों के बल से टूटने लगी।

42 तब सिपाहियों का यह विचार हुआ कि बन्दियों को मार डालें; ऐसा न हो कि कोई तैर कर निकल भागे। 43 परन्तु सूबेदार ने पौलुस को बचाने की इच्छा से उन्हें इस विचार से रोका, और यह कहा, कि जो तैर सकते हैं, पहले कूदकर किनारे पर निकल जाएँ। 44 और बाकी कोई पटरों पर, और कोई जहाज की और वस्तुओं के सहारे निकल जाए, और इस रीति से सब कोई भूमि पर बच निकले।



Acts 27:1

निश्चित हो गया

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

इटली जाएँ

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

हम जहाज द्वारा इटली जाएं

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

यूलियुस नामक …..एक सूबेदार

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

औगुस्तुस की पलटन के

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

अद्रमुत्तियुम के एक जहाज पर

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

जाने पर था

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

उसे खोल दिया

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

अरिस्तर्खुस नामक थिस्स्लुनीके का एक मकदूनी

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:3

यूल्लियुस ने पौलुस पर कृपा करके

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

मित्रों के यहाँ जाने दिया कि उसका सत्कार किया जाए

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

हवा विरुद्ध होने के कारण हम साइप्रस की आड़ में होकर चले

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

और पम्फूलिया

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

लूसिया के मूरा में उतरे

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

लूसिया

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

सिकंदरिया का एक जहाज

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

इटली जाता हुआ

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:7

कनिदुस के सामने

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

लसया नगर निकट था

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

सलमोने के सामने

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

शुभ लंगरबारी

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:9

जब बहुत दिन बीत गए

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

उपवास के दिन अब बीत चुके थे

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:12

वह बंदरगाह जाड़ा काटने के लिए अच्छा न था

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

फीनिक्स

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

लंगर उठाया

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:14

जमीन की ओर से एक आंधी आयी

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

टापू की आड़ में

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

कौदा नामक एक छोटे टापू

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:17

मल्लाहों ने उसे उठाकर

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

सुरतिस के चोरबालू

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

बहते चले गए

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:19

हमारे बचने की आशा न रही

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:21

उनके बीच खड़ा होकर कहा

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

क्रेते से जहाज न खोलते और न यह विपत्ति आती और न यह हानि उठाते

अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता।

Acts 27:23

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

सब को जो तेरे साथ यात्रा करते हैं, तुझे दिया है

“सब को जो तेरे साथ यात्रा करते हैं, जीवित रहने दिया है”

हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा

हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा “हमें अपना जहाज किसी टापू पर ले जाना होगा”

Acts 27:27

अद्रिया समुद्र

अद्रिया समुद्र - इटली और यूनान के बीच स्थित समुद्र।

उन्होंने थाह लेकर

समुद्र के पानी की गहराई माप कर। (यूडीबी)

बीस पुरसा गहरा पाया

“20 बिरसा गहरा पाया” या फिर, “40 मीटर गहरा पाया)। बिरसा मापने की इकाई है।

पंद्रह पुरसा पाया

“पंद्रह पुरसा पाया” या फिर “तीस मीटर पाया”

जहाज की पिछाडी

“जहाज के पिछले हिस्से से”

Acts 27:33

सिर का एक बाल भी न गिरेगा

“सब लोग इस से बिना किसी हानि के बच निकलेंगे।”

रोटी ……….तोड़कर खाने लगा

अर्थात “रोटी……….उसके टुकड़े करके खाने लगा” अथवा “रोटी…..का एक टुकड़ा तोडा”

Acts 27:36

दो सौ छिहत्तर जन थे

“276 लोग”

Acts 27:39

उस देश को नहीं पहचाना

“उस जगह को पहचान नहीं पाए”

उन्होंने लंगरों को खोल कर समुद्र में छोड़ दिया

“रस्सियाँ काट कर लंगर को पीछे छोड़ दिया”

किनारे की ओर चले

“जहाज को किनारे पर ले गए”

Acts 27:42

तब सिपाहियों का विचार हुआ कि

“तब सिपाही योजना बना रहे थे कि”

कूदकर किनारे पर निकल जाएं

“जहाज से पानी में कूद कर किनारे पर निकल जाएं”


Translation Questions

Acts 27:3

सूबेदार यूलियुस ने रोम की यात्रा के आरम्भ में पौलुस से किस प्रकार का बर्ताव किया?

यूलियुस ने पौलुस पर कृपा कर के उसे मित्रों के यहाँ जाने दिया कि उसका सत्कार किया जाए।

Acts 27:7

किस टापू के आस-पास पौलुस का जहाज़ को मुश्किल का सामना करना पड़ा?

जहाज़ को क्रेते के टापू के पास चलने में कठिनाई हुई।

Acts 27:10

सूबेदार यूलियुस ने यात्रा जारी रखने के विषय में पौलुस द्वारा दी गई चेतावनी की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया?

यूलियुस ने पौलुस की चेतावनी की ओर इसलिए ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसने जहाज़ के स्वामी की बातों को बढ़कर माना।

Acts 27:14

समुंद्री यात्रा की अच्छी शुरुआत के बाद किस हवा ने जहाज़ को थपेड़े मारना शुरू कर दिया?

अच्छी शुरुआत के पश्चात्, यूरकुलीन कहलाने वाली हवा ने जहाज़ पर लगना शुरू कर दिया।

Acts 27:20

कई दिनों के पश्चात्, जहाज़ के मल्लाहों ने आशा छोड़ दी?

कई दिनों के पश्चात्, मल्लाहों ने बचने की सारी आशाएं छोड़ दीं।

Acts 27:22

परमेश्वर के स्वर्गदूत ने जहाज़ यात्रा के विषय में क्या सन्देश दिया?

परमेश्वर के स्वर्गदूत ने कहा कि वह और सारे मल्लाह बच जाएंगे, पर जहाज़ टूट जाएगा।

Acts 27:27

चौदहवीं रात को आधी रात में, मल्लाहों के क्या अनुमान लगाया कि जहाज़ को क्या हो रहा है ?

मल्लाहों ने अनुमान लगाया कि वे किसी देश के निकट पहुँच रहे हैं।

Acts 27:30

मल्लाह क्या करने की सोच रहे थे?

मल्लाह जहाज़ छोड़कर भागना चाहते थे।

Acts 27:31

पौलुस ने सूबेदार और सिपाहियों को मल्लाहों के विषय में क्या बताया?

पौलुस ने सूबेदार और सिपाहियों को बताया कि ये जहाज़ पर न रहें तो तुम भी नहीं बच सकते।

Acts 27:33

जब भोर होने को था तो पौलुस ने क्या करने के लिए हर किसी को समझाया?

पौलुस ने हर किसी को भोजन करने के लिए समझाया।

Acts 27:39

मल्लाहों के दल ने जहाज़ को किस प्रकार समुंद्र तट पर लगाने का निर्णय किया, और क्या हुआ?

मल्लाहों के दल ने सीधे समुंद्र तट की ओर जहाज़ ले जाने का निर्णय किया, पर जहाज़ का गलही तो धक्का खाकर गड गई और टल न सकी परन्तु पिछाड़ी लहरों के बल से टूटने सी लगी।

Acts 27:42

इस समय सिपाही बन्दियों के साथ क्या करने जा रहे थे?

सिपाही बन्दियों को मार डालने का विचार करने लगे ताकि उनमे से कोई बच न निकले।

Acts 27:43

सूबेदार ने सिपाहियों की योजना को क्यों रोका?

सूबेदार ने सिपाहियों की योजना को रोका क्योंकि वह पौलुस को बचाना चाहता था।

Acts 27:44

जहाज़ के सब लोग किस प्रकार सुरक्षित ज़मीन पर आए?

जो कोई तैर सकते थे पहले किनारे पर गए, फिर बाकी कोई पटरों और जहाज़ की अन्य वस्तुओं के द्वारा भूमि पर बच निकले।


Chapter 28

1 जब हम बच निकले, तो पता चला कि यह टापू माल्टा* कहलाता है। 2 और वहाँ के निवासियों ने हम पर अनोखी कृपा की; क्योंकि मेंह के कारण जो बरस रहा था और जाड़े के कारण, उन्होंने आग सुलगाकर हम सब को ठहराया।

3 जब पौलुस ने लकड़ियों का गट्ठा बटोरकर आग पर रखा, तो एक साँप* आँच पा कर निकला और उसके हाथ से लिपट गया। 4 जब उन निवासियों ने साँप को उसके हाथ में लटके हुए देखा, तो आपस में कहा, “सचमुच यह मनुष्य हत्यारा है, कि यद्यपि समुद्र से बच गया, तो भी न्याय ने जीवित रहने न दिया।”

5 तब उसने साँप को आग में झटक दिया, और उसे कुछ हानि न पहुँची। 6 परन्तु वे प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह सूज जाएगा, या एकाएक गिरके मर जाएगा, परन्तु जब वे बहुत देर तक देखते रहे और देखा कि उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा, तो और ही विचार कर कहा, “यह तो कोई देवता है।”

7 उस जगह के आस-पास पुबलियुस नामक उस टापू के प्रधान की भूमि थी: उसने हमें अपने घर ले जाकर तीन दिन मित्रभाव से पहुनाई की। 8 पुबलियुस के पिता तेज बुखार और पेचिश से रोगी पड़ा था। अतः पौलुस ने उसके पास घर में जाकर प्रार्थना की, और उस पर हाथ रखकर उसे चंगा किया। 9 जब ऐसा हुआ, तो उस टापू के बाकी बीमार आए, और चंगे किए गए। 10 उन्होंने हमारा बहुत आदर किया, और जब हम चलने लगे, तो जो कुछ हमारे लिये आवश्यक था, जहाज पर रख दिया।

11 तीन महीने के बाद हम सिकन्दरिया के एक जहाज पर चल निकले, जो उस टापू में जाड़े काट रहा था, और जिसका चिन्ह दियुसकूरी था। 12 सुरकूसा* में लंगर डाल करके हम तीन दिन टिके रहे।

13 वहाँ से हम घूमकर रेगियुम* में आए; और एक दिन के बाद दक्षिणी हवा चली, तब दूसरे दिन पुतियुली में आए। 14 वहाँ हमको कुछ भाई मिले, और उनके कहने से हम उनके यहाँ सात दिन तक रहे; और इस रीति से हम रोम को चले। 15 वहाँ से वे भाई हमारा समाचार सुनकर अप्पियुस के चौक और तीन-सराए तक हमारी भेंट करने को निकल आए, जिन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बाँधा।

16 जब हम रोम में पहुँचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उसकी रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।

17 तीन दिन के बाद उसने यहूदियों के प्रमुख लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उनसे कहा, “हे भाइयों, मैंने अपने लोगों के या पूर्वजों की प्रथाओं के विरोध में कुछ भी नहीं किया, फिर भी बन्दी बनाकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया। 18 उन्होंने मुझे जाँच कर छोड़ देना चाहा, क्योंकि मुझ में मृत्यु के योग्य कोई दोष न था।

19 परन्तु जब यहूदी इसके विरोध में बोलने लगे, तो मुझे कैसर की दोहाई देनी पड़ी; यह नहीं कि मुझे अपने लोगों पर कोई दोष लगाना था। 20 इसलिए मैंने तुम को बुलाया है, कि तुम से मिलूँ और बातचीत करूँ; क्योंकि इस्राएल की आशा के लिये मैं इस जंजीर से जकड़ा हुआ हूँ।”

21 उन्होंने उससे कहा, “न हमने तेरे विषय में यहूदियों से चिट्ठियाँ पाई, और न भाइयों में से किसी ने आकर तेरे विषय में कुछ बताया, और न बुरा कहा। 22 परन्तु तेरा विचार क्या है? वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें करते हैं।”

23 तब उन्होंने उसके लिये एक दिन ठहराया, और बहुत से लोग उसके यहाँ इकट्ठे हुए, और वह परमेश्‍वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों से यीशु के विषय में समझा-समझाकर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा। 24 तब कुछ ने उन बातों को मान लिया, और कुछ ने विश्वास न किया।

25 जब आपस में एकमत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, “पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे पूर्वजों से ठीक ही कहा, 26 ‘जाकर इन लोगों से कह,

     कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे,

     और देखते तो रहोगे, परन्तु न बुझोगे;

    27 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा,

     और उनके कान भारी हो गए है,

     और उन्होंने अपनी आँखें बन्द की हैं,

     ऐसा न हो कि वे कभी आँखों से देखें,

     और कानों से सुनें,

     और मन से समझें

     और फिरें,

     और मैं उन्हें चंगा करूँ।’ (यशा. 6:9-10)

28 अतः तुम जानो, कि परमेश्‍वर के इस उद्धार की कथा अन्यजातियों के पास भेजी गई है, और वे सुनेंगे।” (भज. 67:2, भज. 98:3, यशा. 40:5)

29 जब उसने यह कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहाँ से चले गए।

30 और पौलुस पूरे दो वर्ष अपने किराये के घर में रहा, 31 और जो उसके पास आते थे, उन सबसे मिलता रहा और बिना रोक-टोक बहुत निडर होकर* परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।



Acts 28:1

पता चला

“लोगों से पता चला” या फिर, “हमें वहां के निवासियों से पता चला कि”। यहाँ पौलुस और प्रेरितों के कार्य के लेखक, लूका की बात हो रही है।

यह टापू माल्टा कहलाता है

“माल्टा,” आधुनिक सिसीली द्वीप के दक्षिण में स्थित एक टापू है।

वहां के निवासियों

“निवासियों” का आशय उन लोगों से है जो न तो यूनानी भाषा में बोलते हैं और न ही उन्होंने यूनानी संस्कृति को अपनाया है।

अनोखी कृपा

“बहुत बड़ी कृपा”

आग सुलगाकर

“टहनियों और शाखाओं को इकठ्ठा करके जलाया”

हम सबको ठहराया

संभावित आशय: 1) “जहाज के सभी लोगों का स्वागत किया” या फिर, 2) “पौलुस और उसके सभी साथियों का स्वागत किया।”

Acts 28:3

एक सांप आंच पाकर निकला

“एक ज़हरीला सांप लकडियों के ढेर से निकल आया”

उसक हाथ से लिपट गया

“पौलुस के हाथ को काट कर वही लिपट गया”

सचमुच यह मनुष्य हत्यारा है

“अवश्य ही, यह आदमी एक हत्यारा है” या फिर, “यह मनुष्य निश्चय ही एक हत्यारा है”

तौभी न्याय ने जीवित रहने न दिया

“न्याय की देवी ने उसे मृत्यु से बचने न दिया”

Acts 28:5

तब उसने सांप को आग में झटक दिया

“तब उसने अपना हाथ झटक कर सांप को आग में फ़ेंक दिया”

वह सूज जाएगा

संभावित आशय : 1) “तेज़ बुखार हो जाएगा” या फिर, 2) “सूजन हो जाएगी।”

यह तो कोई देवता है

ऐसा माना जाता था कि यदि ज़हरीले सांप द्वारा डसे जाने के बाद भी यदि कोई जीवित रहता है तो वह व्यक्ति एक देवता है

Acts 28:7

उस जगह के आसपास

कहानी में नए व्यक्ति का आगमन होता है।

प्रधान

संभावित आशय: 1) जन समुदाय का मुख्य अगुआ या फिर, 2) टापू का सबसे अमीर व प्रभावशाली व्यक्ति

हमें अपने घर ले जाकर मित्रभाव से पहुनाई की

“पौलुस व उसके साथियों का स्वागत किया और पहुनाई की”

पहुनाई की

“हम अजनबियों के प्रति मित्रभाव से पहुनाई की”

रोगी पड़ा था

“का रोगी था”

ज्वर और आंव लहू पड़ा था

“आंव लहू (पेचिश) आंतो का एक संक्रामक रोग है”

उस पर हाथ रखकर

“अपने हाथों से छूकर”

और चंगे किये गए

“और वे भी चंगे किये गए”

Acts 28:11

सिकंदरिया के एक जहाज

संभावित आशय: 1) “सिकंदरिया की ओर से आया जहाज” या फिर, 2) “सिकंदरिया में पंजीकृत और वहाँ का लाइसेंसधारी जहाज। नाम के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें।

जिसका चिन्ह दियुसकूरी था

“दियुसकूरी” से आशय यूनानी देवता ज़ीअस के जुड़वाँ बेटों, कास्टर व पोलक्स से है। वे जहाज़ों के रक्षक माने जाते the।

सुरकूसा

आधुनिक सिसीली द्वीप के दक्षिणपूर्वी तट पर, इटली के बस दक्षिणपश्चिम पर स्थित एक नगर।

Acts 28:13

रेगियुम

इटली के दक्षिणपश्चिमी छोर पर स्थित एक बंदरगाह नगर।

दक्षिणी हवा चली

“दक्षिण की ओर से हवा चलने लगी”

पुतियुली

“पुतियुली” आधुनिक नेपल्स में इटली के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।

इसी रीति से हम रोम को चले गए

“उनके साथ सात दिन बिताने के बाद, हम रोम चले गए।” पुतियुली में पहुँचने के बाद की सारी यात्रा भूमि पर की गयी यात्रा है।

तीन-सराए

रोम के दक्षिण में 50किमी पर अप्पियन वे नामक राजमार्ग पर स्थित के आरामगाह।

Acts 28:16

जब हम रोम पहुंचें, तो पौलुस को….की आज्ञा हुई

“जब हम रोम पहुंचे, तो राज्य ने पौलुस को....अनुमति दी”

यहूदियों के प्रमुख लोगों

रोम में मौजूद यहूदियों के नागरिक अथवा धार्मिक अगुवे

मुझमें मृत्यु के योग्य कोई दोष न था

“मैंने मृत्यु दंड के योग्य कोई कार्य नहीं किया था”

Acts 28:19

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

जब यहूदी इसके विरोध में बोलने लगे

“यरूशलेम के यहूदी इसके विरोध बोलने लगे”

इसके विरोध में बोलने लगे

“रोमी अगुओं की इच्छा के विरुद्ध बोलने लगे”

मुझे कैसर की दोहाई देनी पडी

“मेरे पास कैसर को दोहाई देने के अतिरिक्त कोई विकल्प न बचा।”

इस्राएल की आशा

कि परमेश्वर इस्राएल में मसीह को भेजेगा

Acts 28:21

परन्तु तेरा विचार क्या है?

अर्थात, “इस स्वतंत्र समुदाय के विषय में तेरा क्या विचार है”

हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें करते हैं

रोमी साम्राज्य में रहनेवाले वे यहूदी, जो सुसमाचार के सन्देश को नकार चुके थे, वे लोग “पंथ” की बुराई करते थे। रोम के यहूदियों को इन्हीं लोगों से सूचनाएं मिल रही थी।

Acts 28:23

यीशु के विषय में समझा-समझकर

वह ये बातें यहूदी अगुओं से कह रहा था

कुछ मान गए

“पौलुस ने कुछ लोगों को विश्वास दिला दिया”

Acts 28:27

x

पौलुस यशायाह से बोलना जारी रखता है

Acts 28:28

x

पौलुस अपनी बात जारी रखता है

और वे सुनेंगे

“और उनमें से कुछ अवश्य सुनेंगे”

29वां पद

“और उसके ऐसा कहने के बाद, आपस में बहस करते हुए चले गए।” इस पद को शामिल नहीं किया गया था क्योंकि कुछ प्राचीन लेखों में यह नहीं है।


Translation Questions

Acts 28:2

माल्टा टापू के निवासियों ने पौलुस और उसके जहाज़ के सवारों के साथ कैसा व्यवहार किया?

वहां के निवासियों ने उन पर अनोखी कृपा की।

Acts 28:4

जब लोगों ने पौलुस के हाथ में सांप लटकता हुआ देखा तो क्या सोचा?

लोगों ने सोचा कि पौलुस हत्यारा है जिसे न्याय के कारण जीवित न रहने दिया।

Acts 28:6

जब लोगों ने देखा कि सांप ने पौलुस को नहीं काटा तो उन्होंने क्या सोचा?

लोगों ने सोचा कि पौलुस कोई देवता है।

Acts 28:8

जब पौलुस ने पुबलियुस के पिता को ठीक कर दिया जो टापू का प्रधान था तो फिर क्या हुआ?

उस टापू के अन्य लोग जो बीमार थे आए और चंगाई पाई।

Acts 28:11

पौलुस और अन्य माल्टा नामक टापू पर कितने दिन रहे?

पौलुस और अन्य सदस्य माल्टा नामक टापू पर तीन माह तक रहे।

Acts 28:15

पौलुस ने रोमी भाइयों को देखकर क्या किया जो उसे मिलने आए थे?

जब उसने भाइयों को देखा, उसने परमेश्वर का धन्यवाद किया और ढाढस बांधा।

Acts 28:16

रोम में बन्दी के रूप में पौलुस के रहन-सहन की क्या व्यवस्था थी?

पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उसकी रखवाली करता था अकेले रहने की आज्ञा हुई।

Acts 28:20

पौलुस ने रोम में यहूदियों के प्रमुख को अपने जंजीरों में जकड़े होने का क्या कारण बताया?

पौलुस ने यहूदियों के प्रमुख को बताया कि उसे इस्राएल की आशा के लिए उसे जंजीरों में जकड़ा हुआ है।

Acts 28:22

रोम में यहूदियों के प्रमुख इसाई मत के विषय में क्या जानते थे?

रोम में यहूदियों के प्रमुख जानते थे कि हर जगह लोग इस मत के विरोध में बातें करते हैं।

Acts 28:23

जब यहूदियों के प्रमुख पौलुस को उसके रहने के स्थान पर मिलने आए, तो पौलुस ने सुबह से शाम क्या करने की कोशिश की?

पौलुस ने उन्हें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों से समझा-समझा कर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा।

Acts 28:24

पौलुस की प्रस्तुति पर यहूदियों के प्रमुख की क्या प्रतिक्रिया थी?

कुछ यहूदी प्रमुखों ने उन बातों को मान लिया, जबकि अन्यों ने विश्वास न किया।

Acts 28:25

पौलुस द्वारा पवित्र शास्त्र से दिए गए अंतिम हवाले में उसने उन यहूदी प्रमुखों को क्या कहा जिन्होंने विश्वास नहीं किया था?

पवित्र शास्त्र से पौलुस द्वारा दिए गए अंतिम हवाले के अनुसार वे जिन्होंने विश्वास नहीं किया उन्होंने परमेश्वर के वचन की ओर से कान बंद और आँखे मूँद लीं हैं।

Acts 28:28

पौलुस के अनुसार परमेश्वर का उद्धार का सन्देश कहाँ भेजा गया है और उस पर क्या प्रतिक्रिया होगी?

पौलुस ने कहा कि परमेश्वर के उद्धार का सन्देश अन्यजातियों के पास भेजा गया है और वे सुनेगें।

Acts 28:31

पौलुस जब रोम में बन्दी था तो क्या करता था?

पौलुस ने परमेश्वर के राज्य का प्रचार किया और प्रभु यीशु मसीह के विषय में निडर होकर सिखाया।

पौलुस जब रोम में दो वर्ष तक बन्दी था तो उसे किसने प्रचार करने और सिखाने से रोका?

उसे किसी ने भी नहीं रोका।


Book: Romans

Romans

Chapter 1

1 पौलुस* की ओर से जो यीशु मसीह का दास है, और प्रेरित होने के लिये बुलाया गया, और परमेश्‍वर के उस सुसमाचार के लिये अलग किया गया है 2 जिसकी उसने पहले ही से अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा पवित्रशास्त्र में, 3 अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह के विषय में प्रतिज्ञा की थी, जो शरीर के भाव से तो दाऊद के वंश से उत्‍पन्‍न हुआ।

4 और पवित्रता की आत्मा के भाव से मरे हुओं में से जी उठने के कारण सामर्थ्य के साथ परमेश्‍वर का पुत्र ठहरा है। 5 जिसके द्वारा हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली कि उसके नाम के कारण सब जातियों के लोग विश्वास करके उसकी मानें, 6 जिनमें से तुम भी यीशु मसीह के होने के लिये बुलाए गए हो।

7 उन सब के नाम जो रोम में परमेश्‍वर के प्यारे हैं और पवित्र होने* के लिये बुलाए गए है: हमारे पिता परमेश्‍वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। (इफि. 1:2)

8 पहले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है। 9 परमेश्‍वर जिसकी सेवा मैं अपनी आत्मा से उसके पुत्र के सुसमाचार के विषय में करता हूँ, वही मेरा गवाह है, कि मैं तुम्हें किस प्रकार लगातार स्मरण करता रहता हूँ, 10 और नित्य अपनी प्रार्थनाओं में विनती करता हूँ, कि किसी रीति से अब भी तुम्हारे पास आने को मेरी यात्रा परमेश्‍वर की इच्छा से सफल हो।

11 क्योंकि मैं तुम से मिलने की लालसा करता हूँ, कि मैं तुम्हें कोई आत्मिक वरदान दूँ जिससे तुम स्थिर हो जाओ, 12 अर्थात् यह, कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शान्ति पाऊँ।

13 और हे भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम इससे अनजान रहो कि मैंने बार-बार तुम्हारे पास आना चाहा, कि जैसा मुझे और अन्यजातियों में फल मिला, वैसा ही तुम में भी मिले, परन्तु अब तक रुका रहा। 14 मैं यूनानियों और अन्यभाषियों का, और बुद्धिमानों और निर्बुद्धियों का कर्जदार हूँ। 15 इसलिए मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूँ।

16 क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लज्जाता, इसलिए कि वह हर एक विश्वास करनेवाले के लिये, पहले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये, उद्धार के निमित्त परमेश्‍वर की सामर्थ्य है। (2 तीमु. 1:8) 17 क्योंकि उसमें परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” (हब. 2:4, गला. 3:11)

18 परमेश्‍वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। 19 इसलिए कि परमेश्‍वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्‍वर ने उन पर प्रगट किया है।

20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण*, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्‍वरत्व, जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहाँ तक कि वे निरुत्तर हैं। (अय्यू. 12:7-9, भज. 19:1) 21 इस कारण कि परमेश्‍वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्‍वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहाँ तक कि उनका निर्बुद्धि मन अंधेरा हो गया।

22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए, (यिर्म. 10:14) 23 और अविनाशी परमेश्‍वर की महिमा को नाशवान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगनेवाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला। (व्य. 4:15-19, भज. 106:20)

24 इस कारण परमेश्‍वर ने उन्हें उनके मन की अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें। 25 क्योंकि उन्होंने परमेश्‍वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन। (यिर्म. 13:25, यिर्म. 16:19)

26 इसलिए परमेश्‍वर ने उन्हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहाँ तक कि उनकी स्त्रियों ने भी स्वाभाविक व्यवहार को उससे जो स्वभाव के विरुद्ध है, बदल डाला। 27 वैसे ही पुरुष भी स्त्रियों के साथ स्वाभाविक व्यवहार छोड़कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरुषों ने पुरुषों के साथ निर्लज्ज काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया। (लैव्य. 18:22, लैव्य. 20:13)

28 और जब उन्होंने परमेश्‍वर को पहचानना न चाहा, इसलिए परमेश्‍वर ने भी उन्हें उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें।

29 वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और बैर-भाव से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या से भरपूर हो गए, और चुगलखोर, 30 गपशप करनेवाले, निन्दा करनेवाले, परमेश्‍वर से घृणा करनेवाले, हिंसक, अभिमानी, डींगमार, बुरी-बुरी बातों के बनानेवाले, माता पिता की आज्ञा का उल्लंघन करनेवाले, 31 निर्बुद्धि, विश्वासघाती, प्रेम और दया का आभाव है और निर्दयी हो गए।

32 वे तो परमेश्‍वर की यह विधि जानते हैं कि ऐसे-ऐसे काम करनेवाले मृत्यु के दण्ड के योग्य हैं, तो भी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं वरन् करनेवालों से प्रसन्‍न भी होते हैं।



Romans 1:1

पौलुस

पौलुस की ओर से आपकी भाषा में पत्र के लेखक का अपना परिचय देने की अपनी ही विधि होगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, मैं पौलुस इस पत्र को लिख रहा हूँ। आपको यह भी दर्शाने की आवश्यकता हो सकती है कि पत्र किसे लिखा जा रहा है। ( देखें यू.डी.बी

प्रेरित होने के लिए बुलाया गया और परमेश्वर के उस सुसमाचार के लिए अलग किया गया है।

इसका अनुवाद एक नये वाक्य में कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “परमेश्वर ने मुझे एक प्रेरित होने के लिए बुलाया और मनुष्यों में शुभ सन्देश सुनाने के लिए मुझे चुन लिया है”।

जिसको उसने पहले ही से अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा पवित्रशास्त्र में

परमेश्वर ने अपनी प्रजा से प्रतिज्ञा की थी कि वह अपना राज्य स्थापित करेगा। उसने भविष्यद्वक्ताओं से कह दिया था कि वे इन प्रतिज्ञाओं को धर्मशास्त्र में लिख लें।

अपने पुत्र के विषय में।

यह “परमेश्वर के शुभ सन्देश” के संदर्भ में है। शुभ सन्देश यह है कि परमेश्वर अपने पुत्र को इस संसार में भेजने पर था।

वह शरीर के भाव से तो राजा दाऊद के वंश में जन्म लेगा।

यहाँ “शरीर” का अर्थ है यह पार्थिव शरीर। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “जो प्राकृतिक रूप से दाऊद का वंशज होगा” या “जिसका जन्म दाऊद के परिवार में होगा”।

Romans 1:4

वह घोषित हुआ था।

“वह” अर्थात मसीह यीशु। “ठहरा” को कर्तृवाच्य क्रिया में व्यक्त किया जा सकता है”। परमेश्वर ने उसे घोषित किया है।

पवित्रता की आत्मा

अर्थात पवित्र आत्मा से

मरे हुओं में से जी उठने के कारण

“मरने के बाद उसे फिर जीवित करने के द्वारा”

हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली

“परमेश्वर ने अति करूणामय होकर मुझे एक वरदान दिया कि मुझे प्रेरित नियुक्त करे”। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने मुझे प्रेरित होने का यह करूणामय वरदान दिया है”। यहाँ “हमें” का अर्थ है, पौलुस और यीशु के 12 शिष्य। इसमें रोम की कलीसिया को नहीं गिना गया है।

सब जातियों के लोग विश्वास करके उसकी मानें

पौलुस यीशु के लिए “नाम” शब्द भी काम में लेता है। वैकल्पिक अनुवाद, “कि सब जातियों को उसमें विश्वास करने के कारण आज्ञा मानना सिखाएं”।

Romans 1:7

उन सब के नाम जो रोम में परमेश्वर के प्यारे हैं और पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं।

उन सबके नाम जो रोम में परमेश्वर के प्यारे हैं और पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं। - इसका अनुवाद एक नए वाक्य में कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “मैं तुम सबको जो रोम में है यह पत्र लिख रहा हूँ, क्योंकि परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है और तुम्हें अपने लोग होने के लिए चुन लिया है”।

तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे

तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जाता है “मेरा अनुग्रह और शान्ति तुम्हें मिलती रहे”।

Romans 1:8

सारा जगत

यह अतिशयोक्ति है जिसका अर्थ है उनका परिचित संसार अर्थात रोमी साम्राज्य

परमेश्वर मेरा गवाह है

पौलुस इस बात पर बल देता है कि वह उनके लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करता है और परमेश्वर उसे प्रार्थना करते हुए देखता भी है, यहाँ “क्योंकि” शब्द के अनुवाद में प्रार्थना को छोड़ दिया है।

मैं तुम्हें जिस प्रकार लगातार स्मरण करता रहता हूँ

“मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर से बातें करता हूँ”।

और नित्य अपनी प्रार्थनाओं में विनती करता हूँ कि किसी रीति से अब तुम्हारे पास आने की यात्रा परमेश्वर की इच्छा से सफल हो

“मैं जब भी प्रार्थना करता हूँ तब परमेश्वर से यही माँगता हूँ कि मेरा तुम्हारे पास आना संभव हो जाए”।

किसी रीति से

“परमेश्वर कैसे भी करे”

अब

“अन्ततः”, अन्त में” या “अन्ततोगत्वा”

परमेश्वर की इच्छा से

“क्योंकि परमेश्वर चाहता है”

Romans 1:11

तुमसे मिलने की लालसा करता हूँ

“क्योंकि मैं तुमसे भेंट करने की उत्कट अभिलाषा रखता हूँ”

इसलिए
अर्थात तुम्हारे साथ एक दूसरे को आपसी विश्वास के द्वारा- तुम्हारे और मेरे विश्वास के द्वारा- प्रोत्साहित करें।

“मेरे कहने का अर्थ है कि हम यीशु में विश्वास के अनुभवों को बाँटते हुए एक दूसरे को प्रोत्साहित करें।”

Romans 1:13

मैं नहीं चाहता कि तुम इससे अनभिज्ञ रहो

पौलुस उन्हें यह जानकारी देने पर बल देता है वैकल्पिक अनुवाद “मैं चाहता हूँ कि तुम निम्नलिखित बातें जान लोः

परन्तु अब तक रोका गया

“कोई न कोई बात मुझे रोकती रही”

वैसा ही (फल) तुम में भी मिले

"फल" से पौलुस का अभिप्राय है रोम के निवासी जिन्हें पौलुस शुभ सन्देश में विश्वास करने के लिए प्रेरित करना चाहता था।

जैसा मुझे दूसरी अन्यजातियों से फल मिला

"जैसा अन्य स्थानों में विजातीय लोगों ने शुभ सन्देश में विश्वास किया।"

मे दोनों का कर्जदार हूँ

“मुझे शुभ सन्देश सुनाना है”

Romans 1:16

मैं लजाता नहीं

पौलुस रोम में शुभ सन्देश सुनाने का कारण बताता है।

मैं सुसमाचार से नहीं लजाता

इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “चाहे कितने भी लोग मेरे द्वारा सुनाए गए इस सन्देश का तिरस्कार कर दें, मैं आत्म-विश्वास के साथ सुनाता हूँ।” )

इसलिए कि वह

पौलुस समझता है कि वह आत्म-विश्वास से शुभ सन्देश क्यों सुनाता है।

“वह हर एक विश्वास करने वालों के लिए उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ्य है।

“शुभ सन्देश के द्वारा परमेश्वर मसीह में विश्वास करने वाले हर एक मनुष्य का बड़े सामर्थ्य से उद्धार करता है”।

पहले तो यहूदी फिर यूनानी

“यहूदियों को” और यूनानियों को”

पहले

यूनानियों से पूर्व यहूदियों को यह शुभ सन्देश सुनाया गया था। अतः यहाँ इसका मूल हो सकता है, 1) समय के क्रम में पूर्व परन्तु इसका अर्थ यह भी हो सकता है, 2) “अत्यधिक महत्त्व में”।

परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है।

“परमेश्वर ने प्रकट कर दिया है कि आरंभ से अन्त तक विश्वास ही के द्वारा मनुष्य धर्मी ठहरता है”। दूसरा अनुवाद, “परमेश्वर ने अपनी न्यायनिष्ठा विश्वास करनेवाले पर प्रकट की है और इसका परिणाम यह हुआ कि उनका विश्वास और अधिक हो गया है”। या “क्योंकि परमेश्वर विश्वासयोग्य है, वह अपनी धार्मिकता प्रकट करता है जिससे मनुष्यों का विश्वास बढ़ता है”।

विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।

“परमेश्वर में विश्वास करनेवालों को परमेश्वर अपने साथ उचित संबन्ध में मानता है और वे सदा जीवित रहेंगे”।

Romans 1:18

प्रकोप के लिए

पौलुस समझाता है कि मनुष्य को यह शुभ समाचार सुनना क्यों आवश्यक है।

परमेश्वर का क्रोध...प्रकट होता है

दूसरा अनुवाद, “परमेश्वर अपना क्रोध प्रकट करता है,

विरुद्ध में

“के लिए”

लोगों की सब अभक्ति और अधर्म

वैकल्पिक अनुवाद, “मनुष्य जो भी अभक्ति और अधर्म के काम करते हैं”।

सत्य को.... दबाए रखते हैं

वैकल्पिक अनुवाद: “वे परमेश्वर के बारे में सच्ची जानकारी को छिपाते हैं”।

परमेश्वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रकट है,

वैकल्पिक अनुवाद, “वे परमेश्वर को जान सकते हैं क्योंकि वे देख सकते हैं”

इसलिए कि परमेश्वर

पौलुस स्पष्ट करता है कि ये लोग परमेश्वर का ज्ञान कैसे रखते हैं।

क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया।

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने उन्हें दिखाया है”

Romans 1:20

(क्योंकि)

पौलुस समझाता है कि परमेश्वर स्वयं को मनुष्यों पर कैसे प्रकट किया है।

उसके अनदेखे गुण देखने में आते हैं

“अनदेखे” का अर्थ जो दिखाई देता है वह सब “देखने में आते हैं” क्योंकि मनुष्य अब समझ गए हैं कि दिखाई न देते हुए भी वे हैं।

संसार

आकाश और पृथ्वी एवं सब कुछ जो उनमें है।

दैविक स्वभाव

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के सब गुण एवं लक्षण” या "परमेश्वर की वे बातें जो उसे परमेश्वर बताता है।”

सृष्टि को ... देखने से समझ में आता है

विकल्प, “मनुष्य परमेश्वर की सृष्टि को देखकर उसके बारे में ज्ञान ग्रहण कर सकता है”।

वे निरूत्तर हैं

वैकल्पिक अनुवाद: “वे कभी नहीं कह सकते कि वे नहीं जानते।

वे

“मानवजाति”

व्यर्थ विचार करने लगे

“मूर्खता की बातों में मन लगाया” (यू.डी.बी.)

उनका निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया।

इस अभिव्यक्ति में मन का अन्धेरा होने का अर्थ है उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई, विकल्प, “उनके मन में समझ ही नहीं रही”।

Romans 1:22

अपने आप को बुद्धिमान जता कर, मूर्ख बन गए

“बुद्धिमान होने का दावा करके, वे वास्तव में मूर्ख ही बने।”

अपने आपको ... (वे)

“मानवजाति”

अविनाशी परमेश्वर की महिमा को ... बदल डा़ला

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर महिमा से पूर्ण है और अविनाशी है इस सत्य को बदल डाला” या “परमेश्वर को महिमामय एवं अविनाशी मानना त्याग दिया”

समानता के अनुरूप

वैकल्पिक अनुवाद, “इसकी अपेक्षा मूर्तियों की उपासना करने का चुनाव किया ... जैसी दिखती थी”

नाशवान मनुष्य

“कुछ मनुष्य मर जायेंगे”

Romans 1:24

इस कारण

इसके लिए

परमेश्वर ने उन्हें....छोड़ दिया

“परमेश्वर ने उन्हें करने दिया” (देखें: “परमेश्वर ने अनुमति दे दी)

उन्हें उनके .... वे.... अपने

“मानवजाति”

उनके मन की अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिए

“जिन अनैतिक बातों की उनके मन में अभिलाषा थी”

वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें

“उन्होंने यौन संबन्धित अनाचार एवं अनादर के काम किए”

इसके बदले

इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “कि अपेक्षा” या “अन्यथा” या 2.) “इसके साथ”

Romans 1:26

(इस)

“मूर्तिपूजा और यौन संबन्धित पाप”।

परमेश्वर ने उन्हें ... छोड़ दिया

“परमेश्वर ने उन्हें अनुमति दी”

नीच कामनाओं

“लज्जाजनक यौन अभिलाषाएँ”

यहाँ तक कि उनकी स्त्रियों ने भी

“उनकी स्त्रियों ने भी”

उनकी स्त्रियाँ

मनुष्यों की स्त्रियाँ

स्वाभाविक व्यवहार को उससे जो स्वभाव के विरुद्ध है, बदल डाला

“यौनाचार को वैसा बना दिया जैसा परमेश्वर ने नहीं रचा था।

कामातुर होकर जलने लगे

“यौन वासना से जलने लगे”

भ्रम

“अपमानजनक” या “लज्जाजनक” या “पापी”

अपने भ्रम का ठीक फल पाया

इसे एक नए वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “उन्होंने अपने इस भ्रष्टाचार का परमेश्वर से उचित दण्ड पाया है”

बिगाड़

व्यवहार जो बुरा और घृणित हो

Romans 1:28

उन्होंने परमेश्वर को पहचानना न चाहा

“उन्होंने परमेश्वर को मानना उचित नहीं समझा”

उन्होंने... उन्हें.... उनके

“मानवजाति”

उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया

उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया “परमेश्वर ने उनके मन को अनाचार से भर जाने के लिए छोड़ दिया”

अनुचित

“नीच” या “निर्लज्ज” या “पापी”

Romans 1:29

वह भर गए

“उनके मन में उत्कट अभिलाषाएं भरी हुई थी” या “ऐसे काम करने की लालसा में लिप्त थे”।

वे

“मानवजाति”

Romans 1:32

वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं

वे जानते हैं कि परमेश्वर उनसे धर्मनिष्ठा की अपेक्षा करता है

ऐसे काम करने वाले

“दुष्टता के काम करने वाले”

मृत्यु के दण्ड के योग्य

“वह मृत्यु के योग्य है”

न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं

इसे एक नए वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “परन्तु वे ही ऐसे काम करते हैं।”


Translation Questions

Romans 1:1

पौलुस के समय से पूर्व परमेश्वर ने किस माध्यम से सुसमाचार की प्रतिज्ञा की थी?

परमेश्वर ने पवित्र धर्मशास्त्र में अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा सुसमाचार की पूर्व प्रतिज्ञा की थी।

Romans 1:3

शरीर के अनुसार परमेश्वर का पुत्र किसके वंशजों में जन्मा था?

शरीर के अनुसार परमेश्वर का पुत्र दाऊद के वंशजों में जन्मा था।

Romans 1:4

किस घटना के द्वारा मसीह यीशु को परमेश्वर का पुत्र घोषित किया गया था?

मसीह यीशु पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर का पुत्र कहलाया।

Romans 1:5

पौलुस ने मसीह से अनुग्रह और प्रेरिताई किस उद्देश्य के निमित्त प्राप्त की थी?

सब जातियों में आज्ञाकारिता और विश्वास के लिए पौलुस को अनुग्रह और प्रेरिताई मिली।

Romans 1:8

रोम के विश्वासियों के बारे में पौलुस किस बात के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है?

पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि उनके विश्वास की चर्चा संपूर्ण जगत में हो रही थी।

Romans 1:11

पौलुस रोम के विश्वासियों से क्यों भेंट करना चाहता था?

पौलुस उनसे भेंट करने की कामना करता है कि वह उन्हें कोई आत्मिक वरदान दे जिससे वे स्थिर हो जाएं।

Romans 1:13

पौलुस अब तक रोम के विश्वासियों से भेंट क्यों नहीं कर पाया था?

पौलुस उनसे भेंट नहीं कर पाया था क्योंकि उसके मार्ग में अब तक बाधाएं आ रही थीं।

Romans 1:16

पौलुस सुसमाचार को क्या कहता है?

पौलुस कहता है कि हर एक विश्वासी के लिए सुसमाचार उद्धार के निमित्त परमेश्वर का सामर्थ्य है।

Romans 1:17

धर्मी जन के जीवित रहने के लिए पौलुस धर्मशास्त्र से क्या उद्धरण देता है?

पौलुस धर्मशास्त्र का उद्धरण देता है, "विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।"

Romans 1:18

परमेश्वर का ज्ञान जानते हुए भी अभक्त और अधर्मी जन क्या करते हैं?

अभक्त और अधर्मी सत्य को दबाए रहते हैं जबकि परमेश्वर का ज्ञान उनके मनों में प्रकट किया जा चुका है।

Romans 1:20

परमेश्वर के बारे में अप्रत्यक्ष बातें कैसे सृष्टि से स्पष्ट प्रकट हैं?

परमेश्वर के बारे में अप्रत्यक्ष बातें सृजित वस्तुओं से स्पष्ट प्रकट है।

परमेश्वर के कौन से गुण स्पष्ट प्रकट हैं?

परमेश्वर का अनन्त सामर्थ्य और उसका दिव्य स्वभाव स्पष्ट प्रकट है।

Romans 1:21

जो परमेश्वर का महिमान्वन नहीं करते और न धन्यवाद देते हैं उनके विचारों और मन का क्या होता है?

जो परमेश्वर का महिमान्वन नहीं करते और न ही उसका धन्यवाद करते हैं, अपने विचारों में मूर्ख बनते हैं और उनके मन अन्धकारपूर्ण होते हैं।

Romans 1:23

परमेश्वर ऐसे मनुष्यों के साथ क्या करता है जो उसकी महिमा को नाशवान मनुष्यों और पशुओं की समानता में बदल देते है?

परमेश्वर ने उन्हें अशुद्धता के लिए उनके मन की अभिलाषा के अनुसार छोड़ दिया कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।

Romans 1:26

स्त्री और पुरुष किस निर्लज काम के लिए जलने लगे थे?

स्त्रियां एक-दूसरे के लिए और पुरुष एक-दूसरे के लिए कामातुर होने लगे।

Romans 1:28

परमेश्वर ऐसे लोगों के साथ क्या करता है जो परमेश्वर को पहचानना नहीं चाहते हैं?

परमेश्वर उन्हें उनके भ्रष्ट मन पर छोड़ दिया कि वे अनुचित काम करें।

Romans 1:29

जिनके मन भ्रष्ट हैं उनके कुछ लक्षण क्या हैं?

जिनके मन भ्रष्ट हैं वे डाह, हत्या, झगड़े और छल और सब बुरी अभिलाषाओं से घिरे रहते हैं।

Romans 1:32

भ्रष्ट मन वाले परमेश्वर की अनिवार्यता के बारे में क्या जानते हैं?

जिनके मन भ्रष्ट हैं वे जानते हैं कि ऐसे काम करने वाले मृत्यु दण्ड के योग्य हैं।

भ्रष्ट मन वाले परमेश्वर की अनिवार्यता को जानते हुए भी क्या करते हैं?

वे फिर भी अधर्म के काम करते हैं और ऐसे काम करने वालों को मान्यता प्रदान करते हैं।


Chapter 2

1 इसलिए हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो, तू निरुत्तर है*; क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिए कि तू जो दोष लगाता है, स्वयं ही वही काम करता है। 2 और हम जानते हैं कि ऐसे-ऐसे काम करनेवालों पर परमेश्‍वर की ओर से सच्चे दण्ड की आज्ञा होती है।

3 और हे मनुष्य, तू जो ऐसे-ऐसे काम करनेवालों पर दोष लगाता है, और स्वयं वे ही काम करता है; क्या यह समझता है कि तू परमेश्‍वर की दण्ड की आज्ञा से बच जाएगा? 4 क्या तू उसकी भलाई, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन* को तुच्छ जानता है? और क्या यह नहीं समझता कि परमेश्‍वर की भलाई तुझे मन फिराव को सिखाती है?

5 पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिसमें परमेश्‍वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने लिये क्रोध कमा रहा है। 6 वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा। (भज. 62:12, नीति. 24:12) 7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा;

8 पर जो स्वार्थी हैं और सत्य को नहीं मानते, वरन् अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा। 9 और क्लेश और संकट हर एक मनुष्य के प्राण पर जो बुरा करता है आएगा, पहले यहूदी पर फिर यूनानी पर;

10 परन्तु महिमा और आदर और कल्याण हर एक को मिलेगा, जो भला करता है, पहले यहूदी को फिर यूनानी को। 11 क्योंकि परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता। (व्य. 10:17, 2 इति. 19:7) 12 इसलिए कि जिन्होंने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश भी होंगे, और जिन्होंने व्यवस्था पा कर पाप किया, उनका दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा;

13 क्योंकि परमेश्‍वर के यहाँ व्यवस्था के सुननेवाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलनेवाले धर्मी ठहराए जाएँगे। 14 फिर जब अन्यजाति लोग जिनके पास व्यवस्था नहीं, स्वभाव ही से व्यवस्था की बातों पर चलते हैं, तो व्यवस्था उनके पास न होने पर भी वे अपने लिये आप ही व्यवस्था हैं।

15 वे व्यवस्था की बातें अपने-अपने हृदयों में लिखी हुई दिखाते हैं और उनके विवेक भी गवाही देते हैं, और उनकी चिन्ताएँ परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है। 16 जिस दिन परमेश्‍वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्यों की गुप्त बातों का न्याय करेगा।

17 यदि तू स्वयं को यहूदी कहता है, व्यवस्था पर भरोसा रखता है, परमेश्‍वर के विषय में घमण्ड करता है, 18 और उसकी इच्‍छा जानता और व्यवस्था की शिक्षा पा कर उत्तम-उत्तम बातों को प्रिय जानता है; 19 यदि तू अपने पर भरोसा रखता है, कि मैं अंधों का अगुआ, और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति, 20 और बुद्धिहीनों का सिखानेवाला, और बालकों का उपदेशक हूँ, और ज्ञान, और सत्य का नमूना, जो व्यवस्था में है, मुझे मिला है।

21 क्या तू जो औरों को सिखाता है, अपने आप को नहीं सिखाता? क्या तू जो चोरी न करने का उपदेश देता है, आप ही चोरी करता है? (मत्ती 23:3) 22 तू जो कहता है, “व्यभिचार न करना,” क्या आप ही व्यभिचार करता है? तू जो मूरतों से घृणा करता है, क्या आप ही मन्दिरों को लूटता है?

23 तू जो व्यवस्था के विषय में घमण्ड करता है, क्या व्यवस्था न मानकर, परमेश्‍वर का अनादर करता है? 24 “क्योंकि तुम्हारे कारण अन्यजातियों में परमेश्‍वर का नाम अपमानित हो रहा है,” जैसा लिखा भी है। (यशा. 52:5, यहे. 36:20)

25 यदि तू व्यवस्था पर चले, तो खतने से लाभ तो है, परन्तु यदि तू व्यवस्था को न माने, तो तेरा खतना* बिन खतना की दशा ठहरा। (यिर्म. 4:4) 26 तो यदि खतनारहित मनुष्य व्यवस्था की विधियों को माना करे, तो क्या उसकी बिन खतना की दशा खतने के बराबर न गिनी जाएगी? 27 और जो मनुष्य शारीरिक रूप से बिन खतना रहा यदि वह व्यवस्था को पूरा करे, तो क्या तुझे जो लेख पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है, दोषी न ठहराएगा?

28 क्योंकि वह यहूदी नहीं जो केवल बाहरी रूप में यहूदी है; और न वह खतना है जो प्रगट में है और देह में है। 29 पर यहूदी वही है, जो आंतरिक है; और खतना वही है, जो हृदय का और आत्मा में है; न कि लेख का; ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की ओर से होती है। (फिलि. 3:3)



Romans 2:1

x

पौलुस यहाँ एक काल्पनिक यहूदी से विवाद करता है

इसलिए वे निरूत्तर हैं

यहाँ मूल भाषा में “अतः” का जो शब्द है वह एक नया अंश का आरंभ दर्शाता है साथ ही जो कहा जा चुका है उसका समाप्त भी दर्शाता है वैकल्पिक अनुवाद“क्योंकि परमेश्वर पाप करने वाले को दण्ड देता है, इसलिए वह निश्चय ही तेरे पापों को क्षमा नहीं करेगा”।

तू

यहाँ “तू” शब्द एक वचन में है। पौलुस यहां किसी वास्तविक मनुष्य से बातें नहीं कर रहा है, परन्तु वह विवाद करने वाले एक काल्पनिक मनुष्य से प्रतिवाद कर रहा है। पौलुस अपने श्रोतागण को सिखाने के लिए ऐसा विवाद कर रहा है कि परमेश्वर पाप करने वाले को अवश्य दण्ड देता है, वह चाहे यहूदी हो या अन्यजाति

तू जो दूसरों पर दोष लगाता है

यहाँ मूल भाषा में “तू” के स्थान में है मनुष्य तू जो उसकी झिड़की का संकेत देता है क्योंकि मनुष्य परमेश्वर का स्थान लेकर मनुष्य पर दोष लगाता है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू केवल एक मनुष्य है, परन्तु तू फिर भी मनुष्यों का न्याय करके कहता है कि वे परमेश्वर के दण्ड के योग्य हैं।”

जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है।

यहाँ एक नया वाक्य आरंभ किया जा सकता है, “सच तो यह है कि तू इस प्रकार अपना ही न्याय करता है क्योंकि तू भी तो वैसे ही दुष्टता के काम करता है”।

हम जानते हैं

यहाँ “हम” में मसीही विश्वासी एवं अविश्वासी यहूदी दोनों आते हैं।

परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा।

“परमेश्वर सच्चा एवं निष्कपट न्याय करता है”

ऐसे-ऐसे काम करने वाले

“जो दुष्टता के ऐसे काम करते हैं”

Romans 2:3

x

पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है, जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों के द्वारा झिड़कता है।

तो

“अतः” (यू.डी.बी.)

समझाता है

“विचार कर कि मैं क्या कह रहा हूँ”

हे मनुष्य

यहाँ मनुष्य के लिए सामान्य शब्द का उपयोग करें।वैकल्पिक अनुवाद, “तू जो भी है”

तू जो ऐसे-ऐसे काम करने वालों पर दोष लगाता है और आप वे ही काम करता है।

“जो ऐसा कहता है कि कोई परमेश्वर” जो किसी को परमेश्वर के दण्ड का दोषी ठहराता है परन्तु स्वयं ही ऐसे काम करता है”।

तू परमेश्वर के दण्ड से क्या बच सकता है?

वैकल्पिक अनुवाद, “तू भी परमेश्वर के दण्ड से नहीं बचेगा”।

क्या तू उसकी कृपा और सहनशीलता और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है?

वैकल्पिक अनुवाद, “तू तो ऐसा दिखाता है जैसे परमेश्वर का भला होना अर्थहीन है और कि वह दण्ड देने से पहले बहुत प्रतीक्षा करता है।

उसकी कृपा और सहनशीलता और धीरज रूपी धन

“उनके धन .... धीरज को महत्त्वहीन समझता है” या “उनको किसी काम का नहीं समझता”

क्या यह नहीं समझता कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है।

यहाँ एक नया वाक्य आरंभ किया जा सकता है, “तुझे समझ लेना है कि परमेश्वर तुझे दिखाता है कि वह भला है जिससे कि तू पापों से विमुख हो जाए”।

Romans 2:5

x

पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

तू अपनी कठोरता और हठीले मन के कारण

पौलुस परमेश्वर की वाणी नहीं सुनने वाले और उसकी आज्ञा नहीं मानने वाले की तुलना एक कठोर पत्थर से करता है। मन संपूर्ण व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तू सुनना नहीं चाहता, पापों से विमुख होना नहीं चाहता है”।

अपने लिए क्रोध कमा रहा है

“कमा रहा है” अर्थात धन सम्पदा एकत्र करके सुरक्षित करना। पौलुस के कहने का अर्थ है धन-संग्रह के स्थान पर परमेश्वर के दण्ड का भण्डारण करना। वे मन फिराव में जितना विलम्ब करेंगे उतना ही अधिक उनका दण्ड कठोर होता जाएगा, वैकल्पिक अनुवाद , “तू अपने दण्ड को अधिकाधिक कठोर बनाता जा रहा है”।

क्रोध के दिन के लिए जिसमें परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा।

ये एक ही दिन होगा विकल्प, “जब परमेश्वर सब पर प्रकट करेगा कि वह क्रोधित है और सबका निष्पक्ष न्याय करेगा” (यू.डी.बी.)

बदला देगा

“निष्पक्षता के साथ प्रतिफल देगा या दण्ड देगा”

हर एक को उसके कामों के अनुसार

“मनुष्यों ने जैसे काम किए हैं उसके अनुसार हर एक को बदला देगा”।

जो सुकामों में स्थिर रहकर महिमा और आदर और अमरता की खोज में हैं

“जिन्होंने सदैव भले कामों के द्वारा दर्शाया है कि वे महिमा, प्रतिष्ठा और शाश्वत जीवन के खोजी है, उन्हें वह सदा का जीवन देगा”।

खोज में हैं

इसका अर्थ है कि उनके काम ऐसे हैं कि न्याय के दिन उनके लिए परमेश्वर का निर्णय सकरात्मक होगा।

महिमा, और आदर और अमरता

वे परमेश्वर से सुनाम और महिमा पाना चाहते हैं, तथा अमर हो जाना चाहते हैं।

अमरता

शारीरिक अनश्वरता, न कि नैतिक, क्षय

Romans 2:8

x

उसी काल्पनिक यहूदी से पौलुस का विवाद चल रहा है।

खुदगर्ज़

“स्वार्थी” या “केवल अपनी प्रसन्नता के खोजी हैं”

क्रोध और कोप पड़ेगा

परमेश्वर के क्रोध को व्यक्त करने के दो रूप हैं वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर अपना भयानक क्रोध प्रकट करेगा

और क्लेश और संकट

यहाँ भी दो रूपों में एक ही बात कही गई है कि परमेश्वर के अति भयानक क्रोध को प्रकट करे। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और अतिभयानक क्रोध दण्ड दिया जायेगा”

हर एक मनुष्य के प्राण पर

यहाँ पौलुस संपूर्ण मनुष्य को दर्शाने के लिए “प्राण” शब्द का उपयोग करता है विकल्प “प्रत्येक मनुष्य”

जो बुरा करता है

“जो सदैव बुराई में लिप्त रहता है”

पहले यहूदी को, फिर यूनानी को

एक नए वाक्य में दूसरा अनुवाद: "परमेश्वर यहूदियों को पहले दण्ड देगा तदोपरान्त गैर यहूदियों को"

पहले

क्योंकि शुभ सन्देश अन्यजातियों से पूर्व यहूदियों को सुनाया गया था। यहाँ मूल अर्थ है, 1) समय के क्रम में प्रथम, या 2) “निश्चय ही” (यू.डी.बी.)

Romans 2:10

x

पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

परन्तु महिमा और आदर और कल्याण

“परन्तु परमेश्वर की महिमा, सम्मान और शान्ति के पात्र होंगे

जो भला करता है

“जो भलाई करने से चूकता नहीं है”

पहले यहूदी को, फिर यूनानी को

यह एक नया वाक्य बनाया जा सकता है, “परमेश्वर पहले यहूदियों को प्रतिफल देगा उसके बाद अन्यजातियों को प्रतिफल मिलेगा”।

पहले

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे

परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता

“परमेश्वर एक जाति को दूसरी जाति से बड़ा या छोटा नहीं मानता है” विकल्प, “परमेश्वर सबके साथ समता का व्यवहार करता है”

जिन्होंने ... पाप किए

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “क्योंकि जिन्होंने... पाप किए”।

जिन्होंने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नष्ट होंगे”

“बिना व्यवस्था “ पौलुस इसे दोहराता इसलिए है कि वे परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों को नहीं जानते हैं। यदि वे पाप करेंगे तब परमेश्वर उन्हें भी दण्ड देगा। विकल्प, “मूसा द्वारा दिए गए नियमों को नहीं जानने वाले फिर भी आत्मिक मृत्यु के वारिस होते हैं।”

और जिन्होंने व्यवस्था पाकर पाप किया है

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और वे सब जिन्होंने मूसा के नियमों के रहते हुए पाप किया”

व्यवस्था पाकर पाप किया उनका दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा।

“जो मूसा के नियमों को जानते हैं, उनका न्याय उन नियमों के पालन के आधार पर किया जाएगा।”

Romans 2:13

x

पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

(क्योंकि)

“अतः” यदि आपकी भाषा में पद 14 का आरंभ दर्शाने की विधि है और पौलुस के प्रमुख विवाद की व्यवस्था करने में, पाठक को अतिरिक्त जानकारी देने का प्रावधान है। हो सकता है कि आपको 2:14-15 या तो 2:13 के पहले या 2:16 के बाद व्यक्त करने की आवश्यकता हो।

व्यवस्था के सुननेवाले नहीं

“मूसा के नियमों को सुननेवाले नहीं”

कौन हैं जो परमेश्वर के सामने धर्मी ठहराए जाएंगे

“जो परमेश्वर को प्रसन्न करेंगे”

पर व्यवस्था पर चलने वाले

“परन्तु मूसा प्रदत्त नियमों का पालन करने वाले”

जो धर्मी ठहराए जाएंगे

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उन्हें ग्रहण करेगा” (देखें:

अपने लिए आप ही व्यवस्था है

“उनके मन में परमेश्वर प्रदत्त नियम रहते हैं”

Romans 2:15

x

पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

दिखाते हैं

“स्वभाविक रूप से ही वे जो नियम दर्शाते हैं उनका पालन करते हैं”

नियमों का पालन करना उनके मन में अंकित है

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने उनके मन में अंकित कर दिया है कि नियमों का कैसे पालन करें” या “वे भलिभांति जानते हैं कि नियम उन्हें क्या करने की आज्ञा देते हैं”।

विवेक भी गवाही देते हैं

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से ही किया जाए, “नियम अनिवार्यता प्रकट करते है” या “नियमों के अनुसार परमेश्वर क्या चाहता है”

गवाही देते हैं, और उनके विचार पर परस्पर दोष लगाते या उन्हें निर्दोष ठहराते हैं।

“उनके मन विवेक में प्रकट करते हैं कि वे गलत कर रहे हैं या सही”

जिस दिन परमेश्वर न्याय करेगा

यहाँ पौलुस के विचारों का अन्त होता है एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “जिस दिन परमेश्वर न्याय करेगा तब ऐसा होगा”।

Romans 2:17

x

पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

यदि तू यहूदी कहलाता है

अब इस पत्र का एक नया भाग आरंभ होता है। यहाँ “यदि” का अर्थ यह नहीं है कि पौलुस को सन्देह है या वह अनिश्चित है। वह इस कथन की यर्थाथता पर बल दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम स्वयं को यहूदी समुदाय का सदस्य मानते हो”

व्यवस्था पर भरोसा रखता है, और यहोवा के विषय में घमण्ड करता है।

“और तू मूसा प्रदत्त नियमों पर निर्भर करता है तथा परमेश्वर पर घमण्ड करता है।”

उसकी इच्छा जानता है

इसका अनुवाद किया जा सकता है, “पथ-भ्रष्ट किए गए थे”

व्यवस्था की शिक्षा पाकर

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “क्योंकि तू जानता है कि मूसा ने जो नियम दिए उनकी शिक्षा क्या है”

अगर अपने पर भरोसा रखता है... और सत्य का भी

यदि आपकी भाषा में 2:19-20 को पौलुस का मुख्य विचार दर्शाने की सुविधा है तो इसका यहाँ उपयोग करें। 2:17/17/18 और 02:21 (21) हो सकता है कि आपके अनुवाद में 2:19-20 को 2:17 के पहले रखने की आवश्यकता हो।

अगर भरोसा रखता है

“तू निश्चय है”

कि तू अपने आप अंधों का अगुवा और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति है

इन दोनों उक्तियों का तात्पर्य एक ही है। एक यहूदी किसी को जो देख नहीं सकता, सहायता के लिए उसे यहूदी नियम बताता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तू उस मार्गदर्शक के तुल्य है जो किसी अंधे मनुष्य को मार्ग दिखाता है, और तू अन्धकार में भटके हुए मनुष्य के लिए प्रकाश जैसा है।

बुद्धिहीनों का सिखाने वाला

इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “तू अनुचित कार्य करने वालों को सुधारता है”

बालकों का शिक्षक

परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों के अज्ञानियों को पौलुस बालक कहता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तू उनको शिक्षा देता है जो मूसा द्वारा लाए गए नियमों को नहीं जानते हैं।”

और ज्ञान और सत्य का नमूना जो व्यवस्था में है

“क्योंकि तुझे विश्वास है कि तू मूसा द्वारा लाए गए नियमों में निहित सत्य को समझता है।”

Romans 2:21

x

पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों के द्वारा झिड़कता है।

अतः क्या तू दूसरों को सिखाता है, अपने आपको नहीं सिखाता?

पौलुस अपने श्रोता को झिड़कने के लिए इस प्रश्न का उपयोग कर रहा है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “परन्तु तू दूसरों को शिक्षा देता है स्वयं को क्यों नहीं सिखा पाता”

तू जो चोरी न करने का उपदेश देता है क्या आप ही चोरी करता है?

पौलुस अपने श्रोता को प्रश्न के माध्यम से झिड़कता है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू चोरी न करने की शिक्षा देकर स्वयं चोरी करता है”।

तू जो कहता है, “व्यभिचार न करना”, क्या आप ही व्यभिचार करता है?

पौलुस अपने श्रोता को झिड़कने के लिए प्रश्न का उपयोग कर रहा है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू व्यभिचार न करने की शिक्षा देकर स्वयं व्यभिचार करता है”।

तू जो मूरतों से घृणा करता है, आप ही मन्दिरों को लूटता है।

पौलुस अपने श्रोता को प्रश्न के माध्यम से झिड़कता है। इसके अनुवाद में एक नया वाक्य बनाया जा सकता है, “तू कहता है कि तुझे मूर्तियों से घृणा है परन्तु स्वयं मन्दिरों में चोरी करता है।”

मन्दिरों को लूटता है

इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “स्थानीय मन्दिरों का सामान चुराकर बेचता है।" 2) "यरूशलेम के मन्दिर में जो पैसा परमेश्वर के लिए है उसे पूरा नहीं भेजता है।" 3)“स्थानीय देवताओं का उपहास करता है”

Romans 2:23

x

पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों द्वारा झिड़कता है।

तू जो व्यवस्था के विषय में घमण्ड करता है, क्या व्यवस्था न मानकर परमेश्वर का अनादर करता है?

पौलुस प्रश्न के माध्यम से अपने श्रोता को झिड़कता है। “तू व्यवस्था पर घमण्ड करता है तो वह तेरी दुष्टता है क्योंकि तू उसका उल्लंघन करके अन्यजातियों के मन में परमेश्वर के लिए लज्जा उत्पन्न करवाता है।

क्योंकि तुम्हारे कारण अन्य जातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा होती है।

यहाँ “नाम” शब्द परमेश्वर की पूर्णता का प्रतीक है केवल नाम का ही नहीं। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “तुम्हारे ऐसी दुष्टता के काम अन्यजातियों के मन में परमेश्वर के लिए निन्दा उत्पन्न करते हैं।

Romans 2:25

x

पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों द्वारा झिड़कता है।

खतने से लाभ हो

“मैं यह सच कहता हूँ, क्योंकि खतना करवाना निश्चय ही तुझे लाभ पहुँचाता है।”

यदि तू व्यवस्था को न माने

यदि तू व्यवस्था न माने - “यदि तू उन नियमों का पालन करे जो विधान में निहित हैं”

तो तेरा खतना, बिना खतना की दशा ठहरा

यह नियमों के उल्लंघन करनेवाले की तुलना उस मनुष्य से करता है जिसका शारीरिक खतना हो गया परन्तु वह इस विधि को विपरीत कर देता है। वह चाहे यहूदी हो, वह वास्तव में एक अन्यजाति ही हुआ। “यह तो ऐसा है जैसे तेरा खतना नहीं हुआ”

खतनारहित मनुष्य

“जिस मनुष्य का खतना नहीं हुआ”

व्यवस्था की विधियों को माना करे

“विधान में जो आज्ञाएं हैं उनका पालन करे”

तो क्या उसकी बिना खतना की दशा खतने के बराबर नहीं गिनी जायेगी?

पौलुस इस प्रश्न के द्वारा इस बात पर बल दे रहा है कि खतना अपने आप में मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष धर्मी नहीं बनाता है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर तो उसे खतना किया हुआ ही मानेगा, “जिनका खतना नहीं हुआ वह तुझे... दोषी ठहराएगा”।

जो लेखा पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है।

“जिसके पास लिखित धर्मशास्त्र है और जिसका खतना भी हुआ है परन्तु नियमों का पालन नहीं करता”।

Romans 2:28

प्रगट में

अर्थात् दिखाई देने वाली यहूदी विधियों द्वारा

प्रगट में है

यह पुरूष के गुप्त अंग पर एक चिन्ह है जो एक धार्मिक संसार है।

यहूदी वही है जो मन में है और खतना वही है जो हृदय और आत्मा में है

यह दो प्रमाण हैं कि “जो मन से यहूदी है वही सच्चा यहूदी है। इससे इस उक्ति की परिभाषा समझ में आ जाती है, “खतना वही है जो हृदय का है।”

आंतरिक रीती से

यह परमेश्वर द्वारा परिवर्तित मनुष्य के मान और अभिप्रेरणा को प्रकट करता है।

आत्मा में है

यह संभवतः मनुष्य के भीतर उसके आत्मिक मनुष्यत्व का संदर्भ देता है, बाहरी “विधान” की तुलना में। तथापि यह भी संभत है कि इसका संदर्भ पवित्र आत्मा से है (देखें यू.डी.बी.)

न कि लेखक का

यहाँ “लेखा” से अभिप्राय है लिखित धर्मशास्त्र। वैकल्पिक अनुवाद, “पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार न कि नियमों की जानकारी के अनुसार”।


Translation Questions

Romans 2:1

कुछ लोग दोष लगाने में क्यों निरुत्तर हैं?

दोष लगाने वाले निरुत्तर हैं क्योंकि वे जिस बात का दोष लगाते हैं उसी के वे भी दोषी हैं।

Romans 2:2

अधर्म के काम करने वालों का न्याय परमेश्वर किस आधार पर करता है?

परमेश्वर जब अधर्म के काम करने वालों का न्याय करता है तब वह सत्य के आधार पर ऐसा करता है।

Romans 2:4

परमेश्वर का धीरज और भलाई का क्या उद्देश्य है?

परमेश्वर का धीरज और उसकी भलाई मनुष्य के मन फिराने के उद्देश्य से है।

Romans 2:5

परमेश्वर के प्रति कठोर और हठीला मन रखकर मनुष्य अपने लिए क्या कर रहा है?

कठोर और हठीले मन वाले लोग परमेश्वर के धर्मी न्याय के दिन के लिए क्रोध कमा रहे हैं।

Romans 2:7

जिन्होंने लगातार अच्छे काम किए हैं उन्हें क्या मिलेगा?

जो लगातार अच्छे काम करते हैं उन्हें अनन्त जीवन का दान मिलेगा।

Romans 2:8

अधर्म को मानने वालों का क्या होगा?

जो अधर्म को मानते हैं उन पर क्रोध और कोप और क्लेश और संकट आ पड़ेगा।

Romans 2:12

परमेश्वर यहूदी और यूनानी के मध्य निष्पक्षता कैसे दिखाता है?

परमेश्वर पक्षपात नहीं करता है, यहूदी हो या यूनानी पाप करने वाला नष्ट ही होगा।

Romans 2:13

परमेश्वर के समक्ष कौन धर्मी ठहराया जाएगा?

व्यवस्था पालन करने वाले परमेश्वर के सम्मुख धर्मी ठहराए जाएंगे।

Romans 2:14

अन्य जाति मनुष्य कैसे दिखाता है कि व्यवस्था की अनिवार्यताएं उसके मन में लिखी हैं?

अन्य जाति व्यवस्था की बातों को पूरा करके दिखाते है कि व्यवस्था की अनिवार्यताएं उसके मन में लिखी हैं।

Romans 2:17

पौलुस व्यवस्था पालन यहूदियों को क्या चुनौती देता है जब वे अन्यों को व्यवस्था की शिक्षा देते हैं?

पौलुस उन्हें चुनौती देता है कि जब वे किसी को व्यवस्था सिखाते हैं तो वे स्वयं को भी सिखाएं।

Romans 2:21

पौलुस कौन-कौन से पापों का उल्लेख करता है जिनका त्याग यहूदी शिक्षकों को करना आवश्यक है?

पौलुस चोरी और व्यभिचार और मन्दिर लूटने के पापों का उल्लेख करता है।

Romans 2:23

व्यवस्था के यहूदी शिक्षकों द्वारा अन्य जातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा क्यों हो रही है?

परमेश्वर के नाम की निन्दा होती है क्योंकि व्यवस्था के यहूदी शिक्षक व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं।

Romans 2:25

किसी यहूदी का खतना पौलुस के विचार में खतनारहित कैसे हो जाता है?

पौलुस कहता है कि यदि कोई यहूदी व्यवस्था का उल्लंघन करे तो उसका खतना खतनारहित हो सकता है।

Romans 2:26

पौलुस के विचार में किसी खतनारहित मनुष्य को खतनाधारी कैसे कहा जा सकता है?

पौलुस कहता है कि अन्य जाति मनुष्य को खतनाधारी माना जा सकता है यदि वह व्यवस्था की अनिवार्यताओं को पूरा करता है।

Romans 2:28

पौलुस सच्चा यहूदी किसे कहता है?

पौलुस कहता है कि एक सच्चा यहूदी मन से यहूदी होता है, उसके मन का खतना होता है।

Romans 2:29

सच्चा यहूदी किससे प्रशंसा पाता है?

एक सच्चा यहूदी परमेश्वर से प्रशंसा पाता है।


Chapter 3

1 फिर यहूदी की क्या बड़ाई, या खतने का क्या लाभ? 2 हर प्रकार से बहुत कुछ। पहले तो यह कि परमेश्‍वर के वचन उनको सौंपे गए। (रोम. 9:4)

3 यदि कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्‍वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी? 4 कदापि नहीं! वरन् परमेश्‍वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे, जैसा लिखा है,

     “जिससे तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे

     और न्याय करते समय तू जय पाए।” (भज. 51:4, भज. 116:11)

5 पर यदि हमारा अधर्म परमेश्‍वर की धार्मिकता ठहरा देता है, तो हम क्या कहें? क्या यह कि परमेश्‍वर जो क्रोध करता है अन्यायी है? (यह तो मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूँ)। 6 कदापि नहीं! नहीं तो परमेश्‍वर कैसे जगत का न्याय करेगा?

7 यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्‍वर की सच्चाई उसकी महिमा के लिये अधिक करके प्रगट हुई, तो फिर क्यों पापी के समान मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूँ? 8 “हम क्यों बुराई न करें कि भलाई निकले*?” जैसा हम पर यही दोष लगाया भी जाता है, और कुछ कहते हैं कि इनका यही कहना है। परन्तु ऐसों का दोषी ठहराना ठीक है।

9 तो फिर क्या हुआ? क्या हम उनसे अच्छे हैं? कभी नहीं; क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं कि वे सब के सब पाप के वश में हैं। 10 जैसा लिखा है:

     “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। (सभो. 7:20)

    11 कोई समझदार नहीं;

     कोई परमेश्‍वर को खोजनेवाला नहीं।

    12 सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए;

     कोई भलाई करनेवाला नहीं, एक भी नहीं। (भज. 14:3, भज. 53:1)

    13 उनका गला खुली हुई कब्र है:

     उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है:

     उनके होंठों में साँपों का विष है। (भज. 5:9, भज. 140:3)

    14 और उनका मुँह श्राप और कड़वाहट से भरा है। (भज. 10:7)

    15 उनके पाँव लहू बहाने को फुर्तीले हैं।

    16 उनके मार्गों में नाश और क्लेश है।

    17 उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना। (यशा. 59:8)

    18 उनकी आँखों के सामने परमेश्‍वर का भय नहीं।” (भज. 36:1)

19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन हैं इसलिए कि हर एक मुँह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्‍वर के दण्ड के योग्य ठहरे। 20 क्योंकि व्यवस्था के कामों* से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिए कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है। (भज. 143:2)

21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्‍वर की धार्मिकता प्रगट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं, 22 अर्थात् परमेश्‍वर की वह धार्मिकता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं;

23 इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा* से रहित है, 24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत-मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।

25 उसे परमेश्‍वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहले किए गए, और जिन पर परमेश्‍वर ने अपनी सहनशीलता से ध्यान नहीं दिया; उनके विषय में वह अपनी धार्मिकता प्रगट करे। 26 वरन् इसी समय उसकी धार्मिकता प्रगट हो कि जिससे वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहरानेवाला हो।

27 तो घमण्ड करना कहाँ रहा? उसकी तो जगह ही नहीं। कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन् विश्वास की व्यवस्था के कारण। 28 इसलिए हम इस परिणाम पर पहुँचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।

29 क्या परमेश्‍वर केवल यहूदियों का है? क्या अन्यजातियों का नहीं? हाँ, अन्यजातियों का भी है।

30 क्योंकि एक ही परमेश्‍वर है, जो खतनावालों को विश्वास से और खतनारहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा। 31 तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।



Romans 3:1

x

पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद में ऐसे प्रश्नों का उत्तर दे रहा है जो वह पूछ सकता है।

यहूदी की क्या बड़ाई या खतने का क्या लाभ

वैकल्पिक अनुवाद, “अतः यहूदियों को परमेश्वर की वाचा का कोई लाभ नहीं जबकि परमेश्वर तो लाभ की प्रतिज्ञा की थी”

इस प्रकार से बहुत कुछ

“लाभ तो बहुत है”

पहले

वैकल्पिक अनुवाद, “समय के क्रम में पहले” या “अति निश्चित रूप से” (देखें यू.डी.बी.) या “आवश्यक रूप से”

Romans 3:3

x

पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।

कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ?

पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों द्वारा मनुष्यों को सोचने पर विवश करता है। कुछ यहूदियों के साथ स्वामिभक्ति नहीं निभाते तो कुछ का कहना था कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं करेगा।

कदापि नहीं

“असंभव है”। या “निश्चय ही नहीं” यह अभिव्यक्ति दृढ़ता से इन्कार करती है कि ऐसा होने की संभावना है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति को काम में लेना चाहेंगे।

वरन्

“इसकी अपेक्षा हमें कहना है”

जैसा लिखा है

“यहूदी धर्मशास्त्र भी मेरी बात से सहमत है”

Romans 3:5

x

पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।

यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता ठहरा देता है तो हम क्या कहें?

पौलुस इन शब्दों को उस काल्पनिक यहूदी के मुँह में रख रहा है जिससे वह बात कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि हमारी ईश्वर-भक्ति दर्शाती है कि परमेश्वर न्यायोचित है मैं एक प्रश्न पूछता हूँ”

क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है, अन्यायी है?

यदि आप यह वैकल्पिक अनुवाद काम में ले रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि पाठक को समझ में आ जाए कि इसका उत्तर “नहीं” है। क्या परमेश्वर जो मनुष्यों पर क्रोध करता है, वह न्यायोचित नहीं है”?

यह मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूँ

“मैं एक अलग मनुष्य के सदृश्य कह रहा हूँ,

नहीं तो परमेश्वर कैसे जगत का न्याय करेगा?

पौलुस इस प्रभावोत्पाद प्रश्न द्वारा दर्शाता है कि मसीही शुभ सन्देश के विरूद्ध विवाद करना बेतुका है, क्योंकि सब यहूदियों का मानना है कि परमेश्वर मुनष्यों का न्याय कर सकता है वरन करता भी है और हम सब जानते हैं कि परमेश्वर वास्तव के संसार का न्याय करेगा”।

Romans 3:7

x

पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।

यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर की सच्चाई उसकी महिमा के लिए, अधिक करके प्रगट हुई तो फिर क्यों पापी के समान मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूँ?

यहाँ पौलुस कल्पना करता है कि एक मनुष्य मसीही सुसमाचार का परित्याग करता है; तो बैरी विवाद करता है कि परमेश्वर उसे न्याय के दिन पापी न ठहराए यदि उदाहरणार्थ उसने झूठ कहा है।

हम क्यों बुराई न करें कि ....?

यह पौलुस का अपना प्रश्न है जो दर्शाता है कि उसके काल्पनिक विरोधों का विवाद कैसा बेतुका है, वैकल्पिक अनुवाद, “उचित तो यह होगा कि मैं कहूँ कि हम बुरे काम करें कि परिणामस्वरूप भलाई उत्पन्न हो”।

जैसा हम पर यही दोष लगाया भी जाता है।

वैकल्पिक अनुवाद

परन्तु ऐसों का दोषी ठहरना ठीक है।

परमेश्वर, पौलुस के इन बैरियों को जब दण्ड देगा तब वह न्यायनिष्ठ ही होगा, क्योंकि वे पौलुस की शिक्षा के बारे में झूठी बातें कहते हैं।

Romans 3:9

x

पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।

तो फिर क्या हुआ? हम उनसे अच्छे हैं?

इसके संभावित अर्थ हैं, 1) हम विश्वासी जन उन दुष्टता के कामों को नहीं छिपाते जिनके लिए हमें कहा जाता है कि हम करते हैं। या 2) हम यहूदियों को कल्पना करने की आवश्यकता नहीं कि हम परमेश्वर क दण्ड से बच जाएंगे क्योंकि हम यहूदी हैं। (यू.डी.बी.)

कभी नहीं

ये शब्द मात्र “नहीं” से अधिक प्रबल हैं परन्तु इतने प्रबल भी नहीं जितने “कदापि नहीं” होते हैं।

Romans 3:11

कोई समझदार नहीं

“कोई भी परमेश्वर के सत्य को नहीं समझता है”

कोई परमेश्वर को खोजने वाला नहीं

“कोई भी नहीं है जो परमेश्वर के साथ न्यायोचित संबन्ध बनाने का प्रयास करता है”

सब भटक गए हैं

“सबने परमेश्वर का त्याग करके उस धर्मपराण्यता इच्छा तिरस्कार किया है”।

सब निकम्मे बन गए हैं

“जहाँ तक उनके लिए परमेश्वर की इच्छा का प्रश्न है, सब निकम्मे हो गए हैं”

Romans 3:13

उनका ... उन्होंने

“यहूदियों और यूनानियों”

उनका गला खुली हुई कब्र है

पौलुस एक अलंकार द्वारा दर्शा रहा है कि मनुष्य की हर एक बात धर्मविरोधी एवं घृणाजन्य है

उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है

“मनुष्य झूठ बोलते हैं”

उनका मुख पाप और कड़वाहट से भरा है।

“मनुष्य जो भी कहता है वह हानिकारक है और अन्यों की हानि के अभिप्राय से होता है”।

Romans 3:15

उनके ....उनके....उन्होंने ... उनकी

“यहूदी और यूनानी”

उनके पाँव लहू बहाने को फुर्तीले हैं

“वे मनुष्यों को हानि पहुंचाने और उनकी हत्या करने के लिए विलम्ब नहीं करते हैं”।

उनके मार्गों में नाश और क्लेश है

“हर एक मनुष्य की जीवनशैली ऐसी है कि वे जानबूझ अन्यों को नाश करना चाहते हैं और उन्हें कष्ट पहुँचाना चाहते हैं।

कुशल का मार्ग

“मार्ग” अर्थात “रास्ता”, “पथ” इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “अन्यों के साथ मेल-मिलाप से कैसे रहना है” (देखें:

उनकी आँखों के सामने परमेश्वर का भय नहीं

“परमेश्वर को उसके योग्य सम्मान अर्पित करने से सब इन्कार करते है”

Romans 3:19

व्यवस्था जो कुछ कहती है, उन्हीं से कहती है

“मनुष्यों के लिए नियमों के पालन की जो भी अनिवार्यता है वह उनके लिए ही है” या “मूसा ने विधान में जितनी भी आज्ञाएँ दी है, वे उनके लिए है”

इसलिए कि हर एक मुंह बन्द किया जाए

“कि कोई भी अपने प्रतिवाद में कुछ भी न कहने पाए जो उचित हो” कर्तृवाच्य वाक्य में इसका अनुवाद हो सकता है, इस प्रकार परमेश्वर मनुष्य को इस योग्य नहीं छोड़ता है कि वह कहे, “मैं निर्दोष हूँ”

इसलिए

इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “कि” या 2) “और इस प्रकार” या 3) “वरन”

व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है

“जब मनुष्य को परमेश्वर के नियमों का ज्ञान होता है तो उसे यह बोध हो जाता है कि धार्मिकता नहीं, परमेश्वर की दृष्टि में पापी है”

Romans 3:21

परन्तु

पौलुस अपनी प्रस्तावना समाप्त करके अब अपना प्रमुख विचार व्यक्त करना चाहता है।

अब

“अब” शब्द उस समय के संदर्भ में है जब से यीशु इस पृथ्वी पर आया।

व्यवस्था से अलग परमेश्वर की वह धार्मिकता प्रगट हुई है

इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर ने प्रगट नहीं किया"

व्यवस्था से अलग

इसका संबन्ध “न्यायोचित होने” से है, न कि “ऐसी विधि प्रकट की है” से है।

जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं

“व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता” यहूदी धर्मशास्त्र के उस अंश को दर्शाते हैं जिसकी रचना मूसा और भविष्यद्वक्ताओं ने की है जिस प्रकार कि कोई न्यायालय में गवाही देने जा रहा है। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “मूसा और भविष्यद्वक्ताओं ने जो कहा वह इसको सत्यापित करते हैं

व्यवस्थारहित धार्मिकता मसीह में विश्वास के द्वारा सब विश्वासियों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता है।

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “मैं इस धार्मिकता के विषय में कह रहा हूँ जो परमेश्वर हमें देता है जब हम मसीह यीशु में विश्वास करते है”।

क्योंकि कुछ भेद नहीं

“क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में यहूदी और अन्यजाति बराबर हैं”

Romans 3:23

परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है

उसके अनुग्रह उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है - इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “परमेश्वर ने अपनी करूणा के द्वारा उन्हें न्यायोचित ठहराया है क्योंकि मसीह यीशु ने उन्हें मुक्ति दिलाई है।

Romans 3:25

सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं

इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) अनदेखा करना, या 2) क्षमा करना।

जो विश्वास करने से इस समय परमेश्वर की न्यायनिष्ठा के प्रदर्शन हेतु है कि वह स्वयं को न्यायोचित सिद्ध करे और प्रकट करे कि वह हर एक मनुष्य को यीशु में विश्वास के कारण न्यायोचित ठहराता है।

“उसने इस समय अपनी न्यायनिष्ठा को प्रकट करने के लिए ऐसा किया वह दर्शाता है कि वह न्यायनिष्ठ है और यीशु में विश्वास करने वाले हर एक मनुष्य को न्यायोचित ठहराता है।

Romans 3:27

x

पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का उत्तर देकर प्रबलता-पूर्वक दर्शाना चाहता है कि वह जो बात कह रहा है वह निश्चय ही सच है।

कहां रहा?

“किस कारण से? या “घमण्ड का निराकरण क्यों?” या “हम घमण्ड क्यों नहीं कर सकते हैं”?

क्या कर्मों की व्यवस्था से?

“घमण्ड का निराकरण क्या नियमों के पालन करने के कारण है”

विश्वास की व्यवस्था के कारण

“क्योंकि हम यीशु में विश्वास करते हैं”

अलग ही

“पृथक होकर”

Romans 3:29

x

पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो।

क्या परमेश्वर केवल यहूदियों का ही है?

“यदि परमेश्वर केवल उसके नियमों का पालन करनेवालों ही को धर्मी ठहराता है तो क्या वह केवल यूहदियों का ही परमेश्वर नहीं हुआ”?

Romans 3:31

x

पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो।

क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? विधान का निराकरण करें?

वैकल्पिक अनुवाद, “क्या हम विश्वास के कारण नियमों के विधान का निराकरण करें?

कदापि नहीं।

“यह तो सच हो ही नहीं सकता”। या “ऐसा कभी नहीं हो सकता” (यू.डी.बी.) यह उक्ति पूर्व व्यक्त प्रभावोत्पादक प्रश्न की अति प्रबल नकारात्मक अभिव्यक्ति है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति काम में लेना चाहेंगे।

व्यवस्था को स्थिर करते हैं

वैकल्पिक अनुवाद, “हम नियमों का पालन करते हैं”।

हम

इस सर्वनाम का संदर्भ पौलुस से, अन्य विश्वासियों से तथा पाठकों से है।


Translation Questions

Romans 3:1

यहूदियों के सौभाग्यों में सबसे पहले क्या है?

यहूदियों के सौभाग्यों में सबसे पहला है, उन्हें परमेश्वर का प्रकाशन सौंपा गया है।

Romans 3:4

सब झूठे हैं और परमेश्वर क्या पाया गया है?

यद्यपि हर एक मनुष्य झूठा है, परमेश्वर सच्चा है।

Romans 3:5

परमेश्वर धर्मी होने के कारण किसके योग्य है?

क्योंकि परमेश्वर धर्मी है, वह संसार का न्याय करने योग्य है।

Romans 3:8

जो कहते हैं कि बुराई करने से भलाई निकलती है उनका क्या होगा?

जो कहता है, "हम क्यों बुराई न करें कि भलाई निकले" वे दोषी ठहराए जाएंगे।

Romans 3:9

धर्मशास्त्र में यहूदी और यूनानी सबकी धार्मिकता के बारे में क्या लिखा है?

लिखा है, कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।

Romans 3:11

धर्मशास्त्र के लेख के अनुसार कौन समझदार है और कौन परमेश्वर को खोजता है?

जो लिखा है उसके अनुसार कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।

Romans 3:20

व्यवस्था के कामों से किसका न्याय होगा?

व्यवस्था के कामों से कोई धर्मी नहीं ठहरेगा।

व्यवस्था से क्या होता है?

पाप का बोध व्यवस्था से होता है।

Romans 3:21

अब व्यवस्थारहित धार्मिकता किसके द्वारा प्रकट हुई है?

व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की गवाही द्वारा व्यवस्थारहित धार्मिकता प्रकट हुई है।

Romans 3:22

व्यवस्थारहित धार्मिकता कौन सी है जो प्रकट की गई है?

व्यवस्थारहित धार्मिकता मसीह में विश्वास के द्वारा सब विश्वासियों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता है।

Romans 3:24

मनुष्य परमेश्वर के समक्ष धर्मी कैसे ठहरता है?

मनुष्य मसीह यीशु में निहित उद्धार के द्वारा परमेश्वर के सम्मुख उसके अनुग्रह से निर्मोल धर्मी ठहरता है।

Romans 3:25

परमेश्वर ने मसीह यीशु को किस उद्देश्य के निमित्त भेजा?

परमेश्वर ने विश्वास के द्वारा मसीह के लहू के कारण प्रायश्चित्त ठहराया है।

Romans 3:26

यीशु के द्वारा जो कुछ भी हुआ उससे परमेश्वर क्या दर्शाता है?

परमेश्वर ने प्रकट किया कि वही है जो किसी को भी यीशु में विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराता है।

Romans 3:28

धर्मी ठहराए जाने में व्यवस्था के कामों की क्या भूमिका है?

मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है।

Romans 3:30

परमेश्वर खतना वाले यहूदी और खतनारहित अन्य जाति को कैसे धर्मी ठहराता है?

परमेश्वर दोनों को विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराता है।

Romans 3:31

हम विश्वास के द्वारा व्यवस्था का क्या करते हैं?

हम विश्वास के द्वारा व्यवस्था को स्थिर करते हैं।


Chapter 4

1 तो हम क्या कहें, कि हमारे शारीरिक पिता अब्राहम को क्या प्राप्त हुआ? 2 क्योंकि यदि अब्राहम कामों से धर्मी ठहराया जाता*, तो उसे घमण्ड करने का कारण होता है, परन्तु परमेश्‍वर के निकट नहीं। (उत्प. 15:6) 3 पवित्रशास्त्र क्या कहता है? यह कि “अब्राहम ने परमेश्‍वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।”

4 काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक़ समझा जाता है।

5 परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है।

6 जिसे परमेश्‍वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है:

    7 “धन्य वे हैं, जिनके अधर्म क्षमा हुए,

     और जिनके पाप ढांपे गए।

    8 धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्‍वर पापी न ठहराए।” (भज. 32:2)

9 तो यह धन्य वचन, क्या खतनावालों ही के लिये है, या खतनारहितों के लिये भी? हम यह कहते हैं, “अब्राहम के लिये उसका विश्वास धार्मिकता गिना गया।” 10 तो वह कैसे गिना गया? खतने की दशा में या बिना खतने की दशा में? खतने की दशा में नहीं परन्तु बिना खतने की दशा में।

11 और उसने खतने का चिन्ह* पाया, कि उस विश्वास की धार्मिकता पर छाप हो जाए, जो उसने बिना खतने की दशा में रखा था, जिससे वह उन सब का पिता ठहरे, जो बिना खतने की दशा में विश्वास करते हैं, ताकि वे भी धर्मी ठहरें; (उत्प. 17:11) 12 और उन खतना किए हुओं का पिता हो, जो न केवल खतना किए हुए हैं, परन्तु हमारे पिता अब्राहम के उस विश्वास के पथ पर भी चलते हैं, जो उसने बिन खतने की दशा में किया था।

13 क्योंकि यह प्रतिज्ञा कि वह जगत का वारिस होगा, न अब्राहम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी, परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली। 14 क्योंकि यदि व्यवस्थावाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। 15 व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है और जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्लंघन भी नहीं।

16 इसी कारण प्रतिज्ञा विश्वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि वह सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्थावाला है, वरन् उनके लिये भी जो अब्राहम के समान विश्वासवाले हैं वही तो हम सब का पिता है 17 जैसा लिखा है, “मैंने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है” उस परमेश्‍वर के सामने जिस पर उसने विश्वास किया* और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उनका नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं। (उत्प. 17:15)

18 उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिए कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो। 19 वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ, (इब्रा. 11:11)

20 और न अविश्वासी होकर परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्‍वर की महिमा की, 21 और निश्चय जाना कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में भी सामर्थी है। 22 इस कारण, यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।

23 और यह वचन, “विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया,” न केवल उसी के लिये लिखा गया*, 24 वरन् हमारे लिये भी जिनके लिये विश्वास धार्मिकता गिना जाएगा, अर्थात् हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिसने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया। 25 वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया। (यशा. 53:5, यशा. 53:12)



Romans 4:1

x

पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो।

हम क्या कहें हमारे शारीरिक पिता अब्राहम, हमारा आदि पिता को क्या प्राप्त हुआ?

“हमारे पूर्वज अब्राहम ने यही तो पाया। पौलुस पाठकों का ध्यानाकर्षित करने हेतु प्रश्न पूछ कर एक नई बात कहता है।

पवित्र शास्त्र अब्राहम की धार्मिकता के बारे में क्या कहता है?

" हम इसे पवित्र शास्त्र में देख सकते है"

और वह उसके लिए धार्मिकता गिना गया

“और परमेश्वर अब्राहम को धर्मी कहा”।

Romans 4:6

जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है।

वैकल्पिक अनुवाद: इसी कारण दाऊद भी उस मनुष्य को आशीषित कहता है जिसे परमेश्वर कर्मों बिना धर्मी कहता है”।

जिनके धर्म क्षमा हुए... जिनके पाप ढांपे गए... जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।

वैकल्पिक अनुवाद, “जिसके अपराध परमेश्वर ने ढाँप दिए... जिनके पापों का लेखा परमेश्वर ने मिटा दिया”। यहाँ एक ही विचार को तीन विभिन्न अभिव्यक्तियों में प्रकट किया गया है, दो भिन्नार्थक शब्द तीन भिन्नार्थक शब्द होते हैं।

Romans 4:9

तो यह धन्य वचन, क्या खतना वालों ही के लिए है या खतनारहितों के लिए भी?

वैकल्पिक अनुवाद, “क्या परमेश्वर केवल उनको ही आशीष देता है जिनका खतना हुआ है या जिनका खतना नहीं हुआ है उनको भी।

हम कहते हैं

पौलुस यहूदियों और गैर यहूदियों दोनों ही के लिए कहता है।

अब्राहम के लिए उसका विश्वास धार्मिकता गिना गया

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने अब्राहम के विश्वास को धर्मी माना था”।

Romans 4:11

उसने खतने का चिन्ह पाया कि उस विश्वासी की धार्मिकता पर छाप हो।

“खतना एक प्रकट चिन्ह था कि परमेश्वर ने उसे खतना करवाने से पहले परमेश्वर में विश्वास करने के कारण न्यायोचित ठहरा दिया था।

जो बिना खतने की दशा में

वैकल्पिक अनुवाद, “उन्होंने खतना नहीं करवाया तौभी”

ताकि वे भी धर्मी ठहरें।

वैकल्पिक अनुवाद, “कि परमेश्वर उन्हें धर्मी माने।

Romans 4:13

क्योंकि यह प्रतिज्ञा थी कि वह जगत का वारिस होगा, न अब्राहम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उन्हें ग्रहण करेगा” (देखें:

“परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली”

परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली इस वाक्य में परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की, छोड़ दिया गया है क्योंकि वह समझा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु परमेश्वर ने इसमें विश्वास ही के कारण यह प्रतिज्ञा की थी जिसे वह न्यायोचित मानता है”।

यदि व्यवस्था वाले वारिस हैं

वैकल्पिक अनुवाद, यदि परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों का पालन करनेवाले पृथ्वी के अधिकारी होंगे।

तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल रही

तो विश्वास का कोई अर्थ नहीं और प्रतिज्ञा व्यर्थ हो गई”।

जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्लंघन भी नहीं

“परन्तु यदि नियम न हों तो उनके उल्लंघन का प्रश्न ही नहीं उठता है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, मनुष्य नियमों का उल्लंघन तब ही करता है जब नियम हों”।

Romans 4:16

इसी कारण प्रतिज्ञा विश्वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो।

“परमेश्वर में विश्वास करने पर हमें आशिष पाने का कारण है कि वह उपहार हो”।

कि वह उसके सब वंशजों के लिए दृढ़ हो।

“कि अब्राहम का संपूर्ण वंश निश्चय ही प्रतिज्ञाओं के वारिस हों।

न कि केवल उसके लिए जो व्यवस्था करता है

अर्थात यहूदी जो परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों को मानते हैं।

अब्राहम के समान विश्वास वाले हैं

वे जो अब्राहम के सदृश्य विश्वास रखते हैं अर्थात उसके खतने से पूर्व का विश्वास ।

वही तो हम सबका पिता है

यहाँ “हम” का अभिप्राय पौलुस तथा सब विश्वासी चाहे वे यहूदी हैं या गैर यहूदी। अब्राहम यहूदियों का शारीरिक पूर्वज था परन्तु वह मसीह के विश्वासियों का आत्मिक पिता है।

जैसा लिखा है

जहाँ लिखा है वह स्पष्ट किया जा सकता हैः “जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है”

मैंने तुझे... ठहराया

यहाँ “तू” शब्द एक वचन है और अब्राहम का बोध करवाता है

उस परमेश्वर के सामने जिस पर उसने विश्वास किया

इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “अब्राहम परमेश्वर की उपस्थिति में था जिस पर उसने विश्वास किया था और वह मृतकों को जीवन दान देता है”

Romans 4:18

जो बातें हैं ही नहीं

इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “यद्यपि इसके लिए वंश उत्पन्न करना असंभव था”

वह बहुत सी जातियों का पिता होगा।

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और अब्राहम द्वारा विश्वास करने का परिणाम यह हुआ कि वह अनेक जातियों का पिता हुआ”।

उस वचन के अनुसार

“ठीक उसी बात पर जो परमेश्वर ने उससे कहीं थी”

“तेरा वंश ऐसा होगा”

यहाँ परमेश्वर की पूरी प्रतिज्ञा को स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “तेरा वंश अनगिनत होगा”

विश्वास में निर्बल न हुआ

वैकल्पिक अनुवाद, “विश्वास में दृढ़ रहा”

वह जो एक सौ वर्ष का था अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई दशा

यहाँ अब्राहम की वृद्धावस्था और सन्तानोत्पत्ति में सारा को अक्षम होने को मृतक तुल्य माना गया है। इसका बल इस बात पर है कि उनके लिए सन्तान उत्पन्न करना असंभव था। वैकल्पिक अनुवाद, “अब्राहम जानता था कि वह बहुत वृद्ध था और सारा सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती थी।

Romans 4:20

न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर सन्देह किया

“सन्देह कभी नहीं किया”

विश्वास में दृढ़ होकर

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, परन्तु उसका विश्वास दृढ़ होता गया”

परमेश्वर की महिमा की

“और परमेश्वर की स्तुति की”

निश्चय जाना

“अब्राहम को पूर्ण निश्चय था”

वह उसे पूरा करने में समर्थ है।

“परमेश्वर में उसे पूरा करने की सामर्थ्य है

वह उसके लिए धार्मिक गिना गया

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर ने अब्राहम के विश्वास को धर्मी कहा” या “परमेश्वर ने अब्राहम को धर्मी कहा क्योंकि उसने विश्वास किया था।

Romans 4:23

और

इस शब्द के द्वारा पत्र के एक नए भाग का आरंभ होता है। पौलुस अब्राहम के बारे में बातें करने से हट कर अब मसीह के विश्वासियों के बारे में बातें करेगा।

न केवल उसी के लिए

“न केवल अब्राहम के लिए”

इस कारण .... उसके लिए धार्मिकता गिना गया

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उसे धर्मी माना” या “परमेश्वर ने उसे धर्मी गिना”

हमारे लिए भी

“हमारे” का अभिप्राय है पौलुस और सब विश्वासी

वरन् हमारे लिए भी जिनके लिए विश्वास धार्मिकता गिना जाएगा।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “यह हमारे लाभ के लिए भी था क्योंकि परमेश्वर हमें भी धर्मी कहेगा यदि हम विश्वास करें”।

मरे हुओं में से जिलाया

“परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया”

यीशु हमारे पापों के लिए पकड़वाया गया

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उसे उसके हत्यारों के हाथों में दे दिया था”।

हमारे धर्मी ठहरने के लिए जिलाया भी गया।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “जिसे परमेश्वर ने पुनः जीवित किया कि हम परमेश्वर के साथ उचित संबन्ध में हो जाएं”।


Translation Questions

Romans 4:2

अब्राहम के पास गर्व करने का क्या कारण होता?

यदि अब्राहम कामों द्वारा धर्मी ठहरता तो उसके पास गर्व करने का कारण होता।

Romans 4:3

पवित्र शास्त्र अब्राहम की धार्मिकता के बारे में क्या कहता है?

पवित्र शास्त्र स्पष्ट कहता है कि अब्राहम ने परमेश्वर में विश्वास किया और वह उसके लिए धार्मिकता गिना गया।

Romans 4:5

परमेश्वर कैसे लोगों को धर्मी ठहराता है?

परमेश्वर अधर्मी को धर्मी ठहराता है।

Romans 4:6

दाऊद के अनुसार मनुष्य किस रीति से परमेश्वर द्वारा धन्य हुआ?

दाऊद कहता है कि धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म क्षमा हुए और धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।

Romans 4:9

अब्राहम को विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया गया तो वह उसके खतने से पूर्व या बाद में था?

अब्राहम के खतने से पूर्व वह विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया गया था।

Romans 4:11

अब्राहम किस समूह का पिता है?

अब्राहम सब विश्वासियों का पिता है चाहे वे धर्मी खतना वाले हों या खतनारहित हों।

Romans 4:13

विश्वास की धार्मिकता द्वारा अब्राहम और उसके वंशजों से क्या प्रतिज्ञा की गई थी?

अब्राहम और उसके वंशजों से प्रतिज्ञा की गई थी कि वे संसार के उत्तराधिकारी होंगे।

Romans 4:14

यदि अब्राहम से की गई प्रतिज्ञा व्यवस्था के कारण थी तो क्या बात सच होती?

यदि प्रतिज्ञा व्यवस्था द्वारा आई थी तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी।

Romans 4:16

विश्वास के कारण प्रतिज्ञा करने के क्या कारण हैं?

प्रतिज्ञा विश्वास के कारण दी गई थी कि वह अनुग्रह के कारण हो वह सच हो।

Romans 4:17

पौलुस कौन सी दो बातें कहता है कि परमेश्वर करता है?

पौलुस कहता है कि परमेश्वर मृतकों में जान डालता है और जो नहीं है उसे अस्तित्व में लाता है।

Romans 4:18

कौन सी बाहरी परिस्थितियों ने अब्राहम को परमेश्वर की प्रतिज्ञा में विश्वास करने से रोका कि वह जातियों का पिता होगा?

जब परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की थी तब वह सौ वर्ष का था और सारा का गर्भ मरा हुआ था।

ऐसी बाहरी परिस्थितियों के उपरान्त भी अब्राहम ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा में कैसे विश्वास किया?

अब्राहम परमेश्वर पर लगातार विश्वास करता रहा और अविश्वास में संकोच नहीं किया।

Romans 4:23

अब्राहम की यह बात किसके लिए लिखी गई थी?

यह वचन अब्राहम ही के लिए नहीं परन्तु हमारे लिए भी लिखा गया है।

Romans 4:25

हम क्या मानते हैं कि परमेश्वर ने हमारे लिए किया?

हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने यीशु को मृतकों में से जिलाया, वह हमारे पापों के लिए पकड़वाया गया था और हमें धर्मी ठहराने के लिए जिलाया भी गया।


Chapter 5

1 क्योंकि हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर के साथ मेल रखें, 2 जिसके द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं, हमारी पहुँच* भी हुई, और परमेश्‍वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।

3 केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज, 4 और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्‍न होती है; 5 और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्‍वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 7 किसी धर्मी जन* के लिये कोई मरे, यह तो दुर्लभ है; परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का धैर्य दिखाए।

8 परन्तु परमेश्‍वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। 9 तो जब कि हम, अब उसके लहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा परमेश्‍वर के क्रोध से क्यों न बचेंगे?

10 क्योंकि बैरी होने की दशा में उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्‍वर के साथ हुआ, फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएँगे? 11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा, जिसके द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्‍वर में आनन्दित होते है।

12 इसलिए जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। (1 कुरि. 15:21-22) 13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहाँ व्यवस्था नहीं, वहाँ पाप गिना नहीं जाता।

14 तो भी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया*, जिन्होंने आदम की आज्ञाकारिता के समान पाप नहीं किया, जो उस आनेवाले का चिन्ह है।

15 पर जैसी अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्‍वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात् यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुत से लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ।

16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुत से अपराधों से ऐसा वरदान उत्‍पन्‍न हुआ कि लोग धर्मी ठहरे। 17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कारण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्मरूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात् यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।

18 इसलिए जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धार्मिकता का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित्त धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

20 व्यवस्था* बीच में आ गई कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहाँ पाप बहुत हुआ, वहाँ अनुग्रह उससे भी कहीं अधिक हुआ, 21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।



Romans 5:1

अतः

“इस कारण”

हम... अपने

"हम और अपना" यह दो शब्द सब विश्वासियों के लिए हैं और समाविष्ट करना हैं

अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा

“अपने प्रभु यीशु मसीह के कारण”

जिसके द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं।

पौलुस कृपा प्राप्त विश्वासियों की तुलना उस मनुष्य से करता है जो एक राजा के सम्मुख खड़ा होने के योग्य होता है। क्योंकि हम यीशु में विश्वास करते हैं परमेश्वर के कृपापात्र होकर उसके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं।

परमेश्वर की महिमा की आशा पर ध्यान करें।

“हम आनन्द करते है क्योंकि हमें परमेश्वर की महिमा के अनुभव की आशा है।”

Romans 5:3

केवल यही नहीं

“यह” शब्द उन विचारों के संदर्भ में है जिनके वर्णन में किया गया है।

हम... हमारा... हमारे

"हम हमारा हमारे" शब्द सब विश्वासियों का संदर्भ देते हैं और आवश्यक है कि वे समावेशी हैं

मान्य करना

अर्थात् परमेश्वर कहे, “अच्छा है”

आत्मविश्वास

वैकल्पिक अनुवाद, “आशा”

Romans 5:6

हम

“हम” शब्द सब विश्वासियों के लिए है अतः इसे समावेशी होना है,

Romans 5:8

प्रगट करता है

वैकल्पिक अनुवाद, “दर्शाता है” या “सिद्ध करता है”

हम... हमारे

“हम” और “हमारे”, ये सब शब्द समस्त विश्वासियों के लिए है। अतः इन्हें समावेश होना है।

बहुतायत से, हम जब उस के लहू के द्वारा धर्मी ठहरे

वैकल्पिक अनुवाद, “अब क्योंकि हम उसके लहू के द्वारा धर्मी ठहरे तो वह हमारे लिए अब कितना अधिक कुछ करेगा”।

Romans 5:10

“हम” ... “अपने”

“हम” के सब रूप विश्वासियों का संदर्भ देते है, इसलिए इन्हें समावेश होना आवश्यक है।

उसके पुत्र .... उसके जीवन

“परमेश्वर के पुत्र... परमेश्वर के पुत्र के जीवन”

हमारा मेल हो चुका है

“अब क्योंकि हम पुनः उसके मित्र हैं” “वैकल्पिक अनुवाद, “अब क्योंकि परमेश्वर हमें पुनः अपना मित्र मानता है”

Romans 5:12

वैसे ही

अग्रिम शब्द पौलुस के पिछला विवाद पर आधारित हैं कि सब विश्वासी विश्वास के द्वारा धर्मी माने जाते हैं। (यू.डी.बी.)

एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया और पाप के द्वारा मृत्यु आई

पौलुस “पाप” को एक घातक बात कहता है, जिसका आगमन “एक मनुष्य” आदम द्वारा स्थान देने से हुआ और “पाप” एक ऐसा द्वार बन गया जिसके द्वारा एक घातक बात, “मृत्यु” ने संसार में प्रवेश किया। (देखें: )

Romans 5:14

फिर भी

“तथापि” या “आदम के समय से लेकर मूसा तक लिखित नियमावली नहीं थी परन्तु”

तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज किया।

पौलुस मृत्यु की तुलना एक राजा से करता है . वैकल्पिक अनुवाद, “मनुष्य तो आदम के समय से लेकर मूसा के समय तक उनके पापों के परिणामस्वरूप मर रहे थे”।

जिन्होंने उस आदम.... के अपराध समान पाप न किया

“जिन मनुष्यों के पाप आदम के पाप जैसे न थे वे भी मर रहे थे”।

जो उस आने वाले का चिन्ह है

आदम मसीह का प्रतिरूप था, मसीह जो बहुत बाद में आया। इसमें उसकी बहुत समानता थी।

पर... बहुत लोग मरे तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान... अधिकाई से हुआ।

“बहुत लोग मरे” महत्त्वपूर्ण है परन्तु “अनुग्रह और इसका जो दान... अधिकाई से हुआ और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है।

अनुग्रह और ... दान... अधिकाई से हुआ

“अनुग्रह” और “दान” “पापों” से अधिक महान एवं प्रबल हैं।

Romans 5:16

जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं

“दान आदम के पाप का परिणाम नहीं है”

क्योंकि एक और

“क्योंकि एक ओर”

क्योंकि एक मनुष्य के अपराध के कारण... तो

“क्योंकि” और “तो” किसी एक ही बात पर विचार करने की दो धाराएं हैं। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “एक मनुष्य के कारण दण्ड का निर्णय लिया गया, तो”

क्योंकि बहुत से अपराधों के कारण

“अनेकों के पापों के कारण”

एक मनुष्य के अपराध

आदम के अपराध

मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया

“हर एक मनुष्य मरा”

एक मनुष्य के .... अनन्त जीवन

“मसीह यीशु के जीवन द्वारा”

Romans 5:18

एक अपराध के कारण

आदम के एक ही पाप के द्वारा। वैकल्पिक अनुवाद, “आदम के पाप के कारण”

एक... काम

मसीह यीशु का बलिदान

एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से

आदम की अवज्ञा

एक मनुष्य के आज्ञा मानने से

यीशु की आज्ञाकारिता के कारण

Romans 5:20

व्यवस्था बीच में आ गई

“नियमों ने प्रवेश किया” (देखें:

अपराध बहुत हों

इसके अर्थ दोनों हो सकते हैं, “मनुष्य को अपने पाप के भयानक होने का बोध हो” (यू.डी.बी.) और “मनुष्य अधिक पाप करे”

बहुत

“प्रचुर”

जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज किया

“जैसे पाप ने मृत्यु द्वारा राज किया”

अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिए मसीह में धर्मी ठहराते हुए राज करे

“हमारे प्रभु यीशु मसीह की पवित्रता के द्वारा कृपा मनुष्यों को अनन्त जीवन प्रदान करती है”

हमारे प्रभु

'हमारे' अर्थात पौलुस के इस पत्र के पाठक और सब विश्वासी


Translation Questions

Romans 5:1

विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाने के कारण विश्वासियों को क्या प्राप्त है?

क्योंकि विश्वासी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाते हैं, प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर से उनका मेल है।

Romans 5:3

क्लेश कौन से तीन गुण उत्पन्न करते हैं?

क्लेश, धीरज, खराई और आशा उत्पन्न होती है।

Romans 5:8

परमेश्वर हमारे लिए अपना प्रेम कैसे सिद्ध करता है?

परमेश्वर हम पर अपना प्रेम इस रीति से प्रकट करता है कि हम जब पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा।

Romans 5:9

मसीह के लहू से धर्मी ठहराए जाकर हम किस बात से बचे हैं?

मसीह के लहू द्वारा धर्मी ठहराए जाकर विश्वासी परमेश्वर के क्रोध से बचाए गए हैं।

Romans 5:10

मसीह यीशु के द्वारा परमेश्वर से मेल करने से पूर्व अविश्वासियों का सम्बन्ध परमेश्वर के साथ कैसा है?

मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल करवाने से पहले अविश्वासी परमेश्वर के बैरी है।

Romans 5:12

एक मनुष्य के पाप के कारण क्या हुआ?

एक मनुष्य के पाप करने के कारण पाप संसार में आ गया और पाप के द्वारा मृत्यु आई और मृत्यु सब लोगों में फैल गई।

Romans 5:14

वह एक मनुष्य कौन था जिसके द्वारा पाप संसार में आया?

आदम वह एक मनुष्य था जिसके द्वारा पाप संसार में आया।

Romans 5:15

परमेश्वर का वदान्य अनुग्रह आदम के अपराध से किस प्रकार भिन्न है?

आदम के अपराध से बहुत लोग मरे परन्तु परमेश्वर को वदान्य अनुग्रह बहुतों पर बहुतायत से हुआ।

Romans 5:16

आदम के पाप का परिणाम क्या हुआ और परमेश्वर के वदान्य वरदान का परिणाम क्या हुआ?

आदम के पाप के कारण दण्ड की आज्ञा हुई। परन्तु परमेश्वर के वरदान के कारण लोग धर्मी ठहरे।

Romans 5:17

आदम के पाप का परिणाम क्या हुआ और परमेश्वर के वदान्य वरदान का परिणाम क्या हुआ?

आदम के अपराध के कारण मृत्यु ने राज किया, परन्तु जो परमेश्वर के वदान्य को पाते हैं वे मसीह यीशु के जीवन के द्वारा राज्य करेंगे।

Romans 5:19

आदम के आज्ञा न मानने के कारण मनुष्यों का क्या हुआ था और मसीह की धार्मिकता के द्वारा बहुतों का क्या होगा?

आदम की अवज्ञा के कारण अनेक जन पापी हुए परन्तु मसीह की आज्ञाकारिता के द्वारा अनेक जन धर्मी ठहराए जायेंगे।

Romans 5:20

व्यवस्था बीच में क्यों आई?

व्यवस्था बीच में आ गई कि अपराध बहुत हो।

पाप से अधिक क्या हुआ?

परमेश्वर का अनुग्रह पाप से अधिक हुआ।


Chapter 6

1 तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो? 2 कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए* तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ? 3 क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया?

4 इसलिए उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नये जीवन के अनुसार चाल चलें। 5 क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे।

6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर नाश हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। 7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से मुक्त हो गया है।

8 इसलिए यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है कि उसके साथ जीएँगे भी, 9 क्योंकि हम जानते है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा और फिर कभी नहीं मरेगा। मृत्यु उस पर प्रभुता नहीं करती।

10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्‍वर के लिये जीवित है। 11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्‍वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।

12 इसलिए पाप तुम्हारे नाशवान शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो। 13 और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्‍वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्‍वर को सौंपो। 14 तब तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हो।

15 तो क्या हुआ? क्या हम इसलिए पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हैं? कदापि नहीं! 16 क्या तुम नहीं जानते कि जिसकी आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो: चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिसका अन्त धार्मिकता है?

17 परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे, 18 और पाप से छुड़ाए जाकर* धार्मिकता के दास हो गए।

19 मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ। जैसे तुम ने अपने अंगों को अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धार्मिकता के दास करके सौंप दो। 20 जब तुम पाप के दास थे, तो धार्मिकता की ओर से स्वतंत्र थे। 21 तो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? क्योंकि उनका अन्त तो मृत्यु है।

22 परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्‍वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिससे पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है। 23 क्योंकि पाप की मजदूरी* तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।



Romans 6:1

तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो?

पौलुस ने कृपा (अनुग्रह) के बारे में जो लिखा है उस पर एक प्रश्न की कल्पना करता है कि कोई पूछ सकता है।

हम.... हमारे

सर्वनाम “हम” का संदर्भ पौलुस उसके पाठकों और अन्य सब से है।

बहुत हो

इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “बढ़ता जाए”

Romans 6:4

मृत्यु के बपतिस्मा के साथ गाढ़ दिया

यह विश्वासी के पानी के बपतिस्मे की तुलना यीशु की मृत्यु और उसके दफन से की गई है। यहाँ इस बात को बल दिया गया है मसीह में विश्वास करने वाला मसीह की मृत्यु का लाभार्थी है। इसका अर्थ है कि पाप को अब विश्वासी पर अधिकार नहीं।

जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से परमेश्वर की महिमा में जिलाया गया वैसे ही हम नये जीवन के नएपन में चले।

यहाँ विश्वासी के आत्मिक पुनर्जीवन की तुलना यीशु के पुनः जीवित होने से की गई है। विश्वासी का यह नया जीवन आत्मिक जीवन विश्वासी को परमेश्वर का आज्ञाकारी बनाता है। वैकल्पिक अनुवाद, में कर्तृवाच्य क्रिया का उपयोग किया जा सकता है, “जिस प्रकार पिता परमेश्वर ने यीशु के मरणोपरान्त पुनः जीवित किया, उसी प्रकार हमें भी नया आत्मिक जीवन मिलता है कि हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में रहें।

क्योंकि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय ही उसके जी उठने की समानता में जुट जाएं।

“हम उसकी मृत्यु की समानता में हो गए तो, मरणोपरान्त जीवन में भी उसकी समानता में होंगे।

Romans 6:6

हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया है।

यहाँ पौलुस कहता है कि विश्वासी यीशु के विश्वास में आने से पूर्व एक मनुष्य होता है तो विश्वास में आने के बाद वह एक सर्वथा भिन्न मनुष्य होता है। “पुराना मनुष्यत्व” अर्थात मसीह को ग्रहण करने से पूर्व का अविश्वासी मनुष्य वास्तव में आत्मिकता में मृतक होता है और मृत्यु के आधीन रहता है। पौलुस कहता है कि हमारा यह पापी मनुष्यत्व मसीह में विश्वास करने पर उसके साथ मर जाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमारा पापी मनुष्यत्व यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है”।

पुराना मनुष्यत्व

“मनुष्य का पूर्वकालिक जीवन”, मनुष्य जैसा पहले था वैसा अब नहीं है।

पाप का शरीर

संपूर्ण पापी मनुष्य

व्यर्थ हो जाए

“मर जाए”

हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें

पौलुस मनुष्य पर पाप की प्रभुता की तुलना एक स्वामी से करता है जो दास पर स्वामित्व दर्शाती है। पवित्र आत्मा से रहित मनुष्य सदैव पाप का चुनाव करता है। वह परमेश्वर को प्रसन्न करनेवाले कामों का चुनाव नहीं कर सकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें अब पाप के दास नहीं रहना है”

जो मर गया वह पापों से छुटकर धर्मी ठहरा

वैकल्पिक अनुवाद, कर्तृवाच्य क्रिया के उपयोग से भी किया जा सकता है, “जो पाप की प्रभुता के लिए मर गया उसे परमेश्वर धर्मी ठहराता है”

Romans 6:8

हम मसीह के साथ मर गए

यद्यपि मसीह की शारीरिक मृत्यु हुई परन्तु विश्वासियों की मृत्यु से उसका अर्थ है पाप के प्रति आत्मिक मृत्यु। वैकल्पिक अनुवाद, “हम मसीह की मृत्यु के साथ आत्मिकता में मर गए”।

हम जानते हैं कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा है

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर ने यीशु को मरने के बाद फिर जीवित किया”

उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होनी थी

यहाँ “मृत्यु” को एक राजा या शासक स्वरूप व्यक्त किया गया है जो मनुष्यों पर प्रभुता करती है, इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “वह फिर कभी नहीं मरेगा”

Romans 6:10

वह जो मर गया तो पाप के लिए एक ही बार मर गया।

“एक ही बार” इस उक्ति का अर्थ है, किसी बात का सदा के लिए अन्त कर देना। इसका परिपूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता हैः “क्योंकि जब मरा तब उसने पाप की प्रभुता का सदा के लिए अन्त कर दिया” (देखें: और )

ऐसे ही तुम भी समझो

“इसी प्रकार तुम भी.... समझो” या “इस प्रकार तुम भी समझो”

तुम भी अपने आपको समझो

“स्वयं को समझो” या “ऐसा मान लो कि तुम भी”

पाप के लिए मरा

यहाँ “पाप” का अर्थ है, वह व्यक्ति जो हम में निहित है और हमें पाप करने के लिए विवश करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “पाप की शक्ति के लिए मरा हुआ”

पाप के लिए तो मरा परन्तु परमेश्वर के लिए जीवित समझो।

यहाँ “परन्तु” एक ही विचारधारा को विभाजित करके प्रकट करता है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “पाप के लिए मृतक परन्तु परमेश्वर के लिए जीवित”

परमेश्वर के लिए मसीह यीशु में जीवित

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए मसीह यीशु के सामर्थ्य द्वारा जीवित।”

Romans 6:12

पाप ... राज न करे कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो

“पाप” .... को यहाँ मनुष्य का राजा या स्वामी जैसा दर्शाया गया है

अपनी मरणहार देह

यह उक्ति मनुष्य के शारीरिक अंगों के बारे में कहती है। जो वह मर जाएंगी। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “अपने को”

और न .... पाप को सौंपों

स्वामी “पाप” चाहता है कि पापी उसके स्वामी की आज्ञा मानकर बुरे काम करे”।

विश्वासी के लिए आवश्यक है वह अपने अंगों को धार्मिकता के साधन होने के लिए परमेश्वर के हाथों में दे दे।

यहाँ परिदृश्य यह है कि पापी अपनी देह के अंग उसके स्वामी के अधीन करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “अपने आप को पाप के अधीन मत करो कि जो उचित नहीं है वह करो”।

परन्तु अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा जानकर परमेश्वर को सौंपा।

“परन्तु स्वयं को परमेश्वर के अधीन करो क्योंकि उसने तुम्हें नया आत्मिक जीवन दिया है”।

और अपने अंगों को धर्म का हथियार होने के लिए परमेश्वर को सौंपा।

“परमेश्वर जिन बातों से प्रसन्न होता है उसके लिए अपनी देह को काम में आने दो”।

तुम पर पाप की प्रभुता न होगी।

“पाप की अभिलाषाएं तुम पर प्रभुता करके तुमसे काम न कराने पाए” या “जिन पाप की बातों को तुम करना चाहते हो उन्हें मत होने दो”।

क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं

इसका संपूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि तुम मूसा प्रदत्त विधान के अधीन नहीं जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदत्त नहीं कर सकता है।

वरन् अनुग्रह के अधीन हो

इसका पूर्ण अर्थ उजागर किया जा सकता है, “परन्तु तुम परमेश्वर की कृपा से बन्धे हो जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदान करती है”।

Romans 6:15

x

पौलुस दासत्व को एक रूपक स्वरूप काम में लेता है कि परमेश्वर की आज्ञा पालन एवं अवज्ञा को स्पष्ट कर पाए।

तो क्या हुआ? क्या हम इसलिए पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं? कदापि नहीं।

पौलुस यह प्रश्न पूछ कर इस बात को महत्त्व प्रदान करता है कि कृपा पाकर जीने का अर्थ यह नहीं कि पाप करते रहें। वैकल्पिक अनुवाद हो सकता है, “तथापि, मूसा प्रदत्त विधान की अपेक्षा परमेश्वर की कृपा के अधीन होने का अर्थ निश्चय ही यह नहीं कि हमें पाप करने की छूट है”

कदापि नहीं।

“हम कभी नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो” या “या परमेश्वर मेरी सहायता करे कि ऐसा न करूं”। इस अभिव्यक्ति से एक अत्यधिक प्रबल इच्छा प्रकट होती है कि ऐसा न हो। अपनी भाषा में भी ऐसी ही अभिव्यक्ति काम में लेना चाहेंगा देखें कि अपने यहाँ कैसा अनुवाद किया है।

क्या तुम नहीं जानते हो कि जिसकी आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आपको दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो?

पौलुस इस प्रश्न के द्वारा उस हर एक मनुष्य को झिड़कता है जो परमेश्वर की कृपा को पाप करते रहने का कारण बनाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हें इस तथ्य का ज्ञान होना चाहिए कि तुम जिसे स्वामी की आज्ञा मानने का चुनाव करते हो, उसके दास हो जाते हो।

चाहे पाप के .... चाहे आज्ञाकारिता के

यहाँ “पाप” और “आज्ञाकारिता” को दास के स्वामियों की उपमा दी गई है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तुम या तो पाप के दास हो, जिससे आत्मिक मृत्यु होती है, या तुम आज्ञाकारिता के दास हो जिससे परमेश्वर तुम्हें धार्मिकता कहता है।

Romans 6:17

x

पौलुस दासत्व की उपमा देकर परमेश्वर के आज्ञापालन एवं अवज्ञा पर चर्चा करता है।

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो

“परन्तु मैं परमेश्वर का आभारी हूँ”

तुम जो पाप के दास थे

यहाँ पाप को एक स्वामी-स्वरूप दिखाया गया है। जिसकी दास सेवा करते हैं। यह भी कि “पाप” एक शक्ति है जो हम में वास करती है जो हमें पाप करने पर विवश करती है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम जो पाप की शक्तियों के अधीन दास बन कर जी रहे थे”। (देखें:

मन से उस आदेश के माननेवाले

यहाँ “मन” से अभिप्राय है काम को करने के लिए सच्ची एवं निष्ठावान अभिप्रेरणा। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु तुमने सच में आज्ञा मानी”।

उस प्रकार का उपदेश जो तुम्हें दिया गया है।

यहाँ “उस उपदेश” का अर्थ है धर्मनिष्ठा की ओर ले जाने वाला आचरण एवं जीवनशैली। विश्वासी अपनी पुरानी जीवनशैली को बदल कर इस नई जीवन शैली के अनुरूप हो जाता है जिसकी शिक्षा उन्हें मसीही अगुवे देते है। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, “मसीही अगुओं ने जो तुम्हें शिक्षा दी”। (देखें:

पाप से छुड़ाएं जाकर

कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा वैकल्पिक अनुवाद, “मसीह ने तुम्हें पाप की प्रभुता से मुक्त करा लिया।

धर्म के दास हो गए

“अब तुम उचित कामों को करने के लिए दास हो”

Romans 6:19

x

पौलुस परमेश्वर की आज्ञापालन और अवज्ञा के लिए दासत्व की उपमा दे रहा है।

मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ

पौलुस “पाप” और “आज्ञा पालन” को “दासत्व” के रूप में व्यक्त कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “मैं दासता की चर्चा करके पाप और आज्ञापान को समझाने का प्रयास कर रहा हूँ।

अपने अंगों की कुकर्म के लिए विवशता के कारण

पौलुस प्रायः “अंग” शब्द को आत्मा के विपरीत काम में लेता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तुम आत्मिक बातों को पूर्णतः समझ नहीं पाते”।

अपने अंगों को कुकर्म के लिए और बुराई को सौप दिया।

यहाँ “अंगों” से अर्थ है संपूर्ण मनुष्यत्व। वैकल्पिक अनुवाद, “स्वयं को दास बनाकर हर एक बुरी एवं परमेश्वर को प्रसन्न न करने वाली बात।

अब अपने अंगों को पवित्रता के लिए धर्म के दास करके सौंपो।

“स्वामी को उचित काम के लिए परमेश्वर के समक्ष दास बनाओ जिससे कि वह तुम्हें पृथक करके उसकी सेवा के लिए सामर्थ्य प्रदान करे”।

अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे।

अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? - पौलुस इस प्रश्न द्वारा इस बात पर बल देता है कि पाप का परिणाम भलाई कभी नहीं होता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुमने उन बातों को करने में जिनसे अब तुम लज्जित होते हो कुछ भी लाभ प्राप्त नहीं किया।

Romans 6:22

परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर

इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया के साथ पूर्ण वाक्य में होगा, “परन्तु अब मसीह ने तुम्हें पाप से मुक्त करा दिया और परमेश्वर का दास बना दिया”

उसका फल अनन्त जीवन है

“इसका परिणाम है कि तुम परमेश्वर के साथ सदा जीवित रहोगे”।

क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है

यहाँ “मज़दूरी” का अभिप्रायः है काम करने का परिश्रमिक। वैकल्पिक अनुवाद “यदि तुम दास की सेवा करोगे तो तुम्हारा परिश्रमिक सदा के लिए मृत्यु है” या “यदि तुम पाप करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हें आत्मिक मृत्यु का दण्ड देगा।

परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।

“परन्तु परमेश्वर हमारे प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों को अनमोल अनन्त जीवन दान देता है।


Translation Questions

Romans 6:1

क्या विश्वासी पाप करते रहे कि परमेश्वर का अनुग्रह बहुत हो?

कदापि नहीं।

Romans 6:3

मसीह यीशु का बपतिस्मा लेने वाले ने वास्तव में किसमें बपतिस्मा लिया है?

जिन्होंने मसीह का बपतिस्मा लिया है उन्होंने उसकी मृत्यु में बपतिस्मा लिया है।

Romans 6:4

मसीह यीशु मृतकों में से जी उठा है तो विश्वासियों को क्या करना चाहिए?

विश्वासियों को नये जीवन की चाल चलना है।

Romans 6:5

विश्वासी बपतिस्में के द्वारा दो प्रकार से मसीह की समानता में हैं वे क्या है?

विश्वासी मसीह की मृत्यु और पुनरूत्थान में मसीह के साथ एक होंगे।

Romans 6:6

हमारे लिये क्या किया गया था कि हमें अब पाप के दास नहीं रहना है?

हमारा पुराना मनुष्यत्व मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है कि हम आगे को पाप के बन्दी न रहें।

Romans 6:9

हम कैसे जानते हैं कि मसीह पर मृत्यु की प्रभुता नहीं है?

हम जानते हैं कि मसीह पर मृत्यु की प्रभुता नहीं है क्योंकि मसीह मृत्तकों में से जी उठा है।

Romans 6:10

मसीह कितनी बार मरा और कितने लोगों के लिए मरा?

मसीह मरा तो एक ही बार मरा।

विश्वासी पाप के संबन्ध में स्वयं को क्या समझे?

विश्वासी स्वयं को पाप के लिए मरा हुआ समझे।

विश्वासी अपना जीवन किसके लिए जी रहा है?

विश्वासी परमेश्वर के लिए जी रहा है।

Romans 6:13

विश्वासी अपनी देह के अंग किसके हाथ दे और क्यों?

विश्वासी के लिए आवश्यक है वह अपने अंगों को धार्मिकता के साधन होने के लिए परमेश्वर के हाथों में दे दे।

Romans 6:14

विश्वासी किसके अधीन है जिनसे वह पाप पर प्रभुता करता है?

विश्वासी अनुग्रह के अधीन हैं जिससे वह पाप पर प्रभुता करता है।

Romans 6:16

जो मनुष्य स्वयं को पाप का दास होने के लिए दे देता है, उसका अन्त क्या होता है?

जो मनुष्य स्वयं को पाप का दास होने के लिए दे देता है, उसका अन्त मृत्यु है।

जो मनुष्य परमेश्वर का दास हो जाता है उसका फल क्या होता है?

जो मनुष्य स्वयं को परमेश्वर का दास होने के लिए दे देता है उसका फल धार्मिकता है।

Romans 6:22

परमेश्वर के दासों का फल क्या है?

परमेश्वर के दास होने का फल पवित्रता है।

Romans 6:23

पाप की मजदूरी क्या है?

पाप की मजदूरी मृत्यु है।

परमेश्वर का निर्मोल वरदान क्या है?

परमेश्वर का निर्मोल वरदान अनन्त जीवन है।


Chapter 7

1 हे भाइयों, क्या तुम नहीं जानते (मैं व्यवस्था के जाननेवालों से कहता हूँ) कि जब तक मनुष्य जीवित रहता है, तब तक उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है?

2 क्योंकि विवाहित स्त्री व्यवस्था के अनुसार अपने पति के जीते जी उससे बंधी है, परन्तु यदि पति मर जाए, तो वह पति की व्यवस्था से छूट गई। 3 इसलिए यदि पति के जीते जी वह किसी दूसरे पुरुष की हो जाए, तो व्यभिचारिणी कहलाएगी, परन्तु यदि पति मर जाए, तो वह उस व्यवस्था से छूट गई, यहाँ तक कि यदि किसी दूसरे पुरुष की हो जाए तो भी व्यभिचारिणी न ठहरेगी।

4 तो हे मेरे भाइयों, तुम भी मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिये मरे हुए बन गए, कि उस दूसरे के हो जाओ, जो मरे हुओं में से जी उठा: ताकि हम परमेश्‍वर के लिये फल लाएँ। 5 क्योंकि जब हम शारीरिक थे, तो पापों की अभिलाषाएँ जो व्यवस्था के द्वारा थीं, मृत्यु का फल उत्‍पन्‍न करने के लिये हमारे अंगों में काम करती थीं।

6 परन्तु जिसके बन्धन में हम थे उसके लिये मर कर, अब व्यवस्था से ऐसे छूट गए, कि लेख की पुरानी रीति पर नहीं, वरन् आत्मा की नई रीति पर सेवा करते हैं।

7 तो हम क्या कहें? क्या व्यवस्था पाप है*? कदापि नहीं! वरन् बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहचानता व्यवस्था यदि न कहती, “लालच मत कर” तो मैं लालच को न जानता। (रोम. 3:20) 8 परन्तु पाप ने अवसर पा कर आज्ञा के द्वारा मुझ में सब प्रकार का लालच उत्‍पन्‍न किया, क्योंकि बिना व्यवस्था के पाप मुर्दा है।

9 मैं तो व्यवस्था बिना पहले जीवित था, परन्तु जब आज्ञा आई, तो पाप जी गया, और मैं मर गया। 10 और वही आज्ञा जो जीवन के लिये थी*, मेरे लिये मृत्यु का कारण ठहरी। (लैव्य. 18:5)

11 क्योंकि पाप ने अवसर पा कर आज्ञा के द्वारा मुझे बहकाया, और उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला। (रोम. 7:8) 12 इसलिए व्यवस्था पवित्र है, और आज्ञा पवित्र, धर्मी, और अच्छी है।

13 तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी? कदापि नहीं! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्‍पन्‍न करनेवाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे। 14 क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शारीरिक हूँ और पाप के हाथ बिका हुआ हूँ।

15 और जो मैं करता हूँ उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूँ वह नहीं किया करता, परन्तु जिससे मुझे घृणा आती है, वही करता हूँ। 16 और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूँ, तो मैं मान लेता हूँ कि व्यवस्था भली है।

17 तो ऐसी दशा में उसका करनेवाला मैं नहीं, वरन् पाप है जो मुझ में बसा हुआ है। 18 क्योंकि मैं जानता हूँ, कि मुझ में अर्थात् मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझसे बन नहीं पड़ते। (उत्प. 6:5)

19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूँ, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता, वही किया करता हूँ। 20 परन्तु यदि मैं वही करता हूँ जिसकी इच्छा नहीं करता, तो उसका करनेवाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है। 21 तो मैं यह व्यवस्था पाता हूँ कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूँ, तो बुराई मेरे पास आती है।

22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्‍न रहता हूँ। 23 परन्तु मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।

24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा*? 25 हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद हो। इसलिए मैं आप बुद्धि से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।



Romans 7:1

जब तक मनुष्य जीवित रहता है, तब तक उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है।

पौलुस इसका उदाहरण में देता है।

Romans 7:2

x

पौलुस ने जो सिद्धान्त प्रस्तुत किया है उसका उद्धरण में देता है।

वह व्यभिचारिणी कहलाएगी

कौन उसे व्यभिचारिणी कहता है, स्पष्ट नहीं है अतः यथासंभव सामान्य अभिव्यक्ति करें, “वे उसे व्यभिचारिणी कहेंगे”। वैकल्पिक अनुवाद है, “मनुष्य उसे व्यभिचारिणी कहते हैं”। या “परमेश्वर उसे व्यभिचारिणी कहता है।

Romans 7:4

इसलिए

इसका संबन्ध पूर्वोक्ति से है

हम परमेश्वर के लिए फल लाएं

परमेश्वर के लिए फल लाए - “हम ऐसे काम कर पाएंगे जिनसे परमेश्वर प्रसन्न होता है”।

Romans 7:6

हम

यह सर्वनाम पौलुस और विश्वासियों के स्थान पर है।

लेख

मूसा द्वारा लाया गया विधान

Romans 7:7

तो हम क्या कहें?

पौलुस ने एक नया प्रसंग छेड़ा है

कदापि नहीं।

“निश्चय ही यह असत्य है”। पूर्वोक्त प्रभावोत्पादक प्रश्न का इस उक्ति द्वारा यथा संभव अतिप्रबल नकारात्मक उत्तर है। आप यहाँ अपनी भाषा में भी ऐसी ही उक्ति का उपयोग करना चाहेंगे। देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है।

बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहचानता, परन्तु पाप ने अवसर पाकर... सब प्रकार का लालच उत्पन्न किया।

पौलुस पाप की तुलना एक सक्रिय मनुष्य से करता है

पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझ में सब प्रकार का लालच उत्पन्न किया।

परमेश्वर के विधान में हमें कुछ करना मना है तो इसका अर्थ है कि हम कुछ करना चाहते हैं जो वर्जित है और हम उसे अधिक करने की कामना करते हैं। “पाप ने मुझे उस आज्ञा का स्मरण कराया जो किसी न किसी अनुचित बात के लिए मना करती है, अतः मैं पहले से भी अधिक उस अनुचित काम की लालसा करता हूँ” या “क्योंकि मैं ने पाप करने की इच्छा की इसलिए जब मैंने अनुचित काम की लालसा को वर्जित पाया तब मैंने तुझ में लालसा उत्पन्न हुई”।

पाप

“पाप की मेरी अभिलाषा”

लालच

इस शब्द में पराई वस्तुओं का लालच (यू.डी.बी.) और यौन लालसा दोनों हैं।

बिना व्यवस्था पाप मुर्दा है

“यदि विधान नहीं होता तो नियमों के उल्लंघन का प्रश्न ही नहीं उठता और पाप नहीं होता”।

Romans 7:9

पाप जी गया

इसका अर्थ हो सकता है, 1) “मुझे पाप का बोध हुआ”।

और वही आज्ञा जो जीवन के लिए थी मेरे लिए मृत्यु का कारण ठहरी।

पौलुस वास्तव में मरा नहीं। वैकल्पिक अनुवाद “परमेश्वर ने तो मुझसे जीवित रहने के लिए आज्ञा दी थी परन्तु उसने मेरी हत्या कर दी”

Romans 7:11

पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझे बहकाया और उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला।

जैसा में है पौलुस पाप को एक व्यक्तिस्वरूप दर्शा रहा है जो तीन काम कर सकता है, अवसर पाना, बहकाना, और हत्या करना। “क्योंकि मैं पाप करना चाहता था मैंने यह विचार करके स्वयं को धोखा दिया कि मैं पाप भी कर सकता हूँ और आज्ञा का पालन भी कर सकता हूँ परन्तु परमेश्वर ने मुझे अवज्ञा का दण्ड दिया जो उनसे पृथक होने का था।

पाप

“पाप करने की मेरी लालसा”

पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा

देखें कि आपने इसका अनुवाद कैसे किया है।

उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला

“परमेश्वर से मेरा संबन्ध विच्छेद कर दिया” (देखें यू.डी.बी. )

इसीलिए

क्योंकि व्यवस्था पाप को धोखा देने वाला और हत्यारा कहता है

Romans 7:13

तो क्या

पौलुस एक नया प्रसंग छेड़ रहा है।

वह जो अच्छी थी

परमेश्वर का विधान

मेरे लिए मृत्यु ठहरी

“मेरे लिए मृत्यु का कारण हुई”

कदापि नहीं।

“निश्चय ही यह असत्य है” यह उक्ति पूर्वोक्त प्रश्न का प्रबल नकारात्मक उत्तर है। आप यहां अपनी भाषा में ऐसी ही उक्ति काम में लेना चाहेंगे।

पाप ... मेरे लिए मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ

पौलुस पाप को एक कर्ता के रूप में दर्शा रहा है

मृत्यु को उत्पन्न करने वाला हुआ

“परमेश्वर से मेरा संबंध विच्छेद कर दिया।”

आज्ञा के अनुसार

“क्योंकि मैंने आज्ञा का उल्लंघन किया”

Romans 7:15

जो मैं करता हूँ उसको नहीं जानता

“मुझे समझ में नहीं आता कि कुछ काम मैं करता हूँ तो क्यों करता हूँ”

इसलिए

“मैं समझ नहीं पाता कि मैं जो करता हूँ क्यों करता हूँ, क्योंकि”

जिससे मुझे घृणा आती है वही करता हूँ

वैकल्पिक अनुवाद, “जिन बातों को में जानता हूँ कि उचित नहीं हैं, उन्हीं को करता हूँ”

परन्तु

“तथापि”

मैं मान लेता हूँ कि व्यवस्था भली है

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं जानता हूँ कि परमेश्वर प्रदत्त विधान उत्तम हैं

Romans 7:17

पाप है जो मुझ में बसा हुआ है

पौलुस पाप को एक जीवन्त वस्तु कहता है जिसमें उसे प्रभावित करने का सामर्थ्य है।

मेरे शरीर में

“मेरे मानवीय स्वभाव में”

Romans 7:19

अच्छी वस्तुं

“भले काम” या “उचित काम”

बुराई

“बुरे काम” या “अनुचित कार्य”

Romans 7:22

भीतरी मनुष्यत्व में

शरीर की मृत्यु के बाद जो बचता है

मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे दास बनाती है

“मैं वही कर पाता हूँ जो मेरा पुराना मनुष्यत्व कहता है, न कि आत्मा द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलता हूँ”।

अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था

पुराना मनुष्यत्व, मनुष्य जन्म से जैसा होता है

वह नया सिद्धांत

आत्मिकता का जीवित नया स्वभाव

पाप की व्यवस्था जो मेरे अंगों में है

“मेरा पापी स्वभाव, जिसको लेकर मेरा जन्म हुआ है”

Romans 7:24

मैं कैसा आभागा मनुष्य हूँ। मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ायेगा?

“मेरी तो यही इच्छा है कि कोई मुझे मेरे शरीर की अभिलाषाओं से मुक्ति दिलाए”। (यू.डी.बी.) यदि आपकी भाषा में विस्मय और प्रश्न दोनों को सर्वोच्च भावनात्मक दर्शाने का प्रावधान है, तो उसका उपयोग अवश्य करें।

उस एकमात्र परमेश्वर और हमारे उद्धारकर्ता को , हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा

यह 7:24 के प्रश्न का उत्तर है।(देखे: यू.डी.बी.)

मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ”।

वैकल्पिक अनुवाद, “मेरा मन तो परमेश्वर को प्रसन्न करने का चुनाव करता है, परन्तु मेरा शरीर पाप की आज्ञा मानने का चुनाव करता है”। यहाँ मन और शरीर के उपयोग द्वारा दर्शाया गया है कि वे कैसे परमेश्वर के नियमों या पाप की आज्ञाओं का पालन करना चाहते हैं। मन या समझ के द्वारा तो मनुष्य परमेश्वर के आज्ञापालन का चुनाव करता है परन्तु शरीर या शारीरिक प्रकृति से पाप की सेवा करना चाहता है।


Translation Questions

Romans 7:1

व्यवस्था कब तक मनुष्य पर प्रभुता करती है?

मनुष्य जब तक जीवित रहता है उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है।

Romans 7:2

एक विवाहित स्त्री व्यवस्था के अनुसार कब तक अपने पति से बंधी होती है?

एक विवाहित स्त्री पति की मृत्यु तक विवाह की व्यवस्था के अनुसार उससे बंधी है।

Romans 7:3

विवाह की व्यवस्था से मुक्त होकर एक स्त्री क्या कर सकती है?

जब वह विवाह की व्यवस्था से मुक्त हो गई तो पुनर्विवाह कर सकती है।

Romans 7:4

विश्वासी व्यवस्था के लिए कैसे मर गए हैं?

विश्वासी मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिए मर गए हैं।

व्यवस्था के लिए मर जाने से विश्वासी किस योग्य हो जाते हैं?

व्यवस्था के लिए मर जाने से विश्वासी मसीह के साथ एक होते हैं।

Romans 7:7

व्यवस्था का क्या कार्य है?

व्यवस्था पाप का बोध करवाती है।

व्यवस्था पाप है या पवित्र है?

व्यवस्था पवित्र है, आज्ञा पवित्र, धर्मी और अच्छी है।

Romans 7:8

पाप व्यवस्था की आज्ञाओं के द्वारा क्या करता है?

व्यवस्था की आज्ञाओं के माध्यम से पाप मनुष्य में लालच उत्पन्न करता है।

Romans 7:13

पौलुस के अनुसार पाप उसमें क्या करता है?

पौलुस कहता है कि पाप व्यवस्था के माध्यम से उसमें मृत्यु लाता है।

Romans 7:16

व्यवस्था के साथ पौलुस को सहमत होने का कारण क्या है कि व्यवस्था भली है?

जब पौलुस वह काम करता है जिसे वह करना नहीं चाहता तो मान लेता है कि व्यवस्था भली है।

Romans 7:17

पौलुस जो काम नहीं करना चाहता उसका करवाने वाला कौन है?

पौलुस में जो पाप है वह उससे अनिच्छा के काम करवाता है।

Romans 7:18

पौलुस की देह में क्या है?

पौलुस की देह में कुछ भी अच्छा नहीं है।

Romans 7:21

पौलुस अपनी देह में एक सिद्धान्त को कार्य करता देखता है वह क्या है?

पौलुस अपनी देह में एक सिद्धान्त देखता है, वह भले काम तो करना चाहता है परन्तु उसकी देह में केवल बुराई वास करती है।

Romans 7:23

पौलुस अपनी अन्तरात्मा में और अपनी देह के अंगों में कौन सा सिद्धान्त प्रभावी देखता है?

पौलुस को यह बोध होता है कि उसकी अन्तरात्मा परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न है परन्तु उसकी देह के अंग पाप के बन्दी बने हुए है।

Romans 7:25

पौलुस को इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?

पौलुस मसीह यीशु के द्वारा उसकी युक्ति के लिए परमेश्वर को धन्यवाद चढ़ाता है।


Chapter 8

1 इसलिए अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं*। 2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।

3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी*, उसको परमेश्‍वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। 4 इसलिए कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए। 5 क्योंकि शारीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।

6 शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है। 7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है। 8 और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्‍वर को प्रसन्‍न नहीं कर सकते।

9 परन्तु जब कि परमेश्‍वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं। 10 यदि मसीह तुम में है, तो देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु आत्मा धार्मिकता के कारण जीवित है।

11 और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।

12 तो हे भाइयों, हम शरीर के कर्जदार नहीं, कि शरीर के अनुसार दिन काटें। 13 क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।

14 इसलिए कि जितने लोग परमेश्‍वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्‍वर के पुत्र* हैं। 15 क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं।

16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्‍वर की सन्तान हैं। 17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन् परमेश्‍वर के वारिस* और मसीह के संगी वारिस हैं, जब हम उसके साथ दुःख उठाए तो उसके साथ महिमा भी पाएँ।

18 क्योंकि मैं समझता हूँ, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। 19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्‍वर के पुत्रों के प्रगट होने की प्रतीक्षा कर रही है।

20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई। 21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पा कर, परमेश्‍वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी। 22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।

23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिनके पास आत्मा का पहला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात् अपनी देह के छुटकारे की प्रतीक्षा करते हैं। 24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहाँ रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा? 25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं, तो धीरज से उसकी प्रतीक्षा भी करते हैं।

26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये विनती करता है। 27 और मनों का जाँचनेवाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है? क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है।

28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्‍न करती है; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। 29 क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहलौठा ठहरे। 30 फिर जिन्हें उनसे पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।

31 तो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? (भज. 118:6) 32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों न देगा?

33 परमेश्‍वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। 34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन् मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्‍वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।

35 कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 36 जैसा लिखा है, “तेरे लिये हम दिन भर मार डाले जाते हैं; हम वध होनेवाली भेड़ों के समान गिने गए हैं।” (भज. 44:22)

37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, विजेता से भी बढ़कर हैं। 38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, 39 न गहराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्‍वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।



Romans 8:1

अतः

“इस कारण” या “क्योंकि जो मैं अभी-अभी कहता हूँ वह सच है”

व्यवस्था... व्यवस्था

यहाँ “व्यवस्था” का संदर्भ स्वाभाविक क्रिया से है, मानवीय नियमों से इसका कोई अभिप्राय नहीं है ।

Romans 8:3

क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया है।

यहाँ परमेश्वर के विधान को एक कर्ता के रूप में दर्शाया गया है जो पाप की शक्ति से टकरा नहीं पाया। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि विधान में सामर्थ्य न था कि हमें पाप करने से रोक ले क्योंकि हम में जो पाप की शक्ति थी वह अत्यधिक प्रबल थी। परन्तु परमेश्वर ने हमें पाप करने से रोक लिया”।

शरीर की समानता में

“मनुष्यों के पापी स्वभाव के कारण”

पाप, भय शरीर की समानता में

वैकल्पिक अनुवाद, नया वाक्य आरंभ करके “वह किसी भी पापी मनुष्य के स्वरूप दिखता था”

पाप बलि होने के लिए

“कि वह हमारे पापों के लिए मरे”।

शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने अपने पुत्र के शरीर के द्वारा पाप की शक्ति को निरस्त किया”।

व्यवस्था की विधि हममें... पूरी की जाए

कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा वैकल्पिक अनुवाद, “हम परमेश्वर के विधान की अनिवार्यता पूरी करें”

हम जो शरीर के अनुसार नहीं

“हम जो अपनी पापी अभिलाषाओं की पूर्ति नहीं करते”

परन्तु आत्मा के अनुसार चलते हैं

“परन्तु पवित्र आत्मा की आज्ञा मानते हें”

Romans 8:6

शरीर के अनुसार... आत्मा के अनुसार

“पापियों की मानसिकता... पवित्र आत्मा के आज्ञाकारियों की मानसिकता”

Romans 8:9

शारीरिक दशा में नहीं परन्तु आत्मिक दशा में

देखें कि इन वाक्यांशों का अनुवाद में कैसे किया गया है

आत्मा... परमेश्वर का आत्मा .... मसीह का आत्मा

ये सब पवित्र आत्मा के संदर्भ में है

यदि यह सच है कि

इसका अर्थ यह नहीं कि पौलुस सन्देह में है कि किसी में परमेश्वर का आत्मा नहीं है। पौलुस उन्हें बोध कराना चाहता था कि उन सबमें परमेश्वर का आत्मा है। वैकल्पिक अनुवाद, “मान लो कि किसी में”

यदि मसीह तुम में है

मसीह किसी में अन्तर्वास कैसे करता है स्पष्ट किया जा सकता है, “यदि मसीह पवित्र आत्मा के द्वारा तुम में वास करता है,

एक ओर शरीर पाप के मृतक है, किन्तु दूसरी ओर

"एक ओर" और "किन्तु दूसरी ओर" व्यख्यांश द्वारा दो अलग-अलग तारीके पेश किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद: " देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु ."

देह पाप के कारण मरी हुई है।

संभावित अर्थ है 1) मनुष्य आत्मिक रूप से मृतक है। या 2) पार्थिव देह तो पाप के कारण मरेगी ही।

आत्मा धर्म के कारण जीवित है।

इसके संभावित अर्थ हें 1) मनुष्य आत्मिक रूप से जीवन्त होकर परमेश्वर प्रदत्त सामर्थ्य में भले काम करता है। या 2) परमेश्वर विश्वासी को मरणोपरान्त पुनजीर्वित करेगा क्योंकि परमेश्वर, धर्मनिष्ठ है और विश्वासी को अनन्त जीवन देता है।

Romans 8:11

यदि उसी का आत्मा.... तुममें बसा हुआ है

पौलुस यह मानता है कि उसके पाठकों में पवित्र-आत्मा का अन्तर्वास है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि उसका ही आत्मा... तुममें अन्तर्वासी है”

उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया

“परमेश्वर का आत्मा जिसने उसे मृतकों में से जिलाया।

नश्वर देहों को

“पार्थिव शरीर” या “मरणहार शरीर”

Romans 8:12

इसलिए

“क्योंकि मैंने तुमसे अभी-अभी जो कहा वह सच है”

भाइयों

“सहविश्वासियों में”

हम कर्जदार

पौलुस आज्ञापालन की तुलना ऋण चुकाने से कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें आज्ञा मानना है” (देखें:

शरीर के कर्जदार नहीं कि शरीर के अनुसार जीएं

“हमें अपनी पापी अभिलाषाओं का पालन नहीं करना है”

क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे

“क्योंकि यदि तुम केवल अपनी पापी अभिलाषाओं को पूरा करने के लिए जीओगे”

तो मरोगे

“तो तुम निश्चय ही परमेश्वर से अलग हो जाओगे”

यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मरोगे

वैकल्पिक अनुवाद, एक नया वाक्य, “यदि पवित्र-आत्मा के सामर्थ्य से तुम अपनी पापी अभिलाषाओं का दमन करोगे”

Romans 8:14

जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं

कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद, “जिन्हें परमेश्वर ने चुन लिया है”।

क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि डरे

“क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें वह आत्मा नहीं दी जो तुम्हें फिर से पाप का दास बनाए और परमेश्वर के दण्ड से डरनेवाला बनाए।”

जिससे हम पुकारते हैं

“जो हमें पुकारने की प्रेरणा देती है”

हे अब्बा, हे पिता

अरामी भाषा में अब्बा का अर्थ है पिता

Romans 8:16

यदि सन्तान हैं तो वारिस भी

इन वाक्यांशों मे क्रिया का उपयोग नहीं किया गया है क्योंकि वह समझा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद है, “यदि हम परमेश्वर की सन्तान हैं तो उसके उत्तराधिकारी भी हैं”।

वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस

वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के वारिस तो हैं ही, साथ में मसीह के सहवारिस भी हैं”।

उसके साथ महिमा भी पाएं

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया के साथ भी किया जा सकता है, “उसके साथ हमारी भी महिमान्वित करे।

Romans 8:18

क्योंकि

“क्योंकि” शब्द द्वारा “मैं समझता हूँ” पर बल दिया गया है। इसका अर्थ सामान्य “क्योंकि” न समझें

मैं समझता हूँ....कुछ भी नहीं हैं

मेरा तो मानना है कि.... तुलना के योग्य भी नहीं है।

प्रगट होने की

कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद होगा, “परमेश्वर प्रकट करेगा” या “जब परमेश्वर का अनावरण करेगा”।

सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से

परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया है वह बड़ी जिज्ञासा से, एक मनुष्य के सदृश्य, प्रतिज्ञा कर रहा है।

परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने

“जिस समय परमेश्वर अपने पुत्रों को प्रकट करेगा”

Romans 8:20

क्योंकि सृष्टि... व्यर्थता के अधीन

कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद होगा, “क्योंकि परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया है उसे उस उद्देश्य प्राप्ति में अयोग्य कर दिया है जिसके उद्देश्य से उसकी रचना की गई थी।

अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करने वाले की ओर से

यहाँ “सृष्टि को एक इच्छा रखने वाले मनुष्य का मान दिया गया है। इसका वैकल्पिक अनुवाद होगा, “इसलिए नहीं कि सृजित वस्तुएं स्वयं चाहती थी “परन्तु इसलिए कि परमेश्वर चाहता था”।

कि सृष्टि आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाए।

वैकल्पिक अनुवाद में कर्तृवाच्य क्रिया के साथ एक नया वाक्य रचा जा सकता है, “तथापि सृजित वस्तुएं पूर्णतः आश्वस्त है कि परमेश्वर उनका उद्धार करेगा।

विनाश के दासत्व से

पौलुस सृष्टि की हर एक वस्तु को उसके स्वामी के दासत्व में तथा “विनाश” के अधीन मानता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्षय एवं अपक्षय से”

परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता

“जब वह अपनी सन्तानों का महिमान्वन करेगा तब वह उन्हें स्वतंत्र कर देगा।”

क्योंकि हम जानते हैं किसकी सृष्टि अब तक कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।

सृष्टि की तुलना एक स्त्री से की गई है जो प्रसव पीड़ा में है, “क्योंकि हम जानते है कि संपूर्ण सृष्टि इस समय भी पीड़ा के कारण कहराती है”

Romans 8:23

जिनके पास आत्मा का पहला फल है

पौलुस विश्वासियों की तुलना द्वारा पवित्र आत्मा पाने की तुलना ऋतु के पहले फल तथा फसल से करता है।

लेपालक होने की अर्थात अपने देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं

स्पष्ट किया जा सकता है कि परमेश्वर हमें किससे छुटकारा दिलाएगा। “परमेश्वर के परिवार के पूर्ण सदस्य होने की प्रतिज्ञा में है कि वह हमारी देह को क्षय और मृत्यु से मुक्ति दिलाएगा।

इस आशा के द्वारा हमारा उद्धार हुआ है

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “क्योंकि हमें विश्वास है कि परमेश्वर ने हमारा उद्धार किया है

क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा?

पौलुस प्रश्न पूछ कर अपने पाठकों को समझाता है कि “आशा” क्या है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “परन्तु यदि हमें आशा है तो इसका अर्थ है कि हमें अभी तक वह वस्तु प्राप्त नहीं हुई है जिसकी हम आशा करते हैं। यदि किसी के पास कुछ है तो वह उसकी आशा नहीं करता है”।

Romans 8:26

ऐसी आहें भर-भर कर

“इसकी आहों को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है”।

Romans 8:28

लोगों जो बुलाए गए है

कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद, “जिन्हें परमेश्वर ने चुन लिया है”।

जिन्हें उसने पहले ही से जान लिया है

“जिन्हें उसने उनके सृजन से पहले से जान लिया है”।

उन्हें पहले से ठहराया भी है

“उसने उनकी नियति निर्धारित कर दी है” या “पहले ही से उनके लिए योजना बना ली है”।

कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों

इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर ने प्रगट नहीं किया"

पहिलौठा ठहरे

“कि उसका पुत्र पहिलौठा हो”

बहुत भाइयों में

इसका अर्थ पूर्णतः स्पष्ट किया जा सकता है, “परमेश्वर के परिवार के अनेक भाइयों-बहनों में”

जिन्हें उसने पहले से ठहराया

“जिनके लिए परमेश्वर ने पहले से योजना बनाई है”

उन्हें महिमा भी दी

यहां “महिमा” को भूतकाल में रखा गया है कि इसका होना निश्चित हो। वैकल्पिक अनुवाद, “उन्हें वह निश्चय ही महिमान्वित करेगा”।

Romans 8:31

अतः हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?

पौलुस जब प्रश्न पूछता है तो वह अपनी पूर्वोक्त बात को महत्त्व देना चाहता है। वैकल्पिक अनुवाद, “इन सब बातों से हम यही निष्कर्ष निकालते हैं कि परमेश्वर हमारी ओर है तो हमें कौन पराजित कर सकता है।

परन्तु उसे दे दिया

“उसके बैरियों के हाथों में कर दिया”

हमें और सब कुछ क्यों न देगा?

यहाँ भी पौलुस बल देने के लिए प्रश्न पूछ रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “वह हमें सब कुछ निश्चय ही और बहुतायत से देगा”

Romans 8:33

परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर ही है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।

यहाँ भी पौलुस बल देने के लिए प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के समक्ष हमें कोई दोष नहीं दे सकता, क्योंकि परमेश्वर हमें न्यायोचित ठहराता है”।

फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह ही है जो मर गया वरन् जो मुर्दो में से जी भी उठा।

पौलुस बल देने ही का प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें कोई दोष नहीं दे सकता क्योंकि मसीह यीशु ही है... और हमारी मध्यस्थता भी करता है”

वरन् जो मुर्दों में से जी भी उठा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “जिसे परमेश्वर ने अति विशिष्टता में मृतकों में से पुनजीर्वित किया” या “जो अति विशिष्ट रूप में मर कर जी उठा”

Romans 8:35

क्या क्लेश, या संकट या उपद्रव या अकाल या नंगाई, या जोखिम या तलवार?

वैकल्पिक अनुवाद, “यदि कोई हमें कष्ट देना चाहे, हमें हानि पहुँचाना चाहे, हमें वस्त्र, भोजन विहीन कर दे या हत्या भी कर दे, तो यह संभव नहीं”

क्लेश या संकट

इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है।

तुम्हारे लाभ के लिए

यहाँ तुम्हारे”एक वचन में है और परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है, वैकल्पिक अनुवाद, “तेरे लिए”

हम दिन भर घात किए जाते हैं

यहाँ “हम” धर्मशास्त्र के इस अंश के लेखक को संबोधित करता है और उसके साथ परमेश्वर के सब भक्तों को समाहित करता है, “दिन भर” यह उक्ति एक अतिशयोक्ति है जो इनके संकट को उजागर करती है। यहाँ पौलुस दर्शाना चाहता है कि जो परमेश्वर के हैं उन्हें विषम परिस्थितियों की अपेक्षा करता है आवश्यक है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से भी किया जा सकता है, “हमारे बैरी हमारी हत्या करने की खोज में लगे रहते हैं।”

हम वध होने वाली भेड़ों के समान गिने गए हैं

परमेश्वर के भक्त जिन्हें लोग मार डालते हैं उनकी तुलना बलि के पशुओं से भी गई हे। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “हमारा जीवन तो उनके लिए ऐसा है जैसा भेड़ें जिन्हें वे वध करते हैं"

Romans 8:37

जयवन्त से भी बढ़कर है।

“हमें पूर्ण विजय प्राप्त है”।

जिसने हमसे प्रेम किया

यीशु ने हमसे जो प्रेम किया वह स्पष्ट किया जा सकता है, “यीशु के द्वारा जिसने हमसे इतना अधिक प्रेम किया कि हमारे लिए मर भी गया”।

मैं निश्चय जानता हूँ

“मुझे पूरा विश्वास है” या “मैं आश्वस्त हूँ”

कोई और सृष्टि

इसके संभावित अर्थ हैं 1) दुष्टात्माएं (यू.डी.बी.) या मानवीय राजा एवं प्रशासक

न सामर्थ्य

इसके संभावित अर्थ हैं 1) सामर्थी आत्माएं या 2) सामर्थी मनुष्य


Translation Questions

Romans 8:2

पाप और मृत्यु की व्यवस्था से पौलुस को किसने मुक्ति दिलाई है?

मसीह यीशु में जीवन की आत्मा के सिद्धान्त ने पौलुस को पाप और मृत्यु की व्यवस्था से मुक्ति दिला दी है।

Romans 8:3

पाप और मृत्यु के सिद्धान्त से मुक्ति दिलाने में व्यवस्था अक्षम क्यों थी?

व्यवस्था अक्षम थी क्योंकि देह के कारण वह दुर्बल थी।

Romans 8:4

आत्मा के अनुसार चलने वाले किसमें मन लगाते हैं?

जो आत्मा के अनुसार चलते हैं वे आत्मा की बातों में मन लगाते हैं।

Romans 8:7

देह का परमेश्वर और व्यवस्था के साथ कैसा संबन्ध है?

देह परमेश्वर की विरोधी है इसलिए वह व्यवस्था के अधीन नहीं हो सकती है।

Romans 8:9

जो परमेश्वर के नहीं उनमें किस बात की कमी होती है?

जो मनुष्य परमेश्वर के नहीं अन्तर्वासी मसीह की आत्मा से वंचित होते हैं।

Romans 8:11

परमेश्वर विश्वासी की नश्वर देह को जीवन कैसे देता है?

परमेश्वर विश्वासी में अन्तर्वासी अपनी आत्मा के द्वारा उसकी नश्वर देह को जीवन देता है।

Romans 8:13

परमेश्वर के पुत्र जीवन के लिए कैसे चलाए जाते हैं?

परमेश्वर के पुत्र परमेश्वर की आत्मा द्वारा चलाए जाते हैं।

Romans 8:15

विश्वासी परमेश्वर के परिवार का सदस्य कैसे होता है?

विश्वासी परमेश्वर के परिवार में लेपालक है।

Romans 8:17

परमेश्वर की सन्तान होने के कारण विश्वासियों को और क्या लाभ हैं?

परमेश्वर की सन्तान होने के कारण विश्वासी परमेश्वर के उत्तराधिकारी वरन् मसीह के सह उत्तराधिकारी है।

विश्वासियों के लिए वर्तमान कष्ट भोगना आवश्यक क्यों है?

वर्तमान कष्टों को सहना आवश्यक है जिससे कि विश्वासी परमेश्वर के पुत्रों के प्रकट होने पर मसीह के साथ महिमान्वित हों।

Romans 8:21

वर्तमान में सृष्टि कैसे दासत्व में है?

वर्तमान में सृष्टि विनाश के दासत्व में है।

सृष्टि कैसे स्वतंत्रता प्राप्त करेगी?

सृष्टि परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।

Romans 8:23

विश्वासियों को देह के छुटकारे की कैसे प्रतीक्षा करना है?

विश्वासियों को विश्वास और धीरज धर कर देह के छुटकारे की प्रतीक्षा करना है।

Romans 8:26

पवित्र जनों की दुर्बलता में सहायता हेतु आत्मा स्वयं क्या करती है?

आत्मा स्वयं ही परमेश्वर की इच्छा के अनुसार पवित्रजनों की ओर से मध्यस्थता करती है।

Romans 8:28

परमेश्वर सब बातों को मिलाकर इससे प्रेम करनेवालों और उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए मनुष्यों के लिए कैसे क्या करती है?

परमेश्वर अपने प्रेम करने वालों के लिए सब बातों को मिलाकर भलाई ही को उत्पन्न करता है अर्थात जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए हैं उनके लिए।

Romans 8:29

परमेश्वर ने जिन्हें पहले से जान लिया है उनके लिए क्या नियति ठहराई है?

क्योंकि परमेश्वर ने जिन्हें पहले से जान लिया है उन्हें पहले से निश्चित भी कर लिया है कि वे उसके पुत्र के स्वरूप में हों।

Romans 8:30

परमेश्वर ने जिन्हें पहले से निश्चित किया उनके लिए क्या किया है?

जिन्हें उसने पहले से निश्चित कर लिया है उन्हें बुलाया और धर्मी ठहराया और महिमा दी है।

Romans 8:32

विश्वासी कैसे जानते हैं कि परमेश्वर उन्हें सब कुछ वदान्य देगा?

विश्वासी जानते हैं कि परमेश्वर उन्हें सब कुछ वदान्य देगा क्योंकि उसने विश्वासियों के लिए अपना निज पुत्र दे दिया है।

Romans 8:34

मसीह यीशु परमेश्वर की दाहिनी ओर उपस्थित होकर क्या करता है?

मसीह परमेश्वर की दाहिनी ओर उपस्थित पवित्र जनों के लिए मध्यस्था करता है।

Romans 8:35

विश्वासी सताव क्लेश, या मृत्यु पर भी जयवन्त से बढ़कर कैसे हैं?

विश्वासी उसके द्वारा जो उनसे प्रेम करता है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।

Romans 8:39

पौलुस को किस बात का विश्वास है कि सृजित वस्तु नहीं कर सकती?

पौलुस को पूर्ण विश्वास है कि कोई भी सृजित वस्तु विश्वासी को परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती।


Chapter 9

1 मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है। 2 कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुःखता रहता है।

3 क्योंकि मैं यहाँ तक चाहता था, कि अपने भाइयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से श्रापित और अलग हो जाता। (निर्ग. 32:32) 4 वे इस्राएली हैं, लेपालकपन का हक़, महिमा, वाचाएँ, व्यवस्था का उपहार, परमेश्‍वर की उपासना, और प्रतिज्ञाएँ उन्हीं की हैं। (भज. 147:19) 5 पूर्वज भी उन्हीं के हैं, और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ, जो सब के ऊपर परम परमेश्‍वर युगानुयुग धन्य है। आमीन।

6 परन्तु यह नहीं, कि परमेश्‍वर का वचन टल गया, इसलिए कि जो इस्राएल के वंश हैं, वे सब इस्राएली नहीं; 7 और न अब्राहम के वंश होने के कारण सब उसकी सन्तान ठहरे, परन्तु (लिखा है) “इसहाक ही से तेरा वंश कहलाएगा।” (इब्रा. 11:18)

8 अर्थात् शरीर की सन्तान परमेश्‍वर की सन्तान नहीं, परन्तु प्रतिज्ञा के सन्तान वंश गिने जाते हैं। 9 क्योंकि प्रतिज्ञा का वचन यह है, “मैं इस समय के अनुसार आऊँगा, और सारा का एक पुत्र होगा।” (उत्प. 18:10, उत्प. 21:2)

10 और केवल यही नहीं, परन्तु जब रिबका भी एक से अर्थात् हमारे पिता इसहाक से गर्भवती थी। (उत्प. 25:21) 11 और अभी तक न तो बालक जन्मे थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था, इसलिए कि परमेश्‍वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं, परन्तु बुलानेवाले पर बनी रहे। 12 उसने कहा, “जेठा छोटे का दास होगा।” (उत्प. 25:23) 13 जैसा लिखा है, “मैंने याकूब से प्रेम किया, परन्तु एसाव को अप्रिय जाना।” (मला. 1:2-3)

14 तो हम क्या कहें? क्या परमेश्‍वर के यहाँ अन्याय है? कदापि नहीं! 15 क्योंकि वह मूसा से कहता है, “मैं जिस किसी पर दया करना चाहूँ, उस पर दया करूँगा, और जिस किसी पर कृपा करना चाहूँ उसी पर कृपा करूँगा।” (निर्ग. 33:19) 16 इसलिए यह न तो चाहनेवाले की, न दौड़नेवाले की परन्तु दया करनेवाले परमेश्‍वर की बात है।

17 क्योंकि पवित्रशास्त्र में फ़िरौन से कहा गया, “मैंने तुझे इसलिए खड़ा किया है, कि तुझ में अपनी सामर्थ्य दिखाऊँ, और मेरे नाम का प्रचार सारी पृथ्वी पर हो।” (निर्ग. 9:16) 18 तो फिर, वह जिस पर चाहता है, उस पर दया करता है; और जिसे चाहता है, उसे कठोर कर देता है।

19 फिर तू मुझसे कहेगा, “वह फिर क्यों दोष लगाता है? कौन उसकी इच्छा का सामना करता हैं?” 20 हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्‍वर का सामना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?” 21 क्या कुम्हार को मिट्टी पर अधिकार नहीं, कि एक ही लोंदे में से, एक बर्तन आदर के लिये, और दूसरे को अनादर के लिये बनाए? (यशा. 64:8)

22 कि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपनी सामर्थ्य प्रगट करने की इच्छा से क्रोध के बरतनों की, जो विनाश के लिये तैयार किए गए थे बड़े धीरज से सही। (नीति. 16:4) 23 और दया के बरतनों पर जिन्हें उसने महिमा के लिये पहले से तैयार किया, अपने महिमा के धन को प्रगट करने की इच्छा की? 24 अर्थात् हम पर जिन्हें उसने न केवल यहूदियों में से वरन् अन्यजातियों में से भी बुलाया। (इफि. 3:6, रोम. 3:29)

25 जैसा वह होशे की पुस्तक में भी कहता है,

     “जो मेरी प्रजा न थी, उन्हें मैं अपनी प्रजा कहूँगा,

     और जो प्रिया न थी, उसे प्रिया कहूँगा; (होशे 2:23)

    26 और ऐसा होगा कि जिस जगह में उनसे यह कहा गया था, कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो,

     उसी जगह वे जीविते परमेश्‍वर की सन्तान कहलाएँगे।”

27 और यशायाह इस्राएल के विषय में पुकारकर कहता है, “चाहे इस्राएल की सन्तानों की गिनती समुद्र के रेत के बराबर हो, तो भी उनमें से थोड़े ही बचेंगे। (यहे. 6:8) 28 क्योंकि प्रभु अपना वचन पृथ्वी पर पूरा करके, धार्मिकता से शीघ्र उसे सिद्ध करेगा।” 29 जैसा यशायाह ने पहले भी कहा था,

     “यदि सेनाओं का प्रभु हमारे लिये कुछ वंश न छोड़ता,

     तो हम सदोम के समान हो जाते,

     और अमोरा के सरीखे ठहरते।” (यशा. 1:9)

30 तो हम क्या कहें? यह कि अन्यजातियों ने जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे, धार्मिकता प्राप्त की अर्थात् उस धार्मिकता को जो विश्वास से है; 31 परन्तु इस्राएली; जो धार्मिकता की व्यवस्था की खोज करते हुए उस व्यवस्था तक नहीं पहुँचे।

32 किस लिये? इसलिए कि वे विश्वास से नहीं, परन्तु मानो कर्मों से उसकी खोज करते थे: उन्होंने उस ठोकर के पत्थर पर ठोकर खाई। 33 जैसा लिखा है,

     “देखो मैं सिय्योन में एक ठेस लगने का पत्थर, और ठोकर खाने की चट्टान रखता हूँ,

     और जो उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।” (यशा. 28:16)



Romans 9:1

मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है

यह वाक्यांश एक नए वाक्य में रचा जा सकता है, “पवित्र आत्मा मेरे विवेक को नियंत्रित करती है और जो मैं कहता हूँ उसके सत्यापित करती है”।

मुझे बड़ा शोक है और मेरा मन सदा दुखता रहता है

यह एक अलग वाक्य बनाया जा सकता है, “मुझे वास्तव में बहुत गहरा दुःख है”। यदि उस व्यक्ति की चर्चा की जाए जिसके पौलुस को गहरा दुःख है तो यू.डी.बी. अनुवाद को देखें

Romans 9:3

क्योंकि मैं यहाँ तक चाहता था कि अपने भाइयों के लिए जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, स्वयं ही मसीह से शापित हो जाता।

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं तो यह भी चाहता हूँ कि परमेश्वर शापित ठहराए और मसीह से सदा के लिए अलग कर दे यदि इससे मेरे इस्त्राएली भाइयों को, मेरी अपनी जाति को मसीह में विश्वास करने में सहायता मिले।”

वे इस्राएली हैं

वे, मेरे सदृश्य, इस्त्राएली हैं। परमेश्वर ने उन्हें याकूब के वंशज चुना है। (यू.डी.बी.)

पुरखे भी उन्हीं के हैं और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ।

“यही वह वंश है जिसमें मसीह के मानव रूप धारण करके जन्म लिया”।

मसीह, सबके ऊपर, परम परमेश्वर युगानुयुग धन्य है

इसका अनुवाद एक अलग वाक्य में किया जा सकता है, “मसीह सर्वेसर्वा है और परमेश्वर ने उसे सदा के लिए आशिषित किया है।

Romans 9:6

परन्तु यह नहीं कि परमेश्वर का वचन टल गया

“परन्तु परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं में चूकता नहीं है”।

जो इस्त्राएल के वंश के हें, वे सब इस्त्राएली नहीं है।

“परमेश्वर ने इस्राएल (याकूब) के सब वंशओं से प्रतिज्ञा नहीं की है। उसने इसके आत्मिक वंशजों से ही प्रतिज्ञा की है अर्थात उनसे जिन्हें यीशु में विश्वास है।

और न अब्राहम के वंश होने के कारण सब उसकी सन्तान ठहरे

“नहीं वे सब अब्राहम की सन्तान होने के कारण परमेश्वर की सन्तान हैं।

Romans 9:8

शरीर की सन्तान

यह अब्राहम के शारीरिक वंश के संदर्भ में है।

परमेश्वर की सन्तान

ये वे लोग हैं जो यीशु में विश्वास के द्वारा आत्मिक वंश हैं

प्रतिज्ञा की सन्तान

अर्थात वे लोग जो प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारी होंगे

“सारा का पुत्र होगा”

“मैं सारा को एक पुत्र दूँगा”

Romans 9:10

हमारे पिता इसहाक.... अभी तक

हो सकता है कि आपको 9:17, 9:12 के बाद रखना हो, “हमारे पिता इसहाक, उसने कहा, जेठा छोटे का दास होगा। अभी तक न तो बालक जन्मे थे... बुलाने वाले के कारण है”

हमारे पिता

इसहाक पौलुस और रोम के विश्वासियों का पूर्वज था।

उत्पन्न हुए

“गर्भवती हुई”

अभी तक न तो बालक जन्में थे और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था।

“सन्तान के जन्म से पूर्व और अच्छा या बुरा करने से पूर्व”

परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है... बनी रहे।

“फिर परमेश्वर के चुनाव के अनुसार जो होना है वह होकर रहे”।

अभी तक न तो बालक जन्मे थे

“सन्तानोत्पत्ति से पूर्व”

न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था

“नही उनके कर्मो के कारण”

उसके कारण

परमेश्वर के कारण

उस से कहा गया, “जेठा छोटे का दास होगा”

परमेश्वर ने रिबका से कहा, “बड़ा पुत्र छोटे की सेवा करेगा”

“मैंने याकूब से प्रेम किया परन्तु एसाव को अप्रिय जाना”

परमेश्वर ने एसाव को अप्रिय जाना अर्थात याकूब से प्रेम करने की तुलना में।(देखें: )

Romans 9:14

इसलिए हम क्या कहें?

पौलुस उनसे उत्तर की खोज नहीं कर रहा है वह प्रश्न पूछने के द्वारा वह उस भ्रम को दूर कर रहा है कि परमेश्वर धर्मी नहीं है।

कदापि नहीं।

“असंभव है”। या “निश्चय ही नहीं” यह अभिव्यक्ति दृढ़ता से इन्कार करती है कि ऐसा होने की संभावना है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति को काम में लेना चाहेंगे।

क्योंकि वह मूसा से कहता है

“क्योंकि परमेश्वर ने मूसा से कहा है”

अतः यह न तो चाहने वाले की, न दौड़ने वाले की

“यह मनुष्यों के चाहने या उनके कठोर परिश्रम से नहीं”।

न दौड़ने वाले की

पौलुस एक धावक की तुलना लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करनेवाले से करता है।

Romans 9:17

क्योंकि पवित्रशास्त्र में कहा गया

यहाँ धर्मशास्त्र को मानव रूप दिया गया है जैसे परमेश्वर फिरौन से बात कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा”

मैं.... अपनी

परमेश्वर अपने बारे में कहता है

तुझे

एकवचन

मेरे नाम का प्रचार सारी पृथ्वी पर हो

“कि मनुष्य संपूर्ण पृथ्वी पर मेरा नाम ले”

जिसे चाहता है, कठोर कर देता है

“परमेश्वर जिसे चाहे हठीला बना देता है”

Romans 9:19

तू

पौलुस उसकी शिक्षा के आलोचकों को संबोधित कर रहा है, वह एक मनुष्य से बात कर रहा है। आपको संभवतः बहुवचन काम में लेने की आवश्यकता हो सकती है।

वह...उसकी

परमेश्वर की

क्या गढ़ी हुई वस्तु कहेंगी.... प्रतिदिन के लिए बनाए?

पौलुस तुम्हारे अधिकार का उदाहरण दे रहा है कि वह जैसा पात्र चाहे मिट्टी से बनाता है जो सृजनहार के अधिकार का एकरूपक है कि वह अपनी सृष्टि के साथ जैसा चाहे वैसा कर सकता है।

Romans 9:22

वह... उसकी

परमेश्वर.... परमेश्वर का/की

क्रोध के बर्तनों... दया के बर्तनों

“क्रोध भाजक मनुष्य... दयापात्र मनुष्य”

महिमा के धन

“उसकी महिमा जो अपार है”।

जिन्हें उसने महिमा के लिए पहले से तैयार किया

“जिन्हें उसने समय से पहले महिमान्वन के लिए तैयार किया है”

हम को भी

पौलुस तथा उसके सहविश्वासी भाई

Romans 9:25

जैसा वह होशे की पुस्तक में भी कहता है

“जैसा परमेश्वर होशे रचित पुस्तक में भी कहता है”

होशे

होशे भविष्यद्वक्ता है

“जो मेरी प्रजा नहीं थी, उन्हें मैं अपनी प्रजा नहीं कहूँगा”

“मैं उन लोगों को चुन कर अपने लोग बना लूँगा जो मेरे लोग न थे”

और जो प्रिय न थे उसे प्रिय कहूँगा

“और मैं उसे चुनकर अपनी प्रिय बनाऊँगा जो मेरी प्रिय न थी”।

जीवते परमेश्वर की सन्तान

“जीवते” का अर्थ है कि परमेश्वर ही एकमात्र “सच्चा” परमेश्वर है, झूठी मूर्तियों के सदृश्य नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सच्चे परमेश्वर की सन्तान”। (यू.डी.बी.)

Romans 9:27

यशायाह पुकार कर कहता है

“सार्वजनिक घोषणा करता है”

समुद्र के बालू के बराबर हो

असंख्य

बचेंगे

यहाँ “बचेंगे” आत्मिक अभिप्राय में है। मनुष्य बचाया जाता है तो वह क्रूस पर यीशु की मृत्यु के द्वारा है। परमेश्वर ने उसे क्षमा कर दिया और उसके पापों के दण्ड से बचा लिया।

वचन

सब कुछ जो परमेश्वर ने कहा और आज्ञा दी।

हम... हमारे

अर्थात यशायाह और इस्राएली

हम सदोम के समान हो जाते, और अमोरा के सदृश्य हो गये है

आप और अधिक स्पष्ट रूप से समझा सकते हैं कि इस्त्राएली सदोम और अमोरा के सदृश्य कैसे हो सकते थे, “हम सब का ठीक वैसे सर्वनाश हो जाता जैसे सदोम और अमोरा का हुआ था। (यू.डी.बी.)

Romans 9:30

तो हम क्या कहें?

“अतः हमें यही कहना होगा”

यह कि अन्यजातियाँ

“हम कहेंगे कि अन्यजातियाँ”

जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे

“जो परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास नहीं करते थे”

धार्मिकता प्राप्त की अर्थात उस धार्मिकता को जो विश्वास से हैं

“परमेश्वर के पुत्र मे विश्वास करके परमेश्वर को प्रसन्न किया”

उस व्यवस्था तक नहीं पहुँचे

“नियमों के पालन से न्यायोचित अवस्था को प्राप्त नहीं किया”।

Romans 9:32

किस लिए? (क्यों नहीं पहुँचे)?

“वे न्यायोचित अवस्था को प्राप्त क्यों नहीं कर पाए”?

कर्मों से

“परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले कामों से” (देखें यू.डी.बी.) या “विधान के नियमों का पालन करके”।

ठोकर के पत्थर

“पत्थर जिससे लोगों को ठोकर लगती है”

जैसा लिखा है

“जैसा भविष्यद्वक्ता यशायाह ने लिखा है”।

सिय्योन

यह वहाँ एक स्थान का नाम है

जो उस पर विश्वास करेगा

यह पत्थर एक मनुष्य के स्थान में आया है (देखें यू.डी.बी.) अतः आपके इस प्रकार अनुवाद करना होगा, “जो उस में विश्वास करेगा”


Translation Questions

Romans 9:1

पौलुस को मन में शोक और अविराम दुःख क्यों है?

पौलुस को शरीर के भाव से अपने भाइयों, इस्राएलियों के लिए शोक और दुःख है।

Romans 9:4

इस्रालियों के इतिहास में उनके पास क्या है?

?

Romans 9:6

सब इस्राएलियों और अब्राहम के वंशजों के साथ कौन सी एक बात सच नहीं है?

पौलुस कहता है कि इस्राएल में हर एक जन परमेश्वर का नहीं है और अब्राहम के वंशज उसकी सच्ची सन्तान नहीं है।

Romans 9:8

परमेश्वर की सन्तान में कौन नहीं गिने जाते हैं?

शरीर से उत्पन्न परमेश्वर की सन्तान नहीं गिनी जाती है।

परमेश्वर की सन्तान कौन गिने जाते हैं?

प्रतिज्ञा की सन्तान को परमेश्वर की सन्तान गिना जाता है।

Romans 9:10

??

सन्तानोत्पत्ति से पूर्व ही रिबका से कहा गया था, "जेठा छोटे का दास होगा," रिबका से कही गई इस बात में निहित उद्देश्य क्या था?"

Romans 9:14

परमेश्वर की दया और अनुकंपा के वरदान का कारण क्या है?

परमेश्वर की दया और उसकी अनुकंपा के वरदान का कारण उसका चुनाव है।

Romans 9:16

परमेश्वर की दया और अनुकंपा में निहित कारण क्या नहीं है?

परमेश्वर की दया और अनुकंपा के वरदान में निहित कारण वरदान प्राप्त करनेवालों की इच्छा और कार्य नहीं हैं।

Romans 9:20

पौलुस ने उन लोगों को क्या उत्तर दिया कि जो पूछते हैं कि मनुष्य में दोष देखने के कारण क्या परमेश्वर धर्मी हो गया?

पौलुस उत्तर देता है, "भला तू कौन है, जो परमेश्वर का साम्हना करता है?"

Romans 9:22

परमेश्वर ने विनाश के लिए तैयार किए गए मनुष्यों के साथ क्या किया?

परमेश्वर ने विनाश के लिए तैयार किए गए मनुष्यों को अत्यधिक धीरज धर कर सहन किया है।

Romans 9:23

जो महिमा के लिए तैयार किए गए हैं उनके साथ परमेश्वर ने क्या किया है?

परमेश्वर ने उन पर अपनी महिमा का धन प्रकट किया है।

Romans 9:24

परमेश्वर ने अपनी दया के पात्रों को कौन से मनुष्यों में से बुलाया है?

परमेश्वर ने यहूदियों और अन्य जातियों दोनों में से उनको बुलाया है जिन पर उसकी दया है।

Romans 9:27

इस्राएल की सन्तानों में से कितने बचे रहेंगे?

इस्राएल की सन्तानों में से कुछ शेष जन बचे रहेंगे।

Romans 9:30

अन्यजाति जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे धार्मिकता कैसे प्राप्त की?

अन्यजातियों ने विश्वास के द्वारा धार्मिकता से उसे प्राप्त किया।

Romans 9:31

धार्मिकता की व्यवस्था का पालन करने पर भी इस्राएलियों को धार्मिकता प्राप्त क्यों नहीं हुई?

इस्राएली धार्मिकता प्राप्त नहीं कर पाए क्योंकि उन्होंने विश्वास से नहीं कर्मों से धार्मिकता की खोज की।

Romans 9:32

इस्राएलियों ने किससे ठोकर खाई थी?

इस्राएलियों ने ठोकर खाने के पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान से ठोकर खाई थी।

Romans 9:33

जो ठोकर नहीं खाते, विश्वास करते हैं उनका क्या होगा?

जो ठोकर नहीं खाते, विश्वास करते है लज्जित नहीं होंगे।


Chapter 10

1 हे भाइयों, मेरे मन की अभिलाषा और उनके लिये परमेश्‍वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएँ*। 2 क्योंकि मैं उनकी गवाही देता हूँ, कि उनको परमेश्‍वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं। 3 क्योंकि वे परमेश्‍वर की धार्मिकता* से अनजान होकर, अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करके, परमेश्‍वर की धार्मिकता के अधीन न हुए।

4 क्योंकि हर एक विश्वास करनेवाले के लिये धार्मिकता के निमित्त मसीह व्यवस्था का अन्त है। 5 क्योंकि मूसा व्यवस्था से प्राप्त धार्मिकता के विषय में यह लिखता है: “जो व्यक्ति उनका पालन करता है, वह उनसे जीवित रहेगा।” (लैव्य. 18:5)

6 परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यों कहती है, “तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा?” (अर्थात् मसीह को उतार लाने के लिये), 7 या “अधोलोक में कौन उतरेगा?” (अर्थात् मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!)

8 परन्तु क्या कहती है? यह, कि

     “वचन तेरे निकट है,

     तेरे मुँह में और तेरे मन में है,”

यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं। 9 कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। (प्रेरि. 16:31) 10 क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार* किया जाता है।

11 क्योंकि पवित्रशास्त्र यह कहता है, “जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।” (यिर्म. 17:7) 12 यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिए कि वह सब का प्रभु है; और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उदार है। 13 क्योंकि “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” (प्रेरि. 2:21, योए. 2:32)

14 फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्यों लें? और जिसकी नहीं सुनी उस पर क्यों विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्यों सुनें? 15 और यदि भेजे न जाएँ, तो क्यों प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पाँव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” (यशा. 52:7, नहू. 1:15)

16 परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया। यशायाह कहता है, “हे प्रभु, किस ने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” (यशा. 53:1) 17 इसलिए विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।

18 परन्तु मैं कहता हूँ, “क्या उन्होंने नहीं सुना?” सुना तो सही क्योंकि लिखा है,

     “उनके स्वर सारी पृथ्वी पर,

     और उनके वचन जगत की छोर तक पहुँच गए हैं।” (भज. 19:4)

19 फिर मैं कहता हूँ। क्या इस्राएली नहीं जानते थे? पहले तो मूसा कहता है,

     “मैं उनके द्वारा जो जाति नहीं, तुम्हारे मन में जलन उपजाऊँगा,

     मैं एक मूर्ख जाति के द्वारा तुम्हें रिस दिलाऊँगा।” (व्य. 32:21)

20 फिर यशायाह बड़े साहस के साथ कहता है,

     “जो मुझे नहीं ढूँढ़ते थे, उन्होंने मुझे पा लिया;

     और जो मुझे पूछते भी न थे, उन पर मैं प्रगट हो गया।”

21 परन्तु इस्राएल के विषय में वह यह कहता है “मैं सारे दिन अपने हाथ एक आज्ञा न माननेवाली और विवाद करनेवाली प्रजा की ओर पसारे रहा।” (यशा. 65:1-2)



Romans 10:1

मेरे मन की अभिलाषा

“मेरी उत्कट अभिलाषा है”

वे उनके लिए, उनके उद्धार के लिए

“परमेश्वर यहूदियों का उद्धार करे”

Romans 10:4

मसीह व्यवस्था का अन्त है

“क्योंकि मसीह ने विधान के नियमों का पूर्णतः पालन किया”

हर एक विश्वास करनेवाले के लिए धार्मिकता के निमित्त।

“कि वह उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित बना दे”।

धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है

“जैसे विधान के नियम मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराते हैं”

“जो मनुष्य उस धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह उसी से जीवित रहेगा”।

“विधान के नियमों के पालन में सिद्ध मनुष्य जीवित रहेगा, क्योंकि नियम उसे परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराएंगे”

जीवित रहेगा

इसका संदर्भ 1) अनन्त जीवन से (यू.डी.बी.) या 2) परमेश्वर की संगति में नैतिक जीवन से है।

Romans 10:6

परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यह कहती है

यहाँ “धार्मिकता के एक व्यक्ति की संज्ञा दी गई है कि वह बोलती है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मूसा लिखता है कि विश्वास मनुष्य को कैसे परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराता है”।

“तू अपने मन में यह न कहना”

“तू यह न सोचना”, मूसा जनसमूह को एक वचन में संबोधित कर रहा है।

स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा?

मूसा ऐसा प्रश्न पूछ कर अपने श्रोतागण को कुछ सिखाना चाहता है। इसका पूर्वाक्त निर्देश, मन में यह न कहना, को नकारात्क उत्तर की आवश्यकता है, वैकल्पिक अनुवाद, “स्वर्ग जाने का प्रयास कोई न करे”।

अर्थात मसीह को उतार लाने के लिए

“कि वे मसीह को पृथ्वी पर ले आएं”

अधोलोक में कौन उतरेगा?

मूसा अपने श्रोतागण को सिखाने के लिए प्रश्न पूछता है। उसकी पूर्वोक्त उक्ति, “तू अपने मन में कहना” को नकारात्मक उत्तर की आवश्यकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “जहाँ मृतकों की आत्माएं हैं वह किसी को उतरने की आवश्यकता नहीं है”

अर्थात्, मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिए

“कि वे मसीह को मृतकों में से ऊपर ले आएं”

Romans 10:8

परन्तु वह क्या कहती है?

“वह” अर्थात धर्मनिष्ठा 10:6 यहां पौलुस धर्मनिष्ठा को एक मनुष्य के रूप में व्यक्त कर रहा है, जो बोल सकता है। पौलुस प्रश्न पूछ कर जो उत्तर देगा उस पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मूसा जो कहता है, वह है कि”

वचन तेरे निकट है

“सन्देश ठीक यही है”

तेरे मुँह में

“मूँह” का अर्थ होता है शब्दोच्चारण। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “वचन तेरे शब्दोच्चारण में है”।

और तेरे मन में है

“मन” से अभिप्राय है, मनुष्य का मस्तिष्क या उसका सोचना। वैकल्पिक अनुवाद, “और वह तेरे सोचने में है”

यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे

“यदि तू स्वीकार करे कि यीशु प्रभु है”

मन से विश्वास करे

“सच माने”

तू निश्चय उद्धार पाएगा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “परमेश्वर तेरा उद्धार करेगा”

क्योंकि धार्मिकता के लिए मन से विश्वास किया जाता है और उद्धार के लिए मुँह से अंगीकार किया जाता है

“क्योंकि मन से विश्वास करके मनुष्य परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहरता है और मुँह से वह स्वीकरण करता है तो परमेश्वर उसे न्यायोचित ठहराता है”

Romans 10:11

जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह लज्जित न होगा

“उसमें विश्वास करनेवाला कोई भी मनुष्य लज्जित नहीं होगा”। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जाता है, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले किसी भी मनुष्य को लज्जित नहीं होने देगा”। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य को महिमान्वित करेगा”।

यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं

“इस प्रकार, परमेश्वर यहूदियों और गैर यहूदियों के साथ समता का व्यवहार करता है”। (यू.डी.बी.)

सब नाम लेने वालों के लिए उद्धार है

“वह सब विश्वासियों को विपुल आशिषें देता है”

जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा

“नाम” का अभिप्राय संपूर्ण व्यक्ति से है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य का उद्धार करेगा”।

Romans 10:14

फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें?

पौलुस प्रश्न पूछने के द्वारा मसीह का शुभ सन्देश उन लोगों तक पहुँचाने के महत्त्व पर बल देता है, जिन्होंने अब तक शुभ सन्देश ही सुना है। यहां “वे” उन लोगों के संदर्भ में है जो परमेश्वर के लोग नहीं हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करते उसका नाम नहीं ले सकते हैं”

और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें?

पौलुस उसी कारण के निमित्त एक और प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और वे उसमें विश्वास नहीं कर पाते। “या” यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना होता”। या “यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना तो उसमें विश्वास करना संभव नहीं”।

और प्रचारक बिना कैसे सुनें?

पौलुस फिर उसी कारण प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और यदि कोई सुनाए नहीं तो वे सन्देश नहीं सुन पाएंगे”

और यदि भेजे न जाएं तो कैसे प्रचार करें?

पौलुस फिर उसी कारण से प्रश्न पूछता है। यह परमेश्वर के लोगों के संबन्ध में कहा गया है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “और वे शुभ सन्देश सुना नहीं सकते यदि कोई उन्हें भेजे नहीं”।

उनके पांव क्या ही सुहावने हें जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं।

पौलुस का अभिप्राय “पांव” से है कि अमनशील प्रचारक उन लोगों में शुभ सन्देश सुनाते हैं, जिन्होंने कभी शुभ सन्देश नहीं सुना। वैकल्पिक अनुवाद, “यह अति मनोहर बात है कि सन्देशवाहक आकर हमें शुभ सन्देश सुनाते हैं”।

Romans 10:16

परन्तु सबने उस सुसमाचार पर कान नहीं लगाया

“परन्तु सब यहूदियों ने शुभ सन्देश सुनना नहीं चाहा”

हे प्रभु किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?

पौलुस इस प्रश्न के संदर्भ द्वारा इस बात पर बल दे रहा है कि यशायाह ने धर्मशास्त्र में अपनी भविष्यद्वाणी लिख दी है कि अनेक यहूदी यीशु में विश्वास नहीं करेंगे। यहां “हमारे” परमेश्वर और यशायाह का बोध करवाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हे प्रभु, उनमें से कितने हैं जो हमारे सन्देश पर विश्वास नहीं करते हैं।

Romans 10:18

परन्तु मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो सही

मैं कहता हूँ, क्‍या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो सही , पौलुस बल देने के लिए प्रश्न करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मैं कहता हूँ कि यहूदियों ने निश्चय ही मसीह का शुभ सन्देश सुना है

उनके स्वर सारी पृथ्वी पर और उनके वचन जगत की छोर तक पहुँच गए है।

इन दोनों कथनों का अर्थ एक ही है और महत्त्व उजागर करने के लिए हैं। “उनके सूर्य, चाँद और सितारों के लिए काम में लिया गया है। यहाँ उन्हें मानवीय सन्देशवाहक के रूप में व्यक्त किया गया है जो मनुष्यों को परमेश्वर का सन्देश सुनाते हैं। इसका अर्थ है कि उनका अस्तित्व परमेश्वर के सामर्थ्य और उसकी महिमा की गवाही देता है। स्पष्ट किया जा सकता है कि यहां पौलुस धर्मशास्त्र का संदर्भ दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है, सूर्य, चाँद, और सितारे परमेश्वर के सामर्थ्य और उसकी महिमा का प्रमाण हैं और संसार में हर एक जन उन्हें देखकर परमेश्वर के सत्य को जान पाता है”। (देखें: और और )

Romans 10:19

मैं फिर कहता हूँ, “क्या इस्राएली नहीं जानते थे”?

पौलुस महत्त्व उजागर करने के लिए ही प्रश्न का उपयोग कर रहा है। “इस्राएल शब्द उन लोगों के लिए है जो इस्राएल देश के निकले हैं, वैकल्पिक अनुवाद, “मैं पुनः कहता हूँ कि इस्राएलवासी निश्चय ही शुभ सन्देश का ज्ञान रखते थे”। (देखें: और )

पहले तो मूसा कहता है, "मैं... जलन उपजाऊंगा... रिस दिलाऊंगा।"

इसका अर्थ है मूसा परमेश्वर की वाणी को लिख रहा था। “मैं” अर्थात परमेश्वर और “तुम्हारे” अर्थात इस्त्राएली। वैकल्पिक अनुवाद, “पहले तो मूसा कहता है कि परमेश्वर तुम्हें उपदेश दिलाता है.... परमेश्वर तुम्हें उत्तेजित करता है... ”

जो जाति नहीं

“जो एक जाति नहीं माने जाते हैं”। (यू.डी.बी.) या “उन लोगों के द्वारा जो किसी जाति के नहीं”।

एक मूढ़ जाति के द्वारा

“उस जाति के लोगों के द्वारा जो मुझे या मेरी आज्ञाओं को नहीं जानते”।

तुम्हें रिस दिलाऊंगा

“मैं तुम्हें क्रोध करने पर विवश करूँगा”।

Romans 10:20

फिर यशायाह बड़े हियाव के साथ कहता है

इसका अर्थ है कि यशायाह ने परमेश्वर के वचन लिखे।

जो मुझे नहीं ढांपते थे उन्होंने मुझे पा लिया।

“मुझे” अर्थात परमेश्वर को। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “यद्यपि अन्य जातियाँ मेरी खोज में नहीं थी, उन्होंने मुझे पा लिया”। भविष्यद्वक्ता भविष्य की बातों की इस प्रकार लिखते थे कि मानों वे हो रही हैं। यह भविष्यद्वाणी की सत्य पूर्ति पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “यद्यपि अन्य जातियों मेरी खोज नहीं करेंगी। वे मुझे पा लेंगी”

मैं प्रगट हो गया

“मैंने अपनी उपस्थिति का बोध करवाया” वैकल्पिक अनुवाद, “मैं अपनी उपस्थिति दर्शाऊंगा”

वह यह कहता है

परमेश्वर यशायाह के माध्यम से कहता है

सारा दिन

इस उक्ति द्वारा परमेश्वर को लगातार प्रयास पर बल दिया गया है। वैकल्पिक अनुवाद, “लगातार”

मैं सारे दिन अपने हाथ एक आज्ञा न मानने वाली और विवाद करने वाली प्रजा की ओर पसारे रहा।

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं तुम्हारा स्वागत करने और तुम्हारी सहायता करने का प्रयास किया, परन्तु तुमने मेरी सहायता से इन्कार करके आज्ञा नहीं मानते रहे। “मैं” अर्थात परमेश्वर


Translation Questions

Romans 10:1

पौलुस के मन में अपने भाइयों, इस्राएलियों, के लिए क्या इच्छा थी?

पौलुस इस्राएलियों के उद्धार की इच्छा रखता था।

Romans 10:3

इस्राएली किसका यत्न करते थे?

इस्राएली अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करते थे।

इस्राएली किस बात से अनजान हैं?

इस्राएली परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान हैं।

Romans 10:4

मसीह ने व्यवस्था के क्षेत्र में क्या किया है?

मसीह सब विश्वासियों के लिए धार्मिकता की व्यवस्था की पूर्ति है।

Romans 10:8

पौलुस जिस विश्वास के वचन का प्रचार करता था वह कहां है?

विश्वास का वचन निकट है, मुंह और मन में है।

Romans 10:9

मनुष्य के उद्धार के लिए पौलुस क्या कहता है?

पौलुस कहता है कि मनुष्य अपने मुंह से मसीह को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जिलाया है।

Romans 10:13

मनुष्य कैसे उद्धार पायेगा?

मसीह का नाम लेने वाला हर एक जन उद्धार पायेगा।

Romans 10:14

पौलुस मनुष्य तक सुसमाचार पहुंचाने के चरणों की कौन सी श्रृंखला बताता है कि मनुष्य प्रभु का नाम ले?

पौलुस कहता है पहले प्रचारक भेजा जाता है तब सुसमाचार सुना जाता है और उस पर विश्वास किया जाता है जिससे कि मनुष्य मसीह का नाम लेता है।

Romans 10:17

विश्वास उत्पन्न करने के लिए क्या सुना जाता है?

मसीह का वचन सुना जाता है और विश्वास उत्पन्न करता है।

Romans 10:18

क्या इस्राएल ने सुसमाचार सुना और जाना था?

हां, इस्राएल ने सुसमाचार सुना था और जानते थे।

Romans 10:19

परमेश्वर ने इस्राएल को रिस दिलाने के लिए अपने किस काम की चर्चा की थी?

परमेश्वर ने कहा कि वह उन लोगों पर प्रकट होकर इस्राएल को रिस दिलाएगा जो उसे पूछते भी नहीं थे।

Romans 10:21

जब परमेश्वर ने इस्राएल की ओर हाथ फैलाये तो क्या पाया?

परमेश्वर ने इस्राएल की ओर हाथ फैलाए तो देखा कि वह आज्ञा न मानने वाली और हठीली प्रजा है।


Chapter 11

1 इसलिए मैं कहता हूँ, क्या परमेश्‍वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया? कदापि नहीं! मैं भी तो इस्राएली हूँ; अब्राहम के वंश और बिन्यामीन के गोत्र में से हूँ। 2 परमेश्‍वर ने अपनी उस प्रजा को नहीं त्यागा, जिसे उसने पहले ही से जाना: क्या तुम नहीं जानते, कि पवित्रशास्त्र एलिय्याह की कथा में क्या कहता है; कि वह इस्राएल के विरोध में परमेश्‍वर से विनती करता है। (भज. 94:14) 3 “हे प्रभु, उन्होंने तेरे भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला, और तेरी वेदियों को ढा दिया है; और मैं ही अकेला बच रहा हूँ, और वे मेरे प्राण के भी खोजी हैं।” (1 राजा. 19:10, 1 राजा. 19:14)

4 परन्तु परमेश्‍वर से उसे क्या उत्तर मिला “मैंने अपने लिये सात हजार पुरुषों को रख छोड़ा है जिन्होंने बाल के आगे घुटने नहीं टेके हैं।” (1 राजा. 19:18) 5 इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कुछ लोग बाकी हैं*।

6 यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं, नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा। 7 फिर परिणाम क्या हुआ? यह कि इस्राएली जिसकी खोज में हैं, वह उनको नहीं मिला; परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं। 8 जैसा लिखा है, “परमेश्‍वर ने उन्हें आज के दिन तक* मंदता की आत्मा दे रखी है और ऐसी आँखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें।” (व्य. 29:4, यशा. 6:9-10, यशा. 29:10, यहे. 12:2)

9 और दाऊद कहता है,

     “उनका भोजन उनके लिये जाल, और फन्दा,

     और ठोकर, और दण्ड का कारण हो जाए।

    10 उनकी आँखों पर अंधेरा छा जाए ताकि न देखें,

     और तू सदा उनकी पीठ को झुकाए रख।” (भज. 69:23)

11 तो मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई, कि गिर पड़ें? कदापि नहीं परन्तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो। (व्य. 32:21) 12 अब यदि उनका गिरना जगत के लिये धन और उनकी घटी अन्यजातियों के लिये सम्पत्ति का कारण हुआ, तो उनकी भरपूरी से कितना न होगा।

13 मैं तुम अन्यजातियों से यह बातें कहता हूँ। जब कि मैं अन्यजातियों के लिये प्रेरित हूँ, तो मैं अपनी सेवा की बड़ाई करता हूँ, 14 ताकि किसी रीति से मैं अपने कुटुम्बियों से जलन करवाकर उनमें से कई एक का उद्धार कराऊँ।

15 क्योंकि जब कि उनका त्याग दिया जाना* जगत के मिलाप का कारण हुआ, तो क्या उनका ग्रहण किया जाना मरे हुओं में से जी उठने के बराबर न होगा? 16 जब भेंट का पहला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गुँधा हुआ आटा भी पवित्र है: और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियाँ भी ऐसी ही हैं।

17 और यदि कई एक डाली तोड़ दी गई, और तू जंगली जैतून होकर उनमें साटा गया, और जैतून की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ है। 18 तो डालियों पर घमण्ड न करना; और यदि तू घमण्ड करे, तो जान रख, कि तू जड़ को नहीं, परन्तु जड़ तुझे सम्भालती है।

19 फिर तू कहेगा, “डालियाँ इसलिए तोड़ी गई, कि मैं साटा जाऊँ।” 20 भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गई, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिए अभिमानी न हो, परन्तु भय मान, 21 क्योंकि जब परमेश्‍वर ने स्वाभाविक डालियाँ न छोड़ी, तो तुझे भी न छोड़ेगा।

22 इसलिए परमेश्‍वर की दयालुता और कड़ाई को देख! जो गिर गए, उन पर कड़ाई, परन्तु तुझ पर दयालुता, यदि तू उसमें बना रहे, नहीं तो, तू भी काट डाला जाएगा।

23 और वे भी यदि अविश्वास में न रहें, तो साटे जाएँगे क्योंकि परमेश्‍वर उन्हें फिर साट सकता है। 24 क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध* अच्छी जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियाँ हैं, अपने ही जैतून में साटे क्यों न जाएँगे।

25 हे भाइयों, कहीं ऐसा न हो, कि तुम अपने आप को बुद्धिमान समझ लो; इसलिए मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो, कि जब तक अन्यजातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें, तब तक इस्राएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा।

26 और इस रीति से सारा इस्राएल उद्धार पाएगा; जैसा लिखा है,

     “छुड़ानेवाला सिय्योन से आएगा,

     और अभक्ति को याकूब से दूर करेगा। (यशा. 59:20)

    27 और उनके साथ मेरी यही वाचा होगी,

     जब कि मैं उनके पापों को दूर कर दूँगा।” (यशा. 27:9, यशा. 43:25)

28 वे सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे लिए वे परमेश्‍वर के बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से पूर्वजों के कारण प्यारे हैं। 29 क्योंकि परमेश्‍वर अपने वरदानों से, और बुलाहट से कभी पीछे नहीं हटता।

30 क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्‍वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई। 31 वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो। 32 क्योंकि परमेश्‍वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।

33 अहा, परमेश्‍वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गम्भीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!

    34 “प्रभु कि बुद्धि को किस ने जाना?

     या कौन उनका सलाहकार बन गया है? (अय्यू. 15:8, यिर्म. 23:18)

    35 या किस ने पहले उसे कुछ दिया है

     जिसका बदला उसे दिया जाए?” (अय्यू. 41:11)

36 क्योंकि उसकी ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।



Romans 11:1

इसलिए मैं कहता हूँ

“इसलिए मैं पौलुस कहता हूँ”

क्या परमेश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया?

पौलुस यह प्रश्न इसलिए पूछता है कि यहूदियों के प्रश्नों का उत्तर दे क्योंकि वे अन्यजातियों के परमेश्वर के लोग होने से अप्रसन्न थे और उनके हृदय कठोर हो गए थे।

कदापि नहीं।

“यह संभव नहीं”। या “निश्चय ही नहीं”। इस उक्ति से प्रबल इन्कार होता है कि ऐसा होगा। आप उसकी भाषा में समानार्थक अभिव्यक्ति यहाँ काम में लेना चाहेंगे। देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है।

बिन्यामीन के गोत्र में से हूँ

परमेश्वर ने इस्राएल को बारह गोत्रों में विभाजित किया था उनमें से एक गोत्र अर्थात बिन्यामीन का वंशज हूँ।

उसने पहले ही से जाना

“वह समय से पहले ही उसे जानता था”।

क्या तुम नहीं जानते कि पवित्रशास्त्र एलिय्याह के विषय में क्या कहता है...?

“निश्चय ही तुम जानते हो कि धर्मशास्त्र में लिखा है कि एलिय्याह ने इस्त्राएल के विरूद्ध परमेश्वर से विनती की थी

पवित्रशास्त्र क्या कहता है?

पौलुस धर्मशास्त्र का संदर्भ दे रहा है

उन्होंने ....घात किया

इस्त्रालियों ने घात किया

मैं ही अकेला बचा हूँ

यहाँ सर्वनाम “मैं” एलिय्याह के लिए है।

Romans 11:4

परमेश्वर कैसे उत्तर क्या ?

पौलुस इस प्रश्न के द्वारा पाठकों को अपनी अगली बात पर ला रहा है

परमेश्वर उसे क्या कहता है?

“परमेश्वर कैसे उत्तर देता है”?

उसे

“उसे” अर्थात एलिय्याह को

सात हजार पुरूषों

“7,000 पुरूष”

Romans 11:6

यदि यह अनुग्रह से हुआ है

पौलुस समझा रहा है कि परमेश्वर की दया कैसे काम करती है। “परन्तु क्योंकि परमेश्वर की दया अनुग्रह से कार्य करती है”।

तो फिर?

“हमें क्या निष्कर्ष निकालना होगा? वैकल्पिक अनुवाद, “हमें यह स्मरण रखना है”

परमेश्वर ने उन्हें .... भारी नींद में डाल रखा है और ऐसी आँखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें

यह उनकी आत्मिक कठोरता के लिए प्रयुक्त एक रूपक है। वे आत्मिक सत्य को न तो देख सके और न ही सुन सके।

ऐसी आँखे दी जो न देखेंउत्तर दिया

आँख से देखने का अर्थ है, समझ प्राप्त करना।

ऐसे कान जो न सुनें

कानों से सुनना आज्ञापालन के लिए प्रयुक्त रूपक है

Romans 11:9

उनका भोजन उनके लिए जाल और फंदा

“भोजन” अर्थात उनकी दावतें और “जाल और फंदा” अर्थात दण्ड”। “हे परमेश्वर उन्हें पकड़ कर उनकी दावतों में ही उन्हें फंसा दे”।

ठोकर ... का कारण

“पाप का कारण”

और दण्ड का कारण

“ऐसा कारण कि उनसे तू बदला ले”

तू सदा उनकी पीठ को झुकाए रख

दाऊद परमेश्वर से याचना करता है कि वह उसके बैरियों को दास बना दे जो सदा अपनी पीठ पर भारी बोझ उठाए रहते हैं।

Romans 11:11

क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई कि गिर पड़ें?

“क्या परमेश्वर ने उनके पापों के कारण उनका सदा के लिए त्याग कर दिया?”

कदापि नहीं।

“यह संभव नहीं”। या “निश्चय ही नहीं” इस उक्ति से ऐसा होना प्रबलता से इन्कार किया गया है। आपकी भाषा में यहाँ काम में लेने हेतु समानार्थक उक्ति हो सकती है। देखें आने अनुवाद कैसे किया है।

कि उन्हें जलन हो

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

Romans 11:13

जलन करवा कर

इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है।

Romans 11:15

उनका

यह सर्वनाम यहूदी अविश्वासियों के स्थान पर है।

मरे हुओं में से जी उठने के बराबर

“तो जब वे मसीह में विश्वास करेंगे तो परमेश्वर उन्हें कैसे ग्रहण करेगा? यह ऐसा होगा जैसे वे मर कर जी उठे”।

भेंट का पहला पेड़ा पवित्र ठहरा तो पूरा गूंधा हुआ आटा भी पवित्र है।

पौलुस अब्राहम, इसहाक और याकूब इस्त्राएलियों के पूर्वजों की तुलना कर रहा है कि वे फसल का पहला फल थे और उनके वंशज इस्त्राएली बाद की गेहूँ की फसल का आटा हैं।

जब जड़ पवित्र ठहरी तो डालियां भी ऐसी हैं

पौलुस इस्त्राएलियों के पूर्वजों अब्राहम, इसहाक और याकूब की तुलना जड़ से कर रहा है और उनके वंशजों, इस्त्राएलियों की तुलना डालियों से कर रहा है।

पवित्र

पवित्र लोग परमेश्वर के हैं और परमेश्वर की सेवा एवं महिमान्वन के लिए अलग कर दिए गए हैं।

Romans 11:17

x

पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं

और तू जंगली जैतून होकर

“तू” सर्वनाम शब्द और “जंगली जैतून” यीशु के द्वारा उद्धार प्राप्त करने वाले अन्य जाति विश्वासी हैं।

उनमें से साटा गया

“अन्य शाखाओं के साथ वृक्ष में रोपित किया गया”

जैतून की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ

परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का भागी हुआ

तो डालियों पर घमण्ड न करना

“यह नहीं कहना कि तू परमेश्वर के परित्यक्त यहूदियों से उत्तम है”।

तू जड़ को नहीं परन्तु जड़ तुझे संभालती है

“तू परमेश्वर से आशिष पाता है परमेश्वर तुझ से नहीं”

Romans 11:19

x

पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं

डालियाँ इसलिए तोड़ी गई

यह उक्ति यहूदियों के संदर्भ में है जिन्हें परमेश्वर ने त्याग दिया। इसको कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है, “परमेश्वर ने शाखाओं को तोड़ दिया

मैं साटा जाऊं

यह उक्ति अन्यजाति विश्वासियों के संदर्भ मे है जिन्हें परमेश्वर ने स्वीकार कर लिया है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, “कि वह मुझे रोपित करे”।

वे तोड़े गये

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “उसने उन्हें तोड़”

वे

अर्थात विश्वास न करने वाले यहूदी

तू विश्वास से बना रहता है

“परन्तु अपने विश्वास के कारण जुड़ा हुआ है”।

जब परमेश्वर ने स्वाभाविक डालियों को न छोड़ा तो तुझे भी न छोड़ेगा।

“क्योंकि यदि परमेश्वर स्वाभाविक शाखाओं को नहीं छोड़ता है तो तुझे भी नहीं छोड़ेगा”

स्वाभाविक डालियों

अर्थात यहूदी जनों

Romans 11:22

x

पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं

परमेश्वर की कृपा और कड़ाई

पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को स्मरण करवा रहा है कि परमेश्वर यद्यपि उनके साथ दया का व्यवहार करे वह उनका न्याय करने और उन्हें दण्ड देने में संकोच नहीं करेगा।

नहीं तो तू भी काट डाला जाएगा।

“अन्यथा परमेश्वर तुझे भी काट देगा”

Romans 11:23

x

पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं

वे भी यदि अविश्वासी न रहें

“यदि यहूदी मसीह में विश्वास कर लें”

तो साटे जाएंगे

“परमेश्वर उन्हें पुनः रोपित कर देगा”

साटे

यह एक प्रक्रिया है जिसमें एक वृक्ष की टहनी दूसरे वृक्ष में प्रत्यारोपित की जाती है कि वह उसमें उगने लगे।

यदि तू उस जैतून से जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरूद्ध अच्छे जैतून में साटा गया तो वे जो स्वाभाविक डालियाँ हैं अपने ही जैतून में क्यों न सांटे जाएंगे।

पौलुस परमेश्वर के लोगों की तुलना वृक्ष की डालियों से कर रहा है वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में, “यदि परमेश्वर तुम्हें उस जैतून के वृक्ष में से काट कर निकाल लिया जो स्वभाव से जंगली है और प्रकृति के विरूद्ध तुम्हें अच्छे जैतून के वृक्ष में प्रत्यरोपित कर दिया है तो वह इन यहूदियों को कितना अधिक अपने ही जैतून के वृक्ष में रोपित करेगा जो स्वभाव से उसकी अपनी टहनियाँ हैं।

वे... अपने

अर्थात यहूदी

Romans 11:25

मैं

“मैं” सर्वनाम पौलुस के लिए है।

तुम...तुम... तुम्हारा

अर्थात अन्यजाति विश्वासी

तुम अपने आपको बुद्धिमान समझ लो

“कि तुम अपने आपको आवश्यकता से अधिक बुद्धिमान न समझो” अन्यजाति विश्वासी स्वयं को अविश्वासी यहूदियों से अधिक बुद्धिमान समझने की भूल कर सकते थे

तुम अपने आपको बुद्धिमान समझ लो

कुछ यहूदियों ने मसीह के द्वारा उद्धार को ग्रहण करना स्वीकार नहीं किया था।

जब तक अन्य जातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें

“जब तक” का यहाँ अर्थ है कि जब परमेश्वर अन्य जातियों को कलीसिया में ले आयेगा तब अनेक यहूदी विश्वास करेंगे।

Romans 11:26

इस रीति से सारा इस्राएल उद्धार पायेगा

इस वाक्य का अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “इस प्रकार परमेश्वर संपूर्ण इस्त्राएल का उद्धार करेगा”।

सारा इस्राएल उद्धार पायेगा

यह एक अतिशयोक्ति है। अनेक यहूदी उद्धार पायेंगे।

Romans 11:28

एक ओर...दूसरी ओर

यह एक ही विषय के दो तथ्यों की तुलना हेतु है। पौलुस इसके द्वारा यह दिखाना चाहता है कि परमेश्वर ने यहूदियों का परित्याग तो किया है परन्तु वह अब भी उनसे प्रेम करता है।

वह तुम्हारे कारण बैरी बने है

परमेश्वर तुम अन्यजाति विश्वासियों के कारण यहूदियों से घृणा करता है। परमेश्वर ने अन्य जातियों से इतना अधिक प्रेम किया कि यहूदियों के लिए उसका प्रेम घृणा सा प्रतीत हाने लगा।

क्योंकि परमेश्वर के वरदान और बुलाहट अटल है।

“क्योंकि परमेश्वर के वरदान और उसकी बुलाहट बदल नहीं सकते है”।

Romans 11:30

जैसे तुमने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी

“पहले तो तुम आज्ञा माननेवाले न थे”। “तुम सर्वनाम शब्द अन्यजाति विश्वासियों के लिए बहुवचन में है।

परमेश्वर ने सबको... अनाज्ञाकारिता में चुप कर दिया।

इसका अर्थ यह भी हो सकता है, कि परमेश्वर ने सबको उसकी आज्ञा न मानने में अक्षम बना कर रखा है, जैसे बन्दी कारागार से बचकर नहीं निकल सकते। “परमेश्वर ने सब को उनकी अवज्ञा का बन्दी बनाकर रखा है”।

Romans 11:33

परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर हैं

“परमेश्वर की बुद्धि और उसके ज्ञान दोनों ही की गहराई का धन कैसा अद्भुत है”।

और उसका न्याय समझ से परे है उसके विचार कैसे अथाह ...है।

“हम उसके निर्णयों को समझने में पूर्णतः अक्षम हैं और वह हमारे लिए कैसे काम करता है उसके मार्ग जानने में सक्षम नहीं”

Romans 11:35

उसे

11:35 में सर्वनाम “उसे” उस व्यक्ति के लिए काम में लिया गया है जो परमेश्वर को देता है।

जिसका बदला उसे दिया जाए

“कि परमेश्वर उसे बदला चुकाए”

उसे

11:36 में “उसे” अर्थात परमेश्वर को


Translation Questions

Romans 11:1

तो क्या परमेश्वर ने इस्राएल को त्याग दिया है?

कदापि नहीं।

Romans 11:5

क्या पौलुस कहता है कि विश्वासी इस्राएली बचे हैं, और यदि हैं तो वे सुरक्षित कैसे किए गए हैं?

पौलुस कहता है कि इस्राएल के परमेश्वर के शेष जन है, जो अनुग्रह के चुनाव से सुरक्षित किए जाते हैं।

Romans 11:7

इस्राएलियों में किसका उद्धार हुआ और शेष का क्या हुआ?

इस्राएलियों में जो चुने गए थे उनका उद्धार हो गया शेष जन कठोर हो गए।

Romans 11:8

परमेश्वर द्वारा उन्हें नींद में रखने का परिणाम सुसमाचार ग्रहण करने वालों का क्या हुआ?

नींद के कारण उनकी आंखें देख नहीं पाई और उनके कान सुन नहीं पाए।

Romans 11:11

इस्राएल ने सुसमाचार ग्रहण करने से इन्कार किया तो उससे क्या भलाई उत्पन्न हुई?

अन्य जातियों का उद्धार हुआ।

अन्य जातियों के उद्धार से इस्राएल पर क्या प्रभाव पड़ा?

अन्य जातियों का उद्धार इस्राएलियों के मन में ईर्ष्या उत्पन्न करेगा।

Romans 11:13

पौलुस द्वारा जैतून के वृक्ष की जड़े और जंगली डालियों की उपमा में जड़ कौन है और डालियां कौन है?

इस्राएल जड़ है और अन्य जातियां डालियां हैं।

Romans 11:18

पौलुस कहता है कि जंगली डालियों को किस स्वभाव से बचना है?

पौलुस कहता है कि जंगली डालियां को उन प्राकृतिक डालियों के विरुद्ध घमण्ड नहीं करना है।

Romans 11:20

पौलुस जंगली डालियों को क्या चेतावनी देता है?

पौलुस जंगली डालियों को चेतावनी देता है कि परमेश्वर ने अविश्वास के लिए स्वाभाविक डालियों को नहीं छोड़ा तो वह जंगली डालियों को भी नहीं छोड़ेगा।

Romans 11:23

स्वभाविक डालियां यदि अविश्वास में न रहें तो परमेश्वर उनके साथ क्या कर सकता है?

परमेश्वर उन स्वभाविक डालियों को अविश्वास में नहीं रहें पुनः जैतून के वृक्ष में रोपित कर सकता है।

Romans 11:25

इस्राएल का एक भाग कब तक कठोर बना रहेगा?

इस्राएल का एक भाग कब तक कठोर बना रहेगा जब तक अन्य जातियां इसी रीति से प्रवेश कर लें।

Romans 11:28

उनकी अवज्ञा के उपरान्त भी परमेश्वर इस्राएल से क्यों अब तक प्रेम करता है?

परमेश्वर इस्राएलियों को प्रेम अब भी करता है, उनके पूर्वजों के कारण क्योंकि वह बदलता नहीं।

Romans 11:30

परमेश्वर ने यहूदी और इस्राएली दोनों ही को क्या कहा है?

यहूदी और अन्य जाति दोनों ही ने आज्ञा नहीं मानी है।

परमेश्वर ने अवज्ञाकारों को क्या दिखाई है?

परमेश्वर ने यहूदी और अन्य जाति दोनों ही के अवज्ञाकारियों पर दया की है।

Romans 11:33

परमेश्वर के निर्णयों को समझने और उसे परामर्श देने का काम क्या कोई कर सकता है?

परमेश्वर के निर्णयों को कौन समझ सकता है और कौन उसे परामर्श दे सकता है?

Romans 11:36

कैसे तीन रूपों में सब कुछ परमेश्वर से संबन्धित है?

सब कुछ उसी की ओर से, उसी के द्वारा और उसी के लिए है।


Chapter 12

1 इसलिए हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँ, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ; यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

2 और इस संसार के सदृश न बनो*; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्‍वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।

3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूँ, कि जैसा समझना चाहिए, उससे बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे; पर जैसा परमेश्‍वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बाँट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।

4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही जैसा काम नहीं; 5 वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।

6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न-भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिसको भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे। 7 यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखानेवाला हो, तो सिखाने में लगा रहे; 8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।

9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। (आमो. 5:15) 10 भाईचारे के प्रेम* से एक दूसरे पर स्नेह रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।

11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 12 आशा के विषय में, आनन्दित; क्लेश के विषय में, धैर्य रखें; प्रार्थना के विषय में, स्थिर रहें। 13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उसमें उनकी सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।

14 अपने सतानेवालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 15 आनन्द करनेवालों के साथ आनन्द करो, और रोनेवालों के साथ रोओ। (भज. 35:13) 16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। (नीति. 3:7, यशा. 5:21)

17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उनकी चिन्ता किया करो। 18 जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो*।

19 हे प्रियों अपना बदला न लेना; परन्तु परमेश्‍वर को क्रोध का अवसर दो, क्योंकि लिखा है, “बदला लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूँगा।” (व्य. 32:35)

    20 परन्तु “यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला,

     यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला;

     क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।” (नीति. 25:21-22)

21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो।



Romans 12:1

इसलिए हे भाइयों, मैं तुमसे परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँ

“मेरे विश्वासी भाइयों, परमेश्वर ने तुम पर जो महान दया दर्शाई है, मैं चाहता हूँ”

अपने शरीरों को जीवित... बलिदान करके चढ़ाओ

यहाँ पौलुस “शरीरों” शब्द के उपयोग द्वारा संपूर्ण व्यक्तित्व का संदर्भ दे रहा है। पौलुस मसीही विश्वासी परमेश्वर का आज्ञाकारी की तुलना एक बलि पशु से करता है जिसे यहूदी परमेश्वर को चढ़ाते थे। वैकल्पिक अनुवाद, “जीवित रहते समय ही अपने आपको परमेश्वर को बलिदान कर दो जैसे कि तुम मन्दिर की वेदी पर एक मृतक बलि हो”। (देखें: और )

पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ

इसके अर्थ हो सकते हैं 1) नैतिकता में परिशुद्ध, “परमेश्वर को भावता “ या 2) “परमेश्वर ही को समर्पित एवं उसे ग्रहणयोग्य”

यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

उसके संभावित अर्थ है, 1) परमेश्वर की उपासना की उचित विधि”, या 2) इस प्रकार तुम अपनी आत्मा में परमेश्वर” की उपासना करते हैं।

इस संसार के सदृश्य न बनो

इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “संसार के जैसा आचरण मत रखो” (देखें यू.डी.बी.) या 2) “संसार के जैसी मानसिकता मत रखो”।

सदृश्य न बनो

इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “संसार के जैसा आचरण मत रखो” (देखें यू.डी.बी.) या 2) “संसार के जैसी मानसिकता मत रखो”।

इस संसार

इस संसार के अविश्वासियों के

तुम्हारे मन के नए हो जाने से

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “परन्तु परमेश्वर को अपनी मानसिकता बदलने दो” या “परमेश्वर को अपना आचरण बदलने दो, अपनी मानसिकता के परिवर्तन द्वारा”।

Romans 12:3

उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है

यहाँ “अनुग्रह” से पौलुस का अभिप्राय है परमेश्वर द्वारा पौलुस का प्रेरित होना और कलीसिया का अगुवा होना चुना जाना। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि परमेश्वर ने मुझे प्रेरित होने के लिए अनमोल चुना है”

जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर कोई भी अपने को न समझे।

“कि कोई यह न समझे कि वह दूसरे से बढ़कर है”।

सुबुद्धि के साथ अपने को समझे

इसका अनुवाद नए वाक्य में किया जा सकता है, “परन्तु तुम अपने को क्या समझते हो बुद्धि से समझो”।

जैसा परमेश्वर ने हर एक को विश्वास परिमाण के अनुसार बाँट दिया है

“क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें उचित समझने के लिए विश्वास का परिमाण दिया है।”

Romans 12:4

क्योंकि

पौलुस यह समझा रहा है कि मसीही विश्वासी स्वयं को किसी से बड़ा क्यों न समझें।

जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं

पौलुस सब मसीही विश्वासियों की तुलना देह के अंगों से करता है। यह इस बात पर बल देता है कि विश्वासी विभिन्न रूपों में मसीह की सेवा करें, प्रत्येक विश्वासी मसीह का है और उसकी सेवा महत्त्वपूर्ण है।

अंग

जैसे आँख, पेट और हाथ

आपस में एक दूसरे के अंग हैं।

"प्रत्येक विश्वासी दुसरे विश्वासी की देह का अंग है। (देखें: \ ) वैकल्पिक अनुवाद, "प्रत्येक विश्वासी अन्य सब विश्वासियों से जुड़ा है।

Romans 12:6

इस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है हमें भिन्न-भिन्न वरदान मिले हैं।

“परमेश्वर ने हममें से हर एक को अनमोल योग्यता प्रदान की है कि उसके लिए विभिन्न कार्य करें”।

विश्वास के परिणाम के अनुसार ... करें।

इसके संभावित अर्थ हैं 1) “वह परमेश्वर प्रदत्त विश्वास के परिमाण के परे की भविष्यद्वाणी न करे “ या 2) वह हमारी विश्वास की शिक्षा से सुसंगत भविष्यद्वाणी करे”।

दान देने वाला उदारता से दान दे

इसका अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “यदि किसी को पैसा या वस्तुएं देने का वरदान मिला है”

Romans 12:9

प्रेम निष्कपट हो

वैकल्पिक अनुवाद, “प्रेम सत्यनिष्ठ हो” या “प्रेम सच्चा हो”।

भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो

पौलुस 9 बातों की सूची देता है और विश्वासियों को समझाता है कि उन्हें किस प्रकार के लोग होना है। आपको कुछ बातों का अनुवाद, “की बात है... तो करो” सूची है।

भाईचारे का प्रेम

“तुम अपने विश्वासी भाइयों से ऐसा प्रेम रखो”

स्नेह रखो

वैकल्पिक अनुवाद, “परिवार के सदस्यों की नाई” निष्ठावान बने रहो”

आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो

“एक दूसरे का सम्मान एवं आदर करो” या एक नया वाक्य बनाएं “तुम्हें अपने विश्वासी भाई का सम्मान कैसे करना है उसका आदर करो”

Romans 12:11

x

पौलुस विश्वासियों को समझा रहा है कि उन्हें किस प्रकार के मनुष्य होना चाहिएं। सूची का आरंभ में हुआ है।

प्रयत्न करने में आलसी न हो

“अपने कर्तव्य पालन में आलसी न हो परन्तु आत्मा के अनुसरण के जिज्ञासु होकर प्रभु की सेवा करो”।

हियाव करो, आनन्दित रहो

“आनन्द करो कि हमारी हियाव परमेश्वर में है”

क्लेश में स्थिर रहो

यह एक नया वाक्य हो सकता है, “कठिन समयों में धीरज रखो”।

प्रार्थना में नित्य लगे रहो

यह एक नया वाक्य हो सकता है, “सदा प्रार्थना में लगे रहना मत भूलो”।

पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो उसमें उनकी सहायता करो।

यह उस सूची की अन्तिम बात है जो में आरंभ हुई, “पवित्र जनों की आवश्यकता में उनके साथ बाँटों” या “जहाँ तक... “ या “जब विश्वासी भाई परेशानी में हों तो उनकी आवश्यकता में सहायता करो।

पहुंनाई करने में लगे रहो

“जब उन्हें ठहरने का स्थान चाहिए तो अपने घरों में उनका स्वागत करो”

Romans 12:14

आपस में एक सा मन रखो

वैकल्पिक अनुवाद, “आपस में सहमति रखो” या “एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से रहो”

अभिमानी न हो

“अपने आप को दूसरे से बड़ा न समझो”

दीनों के साथ संगति रखो

“जो लोग महत्त्वपूर्ण प्रतीत न हों उनका सम्मान करो”

अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो

“स्वयं को सबसे अधिक बुद्धिमान न समझो”।

Romans 12:17

x

12:17 - में पौलुस विश्वासियों को समझाता हूँ कि बुराई करने वालों के साथ कैसा व्यवहार करें।

बुराई के बदले किसी से बुराई न करो

“तुम्हारे साथ जिसने बुराई की है उसके साथ बुराई मत करो”।

जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं उनकी चिन्ता किया करो।

“ऐसे काम करो जिन्हें सब लोग अच्छा मानते हैं”

तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो

“यथासंभव प्रयास करके सबके साथ मेल मिलाप रखो”

जहाँ तक हो सके

“जितना तुम्हारे वश में है”

Romans 12:19

x

पौलुस विश्वासियों को समझा रहा है कि बुराई करनेवालों के साथ कैसा व्यवहार करें में आरंभ हुआ है।

बदला लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है, मैं ही बदला दूँगा”

इन दोनों उक्तियों का एक ही अर्थ है और इनको दो बार कहना महत्त्व उजागर करने के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद, “मैं निश्चय ही तुम्हारा बदला लूँगा”

तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला यदि प्यासा है तो उसे पानी पिला... क्योंकि ऐसा करने से....ढेर लगाएगा....बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो।

“तुम और तेरा” एक ही शक्ति को संबोधित किए गए हैं

यदि तेरा बैरी भूखा हो.... उसके सिर पर

12:20 में पौलुस धर्मशास्त्र के एक और अंश का उद्धरण देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि लिखा है, यदि तेरा बैरी भूखा हो.... उसके सिर पर

उसे खाना खिला

उसे खाना खिला - “उसे भोजन दो”

उसके सिर पर आग के अंगार का ढेर लगायेगा

पौलुस बैरियों के दण्ड की तुलना आग के अंगारों के ढेर से करता है जो उनके सिर पर डाला जाएगा। इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करने वाले को उसके बुरे काम का बोध हो” या 2) “परमेश्वर को अवसर दो कि वह तुम्हारे बैरी को कठोर दण्ड दे।

बुराई से न हारो, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो।

पौलुस “बुराई” की चर्चा इस प्रकार कर रहा है कि मानों वह एक जीवित प्राणी हो। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है। “बुरे मनुष्यों को अपने पर विजयी न होने दो, परन्तु भलाई के द्वारा बुरे मनुष्य को जीत लो”। (देखें: और )


Translation Questions

Romans 12:1

विश्वासी के लिए परमेश्वर को चढ़ाने वाला बलिदान क्या है?

विश्वासी की आत्मिक सेवा है कि वह परमेश्वर को स्वयं का जीवित बलिदान चढ़ाए।

Romans 12:2

विश्वासी में नया मन उसे किस योग्य बनाता है?

मन नया हो जाने से विश्वासी परमेश्वर की भली, भावती और सिद्ध इच्छा अनुभव से ज्ञात कर लेते हैं।

Romans 12:3

विश्वासी स्वयं को क्या न समझे?

विश्वासी को जैसा स्वयं को समझना है उससे बढ़कर वह स्वयं को न समझे।

Romans 12:4

विश्वासी मसीह में एक दूसरे से कैसे संबन्धित हैं?

विश्वासी सब मसीह में एक देह हैं और व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे के सदस्य हैं।

Romans 12:6

हर एक विश्वासी परमेश्वर प्रदत्त वरदान का क्या करे?

प्रत्येक विश्वासी को विश्वास के परिमाण के अनुसार वरदानों का उपयोग करना है।

Romans 12:10

विश्वासी परस्पर कैसा व्यवहार करें?

विश्वासी एक दूसरे से प्रेम रखें और एक दूसरे का सम्मान करें।

Romans 12:13

विश्वासियों को पवित्र जनों की आवश्यकताओं के लिए क्या करना चाहिए?

विश्वासियों को पवित्र जनों की आवश्यकता में हाथ बंटाना चाहिए।

Romans 12:14

विश्वासी अपने सताने वालों के लिए क्या करें?

विश्वासी अपने सताने वालों को कोसे नहीं; आशीर्वाद दें।

Romans 12:16

विश्वासी दीनों के साथ कैसा व्यवहार करें?

विश्वासी दीनों को ग्रहण करें।

Romans 12:18

विश्वासी भरसक प्रयास करके क्या करें?

यथासंभव सब मनुष्यों के साथ विश्वासी मेल रखें।

Romans 12:19

विश्वासियों को बदला क्यों नहीं लेना चाहिए?

विश्वासी बदला न लें क्योंकि बदला लेना परमेश्वर का काम है।

Romans 12:21

विश्वासी बुराई को कैसे जीतें?

विश्वासी भलाई से बुराई को जीत लें।


Chapter 13

1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के अधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं। (तीतु. 3:1) 2 इसलिए जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्‍वर की विधि का विरोध करता है, और विरोध करनेवाले दण्ड पाएँगे।

3 क्योंकि अधिपति अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; क्या तू अधिपति से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर* और उसकी ओर से तेरी सराहना होगी; 4 क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्‍वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिए हुए नहीं और परमेश्‍वर का सेवक है*; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करनेवाले को दण्ड दे। 5 इसलिए अधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्तु डर से अवश्य है, वरन् विवेक भी यही गवाही देता है।

6 इसलिए कर भी दो, क्योंकि शासन करनेवाले परमेश्‍वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं। 7 इसलिए हर एक का हक़ चुकाया करो; जिसे कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे चुंगी चाहिए, उसे चुंगी दो; जिससे डरना चाहिए, उससे डरो; जिसका आदर करना चाहिए उसका आदर करो।

8 आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। 9 क्योंकि यह कि “व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, लालच न करना,” और इनको छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” (निर्ग. 20:13-16, लैव्य. 19:18) 10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।

11 और समय को पहचान कर ऐसा ही करो, इसलिए कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुँची है; क्योंकि जिस समय हमने विश्वास किया था, उस समय की तुलना से अब हमारा उद्धार निकट है। 12 रात* बहुत बीत गई है, और दिन निकलने पर है; इसलिए हम अंधकार के कामों को तजकर ज्योति के हथियार बाँध लें।

13 जैसे दिन में, वैसे ही हमें उचित रूप से चलना चाहिए; न कि लीलाक्रीड़ा, और पियक्कड़पन, न व्यभिचार, और लुचपन में, और न झगड़े और ईर्ष्या में। 14 वरन् प्रभु यीशु मसीह को पहन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो।



Romans 13:1

हर एक व्यक्ति अधीनता स्वीकारे

“प्रत्येक विश्वासी आज्ञा माने” (देखें यू.डी.बी.) या “प्रत्येक जन आज्ञा माने”।

शासकीय अधिकारियों

“राजकीय अधिकारियों”

क्योंकि

“क्योंकि”

कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्वर की ओर से न हो

“अधिकारियों को परमेश्वर ने वह स्थान दिया है, इसलिए वे वहाँ हैं”

कोई अधिकार

“वह राजकीय अधिकारी”

जो कोई अधिकार का विरोध करता है

“जो राजकीय अधिकार का विरोध करते हैं”

Romans 13:3

इसलिए

इसलिए - पौलुस समझाता है और यदि सरकार किसी को दोषी ठहराए तो क्या होगा।

हाकिम डर का कारण है नहीं है

शासक भले मनुष्य के लिए डर का कारण नहीं है

अच्छा काम कर.... यदि तू बुराई करे

मनुष्य अच्छे कामों या बुरे कामों से पहचाना जाता है

यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं बताता हूँ कि तुम सरकार से निडर कैसे रह सकते हो”।

सराहना होगी

भलाई करनेवालों की सरकार भी प्रशंसा करेगी

वह तलवार व्यर्थ लिए हुए नहीं है

“उसके हाथ में दण्ड देने का अधिकार है और वह मनुष्यों को दण्ड देगा”।

तलवार लिए हुए है

रोमी प्रशासक अपने अधिकार के प्रतीक स्वरूप एक छोटी तलवार रखते थे।

क्रोध के अनुसार बदला लेनेवाला

“बुराई के प्रति सरकार के क्रोध को व्यक्त करने के लिए जो व्यक्ति मनुष्य को दण्ड देता है”।

न केवल उस क्रोध के डर से आवश्यक है वरन् विवेक भी यही गवाही देता है।

“इसलिए ही नहीं कि सरकार तुम्हें दण्ड दे परन्तु परमेश्वर के समक्ष अपना विवेक स्वच्छ रखने के लिए भी”।

Romans 13:6

इसलिए

“क्योंकि सरकार बुरा करने वाले को दण्ड देती है

इसलिए हर एक का हक्क चुकाया करो

पौलुस विश्वासियों से बातें कर रहा है

इसलिए

“इसलिए जिसे कर चाहिए उसे कर दो”

ध्यान रखों

“सेवा करे” या “काम करो”

महसूल

“अधिकारी कर”

Romans 13:8

किसी के कर्ज़दार न बनो

“अपना संपूर्ण ऋण चुका दो चाहे सरकार का या मनुष्यों” पौलुस विश्वासियों को पत्र लिख रहा है।

कोई

नया वाक्यः “विश्वासियों से प्रेम करना एक ऐसा ऋण है जिसके अधीन तुम रह सकते हो”

क्योंकि “तुम नहीं करना”

पौलुस अब प्रकट करेगा कि प्रेम परमेश्वर की संपूर्ण अनिवार्यताओं को पूरा करता है।

करना

यहाँ 13:9 में द्वितीय पुरूष एक वचन में है वक्ता जनसमूह को ऐसे संबोधित कर रहा है कि वह एक वचन है। अतः आपको यहाँ बहुवचन शब्द के उपयोग की आवश्यकता होगी।

लालच

किसी ऐसी वस्तु की लालसा करना जो मनुष्य के पास नहीं है और उसे हथियाना उसके लिए वर्जित है।

प्रेम बुराई नहीं करता

यह उक्ति प्रेम को एक व्यक्तिस्वरूप दर्शाती है जो मनुष्यों के साथ दयालु है

इसीलिए

“क्योंकि प्रेम बुराई नहीं करता”

Romans 13:11

रात बहुत बीत गई है

“पाप का वर्तमान समय लगभग पूरा हो गया है”

दिन निकलने पर है

“मसीह शीघ्र ही आ जायेगा”

अन्धकार के कामों को

मनुष्य रात में जो कार्य करना उचित समझते हैं जब कोई उन्हें देखता न हो।

ज्योति के हथियार बाँध लें

“हमें ऐसे कामों को करना चाहते है जो कि मनुष्य हमें करते देखे, परमेश्वर की सुरक्षा के अधीन होना है”

Romans 13:13

सीधी चाल चलें

पौलुस अपने पाठकों और अन्य विश्वासियों को अपने साथ गिनता है।

जैसा दिन को शोभा देता है

“प्रत्यक्ष रूप में” या “यह जानकर कि सब देखते हैं”

झगड़ा

“किसी के विरुद्ध षड्यंत्र रचने या लोगों से विवाद करने”

डाह

“किसी की सफलता या लाभ के प्रति ईर्ष्या”

परन्तु प्रभु यीशु मसीह को पहन लो

अर्थात मसीह का नैतिक स्वभाव ऐसे अपना लो जैसे कि वह हमारा बाहरी वस्त्र है जिसे लोग देख सकते हैं।

पहिन लो

यदि आपकी भाषा में आज्ञाओं का बहुवचन है तो उसे यहाँ काम में लें।

शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो

“अपने पुराने बुरे मन को दुष्टता के काम करने का अवसर मत दो”


Translation Questions

Romans 13:1

सांसारिक अधिकारियों को अधिकार कहां से प्राप्त होता है?

सांसारिक अधिकारी परमेश्वर की ओर से नियुक्त हैं।

Romans 13:2

सांसारिक अधिकारियों का विरोध करने वालों को क्या मिलेगा?

जो सांसारिक अधिकारियों का विरोध करते हैं वे दण्ड पायेंगे।

Romans 13:3

अधिकारियों से निर्भय रहने के लिए पौलुस विश्वासियों को क्या निर्देश देता है?

पौलुस विश्वासियों से कहता है कि वे भलाई करें जिससे कि वे अधिकारियों से निर्भय रहें।

Romans 13:4

परमेश्वर ने बुराई का दमन करने के लिए शासकों को क्या अधिकार दिया है?

परमेश्वर ने शासकों को तलवार उठाने का अधिकार दिया है कि बुरा करने वालों को क्रोध के अनुसार दण्ड दे।

Romans 13:6

पैसों के बारे में परमेश्वर ने शासकों को क्या अधिकार दिया है?

परमेश्वर ने शासकों को कर वसूलने का अधिकार दिया है।

Romans 13:8

वह एकमात्र ऋण क्या है जिसके अधीन विश्वासी रहें?

पौलुस कहता है कि वे प्रेम के ऋणी बनें।

विश्वासी व्यवस्था पूरी कैसे करता है?

विश्वासी अपने पड़ोसी से प्रेम करके व्यवस्था पूरी करता है।

Romans 13:9

पौलुस कौन सी आज्ञाओं को व्यवस्था कहता है?

पौलुस व्यभिचार न करना, हत्या न करना, लालच न करना व्यवस्था बताता है।

Romans 13:12

पौलुस विश्वासियों से क्या त्यागने और क्या अपनाने के लिए कहता है?

पौलुस कहता है कि विश्वासी अन्धकार के काम त्याग कर ज्योति के हथियार बान्ध लें।

Romans 13:13

विश्वासियों को कौन-कौन से काम नहीं करने हैं?

विश्वासियों को लीला क्रीड़ा, पियक्कड़पन, व्यभिचार, लुचपन, झगड़े और डाह में न पड़ें।

Romans 13:14

शरीर अभिलाषा के प्रति विश्वासी का व्यवहार कैसा हो?

विश्वासी शारीरिक अभिलाषा को स्थान न दें।


Chapter 14

1 जो विश्वास में निर्बल है*, उसे अपनी संगति में ले लो, परन्तु उसकी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं। 2 क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग-पात ही खाता है।

3 और खानेवाला न-खानेवाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खानेवाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे ग्रहण किया है। 4 तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, वरन् वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है।

5 कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर मानता है, और कोई सब दिन एक सा मानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले। 6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्‍वर का धन्यवाद करता है, और जो नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्‍वर का धन्यवाद करता है।

7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है। 8 क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं*; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; फिर हम जीएँ या मरें, हम प्रभु ही के हैं। 9 क्योंकि मसीह इसलिए मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवितों, दोनों का प्रभु हो।

10 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्‍वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे। 11 क्योंकि लिखा है,

     “प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा,

     और हर एक जीभ परमेश्‍वर को अंगीकार करेगी।” (यशा. 45:23, यशा. 49:18)

12 तो फिर, हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना-अपना लेखा देगा।

13 इसलिए आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएँ पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे।

14 मैं जानता हूँ, और प्रभु यीशु से मुझे निश्चय हुआ है, कि कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं, परन्तु जो उसको अशुद्ध समझता है, उसके लिये अशुद्ध है। 15 यदि तेरा भाई तेरे भोजन के कारण उदास होता है, तो फिर तू प्रेम की रीति से नहीं चलता; जिसके लिये मसीह मरा उसको तू अपने भोजन के द्वारा नाश न कर।

16 अब तुम्हारी भलाई की निन्दा न होने पाए। 17 क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।

18 जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्‍वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहणयोग्य ठहरता है। 19 इसलिए हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।

20 भोजन के लिये परमेश्‍वर का काम* न बिगाड़; सब कुछ शुद्ध तो है, परन्तु उस मनुष्य के लिये बुरा है, जिसको उसके भोजन करने से ठोकर लगती है।

21 भला तो यह है, कि तू न माँस खाए, और न दाखरस पीए, न और कुछ ऐसा करे, जिससे तेरा भाई ठोकर खाए।

22 तेरा जो विश्वास हो, उसे परमेश्‍वर के सामने अपने ही मन में रख*। धन्य है वह, जो उस बात में, जिसे वह ठीक समझता है, अपने आप को दोषी नहीं ठहराता। 23 परन्तु जो सन्देह कर के खाता है, वह दण्ड के योग्य ठहर चुका, क्योंकि वह विश्वास से नहीं खाता, और जो कुछ विश्वास से नहीं, वह पाप है।



Romans 14:1

x

पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है।

जो विश्वास में निर्बल हैं

यह उन लोगों के संदर्भ में है जो खाने और पीने के विषय संकोच करते थे।

उसकी शंकाओं पर विवाद करने के लिए नहीं

“इसलिए नहीं कि इन बातों पर उनसे विवाद करो”

एक को विश्वास है कि सब कुछ खाना उचित है परन्तु ... सागपात ही खाता है

यहाँ एक ही बात को व्यक्त करने के दो रूप है, वैकल्पिक अनुवाद, “एक को सब कुछ खाने का विश्वास है, परन्तु”

Romans 14:3

x

पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है।

तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है?

पौलुस इस प्रश्न द्वारा उन लोगों को डाँटता है जो दूसरों का न्याय करते थे। वैकल्पिक अनुवाद: "तू परमेश्वर नहीं है कि किसी के सेवक का न्याय करने का तुझे अधिकार हो"

तू ... तू

एकवचन

उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है,

वैकल्पिक अनुवाद: "केवल उसका स्वामी ही इस बात का निर्णय लेगा की वह उस सेवक को ग्रहण करे या नहीं।"

वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा

क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है।

Romans 14:5

कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर मानता है और कोई सब दिनों को एक समान मानता है।

"कोई तो" और "और कोई" इन दोनों व्याक्यांशों से यह एक ही बात को कहने के दो रूप समझ में आते हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “एक मनुष्य के विचार में एक दिन अन्य दिनों से बड़ा है परन्तु दूसरा सोचता है कि सब दिन समान हैं”

हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले

इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “प्रत्येक मनुष्य निश्चित कर ले कि वह प्रभु के महिमान्वन के लिए क्या कर रहा है”।

जो किसी दिन को मानता है वह प्रभु के लिए मानता है

“जो किसी दिन को विशेष मानकर आराधना करता है तो वह वास्तव में प्रभु ही की आराधना करता है”

और जो खाता है वह प्रभु के लिए खाता है

“और जो कैसा भी भोजन खाता है, वह प्रभु के सम्मान देने के लिए वह भोजन खाता है”

और जो नहीं खाता, वह प्रभु के लिए नहीं खाता

“और जो किसी प्रकार का भोजन नहीं खाता है, वह भी प्रभु ही के सम्मान के निमित्त ऐसा करता है”

Romans 14:7

“हमारा” ... “हम”

इस सर्वनाम शब्दों द्वारा पौलुस अपने पाठकों को संबोधित करता है।

मृतक और जीवित

वैकल्पिक अनुवाद, “जो मर चुके हैं और जो जीवित हैं

Romans 14:10

x

पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है।

तू जो दोष लगाता है.... तुच्छ जानता है...

पौलुस दिखा रहा है कि वह अपने पाठकों को किस प्रकार झिडकना आवश्यक होगा वैकल्पिक अनुवाद, “किसी को दोष देना उचित नहीं” ... किसी को तुच्छ समझना उचित नहीं”। (देखें यू.डी.बी.) या “दोष लगाना छोड़ दो.... किसी को तुच्छ समझना छोड़ दो”

हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे।

“न्याय सिंहासन” अर्थात परमेश्वर का न्याय करने का अधिकार। वैकल्पिक अनुवाद है, “क्योंकि परमेश्वर हम सब का न्याय करेगा”

मेरे जीवन की सौगन्ध

यह एक शपथ या गंभीर प्रतिज्ञा है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “निश्चय जान लो कि यह सच है”

हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी।

“घुटना” और “जीभ” द्वारा पौलुस संपूर्ण मनुष्यत्व का संदर्भ दे रहा है, और परमेश्वर ही “परमेश्वर” शब्द का उपयोग कर रहा है जो उसी के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “प्रत्येक मनुष्य मेरे सामने झुक कर मेरी स्तुति करेगा”। (देखें: और )

Romans 14:12

परमेश्वर को अपना-अपना लेखा देगा

“हमें परमेश्वर के समक्ष अपने कर्मों का स्पष्टीकरण देना होगा”

अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे

यहाँ इन दोनों शब्दों “ठेस”, “ठोकर का कारण” का अर्थ एक ही है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “सुनिश्चित करो कि न तो ऐसा कुछ करो और न ही कहो कि उसके परिणाम स्वरूप किसी विश्वासी भाई पर पाप करने की परीक्षा आए।

Romans 14:14

मैं जानता हूँ और प्रभु यीशु में मुझे निश्चय हुआ है

“मैं प्रभु यीशु के साथ अपने संबन्धों के कारण निश्चित जानता हूँ”

कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं परन्तु जो उसको अशुद्ध समझता है उसके लिए अशुद्ध है।

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “यदि मनुष्य किसी वस्तु को अशुद्ध समझे तो वह उस मनुष्य के लिए अशुद्ध है। अतः उसे उससे दूर रहना चाहिए”।

यदि तेरा भाई तेरे भोजन के कारण उदास होता है

यहाँ “तेरा” अर्थात विश्वास में दृढ़ भाई और “अपने भाई” अर्थात जिसका विश्वास दुर्बल है।

तू प्रेम की रीति नहीं चाहता

“तो तू प्रेम प्रदर्शन नहीं करता है”

Romans 14:16

तुम्हारे लिए जो भला है उसकी निन्दा न होने दे

वैकल्पिक अनुवाद, “यदि तुम किसी बात को भला मानते हो और मनुष्य उसे बुरा कहें तो उसे मत करो”।

जो भला है

दृढ़ विश्वास रखने वालों के काम

मनुष्य

प्रसंग से अति संभव है कि यह शब्द अन्य विश्वासियों के संदर्भ में है। (यू.डी.बी.)

क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं परन्तु धर्म और मेल मिलाप और वह आनन्द जो पवित्र-आत्मा से होता है।

“परमेश्वर ने अपने राज्य की स्थापना इसलिए नहीं की कि हमारे खाने पीने पर राज करने। उसने राज्य की स्थापना इसलिए की है कि हम उसके साथ उचित संबन्ध में रहें और पवित्र आत्मा हमें शान्ति एवं आनन्द दे”।

Romans 14:18

जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है,

“इस प्रकार मसीह की सेवा करता है”

मनुष्यों में ग्रहण-योग्य ठहरता है

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “मनुष्य उसे स्वीकार करेंगे” या “मनुष्य उसका सम्मान करेंगे”

इसलिए हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो

“हम परस्पर शान्ति के जीवन तथा विश्वास में अधिकाधिक दृढ़ता के जीवन का यत्न करें”।

Romans 14:20

“तू न मांस खाए न दाखरस पीए... जिससे तेरा भाई ठोकर खाए।

“उचित तो यह है कि अपने विश्वासी भाई को ठोकर खाने से बचाने के लिए मांस, मदिरा एवं ठोकरदायक कर्मों का त्याग कर दो” यहा “तू” दृढ़ विश्वासी के लिए तथा “भाई” विश्वास में दुर्बल जन के लिए है।

Romans 14:22

तेरा जो विश्वास हो

यह भी पिछले पद में खाने-पीने के संबन्ध में है।

तेरा... अपने...वह

सब एक वचन में हें। क्येांकि पौलुस विश्वासियों को संबोधित कर रहा है, इसलिए उनका अनुवाद बहुवचन में किया जाए

धन्य है वह...जिसे वह ठीक समझता है, अपने आपको दोषी नहीं ठहराए।

“धन्य है वह” वे जो कुछ करते हैं तो स्वयं को दोषी न समझें।

जो सन्देह करके खाता है, वह दण्ड के योग्य ठहर चुका।

इसका अनुवाद, “परमेश्वर कहेगा कि मनुष्य को किसी बात का निश्चय नहीं तो उसका वह काम अनुचित है जैसे भोजन पर सन्देह करने के उपरान्त भी उसे खा लेना”। (यू.डी.बी.) या “यदि किसी को भोजन पर सन्देह हो, परन्तु वह उसे खा ले तो उसका विवेक उसे दोषी ठहराएगा”

क्योंकि वह विश्वास से नहीं खाता है

इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर उसे अनुचित कहेगा क्योंकि वह उस भोजन को खा रहा है जिसे उसका विवेक कहता है कि परमेश्वर को स्वीकार्य नहीं है”

जो कुछ विश्वास से नहीं वह पाप है

“यदि आपकी समझ में आप परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध कुछ करते हैं तो वह पाप है”।


Translation Questions

Romans 14:1

भोजन के बारे में मतभेद रखने वालो विश्वासियों का व्यवहार एक दूसरे के प्रति कैसा होना चाहिए?

भोजन के बारे में मतभेद रखने वाले विश्वासी एक दूसरे का न्याय न करें।

Romans 14:2

विश्वास में दृढ़ जन क्या खाता है और जो विश्वास में दृढ़ नहीं वह क्या खाता है?

विश्वास में दृढ़ मनुष्य कुछ भी खा लेता है परन्तु जिसका विश्वास दृढ़ नहीं वह केवल सब्जियां खाता है।

Romans 14:3

जो सब कुछ खाता है और जो केवल सब्जी खाता है उसे किसने ग्रहण किया है?

परमेश्वर ने सब कुछ खाने वाले को और केवल सब्जी खाने वाले दोनों को ग्रहण किया है।

Romans 14:5

ऐसे और कौन से विषय हैं जिन्हें पौलुस व्यक्तिगत मान्यता कहता है?

किसी दिन को दूसरे से बड़ा मानता या सब दिनों को बराबर मानना पौलुस के विचार में व्यक्तिगत विश्वास है।

Romans 14:7

विश्वासी किसके लिए जीते और किसके लिए मरते हैं?

विश्वासी प्रभु के लिए जीते हैं और प्रभु के लिए मरते हैं।

Romans 14:10

अन्त में सब विश्वासी कहां खड़े होंगे और उन्हें क्या करना होगा?

अन्त में सब विश्वासी परमेश्वर के न्याय आसन के समक्ष खड़े होकर अपना-अपना लेखा देंगे।

Romans 14:13

व्यक्तिगत मान्यता के कारण एक विश्वासी का व्यवहार दूसरे विश्वासी के साथ कैसा होना चाहिये?

व्यक्तिगत मान्यताओं के कारण भाई किसी भाई के लिए ठोकर का कारण न बने या फन्दा न बने।

Romans 14:14

प्रभु यीशु में पौलुस का मानना है कि कौन सा भोजन अशुद्ध है?

पौलुस का मानना है कि कोई भी भोजन अपने आप में अशुद्ध नहीं है।

Romans 14:17

परमेश्वर का राज्य क्या है?

परमेश्वर का राज्य धर्म और मेल-मिलाप और वह आनंद है जो पवित्र आत्मा से होता है।

Romans 14:21

शाकाहारी या मदिरा पान नहीं करने वाले के समक्ष पौलुस विश्वासी को क्या परामर्श देता है?

पौलुस का कहना है कि अन्य भाई के सामने मांस न खायें और मदिरा न पीये तो अच्छा है।

Romans 14:23

यदि कोई विश्वास के काम नहीं करता तो उसका परिणाम क्या है?

विश्वास के काम नहीं करना पाप है।


Chapter 15

1 निदान हम बलवानों को चाहिए, कि निर्बलों की निर्बलताओं में सहायता करे, न कि अपने आप को प्रसन्‍न करें। 2 हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये सुधारने के निमित्त प्रसन्‍न करे।

3 क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्‍न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, “तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।” (भज. 69:9) 4 जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन के द्वारा आशा रखें।

5 धीरज, और प्रोत्साहन का दाता परमेश्‍वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। 6 ताकि तुम एक मन* और एक स्वर होकर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्‍वर की स्‍तुति करो।

7 इसलिए, जैसा मसीह ने भी परमेश्‍वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।

8 मैं कहता हूँ, कि जो प्रतिज्ञाएँ पूर्वजों को दी गई थीं, उन्हें दृढ़ करने के लिये मसीह, परमेश्‍वर की सच्चाई का प्रमाण देने के लिये खतना किए हुए लोगों का सेवक बना। (मत्ती 15:24) 9 और अन्यजाति भी दया के कारण परमेश्‍वर की स्‍तुति करो, जैसा लिखा है,

     “इसलिए मैं जाति-जाति में तेरी स्‍तुति करूँगा,

     और तेरे नाम के भजन गाऊँगा।” (2 शमू. 22:50, भज. 18:49)

10 फिर कहा है,

     “हे जाति-जाति के सब लोगों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द करो।”

11 और फिर,

     “हे जाति-जाति के सब लोगों, प्रभु की स्तुति करो;

     और हे राज्य-राज्य के सब लोगों; उसकी स्तुति करो।” (भज. 117:1)

12 और फिर यशायाह कहता है,

     “यिशै की एक जड़* प्रगट होगी,

     और अन्यजातियों का अधिपति होने के लिये एक उठेगा,

     उस पर अन्यजातियाँ आशा रखेंगी।” (यशा. 11:11)

13 परमेश्‍वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।

14 हे मेरे भाइयों; मैं आप भी तुम्हारे विषय में निश्चय जानता हूँ, कि तुम भी आप ही भलाई से भरे और ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो और एक दूसरे को समझा सकते हो।

15 तो भी मैंने कहीं-कहीं याद दिलाने के लिये तुम्हें जो बहुत साहस करके लिखा, यह उस अनुग्रह के कारण हुआ, जो परमेश्‍वर ने मुझे दिया है। 16 कि मैं अन्यजातियों के लिये मसीह यीशु का सेवक होकर परमेश्‍वर के सुसमाचार की सेवा याजक के समान करूँ; जिससे अन्यजातियों का मानो चढ़ाया जाना, पवित्र आत्मा से पवित्र बनकर ग्रहण किया जाए।

17 इसलिए उन बातों के विषय में जो परमेश्‍वर से सम्बन्ध रखती हैं, मैं मसीह यीशु में बड़ाई कर सकता हूँ। 18 क्योंकि उन बातों को छोड़ मुझे और किसी बात के विषय में कहने का साहस नहीं, जो मसीह ने अन्यजातियों की अधीनता के लिये वचन, और कर्म। 19 और चिन्हों और अद्भुत कामों की सामर्थ्य से, और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से मेरे ही द्वारा किए। यहाँ तक कि मैंने यरूशलेम से लेकर चारों ओर इल्लुरिकुम तक मसीह के सुसमाचार का पूरा-पूरा प्रचार किया।

20 पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहाँ-जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊँ; ऐसा न हो, कि दूसरे की नींव पर घर बनाऊँ। 21 परन्तु जैसा लिखा है, वैसा ही हो,

     “जिन्हें उसका सुसमाचार नहीं पहुँचा, वे ही देखेंगे

     और जिन्होंने नहीं सुना वे ही समझेंगे।” (यशा. 52:15)

22 इसलिए मैं तुम्हारे पास आने से बार-बार रुका रहा। 23 परन्तु अब इन देशों में मेरे कार्य के लिए जगह नहीं रही, और बहुत वर्षों से मुझे तुम्हारे पास आने की लालसा है।

24 इसलिए जब इसपानिया को जाऊँगा तो तुम्हारे पास होता हुआ जाऊँगा क्योंकि मुझे आशा है, कि उस यात्रा में तुम से भेंट करूँ, और जब तुम्हारी संगति से मेरा जी कुछ भर जाए, तो तुम मुझे कुछ दूर आगे पहुँचा दो। 25 परन्तु अभी तो पवित्र लोगों की सेवा करने के लिये यरूशलेम को जाता हूँ।

26 क्योंकि मकिदुनिया और अखाया के लोगों को यह अच्छा लगा, कि यरूशलेम के पवित्र लोगों के कंगालों के लिये कुछ चन्दा करें। 27 अच्छा तो लगा, परन्तु वे उनके कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजाति उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है, कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें।

28 इसलिए मैं यह काम पूरा करके और उनको यह चन्दा सौंपकर तुम्हारे पास होता हुआ इसपानिया को जाऊँगा। 29 और मैं जानता हूँ, कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँगा, तो मसीह की पूरी आशीष के साथ आऊँगा।

30 और हे भाइयों; मैं यीशु मसीह का जो हमारा प्रभु है और पवित्र आत्मा के प्रेम का स्मरण दिलाकर, तुम से विनती करता हूँ, कि मेरे लिये परमेश्‍वर से प्रार्थना करने में मेरे साथ मिलकर लौलीन रहो। 31 कि मैं यहूदिया के अविश्वासियों से बचा रहूँ, और मेरी वह सेवा जो यरूशलेम के लिये है, पवित्र लोगों को स्वीकार्य हो। 32 और मैं परमेश्‍वर की इच्छा से तुम्हारे पास आनन्द के साथ आकर तुम्हारे साथ विश्राम पाऊँ।

33 शान्ति का परमेश्‍वर तुम सब के साथ रहे। आमीन।



Romans 15:1

अतः

इसके स्थान पर वह शब्द काम में लें जो आपकी भाषा में नया विवाद आरंभ करने का प्रतीक है।

हम वह जो बलवानों

“हम जो विश्वास में दृढ़ हैं” यहां सर्वनाम “हम” पौलुस उसके पाठकों तथा एक विश्वासियों के लिए है

निर्बलों

“विश्वास में दुर्बल भाइयों”

उसकी उन्नति हो

“उसका विश्वास दृढ़ हो”

Romans 15:3

तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी

परमेश्वर के निन्दकों की निन्दा मसीह पर गिरी”

जितनी बातें पहले से लिखी गई, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गई हैं।

“धर्मशास्त्र में जो कुछ लिख दिया गया था, वह हमारी जानकारी के लिए है”

“हमारी”... “हम”

पौलुस के पाठक तथा अन्य सब विश्वासी

Romans 15:5

परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि... परमेश्वर करे कि...”

आपस में एक मन रहो

“परस्पर सहमत रहो” “या” संगठित रहो”

एक स्वर में.... स्तुति करो

वैकिल्पक अनुवाद, “इस प्रकार स्तुति करो कि एक ही मुख से निकल रही है”।

Romans 15:8

इसलिए मैं कहता हूँ

“मैं” अर्थात पौलुस

मसीह... खतना किए हुए लोगों का सेवक बना

“मसीह यीशु यहूदियों की सेवा के लिए आया था”

परमेश्वर की सच्चाई का प्रमाण देने

“कि परमेश्वर यहूदियों के पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञाओं की पुष्टि करे”

जैसा लिखा है

“जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है”

जाति-जाति में

“और मसीह अन्य जातियों का सेवक बना”

Romans 15:10

फिर कहा है

“मूसा फिर कहता है”

उसकी प्रजा के साथ

“परमेश्वर के लोगों के साथ”

उसे सराहो

“परमेश्वर की स्तुति करो”

Romans 15:12

यिशै की जड़

वैकल्पिक अनुवाद, “यिशै के वंशज” यिशै राजा दाऊद का संसारिक पिता था

Romans 15:13

सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे

“तुम्हें महान आनन्द और शान्ति प्रदान करे”

तुम्हारी आशा बढ़ती जाए

“तुम आशा से उभरते जाओ”

Romans 15:14

ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो

“परमेश्वर के अनुसरण हेतु पर्याप्त ज्ञान प्राप्त करो”

एक दूसरे को चित करते रहे

“एक दूसरे को शिक्षा दे सकते हो”

Romans 15:15

अनुग्रह के कारण हुआ जो परमेश्वर ने मुझे दिया

“परमेश्वर ने मुझे जो वरदान दिया” यह वरदान उसकी प्रेरिताई का है जब कि वह पूर्वकाल में विश्वासियों को सताने वाला था।

अन्य जातियों का मानो चढ़ाया जाना.... ग्रहण किया जाए

“अन्य जातियों के आज्ञा पालन से परमेश्वर प्रसन्न हो” (यू.डी.बी.)

Romans 15:17

मैं मसीह यीशु में बड़ाई कर सकता हूँ

“अतः मेरे पास परमेश्वर प्रदत्त सेवा के लिए मसीह यीशु में घमण्ड करने का कारण है”।

क्योंकि उन बातों को छोड़, मुझे और किसी बात के विषय में कहने का साहस नहीं, जो मसीह ने अन्य जातियों की अधीनता के लिए वचन और कर्म और चिन्हों और अद्भुत कामों की सामर्थ्य से मेरे ही द्वारा किए।

“अन्य जातियों के आज्ञापालन के विषय में तो वही कहूँगा जो मसीह ने मेरे द्वारा किया है अर्थात मेरे शब्दों, कार्यों तथा चमत्कारों एवं आश्चर्यकर्मों द्वारा जो केवल पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से हुए हैं।”

यहाँ तक कि मैंने यरूशलेम से लेकर चारों ओर इल्लुरिकुम तक

यरूशलेम से लेकर इल्लुरिकुम (इटली देश के निकट) तक प्रचार किया।

Romans 15:20

पर मेरे मन की उमंग यह है कि जहाँ-जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया वहीं सुसमाचार सुनाऊं।

वैकल्पिक अनुवाद, “मेरी एक ही लालसा है कि उन सब स्थानों में शुभ सन्देश सुनाऊं जहां मसीह का प्रचार नहीं किया गया”।

जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया

“जिन्हें किसी ने मसीह के बारे में नहीं सुनाया है”

Romans 15:22

बार-बार रूका रहा

पौलुस की वाचा का वर्णन करना महत्त्वपूर्ण नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद, “उन्होंने बाधा उत्पन्न की” या “मनुष्यों ने मुझे रोका”

Romans 15:24

होता हुआ

“रोम से होकर” या “मार्ग में”

तुम्हारी संगति से मेरा जी कुछ भर जाए

“तुम्हारे साथ समय बिताने का आनन्द लूं” या “तुमसे भेंट करने का आनन्द मिले”

स्पेन

देखें: और

Romans 15:26

यह अच्छा लगा

वैकल्पिक अनुवाद, “मकिदुनिया और अखया के विश्वासी प्रसन्न हुए कि...” या “.... ऐसा करके आनन्द प्राप्त हुआ”

वे उनके कर्ज़दार भी हैं

“निःसन्देह मकिदुनिया और अखया के विश्वासी यरूशलेम के विश्वासियों के ऋणी हैं”

यदि अन्य जातियाँ उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए तो उन्हें भी उचित है कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें।

“क्योंकि अन्य जातियों ने यरूशलेम के विश्वासियों की आत्मिकता बाँटी इसलिए अन्यजाति विश्वासी यरूशलेम के विश्वासियों की सेवा के निमित्त ऋणी हैं।”

Romans 15:28

काम पूरा करके

“सुरक्षित सौंपकर”

चन्दा

पैसा और

मसीह की पूरी आशिष के साथ आऊँगा।

वैकल्पिक अनुवाद, “मैं मसीह की आशिष की परिपूर्णता में आऊँगा”

Romans 15:30

कि

यदि आपकी भाषा में ऐसा प्रावधान है कि पौलुस जिन अच्छी बातों की चर्चा कर अन्त करके अब उसके संकटों की चर्चा आरंभ कर रहा है तो उसका यहाँ उपयोग करें।

तुमसे विनती करता हूँ

“तुम्हें प्रोत्साहित करता हूँ”

लौलीन रहो

“परिश्रम करो” या “संघर्ष करो”

उसी ने हमें...छुड़ाकर

“सुरक्षित रहूँ” या “बचाया जाऊं”


Translation Questions

Romans 15:1

विश्वास में दृढ़ भाई का व्यवहार विश्वास में दुर्बल भाई की ओर कैसा होना चाहिये?

विश्वास में दृढ़ जन विश्वास में दुर्बल भाई को सह ले कि उसका निर्माण हो।

Romans 15:3

आत्म संतोष की अपेक्षा लोगों की सेवा करने के लिए पौलुस किसका उदाहरण देता है?

मसीह स्वयं को प्रसन्न करने के लिए नहीं, लोगों की सेवा करने के लिए जीता था।

Romans 15:4

पूर्वकाल के पवित्र शास्त्र के लिखे जाने का एक उद्देश्य क्या था?

जो पवित्र शास्त्र हमारे लिए पहले लिखे गये थे वे हमारे निर्देश के लिए थे।

Romans 15:5

पौलुस विश्वासियों से क्या चाहता है कि वे धीरज और पारस्परिक प्रोत्साहन के द्वारा करें?

पौलुस की मनोकामना है कि विश्वासी आपस में एक मन रहें।

Romans 15:10

पवित्र शास्त्र क्या कहता है कि परमेश्वर की करूणा के कारण अन्य जाति क्या करेंगी?

पवित्र शास्त्र कहता है कि अन्य जातियां आनन्द करेंगी और प्रभु की स्तुति करेंगी, उसमें विश्वास के साथ।

Romans 15:13

पौलुस क्या कहता है कि विश्वासी पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से करने योग्य होंगे।

विश्वासी आनन्द और शान्ति से पूर्ण विश्वास में परिपूर्ण होंगे।

Romans 15:16

परमेश्वर ने पौलुस को क्या वरदान दिया जो उसका दूतकार्य था?

पौलुस का दूतकार्य है, अन्य जातियों में भेजा गया मसीह यीशु का सेवक बने।

Romans 15:18

अन्य जातियों की आज्ञाकारिता के निमित्त मसीह ने पौलुस के माध्यम से कैसे काम किए?

मसीह ने शब्दों एवं कार्यों द्वारा पौलुस के माध्यम से चिन्ह और चमत्कारों द्वारा, पवित्रआत्मा के सामर्थ्य ही काम किया है।

Romans 15:20

पौलुस सुसमाचार कहां सुनाना चाहता था?

पौलुस वहां सुसमाचार सुनाना चाहता था जहां मसीह का नाम नहीं सुना था।

Romans 15:24

पौलुस कहां जाना चाहता था कि मार्ग में रोम में रूकें?

पौलुस स्पेन की यात्रा की योजना बना रहा था कि मार्ग में रोम जा पाए।

Romans 15:25

इस समय पौलुस यरूशलेम क्यों जा रहा था?

पौलुस इस समय यरूशलेम जा रहा था कि वहां के पवित्र जनों के लिए अन्यजातियों द्वारा एकत्र किया गया दान उन्हें सौंप दे।

Romans 15:27

पौलुस क्यों कहता है कि अन्यजाति यहूदी विश्वासियों के भौतिक वस्तुओं के ऋणी हैं?

अन्यजाति यहूदी विश्वासियों के भौतिक वस्तुओं में ऋणी हैं क्योंकि वे यहूदी विश्वासियों की आत्मिक बातों में सहभागी हुए हैं।

Romans 15:31

पौलुस किससे बचाया जाना चाहता था?

पौलुस की मनोकामना है कि यहूदिया में वह अवज्ञाकारियों से बचाया जाए।


Chapter 16

1 मैं तुम से फीबे के लिए, जो हमारी बहन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, विनती करता हूँ। 2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उसकी सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन् मेरी भी उपकारिणी हुई है।

3 प्रिस्का* और अक्विला को जो यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार। 4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन् अन्यजातियों की सारी कलीसियाएँ भी उनका धन्यवाद करती हैं। 5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उनके घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहला फल है, नमस्कार।

6 मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 7 अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटुम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझसे पहले मसीही हुए थे, नमस्कार। 8 अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार।

9 उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार। 10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार। 11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उनको नमस्कार। 12 त्रूफैना और त्रूफोसा* को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिय पिरसिस को जिस ने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उसकी माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार। 14 असुंक्रितुस और फिलगोन और हर्मास, पत्रुबास, हिर्मेस और उनके साथ के भाइयों को नमस्कार। 15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उसकी बहन, और उलुम्पास और उनके साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार। 16 आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो: तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्कार।

17 अब हे भाइयों, मैं तुम से विनती करता हूँ, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट डालने, और ठोकर खिलने का कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उनसे दूर रहो। 18 क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते है; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे सादे मन के लोगों को बहका देते हैं।

19 तुम्हारे आज्ञा मानने की चर्चा सब लोगों में फैल गई है; इसलिए मैं तुम्हारे विषय में आनन्द करता हूँ; परन्तु मैं यह चाहता हूँ, कि तुम भलाई के लिये बुद्धिमान, परन्तु बुराई के लिये भोले बने रहो। 20 शान्ति का परमेश्‍वर* शैतान को तुम्हारे पाँवों के नीचे शीघ्र कुचल देगा।

हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे। (उत्प. 3:15)

21 तीमुथियुस मेरे सहकर्मी का, और लूकियुस और यासोन और सोसिपत्रुस मेरे कुटुम्बियों का, तुम को नमस्कार। 22 मुझ पत्री के लिखनेवाले तिरतियुस का प्रभु में तुम को नमस्कार।

23 गयुस का जो मेरी और कलीसिया का पहुनाई करनेवाला है उसका तुम्हें नमस्कार: इरास्तुस जो नगर का भण्डारी है, और भाई क्वारतुस का, तुम को नमस्कार। 24 हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।

25 अब जो तुम को मेरे सुसमाचार अर्थात् यीशु मसीह के विषय के प्रचार के अनुसार स्थिर कर सकता है, उस भेद* के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा। 26 परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्‍वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है, कि वे विश्वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएँ।

27 उसी एकमात्र अद्वैत बुद्धिमान परमेश्‍वर की यीशु मसीह के द्वारा युगानुयुग महिमा होती रहे। आमीन।



Romans 16:1

x

पौलुस रोम के विश्वासियों में अनेकों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और )

फीबे के लिए... विनती करता हूँ

“फीबे के सम्मान का निवेदन करता हूँ”

फीबे

एक स्त्री का नाम है

हमारी बहन

“मसीह में हमारी बहन”, यहां “हमारी” अर्थात पौलुस और सब विश्वासियों की

किंख्रिया

यूनान का एक बन्दरगाह

उसे प्रभु में ग्रहण करो

उसे ग्रहण करो क्योंकि हम सब प्रभु के हैं”

जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए

“जैसे विश्वासियों को अन्य विश्वासियों का स्वागत करना चाहिए”

उसकी सहायता करो

इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम उसकी सहायता करो”।

वह भी बहुतों की वरन् मेरा भी उपकार करने वाली रही है।

“उसने अनेकों की सहायता की है, मेरी भी सहायता की है”।

Romans 16:3

x

पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और )

प्रिस्का और अक्विला

प्रिस्का को प्रिस्किल्ला भी कहा गया है। वह अक्विला की पत्नी थी।

मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी

“वे मेरे साथ मसीह यीशु के प्रचार में सेवारत हैं”

उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उनके घर में हैं

“उनकी आवासीय कलीसिया को भी नमस्कार कहना”

इपैनितुस

एक पुरूष का नाम

आसिया का पहला फल है

अर्थात वह आसिया में प्रथम विश्वासी था।

Romans 16:6

x

पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और

मरियम

एक स्त्री का नाम है

यूनियास

यह या तो 1)यूनिया, एक स्त्री या 2) यूनिआस, एक पुरूष हो सकता है।

अन्द्रनीकुस...अम्‍पलियातुस

ये पुरूषों के नाम हैं

प्रभु में मेरे प्रिय

“मेरे प्रिय मित्र, एवं विश्वासी भाई”

Romans 16:9

उरबानुस.... इस्तखुस.... अपिल्‍लेस.... अरिस्‍तुबुलुस.... हेरोदियोन....नरकिस्‍सुस

ये सब विश्वासी पुरूष थे

जे लोग प्रभु में हैं

“जिन्हें मसीह ने स्वीकार किया है।” यहां “प्रभु में हैं” का अर्थ है, परख कर सच्चा पाया गया मनुष्य

Romans 16:12

x

पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों का नाम लेकर नमस्कार कर रहा है (देखें: और )

त्रूफैना... त्रूफोसा.... पिरसिस

स्त्रियों के नाम हैं

रुफुस... असुंक्रितुस... फिलगोन.... हिर्मेस... पत्रुबास.... हिर्मास

ये पुरूषों के नाम हैं

प्रभु में चुना हुआ है

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “जिसे प्रभु ने विशेष गुणों के कारण चुन लिया है”। (यू.डी.बी.)

उसकी माता को जो मेरी भी माता है

“मैं उसकी माता को अपनी माता भी मानता हूँ”

Romans 16:15

x

पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और )

फिलुलुगुस... नेर्युस.... उलुम्पास

ये पुरूषों के नाम हैं

यूलिया

यह एक स्त्री का नाम है। वह संभवतः फिलुलुगुस की पत्नी थी।

Romans 16:17

सोच लिया करो

“उनके प्रति सतर्क रहो”

फूट डालने और ठोकर खिलाने का कारण होते हैं

“आपसी मतभेद और परमेश्वर में विश्वास के परित्याग का कारण होते हैं”

उस शिक्षा के विपरीत जो तुमने पाई है

इसका एक नया वाक्य बनाया जा सकता है। “वे ऐसी शिक्षा देते हैं जो तुम्हारे द्वारा सीखे गए सत्य के विरूद्ध है”

उनसे दूर रहो

“उनसे बच कर रहो”

परन्तु अपने पेट की

यहाँ “पेट” का अर्थ भौतिक लालसाएं। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु वे अपनी स्वार्थ की पूर्ति करना चाहते हैं”।

चिकनी चुपड़ी बातों से

चिकनी चुपड़ी का अर्थ एक ही है। पौलुस उन्हें समझा रहा है कि वे कैसे विश्वासियों को छलते हैं, वैकल्पिक अनुवाद, “वे ऐसी बातों के द्वारा.... छलते हैं जो कर्णभावन एवं सत्य प्रतीत होते हैं।”

सीधे सादे मन के लोगों को

अबोध, अनुभवहीन तथा नवदीक्षित। वैकल्पिक अनुवाद, “जो निष्कपट विश्वास कर लेते है” या “वे जो समझ नहीं पाते कि ऐसे प्रचारक उन्हें मूर्ख बनाते हैं”।

Romans 16:19

तुम्हारे आज्ञा मानने की चर्चा सब लोगों में फैल गई है

“तुम यीशु की आज्ञाओं को मानते हो और यह तथ्य सब विश्वासियों में चर्चित है”।

परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पापों से शीघ्र कुचलवा देगा।

“पांवों से.... कुचल देगा” वैरी पर पूर्ण विजय का द्योतक हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर तुम्हें शीघ्र ही शैतान पर पूर्ण विजय प्रदान करेगा”।

भोले बने रहो

“बुराई के भ्रम में न पड़ो”

Romans 16:21

लूकियुस.... यासोन....सोसिपत्रुस.... तिरतियुस

ये पुरूषों के नाम है।

मुझे पत्री के लिखने वाले तिरतियुस

तिरतियुस पौलुस का लिपित था

प्रभु में तुमको नमस्कार

“प्रभु में विश्वासी भाई को नमस्कार”

Romans 16:23

गयुस... इरास्तुस....क्‍वारतुस

ये पुरूषों के नाम है।

पहुनाई करने वाला

इससे प्रकट होता है कि विश्वासी उसके घर में आराधना करते थे।

भण्डारी

किसी समूह के पैसों का लेखा रखनेवाला

16:24

यह पद छोड़ा गया है क्योंकि कुछ अधिक पुराने अधिक विश्वसनीय अभिलेखों में यह पद नहीं है

Romans 16:25

अब

“अब” शब्द पत्र के अन्तिम भाग का समापन दर्शाता है।

स्थिर कर सकता है

वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हारे विश्वास को दृढ़ कर सकता है”

मेरे सुसमाचार अर्थात यीशु मसीह के सन्देश के प्रचार के अनुसार

“मेरे द्वारा सुनाए गए मसीह यीशु के शुभ सन्देश के अनुसार”

उस भेद के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “क्योंकि परमेश्वर ने हम विश्वासियों पर उस रहस्य को प्रकट किया जो वह वर्षों से गुप्त रखे हुए था”।

अब प्रगट होकर सनातन परमेश्वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परन्तु अब अनादि परमेश्वर ने धर्मशास्त्र द्वारा यह स्पष्ट कर दिया है”।

सब जातियों को बताया गया कि वे विश्वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएं

“कि सब जातियां परमेश्वर में विश्वास के कारण उसकी आज्ञाकारी हो जाएं”।

Romans 16:27

x

यह समापन अभिकथन.


Translation Questions

Romans 16:1

बहन फीबे पौलुस के लिए क्या थी?

बहन फीबे पौलुस और अनेक अन्य विश्वासियों की सहायक रही है।

Romans 16:4

प्रिस्का और अक्विला ने पूर्वकाल में पौलुस के लिए क्या किया था?

प्रिस्का और अक्विला ने पहले पौलुस के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी।

Romans 16:5

रोम में वह कौन सा एक स्थान था जहां विश्वासी एकत्र होते थे?

रोम के विश्वासी प्रिस्का और अक्विला के घर में एकत्र होते थे।

Romans 16:7

अन्द्रुनीकुस और यूनियास ने पहले पौलुस के साथ कैसा अनुभव प्राप्त किया था?

अन्द्रुनीकुस और यूनियास पूर्वकाल में पौलुस के साथ बन्दी बनाए गए थे।

Romans 16:16

विश्वासी एक दूसरे को कैसे नमस्कार करें?

वे आपस में एक दूसरे को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करें।

Romans 16:17

उनमें फूट डालने और ठोकर का कारण होने के लिए कुछ लोग क्या कर रहे थे?

कुछ लोग शिक्षा के विपरीत चल रहे थे और सीधे-सादे मनवाले विश्वासियों को बहका रहे थे।

पौलुस फूट डालने वालों और ठोकर का कारण होने वालों के साथ कैसा व्यवहार करने के लिए कहता है?

पौलुस उन्हें निर्देश देता है कि वे फूट डालने वालों और ठोकर का कारण होने वालों से दूर रहें।

Romans 16:19

भलाई और बुराई के प्रति पौलुस के परामर्श में विश्वासियों का स्वभाव कैसा हो?

पौलुस विश्वासियों को चेतावनी देता है कि वे भलाई के लिए बुद्धिमान और बुराई के लिए भोले बने रहें।

Romans 16:20

शान्ति का परमेश्वर शीघ्र ही क्या करवायेगा?

शान्ति का परमेश्वर शैतान को शीघ्र ही उनके पांवों से कुचलवा देगा।

Romans 16:22

इस पत्र को वास्तव में किसने लिखा था?

तिरतियुस इस पत्र का लेखक है।

Romans 16:23

विश्वासी इरास्तुस का क्या उत्तरदायित्व था?

इरास्तुस उस कलीसिया का भण्डारी था।

Romans 16:25

जिस प्रकाशन को दीर्घकाल से गुप्त रखा गया था वह क्या है जिसका पौलुस प्रचार कर रहा था?

पौलुस मसीह यीशु के सुसमाचार के प्रकाशन का प्रचार कर रहा है।

Romans 16:26

पौलुस के प्रचार करने का उद्देश्य क्या था?

पौलुस अन्य जातियों में आज्ञा मानने के लिए प्रचार करता था।


Book: 1 Corinthians

1 Corinthians

Chapter 1

1 पौलुस की ओर से जो परमेश्‍वर की इच्छा* से यीशु मसीह का प्रेरित होने के लिये बुलाया गया और भाई सोस्थिनेस की ओर से। 2 परमेश्‍वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है, अर्थात् उनके नाम जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए, और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं; और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करते हैं। 3 हमारे पिता परमेश्‍वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।

4 मैं तुम्हारे विषय में अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद सदा करता हूँ, इसलिए कि परमेश्‍वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ। 5 कि उसमें होकर तुम हर बात में अर्थात् सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी किए गए। 6 कि मसीह की गवाही तुम में पक्की निकली।

7 यहाँ तक कि किसी वरदान में तुम्हें घटी नहीं, और तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने की प्रतीक्षा करते रहते हो। 8 वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो। 9 परमेश्‍वर विश्वासयोग्य है*; जिस ने तुम को अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह की संगति में बुलाया है। (व्य. 7:9)

10 हे भाइयों, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा विनती करता हूँ, कि तुम सब एक ही बात कहो और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो। 11 क्योंकि हे मेरे भाइयों, खलोए के घराने के लोगों ने मुझे तुम्हारे विषय में बताया है, कि तुम में झगड़े हो रहे हैं।

12 मेरा कहना यह है, कि तुम में से कोई तो अपने आप को “पौलुस का,” कोई “अपुल्लोस का,” कोई “कैफा का,” कोई “मसीह का” कहता है। 13 क्या मसीह बँट गया? क्या पौलुस तुम्हारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया? या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?

14 मैं परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ, कि क्रिस्पुस और गयुस को छोड़, मैंने तुम में से किसी को भी बपतिस्मा नहीं दिया। 15 कहीं ऐसा न हो, कि कोई कहे, कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला। 16 और मैंने स्तिफनास के घराने को भी बपतिस्मा दिया; इनको छोड़, मैं नहीं जानता कि मैंने और किसी को बपतिस्मा दिया।

17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन् सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी मनुष्यों के शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।

18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होनेवालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पानेवालों के निकट परमेश्‍वर की सामर्थ्य है। 19 क्योंकि लिखा है,

     “मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूँगा,

     और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूँगा।” (यशा. 29:14)

20 कहाँ रहा ज्ञानवान? कहाँ रहा शास्त्री? कहाँ रहा इस संसार का विवादी? क्या परमेश्‍वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया? (रोम. 1:22) 21 क्योंकि जब परमेश्‍वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्‍वर को न जाना तो परमेश्‍वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करनेवालों को उद्धार दे।

22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं, 23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है;

24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उनके निकट मसीह परमेश्‍वर की सामर्थ्य, और परमेश्‍वर का ज्ञान है। 25 क्योंकि परमेश्‍वर की मूर्खता* मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्‍वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

26 हे भाइयों, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। 27 परन्तु परमेश्‍वर ने जगत के मूर्खों* को चुन लिया है, कि ज्ञानियों को लज्जित करे; और परमेश्‍वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्जित करे।

28 और परमेश्‍वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को, वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। 29 ताकि कोई प्राणी परमेश्‍वर के सामने घमण्ड न करने पाए।

30 परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्‍वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात् धार्मिकता, और पवित्रता, और छुटकारा। (इफि. 1:7, रोम. 8:1) 31 ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, “जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।” (2 कुरि. 10:17)



1 Corinthians 1:1

भाई सोस्थिनेस

इससे प्रकट होता है कि कुरिन्थ के विश्वासी और पौलुस दोनों ही सोस्थिनेस से परिचित थे। वैकल्पिक अनुवाद: “सोस्थिनेस जिसे तुम और मैं दोनों ही जानते हैं”।

पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं।

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने उन्हें पवित्र जन होने के लिए बुलाया है”

उन सब के नाम भी

सब विश्वासियों के साथ। वै.अ. “के साथ”

हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह

प्रभु यीशु पौलुस का, कुरिन्थ की कलीसिया का और सब कलीसियाओं का प्रभु है।

तुम्हें

कुरिन्थ नगर के विश्वासी

1 Corinthians 1:4

परमेश्वर का धन्यवाद सदा करता हूं

वैकल्पिक अनुवाद: “मैं पौलुस परमेश्वर को आभार व्यक्त करता हूं”।

परमेश्वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ।

“तुम जो मसीह यीशु में परमेश्वर के अनुग्रह के पात्र हो”

धनी किए गए

संभावित अर्थ है 1) “मसीह ने तुम्हें समृद्ध किया” या 2) “परमेश्वर ने तुम्हे संपन्न बनाया है”।

हर बात में धनी किया

“अनेक आत्मिक आशिषों से समृद्ध किया”

सारे वचन में

परमेश्वर ने तुम्हें अनेक प्रकार से मनुष्यों में परमेश्वर का वचन सुनाने योग्य किया है।

सारे ज्ञान में

परमेश्वर ने तुम्हें उसका सन्देश अनेक प्रकार से समझने योग्य किया है।

कि मसीह की गवाही तुम में पक्की निकले

“मसीह का सन्देश”

पक्की निकली

वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे जीवन स्पष्ट रूप से बदल गए”

1 Corinthians 1:7

यहां तक कि

“परिणाम स्वरूप”

किसी वरदान की तुम्हें घटी नहीं

“तुम्हारे पास हर एक आत्मिक वरदान है”।

हमारे प्रभु यीशु के प्रगट होने

संभावित अर्थ हैं 1) “जिस समय परमेश्वर मसीह यीशु को प्रगट करेगा” या 2) “जिस समय हमारा प्रभु यीशु मसीह प्रकट होगा”।

निर्दोष ठहरो

“तुम्हें दोषी ठहराने का परमेश्वर के पास कोई कारण न हो”।

जिसने तुमको.... मसीह की संगति में बुलाया है

परमेश्वर ने तुम्हें अपने पुत्र, मसीह यीशु की संगति में बुलाया है

1 Corinthians 1:10

तुम सब एक ही बात करो

“कि तुम परस्पर सामंजस्य में रहो”

तुम में फूट न हो

“कि तुम में विभाजन न हो”

एक ही मन और एक ही मत में मिले रहो

“एकता में”

खलोए के घराने के लोगों

परिवार के सदस्य, खलोए के कुटुम्ब के दास आदि सब, उनकी मुखिया एक स्त्री है।

तुम में झगड़े हो रहे हैं।

“तुम लोग अलग-अलग गुट बनाकर झगड़ते हो”

1 Corinthians 1:12

तुम में से कोई तो.... कहता है

पौलुस विभाजन की एक सामान्य मानसिकता व्यक्त कर रहा है

क्या मसीह बंट गया

पौलुस तथ्य पर बल दे रहा है कि मसीह विभाजित नहीं है वह एक है। “तुम जैसा व्यवहार करते हो उसके अनुसार मसीह को भी विभाजित करना संभव नहीं है”।

क्या पौलुस तुम्हारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया?

पौलुस इस तथ्य पर बल देना चाहता है कि न पौलुस न अपुल्लोस क्रूस पर चढ़ाया गया, मसीह ही था जो क्रूस पर चढ़ाया गया। "उन्होंने तुम्हारे उद्धार के लिए पौलुस को क्रूस की मृत्यु नहीं दी थी।"

क्या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?

पौलुस इस बात पर बल देता है कि हम सब ने मसीह के नाम में बपतिस्मा पाया है। "तुम्हे पौलुस के नाम में बपतिस्मा नहीं दिया गया है।"

1 Corinthians 1:14

मै परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ

पौलुस कुछ बड़ा चड़ा कर ही कह रहा है कि वह अत्यधिक आभारी है कि उसने कुरिन्थ की कलीसिया में अधिक लोगों को बपतिस्मा नहीं दिया।

क्रिस्पुस

वह यहूदी आराधनालय का सरदार था जिसने मसीह को ग्रहण कर लिया था।

गयुस

वह पौलुस के साथ यात्रा करके आया था।

कहीं ऐसा न हो, कि कोई कहे, कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला।

"मैने अधिक लोगों को बपतिस्मा देने से अपने आप को रोका क्योंकि मैं डरता था कि वे आगे चलकर घमंड से कहे कि मैने उन्हें बपतिस्मा दिया था।"

स्तिफनास के घराने

स्तिफनास के घराने का अभिप्राय है, उसके परिवार के सदस्य और उसके दास

1 Corinthians 1:17

मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं... भेजा है।

इसका अर्थ है कि बपतिस्मा देना पौलुस की मसीही सेवा का मुख्य लक्ष्य नहीं था।

शब्दों के ज्ञान के अनुसार

"केवल मानवीय ज्ञान के शब्द"

ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे

वैकल्पिक अनुवाद: "मानवीय ज्ञान मसीह के क्रूस को सामर्थ्य से वंचित न कर दे।"

1 Corinthians 1:18

क्रूस की कथा

"मसीह के क्रूसीकरण का प्रचार" या "मसीह की क्रूस पर मृत्यु के बारे में संदेश"(यू.डी.बी.)

मूर्खता है

"निर्बुद्धि" या "मतिहीन"

नाश होने वालों के निकट

नाश होने वालों के निकट - "नाश" का अर्थ है आत्मिक मृत्यु"

परमेश्वर की सामर्थ है

"परमेश्वर हम में सामर्थ्य का काम कर रहा है"

ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा

ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा - वैकल्पिक अनुवाद: "ज्ञानवानों को उलझन में डाल दूंगा" या "बुद्धिमानों की योजना को पूर्णत: व्यर्थ कर दूंगा"

1 Corinthians 1:20

कहा रहा ज्ञानवान? कहा रहा शास्त्री?कहा रहा इस संसार का विवादी?

पौलुस इस बात पर बल दे रहा है कि सच्चे ज्ञानवान मनुष्य कही नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: सुसमाचार की तुलना में कोई भी मनुष्य, ज्ञानवान नहीं है, चाहे कोई विद्वान हो या विवाद करने वाला हो।

शास्त्री

वह व्यक्ति जिसने बहुत अधिक अध्ययन किया हो

विवादी

वह व्यक्ति जो अपने ज्ञान के आधार पर विवद करता है या जो विवाद करने में दक्ष हो

क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?

पौलुस इस प्रश्न द्वारा बल देना चाहता है कि परमेश्वर ने इस संसार के ज्ञान का क्या कर दिया है। वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने निश्चय ही इस संसार के ज्ञान को मुर्खता ठहरा दिया है" या "परमेश्वर उस संदेश से प्रसन्न हुआ जिसे उन लोगो ने मुर्खता समझा था"(यू.डी.बी.)

विश्वास करनेवालों

इसके संभावित अर्थ है 1) "वे सब जो विश्वास करते है" (UDB) या 2) "जो उस मे विश्वास करते है"

1 Corinthians 1:22

हम... प्रचार करते है

यहाँ "हम" शब्द का अर्थ है पौलुस और अन्य सुसमाचार प्रचारक।

क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का

"मसीह के बारे में जो क्रूस पर मर गया था"(यू.डी.बी.)

ठोकर का कारण

ठीक वैसे ही जैसे मनुष्य मार्ग में किसी पत्थर से ठोकर खाता है, यहूदियों के लिए क्रूस पर चढ़ाये गए मसीह के द्वारा उद्धार का संदेश भी ठोकर का कारण है। वैकल्पिक अनुवाद: "अस्वीकार्य" या "रोषकारी"।

1 Corinthians 1:24

जो बुलाए हुए हैं

“जिन्हें परमेश्वर ने बुलाया”

हम मसीह का प्रचार करते हैं

वैकल्पिक अनुवाद: “हम मसीह की शिक्षा देते हैं “ या “हम मनुष्यों में मसीह का सन्देश सुनाते हैं”।

मसीह परमेश्वर की सामर्थ और परमेश्वर का ज्ञान है

“मसीह ही है जिसके द्वारा परमेश्वर अपना सामर्थ्य और ज्ञान प्रकट करता है”

परमेश्वर की मूर्खता.... परमेश्वर की निर्बलता

यह परमेश्वर के स्वभाव और मनुष्य के स्वभाव में अन्तर है। यद्यपि परमेश्वर मूर्खता करे या दुर्बलता दिखाए तौभी वह मनुष्य के सर्वोत्तम स्वभाव से कहीं अधिक श्रेष्ठ होगी।

1 Corinthians 1:26

अपने बुलाए जाने को

“परमेश्वर ने तुम्हें पवित्र जन होने के लिए कैसे बुलाया है”

न बहुत.... बुलाए गए हैं

“तुम में बहुत ही कम”

शरीर के अनुसार

“मनुष्यों के विचार में” या “भलाई के विषय में मनुष्यों की समझ के अनुसार”

कुलीन

“परिवार के महत्वपूर्ण होने” या “राजसी” होने के द्वारा

परमेश्वर ने मूर्खों को चुन लिया कि ज्ञानवालों को लज्जित करें

परमेश्वर ने उन दीन जनों को चुन लिया जिन्हें यहूदी नगण्य मानते थे कि परमेश्वर की दृष्टि में उन जनमान्य अगुओं का महत्व नगण्य ठहरे।

परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे

यह पिछले वाक्य के विचार को दूसरे शब्दों में व्यक्त करना है।

1 Corinthians 1:28

नीचों और तुच्छों

संसार के परित्यक्त जन, वैकल्पिक अनुवाद: “दीन एवं त्यागे हुए लोग”

वरन जो है भी नहीं

“जिन्हें मनुष्य अमान्य समझता है” (देखें:Active/Passive)

व्यर्थ ठहराए

“उनका महत्व समाप्त कर दे”

जो हैं

“जिन्हें मनुष्य मूल्यवान मानता है” या “जिन्हें मनुष्य खरीदने योग्य या सम्मान के योग्य समझता है”

चुन लिया

“परमेश्वर ने चुन लिया”

1 Corinthians 1:30

परमेश्वर की ओर से

अर्थात क्रूस पर मसीह का कार्य

हमारे लिए

“हमारे” में पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को भी समाहित करता है।

तुम मसीह यीशु में हो

“तुम ने मसीह यीशु के द्वारा उद्धार पा लिया है”

मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से ज्ञान ठहरा।

“मसीह यीशु ने हम पर स्पष्ट प्रकट कर दिया कि परमेश्वर कितना बुद्धिमान है”। (यू.डी.बी.)

“जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे”

वैकल्पिक अनुवाद: “यदि कोई घमण्ड करे तो वह प्रभु की महानता पर घमण्ड करे”


Translation Questions

1 Corinthians 1:1

पौलुस को किसने बुलाया और किस काम के लिए बुलाया?

मसीह यीशु ने पौलुस को प्रेरित होने के लिए बुलाया था।

1 Corinthians 1:3

पौलुस कुरिन्थ नगर की कलीसिया के लिए पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह से क्या कामना करता है?

पौलुस कामना करता है कि हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से इस कलीसिया को अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।

1 Corinthians 1:5

परमेश्वर ने कुरिन्थ की कलीसिया को कैसा धनी बनाया है?

परमेश्वर ने उन्हें सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी बनाया है।

1 Corinthians 1:7

कुरिन्थ की कलीसिया में किस बात की घटी नहीं थी?

उन्हें किसी भी आत्मिक वरदान में घटी नहीं थी।

1 Corinthians 1:8

परमेश्वर कुरिन्थ की कलीसिया को अन्त तक दृढ़ क्यों करेगा?

वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।

1 Corinthians 1:10

पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्या अनुग्रह करता है?

पौलुस उनसे आग्रह करता है कि वे सब एक मन और एकमत होकर रहें और उनमें फूट न हो और एक चित्त तथा एक ही उद्देश्य के निमित्त संगठित होकर रहें।

1 Corinthians 1:11

खलोए के परिजनों ने कुरिन्थ की कलीसिया के बारे में पौलुस को क्या समाचार सुनाया था?

खलोए के घराने के लोगों ने पौलुस को समाचार दिया था कि उनमें झगड़े हो रहे थे।

1 Corinthians 1:12

फूट से पौलुस का क्या अर्थ था?

पौलुस के कहने का अर्थ था कि उनमें से कुछ लोग कहते थे कि वे पौलुस के दल के हैं; कुछ कहते थे कि वे अपुल्लोस के दल के हैं, तो कुछ कैफा के दल के तो कुछ मसीह के हैं।

1 Corinthians 1:14

पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद क्यों करता है कि उसने क्रिस्पुस और गयुस को छोड़ और किसी को बपतिस्मा नहीं दिया?

पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि ऐसा समय नहीं आया कि कोई कहे कि उसने पौलुस के नाम में बपतिस्मा लिया है।

1 Corinthians 1:17

मसीह ने पौलुस को वहां क्या करने भेजा था?

मसीह ने पौलुस को सुसमाचार सुनाने भेजा था।

1 Corinthians 1:18

नाश होने वालों के लिए क्रूस का सन्देश कैसा है?

क्रूस का सन्देश नाश होने वालों के लिए मूर्खता है।

उद्धार पाने वालों के लिए क्रूस का सन्देश क्या है?

यह उद्धार पाने वालों के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है।

1 Corinthians 1:20

परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को क्या बना दिया है?

परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को मूर्खता बना दिया है।

1 Corinthians 1:21

जो प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करते हैं उससे परमेश्वर क्यों प्रसन्न है?

परमेश्वर इससे प्रसन्न हुआ क्योंकि संसार ने अपने ज्ञान के कारण परमेश्वर को नहीं जाना।

1 Corinthians 1:26

शरीर के अनुसार ज्ञानवानों, सामर्थियों और कुलीन जनों में से कितनों को परमेश्वर ने बुलाया है?

परमेश्वर ने ऐसे अनेकों को नहीं बुलाया है।

1 Corinthians 1:27

परमेश्वर ने मूर्खों और निर्बलों को क्यों चुना?

परमेश्वर ने ऐसा इसलिये किया कि ज्ञानवान और बलवानों को लज्जित करे।

1 Corinthians 1:28

परमेश्वर ने ऐसा क्या किया कि उसके समक्ष किसी के पास गर्व करने का कारण न हो?

परमेश्वर ने नीचों और तुच्छों को वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया।

1 Corinthians 1:30

विश्वासी मसीह में क्यों थे?

वे मसीह में थे क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा किया।

मसीह यीशु हमारे लिए क्या बन गया?

मसीह परमेश्वर की ओर से हमारे लिए ज्ञान ठहरा अर्थात धार्मिकता, और पवित्रता और छुटकारा।

1 Corinthians 1:31

यदि हम घमण्ड करें तो किसमें घमण्ड करें?

जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।


Chapter 2

1 हे भाइयों, जब मैं परमेश्‍वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 2 क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन् क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ।

3 और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 4 और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभानेवाली बातें नहीं*; परन्तु आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था, 5 इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की सामर्थ्य पर निर्भर हो।

6 फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं; 7 परन्तु हम परमेश्‍वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्‍वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया।

8 जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। (प्रेरि. 13:27) 9 परन्तु जैसा लिखा है,

     “जो आँख ने नहीं देखी*,

     और कान ने नहीं सुनी,

     और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं,

     जो परमेश्‍वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।” (यशा. 64:4)

10 परन्तु परमेश्‍वर ने उनको अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है। 11 मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है? वैसे ही परमेश्‍वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्‍वर का आत्मा। (नीति. 20:27)

12 परन्तु हमने संसार की आत्मा* नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्‍वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्‍वर ने हमें दी हैं। 13 जिनको हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु पवित्र आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मा, आत्मिक ज्ञान से आत्मिक बातों की व्याख्या करती है।

14 परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है। 15 आत्मिक* जन सब कुछ जाँचता है, परन्तु वह आप किसी से जाँचा नहीं जाता।

    16 “क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखाए?”

परन्तु हम में मसीह का मन है। (यशा. 40:13)



1 Corinthians 2:1

शब्दों के ज्ञान की उत्तमता के साथ

“विवश कराने वाले उत्तम शब्दों के साथ नहीं”

और किसी बात को न जानूं

पौलुस का मुख्य विचार मानवीय ज्ञान की अपेक्षा मसीह के क्रूसीकरण पर था। “और किसी बात को न जानूं” अर्थात संपूर्ण एकाग्रता मसीह पर ही

1 Corinthians 2:3

तुम्हारे साथ रहा

“जब तुम्हारे मध्य रहा”

निर्बलता

संभावित अर्थ हैं 1) “शारीरिक दुर्बलता”(देखें यू.डी.बी.), 2) “अपूर्ण शक्ति के बोध के साथ”

लुभानेवाली बातें

आश्वस्त कराने वाली या मनुष्य को कुछ करने या विश्वास करने के लिए विवश करने वाली बातें।

मेरे वचन और मेरे प्रचार

पौलुस का प्रचार और शुभ सन्देश

1 Corinthians 2:6

ज्ञान सुनाते हैं

“ज्ञान की बातें सुनाते है”

सिद्ध लोगों में

वैकल्पिक अनुवाद:“परिपक्व विश्वासियों में”

हमारी महिमा के लिए

“हमारी भावी महिमा सुनिश्चित करने के लिए”

1 Corinthians 2:8

तेजोमय प्रभु

“यीशु महिमामय प्रभु”

आंखों ने नहीं देखी और कान ने नहीं सुनी, ...चित्त में नहीं चढ़ी।

यहाँ मनुष्यत्व की इन तीन ईन्द्रीयों पर बल देने का अभिप्राय यह है कि कोई भी मनुष्य परमेश्वर द्वारा तैयार की गई बातों को कभी समझ नहीं पाया है।

परमेश्वर ने अपने प्रेम करनेवालों के लिए जिन बातों को तैयार किया है।

परमेश्वर ने अपने प्रेमियों के लिए स्वर्ग में अद्भुत आश्चर्य की बातें रखी है

1 Corinthians 2:10

उन को

यीशु और उसके क्रूस के सत्य

कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा?

पौलुस इस प्रश्न द्वारा इस तथ्य पर बल दे रहा है कि विचार करनेवाले को छोड़ और कोई उसके विचार नहीं जान सकता है या मनुष्य की अपनी आत्मा के अतिरिक्त कोई नहीं जो उसके विचारों को जान पाए”।

केवल मनुष्य की आत्मा

ध्यान दें, “आत्मा” मनुष्य की अशुद्ध एवं दुष्ट आत्मा का संदर्भ है जो परमेश्वर के आत्मा से भिन्न है।

1 Corinthians 2:12

परन्तु हम

“हम” अर्थात पौलुस एवं उसके पाठक

परमेश्वर की ओर से है

“परमेश्वर ने हमें बिना मोल दिया है” या “परमेश्वर ने हमें मुझ में दिया है”।

आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिलाकर सुनाते हैं

पवित्र आत्मा अपने ही शब्दों में मिलकर विश्वासी तक परमेश्वर का सत्य पहुंचाता है और उन्हें अपना ज्ञान प्रदान करता है।

1 Corinthians 2:14

शारीरिक मनुष्य

अविश्वासी मनुष्य जिसने आत्मा नहीं पाया है

उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है

“क्योंकि इन बातों को स्वीकरण आत्मा की सहायता की आवश्यकता है”।

आत्मिक जन

वैकल्पिक अनुवाद: “आत्मा पाया हुआ विश्वासी”

प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए

प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए पौलुस इस प्रश्न के द्वारा इस तथ्य पर बल दे रहा है कि प्रभु का मन किसी ने नहीं जाना है? वैकल्पिक अनुवाद:“प्रभु का मन कोई नहीं जान सकता। अतः कोई उसे ऐसी बात नहीं सिखा सकता जो वह पहले से नहीं जानता है”।


Translation Questions

1 Corinthians 2:1

परमेश्वर के सत्य के भेद को सुनाने के लिए पौलुस किस क्षमता में कुरिन्थ आया था?

पौलुस परमेश्वर का भेद सुनाने के लिए शब्दों और ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया था।

1 Corinthians 2:2

भण्डारियों के लिए एक अनिवार्यता क्या है?

भण्डारियों को विश्वास योग्य होना चाहिये।

1 Corinthians 2:4

पौलुस के वचन और उसका प्रचार ज्ञान के द्वारा प्रेरित करने की अपेक्षा आत्मा और सामर्थ्य पर निर्भर क्यों था?

यह इसलिए कि उनका विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं परन्तु परमेश्वर के सामर्थ्य पर निर्भर हो।

1 Corinthians 2:7

पौलुस और उसके साथियों ने कौन सा ज्ञान बताया था?

उन्होंने गुप्त सत्यों में निहित परमेश्वर के ज्ञान को भेद की नीति पर बताया। गुप्त ज्ञान जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।

1 Corinthians 2:8

यदि पौलुस के युग के हाकिम परमेश्वर के उस ज्ञान को जानते तो वे क्या नहीं करते?

यदि हाकिम उस ज्ञान को जान पाते तो वे तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।

1 Corinthians 2:10

पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर के उस ज्ञान को कैसे पाया था?

परमेश्वर ने आत्मा के द्वारा उन पर यह प्रकट किया था।

1 Corinthians 2:11

परमेश्वर की गूढ़ बातें कौन जांचता है?

आत्मा परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।

1 Corinthians 2:12

पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर से आत्मा क्यों पाया था?

उन्होंने आत्मा पाया जो परमेश्वर की ओर से है जिससे कि वे उन बातों को समझें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।

1 Corinthians 2:14

शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण क्यों नहीं कर पाता है या समझ क्यों नहीं पाता है?

शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता है क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है।

1 Corinthians 2:16

पौलुस के अनुसार यीशु में विश्वास करने वालों में किसका मन है?

पौलुस कहता है कि उनमें मसीह का मन है।


Chapter 3

1 हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से परन्तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उनसे जो मसीह में बालक हैं। 2 मैंने तुम्हें दूध पिलाया*, अन्न न खिलाया; क्योंकि तुम उसको न खा सकते थे; वरन् अब तक भी नहीं खा सकते हो,

3 क्योंकि अब तक शारीरिक हो। इसलिए, कि जब तुम में ईर्ष्या और झगड़ा है, तो क्या तुम शारीरिक नहीं? और मनुष्य की रीति पर नहीं चलते? 4 इसलिए कि जब एक कहता है, “मैं पौलुस का हूँ,” और दूसरा, “मैं अपुल्लोस का हूँ,” तो क्या तुम मनुष्य नहीं?

5 अपुल्लोस कौन है? और पौलुस कौन है? केवल सेवक, जिनके द्वारा तुम लोगों ने विश्वास किया, जैसा हर एक को प्रभु ने दिया।

6 मैंने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्‍वर ने बढ़ाया। 7 इसलिए न तो लगानेवाला कुछ है, और न सींचनेवाला, परन्तु परमेश्‍वर जो बढ़ानेवाला है।

8 लगानेवाला और सींचनेवाला दोनों एक हैं; परन्तु हर एक व्यक्ति अपने ही परिश्रम के अनुसार अपनी ही मजदूरी पाएगा। 9 क्योंकि हम परमेश्‍वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्‍वर की खेती और परमेश्‍वर की रचना हो। 10 परमेश्‍वर के उस अनुग्रह के अनुसार, जो मुझे दिया गया, मैंने बुद्धिमान राजमिस्‍त्रि के समान नींव डाली, और दूसरा उस पर रद्दा रखता है। परन्तु हर एक मनुष्य चौकस रहे, कि वह उस पर कैसा रद्दा रखता है। 11 क्योंकि उस नींव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है, कोई दूसरी नींव नहीं डाल सकता। (यशा. 28:16)

12 और यदि कोई इस नींव पर सोना या चाँदी या बहुमूल्य पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखे, 13 तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा; क्योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिए कि आग के साथ प्रगट होगा और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है।

14 जिसका काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा। 15 और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो वह हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्तु जलते-जलते।

16 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्‍वर का मन्दिर हो, और परमेश्‍वर का आत्मा तुम में वास करता है? 17 यदि कोई परमेश्‍वर के मन्दिर को नाश करेगा तो परमेश्‍वर उसे नाश करेगा; क्योंकि परमेश्‍वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।

18 कोई अपने आप को धोखा न दे। यदि तुम में से कोई इस संसार में अपने आप को ज्ञानी समझे, तो मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाए। 19 क्योंकि इस संसार का ज्ञान परमेश्‍वर के निकट मूर्खता है, जैसा लिखा है,

     “वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फँसा देता है,” (अय्यू. 5:13)

20 और फिर, “प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है, कि व्यर्थ हैं।” (भज. 94:11)

21 इसलिए मनुष्यों पर कोई घमण्ड न करे, क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है। 22 क्या पौलुस, क्या अपुल्लोस, क्या कैफा, क्या जगत, क्या जीवन, क्या मरण, क्या वर्तमान, क्या भविष्य, सब कुछ तुम्हारा है, 23 और तुम मसीह के हो, और मसीह परमेश्‍वर का है।



1 Corinthians 3:1

आत्मिक लोगों से

आत्मा के सामर्थ्य से पूर्ण लोगों से

शारीरिक लोगों से

अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलने वालों में से

मसीह में बालक है

कुरिन्थ के विश्वासियों की उन बालकों से तुलना की गई है जो आयु में बहुत कम और अबोध हैं, जैसे मसीह में बहुत कम आयु के विश्वासी।

मैंने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न खिलाया

कुरिन्थ के विश्वासी नवजात शिशुओं के सदृश्य केवल दूध जैसे सत्य ही को ग्रहण कर सकते थे। वे विकसित बालकों की नाई ठोस आहार सदृश्य सत्य को अन्तर्ग्रहण नहीं कर सकते थे।

नहीं खा सकते हो

“तुम मसीह के अनुसरण की कठिन बातों को ग्रहण करने योग्य नहीं हो”

1 Corinthians 3:3

अब तब शारीरिक थे

अब तब पापी या सांसारिक अभिलाषाओं के दास हो

क्या तुम शारीरिक नहीं?

पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को उनकी पापी प्रकृति के लिए झिड़कता है। “तुम अपने पापी स्वभाव के अनुसार जीवन जी रहे हो”।

क्या मनुष्य की रीति पर नहीं चलते?

पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को मानवीय मानकों के अनुसार जीवन निर्वाह हेतु झिड़कता है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम मानवीय मानकों पर जीवन आचरण रखते हो”।

क्या तुम मनुष्य नहीं?

पौलुस उन्हें पवित्र आत्मा रहित मनुष्यों का सा जीवन जीने के लिए झिड़कता है।

अपुल्लोस क्या है? और पौलुस क्या है?

पौलुस जिस बात पर बल दे रहा है, वह है कि वह और अपुल्लोस सुसमाचार के मूल स्रोत नहीं हैं, अतः विश्वासियों के प्रचारक समूहों को सुसमाचार का स्रोत न बनाए। वैकल्पिक अनुवाद:"यह उचित नहीं कि विश्वासी पौलुस या अपुल्लोस के कारण अलग-अलग दल बनाकर सुसमाचार को विभाजित करे"

केवल सेवक जिनके द्वारा तुम ने विश्वास किया

पौलुस स्वयं ही अपने प्रश्न का उत्तर देता है कि वे दोनों ही परमेश्वर के सेवक हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम ने पौलुस और अपुल्लोस की शिक्षाओं द्वारा शुभ सन्देश में विश्वास किया है”।

जैसा हर एक को प्रभु ने दिया

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने पौलुस को और अपुल्लोस को अपना-अपना काम दिया है”।

1 Corinthians 3:6

मैंने लगाया

परमेश्वर के ज्ञान की तुलना एक बीज से की गई है, जिसे विकसित होने के लिए बोना आवश्यक है।

सींचा

जैसे बीज को विकसित होने के लिए पानी की आवश्यकता होती है वैसे ही विश्वास की उन्नति करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है।

बढ़ाया

जिस प्रकार पौधे विकसित होकर बढ़ते हैं उसी प्रकार विश्वास और परमेश्वर का ज्ञान विकसित होकर गहरा और अधिक दृढ़ होता है।

इसलिए न तो लगानेवाला कुछ है... परमेश्वर ही सब कुछ है जो बढ़ानेवाला है।

पौलुस बल देकर कह रहा है कि विश्वासियों के आत्मिक विकास के लिए न तो उस और न ही अप्पुलोस को श्रेय जाता है परन्तु केवल परमेश्वर ही का कार्य है।

1 Corinthians 3:8

लगानेवाला और सींचनेवाला दोनों एक हैं

लगाए और सींचना दोनों एक ही काम हैं जिसकी तुलना पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया में मसीह सेवा निमित्त उसके और अप्पुलोस के कामों से करता है।

हर एक व्यक्ति अपने ही परिणाम के अनुसार अपनी मजदूरी पाएगा।

मजदूर की मजदूरी उसके काम के अनुसार दी जाती है।

हमें

पौलुस और अप्पुलोस, कुरिन्थ की कलीसिया नहीं

परमेश्वर के सहकर्मी हैं

परमेश्वर के सहकर्मी हैं पौलुस अप्पुलोस को और स्वयं को परमेश्वर का सहकर्मी मानता है साथ काम करने वाले।

परमेश्वरी की खेती

परमेश्वर कुरिन्थ की कलीसिया की बागवानी करता है जैसे मनुष्य बगीचे की बागवानी करके उसे फल देने योग्य बनाते हैं।

परमेश्वर की रचना ही

परमेश्वर ने कुरिन्थ की कलीसिया को रूप देकर रचा है जैसे मनुष्य एक भवन का निर्माण करता है

1 Corinthians 3:10

परमेश्वर के इस अनुग्रह के अनुसार जो मुझे दिया गया

“उस दायित्व के अनुसार जो परमेश्वर ने मुझे अनुग्रह करके दिया”।

मैंने....नींव डाली

पौलुस विश्वास और मसीह यीशु में उद्धार की अपनी शिक्षा की तुलना एक भवन की नींव डालने से करता है।

दूसरा उस पर रद्दा रखता है

दूसरा प्रचारक इन विश्वासियों को आत्मिक सहायता प्रदान करते हुए कलीसिया में सुसमाचार प्रचार का निर्माण ही करता है।

हर एक मनुष्य

सामान्य रूप में परमेश्वर के सेवक। वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर की सेवा करनेवाला हर एक मनुष्य”

उस नींव को छोड़ जो पड़ी है

नींव पर निर्माण हो जाने के बाद वह बदली नहीं जा सकती है। यहां मसीह रूपी नींव पर कुरिन्थ की कलीसिया का निर्माण जो पौलुस द्वारा किया गया है। “मुझ पौलुस ने जो नींव डाली उसके अतिरिक्त”

1 Corinthians 3:12

कोई इस नींव पर सोना या चांदी या बहुमूल्य पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखे।

किसी भवन का नवनिर्माण सामग्री की तुलना उन आत्मिक बातो से की जा रही है जिनके द्वारा मनुष्य के संपूर्ण जीवन का व्यवहार एवं कार्य ढाले जाते हैं। “मनुष्य बहुमूल्य स्थाई सामग्री काम में लेता है या घटिया ज्वलनशील सामग्री काम में लेता है”

बहुमूल्य पत्थर

“मूल्यवान पत्थर”

हर एक काम प्रकट हो जाएगा क्योंकि वह दिन उसे बताएगा।

“जिस प्रकार दिन का प्रकाश निर्माण में काम करने वाले के परिश्रम को प्रकट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की उपस्थिति का प्रकाश मनुष्य के परिश्रम एवं कार्य की गुणवत्ता को प्रकट करेगा। “दिन का प्रकाश उसके काम की गुणवत्ता को प्रकट करेगा”।

आग हर एक के कामों की गुणवत्ता प्रकट करेगी।

“जिस प्रकार दिन का प्रकाश निर्माण में काम करने वाले के परिश्रम को प्रकट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की उपस्थिति का प्रकाश मनुष्य के परिश्रम एवं कार्य की गुणवत्ता को प्रकट करेगा।वैकल्पिक अनुवाद “दिन का प्रकाश उसके काम की गुणवत्ता को प्रकट करेगा”।

1 Corinthians 3:14

स्थिर रहेगा

“नष्ट न होगा” या “ज्यों का त्यों रहेगा”। (यू.डी.बी.)

किसी का काम जल जाएगा

“यदि आग किसी का काम भस्म कर देगी” या “किसी का काम आग में जल कर नष्ट हो गया”

“किसी का”, “वह” “वह आप”

ये शब्द उस मनुष्य से संदर्भित है जो सेवा करता है, वैकल्पिक अनुवाद “वह व्यक्ति” या “वह”(यू.डी.बी.)

वह हानि उठाएगा पर वह आप बच जाएगा

“वह उस काम से वंचित हो जाएगा और उस प्रतिफल से भी जो अग्नि परीक्षा के बाद उसके काम के स्थिर रहने पर उसे मिलता, परन्तु परमेश्वर उसे बचा लेगा”

1 Corinthians 3:16

क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है।

वैकल्पिक अनुवाद: “तुम परमेश्वर का मन्दिर हो और परमेश्वर की आत्मा तुम में वास करता है”।

नष्ट करेगा

“नष्ट करेगा” या “क्षतिग्रस्त करेगा”

परमेश्वर उसका नाश करेगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और वह तुम हो।

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर उसका सर्वनाश करेगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और तुम भी पवित्र हो”।

1 Corinthians 3:18

कोई अपने आप को धोखा न दे

कोई इस भ्रम में न रहे कि वही इस संसार में बुद्धिमान है

इस संसार में

“इस समय”

मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाए

“वह इस संसार द्वारा निर्धारित मूर्खता का अपनाए कि परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करे”।

"वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फंसा देता है"

“वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फंसा देता है और उन्हीं की योजनाओं को उनके लिए जाल बना देता है।

प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है।

वैकल्पिक अनुवाद: “जो सोचते हैं कि वे बुद्धिमान है परन्तु परमेश्वर उनकी योजनाओं को जानता है”। या “परमेश्वर बुद्धिमानों की सब योजनाओं को सुनता है”। (यू.डी.बी.)

व्यर्थ हैं

“व्यर्थ”, वैकल्पिक अनुवाद: “निकम्मी”, या “निरर्थक”

1 Corinthians 3:21

मनुष्यों पर कोई घमण्ड न करे

पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को निर्देश दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “घमण्ड करना छोड़ दो कि हमारा अगुआ दूसरे से अधिक ज्ञानी है”।

घमण्ड

“अत्यधिक गर्व करना” कुरिन्थ की कलीसिया में विभाजित दल मसीह यीशु की उपासना की अपेक्षा अपने नायकों पर गर्व करते थे।

तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है

“तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है”


Translation Questions

1 Corinthians 3:1

पौलुस क्यों कहता है कि वह कुरिन्थ के विश्वासियों के साथ आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था?

पौलुस उनसे आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था क्योंकि वे शारीरिक थे, उनमें डाह और झगड़े थे।

1 Corinthians 3:5

पौलुस कौन था और अपुल्लोस कौन था?

जिनके माध्यम से कुरिन्थ की कलीसिया ने मसीह में विश्वास किया वे परमेश्वर के सहकर्मी और सेवक थे।

1 Corinthians 3:7

बढ़ाने वाला कौन है?

परमेश्वर बढ़ाता है।

1 Corinthians 3:11

नींव क्या है?

मसीह यीशु नींव है।

1 Corinthians 3:12

नींव जो मसीह यीशु है उस पर निर्माण करने वाले के कामों का क्या होगा?

उसके काम दिन के प्रकाश में और आग से प्रकट होंगे।

1 Corinthians 3:13

मनुष्य के काम को आग क्या करेगी?

आग हर एक के कामों की गुणकारिता प्रकट करेगी।

1 Corinthians 3:14

किसी का काम आग में से बच कर निकले तो क्या होगा?

वह प्रतिफल पायेगा।

1 Corinthians 3:15

जिस मनुष्य के काम आग में भस्म हो जायेंगे उसका क्या होगा?

वह मनुष्य हानि तो उठाएगा पर वह आप बच जायेगा परन्तु जलते-जलते।

1 Corinthians 3:16

हम, मसीह के विश्वासी क्या है और हम में कौन अन्तर्वास करता है?

हम परमेश्वर के मन्दिर हैं और परमेश्वर का आत्मा हममें वास करता है।

1 Corinthians 3:17

परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वाले का क्या होगा?

परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वालों को परमेश्वर नष्ट करेगा।

1 Corinthians 3:18

जो इस युग में स्वयं को ज्ञानवान समझता है उससे पौलुस क्या कहता है?

पौलुस कहता है, मनुष्य ".....मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाये।"

1 Corinthians 3:20

प्रभु ज्ञानियों के विचारों को क्या समझता है?

प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है कि वे व्यर्थ हैं।

1 Corinthians 3:21

पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहता है कि वे घमण्ड करना त्याग दें?

उसने उनसे कहा कि घमण्ड करना छोड़ दें, "क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है" क्योंकि "तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है"।


Chapter 4

1 मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्‍वर के भेदों के भण्डारी समझे। 2 फिर यहाँ भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वासयोग्य निकले।

3 परन्तु मेरी दृष्टि में यह बहुत छोटी बात है, कि तुम या मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे, वरन् मैं आप ही अपने आप को नहीं परखता। 4 क्योंकि मेरा मन मुझे किसी बात में दोषी नहीं ठहराता, परन्तु इससे मैं निर्दोष नहीं ठहरता, क्योंकि मेरा परखनेवाला प्रभु है। (भज. 19:12)

5 इसलिए जब तक प्रभु न आए, समय से पहले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अंधकार की छिपी बातें* ज्योति में दिखाएगा, और मनों के उद्देश्यों को प्रगट करेगा, तब परमेश्‍वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।

6 हे भाइयों, मैंने इन बातों में तुम्हारे लिये अपनी और अपुल्लोस की चर्चा दृष्टान्त की रीति पर की है, इसलिए कि तुम हमारे द्वारा यह सीखो,

     कि लिखे हुए से आगे न बढ़ना,

और एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना। 7 क्योंकि तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्या है जो तूने (दूसरे से) नहीं पाया और जब कि तूने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है, कि मानो नहीं पाया?

8 तुम तो तृप्त हो चुके; तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया; परन्तु भला होता कि तुम राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते। 9 मेरी समझ में परमेश्‍वर ने हम प्रेरितों को सब के बाद उन लोगों के समान ठहराया है, जिनकी मृत्यु की आज्ञा हो चुकी हो; क्योंकि हम जगत और स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिये एक तमाशा ठहरे हैं।

10 हम मसीह के लिये मूर्ख है*; परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो; हम निर्बल हैं परन्तु तुम बलवान हो। तुम आदर पाते हो, परन्तु हम निरादर होते हैं। 11 हम इस घड़ी तक भूखे-प्यासे और नंगे हैं, और घूसे खाते हैं और मारे-मारे फिरते हैं;

12 और अपने ही हाथों के काम करके परिश्रम करते हैं। लोग बुरा कहते हैं, हम आशीष देते हैं; वे सताते हैं, हम सहते हैं। 13 वे बदनाम करते हैं, हम विनती करते हैं हम आज तक जगत के कूड़े और सब वस्तुओं की खुरचन के समान ठहरे हैं। (विला. 3:45)

14 मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये ये बातें नहीं लिखता, परन्तु अपने प्रिय बालक जानकर तुम्हें चिताता हूँ। 15 क्योंकि यदि मसीह में तुम्हारे सिखानेवाले दस हजार भी होते, तो भी तुम्हारे पिता बहुत से नहीं, इसलिए कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा मैं तुम्हारा पिता हुआ। 16 इसलिए मैं तुम से विनती करता हूँ, कि मेरी जैसी चाल चलो।

17 इसलिए मैंने तीमुथियुस को जो प्रभु में मेरा प्रिय और विश्वासयोग्य पुत्र है, तुम्हारे पास भेजा है, और वह तुम्हें मसीह में मेरा चरित्र स्मरण कराएगा, जैसे कि मैं हर जगह हर एक कलीसिया में उपदेश करता हूँ। 18 कितने तो ऐसे फूल गए हैं, मानो मैं तुम्हारे पास आने ही का नहीं।

19 परन्तु प्रभु चाहे तो मैं तुम्हारे पास शीघ्र ही आऊँगा, और उन फूले हुओं की बातों को नहीं, परन्तु उनकी सामर्थ्य को जान लूँगा। 20 क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ्य में है। 21 तुम क्या चाहते हो? क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊँ या प्रेम और नम्रता की आत्मा के साथ?



1 Corinthians 4:1

(इस सम्बन्ध में)

वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि हम भण्डारी हैं”

भण्डारी में यह बात देखी जाती है कि

वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे लिए अनिवार्य है कि”

1 Corinthians 4:3

यह बहुत छोटी बात है कि तुम पर मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे

पौलुस मनुष्य के न्याय और परमेश्वर के न्याय में तुलना कर रहा है। परमेश्वर मनुष्य का न्याय करता है तब उसके सामने मनुष्य द्वारा किया गया न्याय कोई अर्थ नहीं रखता है।

मेरा मन मुझे किसी बात का दोषी नहीं ठहराता

वैकल्पिक अनुवाद: “मैंने अपने ऊपर कोई दोष लगाया गया नहीं सुना है”।

इससे मैं निर्दोष नहीं ठहरता, क्योंकि मेरा परखनेवाला प्रभु है।

दोष न होना मेरी निर्दोषिता को सिद्ध नहीं करता है। केवल प्रभु जानता है कि मैं निर्दोष हूं या दोषी।

1 Corinthians 4:5

इसलिए.... किसी बात का न्याय न करो

प्रभु जब आएगा तक वह न्याय करेगा, हमें न्याय करने की आवश्यकता नहीं है

जब तक प्रभु न आए

प्रभु के पुनः आगमन तक

मनों के अभिप्रायों को

“मनुष्यों के आन्तरिक उद्देश्यों को”

वही अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखायेगा और मनों के अभिप्रायों को प्रगट करेगा।

परमेश्वर मनुष्य के मन के विचार और उद्देश्यों को सामने लाएगा। प्रभु के समक्ष कुछ भी छिपा नहीं है।

1 Corinthians 4:6

तुम्हारे कारण

”तुम्हारे लाभ के लिए“

लिखे हुए से आगे न बढ़ना

“धर्मशास्त्र में जो लिखा है उसके विपरीत कुछ न करना”

एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना

पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को झिड़क रहा है क्योंकि वे सोचते थे कि पौलुस या अप्पुलोस द्वारा शुभ सन्देश सुनने के कारण वे दूसरों से अधिक अच्छे हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम अन्य मनुष्यों से श्रेष्ठ नहीं”।

तेरे पास क्या है, जो तूने (दूसरे से) नहीं पाया?

पौलुस बल देकर कहता है कि उनके पास जो है वह परमेश्वर ने उन्हें अनर्जित दिया है, वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह परमेश्वर ने तुम्हें दिया है”

तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानो नहीं पाया?

पौलुस उन्हें झिड़क रहा है कि क्योंकि वे अपनी सम्पदा पर घमण्ड करते थे, “तुम्हें घमण्ड करने का अधिकार नहीं है” या “घमण्ड कभी नहीं करना”

1 Corinthians 4:8

हो चुके

पौलुस उपहास द्वारा अपनी बात समझाता है

परमेश्वर ने हम प्रेरितों को... एक तमाशा ठहरे

परमेश्वर ने हम प्रेरितों को.... एक तमाशा ठहरे परमेश्वर दो प्रकार से व्यक्त करता है कि परमेश्वर ने संसार में प्रेरितों का प्रदर्शन कैसे किया।

तमाशा ठहरे हैं

रोमी सैनिक जुलूस के अन्त में बन्दियों को मृत्युदण्ड से पूर्व अपमानित किया जाता था वैसे ही परमेश्वर ने प्रेरितों के साथ किया है।

उन लोगों के समान.... जिनकी मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है

परमेश्वर ने प्रेरितों को मृत्युदण्ड प्राप्त मनुष्यों के सदृश्य प्रदर्शन में रख दिया है।

स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिए

अलौकिक और लौकिक दोनों के लिए

1 Corinthians 4:10

हम मसीह के लिए मूर्ख हैं, परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो

पौलुस संसारिक दृष्टिकोण और मसीह में विश्वास के मसीही दृष्टिकोण में विषमता दर्शाता है।

हम निर्बल है, परन्तु तुम बलवान हो

मसीह में विश्वास करने के दृष्टिकोण और संसारिक दृष्टिकोण की विषमता पौलुस प्रकट करता है

तुम आदर करते हो

“मनुष्य तुम कुरिन्थवासियों को सम्मान देते है”

हम निरादर होते हैं

“मनुष्य हम प्रेरितों का अनादर करते हैं”

हम इस घड़ी तक

वैकल्पिक अनुवाद: “अब तक” या “आज भी”

घूसे खाते हैं

वैकल्पिक अनुवाद: “हमें कठोरता से पीटा जाता है”

1 Corinthians 4:12

लोग हमें बुरा कहते हैं, हम आशीष देते हैं

“जब लोग हमारी निन्दा करते हैं तब हम उन्हें आशीर्वाद देते हैं”

बुरा

वैकल्पिक अनुवाद: “ठट्ठा” संभवतः “अपशब्द” या “कोसते हैं” (यू.डी.बी.)

जब वे सताते हैं

“जब मनुष्य हमें सताते हैं”

वे बदनाम करते हैं

“जब लोग अनुचित रूप से हमें बुरा करने वाला कहते हैं”

हम आज तक जगत का कूड़ा

हम आज तक जगत का कूड़ा “हम तो हो ही गए है और लोग हमें आज तक संसार का कूड़ा कहते है”।

1 Corinthians 4:17

अब

पौलुस उनके अभिमानी स्वभाव को झिड़कने पर ध्यान देता है

1 Corinthians 4:19

आऊंगा

“मैं तुम्हारे मध्य उपस्थित होऊंगा”

बातों में नहीं

वैकल्पिक अनुवाद: “शब्दों का जाल नहीं है” या “तुम्हारे कहने ही से नहीं है”। (यू.डी.बी.)

तुम क्या चाहते हो?

पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को उनकी चूक पर झिड़कते हुए अन्तिम बार आग्रह कर रहा है। “मुझे बताओ कि तुम अब क्या कहते हो कि किया जाए”।

क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊं या प्रेम और नम्रता की आत्मा के साथ

पौलुस उनसे कह रहा है कि जब उनके मध्य आए तो दो से एक व्यवहार करे। “क्या तुम चाहते हो कि जब मैं आऊं तो कठोरता के साथ शिक्षा दूं या तुम चाहते हो कि तुम से तुम्हारे साथ प्रेम का सा नम्रता का व्यवहार करूं”?

नम्रता की आत्मा

वैकल्पिक अनुवाद: “दया” या “कोमलता”


Translation Questions

1 Corinthians 4:1

पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को उन्हें क्या समझने को कहा?

वे उन्हें सेवक और परमेश्वर के भेद के भण्डारी समझें।

1 Corinthians 4:4

पौलुस किसे अपना न्यायकर्ता मानता है?

पौलुस कहता है कि प्रभु उसका न्याय करता है।

1 Corinthians 4:5

प्रभु आयेगा तब क्या करेगा?

वह अंधकार की बातों को प्रकाश में लाकर मन के उद्देश्यों को उजागर करेगा।

1 Corinthians 4:6

पौलुस ने स्वयं के लिए और अपुल्लोस के लिए इन सिद्धान्तों को लागू क्यों किया था?

पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों के लिए यह उदाहरण दिया कि वे उनसे सीखें कि लिखे हुए से आगे नहीं बढ़ना चाहिये, कि एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करें।

1 Corinthians 4:8

पौलुस ने ऐसी कामना क्यों की कि कुरिन्थ के विश्वासी राज्य करें?

पौलुस कहता है, "भला होता कि राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।"

1 Corinthians 4:10

पौलुस कौन सी तीन बातों में अपनी और अपने साथियों की तुलना कुरिन्थ की कलीसिया से करता है?

पौलुस कहता है, "हम मसीह के लिए मूर्ख हैं परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो, हम निर्बल हैं परन्तु तुम बलवान हो, तुम आदर पाते हो परन्तु हम निरादर होते हैं।"

1 Corinthians 4:11

पौलुस ने प्रेरितों की शारीरिक दशा का कैसे वर्णन किया?

पौलुस ने कहा कि वे भूखे, प्यासे और नंगे रहे, घूसे खाते रहे और मारे-मारे फिरते रहे।

1 Corinthians 4:12

पौलुस और उसके साथियों की प्रतिक्रिया दुर्व्यवहार में कैसी थी?

जब उनकी निन्दा की गई तो उन्होंने आशिष दी, उन्हें सताया गया तो उन्होंने सहन किया, उन्हें बदनाम किया गया तो उन्होंने विनती की।

1 Corinthians 4:14

पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को ये बातें क्यों लिखीं?

उसने उन्हें प्रिय बालकों की नाईं सुधारने के लिए यह पत्र लिखा।

1 Corinthians 4:16

पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को कैसी चाल चलने के लिए कहता है?

पौलुस उनसे कहता है कि उसकी सी चाल चलें।

1 Corinthians 4:17

पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ किस बात पर उन्हें स्मरण करवाने के लिए भेजा?

पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ भेजा कि उन्हें मसीह में पौलुस का जो चरित्र है उसका स्मरण कराए।

1 Corinthians 4:18

कुरिन्थ की कलीसिया के कुछ विश्वासियों का व्यवहार कैसा था?

उनमें से कुछ तो ऐसे घमण्डी हो गए थे कि मानो पौलुस वहाँ कभी नहीं जाएगा।

1 Corinthians 4:20

परमेश्वर का राज्य किसमें है?

परमेश्वर का राज्य सामर्थ्य में है।


Chapter 5

1 यहाँ तक सुनने में आता है, कि तुम में व्यभिचार होता है, वरन् ऐसा व्यभिचार जो अन्यजातियों में भी नहीं होता, कि एक पुरुष अपने पिता की पत्‍नी को रखता है। (लैव्य. 18:8, व्य. 22:30) 2 और तुम शोक तो नहीं करते, जिससे ऐसा काम करनेवाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता, परन्तु घमण्ड करते हो।

3 मैं तो शरीर के भाव से दूर था, परन्तु आत्मा के भाव से तुम्हारे साथ होकर, मानो उपस्थिति की दशा में ऐसे काम करनेवाले के विषय में न्याय कर चुका हूँ। 4 कि जब तुम, और मेरी आत्मा, हमारे प्रभु यीशु की सामर्थ्य के साथ इकट्ठे हों, तो ऐसा मनुष्य, हमारे प्रभु यीशु के नाम से। 5 शरीर के विनाश के लिये शैतान को सौंपा जाए, ताकि उसकी आत्मा प्रभु यीशु के दिन में उद्धार पाए।

6 तुम्हारा घमण्ड करना अच्छा नहीं; क्या तुम नहीं जानते, कि थोड़ा सा ख़मीर* पूरे गुँधे हुए आटे को ख़मीर कर देता है। 7 पुराना ख़मीर निकालकर, अपने आप को शुद्ध करो कि नया गूँधा हुआ आटा बन जाओ; ताकि तुम अख़मीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ है। 8 इसलिए आओ हम उत्सव में आनन्द मनायें, न तो पुराने ख़मीर से और न बुराई और दुष्टता के ख़मीर से, परन्तु सिधाई और सच्चाई की अख़मीरी रोटी से।

9 मैंने अपनी पत्री में तुम्हें लिखा है*, कि व्यभिचारियों की संगति न करना। 10 यह नहीं, कि तुम बिलकुल इस जगत के व्यभिचारियों, या लोभियों, या अंधेर करनेवालों, या मूर्तिपूजकों की संगति न करो; क्योंकि इस दशा में तो तुम्हें जगत में से निकल जाना ही पड़ता।

11 मेरा कहना यह है; कि यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या अंधेर करनेवाला हो, तो उसकी संगति मत करना; वरन् ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना। 12 क्योंकि मुझे बाहरवालों का न्याय करने से क्या काम*? क्या तुम भीतरवालों का न्याय नहीं करते? 13 परन्तु बाहरवालों का न्याय परमेश्‍वर करता है:

     इसलिए उस कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो।



1 Corinthians 5:1

अन्यजातियों में भी नहीं होता

“अन्यजाति लोग भी ऐसा व्यवहार स्वीकार नहीं करते हैं”।

रखता है

“यौन संबन्ध रखता है”

पिता की पत्नी

उसके पिता की पत्नी जो संभवतः उसकी माता नहीं है

तुम शोक तो नहीं करते

यह प्रभावोत्पादक प्रश्न उन्हें झिड़कने के लिए है, “इसकी अपेक्षा तुम्हें क्या शोक नहीं करना चाहिए”?

ऐसा काम करने वाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता।

“उसे तुम अपनी संगति से बहिष्कृत कर दो”

1 Corinthians 5:3

आत्मा के भाव से

पौलुस के मन में सदैव उनका विचार था। “मैं अपने विचारों में तुम्हारे मध्य था”।

ऐसे काम करनेवाले के विषय में यह आज्ञा दे चुका हूं

“मैंने उसे दोषी पाया है”

इकट्ठे हो

“सभा करें”

प्रभु यीशु की सामर्थ्य के साथ

मसीह यीशु की आराधना में एकत्र होने के लिए यह एक मुहावरा है।

शैतान को सौंपा जाए

उस मनुष्य को परमेश्वर के लोगों से अलग कर दिया जाए कि वह शैतान के राज्य में वास करे, कलीसिया के बाहर के संसार में।

शरीर के विनाश के लिए

कि वह रोग ग्रस्त हो जाए, परमेश्वर से पाप का दण्ड पाए।

1 Corinthians 5:6

क्या तुम नहीं जानते कि थोड़ा सा खमीर पूरे गूंधे हुए आटे को खमीर कर देता है?

जिस प्रकार कि थोड़ा सा खमीर पूरे गूंधे हुए आटे को खमीर कर देता है उसी प्रकार एक छोटा पाप भी संपूर्ण मसीही सहभागिता को दूषित कर देता है”।

बलिदान हुआ

“प्रभु परमेश्वर ने मसीह यीशु की बलि चढ़ाई”

हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ

जिस प्रकार फसह का मेमना इस्राएल के पापों को ढांप देता था विश्वास के द्वारा प्रतिवर्ष उसी प्रकार मसीह की मृत्यु मसीह में विश्वास करनेवालों के पाप अनन्तकाल के लिए ढांप देती है।

1 Corinthians 5:9

व्यभिचारियों

वे लोग जो मसीह में विश्वास का दावा करके ऐसी व्यवस्था करते हैं।

इस जगत के व्यभिचारियों

अविश्वासी जो अनैतिक जीवन जी रहें हैं।

लोभियों

“लालची लोग” या “दूसरों के पास जो है उसकी लालसा करते है”।

अन्धेर करनेवालों

अंधेर करने वालों अर्थात वे लोग जो पैसे या सम्पदा के लिए धोखा करते हैं।

पौलुस का अभिप्राय संसार के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें संसार से बाहर चले जाना होगा।

संसार में ऐसे व्यवहार से बचा कोई स्थान नहीं है, वैकल्पिक अनुवाद: “इससे बचने के लिए तुम्हें सब मनुष्यों से बचना होगा”

1 Corinthians 5:11

भाई कहला कर

जो स्वयं को मसीह का विश्वासी कहे

मुझे बाहर वालों का न्याय करने से क्या काम?

वैकल्पिक अनुवाद: “मैं कलीसिया से बाहर के मनुष्य का न्याय नहीं करता हूं”।

क्या तुम भीतरवालों का न्याय नहीं करते

“तुम्हें कलीसिया के सदस्यों का न्याय करना है”। (देखे: )


Translation Questions

1 Corinthians 5:1

पौलुस को कुरिन्थ की कलीसिया का क्या समाचार मिला था?

पौलुस को समाचार मिला था कि वहां व्यभिचार था, एक मनुष्य ने अपने पिता की पत्नी को रखा था।

1 Corinthians 5:2

पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले के लिए पौलुस ने क्या कहा?

उसने अपने पिता की पत्नी के साथ पाप किया उसे कलीसिया से निकाल दिया जाए।

1 Corinthians 5:4

पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले उस मनुष्य को कैसे और क्यों निकाला जाए?

जब कुरिन्थ की कलीसिया प्रभु यीशु के नाम में एकत्र हो तब वे उस पाप करने वाले मनुष्य को देह के विनाश हेतु शैतान को सौंप दें जिससे कि प्रभु के दिन के लिए उसकी आत्मा बच जाए।

1 Corinthians 5:8

दुष्कर्म और दुष्टता की तुलना पौलुस किससे करता है?

पौलुस उनकी तुलना खमीर से करता है।

पौलुस विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा किससे देता है?

पौलुस अखमीरी रोटी को विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा स्वरूप काम में लेता है।

1 Corinthians 5:9

पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को लिखा कि वे किसके साथ संबन्ध नहीं रखें?

पौलुस ने उन्हें लिखा कि व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें।

1 Corinthians 5:10

क्या पौलुस के कहने का अर्थ यह था कि वे संसार में व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें?

पौलुस का अभिप्राय संसार के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें संसार से बाहर चले जाना होगा।

??

पौलुस के कहने का अर्थ क्या था कि कुरिन्थ के विश्वासी किसकी संगति न करें।

1 Corinthians 5:12

विश्वासियों से न्याय करने की अपेक्षा क्यों की जाती है?

उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे कलीसिया के सदस्यों का न्याय करें।

1 Corinthians 5:13

कलीसिया से बाहर वालों का न्याय कौन करता है?

बाहर वालों का न्याय परमेश्वर करता है।


Chapter 6

1 क्या तुम में से किसी को यह साहस है, कि जब दूसरे के साथ झगड़ा* हो, तो फैसले के लिये अधर्मियों के पास जाए; और पवित्र लोगों के पास न जाए? 2 क्या तुम नहीं जानते, कि पवित्र लोग* जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हें जगत का न्याय करना है, तो क्या तुम छोटे से छोटे झगड़ों का भी निर्णय करने के योग्य नहीं? (दानि. 7:22) 3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? तो क्या सांसारिक बातों का निर्णय न करे?

4 यदि तुम्हें सांसारिक बातों का निर्णय करना हो, तो क्या उन्हीं को बैठाओगे जो कलीसिया में कुछ नहीं समझे जाते हैं? 5 मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ। क्या सचमुच तुम में से एक भी बुद्धिमान नहीं मिलता, जो अपने भाइयों का निर्णय कर सके? 6 वरन् भाई-भाई में मुकद्दमा होता है, और वह भी अविश्वासियों के सामने।

7 सचमुच तुम में बड़ा दोष तो यह है, कि आपस में मुकद्दमा करते हो। वरन् अन्याय क्यों नहीं सहते? अपनी हानि क्यों नहीं सहते? 8 वरन् अन्याय करते और हानि पहुँचाते हो, और वह भी भाइयों को।

9 क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी। 10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देनेवाले, न अंधेर करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस होंगे। 11 और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्‍वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।

12 सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुएँ लाभ की नहीं, सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित हैं, परन्तु मैं किसी बात के अधीन न हूँगा। 13 भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्तु परमेश्‍वर इसको और उसको दोनों को नाश करेगा, परन्तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन् प्रभु के लिये; और प्रभु देह के लिये है।

14 और परमेश्‍वर ने अपनी सामर्थ्य से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएगा। 15 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं? तो क्या मैं मसीह के अंग लेकर उन्हें वेश्या के अंग बनाऊँ? कदापि नहीं।

16 क्या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है क्योंकि लिखा है, “वे दोनों एक तन होंगे।” (मर. 10:8) 17 और जो प्रभु की संगति में रहता है*, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।

18 व्यभिचार से बचे रहो जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है।

19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है*; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्‍वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? 20 क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिए अपनी देह के द्वारा परमेश्‍वर की महिमा करो।



1 Corinthians 6:1

झगड़ा

वैकल्पिक अनुवाद: “मतभेद” या “विवाद”

अधर्मियों के पास

न्यायालय जहां न्यायाधीश अभियोग के निर्णय देता है

क्या तुम में से किसी को यह हियाव है कि.... फैसले के लिए अधर्मियों के पास जाए?

पौलुस कहता है कि विश्वासियों को अपने झगड़े स्वयं निपटा लेना चाहिए। वैकल्पिक अनुवाद: “अपने विश्वासी भाई पर लगाया गया आरोप एक अविश्वासी न्यायधीश के पास न ले जाएं। विश्वासी भाइयों को अपने झगड़े स्वयं निपटा लेना चाहिए।”

क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र लोग जगत का न्याय करेंगे?

पौलुस संसार के न्याय के भावी परिप्रेक्ष्य की चर्चा कर रहा है।

जब तुम्हें जगत का न्याय करना है तो क्या तुम छोटे से छोटे झगड़े का भी निर्णय करने के योग्य नहीं?

पौलुस कहता है कि भविष्य में उन्हें संपूर्ण संसार का न्याय करने का उत्तरदायित्व एवं योग्यता प्रदान की जायेगी। इस कारण उन्हें वर्तमान के छोटे मोटे झगड़े आपस ही में निपटा लेने चाहिए। “तुम भविष्य में संसार का न्याय करोगे, अतः इन छोटी-छोटी बातो का न्याय उस समय स्वयं ही करो”।

सांसारिक बातों

“मतभेद” या “विवाद”

क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे?

“तुम जानते हो कि हम स्वर्गदूतो का न्याय करेंगे”

हम

पौलुस और कुरिन्थ की कलीसिया

तो क्या सांसारिक बातों का निर्णय न करें

वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि हमें स्वर्गदूतों का न्याय करने का उत्तरदायित्व एवं योग्यता प्रदान की जाएगी इसलिए हम निश्चय ही इस जीवन की बातों का न्याय कर सकते हैं”।

1 Corinthians 6:4

यदि तुम्हें सांसारिक बातों का निर्णय करना हो

वैकल्पिक अनुवाद: “यदि तुम्हें दैनिक जीवन की बातों का निर्णय करना हो” या “तुम्हें इस जीवन के विषयों के संबन्ध में निर्णय लेना हो”। (यू.डी.बी.)

क्या उन्हीं को बैठाओगे

“तुम्हें ऐसे लोगों को नहीं बैठाना है”

कलीसिया में कुछ नहीं समझे जाते

पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को झिड़क रहा है कि वे इन बातों का कैसे न्याय कर रहे है”। इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “तुम्हें अपने विषय कलीसिया में उचित निर्णय लेने में अयोग्य मनुष्यों के समक्ष नहीं रखना चाहिए 2) “तुम्हें कलीसिया के बाहर के लोगों के समक्ष अपने विषय नहीं रखने चाहिए”। 3) “तुम इन विषयों को कलीसिया के उन सदस्यों के समक्ष भी रख सकते हो जिनका मान कलीसिया में नहीं है”।

तुम्हें लज्जित करने के लिए

वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे अपमान के लिए” या “तुम पर प्रकट करने के लिए कि तुम कैसे चूक गए हो”(यू.डी.बी)।

क्या सचमुच तुम में एक भी बुद्धिमान नहीं मिलता जो अपने भाइयों का निर्णय कर सके?

“तुम्हें एक बुद्धिमान विश्वासी को खोजकर विश्वासियों के विवाद सुलझाना चाहिए”।

झगड़ा

“विवाद” या “मतभेद”

वह भी

वैकल्पिक अनुवाद: “जैसा हो रहा है” या “इसकी अपेक्षा” (यू.डी.बी.)

भाई-भाई में मुकद्दमा होता है और वह भी अविश्वासियों के सामने

वैकल्पिक अनुवाद: “आपस में झगड़ने वाले विश्वासी अविश्वासी न्यायधीशों के पास न्याय के लिए जाते है”।

मुकद्दमा होता है

“विश्वासी मुकद्दमा करता है”

1 Corinthians 6:7

अपनी हानि

वैकल्पिक अनुवाद: “विफलता” या “क्षति”

अन्याय

वैकल्पिक अनुवाद: “धूर्तता” या “धोखा”

अन्याय क्यों नहीं सहते? हानि क्यों नहीं सहते

वैकल्पिक अनुवाद: उचित तो यह है कि न्यायालय में जाने की अपेक्षा अन्याय सह लो, हानि उठा लो।

भाइयों को

सब मसीही विश्वासी आपस में भाई-बहन हैं,वैकल्पिक अनुवाद: “साथी विश्वासियों को”

1 Corinthians 6:12

“सब वस्तुएं मेरे लिए उचित तो हैं”

वैकल्पिक अनुवाद: “कुछ लोग कहते हैं, मैं कुछ भी कर सकता हूं” या “मुझे कुछ भी करने की अनुमति है”।

परन्तु सब वस्तुएं लाभ की नहीं

“परन्तु मेरे लिए सब लाभकारी नहीं है”

मैं किस बात के अधीन हूंगा

वैकल्पिक अनुवाद: “मुझ पर कुछ भी स्वामी होकर प्रभुता नहीं करे”।

"भोजन पेट के लिए और पेट भोजन के लिए है, परन्तु परमेश्वर...दोनों को नष्ट करेगा।"

परमेश्वर दोनों का अन्त कर देगा “कुछ का कहना है, भोजन पेट के लिए और पेट भोजन के लिए, परन्तु परमेश्वर भोजन और पेट दोनों का अन्त कर देगा।

पेट

शरीर का अंग पेट

नष्ट कर देगा

“अन्त कर देगा”

1 Corinthians 6:14

प्रभु को जिलाया

“यीशु को पुर्नजीवित किया”

क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं?

जिस प्रकार हमारे हाथ और पैर हमारी देह के अंग हैं उसी प्रकार हमारी देह मसीह की देह अर्थात कलीसिया का अंग है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारी देह मसीह का अंग है”।

तो क्या मैं मसीह के अंग लेकर वैश्या के अंग बनाऊं?

वैकल्पिक अनुवाद:“तुम मसीह की देह का अंग हो, मैं तुम्हें वैश्या से जुड़ने नहीं दूंगा”?

कदापि नहीं

वैकल्पिक अनुवाद: “ऐसा कभी ना हो”

1 Corinthians 6:16

क्या तुम नहीं जानते

“तुम जानते हो”। पौलुस इस तथ्य पर बल दे रहा है कि वे उस बात को जानते है।

जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है

वैकल्पिक अनुवाद: “जो प्रभु के साथ जुड़ता है, वह उसके साथ आत्मा में एक हो जाता है”।

1 Corinthians 6:18

बचे रहो

मनुष्य वैसे संकट से दूर भागता है वैसे ही पाप से भागने का भाव यहां व्यक्त है। “दूर हो जाओ”।

पाप मनुष्य करता है

वैकल्पिक अनुवाद: “करता है” या “भागी होता है”

वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।

व्यभिचार का पाप का परिणाम मनुष्य के शरीर को रोग ग्रस्त करता है, परन्तु अन्य पाप उसके अपने शरीर को ऐसी हानि नहीं पंहुचाते है।

1 Corinthians 6:19

क्या तुम नहीं जानते

“तुम जानते हो” पौलुस बल देकर कहता है कि वे इस सत्य से अभिज्ञ हैं।

देह

प्रत्येक विश्वासी का शरीर पवित्र आत्मा का निवास स्थान है।

पवित्र आत्मा का मन्दिर

मन्दिर अलौकिक शक्ति को समर्पित किया जाता है और वह उसमें वास करती है। इसी प्रकार कुरिन्थ के प्रत्येक विश्वासी की देह एक मन्दिर है, जिसमें पवित्र आत्मा वास करता है।

दाम देकर मोल लिए गए हो

परमेश्वर ने कुरिन्थ के विश्वासियों को दाम देकर पाप के दासत्व में से निकाल लिया था।। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने तुम्हारी स्वतंत्रता के लिए कीमत दी है”

इस कारण

वैकल्पिक अनुवाद: “अतः” या “क्योंकि यह सच है इसलिए....” या “इस सत्य के कारण”


Translation Questions

1 Corinthians 6:1

पौलुस के अनुसार कुरिन्थ के विश्वासियों को किसका न्याय करने योग्य होना चाहिए?

पौलुस कहता है कि उन्हें आपसी झगड़े बाहर नहीं ले जाने चाहिए स्वयं ही न्याय करें।

1 Corinthians 6:2

पवित्र जन किसका न्याय करेंगे?

पवित्र जन जगत का और स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे।

1 Corinthians 6:6

कुरिन्थ के विश्वासी आपसी झगड़ों को कैसे निपटाते है?

विश्वासी विश्वासी के विरूद्ध न्यायलय में जाता है, वहां एक अविश्वासी न्यायधीश है।

1 Corinthians 6:7

कुरिन्थ के विश्वासियों में झगड़े किस बात का संकेत देते हैं?

यह उनकी पराजय का संकेत है।

1 Corinthians 6:9

परमेश्वर के राज्य के वारिस कौन नहीं होंगे?

अधर्मी; वेश्यागामी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, लुच्चे, पुरूषगामी, चोर, लोभी, पियक्कड़, गाली देने वाले, अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे।

1 Corinthians 6:11

कुरिन्थ के विश्वासियों में जो पहले अधर्मी थे उनके साथ क्या हुआ?

वे यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।

1 Corinthians 6:12

पौलुस कौन सी बातों के अधीन नहीं होगा?

पौलुस कहता है कि वह भोजन और यौनाचार के अधीन नहीं होगा।

1 Corinthians 6:15

विश्वासियों की देह किसके अंग हैं?

विश्वासियों की देह मसीह के अंग हैं।

विश्वासी क्या वैश्याओं से संबन्ध बनाएं?

नहीं कदापि नहीं।

1 Corinthians 6:16

वैश्या से संबन्ध बनाने पर क्या होता है?

वह आपके साथ एक तन हो जाता है।

1 Corinthians 6:17

प्रभु के साथ संबन्ध बनाने पर क्या होता है?

वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।

1 Corinthians 6:18

व्यभिचार करने वाला किसके विरूद्ध पाप करता है?

व्यभिचार अपनी ही देह के विरूद्ध पाप है।

1 Corinthians 6:19

विश्वासियों को अपनी देह से परमेश्वर की महिमा क्यों प्रकट करनी है?

अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो क्योंकि वह पवित्र आत्मा का मन्दिर है और हम दाम देकर मोल लिए गए हैं।


Chapter 7

1 उन बातों के विषय में जो तुम ने लिखीं, यह अच्छा है, कि पुरुष स्त्री को न छूए। 2 परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरुष की पत्‍नी, और हर एक स्त्री का पति हो।

3 पति अपनी पत्‍नी का हक़ पूरा करे; और वैसे ही पत्‍नी भी अपने पति का। 4 पत्‍नी को अपनी देह पर अधिकार नहीं पर उसके पति का अधिकार है; वैसे ही पति को भी अपनी देह पर अधिकार नहीं, परन्तु पत्‍नी को।

5 तुम एक दूसरे से अलग न रहो; परन्तु केवल कुछ समय तक आपस की सम्मति* से कि प्रार्थना के लिये अवकाश मिले, और फिर एक साथ रहो; ऐसा न हो, कि तुम्हारे असंयम के कारण शैतान तुम्हें परखे।

6 परन्तु मैं जो यह कहता हूँ वह अनुमति है न कि आज्ञा। 7 मैं यह चाहता हूँ, कि जैसा मैं हूँ, वैसा ही सब मनुष्य हों; परन्तु हर एक को परमेश्‍वर की ओर से विशेष वरदान* मिले हैं; किसी को किसी प्रकार का, और किसी को किसी और प्रकार का।

8 परन्तु मैं अविवाहितों और विधवाओं के विषय में कहता हूँ, कि उनके लिये ऐसा ही रहना अच्छा है, जैसा मैं हूँ। 9 परन्तु यदि वे संयम न कर सके, तो विवाह करें; क्योंकि विवाह करना कामातुर रहने से भला है।

10 जिनका विवाह हो गया है, उनको मैं नहीं, वरन् प्रभु आज्ञा देता है, कि पत्‍नी अपने पति से अलग न हो। 11 (और यदि अलग भी हो जाए, तो बिना दूसरा विवाह किए रहे; या अपने पति से फिर मेल कर ले) और न पति अपनी पत्‍नी को छोड़े।

12 दूसरों से प्रभु नहीं, परन्तु मैं ही कहता हूँ, यदि किसी भाई की पत्‍नी विश्वास न रखती हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्‍न हो, तो वह उसे न छोड़े। 13 और जिस स्त्री का पति विश्वास न रखता हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्‍न हो; वह पति को न छोड़े। 14 क्योंकि ऐसा पति जो विश्वास न रखता हो, वह पत्‍नी के कारण पवित्र ठहरता है, और ऐसी पत्‍नी जो विश्वास नहीं रखती, पति के कारण पवित्र ठहरती है; नहीं तो तुम्हारे बाल-बच्चे अशुद्ध होते, परन्तु अब तो पवित्र हैं।

15 परन्तु जो पुरुष विश्वास नहीं रखता, यदि वह अलग हो, तो अलग होने दो, ऐसी दशा में कोई भाई या बहन बन्धन में नहीं; परन्तु परमेश्‍वर ने तो हमें मेल-मिलाप के लिये बुलाया है। 16 क्योंकि हे स्त्री, तू क्या जानती है, कि तू अपने पति का उद्धार करा लेगी? और हे पुरुष, तू क्या जानता है कि तू अपनी पत्‍नी का उद्धार करा लेगा?

17 पर जैसा प्रभु ने हर एक को बाँटा है, और जैसा परमेश्‍वर ने हर एक को बुलाया है*; वैसा ही वह चले: और मैं सब कलीसियाओं में ऐसा ही ठहराता हूँ। 18 जो खतना किया हुआ बुलाया गया हो, वह खतनारहित न बने: जो खतनारहित बुलाया गया हो, वह खतना न कराए। 19 न खतना कुछ है, और न खतनारहित परन्तु परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मानना ही सब कुछ है।

20 हर एक जन जिस दशा में बुलाया गया हो, उसी में रहे। 21 यदि तू दास की दशा में बुलाया गया हो तो चिन्ता न कर; परन्तु यदि तू स्वतंत्र हो सके, तो ऐसा ही काम कर। 22 क्योंकि जो दास की दशा में प्रभु में बुलाया गया है, वह प्रभु का स्वतंत्र किया हुआ है और वैसे ही जो स्वतंत्रता की दशा में बुलाया गया है, वह मसीह का दास है। 23 तुम दाम देकर मोल लिये गए हो, मनुष्यों के दास न बनो। 24 हे भाइयों, जो कोई जिस दशा में बुलाया गया हो, वह उसी में परमेश्‍वर के साथ रहे।

25 कुँवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली, परन्तु विश्वासयोग्य होने के लिये जैसी दया प्रभु ने मुझ पर की है, उसी के अनुसार सम्मति देता हूँ। 26 इसलिए मेरी समझ में यह अच्छा है, कि आजकल क्लेश के कारण मनुष्य जैसा है, वैसा ही रहे।

27 यदि तेरे पत्‍नी है, तो उससे अलग होने का यत्न न कर: और यदि तेरे पत्‍नी नहीं, तो पत्‍नी की खोज न कर: 28 परन्तु यदि तू विवाह भी करे, तो पाप नहीं; और यदि कुँवारी ब्याही जाए तो कोई पाप नहीं; परन्तु ऐसों को शारीरिक दुःख होगा, और मैं बचाना चाहता हूँ।

29 हे भाइयों, मैं यह कहता हूँ, कि समय कम किया गया है, इसलिए चाहिए कि जिनके पत्‍नी हों, वे ऐसे हों मानो उनके पत्‍नी नहीं। 30 और रोनेवाले ऐसे हों, मानो रोते नहीं; और आनन्द करनेवाले ऐसे हों, मानो आनन्द नहीं करते; और मोल लेनेवाले ऐसे हों, कि मानो उनके पास कुछ है नहीं। 31 और इस संसार के साथ व्यवहार करनेवाले ऐसे हों, कि संसार ही के न हो लें; क्योंकि इस संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं।

32 मैं यह चाहता हूँ, कि तुम्हें चिन्ता न हो। अविवाहित पुरुष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है, कि प्रभु को कैसे प्रसन्‍न रखे। 33 परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है, कि अपनी पत्‍नी को किस रीति से प्रसन्‍न रखे। 34 विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है: अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है, कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है, कि अपने पति को प्रसन्‍न रखे।

35 यह बात तुम्हारे ही लाभ के लिये कहता हूँ, न कि तुम्हें फँसाने के लिये, वरन् इसलिए कि जैसा उचित है; ताकि तुम एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहो।

36 और यदि कोई यह समझे, कि मैं अपनी उस कुँवारी का हक़ मार रहा हूँ, जिसकी जवानी ढल रही है, और प्रयोजन भी हो, तो जैसा चाहे, वैसा करे, इसमें पाप नहीं, वह उसका विवाह होने दे। 37 परन्तु यदि वह मन में फैसला करता है, और कोई अत्यावश्यकता नहीं है, और वह अपनी अभिलाषाओं को नियंत्रित कर सकता है, तो वह विवाह न करके अच्छा करता है। 38 तो जो अपनी कुँवारी का विवाह कर देता है, वह अच्छा करता है और जो विवाह नहीं कर देता, वह और भी अच्छा करता है।

39 जब तक किसी स्त्री का पति जीवित रहता है, तब तक वह उससे बंधी हुई है, परन्तु जब उसका पति मर जाए, तो जिससे चाहे विवाह कर सकती है, परन्तु केवल प्रभु में। 40 परन्तु जैसी है यदि वैसी ही रहे, तो मेरे विचार में और भी धन्य है, और मैं समझता हूँ, कि परमेश्‍वर का आत्मा मुझ में भी है।



1 Corinthians 7:1

अब

पौलुस अपनी शिक्षा में एक नया प्रसंग आरंभ करता है।

उन बातों के विषय जो तुमने लिखी

उन्होंने कुछ बातों के बारे में पौलुस से पत्र लिखकर पूछा था

पुरूष

यहाँ कहने का अर्थ है पति

यह अच्छा है

वैकल्पिक अनुवाद: “यह उचित एवं स्वीकार्य है”

स्त्री को न छूए

“पति का पत्नी के साथ यौन संबन्ध नहीं बनाना भी कभी उचित होता है”।

व्यभिचार के डर से

वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि मनुष्य यौनाचार के पाप की परीक्षा में गिर सकता है”।

हर एक पुरूष की पत्नी और हर एक स्त्री का पति हो

इसे बहु विवाह की संस्कृति के लिए इसे स्पष्ट करता है। “प्रत्येक पुरूष की एक ही पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का एक ही पति हो”।

1 Corinthians 7:3

पत्नी का हक

पति-पत्नी दोनों ही परस्पर यौन दायित्व पूरा करें।

1 Corinthians 7:5

एक दूसरे से अलग न रहो

वैकल्पिक अनुवाद: “अपने जीवन साथी को यौनतुष्टि से वंचित मत करो”।

प्रार्थना के लिए अवकाश मिले

आपसी सहमति से यौनाचार से वंचित होना उचित है परन्तु केवल गहन प्रार्थना के लिए यहूदियों में यह अवकाश 1-2 सप्ताह का होता था।

फिर एक साथ रहो

“समर्पित रहो”

फिर एक साथ रहो

“यौन संबन्धों में लौट आओ”

तुम्हारे असंयम के कारण

वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि कुछ समय पश्चात तुम्हारी वासना वश में नहीं रहेगी”।

मैं जो यह कहता हूं यह अनुमति है न कि आज्ञा है

पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को परामर्श देता है कि प्रार्थना ही के लिए वे यौन संबन्ध में अन्तराल रखें परन्तु यह एक अलग बात है, एक सतत् अनिवार्यता नहीं है।

जैसा मैं हूं

पौलुस के सदृश्य अविवाहित (या तो पूर्वकालिक विवाहित या अविवाहित)

हर एक को परमेश्वर की ओर से विशेष वरदान मिले हैं, किसी को किसी प्रकार और किसी को किसी और प्रकार का

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने एक मनुष्य को एक योग्यता से संवारा है तो दूसरे को दूसरी से”

1 Corinthians 7:8

अविवाहितों

“जो इस समय विवाह के बंधन में नहीं हैं” इसमें अविवाहित और विवाह विच्छेदित एवं विधुर सब हैं।

विधवाओं

जिस स्त्री का पति मर गया है,

अच्छा है

अच्छा है - यहां “अच्छा शब्द का अर्थ उचित एवं स्वीकार्य है। वैकल्पिक अनुवाद: “उचित एवं स्वीकार्य है”।

विवाह

पति-पत्नी हो जाएं

कामातुर

कामातुर - लगातार यौन वासना के वश में रहने से”

1 Corinthians 7:10

विवाह

जीवनसाथी से (पति या पत्नी)

अलग न हो

अधिकांश यूनानी शब्द स्पष्ट नहीं करते कि वैध विवाह विच्छेद न हो मात्र अलग हों। अधिकांश दम्पतियों के लिए अलग रहने का अर्थ था विवाह विच्छेद।

छोड़े

इसका अर्थ भी विवाह विच्छेद से ही है। उपरोक्त टिप्पणी देखें। इसका तात्पर्य वैध विवाह विच्छेद या मात्र अलग रहने से है।

मेल कर ले

“वह अपने पति से समझौता करके लौट आए”

1 Corinthians 7:12

प्रसन्न हो

“इच्छुक हो” या “सन्तुष्ट है”

पवित्र ठहरता है

“परमेश्वर ने उस अविश्वासी पति को पवित्र कर दिया है”

पत्नी.... पवित्र ठहरती है

“परमेश्वर ने इस अविश्वासी पत्नी को पवित्र कर दिया है” )

पवित्र हैं

परमेश्वर ने उन्हें पवित्र कर दिया है।

1 Corinthians 7:15

ऐसी दशा में कोई भाई या बहिन बंधन में नहीं

“ऐसी स्थिति में विश्वासी पति/पत्नी पर विवाह का बन्धन नहीं है”

हे स्त्री, तू क्या जानती है कि तू अपने पति का उद्धार करा लेगी?

“तू नहीं जानती कि अपने अविश्वासी पति का उद्धार करा पाएगी या नहीं”?

हे पुरूष, तू क्या जानता है कि अपनी पत्नी का उद्धार करा पाएगा?

“तू नहीं जानता कि अपनी अविश्वासी पत्नी का उद्धार करा पाएगा या नहीं”।

1 Corinthians 7:17

हर एक को

“प्रत्येक विश्वासी को”

सब कलीसियाओं में ऐसा ही ठहराता हूं

पौलुस सब कलीसियाओं में विश्वासियों को ऐसी ही आचरण की शिक्षा दे रहा था।

खतना किया हुआ बुलाया गया हो वह खतना रहित न बने।

पौलुस खतना वालों (यहूदियों से कह रहा है) जिन्होंने खतना करा लिया था वे बुलाहट के समय खतना की दशा में थे।

जो खतना रहित बुलाया गया हो वह खतना न करवाए

अब पौलुस खतनारहितों को कह रहा है। “खतनारहितों परमेश्वर ने जब तुम्हें बुलाया था तब तुम्हारा खतना नहीं हुआ था।”

1 Corinthians 7:20

जिस दशा में बुलाया गया हो उसी में रहे

यहां “बुलाया गया” का संदर्भ सेवावृत्ति या सामाजिक स्तर से है जिसमें आप थे “वैसे ही रहो और काम करो जैसे थे”।(यू.डी.बी)

यदि तू दास की दशा में बुलाया गया?

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर की बुलाहट के समय दास था”

प्रभु का स्वतंत्र किया हुआ

यह स्वतंत्रता प्रभु की देन है, अतः शैतान और पाप से मुक्त है

तुम दाम देकर मोल लिए गए हो

वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह ने अपनी जान देकर तुम्हें मोल लिया है

बुलाया गया

“जब परमेश्वर ने हमें बुलाया कि उसमें विश्वास करें”

(हमारे-हम)

सब विश्वासी

1 Corinthians 7:25

कुँवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली

कुँवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली - ऐसी स्थिति के बारे में पौलुस को प्रभु की शिक्षा स्मरण नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: “जिन्होंने कभी विवाह नहीं किया उनके लिए मुझे प्रभु से कोई आज्ञा प्राप्त नही है”

मेरी समझ में

पौलुस स्पष्टीकरण देता है कि विवाह संबन्धित ये निर्देशन उसके विचार से हैं, प्रभु की आज्ञाएं नहीं हैं।

इस कारण

वैकल्पिक अनुवाद: “अतः” या “ इस कारण”

क्लेश के कारण

वैकल्पिक अनुवाद: “आनेवाले विनाश के कारण”

1 Corinthians 7:27

यदि तेरे पत्नी है

पौलुस विवाहित पुरूषों से कह रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “यदि तू विवाहित है”।

अलग होने का यत्न न कर

वैकल्पिक अनुवाद: “विवाह के बन्धन से मुक्त होने का प्रयास मत कर”

यदि तेरे पत्नी नहीं

अब पौलुस अविवाहितों से कह रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “यदि इस समय तुम पत्नी रहित हो”

“पत्नी की खोज न कर”

वैकल्पिक अनुवाद: “विवाह का विचार मत कर”

(समर्पित)

“किया” या “सहभागी”

मैं बचाना चाहता हूं

वैकल्पिक अनुवाद: “मैं नहीं चाहता कि...”

1 Corinthians 7:29

समय कम किया गया है

वैकल्पिक अमुवाद: “समय बहुत कम है” या “समय लगभग समाप्त हो गया है”

रोते

वैकल्पिक अनुवाद: “रोएं” या “आंसू बहाकर दुःखी हों”

उनके पास कुछ भी नहीं

वैकल्पिक अनुवाद: “उनके पास सम्पदा है ही नहीं”

संसार के साथ व्यवहार करने वाले

वैकल्पिक अनुवाद:“जो प्रतिदिन अविश्वासियों के साथ लेन-देन करते है"

संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं?

वैकल्पिक अनुवाद: “जैसे कि उन्होंने अविश्वासियों के साथ कोई व्यवहार नहीं किया”

संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं

क्योंकि संसार पर शैतान का राज शीघ्र ही समाप्त होगा

1 Corinthians 7:32

चिन्ता न हो

वैकल्पिक अनुवाद: “शान्ति मिले” या “निश्चिन्त रहो”

चिन्ता में रहता है

वैकल्पिक अनुवाद: “ध्यान में रहता है”

संसार की बातों की

वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर को और अपनी पत्नी दोनों को प्रसन्न करना चाहता है”

1 Corinthians 7:35

फंसने के लिए

वैकल्पिक अनुवाद: “बोझ डालने के लिए” या “बन्धन में रखने के लिए”

सेवा में

वैकल्पिक अनुवाद: “प्रभु में ध्यान लगाए रहो”

1 Corinthians 7:36

हक मार रहा हूं

“कठोरता का व्यवहार कर रहा हूं” या “मान प्रदान नहीं करता”

कुंवारी

इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “जिसे उसे मैंने उसे विवाह का वचन दिया है।” 2)“उसकी कुंवारी पुत्री”

विवाह होने दे

संभावित अर्थ है, 1)“वह अपनी मंगेतर से विवाह करे।” 2) “अपनी पुत्री का विवाह कर दे।”

1 Corinthians 7:39

जब तक... पति जीवित रहता है

“जब तक वह मर न जाए”

जिस से चाहे

वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी इच्छा से”

केवल प्रभु में

वैकल्पिक अनुवाद: “यदि उसका दूसरा पति विश्वासी है”

मेरे विचार में

“परमेश्वर के वचन की मेरी समझ में”

और भी धन्य है

“अधिक आनन्दित है” या “अधिक संतुष्टि पाएगी”

जैसे है वैसी ही रहे

वैकल्पिक अनुवाद:“अविवाहित रहे”


Translation Questions

1 Corinthians 7:2

प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी और प्रत्येक स्त्री का अपना पति होना क्यों आवश्यक है?

व्यभिचार के डर से प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का अपना पुरूष हो।

1 Corinthians 7:4

पति या पत्नी को क्या अपनी देह पर अधिकार है?

नहीं, पति को अपनी पत्नी की देह पर अधिकार है और पत्नी को अपने पति की देह पर अधिकार है।

1 Corinthians 7:5

पति-पत्नी के लिए एक दूसरे को शारीरिक संबन्ध से वंचित करना कब उचित है?

उचित तो यह है कि पति-पत्नी आपसी सहमति से निश्चित समय निकाल कर केवल प्रार्थना के लिए एक दूसरे से अलग हों।

1 Corinthians 7:8

विधवाओं और अविवाहितों के लिए पौलुस क्या उचित बताता है?

पौलुस कहता है कि अविवाहित रहना उचित है।

1 Corinthians 7:9

अविवाहितों और विधवाओं को किस परिस्थिति में विवाह कर लेना चाहिए?

यदि वे संयम न रख पायें और कामातुर हो तो विवाह करना ही उचित है।

1 Corinthians 7:10

प्रभु विवाहितों को क्या आज्ञा देता है?

पत्नी पति से अलग न हो, यदि पत्नी अलग हो तो या तो वह पुनः विवाह न करे और यदि करना चाहे तो अपने ही पति से मेल कर ले। पति भी अपनी पत्नी को तलाक न दे।

1 Corinthians 7:12

विश्वासी पति/पत्नी अपने जीवन साथी को क्या तलाक दे?

यदि अविश्वासी पति या पत्नी अपने जीवन साथी के साथ रहने से सन्तुष्ट है तो विश्वासी पक्ष अविश्वासी को तलाक न दे।

1 Corinthians 7:15

यदि अविश्वासी जीवन साथी अलग होना चाहे तो क्या करें?

विश्वासी अविश्वासी जीवन साथी को जाने दे।

1 Corinthians 7:17

पौलुस हर एक कलीसिया के लिए कौन सा नियम निर्धारित किया था?

नियम यह हैः प्रत्येक जीवन परमेश्वर प्रदत्त जीवन जीए, जैसी परमेश्वर की बुलाहट है।

1 Corinthians 7:18

पौलुस खतना वालों और खतनारहितों को क्या परामर्श देता है?

जो खतना किया हुआ बुलाया गया है वह खतनारहित न बने और जो खतनारहित बुलाया गया है वह खतना न कराए।

1 Corinthians 7:21

पौलुस दासों के लिए क्या कहता है?

यदि परमेश्वर ने किसी दास को बुलाया है तो वह चिन्ता न करे, परन्तु यदि वह स्वतंत्र हो सके तो ऐसा ही करे क्योंकि दास परमेश्वर के लिए स्वतंत्र है, उन्हें मनुष्य का दास नहीं होना है।

1 Corinthians 7:26

पौलुस क्यों सोचता था कि जिस पुरूष ने विवाह नहीं किया है वह उसके जैसा अविवाहित रहे?

पौलुस के अपने विचार में आनेवाले क्लेश के कारण मनुष्य के लिए अविवाहित रहना ही उचित है।

1 Corinthians 7:27

विवाह की शपथ में बंधे हुए विश्वासी पुरूषों को क्या करना चाहिए?

विवाहित पुरूषों को पत्नी से अलग होने का यत्न नहीं करना है।

1 Corinthians 7:28

??

पौलुस अविवाहितों और पत्नीरहितों से क्यों कहता है, "पत्नी की खोज न कर"?उसने ऐसा इसलिए कहा कि वह उन्हें उन अनेक समस्याओं से बचाना चाहता था जो विवाहितों पर आती हैं।

1 Corinthians 7:31

संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं?

उन्हें ऐसा व्यवहार करना है क्योंकि इस संसार का तौर तरीका समाप्त हो जाता है।

1 Corinthians 7:33

विवाहितों के लिए प्रभु की अखंड भक्ति में रहना कठिन क्यों है?

यह कठिन है क्योंकि विश्वासी पति या पत्नी सांसारिक चिन्ता में लगे रहते हैं कि अपनी पत्नी या अपने पति को प्रसन्न कैसे करें।

1 Corinthians 7:38

अपनी मंगेतर से विवाह करने वाले से अधिक अच्छा कौन करता है?

जो अविवाहित रहने का चुनाव करे वह और भी अच्छा काम करता है।

1 Corinthians 7:39

कोई स्त्री कब तक अपने पति से बंधी रहती है?

वह जब तक जीवित है अपने पति से बंधी है।

??

यदि एक विश्वासी स्त्री का पति मर जाए तो वह किससे पुनः विवाह कर सकती है?वह जिससे चाहे विवाह कर सकती है परन्तु केवल उससे जो प्रभु में विश्वास रखता है।


Chapter 8

1 अब मूरतों के सामने बलि की हुई* वस्तुओं के विषय में हम जानते हैं, कि हम सब को ज्ञान है: ज्ञान घमण्ड उत्‍पन्‍न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है। 2 यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूँ, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता। 3 परन्तु यदि कोई परमेश्‍वर से प्रेम रखता है*, तो उसे परमेश्‍वर पहचानता है।

4 अतः मूरतों के सामने बलि की हुई वस्तुओं के खाने के विषय में हम जानते हैं, कि मूरत जगत में कोई वस्तु नहीं*, और एक को छोड़ और कोई परमेश्‍वर नहीं। (व्य. 4:39) 5 यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्वर कहलाते हैं, (जैसा कि बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु हैं)।

    6 तो भी हमारे निकट तो एक ही परमेश्‍वर है:

     अर्थात् पिता जिसकी ओर से सब वस्तुएँ हैं, और हम उसी के लिये हैं,

     और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह

     जिसके द्वारा सब वस्तुएँ हुई, और हम भी उसी के द्वारा हैं। (यूह. 1:3, रोम. 11:36)

7 परन्तु सब को यह ज्ञान नहीं; परन्तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के सामने बलि की हुई को कुछ वस्तु समझकर खाते हैं, और उनका विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।

8 भोजन हमें परमेश्‍वर के निकट नहीं पहुँचाता, यदि हम न खाएँ, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएँ, तो कुछ लाभ नहीं। 9 परन्तु चौकस रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारी यह स्वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए। 10 क्योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूरत के मन्दिर में भोजन करते देखे, और वह निर्बल जन हो, तो क्या उसके विवेक में मूरत के सामने बलि की हुई वस्तु के खाने का साहस न हो जाएगा।

11 इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिसके लिये मसीह मरा नाश हो जाएगा। 12 तो भाइयों का अपराध करने से और उनके निर्बल विवेक को चोट देने से तुम मसीह का अपराध करते हो। 13 इस कारण यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाएँ, तो मैं कभी किसी रीति से माँस न खाऊँगा, न हो कि मैं अपने भाई के ठोकर का कारण बनूँ।



1 Corinthians 8:1

अब मूर्तियों.... के विषय में

पौलुस इस अभिव्यक्ति द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया द्वारा पूछे गए अगले प्रश्न पर आता है

मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तुओं

विजातियां अपने देवताओं को अन्न, मछली, मुर्गी या मांस चढ़ाते थे। पुजारी वेदी पर उसका एक अंश जला देता था परन्तु जो भाग शेष रहता था वह उपासक को लौटा दिया जाता था या बाजार में बेचा जाता था। पौलुस इसी के बारे में चर्चा कर रहा है।

हम जानते हैं कि हम सब को ज्ञान है

पौलुस कुछ कुरिन्थ वासियों द्वारा की गई युक्ति का उद्धरण दे रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “हम सब जानते है, जैसा तुम स्वयं कहना चाहते हो कि” हम सब को ज्ञान है”।

घमण्ड उत्पन्न करता है

“मनुष्य को घमण्डी बनाता है” या “मनुष्य जो वास्तव में है नहीं उससे अधिक स्वयं को समझे”।

यदि कोई समझे कि मैं कुछ जानता हूं

“अपने विचार में कुछ बातों का सर्वज्ञानी है”

परमेश्वर उसे पहचानता है

“परमेश्वर उसे जानता है”

1 Corinthians 8:4

हमें

पौलुस और कुरिन्थ के विश्वासी

पौलुस कुरिन्थ के कुछ विश्वासियों द्वारा प्रयुक्त व्यवस्था ही का उपयोग कर रहा है।

“हम सब जानते हें, जैसा तुम स्वयं जानना चाहते हो, वैकल्पिक अनुवाद: “मूर्ति हमारे लिए असमर्थ एवं निरर्थक हैं”

मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं

वैकल्पिक अनुवाद: “संसार में मूर्ति कुछ भी नहीं है”

बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु

बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु - पौलुस बहुदेववाद में विश्वास नहीं करता था परन्तु वह स्वीकार करता है कि विजातियों की यह मान्यता थी।

हम

पौलुस और कुरिन्थ के विश्वासी

हमारे लिए

“हम विश्वास करते हैं”

1 Corinthians 8:7

सबको... कुछ तो

“सब मनुष्यों को... कुछ मनुष्य तो”

अशुद्ध

“नष्ट” या “क्षतिग्रस्त”

1 Corinthians 8:8

भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता

“भोजन हमें परमेश्वर का अनुग्रह पात्र नहीं बनाता” या “हमारा भोजन परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करता है”।

यदि हम नहीं खाए तो हमारी कुछ हानि नहीं और यदि खाएं तो हमें कुछ लाभ नहीं।

“यदि हम खाएं तो हमें कोई हानि नहीं और खाएं तो कोई लाभ नहीं।”

साहस न हो जाएगा

“प्रोत्साहन न मिलेगा”

निर्बल भाई

“विश्वास में अस्थिर भाई”

भोजन करते

“भोज में” या “खाते देखें”(यू.डी.बी)

1 Corinthians 8:11

निर्बल भाई.... नष्ट हो जाएगा

“भाई बहन जो विश्वास में दृढ़ नहीं वह पाप में गिरेगा/गिरेगी या विश्वास से भटक जाएगा/जाएगी”

इस कारण

“इस अन्तिम सिद्धान्त के कारण”

यदि भोजन... ठोकर खिलाए

“यदि भोजन करने से” या “भोजन के प्रोत्साहन से”


Translation Questions

1 Corinthians 8:1

अध्याय में पौलुस का चर्चा का विषय क्या है?

पौलुस मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के बारे में कहता है।

ज्ञान और प्रेम के परिणाम क्या होते हैं?

ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।

1 Corinthians 8:4

क्या मूर्ति परमेश्वर हो सकती है?

नहीं, मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं, एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।

1 Corinthians 8:6

एकमात्र परमेश्वर कौन है?

केवल एक ही परमेश्वर पिता है, उसी से सब कुछ है और हम उसी के लिए हैं।

एकमात्र प्रभु कौन है?

एक ही प्रभु है अर्थात यीशु मसीह, जिसके द्वारा सब कुछ अस्तित्व में है और हम भी उसी के द्वारा हैं।

1 Corinthians 8:7

जब कोई मूर्ति मान कर उसको चढ़ाई हुई वस्तुओं को कुछ समझ कर खाता है तो क्या होता है?

उनका विवेक निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है।

1 Corinthians 8:8

क्या भोजन हमें परमेश्वर के समक्ष उचित तथा अनुचित ठहराता है?

भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता है, यदि हम नहीं खाएं तो कोई हानि नहीं और यदि खाएं तो कोई लाभ नहीं।

1 Corinthians 8:9

हमें किस बात से सावधान रहना है कि हमारी स्वतंत्रता से ऐसा न हो?

हमें सावधान अवश्य रहना है कि हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल जन के लिए ठोकर का कारण न हो।

1 Corinthians 8:10

मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के प्रति दुर्बल विवेक के भाई या बहन हमें देखकर मूर्तियों को चढ़ाया हुआ भोजन खाएं तो क्या होगा?

हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल भाई या बहन के लिए विनाशक होती है।

1 Corinthians 8:11

अपने भाई या बहन के दुर्बल विवेक के लिए ठोकर का कारण होकर हम किसके विरूद्ध अपराध करते हैं?

हमारे कारण भाई या बहन ठोकर खाए तो हम उनके विरूद्ध अपराध करते हैं और मसीह के विरूद्ध अपराधी ठहरते है।

1 Corinthians 8:13

यदि भोजन उसके भाई बहन के लिए ठोकर का कारण हो तो पौलुस क्या नहीं करेगा?

पौलुस कहता है कि यदि उसका मांसाहारी होना भाई या बहन के लिए ठोकर का कारण हो तो वह कभी मांस नहीं खाएगा।


Chapter 9

1 क्या मैं स्वतंत्र नहीं*? क्या मैं प्रेरित नहीं? क्या मैंने यीशु को जो हमारा प्रभु है, नहीं देखा? क्या तुम प्रभु में मेरे बनाए हुए नहीं? 2 यदि मैं औरों के लिये प्रेरित नहीं, फिर भी तुम्हारे लिये तो हूँ; क्योंकि तुम प्रभु में मेरी प्रेरिताई पर छाप हो।

3 जो मुझे जाँचते हैं, उनके लिये यही मेरा उत्तर है। 4 क्या हमें खाने-पीने का अधिकार नहीं? 5 क्या हमें यह अधिकार नहीं, कि किसी मसीही बहन को विवाह कर के साथ लिए फिरें, जैसा अन्य प्रेरित और प्रभु के भाई और कैफा करते हैं? 6 या केवल मुझे और बरनबास को ही जीवन-निर्वाह के लिए काम करना चाहिए।

7 कौन कभी अपनी गिरह से खाकर सिपाही का काम करता है? कौन दाख की बारी लगाकर उसका फल नहीं खाता? कौन भेड़ों की रखवाली करके उनका दूध नहीं पीता? 8 क्या मैं ये बातें मनुष्य ही की रीति पर बोलता हूँ?

9 क्या व्यवस्था भी यही नहीं कहती? क्योंकि मूसा की व्यवस्था में लिखा है “दाँवते समय चलते हुए बैल का मुँह न बाँधना।” क्या परमेश्‍वर बैलों ही की चिन्ता करता है? (व्य. 25:4) 10 या विशेष करके हमारे लिये कहता है। हाँ, हमारे लिये ही लिखा गया, क्योंकि उचित है, कि जोतनेवाला आशा से जोते, और दाँवनेवाला भागी होने की आशा से दाँवनी करे। 11 यदि हमने तुम्हारे लिये आत्मिक वस्तुएँ बोई, तो क्या यह कोई बड़ी बात है, कि तुम्हारी शारीरिक वस्तुओं की फसल काटें।

12 जब औरों का तुम पर यह अधिकार है, तो क्या हमारा इससे अधिक न होगा? परन्तु हम यह अधिकार काम में नहीं लाए; परन्तु सब कुछ सहते हैं, कि हमारे द्वारा मसीह के सुसमाचार की कुछ रोक न हो। 13 क्या तुम नहीं जानते कि जो मन्दिर में सेवा करते हैं, वे मन्दिर में से खाते हैं; और जो वेदी की सेवा करते हैं; वे वेदी के साथ भागी होते हैं? (लैव्य. 6:16, लैव्य. 6:26, व्य. 18:1-3) 14 इसी रीति से प्रभु ने भी ठहराया, कि जो लोग सुसमाचार सुनाते हैं, उनकी जीविका सुसमाचार से हो।

15 परन्तु मैं इनमें से कोई भी बात काम में न लाया, और मैंने तो ये बातें इसलिए नहीं लिखीं, कि मेरे लिये ऐसा किया जाए, क्योंकि इससे तो मेरा मरना ही भला है; कि कोई मेरा घमण्ड व्यर्थ ठहराए। 16 यदि मैं सुसमाचार सुनाऊँ, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊँ, तो मुझ पर हाय!

17 क्योंकि यदि अपनी इच्छा से यह करता हूँ, तो मजदूरी मुझे मिलती है, और यदि अपनी इच्छा से नहीं करता, तो भी भण्डारीपन मुझे सौंपा गया है। 18 तो फिर मेरी कौन सी मजदूरी है? यह कि सुसमाचार सुनाने में मैं मसीह का सुसमाचार सेंत-मेंत कर दूँ; यहाँ तक कि सुसमाचार में जो मेरा अधिकार है, उसको मैं पूरी रीति से काम में लाऊँ।

19 क्योंकि सबसे स्वतंत्र होने पर भी मैंने अपने आप को सब का दास बना दिया* है; कि अधिक लोगों को खींच लाऊँ। 20 मैं यहूदियों के लिये यहूदी बना कि यहूदियों को खींच लाऊँ, जो लोग व्यवस्था के अधीन हैं उनके लिये मैं व्यवस्था के अधीन न होने पर भी व्यवस्था के अधीन बना, कि उन्हें जो व्यवस्था के अधीन हैं, खींच लाऊँ।

21 व्यवस्थाहीनों के लिये मैं (जो परमेश्‍वर की व्यवस्था से हीन नहीं, परन्तु मसीह की व्यवस्था के अधीन हूँ) व्यवस्थाहीन सा बना, कि व्यवस्थाहीनों को खींच लाऊँ। 22 मैं निर्बलों के लिये* निर्बल सा बना, कि निर्बलों को खींच लाऊँ, मैं सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना हूँ, कि किसी न किसी रीति से कई एक का उद्धार कराऊँ। 23 और मैं सब कुछ सुसमाचार के लिये करता हूँ, कि औरों के साथ उसका भागी हो जाऊँ।

24 क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है? तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। 25 और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझानेवाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। 26 इसलिए मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूँ, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूँ, परन्तु उसके समान नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। 27 परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूँ; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूँ।



1 Corinthians 9:1

क्या मैं स्वतंत्र नहीं?

इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें अपने अधिकार स्मरण कराता है। वैकल्पिक अनुवाद: “मैं स्वतंत्र हूं”।

क्या मैं प्रेरित नहीं?

इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें अपने प्रेरित होने का और अपने अधिकार का स्मरण कराता है, “मैं एक प्रेरित हूं”।

क्या मैंने यीशु को... नहीं देखा?

इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें स्मरण कराता है कि वह कौन है। “मैंने अपने प्रभु यीशु को देखा है”।

क्या तुम प्रभु में मेरे बनाए हुए नहीं?

इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें उसके साथ उसके संबन्धों का स्मरण कराता है। “मसीह में तुम्हारा विश्वास मेरी मसीही सेवा का परिणाम है।”

छाप हो

वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह में तुम्हारा विश्वास पुष्टि करता है”

1 Corinthians 9:3

क्या हमें खाने पीने का अधिकार नहीं?

वैकल्पिक अनुवाद: “हमें पूरा अधिकार है कि हम कलीसियाओं से भोजन-पानी लें”

हम

अर्थात पौलुस और बरनबास

क्या हमें यह अधिकार नहीं कि किसी मसीही बहन के साथ विवाह करके उसे लिए फिरें जैसा अन्य प्रेरित और प्रभु के भाई और कैफा करते हैं?

“यदि हमारे पास विश्वासी पत्नियां हों तो हमें अधिकार है कि उन्हें साथ लेकर यात्रा करें क्योंकि अन्य प्रेरित भी ऐसा ही करते हें, प्रभु का भाई और कैफा”

या केवल मुझे और बरनबास को ही अधिकार नहीं, कि कमाई करना छोड़ें?

वैकल्पिक अनुवाद: “बरनबास और मुझे अधिकार है कि काम करना छोड़ दें” या “परन्तु तुम बरनबास और मुझ से अपेक्षा करते हो कि पैसा कमाने के लिए काम करें”।

1 Corinthians 9:7

कौन कभी गिरह से खाकर सिपाही का काम करता है?

“सैनिक अपने पैसे से सेवा नहीं करता है”

कौन दाख की बारी लगाकर उसका फल नहीं खाता?

वैकल्पिक अनुवाद: “दाख की बारी लगाने वालों निश्चय ही उसका फल खाएगा” या “दाख की बारी लगानेवाले से कोई भी उसका फल न खाने की अपेक्षा नहीं करता है”। )

कौन भेड़ों का रखवाली करके उसका दूध नहीं पीता?

“भेड़ों का रखवाला उनका ही दूध पीता है” या “भेड़ों को रखवाले से कोई अपेक्षा भी करता है कि उनका दूध न पीए”।

क्या मैं ये बातें मनुष्य ही की रीति पर बोलता हूं?

“मैं ये बातें मानवीय अभ्यास पर आधारित नहीं करता हूं”।

क्या व्यवस्था भी यही नहीं कहती है?

“मूसा के विधान में भी यही लिखा है”

1 Corinthians 9:9

क्या परमेश्वर बैलों ही की चिन्ता करता है?

“परमेश्वर केवल बैल ही की चिन्ता सबसे अधिक नहीं करता है”।

या विशेष करके हमारे लिए कहता है?

वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर निश्चय ही हमारे बारे में कह रहा है” )

हमारे लिए

“हमारे” अर्थात पौलुस और बरनबास

तो क्या यह कोई बड़ी बात है कि तुम्हारी शारीरिक वस्तुओं की फसल काटें?

“तुम से भौतिक सहायता लेना हमारे लिए कोई अनहोनी बात नहीं है”।

1 Corinthians 9:12

जब दूसरों का

“शुभ सन्देश सुनाने वाले अन्य सेवकों को”

यह अधिकार है

पौलुस जिस अधिकार की बात कर रहा है वह है कि कुरिन्थ की कलीसिया पौलुस की जीविका का बोझ उठाए क्योंकि उन्हें सर्वप्रथम शुभ सन्देश सुनानेवाला वही था।

तो क्या हमारा इससे अधिक न होगा?

“हमारा” अर्थात पौलुस और बरनबास का “हमारा अधिकार और भी अधिक है”। (देखें:

रूकावट न हो

“बोझ न हो” या “प्रचार में बाधा न हो”

जो सुसमाचार सुनाते हैं उनकी जीविका सुसमाचार से हो

“शुभ सन्देश सुनाने के द्वारा दैनिक सहयोग प्राप्त करे”

1 Corinthians 9:15

मैं इनमें से कोई भी बात काम में न लाया

वैकल्पिक अनुवाद: “ये लाभ” या “जिनके हम योग्य हैं”

मेरे लिए ऐसा किया जाए

वैकल्पिक अनवाद: “तुमसे कुछ प्राप्त करूं” या “तुम मेरे लिए दैनिक प्रबन्ध करो”

व्यर्थ ठहराए

वैकल्पिक अनुवाद: “वंचित करे” या “पहुंचने न दे”

यह तो मेरे लिए अवश्य है

“मुझे शुभ सन्देश सुनाना अनिवार्य है”

तो मुझ पर हाय

वैकल्पिक अनुवाद: “मेरा भाग्य फूटे”

1 Corinthians 9:17

यदि अपनी इच्छा से यह करता हूं

“यदि स्वैच्छा से शुभ सन्देश सुनाता हूं”

अपनी इच्छा से

वैकल्पिक अनुवाद: “सहर्ष” या “अपनी इच्छा पर निर्भर”

भण्डारीपन मुझे सौंपा गया है

वैकल्पिक अनुवाद: “मुझे यह काम करना है क्योंकि परमेश्वर ने इसे संपन्न करने के लिए मुझ पर भरोसा किया है”

मेरी कौन सी मजदूरी है?

वैकल्पिक अनुवाद: “यह मेरा प्रतिफल है”

यह कि सुसमाचार सुनाने में मैं मसीह का सुसमाचार सेंत मेंत कर दूं, यहां तक कि सुसमाचार में मेरा जो अधिकार है उसको भी मैं पूरी रीति से काम में न लाऊं।

वैकल्पिक अनुवाद: “शुभ सन्देश सुनाने के मेरा जो प्रतिफल है वह है कि मैं किसी के भी आभार से मुक्त शुभ सन्देश सुना सकता हूं”

सुसमाचार सुनाने में

वैकल्पिक अनुवाद: “शुभ सन्देश सुनाने के निमित्त”

सुसमाचार में जो मेरा अधिकार है

वैकल्पिक अनुवाद: “मेरी प्रचार यात्राओं के लिए विश्वासियों से आर्थिक सहयोग लूं”।

1 Corinthians 9:19

अधिक लोगों को खींच लाऊं

“मनुष्यों को विश्वास करने के लिए प्रेरित करूं” या “मनुष्यों को मसीह में विश्वास करने में सहायता करूं”

यहूदी बना

वैकल्पिक अनुवाद: “मैंने यहूदियों का सा व्यवहार किया” या “यहूदियों की परम्परा का पालन किया”

व्यवस्था के अधीन बना

वैकल्पिक अनुवाद:“यहूदी अगुओं की आज्ञा के अधीन रहा और वे धर्मशास्त्र की जैसी भी व्याख्या करते थे, उसे स्वीकार किया”।

1 Corinthians 9:21

व्यवस्थाहीनों के लिए

वे लोग मूसा प्रदत्त नियमों का पालन नहीं करते थे अर्थात अन्य जातियों के लिए, वैकल्पिक अनुवाद: “यहूदियों के विधि-विधान से मुक्त मनुष्यों के लिए”।

1 Corinthians 9:24

क्या तुम नहीं जानते कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही है, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है।

इस प्रश्न के तथ्यों की समझ की प्रतिक्रिया अपेक्षित है, “हां, मैं जानता हूं कि दौड़ प्रतियोगिता में अनेक प्रतिद्वंदी होते हैं, परन्तु इनाम पाने वाला एक ही होता है”।

दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं

पौलुस मसीही जीवन और परमेश्वर की सेवा की तुलना दौड़ और धावक से करता है। जैसे दौड़ का अनुशासन कठोर होता है उसी प्रकार मसीही जीवन और सेवा में भी कठोर अनुशासन तथा एक ही लक्ष्य होता है।

इनाम एक ही ले जाता है

एक समर्पण के साथ दौड़ना कि सफलता प्राप्त हो, इसकी तुलना उस सेवा से की गई है जो परमेश्वर हमसे चाहता है।

मुकुट

मुकुट सफलता का प्रतीक है जो उस कार्यक्रम के अधिकारी द्वारा दिया जाता है। यह रूपक परमेश्वर को सम्मान प्रदान करने के जीवन की एक उपमा है। परमेश्वर उद्धार का प्रतीक मुकुट देता है।

आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं

इसका कर्तृवाच्य अनुवाद होगा, “न्यायी कहीं मुझे अयोग्य न घोषित कर दे”


Translation Questions

1 Corinthians 9:1

पौलुस अपनी प्रेरिताई का प्रमाण किसको कहता है?

पौलुस कहता है कि कुरिन्थ के विश्वासी प्रभ